कविता :- 20(44) , गुरुवार ,अंक - 52, 01/07/2021 , विश्व साहित्य संस्थान , वाणी अंक - 2, Doctors Day

रोशन कुमार झा


कविता :- 20(44)
नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅
उपकार हो जाएं ...

लोग सोचते है मेरी हार हो जाएं ,
मैं सोचता हूँ , हमसे उनका
उपकार हो जाएं ।।
मुसीबत का वक्त भी पार हो जाएं ,
और न इसी साल हो जाएं ।।

हार सहने के लिए हम तैयार हो जाएं ,
कभी सोचें ही नहीं हमें
किसी से प्यार हो जाएं ।।
दिल की पूजा पाठ भी हुई
बस एक जैसा व्यवहार हो जाएं ,
साथ निभा दूँ वैसा मेरा अख़्तियार हो जाएं ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(44)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
01/07/2021 , गुरुवार
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 52
Sahitya Ek Nazar
01 July 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

06:43 उठे मुंह धोया , नारियल के पत्ता गिर गया तार सब टूट गया । नेहा , धर्मेन्द्र , पिंकी झा का सपना देखें । कल वाला कविता पर पूजा झगड़ा की आंचल बात करवा दी । आशीष वाला कविता हम टाइप किए , हर्ष आशीष हमसे बात किया हर्ष बोला बच्चन सर अध्यक्ष पद पर सअ हटाअ देलक ।

लॉकडाउन और उसके बाद ...

कई दिनों तक भूखा रहा
बच्चें रहें उदास ,
कई दिनों तक कर्ज़ रहा
गाली सूना हज़ार ।।
कई दिनों तक घर में रहा बंद
सब बेबस लाचार ,
नौकरी रोज़गार सब गई
मजबूरी समझे ना कोई आज ,
जो पक्षी थे पिंजरे में,
आसमान में उड़ रहे हैं आज ।
हम मनुष्य आज़ाद थे,
पिंजरे में है आज ।

राशन भेजा मोदी जी
कई दिनों के बाद ,
राहत मिली गरीबों को
कई दिनों के बाद ।
सब परिवार भोजन किया
कई दिनों के बाद ,
मिला कुछ रोज़गार
कई दिनों के बाद ।
आते रहें लेनदार की
दिन लगातार ।।

✍️ आशीष कुमार झा

साहित्य एक नज़र
https://youtube.com/shorts/SZqpF67YrnA?feature=share

https://youtu.be/K17jcEVWE30

साहित्य संगम संस्थान

https://youtu.be/eKXALjmExDc

रोशन कुमार झा
https://youtu.be/GCdTyK_PQJo



साहित्य एक नज़र 🌅
[30/06, 17:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/ruci/
[01/07, 18:56] +91 86: आदरणीय महोदय नमस्कार बहुत सुंदर अंक है आपका सार्थक प्रयास साहित्य प्रेमियों के लिए लाभदायक होगा सर।
विनोद कुमार सीताराम दुबे शिक्षक व हिंदी प्रचारक गुरु नानक इंग्लिश हाई स्कूल एन्ड जूनियर कालेज भांडुप मुंबई महाराष्ट्र

[01/07, 07:20] +91 पहली बार -  : सु प्रभात 🙏🏻🙏🏻
[01/07, 07:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏 शुभ प्रभात
[01/07, 07:21] +91 : रोशन जी मैं मंजूरी डेका, असम इकाई से
[01/07, 07:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: बताईए कैसे है आप
[01/07, 07:21] +91 : Aap kese hai
[01/07, 07:21] +91 : मैं बढ़िया हूं
[01/07, 07:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: मैं भी ठीक हूं और बताइए
[01/07, 07:22] +91 : असल में आप से एक बात थी
[01/07, 07:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: बताइए
[01/07, 07:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागत है
[01/07, 07:23] +91 : साहित्य एक नजर में मेरी रचना प्रकाशित हुई थी और सम्मान पत्र के लिए नाम लिया गया था ग्रुप बांध हो गया
[01/07, 07:23] +91 : परंतु मुझे पता नही कि
[01/07, 07:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[01/07, 07:24] +91 : Mera वाला दिया गया की नहीं
[01/07, 07:24] +91 : कृपया मार्ग दर्शन करे🙏🏻🙏🏻
[01/07, 07:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी आपको सम्मानित नहीं किया गया है कल के अंक में कर देंगे आप फोटो भेजिए
[01/07, 07:25] +91 : जी ठीक है🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[01/07, 07:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद 🙏
[01/07, 07:27] +91 : मंजूरी डेका
विश्वनाथ, असम
[01/07, 07:27] +91 : बहुत बहुत धन्यवाद 💐
[01/07, 07:27] +91 : 🙏🏻
[01/07, 07:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[01/07, 17:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐 दीदी जी 🙏
[01/07, 17:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/ucgf/
[01/07, 20:48] +91 : बहुत बहुत धन्यवाद आपको 💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[01/07, 20:48] +91 : बहुत ही खूबसूरत अलंकरण 👌👌👏👏
[01/07, 20:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[01/07, 20:52] +91 960: 💐😊
[01/07, 20:52] +91 : 🙏🏻

मामी आज पहली बार WhatsApp स्टेटस पर कॉमेंट्स की पहले हम किए - Doctors Day पर
[25/06, 14:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते मामी जी 🙏 , घर आ गए ।
[25/06, 14:39] Mami Jii Mumbai: Ok.
[25/06, 15:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏

[01/07, 14:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: 👍👍👍👍👍👍💐💐💐💐💐
[01/07, 14:24] Mami Jii Mumbai: 🙂🙂
[01/07, 16:26] Mami Jii Mumbai: Grt job👍👍👏👏
[01/07, 16:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद मामी जी 🙏💐

देख ली
मामी का स्टेटस पहली बार देखें आज

[01/07, 06:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार कविता
[01/07, 08:42] Ashish: 😘
[01/07, 17:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: +91 94732 39513
[01/07, 17:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: डॉ पल्लवी
[01/07, 17:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: पहिलका अछि
[01/07, 17:03] Ashish: Nai bhetal
[01/07, 17:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/310633540739702/?ref=share
[01/07, 17:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: मधुबनी इकाई
[01/07, 17:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/?ref=share
[01/07, 17:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: मेन साहित्य एक नज़र
[01/07, 17:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/?ref=share
[01/07, 17:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: विश्व साहित्य संस्थान
[01/07, 20:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: गजब

+91 9413 - आ. पल्लवी जी

[30/06, 13:54] डॉ पल्लवी जी: भाई  आपने भेजा नहीं। 🙏
[30/06, 14:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज की अंक प्रकाशित क
होने के बाद आपको भेज देंगे
[30/06, 14:46] डॉ पल्लवी जी: जी।
[01/07, 08:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोरोना वाला रचना और एक फोटो भेजिए
[01/07, 08:23] डॉ पल्लवी जी: मैंने ये कोरोना के लिए ही भेजा था।
[01/07, 08:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[01/07, 09:19] डॉ पल्लवी जी: भाई  कोरोना पर अपनी नई रचना भी भेज रही हूं।
[01/07, 10:32] डॉ पल्लवी जी: भाई  आपने जो संपादकीय में जोङा है;उसे मैं अपनी भाषा में जोङ कर प्रेषित करूं।?
[01/07, 10:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजिए दीदी जी 🙏
[01/07, 11:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[01/07, 14:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/uuxw/
[01/07, 14:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसे विश्व साहित्य संस्थान पर पोस्ट कीजिए
[01/07, 14:33] डॉ पल्लवी जी: भाई  ये डाउनलोड नहीं हो पा रहा।
[01/07, 14:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: इस लिंक को
[01/07, 14:56] डॉ पल्लवी जी: नहीं खुल रहा।
[01/07, 16:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम कर दिए
[01/07, 16:32] डॉ पल्लवी जी: मैं बहुत देर से प्रयास कर रही थी।
[01/07, 16:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई बात नहीं
[01/07, 16:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: +91 8950
[01/07, 17:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: आशीष कुमार झा सह संपादक साहित्य एक नज़र इनसे अगले अंक के लिए विषय सुझाव कर लीजिए
[01/07, 17:03] डॉ पल्लवी जी: 7बजे के लगभग बात कर लेंगे।
[01/07, 17:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है अपने समयनुसार

