कविता :- 20(30) , हिन्दी , गुरुवार, 17/06/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 38

रोशन कुमार झा


कविता :- 20(30)


नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

विषय :- ये पेड़ बहुत कुछ सीखा दिया
विधा :-  कविता

देखो-देखो इस आम के पेड़ को ,
और कुदरत की खेल को ।।

जितनी पेड़ की वज़न नहीं ,
हार मान लेने की इसे मन नहीं ।।
इस पेड़ सीख लिए
अब हार मानने वाला मैं रोशन नहीं ,
कौन कहा - मैं प्रसन्न नहीं ,

भले इस पेड़ को
अपने हाथों से लगाये थे ,
हम न इन्हें बकरी , जानवरों व
हालातों से बचाएं थे ।।
एक सौ में पिता
और दुर्गेश चाचा संग
मिथिला नर्सरी से लाएं थे ,
एक न तीन पेड़ लगाएं थे ‌‌।।

तीन में से दो हार गया ,
वह भी क्या साल गया ।।
शरीर जाते , कब यह संसार गया ,
पेड़ में लगे हुए आमों को देखकर
मेरे अंदर से हार मानने की विचार गया ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
गुरुवार , 17/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(30)
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 38
Sahitya Ek Nazar
17 June 2021 ,   Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

फेसबुक - 1
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फेसबुक - 2
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LNMU , B.COM
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आज रात में आटा साने छोटकी नहीं सानी
कल नानी बोली ( माँ की दीदी ) नाना बाबा हरदम मोबाइल ही चलवैत रहैत छेथिन जेए काम करैत छेलैय से सिलिगुड़ी चैल गेलैय जनेऊ में । ते अखन गांव चैल गेलैय ।।

17/06/2021 , शुक्रवार

खेत तरफ जाकर Blogger पर कविता छोड़े , भविन्द्र बाबा मिली पापा पूछलकीन ईमहर कहलियन गांव पर नेट नैय चलैय छैय , कहलकीन jio के नैय चलैय छैय ।

दीदी , पीसा को फोन किए दिल्ली में है घर बना लिए पीसा बोले एक गो मुंबई जाकर कमलेक आब अहूं जेबई , हम कहलियन कि राहुल बाबू कलकत्ता में बर्बाद केलकीन और मुंबई में सोभ एके रंग नैय भोअ जाई छैय ,

काकी और तनु बहन की सपना देखलकैय माँ मुंबई में
कि दूनू खूब हंसैय छैय , तनु बहिन बड़की भोअ गेलैय केश सुखेले छैय ( पानी चढ़ते रहा जिसके कारण तेल नहीं दिया गया )
[17/06, 15:12] 95: नमस्कार आदरणीय
[17/06, 15:14] 95: मैं डॉ.रश्मि चौधरी सर मेरा सर्टिफिकेट नही मिल रहा है कृपया भेजिए
[17/06, 15:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज सम्मानित कर देंगे पत्रिका के साथ
[17/06, 15:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: फोटो भेजिए

[17/06, 14:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है भईया याद करके ही करेंगे
[17/06, 14:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसमें परेशानी क्या अपना काम में
[17/06, 14:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: सब भेज दिए क्या
[17/06, 14:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक समय निश्चित कर लीजिए
[17/06, 14:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम याद कर लेते है
[17/06, 14:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी भईया जी ये अपना काम है भाई जी परेशानी क्या
[17/06, 14:30] Hasan Bhiya: 🥰🙏🏻
[18/06, 10:37] Hasan Bhiya: 👌
[18/06, 16:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏
हम बिहारी मिथिला के छी

[17/06, 09:42] प्रमोद ठाकुर: सुप्रभात रोशन जी🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹💐🌷🥀
[17/06, 09:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐
[17/06, 22:19] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी आज की पत्रिका गयी क्या
[17/06, 22:20] प्रमोद ठाकुर: 18 जून 2021 की समीक्षा
[17/06, 22:22] प्रमोद ठाकुर: केवल नाम,पता मोबाइल नम्बर देना है।
[17/06, 22:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: बस हो गया है
[18/06, 01:19] प्रमोद ठाकुर: थोड़ा तबियत खराब हो गयी थी
[18/06, 01:53] प्रमोद ठाकुर: समीक्षा
आज मैं बात करने जा रहा हूँ द्धितीय चरण की समीक्षा की जी हाँ आप सही समझें श्री रामकरण साहू "सजल" जी के काव्य संग्रह "मुक्तावली" की छः खण्डों उत्साह, मुस्कान ,प्रेम, आशा,सम्बन्ध और ममता इन छः खण्डों में विभाजित किया गया है। अवस्थाओं की बात करें तो शायद ऐसी होगी एक बगीचे में जब माली एक बीज को रोपता है तो बड़े उत्साह से उस बीज से एक पौधा अंकुरित होता है और उस में लगती है एक कली जैसे कोई किशोर अवस्था मे युवती हो  जब कली किशोर अवस्था के अंतिम चरण में होती है तो उसके यौवन में और निखार आता है । एक दिन उस कली की नज़र पास के फूल पर पड़ती है। फूल को देख कर कभी कभी कली मुस्कुरा देती है। फूल भी चोर नज़रों से कली को ताकता है जैसे पूरे यौवन से भरी युवती किसी युवक को प्यार भरी नज़र से देखती है। कभी कभी जब पुरवाई चलती है तो फूल का स्पर्श काली से हो जाता है। और अंतर मन पुलकित हो जाता है जैसे ज़वानी की दहलीज़ पर खड़े जोड़ों के बीच जो भावनाएं जाग्रत होती है। जब कभी पुरवाई नहीं चलती तो दोनों के चेहरे उदास नज़र आते है । जैसे किसी प्रेमी को जब अपनी प्रयसी नज़र नहीं आती। दोनों फूल और कली आशा करते है कि जब माली हमें तोड़े तो एक ही माला में गूंथे जिससें हमारा सम्बन्ध हमेशा साथ रहे। यही दो प्यार करने बालो की तमन्ना होती है। जब वही दो प्रेमी परिणय सूत्र में बंध जाते है और अपनी संतान को जन्म देते है तो वही चक्र फिर शुरू हो जाता है । श्री साहू जी ने इस काव्य संग्रह में  यही वर्णित करने का प्रयास किया है जिसका नाम है  "मुक्तावली" ।
  अच्छा तृतीय चरण की समीक्षा में फिर मिलूँगा। तब तक के लिए

