कविता :- 20(28) , मंगलवार , 15/06/2021 , अंक - 36, साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई, आम पेड़ छोटका वाला बाड़ी में

रोशन कुमार झा




कविता :- 20(28)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 15/06/2021
दिवस :- मंगलवार
विषय :- बिना बुलाएं ‌मेहमान
विधा :- हास्यरस
विषय प्रदाता :- आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी
विषय प्रवर्तक :- आ. रजनी हरीश जी

चले आएं हैं
बिना बुलाएं मेहमान ,
कहाँ दूं इन्हें स्थान ।
मेहमान होते है भगवान समान ,
पर अभी तो है दो गज दूरी ,
मास्क है जरूरी की अभियान ।।

कब तक करूँ मान - सम्मान ,
बिना बुलाएं ही चलें
आएं है मेहमान ।।
अभी अपने से ही है लोग परेशान ,
बाद में करेंगे मेहमानी
पहले बच तो जाएं जान ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मंगलवार , 15/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(28)
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 36
Sahitya Ek Nazar
15 June 2021 ,   Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

गांव आएं
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1942776279232600/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=794273241462085&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 2
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=351851003033186&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo
दरभंगा 06:40 , सूचना - कोलकाता , बंगाल से आने वाली यात्री कोरोना जांच करवाकर जाएं ।
प्लेटफॉर्म - 2 पर मधुबनी आएं वह बंगाली लड़की भी उतरी , 08:15 बस ( मैक्सी ) खुली

आज गांव आते समय भींग गये आनंद आया रहा लोहा साईकिल से मंगलवार का व्रत रहा ,
मिथिला नर्सरी से लाते रहे तीन पेड़ एक कोलम में , दो बाड़ी में , दोनों तरफ नारियल पेड़ के तरफ वाला बचा , दुर्गेश चाचा भी दो पेड़ लाएं रहें कलुआही के तरफ से वारिश होती रही ।
पेड़ न बढ़ा लेकिन इस बार उसमें आम लगा कि पेड़ खुद टेढ़ा हो गया ।

छोटा आम पेड़ पहली बार ( फल दिया ) पड़ा था
शाम में आम तोड़ने गये कोलम ( बग़ीचा ) में बलईन वाली आयी तीन हिस्सों में से एक हिस्सा ली आनंद चिल्लाने लगा , बस्ता ( बोरा ) भी नहीं दिया तो साड़ी में ही ले गई । भविन्द्र झा मिली पापा लग्गी दिए मिले प्रभुनाथ चाचा से राहुल के लिए पूछा कि उसका काम बहुत नीक छैय , संजय काका, शंभु चाचा , सुनील चौधरी को प्रणाम किए ललित भाई जी दुकान पर  , मंगनू काका को भी दरवाज़ा, आते वक्त ही लाल दाई और धैर्जू बाबा और दाईं को प्रणाम किए बोलकर वारिश होती रही । बोले दाई बाबा गोर लागैय छी ।
दादी की ऊंगली कट गया आम को काटने में अचार बनाने के लिए काटती रही ।
08:39 , व्हाट्सएप स्टेट्स
🙏 नमस्ते 🙏 मधुबनी
जन्मभूमि , मिथिला बिहार

________
[15/06, 08:52] डॉ पल्लवी जी: सुप्रभात भाई। 🙏
[15/06, 08:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात , नमस्ते 🙏 दीदी जी 🙏💐
[15/06, 18:23] डॉ पल्लवी जी: ****मैं माली हूं***

मैं  माली हूं।
सींचना  धर्म है मेरा//

नहीं जानता कौन फल खाएगा....
किसको मिलेगी  छाया//

बस अपने कर्म में रत
निरन्तर सेवता तरू को....
जिसको कभी लगाया है//

चुभ जाते अक्सर कांटे
हथेलियां भी फट जाती हैं....
नहीं देखता गौर से उनको
कि ध्यान अब फूलते तरूओं पर है//

श्रम कितना कीया
स्मरण नहीं‌...
मिलेगी छाया किसको?
कौन फल  खाएगा?

किस थकित पथिक को यह
खगों का गान सुनाएगा?

भान  नहीं अब तो
कि शाम ढल आया है//

पर संतोष बहुत
मैंने अपना धर्म निभाया है।

माली हूं
कई फूलों को लगाया है।
सभी बढें
फलें ‌...फूलें
अपने रंगों का मान रखें।

कि मैंने तो बस अपना धर्म निभाया है//

नहीं जानता
तरू कौन इनमें से
अपना या पराया है।

माली हूं‌.....
बस कर्तव्य पथ पर मौन खङा
सेवा धर्म अपनाया है।

मौन साध करता रहा वह सब
जिसके लिए ईश ने बनाया है।

*हर पिता अपने बगीचे का माली है।*
  
            ✍ डाॅ पल्लवी कुमारी"पाम"
                   25/4/21
[15/06, 18:24] डॉ पल्लवी जी: अंक 37-40 के निमित्त। 🙏
[15/06, 18:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo
[15/06, 18:33] डॉ पल्लवी जी: मैंने इसी अंक के निमित्त प्रेषित की है।🙏
[15/06, 18:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां कोशिश करते रहिए 🙏💐
[15/06, 18:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम कर दिए अपलोड
[15/06, 18:35] डॉ पल्लवी जी: शुक्रिया।🙏
[15/06, 18:36] डॉ पल्लवी जी: क्या आगे से आपको न भेजें।
[15/06, 18:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: दीदी जी मान लीजिए हम आपकी रचना को वहां अपलोड कर देते है हमको कोई समस्या नहीं है , समस्या उन लोगों को है जो वहां रचना भेजते है , और आप जान ही सकते है आज कल के लोगों की सोच
[15/06, 18:47] डॉ पल्लवी जी: ठीक है।कोई बात नहीं।
[15/06, 18:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी हमारी स्थिति को समझने के लिए 🙏 दीदी जी 🙏💐
[15/06, 18:51] डॉ पल्लवी जी: 🙏भाई।
[15/06, 19:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐

___________________________
[15/06, 03:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[15/06, 03:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात सर जी 🙏
[15/06, 09:22] प्रमोद ठाकुर: सुप्रभात
[15/06, 18:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
[15/06, 20:23] प्रमोद ठाकुर: ,🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹💐💐
[15/06, 20:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐

___________________________
[11/06, 14:41] +91 : Hi
[11/06, 15:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: बोलिए
[11/06, 15:01] +91 : जी आपकी दैनिक पत्रिका है
[11/06, 15:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[11/06, 15:04] +91 ।: मुझे भी अपन का लिखा हुआ प्राकाशित करवाना है
[11/06, 15:04] +91 : क्या procedure है
[11/06, 18:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर कामेंट बाक्स में भेजिए
[11/06, 20:35] +91 : Apka fb link beje plz
[11/06, 20:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo
[15/06, 17:25] +91 : Comment wala option nhi dikh rha hai
[15/06, 17:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसका समय सीमा हो गया है आदरणीय 🙏🙏🙏🙏
[15/06, 17:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज नया देंगे
[15/06, 17:30] +91 : G thik kl beju fr
[15/06, 17:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: उसके बाद देखिएगा
[15/06, 17:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजिए
[15/06, 17:30] +91 : G
[15/06, 17:30] +91 5: शुक्रिया
[15/06, 17:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[15/06, 17:33]
: 🙏🏼
[15/06, 18:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo
[15/06, 18:31] : Thank you
[15/06, 18:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम्
[15/06, 18:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: अब देखिए यदि समस्या हो तो आप हमें रचना भेज दीजिएगा
[15/06, 18:35] +91 : Ha abi b comment wala nhi dikh rha
[15/06, 18:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप हमें भेजिए
[15/06, 18:38] +91 : G
[15/06, 18:38] +91 : शुक्रिया
[15/06, 18:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏💐
[15/06, 18:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: सर अंग्रेजी शब्द हटाकर भेजिए
[15/06, 18:43] +91  G thik
[15/06, 18:46] +91 श: #tanhawritings
#tanhagazal
तुम तो समझदार हो...

