कविता :- 20(27) , सोमवार , 14/06/2021 , अंक - 35, गांव जाना रहा ।

साहित्य एक नज़र 🌅

कविता :- 20(27)
मधुबनी इकाई
नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

कुछ काम से
कोरोना काल इस लॉकडाउन में
कोलकाता से मधुबनी , बिहार
मिथिला भूमि ग्राम झोंझी
जाना है आज ही ,
तो है आज जल्दीबाज़ी ।
साहित्य एक नज़र
पत्रिका पर भी काम करना है
क्योंकि कई महारथियों से लगा
लिए है बाज़ी ,
धर्म - कर्म से जवाब देना है
यही तो ज्ञान दिए हैं गुरु ,
माता और पिताजी ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
सोमवार , 14/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(27)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 35
Sahitya Ek Nazar
14 June 2021 , Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

77/  R Mirpara Road Liluah Howrah Ashirbad Bhawan

LNMU , Part - 2 , Admission , Ramkrishna college,  Madhubani
PNR No - 6551284550 , Train No - 03185 ( 131085) SDAH / JYG SPL , Sealdah to Madhuubani
Roshan kr jha , Age :- 22 , Male , CNF , Coach : - D4 , Seat no :- 42 , ( 215+ 11.80 = 226.80
Distance :- 592 KM
Booking :- 13 June 2021 , 03:55:48
Date of Journey :- 14 Jun - 2021

PNR-6551284550
Trn:03185
Dt:14-06-21
Frm SDAH to MBI
Cls:2S
P1-D4,42
Chart Prepared
For Enquiry/Complaint/Assistance,please dial 139
Indian Railway

✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা

बारिश हुआ रहा भींग के आये बामनगाछी ब्रिज से पापा का साईकिल रहा , खिलौना झुनझुना सब रहा कार्टून ( बॉक्स )  में  बिट्टू भईया रंगोली मोल वाला ,
1. आशीर्वाद भवन पास
2. नेहा घर से आगे
3. हावड़ा ब्रिज से पहले पुल के नीचे
पापा आएं सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज पास
आम दिए , अनार माँ का दीदी के लिए ।
कोलकाता से मधुबनी , बिहार , मिथिला के लिए चल पड़े 🚂🚄🚅🚆🚉
कर्मभूमि से जन्मभूमि
🌹🙏💐🙏💐
व्हाट्सएप स्टेट्स

16:00 , सियालदह
18:54 , हुगली घाट
19:02 , बैण्डेल , 19:13 , बैण्डेल से खुली ( 19:15)
22:09 , आसनसोल

एक बंगाली लड़की D5 का टिकट रहा पर  D4 में ही गई सियालदह से मधुबनी
06:40 , दरभंगा

साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका, मधुबनी इकाई ( संपादक :- आ. ज्योति झा जी ) मो - 6290640716

https://www.facebook.com/groups/310633540739702/

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/36-15062021.html
पश्चिम बंगाल बंग साथी सम्मान पत्र
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1942882045888690/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=793516368204439&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo
फेसबुक - 2

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=351118329773120&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

http://www.indianrail.gov.in/enquiry/PNR/PnrEnquiry.html?locale=en

[14/06, 11:59] ज्योति झा जी: हे प्राणनाथ! हे प्राणप्रिय!
हमरा, अहाँ आब तँ स्वीकार करू
ऐना नैय इंकार करू?

बितल जे दिवस अहाँ बिन
से दिवस पुणः नैय चाहि हमरा
चाहब ऐतबे जे हम जीवन भेर
अहाँक के साथ निभाबी
कोनाक कहु अहाँ बिन
हम दिवस कोनाक बिताबे छि
जे भेल गलति हमरा स'
हम आई सब स्वीकारे छि
नहि जानी कोन आवेश मे
किनकर बात पतियेनौं
तहिया सँ आई धेर हम
अपन सुख-चैैन सब गबेनौं
जीवन पथ स' भेलौं भ्रष्ट जै
आई धेर वापस फेर नहि ऐनौं

हे प्राणनाथ! हे प्राणप्रिय!
हमरा, अहाँ आब तँ स्वीकार करू
ऐना नैय इंकार करू?

जँ अहाँ नैय स्वीकारब त'
हेत हमर उद्धार कौंना?
अहि स' जीवन हमर आ'
जिवन'क सबटा आश अहि
अहि स' पहचान हमर आ'
हमर मान-सम्मान अहि
अहि स' श्रृंगार हमर आ'
हमर त' सुहाग अहि
अहि स' व्यवहार हमर आ'
हमर सम्पूर्ण परिवार अहि
तइयौं जँ नैय स्वीकारब हमरा तँ
हम और बेसी कहब अहाँक के की?
अहाँ अपने सब जाने छि
मोन'क भेद सेहो पहचाने छि
गलती त' सब स' होए छै
हम हूं अपन गलती माने छि
और मोने-मोन ई ठाने छि
जे आगा स' आब नहि कहियौं
ऐहन काज करब हम फेर
जे भेल गलती क्षमा क' देब
हमर अंतर्मन के तम हेर लेब

हे प्राणनाथ! हे प्राणप्रिय!
हमरा अहाँ आब त' स्वीकार करू
ऐना नैय इंकार करू
ऐना नैय इंकार करू...
[14/06, 12:00] ज्योति झा जी: भायजी अैय मे जे अशुद्धि भेल होय ओ बतेब🙏🏼
[14/06, 12:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक छैय देखैत छी
[14/06, 12:07] ज्योति झा जी: धन्यवाद 🙏🏼
[14/06, 11:59] ज्योति झा जी:

हे प्राणनाथ! हे प्राणप्रिय!
हमरा, अहाँ आब तँ स्वीकार करू
ऐना नैय इंकार करू?

बितल जे दिवस अहाँ बिन
से दिवस पुणः नैय चाहि हमरा
चाहब ऐतबे जे हम जीवन भेर
अहाँक के साथ निभाबी
कोनाक कहु अहाँ बिन
हम दिवस कोनाक बिताबे छि
जे भेल गलति हमरा स'
हम आई सब स्वीकारे छि
नहि जानी कोन आवेश में
किनकर बात पतियेनौं
तहिया सँ आई धेर हम
अपन सुख-चैैन सब गबेनौं
जीवन पथ स' भेलौं भ्रष्ट जै
आई धेर वापस फेर नहि ऐनौं

हे प्राणनाथ! हे प्राणप्रिय!
हमरा, अहाँ आब तँ स्वीकार करू
ऐना नैय इंकार करू?

