कविता :- 20(40) , रविवार, 27/06/2021 , अंक - 48

रोशन कुमार झा

कविता :- 20(40)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 27/06/2021 ,
दिवस :- रविवार
विषय :- अभिवादन
विधा :- बांग्ला भाषा
विषय प्रदाता :- आ. सुनीता मुखर्जी
विषय प्रवर्तक :- रोशन कुमार झा

माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्यकारों को सादर प्रणाम । आज की विषय और विधा बहुत ही शानदार है , विषय प्रदाता आ. सुनीता मुखर्जी जी को धन्यवाद सह सादर आभार , एवं समस्त पदाधिकारियों को भी धन्यवाद जिन्होंने आज हमें विषय प्रवर्तन करने का मौक़ा  दिए हैं ।

अभिवादन मतलब सम्मान करना जी हाँ आज हम इसी उमंग के साथ बांग्ला भाषा का अभिवादन करेंगे , जो भाषा बंगाल को ही नहीं बल्कि हिन्द और हिन्दी का भी विश्‍व स्तर पर पहचान दिलाया , राष्ट्र गान निर्माता , नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी , राष्ट्र गीत निर्माता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी अहम भूमिका निभाये , आज ही के दिन राष्ट्र गीत निर्माता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी का जन्म
27 जून 1838 , नैहाटी, उत्तर चौबीस परगना , पश्चिम बंगाल में हुआ था । बांग्ला अक्षर का लिपि मिथिलाक्षर से लिया गया है  ‌।

আপনাদের সবাই কে নমস্কার ,
( आप सभी को नमस्कार )
विषय - अभिवादन , विधा - बांग्ला भाषा
आप सभी सम्मानित साहित्यकार करें स्वीकार ।।

अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकार आमंत्रित है , अभिवादन विषय पर अपनी मन की भावनाओं को बाग्ला भाषा विधा के माध्यम से प्रस्तुत करें । एवं अन्य रचनाकारों के रचना को पढ़कर सटीक टिप्पणी करके रचनाकारों को प्रोत्साहित कीजिए ।।

जय हिन्द , जय हिन्दी
धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐

आपका अपना
रोशन कुमार झा

#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(40)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
रविवार , 27/06/2021
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 48
Sahitya Ek Nazar
27 June 2021 ,   Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=801477020741707&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 2
https://m.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1955216687988559/?sfnsn=wiwspmo




08:16 में गांव में रहें आ. मनोज कुमार पुरोहित जी फोन किए हम बोले नमस्ते गुरु जी 🙏 ।
क्षमा चाहता हूँ भाई रोशन हमारा पदाधिकारियों के गलती है आपको सूचित नहीं किया आज आपको विषय प्रवर्तन करना है । पोस्टर भेज दूं क्या ?

आज पहली बार साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई में कोई पोस्ट को स्वीकार करेगा ।

देव मामा बेटी  तुलिया के दुरागमन आज रहा , परसों पूजा रहा गये रहें ।
सोमवार , 21/06/2021 मो :- 6290640716, कविता :- 20(34) को शादी रहा ।

पूजा पटना में पापा के इलाज करवाने के लिए
फोटो मांगी हम चाचा घर में सोते रहे खींच कर भेजें पूजा को ।

आज बबली से बात की , बेटा रहा बोली हमरे छैय
मिली लेल सास बदमाश छैय कहलियअ नजदीक में रहैया छीयैअ पर कुनू बात विचार नैय

बबली कहलक बातों नैय करैत छेअ हम कहलियअ नैय देखने हेबो

माँ फोन पर कहलक परसों मिली पापा हमरा निकला के  5 मिनट बाद मिली पापा मधुबनी नानी पास गेलकीन नानी माँ के कहलकीन

करेला का मसाला बनाई रहीं दादी , 3 लिट्टी लाये आज आनंदी जामुन ला दिया ।।

[27/06, 22:26] Babu 💓: Mera babu
[27/06, 22:26] Babu 💓: Chhoti mami ka beta h
[27/06, 22:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ohh
[27/06, 22:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: Mast hai
[27/06, 22:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bolo
[27/06, 22:30] Babu 💓: Boliye
[27/06, 22:31] Babu 💓: Kya hua
[27/06, 22:33] Babu 💓: 😡😡😡😡😡😡
[27/06, 22:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: Khanna khahii
[27/06, 22:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jaan
[27/06, 22:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: Kya sab khahii
[27/06, 22:39] Babu 💓: Aapko bole the na fish
[27/06, 22:39] Babu 💓: Ek pic send kijye na
[27/06, 22:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: Haa
[27/06, 22:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: Line nhi hai
[27/06, 22:41] Babu 💓: Nhi
[27/06, 22:41] Babu 💓: Vejye na
[27/06, 22:41] Babu 💓: Babu
[27/06, 22:41] Babu 💓: Please
[27/06, 22:43] Babu 💓: Kya hua jaan
[27/06, 22:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bolo
[27/06, 22:45] Babu 💓: Love you baby
[27/06, 22:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: Love you too jaan
[27/06, 22:46] Babu 💓: Boliye
[27/06, 22:46] Babu 💓: Jaan ek kaam kijyega
[27/06, 22:47] Babu 💓: Boliye
[27/06, 22:48] Babu 💓: Kya hua
[27/06, 22:49] Babu 💓: Kaha chale gye
[27/06, 22:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: Kahi nhi
[27/06, 22:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: Boli
[27/06, 22:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bolo
[27/06, 22:50] Babu 💓: Nhi bolna
[27/06, 22:50] Babu 💓: Kaha gye the
[27/06, 22:51] Babu 💓: Bolo
[27/06, 22:51] Babu 💓: Na
[27/06, 22:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ha karange
[27/06, 22:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: Network problems hai
[27/06, 22:54] Babu 💓: Hu
[27/06, 22:54] Babu 💓: Kal mandir ja kr mere or se puja kr lijyega
[27/06, 22:55] Babu 💓: Or pray bhi kr lijyega
[27/06, 22:55] Babu 💓: Bolo
[27/06, 22:55] Babu 💓: Karoge na
[27/06, 22:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ha jaan
[27/06, 22:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: Papa jii ke liya na
[27/06, 22:57] Babu 💓: Ha baby
[27/06, 22:57] Babu 💓: Love you jaan
[27/06, 22:58] Babu 💓: Good night saiya ji
[27/06, 22:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: Love you to my misti babu
[27/06, 22:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: Good night
[27/06, 23:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: Nice
[27/06, 23:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: Hmko dena dahejjj



फेसबुक से -

हिन्दी कविता-12(65)
27-06-2019 वृहस्पतिवार 21:01
*®• रोशन कुमार झा
-:आज नहीं तो कल !:-

आज नहीं तो कल,
मैं भी जाऊँ बदल!
रहन-सहन और घर,
सारी सुख-सुविधा अपनाऊँ क्योंकि
एक दिन जाना ही है मर!

