कविता :- 20(43) , बुधवार , 30/06/2021, अंक - 51, बिहार बोधी, एक कहानी छाया सहाय की जुबानी, आ. ज्योति सिन्हा जी

साहित्य एक नज़र 🌅

कविता :- 20(43)
नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

पता है हमें
हम किये गलती ,
हम तो पलटे ही
तुम भी तो पलटी ।
आज किसी औरों के
कहने पर चलती ,
हम भी किसी और
से दिल लगा लिए
अब अपने हक़ के लिए
क्यों लड़ती ।

हम न , तुम हमसे जलती ,
इतना ही प्यार रहा तो
मेरी शिकायत किसी
और से न करती ।
पहले हम
अब तुम मेरे पीछे मरती ,
पता न क्यों तुम्हें देखकर मेरे अंदर
एक नई ऊर्जा भरती ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(43)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
30/06/2021 , बुधवार
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 51
Sahitya Ek Nazar
30 June 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

जीवन परिचय

नाम - रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
पिता :- श्री श्रीष्टु झा
ग्राम :- झोंझी , परौल , अरेर , मधुबनी बिहार
जन्मतिथि :- 13/06/1999

कलकत्ता विश्वविद्यालय , सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज ,कोलकाता से तृतीय वर्ष हिन्दी आनर्स, 
31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी , फोर्ट विलियम कोलकाता-बी , पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय, पंजीकृत संख्या :- WB17SDA112047
कम्पनी :- पांचवीं , नरसिंहा दत्त कॉलेज , हावड़ा सेंट जॉन एम्बुलेंस , भारत स्काउट एवं गाइड , पूर्व रेलवे स्टेट हावड़ा डिस्ट्रीक बामनगाछी ग्रुप , ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा , रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना स्वंयसेवक
, विगत कुछ वर्षों से नि: शुल्क में शिक्षा प्रदान कर रहे है । साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका कोलकाता, विश्‍व साहित्य संस्थान / মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर, मधुबनी इकाई

रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वंयसेवकों को सूचित किया जाता है - 08/07/2021 से 15/07/2021 तक वार्षिक शिविर का आयोजन किया गया है । अतः समस्त स्वंयसेवक भाग लें । भाग लेने वाले स्वंयसेवकों को सर्टिफिकेट दिया जायेगा । - पूजा बोली भेजने पटना में पापा के इलाज करवाने गई रहीं , पटना से आना चाहती रहीं ।

हम पूजा आंचल से बात की आंचल बोली हम भी आपका waiting में है आंचल की शादी का बात  कहीं हुआ है पटना में लड़का का दुकान है । हम बोले पूजा को कहीं तुम भी न बदल जाओगी आंचल की तरह , आंचल फोटो भेजी लड़का का ।

कल फेसबुक पर साहित्य मित्रों का मित्र अनुरोध को स्वीकार किए । कल वारिश हुआ लताम अमरूद पेड़ गिर गया ।

अंचल मासिक पत्रिका -
[30/06, 20:23] आ सपना जी: आदरणीय देखें इसे
[30/06, 20:23] आ सपना जी: कहीं हमारी पत्रिका के संबंध में तो नहीं है....
[30/06, 20:24] आ सपना जी: कोई गलत फायदा उठा रहा हो
[30/06, 20:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: पता है हमें इनके बारे में
[30/06, 20:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम इनका प्रकाशित नहीं करते है
[30/06, 20:24] आ सपना जी: इन्होनें यह समूह में डाला है
[30/06, 20:24] आ सपना जी: अभी जवाब देती हूँ अच्छे से
[30/06, 20:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐
[30/06, 21:09] आ सपना जी: यह तो मेरा फ़र्ज है आदरणीय..
[30/06, 21:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 धन्यवाद

[29/06, 23:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है दीदी जी 🙏
[30/06, 15:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: जीवन परिचय

नाम - रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
पिता :- श्री श्रीष्टु झा
ग्राम :- झोंझी , परौल , अरेर , मधुबनी बिहार
जन्मतिथि :- 13/06/1999

