कविता :- 20(23) , अंक - 31, गुरुवार 10/06/2021, अध्यक्ष पद स्वीकार नहीं किए , , हरित रक्षक सम्मान , बचपना वाला फोटो सब , लिलुआ रेलवे स्टेशन स्काउट फोटो - 3 साल

रोशन कुमार झा

कविता :- 20(23)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

पद शब्द ही है
अंहकार से युक्त ,
इसलिए भाई हमें पद
से ही रहने दो मुक्त ।।

हमें बिना पद के ही साहित्य सेवा
के मार्ग पर चलने दो ,
क्या पता कल रहूं या न रहूँ
इसलिए आराम से नहीं
तीव्र गति से काम करने दो ।
जो हमसे पीछे और
जो हमसे आगे
उन्हें भी आगे बढ़ने दो ,
मैं रोशन , हिन्द , हिन्दी की सेवक हूँ
अब हमें रचने से ज़्यादा पढ़ने दो ।।

न अध्यक्ष , न सचिव ,
न संस्थापक , और नहीं
मैं मीडिया प्रभारी है ,
साहित्य का सेवक हूँ
सेवा कर रहा हूँ
यही साहित्य से लगाव हमारी है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
गुरुवार , 10/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(23)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 31
Sahitya Ek Nazar
10 June 2021 ,   Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

आज मोनू , धर्मेन्द्र फोन किया कि कल क्या है 11 हम बोले 11 जुलाई को नेहा का जन्मदिन है ।

व्हाट्सएप ग्रुप
साहित्य एक नज़र 🌅 - 2 , व्हाट्सएप ग्रुप खोलें

साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 10/06/2021
दिवस :- गुरुवार
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1938993956277499/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=790830828472993&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 2

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=348370236714596&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo


______
[10/06, 06:06] साहित्य राज: अनुज!🌹🙏🌹
एक बार और सही करना पड़ेगा। आ० संगीता मिश्रा जी वाले में लिखिए

*प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान*

[10/06, 06:06] साहित्य राज: अनुज!🌹🙏🌹
एक बार और सही करना पड़ेगा। आ० संगीता मिश्रा जी वाले में लिखिए

*प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान*
😀🙏😀🙏😀🙏😀🙏😀
[10/06, 06:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी गुरु जी 🙏💐
[10/06, 06:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/jmF43PF0wwU
[10/06, 06:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: कर दिए गुरु जी 🙏💐
[10/06, 07:03] साहित्य राज: 👍👍👍

[10/06, 07:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
07:09 - ऑडियो - 1:39

अनुज आपमें बड़ी ऊर्जा है । आप में बड़ी लगनशीलता है । बहुत अच्छा कार्य आप कर रहें है । मुझे लगता है आपकी इस रचनात्मकता का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है । इसलिए मैं चाहता हूँ
कि आप एक प्रदेश की इकाई का अध्यक्ष का दायित्व कार्य जो है वह संभालें , उधर के मणिपुर , मेघालय ,
उधर के लोग ही नहीं मिल रहें है । कि इकाईयां स्थापित की जाये , तो आप हिम्मत बांधिए हम सब आपके साथ है । साथ रहेंगे , जैसे सभी इकाइयों का कार्य सुचारू ढंग से चलता है , बंगाल इकाई में जो कार्य आप कर रहें हैं तब तक करना होगा जब तक कोई आपके कॉपी नहीं बनाते है तब तक
इसके साथ-साथ अध्यक्ष का दायित्व संभालना होगा  , वैसे अध्यक्ष का काम होता  नहीं है , मेन अलंकरण कर्ता और पंच परमेश्वरी का ही कार्य होता है
परन्तु हवा भरना तो एक कार्य है न , सबको लेकर चलना , संचालित करना भी तो एक कार्य है न । आप मन लगाइए हमलोग एक और इकाई उद्घाटित कर दें ।

[10/06, 07:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: गुरु जी अभी हम अध्यक्ष योग्य नहीं है । 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[10/06, 07:56] साहित्य राज: 👍जब अंदर से लगे कि अब हो गए हैं तो बचा देना 😀👍
[10/06, 07:57] साहित्य राज: 👍जब अंदर से लगे कि अब हो गए हैं तो बता देना 😀👍

अनुज राहुल मिश्रा जी से प्रेरणा ले सकते हैं।
😀🙏😀
[10/06, 08:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी गुरु जी अवश्य 🙏🙏🙏🙏💐
[10/06, 18:54] साहित्य राज: ये तीनों भी अपलोड करें अपने समयानुसार
[10/06, 18:55] साहित्य राज: सरिता सिंह जी गोरखपुर उत्तर प्रदेश
[10/06, 18:55] साहित्य राज: संगीता मिश्रा प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान
[10/06, 18:55] साहित्य राज: मेरा स्वर
[10/06, 18:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 गुरु जी 🙏💐

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😀🙏😀🙏😀🙏😀🙏😀
[10/06, 06:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी गुरु जी 🙏💐

[09/06, 22:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[09/06, 23:55] प्रमोद ठाकुर: अंतराष्ट्रीय साझा काव्य संकलन
"साहित्य सरिता"
1. साहित्य एक नज़र ई पत्रिका एवं डायरी प्रकाशन के सहयोग से प्रकाशित किया जा रहा है।

2.रचनाकार अपनी तीन रचनायें परिचय एवं एक फ़ोटो, तीनों रचनाओं में से 2 रचनायें चुनी जाएगी अगर तीनों रचनायें ठीक नहीं हुई तो निरस्त कर दी जाएगी।

3. चुने गये रचनाकारों को चयन प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

4. रचनायें त्रुटी रहित होनी चाहिये।

5. कोई विषय नहीं है किसी भी विषय पर भेज सकते हैं।

6. रचनायें अप्रकाशित एवं पूर्णता स्वरचित होनी चाहिये।

7. एक रचनाकार तीन से अधिक रचनायें नहीं भेज सकता।

8. रचनायें राजनैतिक या किसी धर्म को ठेस पहुँचाने वाली न हो।

9. रचनायें चयन एवं निरस्त करने का पूर्ण अधिकार चयन मण्डल का होगा।

10. अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन पेपर बुक एवं ई बुक दोनों में रहेगा जिसके एक पेज पर रचनाकार का परिचय एवं दो पेज पर रचनायें रहेंगी।

11. पेपर बुक और ई बुक अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट, किंडल, गूगल बुक, प्रकाशक की वेव साइट एवं बुक स्टोर पर उपलब्ध रहेगी । इसका प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया पर एवं ऑन लाइन(सम्भवता उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री द्वारा) विमोचन किया जाएगा।

12. हमारी दैनिक ई पत्रिका साहित्य एक नज़र में प्रत्येक रचनाकार की रचना की समीक्षा, परिचय , फ़ोटो प्रकाशित किया जाएगा एवं समीक्षा सम्मान पत्र दिया जाएगा।

13. सभी रचनाकारों की रचनाओं के सर्वाधिकार सम्पादक के पास सुरक्षित रहेंगे।

14. प्रत्येक रचनाकार को एक लेखक प्रति स्पीड पोस्ट द्वारा भेजी जाएगी। अगर एक से ज्यादा प्रति खरीदना चाहते हो तो पुस्तक की कीमत( जो 200/- हैं) से 20%डिस्काउंट पर मिलेगी।

15. प्रत्येक रचनाकार अपनी रचनायें, परिचय एवं फ़ोटो एक बार में वाट्सएप्प नम्बर 9753877785 पर प्रेषित करें।

16. रचना के चयन होने पर रचनाकार को 500/- की सहयोग राशि फोन पे/पेटीएम द्वारा 9753877785 पर भेजना होगा

17. पुस्तक ISBN के साथ वर्ड वाइड प्रकाशित की जाएगी जो हर देश में ऑन लाइन उपलब्ध  रहेगी।

कृपया जो भी इस अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन का हिस्सा बनना चाहता हो कृपया नीचे लिस्ट में नाम जोड़ें एवं मोबाइल नम्बर 9753877785 पर रचनायें , परिचय एवं फ़ोटो भेजे साथ मे मौलिक रचना ज़रूर लिखे।

1

2

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नोट:- कृपया क्रम बढ़ाते जाये एवं   क्रम को अव्यवस्थित न करें तो बड़ी महरबानी होगी।
[09/06, 23:56] प्रमोद ठाकुर: ये पढ़कर बताइये अगर कुछ कमी हो तो
[09/06, 23:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी बहुत सुंदर
[09/06, 23:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: आपका लिखा हुआ में कैसा कमी सर जी 🙏
[09/06, 23:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: 500 देंगे क्या लोग एक बार देख लीजिए
[09/06, 23:58] प्रमोद ठाकुर: तो कवर पेज के साथ पटल पर फेसबुक पर डाल दूँ
[09/06, 23:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: मैं सहमत हूं
[09/06, 23:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: डाल दीजिए
[09/06, 23:59] प्रमोद ठाकुर: मुझे भी यही लग रहा है
[09/06, 23:59] प्रमोद ठाकुर: थोड़ा सोचो
[10/06, 00:00] प्रमोद ठाकुर: 160 पेज की रहेगी
[10/06, 00:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: 500 रहने दीजिए पर 14 नम्बर से 200 जो लिखा है उसे हटा दीजिए , नहीं तो लोग असमंजस में हो जायेंगे
[10/06, 00:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: अगर पैसा कम करते हैं तो अपने पाकेट से लगेगा
[10/06, 00:02] प्रमोद ठाकुर: नही लेकिन कवर पेज पर कीमत 200 लिखी है
[10/06, 00:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां वह तो है सर जी
[10/06, 00:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: कुछ सोचिए फिर
[10/06, 00:04] प्रमोद ठाकुर: 500 रु ठीक है 500 रुपये में वर्ड वाइड प्रकाशित हो रही है फिर हमारी पत्रिका में समीक्षा भी प्रकाशित होगी।
[10/06, 00:06] प्रमोद ठाकुर: एक काम करते है 14 नम्बर से 200 रुपये हटा देते है बातो किताब की कीमत है। एक तरह से बो तो दहेज है और बारातियों का स्वागत खाना पीना उसमें भी तो ख़र्चा आता है
[10/06, 00:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[10/06, 00:07] प्रमोद ठाकुर: मैं 200 हटा कर डाल रहा हूँ
[10/06, 00:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है डालिए हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[10/06, 00:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है डालिए हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[10/06, 00:39] प्रमोद ठाकुर: जी बस ऊपर बाले का नाम लिया और डाल दिया
[10/06, 06:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 शुभ प्रभात सर जी
[10/06, 09:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: पुष्प कुमार महाराज,
गोरखपुर, मो- 9186628708
[10/06, 09:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐
[10/06, 09:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: नाम शामिल कीजिए
[10/06, 09:35] प्रमोद ठाकुर: जी ज़रूर
[10/06, 09:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: अध्यक्ष पद की लालच हमको दें रहें है
[10/06, 09:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: आ. राजवीर सिंह मंत्र जी 🙏 है
[10/06, 09:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: किसी को मत बतायेगा
[10/06, 10:52] प्रमोद ठाकुर: अभी आप किसी के बहकावे में मत आइये हम अपने कद को इतना बड़ा करना चाहते है कि ऐसे लोग याद रखें
[10/06, 10:55] प्रमोद ठाकुर: बहकावे में मत आइये इन्हें अब हमारी कार्य करने की क्षमता से डर लगने लगा है।
[10/06, 11:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी सर जी 🙏💐
[10/06, 21:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[10/06, 21:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसे मत दीजिए
[10/06, 21:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: ज्यादा ठीक नहीं रहेगा
[10/06, 21:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: आगे आपकी आज्ञा
[10/06, 21:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक ही दें तो थोड़ा लगेगा भी
[10/06, 21:14] प्रमोद ठाकुर: जो आपके हिसाब से ठीक हो मुझें ज्यादा अनुभव नहीं है।
[10/06, 21:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं सर जी 🙏 आप भी ऐसे बात करते आप 22 साल से हम अभी अभी आएं है ।
[10/06, 21:16] प्रमोद ठाकुर: नहीं भाई में सही कह रहा हूँ
[10/06, 21:18] प्रमोद ठाकुर: मेरे पिताजी कहते थे अगर पुराना अनुभव लेना हो तो दोस्ती अपने से बड़े से करो और नया सीखना हो तो दोस्ती अपने से छोटे से करो
[10/06, 21:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: 👍👍👍👍👍
[10/06, 21:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏
[10/06, 21:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[10/06, 21:29] प्रमोद ठाकुर: जी रोशन जी
[10/06, 21:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: कल रचना समीक्षा भी है क्या
[10/06, 21:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: पर्सनली रचना मांगना बंद करेंगे अब खुद का आईडी से फेसबुक पर कामेंट बाक्स में जो देंगे उन्हीं का प्रकाशित किया जाएगा
[10/06, 21:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: लोग पैसा ले रहें है
[10/06, 21:56] प्रमोद ठाकुर: जी ये ठीक रहेगा
[10/06, 21:57] प्रमोद ठाकुर: कल रामकरण जी की भेजी है न
[10/06, 21:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: जाना पहचाना हो तो ठीक है
[10/06, 21:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां पुस्तक न
[10/06, 21:58] प्रमोद ठाकुर: जी
[10/06, 21:58] प्रमोद ठाकुर: जी
[10/06, 22:00] प्रमोद ठाकुर: अंजनी व्यक्तीयों की बिना पर्सनॉल या फेसबुक पेज के प्रकाशित नही करनी है