जँ अहाँ नैय स्वीकारब त'
हेत हमर उद्धार कौंना?
अहि सऽ जीवन हमर आ'
जीवन'क सबटा आश अहि
अहि सऽ पहचान हमर आ'
हमर मान-सम्मान अहि
अहि स' श्रृंगार हमर आ'
हमर तऽ सुहाग अहि
अहि सऽ व्यवहार हमर आ'
हमर सम्पूर्ण परिवार अहि
तइयौं जँ नैय स्वीकारब हमरा तँ
हम और बेसी कहब अहाँक के की?
अहाँ अपने सब जाने छि
मोन'क भेद सेहो पहचाने छि
गलती तऽ सब सँ होए छै
हम हूं अपन गलती माने छि
और मोने-मोन ई ठाने छि
जे आगा सऽ आब नहि कहियौं
ऐहन काज करब हम फेर
जे भेल गलती क्षमा कऽ देब
हमर अंतर्मन के तम हेर लेब

हे प्राणनाथ! हे प्राणप्रिय!
हमरा अहाँ आब  तऽ' स्वीकार करू
ऐना नैय इंकार करू
ऐना नैय इंकार करू...

[14/06, 17:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहिन देरी भो गेल आई गांव जाइ छी
[14/06, 17:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: रचना बहुत नीक अछि , ढ़ेरो सारी शुभकामनाएं
[14/06, 17:07] ज्योति झा जी: धन्यवाद भायजी 🙏🏼😊
[14/06, 17:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम्
[14/06, 18:42] ज्योति झा जी: 🥰🙏🏼
[14/06, 18:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐

[14/06, 21:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1943255832517978/?sfnsn=wiwspmo
[14/06, 21:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम तअ साहित्य संगम संस्थान के पद त्याग देनोऊ अहा शामिल भोअ जाऊ
[14/06, 21:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं
[14/06, 21:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहिन बहुत कीछ सीख लेब
[14/06, 21:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर मंच छैय
[14/06, 21:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम सचिव रहियैए पहिले
[14/06, 21:18] ज्योति झा जी: की कर परैत छै?
[14/06, 21:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: सम्मान पत्र बनबअ पड़त , मंच के संचालन करअ पड़त
[14/06, 21:23] ज्योति झा जी: पर हमरा त' नै आबैया
[14/06, 21:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: सीख लेब
[14/06, 21:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम छी ने
[14/06, 21:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक आईडी अछि ने
[14/06, 21:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: अहा के
[14/06, 21:26] ज्योति झा जी: अहाँ हमरा ई पत्रिका बनेनाय सीखा देब
[14/06, 21:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर
[14/06, 21:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक इकाई के संपादक बना देब
[14/06, 21:26] ज्योति झा जी: नैय
[14/06, 21:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: कहूं करब सहयोग
[14/06, 21:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: छोड़ूं तअ साहित्य संगम संस्थान के
[14/06, 21:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: अप्पन पत्रिका साहित्य एक नज़र अछि
[14/06, 21:27] ज्योति झा जी: हॉ
[14/06, 21:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: कहूं अहा कोलकाता के संभालब या दरभंगा या मधुबनी जतअ के कहब हम बना देव
[14/06, 21:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: साप्ताहिक राखब
[14/06, 21:29] ज्योति झा जी: जै अहाँक के ठीक लेगे
[14/06, 21:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रमोद ठाकुर के हटेबैय
[14/06, 21:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: अहा के कून जिला में गांव अछि
[14/06, 21:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: मधुबनी या दरभंगा
[14/06, 21:30] ज्योति झा जी: मधुबनी
[14/06, 21:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: वाह तअ तत्काल मधुबनी वाला संभालू
[14/06, 21:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्लीज फेसबुक पर एक कूनु नाम सअ आईडी खोईल लियअ
[14/06, 21:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेर आगा बतेब
[14/06, 21:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: पैसों कमा सकैछी
[14/06, 21:32] ज्योति झा जी: ठीक
[14/06, 21:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रमोद जी 1000 कमा लेलक
[14/06, 21:32] ज्योति झा जी: कैना?
समीक्षा कोअ कअ
[14/06, 21:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: 6 महीना हमरा मेहनत करअ दियअ
[14/06, 21:33] ज्योति झा जी: जी
[14/06, 21:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: आशीष सभ के नैय लेबअ के छैय
[14/06, 21:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रवीण भाई जी के दिल्ली इकाई
[14/06, 21:35] ज्योति झा जी: जी
[14/06, 21:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका, मधुबनी इकाई ( संपादक :- आ. ज्योति झा जी ) मो - 6290640716
[14/06, 21:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं बहिन जी
[14/06, 21:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/310633540739702/
[14/06, 21:46] ज्योति झा जी: 🙏🏼
[14/06, 21:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/310635604072829/?sfnsn=wiwspmo

_______
ट्रेन में ही रानीगंज में ही मधुबनी इकाई फेसबुक व व्हाट्सएप पर बनाएं। :-
साहित्य एक नज़र 🌅 ( मधुबनी )

आ. ज्योति झा जी हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई  अहां मधुबनी इकाई के संपादिका पद के कार्यभार ग्रहण करूँ हम सभ गोताअ अहा के साथ छी
21:51

आ. प्रवीण भाई जी छोटका भाई सअ बैयछ कअ रहूं , अहु के दिल्ली इकाई संभाल पड़त , आ. केशव भाई जी अहू के दरभंगा इकाई आगा आबू पीछा सअ छोटका भैय अछि
[14/06, 21:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: आ. प्रवीण भाई जी छोटका भाई सअ बैयछ कअ रहूं , अहु के दिल्ली इकाई संभाल पड़त , आ. केशव भाई जी अहू के दरभंगा इकाई आगा आबू पीछा सअ छोटका भैय अछि
[14/06, 22:02] Prabin Bhaiya: 👍

22:09 , आसनसोल
__________

फेसबुक से
शीर्षककविता:- 6(167)भ,विषय सामग्री:भोजपुरी कविता रोशन कुमार झा 6(166)
गुजर गईल बचपना,?