कुछ ऐसे समझदारी की कीमत हम चुकाते रहे।
हर किसी   से अपने  दिल पे     चोट खाते रहे।।

दिल रोता रहा खून के आँसु अंदर ही अंदर,
होंठ हँसते हँसते ज़ख्म-ए-दिल छुपाते रहे।

जब कोई न मिला दर्द-ए-दिल बाँटने बाला,
दर्द लफ़्ज बनकर गज़ल के रूप में आते रहे।

एक ही नतीज़ा रहा मेरे इंकार और इज़हार का,
तुम तो समझदार हो,सब मुझे समझाते रहे।

जब भी जिसको भी मौका मिला कोई न चूका,
जैसे तैसे दिल में आया इल्ज़ाम लगाते रहे।

तुम्हारी आँख से आँसू न गिरें मेरे आँसू देखक़र,
इसलिये जब भी तुमसे मिले फक़त मुस्कराते रहे।

जब भी जिसके भी जितना भी काम आ सकता था,
अपना काम निकाल कर सब जाते रहे।

ख़ुदा तेरे रहम-ओ-कर्म से न गिरा कभी भी"तन्हा"
तूने कुछ ऐसे दोस्त भी वख्श़े जो हौसला बढ़ाते रहे।

राजेश "तन्हा"
रतनाल, बिश्नाह, जम्मू, जे के यू टी -181132
[15/06, 18:48] +91 : सर ये कब प्रकाशित होगा
[15/06, 18:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: देखते है कल नहीं तो परसों प्रकाशित हो जायेगी ।
[15/06, 18:50] +91 : जी शुक्रिया
[15/06, 18:52] +91 : हमें बहुत अच्छा लगेगा के जम्मू के लेखक का लिखा हुआ कोलकता मे छपेगा
[15/06, 18:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐 स्वागतम् 🙏💐
[15/06, 18:54] +91 94: 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
[15/06, 18:55] +91 ्: आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि कोलकता से हमे बहुत प्रेम है
[15/06, 18:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं , स्वागतम् 🙏💐 कोलकाता में
[15/06, 18:57] +91 05: जरूर मैंने जल्दी ही आना भी है वहाँ
[15/06, 18:57] +91 ्: 🙏🏼🙏🏼👌🏻
[15/06, 20:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐

___________________________
[15/06, 03:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक तरफा प्यार के वर्णन
[15/06, 07:17] ज्योति झा जी: हॉ
[15/06, 07:18] ज्योति झा जी: पहुच गेनौं
[15/06, 07:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: मधुबनी पहुंच भला छी ट्रेन देरी कोअ देलक
[15/06, 07:19] ज्योति झा जी: अच्छा
[15/06, 07:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: की विचार
[15/06, 07:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: साप्ताहिक या दैनिक
[15/06, 07:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: राखब
[15/06, 07:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: दैनिक में ज्यादा परेशानी भोअ जेएत
[15/06, 07:20] ज्योति झा जी: त' साप्ताहिक
[15/06, 07:20] ज्योति झा जी: रह दियौं
[15/06, 07:21] ज्योति झा जी: और एगो बात पुछ के छला?
[15/06, 07:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: पूछू बहिन
[15/06, 07:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: ट्रेन सअ उतैर गूनोऊ , पूरा सूनसान छैय रोड़ सब
[15/06, 07:42] ज्योति झा जी: कोरोना के वजह सS
[15/06, 07:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां बहिन
[15/06, 07:44] ज्योति झा जी: एगो ऐहन ग्रुप होब के चाहि, जत केवल सम्पादक सब रहेत
[15/06, 07:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर बहिन
[15/06, 07:44] ज्योति झा जी: या फेर जे कार्यभार समहारे
[15/06, 07:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां अवश्य 🙏💐
[15/06, 07:44] ज्योति झा जी: नैय त' बहुत होच-पोच भ' जाय छै
[15/06, 07:45] ज्योति झा जी: आपसे मे बाता बाती
[15/06, 07:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्यकार के कूनु व्हाटसाफ ग्रुप नैय राखअ के छैय बहिन
[15/06, 07:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: सिर्फ फेसबुक पर
[15/06, 07:45] ज्योति झा जी: हूं
[15/06, 07:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: पदाधिकारी के सिर्फ ग्रुप  रहतैय
[15/06, 08:34] ज्योति झा जी: जी
[15/06, 08:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐
[15/06, 09:27] ज्योति झा जी: भायजी अहाँ स' किछ कह के छले
[15/06, 09:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: कहूं न
[15/06, 09:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: हमेशा हाजिर छी
[15/06, 09:59] ज्योति झा जी: हमर सुझाव अैय कि,
1. साप्ताहिक पत्रिका के एगो विशेष (unique) नाम राखल जै
2. कतेक रचना प्रकाशित केल जेते ओ निर्धारित केल जे
3. प्रत्येक सप्ताह विषय प्रदान केल जाय
4. प्राप्त रचना मे स' सबस उतकृष्ट रचना के पत्रिका मे स्थान देल जाय
5. पत्रिका मे सब प्रकार के साहित्यिक विधा पर रचना के स्थान देल जेय
6. राजनीतिक या फेर व्यापारिक दृष्टिकोण नैय देल जाय
7. एगो मंडली तैयार केल जे, जे कार्यभार के देख रेख करथिन्ह जाहि मे सब सदस्य सक्रियता स' कार्यरत हौयथ
[15/06, 10:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां बहिन सभ व्यवस्था करअ पड़तैय
[15/06, 10:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏
[15/06, 10:22] ज्योति झा जी: 🙏🏼
[15/06, 12:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/esdu/
[15/06, 12:47] ज्योति झा जी: की अखन भ' रहल छैय निवन रचना प्रकाशित?
[15/06, 12:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: कलकत्ता वाला ईअ छैय
[15/06, 12:53] ज्योति झा जी: अच्छा
[15/06, 12:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: अहा भला लेल मधुबनी में टीम तैयार को देब
[15/06, 12:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: काईल जेबैय
[15/06, 12:54] ज्योति झा जी: जी🙏🏼
[15/06, 12:54] ज्योति झा जी: ओई सँ पहिले सीखाब पड़त
[15/06, 12:54] ज्योति झा जी: अहाँक के
[15/06, 12:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर बहिन
[15/06, 12:56] ज्योति झा जी: 🥰
[15/06, 12:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: समय मिलअ दियअ एक भेल सब के साथ एड काल पर बात केल जेए
[15/06, 12:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रवीण भाई जी
[15/06, 12:57] ज्योति झा जी: हूं
[15/06, 12:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: पत्रिका के बारे में सोभ बात बता देब कनअ पैसा कमेल जेएत
[15/06, 12:58] ज्योति झा जी: जी🙏🏼
[15/06, 12:59] ज्योति झा जी: मुदा ई त' निशुल्क छैय ने
[15/06, 13:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां बहिन
[15/06, 16:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहिन इअ पेड़ देखियोअ बहुत कीछ बता रहल छैय जेतक पेड़ के वजन नैय औतेक वजन फल के छैय
[15/06, 16:17] ज्योति झा जी: जी
[15/06, 16:22] ज्योति झा जी: अैय के तुलना जीवन स' सेहो केल जा सकेया कि,
जतेक मोल ई जीवन'क नैय, ओई स' बहुत बेसी मोल हम सब अपन जीवन'क अभिलाषा स' लगा कँ रखने छि!
[15/06, 17:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां बहिन
[15/06, 17:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: ईअ पेड़ हमही बाड़ी में लगनेए रहि
[15/06, 17:55] ज्योति झा जी: अच्छा🥰
[15/06, 18:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

___________________________
___________________________

आम वाला फोटो

छोटका पेड़ , 15:57

राजन को व्हाट्सएप पर


छोटका गाछ - राहुल को
15:57 , छोटका पेड़
___________________________
आ. ज्योत कुमारी
[13/06, 18:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/lxhh/
[15/06, 15:39] Jyoti Sahitya: मेरे जन्मदिवस पर विशेष बधाई के लिए आभार🙏
[15/06, 15:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी ये आपकी अपनी पत्रिका है दीदी जी 🙏💐
[15/06, 15:41] Jyoti Sahitya: जी बिल्कुल सहमत हूँ
[15/06, 20:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏💐


___________

व्हाट्सएप ग्रुप
हम बिहारी मिथिला के छी

[15/06, 21:19] Hasan Bhiya: सभी लोग मिथिला लुक वाला कोई बढ़िया सा पिक भेजने का कष्ट करें
[15/06, 21:19] +91 : Humre pass to whi h ek h or rukiye
[15/06, 21:20] Hasan Bhiya: 🤔
[15/06, 21:20] +91 : Ye kaisa pic hota h🤔
[15/06, 21:21] Hasan Bhiya: 😍
[15/06, 21:21] Hasan Bhiya: अपने मिथिला का जो ड्रेस है थोड़ा उसी लुक में होना चाहिए अच्छा लगेगा
[15/06, 21:24] +91 : Dhoti kurta pag me kya 😜
[15/06, 21:24] +91 : 😂😂
[15/06, 21:25] +91 : Aisa chAlega
[15/06, 21:25] +91 : Hasan
[15/06, 21:25] +91 : Sariee me bheje🤣
[15/06, 21:26] +91 : 😂😂😂
[15/06, 21:27] +91 : Hasan ka reply nhi aaya 😊
[15/06, 21:53] Hasan Bhiya: Bilkul
[15/06, 21:53] Hasan Bhiya: 😍gjb aapke pass kurti wala bhi bahut hoga
[15/06, 21:56] +91 l: Chek karna hoga
[15/06, 23:13] Hasan Bhiya: 🥰

________________________

आ. श्वेता कुमारी
साहित्य एक नज़र रत्न ,
प्रमाण पत्र संख्या - 44
अंक - 30

सर इस सम्मान को अगर समाचार के रूप में आकार दूँ तो क्या आप उसे अपनी पत्रिका में स्थान देने की कृपा प्रदान करेंगे🙏 22:18
15/06/2021

जी अवश्य देंगे ये आपकी अपनी पत्रिका है दीदी जी 🙏💐
03:02
[16/06, 03:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी अवश्य देंगे ये आपकी अपनी पत्रिका है दीदी जी 🙏💐
[16/06, 03:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/iqjc/

________________________

व्हाट्सएप ग्रुप
RKC NSS UNIT - 1
16 ( आ. अशोक सर जी )

NSS से जुड़े सभी स्टूडेंट्स को सूचित किया जाता है कि दिनांक 21/06/2021 को YOGA DAY के अवसर पर , अपने - आपने घर पर रहते हुए योग करें और कम से कम एक या ज्यादा से ज्यादा दो पिक्चर/ वीडियो योग करते हुए NSS के ग्रुप में अवश्य पोस्ट करें ।
________________________

[15/06, 21:56] ज्योति झा जी: भायजी वर्तनी के अशुद्धि देखियौं न'🙏🏼
[15/06, 21:59] ज्योति झा जी: आबु बेसु, अपना संगे
अपने स' अपन बात करी
किछ सुनी हम अपन मोन'क
किछ अपन मोन'क भाव कही
मोन सनक नैय मीत जगत मे
सदा निभाबे प्रीत जगत मे
सुलेझ जैयत सब मोन'क उलझन
जँ निज अन्तर्मोन'क बात सुनी
आबु बेसु अपना संगे
अपने स' अपन बात करी..
[16/06, 03:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: आबु बेसु, अप्पना संगे
अपने सऽ अप्पनन बात करी
किछ सुनी हम अप्पन मोन'क
किछ अप्पन मोन'क भाव कही
मोन सनक नैय मीत जगत मे
सदा निभाबे प्रीत जगत मे
सुलेझ जैयत सब मोन'क उलझन
जँ निज अन्तर्मोन'क बात सुनी
आबु बेसु अप्पना संगे
अपने स' अप्पन बात करी..

________________________
[13/06, 16:23] Hasan Bhiya: शीर्षक :- हम बिहारी मिथिला के छी

(1)
राजा प्रजा सोभ बराबर, बात आदर्श राजा जनक
के प्रजा प्रति प्रेम लीला के छी ,
भले हम हसन , बाहर में,
तयो अपन रीति रिवाज मिला के छी,
हम  नै ई मधुबनी, दरभंगा जिला के छी ।
गर्व अछि हम छी मैथिली, हम तऽ अपन मिथिलांचल के मिथिला के छी ।।

(2)
जतऽ एरैत भगवान राम, बनलैत सीता के पति ,
उगना बैन कऽ शिव सेवा केरैत,
ओऽ भक्त छैथ विद्यापति ।
दुख नैई अछि हमरा एको रति ,
हर इच्छा पूरा करैत छथिन, माँ काली, दुर्गा भगवती ।।
तहने नेए हम नैय कुनु जिला के छी ,
हम बिहारी बिहार के मिथिलांचल के मिथिला के छी ।।

(3)
मधुबनी मिथिला पेंटिंग अप्पन पहिचान छी ,
तहन नेए हम बिहारी विश्व स्तर पर महान छी ।।
जतऽ कमला , कोसी  , गंगा बहैए ओ पवित्र स्थान छी ,
गर्व अछि हम बिहार के बिहारी पुत्र
मिथिला के संतान छी ।।
तहन हम कनअ कहुं कि हम कुनु गांंव और जिला के छी
हम हिन्दुस्तान के हिन्दुस्तानी ,
हम तअ बिहार के मिथिला के छी ।।

(4)
राजनगर के राजमहल ,
सौराठ के सभा गाछी ,
हम तअ अप्पन हक मांगैय छी
हम कहां करैय छी बदमाशी ।।
हमही मालिक हमही दासी ,
ओहे सोच रखैय छी
हम बिहार के मिथिलावासी ।।
हम भोजपुरी, उर्दू , मगही मैथिली भाषा
जानैय छी ,हम नैय कुनू जिला के छी ,
हम बिहारी बिहार के मिथिला के छी ।।

(5)
कवि विद्यापति ,  नागार्जुन ,दिनकर के रचना
प्रेम और पीड़ा के छी ,
आर्यभट्ट , वशिष्ट नारायण , दशरथ मांझी ,
और भी ज्ञानी के ज्ञान के लीला के छी ।।
मुजफ्फरपुर के लीची , आम , पान ,मखान
भरल खेत खीरा के छी ,
गर्व अछि हम बिहारी
हम बिहार के मिथिला के छी ।।

(6)
हमही डॉक्टर, हमही सैनिक ,
हमही किसान छी ,
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई नैय ,
हम तअ इंसान छी ।।
योअ हमही मिथिला वाला
बिहार के मुस्कान छी ,
भारत के ही नैय
हम तअ विश्व के प्राण छी ।।
तअन हम मिथिलावासी विश्व के रक्षक
हम नैय कुनू जिला के छी ,
हम तअ धरती पुत्री जनक लली के जन्मभूमि
मिथिला के छी ।।

(7)
बारहों महीना करैत छी पूजा पाठ ,
चूड़ा दही आर खाय छी माछ भात ।।
अखनो खैय लेल
बाड़ी सऽ अनैय छी केला पात ,
हमही शहरीय और हमरे स्थान अछि देहात  ।।
तअ हम कनअ कहुं कि हम कुनु जिला के छी ,
हम तअ भोग में जोग करअ वाला
बिहार के मिथिला के छी

(8)
अप्पन भोजन लिट्टी चोखा ,
ऐलैय तीला संक्रैत
चुड़रैय , लाय खेअ के मौक़ा ।।
हम नैय दै छी किनको धोखा ,
हम बिहारी, अप्पन भूमि अछि अनोखा ।
ओय भूमि के हम पुत्र
हम नैय कुनो जिला के छी ।
हम तअ आदर्श राजन जनक के
राज्य मिथिला के छी ।।