[01/07, 20:04] Monu: Ka roshan bhaiya ji
[01/07, 20:04] Monu: Kaise hai
[01/07, 20:05] Monu: Thoda apne sish ko bhi yaad kr liya kre 🙏🙏🙏
[01/07, 20:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: Thik hu apna batawoooo Bhai kisha hoo exam kab hai , Dk kaisha hai , ghar me sab thik hai too
[01/07, 20:20] Monu: Hn roshan bhaiya ji sab thik hai
[01/07, 20:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: 👍👍👍👍
[01/07, 20:27] Monu: Or bhaiya ji kaha hai aap
[01/07, 20:27] Monu: A bhi
[01/07, 20:27] Monu: Bihar ki kolkata
[01/07, 20:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bihar
[01/07, 20:28] Monu: Kab aainge
[01/07, 20:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: 16 ko
[01/07, 20:42] Monu: Oo

[01/07, 19:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐 🎁💐🎂🎈🎉
[01/07, 19:54] सुधीर श्रीवास्तव जी: बहुत आभार अनुज
[01/07, 19:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐

[01/07, 18:47] +:
रोशन जी 🙏
साहित्य एक नजर में आज प्रकाशित करने हेतु एक कविता भेजना चाहते हैं - चिकित्सक दिवस पर

रीता झा
[01/07, 18:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजूं दीदी स्वागत अछि
[01/07, 18:55] +91 : ठीक छै
[01/07, 18:56] +91 : चिकित्सक तुम धन्य हो

सबकी आशा पूरी करते फिर भी ख्वाहिश दिल में कुछ न रखते हैं,
जिंदगी से हारे हुए को वापस जिंदगी में जीतने लेकर आते हैं,
हड्डी पसली एक हुए को जोर-जोर कर फिर से खड़ा कर पाते हैं।
ऐसे महामानव सेवा भाव से भरे इस दुनिया में चिकित्सक कहलाते हैं।

जिसको जग ने बांझ कह काफी दुख दिए रुसवाईयां दी,
उसकी ढलती उम्र में भी उम्मीद की लौ कायम रखें।
तरह-तरह के परीक्षण कर नई प्रणाली से गोद उनके हरे कर दें,
ऐसे महामानव सेवा भाव से भरे इस दुनिया में चिकित्सक कहलाते हैं।

रूप किसी का गर दुर्घटना या जलने से कुरूप हो जाता है,
कुरूप कोई लड़की हो अगर जन्म से शादी नहीं हो पाता है,
ऐसे ऐसे अनेक कुरूपों का रूप निखार नया सौंदर्य भर देते हैं।
ऐसे महामानव सेवा भाव से भरे इस दुनिया में चिकित्सक कहलाते हैं।

महामारी के इस दौर में, अपने भी पराए होते जाते हैं,
दो गज की दूरी को बीमार हो जाने पर मीलों की बनाते हैं।
वैसे बीमारों के बीच रहकर यह अपनी दिन रात बिताते हैं,
ऐसे महामानव सेवा भाव से भरे इस दुनिया में चिकित्सक कहलाते हैं।

नेत्रहीन को जग में नेत्र लगा रोशनी दिखाते हैं,
हृदय किसी का थक जाए तो नए हृदय समान चालू करते हैं,
किडनी, लीवरजाने कितने अंग प्रत्यारोपित कर नवजीवन देते हैं।
ऐसे महामानव सेवा भाव से भरे इस दुनिया में चिकित्सक कहलाते हैं।

✍️ रीता झा
स्वरचित कविता
[01/07, 18:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: फोटो भेज देब दीदी
[01/07, 19:02] +91 95: भेज देलौं😊
[01/07, 19:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद दीदी

[29/06, 19:38] Prabin Bhaiya: 👍🤘
[29/06, 19:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[01/07, 18:16] Prabin Bhaiya: good🤘💪
[01/07, 18:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद 🙏 भाई जी 🙏

[01/07, 15:33] Achal Puja: Ha
[01/07, 15:33] Achal Puja: Puja bahut ro rahi g
[01/07, 16:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: Kyo
[01/07, 16:29] Achal Puja: Puja ka status dekhye na
[01/07, 16:30] Achal Puja: Kya sav lagayi h
[01/07, 16:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: Dakhe hai
[01/07, 17:10] Achal Puja: Hmm
[01/07, 17:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jii
[01/07, 17:10] Achal Puja: Manaye
[01/07, 17:10] Achal Puja: Jaye
[01/07, 17:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: Haa
[01/07, 19:49] Achal Puja: 🤦‍♀️🤦‍♀️
[01/07, 19:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: Nhi manni
[01/07, 19:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: Avi tak
[01/07, 19:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: Pareshan huu
[01/07, 19:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: Eak galti ka saja itna
[01/07, 19:50] Achal Puja: 😆😆😆
[01/07, 19:50] Achal Puja: Hn
[01/07, 19:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: Help kijiya
[01/07, 19:51] Achal Puja: Ab se mat karyega
[01/07, 19:57] Achal Puja: Dekhye n
[01/07, 19:57] Achal Puja: 🙄
[01/07, 19:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: Haa
[01/07, 19:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: Thanks you
[01/07, 19:57] Achal Puja: Welcome
[01/07, 20:25] Achal Puja: Kya soche h
[01/07, 20:25] Achal Puja: Jhagra thik Karna hn
[01/07, 20:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: Haa
[01/07, 20:27] Achal Puja: Oooh
[01/07, 22:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: Thanks you 🙏💐

[01/07, 22:53] Babu 💓: Warat h mera
[01/07, 22:53] Babu 💓: Bhul gye
[01/07, 22:53] Babu 💓: Boliye
[01/07, 22:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ok
[01/07, 22:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ji tum karo

फेसबुक से
हिन्दी कविता:-12(70)
01-07-2019 सोमवार 19:15
*®• रोशन कुमार झा
-: आई नव महीना जुलाई !:-

हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
हम सब है भाई-भाई,
कभी बनेंगे न कसाई!
राह रोशन करने देखो आ गया
नव महीना जुलाई!

तब और आगे चलना है,
लगातार सँघर्ष से लड़ना है!
सफलता से जीवन को भरना है,
तब अंत में जाकर मरना है!

अभी जीवन है,
खिला हुआ मन है!
इससे बढ़कर और क्या धन है,
बताओ आप लोग प्रसन्न है!

खुश रहो मस्त रहो,
अपने में शिकस्त रहो!
काम में व्यस्त रहो,
नाम में श्रेष्ठ रहो!

आराम से पहले कुछ करो,
आई नव महीना जुलाई इसके साथ चलो!
नया रंग-रूप भरो,
किसी और से नहीं अपने आप और
वक्त से डरो!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389,(कविता:-12(70)
01-07-2019 सोमवार 19:15
सलकिया विक्रम विधालय मेन
S.k Chobey सर से Migration from
Signature,Leter,typing
D.K12 admission
फिर हम हावड़ा से बस WBCHSE
Saltlake बोले 8 no Councilarसे नहीं
चेयरमेन MLA से लिखाकर बिधाननगर
रोड चाउमीन 40,पापा गाँव से आये
राहुल राजन झगड़ा शाम में परसो चल
Liluah N.S.Ispat Duty
देबु दा पटना(Ncc,Pmkvy

शीर्षककविता:-7(002)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 7(002)
तु ही करेंगा अंत प्रभु!!

हे सुख के सागर जग का राम,
तुझे नही अपनाकर घुमे स्त्री संग
मोह-माया की धाम!
बचपना खेल-खेलकर बाकी मोह-माया
से जिन्दगी बीता,
अब याद आया तेरा रे राम,क्योंकि अब
जलने वाला है मेरा चिता!
प्रभु कैसे करोगे मेरा माफ,
तुही अँधेरा से मार्ग रोशन किया तु नही
हम माया की जाल में आकर बदल लिए
अपना हाल जैसे की सॉप!
एक बार भी किये नही प्रभु भक्ति तेरा,
तुही अब पार करेंगा यह अन्तिम
जिन्दगी की अँधेरा!
खुशी-खुशी वक्त गँवा दिये स्त्री भाई पुत्र
के साथ,
प्रभु तेरा अाराधना के लिए कहॉ गये
गंगा यमुना ब्रहमपुत्र घाट!
मोह-माया हास-विलास से जिन्दगी
बीताये प्रभु अब तुही करेंगा अंत,
ब्रहमचर्य का व्रत टुट गया अब कैसे
बनुँ साधु संत!
गये कहॉ मन मन्दिर घुमे पत्नी के साथ
शहर बाजार,
हे कूपानिधान प्रभु राम अब तुही करेंगा
पापी रोशन का उदार!?
०रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716 रविवार 10:05
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B
Reg no:-WB17SDA112047
Narasinha dutt college Howrah
St john Ambulance
Eastern Railways Scouts Bamangachi

शीर्षकPoem:-6(214)Eng,विषय सामग्री:English Poem Roshan Kumar jha
6(214)Saturday 18:45(30 June 2018)
Life is not last.