कलकत्ता विश्वविद्यालय , सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज ,कोलकाता से तृतीय वर्ष हिन्दी आनर्स, 
31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी , फोर्ट विलियम कोलकाता-बी , पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय, पंजीकृत संख्या :- WB17SDA112047
कम्पनी :- पांचवीं , नरसिंहा दत्त कॉलेज , हावड़ा सेंट जॉन एम्बुलेंस , भारत स्काउट एवं गाइड , पूर्व रेलवे स्टेट हावड़ा डिस्ट्रीक बामनगाछी ग्रुप , ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा , रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना स्वंयसेवक
, विगत कुछ वर्षों से नि: शुल्क में शिक्षा प्रदान कर रहे है । साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका कोलकाता, विश्‍व साहित्य संस्थान / মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर, मधुबनी इकाई
[30/06, 20:22] ज्योति दीदी जी: भाई

इसका प्लीज वही लिंक बना दो ना

जैसे किताब खुलने वाला अपना अखबार का बनाते हो।

हमारी दीदी का बड़ी खुशी का दिन है
उसको हम उसकी कहानी गिफ्ट कर रहे हैं
[30/06, 20:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: अवश्य दीदी जी 🙏💐
[30/06, 20:23] ज्योति दीदी जी: अभी बना देना

अभी उसको देना है

दिन भर मेहनत करके हम पेज बनाए हैं😁
[30/06, 20:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी बस 5 मिनट
[30/06, 20:23] ज्योति दीदी जी: 👍🏻
[30/06, 20:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/qmrf/

साहित्य एक नज़र 🌅 - व्हाट्सएप
ग्रुप
[30/06, 17:44] +91 87651 98726: आदरणीय महोदय नमस्कार साहित्य एक नजर का 51 वां अंक मिला। आपने हमें सम्मानित कर हम छोटे साहित्य कारों का उत्साह वर्धन किया है सर हम आपके आभारी हैं।
विनोद कुमार सीताराम दुबे शिक्षक व हिंदी प्रचारक गुरु नानक इंग्लिश हाई स्कूल एन्ड जूनियर कालेज भांडुप मुंबई महाराष्ट्र
[30/06, 17:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/ruci/
[30/06, 17:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐

[30/06, 13:21] प्रमोद ठाकुर: आदरणीय क्या आज की पत्रिका में ये फोटो लग जायेगी
[30/06, 13:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[30/06, 13:41] प्रमोद ठाकुर: भाई कभी भाई को भी याद कर लिया करो
[30/06, 13:42] प्रमोद ठाकुर: आप भी अपनी 3  रचनायें परिचित और फ़ोटो भेजने का कष्ट करें साहित्य सरिता के लिये
[30/06, 13:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 अवश्य 🙏 अभी साहित्य संगम संस्थान को गिराने में लगे हुए है।
[30/06, 13:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[30/06, 14:18] प्रमोद ठाकुर: मैं भी आपने जो सुनीता जोहरी है बनारस की संगम से पहले से मुझसे जुड़ी है। उनकी फेसबुक पोस्ट देखे आप समझ जायेंगे मैं सामने नहीं आ ऊँगा वही गिरा देगी
[30/06, 14:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: कुछ लोग अभी इस तरह कर रहे है कि सही ग़लत का पता ही नहीं चलता
[30/06, 14:21] प्रमोद ठाकुर: मैं कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा हूँ। हो सकता है ये एक ड्रामा हो
[30/06, 14:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: हमें अभी लोग आपके प्रति भड़काने लगे है ऐसा ऐसा बोलता है कि हमें समझ में ही नहीं आता , पर हम भड़कने वाले में से हैं ही नहीं ।
[30/06, 14:30] प्रमोद ठाकुर: ये आपका भरोसा है जो आप मुझ पर करते है बाकी दुनिया है
[30/06, 14:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[30/06, 17:29] प्रमोद ठाकुर: बिल्कुल सही जो ऐसी बात करें ऐसे लोगो की आवश्यकता नहीं है ।और ऐसे लोग जो गन्दगी फैला रहें है उन्हें छंट कर अलग करों।
[30/06, 17:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

इसमें पोस्ट करने का ऑप्शन नहीं दे रहा है मैं काफी दिन से परेशान हूं

[30/06, 15:45] +91 9575:
कवि ऋषि कुमार ' प्रभाकर '