राम-राम
[18/06, 06:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[18/06, 06:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात सर जी
[18/06, 11:03] प्रमोद ठाकुर: सुप्रभात🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[18/06, 16:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐

RKC NSS UNIT - 1
[18/06, 06:47] Rahul Manhar Sir: https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfvYkO9pek79XjOmbAaMt9kzPr1ertLOr1KWgc08-8OlGDEUQ/viewform
[18/06, 08:02] +91 16: NSS से जुड़े सभी स्टूडेंट्स को सूचित किया जाता है कि दिनांक 21/06/2021 को YOGA DAY के अवसर पर , अपने - अपने घर पर रहते हुए योग करें और कम से कम एक या ज्यादा से ज्यादा दो पिक्चर/ वीडियो योग करते हुए का NSS के ग्रुप में अवश्य पोस्ट करें ।
[18/06, 08:02] +91 6: इसे आवश्यक समझा जाय ।

___'
आ. सीमा सिंह जी
[17/06, 10:42] +91 2: आदरणीय भाई
यह सम्मान पत्र किस तरह से प्रदान करते हैं
कृपया मुझे जानकारी दीजिए ।
[17/06, 10:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: पुस्तक समीक्षा वाले को दिया जाता है ।
[17/06, 10:43] +91 : क्या बुक publish होने के बाद दिया जाता है??
[17/06, 10:44] +91 : Ok
[17/06, 10:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[17/06, 10:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: रचना समीक्षा के लिए 30 रुपए लेते है आ. प्रमोद ठाकुर जी
[17/06, 10:44] +91 : धन्यवाद
[17/06, 10:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏 दीदी जी 🙏
[17/06, 10:45] +91 : Ok
[17/06, 10:45] +91 : Kya only Kavita k book bhi publish karte h aap ??
[17/06, 10:46] +91 : Waise mai Writer hun
[17/06, 10:46] +91 : Es liye puch rahi hu
[17/06, 10:48] +91 : Or ek Q kya book jab Published hota h to kya uske liye kuch Charge Lagta Hai Kyaa???
[17/06, 10:49] +91 : धन्यवाद भाई
[17/06, 10:49] +91 : Ko,good
[17/06, 10:55] +91 : Mai aap k contact me rahungi bhai
[17/06, 10:55] +91 : Amount Google par pay kar sakte h na
[17/06, 11:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: वह प्रमोद ठाकुर जी करते है।
[17/06, 11:18] +91 : Ok
[17/06, 15:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: वहीं भेजिएगा दीदी जी
[17/06, 15:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: कामेंट बाक्स में
[17/06, 15:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: इमोजी व स्पेस हटाकर भेजिएगा
[17/06, 15:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[17/06, 15:54] +91 : Ok bhai
[17/06, 16:10] +91 : Mai ye wala Kavita send ki hu
[17/06, 16:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[17/06, 16:11] +91 : Fb par
[17/06, 16:11] +91 : Thank u
[17/06, 16:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo
[17/06, 16:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप कहीं और कर दिए हैं
[17/06, 16:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां कीजिए
[17/06, 16:13] +91 : Ok
[17/06, 16:22] +91 : Done
[18/06, 06:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[18/06, 07:02] +91 : धन्यवाद 🙏 जी
[18/06, 07:02] +91 : सुप्रभात 🙏🙏🙏
[18/06, 16:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏

[18/06, 08:29] +60: विधा- कविता
शीर्षक- " कत्ल इज्ज़त का करते हो"

ज़माने के उन अदीबों से सवाल किया करते हैं,
ख़ुद के क़ल्ब से आवाक किया करते हैं,
बेशक हैं कुसूर मेरे इरादों का अब,
हम खामोशी से बस वफ़ा किया करते हैं।
बेहद मशहूर थे जब खता किया करते थे,
उन कायदों के गुरूर को तोड़ा करते थे,
समेट लिया है जिंदगी के दायरों में,
तनहा अब गमों को अपने नाम किया करते हैं।
इस पाबंदी में भी आजमाईश हमसे करते थे,
आरज़ू जिस्म की थी और इकरार- ए- मुहब्बत करते थे,
दासतां इस जालिम जहां का बखूबी पता है हमें,
इरादा इश्क का नहीं कत्ल इज्ज़त का करते थे।
कैद किया है जो इन कायदों में कुबूल करते हो,
हमें वास्ता इस  दुनियां जहां ख़ुदा की देते हो,
औरत का वजूद क्या है पता नहीं है तुम्हें,
दुवाओं की पनाह में हो, सौदा आंचल की करते हो।

नाम- कीर्ती चौधरी
पता- जमानियां, गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)
[18/06, 09:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐

मोनू को फोटो सभ भेजें रहें
[17/06, 13:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: Haaa
[17/06, 13:22] Monu: Kya hua bhaiji hmko q vej rhe hai photo lgta hai ghur ne gai hai puja ke sath😊😊😊
[17/06, 13:23] Monu: Wahhh
[17/06, 13:23] Monu: Punnu baby
[17/06, 13:23] Monu: My jaan

