कविता :- 20(29) , बुधवार , 16/06/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 37, मधुबनी गये रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी द्वितीय वर्ष नामांकन करवाएं

साहित्य एक नज़र

कविता :- 20(29)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

विषय :- रचना है कहानी
विधा :-  कविता

माता- पिता , चाचा- चाची
भाई - बहन , मामा-मामी, नाना- नानी ,
सीख लाएं दादा-दादी , गुरुजनों
बोलना मीठा वाणी ।
हर जगह से कुछ न कुछ सीखता हूँ
सीखकर ही तो बनना है ज्ञानी ,
तब न रचेंगे नई कहानी ।।

जिसमें उम्मीद की रंग होगा ,
सुख-दुख संग होगा ।
हर अवस्था में जीना का ढंग होगा ,
मैं हार मानने वाला हूँ न
मेरी सफलता से
मेरे दुश्मनों तंग होगा ।।

शहर मधुबनी , मुंबई , कोलकाता ,
वहाँ लोग पाँच सौ से दस हज़ार न
जाने एक दिन में लोग कितना कमाता ।।
कोई पूजा पाठ करने मंदिर जाता ,
यही तो है जीवन न जाने एक दिन में
कितने जन्म लेता तो शरीर मर जाता ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
बुधवार , 16/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(29)
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 37
Sahitya Ek Nazar
16 June 2021 ,   Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

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Ramakrishna college Madhubani
Degree part -1- Art
Received from 493 , Roll no :- 1374
Session - 19-20
Dated :- 18/07/19
1254

Ramakrishna college Madhubani
Degree part -2 - Art
Received from 29250 , Roll no :- 1374
Session - 20 - 21
Dated :- 16/06/21
1152 लिया 1160
150 फार्म का , आवेदन पत्र का
Propectus , दिए ।

आनंद परौल चल गया मामा मामी दिल्ली से आने वाला रहा , बलईन बाली आई आम तोड़ने के लिए गये कोलम तोड़े आम पीतम्बर , उसका पोता सब तोड़ता रहा , बड़ी पतोहू भी आई रहीं । आये घर पूजा बोली आज ही कॉलेज आने के लिए माँ भी बोली बड़ी दीदी से दस हज़ार रूपए ले आने के लिए , साईकिल से गये हम आंचल , पूजा का एडमिशन फॉर्म लिए हम ही 150×3 = 450 , दी काजू दो पैकेट 250 ग्राम वाला , उसी में 3000 दी , 1160 एडमिशन में लगा , गये मधुबनी रेलवे स्टेशन तक टोटो  से 15 करके भाड़ा लगा , साईकिल कॉलेज में ही रखें रहें । 500 का टी-शर्ट खरीद दी मॉल से - V Mart Madhubani

पिज़्ज़ा बर्गर ली खाने का अनुमति नहीं रहा सब अपना - अपना लेकर चल गये हम कॉलेज आएं 16:48 वहीं आ. राजवीर सिंह मंत्र जी को फोन किए नहीं उठाएं , वही पूछे रहें साहित्य संगम संस्थान क्यों छोड़ा , आ. प्रमोद ठाकुर जी क्यों जोड़ा हमको दिखाना चाहते रहें हम उनको साहित्य संगम संस्थान से ब्लॉक कर दिए रहें , युगधारा मंच की स्थापना की बारहवीं पास करने के बाद उन्हें उपाध्यक्ष तक बनाया गया रहा पर छ: माह में ही युगधारा मंच कहाँ गये । शुरुआती में सब जी जान लगा देते । ऑडियो भेजें रहें । 5.41 , सब हम ही को चिन्हित कर रहें है कि रोशन आप ही के कारण हटाया हम एक दो लेख लिखकर प्रमोद जी को बताना चाहते थे ।

अनार कोलकाता से ही लाएं रहें पांच तो चार ले गये 6 लिट्टी , रसगुल्ला लिए 500 ग्राम 130 का पतोहू देखती रही , गये watchman पूछा बोलिए जी हम बोले नानी से मिलना है साईकिल से रहें दो बार बोले फिर बोले मालिक नाना है क्या गेट खोले गये बाबा को प्रणाम किए , फिर बात किए जा नानी सअ भेंट कअ आबअ , नानी और मामी को गोर लगें मामी कहलकीन हम अनही आशीर्वाद दैतछी , बाबू दही खाते रहें , फिर पानी देलकीन बात केलकीन पैसा देबअ के रहन नानी के कहलकीन घरें चलअ चूड़ा भुईज लिट्टी , रसगुल्ला मामी देलकीन, एक गो हम लिट्टी कम करा देलियन , नानी के पैसा देबअ के रहन तअ मामी के कहलकीन कन्या चाय बना दियोअ , हम मना केलियन नानी कहलकीन मोबाइल राबअ ओई में सअ 2000 के पाँच नोट देलकीन आर पांच सौ हमरा कहलकीन मधुबनी एबअ तअ अबीयह , आबहो काल में नानी , नाना के परिणाम केलियन मामी कहलकीन हम अनही आशीर्वाद दैतछी , मामी पूछलकीन की करैत छीयैअ हम कहलियन कलकत्ता विश्वविद्यालय सअ हिन्दी आनर्स थर्ड ईयर
तृतीय वर्ष में  , ओ तअ Top ten में यूनिवर्सिटी आवैत छैय , अतअ सअ द्वितीय वर्ष , सेकेंड ईयर मैथिली लेल कहलकीन दुनु valid हेएत हम कहलियन जतह नीक रहतैय , ओतअ तक अखन ऑनलाइन कअ देनेए छैय , मामी पूछलकीन कोलकाता में कोरोना के की हाल हम कहलियन अखन लॉकडाउन छैय , बस लोकल ट्रेन सब बंद साईकिल सअ आबअ पड़ल स्टेशन पापा साईकिल लो गेलकीन , मामी पूछलकीन कखर शादी छैय हम कहलियन हमरा काका के साल बेटी के , कका तअ मुबंई में छेतीन एडमिशन तअ मौसी बेटा को दैतीन दोस्तों सब , एक झोला आम देलकीन । नानी कहलकीन मामी सअ राहुल बहुत शर्माय छैय ओह अनह बात नैय कअ नानी कहलकीन कुमर नाना लेल ओहो बाबा के सामने कहियोअ नैय खेलकीन जहां बाबा अबतीन थाली लेनेए भाइग जाई, मामी कहलकीन अई भेल जेए राहुल ऐल रहथिन तअ एक साथ खाना देलियन ।
हम कहलियन मामा ऐतक नीक काज राहुल के देने रहन पर पीबह के चक्कर में सोभके परेशान को कअ रखने छैय , दसवीं परीक्षा गाली सुइन कअ दियेलियै ,नैय पढ़लकैय नैय हमरे सभके पढ़ देबअ चाहैय छैय ,  छोटक राजन के लिए पूछलकीन हम कहलियन अई भेल दसवीं में गेलैय येअ , वारिश हुअ भला रहैय मामी , नानी कहलकीन रूइक जा , रास्ता में जे रूकवअ से अतैय काईल चैल जेएब , हम कहलियन एक घंटा में पहुंच जेबैय , जगतपुर नहर पास पानी होने लगा भींगते आये लोहा और गांव के उधर पानी नहीं हुआ , पत्रिका सुबह 17/06/2021 को छोड़े ,
गुड़िया दीदी से बात किए घर का पूजा दिल्ली में है गया ।