(9)
छोटा भाई के हम करैय छी दुलार ,
बड़का भाई के करैय छी नमस्कार ।।
हम बिहारी बढ़े अप्पन बिहार ,
इ विनती हमर करू स्वीकार  ।।
स्वीकार कअ कऽ कहु हम बिहारी ,
हम नैय कुनो जिला के ,
योअ भैया , बाबू हम तअ बिहार के
मिथिला के छी... हम तअ बिहार के
मिथिला के छी

हसन✍🏻
[15/06, 15:47] Hasan Bhiya: शीर्षक :- हम बिहारी मिथिला के छी

(1)
राजा प्रजा स'ब बराबर, गप आदर्श राजा जनक'क
प्रजा'क प्रति प्रेम लीला'क छी ,
भलेहि हम हसन , बाहर मे
तइयो अपन रीति रिवाज मिला'क छी,
हम  नहि ई मधुबनी, दरभंगा जिला के छी ।
हमर भाषा अछि मैथिली , हम त  मिथिला सं छी ।।

(2)
जतय सीता अपन धिया छथि भगवान राम बनलाह जमाय
उगना बनि कऽ  सेवा करथि महादेव
हुनक भक्त विद्यापति कहाय
दुख नहि अछि हमरा एको रत्ती ,
स'ब इच्छा पूर करैत छथिन, माँ काली, दुर्गा भगवती ।।
हम नहि कुनु जिला सं छी ,
हमर भाषा अछि मैथिली
हम त मिथिला सं छी ।।

(3)
चित्रकला मिथिला के अछि अपन पहचान ,
तहने सब मिथिलावासी विश्व स्तर पर महान ।।
जतय कमला , कोसी  , गंगा बहय ओ पवित्र स्थान  ,
गर्व अछि हम मैथिलपुत्र 
मिथिला के संतान छी ।।
हम नहि कोनो गाम आ जिला सं छी
हमर भाषा अछि मैथिली हम मिथिला सं छी

(4)
राजनगर'क राजमहल ,
सौराठ'क सभा गाछी ,
हम त अप्पन हक मांगय छी
कहाँ करय छी बदमाशी ।।
हमहीं मालिक हमहीं नौकर ,
सोच एहन राखय छी
एकजूट बनि क हम सदिखन
प्रगति'क पथ देखय छी
भोजपुरी, उर्दू , मगही मैथिली
संस्कृत हिन्दी बाजय छी
हम नहि कोनो जिला सं छी ,
मैथिली अछि हमर भाषा हम मिथिला सं छी ।।

(5)
विद्यापति चंदा  नागार्जुन ,दिनकर'क रचना
प्रेम और पीड़ा'क छी ,
आर्यभट्ट , वशिष्ठ नारायण , दशरथ मांझी ,
ज्ञानी'क ज्ञान'क लीला'क छी ।।
मुजफ्फरपुर के लीची , आम , पान ,मखान
भरल खेत खीरा के छी ,
नहि छी हम कोनो टोल मुहल्ला सं
हमर भाषा अछि मैथिली हम मिथिला सं छी

(6)
हमहीं डॉक्टर, हमहीं सैनिक ,
हमही किसान छी ,
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई नहि  ,
हम त इंसान छी ।।
योऊ हमहीं मिथिला'क
नव पुरान मे छी
भारत'क  नहि
विश्वक प्राण मे छी
मातृभूमि केर पूज वंदन
सीता आ अहिल्या सं छी
हमर भाषा अछि मैथिली हम मिथिला सं छी

(7)
बारहों महीना  पूजा पाठ ,
चूड़ा दही  केर अजबे स्वाद  ।।
माछक तीमन तरूआ तरकारी
खाय लेल अखनो केरा पात ,
शरीर नगरीय प्राण देहाती
सदिखन हित मिला क छी
हमर भाषा अछि मैथिली हम मिथिला सं छी||

(8)
श्रेष्ठ पद केर हम अधिकारी
बैसी सबठाम गुण व्यवहार
विद्वता'क डंका अछि सबतरि
कुशलता'क चतुर्दिक संचार
एकटा मुट्ठी बनि क हमसब
एकमात्र परंपरा सं छी
नहि कोनो गाम जिला सं
हमर भाषा अछि मैथिली हम मिथिला सं छी

(9)
छोट भाई केर  करी  दुलार ,
बड़का भाई संग सुहृद व्यवहार ।।
मिथिला भूमि सगरो पूजित
मंगलकारी एतय कें संस्कार।।
स्वीकार करूँ आब चंदन वंदन ,
राम कृष्ण परवर दीगार
संग चली सब सदिखन संगे
एकचित्त सजला सं छी
नहि कोनो गाम जिला सं
हमर भाषा मैथिली हम मिथिला सं छी

हसन✍🏻
[15/06, 15:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक छैय
[15/06, 15:54] Hasan Bhiya: कोनो दिक्कत
[15/06, 15:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार भाई जी
[15/06, 15:56] Hasan Bhiya: 🥰🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[15/06, 15:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[15/06, 15:57] Hasan Bhiya: 🙏🏻
[16/06, 03:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐💐

https://hindi.sahityapedia.com/?p=130387
________________________
[14/06, 20:49] आ. पूनम शर्मा जी: क्या मुझे भी सम्मान पत्र मिलेगा ?
[14/06, 20:49] आ. पूनम शर्मा जी: शुभ रात्रि
[14/06, 20:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[14/06, 21:07] आ. पूनम शर्मा जी: धन्यवाद जी
[15/06, 15:25] आ. पूनम शर्मा जी: कृपया भेजा जाए मेरे वाट्स अप पर अभिनंदन

प्रमाण पत्र संख्या - 80
________________________
[15/06, 13:02] आ प्रभात जी: Afternoon sir
[15/06, 13:02] आ प्रभात जी: गाँव पहुंच गये आप
[15/06, 13:02] आ प्रभात जी: कैसे है गाँव में सब
[15/06, 13:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी सब अच्छे है
[15/06, 13:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप कैसे हो
[15/06, 13:08] आ प्रभात जी: हम भी अच्छे है जी
[15/06, 13:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: नया पोस्टर आज शाम में डालेंगे
[15/06, 13:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप रचना भेज दीजिएगा
[15/06, 13:09] आ प्रभात जी: अच्छा सर
[15/06, 13:09] आ प्रभात जी: जरूर
[15/06, 13:10] आ प्रभात जी: यही डालूंगा
[15/06, 13:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[15/06, 13:10] आ प्रभात जी: बाकी सब परिवार में कैसें है
[15/06, 13:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: सब ठीक है ईश्वर की कृपा से
[15/06, 13:11] आ प्रभात जी: बहुत सुन्दर
[15/06, 13:11] आ प्रभात जी: अच्छा ही होना चाहिए
[15/06, 14:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

________________________
[15/06, 11:36] आ सपना जी: सादर नमन आदरणीय
[15/06, 11:37] आ सपना जी: मैं अभी भी कमेंट नहीं कर पा रही हूँ🥲
[15/06, 12:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: हमें भेजिए
[15/06, 13:07] आ सपना जी: कल दिनांक १४/०३/२१ विश्व रक्त दान दिवस के उपलक्ष्य में " *लफ्ज़ों का कमाल काव्य मंच" (मुजफ्फरपुर, बिहार)* पटल पर " *रक्तदान महादान* " के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

हमारे इस कार्यक्रम के *मुख्य अतिथि आ सपना नेगी, विशिष्ट अतिथि आ हरि ओम शर्मा जी, मंच संचालिका आ कल्पना भदौरिया जी, एवं अध्यक्ष आ दीन दयाल दीक्षित दीन जी* रहे। इन सभी के देख रेख कार्यक्रम आयोजित किया गया और ठीक तरह से संपन्न हुआ।