[17/06, 09:58] आ सपना जी: शुक्रिया आदरणीय
[17/06, 10:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐

आ. राजेश जी
05
[17/06, 08:07] +91 : शुक्रिया जी 🙏💐
[17/06, 08:14] +91 : हम आपके अति आभारी है
[17/06, 08:14] +91 : 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
[17/06, 08:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[17/06, 08:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏💐
[17/06, 08:23] +91 : माननिये क्या आज एक और भी भेज सकता हूँ!
[17/06, 08:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: चार दिन के बाद सर जी 🙏
[17/06, 08:24] +91 : और ये प्रमाण पत्र कैसे और किसको मिलते है।
[17/06, 08:24] +91 : कृपया बताये
[17/06, 08:25] +91 : जी सर
[17/06, 08:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: पांच रचनाऐं प्रकाशित होने के बाद
[17/06, 08:25] +91 : जी शुक्रिया
[17/06, 08:26] +: मतलब अब मुझे 20 को भेजनी होगी रचना

Ncc
[17/06, 23:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/lnjf/
[17/06, 23:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: Tele: 2396-6365 National Cadet Corps Directorate
West Bengal & Sikkim P-67, Block ‘D’, New Alipore
Kolkata -53

1107/WBNCC/G(Trg) 01 Jun 2021

All NCC Gp HQs

ACTION PLAN : INTERNATIONAL DAY OF YOGA (IDY) - 21 JUN 2021

1. Refer HQ DGNCC letter No. 4180/Yoga-20 /DGNCC/Trg A dated   01 Jun 2021( Copy Att).
2. International Day of Yoga is being celebrated on 21 Jun 2021. All Gp HQ are requested to ensure the action taken as enunciated in succeeding paras. IDY 2021 guidelines are being updated on NCC website by DG NCC.
Introduction

3. The International Day of Yoga 2021 presents an occasion to underline the health benefits of Yoga, and motivate the public to take up the pursuit of Yoga. Taking cognizance of the current COVID – 19 situations, it is not advisable to organize events that require congregation of people for observing IDY 2021. Therefore, use of digital, virtual and electronic platform will be made for conduct of IDY 2021. All Gp HQs will participate in IDY 2021 by doing the Common Yoga Protocol (CYP) at home with their families, on 21 June 2021.

Conduct

4. The broad contours of IDY – 2021 are as under:-

(a) Concept.  In Synergy with Min of AYUSH, the message “Be with Yoga, Be at Home!” will be sent out to families, peers and friends by NCC cadets by encouraging them to actively participate from home in IDY 2021.
 
(b) Action Plan at Cadet Level participation. 
(i) Creating Buzz.
(aa) Jingle Composition Competition. Cadets can write and compose a Jingle for the upcoming International Day of Yoga, 2021 and participate in Jingle Composition Competition through the website link https://secure.mygov.in/home/13/do/. A cash prize of INR 25,000 will be given to one winning entry. The last date of submission is 21st June 2021. Participants need to provide a script and a jingle of 25-30 seconds duration in any official Indian language as mentioned in the Eighth Schedule of the Indian constitution along with English and other UN languages- that is easily comprehensible, is peppy, and connects with the public at large. The participants should upload their entry as a high-quality audio file to any media platform such as SoundCloud, YouTube, Google Drive, Dropbox, etc, and enter the publicly accessible link in the comments section. The script also needs to be submitted in the form of a PDF document. All Gps to fwd min 5 entries and same to be fwd to us by 20 Jun21.

(ab) Pledge Taking. Cadets can take Pledge to make Yoga an integral part of their life on the website https://yoga.ayush.gov.in/. Gps to fwd photographs and some videos of the same to us by 21 Jun21.
(ac) Online IDY Quiz. Ministry of Ayush has launched a quiz competition to commemorate the occasion of the 7th IDY to test citizen’s awareness about Yoga, past IDY observances, and various initiatives being conducted this year by the Ministry. On successful completion each participant will be awarded with an e-certificate marking their participation and completion.
(ii) Pre Event Training. Cadets to use digital resources for familiarizing and training themselves with the help of CYP training videos which are available on Ministry of Ayush Yoga Portal (https://yoga.ayush.gov.in/yoga/) and on MDNIY’s website (http://www.yogamdniy.nic.in/). They are also available on social media handles and platforms of the Ministry and MDNIY as free resources. These will also be played on TV and radio channels in the coming days, in the run up to IDY 2021. Cadets can also refer to YouTube videos on Common Yoga protocol available in various languages (https://yoga.ayush.gov.in/common-yoga-protocol).

(iii) Event Participation. Max Cadets to participate in IDY 2021 Common Yoga Protocol (CYP) activity on 21st June 2021 at 07:00 am. Cadets to join the activity from the safety of their home, considering the risks of the pandemic. Cadets have the option of using the national television (which will be telecasting CYP at 07:00 am) or any other appropriate CYP video for guidance.
5. The cadets can participate in IDY 2021 with their families from their homes by following the COVID-19 related Government guidelines on the management of the pandemic – especially physical distancing norms and the use of basic protective measures such as masks and sanitizers etc.

Media Coverage
6. All Gp HQs are requested to give wide media publicity to the event in print, electronic and social media like WhatsApp, Instagram, YouTube etc. 
7. The hashtag #NCCforYoga will be promoted of State Twitter Handles and DGNCC Twitter handle and all tweets will also be tagged to Ministry of Ayush Twitter Handle. 
Feedback
8. A feedback on the conduct of IDY – 2021 will be forwarded to this Dte by 25 Jun 2021 positively, via e-mail to incl selected photos and media clippings. 

9. Any further update on online registration for live feedback will be shared on receipt. Gp HQs are requested to pass on this instruction to all the cadets.