बीत गईल बीसबी शताब्दी आ गईल
उन्नसवी साल,
की बताई रोऊआ लोगेन के अपन शुभ
समचार!
जीतैत अैनी नेहया के रचनी रास,
हार जीत दुनो रखनी अपन पास!
वर्षा ऑधी तूफान बईल तब पर भी
लेबेत रहनी मुस्कान भरी सॉस,
जीवैत अैनी दुख द्रदँ ही पैनी,
कही पर कामी तो कही पर नकामी कहैनी!
फिर भी कहॉ रूकनी,
सुर्य के रोशन बाद मे उगल हम तो
अँधेरा मे ही बननी धनी!
दिन से रात से दिमाग से ,
निर्जन वन मे जिन्दगी बीतैनीआशा भी
ना रखनी अविरान बाग से
जीयैत अैनी मुस्करा के दुख द्रदँ चॉह के,
संघर्ष सेए लड़नी ना रहनी घर के ना
रहनी राह के!
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716  वुधवार 12:05
13-06-2018 -19 वी वर्षगाठ
13-06-1999 रविवार 01-10-1997 वुध
झौझी मधूबनी बिहार
सलकिया विक्रम विधालय मेन
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B Reg no:-WB17SD112047
Roshan kumar jha pmkvy 1283f
Liluah Howrah:- 711204
Nursingh dutt college St john
Ambulance
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah

__________

14/06/2021 , सोमवार
[13/06, 20:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[13/06, 21:13] आ. पूनम शर्मा जी: धन्यवाद जी, शुभ रात्रि
[14/06, 07:57] आ. पूनम शर्मा जी: रौशन जी,कब तक प्रकाशित होगी,? शुभ प्रभात
[14/06, 17:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/hqzf/
[14/06, 17:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/?ref=share
[14/06, 18:33] आ. पूनम शर्मा जी: शुक्रिया तहेदिल से रौशन जी, प्रकाशन हेतु आभार
[14/06, 18:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏 दीदी जी 🙏
[14/06, 18:36] आ. पूनम शर्मा जी: 🙏🏽😁
__________

[14/06, 18:14] +: 🙏🤵🏻पिता🤵🏻🙏
———————————

  🌷🌷🌷🌷

स्वरचित मौलिक रचना

-सीमा सिंह
     मुंबई
14/6/2021
[14/06, 18:17] +91 : मेरी आपसे अनुरोध है कि पितृ दिवस पर यह कविता प्रकाशित किजीए 🙏🙏
आपका आभार एवं धन्यवाद
💐💐💐💐
[14/06, 18:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी कर देंगे ।
[14/06, 18:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[14/06, 18:20] +: अगर आप के मंच पर कोई प्रतियोगिता चल रही होगी तो कृपया मुझे Inform kijiyega
[14/06, 18:22] +91 : Thank u
[14/06, 18:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: अवश्य दीदी जी 🙏
[14/06, 18:26] +91 2: धन्यवाद भाई 💐🙏
[14/06, 18:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐
__________
[14/06, 18:26] : नमस्कार आदरणीय 🙏
[14/06, 18:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏💐
[14/06, 18:27] : कमेंट बॉक्स में रचना बेचने में परेशानी होने के कारण मैं इस पर अपनी रचना भेज रहा हूं।
[14/06, 18:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: वहां का स्कीन शार्ट भेजिए आदरणीय श्री 🙏💐
[14/06, 18:33] 50: सादर प्रकाश नार्थ कविता 🙏
[14/06, 18:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: ग्रुप ज्वाइन कीजिए
[14/06, 18:34] : जी
[14/06, 18:35] : ज्वाइन कर रखा है
[14/06, 18:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज हम अपलोड कर दिए आगे से वहीं भेजिएगा
[14/06, 18:36] : जी
[14/06, 18:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏💐
आ. निलेश जोशी जी , राजस्थान

__________
[14/06, 17:19] +91 75: क्या मेरी रचना प्रकाशित हो सकती है आपके दैनिक पत्रिका में
[14/06, 17:20] +91 : परिचय
कवि ऋषि कुमार 'प्रभाकर'
पता ग्राम खजूरी खुर्द तहसील कोरांव जिला प्रयागराज उत्तर प्रदेश
[14/06, 17:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर भेजिए 🙏💐
[14/06, 18:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/?ref=share
[14/06, 18:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐

__________
[14/06, 00:22] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी सुनीता बाहेती, रंजना बिनानी, की रचना प्रकाशन योग नहीं है। अजय प्रसाद जी एक ही रचना कितनी बार भेजेगें। ये तीनो रचनाकारों की रचनायें प्रकाशित नहीं होगी।

और रोशन जी जब तक बाजार में आप अपनी कीमत नहीं रखेंगे ऐसे लोग फ़ालतू समझते रहेंगे।
[14/06, 00:24] प्रमोद ठाकुर: बाजार में बिना कीमत की कोई भी चीज का खरीद दार नहीं होता उसे बेमोल समझी जाती है।
[14/06, 06:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[14/06, 06:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: क्षमा चाहता हूँ रंजना बिनानी वाला पृष्ठ में लगा दिए हैं
[14/06, 09:28] प्रमोद ठाकुर: चलिये कोई बात नहीं
[14/06, 16:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[14/06, 17:50] प्रमोद ठाकुर: सहित्य सरिता पटल पर शुभकामना सन्देश देखिये
[14/06, 17:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[14/06, 17:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏 सर जी 🙏💐
[14/06, 17:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज राजवीर सिंह मंत्र जी का आँख खुल गई

__________
[09/06, 22:48] Achal Puja: Welcome🙏
[09/06, 22:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
[14/06, 17:05] Achal Puja: 🙏🙏
[14/06, 17:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐

__________

[12/06, 08:16] साहित्य 06/06: रचनाकार क्रम संख्या 22-- आचार्य रामकृष्णपोखरियाल "
    सरस"
मुनि की रेती वाया ऋषिकेश  टिहरी गढ़वाल
[14/06, 13:08] साहित्य 06/06: आदरणीय रचना भेजने के लिए फेसबुक में कमेंट नहीं आ रहे हैं कृपया बताएं
[14/06, 13:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी देख रहे है
[14/06, 16:53] साहित्य 06/06: 👏🏽💐
[14/06, 16:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
__________
[14/06, 16:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
[14/06, 18:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप वहां का स्कीन शार्ट भेजिए