कल के हमारे जो कलमकार प्रतिभागी साथी थे जिन लोगों ने कार्यक्रम में अपने रचना से पटल पर चार चांद लगाए! *संजय सिंह जी, सुखमिला अग्रवाल जी, डा.अम्बे कुमारी जी, प्रियंका मित्तल जी, प्रो कुलविंदर सिंह जी ( जिन्होंने इस कोरोना काल में भी अपने जान का परवाह नहीं करते 76 बार रक्त दान,6 बार प्लाज्मा दान किया है।) असल मानवता का पाठ हमें ये सिखला दिए। रामबाबू शर्मा जी, अनुराधा'अनु' जी, सीता देवी राठी जी, अभिलाज जी, रानू मिश्रा जी* आदि रहे।
[15/06, 13:08] आ सपना जी: क्षमाप्रार्थी हूँ अभी देखा आपका मैसेज। नेट ऑफ था

________________________
[15/06, 08:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये हमारे एनएसएस ( राष्ट्रीय सेवा योजना)  के स्वंयसेवक है ।
[15/06, 10:11] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: 👍🏻👍🏻
[16/06, 03:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐

________________________

[15/06, 07:17] Utkarsh Nss: Karna kya hoga bhai
[15/06, 07:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: Certificate banana hoga
[15/06, 08:05] Utkarsh Nss: Online
[15/06, 08:05] Utkarsh Nss: Ya offline
[15/06, 08:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Online
[15/06, 08:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Facebook par
[15/06, 08:44] Utkarsh Nss: O
[15/06, 08:44] Utkarsh Nss: Tm hmko add kar dijiye
[15/06, 08:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है भाई
[15/06, 08:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: हिन्दी में नाम मोबाइल व्हाट साफ नम्बर भेजिए 🙏💐
[15/06, 08:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/
[15/06, 08:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां से जुड़ जाइए
[15/06, 09:17] Utkarsh Nss: नाम- उत्कर्ष राज
मोबाइल नंबर- 72
________________________
[14/06, 20:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रणाम 🙏 आदरणीय
डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर बिजनौर उ०प्र०
आपका परिचय डॉ अनिल शर्मा अनिल जी के माध्यम से प्राप्त हुआ है मैंने फ़ेसबुक पर साहित्य एक नज़र पेज ज्वांइन करने के लिए रिक्वेस्ट डाली है आपसे निवेदन है कन्फर्म कर कृतार्थ करें । धन्यवाद
[14/06, 20:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद गुरु जी 🙏💐
[14/06, 20:32] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: जी  रिक्वेस्ट  ओ के कर दीजिए भाई। बहुत अच्छे गीतकार और सुलझे हुए व्यक्ति हैं।🙏
[14/06, 20:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐
________________________
[14/06, 20:07] +91 : प्रणाम 🙏 आदरणीय
डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर बिजनौर उ०प्र०
आपका परिचय डॉ अनिल शर्मा अनिल जी के माध्यम से प्राप्त हुआ है मैंने फ़ेसबुक पर साहित्य एक नज़र पेज ज्वांइन करने के लिए रिक्वेस्ट डाली है आपसे निवेदन है कन्फर्म कर कृतार्थ करें । धन्यवाद
[14/06, 20:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी स्वागतम् 🙏💐
[14/06, 20:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/
[14/06, 20:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां कीजिए महोदय

________________________
[14/06, 08:02] Varun Kumar Soni स्काउट, कवि: आभार🙏 जी
[14/06, 08:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[14/06, 08:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: सर जी 🙏💐

________________________
[14/06, 11:29] आ प्रज्ञा जी: जी शुक्रिया🙏🙏
[14/06, 11:30] आ प्रज्ञा जी: आपके ही कारण मिला है🙏🙏
[14/06, 11:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं दीदी जी आपकी अपनी रचनाओं के कारण 🙏💐
________________________
[15/06, 15:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: इस आम का पेड़ से सीखों
[15/06, 22:08] Babu 💓: Call dekh kr pata chal gya hoga ki ham kitne gussa me honge
[15/06, 22:08] Babu 💓: Esliye please call mat krna or na hamko baat krna h
[15/06, 22:08] Babu 💓: Gaw aane ke baad yahi  tum krte ho
[15/06, 22:08] Babu 💓: Ab direct 18 ko milte h college
[15/06, 22:08] Babu 💓: Jo kaam se aaye ho krwa lena
[15/06, 22:08] Babu 💓: Sorry to bilkul mat bolna warna gali sun logo
[15/06, 22:08] Babu 💓: Mera phone bhi band rahega
[15/06, 22:08] Babu 💓: Bura laga ho to please chhod dena hamko
[15/06, 22:08] Babu 💓: Mtlbi the mtlbi ho or hamesha mtlbi hi rahoge
[15/06, 22:08] Babu 💓: Bhul jao hamko
[15/06, 22:10] Babu 💓: Wahh roshan jha ji
[15/06, 22:10] Babu 💓: Kaam ho raha h apna par call nhi utha raha h
[15/06, 22:10] Babu 💓: Mar gye puja
[15/06, 22:10] Babu 💓: Bhar me jaye aisa pyar
[16/06, 03:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jaan data khula tha
[16/06, 03:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Babu
[16/06, 03:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Hmm so gaya
[16/06, 03:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Tha
[16/06, 03:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bhinge the
[16/06, 03:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Abi nind kula hai
[16/06, 03:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Pahale tum hi ko reply diya hai

________________________

________________________

________________________

________________________

________________________

___________________________
शीर्षककविता:-12(52)ह,विषय सामग्री:हिन्दी कविता-12(52)
15-06-2019 शनिवार 20:30
*®• रोशन कुमार झा
-:क्या कैसे मैं आता हूँ!:-

मत पूछो मैं कैसे आता हूँ,
और कैसे जाता हूँ!
आने-जाने में मैं नहीं पछताता हूँ!
राह रोशन करके गीत गाता हूँ,
ज़ख्म के बाद भी मैं सुख में मिट जाता हूँ!

और हँसकर मिलता हूँ,
दुख में भी खिलता हूँ!
हर कहीं घूमता-फिरता हूँ
पर मैं ना हिलता हूँ!

बिना हिले सब कुछ कर लेता हूँ,
हारने के बाद भी विजेता हूँ!
क्योंकि मैं सफलता का बेटा हूँ,
जीतकर सुख शान्ति मन को देता हूँ!

तब मत पूछो मैं कहाँ से आता हूँ,
और क्या कर जाता हूँ!
और कैसे सबको भाता हूँ,
पैसा नहीं मैं इज़्ज़त कमाता हूँ!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(52)
15-06-2019 शनिवार 20:30
गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार
31st Bengal Bn Ncc Fortwilliam
Narasinha Dutt college St John Ambulance
The Bharat scouts & Guides
Eastern Railway Howrah
Bamangachi(Liluah sec job)
Satbati Xerox-2 mera:-396
Army cap,श्याम सुन्दर झा बात
आकाश नेहा घर बोले आना मना की
मी को बे चाउमीन पार्टी!कल:-18:00

( मीना , कोमल , बेबी , कक्षा - 12 वीं 2019 )

अंक - 36

https://online.fliphtml5.com/axiwx/esdu/

अंक - 35

https://online.fliphtml5.com/axiwx/hqzf/

अंक - 34
https://online.fliphtml5.com/axiwx/lxhh/

अंक - 18
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ifjz

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 36

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 36
15 जून  2021

मंगलवार
ज्येष्ठ शुक्ल 05 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 8 - 9
कुल पृष्ठ -  10

मो - 6290640716


🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆

79. आ. अनीता नायर "अनु " जी , नागपुर ( महाराष्ट्र )
80. आ.  पूनम शर्मा जी , मेरठ

सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 31 से 33
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 34 से 36 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/307342511028532/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309188044177312/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1135155316998021/

फेसबुक - 2

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1135167723663447/

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309173174178799/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 से 40 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 36 , मंगलवार
15/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 36
Sahitya Ek Nazar
15 June 2021 ,  Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________
माँ  सरस्वती, साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका मंच को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐।

साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की पाँच रचनाएं प्रकाशित हुई हो और उन्हें साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से सम्मानित नहीं किया गया हो। वे अपना नाम व फोटो इस पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में प्रेषित करें ।। ताकि हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित किया जाएगा ।।

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
_ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _

साहित्य एक नज़र 🌅 , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका की मधुबनी इकाई ( साप्ताहिक )

संपादिका :- आ. ज्योति झा जी
बेथुन कॉलेज , कोलकाता

2.
श्री रामकरण साहू "सजल"जी के ग़ज़ल संग्रह "हँसते हुए ख़्याल" , समीक्षा -

जब भी हमारे ज़हन में ग़ज़ल का ख़्याल आता है तो बस हमारे दिमाग में उर्दू भाषा के अल्फ़ाज़ हमारे दिमाग के ईद-गिर्द मण्डराने लगतें है। लेकिन उर्दू  और हिन्दी दोनों भाषायें एक गंगा-जमुना की तरह है। कहते है अगर हिन्दी माँ हैं तो उर्दू  ख़ाला ( माँसी यानी माँ की तरह) दोनों के संगम से ही होता है एक अनमोल साहित्य का सृजन मुझें पंकज उदास जी की गायी एक ग़ज़ल याद आ रही कि

"चाँदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल।
एक तु ही धनवान है गोरी, वाकी सब कंगाल।

कि हिन्दी भाषा में भी ग़ज़ल का सृजन किया जा सकता है। माफ़ कीजिये आप गलत समझ रहें है मैं मौसी यानी उर्दू को छोड़ने की बात नहीं कर रहा हूँ।उसे तो छोड़ा ही नहीं जा सकता । जैसे माँ को नहीं छोड़ सकतें बैसे ही मौसी को भी नहीं लेकिन श्री रामकरण साहू "सजल" जी ने अपने ग़ज़ल संग्रह मैं कुछ ऐसी ग़ज़लों का सृजन किया जिनमें भारी-भरकम अल्फ़ाज़ों का बोझ नहीं कि समझने में परेशानी हो सरल भाषा में अपनी भावनाओं को निकाल कर रख दिया। उनके इस ग़ज़ल संग्रह में कुछ ग़ज़ल है कि

" बात हमसे नहीं तस्वीर से वह करता रहता हैं।
जिसे देखा नहीं वह आज उस पे मरता रहता है।
"वतन के हम सिपाही लीजिये प्राणों से प्यारा हैं।
हमारी शान भारत कीजिये प्राणों से प्यारा हैं।
यही नहीं सजल जी के इस ग़ज़ल संग्रह में प्रेम, देशभक्ति और अपने दिल की बात कुछ
इस तरह व्यक्त की कि
"सजाओं बाल में गजरा के आज आएँगे।
मिटे न आँख से कजरा के आज आएँगे।

देश प्रेम, सामाजिक, दर्द और प्रेम के भावों से भरी श्री रामकरण साहू "सजल" जी का ये ग़ज़ल संग्रह " हँसते हुए ख़्याल" सभी रसों से पूर्ण है इसका जिसनें रसास्वादन नहीं किया वो अपूर्ण है।
तो अब इज़ाज़त दीजिये कल फिर मिलेंगे इसी ग़ज़ल संग्रह के साथ।
नमस्कार 🙏

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

3.

#साहित्य एक नजर.
अंक : 34 - 36.

जीने की जिद्द.

मिट्टी मानुष संग जीया है
मैंने देखा है नजदीक से
मौत के आगोश में छटपटाते
जिजीविषा के जीवट जिद्द को
संघर्ष - शहादतों की इबारतों में
"सोनार बांगला" से हो नामित
सराबोर गरीबी और जहालत में
चुनावी समर के ऊंघते क्षेत्र को
उर्धश्वांस लेते जंगल महल को.
परिवर्तन की तृषित प्यास में
व्यवस्था के बिडंबित झोल में
बदस्तूर अदला बदली खेल में
महज चेहरे बदलते देखा है.
टूटेगा जरूर टूटेगा एकदिन
दर्द से बंद आंखों का विराम
छलकेगा समंदर आँखों से
तिल तिल मरते मानुष की
जीने की तमन्ना मरी नहीं
हाँ जीना है तुम्हें
जिओगे पूरी जिद्द के साथ.

✍️ अजय कुमार झा.
     27/3/2021.

4.
पिता

घर की सारी खुशियाँ
जुड़ी हैं उनसे,
वह अपने सारे फ़र्ज़ निभाते हैं।।
प्यार भरा सागर ले आते
जुबां से कुछ
कह ना पाते,बिन
बोले मेरे दिल की
हर बात समझ जाते।।
वो तो मेरे पापा हैं जो हैं
मेरे जान से प्यारे।
नन्ही उंगली थाम  कर
चलना हमें सिखाया,
जीवन के सारे पहलु को,
अपने अनुभवों से
हमें बताया,पापा एक
उम्मीद है, एक आस हैं,
परिवार के विश्वास हैं।।
संघर्ष की आँधियों में,
हौसले की मज़बूत दीवार है।।
हमें गोद में खिलाया हैं,
कंधों पर बिठाकर
मेला घुमाया हैं।।
जो हर पल साथ निभाया हैं,
वो तो मेरे पापा हैं जो हैं
मेरे जान से प्यारे।।
पापा हर फ़र्ज़ निभाते हैं,
जीवन भर कर्ज चुकाते हैं।।
बच्चों की खुशी के लिए वो,
अपना हर गम भूल जाते हैं।।
जीवन में समस्या हो कोई,
उसका भी हल ढूँढ लाते हैं।।
वह तो मेरे पापा हैं जो हैं
मेरे जान से प्यारे।।

✍️ सीमा सिंह
     मुंबई
14/6/2021
5.

साहित्य जगत में ख्याति प्राप्त
अनूप कुमार वर्मा "छोटा" कवि/
लेखक/पत्रकार/समाजसेवी,
बिलखिया रामनगर बाराबंकी
उत्तर प्रदेश को गीत गौरव
परिवार के संस्थापक कुमार
नवीन "गौरव" जी ने गीत
गौरव परिवार "मुख्य पटल"
का सचिव पद पर मनोनयन
किया है। गीत गौरव परिवार
आपके उज्जवल भविष्य की
कामना करता है।
मुझे आशा एवं पूर्ण विश्वास है
कि आप गौरव परिवार के
लिए निष्ठा पूर्वक कार्य करते रहेंगे।

6.

- भाग्य

बैठ गए जो भाग्य भरोसे
बैठे ही रह जाते हैं
कोशिश जो करते हैं पूरी
अपनी मंजिल पा जाते हैं।
भाग्य प्रधान होता जीवन तो
कर्म नहीं कोई करता
सारे सुख मिलते सबको
दुख सारे भाग्य हरता।
चंद पलों के जीवन में
भाग्य को किसने देखा है
अपने ही निज कर्मों का
लिखा भाग्य में लेखा है।
सत्कर्मों की मेहनत से
रुठे भाग्य बदल जाते
विश्वास यदि खुद पर हो
सौभाग्य के ताले खुल जाते ।
कर्म प्रधान इस जीवन में
सुख दुख तो आना जाना है
पौरुष तुम अपना मत भूलो
भाग्य का सिर्फ बहाना है।

✍️ निलेश जोशी "विनायका"
बाली, पाली, राजस्थान।

स्वरचित एवं मौलिक रचना।

7.