तब क्या चिंता,किस बात का,
राह रोशन करना है भरोसा है मुझे
अपने हाथ का!
परवाह है न हमें किसी जात का,
और नहीं अन्धेरी रात का!

क्योंकि रास्ते में मैं चला हूँ,
सँघर्ष से लड़ा हूँ!
क़ामयाबी पर मरा हूँ,
हार से न डरा हूँ!

तब बदला हूँ,
और चौराहे पर खड़ा हूँ!
हार-जीत से भरा हूँ,
तब आगे चला हूँ!

और चलता रहूँगा,
दुख-दर्द सहूँगा!
नदी की तरह बहूँगा,
और आगे बढ़ने को कहूंगा!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(65)
27-06-2019 वृहस्पतिवार 21:01
गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार
सलकिया विक्रम विधालय मेन
Eastern Railway scouts
Howrah Bamangachi(Pmkvy)
31st Bengal bn Ncc Fortwilliam
Kolkata-B
Reg no:-WB17SDA112047
बे बी बोली ने हा के कारण हम3 से बात
नहीं करते है,नेहा अणु से बाता बाती
ब्रह्राचर्य बोली
Migration Certificate from निकाले!



[27/06, 21:36] Speak Up Mithila: https://youtu.be/jhhgAhtGIUk

Coffee With Ex, Hindi Storytelling by Nishant Kumar is out now, do check it out!

Kindly share the video, wherever possible.

Regards,
*SpeakUp Mithila Family*
[27/06, 21:36] Speak Up Mithila: Do, let us know how did you felt about this poem.

If possible, also share this to your whatsApp story. It will be our pleasure to see our work in your whatsApp story, and will motivate us to work hard.

🌼🌻
[27/06, 21:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏

2.
[27/06, 21:31] राजस्थान इकाई: सम्मान पत्र प्रदान कर प्रोत्साहन हेतु आभार आदरणीय👏🙏
[27/06, 21:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 हार्दिक शुभकामनाएं सह सादर स्वागतम् 🙏💐
[27/06, 21:34] राजस्थान इकाई: 👏🙏

3.
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान
[27/06, 21:19] +91 2: त्क्र मे निचा लकीर छुटल
बाकि निक 💐
4.
[27/06, 19:18] आ प्रभात जी: Congratulations brother
[27/06, 19:34] आ प्रभात जी: Sab apna hii
[27/06, 19:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां भाई जी 🙏
[27/06, 19:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद भाई
[27/06, 19:39] आ प्रभात जी: Very nice
[27/06, 21:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏
5.
[27/06, 19:49] +91 9707: समय
अनवरत बढ़ता रहता
अपने ही गतिपथ पर।
समय के  संग
जीवन बढ़ता,
समय भी बढ़ता
जीवनपथ पर।
समय के यदि संग चले तो,
सबकुछ
समय पर मिलता है।
समय के संग यदि नही चले तो,
सबकुछ
आधा अधूरा रहता है।
समय
तो बस समय ही है।
अच्छा या बुरा नहीं होता।
मनुष्य का कार्य ही
समय को परिभाषित करता है।
कार्य अच्छा है,
समय अच्छा है ।
कार्य बुरा है,
समय बुरा है।
समय का न अपमान करो।
समय का सम्मान करो।
समय की पहचान करो।
समय से फिर काम करो।
समय बलवान बड़ा हैं
समय के प्रहार से डरो।
समय ही बदलता दुख को सुख में
बस समय का इंतजार करो
सीमित समय है जीवन में,
समय समय पर भरपूर जियो।
समय
अनवरत बढता रहता,
अपने ही गतिपथ पर।
समय के संग
जीवन बढ़ता।
समय भी बढ़ता
जीवनपथ पर।
            _ सुनीता कुमारी
इंटर कॉलेज जिला स्कूल, पूर्णियाँ।
[27/06, 19:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर कामेंट बाक्स में भेजिए
[27/06, 19:54] +91 : ग्रुप ज्वाइन किए वह पर कमेंट का ऑप्शन नहीं है एक भी पोस्ट पर
[27/06, 21:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है देख रहे है

[26/06, 21:22] डॉ पल्लवी जी: भाई सर्टिफिकेट पर ये तस्वीर डालिएगा। 🌺
[26/06, 21:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[26/06, 22:44] डॉ पल्लवी जी: भाई काम को भी समझाना होगा।
[26/06, 22:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 दीदी
[27/06, 16:36] डॉ पल्लवी जी: भाई पत्रिका पर भी मेरे लिए सुपुर्द कार्य की उद्घोषना कर देते।मेरे लिए कार्य संपादन में सुविधा होगी। 🌺
[27/06, 17:17] डॉ पल्लवी जी: भाई क्या पत्रिका पर संपादकीय लेख भी प्रकाशित होगा?
[27/06, 17:17] डॉ पल्लवी जी: शुक्रिया भाई। 🙏🌺
[27/06, 17:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 दीदी
[27/06, 17:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज आपको सूचित कर देंगे।
[27/06, 17:20] डॉ पल्लवी जी: विषय क्या मुझे चयन करना होगा?या आप निर्दिष्ट करेंगे।
[27/06, 17:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप स्वतंत्र है
[27/06, 17:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: विश्व साहित्य संस्थान पर पोस्ट कीजिए
[27/06, 17:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: आगे से आप विषय दें सकतें हैं
[27/06, 17:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