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[10/06, 00:07] Ranjana Binani Jii: #दिनांक-9/6/2021
#विषय- "सारी उम्र गुजारी हमने"
#विधा-कविता

"

स्वरचित
रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम
[10/06, 00:08] Ranjana Binani Jii: फेसबुक पेज पर पोस्ट करने का ऑप्शन ही नहीं आ रहा है शेयर आ रहा है कैसे करना थोड़ा समझाइएगा🙏🙏
[10/06, 00:10] Ranjana Binani Jii: लिंक से खुल तो रहा है,कोमेंट बाक्स दिख नहीं रहा है 🙏
[10/06, 00:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: फोटो भेजिए
[10/06, 00:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई बात नहीं
[10/06, 00:11] Ranjana Binani Jii: ओके भैया🙏
[10/06, 00:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
[10/06, 00:13] Ranjana Binani Jii: धन्यवाद भैया 🙏🙏
[10/06, 00:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान

10/06/2021 के अभ्यास 

त वर्गादि संयुक्ताक्षरक पुनराभ्यास त थ द ध न  अक्षरक संयुक्ताक्षरक अभ्यास  
सब छवि समूह पर उपलब्ध अछि👆
https://youtu.be/pXMIgRNIic8

https://youtu.be/e6hsWAd1o2w

https://youtu.be/49gCvRB884E

https://youtu.be/IE5UR1aGChc

https://youtu.be/g0_VBTs6eno
[09/06, 22:57]
https://youtu.be/E-3TIKl7LCA

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अलंकरण प्रशिक्षण शाला , व्हाट्सएप ग्रुप

[10/06, 20:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/74ZKEFsCThI
[10/06, 20:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/oOMv-fm3z0U
[10/06, 20:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/SrWRFHka38s
[10/06, 21:19] साहित्य राज: 👍👍👍
[10/06, 21:22] संगीता मिश्रा जी सा. स. स: वाह वाह 👏🏼👏🏼👏🏼
[10/06, 21:22] संगीता मिश्रा जी सा. स. स: हार्दिक आभार 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[10/06, 21:22] संगीता मिश्रा जी सा. स. स: वाह मधुर वाणी🌹🌹
[10/06, 21:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏 दीदी जी 🙏💐
[10/06, 21:37] : भाई आप की तो कमाल की गायकी  हैं ,बहुत बहुत बधाई आपको।🙏👏👏👏👏👏💐💐💐💐💐💐💐
[10/06, 21:39] : वाह बहुत मीठे स्वर है  बहन आपके👍👌👌👌👌💐💐💐💐💐💐💐💐💐
[10/06, 21:40] साहित्य राज: 🙏😀कौन बोला दीदी 😀🙏
[10/06, 21:42] : एक है असम की क्या तो नाम है उसका भूल गई । 😁😁
[10/06, 21:50] साहित्य राज: 🙏😀खोजती रह जाएंगी😀🙏

साहित्य राज - आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
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साहित्य एक नज़र 🌅 व्हाट्सएप ग्रुप -2
आज

[10/06, 15:24] +: साहित्य एक नजर को धन्यवाद
[10/06, 15:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏

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आ. मनोज कुमार पुरोहित जी
[10/06, 07:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: गुरु जी अभी हम अध्यक्ष योग्य नहीं है । 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[10/06, 07:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात गुरु जी 🙏💐
[10/06, 08:14] मनोज कुमार पुरोहित जी 🙏: राजस्थान इकाई से मैं निकल गया तो अध्यक्ष भगवान सहाय मीणा जी को बनाया। अब वे ठीक से कार्य नहीं कर रहे हैं इसीलिए सायद आपको वहाँ अध्यक्ष बनाएँ
[10/06, 08:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहुत जल्दी हम साहित्य संगम संस्थान छोड़ेंगे गुरु जी , न जाने आप और आ. कलावती कर्वा दीदी जी से एक परिवार की तरह लगाव हो गया है ,
[10/06, 08:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज हमारी पत्रिका आगे जा रही है तो बाधा पर से बाधा
[10/06, 12:02] मनोज कुमार पुरोहित जी 🙏: मैं भी कलावती जी और आपके कारण टिका हूँ।
जिस दिन दोनों में एक भी गया मैं भी छोड़ दूँगा

[10/06, 12:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं गुरु जी 🙏 ऐसा मत कीजिएगा ,
[10/06, 12:04] मनोज कुमार पुरोहित जी 🙏: आपसे भी यही आसा है
[10/06, 12:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: 👍👍👍👍👍
[10/06, 13:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/?ref=share
[10/06, 13:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/
[10/06, 13:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: पश्चिम बंगाल
[10/06, 13:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: नया नाटक
[10/06, 13:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: सबसे आगे रखेंगे बंगाल इकाई को

4:55 , ऑडियो में भी निशाना मारें हम पर लोग सेवा करना चाहते है , पद लेकर जिम्मेदारियां नहीं लेना चाहते ।

[10/06, 13:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: सुनीयेगा ध्यान से ....
[10/06, 19:09] मनोज कुमार पुरोहित जी 🙏: सुना ध्यान से और ये समझ आया कि चुनौती दे रहे हैं आप जिम्मेदारी लीजिए।
उनकी बात सुन कर यदि आप अध्यक्ष बन गए तो बहुत अच्छी बात नहीं बने तो कहेंगे मैंने पहले ही कहा लोग जिम्मेदारी से भागते हैं
[10/06, 19:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
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आ. कलावती कर्वा जी

[10/06, 07:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: गुरु जी अभी हम अध्यक्ष योग्य नहीं है । 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[10/06, 07:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏 दीदी जी 🙏💐
[10/06, 10:20] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: अध्यक्ष पद की आपको अग्रिम बहुत-बहुत बधाई...
भाई आप इस योग्य हो...
राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की पारखी नजर की दाद देती हूँ उन्होंने सही व्यक्ति का चयन किया है...

अनुज हमे आप पर गर्व है..

आपकी सेवा का आपको फल मिल  रहा है...

पर अनुज आप से मेरा सादर निवेदन है हमारा साथ मत छोड़ना... सुरू के हम चार में से दो ही रहे है आप भी इकाई छोड़ दोगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा आपको हमारे साथ बने रहना है... आप दोनों पद बखूबी सम्भाल सकते हो...

हम आपका साथ चाहते हैं...
🙏🏻
[10/06, 10:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: न जाने आप और आ. मनोज कुमार पुरोहित जी से एक परिवार की तरह लगाव हो गया है , दीदी जी 🙏💐
[10/06, 10:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: न दीदी जी , दो पद पहले से ही है , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी और बंगाल इकाई सचिव , अब तीसरा पद हम नहीं ग्रहण कर सकते दीदी जी , साहित्य एक नज़र पत्रिका भी है , पढ़ाई भी है ।
[10/06, 10:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद दीदी जी 🙏💐
[10/06, 11:16] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: अनुज मुझे भी मेरे साथियों, सहयोगियों से बहुत लगाव हो गया है आप से तो बंगाल इकाई जब से बनी है तब से साथ बहुत लगाव है आपकी सेवा सहयोग वंदनीय है..आपकी सरलता, सादगी, विनम्रता, सद्व्यवहार, अपने कार्य के प्रति सम्पूर्णता देख कर बहुत खुशी होती है... दिल आपको ढेरों दुआएँ दे रहा है.. आपको हमारे साथ बने रहना है...
[10/06, 11:16] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: सही कहा अनुज आपने इतना भार एक साथ लेना सम्भव नहीं होता है .. पहले अपनी पढ़ाई देखो... अपना भविष्य उज्जवल बनाना है...
जितना सम्भव हो सेवा देते रहो...
[10/06, 11:16] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: 💐💐💐💐
[10/06, 11:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद सह सादर आभार 🙏 दीदी जी 🙏
[10/06, 11:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी दीदी जी 🙏💐
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संगम सचिव
[10/06, 08:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 10/06/2021
दिवस :- गुरुवार
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1938993956277499/?sfnsn=wiwspmo
[10/06, 13:08] साहित्य राज: https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/?ref=share

4:55 , ऑडियो में भी निशाना मारें हम पर लोग सेवा करना चाहते है , पद लेकर जिम्मेदारियां नहीं लेना चाहते ।

[10/06, 13:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/
[10/06, 13:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: पश्चिम बंगाल