10. For info and necessary action pl.

---Sd/xxx---
   (PK Takshak)
Lt Col
Addl Dir (Trg ‘A’)
for ADG NCC WB & S
[17/06, 23:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: Tele: 033- 2414 6166 No. 2 (WB) Air Sqn NCC
Jadavpur University Campus
Kolkata - 700 032

                             15 Jun 2021
2Air NCC/150/3/Misc

All Units

CELEBRATION OF INTERNATIONAL DAY AGAINST DRUG
ABUSE AND ILLICIT TRAFFICKING ON 26 JUN 2021

1. Reference is made to NCC Gp Hq Kol-‘B’ letter no. 0155/74/G dated 10 May 2021.

2. A webinar on the sub will be organized on 26 Jun 2021 from 1000 hrs to 1200 hrs, in which SD/SW cadets of all units of Kol-‘B’ will be attending.

3. Participation.  The unit wise str is given below:-

All Units – 5X SD/SW Cadets.

4. Media Platform. This unit intend using Google Meet platform for the said conduct. Hence, it is mandatory for the cadets to have Gmail account.

5. Requirements. Participants to have Laptop/ Desktop/ Smart phone to be able to work on Google platform. Good data coverage must be for seamless connectivity, Hence preference to be given to the cadets residing in areas having better data coverage.

6. Schedule of Activities. The following activities will be conducted during this event:-

(a) Poster/ e Poster Making Competition - 2XJD/JW Two entries per Unit to be sent on given whatsapp no. by 25 Jun 2021(1200hrs).
(b) 2 Min Extempo - 2XSD/SW (02 entry per Unit).
(c) Drama/ Skeet/ Nukad Natak – 02 min video to be sent on given whatsapp no. by 24 Jun 2021(1200hrs).
(d) Slogan Writing – 02XSD/SW Two entries per Unit on A4 size paper to be sent on given whatsapp no. by 25 Jun 2021(1200hrs).
(Theme For all the events will be International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking)

7. Dress. The dress for the event for all will be Uniform.

8. Nominal Roll. All units are requested to forward the Nominal Roll of cadets as per attached format to this Unit Hq by 22 June 2021.

9. Contact No/ Whatsapp No. 9430663346 (Sgt Mirtunjay Kumar)

10. This is for your information and necessary action please.


     -s/d-
(Nitish Kumar)
Gp Capt
Commanding Officer
COPY TO:- NCC Gp Hq Kol-‘B’

[18/06, 14:06] उदय जी: आदरणिये
नमन
मैं उदय किशोर साह
पत्रकार = दैनिक भास्कर जयपुर जिला बाँका बिहार I
मैं श्रीमान के र्पात्रका में अपनी रचना ( कविता ) भेजना चाहता हूँ ॥ कृपया मेल मे या इसी व्हाट्सएप पर भेजे I कृपया मार्ग दर्शन करे
[18/06, 15:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर कामेंट बाक्स में भेजिएगा



रोशन कुमार झा

अंक - 38
https://online.fliphtml5.com/axiwx/lnjf/
अंक - 37
https://online.fliphtml5.com/axiwx/arjp/

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 38

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 38
17 जून  2021

गुरुवार
ज्येष्ठ कृष्ण 7 संवत 2078
पृष्ठ -  10
प्रमाण पत्र - 9
कुल पृष्ठ -  10

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
83. आ.  सीमा सिंह जी ,  मुंबई

सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 34 से 36 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/307342511028532/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 1
https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1136837326829820/

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1136672476846305/

फेसबुक - 2

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/310819734014143/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/310660890696694/?sfnsn=wiwspmo

आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 38 , गुरुवार
17/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 38
Sahitya Ek Nazar
17 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

1.

समीक्षा स्तम्भ - काव्य संग्रह - "मुक्तावली"

आज मैं उपस्थित हूँ समीक्षा के प्रथम चरण में श्री रामकरण साहू "सजल" जी का काव्य संग्रह "मुक्तावली" लेकर जो लोकोदय प्रकाशन प्रा. लि. 65/44 शंकरपुरी, छितवापुर रोड़ लखनऊ से प्रकाशित है।

प्रथम चरण की समीक्षा में हम हमेशा बात करते है प्रकाशक की जैसे माँ बेटे को जन्म देती है। बैसे ही एक प्रकाशक रचनाकार की एक - एक रचना को संजोकर एक पुस्तक का रूप देता है।  श्री रामकरण साहू "सजल" जी की ऐसी ही एक - एक रचना को संजोकर  एक काव्य संग्रह का रूप दिया लोकोदय प्रकाशन ने जिसका नाम है "मुक्तावली" कल में चर्चा करूँगा इस अनमोल काव्य संग्रह की जिसकों लोग पढ़ने के लिए लालायित है ऐसा क्या है इस काव्य संग्रह में कल की समीक्षा में ज़रूर पढ़िये
तब तक के लिये।

राम-राम

समीक्षक -
आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"ग्राम-बबेरू
जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

2.