विषय :- कोरोना से संबंधित रचनाएं व चित्र
विधा :- स्वैच्छिक
शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होने की दिनांक :- 01 जुलाई 2021
दिवस :-  गुरुवार
विषय प्रदाता :- आ . आशीष कुमार झा जी

बिना मतलब के स्पेस रहने पर रचना को पत्रिका में शामिल नहीं किया जायेगा ।

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

आपका अपना

रोशन कुमार झा
संपादक / संस्थापक
मो - 6290640716

अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -

अंक - 2
https://www.facebook.com/groups/978836735882669/permalink/984763045290038/




अंक - 1
https://online.fliphtml5.com/axiwx/vfjt/

फेसबुक - 2

https://m.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110602636014989/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110587466016506/?sfnsn=wiwspmo

साहित्य एक नज़र
अंक - 45 से 48
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo

https://online.fliphtml5.com/axiwx/drnf/
मधुबनी इकाई
https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/316049233531466/?sfnsn=wiwspmo

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[27/06, 17:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसे लेकर पोस्ट कीजिए
[27/06, 18:15] डॉ पल्लवी जी: जी।
[27/06, 18:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: पोस्ट कीजिए
[27/06, 18:20] डॉ पल्लवी जी: पोस्ट कर दिये।
[27/06, 18:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 धन्यवाद

[27/06, 09:18] ज्योति झा जी: भायजी एगो सहायता करब🙏🏼
[27/06, 09:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: बाजू बहिन अवश्य करब
[27/06, 09:25] ज्योति झा जी: हम त' fb chrome मे चलाबेय छिय त' ओत copy नैय भ' पैयब रहल अैय
[27/06, 09:25] ज्योति झा जी: त' अहाँ हमरा कॉपी क' क' भेज सकेय छी🙏🏼
[27/06, 09:25] ज्योति झा जी: सब रचना
[27/06, 09:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर बहिन
[27/06, 09:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम भेज देब
[27/06, 09:31] ज्योति झा जी: देखियौं ई चित्र एेलेया
[27/06, 09:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक अछि
[27/06, 09:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: नाम
[27/06, 13:33] ज्योति झा जी: भायजी भेजु न
[27/06, 13:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: शाम तक भेज देब
[27/06, 13:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: संपादकीय भला लिखकअ
[27/06, 13:39] ज्योति झा जी: जी
[27/06, 14:07] ज्योति झा जी: भेजु न
[27/06, 14:08] ज्योति झा जी: हम क रहल छिय
[27/06, 14:20] ज्योति झा जी: भायजी भेजु न
[27/06, 15:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेज रहल छी
[27/06, 15:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: #नमन माँ शारदे
#नमन मंच
#विषय प्रेम की बूटी
#विधा सायली छंद

मंद
मुस्कान जान
देखती निगाहें अब
पिया मिलन
आस

प्रियतम
नैन बावरे
पल पल मिलन
की आस
संग

प्रेम
पावन अवसर
प्रेम की बूटी
रस रंगिया
जान

वफ़ा
की बूटी
कभी न छूटी
टूटी सांस
दुखद

जीवन
मंत्र सिद्ध
प्यार की बूटी
अनुपम उपहार
तमन्ना

प्रेम
की बूटी
जीवन उत्कर्ष हृदय
उमंग अति
छाए

मन
पंछी उड़
प्रेम के प्रतीक
गगन में
छलांग

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान
[27/06, 15:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक नयी शुरुआत के लिए
संपादिका आ.ज्योति झा जी
और साहित्य एक नजर परिवार
मधुबनी इकाई को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
यह पत्रिका अपने उद्देश्य में पूर्ण सफल हो। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ
आपका शुभाकांक्षी
डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश
[27/06, 15:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: पत्रिका के नाम जोड़ देवैय , शुभकामना संदेश अछि
[27/06, 15:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: [ बात करने की बात ]
खुद से भी बात करो,कभी कभी मित्र मेरे,
दिन रात भागदौड़, में ही मत रहिए।
काम काम सिर्फ काम,सुबह से देर शाम,
कभी तो करो आराम, न तनाव सहिए।।
थोड़ा समय खुद को, दीजियेगा बंधु मेरे,
अपने से अपने ही,मन की तो कहिए।
जान जाओगे सच्चाई,सच कहता हूं भाई,
भागादौड़ी करके न,असमय ढहिए।।

बैठकर शांति चित्त,खुद को निहारो जरा,
कौन हूं मैं,बना कौन,बात यह जानिए।
थोड़ा थोड़ा सा व्यायाम,थोड़ा थोड़ा प्राणायाम,
थोड़ा थोड़ा ध्यान कर, खुद को पहचानिए।।
जीवन का लक्ष्य बना, वही काम करने को,
दृढ़ निश्चय  ही कर, करने की ठानिए।
खुद से जो करी बात,होगी नयी शुरुआत,
बात करने की बात,एक बार मानिए।।
* डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर,उत्तर प्रदेश
[27/06, 15:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: रचना अछि अनिल जी के
[27/06, 15:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: सादर प्रेषित

नमन मंच
अंक...... 1
विधा...... कविता

विषय... उफ्फ ये गर्मी...

सूर्य
की ऊर्जा
का तापीय
प्रभाव
है गर्मी यही
ऊर्जा पौधे
करते हैं परिवर्तित
पोषक पदार्थों में
जिनसे मिलता
है पोषण जीवों को
चलता है जीवन
किसी भी पर्यावरण में
सफल रहता है
वही जो ढालता है
अपने को
खोजता है उपाय
करता है सुधार
परिवर्तन स्वयं में
रेगिस्तान की
जलाने देने वाली
गर्मी से नहीं हारता
ऊंट , बना
लिया है खुद को
अनुकूल
शुष्क वातावरण
में लगने वाली
भयंकर प्यास से
नहीं होता विचलित
गर्म रेत चलता है
आसानी से
बहुत तेज
जहाज की तरह
विपरीत हालात में
भूख को भी
देता है मात
शरीर के ऊतकों
में संचित जल
बचाता है इसे प्यास से
कूबड़ में एकत्र वसा (फैट)
है ईलाज भूख का
पैरों में गद्दीयां एंव
लम्बी टांग
बनाती है सक्षम
गर्म रेत पर तेज
चाल चलने में
परिस्थितियों पर
कर लिया है नियन्त्रण
बनाया है खुद को
सबल
यही है रहस्य
रेगिस्तान के जहाज
की जीवन यात्रा की
सफलता का
यही तो है मुश्किल
दशाओं में
इसकी खुशी का
रहस्य.......