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[10/06, 09:47] आ. पूनम शर्मा जी: कब तक प्रकाशित होगी , संपादक महोदय? सुबह का अभिनंदन
[10/06, 09:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[10/06, 20:37] आ. पूनम शर्मा जी: ये भेजा है
[10/06, 20:39] आ. पूनम शर्मा जी: आप कहें तो मैं दूसरी कविता भेज दूं,
[10/06, 20:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: रहने दीजिए
[10/06, 20:47] आ. पूनम शर्मा जी: पर्यावरण   शीर्षक मत , प्रकाशित करिएगा, एक दिन रूक जाए
मै दुसरी भेजती हूं, आपका आभार
[10/06, 20:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है दीदी जी 🙏
[10/06, 21:39] आ. पूनम शर्मा जी: धन्यवाद, शुभ रात्रि
[10/06, 21:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ रात्रि

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[10/06, 19:51] K 2: Hi
[10/06, 19:52] K 2: Aap hamari New Paper mi ku dal nahi rahi ho sir
[10/06, 19:53] K 2: Ji
[10/06, 19:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: आपके व्यवहार के कारण
[10/06, 20:13] K 2: Kuch samaj nahi aai
[10/06, 20:16] K 2: Aapni add nahi kai newspaper mi
[10/06, 20:49] K 2: Aapni kuch kaha nahi sir
[10/06, 20:49] K 2: Eak bar published kar do
Hamni group mi kaha dai hai
[10/06, 20:49] K 2: Plz sir my request
[10/06, 20:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: सह अध्यक्ष महोदय आ. प्रमोद ठाकुर जी से बात करिए
[10/06, 20:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: पत्रिका के अंतिम पृष्ठ में नम्बर है ।
[10/06, 20:55] K 2: Ok
[10/06, 20:55] K 2: Send me number
[10/06, 20:55] K 2: Send me PDF
[10/06, 21:00] K 2: Plz ji
[10/06, 21:08] K 2: Sir ismi hamari add nahi hi
[10/06, 21:08] K 2: Aapko hamni Facebook pi dala bhi tha

KA
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3 साल पहले का फेसबुक से

शीर्षककविता-6(156)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 6(156)
ना द्रदँ ना प्यार भुला?

ना तुम्हारी नफरत ना तुम्हारी नेहा भरी
बात भुलुँगा,
मार्ग रोशन करके अविरान बाग हो या
विरान लगातार दोडुँगा!
खुश हुँ बॉटे ग्यान,
अणु बम विस्फोट हुई मै बचा अब तो
भरने दे होठ पर मुस्कान!
नही वर्षा नही धर्म और नही कर्म से हारा,
भम्र था जो तुझे पाला!
रिश्ता टुटा सुर्य की रोशन की हुई अस्त
चॉदनी निशा की प्रवेश,
सफल-ए-राह लम्बा पड़ा है मत समझना
इसे शेष!
वचन है दुँगा तेरा हर वक्त काम,
नाली,समंदर सरिता मे क्या तुझे दे सकता हुँ
अपना आखिरी शाम!
मेरा पक्तिं राग वर्दी दी है चंदन पुष्प से सजा,
दुर हुँ फिर भी है पास की मजा!
कभी अॉशु तो कभी रहता हुँ खुश,
सोन्दर्यता की प्रतिक है मंगल राहूल वुध
अरुण पुथ्वी ग्रह राज्य की राजन व रानी
जख्म से ग्रस्त रहता शराब नही पीता हुँ जुश!
आज यहॉ कल दुनिया मे हो तेरा विजय,
प्राची से उषा मुस्कुराये हमेशा हो
तुम्हारा हो जय!?
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
दिनांक:-08-06-2018,WBCHSE Result
19:05 शुक्रवार नेहा 321नाली
सलकिया विक्रम विधालय मेन
मो:-6290640716,Ncc, St john Amb
Pmkvy,E.Rly Sct



[10/06, 08:12] कवि भानु शर्मा जी: शुभ प्रभात सर

[10/06, 08:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏💐 नमस्ते
[10/06, 08:33] कवि भानु शर्मा जी: सर प्रकाशित हो गयी
[10/06, 08:33] कवि भानु शर्मा जी: रचना
[10/06, 08:33] कवि भानु शर्मा जी: 🙏😍🙏
[10/06, 09:01] कवि भानु शर्मा जी: क्या हुआ सर
[10/06, 09:02] कवि भानु शर्मा जी: हमने मजाक कहाँ बनाया
[10/06, 09:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: सारी यार किसी और को भेजना था
[10/06, 09:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: सारी
[10/06, 09:02] कवि भानु शर्मा जी: अच्छा कोई बात नहीं
[10/06, 09:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: दूसरे को भेजना रहा
[10/06, 09:02] कवि भानु शर्मा जी: अच्छा जी
[10/06, 09:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: शाम में हो जायेगी
[10/06, 09:02] कवि भानु शर्मा जी: जी सर धन्यवाद🙏💕
[10/06, 09:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक से एक साहित्यकार हैं भाई
[10/06, 09:03] कवि भानु शर्मा जी: साहित्यकार नहीं
[10/06, 09:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏
[10/06, 18:14] कवि भानु शर्मा जी: शुभ संध्या
[10/06, 19:31] कवि भानु शर्मा जी: सर सम्मान पत्र नहीं मिला
[10/06, 19:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं मिलेगा
[10/06, 19:32] कवि भानु शर्मा जी: जी
[10/06, 19:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक रचना प्रकाशित हुई सम्मान पत्र चाहिए , अब से आपकी रचना नहीं प्रकाशित होगी
[10/06, 19:36] कवि भानु शर्मा जी: सर नाराज क्यों होते हैं
[10/06, 19:36] कवि भानु शर्मा जी: सिर्फ पूछा है
[10/06, 19:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: पांच रचना प्रकाशित होने के बाद
[10/06, 19:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक तो आप दूसरे की रचना भेजें हम प्रकाशित कर दिए
[10/06, 19:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: जल्दीबाजी हमें पसंद नहीं है
[10/06, 19:37] कवि भानु शर्मा जी: मुझे लगा कि सबको मिलता है
[10/06, 19:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: सुबह में सर कब प्रकाशित होगी
[10/06, 19:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: इंतजार करना पड़ता है भाई साहब
[10/06, 20:11] कवि भानु शर्मा जी: इसलिए
[10/06, 20:11] कवि भानु शर्मा जी: और रचना प्रकाशित करें या न करें
[10/06, 20:11] कवि भानु शर्मा जी: आपकी इच्छा
[10/06, 20:11] कवि भानु शर्मा जी: 🙏🙏
[10/06, 20:11] कवि भानु शर्मा जी: 🙏🙏🙏

चैतन्य मन में जागी अभिलाषा
       
✍️ आरती शर्मा ( आरू)
पिता का नाम -
श्री श्याम बाबू शर्मा
मानिकपुर उत्तर प्रदेश
_____

____________________
[10/06, 10:00] ज्योति झा जी: नादानियाँ मेरी थी,
मेरी है और..
मेरी ही रहेंगी!
आप समझदार थे,
समझदार हो और..
समझदार ही रहोगे!
तभी तो आपके
दिल्लगी के फ़साने को
हमने दिल से लागा लिया
और, जीने का
बहाना बना लिया
और, आपने...
इस बात को
हस्ते-हँसाते हंसी में
उड़ा दिया!!

●●●
ज्योति झा
बेथुन कॉलेज, कोलकाता
[10/06, 10:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: फोटो भेजू
[10/06, 10:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[10/06, 10:48] ज्योति झा जी: 🙏🏼
[10/06, 14:31] ज्योति झा जी: ई नया ग्रुप?
[10/06, 14:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां
[10/06, 14:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: जखरा साथ दियोअ ओहे कमेए लागैय छैय
[10/06, 14:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रमोद जी
[10/06, 14:32] ज्योति झा जी: की भेल?
[10/06, 14:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: अंतराष्ट्रीय साझा काव्य संकलन
"साहित्य सरिता"
1. साहित्य एक नज़र ई पत्रिका एवं डायरी प्रकाशन के सहयोग से प्रकाशित किया जा रहा है।

2.रचनाकार अपनी तीन रचनायें परिचय एवं एक फ़ोटो, तीनों रचनाओं में से 2 रचनायें चुनी जाएगी अगर तीनों रचनायें ठीक नहीं हुई तो निरस्त कर दी जाएगी।

3. चुने गये रचनाकारों को चयन प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

4. रचनायें त्रुटी रहित होनी चाहिये।

5. कोई विषय नहीं है किसी भी विषय पर भेज सकते हैं।

6. रचनायें अप्रकाशित एवं पूर्णता स्वरचित होनी चाहिये।

7. एक रचनाकार तीन से अधिक रचनायें नहीं भेज सकता।

8. रचनायें राजनैतिक या किसी धर्म को ठेस पहुँचाने वाली न हो।

9. रचनायें चयन एवं निरस्त करने का पूर्ण अधिकार चयन मण्डल का होगा।

10. अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन पेपर बुक एवं ई बुक दोनों में रहेगा जिसके एक पेज पर रचनाकार का परिचय एवं दो पेज पर रचनायें रहेंगी।

11. पेपर बुक और ई बुक अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट, किंडल, गूगल बुक, प्रकाशक की वेव साइट एवं बुक स्टोर पर उपलब्ध रहेगी । इसका प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया पर एवं ऑन लाइन(सम्भवता उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री द्वारा) विमोचन किया जाएगा।

12. हमारी दैनिक ई पत्रिका साहित्य एक नज़र में प्रत्येक रचनाकार की रचना की समीक्षा, परिचय , फ़ोटो प्रकाशित किया जाएगा एवं समीक्षा सम्मान पत्र दिया जाएगा।

13. सभी रचनाकारों की रचनाओं के सर्वाधिकार सम्पादक के पास सुरक्षित रहेंगे।

14. प्रत्येक रचनाकार को एक लेखक प्रति स्पीड पोस्ट द्वारा भेजी जाएगी। अगर एक से ज्यादा प्रति खरीदना चाहते हो तो पुस्तक की कीमत से 20%डिस्काउंट पर मिलेगी।

15. प्रत्येक रचनाकार अपनी रचनायें, परिचय एवं फ़ोटो एक बार में वाट्सएप्प नम्बर 9753877785 पर प्रेषित करें।

16. रचना के चयन होने पर रचनाकार को 500/- की सहयोग राशि फोन पे/पेटीएम द्वारा 9753877785 पर भेजना होगा

17. पुस्तक ISBN के साथ वर्ड वाइड प्रकाशित की जाएगी जो हर देश में ऑन लाइन उपलब्ध  रहेगी।

कृपया जो भी इस अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन का हिस्सा बनना चाहता हो कृपया नीचे लिस्ट में नाम जोड़ें एवं मोबाइल नम्बर 9753877785 पर रचनायें , परिचय एवं फ़ोटो भेजे साथ मे मौलिक रचना ज़रूर लिखे।