Chandrani complex, मामी का नाम पूजा , मामा :- आशीष कुमार झा
नानी बोली watchman ( चौकीदार ) कुछ पूछा भी
अरेर
18:20 चले मधुबनी से
20:09 गांव

पतोहू
valid
एक दिन इसी बीच बिकन मामा झोंझी आएं रहें ।

17/06/2021 को पेट ख़राब हो गया , उल्टी हुई ।
आ. रीतू गर्ग जी को पश्चिम बंगाल इकाई के योजना सचिव बनाया गया ।
रंजीत भईया से मिले ।
ऑडियो
[16/06, 08:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/DbxSGGwb8fs
[16/06, 08:50] साहित्य राज: https://www.facebook.com/groups/351043012608605/permalink/520107089035529/
[16/06, 08:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/q_tzzd96SkY
[16/06, 08:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसे क्या करना है गुरु जी 🙏
[16/06, 10:03] साहित्य राज: याद रखने के लिए यहीं पोस्ट कर दिया था।
[16/06, 11:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐 गुरु जी
[16/06, 11:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: यदि आपको समय मिलें गुरु जी तो बतायेगा हम आपको फोन पर सब कुछ बता देंगे ।
[16/06, 11:35] साहित्य राज: जब सुविधा हो बात कर लें।🙏
0.12 , ऑडियो
[16/06, 11:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है मैडम जी को ले आईए 🙏💐
[16/06, 12:59] साहित्य राज: ले आया

साहित्य संगम संस्थान पर विचार व्यक्त करते हुए राजस्थान इकाई कार्यकारी अध्यक्ष आ. राम प्रकाश अवस्थी रूह जी ,

"महाजनोः येन गतः सःपन्थाः" सुक्ति को चरितार्थ करते राजस्थान इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष आद. रामप्रकाश अवस्थी जी के हृदयागारों को सुनकर हृदयंगम करते हुए साहित्य साधना करें।धन्यवाद

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )

|| सासू माँ के द्वारा होगा बहू की आहुति पुस्तक का विमोचन ||
          
                        ●
जय माँ शारदे 🙏🙏🙏

सर्वप्रथम अपने माता पिता के चरणों में प्रणाम करती हूँ।
आदरणीय गुरुदेव श्री राकेश सक्सेना जी, माननीय अध्यक्ष श्री राजबीर सिंह जी, कार्यकारी अध्यक्ष आदरणीय कुमार रोहित रोज़ जी, आदरणीय मिथलेश सिंह मिलिंद जी एवमं मंच के समस्त पदाधिकारियों को मेरा सादर प्रणाम।
मंच से जुड़े समस्त सुधिजनो का वंदन, अभिनन्दन🙏
करती हूँ
मेरे सम्पूर्ण जीवन पर मेरे पिताजी श्री मंगत राम बजाज जी का बहुत अधिक प्रभाव रहा और साहित्य के प्रति रुचि भी उन्हीं के आशीर्वाद से हुई।
बचपन से ही थोड़ा बहुत लिख लिया करती थी।
स्कूल के समय कुछ भाषण प्रतियोगता आदि में भी भाग लिया।
और किस्मत की बात रहीं की शादी हुई तो ससुराल में भी साहित्यिक माहौल मिला। और पतिदेव का भी पूरा सहयोग मिला।  और कुछ एक मंचो से जुड़ लिखना शुरू किया।

साहित्य संगम संस्थान से मुझे मेरी सासुजी ( श्रीमती ऋतु गुलाटी जी) ने ही जोड़ा था।
तभी से यह सफर प्रगतिशील है
संगम एक वटवृक्ष की तरह है जो सदा हमे अपने साथ जोड़े रखता है  और सदा सर्वदा हम जैसे अनेको रचनाकरों को अपनी प्रतिभा दिखाने का सुंदर अवसर प्रदान करता रहता है।

मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है कि मेरी प्रथम पुस्तक "आहूति"का विमोचन मेरी सासू माँ के करकमलों से हो रहा है।
ऐसा शायद विरला ही कहीं होता होगा क्योंकि सास-बहु का रिश्ते को लगभग तू-तू,  मैं मैं करते ही देखा गया है।
इस उत्तम विचार और उत्तम आयोजन के लिए आदरणीय अध्यक्ष जी, कार्यकारी अध्यक्ष जी, गुरुदेव एवमं अभी पदाधिकारियों को प्रणाम एवमं वंदन🙏🙏🙏🙏 सही में आप सबकी सोच बहुत उम्दा और विकसित है। मैं ह्र्दयतल से आप सभी को प्रणाम करती हूँ। 
आदरणीय गुरुदेव श्री राकेश सक्सेना जी की दूरदर्शिता को इसके लिए आदरभाव और प्रणाम🙏🙏🙏
सही भाव मे वह हमारे उत्तर प्रदेश इकाई परिवार के मुखिया है। सबका साथ, सबका विकास को प्राथमिकता देते हुए, सभी को जोड़े रखते है।