या तो आप लोग कहीं मैं आपका ग्रुप छोड़ो अपने फेसबुक में जगह लाऊं या तो हमें सुविधा उपलब्ध कराएं हम भी अपनी रचना प्रकाशित कराएं यदि किसी प्रकार से फीस लगती है तो वह भी बताने का कष्ट करें
[30/06, 17:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप छोड़ सकते है आज के समय में रचनाकारों की कमी नहीं है
[30/06, 17:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: समस्या आपकी फोन की है
[30/06, 17:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: नाम बताइए मैं खुद ब्लाक कर देता हूँ हमें कोई शुल्क नहीं मिलता है फेसबुक से ।

[29/06, 17:33] डॉ पल्लवी जी: सम्पादकीय------

स्वाधीनता सबको प्रिय होता है।पशु, पक्षी,मानव सभी स्वतंत्र जीना चाहते हैं,पर जब स्वाधीनता निरंकुश  हो जाती है,अपने साथ  न जाने कितनी जिन्दगियों को प्रभावित करती हैं।हमारी प्रकृति के साथ  निरंतर अनचाही दखल हमें प्राकृतिक आपदा के रूप में झेलनी पङती हैं।हम सब अवगत हैं वैश्विक बिमारी  "कोरोना"किसी एक देश में अप्राकृतिक रूप से किए जाने वाले कुछ प्रयोगों के परिणामस्वरूप है।किसी एक वर्ग विशेष के कार्यों का परिणाम पूरा जगत  झेल रहा है।हमें स्वाधीनता का हक है,लेकिन हमारी स्वाधीनता किसी अन्य के जीवन को कितनी प्रभावित करती है यह देखना हमारा ही दायित्व  बनता है। प्रकृति ने हमें सबकुछ  निःशुल्क दिया,,,हमने उसके अस्तित्व को ही झकझोर दिया।सिर्फ हम कर सकने को स्वतंत्र थे इसलिए नदियों की स्वच्छता खत्म कर दी,,,वायु को जहरीला बना दिया,,,विकास के नाम पर सैकडों पेंड काट डाले।यह सब हुआ क्योंकि हम स्वतंत्र हैं, कुछ भी  करवाते हैं।प्रक्रति के साथ अमानवीय व्यवहार का परिणाम है प्राकृतिक आपदा।हमें अब तटस्थ नहीं रहना होगा,हमें देखना होगा दूसरों के किए हुए कार्य हमारे अस्तित्व को कहां तक प्रभावित करती है।सिर्फ चुप रहने,दूसरे के काम की समीक्षा न कर पाने,अपने तटस्थ भाव में रहने का ही परिणाम है। हम  लगभग दो वर्षो से घरों में कैद हो गए। पहले के समय में अगर एक प्रभावशाली व्यक्ति होते तो वह पूरे इलाके के निरंकुश युवा पीढी को सही रास्ता दिखाते,उनके क्रिया -कलापों पर एक मौन निगरानी रखते। अनेक मां-पिता भी हस्तक्षेप  न करते।आज स्वतंत्रता निरंकुशता की ओर अग्रसर है।परिवार हो,देश हो,विदेश हो।कहीं भी व्यक्ति विशेष या समष्टि विशेष  की गतिविधियों पर हस्तक्षेप करना वाजिब है क्योंकि सब सूत्रमय हैं । एक के कार्य का भुगतान हम सबको करना पङता है ,इसलिए  तटस्थ  भाव छोङना होगा।मौन  तोडना होगा।
                    

                                                                  ✍डॉ  पल्लवी कुमारी"पाम,पटना,बिहार
[29/06, 17:36] डॉ पल्लवी जी: भाई  क्या यह  लेख सम्पादकीय  के  लिए ठीक है?
[29/06, 17:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी ठीक है कुछ पत्रिका के बारे में अंत में बता दीजियेगा बाकी सब ठीक है
[29/06, 17:39] डॉ पल्लवी जी: आप कुछ प्वाइंट्स बता दें।
[29/06, 17:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम भेज देंगे आपको
[29/06, 17:41] डॉ पल्लवी जी: ठीक है।🌺
[29/06, 17:42] डॉ पल्लवी जी: भाई  किसी को ग्रुप ज्वाइन करने को इनभाईट भी करना है?
[29/06, 17:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी कर दीजिए अपने फेसबुक फ्रांइडस को
[29/06, 17:44] डॉ पल्लवी जी: Ok.
[29/06, 23:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏
[30/06, 13:54] डॉ पल्लवी जी: भाई  आपने भेजा नहीं। 🙏
[30/06, 14:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज की अंक प्रकाशित क
होने के बाद आपको भेज देंगे
[30/06, 14:46] डॉ पल्लवी जी: जी।