__________
[13/06, 18:42] आ सपना जी: आदरणीय मेरा वाला कल प्रकाशित होगा क्या?
[13/06, 18:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: आपको क्या लगता है आदरणीया
[13/06, 18:47] आ सपना जी: 😯😯
[13/06, 18:47] आ सपना जी: मुझे लगता है आज ही किया होगा
[13/06, 18:48] आ सपना जी: पर मुझे मिल नहीं रहा🥲🥲🥲
[13/06, 18:48] आ सपना जी: अब तो आप ही मुझे भेजे
[13/06, 18:58] आ सपना जी: 😯😯😯
[13/06, 18:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: 13 है न
[13/06, 19:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम कल वाली पत्रिका आपके कारण रात्रि 1 बजे दें देंगे
[13/06, 19:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: खुश
[13/06, 19:03] आ सपना जी: 😌😌😌 12 bje se phele
[13/06, 19:04] आ सपना जी: 🤭🤭 sprise toh 12 bje dena hai
[13/06, 19:04] आ सपना जी: 😌😌 अगर सम्भव हुआ तो
[13/06, 19:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ok
[14/06, 00:03] आ सपना जी: 💐💐
[14/06, 00:03] आ सपना जी: Thnqu soo much
[14/06, 00:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: पत्रिका कल देंगे
[14/06, 00:05] आ सपना जी: Mh toh kaam me lgi thi
[14/06, 00:05] आ सपना जी: Tym dekha nhi
[14/06, 00:05] आ सपना जी: Thnqu yaad dilane ke lieh
[14/06, 00:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[14/06, 12:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/hqzf/
[14/06, 12:11] आ सपना जी: शुक्रिया आदरणीय💐
[14/06, 16:49] आ सपना जी: 👏👏👏
[14/06, 16:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐
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[14/06, 16:51] Prabin Bhaiya: जय-जय
[14/06, 16:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐
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[13/06, 19:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: अभिव्यक्ति गूंगी और बहरी हो गई, आखिर ऐसा क्या सदमा लगा गया। पांच साल से यही कार्य कर रहा हूँ कुछ बोलें तो शायद मदद कर सकूँ। मंच चलाना इतना आसान होता तो सब परम पिता परमात्मा बन जाते।
😀🙏😀
[13/06, 19:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: अभी भी आ. राजवीर सिंह मंत्र जी को चैन नहीं है
[13/06, 19:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: जो बोलना है हमें बोले हमारे सहयोगी को क्यों बोलते है
[13/06, 21:59] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: सही कहा आपने भाई
[13/06, 22:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏
[14/06, 12:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/hqzf/
[14/06, 14:33] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: राजवीर जी का व रोहित जी का msg आया है पूछ रहे है रोशन जी क्यों छोड़ कर चले गए उनको क्या जवाब दु बताना...
[14/06, 16:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: बोलियेगा कि वह परीक्षा की तैयारी करना चाहता था ।
[14/06, 16:35] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: OK भाई
[14/06, 16:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐

[14/06, 20:54] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: बहुत बहुत बधाई आपको...

आपकी पत्रिका का नाम चहूं और फैले आप अपने मकसद में कामयाब हो यही प्रभु से प्रार्थना करती हूँ...

हमारी दुआएँ शुभकामनाएं हमेशा आपके साथ रहेगी...
[14/06, 20:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 दीदी जी 🙏

आ. मनोज कुमार पुरोहित जी से भी बात किए ,
13/06/2021 का सम्मान पत्र से मेरा नाम हटा गया आ. कुमार रोहित रोज़ जी और आ. मनोज कुमार पुरोहित जी का हस्ताक्षर शामिल किया गया ।
आज 10 मिनट तक बात किए , दीदी से आ. राजवीर सिंह मंत्र जी और आ. कुमार रोहित रोज़ जी पूछ रहे है रोशन क्यों पद छोड़ा ।
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साहित्य संगम संस्थान पश्चिम
इच्छुक सदस्य अपना नाम, शहर का नाम और व्हाट्सएप नम्बर कॉमेंट बॉक्स में लिखने की कृपा करियेगा जी।

https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1943255832517978/?sfnsn=wiwspmo
[13/06, 20:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[14/06, 12:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/hqzf/
[14/06, 13:10] Ranjana Binani Jii: 🙏🙏
[14/06, 13:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[14/06, 13:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: जय श्री कृष्णा 🙏💐 बस आशीर्वाद आप सभी का रहें ।
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[14/06, 19:07] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: स्वागतम
[14/06, 19:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐 धन्यवाद भाई जी 🙏💐
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[13/06, 14:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏 दीदी जी
[14/06, 11:29] आ प्रज्ञा जी: जी शुक्रिया🙏🙏
[14/06, 11:30] आ प्रज्ञा जी: आपके ही कारण मिला है🙏🙏
[14/06, 11:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं दीदी जी आपकी अपनी रचनाओं के कारण 🙏💐

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[14/06, 21:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: Hii
[14/06, 21:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: Aaye milne
[14/06, 21:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: Hmm apke idar ayee hai
[14/06, 21:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: Durgapur me hu
[14/06, 21:36] Neha Wb Writer: Oo
[14/06, 21:36] Neha Wb Writer: Acha
[14/06, 21:36] Neha Wb Writer: Bus to nahin chal raha hai
[14/06, 21:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: ट्रेन से
[14/06, 21:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: रानीगंज पार कर गये ।
[14/06, 22:36] Neha Wb Writer: Ooo
[14/06, 22:36] Neha Wb Writer: K ja r ho
[14/06, 22:36] Neha Wb Writer: App
[15/06, 03:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: Darbhanga
[15/06, 03:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: Good morning

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[14/06, 20:07] +91 : प्रणाम 🙏 आदरणीय
डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर बिजनौर उ०प्र०
आपका परिचय डॉ अनिल शर्मा अनिल जी के माध्यम से प्राप्त हुआ है मैंने फ़ेसबुक पर साहित्य एक नज़र पेज ज्वांइन करने के लिए रिक्वेस्ट डाली है आपसे निवेदन है कन्फर्म कर कृतार्थ करें । धन्यवाद
[14/06, 20:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी स्वागतम् 🙏💐
[14/06, 20:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/
[14/06, 20:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां कीजिए महोदय
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[14/06, 20:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रणाम 🙏 आदरणीय
डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर बिजनौर उ०प्र०
आपका परिचय डॉ अनिल शर्मा अनिल जी के माध्यम से प्राप्त हुआ है मैंने फ़ेसबुक पर साहित्य एक नज़र पेज ज्वांइन करने के लिए रिक्वेस्ट डाली है आपसे निवेदन है कन्फर्म कर कृतार्थ करें । धन्यवाद
[14/06, 20:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद गुरु जी 🙏💐
[14/06, 20:32] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: जी  रिक्वेस्ट  ओ के कर दीजिए भाई। बहुत अच्छे गीतकार और सुलझे हुए व्यक्ति हैं।🙏
[14/06, 20:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐
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[14/06, 22:16] ज्योति झा जी: हम अन-गौरी के नाम स' भेजनौं अहाँक के फ्रेंड रिक्वेस्ट
[14/06, 22:22] ज्योति झा जी: दैनिक या फेर साप्ताहिक?
[14/06, 23:12] ज्योति झा जी: ऐहन कियाक?
प्रेम जे निसंकेच, निस्वार्थ छैय
सेहो निभाब लेल शर्त अनिवार्य छैय!
ऐहन कियाक प्रेम में,
जे "ई नैय तँ ओं"
जाहि मे दिन-पर-दिन हम छि विलुपत भेल
एक मात्र हम नैय,  छैयथ ऐहन अनेक
जे जी रहल छैयथ ई भ्रम मे
ठीक ओहि प्रकार जैना, तारा ओई नभ-गगन मे
अपन अस्तित्व के प्रकाश लेल,
प्रतिदिन जीबेत जी जैर रहल छैयथ
ई कटु सत्य जे, एगो मोनभाव'क झुठ छैय!
तइयौं दिन-पर-दिन हम बेढ़ रहल छि
ई प्रलयकारी कुंज के आगोश मे
नैय जानी और कतेक खन ई प्राण बाचल रहत
मुदा ई तँ निश्चित छल, निश्चित रहत
जे तहिया स' आई धेर ओ बसल छैयथ हमर मोन मे
अंतिम समय पास अैय, मुदा ओ छैयथ दूर बहुत
की कहु हुनका लेल ई प्राण अैछ व्याकुल बहुत
हे प्रकृति! हे भूमि जननी!
जँ हम नैय रहब त' हुनकर आब पर
ई अंतिम संदेश हमर, कि देबेन अहाँ हुनका कही
की गलती भेल हमर जे, ओ गेलेथ हमरा स' नेह'क सब बंधन तोड़
जे आई धेर नैय ऐलैयथ ओं फेर...
की ऐहने होय छैय प्रेम?
की एही भात्ति केल जाय छैय प्रेम'क निर्वाह?
जँ हॉ... त' अही सही, हम छलौं गलत
और जँ नैय! तँ फेर केहन प्रित निभेनौं अहाँ?
[14/06, 23:12] ज्योति झा जी: भायजी अैय मे जे अशुद्धि भेल होय ओ बतेब🙏🏼
[15/06, 03:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक छैय बहिन हम गांव जाकअ कअ देब
[15/06, 03:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏💐
[15/06, 03:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: जे इच्छा अहा के
[15/06, 03:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: सुंदर अलंकरण बहिन जी हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏

ऐहन कियाक?
प्रेम जे निसंकेच, निस्वार्थ छैय
सेहो निभाब लेल शर्त अनिवार्य छैय!
ऐहन कियाक प्रेम में,
जे "ई नैय तँ ओं"
जाहि मे दिन-पर-दिन हम छि विलुपत भेल
एक मात्र हम नैय,  छैयथ ऐहन अनेक
जे जी रहल छैयथ ई भ्रम मे
ठीक ओहि प्रकार जैना, तारा ओई नभ-गगन मे
अपन अस्तित्व के प्रकाश लेल,
प्रतिदिन जीबेत जी जैर रहल छैयथ
ई कटु सत्य जे, एगो मोनभाव'क झुठ छैय!
तइयौं दिन-पर-दिन हम बेढ़ रहल छि
ई प्रलयकारी कुंज के आगोश मे
नैय जानी और कतेक खन ई प्राण बाचल रहत
मुदा ई तँ निश्चित छल, निश्चित रहत
जे तहिया सऽ आई धेर ओ बसल छैयथ हमर मोन मे
अंतिम समय पास अैय, मुदा ओ छैयथ दूर बहुत
की कहु हुनका लेल ई प्राण अैछ व्याकुल बहुत
हे प्रकृति! हे भूमि जननी!
जँ हम नैय रहब त' हुनकर आब पर
ई अंतिम संदेश हमर, कि देबेन अहाँ हुनका कही
की गलती भेल हमर जे, ओ गेलेथ हमरा स' नेह'क सब बंधन तोड़
जे आई धेर नैय ऐलैयथ ओं फेर...
की ऐहने होय छैय प्रेम?
की एही भात्ति केल जाय छैय प्रेम'क निर्वाह?
जँ हॉ... तऽ अही सही, हम छलौं गलत
और जँ नैय! तँ फेर केहन प्रित निभेनौं अहाँ?

मधुबनी इकाई
https://m.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/310792274057162/?sfnsn=wiwspmo

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[14/06, 19:41] Monu: Roshan bhaiya gawo gai hai kya
[14/06, 19:41] Monu: ?
[14/06, 19:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: जा रहा हूं
[14/06, 19:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: भाई
[14/06, 20:33] Monu: Kab roshan bhaiya
[14/06, 20:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज
[14/06, 20:36] Monu: Mile bhi nhi hmlog se
[14/06, 20:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: समय कहां भाई
[14/06, 20:37] Monu: Achaa😒😒
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साहित्य संगम संस्थान
उड़ीसा इकाई
https://www.facebook.com/groups/418889736095954/permalink/502372081081052/?sfnsn=wiwspmo



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अंक - 35

https://online.fliphtml5.com/axiwx/hqzf/

अंक - 34
https://online.fliphtml5.com/axiwx/lxhh/


जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 35

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 35
14 जून  2021

सोमवार
ज्येष्ठ शुक्ल 04 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 8 - 9
कुल पृष्ठ -  10

मो - 6290640716


🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
77. आ. सचिन गोयल जी , गन्नौर , सोनीपत       हरियाणा , 14/06/2021
78. आ.  डॉ. दीप्ति गौड़ ‘ दीप ’ जी



साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 35
Sahitya Ek Nazar
14 June 2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

फेसबुक - 1

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फेसबुक - 2
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समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र ( 1 - 78 )
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo



अंक - 31 से 33
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 34 से 36 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा

मो - 6290640716

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अंक - 31
10/06/2021 , गुरुवार
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/31-10062021.html

कविता :- 20(23)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2023-31-10062021.html

अंक - 32
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/32-11062021.html
, शुक्रवार , 11/06/2021 ,

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2024-11062021-32.html

कविता :- 20(24)

अंक - 33
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/33-12062021.html

12/06/2021 , शनिवार

कविता :- 20(25)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2025-12052021-33.html

अंक - 30
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/30-09062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2022-09052021-30.html

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html


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https://online.fliphtml5.com/axiwx/uxga/?1620796734121#p=3

फेसबुक ग्रुप :-
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http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/1-11052021.html



https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/287640456332071/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 1 - 72

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/blog-post_24.html
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1.

https://youtu.be/oM4OZF0B3p0

2.

परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"ग्राम-बबेरू
जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

श्री रामकरण साहू " सजल " जी
प्रकाशक -

सरोकार प्रकाशन
30, अभिनव काकड़ा मार्केट
अयोध्या बायपास, भोपाल ( मध्यप्रदेश ) -462041
दूरभाष- 9993974799

श्री कुमार सुरेश स्वयं एक कवि और उपन्यासकार और सरोकार प्रकाशन के प्रबंध संचालक है। ये सरकारी अधिकारी पद से सेवानिवृत्त है। ये प्रकाशन लगभग पाँच दशक से सहित्य की सेवा में सेवारत है इस प्रकाशन की नींव श्री कुमार सुरेश के पिता जी ने रखी थी । उसी परम्परा को आपने आगे बढ़ाते हुए श्री रामकरण साहू "सजल" जी के अनमोल ग़ज़ल संग्रह "हँसते हुए ख़्याल" को पाठकों के बीच लेकर आयें। आज प्रकाशन के क्षेत्र में सरोकार प्रकाशन एक जाना पहचाना नाम है।

नमन मंच
साहित्य एक नज़र
अंक 34-36
प्रकाशन हेतु कविता

   " हे जगदम्ब "

हे जगत
जननी जगदम्ब,
माँ तुमबीन कोई
ना अबलम्ब l
किससे कहूँ मैं
मन की बात,
ना कोई सुने ,
माँ दयानिधे स्कंद l
काम -क्रोध
में लिप्त ये मन, 
रहना चाहे
हर पल स्वच्छंद l
हे महागौरी
ममतामयी,
चरणों में ले
माँ ,बना
दो स्वाबलम्ब l
जपूँ तुम्हारा
नाम सदा ही ,
मिटे जीवन के
सारे कलंक l
चरण वंदन
कर हो जाऊँ ,
कामना रहित
पुत्र परमहंस l
दे आशीष हे दूर्गा
,दूर्गतिनाशिनी,
सबके जीवन में
हो सदा आनन्द l

✍️ भूपेन्द्र कुमार भूपी
      8760465156

घूंघट ( कविता )

कविता - घूंघट

घूँघट की आड में,
चुप रही सदियों तक।
उगा नया सूर्य अब,
नष्ट प्रथा पातक।

कदम कदम मिला रही,
है आज की ये नारियां।
सती, घूंघट गए सब,
उगी नई क्यारियां।

स्त्री पुरुष सभी,
एक ही पतवार।
घूंघट के नाम पर,
ना हो अत्याचार।

लगा मास्क दो ही दिन में
थक गया यह आदमी।
जो कहता था औरत को,
घूंघट में रहना लाज़मी।

छोड़े हम घूंघट,
यह नया ज़माना है।
आत्मा के पट खोल,
स्वर्ग को बसाना है।

अब न कोई वाद करो,
नया शंखनाद करो ।
स्त्री को अबला कहे,
उसका प्रतिवाद करो।

घूंघट से निकलकर
नारी ने थामी कमान ।
हर ऊँचे-ऊँचे पद पर,
श्रेष्ठता से किया नाम ।

बनाएँगे मिल के हम,
नव समाज प्यारा।
कमल-कमलिनी खिले,
देश बने न्यारा।

'स्वाति' का सन्देश
घूंघट अब छोड़ो।
पुरानी ये रीतियां,
यथा शीघ्र तोड़ो।

✍️ स्वाति 'सरु' जैसलमेरिया
जोधपुर ( राजस्थान )

4.

आँखों के लिऐ बने हैं पलकें जैसे
वैसे आप बने हैं एक-दूजे के लिए
मेरी तरफ से शादी की दूसरी वर्षगांठ की ढ़ेरों सारी शुभकामनाएँ💐💐🎂🎈🎁🎉🍰
प्रिय सखी और जीजू💐💐💐
14/06/2021 , सोमवार

      तुम्हारी सखी
       सपना नेगी।

5.
मेरी मौलिक रचना

पिता हैं  तो हम निर्भीक हैं;
जैसे आने वाले कितने तूफानों
का पता भी नहीं चलता जब
उनसे जूझने कई वर्षों से खड़ा
पेंड ओट बन जाता है।
पिता रूग्ण ऑर वृद्ध भी
होता तो भी ढाढस होता कि
कोई उसका अहित नहीं सोच
सकता;ना ही कर सकता है।
    - जब तक पिता  की छांव है तो
; हर इंसान शहंशाह हैं -

" एक उदगार पिता के नाम "

पिता, तुम मेढ़,
मैं बहता पानी.
तुम निर्झर,
मैं उसकी धार हूँ..
तुम सृजन, मैं 
तृण मात्र हूँ...
तुम ह्रदय विणा,
   मैं मधुर राग हूँ...
तुम स्निग्ध ज्योति,
मैं बिखरा प्रकाश हूँ...
तुम बीज प्रबुद्ध,
मैं अंकुरण मात्र हूँ..
तुम श्वास निर्बिघ्न,
मैं प्रखर प्राण हूँ....
तुम अविचल धारा,
मैं तरंग मात्र  हूँ...
तुम काव्य सम्पूर्ण, 
मैं अक्षर मात्र हूँ...
तुम इंद्रधनुष,
मैं रंग प्रकार हूँ...
तुम अमृत कलश,
मैं तृषित मात्र हूँ...
तुम बीज प्रबुद्ध,
  मैं अंकुरण मात्र हूँ...
तुम वटबृक्ष,
  खग मात्र हूँ...
तुम मेढ़,
मैं बहता पानी हूँ..
तुम निर्झर,
मैं अविरल धार हूँ..

   ✍️  डॉ पल्लवी कुमारी "पाम "
   अनीसाबाद , पटना
    16/5/2020

#नमन मंच
अंक- 34से 36
    मुक्तक
                   
ये शब्दों और वर्णों,जिस
विधा की बात करते हो
जहाँ पर मौन रहना है,
वहीं संवाद करते हो
तुम्हारी इस कुशलता का,
बहुत मैं दाद देता हूँ
जहाँ संदर्भ लिखना था,
वहाँ अनुवाद लिखते हो
ये छवियों कि तो अपनी,
इक अलग पहचान होती है
विधाता ने गढ़ा सबको यहाँ,
और सबकी ईमान होती है
ये सौन्दर्य जो झलकता है
,सदा प्राकृतिक दृश्यों से
मिला उपहार हम सबको
,खुदा की ये नेमत है
ये चित्रलेखाओं का वर्णन,
बहुत सृजनता से होती है
जो सुन्दर है धरा अपनी
,ये नदियों से सुशोभित है
कोई काला कोई गोरा
,कोई अत्यंत सुन्दर है
ये तो भू-भाग है जीवन,
यहाँ हर वस्तु सुन्दर है

✍️  प्रभात गौर
   नेवादा जंघई
   प्रयागराज  ( उत्तर प्रदेश )

साहित्य एक नजर
अंक 34-36
लघुकथा - व्याह    ✍️ भगवती सक्सेना गौड़

राजसी ठाट से अपनी गैज़ेटेड अफसर की अवधि पूरी कर वर्मा जी अब रिटायर हो चुके थे, बच्चे अपनी उड़ान भर चुके थे, करने को कुछ खास नहीं था, सोशल साइट्स से नफरत सी थी । कभी कभी किताबो में डूब जाते थे ।