डा0 प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद बिजनौर
[27/06, 15:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: लम्बा अछि ओतेक मेहनत नैय कोरअ के छैय बहिन , एक भेल में सोभ कोअ देब तहन समझ में ओतन इनका सभके
[27/06, 15:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: अंक 1
विधा - कविता
शीर्षक - पिता एक उम्मीद है

पिता एक उम्मीद है
वही हमारे चैन और सुकून की नींद है
बागो के फ़ूल और खुशबु बहार अगर वो नहीं तो सब बेकार है
सूरज की रोशनी चाँद की चमक और तारो का टिमटिमाना उसके बिन सब अंधकार है
उसके होने से ही ज़िन्दगी में खुशिया और दिल में क़रार है
हम तो उसके चमन के फ़ूल है
यही हम गए भूल है
वो हमारा माली है
जो फूलो की तरह रखता हमरा ख़्याल यही उसकी दरियादिली है
पिता एक उम्मीद है
हर वक़्त हमपर रखता है करम की नज़र
बहुत नेक दिल है वो बशर
क्यों है इनके मर्तबे से हम  बेख़बर
हम ठहरे बंज़र ज़मीं
वही तो इस ज़मीं की है नमी
जिसमे ना है कोई कमी
पिता ही तो हमारी दुनिया की हर उम्मीद है
वही तो जीने की उम्मीद है
अगर वो नहीं तो हम हर चीज़ से नाउम्मीद है
हमारी ज़िन्दगी शाम और रात है
तो वही हमारे सुबह की उम्मीद है

तबरेज़ अहमद  नई दिल्ली बदरपुर
[27/06, 15:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: शाम में हम अहा वाला संपादकीय और अप्पन शुभकामना संदेश भेज देब
[27/06, 15:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: पृष्ठ संख्या - 4 सअ शुरू करूं
[27/06, 15:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: 5 सअ
[27/06, 15:19] ज्योति झा जी: जी🙏🏼
[27/06, 15:19] ज्योति झा जी: हम किछ अलग तरह स' करे के सोच रहल छि
[27/06, 15:19] ज्योति झा जी: MS Word मे
[27/06, 15:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: 1 कवर पेज , दूसरा अहा के , तीसरा शुभकामनाएं , चौथ रचना अहा और हमर
[27/06, 15:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: करूं
[27/06, 15:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागत अछि
[27/06, 15:20] ज्योति झा जी: हम अहाँक के क' क' भेजे छि
[27/06, 15:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: अहा के पत्रिका अहा जनह करी बहिन हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
[27/06, 15:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक छैय
[27/06, 15:20] ज्योति झा जी: 🥰🙏🏼
[27/06, 15:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: बस एतबिक रचना अछि
[27/06, 15:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: कामेंटस बाक्स बंद कोअ देनोऊ
[27/06, 15:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: आब अहा करूं
[27/06, 15:22] ज्योति झा जी: चित्र त' नैय ऐल अछि
[27/06, 15:51] ज्योति झा जी: मधुबनी हमर जान मधुबनी हमर पहचान यउ अतै के पान मखान शान यउ मिथिला पेंटिंग पूरा विश्व विख्यात यउ मधुबनी हमर मातृ भूमि मधुबनी हमर जान यउ।।
[27/06, 15:51] ज्योति झा जी: वर्तनी ठीक छैय की?
[27/06, 17:01] ज्योति झा जी: एक डेग आगु, क्ल्पना स' यथारथ दिश....

प्रिय पाठकगण के सादर नमन🙏🏼
       साहित्य एक नजर🌅 : मधुबनी इकाई स' प्रकाशित होब वाला साप्ताहिक ई-पत्रिका "মিথLITERATURE" के प्रथम अंक के प्रेषित करेत बेहद हर्षक अनुभूति भ' रहल अैय और आशा करेय छि जे अपने सबहक अापार प्रेम और आत्मियता प्राप्त हुए!

अक्सर ऐहन होय छैय कि, हम-अहाँ जिनकर खोज मे लागल छि, सेहो हमरा-अहाँ तक पहुच लेल बड्ड व्याकुल छैयथ!

जी, हॉ! "মিথLITERATURE" सेहो अहाँ मे किछ नवीनता खोजबाक प्रयासरत अछि। नित नुतन सृजनता लेल लासायित अछि। लीक स' हेट क', अहाँक के माध्यम स', अहाँक के लेल, अहाँक रचना सबके एगो भिन्न गगन प्रदान करबाक संकल्प लेने "মিথLITERATURE" के ई रसमय गंगाक के ऐही रूप स' सुपुर्द करबाक प्रयत्न करेत रहब।
अहाँ सबहक सहियोग बिन ई कल्पना स' यथार्थक समन्वय क' पैनाय सम्भव नैय भ' पायत। अतः अपने सब स' विनम्र निवेदन कि, अहाँ सब ई साहित्यिक प्रवाहमयी मुहिम के अविरल गति प्रदान करी।