कविता -
कब तक ये आग यूँ बरसेगी

आँखे नम, लब खामोश,
और दिल रोता है।
क्यों हर बार, इन आतंकियों
की निगाह में 'देव'
मेरा ही घर होता है।।
कब तक, ये आग यूँ बरसेगी।
जन्नत सुख चैन ,को तरसेगी।।
कब तक होंगी गोदें
सूनी,सिंदूर माँग को तरसेगा,
राखी भी मांगे हक अपना
,पानी आँखों से बरसेगा,
  नन्ही सी जान यूँ बिलखे
,अब प्यार पिता का तरसेगी।
  कब तक ये,
आग यूँ  बरसेगी।।
लहु बहाया है तूने
,देदी अपनी क़ुरबानी है,
बना तिरंगा शान ये तेरी ,
सच्ची तेरी जवानी है,
  रणचंडी बन खून माँग रही,
और ये कितना परखेगी।
  कब तक ये आग यूँ  बरसेगी।।
भारत माँ के शेर खड़े हैं
,कफन बाँध अपने सर पर,
गद्दारों की औकात कहाँ,
लहरा दें पताका भी यम पर,
   देख रूप विकराल
यहाँ,दुश्मन की छाती दरकेगी।
   कब तक ये आग यूँ  बरसेगी।।
कर देंगे कलम, सर उसका गर,
कोई बुरी नजर जो उठ जाये,
सुलग रही ज्वाला नफरत की,
काश: आज वो बुझ जाये।
हो रही लहू की प्यासी,
वो तलवार म्यान से सरकेगी।
कब तक, ये आग यूँ  बरसेगी।।
कब तक, ये आग यूँ बरसेगी।
जन्नत सुख चैन ,को तरसेगी

✍शायर देव मेहरानियाँ
      अलवर,राजस्थान
_ 7891640945
slmehraniya@gmail.com

3.
शीर्षक-

नमन माता-पिता

नमन माता पिता तुमकों
,मुझे दुनिया में लाये हो
मैं हूँ अनभिज्ञ अज्ञानी,
मुझे क़ाबिल बनाये हो
मेरी पहली गुरु माता
,मुझे नज़रों से समझाया
सिखाया ख़ुद मुझे चलना
,जहां सारा ये दिखलाया
भरे हैं कूटकर माँ ने,
सभी संस्कार मुझमें जी
खिलाया पेट भर खाना,
करी आँचल की फ़िर छाया
चरण रज माँ की मिल जाये,
ज्यूँ गंगा में नहाये हो
नमन माता पिता तुमकों,,
पिता बनकर मेरी बाहें,
मुझे देते सहारा हैं
मेरी ग़लती को भी झट
से पिताजी ने निखारा है
कभी जो डगमगाया मैं,
सम्भल ख़ुद से न पाया मैं
बने पतवार वो मेरी,
भंवर से फ़िर उबारा है
नमन करता सचिन इनको,
के बन भगवान आये हो
नमन माता पिता तुमकों,,
नमन माता पिता तुमकों
,मुझे दुनिया में लाये हो
मैं हूँ अनभिज्ञ अज्ञानी,
मुझे क़ाबिल बनाये हो

✍️ सचिन गोयल
गन्नौर सोनीपत,हरियाणा
Insta@,, Burning_tears_797

4.
#साहित्य एक नजर.
अंक:: 37 - 40.
दिनांक - 16/6/2021.

माँ मेरी माँ.

व्यथा अभिरंजित कथ्य
व्योम विस्तारित प्रतीक
डिम्ब अनुधारित बिम्ब
जननी पालक शैली में
पुंसवादी शाश्वत सत्य में
एक अदद औरत मेरी माँ.
लोरी में जीवन गीत पिरोती
अन्न प्रासन करती मुंह पोछती
आंसू पोछती व्यथा हरती
उंगली पकड़ चलना सिखाती
करुण रस धारिता
खुद आंसू पीती
छंदों में क्षण क्षण जीती
मातृ दिवस पर तुम
एक यक्ष प्रश्न बन जाती
औरत बनकर याद आती
मेरी प्यारी भोली भाली माँ.

✍️ अजय कुमार झा.
   9/5/2021.

5.
आज कल की नारी

सभी वर्ग में, सर्वश्रेष्ठ
कला की, नखड़ा कारी
उपवान के, बागों में रह के
,फेके शब्दों की चिंगारी
इनके चरित्र कला को,
परख न पाए, देव मुरारी
आज कल की नारी,
देती है पति को गाली ।
बरतन को भी, धुलवाती
है, प्रेस कराती है साड़ी
घर में झगड़ा करके, पकड़ती
है, मायके की गाड़ी
मन्द मन्द मुस्कानों से,
आकर्षित करती है नारी
बिन गलती के, बातों पे
भी, बुलवाती है सॉरी
सावित्री, सती अनुसुईया
का, मान घटाती है
अपने को अबला, कह कर,
चंडी कथा सुनाती है
माँ के ममता के, आँचल
की, नमी भूलाती है
झूठे शब्दों के बातों के,
चार पकौड़े तलती है
सखी सहेली के कर्मो से,
ईर्ष्या करके जलती है
मन के घृणा के भावों
से, देखे पूरी दुनिया सारी
मुक़दमा कर जेल खटाती,
कहती है तू अत्याचारी
बिन गलती के, बातों पे
भी, बुलवाती है सॉरी
प्यार से इनको मिर्ची कह दो,
बन जाती है दुर्गा काली
बात मनवाने के खातिर,
चाहिए, सोने की ही बाली

गंगा के निर्मल धारा सी,
बनती ज्वार भाटा
की लहर तूफ़ानी
ऑडर पे ऑडर देती है,
जैसे नाना की है नानी
प्रकृति के प्रतिपादन की,
यह सब कथा है, बड़ी पुरानी
सौंदर्य प्रसाधन के, मंडी में,
सब्जी की बिकती तरकारी
माथे पर तांडव करती है, हम
कहते है गुस्सा धारी
बिन गलती के, बातों पे भी,
बुलवाती है सॉरी
खुद को प्रकृत कहती है, सींचे नहीं
उपवन की क्यारी
तिष्कार करती रहती है,
फिर भी दुनिया में ये सबसे प्यारी
स्वाभिमान के कर्तव्यों में, सो कर,
बेड पर मांगे चाय की प्याली
कभी न छूटे, चमक दमक में,
ओंठो की ये प्यारी लाली
प्रेम योग को दूषित कर दे,
निष्ठुर हृदय विसारग गामी
कई युगों से, चर्चा में,
सर्वप्रथम है,स्त्री नामी
स्वरचित यह कथा लिखी है,
कलम नहीं मेरी सरकारी
बिन गलती के, बातों पे भी,
बुलवाती है सॉरी ।