1.पुष्प कुमार महाराज-गोरखपुर-9186628708

2 अर्चना जोशी भोपाल

3 नीरज सेन कलम प्रहरी गुना

4 सुजीत  जायसवाल जीत सराय आकिल प्रयागराज 8858566226

5  डॉक्टर जनार्दन प्रसाद कैरवाल ऋषिकेश उत्तराखंड

6 डा.मंजु अरोरा, जालंधर ,
    पंजाब, 98140-81673

7  नलनी तिवारी शहडोल मध्यप्रदेश

8 डॉक्टर रानी गुप्ता सूरत गुजरात

9

10




नोट:- कृपया क्रम बढ़ाते जाये एवं   क्रम को अव्यवस्थित न करें तो बड़ी महरबानी होगी।
[10/06, 14:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम फरवरी में
[10/06, 14:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: ईअ पैसा लुइट रहल अछि
[10/06, 14:41] ज्योति झा जी: हूं
[10/06, 14:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏💐
[10/06, 14:46] ज्योति झा जी: त' ग्रुप मे हम आ' अही छियै
[10/06, 14:46] ज्योति झा जी: केवल
[10/06, 14:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: और हेएत
[10/06, 14:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: रूकु
[10/06, 14:46] ज्योति झा जी: प्रवीन भायजी
[10/06, 14:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: 1 महीने में 288 भो गेल
[10/06, 14:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: जोडूं
[10/06, 14:48] ज्योति झा जी: सही छै की गलत से त' हमरा नै पता
[10/06, 14:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: की
[10/06, 14:49] ज्योति झा जी: पर हमरा लागैया की जिनकर साहित्यिक क्षेत्र मे कनिक नाम भ' गेल छैन, हुनका भीतर अहम के भाव आब गेल छै
[10/06, 14:50] ज्योति झा जी: फेर धीरे धीेरे पैसा कमे के चक्कर मे लैग जै छथिन्ह
[10/06, 14:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां बहिन
[10/06, 14:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: दिन रैत परिश्रम हम करैत छी
[10/06, 14:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: समीक्षा के लेल 100 लैय छैय
[10/06, 14:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: रचना के समीक्षा 30 लैत छैय
[10/06, 14:52] ज्योति झा जी: अच्छा
[10/06, 15:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏

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[09/06, 23:26] आ सपना जी: 21/05/2021 प्रकाशित हुई थी कविता। शीर्षक- बालश्रम
[09/06, 23:27] आ सपना जी: क्षमाप्रार्थी हूँ आदरणीय। आप इस तरह परेशान कर रही हूँ।
[09/06, 23:28] आ सपना जी: को
[09/06, 23:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई बात नहीं
[09/06, 23:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: अपनी नाम दे दीजिए
[09/06, 23:30] आ सपना जी: 😊
[09/06, 23:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[09/06, 23:59] आ सपना जी: सपना "नम्रता"
[10/06, 00:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[10/06, 09:55] आ सपना जी: आँखों के लिऐ बने हैं पलकें जैसे
वैसे आप बने हैं एक-दूजे के लिए
मेरी तरफ से शादी की दूसरी वर्षगांठ की ढेर सारी शुभकामनाएँ💐💐🎂
प्रिय सखी और जीजू💐💐💐
11/06/2021
[10/06, 09:55] आ सपना जी: सादर नमन आदरणीय।
आदरणीय अगर सम्भव हुआ तो आज की पत्रिका में इसे भी स्थान देना। मैं अपनी प्रिय सखी के लिए कुछ खास करना चाहती हूँ..इस दिन।
[10/06, 09:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: नीचे अपनी नाम लिखिए
[10/06, 09:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: आपका अपना पत्रिका है
[10/06, 09:57] आ सपना जी: सम्भव हो तो ज़रूर करना आदरणीय। आप से मेरी विनम्र निवेदन है।
शुभ दिन💐
[10/06, 09:57] आ सपना जी: जी आदरणीय। शुक्रिया
[10/06, 09:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[10/06, 09:59] आ सपना जी: आँखों के लिऐ बने हैं पलकें जैसे
वैसे आप बने हैं एक-दूजे के लिए
मेरी तरफ से शादी की वर्षगांठ की ढेर सारी शुभकामनाएँ💐💐🎂
प्रिय सखी और जीजू
11/06/2021

   तुम्हारी सखी
    सपना नेगी।
[10/06, 10:00] आ सपना जी: 👆यह देख लेना आदरणीय आप अंत में कैसा सही रहेगा।
[10/06, 10:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है
[10/06, 10:00] आ सपना जी: 💐
[10/06, 20:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं
[10/06, 20:02] आ सपना जी: हार्दिक आभार आदरणीय।
[10/06, 20:15] आ सपना जी: आदरणीय क्या मुझे आज की पत्रिका का डॉक फाइल मिल सकता, अगर सम्भव हो तो। 🥴🥴 मुझ से एक गलती हो गई वर्षगांठ 15 जून को है और मैं 11 सोच कर चल रही थी। आप ने बहुत मेहनत की है उसके लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद। अब मैं चाह रही हूँ कि दिनांक ठीक कर उसे उस दिन सरप्राइज़ दूँ। इसलिए डॉक फाइल चाहिए थी मुझे।
[10/06, 20:16] आ सपना जी: मुझे याद ही नहीं रहता और हर बार डांट भी पड़ती है, इस बार भी गलती कर दी।😔😔
[10/06, 20:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: फिर से कर देंगे
[10/06, 20:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: टेंशन लेने का नहीं
[10/06, 21:03] आ सपना जी: धन्यवाद आदरणीय।
[10/06, 21:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐

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रोशन कुमार झा




अंक - 31
https://online.fliphtml5.com/axiwx/brif/

अंक - 30
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जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 31

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 31
10 जून  2021

गुरुवार
ज्येष्ठ कृष्ण 15 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  11 - 20
कुल पृष्ठ -  21

🏆🌅  पुस्तक समीक्षा सम्मान - पत्र 🌅 🏆
52. आ. रामकरण साहू " सजल " जी
( पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र - " चाँद दागी हो गया " -
🏆 🌅 रचना समीक्षा सम्मान - पत्र  🏆 🌅
53. आ. सुन्दर लाल मेहरानियाँ 'देव'  जी , ( समीक्षा स्तम्भ - 9)


🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
54. आ. अनामिका वैश्य आईना जी
55. आ. सपना "नम्रता" जी
56. आ. रेखा शाह जी
57. आ. सौ अल्पा कोटेचा जी
58. आ. कैलाश चंद साहू जी बूंदी राजस्थान
59. आ.  अजय प्रसाद जी , अण्डाल,वेस्ट बंगाल
60. आ. निशांत सक्सेना "आहान" , लखनऊ
61. आ. श्री अनिल राही जी

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 31
Sahitya Ek Nazar
10 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

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अंक - 25 से 27

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आपका अपना
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अंक - 31 - 33

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 31 से 33 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 10/06/2021 से 12/06/2021 के लिए
दिवस :- गुरुवार से शनिवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 31 तो कुछ रचनाएं को अंक 32 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 33 में शामिल किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

# फेसबुक के इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में ही रचना भेजें ।

# साहित्य एक नज़र में प्रकाशित हुई रचना फिर से प्रकाशित के लिए न भेजें , बिना नाम , फोटो के रचना न भेजें , जब तक एक रचना प्रकाशित नहीं होती है तब तक दूसरी रचना न भेजें , यदि इन नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो उनकी एक भी रचना को प्रकाशित नहीं किया जायेगा ।

समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

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अंक - 28 से 30

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अंक - 31
10/06/2021 , गुरुवार
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/31-10062021.html

कविता :- 20(23)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2023-31-10062021.html

अंक - 32
, शुक्रवार , 11/06/2021 ,

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2024-11062021-32.html

कविता :- 20(24)

अंक - 33
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/33-12062021.html
12/06/2021 , शनिवार

कविता :- 20(25)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2025-12052021-33.html

अंक - 30
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/30-09062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2022-09052021-30.html

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html


1.

अंक - 31

अंतराष्ट्रीय साझा काव्य संकलन
"साहित्य सरिता"
1. साहित्य एक नज़र ई पत्रिका एवं डायरी प्रकाशन के सहयोग से प्रकाशित किया जा रहा है।

2.रचनाकार अपनी तीन रचनायें परिचय एवं एक फ़ोटो, तीनों रचनाओं में से 2 रचनायें चुनी जाएगी अगर तीनों रचनायें ठीक नहीं हुई तो निरस्त कर दी जाएगी।

3. चुने गये रचनाकारों को चयन प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

4. रचनायें त्रुटी रहित होनी चाहिये।

5. कोई विषय नहीं है किसी भी विषय पर भेज सकते हैं।

6. रचनायें अप्रकाशित एवं पूर्णता स्वरचित होनी चाहिये।

7. एक रचनाकार तीन से अधिक रचनायें नहीं भेज सकता।

8. रचनायें राजनैतिक या किसी धर्म को ठेस पहुँचाने वाली न हो।

9. रचनायें चयन एवं निरस्त करने का पूर्ण अधिकार चयन मण्डल का होगा।

10. अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन पेपर बुक एवं ई बुक दोनों में रहेगा जिसके एक पेज पर रचनाकार का परिचय एवं दो पेज पर रचनायें रहेंगी।

11. पेपर बुक और ई बुक अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट, किंडल, गूगल बुक, प्रकाशक की वेव साइट एवं बुक स्टोर पर उपलब्ध रहेगी । इसका प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया पर एवं ऑन लाइन(सम्भवता उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री द्वारा) विमोचन किया जाएगा।

12. हमारी दैनिक ई पत्रिका साहित्य एक नज़र में प्रत्येक रचनाकार की रचना की समीक्षा, परिचय , फ़ोटो प्रकाशित किया जाएगा एवं समीक्षा सम्मान पत्र दिया जाएगा।

13. सभी रचनाकारों की रचनाओं के सर्वाधिकार सम्पादक के पास सुरक्षित रहेंगे।

14. प्रत्येक रचनाकार को एक लेखक प्रति स्पीड पोस्ट द्वारा भेजी जाएगी। अगर एक से ज्यादा प्रति खरीदना चाहते हो तो पुस्तक की कीमत से 20%डिस्काउंट पर मिलेगी।

15. प्रत्येक रचनाकार अपनी रचनायें, परिचय एवं फ़ोटो एक बार में वाट्सएप्प नम्बर 9753877785 पर प्रेषित करें।

16. रचना के चयन होने पर रचनाकार को 500/- की सहयोग राशि फोन पे/पेटीएम द्वारा 9753877785 पर भेजना होगा

17. पुस्तक ISBN के साथ वर्ड वाइड प्रकाशित की जाएगी जो हर देश में ऑन लाइन उपलब्ध  रहेगी।

कृपया जो भी इस अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन का हिस्सा बनना चाहता हो कृपया नीचे लिस्ट में नाम जोड़ें एवं मोबाइल नम्बर 9753877785 पर रचनायें , परिचय एवं फ़ोटो भेजे साथ मे मौलिक रचना ज़रूर लिखे।

1.पुष्प कुमार महाराज-गोरखपुर-9186628708

2 अर्चना जोशी भोपाल

3 नीरज सेन कलम प्रहरी गुना

4 सुजीत  जायसवाल जीत सराय आकिल प्रयागराज 8858566226

5  डॉक्टर जनार्दन प्रसाद कैरवाल ऋषिकेश उत्तराखंड

6 डा.मंजु अरोरा, जालंधर ,
    पंजाब, 98140-81673

7  नलनी तिवारी शहडोल मध्यप्रदेश

8 डॉक्टर रानी गुप्ता सूरत गुजरात

9 दीन दयाल सोनी बाँदा

10 पूजा सिंह 7980761317

11. मधू आँधीवाल अलीगढ़

अंतराष्ट्रीय साझा काव्य संकलन
"साहित्य सरिता"
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17. पुस्तक ISBN के साथ वर्ड वाइड प्रकाशित की जाएगी जो हर देश में ऑन लाइन उपलब्ध  रहेगी।