जीवन भर उनकी हां में हां मिलाने वाली पत्नी रजनी भी अब अपने दोस्तो और ऑनलाइन गतिविधियों में पूरे दिन व्यस्त रहती थी ।
एक दिन वर्मा जी ने कहा," सुनो, तुम्हारे साथ सात फेरे मैंने लिए थे, पर अब लगता है तुमने फेसबुक से व्याह रचा लिया, दिनभर कुछ लिखती रहती हो, इससे तुम्हे क्या मिलता है !!!
याद करो, एक वक़्त था, जब तुम्हारे पास मेरे लिए समय नही था, अब समझ लो, मैं व्यस्त हो गयी ।

✍️ भगवती सक्सेना गौड़
बैंगलोर

साहित्य एक नजर
अंक 34-36

* पिता का प्यार -

बचपन में हम
कई बार गिरे,
पर पिताजी के उन
हाथों ने हमें संभाला,,
लोगों की डाँट पर हम
कई बार रोये,
पर पिताजी के उन हाथों
ने आंसुओ को पोंछा,,
छोटी-छोटी बातों पर
हम कई बार बिगड़े,
पर पिताजी ने हमारी
हर बिगड़ी को संवारा,,
पिताजी के इस हर पल
के प्यार से महसूस किया,
कहा फ़िक्र न करो
मैं साथ हूँ तुम्हारे
हर पल, हर दम मैं
साये की तरह
तुम्हारा ख़्याल करता हूँ
पर हमारे पिताजी कहाँ से
लाये वो हौंसला, वो हिम्मत
जो अपने पालनहार को दिल
से गले लगाकर ये कह सके
मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
तुम्हारा ख़्याल रखता हूँ।।

✍️ देश दीपक
हरदोई, उत्तर प्रदेश
13/05/2021

आसान नहीं होता
है लेखक होना,
कई रातें गुजर जाती है,
विचारों को शब्दों
से सजाने में,
कहने को तो आसान
होता है पर,
एहसासों को शब्दों
से निखारने वाला
होता है लेखक,
कलम का भक्त
होता है लेखक,
समाज का प्रतिबिंब
होता है लेखक,
एहसासों का रचनाकार
होता है लेखक,
शब्दों का स्पर्शज्ञान
होता है लेखक,
संकीर्ण सोच का
खादक होता है लेखक,
दूसरों के एहसासों को वर्क
पर सजाने वाला
होता है लेखक,
जरूरत पर पावक होता है,
जरूरत पर शांत
नीर होता है लेखक,
सूरज की पहली
किरण होता है लेखक,
विचार तो हर मनुष्य
के पास होते हैं,
उन्हें सजाने  वाला
तो लेखक होता है,
शब्दों का खिलाड़ी
होता है लेखक,
कल्पना को
वास्तविक जिंदगी
पर उतारने वाला
होता है लेखक,
कल्पना और
रचनात्मकता
का दिग्गज
होता है लेखक।

✍️ इं.निशांत सक्सेना"आहान"✍️

अंक 34 से 36
नमन मंच
साहित्य एक नज़र
विषय---
माँ सरस्वती

हे माँ सरस्वती देवी!
करें आरती, वंदना तेरी।
एक हाथ में पोथी पकड़े,
एक हाथ में है वीणा।
ब्रह्मा की ब्रह्माणी तूं,
बहाती ज्ञान की गंगा।
हे मां सरस्वती देवी!
करें आरती, वंदना तेरी।
मुझ अज्ञानी को दे दो ज्ञान,
द्वार तुम्हारे आई हूं ।
बुद्धि, विद्या का दे दो दान,
साधना का दीया जलाई हूं ।
हे मां सरस्वती देवी!
करें आरती, वंदना तेरी।
तू हंस वाहिनी, ज्ञान दायिनी,
धैर्य, साहस ह्रदय में भर दो।
तू सुहासिनी, महापातक नाशिनी
बुद्धि, ज्ञान अंतर्मन में भर दो।
हे मां सरस्वती देवी!
करें आरती, वंदना तेरी ।

✍️ प्रेम लता कोहली

नमन मंच
शीर्षक- चले आओ

मेरा अब दम निकलता है
, चले आओ मेरे हमदम
बहुत ये दिल मचलता है,
चले आओ मेरे हमदम
कहो क्या बात है मुझसे
मेरी जाँ कुछ बताओ तो
न दिन निकले न ढलता है,
चले आओ मेरे हमदम
तेरे बिन अब सहर में भी
न जाने क्यों अंधेरा है
नही कुछ ज़ोर चलता है,
चले आओ मेरे हमदम
हवाएं तेज चलती है मेरा
दिल धक से करता है
मुक़द्दर हाथ मलता है
,चले आओ मेरे हमदम
मुझे लाकर खिला दो
तुम जहर थोड़ा मेरे सचिन
तेरा व्यवहार खलता है,
चले आओ मेरे हमदम
*( के हर त्यौहार खलता
है, चले आओ मेरे हमदम )*

✍️ सचिन गोयल
सोनीपत हरियाणा
27-05-2021
Insta@,
Burning_tears_797

#दिनांक-13/6/2021
*विषय-कागज के फूल*
#विधा-कविता
        
   🌷कविता 🌷

ये दुनिया है , कागज़ के
फूलों सी,
ये समझ ले ,तू इंसान...।
कुछ भी यहां अमर नहीं ....,
नश्वर , है संसार.....।
मानव की ,ये जिंदगी....,
ज्यूं सेमल, का फूल.....।
एक दिन हवा में ,उड़ जाएगी ,
ज्यूं ,"कागज के फूल".......।
दो दिन की,ये जिंदगी.....,
मत कर ,रे तू गुमान.....।
माटी की ये ,काया ....
माटी में, मिल जाएगी....।
कागज के फूलों की तरह ...,
जिंदगी की महक ....,
एक दिन फीकी, पड़ जाएगी।
खुशबू कभी आती नहीं....,
" कागज के फूलों" से....।
जिंदगी कभी चलती नहीं।  ,
झूठे वसूलों से....।
जीवन का यह सार....,
समझ जो जाता है....।
जिंदगी का, रास्ता उसका ,
आसां,हो जाता है. ।।।

✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम

नमन मंच
#साहित्य एक नज़र
#विषय:बुढ़ापे का जीवन कैसा
#दिनांक :12/06/2021
#विधा:कविता

* बुढ़ापे का जीवन कैसा -

बुढ़ापे का जीवन कैसा
यह प्रश्न है
इस समाज, घर परिवार,
के नव युवकों से
क्यों बुढ़ापे मे
घर परिवार के लोग
छोड़ आते है बुजुर्गों को
वृद्धााश्रम मे
वो है घर के वटवृक्ष
जिनकी छाया मे रहकर
गुजरा हमारा जीवन
जिन्होंने पालपोस कर
बड़ा किया हमें
बुढ़ापे मे बुजुर्गों को
सहारे की होती है जरुरत
उनके जीवन के अनुभव
हमारे लिए धरोहर है
जीवन के अंधेरे मे
रौशनी का काम है करते
उनका सम्मान व आदर
ही उनकी खुशी की है पूँजी
बुढ़ापे मे शरीर के
सभी अंगों का शितिल होना
मन उनका चिड़चिड़ा होना
उनको समय न देना
अकेलेपन का महसूस होना
समय पर खानपान व
दवा का ध्यान ना रखना
उनके मन को नकारात्मक
की सोच की ओर ले जाता है
उनकी सेवा करना व
आशीर्वाद लेना
ईश्वर को पाना है
जैसा करोगे कर्म
वैसा ही फल पाओगे इंसान
यह है गीता का ज्ञान
क्योंकि यह बुढ़ापा
कल तुम्हें भी आएगा
बुढ़ापे का जीवन कैसा
यह प्रश्न फिर उठेगा

✍️ शिवशंकर लोध राजपूत
दिल्ली
व्हाट्सप्प no.7217618716

यह रचना स्वरचित व मौलिक है !