✍️ इंजी० नवनीत पाण्डेय
सेवटा (चंकी)

6.
🙏नमन  समस्त आदरणीय

३४-३६ अंक के लिए

विषय - धरती
विधा - कविता
दिनांक - १५.०६.२०२१
नाम - अनिता तिवारी
द्वारका,दिल्ली

धरती

सुनहरी किरणों की चादर
ओढ़े, धरा मुस्कुराई
सज संवर कर आसमान
संग वो मिलने आई
यौवन  उसका निखर
रहा था नव ब्याहता जैसे 
कंगना उसकी खनक
रही थी, शिशु के पुकार जैसे ।
सब कुछ ठीक चल रहा था
,पुलकित मन जैसे
प्यार मुहब्बत बरस रहा
था, माता के स्नेह जैसे
तभी एक मानव अवतीर्ण
हुआ, एक जीव जैसा
धरा ने अपनाया
उसे, एक माँ जैसा ।
मानव  ने धरा 
का दोहन शुरु किया
सब कुछ उसका ले लिया
धरा हार गई उससे
जिसको सबसे
ज़्यादा सम्मान दिया ।
वृक्षों के दोहन
से वसुधा घबराई
उसने अनेकों दिए संकेत
पर मानव पर तो जैसे
धुन सा था सवार ।
वसुंधरा के
चादर में  लगा दाग
जब से ओजोन
में हुआ छेद
बार- बार धरा वृक्ष के
गुण का करती बखान
पर मानव जानकर
भी बना रहा अनजान।
धरा ने फिर समझाया
जीवन का सहारा
वृक्ष हमारा
ऑक्सीजन के बिना
जीना होगा मुश्किल

इन हालातों में
तो समझ लो ।
पक्षियों का बसेरा है
तुझे भी तो देती छाया है
हरियाली का सूचक है
करता तेरा काम है ।
सूख जाने पर भी
आता तेरा काम
तेरे अंत समय में
बनता तेरा सहारा
मृत्यु सी विपदा में
भी अपना फर्ज़ निभाता
तेरे अनगिनत सपनों को 
है पूरा करता।
मेरे श्रृंगार का सामान है वृक्ष
मेरी पहचान है वृक्ष
बिन श्रृंगार लगूंगी मैं विधवा
तू मुझे तो रहने दे
जैसे रहे सुहागन ।
समझाते समझाते धरा
की उम्र ढ़ल गई
वो जवान से बूढ़ी हो गई
अनगिनत बच्चे बिना
ऑक्सिजन
काल के गाल में समाए ।
आज भी धरा को है इंतजार
कोई तो हो जो लाए बहार
फिर से उसे हरे चादर में डाल
कर दे उसका श्रृंगार ।

✍️ अनिता तिवारी
द्वारका ,दिल्ली

स्वरचित

7.
# नमन मंच
37-40
विषय

बुजूर्ग की व्यथा ( लघुकथा ) , ✍️ भूपेन्द्र कुमार भूपी

द्वारका के सबसे अमीर श्याम बहादुर सिंह जी के आज खुशियों का ठिकाना नहीं था l हो भी क्यों नहीं आज उनके दोनों बेटे पढ़ लिख कर भाभा नाभकीय संस्थान में सहायक विज्ञानिक बन गये हैं  l एक माता पिता के लिए इससे ज्यादा ख़ुशी और क्या हो सकती है। आज से तीस साल पहले ऐसी बात नहीं थी,जब वे गाँव से शहर आये थे तब उनके पास सर छूपाने को एक झोपडी भी नहीं थी l दो बच्चे और पत्नी के साथ सड़क के किनारे झोपडी  ड़ाल कर रहने लगे थे l काम कोई नहीं मिला तो कबाड़ खरीदने का काम करने लगे,कभी रोटी मिलती कभी भुखे पेट ही सोना पड़ता था l भाग्य सदा ही नहीं सोता रहता ,मेहनत रूपी पसीने की बूंद पाकर वह हीरा बन जाता है। पाई पाई ज़ोड़ ,खुद को भुखा रख अपने लाल को पढ़ाया लिखाया और इस मुकाम को हासिल किया कि आज उनकी गीनती यहाँ के धनाढ़यों में होने लगी l
आज जब दोनों ही बेटे सफलता का परचम लहराने लगे है तो वे अपना सब गम भूल गए l आज दो साल बाद  उनके बेटे उनके पास आए हैं ,ख़ुशी का ठिकाना नहीं है l खाना खाने के बाद बेटों ने कहा "पिताजी अब हमलोगों को रहना तो बाहर ही है ,आपकी उम्र भी हो गयी है क्यों नहीं सब कुछ बेच कर वहीं रहा जाय" l
अनमने मन से उन्होने हामी भर दी l आज वो बड़े बेटे के साथ उसके शहर में रहने को चले गए l
कुछ दिन तो समय सही से गुजरा पर उसके बाद रोज ही खटपट होने लगी l एक दिन बेटे ने कहा मेरा तबादला हो गया है ,जब तक नये शहर में सही का ठौड थिकाना नहीं मिल जाये आप और माँ यहाँ एक वृधाश्रम में रह लें ,कुछ ही दिनों की बात है फिर मै आप सभी को ले जाऊँगा l उन्होंने हामी भर दी l
आज दो साल हो गया पर वो लौट कर नहीं आये l
श्याम जी स्वाभिमानी थे उन्हें इस तरह यहाँ रहना अच्छा नहीं लग रहा था l उन्होने अपनी पत्नी से कहा "आज से पैंतीस साल पहले जहाँ से सफर की शुरुआत की थी ,चलो प्रिये फिर से वहीं से शुरुआत करें " l रूँधे गले से एक दुसरे का हाथ पकड़ कर वो वृद्धाश्रम से रातों रात निकल पड़े l