कृपया जो भी इस अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन का हिस्सा बनना चाहता हो कृपया नीचे लिस्ट में नाम जोड़ें एवं मोबाइल नम्बर 9753877785 पर रचनायें , परिचय एवं फ़ोटो भेजे साथ मे मौलिक रचना ज़रूर लिखे।

1.पुष्प कुमार महाराज-गोरखपुर-9186628708

2 अर्चना जोशी भोपाल

3 नीरज सेन कलम प्रहरी गुना

4 सुजीत  जायसवाल जीत सराय आकिल प्रयागराज 8858566226

5  डॉक्टर जनार्दन प्रसाद कैरवाल ऋषिकेश उत्तराखंड

6 डा.मंजु अरोरा, जालंधर ,
    पंजाब, 98140-81673

7  नलनी तिवारी शहडोल मध्यप्रदेश

8 डॉक्टर रानी गुप्ता सूरत गुजरात

9 दीन दयाल सोनी बाँदा

10 पूजा सिंह 7980761317

11. मधू आँधीवाल अलीगढ़

12. अल्पना चौधरी इलाहाबाद




नोट:- कृपया क्रम बढ़ाते जाये एवं   क्रम को अव्यवस्थित न करें तो बड़ी महरबानी होगी।

2.

परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"ग्राम-बबेरू
जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

श्री रामकरण साहू "सजल"जी का अद्भुत  कविता संग्रह "चाँद दागी हो गया" ज़रूर पढ़े एक अलग अनुभूति का एहसास होगा।
पुस्तक उपलब्ध-

1. सरोकार प्रकाशन
30, अभिनव काकड़ा मार्केट
आयोध्या बायपास, भोपाल(मध्यप्रदेश) 462041
दूरभाष- 9993974799

2. श्री रामकरण साहू "सजल"
कमासिन रोड़ , नील कंठ पेट्रोल
पम्प के पास, ग्राम-पोस्ट बबेरू
जनपद बाँदा (उत्तर प्रदेश) 210121
दूरभाष- 8004239966

समीक्षक
✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
साहित्य एक नज़र 🌅
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

3.

जीवन परिचय

नाम- सुन्दर लाल मेहरानियाँ 'देव'
साहित्यिक नाम_'देव'
पिता का नाम-श्री हरिराम मेहरानियाँ
स्थायी पता- ग्राम-नांगलसिया ,पोस्ट-अजरका तह. मुण्डावर , जिला-अलवर, राज्य-राजस्थान
फोन न०-7891640945
E- mai--slmehraniya@gmail.com
जन्म स्थान- नांगलसिया,अलवर राजस्थान।
जन्मतिथि -20.01.1980
व्यवसाय-अध्यापक
शिक्षा _ स्नात्कोत्तर( हिन्दी साहित्य)

      साहित्यिक उपलब्धियाँ
1.कवि सम्मेलन,मुशायरों व काव्य गोष्ठियों में शिरकत
2.देश विदेश के समाचर पत्रों व पत्रिकाओं में रचानाओं का प्रकाशन
3.अनेकों साझा काव्य संग्रह प्रकाशित
4. विभिन्न पंजीकृत मंचों से साहित्यिक सम्मान पत्र प्राप्त

गीत - "या धरती राजस्थान  री"

या धरती राजस्थान री,
करता इसपे अभिमान री।
लगे स्वर्ग सी सुन्दर ये,
न्योछावर कर दूँ जान री।।
या धरती राजस्थान री,
करता इसपे अभिमान री।
पन्ना का कलेजा फट जाये,
बैरी की खड़ग जब चल जाये।
बेट का लहू फिर बह जाये,
लग जाये-बाज़ी जान री।।
या धरती राजस्थान री,
करता इसपे अभिमान री।
एक नार हुई क्षत्राणी थी,
सिर काट के दी सेनाणी थी।
चुन्डा की जान बचाणी थी,
प्रिय की बच जाये जान री।
या धरती राजस्थान री,
करता इसपे अभिमान री।।
पद्यमिनी की अजब कहाणी थी,
खिलजी की नीत डिगाणी थी।
जौहर की आग पिछाणी थी,
घट ना जाये कोई मान री।।
या धरती राजस्थान री,
करता इसपे अभिमान री।
मीरा गिरिधर की दासी थी,
दर्शन की बहुत वो प्यासी थी।
राणा के गले की फाँसी थी,
रजपूती मिट जाये आन री।।
या धरती राजस्थान  री,
करता इसपे अभिमान री।
गोरा बादल दो वीर हुए,
गोरा के जिस्म के तीर हुए।
रण के ऐसे रणवीर हुए,
धड़ का भी हो गुणगान री।।
या धरती राजथान री,
करता इसपे अभिमान री।
घायल घोड़ा भी जब दौड़ा,
चेतक को लगा जख्म थोड़ा,
स्वामी को सकुशल ला छोड़ा,
बच गई मेवाड़ी आन री
या धरती राजथान री,
करता इसपे अभिमान री।
प्रताप सा कोई वीर नहीं,
दुश्मन की उठे शमशीर नहीं।
जो बाँध सके जंजीर नहीं
, गाथा-मेवाड़ी शान री।
या धरती राजथान री,
करता इसपे अभिमान री।।
या धरती राजथान री,
करता इसपे अभिमान री।
लगे स्वर्ग सी सुन्दर ये,
न्योछावर कर दूँ जान री।।
या धरती राजथान री,
करता इसपे अभिमान री।

समीक्षा

साहित्यकार श्री सुंदर लाल मेहरानियाँ का गीत "धरती राजस्थान री" राजस्थान की धरती  उन वीर गाथाओं का वर्णन करती है। जिसमें अनेकों वीर और वीरांगनाओ ने जन्म लिया और अपनी उस भूमि जिसमें पैदा हुए उसकी रक्षा के लिए वीरता से रण में अपने प्राणों की आहुति दे दी चाहें वो पन्नाधाय हो जिसनें अपने  कर्तव्य को निभाते हुए अपने  बेटे की बलि चढ़ा दी । रानी पद्मावती ने खिलज़ी से अपनी आबरू की रक्षा करतें हुए सामूहिक जौहर कर लिया था। इस मिट्टी में  वीर- वीरांगनाये ही नहीं अपितु पशुओं ने भी रण में अपना जौहर दिखाया उस वीर पशु चेतक को भुलाया नहीं जा सकता जो आज महाराणा प्रताप की तरह चेतक नाम भी आज वीरता के लिए इतिहास में दर्ज़ हैं।
जब वीरों की बात हो और गोरा बादल की बात न हो ऐसा सम्भव नहीं। ऐसे रणवीरों की गाथा  को एक रचनावद्ध तरीक़े से अपनी शब्द माला में श्री सूंदर लाल मेहरानियाँ ने एक वीर गाथा का सृजन किया । वीरो की भूमि राजस्थान को मेरा नमन है और नमन उस कलम को जिन्होंने इतना अच्छा चित्रण किया।

समीक्षक
✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
साहित्य एक नज़र 🌅
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

---------------------
4.

हाइकु
सुख दु:ख

सुख दुःख तो
आते जाते रहेंगे,
फिक्र न कर।

दु:ख आया है
पहाड़ बनकर,
जाने के लिए।

सुख दु:ख तो
स्थाई भाव नहीं,
चला ही जाता।

सब कहते
सुख दु:ख जीवन,
सत्य वचन।

सुख आया है
चला भी तो जायेगा,
आने के लिए

✍️ सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा, उ.प्र.
    8115285921

-------------------
5.
नादानियाँ मेरी थी,
मेरी है और..
मेरी ही रहेंगी!
आप समझदार थे,
समझदार हो और..
समझदार ही रहोगे!
तभी तो आपके
दिल्लगी के फ़साने को
हमने दिल से लागा लिया
और, जीने का
बहाना बना लिया
और, आपने...
इस बात को
हस्ते-हँसाते हंसी में
उड़ा दिया!!

●●●
✍️ ज्योति झा
बेथुन कॉलेज, कोलकाता

-------------------
6.
#दिनांक-9/6/2021
#विषय-
कविता -
" सारी उम्र गुजारी हमने "

"सारी उम्र गुजारी हमने"
परिवार की, सेवा करने में....।
अपनों की खुशी में, मैं खुश थी...,
ओर कभी कुछ ,आस न थी....।
स्वयं के लिए सोचने की
,जैसे कोई दरकार न थी..,
अचानक जीवन में ...
,एक ऐसा मोड़ आया...।
मेरी दुनिया ही बदल गई
,अपने वजूद से पहचान हुई,
मां शारदे की अनुकंपा हुई,
मेरी लेखनी अविराम चली।
मैं धन्य हुई..., आप जैसे
गुणीजनों से मेरी पहचान हुई,
साहित्य साधना की रुचि जागी,
सम्मानों की भरमार हुई।
थी आज तक कहां छिपी ..
‌,मेरी प्रतिभा से मेरी पहचान हुई.,
सारी उम्र गुजारी हमने ..,
नाहक ही दुनियादारी में....।
पर आज फक्र से कहती हूं...,
हिंदी की सेवा करती हूं..,
साहित्य जगत से जुड़कर के..,
सार्थकता को पाई हूं..।
अब तक क्या खोया...,
अब क्या पाने की चाहत है..,
ये आज समझ में आया है ..
.,यूं ही.. ."सारी उम्र गुजारी हमने"।
यूं ही....सारी उम्र गुजारी हमने.....।।

✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम


-------------------
7.
आपदा कोई भी आयी हो,
लड़ा साथ होकर देश हमारा।
विपदा में कहीं कभी भी,
अलग न दिखा देश हमारा।।
यही खूबी है वतन मे मेरे,
जब देश संकट में होता है।
मानव का तो कहना क्या,
पशु पक्षी भी यहाँ का रोता है।।
गिलहरी जैसा सेवा भाव,
सभी यहाँ दिखलाते हैं।
तिल तिल भाव समर्पित करके,
मानवता यहाँ सिखलाते हैं।।
राजाओं से लेने वाले,
देते उन्हीं को दान यहाँ।
खुद की चिंता न करके,
रखते देश का स्वाभिमान यहाँ।।
कोरोना की ताकत क्या है,
सही कही अत्याचार यहाँ।
फिर भी मिटा सकें न हमको,
भारत माँ के श्रेष्ठ लाल यहाँ।।
बस कुछ दिन करना होगा,
घर बैठे इंतजार यहां।
प्रकृति का नियम यही है,
नित कौन टिका रहा यहाँ।।
  
✍️ डॉ0.जनार्दनप्रसादकैरवान
    ऋषिकेश उत्तराखंड

8.