यह आहुति संकलन है मेरे भावो का, विचारों का, कल्पना का 🙏🙏🙏🙏

बहुत बड़ी लेखिका या रचनाकार नहीं हूं, यह एक कोशिश है, खुद को प्रस्तुत करने की।
और माँ शारदे से विनय करती हूँ कि मेरी साहित्यिक यात्रा में मुझे सही राह दिखाए और मेरे शब्दो से कभी किसी को कोई ठेस न लगे। मेरे लेखन में कही कोई त्रुटि हो तो उसके लिए  क्षमा चाहूँगी और सुधार की कोशिश करती रहूंगी 🙏🙏🙏

साहित्य संगम संस्थान का बहुत बहुत आभार, वंदन, अभिनंदन, आभार , 🙏🙏 सुना था कि शब्दो का संकलन, शब्दकोश कभी-कभी बहुत छोटा पड़ जाता है, आज ज्ञात भी हो गया। अतः अपने सीमित शब्दो के ज्ञान को यही विराम देते हुए एक बार फिर आप सभी को मेरा हार्दिक नमन🙏🙏🙏🙏

सरिता बजाज गुलाटी🙏🙏🙏
https://www.facebook.com/groups/203753100596285/permalink/457719745199618/?sfnsn=wiwspmo

विमोचन आहुति

https://www.facebook.com/groups/203753100596285/permalink/457700015201591/?sfnsn=wiwspmo
आ. डॉ. राकेश सक्सेना महागुरुदेव जी ,  उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष
https://www.facebook.com/groups/203753100596285/permalink/457691488535777/?sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/DbxSGGwb8fs

आज : सोमवार 14 जून: उ0प्र0 इकाई: 11बजे
             आप सभी सादर आमंत्रित हैं।

सुप्रभात सुस्वागतम
💐💐💐💐💐💐

#गुजरात इकाई साहित्य संगम संस्थान

विमोचन कार्यक्रम - देवनागरी संग्रह पत्रिका ,

दिनांक - 15/06/2021
शुभ वार - मंगलवार

आज गुजरात इकाई साहित्य संगम संस्थान की पत्रिका देवनागरी संग्रह के विमोचन कार्यक्रम के शुभ अवसर पर आप सभी का हार्दिक स्वागत है।

देवनागरी संग्रह पत्रिका का गूगल लिंक नीचे दिया है। कृप्या पत्रिका पढ़ कर कमेंट बॉक्स में
अपना आशीर्वाद दें।

https://drive.google.com/file/d/1RHqaitzXU88XOxfPmqbd2IsOeXLXdUi-/view?usp=drivesdk

https://www.facebook.com/groups/820559168735062/permalink/944285136362464/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/820559168735062/permalink/944291899695121/?sfnsn=wiwspmo

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html

राजस्थान इकाई
https://youtu.be/sCAn_bWPwsE
धन्यवाद

डॉ. विकास शर्मा
प्रधान संपादक व सह अध्यक्ष
गुजरात इकाई साहित्य संगम संस्थान
https://youtu.be/eU4HjQ2XvZQ

https://youtu.be/YkXqq9VXEjQ

साहित्य संगम संस्थान गुजरात इकाई को देवनागरी पत्रिका के विमोचन के उपलक्ष्य में आयोजित गरिमा मय कार्यक्रम की हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं ।
प्रेमलता उपाध्याय स्नेह
प्रदेश अध्यक्ष उड़ीसा इकाई
https://www.facebook.com/groups/820559168735062/permalink/944503533007291/?sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/2oxwmVB8kNk

आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
राष्ट्रीय अध्यक्ष , साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

https://youtu.be/kRfZBbaMqSk

https://www.facebook.com/groups/820559168735062/permalink/944309019693409/?sfnsn=wiwspmo
महाराष्ट्र इकाई अध्यक्षा आ. वंदना नामदेव जी देवनागरी पत्रिका के विमोचन
https://youtu.be/uBy3aXxl7Po

https://www.facebook.com/groups/820559168735062/permalink/944329263024718/?sfnsn=wiwspmo

#साहित्य संगम संस्थान गुजरात इकाई

वक्तव्य विषय - हिन्दी का उत्थान कैसे हो?
https://youtu.be/EkCh2N0TDdM
वक्ता - डॉ. विकास कुमार शर्मा (सह अध्यक्ष, गुजरात इकाई)
https://www.facebook.com/groups/820559168735062/permalink/943159409808370/?sfnsn=wiwspmo
धन्यवाद
💐💐💐

दिनांक - 16/06/2021
दिवस -  बुधवार
#साहित्यसंगमसंस्थान
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

यूट्यूब संचालक
रोशन कुमार झा
[17/06, 13:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: Haaa
[17/06, 13:22] Monu: Kya hua bhaiji hmko q vej rhe hai photo lgta hai ghur ne gai hai puja ke sath😊😊😊
[17/06, 13:23] Monu: Wahhh
[17/06, 13:23] Monu: Punnu baby
[17/06, 13:23] Monu: My jaan

[15/06, 22:59] + 16/06/2021 के अभ्यास 
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान
प  वर्गादि संयुक्ताक्षरक पुनराभ्यास प फ ब भ म  अक्षरक संयुक्ताक्षरक अभ्यास  
सब छवि समूह पर उपलब्ध अछि👆
[15/06, 23:00] +91  https://youtu.be/8CSszAWOJh4
[15/06, 23:00] +91  https://youtu.be/59_jh-OXUps
[15/06, 23:00] +91  https://youtu.be/MkzyCLLAt7g
[15/06, 23:00] +91  https://youtu.be/iI-Moh_eS3k

हिन्दी कविता-12(53)
16-06-2019 रविवार 21:04
*®• रोशन कुमार झा
-: पापा आप!:-

पापा आप
कहलाते पिता और बाप!
राह रोशन करना है यही है मेरा माप
सृष्टि में राहुल अरूण ग्रह राज्य का राजन
भी करता जाप!

जीना सीखायें
पोलियो पिलाये!
और यह मधुबनी हावड़ा ही नहीं
पूरा जगत दिखाये
रेल,सैनिक डॉक्टर के राह में नाम लिखाये!