Life don't last,
any step life so running to very fast.
I see so understand,
don't  sand make to life Greenland.
so went to world,
life is rain,hot and cold.
give me love and sunlight route,
Life is fruit.
Life is smile and long,
Successful is life,s song.
come here my dear brother and
friends,
safe life is my message so
Place of sends.

०Roshan kumar jha
Surendranath evening college
kolkata india
Mob:-6290640716 saturday 18:45
30 th June 2018
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B
Reg no:-WB17SDA112047
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah WB
Narasinha dutt college Howrah
St john Ambulance
Pmkvy Liluah Howrah 1283f
Electrician
Donbosco spoken English
Mirpara Bhataonagar
Salkia vikram vidyalaya(Main)
Shree hanuman jute mill hindi
high school Ghusuri
Shree nehru shiksha sadan
Tikiapara
Rajkia madhya vidyalaya nalhi
Madhubani Bihar
Rajkia pratamik vidyalaya Jhonjhee
Madhubani Bihar India

शीर्षककविता:-7(001)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 7(001)
आई नव महीना जुलाई!?

आई नव महीना जुलाई,
सुनो बहन और भाई!
बीती जुन,
हार नही क्या हासील किया गुण!
प्राय का नही विश्व प्रेम के लिए बहा दो
अपना खुन,
मेरे बात को बड़े घोर ध्यान से सुन!
क्या पाया क्या खोया,
जागकर कुछ हासील किया या सोया!
जो हुँआ छोड़ वह सब,
जो करना है वह कर अब!
हँसते-मुस्कुराते आयी शुभ प्रभात,
छोड़ो बीती हुई बात व गुजरी हुई दिन-रात!
आज दिन रवि,पुर्व दिशा से चमक उठे
विश्व महराज रवि,
नव महीना की शुभकामना दे रहा हुँ
खुशी-खुशी रहीयेंगा आप सभी!
मार्ग रोशन दुर कीजीए अँधेरा,
मै नही कहता कहता आज की सोन्दर्य
भरी सबेरा!
बस कह रहा हुँ इतना,
हार से घबड़ाना नही उस हार को जीतना!?
०रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716 रविवार09:10
Narasinha dutt college Howrah
St john Ambulance
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B
Reg no:-WB17SDA112047
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah
Pmkvy, Liluah Howrah 1283f
Electrician
Roshan kumar jha
Surendranath evening college
kolkata india
सलकिया विक्रम विधालय मेन

शीर्षककविता:-6(215)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 6(215)
तुम्हारा वर्षगाठ हो शुभ!?

तुम्हारा वर्षगाठ हो शुभ,
हँसते -मुस्कुराते रहना खुब!
खुशी का दिन हो हजार,
तुम्हे जाने पुरा शहर और बाजार!
वर्षा हो या तुफान,
हमेशा रखना होठो पर मुस्कान!
राह रोशन करना करना नही अँधेरा,
स्वाभिमान की भावना रखना कभी लाना
नही शब्द तेरा और मेरा!
रहोगे प्रसन्न,
हँसना-मुस्कुराना है बहुत बड़ा धन!
नेहा रास भरी वर्षगाठ,
मै क्या दुनिया है तेरे साथ!
नकामी बदनामी से रहना दुर,
हे मेरे मित्र तुम कॉटे नही तुम हो फुल!
तो फैलाओ सुगंधता,
अपने सफलता की कदम व अपना
सोन्दर्य रूप को मत घटा!
मत खोना वही है तेरा असलीयत क्षुंगार,
हे मेरे मित्र तेरे वर्षगाठ के साल हो हजार!
०रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716 शनिवार 19:15
30-06-2018
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah WB
Pmkvy Liluah Howrah1283f
Electrician
Roshan kumar jha
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B
Reg no:-WB17SDA112047
Narasinha dutt college Howrah
St john Ambulance
Chandan institute
(C.Road. Bamangachi)
सलकिया विक्रम विधालय मेन





अंक - 52
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ucgf/

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 )
https://online.fliphtml5.com/axiwx/uuxw/

विश्व साहित्य संस्थान आमंत्रित रचना
https://www.facebook.com/groups/978836735882669/permalink/984763045290038/

https://www.facebook.com/groups/978836735882669/permalink/1251281238638216/

अंक - 51
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ruci/

अंक - 50
https://online.fliphtml5.com/axiwx/crej/

मधुबनी - 1
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ncvw/

https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/320129459790110/?sfnsn=wiwspmo

https://online.fliphtml5.com/axiwx/zpvc/
अंक - 49
https://online.fliphtml5.com/axiwx/phxo/


जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 52
1 जुलाई  2021
गुरुवार
आषाढ़ कृष्ण 7 संवत 2078
पृष्ठ - 
विशेष पृष्ठ - 5 -  20
कुल पृष्ठ - 21

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक

मो - 6290640716
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 )

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
106.आ. सुरेश लाल श्रीवास्तव जी
107. आ. मंजूरी डेका जी विश्वनाथ, असम



सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/317105156718934/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 45 - 48
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo

मधुबनी इकाई अंक - 2
https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/320660943070295/?sfnsn=wiwspmo

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - 1

https://www.facebook.com/groups/978836735882669/permalink/1251279588638381/

विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -
https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110843755990877/

https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1113416175733635/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1113375229071063/?sfnsn=wiwspmo



फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=803926437163432&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

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फेसबुक - 2

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/319722216457228/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/319707876458662/?sfnsn=wiwspmo

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=362142878670665&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo





अंक - 49

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/49-28062021.html

कविता :- 20(41)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2041-49-28062021.html

अंक - 50 , साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
अंक - 1

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/50-1-29062021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/crej/

https://online.fliphtml5.com/axiwx/zpvc/

मधुबनी - 1
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ncvw/

https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/320129459790110/?sfnsn=wiwspmo

https://online.fliphtml5.com/axiwx/zpvc/

कविता :- 20(42)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2042-50-29062021-1.html

अंक - 51
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/51-29062021.html

कविता :- 20(43)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2043-30052021-51.html

अंक - 52 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/52-01072021-2.html

http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(44)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2044-01072021-2.html

अंक - 53
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक :- 49, 50, 51, 52, 53,

दिनांक :- 28 जून 2021 से 2 जुलाई 2021

दिवस :- सोमवार से शुक्रवार

एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

शब्द सीमा - 300 - 350

इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में रचना भेजें , यहां पर आयी हुई रचनाओं में से कुछ रचनाएं को अंक - 49 कुछ रचनाएं को अंक - 50 कुछ रचनाएं को - 51, कुछ रचनाएं को 52 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 53 में प्रकाशित किया जाएगा ।

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका ) गुरुवार

साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका - मंगलवार
आ. ज्योति झा जी

आपका अपना
रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संस्थापक / संपादक









आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 52 , गुरुवार
01/07/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 52
Sahitya Ek Nazar
01 July ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

_________________

फेसबुक - 1

फेसबुक - 2

बिहार बोधी -  साझा काव्य संकलन

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

🎁🎈🍰🎂🎉 💐🙏

आ. सुधीर श्रीवास्तव जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐

साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता
अंक - 52 , गुरुवार , 01 जुलाई 2021
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी / মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर - मधुबनी इकाई

शुभ राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस
Happy National Doctors Day
জাতীয় চিকিৎসক দিবস