बस अपने सबहक उत्साहवर्धक और आनन्दमयी प्रतिक्रियाक प्रतिक्षा रहत।
धन्यवाद🙏🏼
[27/06, 17:01] ज्योति झा जी: सम्पादकीय
[27/06, 17:02] ज्योति झा जी: ई सही छैय की?
[27/06, 17:08] ज्योति झा जी: की?
[27/06, 17:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार
[27/06, 17:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार बहिन 🙏🙏🙏
[27/06, 17:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: ( मिथि लिट्रेचर )
[27/06, 17:14] ज्योति झा जी: वर्तनी देखियौं न🙏🏼
[27/06, 17:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: মিথি के पास दो दियोअ
[27/06, 17:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: देखैत छी
[27/06, 17:15] ज्योति झा जी: जी
[27/06, 17:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: सऽ
[27/06, 17:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: स इअ वाला उपयोग करब
[27/06, 17:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: ऊपर में
[27/06, 17:16] ज्योति झा जी: जी
[27/06, 17:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: सम्पादकीय
[27/06, 17:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: नीचा अहा अप्पन नाम
[27/06, 17:17] ज्योति झा जी: अहाँ कौन keyboard use करैय छियै?
[27/06, 17:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: कीछ हिन्दी में दूं चार शब्द प्रकट कोअ देब
[27/06, 17:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: मोबाइल में
[27/06, 17:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: 5 भाषा हम चयनित केने छीयै
[27/06, 17:25] ज्योति झा जी: ई कॉपी नैय भ' रहल अैय
[27/06, 17:41] ज्योति झा जी: भायजी अहाँक के रचना
[27/06, 17:41] ज्योति झा जी: हिनकर वर्षा पर छले कविता
[27/06, 17:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजब बहिन
[27/06, 17:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: गलती भोअ गेल
[27/06, 17:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजैय छी
[27/06, 17:43] ज्योति झा जी: हिनकर फॉटो
[27/06, 17:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: ईअ छेथिन
[27/06, 17:44] ज्योति झा जी: आ' हिनकर रचना
[27/06, 17:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: पी.एच डी केने छैथ
[27/06, 17:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजब बहिन
[27/06, 17:46] ज्योति झा जी: 🤣🤣🤣
[27/06, 17:49] ज्योति झा जी: हिनकर दूगो रचना छलेन
[27/06, 17:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: परेशान छी
[27/06, 17:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: एके गो लियअ बहिन
[27/06, 17:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: विश्व साहित्य में देलकीन हेअ
[27/06, 17:54] ज्योति झा जी: जी
[27/06, 17:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏
[27/06, 17:55] ज्योति झा जी: ऐहन आदमी सब केवल नाम और औदा लेल मरैय छथिन्ह
[27/06, 17:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां पर विश्व साहित्य संस्थान अप्पन सभ क पहिल मंच अछि अहि लेल हम सहयोग कोअ रहल छी
[27/06, 17:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: अही हाथक बनेल पोस्टर अंक - 2 अपने सभ प्रकाशित नैय कोअ पेलिय
[27/06, 17:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: से
[27/06, 17:58] ज्योति झा जी: 🥰
[27/06, 18:01] ज्योति झा जी: हिनकर रचना भेजु न
[27/06, 18:02] ज्योति झा जी: ई वाला करिय की प्रकाशित?
[27/06, 18:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर बहिन
[27/06, 18:18] ज्योति झा जी: 🥰🙏🏼
[27/06, 21:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏

[27/06, 13:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[27/06, 13:46] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी थोड़ा स्वस्थ खराब है। इसलिए देर हो गयी माफी चाहता हूँ।
[27/06, 13:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई बात नहीं आप अपना स्वस्थ पर ध्यान दीजिए , कैसा देरी सर जी 🙏💐

[23/06, 20:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo
[23/06, 20:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां भेजिए आदरणीया 🙏🙏🙏🙏
[23/06, 20:56] कीर्ती जी: जी सर
[23/06, 20:56] कीर्ती जी: धन्यवाद
[23/06, 21:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏
[27/06, 12:21] कीर्ती जी: महोदय इस लिंक पर हम कमेंट कर पाने में असमर्थ हैं..
कृपया मार्गदर्शन करें 🙏
[27/06, 12:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजिए रचना
[27/06, 13:34] कीर्ती जी: विधा- कविता
शीर्षक- "समय की रेत फिसलती है"

है फिसलते रेत जैसे,समय का वह पल है कैसे ?
बचपना अपना है रुठा,है मुसाफिर मंजिलों के।
है प्रतिपल बढ़ते रहते ,यह शाखाएं मंजिलों के ,
हैं मिलन उस लक्ष्य पथ का,उन कंकड़ों और पत्थरों पर ।
बिछड़ते रहते हैं मुझसे ,झूमती डालो की छाया,
दौड़ते पगडंडियों पर ,बचपन का वो ख्वाब टूटा।
आसमानों के सितारे,झांकती रहती थी आंखें ,
बंद कमरों में पड़े हैं,अक्षरों से द्वंद करते।
डगमगाए मेरी कदमें,मुस्कुरा कर थाम लेते ,
इन अकेली राहों पर ,निज "काया" भी ना साथ होती।
ढलती रहती उम्र प्रतिपल ,स्मृति निज गढ़ती रहती,
डूबती किरणों के संग तो , ढलती रहती राहें अब तो।

नाम- कीर्ती चौधरी
पता- जमानियां,गाज़ीपुर ( उत्तर प्रदेश)

[12/06, 10:03] मनोज कुमार पुरोहित जी 🙏: जा रहे हैं मैं रोकूँगा नही
सब की अपनी जिंदगी अपने विचार
पर एक बार पुनः गहन चिंतन का आग्रह करूँगा🙏🏻🙏🏻
[12/06, 10:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[27/06, 09:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: अनुमति दें दीजिए पोस्ट कर दिए है ।
[27/06, 10:02] मनोज कुमार पुरोहित जी 🙏: बहुत बहुत आभार भाई
[27/06, 10:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐

[26/06, 23:07] ज्योति दीदी जी: 👍🏻
[26/06, 23:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/7IAu7DXb6N4
[26/06, 23:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/-CqFj4-RFas

[27/06, 21:47] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: Ki Hal chal
[27/06, 21:47] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: Nik chhi ne
[27/06, 21:47] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: ऐ विषय पर हमरा पास एगो रचना ऐ भेजू की अहा के
[27/06, 21:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजूं
[27/06, 21:53] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: Ok
[27/06, 21:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां भाई जी अप्पन बताबू