तब तनु वक्ष स्थल से आनंद हूँ
पिता मेरे चंदन मैं सुगंध हूँ!
उनकें वचनों और कर्मों से
दुनिया का पसन्द हूँ
गर्म में भी ठण्ड हूँ!

क्योंकि आप शीतलता प्रदान करते है
भूखे रहकर भी आप मेरे ख्वाहिश
को भरते है!
आपके आज्ञा पर ही चलते है
पर वह सुख दे नहीं पा रहा हूँ
क्योंकि मैं अभी सँघर्ष से लड़ते है!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(53)
16-06-2019 रविवार 21:04
31st Bengal Bn Ncc  Fortwilliam
Kolkata-B
Reg no-WB17SDA112047
Narasinha Dutt college St John
Ambulance
The Bharat scouts & Guises
Eastern Railway Howrah
PPUP(75)मिला15(5)BMG
RISR,DNK-70(5 सुमन)पोलियो पिलाने
Bamangachi
Liluah sec सेSt John
नेहा (6call)anuको बे मी नहीं



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[ हम बिहारी मिथिला के छी )

17/06, 01:42] Hasan Bhiya: शीर्षक :- हम बिहारी मिथिला के छी
https://hindi.sahityapedia.com/?p=130387

(4)
राजनगर'क राजमहल ,
सौराठ'क सभा गाछी ,
हम त अप्पन हक मांगय छी
कहाँ करय छी बदमाशी ।।
हमहीं मालिक हमहीं नौकर ,
सोच एहन राखय छी
एकजूट बनि क हम सदिखन
प्रगति'क पथ देखय छी
भोजपुरी, उर्दू , मगही मैथिली
संस्कृत हिन्दी बाजय छी
हम नहि कोनो जिला सं छी ,
मैथिली अछि हमर भाषा हम मिथिला सं छी|
हम बिहारी मिथिला के छी
(तनीषा)

हसन✍🏻
[17/06, 01:43] Hasan Bhiya: शीर्षक :- हम बिहारी मिथिला के छी

(5)
विद्यापति चंदा  नागार्जुन ,दिनकर'क रचना
प्रेम और पीड़ा'क छी ,
आर्यभट्ट , वशिष्ठ नारायण , दशरथ मांझी ,
ज्ञानी'क ज्ञान'क लीला'क छी ।।
मुजफ्फरपुर के लीची , आम , पान ,मखान
भरल खेत खीरा के छी ,
नहि छी हम कोनो टोल मुहल्ला सं
हमर भाषा अछि मैथिली हम मिथिला सं छी
हम बिहारी मिथिला के छी/

(बिरजू मिश्रा)

हसन✍🏻
[17/06, 01:43] Hasan Bhiya: शीर्षक :- हम बिहारी मिथिला के छी

(6)
हमहीं डॉक्टर, हमहीं सैनिक ,
हमही किसान छी ,
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई नहि  ,
हम त इंसान छी ।।
योऊ हमहीं मिथिला'क
नव पुरान मे छी
भारत'क  नहि
विश्वक प्राण मे छी
मातृभूमि केर पूज वंदन
सीता आ अहिल्या सं छी
हमर भाषा अछि मैथिली हम मिथिला सं छी/
हम बिहारी मिथिला के छी/

(स्नेहा झा)

हसन✍🏻
[17/06, 01:44] Hasan Bhiya: शीर्षक :- हम बिहारी मिथिला के छी

(8)
श्रेष्ठ पद केर हम अधिकारी
बैसी सबठाम गुण व्यवहार
विद्वता'क डंका अछि सबतरि
कुशलता'क चतुर्दिक संचार
एकटा मुट्ठी बनि क हमसब
एकमात्र परंपरा सं छी
नहि कोनो गाम जिला सं
हमर भाषा अछि मैथिली हम मिथिला सं छी
हम बिहारी मिथिला के छी/

(राखी झा)

हसन✍🏻
[17/06, 01:45] Hasan Bhiya: शीर्षक :- हम बिहारी मिथिला के छी

(9)
छोट भाई केर  करी  दुलार ,
बड़का भाई संग सुहृद व्यवहार ।।
मिथिला भूमि सगरो पूजित
मंगलकारी एतय कें संस्कार।।
स्वीकार करूँ आब चंदन वंदन ,
राम कृष्ण परवर दीगार
संग चली सब सदिखन संगे
एकचित्त सजला सं छी
नहि कोनो गाम जिला सं
हमर भाषा मैथिली हम मिथिला सं छी
हम बिहारी मिथिला के छी/

(रौशन झा)

हसन✍🏻
[17/06, 01:45] Hasan Bhiya: शीर्षक :- हम बिहारी मिथिला के छी

(7)
बारहों महीना  पूजा पाठ ,
चूड़ा दही  केर अजबे स्वाद  ।।
माछक तीमन तरूआ तरकारी
खाय लेल अखनो आनय छि बारी से केरा पात ,
शरीर नगरीय प्राण देहाती
सदिखन हित मिला क छी
हमर भाषा अछि मैथिली हम मिथिला सं छी||
हम बिहारी मिथिला के छी/

(नेहा झा)

हसन✍🏻
[17/06, 01:47] Hasan Bhiya: जितना जल्दी हो सभी लोग रिकॉर्ड करके भेजने का कोशिश कीजियेगा🙏🏻
[17/06, 01:48] Hasan Bhiya: रिकॉर्ड करते वक्त मोबाइल का पोजिशन
🚥✔️
📱✖️