[30/06, 09:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं 🙏 बहिन
[30/06, 11:44] ज्योति झा जी: की ई सच छैय?
[30/06, 11:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: नोटिस
[30/06, 11:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://cuexam.net/exam-notice.php
Check it
[30/06, 12:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: वाहहह
[30/06, 12:28] ज्योति झा जी: 🙏🏼
[30/06, 14:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार बहिन 🙏
[30/06, 14:46] ज्योति झा जी: 🙏🏼
[30/06, 21:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏💐




अंक - 51
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ruci/

अंक - 50
https://online.fliphtml5.com/axiwx/crej/

मधुबनी - 1
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ncvw/

https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/320129459790110/?sfnsn=wiwspmo

https://online.fliphtml5.com/axiwx/zpvc/
अंक - 49
https://online.fliphtml5.com/axiwx/phxo/


जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 51
30 जून  2021
बुधवार
आषाढ़ कृष्ण 6 संवत 2078
पृष्ठ - 
प्रमाण पत्र - 5
कुल पृष्ठ - 6

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
हूल दिवस
मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
105. आ. विनोद कुमार सीताराम दुबे जी



सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/317105156718934/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 45 - 48
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo

मधुबनी इकाई अंक - 2
https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/320660943070295/?sfnsn=wiwspmo


विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -
https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110843755990877/

फेसबुक - 1

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1144715156042037/

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1144704872709732/



फेसबुक - 2

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/319062763189840/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/319054193190697/?sfnsn=wiwspmo





आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 51 , बुधवार
30/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 51
Sahitya Ek Nazar
30 June 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

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फेसबुक - 1
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फेसबुक - 2
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बिहार बोधी -  साझा काव्य संकलन

विश्व साहित्य संस्थान
विश्व न्यूज़
साहित्य एक नज़र
दैनिक पत्रिका

विश्‍व साहित्य संस्थान ( साहित्य एक नज़र 🌅 )
मो - 6290640716

एक कहानी छाया सहाय की जुबानी ,

https://online.fliphtml5.com/axiwx/qmrf/

आ. ज्योति सिन्हा जी

सुधीर श्रीवास्तव के जन्मदिन पर लाइव काव्यपाठ सप्ताह का आयोजन -

परितोष काव्य मंच* पर काव्य का साहित्यिक मेला
गोण्डा (उ.प्र.)‌ जनपद के वरिष्ठ कवि/साहित्यकार आ.सुधीर श्रीवास्तव के जन्मदिन (एक जुलाई) के उपलक्ष्य में पारितोष काव्य मंच फिरोजाबाद, उ .प्र. द्वारा स्व. हंसराज कक्कड़ स्मृति मंच के तत्वावधान में 'लाइव काव्य पाठ सप्ताह' का  आयोजन किया जा रहा है। स्वर्गीय श्री हंसराज कक्कड़ स्मृति मंच कविराज व्यंगकार आ. परितोष अरोरा जी ने अपने पिता की स्मृति में शुरू किया है, इसमें साहित्य के साथ साथ सामाजिक और वैचारिक कार्य भी किए जाते है। इन कार्यों के लिए उन्हें अब तक कई सम्मान पत्र भी मिल चुके है।  1-7 जुलाई '21 तक चलने वाले इस आयोजन के बारे में मंच के संस्थापक आ.पारितोष अरोड़ा जी ने बताया कि प्रत्येक दिन दो लाइव काव्यपाठ कराने की रुपरेखा तैयार की गई है।जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से कवि/कवयित्रियों को आमंत्रित किया जा रहा है। जिनमें आ.भरत मिश्रा भयंकर जी (उन्नाव,उ.प्र.), आ.अमित बिजनौरी (बिजनौर, उ.प्र.), आ. आर्तिका श्रीवास्तव (लखनऊ), आ.अनुरोध कुमार श्रीवास्तव (बस्ती, उ.प्र.),आ.जय हिंद सिंह हिंद (आजमगढ़),आ.महेंद्र सिंह राज (चंदौली, उ.प्र.) आ.ममता रानी सिन्हा (तोपा,रामगढ़, झारखंड), आ.तृप्ति वीरेंद्र गोस्वामी,आ.संगीता चौबे पंखुड़ी (म.प्र.) आ.रईस सिद्दीकी बहराइची(बहराइच), आ. ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम (कानपुर),आ.अनिल राही जी (ग्वालियर, म.प्र.),आ.अनुरंजन कुमार अंचल आदि की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। श्री अरोड़ा ने यह भी कहा कि साहित्यकारों उनके जन्मदिन पर  सम्मान और विशेष अनुभूति का अहसास हो,इसी उद्देश्य से शुरु की गई इस श्रृंखला को आगे लगातार जारी रखा जायेगा। साथ ही उन्होंने श्री सुधीर श्रीवास्तव को जन्मदिन की बधाइयां और शुभकामनाएं भी दी है।