अंक - 48
https://online.fliphtml5.com/axiwx/gmxs/

अंक - 47

https://online.fliphtml5.com/axiwx/drnf/


जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 48

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716


अंक - 48
27 जून  2021

रविवार
आषाढ़ कृष्ण 3 संवत 2078
पृष्ठ - 
प्रमाण पत्र -   9 - 11
कुल पृष्ठ -  12

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆

99. आ. राम प्रकाश अवस्थी 'रूह' जी
100. आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम " जी संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी ( साप्ताहिक पत्रिका )
🏆🌅 मनोनयन प्रमाण - पत्र 🌅 🏆
101.आ. ज्योति सिन्हा जी , मुजफ्फरपुर , बिहार


सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/317105156718934/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 45 - 48
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo

मधुबनी इकाई
https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/316049233531466/?sfnsn=wiwspmo

विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -
https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110843755990877/

फेसबुक - 1

https://m.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1142840999562786/

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फेसबुक - 2

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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 48 ,  रविवार
27/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 48
Sahitya Ek Nazar
27 June 2021 ,  Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय , Bankim Chandra Chatterjee , বঙ্কিমচন্দ্র চট্টোপাধ্যায়) (२७ जून १८३८ - ८ अप्रैल १८९४) बंगाली के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका प्रमुख  स्थान है।

जन्म - 27 जून 1838 , नैहाटी, उत्तर चौबीस परगना , पश्चिम बंगाल
मृत्यु - 8 अप्रैल 1894 (उम्र 55) कोलकाता, बंगाल
व्यवसाय - लेखक, कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार, पत्रकार, व्याख्यानकार एवं राजनेता
भाषा - बांग्ला, अंग्रेजी
उच्च शिक्षा - कलकत्ता विश्वविद्यालय
विषय - साहित्य
साहित्यिक आन्दोलन बंगाली पुनर्जागरण
उल्लेखनीय कार्य - दुर्गेशनन्दिनी
कपालकुण्डला
देवी चौधुरानी
आनन्द मठ
वन्दे मातरम्

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

🎁🎈🍰🎂🎉🎁 🌹🙏💐🎈

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम् ।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।।
वन्दे मातरम् ।
कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।।
वन्दे मातरम् ।
तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि,
तुमि मर्म त्वं हि प्राणा:
शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।। ३ ।।
वन्दे मातरम् ।
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम् नमामि कमलां
अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।।
वन्दे मातरम् ।
श्यामलां सरलां सुस्मितां
भूषितां धरणीं भरणीं मातरम् ।। ५ ।।
वन्दे मातरम् ।।

~बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

शादी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं आ. पकंज श्रीवास्तव जी व आ. ज्योति सिन्हा जी
27/06/2021 , रविवार

Happy Anniversary
शुभ वैवाहिक वर्षगांठ

💐💐🙏🌹🍰🎉🎂💖🥰🎁
🌅


परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

समीक्षा

दूसरे चरण की समीक्षा में मैं लेकर आया हूँ श्री रामकरण साहू "सजल" जी की पुस्तक "पुरूषार्थ ही पुरूषार्थ" । मैनें कल की समीक्षा में कहा था कि इस पुस्तक में ऐसा क्या है जिसे लोग पढ़ने के लिऐ किताबों की दुकानों के चक्कर लगा रहें है। तो मैं बताता चलू की पुरूषार्थ यानी मेहनत , मैं ये सब नहीं बताऊँगा ये हमारे पाठक जानते है। दरअसल इस पुस्तक को साहू जी ने सात खण्डों में विभाजित किया  है। कल्पना खण्ड ,जन्म खण्ड, बाल खण्ड, यूवा खण्ड, उत्साह खण्ड ,वीरता खण्ड और विश्राम खण्ड इन सात खण्डों में कल्पना से लेकर विश्राम तक का यानी जन्म से लेकर मृत्यू तक का वर्णन है।जैसे कल्पना खण्ड में कहते है कि
सुशोभित दृग अंजन पुरूषार्थ
सरकती साड़ी तन पुरूषार्थ
बहकते डग मारग पुरूषार्थ
नयन की कोरों में पुरूषार्थ
महावर पैरों का पुरूषार्थ
माँग हो सिंदूरी पुरूषार्थ
चपलता सारंग का पुरूषार्थ
शंख ध्वनि गूंज रही पुरूषार्थ।
कवि की कल्पना देखिये की पुरूषार्थ क्या है। इन पंक्तियों में देखने को मिलेगा। अंजन, तन,मारग, सिंदूरी,चपलता और गूंज इन पंक्तियों में ये सब पुरूषार्थ है और बाल खण्ड में कहते है कि
चला जाता धावन के साथ
बिछुड़ने का भय पकड़े हाथ
बात करते दोनों थे साथ
हँस रहा साथ-साथ पुरूषार्थ।
बल खण्ड की अद्भुत व्याख्या पुरूषार्थ कैई तरह का होता है केवल मेहनत ही पुरूषार्थ नहीं है। अगले यूवा खण्ड में ये कहते है कि
व्योम में स्वयं उड़े सब पेल
उड़ाने लम्बी किन्तू न  फेल
पकड़ने पर पिंजड़े की जेल
छूटते वह खेलें फिर खेल
उड़ें पीछे-पीछे वन रेल
परों पर जिनके था पुरूषार्थ।
कहते है यूवा अवस्था ऐसी होती है कि पँखो पर बस ज़रा सी हवा लगने तो दो आसमान से भी ऊंचा उड़ने की इच्छा रखते है। उत्साह खण्ड में कहा कि
बलैयां ले माँ बारम्बार
उतरे अश्व लाल की धार
छलकता शब्दों से था प्यार
शब्द से फुट रहा पुरूषार्थ।
और  वहीं वीरता खण्ड में कहते है कि
बनी योजना तुरन्त सभी की
सैनिक सब तैयार किया
एकत्रित करने का सबको
सबने जल्दी काम किया
पहनी निज-निज सब पोशाकें
निज वाहन को प्यार किया
अस्त्र-शस्त्र ढालों से सबने
पुरूषार्थ तैयार किया।