आँखों के लिऐ बने हैं पलकें जैसे
वैसे आप बने हैं एक-दूजे के लिए
मेरी तरफ से शादी की वर्षगांठ की ढेर सारी शुभकामनाएँ💐💐🎂
प्रिय सखी और जीजू
11/06/2021

   तुम्हारी सखी
    सपना नेगी।

9.

* ग़ज़ल *

देर तक रात ने दरवाजा खुला मत रखना
आज के दोर मे उममीदे वफा मत रखना।
बीवी बच्चों की जरूरी हे कफालत
लेकिन बूढ़े मां-बाप को
अपने से जुदा मत रखना।
जिंन गुलो से नहीं आती है
वफा की खुशबू ऎसे फूलों से
भी गुलशन कॊ सजा  मत रखना।
जिंदगी में हो परेशानी या 
राहत मौलामेरा हर हाल
में ईमान सलामत रखना ।
बंद मुट्ठी है तो जमाने
को भरम रहता है
अपनी मुट्ठी को जमाने
में खुला मत रखना ।
जान की बाजी लगा देना वतन
भारत पर दांवपर देश की
इज्जत को लगा मत रखना।
ए खुदा अपने खजाने
से अताकर हमको अपनी
मखलूक का मोहताज
खुदा मत रखना ।

✍️ अकील अहमद अनस
ex संपादक पैगामें अमन
नई शेरकोट बिजनौर
पत्रकार 70  17 42 9798

10.
मुझें याद है

वो स्कूल की,
यादों को याद करना।
स्लेट की बत्ती को चाट कर,
कैल्शियम की कमी को पूरा करना।
विद्यामाता नाराज़ न हो,
वो अपराध बोध दिमाग में आना।

मुझे याद है

पढ़ाई के तनाव में,
वो पेंसिल का पिछला
हिस्सा चबाना।
हो जाएं होशियार ऐसा सोच,
मोर पंख को किताबों में रखना।

मुझें याद है

बो बचपन का रचनात्मक कौशल दिखाना,
किताबों-कॉपियों पर ज़िल्द चढ़ाना।
स्कूल में नये पुराने साथियों से मिलना
वो हर बर्ष वार्षिक उत्सव मनाना।

मुझें याद है।

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश
9753877785

11.
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

पद शब्द ही है
अंहकार से युक्त ,
इसलिए भाई हमें पद
से ही रहने दो मुक्त ।।

हमें बिना पद के ही साहित्य सेवा
के मार्ग पर चलने दो ,
क्या पता कल रहूं या न रहूँ
इसलिए आराम से नहीं
तीव्र गति से काम करने दो ।
जो हमसे पीछे और
जो हमसे आगे
उन्हें भी आगे बढ़ने दो ,
मैं रोशन , हिन्द , हिन्दी की सेवक हूँ
अब हमें रचने से ज़्यादा पढ़ने दो ।।

न अध्यक्ष , न सचिव ,
न संस्थापक , और नहीं
मैं मीडिया प्रभारी है ,
साहित्य का सेवक हूँ
सेवा कर रहा हूँ
यही साहित्य से लगाव हमारी है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
गुरुवार , 10/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(23)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 31
Sahitya Ek Nazar
10 June 2021 ,   Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর



12.
राम-राज्य स्थापित कर दो

उठो प्रिय! तुम जल्दी-जल्दी,
क्रांति का संदेश सुनाओ ।
अंधियारे हैं बहुत जगत में,
उठो अभी अंगार जलाओ।
उठो नई ऊर्जा की पर से,
तुम्हीं नवल संसार की जड़ हो ।
वसंत तुम्हीं अपने जीवन के,
तुम्हीं स्वयं के पतझड़ भी हो ।
सिर्फ तुम्हारे हाथों में है ,
उजियारे की राह की सुतली ।
तुम ही निर्माता नवल विश्व के ,
सब कुछ तुम्हारी कठपुतली ।
अभी केवल तुम तारे ही हो,
प्रकाश तुम्हारा नग्न निशा में।
तुम ही सुधाकर बन चमकोगे,
कदम बढ़े गर सही दिशा में।
चोरी रिश्वत से भ्रष्ट जगत के,
सब दोषों को विस्थापित कर दो।
सत्य भाव से भर दो जग को,
राम-राज्य स्थापित कर दो।

   ✍️- राकेश “सुधाकर”
   नैनीताल उत्तराखंड 263157
          7906405824

13.
Rani Sah
नमन मंच
#साहित्य एक नजर
#दिनांक 10/06/21
#विषय - जियेंगे अपनो के लिए
___________________________

जीएंगे अपनो के लिए,
बेशर्ते दुख जितने भी मिले,
अपनो के संग ज़िन्दगी की
गीत गाते चलेंगे,
कुछ रूठो को समय
समय पर मनाते रहेंगे;
जिएंगे अपनो के लिए,
अपनो के संग हर रिश्ते
निभाते चले,
हम एक दूजे के स्वर से
स्वर मिलाते चले,
मिलकर चलो जीवन
का अर्थ जान ले,
भावनाओं से परे अच्छा
बुरा पहचान ले;
चलो कोई कहानी रच दे
अपनेपन का,
और ज़िन्दगी के
अनुभवों के साथ
उस प्रेम उपवन में चले,
सचमुच जिस दिन
ज़िन्दगी किताब सी होंगी,
उसके हर पन्ने पे यादे
बेहिसाब सी होंगी;
अपनो के संग एक
ऐसा दस्तान होगा,
हर्ष और उल्लास के साथ
जीता हर इंसान होगा,
जिएंगे अपनो के लिए,
ये सोच जब मन
में छप जाएगी,
हर दर्द हर
तकलीफ़ पास
आने से कतराएगी;
जब थकने से लगो
ज़िन्दगी की गर्त में,
कुछ हसीन लम्हों का
ही आसरा होगा,
यकीनन अपनो के साथ
ही अलग करवां होगा।

✍️  रानी साह
कोलकाता - पश्चिम बंगाल
8981173489 (wtsp)
___________________________

14.
* रात में क्यों पीकर आते हो पापा ,*

रात में क्यों पीकर आते हो पापा?
हमें स्कूल लेने क्यों नहीं आते हो
पापा?
रात में मम्मी क्यों रोती है पापा?
रात में मम्मी को क्यों बहुत मारते
हो पापा?
प्रिया बोलती उसके पापा सुपरमैन है,
रोहित बोलता उसके पापा आयरन मैन,
मैं क्या बोलूं बताओ ना पापा
मम्मी इतना क्यों रोती है बताओ
ना पापा?
मकान वाले अंकल पूछ रहे थे
मैंम फिस के लिए भी पूछ रही थी?
स्कूल की फीस हम क्यों नहीं दे
पाते पापा?
मम्मी की साड़ी फट क्यों गई है
उनके कान के झुमके बिक क्यों
गए है?
मेरी ड्रेस फट सी गई है ? जूते मेरे
फट से गए हैं?
मम्मी आंटी के घर बर्तन क्यों धोने
जाती है पापा?
मेरे लिए बार्बी डॉल क्यों नहीं
लाती है पापा?
आप बोलते कि मेरा पैदा होना पाप है?
क्या मैं एक लड़की हूंँ यह मेरा
अभिशाप है?
अब आप खामोश क्यों है बताइए
ना पापा?
आप देर रात क्यों पीकर आते हो
पापा?
मेरे सपने टूट गए आप हमसे क्यू
रूठ गए है?
बताइए ना पापा‌?आप क्यू इतना
पीकर आते है पापा? 
भैया और मुझसे क्यू भेद करते हो
पापा?

✍️ राजेश सिंह
*(बनारसी बाबू)*
*उत्तर प्रदेश वाराणसी**
8081488312

15.
जाने कहां गये वो दिन ✍️ डॉ .मधु आंधीवाल
----------------
धीरे धीरे गुम होगया बचपन
कभी नहीं भूल पायेगे उम्र होगयी पचपन,
  एक ऐसा बिषय लिखो तो पूरा उपन्यास लिख जाये क्योंकि अब बच्चों के बच्चे भी बहुत बड़े हो गये पर मै तो अब भी अपने बीते दिनों को जीवन्त करती हूँ । शादी को 50 साल पूरे होगये वह बात दूसरी है कि शादी 15 साल की उम्र में होगयी । जब गुड़िया खेलने के दिन थे उसी समय दुल्हन बना दी । किस्मत अच्छी थी कि पतिदेव हालांकि वह भी 22 साल के थे पर उसी समय डिग्री कालिज में लेक्चरार की पोस्ट पर नियुक्त हुये सोने में सुहागा वह भी मायेके के शहर में । अब शरारत कम नहीं थी बस थोड़ी पैरो में पायल पहन ली । पढाई नहीं छोड़ी क्योंकि मां का हाथ था और उच्च शिक्षा लेली । कालिज की शरारत की शिकायते पति के कानों तक पहुँचती थी बस अन्तर था वह साइंस विभाग में थे और मैं आर्ट विभाग में ।
        उस समय संयुक्त शिक्षा में लड़कियां बहुत कम होती थी जब मैने बी.एड किया तो मात्र हम10 लड़कियां थे और लड़के  50 पर सब लड़को के ऊपर हावी रुतवा था कि पतिदेव इसी कालिज में हैं। एक बार एक लड़के ने प्रेम पत्र किताब में रख कर देदिया ‌। हमने दूसरे दिन स्माइल देदी । अपनी सारी मित्रों को बता दिया प्रोग्राम बनाया कि अलीगढ़ नुमायश लगी है मै इसको वहाँ बुलाती हूँ तुम सब आजाना । वह आतुर था बात करने को अच्छा स्मार्ट बन्दा था अब स्मार्ट तो हम भी थे वह कालिज के पीछे पहुँचा थोड़ा घबड़ाया हुआ । हमने उससे पूछा पत्र क्यों लिखा तो बोला बहुत सुन्दर हो मैने कहा शादी शुदा हूँ बोला प्यार यह नहीं देखता । दूसरे दिन नुमायश में मिलने का वायदा करके अलग हो गये । दूसरे दिन नुमायश में मै पहुँची वह इन्तजार कर रहा था बोला घूमते हैं चलो जैसे ही घूमना शुरू किया सहेलियो की पलटन आगयी मैने अनजान बन कर कहा अरे तुम लोग कैसे सब बोली हम भी नुमायश देखने आये हैं तुम्हारे साथ ही घूमेंगे । बस उसकी हालत खराब और थोड़ी देर बाद बहाना बना कर गायब हम लोग खूब हंसे । घर आकर पतिदेव को बताया तो डांट तो पड़नी थी । इन्होंने कहा अब तुम एक बच्ची की मां हो तुम्हारी सब हरकते पता चलती हैं । ये था मेरा बचपन अब भी नहीं भूल पाती अब बेटियों के दोनों बच्चे एक बी टैक और एक सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा है जब उनकी मां कहती हैं कि पढ़ाई के अलावा थोड़ा बाहर की दुनिया भी देखो तो मै हमेशा कहती बच्चो जब मेरी उम्र में आओगे तो ये बचपन लौट कर नहीं आयेगा । नानी की तरह बिन्दास रहो । मै तो अब भी मोहल्ले के बच्चो के साथ बच्चा बन जाती हूँ ।
        सोचती हूँ " जाने कहां गये वो दिन "
        बहुत किस्से फिर मिलेंगे अगले भाग में ।

✍️ डॉ .मधु आंधीवाल

16.
अंक 30

सादर प्रेषित
.................. गजल.............. ््

डा 0 प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद बिजनौर

ग़ज़ल

किसी को बद्दुआ  देने से....
कोई मर नही जाता
मिले जो जख्म ...अपनो से
यूँ ही भर नही जाता |1
वफा करना तो आदत है .
.ये जीते जी न जायेगी
वफा करता रहूँगा मै . मैं
जब तक मर नही जाता|2
अजब क्या दौर अब .
.अच्छाईयाँ भी दर्द देती है
सभी अच्छे ही डरते है  बुरा .
तो डर नही जाता |3
कभी वो दिन भी ..आयेगा.
बुराई  खौफ खायेगी
बहुत गागर छलकता है
जब तक भर नही जाता |4
बहुत कुछ प्रेम को चुभता
है पर खामोश रहता है
किसी को कहने सुनने.. से
बदल कोई नहीं जाता| 5
सभी कहने को सब
अपने मगर सच मे अकेले है
ये सब कैसी सियासत है
समझ मे कुछ नही आता| 6
रखकर आँख चौखट पर
कई कई रात जागी है               
मेरी माँ सो नहीं पाती
मैं जब तक घर नहीं जाता | 7

✍️ डॉ . प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर



17.