✍️ भूपेन्द्र कुमार भूपी
     नई दिल्ली

8.
#नमन मंच
#साहित्य एक नजर
#दिनांक-16/6/21से19/6/21
#अंक   -37,38,39,40
#विषय -देशभक्ति
#विधा  -कविता

                     #दिनेश कौशल

देशभक्ति

मेरी  पूजा ,मेरी देशभक्ति,
नहीं मुझमे  इतनी शक्ति,
ना ही मुझमे इतना  बल ,
कर सकूं  राष्ट्र से मैं छल,
जीता-मरता पल-प्रतिपल,
सदैव ऊंचा रहता मनोबल।
देशप्रेम की भावना सर्वोत्तम,
त्याग, बलिदान ,सेवा,उत्तम,
इस चाहत  में नहीं  चाहता,
कभी भी मिले उनका साथ,
काले करतूतों ,काले धब्बों से,
रंगे -सने हो  जिनके हाथ।
आतंकियों , देशद्रोहियों के
छक्के छुड़ाने का प्रण मेरा,
वतन की रक्षा का सौगंध,
देशभक्ति  रग-रग  में  मेरे,
देश के माटी का तिलक करूँ,
शान से दमकते मस्तक पर मेरे।
ठहरा में तो सच्चा देशप्रेमी,
तप-साधना  देशभक्ति  मेरी,
निर्णय मेरा, मान-अभियान मेरा,
आन-बान और शान देश का,
पराक्रमी  सैन्य  मेरे देश का,
श्रद्धा, देशभक्ति  अटूट  मेरी।

✍️ दिनेश कौशल
कवि एवं शिक्षक
लक्ष्मीसागर, दरभंगा ( बिहार )

9.
क्यूँ न जीवन को जी लिया जाय,
क्यूँ न गमो को पी लिया जाय।
सुख दुःख का ही नाम तो जिंदगी है,
क्यूँ न इससे भी इतर कुछ किया जाय।।
संसार मे आना जाना तो एक बहाना है,
क्यूँ न इस बहाने को ही जी लिया जाय।
बहुत हो गया दूसरों के दोष देखना।
क्यूँ न  अपने भीतर ही देख लिया जाय।।
दुनियां को पढ़ने में लगया सारा समय,
क्यूँ न कुछ समय अपने को ही दे दिया जाय।
ये दौड़ाना ये भागना रातों को जगाना,
क्यूँ न अपने मन को ही जगा लिया जाय।।
क्या खोया क्या पाया क्या है ये काया,
क्यूँ न इसका आकलन कर लिया जाय।
ये धन ये दौलत ये अनजानी मया,
क्यूँ न इसकी हकीकत जान लिया जाय।।
दुनियाँ में खोना व्यर्थ का ही रोना,
क्यूँ न  इसको सार्थक किया जाय।
बहुत समय बिताया यहाँ घूमते फिरते,
क्यूँ न अब श्री हरि का आश्रम लिया जाय।।

✍️ डॉ0.जनार्दनप्रसादकैरवान:
     प्रभारी प्रधानाचार्य
श्री मुनीश्वर वेदाङ्ग महाविद्यालय
ऋषिकेश उत्तराखंड

10.
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र
विषय :- ये पेड़ बहुत कुछ सीखा दिया
विधा :-  कविता

देखो-देखो इस आम के पेड़ को ,
और कुदरत की खेल को ।।

जितनी पेड़ की वज़न नहीं ,
हार मान लेने की इसे मन नहीं ।।
इस पेड़ सीख लिए
अब हार मानने वाला मैं रोशन नहीं ,
कौन कहा - मैं प्रसन्न नहीं ,

भले इस पेड़ को
अपने हाथों से लगाये थे ,
हम न इन्हें बकरी , जानवरों व
हालातों से बचाएं थे ।।
एक सौ में पिता
और दुर्गेश चाचा संग
मिथिला नर्सरी से लाएं थे ,
एक न तीन पेड़ लगाएं थे ‌‌।।

तीन में से दो हार गया ,
वह भी क्या साल गया ।।
शरीर जाते , कब यह संसार गया ,
पेड़ में लगे हुए आमों को देखकर
मेरे अंदर से हार मानने की विचार गया ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
गुरुवार , 17/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(30)
✍️ रोशन कुमार झा ,
Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 38
Sahitya Ek Nazar
17 June 2021 ,   Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

11.
नई जिंदगी

क्यों लोग दिख रहेहैं ....
हताश ! निराश ! उदास !
मातम है छाई आस ~ पास ।।
कहां मर गया ...
खुशी ! उमंग ! उत्साह !
व्यर्थ हो गया सारा उल्लास ।।
क्यों बढ़ गया इर्ष्या...
घमंड ! गुमान ! अभिमान !
सब हो गया तेरा सर्वनाश ।।
हो रहा किसकी तलाश ...
उन्नति ! प्रगति ! विकाश !
धरा ही रह गया सब तेरे पास ।।
अब देर किस बात की ..
सोचो ! समझो ! चिंतन करो !
चूक कहां से हुई अब
सुधार का करो प्रयास।
भीम , नई जिंदगी की
करो शुरुआत,
रचो फिर से नया इतिहास।

✍️   भीम कुमार
  गांवा, गिरिडीह, झारखंड

12.
विषय-- "