Rani Sah
नमन मंच
#साहित्य संस्थान
#दिनांक - 12/06/21
#विषय -

गाँव की बातें

गाँव की बहुत याद आती है,
आँखों में बसी गाँव की हर
पत्ता पत्ता डाली है,
गाँव मेरा उजालों सा है,
सूरज की रौशनी में अंगारो सा है,
गाँव की सड़के सुनहरी सुंदर
हर चौराहा है,
गाँव की याद मे जिंदा
हर शहर वाला है,
आंसू समेट कर आँखो
में दास्तान छुपाते है,
चंद रुपयो के मोहताज बन
अपना स्वर्ण सा गाँव छोड़ जाते है,
गाँव की बातें शब्दों कौन लिख सकता है,
गाँव जैसा सुकून और कहां मिल सकता है,
बेशक कुछ संसाधनों की कमी है,
पर शहर से अच्छा गाँव की छवी है,
कुछ खास बात तो गाँव में होगा,
जो हर शख़्स को अपने तरफ खिंचती है,
मिलो दूर शहर वालों के दिल मे बस्ती है,
गाँव की हरियाली तीज सी,
गाँव की आबोहवा बिल्कुल अजीज सी,
गाँव हर रूप हर बहार है,
गाँव ही बेचैनी गाँव ही करार है,
गाँव में जो सादगी है,
गाँव ही हस्ते खेलते
घर का श्रृंगार है,
गाँव की मिट्टी महान वंदनीय
इसकी महिमा है, 
हर बात निराली गाँव की
और अद्भुत * सावन *
का महीना है, गाँव कथा में
गाँव प्रथा मे है,
गाँव व्याकुलता में गाँव शीतलता में,
गाँव ही शिव गाँव ही
राम गाँव ही राघव है,
शहर मे उलझी मौत
तबाही का तांडव है।

✍️  रानी साह
कोलकाता - पश्चिम बंगाल

ज़िन्दगी की बेजान शाखों में,
कोंपल आने लगे।
रेतेली मरुस्थल सी,
गुज़र रही थी ज़िन्दगी।
खिलेंगे फूल पलाश के,
बहारों सी सजेगी ज़िन्दगी।
न कोई उम्मीद थी,
इस नीरस जीवन की मरीचिका से।
एक दिन सामने के ,
मका की खिड़की खुली।
ध्वल श्रृंगरित सी, एक छवि दिखी।
अब उस छवि के,
ख़्वाब आने लगे।
ज़िन्दगी की बेजान---
चरू चन्द्र की ध्वल किरणें से,
हिम सी चमकती काया।
ध्वल श्वेत बस्त्रों में,
छुपाती वो अधरों की माया।
श्वेत पुष्प गुच्छों से,
घन केशों को सवारें।
शीतल बहती पवन में,
वो तन की खुशबू की बहारें।
दिल की बंज़र भूमि में,
फूल आने आने लगे।
ज़िन्दगी की बेजान ----

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर- मध्यप्रदेश
9753877785

मौन   (शीर्षक)

मौन

मौन की लड़ाई विकट,
गहराता मौन,
आंसुओं के समुद्र में
अलग थलग , हिचकोले खाता,
ऊपर शांत समतल धरातल
पलकें झपकतीं ,
आंसू, शब्द और मैं मौन,
अथाह शब्दों का शैवाल
सफेद बर्फ बन,
पिघलता नहीं,,,
उसे भी तपिश चाहिए
नदी बन कर बहने को,
समुद्र में मिलने को,
अपने दर्द की अथाह चुभन को
समुद्र में ढकेलने को,
अपने मौन को कंधे पर रख
इधर तुम, उधर मैं,
बीच में पसरा,
पर्वताकार
निशब्द मौन !!

✍️ पूनम शर्मा  , 
मेरठ

कविता :- 20(27)

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

कुछ काम से
कोरोना काल इस लॉकडाउन में
कोलकाता से मधुबनी , बिहार
मिथिला भूमि ग्राम झोंझी
जाना है आज ही ,
तो है आज जल्दीबाज़ी ।
साहित्य एक नज़र
पत्रिका पर भी काम करना है
क्योंकि कई महारथियों से लगा
लिए है बाज़ी ,
धर्म - कर्म से जवाब देना है
यही तो ज्ञान दिए हैं गुरु ,
माता और पिताजी ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
सोमवार , 14/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(27)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 35
Sahitya Ek Nazar
14 June 2021 , Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 34 - 36

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -

अंक - 34 से 36 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 13/06/2021 से 15/06/2021 के लिए
दिवस :- रविवार से मंगलवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 34 तो कुछ रचनाएं को अंक 35 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 36 में शामिल किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

# फेसबुक के इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में ही रचना भेजें ।

# साहित्य एक नज़र में प्रकाशित हुई रचना फिर से प्रकाशित के लिए न भेजें , बिना नाम , फोटो के रचना न भेजें , जब तक एक रचना प्रकाशित नहीं होती है तब तक दूसरी रचना न भेजें , यदि इन नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो उनकी एक भी रचना को प्रकाशित नहीं किया जायेगा ।

समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 34 से 36 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/307342511028532/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 31 से 34
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

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अंक - 31
10/06/2021 , गुरुवार
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/31-10062021.html

कविता :- 20(23)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2023-31-10062021.html

अंक - 32
, शुक्रवार , 11/06/2021 ,

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2024-11062021-32.html

कविता :- 20(24)

अंक - 33
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/33-12062021.html
12/06/2021 , शनिवार

कविता :- 20(25)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2025-12052021-33.html

अंक - 30
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/30-09062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2022-09052021-30.html

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html

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अंक - 34
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/34-13062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2026-34-13062021.html


अंक - 35

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/35-14062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2027-14062021-35.html

अंक - 36

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/36-15062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2028-15062021-36.html






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