स्वरचित एवं मौलिक रचना
शीर्षक -:

पर्यावरण बचाना है

अगर चाहिए शुद्ध हवा तो
,वृक्षों को लगाना है
अगर धरा पे रहना है
तो,पर्यावरण बचाना है
जल को यूँ ना व्यर्थ बहावों,
जल ही तो जीवन है
अगर कभी मेघ ना बरसे तो
,नभ को आवाज़ लगाना है
अगर कभी कोई शगर गिरा हो,
तो हमको पुनः उठना है
कभी धरा को चोट लगे
ना,ऐसा कर दिखलाना है
जहाँ जमीने बंजर हो वहाँ,
हमको फसल उगाना है
फूलों के जैसा बनकर हमें
,मानव का पाठ पढ़ाना है
सौरभ के जैसा बनकर हमें,
उजियारा फैलाना है
रात में चाँद जो सुन्दर दिखता,
हमको तारा बन जाना है
                         
✍️  प्रभात गौर
   नेवादा जंघई
   प्रयागराज  (उत्तर प्रदेश)
18.
नमन मंच
शीर्षक-

एक बात कहनी थी

तुम्हें एक बात कहनी थी,
मेरी जाँ रूठ मत जाना
कली हो तुम बड़ी नाजुक,
सुनो तुम टूट मत जाना
बताओ तो जरा मुझको,
तुम्हारे हाल क्या क्या है
तुम्हारे दिन महीने सब,
तुम्हारे साल क्या-क्या है
मुझे कब तुम सताओगी,
मेरे तुम पास आओगी
मुझे बर्बाद करने के,
तुम्हारे जाल क्या क्या है
लूटा बैठा हूं सब तुम पर,
मुझे अब लूट मत जाना
कली हो तुम बड़ी नाजुक,,
तेरे माथे की वो बिंदिया,
वो तेरे कान का झुमका
वो तेरी चाल हथनी सी,
वो तेरी चाल का ठुमका
मेरी आंखें तरसती है,
तुम्हें देखा न सदियों से
तुम्हारे नैन कजरारे
, कहो क्या हाल है उनका
मोहब्बत हो सचिन कि तुम,
सुनो तो छूट मत जाना
कली हो तुम बड़ी नाजुक,,
तुम्हें एक बात कहनी थी,,
कली हो तुम बड़ी नाजुक,,

✍️  सचिन गोयल
गन्नौर शहर 131101
सोनीपत हरियाणा

19.
कविता (

शुन्य  से  अनंत  तक परिभाषा

शुन्य  से  अनंत  तक परिभाषा
चैतन्य मन में जागी अभिलाषा
सत्य अंतरमन में  चीख  रहा है
काल सम्मुख खड़ा दीख रहा है
फिर क्यों अज्ञानी बनके मनुष्य
देता खुद को यूँ मिथ्या दिलासा
शुन्य  से  अनंत  तक परिभाषा
चैतन्य मन में जागी अभिलाषा
अंत:करण का पटल खोल जरा
नादान किस  भय  से  बोल डरा
पंचमहाभूत समाहित तेरे अंदर
दिव्यशक्ति का तू अद्भुत समंदर
एकाग्र  तू  निज मन को कर ले
महसूस होगा ये  दिव्य प्रकाशा
शुन्य  से  अनंत  तक परिभाषा
चैतन्य मन में जागी अभिलाषा
इंद्रियों की तृष्णा का कर दे दमन
आलौकिक कल्पना में कर गमन
भाषा को परिभाषित कर साध ले
छल कपट माया मोह को बांध ले
सम्मुख खडी़ है मुक्ति मानव देख
लेकर अनगिनत देवीय सी आशा
शुन्य  से  अनंत  तक परिभाषा
चैतन्य मन में जागी अभिलाषा
धर्म का मूलमंत्र है तेरे अंतकरण में
गीता ज्ञान मिले  पार्थ हरि शरण में
धर्म शीलता से   पिघला है पाषाण
संकल्प से मुर्दे में भी फूके  है प्राण
मे जाग मनुष्य खुद ही निर्माण कर
अब अर्थहीन शब्दों में मर्मज्ञ भाषा
शुन्य  से  अनंत  तक परिभाषा
चैतन्य मन में जागी अभिलाषा
       
✍️ आरती शर्मा ( आरू)
पिता का नाम -
श्री श्याम बाबू शर्मा
मानिकपुर उत्तर प्रदेश

20.
माँ की वेदना

मां कोख में खून से
सींचती पालती रही,
अब तुम बूंद पानी
देने को राजी नहीं।
माँ थी भूखी मगर
भरपेट खिलाती रही,
अब तुम इक रोटी
देने को राजी नहीं।
मां थी जागती रात भर
गोद में सुलाती रही,
अब तुम इक बिस्तर
देने को राजी नहीं।
माँ थी रोने पे तुम्हें ममता
से दूध पिलाती रही,
  अब तुम दूध का क़र्ज़
चुकाने को राजी नहीं।
मां आसरे में बुढ़ापे का
बैसाखी पालती रही,
अब बेटा बैशाखी सहारा
देने को राजी नहीं।
  माँ सबको अपनी
वेदना सुनाती रही,
  फिर भी कोई सुनने
को नागा राजी नहीं।

✍️ धीरेंद्र सिंह नागा
ग्राम -जवई, तिल्हापुर
(कौशांबी ) उत्तर प्रदेश
20.

बात वर्तमान की

वर्तमान के हालात ,की करें जो हम बात,
शादी ब्याह,बारात, में ,भीड़ जुटाई जी।
बाजारों में हर बार, त्यौहारों की रंग बहार,
लोकतंत्र के त्यौहार,की भी दी बधाई जी।
राजनीति अलबेली,जै चुनाव वाली रैली,
खूब चली भरी थैली,मौज भी मनाई जी।
करते लापरवाही,मास्क न लगाया भाई,
मौका मिला बीमारी को,यह लौट आई जी।
कोरोना की महामारी,संग ले आई लाचारी
आपदा में अवसर की,नीति ने रुला दिया।
छिन गए रोजगार,ठप्प हो गए व्यापार,
परेशान आमजन, सबने भुला दिया।
बंद द्वारे खिड़कियां,झेल रहा झिड़कियां,
सुलभ इलाज नहीं, वक्त ने झुला दिया।
रहा बंद इंतजाम,उसका ही परिणाम
असमय मौत वाली, नींद में सुला दिया।।
पूछ रहे प्रश्न सभी, उत्तर न मिला अभी
आपने तो बातें बना, सपने दिखाए क्यों?
लाक डाउन न माना,काम किया मनमाना,
जरुरतें नहीं जाना,अब पछताए क्यों?
भीड़ भी जुटाई खूब, बातें की हवाई खूब,
दिखा कर बहुरुप,आंसू ये बहाए क्यों?
अॉक्सीजन नहीं मिली,दम तोड़े पुष्प कली,
झूठ-मूठ आंकड़ों के, जाल ये बिछाए क्यों?
कैसी मजबूरी आई,काम न करें दवाई
हे प्रभु तेरी दुहाई,धरी रही संपदा।
अपने तक ही सीमित,हर मन आशंकित
अपनी सुरक्षा करें,भाग्य में है क्या बदा?
गंगा में लाशें बहाए,रेत में भी दबाए,
घरों में रुदन हाय, कैसी आई विपदा?
कुछ भी बनाओ बात,सच है यही हालात
दुखी हैं 'अनिल' मन,हॅसता था जो सदा।

* ✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर ,उत्तर प्रदेश

21.

दो क्षणिकाएँ  ......

समाज से
बाहर रह कर ,
समाजवाद की बातें ,
हंसों के लिबास में हैं
कौओं की आवाजें ,
गरीबी हटाओ ,
नारा है  ख़ालिस ,
गरीबों की आहें
लगती हैं इन्हें ,
साजों की झंकारें  !

नेता और अभिनेता ,
अभिनय
दोनों की विरासत है ,
फर्क
सिर्फ इतना है ,
अभिनेता
रंग बदलते हैं ,
और नेता
दल बदल लेते हैं !!

✍️ अनीता नायर " अनु ''
नागपुर ( महाराष्ट्र )

22.
कविता

बड़ी जीजी

आज छोटी माँ मतलब
सबसे बड़ी जीजी
याद आ गयी,
जो हंसते हंसते जीवन से
कब अंतर्ध्यान हो
गयी पता नही ।
आज लिस्ट बनाने बैठी,
उनकी हर बातो को जो
रोज याद आती हैं ।
कितनी भी दूर रहूं मैं,
जब उदास होती,
फ़ोन की आवाज
उनका चेहरा दिखाती ।
पल भर में दुनिया की
खुशियां झोली में भरकर,
शांत चित्त से समझाकर
ही बोलती अब बस ।
बड़े जतन से कई चीजें
मेरे नाम से रख देती।
त्योहार में मान मनुहार
कर के बुलाती और,
सारे स्वाद समेट देती थी
एक छोटी सी थाली में ।
जब भी देखा व्यस्त पाया
हर विद्या में पारंगत मूरत,
पार्टी में सबसे मनमोहिनी
मूरत उन्ही की होती थी ।
उपहार में भी स्वयं निर्मित
कुछ अचरज लिए रहती,
शरीर के कष्टों को भूलकर
कैसे सबको खुश रखे,
भलीभांति जानती थी वो......
माँ के बाद,  छोटी माँ
बहुत याद आती हैं,
पता नही दुनिया से
क्यों जाते है लोग ।

✍️ भगवती सक्सेना गौड़
बैंगलोर
✍️

23.