14 जून
विश्व रक्तदाता दिवस पर दोहे

रक्तदान करके मानव, जीवन लेव बचाय।
सेवा का संकल्प करो, पुण्य ये आड़े आय ।।1।।
दान रक्त का देकर तो , बने न तू कमजोर ।
बह कर नित्य शिराओं में, आयेगी नव भोर ।।2।।
कोरोना के काल में, संकट में थे प्राण ।
जीवन सरस बचा लिया, प्लाज्मा देकर दान ।।3।।
लहू दान की प्रेरणा, दान ये अति महान ।
काम काज हो बाद में, दो महत योगदान ।।4।।
कदम बढ़ें मानवता को, हो ऐसी पहचान ।
हरने ताप जहान का, करें अवश्य रक्तदान ।।5।।
कतरा अपने खून का, दोगे जब उपहार।
दे जीवन में प्राणी को, खुशी भरा संसार ।।6।।
लाल लहू का रंग है,जाति धरम से दूर ।
देना बिना मलाल के, प्रेम मिले भरपूर ।।7।।

✍️ डॉ. दीप्ति गौड़ "दीप"
शिक्षाविद् एवम् कवयित्री
ग्वालियर मध्यप्रदेश भारत
सर्वांगीण दक्षता हेतू राष्ट्रपति
भवन नई दिल्ली की ओर से
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति
महामहिम स्व. डॉ. शंकर दयाल
शर्मा स्मृति स्वर्ण पदक,विशिष्ट
प्रतिभा सम्पन्न शिक्षक के रूप
में राज्यपाल अवार्ड से सम्मानित

8.
ये हंसी

कोरोना का बीत
गया एक साल,
न गया और ना ही
खत्म हुआ यह काल,
दुबारा फैल रहा है
तीव्र गति से दूसरी
लहर में यह काल,
ये हंसी मुश्किल से लौटी है
इसे सहेज के रखिए,
मास्क लगाना जरूरी है
और दो गज की दूरी ये
याद रखिए,
भले आ गया है
कोरोना का वैक्सीन
तुम न इतराना,
क्योंकि...!
कोरोना का प्रवेश वैक्सीन
नहीं रोकेगा,
आँख-मुँह और नाक
से प्रवेश करेगा,
इसलिए.......,
बार-बार हाथ धोइए भीड़-
भाड़ में कम जाइए,
हो सके कम से कम घर से
बाहर जाइए,
माना कि रंगों का त्योहार भी है,
पर ध्यान रखना भी जरूरी है,
कहीं रंग में भंग न हो जाए,
खुशियों का माहौल
गमगीन न  हो जाए,
खुद भी सुरक्षित रहे
अपनों को भी रखे,
समय को देखते
सरकार के आदेशों की
पालना भी रखे,
ये हंसी मुश्किल से लौटी है
इसे सहेज के रखिए !!

✍️ चेतन दास वैष्णव
  गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा , राजस्थान

स्वरचित मौलिक मेरी रचना

9.

1.
सच जो लिख न सके
वो कलम तोड़ दो,
ये सियासत का 
अपने  भ्रम  तोड़ दो,
इन गुनाहों   के  तुम 
भी  गुनहगार  हो,
यार सत्ता  न  संभले
तो  दम  तोड़ दो।।
भटक रहा हूँ मैं अपनी
तिश्नगी के लिए..
ज़रूरी हो गया तू मेरी
जिन्दगी के लिए..
फक़त सूरज ही नहीं है
इसका तलबगार
हर इक जुगनू है
कीमती रोशनी के लिए।।
जिस दिन मेरे विश्वास  को
फांसी पर लटकाया गया,
उसी रात  बेगुनाहों  को सूली
पर चढ़ाया गया ।
गुनाहगार था नहीं फिर भी सज़ा
सुनाया गया मुझे ,
मेरे जेहनी सुकरात को
फिर जहर पिलाया गया।।
पानी की तलाश में अब
कुआ भटक रहा दरबदर,
प्यासा है अब्र जल लिए
केचुआ भटक रहा दरबदर,
जहां की रूह में दफन हो
गई है अब इंसानियत
सुकूंन की तलाश में अब
इंशा भटक रहा दरबदर।।
प्यासे हैं बेजुबा  कहने
से डरते हैैं हमसे,
तुम इंसान नहीं शिकारी
हो कहते हैं हमसे,
सींचो पौधे या रखो
अपने छतो पर पानी,
जिंदा रखो इंसानियत
बेजुबा कहते हैं हमसे।

✍️ धीरेंद्र सिंह नागा
ग्राम -जवई,तिल्हापुर, (कौशांबी)
       उत्तर प्रदेश

10.
मेरी कविता
सोए में सपनों सी ,
परायों में अपनों सी,
रात में चांदनी सी,
अनुराग में बंदनी सी ,
होती है मेरी कविता।।
समाज का दर्पण सी,
न्यौछावर में अर्पण - सी,
सन्नाटों में कौतूहल - सी,
झंझाबातों में निपट विरल- सी,
होती  है  मेरी  कविता ।।
मेरे पथ की पाथेय हैं ,
मेरी  ये   कविताएँ ,
इक  हारे हुये मन  के लिए,
अजेय है मेरी कविताएँ ।
मैं बाँटता हूं स्वयं के दुःख,
अपनी इन कविताओं से,
मैं पाता हूं असीम - सुख
अपनी इन कविताओं से ।
स्वान्त:सुखाय तुलसी की,
मनोभाव स्वरूप है मेरी कविता।
मीरा के असीम दुख की,
परिकल्पना है मेरी कविता ।
प्रेरणा के रूप में ,
एक मूरत है मेरी कविता।
मेरे अंतःकरण की
विराजमान सूरत है मेरी कविता।
ये कविताएं मेरा एक संदेश हैं।
ये कविताएं प्रदेश नहीं स्वदेश हैं ।      
ये कविता मुझे ठोकरों से बचाती है।
यह कविता मुझे अंधेरे से
उजाले की ओर ले जाती है ।।

✍️ रामकृष्ण पोखरियाल (सरस )
मुनि की रेती
ऋषिकेश (उत्तराखंड)
11.

अंक 34 से 36

नमन मंच
साहित्य एक नजर

आज मिले हैं हम वफ़ा की
रहमत से इस मुकाम पर
न जाने  कब   इस   गली में
हम बदनाम   हो  जाए।।
संभलकर रह ये मुसाफिर
आबो हवा ठीक नहीं
अगर हम निगाहों में तेरे
तो कहीं. इल्जाम हो जाए।।
गर रहे हम गैरो की नज़र
में तो इल्जाम हो जाए
कल फिर न जाने इस
शहर में ....जुकाम हो जाए।।
अगर रहमत खुदा की हो
तो हर कदम बढ़ता रहे
न जाने कब गली में जिंदगी
का ...मुकाम हो जाए।।
मना  लो  खुशियां  जिंदगी
में  झूमकर  मेरे  यारो
न जाने कब इस मयखाने
में .....इंतकाम हो जाएं।।
अभी प्यार  वफ़ा  मुहब्बत 
सब  कर रहा हूं यहां
बसा लो  दिल में न  जाने
कब .....बेनाम हो जाए।।
तेरी  जुल्फों  के  साए  में
  यूं छुप   खो   जाऊं
निहारते   निहारते   ज़िंदगी
  की ...शाम हो जाए।।

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान
12.

#नमन मंच
#साहित्य मंच
#विषय - देशभक्ति
#विधा - गीत
#दिनांक -13/6/ 2021

शहीद माँ का लाल ।

माँ ये कैसा संदेशा आया है?
भाई के शहीद होने
का संदेशा आया है?
ये रास्ते कैसे सहमे
हुए लग रहे है ?
खेत खलिहान पे जैसे टोटे पड़े है ?
बाग बगीचे जैसे रास्ता देख रहे?
भैया के आने का रास्ता देख रहे हैं।
क्यू ये घर ये बस्ती क्यू मुर्दा सा लगे है?
ये फिजा में कैसी लाली छाई?
ये सूरज के तपन में कैसी नमी आई।
ये भाभी कैसी चूड़ी तोड़ रही?
मांँ आज तेरी जैसे ममता टूट गई।
क्यू आज मेरी राखी भी रूठ गई?
ये सन्नाहट क्यू छा गया यहां?
क्यूं इतना अशवकून हो गया यहां ?
मेरे भैया का शव को निकालो जरा ?
भैया थोड़ा सा बस मुस्कुराओ जरा ?
तिरंगे से शव को थोडा लपेटो जरा।
कैसे बेरहम दुश्मनो ने मार दिए
हर जगह भैया के शरीर पे वार किए।
बच्चे को घर मे ले जाओ जरा ?
मांँ भैया के अर्थी को सजाओ जरा।
भाभी को भी थोडा समझाओ ज़रा।
भाभी भैया को अब यूं न देखो जरा ?
बिटिया तेरा ये भैया क्यू नहीं बोल रहा ?
ये मातम कैसी चारो ओर सुनाई है ?
ये चीख से कान मेरी फट आई है।
देखो आज कितने सुहागीन की
मांग आज उजड़ ये आई है?
ना जाने कितनी सुहागन थी आज
विधवा बनके आई है?
ना जाने कितनो की घर आज
उजड़ गई है ना?
चंद पैसे के लिए नही मरते
ये किसी के घर के लाल?
हम और देश महफूज रहे इसलिए
सीमा पे मर मिटते ये किसी के घर
के लाल।
मौत सी पसरी लाचारी ये चिता
भी भरती जैसे हुंकारी?
ये शव जैसे है सहमे हुए। रास्ते पे
जैसे पहरे पड़े।