वीरता की परिभाषा को आपने लयबद्ध तरीके से उन्होंने कहा डाला और आखरी और अंतिम विश्राम खण्ड में कहते है की
भूप देहे पर चौथेपन ने
निज अस्तित्व दिखाया है
शुष्क हो रही त्वचा देह की
यह संदेश सुनाया है
श्वेत हो गये बाल देह के
रन्ध संकुचित पाया है
निज दरबार व्यथा निज तन की
पुरुषारथ कर गाया है।
आज श्री साहू जी की आठवी पुस्तक परुषार्थ ही पुरूषार्थ की आखरी समीक्षा थी। मैं जब समीक्षा के लिऐ बैठता टी उनकी किताबों को कैई बार पलटता एक-एक पृष्ठ को दो-दो बार पढ़ता आज मुझे उनकी किताब की आखरी समीक्षा  करते हुऐ दुख भी हो रहा है और खुशी भी दुख इस बात का है कि आज ये उनकी पुस्तकों की आखरी समीक्षा है और खुशी इस बात कि मुझें समीक्षा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अरे भई आप लोग गलत समझ रहे है। आखरी से मतलब अभी तक की प्रकाशित पुस्तकों में से आख़री ये तो साहू जी का साहित्यिक आगाज़ है। अभी उन्हें न जाने कितने सोपान पूरे करना है। अब मैं आप से विदा लेता हूँ। इसी पुस्तक की तृतीय चरण की समीक्षा में फिर मिलूँगा। तब तक के लिए राम - राम

समीक्षक - ✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी

कविता :- 20(40)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 27/06/2021 ,
दिवस :- रविवार
विषय :- अभिवादन
विधा :- बांग्ला भाषा
विषय प्रदाता :- आ. सुनीता मुखर्जी
विषय प्रवर्तक :- रोशन कुमार झा

माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्यकारों को सादर प्रणाम । आज की विषय और विधा बहुत ही शानदार है , विषय प्रदाता आ. सुनीता मुखर्जी जी को धन्यवाद सह सादर आभार , एवं समस्त पदाधिकारियों को भी धन्यवाद जिन्होंने आज हमें विषय प्रवर्तन करने का मौक़ा  दिए हैं ।

अभिवादन मतलब सम्मान करना जी हाँ आज हम इसी उमंग के साथ बांग्ला भाषा का अभिवादन करेंगे , जो भाषा बंगाल को ही नहीं बल्कि हिन्द और हिन्दी का भी विश्‍व स्तर पर पहचान दिलाया , राष्ट्र गान निर्माता , नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी , राष्ट्र गीत निर्माता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी अहम भूमिका निभाये , आज ही के दिन राष्ट्र गीत निर्माता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी का जन्म
27 जून 1838 , नैहाटी, उत्तर चौबीस परगना , पश्चिम बंगाल में हुआ था । बांग्ला अक्षर का लिपि मिथिलाक्षर से लिया गया है  ‌।

আপনাদের সবাই কে নমস্কার ,
( आप सभी को नमस्कार )
विषय - अभिवादन , विधा - बांग्ला भाषा
आप सभी सम्मानित साहित्यकार करें स्वीकार ।।

अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकार आमंत्रित है , अभिवादन विषय पर अपनी मन की भावनाओं को बाग्ला भाषा विधा के माध्यम से प्रस्तुत करें । एवं अन्य रचनाकारों के रचना को पढ़कर सटीक टिप्पणी करके रचनाकारों को प्रोत्साहित कीजिए ।।

जय हिन्द , जय हिन्दी
धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐

आपका अपना
रोशन कुमार झा

#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(40)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
रविवार , 27/06/2021
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 48
Sahitya Ek Nazar
27 June 2021 ,   Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

https://m.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1955216687988559/?sfnsn=wiwspmo

विधा- कविता
शीर्षक-
कविता
"समय की रेत फिसलती है"

है फिसलते रेत जैसे,
समय का वह पल है कैसे ?
बचपना अपना है रुठा,
है मुसाफिर मंजिलों के।
है प्रतिपल बढ़ते रहते ,
यह शाखाएं मंजिलों के ,
हैं मिलन उस लक्ष्य पथ का,
उन कंकड़ों और पत्थरों पर ।
बिछड़ते रहते हैं मुझसे
,झूमती डालो की छाया,
दौड़ते पगडंडियों पर ,
बचपन का वो ख्वाब टूटा।
आसमानों के सितारे,
झांकती रहती थी आंखें ,
बंद कमरों में पड़े हैं,
अक्षरों से द्वंद करते।
डगमगाए मेरी कदमें,
मुस्कुरा कर थाम लेते ,
इन अकेली राहों पर ,निज
"काया" भी ना साथ होती।
ढलती रहती उम्र प्रतिपल
,स्मृति निज गढ़ती रहती,
डूबती किरणों के संग तो ,
ढलती रहती राहें अब तो।

✍️ कीर्ती चौधरी
पता- जमानियां,गाज़ीपुर
( उत्तर प्रदेश)

सायली छंद
व्यापार

व्यापार
अपनी जगह
संबंध, रिश्ते, नाते
अपनी जगह
जागो।

उसूल
व्यापार का
भी होता है
व्यवहार, व्यापार
अलग।

संबंध
तभी तक
अच्छा होता है
बिखरे न
संबंध।

रिश्ते
व्यापार नहीं
कहाँ तक तोलोगे,
अलग पथ
ठीक।

✍️ सुधीर श्रीवास्तव
     गोण्डा, उ.प्र.
   8115285921
©मौलिक, स्वरचित

नमस्कार ।
मन हुआ कि आपके पास अपनी एक कविता प्रेषित कर दें। यदि आपको ठीक लगे तो हमें  कहीं  स्थान दें ।
धन्यवाद ।

#
कविता

पेड़ से,
बेल का लिपट जाना,
या प्लेट से प्याला,
अलहदा,
नहीं रखा जाना,
चाय पी कर भी।
बस ज़ुरूरत की मुहब्बत है ये,
क्योंकि,
साथ तो उम्र भर का होता है !
पर, रुख बदलने लगा है,
अब शायद,
समय के प्रवाह का,
भावनाओं के निर्वाह का,
पेड़ धराशायी हैं,
बेलों को बांस मिले।
और कप को छोड़,
तन्हा मग से भी आगे,
हैं कागज के कप,
उपयोग होने के बाद,
सीधे कूड़ेदान में !
जाने क्या क्या है शेष,
विधि के विधान में,
जाने क्या क्या है शेष,
विधि के विधान में !