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

🎁🎈🍰🎂🎉 💐🙏

हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है. ज़िन्दगी में डॉक्टर कितना महत्व रखते हैं इस बारे में सभी को पता है. डॉक्टर इंसान के रूप में भगवान के समान होता है जो एक नई जिंदगी प्रदान करता है. भारत में प्राचीन काल से ही वैद्य परंपरा रही है, जिनमें धनवन्तरि, चरक, सुश्रुत, जीवक आदि रहे हैं. धनवन्तरि को भगवान के रूप में पूजन किया जाता है. भारत में 1 जुलाई को डॉ. विधानचंद्र राय के जन्मदिन के रूप में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. केंद्र सरकार ने साल 1991 में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाने की शुरुआत की थी. देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. विधानचंद्र राय को सम्मान देने के लिए यह दिन मनाया जाता है. आपको बता दें कि उनका जन्‍मदिवस और पुण्यतिथि दोनों ही 1 ही जुलाई को होती है. इस दिन डॉक्टरों के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है. डॉक्टरों के योगदान के बारे में बताया जाता है ।

साहित्य एक नज़र 🌅

नेशनल डॉक्टर्स डे 1 जुलाई

जय जय हो
सभी चिकित्सक, इस
धरती पर है दूजे भगवान।
कष्टमयी जीवन यात्रा यह,
कर देते आसान।।
हर प्राणी जीवन में अपने,
लेता इनकी सेवाएं।
चौबीस घंटे सेवा तत्पर,
कभी नहीं अलसाएं।।
पीड़ाओं को हर लेने का,
हुनर है इनको आता।
रोते हुए आए जो इन तक,
हंसते-हंसते जाता।।
प्रभु का दूजा रुप डॉक्टर,
रखें सुरक्षित जीवन।
मनमोहन मुस्कानों के संग,
देते हैं अपनापन।
भारत रत्न डॉक्टर विधानचंद्र राय
की स्मृति आई।
जन्म दिवस संग पुण्यतिथि भी
सभी मनाते भाई।
एक जुलाई दिवस राष्ट्रीय,
सबको मंगलमय हो।
सेवा भावी सभी डाक्टर्स
की जय जय,जय जय हो।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल '
धामपुर , उत्तर प्रदेश

व्यंग्य
आज मेरा जन्मदिन है

अच्छा है बुरा है
फिर भी जन्मदिन तो है,
मगर आप सब कहेंगे
इसमें नया क्या है?
जब जन्म हुआ है तो
जन्मदिन होगा ही।
आपका कहना सही है,
बस औपचारिक चाशनी की
केवल कमी है।
उसे भी पूरा कर लीजिए
बधाइयों ,शुभकामनाओं का
पूरा बगीचा सौंप दीजिये,
दिल से नहीं होंगी
आपकी बधाइयां, शुभकामनाएं
मुझे ही नहीं आपको भी पता है,
मगर इससे क्या फर्क पड़ता है?
कम से कम मेरे सुंदर, सुखद जीवन
और लंबी उम्र की खूबसूरत
औपचारिकता तो निभा लीजिये।
मेरे जीवन यात्रा में एक वर्ष
और कम हो गया यारों,
जन्मदिन की आड़ में
मौका भी है, दस्तूर भी,
जीवन के  घट चुके
एक और वर्ष की आड़ में
मन की भड़ास निकाल लीजिए,
बिना संकोच नमक मिर्च लगाकर
शुभकामनाओं की चाशनी में लपेट
मेरे जन्मदिन का उत्साह
दुगना तिगुना तो कर ही दीजिए।
कम से दुनिया को दिखाकर ही सही
औपचारिकता तो निभा ही दीजिए ,
जन्मदिन पर मेरे बधाइयां देकर
अपना कोटा तो पूरा कर लीजिए।

✍️  सुधीर श्रीवास्तव
       गोण्डा, उ.प्र.
     8115285921
©मौलिक, स्वरचित

नमन_मंच साहित्य एक नजर
अंक_49_53
दिनांक_30.6.2021
दिन_बुधवार
विधा_कविता
शीर्षक_आईना

आईना

मैने तुमसे कभी कहा कि तुम..
आओ और आईना
दिखा जाओ और..
कहो कि आईना कभी झूठ
नहीं बोलता..
पता है मुझे..
आईना चेहरे की सुंदरता ही नहीं..
दिल में छुपी दास्तां भी ब्यां करती है..
कई चेहरों से रुबरु कराती है..
आंखों में जो झलकता है वही..
आईना भी कहता है..
डर जाते हैं लोग आईना देखते ही..
तो मैंने कब कहा कि कह ही दो..
जो जुबां नहीं कहती वो
आँखें बोल जाती हैं..
आईनें की जरुरत नहीं लवों की..
थरथराहट बताती हैं..
कहना चाहो तो कह दो वरना..
मैने कब कहा था कि चुप ही रहो !!

✍️ रीता मिश्रा तिवारी
शिक्षिका स्वतंत्र लेखिका
भागलपुर बिहार

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন
🎁🎈🍰🎂🎉 💐🙏

Tabrez Ahmed
Date of birth - 01/july

मैं शायर हूँ एक तपती दोपहर की तरह
मुझे तलाश है एक शायरा की जिसकी
फ़ितरत हो शबनमी झील की तरह
Writer Tabrez Ahmed

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅
उपकार हो जाएं ...

लोग सोचते है मेरी हार हो जाएं ,
मैं सोचता हूँ , हमसे उनका
उपकार हो जाएं ।।
मुसीबत का वक्त भी पार हो जाएं ,
और न इसी साल हो जाएं ।।
हार सहने के लिए हम तैयार हो जाएं ,
कभी सोचें ही नहीं हमें
किसी से प्यार हो जाएं ।।
दिल की पूजा पाठ भी हुई
बस एक जैसा व्यवहार हो जाएं ,
साथ निभा दूँ वैसा मेरा अख़्तियार हो जाएं ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(44)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
01/07/2021 , गुरुवार
Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 52
Sahitya Ek Nazar
01 July 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान /
साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

* प्रेम दीवानी *

भीड़ भरी जिंदगी में तुम जब
भी कभी अकेले पड़ जाओ,
ज़रा सा ठहरो, साँस लो और वस
मेरी ओर तुम बढ़ जाओ।
जरूरत नहीं है तुम्हें कि तुम
हमेशा ही मुझे पुकारो,
वस जब कभी खुद़ को अकेला
पाओ तो एक फोन मुझे मिला दो।
दूर नहीं हुँ बहुत ही पास में हुँ मैं,
हर घड़ी हर अहसास में हुँ मैं।
तुम्हारे आने से बहुत कुछ बदल गया,
ठहरा सा था मैं अब देखो
कैसे खुशी से मचल गया।
आवाज़ तुम्हारी का तो बहुत ही
खूबसूरत सा कमाल है,
कभी तुम्हारा वो ठहाके लगाना,
और कभी चुपके से कुछ
कह जाना भी वबाल है,
ये आज़ जो कुछ भी  हुआ है
,तुम्हारी आवाज़ का कमाल है।
बहुत समझदार नहीं हुँ मैं,
वस थोड़ी सी स्यानी हुँ,
कुछ तुम्हारे  हाव भाव और
कुछ तुम्हारी आवाज़ की दीवानी हूँ।
बता नही सकती तुम्हे मगर
तुम्हारे खातिर,
सारी दुनियाँ से बेगानी हूँ
मैं तेरी प्रेम दीवानी हूँ.....