--------------
[11/06, 14:41] +91 : Hi
[11/06, 15:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: बोलिए
[11/06, 15:01] +91 : जी आपकी दैनिक पत्रिका है
[11/06, 15:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[11/06, 15:04] +91 : मुझे भी अपन का लिखा हुआ प्राकाशित करवाना है
[11/06, 15:04] +91 : क्या procedure है
[11/06, 18:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर कामेंट बाक्स में भेजिए
[11/06, 20:35] +91: Apka fb link beje plz
[11/06, 20:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo
[11/06, 20:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसे पढ़ लीजिए
[11/06, 20:38] +91 : Thanks
[15/06, 17:03] +91 : Hlo Sir
Face book link me muje comment wala option nhi dikh rha
[15/06, 17:03] +91 : Kya mae apko jaha pe writeups bej skta hu
[15/06, 17:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: जो भेजना है सर वहीं भेजिएगा
[15/06, 17:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्कीनशार्ट भेजिए
[15/06, 17:22] +91 : G thik
[15/06, 17:25] +91 : Comment wala option nhi dikh rha hai
[15/06, 17:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसका समय सीमा हो गया है आदरणीय 🙏🙏🙏🙏
[15/06, 17:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज नया देंगे
[15/06, 17:30] +91 : G thik kl beju fr
[15/06, 17:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: उसके बाद देखिएगा
[15/06, 17:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजिए
[15/06, 17:30] +91 : G
[15/06, 17:30] +91 : शुक्रिया
[15/06, 17:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[15/06, 17:33] +91 : 🙏🏼
[15/06, 18:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo
[15/06, 18:31] +91 : Thank you
[15/06, 18:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम्
[15/06, 18:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: अब देखिए यदि समस्या हो तो आप हमें रचना भेज दीजिएगा
[15/06, 18:35] +91 : Ha abi b comment wala nhi dikh rha
[15/06, 18:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप हमें भेजिए
[15/06, 18:38] +91 : G
[15/06, 18:38] +91 : शुक्रिया
[15/06, 18:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏💐
[15/06, 18:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: सर अंग्रेजी शब्द हटाकर भेजिए
[15/06, 18:46] +91  #tanhawritings
#tanhagazal
तुम तो समझदार हो...

कुछ ऐसे समझदारी की कीमत हम चुकाते रहे।
हर किसी   से अपने  दिल पे     चोट खाते रहे।।

दिल रोता रहा खून के आँसु अंदर ही अंदर,
होंठ हँसते हँसते ज़ख्म-ए-दिल छुपाते रहे।

जब कोई न मिला दर्द-ए-दिल बाँटने बाला,
दर्द लफ़्ज बनकर गज़ल के रूप में आते रहे।

एक ही नतीज़ा रहा मेरे इंकार और इज़हार का,
तुम तो समझदार हो,सब मुझे समझाते रहे।

जब भी जिसको भी मौका मिला कोई न चूका,
जैसे तैसे दिल में आया इल्ज़ाम लगाते रहे।

तुम्हारी आँख से आँसू न गिरें मेरे आँसू देखक़र,
इसलिये जब भी तुमसे मिले फक़त मुस्कराते रहे।

जब भी जिसके भी जितना भी काम आ सकता था,
अपना काम निकाल कर सब जाते रहे।

ख़ुदा तेरे रहम-ओ-कर्म से न गिरा कभी भी"तन्हा"
तूने कुछ ऐसे दोस्त भी वख्श़े जो हौसला बढ़ाते रहे।

राजेश "तन्हा"
रतनाल, बिश्नाह, जम्मू, जे के यू टी -181132
[15/06, 18:48] +91 : सर ये कब प्रकाशित होगा
[15/06, 18:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: देखते है कल नहीं तो परसों प्रकाशित हो जायेगी ।
[15/06, 18:50] +91 : जी शुक्रिया
[15/06, 18:52] +91 : हमें बहुत अच्छा लगेगा के जम्मू के लेखक का लिखा हुआ कोलकता मे छपेगा
[15/06, 18:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐 स्वागतम् 🙏💐
[15/06, 18:54] +91 : 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
[15/06, 18:55] +91 : आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि कोलकता से हमे बहुत प्रेम है
[15/06, 18:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं , स्वागतम् 🙏💐 कोलकाता में
[15/06, 18:57] +91 : जरूर मैंने जल्दी ही आना भी है वहाँ
[15/06, 18:57] +91 : 🙏🏼🙏🏼👌🏻
[15/06, 20:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐
[16/06, 08:43] +91 : सुप्रभात जी
[16/06, 08:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏💐
[16/06, 08:51] +91 : 🙏💐
[16/06, 09:57] +91 : सर जब ये प्रकाशित हो जायेगा तो कृपया हमे बताना आप
🙏🏼
[16/06, 19:18] +91 : नमस्ते जी🙏💐
[17/06, 08:07] +91 : शुक्रिया जी 🙏💐
[17/06, 08:14] +91 : हम आपके अति आभारी है
[17/06, 08:14] +91 05: 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
[17/06, 08:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[17/06, 08:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏💐

[17/06, 08:23] +91 : माननिये क्या आज एक और भी भेज सकता हूँ!
[17/06, 08:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: चार दिन के बाद सर जी 🙏
[17/06, 08:24] +91 : और ये प्रमाण पत्र कैसे और किसको मिलते है।
[17/06, 08:24] +91 : कृपया बताये
[17/06, 08:25] +91 : जी सर
[17/06, 08:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: पांच रचनाऐं प्रकाशित होने के बाद
----------------------
[16/06, 03:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसे प्रकाशित करनी है क्या
[16/06, 09:50] आ सपना जी: जी आदरणीय।
[16/06, 20:03] आ सपना जी: आज पत्रिका का अंक आया नहीं अभी तक..सब खैरियत है आदरणीय
[16/06, 20:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी गांव आया हूं
[16/06, 20:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: अभी बना रहा
[16/06, 21:05] आ सपना जी: ओके
[16/06, 21:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏
[17/06, 05:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/arjp/
-----------
[17/06, 01:23] Hasan Bhiya: शीर्षक :- हम बिहारी मिथिला के छी

(9)
छोट भाई केर  करी  दुलार ,
बड़का भाई संग सुहृद व्यवहार ।।
मिथिला भूमि सगरो पूजित
मंगलकारी एतय कें संस्कार।।
स्वीकार करूँ आब चंदन वंदन ,
राम कृष्ण परवर दीगार
संग चली सब सदिखन संगे
एकचित्त सजला सं छी
नहि कोनो गाम जिला सं
हमर भाषा मैथिली हम मिथिला सं छी
हम बिहारी मिथिला के छी

हसन✍🏻
[17/06, 01:24] Hasan Bhiya: Jitna jld ho saaf se record kr bhejne ka koshis kijiyega🙏🏻
[17/06, 05:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏

---------------
[16/06, 02:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[16/06, 09:34] प्रमोद ठाकुर: सुभप्रभात🙏🙏🙏🙏🌹🌹💐
[16/06, 20:39] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी आज पत्रिका नहीं प्रकाशित हुई क्या।
[16/06, 20:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: अब बनायेंगे आज नहीं थे घर पर
[16/06, 20:45] प्रमोद ठाकुर: ठीक है।
[16/06, 23:23] प्रमोद ठाकुर: 17 जून 2021 की समीक्षा के लिए
[16/06, 23:26] प्रमोद ठाकुर: आज का अंक नहीं आया क्या कोई परेशानी है
[16/06, 23:26] प्रमोद ठाकुर: 17 जून 2021 की समीक्षा के लिए
[16/06, 23:44] प्रमोद ठाकुर: समीक्षा स्तम्भ
काव्य संग्रह - "मुक्तावली"

आज मैं उपस्थित हूँ समीक्षा के प्रथम चरण में श्री रामकरण साहू "सजल" जी का काव्य संग्रह "मुक्तावली" लेकर जो लोकोदय प्रकाशन प्रा. लि. 65/44 शंकरपुरी, छितवापुर रोड़ लखनऊ से प्रकाशित है।

प्रथम चरण की समीक्षा में हम हमेशा बात करते है प्रकाशक की जैसे माँ बेटे को जन्म देती है। बैसे ही एक प्रकाशक रचनाकार की एक - एक रचना को संजोकर एक पुस्तक का रूप देता है।  श्री रामकरण साहू "सजल" जी की ऐसी ही एक - एक रचना को संजोकर  एक काव्य संग्रह का रूप दिया लोकोदय प्रकाशन ने जिसका नाम है "मुक्तावली" कल में चर्चा करूँगा इस अनमोल काव्य संग्रह की जिसकों लोग पढ़ने के लिए लालायित है ऐसा क्या है इस काव्य संग्रह में कल की समीक्षा में ज़रूर पढ़िये
तब तक के लिये।

राम-राम
[17/06, 08:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात सर जी 🙏
-----------
[16/06, 14:18] +91 : साहित्य एक नजर??
[16/06, 15:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[16/06, 16:02] +91 : मैं सुनीता कुमारी इंटर कॉलेज जिला स्कूल पूर्णिया,बिहार। मैं कविता और लेख लिखती हूँ।
[16/06, 16:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक स्वागतम् 🙏
[16/06, 16:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप फेसबुक से जुड़ जाइए
[16/06, 16:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य एक नज़र 🌅

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आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
[16/06, 08:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/DbxSGGwb8fs
[16/06, 08:50] साहित्य राज: https://www.facebook.com/groups/351043012608605/permalink/520107089035529/
[16/06, 08:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/q_tzzd96SkY
[16/06, 08:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसे क्या करना है गुरु जी 🙏
[16/06, 10:03] साहित्य राज: याद रखने के लिए यहीं पोस्ट कर दिया था।
[16/06, 11:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐 गुरु जी
[16/06, 11:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: यदि आपको समय मिलें गुरु जी तो बतायेगा हम आपको फोन पर सब कुछ बता देंगे ।
[16/06, 11:35] साहित्य राज: जब सुविधा हो बात कर लें।🙏
[16/06, 11:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है मैडम जी को ले आईए 🙏💐
[16/06, 12:59] साहित्य राज: ले आया

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[16/06, 20:38] सरिता साहित्य: Bhaiya PDF Kahan Milegi...
[16/06, 20:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: मिल जायेगा
[16/06, 20:49] सरिता साहित्य: कहाँ आप भेज दीजिये...
[17/06, 05:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/arjp/

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अंक - 37
https://online.fliphtml5.com/axiwx/arjp/

अंक - 36
https://online.fliphtml5.com/axiwx/esdu/

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 37

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 37
16 जून  2021

बुधवार
ज्येष्ठ शुक्ल 06 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 7 - 8
कुल पृष्ठ -  9

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
81.आ. स्वाति 'सरु' जैसलमेरिया जी
🏆 🌅 पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र  🌅 🏆
82. आ. रामकरण साहू " सजल " जी - "  ( हँसते हुए ख्याल ( ग़ज़ल संग्रह ) पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र - 4

82.

सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 34 से 36 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/307342511028532/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 1

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1136194590227427/

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1136228376890715/

फेसबुक - 2

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/310224987406951/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/310200350742748/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 से 40 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 37 , बुधवार
16/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 37
Sahitya Ek Nazar
16 June 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

1.

मैं फिर उपस्थित हूँ श्री रामकरन साहू "सजल" जी के ग़ज़ल संग्रह "हँसते हुए ख़्याल" के तृतीय चरण की समीक्षा लेकर इस अनमोल ग़ज़ल संग्रह को पढ़े इसका रसास्वादन करें। ये आपके रसास्वादन के लिये उपलब्ध है।

1. सरोकार प्रकाशन
30,अभिनव काकड़ा मार्केट, अयोध्या बायपास, भोपाल
मध्यप्रदेश-462041
दूरभाष- 9993974799

2. श्री रामकरण साहू "सजल"
कमासिन रोड़, नीलकंठ पेट्रोल पम्प के पास, ग्राम-पोस्ट बबेरू
जनपद बाँदा (ऊ.प्र.) 210121
दूरभाष- 8004239966

2.

#tanhawritings
#tanhagazal

तुम तो समझदार हो...