ज़िंदगी

जिंदगी दौड़ है,
भागते जाना है,
रास्ते जटिल हैं,
कंटक भरे पथ हैं,
मंजिलों की प्रतिस्पर्धा में,
परेशानियों को
पीछे छोड़ आगे बढ़ना है,
धीरे-धीरे कदम बढ़ा कर,
थकान को दूर भगाना है,
चाहे आए जितनी परेशानियां,
स्वयं विजय सेहरा सजाना है,
आत्मविश्वास से
हर विषाद को दूर भगाना है,
चाहे जो हो परिस्थिति,
हरदम मुस्काना है,
गर थक जाएं कदम कहीं,
देख खुद को आईने में,
वायु वेग से उड़ जाना है,
गतिशील धावक बन,
सफलता के पायदान पर,
विजयश्री कदम बढ़ाना है।

✍️ इं. निशांत सक्सेना "आहान"

मिट्टी दिवस

मिट्टी है अनमोल यारों
मिट्टी का मान बढ़ाओ सब
मिट्टी ही अन्न दाईनी है
हम सब को मजबूत बनाती है
मिट्टी को प्रदूषण से बचाओगे
जीवन के सभी सुख पाओगे
मिट्टी को सभी  आदर  सहित
अपने माथे पर    लगाओ
आज सभी मिट्टी दिवस मनाओ

साहित्य एक नज़र -

साहित्य एक नज़र का
मिला पचासवां  अंक
सभी रंगीन पृष्ठों  पर
सजी साहित्य पंक्तियां
मान-सम्मान पत्र कविता
सभी  छपे हैं  अनूठे
साहित्य एक नजर का
पूरे भारत में हो  विस्तार
हिंदी सेवक साहित्य जन
बन जाओ साथी सभी
दैनिक साहित्य एक नज़र का

✍️ विनोद कुमार सीताराम दुबे
शिक्षक/हिंदी प्रचारक/लेखन,
स्वतंत्र पत्रकारिता भांडुप मुंबई महाराष्ट्र
संस्थापक सीताराम ग्रामीण
साहित्य परिषद एवं इंद्रजीत पुस्तकालय जुडपुर रामनगर विधमौवा मड़िया हूं जौनपुर उत्तर प्रदेश

शीर्षक  :-

" मैं बुझते दीप जलाता हूँ "

मैं अपने जीवन के दुख
,से कभी नहीं घबराता हूँ!
चलीं हवाएँ जब भी तो,
मैं बुझते दीप जलाता हूँ!!
मैं अपने जीवन के दुख----
अगर राह में फूल मिले
ना,मैं काटों पे चलता हूँ!
विषम परिस्थितियों में सदा
,धीरजता दिखलाता हूँ!!
मैं अपने जीवन के दुख----
मुझे चाह नहीं शहरों की
,मैं तो गाँव में रहता हूँ!
जहाँ जमीने ऊसर हो
,मैं वहाँ फसल उगाता हूँ!!
मैं अपने जीवन के दुख----