अलमारी में रखे पुराने ख़त -

आज जब "अलमारी में
रखे पुराने खत" देखती हूं,
अपने पुराने जमाने को
याद कर, मुस्कुराती हूं।
वो भी क्या जमाना था ,
बेसब्री से खतों का
इंतजार रहता था,
पोस्टमैन की साइकिल की
ट्रिन -ट्रिन सुन ,बाहर दौड़ पड़ते थे।
खतों के पुलिंदे में,अपने
नाम को खोजा करते थे,
एक-दूसरे के खतों को छुपा
,कितना चिढ़ाया करते थे।
आज समय बहुत बदल गया है
,ये सब एक सपना सा हो गया है,
लैटरपैड व पेन की जगह,
मोबाइल ने ले लिया है।
ये सब बातें "अलमारी में रखे
पुराने खत", याद दिलाते हैं,
बदलती टेक्नोलॉजी के
महत्व को, समझाते हैं।
खतों का इंतजार,
कितना लंबा होता था,
आज मिनटों में ,समाचारों
का आदान-प्रदान होता है।
समय के साथ आज,
हम भी चल रहे हैं,
"अलमारी मे रखे पुराने खतों में
"अपने कल में, हम
आज भी जी रहे हैं।

✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम

13.

नमंन मंच
विधा-
कविता -
पिता

मेरी दृष्टि में दायित्व
निर्वहन के सारथी हैं पिता
मौन होकर जो कर्तव्य
निभाये वो महारथी हैं पिता
बरगद की छाँव,नीम सा
सुखद अनुभूति है पिता
शिशुओं की पालक अगर है
माँ तो इनके पालनहार पिता
बच्चे सपने बुनते हैं
साकार करते हैं पिता
जगतविदित है कृष्ण की
जन्मदात्री थी माँ देवकी
किंतु सिरपर टोकरी रखकर
भादव की भयावह रात्रि में
प्राणरक्षा हेतु यमुना
पार करानेवाले थे पिता
श्रीराम भले ही कौशल्या
के पुत्र थे लेकिन
राम, राम की रट लगाकर
प्राण तजने वाले थे पिता
कठोरता और मृदुता के
सम्मिश्रण है पिता
इसलिये  पितृदेवो कहलाते है पिता
पिता धर्मः पिता स्वर्गः
पिता ही परमं तपः।।

✍️ सुप्रसन्ना झा


14.
Rani Sah
#नमन मंच
#विषय - बनावटी रिश्ते
#विधा -

कविता - बनावटी रिश्ते

उल्फ़त का अजीब तराना हैं,
संगदील सनम की चाहत में,
हर अरमान हमने गवाया हैं,
किसी महफ़िल में
सुर्ख बिटोरते हैं,
दर्द से खुद ही
टूटते बिखरते हैं,
महज चंद लम्हों
की आरजू ने,
तबाह हमे सरेआम किया,
जिसे चाहा
जमाने से बढ़कर,
उसी ने थोड़ी खुशी के लिए,
क्या खूब बर्बाद किया,
अपने हर मौसम हर
मिजाज बदल कर,
खोया रहता हूँ उसके
ख्यालो में खो कर,
मैं  मैं ना रहा
उसका हो कर,
किसी बेचैन रूह
का किनारा हूं,
दर बदर भटके वो
फिज़ा आवारा हूं,
क्या खूब लिखा है किसी ने,
नगमे मोहब्बत के इस कदर,
इश्क़ में सब अच्छा पर,
अच्छा नहीं सराफत हैं,
रिश्ते तो दिल से
निभाए जाते हैं,
फरमाये जाने वाले रिश्ते,
रिश्ते नहीं फकत
एक बनावट हैं ।

✍️ रानी साह
कोलकाता - पश्चिम बंगाल

15.
#नमन मंच
#विषय

महिला उत्थान के लिए
बाबा साहिब का योगदान

आज हम बाबा साहिब के
योगदान का उल्लेख करे
महिलाओं के उत्थान के
लिए बड़ा भारी काम किया।।
नारी सशक्तिकरण पर
उन्होंने संयम का जाप किया
नारी सशक्तिकरण
पर उम्मीद जगाकर
जीवन बलिदान किया।।
आज  सभी सपना  अपना राग 
अलाप रहे अपनी मान बढ़ा रहे
बाबा साहिब ही थे जिन्होंने हिदू
महिलाओं का दबदबा चढ़ा रहे।।
बाबा साहिब  ने महिलाओं 
को  उनका  हक
दिलाकर  नाम रोशन किया
5 फ़रवरी 1951 को बाबा
साहिब ने संसद में हिन्दू
कोड बिल पास किया।।
बाबा साहिब ने नर नारी में
भेद भाव को कम किया ये
मौलिक अधिकार दिया
हिन्दू   महिलाओं  को शोषण 
मुक्त्त  कर  पुरुष समान
  अधिकार  दिया।।

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान

अंक - 37 - 40

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -

अंक - 37 से 40 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 16/06/2021 से 19/06/2021 के लिए
दिवस :- बुधवार से शनिवार
इसी पोस्ट में कॉमेंट्स बॉक्स में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें । एक से अधिक रचना भेजने वाले रचनाकार की एक भी रचना प्रकाशित नहीं की जायेगी ।।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 36 तो कुछ रचनाएं को अंक 37 , कुछ रचनाएं को अंक - 38 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 39 में प्रकाशित किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

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# साहित्य एक नज़र में प्रकाशित हुई रचना फिर से प्रकाशित के लिए न भेजें , बिना नाम , फोटो के रचना न भेजें , जब तक एक रचना प्रकाशित नहीं होती है तब तक दूसरी रचना न भेजें , यदि इन नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो उनकी एक भी रचना को प्रकाशित नहीं किया जायेगा ।

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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

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_____________________
RAM KRISHNA , COLLEGE

अंक - 37
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/37-16062021.html

कविता :- 20(29)
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अंक - 38
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कविता :- 20(32)
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अंक - 34
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अंक - 36

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