कुछ ऐसे समझदारी की
कीमत हम चुकाते रहे।
हर किसी   से अपने
दिल पे     चोट खाते रहे।।
दिल रोता रहा खून के
आँसू अंदर ही अंदर,
होंठ हँसते हँसते ज़ख्म
-ए-दिल छुपाते रहे।
जब कोई न मिला दर्द
-ए-दिल बाँटने बाला,
दर्द लफ़्ज बनकर गज़ल
के रूप में आते रहे।
एक ही नतीज़ा रहा मेरे
इंकार और इज़हार का,
तुम तो समझदार हो
,सब मुझे समझाते रहे।
जब भी जिसको भी मौक़ा
मिला कोई न चूका,
जैसे तैसे दिल में आया
इल्ज़ाम लगाते रहे।
तुम्हारी आँख से आँसू
न गिरें मेरे आँसू देखक़र,
इसलिये जब भी तुमसे
मिले फक़त मुस्कराते रहे।
जब भी जिसके भी जितना
भी काम आ सकता था,
अपना काम निकाल
कर सब जाते रहे।
ख़ुदा तेरे रहम-ओ-कर्म
से न गिरा कभी भी"तन्हा"
तूने कुछ ऐसे दोस्त भी
वख्श़े जो हौसला बढ़ाते रहे।

✍️ राजेश "तन्हा"
रतनाल, बिश्नाह, जम्मू,
जे के यू टी -181132

3.
अंक - 37 से 40
शीर्षक -

राही बच्चें

सहम जाती हूँ देख उन्हें,
जो दर दर राह भटकते है।
जिनका है कोई ठिकाना न,
बच्चे भी शूली चढ़ते है।।
जीवन का रखते लक्ष्य नही,
बस पेट पालने को जीते।
बच्चे भी जिंदा रह पाए,
ऐसे उनमें वे गुण सीते।
दिनरात कर्म भरपूर करें,
पर पेट न उनके भरते है।।
जिनका....
शैक्षिक जीवन से बच्चों का,
है दूर तलक कोई मेल नही।
न खेल खिलौने गुड्डे है,
माँगन के सिवा है खेल नही।
फटे वस्त्र चेहरे धूमिल,
बिन चप्पल आगे बढ़ते है।।
जिनका...
राहों पर चलते चलते जो,
मिल जाए वो ही भोजन।
पेट भले हो तृप्त नही,
पर चलना है उनको योजन।
न थकते उनके पैर कहीं,
जहाँ रात हुई वही बसते है।।
जिनका...
कोमल मासूम से चेहरे पर,
दिखती है बस आशाएँ।
बातें रह रह थम जाती,
उनकी चाहत को दर्शाए
उड़ान की चाहत रखते जो,
गर्म धूप में तपते है।।
जिनका...
हम विश्व सहायक कहलाते,
देश सहायता कब होगी।
नन्हें मुन्हें प्यारे बच्चे,
फिरेंगे कब तक बन योगी।
रखदो हाथ सिर पर उनके,
उम्मीद वे तुमसे रखते है।।
जिनका...
हम कहते विश्व कुटुंब मेरा,
पर सबको न अपनाते है।
देख गरीबी लाचारी,
हम दूर से ही मुड़ जाते है।
साथ निभादो बस उनके,
इतिहास स्वयं वे रचते है।।
जिनका.......
सहम जाती हूँ देख उन्हें,
जो दर दर राह भटकते है।।

✍️ सरिता त्रिपाठी 'मानसी'
सांगीपुर, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

4.

" मेरे विचार "

अपना पतन खुद चुनता है
राह फ़ना की खुद बुनता है।
पेड़ न होते,
कुल्हाड़ी में बेंट न होता।
न किसी के हाँथों,
पेड़ों का पतन होता।
अपनी राह-ए फ़ना,
खुद बनता हैं।
अपना पतन खुद चुनता है।

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश

5.

अंक 37 से 39 हेतू सादर प्रेषित

गजल
्््््््््््््््््््््््््

ग़ज़ल

सारी दुनिया को मुझी से
कुछ अदावत..है तो है
माना सच कहना बुरा है
पर ये अादत ...है तो है! 1
मैने तो दुश्मन को भी
दुश्मन कभी समझा नहीं
फिर भी लोगों को अगर
मुझसे शिकायत.. है तो है! 2
शुक्र है सच कह के भी यारों
अभी महफूज़ हूँ
मेरे मालिक की है मुझपे
ये इनायत....है तो है! 3
वक़्त के हाथों छला है
रात दिन इसने मुझे
मेरी किस्मत की मुझी से
गर बगावत.. है तो है! 4
कल तलक नफरत थी
लेकिन अपने दिल का क्या करूँ
मुझको दुश्मन से भी अपने
अब मुहब्बत..है तो है! 5
मेरी माँ .. मेरा ख़ुदा है उससे
क्या शिकवा भला
* प्रेम..अब दिल पर मेरी
माँ की हुकूमत..है तो है! 6

✍️ डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर

6.
      
शीर्षक -

प्रेम

सृष्टि  आरंभ  हो  चुकी  है ।
यह  कैसे  आरंभ  हुई ?
इसके  लिए  ही ' कामायनी '
महाकाव्य  लिखी  गई  है ,
जिसकी  रचना
जयशंकर  प्रसाद ने  की ।
मनु  और  श्रद्धा  ने 
जो अभिनय किये ,
हम - दोनों  भी
साथ  मिलकर करेंगे ।
प्रेम  का  पाठ  पढ़ायेंगे ,
लोगों  के  बीच 
अपनापन  की
भावना  जगायेंगे ।
रावण  की  तरह 
अहंकारी  हो गये
  हैं  लोग ,
एक  दिन  पुनः
रामराज्य  बनाएंगे ।

✍️  प्रकाश  राय
समस्तीपुर , बिहार
मोबाइल नंबर - 9709388629

7.
अंक -37-40

शीर्षक :-

सूरज की तरह उँगना सीखो।

सूरज की तरह उँगना सीखो !
फूलों कि तरह हँसना सीखो !!
ऐ यार जरा गम से निकलो !
दीपक की तरह जलना सीखो !!
माना कि ह्रदय में अँधेरा है !
पर बाहर बहुत उजाला हैं !!
इस ख्वाब की नगरी से जागो !
धरती का रंग बहुत सुनहरा है !!
जब काली घटा यूँ सफा हुई !
चिड़ियों का चहकना सुबह हुई !!
रश्मियाँ क्षितिज पर जैसे पड़ी !
बागों में कोई कली जवान हुई !!
भँवरों का प्रेम देख के मन !
किसकी चिन्ता में खोया मन !!
चहुँ ओर दिशा कौतूहल मँचा !
वह मिला मुझे अपने ही मन !!