✍️ शोभा

महोदय मैंने पहले भी अपनी रचना भेजी मगर आपने पत्रिका मे शामिल नही की, कृपया  इस बार जरूर करें या फिर कारण जरूर बताएं।।।

पश्चिम बंगाल इकाई सम्मान पत्र
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1959393240904237/?sfnsn=wiwspmo

********         विश्व साहित्य संस्थान  *************

साप्ताहिक ई पुस्तिका अंक :- 2 , जुलाई 2020
विषय प्रदाता :- आ. आशीष कुमार झा
विषय          :- कोरोना से संबंधित रचनाएं व चित्र

सूचना :- हर एक रचनाकार एक भाषा में एक ही रचना साप्ताहिक ई पुस्तिका अंक :- 2 , जुलाई 2020, चाहे तो वे एक हिन्दी, तो एक मैथिली और भी भाषा में भेज सकते है ।
रचनाएं तीन जगह भेजनी है ।:-

27/06/2020 से 30/06/2020 तक

(1) वॉट्सएप समूह पर
(2) फेसबुक मंच पर कमेंट बॉक्स में दें ।
(3) vishshahity20@gmail.com पर तब ही ई पुस्तिका में प्रकाशित होगी ।

रचना के अंत में
नाम :-
पता :-
मो :-
फोटो :-

के साथ मौलिकता प्रमाण पत्र ज़रूर दे । मौलिकता प्रमाण पत्र इस प्रकार होनी चाहिए, चाहे तो आप इसे ही कॉपी करके भेज सकते है ।

                मौलिकता प्रमाण पत्र । :-
-----------------------------------------------------------------------
यह रचना हमारी मौलिक व स्वरचित है, इसे विश्व साहित्य संस्थान से आयोजित अंक-2 जुलाई - 2020  ई पुस्तिका में प्रकाशित करने का अनुमति प्रदान करता / करती हूं ।।

-----------------------------------------------------------------------
मौलिकता प्रमाण पत्र , आप किसी भी भाषा में दे सकते है, निज भाषा में भी ।

आप लोग भी विषय दें सकते है, विषय देकर आप लोग भी विषय प्रदाता बन सकते है ।

धन्यवाद सह सादर प्रणाम 🙏💐💐💐🙏💐🙏🙏

            विश्व साहित्य संस्थान

Ncc
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=362142815337338&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo


विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 ) - गुरुवार
साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई )
https://online.fliphtml5.com/axiwx/uuxw/

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

🎁🎈🍰🎂🎉 💐🙏

जनकवि नागार्जुन जी
जन्मतिथि - 30 जून 1911

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 )
साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई )

#विश्व_साहित्य_संस्थान_वाणी
दिनांक- 27 जून 2021
शीर्षक-

आया बिन बुलाया मेहमान

आया एक बिना बुलाया मेहमान
नाम था उसका कोरोना
जिसने लोगों से हाथ मिलाना छुड़ाया
एक ऐसा बिन बुलाया मेहमान
जिसने लोगों से दूरियाँ बढ़ा दीं
क्या अजीब है यह बिना बुलाया मेहमान
जिसने बाहर के खाने को बंद कराया,
खुद तो पूरी दुनिया में घूमा
और हमें घर में कैद कराया
अब भी पूरी दुनिया में यह बैठा
बिन बुलाया मेहमान
नहीं जा रहा यह बिन बुलाया मेहमान
लेकिन
ए सुन बिन बुलाए मेहमान
तू नहीं ठहरेगा यहाँ अब ज्यादा दिन
तेरे जाने का इलाज ढूंढ लिया है लोगों ने
तू आया था बिन बुलाये मेहमान बनकर
नहीं चाह ऐसे मेहमान की जो
छीने खुशियां दिनभर
अब नहीं चाह है तू वापस आये,
बिन बुलाए मेहमान बनकर

✍️ देश दीपक
ग्रा० ईश्वरपुर साई
हरदोई , उत्तर प्रदेश
7897588165
ddesh619@gmail.com

विश्व साहित्य संस्थान वाणी
के कोरोना अंक हेतु सेवा में प्रस्तुत

तुम अगर मिल गये।

मैं पूछूंगां, क्या टीका लगवा लिया?
इन दिनों तुमने आयुष काढा़ पिया?
बेवजह घर से बाहर निकल आए क्यों
घोर लापरवाह तुम,क्यों खतरा लिया?
तुम अगर मिल गये।
हाथ जोड़ेंगे, न दिल से लग पाएंगे।
नैन ही नैन से सिर्फ मिल पाएंगे।।
दूरी दो गज की रखनी ही होगी हमें,
दूर ही दूर फिर बैठ बतियाएंगे।
तुम अगर मिल गये।
बातें होगी बीते दिन और रात की
आजकल कोरोना वाले हालात की।
मास्क होगा लगा,मुख पे अपने प्रिये!
है जरुरत बहुत ही एहतियात की।
तुम अगर मिल गये।
पूर्ण होगा नहीं मिलन का सपन,
मिलकर भी  रहेगा  अधूरा मिलन।
कर पालन सभी गाइड लाइन का,
हो  तुम्हारा,हमारा सुरक्षित जीवन।
तुम अगर मिल गये।।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर,उत्तर प्रदेश
संपादक - ई प्रकाशन अभिव्यक्ति

विश्व साहित्य सेवा
वाणी अंक.... 2

कविता...
शीर्षक... कोरोना

बडी बेबसी है कुछ
नही हो रहा है अच्छा
और जो हो रहा है
वह हम महसूस नही
करना चाहते
घट रहा है प्रदूषण
शुद्ध हो रहे है
जल व वायु
दिखाई दे रहे है
कबूतर तितलिया अन्य परिन्दे
ये आहत नही है कोलाहल
से विचरण कर रहे है
सुनसान सडको पर
और आदमी बन्द
बौखला रहा है
घरौन्दों मे शायद यही
प्रतिफल है इसके कुकर्मो का
प्रकृति के अति दोहन का
यही कहते है हमारे
धर्म मर्मग्य भी जब जब
अति होती है कदाचार
व स्वार्थ की तब तब
आती है महा मारी
और प्रकृति बनाती है
संतुलन पर हम
नही समझते यह सब
समझते है केवल अपना
लाभ और हानि नही दिखता
सही गलत न्याय अन्याय
जब तक रहती है परिस्थिति पर
मजबूत पकड
परन्तु प्रकृति बदल
सकती है पूरा परिदृश्य
देखते ही देखते शायद यही
समझा रही है प्रकृति
मानव बहुत बौना व असहाय
है बल्कि कुछ भी नहीं तेरी औकात
इसी का उदाहरण है
सूक्ष्म अदृश्य दुश्मन  मौत
की पहेली कोरोना    !
                
✍️ डॉ. प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद

"कोरोना"

चलो हम, दीप जलाएं।
आपदा, जड़ से मिटाएं।
मन में बैठे, डर को।
आज हम, दूर भगाएं।
कोरोना, आफद आयी।
हमें कमजोर, किया है।
काम हम, करने वाले।
घरों में, कैद हुए हैं।
इसे भी, कैद है करना।
नहीं है, इससे डरना।
तो हमसब, साथ में आएं।
साथ मिल, दिए जलाएं।
इस आफद, को हमसब।
मिलकर, दूर भगाएं।
फंसे मजधार में, हम सब।
साथ मिल, चलना होगा।
आज जो, साथ हुए ना।
कभी न, मिलना होगा।
देश! कमजोर बनेगा।
हमें भी, जलना होगा।
अगर हम, साथ चलें तो।
ये नैया, पार लगेगा।
कोरोना,  देश हमारा।
छोड़कर, भाग चलेगा।
इस संकल्प को, हम सब।
अपने मन में, जगाएं।
चलो हमसब, मिल कर।
आज एक, दीप जलाएं।
इस आफद को, हम सब।
आज ही, दूर भगाएं।।

     ✍️   केशव कुमार मिश्रा
  सिंगिया गोठ, बिस्फी,
मधुबनी, बिहार।
अधिवक्ता व्यवहार न्यायालय,
दरभंगा।

काल के गाल में समाती ज़िन्दगीयां।
चीख चीत्कार की आवाज़ें और सिसकियां।
तुम अदृश्य शत्रू से इंसानियत को रौंदते।
अपनी भयाभय के वो स्हाय चिह्न छोड़ते।
विष के झागों से भरी,
सारे विश्व को डसती फुवारें।
अपने गरल दन्त से,
दुनियाँ में खड़ी करते मौत की दीवारें।
ये इंसा का फैलाया , है तांडव नर्तन।
हो रहा विश्व का करुण विवर्तन।
मतकर बेज़ुबानों का भक्षण।
मतकर प्रकृति का उल्लंघन।
पाट दिया धरा को,
परमाणू बारूदी हथियारों से।
आसमां भी पाट दिया,
अंतरिक्ष के अम्बरों से।
प्रकृति की मानव से जंग जारी है।
ये तो धरा का प्रकोप है,
संभल ये इंसा, अब आसमां की बारी है।
ये तो कोरोना है, अभी कितनी और
फैलनी महामारी हैं।

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश

कोरोना महामारी में धैर्य का संदेश देती कविता
शीर्षक : 

अंधेरे का सहारा उजाला रहा है!