✍️ प्रभात गौर
पता:- नेवादा जंघई प्रयागराज

शुभकामनाएं संदेश -

मधुबनी इकाई के साप्ताहिक का प्रवेशांक और साहित्य एक नजर का पचासवां गौरवशाली अंक एक साथ पाकर अच्छा लगा। बहुत सुंदर सेटिंग और संपादन। उत्तरोत्तर प्रगति की मंगलकामनाएं ।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश
संपादक - ई प्रकाशन अभिव्यक्ति

कविता :- 20(43)
नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

पता है हमें
हम किये गलती ,
हम तो पलटे ही
तुम भी तो पलटी ।
आज किसी औरों के
कहने पर चलती ,
हम भी किसी और
से दिल लगा लिए
अब अपने हक़ के लिए
क्यों लड़ती ।
हम न , तुम हमसे जलती ,
इतना ही प्यार रहा तो
मेरी शिकायत किसी
और से न करती ।
पहले हम
अब तुम मेरे पीछे मरती ,
पता न क्यों तुम्हें देखकर मेरे अंदर
एक नई ऊर्जा भरती ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(43)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
30/06/2021 , बुधवार
✍️ रोशन कुमार झा ,
Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 51
Sahitya Ek Nazar
30 June 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

पिता का महात्म्य
    
बेटे के सुख संसाधन हित,
हर कष्ट पिता सह लेता है।
सच माने तो स्व जीवन की
सब खुशियां उड़ेल देता है।
माँ के माहात्म्य की महिमा,
इस लोक में सबसे प्यारी है।
पर बच्चे को आगे बढ़ाने में,
पितु  महिमा अति न्यारी है।।
परिवार की सारी जिम्मेदारी,
पितु को संभालनी पड़ती है।
इससे उपजे सारे तनावों को,
वह मुदित भाव सह लेता है।
पढ़-लिखकर बेटा आगे बढ़े,
इसमें ही बाप की खुशी रहे।
खुद के आयी विपदाओं को,
वह  बेटे को नही  बताता है।।
कोई रिक्सा चलाये सड़कों पर,
कोई भीख मांगता घर-घर जा।
कोई मजदूरी कोई करे हुजूरी,
सुत हित में करे पिता न कया।
बच्चों  को  बचाने  के ख़ातिर,
क्या-क्या न  पिता  ने  झेले हैं।
हर कष्टों को पिता ने सहा मगर,
सन्तान को  खुशियां देता रहा।।
तपती धरती दिनकर तपता,
इस बीच बाप भी है तपता।
बहु स्वप्न संजोये पिता यहाँ,
खेती का कार्य मगन करता।
कठिन तपस्या वसुन्धरा पर,
पिता  की बहुत ही  होती है।
घर  में  खुशहाली  बनी  रहे,
वह यही सोच दिल में रखता।।
है  मेरा सबसे अनुरोध यही,
पितु का सदा ध्यान रखना।
जिनसे से सजा जीवन तेरा,
उनको न कभी बुरा कहना।
जिसने जीवन खुशियां सारी,
नित  तेरे हित  कुर्बान  किये।
तुम अपने विचार व कर्मों से,
उनको रखना खुशहाल सदा।।

✍️ सुरेश लाल श्रीवास्तव
           प्रधानाचार्य
राजकीय उ.मा. विद्यालय, जहांगीरगंज
अम्बेडकरनगर, उत्तर प्रदेश,
व्हाट्सएप न.9838866840

रोशन कुमार झा
Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
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16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
विषय :- *" मिथिलाक  ललना "*
विधा :- स्वैच्छिक , शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होने की दिनांक -  6 जुलाई 2021 , मंगलवार
रचना भेजने का समय - 30 जून 2021 से 4 जुलाई 2021 तक
विषय प्रदाता :- आ . ज्योति झा जी
बिना मतलब के स्पेस रहने पर रचना को पत्रिका में शामिल नहीं किया जायेगा ।

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अंक :- 49, 50, 51, 52, 53,

दिनांक :- 28 जून 2021 से 2 जुलाई 2021

दिवस :- सोमवार से शुक्रवार

एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

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इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में रचना भेजें , यहां पर आयी हुई रचनाओं में से कुछ रचनाएं को अंक - 49 कुछ रचनाएं को अंक - 50 कुछ रचनाएं को - 51, कुछ रचनाएं को 52 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 53 में प्रकाशित किया जाएगा ।

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