✍️ प्रभात गौर
पता:- नेवादा जंघई
प्रयागराज ( उत्तर प्रदेश )

8.

पिता

पिता के जीवन की सब सांसें,
होती हैं, बच्चों के हित।
पिता उन्हें देता आजीवन,
संरक्षण,निज प्रेम सहित।।
करता है बच्चों के मन की,
अपने मन को लेता मार।
जतलाता है क्रोध अधिकतर,
दिखलाता न अपना प्यार।।
सभी जरुरत पूरी करता,
लेना पड़ता भले उधार।
अपनी आवश्यकताएं अधूरी,
झेले हर मौसम की मार।।
मुझसे आगे हों संतानें,
एक पिता की ये ही चाह।
करता है जीवन भर कोशिश,
बने सुगम जीवन की राह।।
पिता देन ईश्वर की अनुपम,
धरती पर अपना भगवान।
इनकी नेह छत्रछाया से
वंचित हो न कोई इंसान।।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा अनिल
धामपुर, उत्तर प्रदेश

9.
****मैं माली हूं***

मैं माली हूँ

मैं  माली हूं।
सींचना  धर्म है मेरा//
नहीं जानता
कौन फल खाएगा....
किसको मिलेगी  छाया//
बस अपने कर्म में रत
निरन्तर सेवता तरू को....
जिसको कभी लगाया है//
चुभ जाते अक्सर कांटे
हथेलियां भी फट जाती हैं....
नहीं देखता गौर से उनको
कि ध्यान अब फूलते
तरूओं पर है//
श्रम कितना किया
स्मरण नहीं‌...
मिलेगी छाया किसको?
कौन फल  खाएगा?
किस थकित
पथिक को यह
खगों का गान सुनाएगा?
भान  नहीं अब तो
कि शाम ढल आया है//
पर संतोष बहुत
मैंने अपना
धर्म निभाया है।
माली हूं
कई फूलों को लगाया है।
सभी बढें
फलें ‌...फूलें
अपने रंगों का मान रखें।
कि मैंने तो बस
अपना धर्म निभाया है//
नहीं जानता
तरू कौन इनमें से
अपना या पराया है।
माली हूँ .....
बस कर्तव्य पथ
पर मौन खङा
सेवा धर्म अपनाया है।
मौन साध करता
रहा वह सब
जिसके लिए ईश
ने बनाया है।
हर पिता अपने
बगीचे का माली है।
  
✍ डाॅ पल्लवी कुमारी " पाम "

                   25/4/21

10.

अंक-37-40
समाचार
झारखंड की बेटी को मिला'साहित्य  एक नजर सम्मान'

झारखंड राज्य के धनबाद शहर में रहने वाली नवीन युवा कवयित्री श्वेता कुमारी को लेखिनी के क्षेत्र में 'साहित्य एक नजर सम्मान' से अलंकृत किया गया।वे स्वयं कहती हैं-"मुझे मालूम नहीं था कि साहित्य की नजर में मैं सम्मान के काबिल कब बन गई।'साहित्य एक नजर'पत्रिका का मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ।हाल ही में उन्हें पोइट्री क्लब द्वारा ' साहित्यिक गौरव सम्मान' भी प्रदान किया गया है।

✍️ श्वेता कुमारी
धनबाद झारखंड।

11.
कल दिनांक १४/०३/२१ विश्व रक्त दान दिवस के उपलक्ष्य में " लफ्ज़ों का कमाल काव्य मंच" (मुजफ्फरपुर, बिहार)* पटल पर " रक्तदान महादान " के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
हमारे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आ सपना नेगी, विशिष्ट अतिथि आ हरि ओम शर्मा जी, मंच संचालिका आ कल्पना भदौरिया जी, एवं अध्यक्ष आ दीन दयाल दीक्षित दीन जी* रहे। इन सभी के देख रेख कार्यक्रम आयोजित किया गया और ठीक तरह से संपन्न हुआ।
कल के हमारे जो कलमकार प्रतिभागी साथी थे जिन लोगों ने कार्यक्रम में अपने रचना से पटल पर चार चांद लगाए! संजय सिंह जी, सुखमिला अग्रवाल जी, डा.अम्बे कुमारी जी, प्रियंका मित्तल जी, प्रो कुलविंदर सिंह जी ( जिन्होंने इस कोरोना काल में भी अपने जान का परवाह नहीं करते 76 बार रक्त दान,6 बार प्लाज्मा दान किया है।) असल मानवता का पाठ हमें ये सिखला दिए। रामबाबू शर्मा जी, अनुराधा'अनु' जी, सीता देवी राठी जी, अभिलाज जी, रानू मिश्रा जी आदि रहे।

12.

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र
विषय :- रचना है कहानी
विधा :-  कविता

माता- पिता , चाचा- चाची
भाई - बहन , मामा-मामी, नाना- नानी ,
सीख लाएं दादा-दादी , गुरुजनों
बोलना मीठा वाणी ।
हर जगह से कुछ न कुछ सीखता हूँ
सीखकर ही तो बनना है ज्ञानी ,
तब न रचेंगे नई कहानी ।।

जिसमें उम्मीद की रंग होगा ,
सुख-दुख संग होगा ।
हर अवस्था में जीना का ढंग होगा ,
मैं हार मानने वाला हूँ न
मेरी सफलता से
मेरे दुश्मनों तंग होगा ।।

शहर मधुबनी , मुंबई , कोलकाता ,
वहाँ लोग पाँच सौ से दस हज़ार न
जाने एक दिन में लोग कितना कमाता ।।
कोई पूजा पाठ करने मंदिर जाता ,
यही तो है जीवन न जाने एक दिन में
कितने जन्म लेता तो शरीर मर जाता ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
बुधवार , 16/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(29)
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 37
Sahitya Ek Nazar
16 June 2021 ,   Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর


अंक - 37 - 40

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -

अंक - 37 से 40 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 16/06/2021 से 19/06/2021 के लिए
दिवस :- बुधवार से शनिवार
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यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 36 तो कुछ रचनाएं को अंक 37 , कुछ रचनाएं को अंक - 38 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 39 में प्रकाशित किया जाएगा ।

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# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

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RAM KRISHNA , COLLEGE

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रोशन कुमार झा


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