✍️राजेश सिंह
  बनारसी बाबू
उत्तर प्रदेश वाराणसी
8081488312
13.
विषय - "मोबाइल "

जैसे मायावी कोई माया से
झूठ को सच है बतलाता
वैसे ही मोबाइल अपने
गुण-दोषों से नंगा नाच नचाता ।
लील गया सबकी भावनाओं
को ये बस ढोंग ढकोसला जारी है
बसे- बसाये कितने सुन्दर घरों
को मोबाइल है तुड़वाता।।
चौपट कर गया चिट्ठी पत्री,
और कैमरा , घडियों का व्यापार
कैल्क्यूलेटर, टॉर्च, रेडियो
टीवी का है उजड़ा संसार ।
लुटेरे मोबाइल तूने हर मानव
का सुख चैन है लूटा
भाग दौड़ बढायी तूने और
बर्बाद किए अनेक घर परिवार ।।
ऑनलाइन शिक्षा व ज्ञान विज्ञान
के लिए बड़ा उपकारी है
दूर रहकर भी अपनों से संवाद
कराता सभी तेरे आभारी हैं ।
सरल साधन ये भजन सुनाता
गीत सुनाता और विश्व घुमाता
अब जीवन का अंग बन गया
मोबाइल, इस बिन जीवन भारी है।।
प्रातः जगने से रात सोने तक
मोबाइल ज्यौं अन्धे की लाठी
आज के युवाओं को मोबाइल
बिन घबराहट सद्य: हो जाती।
अद्भुत गुणशाली यन्त्र मोबाइल
मिठास भरे ये रिश्तों में
मोबाइल गर हाथ में हो
तो दुःख की रातें
अकेले ही कट जाती।

✍️ डॉ देशबन्धु भट्ट
प्रवक्ता संस्कृतम् रा इं कॉ
तोलीसैण मुखेम
प्रताप नगर
टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड

14.
नमन मंच

रक्तदान है महादान
नहीं कोई आम दान।।
अधर में जिसके अटके हो
प्राण रक्तदान से मिलता
जीवनदान मिलते उसके सपनों
के नई उड़ान रक्तदान ही महादान
नहीं कोई आमदान ।।
नर को तुम नारायण समझो
रक्तदान का व्रत लो महान
मन में शपथ लो
नहीं रक्त कमी से निकले प्राण
रक्तदान है महादान
नहीं कोई आमदान।।
व्यर्थ न जाएगी  की हुई नेकी
कर्मों के फल मिलते हैं
बच जाए गर एक जान तो
जाने कितने चेहरे खिलते हैं
रक्तदान महादान नहीं
कोई आमदान।।
हम सब युवा शक्ति
निभाए कर्तव्य महान
करेंसब मिलकर रक्तदान
रक्त दान ही महादान
नहीं कोई आमदान।।

   ✍️ सुनीता बाहेती
  जोरहाट, असम
15.

फिर मिलेंगे

धीरज धरो
न बेचैन हो,
मिलने की खातिर
न ही अधीर हो।
समय मुश्किल है
हालात प्रतिकूल है,
पर ये सब भी तो
स्थाई तो नहीं है।
जीवन है तो सुख दु:ख
खट्टे मीठे अनुभव तो
होते ही रहेंगे,
अच्छे बुरे दिन यूँ ही
आते जाते रहेंगे।
अब इनसे घबराना कैसा?
ये सब तो जीवन का हिस्सा है
आज दूर दूर ही सही
कल को फिर तो मिलेंगे।

✍️ सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा, उ.प्र.
   8115285921
©मौलिक, स्वरचित

https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1942776279232600/?sfnsn=wiwspmo
16.

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 15/06/2021
दिवस :- मंगलवार
विषय :- बिना बुलाएं ‌मेहमान
विधा :- हास्यरस
विषय प्रदाता :- आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी
विषय प्रवर्तक :- आ. रजनी हरीश जी

चले आएं हैं
बिना बुलाएं मेहमान ,
कहाँ दूं इन्हें स्थान ।
मेहमान होते है भगवान समान ,
पर अभी तो है दो गज दूरी ,
मास्क है जरूरी की अभियान ।।

कब तक करूँ मान - सम्मान ,
बिना बुलाएं ही चलें
आएं है मेहमान ।।
अभी अपने से ही है लोग परेशान ,
बाद में करेंगे मेहमानी
पहले बच तो जाएं जान ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मंगलवार , 15/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(28)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 36
Sahitya Ek Nazar
15 June 2021 ,   Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 37 - 40

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -

अंक - 37 से 40 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 16/06/2021 से 19/06/2021 के लिए
दिवस :- बुधवार से शनिवार
इसी पोस्ट में कॉमेंट्स बॉक्स में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें । एक से अधिक रचना भेजने वाले रचनाकार की एक भी रचना प्रकाशित नहीं की जायेगी ।।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 36 तो कुछ रचनाएं को अंक 37 , कुछ रचनाएं को अंक - 38 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 39 में प्रकाशित किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

# फेसबुक के इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में ही रचना भेजें ।

# साहित्य एक नज़र में प्रकाशित हुई रचना फिर से प्रकाशित के लिए न भेजें , बिना नाम , फोटो के रचना न भेजें , जब तक एक रचना प्रकाशित नहीं होती है तब तक दूसरी रचना न भेजें , यदि इन नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो उनकी एक भी रचना को प्रकाशित नहीं किया जायेगा ।

समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 37 से 40 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 34 से 36
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/307342511028532/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 31 से 34
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र ( 1 - 80 )
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र ( 79 -

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 36

https://online.fliphtml5.com/axiwx/esdu/

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309188044177312/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1135155316998021/

फेसबुक - 2

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1135167723663447/

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309173174178799/?sfnsn=wiwspmo


_____________________

अंक - 37
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/37-16062021.html

कविता :- 20(29)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2029-15062021-37.html

अंक - 38
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/38-17062021.html

कविता :- 20(30)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2030-17062021-38.html

अंक - 39
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/39-18062021.html

कविता :- 20(31)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2031-18062021-39.html
अंक - 40
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/40-19062021.html

कविता :- 20(32)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2032-19062021-40.html

अंक - 34
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/34-13062021.html

अंक - 36

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/36-15062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2028-15062021-36.html

---------

अंक - 34 - 36
अंक - 34 - 36


समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 34 से 36 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/307342511028532/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 31 से 34
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

_____________________
अंक - 36
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/34-13062021.html
अंक - 31
10/06/2021 , गुरुवार
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/31-10062021.html

कविता :- 20(23)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2023-31-10062021.html

अंक - 32
, शुक्रवार , 11/06/2021 ,

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2024-11062021-32.html

कविता :- 20(24)

अंक - 33
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/33-12062021.html
12/06/2021 , शनिवार

कविता :- 20(25)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2025-12052021-33.html

अंक - 30
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/30-09062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2022-09052021-30.html

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html

-----

अंक - 34
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/34-13062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2026-34-13062021.html


अंक - 35

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/35-14062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2027-14062021-35.html

अंक - 36

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/36-15062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2028-15062021-36.html



रोशन कुमार झा



Popular posts from this blog

कविता :- 19(89)

कविता :- 16(77), 16(75),:- 16(76)

कविता :- 18(61),18(60), 18(59) ,18(58)