* पिता...*

पिता सिर्फ,
पिता भर नहीं थे।
वह घर की छत थे,
परिवार की रोटी थे,
हम सब की खुशी थे।
हम सबका मान थे,
हम सबकी शान थे,
हम सबका भरोसा थे,
हम सबका साहस थे।
घर का पूरा उपवन थे,
हम सबका सूरज थे,
उनसे घर जगमग था।
घर में सूनापन नहीं था,
चेहरे पर मायूसी नहीं थी।
उनके रहने से बहार थी,
हर मुश्किल आसान थी।
उनके साथ रहने से ही,
सारी खुशियाँ साथ थी,
हम सब बेचारे नहीं थे।
सबसे बड़ी बात जो थी,
उनके रहने से हम सब,
जहाँ में अनाथ नहीं थे।

   ✍️ भारतेन्द्र त्रिपाठी*
*प्रयागराज, उत्तर प्रदेश*
bhartendra07@gmail.com

24.
विषय - वक्त
विधा : मुक्तक

वक्त अच्छा आए जब
तो विनम्र रहना चाहिए
हर किसी से सरलता
से पेश आना चाहिए ।
श्रेष्ठता तो है इसीमें
गरिमा व गौरव भी है
वक्त ने ही तुझे योग्य बनाया
बस ये ध्यान रखना चाहिए ।।
भूल से भी तुम किसी से
व्यवहार गलत मत कर जाना
गर हो जाए किसी के
द्वारा तुरन्त ही तुम भूल जाना ।
तरह-तरह के लोग हैं जहाँ मे
भांति-भांति की भ्रान्तियाँ है
बस अपना कर्म करते रहना
बाधाओं से पार पा जाना।।
दुर्बलों का वंचितों का
और शोषित जनों का उत्थान हो
जो भी तुमसे बन पड़े
हृदय से पूर्ण अवदान हो।
वक्त है कमजोर उनका
वक्त से ही पीड़ित हैं वे
संसार है इक नाटक-शाला
इसके पात्र तुम महान हो।।
बदलने मे तो वक्त को
भी वक्त ना लागता
बलवान् होता है सदा ये
जगत् सारा जानता
आज तुझको है मिला
जो सामर्थ्य कल किसी और को
जान ले तू हे मनुज!
ढंग से शुभ अशुभ पहचानता ।

✍️ डॉ देशबन्धु भट्ट:
प्रवक्ता संस्कृतम्
रा इं कॉ तोलीसैण मुखेम
प्रताप नगर,टिहरी-गढ़वाल उत्तराखण्ड



साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )

जीत जायेंगे हम - गीत
आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
राष्ट्रीय अध्यक्ष साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
https://youtu.be/74ZKEFsCThI

आ.  सरिता सिंह जी गोरखपुर उत्तर प्रदेश
https://youtu.be/SrWRFHka38s
आ. संगीता मिश्रा जी प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान
https://youtu.be/oOMv-fm3z0U

8. आ. संगीता मिश्रा जी , संयोजिका - साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली, , तेलंगाना इकाई अध्यक्षा
https://youtu.be/jmF43PF0wwU
*प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान*
9. आ. राहुल मिश्रा जी , प्रदेश अध्यक्ष तेलंगाना इकाई
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=348571216694498&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/pvUxR-7qOCg

कोलफील्ड मिरर आसनसोल में प्रकाशित
10/05/2021 ,
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiYw-O_wG7wu-K-nRxZJNqLTx2yup7Tnf7vncuuqA7xy3R4Tg2Ve3od6mVErPwDPwvmG41WI4y65Y4tXqeDGRIUftpcqMxp2xtiow4PWlcNnBzVvSfoW9W6lZ4KxXbYZP2YnW2wXZEofEQ/s2048/CFM+HINDI++++10.06.+2021+5.jpg

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 30
https://online.fliphtml5.com/axiwx/iqjc/

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई साहित्यकारों को सम्मानित किए हरित रक्षक सम्मान .

साहित्य संगम संस्थान , रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) के पश्चिम बंगाल इकाई द्वारा 05 जून 2021 , शनिवार , विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में काव्य पाठ का आयोजन किए रहें ।
देवस्थापन 10:00 बजे आ अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी द्वारा, सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा, आशीर्वचन 10:10 में आ . महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा , मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ . जयश्रीकांत जी द्वारा, अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ. राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा , 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी मंच का संचालन किए ,  आ. विनीता कुशवाहा जी , गोण्डा उत्तर प्रदेश, आ. फूल सिंह जी , आ. रवींद्र कुमार शर्मा जी , आ. श्वेता धूत जी , हावड़ा, पश्चिम बंगाल,  आ. बेलीराम कनस्वाल जी,  आ. अनुराधा तिवारी "अनु" जी , आ. विनीता लालावत जी, आ. रजनी हरीश जी , आ. रंजना बिनानी "काव्या " जी , गोलाघाट असम,  आ. मीना  गर्ग जी, आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , जोधपुर राजस्थान, आ. मनोज कुमार चन्द्रवंशी "मौन" जी,  आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी ( दिल्ली ), आ. सुनीता बाहेती, (श्रुति ) जी, आ. दीप्ति गुप्ता जी,  आ. प्रेमलता उपाध्याय स्नेह  जी दमोह , आ. दीप्ति खरे जी, आ. स्वर्णलता सोन जी , दिल्ली,  आ. अनु तोमर जी, आ. अनिल पालीवाल जी , आ. कलावती कर्वा जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी, आ. सुनीता मुखर्जी, आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी, आ. प्रमोद पाण्डेय 'कृष्णप्रेमी' गोपालपुरिया जी,  आ. सुधीर श्रीवास्तव जी, आ. आशुतोष कुमार जी, आ. सुशील शर्मा जी,  रोशन कुमार झा ,  आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी और भी साहित्यकारों द्वारा काव्य पाठ किया गया रहा , उन समस्त सम्मानित साहित्यकारों को  ' हरित रक्षक ' सम्मान से साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी के करकमलों से सम्मानित किया गया ।। साहित्य संगम संस्थान मार्गदर्शक , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष आ. डॉ. राकेश सक्सेना महागुरुदेव  जी ,  राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु  आ. मनोज कुमार पुरोहित जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी  , समस्त सम्मानित साहित्यकारों को शुभकामनाएं दिए ।
https://youtu.be/jmF43PF0wwU



https://coalfieldmirror.blogspot.com/2021/06/10-2021-coalfieldmirrorgmailcom.html?m=1

कोलफील्ड मिरर
https://www.facebook.com/947627768756518/posts/1640072122845409/?sfnsn=wiwspmo

पश्चिम बंगाल

https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1939031646273730/?sfnsn=wiwspmo

मुख्य मंच :-
https://m.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1399215700449495/?sfnsn=wiwspmo

आ. आशुतोष कुमार जी
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935775569932671/?sfnsn=wiwspmo


अंक - 31 से 33 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo

पश्चिम बंगाल इकाई सम्मान पत्र
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अंक - 31
https://online.fliphtml5.com/axiwx/brif/

अंक - 30
https://online.fliphtml5.com/axiwx/iqjc/

https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1937789836397911/?sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/-gxVYTWJQqU

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html

दिनांक - 10/06/2021
दिवस -  गुरुवार
#साहित्यसंगमसंस्थान
यूट्यूब संचालक
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
सह
पश्चिम बंगाल इकाई सचिव



रोशन कुमार झा








कोलफील्ड मिरर आसनसोल में प्रकाशित
10/05/2021 , गुरुवार
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiYw-O_wG7wu-K-nRxZJNqLTx2yup7Tnf7vncuuqA7xy3R4Tg2Ve3od6mVErPwDPwvmG41WI4y65Y4tXqeDGRIUftpcqMxp2xtiow4PWlcNnBzVvSfoW9W6lZ4KxXbYZP2YnW2wXZEofEQ/s2048/CFM+HINDI++++10.06.+2021+5.jpg

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 30
https://online.fliphtml5.com/axiwx/iqjc/

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई साहित्यकारों को सम्मानित किए हरित रक्षक सम्मान .

साहित्य एक नज़र 🌅 , बुधवार , 9 जून 2021 ,

साहित्य संगम संस्थान , रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) के पश्चिम बंगाल इकाई द्वारा 05 जून 2021 , शनिवार , विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में काव्य पाठ का आयोजन किए रहें ।
देवस्थापन 10:00 बजे आ अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी द्वारा, सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा, आशीर्वचन 10:10 में आ . महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा , मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ . जयश्रीकांत जी द्वारा, अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ. राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा , 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी मंच का संचालन किए ,  आ. विनीता कुशवाहा जी , गोण्डा उत्तर प्रदेश, आ. फूल सिंह जी , आ. रवींद्र कुमार शर्मा जी , आ. श्वेता धूत जी , हावड़ा, पश्चिम बंगाल,  आ. बेलीराम कनस्वाल जी,  आ. अनुराधा तिवारी "अनु" जी , आ. विनीता लालावत जी, आ. रजनी हरीश जी , आ. रंजना बिनानी "काव्या " जी , गोलाघाट असम,  आ. मीना  गर्ग जी, आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , जोधपुर राजस्थान, आ. मनोज कुमार चन्द्रवंशी "मौन" जी,  आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी ( दिल्ली ), आ. सुनीता बाहेती, (श्रुति ) जी, आ. दीप्ति गुप्ता जी,  आ. प्रेमलता उपाध्याय स्नेह  जी दमोह , आ. दीप्ति खरे जी, आ. स्वर्णलता सोन जी , दिल्ली,  आ. अनु तोमर जी, आ. अनिल पालीवाल जी , आ. कलावती कर्वा जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी, आ. सुनीता मुखर्जी, आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी, आ. प्रमोद पाण्डेय 'कृष्णप्रेमी' गोपालपुरिया जी,  आ. सुधीर श्रीवास्तव जी, आ. आशुतोष कुमार जी, आ. सुशील शर्मा जी,  रोशन कुमार झा ,  आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी और भी साहित्यकारों द्वारा काव्य पाठ किया गया रहा , उन समस्त सम्मानित साहित्यकारों को  ' हरित रक्षक ' सम्मान से साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी के करकमलों से सम्मानित किया गया ।। साहित्य संगम संस्थान मार्गदर्शक , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष आ. डॉ. राकेश सक्सेना महागुरुदेव  जी ,  राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु  आ. मनोज कुमार पुरोहित जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी  , समस्त सम्मानित साहित्यकारों को शुभकामनाएं दिए ।
https://youtu.be/jmF43PF0wwU


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कोलफील्ड मिरर
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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान

10/06/2021 के अभ्यास 

त वर्गादि संयुक्ताक्षरक पुनराभ्यास त थ द ध न  अक्षरक संयुक्ताक्षरक अभ्यास  
सब छवि समूह पर उपलब्ध अछि👆
https://youtu.be/pXMIgRNIic8

https://youtu.be/e6hsWAd1o2w

https://youtu.be/49gCvRB884E

https://youtu.be/IE5UR1aGChc

https://youtu.be/g0_VBTs6eno
[09/06, 22:57]
https://youtu.be/E-3TIKl7LCA




















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