कहां तो तू चांद तारों के बीच,
घर बसाने की सोच रहा था |
अब धरती पर ही तुझे,
दिन में तारे दिखाई दे रहे हैं।
खरीद रहा था जमीन
मंगल पर खेती करने के लिए ,
अब अपने ही मंगल को
तू दर-दर कुलांचे मार रहा है।
कर दी प्रगति बहुत
विज्ञान ने नई खोजों के साथ ,
अब तू खोजो में ही
जिंदगी को तलाश रहा है ।
रख धीरज सरस ,कट जाएगी
ये विपत्तियां भी सारी ,
क्योंकि अंधेरे का सहारा
हमेशा उजाला रहा है।।

✍️ आचार्य रामकृष्ण पोखरियाल (सरस )
मुनि की रेती (टि०ग०) ऋषिकेश

नमन 🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
साप्ताहिक ई पुस्तिका अंक :- 2 ,
जुलाई 2020 के लिए
विषय प्रदाता :- आ. आशीष कुमार झा
विषय :- कोरोना से संबंधित रचनाएं व चित्र
      कोरोना चालीसा।  
✍️ रोशन कुमार झा

जय कोरोना जब तोहर वृहान
में जन्म खून जागल ,
जय दो हजार बीस ,
उन्नीस के असर बीस में
विश्व लोक के लागल !
चीन दूत कोरोना धामा ,
चाईना पुत्र कोविड-19 नामा !
सर्दी जुखाम क्रम-क्रम रंगी ,
समझ जाओ ये है कोरोना के संगी !
लक्षण मरण समाज में ऐसा,
दिन रात न यह बढ़े हमेशा !
हाथ ब्रज , मिथिला,
मथुरा भारत में थाली बाजे ,
करें ब्रहामण जनेऊ से प्रार्थना
कहीं न ये कोरोना
महामारी बीमारी विराजे !
अंक्ल जन माक्स
लगाकर हुए चाची के बंधन,
तेज प्रताप से कोरोना
कर रहे हैं विश्‍व को खण्डन !
विद्यावान मुनि,कवि,
विज्ञान अति बहादुर ,
करें न कोई राहुल,
अरूण नेता ऐसी भूल !
चलें समाचार सुनने
प्रधानमंत्री मोदी जी न्यूज़
पर अमेरिका रसिया,
कोरोना तो हर कहीं
हो चुके है बसिया ! 
छप्पन इंच छाती
बड़ा काज दिखावा ,
अमेरिका के धमकी से न,
मानवता के कारण दिये दावा !

भीम रूप कलि, फूल सहारे ,
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन
दवा देकर नमस्ते
ट्रम्प के काज संवारे ! 
लाया सा दवा उससे
भारत विश्‍व जियावे ,
तब जग भारत पर फूल बरसावे !
हिन्दुस्तान की गति बहुत बड़ाई ,
तुम चीन सच में दुष्ट है भाई !
सार्क के देश तुम्हारे विरोध में आवें ,
विश्व अंदाज किये है
अब तुम्हारे अंत लगावे !
आज़ादी, गांधीवादी
पर चले हमारी दिशा ,
पर अब तुम विश्व सम्मेलन
में लेना न मित्र हिस्सा !
तुम्हारे यम कोरोना काल जहां ते ,
हम जनता घर में कर्फ्यू लगे वहां थे !
तुम हम भारतीयों का
उपकार कभी न चिन्हा ,
तुम दुष्ट चीन हमेशा दुख ही दिन्हा !
तुम्हारे मंत्र हम क्या ?  विश्व न माना ,
हम हमारी भारतीयों के कर्मों
से विश्व गुरु कहे जमाना !
तब तुम्हें हम कैसे अपना मानूं ,
तबाह है सभी मुख्यमंत्री ममता,
नीतीश कुमार भगाना है कोरोना
ये विचार मैं भी ठानू !
पायें न कोई सुख राही ,
क्योंकि कोरोना
रूकने पर तैयार नाहीं !
दुख भरी काज तुम जगत के देते ,
कौन ? तुम दुष्ट चीन के बेटे !
राम सहारे हम भारतीय दिया
जलाकर किये और
करें विश्व के रखवाले ,
हे दुष्ट चीन तू अभी कमा रे !
हम तो हम तुम्हें भी है मरना ,
अपनाया तो सनातन
धर्म तुम्हें भी है जलना !
तुम्हारे कारण विश्व तापें
तुम पर मंडरा रही है सारी पापे !
दुष्ट कोरोना अब निकट न आवे ,
कब ? जब भारत
अपना लॉकडाउन हटावे !
हंसे मुस्कुराये गांव घर और सब जिला ,
करेंगे भारत मां की पूजा चढ़ायेंगे
फल फूल निर्मल जल और खीरा !

विश्व से संकट घड़ी भारत हटावे ,
जब कोई भारत के चरण में आवे !
आदर्श राजन मोदी राजा ,
खूब ठीक तनु वक्ष स्थल से योगी अंदाजा !
और दुख जो कोई लावे ,
उसे भारत माँ के भारत स्काउट गाइड,
सेंट जांन एम्बूलेंस, एन.सी.सी, और
एन.एस.एस के पुत्र ही मिटावे !
हे चीन संकट फैलाना कर्म तुम्हारा ,
है दुनिया को बचाना धर्म हमारा !
साधु संत के हम रखवाले ,
तुम्हारे तो सोच ही है काले !
दुख दिया मिटेंगे विधाता ,
हंस-हंस कर दर्द सहे
है हमारी भारत माता !
कौन ? रखेंगे तुम पर आशा ,
छल कपट से बढ़ा तू चीन
यही है तुम्हारी परिभाषा !
तुम्हारे कर्म विश्व को पावे ,
विश्व सोचा अब तुम्हें हटावे !
अंत काल तू (UNO)  यूं.एन.ओ पुर जाई ,
वहां कोई साथ देंगे न ए चीनी भाई !
और चीन अब चिंता मत करिए ,
दुनिया को मारे अब आप भी मरिये !
लांकडाउन हटें मिटे सब पीरा ,
कष्ट से तड़फे न कोई राज्य और जिला !
जय-जय कोरोना कसाई ,
लाट मार कर अब विश्‍व तुम्हें भगाई !
जो सट कर बात करें न कोई,.
हटी इमरजेंसी,छुटी लांकडाउन,
विश्व में महासुख होई !
जो यह जब जब पढ़ें कोरोना चालीसा ,
तब तब चीन को मिलें गाली जैसी भिक्षा !
तुलसीदास सदा गुरु ,
हम रोशन कुमार उनका चेला ,
कोरोना को दूर कीजो नाथ ,
यही है हृदय से विनती मेरा !

  ✍️    रोशन कुमार झा   
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
नाम :-   रोशन कुमार झा
जन्मतिथि :- 13/06/1999
कार्य :- बी.ए की छात्र, एन.सी.सी, एन.एस.एस, सेंट जॉन एम्बुलेंस, भारत स्काउट गाइड के सदस्य ।
पता :- ग्राम :- झोंझी , मधुबनी, बिहार
ई - मेल :- Roshanjha9997@gmail. com

मौलिकता प्रमाण पत्र । :-
-----------------------------------------------------------------------
यह रचना हमारी मौलिक व स्वरचित है, इसे विश्व साहित्य संस्थान से आयोजित अंक-2 जुलाई - 2020  ई पुस्तिका में प्रकाशित करने का अनुमति प्रदान करता हूं ।।

।।:-15(85)

नमन शारदा🙏
#विश्व साहित्य संस्थान वाणी
#कोरोना विशेषांक
#विधा  -- व्यंग्य
#नाम -- कीर्ति रश्मि नन्द
#स्थान -- #वाराणसी