✍️ प्रदीप मिश्र " अजनबी "।
*स्वरचित मौलिक काव्यकृति*

ख्वाब और हकीकत

अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता हूं यारों,
ख्वाब सूर्य को पकड़ा
हकीकत जुगनू...
अब ख्वाबों में नहीं
हकीक़त जीता हूं यारों,
ख्वाब चांद पर घुमा,
हकीकत धरती पर......
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता हूं यारों,  
रात के ख्वाबों में न जाने
कितने अरमान के फूल है खिलते ,
सुबह होते ही हकीकत में
सजे सब अरमान है खो जाते ,
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता हूं यारों,
ख्वाबों में आकर वो
हर इक रात मुलाकात है करती ,
हकीकत सुबह में वो
दिखाई नहीं दिया करती,
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता हूं यारों,
ख्वाब है तुझे चांद के
पार ले जाने का
हकीकत है हैसियत नहीं
खुद चांद पर जाने का ,
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीते हैं यारों   
ख्वाब ,सपने ये झूठें बेईमान है,
हकीकत अटल
सत्य ईमान है नागा,
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता यारों
    
  ✍️  निहारिका संग धीरेंद्र सिंह नागा
   ग्राम -जवई तिल्हापुर
कौशांबी उत्तर प्रदेश

कबीर चिंतन सम्मान और काव्य अभिव्यक्ति सम्मान से सम्मानित हुए देशभर के साहित्यकार ।

कबीर जयंती पर अपनी वैचारिक आलेखात्मक अभिव्यक्ति और काव्यात्मक अभिव्यक्ति करने वाले मित्रों को अभिव्यक्ति के संपादक आ. डॉ अनिल शर्मा ' अनिल' जी के करकमलों से क्रमशः कबीर चिंतन सम्मान और काव्य अभिव्यक्ति सम्मान से अलंकृत किया गया । कबीर चिंतन सम्मान पाने वाले मनीषी हैं-
डॉ.घनश्याम बादल जी, प्रो. डॉ.शरद नारायण खरे जी
आ. सतेंद्र शर्मा तरंग जी, वीणा गुप्त जी, बाबा कल्पनेश जी, सुनीता रानी राठौर जी, अनुजा दूबे जी,
डॉ विजय लक्ष्मी जी, मीना जैन जी, रेनू बाला सिंह जी
, आनंद नारायण पाठक जी, डॉ ए कीर्तिवर्धन जी,
गीता पांडेय जी, कमलेश मुद्गल जी, पं. राकेश मालवीय मुस्कान जी, सुधीर सिंह'सुधाकर'जी एवं
काव्य अभिव्यक्ति सम्मान पाने वाले रचनाकार  हैं -
सतेंद्र शर्मा तरंग जी, मास्टर भूताराम जाखल जी
मुकेश मैथिल जी, अजय जैन जी, रमेश कुमार द्विवेदी चंचल'जी, डॉ महताब अहमद आजाद जी, अभिनव शर्मा जी, राकेश कौशिक जी, सुधीर श्रीवास्तव जी,
वीणा गुप्त जी, दिनेश चंद्र प्रसाद'दीनेश' जी, चन्द्र कला भागीरथी जी।

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रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्व साहित्य संस्थान

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई



अंक - 49

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कविता :- 20(41)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2041-49-28062021.html

अंक - 50 , साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
अंक - 1

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/50-1-29062021.html

कविता :- 20(42)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2042-50-29062021-1.html

अंक - 51
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/51-29062021.html

कविता :- 20(43)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2043-30052021-51.html

अंक - 52 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/52-01072021-2.html

http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(44)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2044-01072021-2.html

अंक - 53
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक - 45

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/45-24062021.html

कविता :- 20(37) , गुरुवार , 24/06/2021 , अंक - 45
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अंक - 46
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/46-25062021.html

कविता :- 20(38)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2038-25062021-46.html
अंक - 47
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/47-26062021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
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कविता :- 20(40)
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अंक - 44
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कविता - 20(36)

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साहित्य एक नज़र के साथ सम्मानित हुए , आज मैं बहुत बहुत खुश हूँ , 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌅

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शादी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं आ. पकंज श्रीवास्तव जी व आ. ज्योति सिन्हा जी
27/06/2021 , रविवार

Happy Anniversary
शुभ वैवाहिक वर्षगांठ 💐💐🙏🌹🍰🎉🎂💖🥰🎁
🌅
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( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
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16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

विषय :- कोरोना से संबंधित रचनाएं व चित्र
विधा :- स्वैच्छिक
शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होने की दिनांक :- 01 जुलाई 2021
दिवस :-  गुरुवार
विषय प्रदाता :- आ . आशीष कुमार झा जी

बिना मतलब के स्पेस रहने पर रचना को पत्रिका में शामिल नहीं किया जायेगा ।

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
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अंक :- 49, 50, 51, 52, 53,

दिनांक :- 28 जून 2021 से 2 जुलाई 2021

दिवस :- सोमवार से शुक्रवार

एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

शब्द सीमा - 300 - 350

इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में रचना भेजें , यहां पर आयी हुई रचनाओं में से कुछ रचनाएं को अंक - 49 कुछ रचनाएं को अंक - 50 कुछ रचनाएं को - 51, कुछ रचनाएं को 52 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 53 में प्रकाशित किया जाएगा ।

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नमन 🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान, क्रमांक :- 6
दिनांक :- 25/06/2020 , दिवस :- वृहस्पतिवार
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शादी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं आ. पकंज श्रीवास्तव जी व आ. ज्योति सिन्हा जी
27/06/2021 , रविवार

Happy Anniversary
शुभ वैवाहिक वर्षगांठ 💐💐🙏🌹🍰🎉🎂💖🥰🎁
🌅
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