कोरोना आया , विपत्ति लाया

ये तो ..  सच है भाया।।
पर जैसे हर सिक्के के पहलू दो
वैसे ही कोरोना का ,  रूप दूजा ।।
तबाह तो इसने बहूत किया 
पर बहूतों को ,  इसी ने सहेजा ।।
मेरे पति देव.., थोड़े से लापरवाह
करते नहीं साफ सफाई की परवाह।।
तौलिया गीला यहां फेंका., वहां फेंका
जूते.., एक यहां उतारे, एक वहां उतारे।।
हाथ धोया नहीं कि कुछ खा पी लिया
गंदे कपड़ों पे ही छुट्टी , बिस्तर पे गुजारें।।
अब तो.. कोरोना आया
सफाई का मतलब सिखाया
वही पति मेरे , हर चीज करीने से रखते
और रखते पग पग पे  सफाई का ध्यान।।
अब तो मेरे एक छींक पर.. दौड़े आते
जिनको नहीं रहता था मेरे बुखार का ज्ञान।।
ये नहीं कहती कोरोना का समर्थन करती हूं।।
बस विपत्ति में बढ़ते रिश्तों का महत्व कहती हूं ।।

✍️ कीर्ति रश्मि नन्द
वाराणसी

Disclaimer -- 🙏उपर्यूक्त पंक्तियां मात्र कल्पना की उपज हैं।


हाइकु - (५, ७, ५)

कोरोना अब,
धरती पर फैला,
विष का थैला ||१||
महारोग है,
जीवन का हंता है,
बहु दंता है ||२||
दाँत गड़ाए,
तब मौत बढ़ाए,
भय फैलाए ||३||
जो भी डरता,
जब यह लगता,
जीवन खोता ||४||
डरना भी है,
जीवन रक्षा हेतु,
जो साधन है ||५||
साधन कैसे,
होतीं खोजें इससे,
अमिय जैसे ||६||
अमिय वह,
जो जीवन रक्षक,
व्याधि भक्षक ||७||
धीरज धारें,
कोरोना को ही मारें,
जय विचारें ||८||
छींक साँस से,
इसे मत फैलाएं,
इसे भगाएं ||९||
नहीं छूने से,
न साँसें लेने से,
इसको पाएं ||१०||
मुख को ढाँके,
नीरोगिता को राखें,
काया है धन ||११||
भौतिक दूरी,
समाज में जरूरी,
इसकी मूरि ||१२||
प्रतिरक्षण,
भी करें हम वो जो,
टीका से होता ||१३||
लगाकर टीका,
सुरक्षित हो जावें,
कोरोना जावे ||१४||

✍️ गणेश चन्द्र केष्टवाल
मगनपुर किशनपुर
कोटद्वार गढ़वाल, उत्तराखंड

लॉकडाउन और उसके बाद ...

कई दिनों तक भूखा रहा
बच्चें रहें उदास ,
कई दिनों तक कर्ज़ रहा
गाली सूना हज़ार ।।
कई दिनों तक घर में रहा बंद
सब बेबस लाचार ,
नौकरी रोज़गार सब गई
मजबूरी समझे ना कोई आज ,
जो पक्षी थे पिंजरे में,
आसमान में उड़ रहे हैं आज ।
हम मनुष्य आज़ाद थे,
पिंजरे में है आज ।

राशन भेजा मोदी जी
कई दिनों के बाद ,
राहत मिली गरीबों को
कई दिनों के बाद ।
सब परिवार भोजन किया
कई दिनों के बाद ,
मिला कुछ रोज़गार
कई दिनों के बाद ।
आते रहें लेनदार की
दिन लगातार ।।

✍️ आशीष कुमार झा

सम्पादकीय------

स्वाधीनता सबको प्रिय होता है।पशु, पक्षी,मानव सभी स्वतंत्र जीना चाहते हैं,पर जब स्वाधीनता निरंकुश  हो जाती है,अपने साथ  न जाने कितनी जिन्दगियों को प्रभावित करती हैं।हमारी प्रकृति के साथ  निरंतर अनचाही दखल हमें प्राकृतिक आपदा के रूप में झेलनी पङती हैं।हम सब अवगत हैं वैश्विक बिमारी  "कोरोना"किसी एक देश में अप्राकृतिक रूप से किए जाने वाले कुछ प्रयोगों के परिणामस्वरूप है।किसी एक वर्ग विशेष के कार्यों का परिणाम पूरा जगत  झेल रहा है।हमें स्वाधीनता का हक है,लेकिन हमारी स्वाधीनता किसी अन्य के जीवन को कितनी प्रभावित करती है यह देखना हमारा ही दायित्व  बनता है। प्रकृति ने हमें सबकुछ  निःशुल्क दिया,,,हमने उसके अस्तित्व को ही झकझोर दिया।सिर्फ हम कर सकने को स्वतंत्र थे इसलिए नदियों की स्वच्छता खत्म कर दी,,,वायु को जहरीला बना दिया,,,विकास के नाम पर सैकडों पेंड काट डाले।यह सब हुआ क्योंकि हम स्वतंत्र हैं, कुछ भी  करवाते हैं।प्रक्रति के साथ अमानवीय व्यवहार का परिणाम है प्राकृतिक आपदा।हमें अब तटस्थ नहीं रहना होगा,हमें देखना होगा दूसरों के किए हुए कार्य हमारे अस्तित्व को कहां तक प्रभावित करती है।सिर्फ चुप रहने,दूसरे के काम की समीक्षा न कर पाने,अपने तटस्थ भाव में रहने का ही परिणाम है। हम  लगभग दो वर्षों से घरों में कैद हो गए। पहले के समय में अगर एक प्रभावशाली व्यक्ति होते तो वह पूरे इलाके के निरंकुश युवा पीढी को सही रास्ता दिखाते,उनके क्रिया -कलापों पर एक मौन निगरानी रखते। अनेक माँ -पिता भी हस्तक्षेप  न करते।आज स्वतंत्रता निरंकुशता की ओर अग्रसर है।परिवार हो,देश हो,विदेश हो।कहीं भी व्यक्ति विशेष या समष्टि विशेष  की गतिविधियों पर हस्तक्षेप करना वाजिब है क्योंकि सब सूत्रमय हैं । एक के कार्य का भुगतान हम सबको करना पड़ता है ,इसलिए  तटस्थ  भाव छोङना होगा।मौन  तोड़ना होगा। विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई ) का इकाई है जो साप्ताहिक पत्रिका के रूप में गुरुवार को प्रकाशित होती है , हम इस पत्रिका के संपादिका के रूप में कार्य कर रहे है । हमें विश्‍वास है आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक पत्रिका में अपनी रचनाओं से सहयोग करेंगे ।
              

   ✍️ डॉ  पल्लवी कुमारी"पाम,
पटना,बिहार
संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई )

प्रकृति हमारी है।

प्रकृति वै से ही चलती है।
जैसी हमारी मनोवृति होती है।
हमने घरों की चहारदिवार
ऊंची कर ली~
दिलों में फासले बना लिए !!
कोरोना के रूप में
प्रकृति ने घर  बैठा दिया ।
लोगों को एक दूसरे से दूर
रहने की व्यवस्था कर दी।
बौनापन  हमारी  वृत्तियों से
जीवन- शैली  में उतरता गया।
नस्ल छोटी होते जा रही।
पौधों से मानव तक
प्रकृति बौनापन स्वीकार रही।
लोग छोटी छोटी बातों पर
एक दूसरे से दूर  हो जाते हैं।
दिलों में दिवारें खड़ी कर देते
अब लगता है
प्रकृति मदद कर रही।
जैसी हमारी मनोवृति
वैसी ही ढल रही।
सोचने को विवश कर रही
हम कहां जा रहे~
क्या खो दिए?
क्या बचा पाए?
क्या छोङ जाएंगे?
इसके मीमांसा का
अवसर दे रही।
प्रकृति हमारी है।
हमारी ओर तक रही है।

   ✍️ डॉ. पल्लवी कुमारी " पाम "
संपादिका - विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई )

" कोरोना पर विजय "

हम साहस के वीर पुत्र
संकट से कब घबराते हैं;
पङी आपदा जब-जब भारी
अपने संयम और हौसलों से
विजय ध्वजा फहराते हैं।
कभी सूखा,कभी बाढ़,
कभी कोई महामारी;
इस बार आई "कोरोना" की बारी।
"दो गज की दूरी"
"मास्क जरूरी"
इसे ही अपनी ढाल बनाएंगे;
"कोरोना" पर विजय पायेंगे।
दो लहर को झेला हमने;
तीसरी की बारी है,,,
अपने "साहस"और" संयम" से
इसे अब दूर भगाऐंगे।
हैं  वीर पुत्र  हम ;
संकट से कब घबराऐंगे।
अपने "संयम "और "हौसलों" से
"कोरोना " को दूर भगाऐंगे।
झेला हमने संकट बहुत ;
धैर्य और संयम से इसे अब और
बढने से रोकेंगे।
हम साहस के वीर-पुत्र
इस महामारी पर हम
अपनी ही सूझ-बूझसे ;
विजय पताका फहराऐंगे।

✍️ डॉ. पल्लवी कुमारी " पाम "
संपादिका - विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई )
 

शुभकामनाएं संदेश -

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - साप्ताहिक पत्रिका ( गुरुवार ) , संपादिका - आ. डॉ. पल्लवी कुमारी " पाम " जी एवं सम्मानित साहित्यकार -
माँ सरस्वती , साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - साप्ताहिक पत्रिका ( गुरुवार ) को नमन करते हुए आप सभी को सादर प्रणाम 🙏 ।
पटना , बिहार के सुप्रसिद्ध कवियत्री, विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - साप्ताहिक पत्रिका की संपादिका
आदरणीया डॉ. पल्लवी कुमारी " पाम " जी को , सम्मानित साहित्यकारों व  प्रिय पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई ।। हमारा पहला मंच विश्‍व साहित्य संस्थान मंच है । जिसका निर्माण कोरोना काल में शनिवार 20 जून 2020  को हुआ रहा , आ. ज्योति झा जी , आ. आशीष कुमार झा जी , आ.  प्रवीण झा जी , गुरु आ. अमिताभ सिंह जी , आ. रोबीन कुमार झा जी ,आ. पूजा गुप्ता जी सम्मानित साहित्यकारों व प्रिय पाठकों के सहयोग से गुरुवार , 25 जून 2020 को साप्ताहिक पत्रिका के रूप में अंक - 1 प्रकाशित किया गया । विश्‍व साहित्य संस्थान मंच बनाने में आ. ज्योति झा जी एवं आ. आशीष कुमार झा जी का अहम भूमिका है ।  अंक - 2 के लिए आ. आशीष कुमार झा जी कोरोना देकर विषय प्रदाता बनें जो 2 जुलाई 2020 गुरुवार को प्रकाशित होने वाला रहा पर हम अन्य मंचों से पद लेने में लग गए इसी लालच के कारण हम विश्‍व साहित्य संस्थान में एकदम सेवा करना बंद कर दिया ।  लगभग एक साल तक बहुत कुछ सीखने के बाद मंगलवार 11 मई 2021 को बिना किसी के साथ साहित्य एक नज़र, कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का अंक - 1 प्रकाशित किए , वह भी कई सारे मंचों पर हुए कार्यक्रमों का समाचार बनाकर और आज माँ सरस्वती और आप सभी के आशीर्वाद से सम्मानित रचनाकार अपनी रचनाएं से सहयोग कर रहें है । विश्‍व साहित्य संस्थान पत्रिका की अंक - 2 , विषय कोरोना का प्रकाशित 01 जुलाई 2021 गुरुवार को किया जा रहा है  , इस पत्रिका का संपादिका पद पर पटना , बिहार के सुप्रसिद्ध कवियत्री आदरणीया डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम " जी को रविवार , 27 जून 2021 को मनोनीत कर साहित्य एक नज़र अंक - 48 में प्रकाशित किया गया । जन्मदाता को कभी भूला नहीं जाता । जी हाँ विश्‍व साहित्य संस्थान ही साहित्य एक नज़र का जन्मदाता है । भले साहित्य एक नज़र लोकप्रिय हो गये है पर विश्‍व साहित्य संस्थान व विश्‍व साहित्य संस्थान के पदाधिकारियों व साहित्यकारों का ही योगदान है । आपलोग जानते ही पिता से आगे बेटा जाता है , और वही बेटा बुढ़ापा में सहारा बनता है । जी हाँ विश्‍व साहित्य संस्थान का साहित्य एक नज़र सहारा व नई ऊर्जा प्रदान किए हैं और करना भी कर्त्तव्य है ।  कलकत्ता विश्‍वविद्यालय के बेथुन कॉलेज कोलकाता की छात्रा , हिन्दी, मैथिली भाषा के कवयित्री, आदरणीया ज्योति झा जी साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई से प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक पत्रिका ( मंगलवार ) মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर पत्रिका के संपादिका है , इस पत्रिका में विश्‍व भर की भाषाओं की रचनाएं को प्रकाशित किया जाएगा , इस पत्रिका में आप अपनी अन्य कलाओं को भी प्रकाशित करवा सकते है ।
जय हिन्दी , जय साहित्य , जय विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , जय साहित्य एक नज़र
आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका,
मधुबनी इकाई - মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर साप्ताहिक पत्रिका - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - साप्ताहिक पत्रिका ( गुरुवार )



सम्पादकीय------

स्वाधीनता सबको प्रिय होता है।पशु, पक्षी,मानव सभी स्वतंत्र जीना चाहते हैं,पर जब स्वाधीनता निरंकुश  हो जाती है,अपने साथ  न जाने कितनी जिन्दगियों को प्रभावित करती हैं।हमारी प्रकृति के साथ  निरंतर अनचाही दखल हमें प्राकृतिक आपदा के रूप में झेलनी पङती हैं।हम सब अवगत हैं वैश्विक बिमारी  "कोरोना"किसी एक देश में अप्राकृतिक रूप से किए जाने वाले कुछ प्रयोगों के परिणामस्वरूप है।किसी एक वर्ग विशेष के कार्यों का परिणाम पूरा जगत  झेल रहा है।हमें स्वाधीनता का हक है,लेकिन हमारी स्वाधीनता किसी अन्य के जीवन को कितनी प्रभावित करती है यह देखना हमारा ही दायित्व  बनता है। प्रकृति ने हमें सबकुछ  निःशुल्क दिया,,,हमने उसके अस्तित्व को ही झकझोर दिया।सिर्फ हम कर सकने को स्वतंत्र थे इसलिए नदियों की स्वच्छता खत्म कर दी,,,वायु को जहरीला बना दिया,,,विकास के नाम पर सैकडों पेंड काट डाले।यह सब हुआ क्योंकि हम स्वतंत्र हैं, कुछ भी  करवाते हैं।प्रक्रति के साथ अमानवीय व्यवहार का परिणाम है प्राकृतिक आपदा।हमें अब तटस्थ नहीं रहना होगा,हमें देखना होगा दूसरों के किए हुए कार्य हमारे अस्तित्व को कहां तक प्रभावित करती है।सिर्फ चुप रहने,दूसरे के काम की समीक्षा न कर पाने,अपने तटस्थ भाव में रहने का ही परिणाम है। हम  लगभग दो वर्षों से घरों में कैद हो गए। पहले के समय में अगर एक प्रभावशाली व्यक्ति होते तो वह पूरे इलाके के निरंकुश युवा पीढी को सही रास्ता दिखाते,उनके क्रिया -कलापों पर एक मौन निगरानी रखते। अनेक माँ -पिता भी हस्तक्षेप  न करते।आज स्वतंत्रता निरंकुशता की ओर अग्रसर है।परिवार हो,देश हो,विदेश हो।कहीं भी व्यक्ति विशेष या समष्टि विशेष  की गतिविधियों पर हस्तक्षेप करना वाजिब है क्योंकि सब सूत्रमय हैं । एक के कार्य का भुगतान हम सबको करना पड़ता है ,इसलिए  तटस्थ  भाव छोङना होगा।मौन  तोड़ना होगा। विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका  ) की इकाई है जो साप्ताहिक पत्रिका के रूप में गुरुवार को प्रकाशित होती है , मुझे इस इस पत्रिका की संपादिका के रूप में कार्य करने का गौरव प्राप्त हुआ है । मुझे विश्‍वास है आप पाठकगण इसकी पठन सामाग्री से लाभान्वित होंगे।साहित्य की पुणित सेवा में सहयोग करेंगे।सभी लेखकगण अपनी लेखन सामाग्री से विश्व साहित्य संस्थान वाणी साहित्य एक नजर(साप्ताहिक पत्रिका)को समृद्ध करेंगे।

          
✍️ डॉ  पल्लवी कुमारी "पाम,
        पटना,बिहार
        संपादिका
      विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
      साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई )




रोशन कुमार झा


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