कविता :- 20(39) , शनिवार, 26/06/2021 , अंक - 47

रोशन कुमार झा

कविता :- 20(39)

कविता
बिहार की पहचान ।

जहाँ जन्म ली मर्यादा पुरुषोत्तम
राम की पत्नी सीता ,
राजा जनक जैसे पिता ‌‌।।
महाकवि विद्यापति,
नागार्जुन और दिनकर की कविता ।।
आज ही न सदियों से
भारत को आगे बढ़ाने
में बिहार का सहयोग ही था ।।

मुजफ्फरपुर के लीची ,
हाजीपुर का केला ।
पटना राजधानी ,
गया में ही मिटे गौतम
बुद्ध का अंधेरा ।।
छठी माई का पूजा , सोनपुर का मेला ,
लिट्टी चोखा खाना अपना ,
बिहार हमारा गुरु हम रोशन उसका चेला ।।

बांग्ला और उड़िया अक्षर का हुआ
मिथलाक्षर से ही निर्माण ,
स्वंय आये बिहार के मिथिलांचल
भूमि पर शिव शंकर और राम भगवान ।।
आम , लीची , फल - फूल खेत में भरा धान ,
मैथिली , मगही, भोजपुरी ,
उर्दू , हिन्दी बोले जाने वाला हैं ये स्थान ।।
यहीं से आर्यभट्ट दिए दुनिया को शून्य ,
माता गंगा यहीं से गुजर कर की
बिहार पवित्र भूमि को पुण्य ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(39)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
शनिवार , 26/06/2021
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 47
Sahitya Ek Nazar
26 June 2021 ,   Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्व साहित्य संस्थान

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई



माँ सरस्वती 🙏 को नमन करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्यकारों को सादर प्रणाम 🙏 , आप सभी से सादर निवेदन है कि विमोचन के शुभ अवसर पर अपनी विचारों को दो - तीन मिनट के वीडियो बनाकर 6290640716  या आ. ज्योति दीदी जी के व्हाट्सएप नम्बर पर भेज दीजिए सारे वीडियो को यूट्यूब पर अपलोड किया जाएगा । धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐

शाम में बम दो समोसा लाएं , घनश्याम भाई जी आंगन में पूजा होता रहा ।
संजय काका आये साईकिल ख़राब देखा बोला बोलिए बंद बोअ गेल भोली के कोरोना भो गेल रहैया 60 हज़ार लगलैय कियो देखअ नैय चाहैय । वारिश हुआ बिल्ली बच्चा आया रहा । मरवा पर बैठा रहा भगाये ।

ज्योति दीदी से बात हुई बोली आ. कलावती कर्वा दीदी जी तुम्हारा तारीफ ही कर रहीं थी ।

चाचा सअ फोन पर बात केलियै आशीष मामा कहलकीन रिश्ता वाला बात छैय ते नैय तअ राहुल के बीच रोड़ पर मरवा दैतीयै । दादी बोकर हजमा लेल कहलकीन की मर गेलैय तोहर मां के कहितोअ होरी भाई के बेटी मिठाई के पाय दियअ , मुइनगा रहैतैय गाछ में तअ कैहतेय यै बेटा वाली मालकिन मुइनगा तोड़ लियअ ।

रामवतार और बोकरा के बड़ा उपनयन लेल मुन लागल रहैय , रामवतार के जमेए कुदाल से काट दिया रहा कुछ दिन बाद मर गया , हम गये रहें दादी का चप्पल लाने दादी को बेटा जाना रहा , पीता लगाने फिर झरिया से लगाकर अनलियैअ ।



[26/06, 12:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 दीदी
[26/06, 13:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: कविता
बिहार की पहचान ।

जहाँ जन्म ली मर्यादा पुरुषोत्तम
राम की पत्नी सीता ,
राजा जनक जैसे पिता ‌‌।।
महाकवि विद्यापति,
नागार्जुन और दिनकर की कविता ।।
आज ही न सदियों से
भारत को आगे बढ़ाने
में बिहार का सहयोग ही था ।।

मुजफ्फरपुर के लीची ,
हाजीपुर का केला ।
पटना राजधानी ,
गया में ही मिटे गौतम
बुद्ध का अंधेरा ।।
छठी माई का पूजा , सोनपुर का मेला ,
लिट्टी चोखा खाना अपना ,
बिहार हमारा गुरु हम रोशन उसका चेला ।।

बांग्ला और उड़िया अक्षर का हुआ
मिथलाक्षर से ही निर्माण ,
स्वंय आये बिहार के मिथिलांचल
भूमि पर शिव शंकर और राम भगवान ।।
आम , लीची , फल - फूल खेत में भरा धान ,
मैथिली , मगही, भोजपुरी ,
उर्दू , हिन्दी बोले जाने वाला हैं ये स्थान ।।
यहीं से आर्यभट्ट दिए दुनिया को शून्य ,
माता गंगा यहीं से गुजर कर की
बिहार पवित्र भूमि को पुण्य ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716
[26/06, 19:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/CYH890rwMuo
[26/06, 20:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: मजदूरों का सम्मान करें ।।

मजदूर का ऐसा दिन हो ,
सुखमय , उसका न कोई ऋण हो ।
खुश रहकर काम करें ,
विश्व स्तर पर देश का नाम करें ।।

तो सुनो
मजदूर का सम्मान करें ,
क्या विश्वास विज्ञान का
थोड़ी सोच समझकर
काम विज्ञान करें ,
जो काम मजदूर करें
वह काम न विद्वान करें ,
मजदूर का ख़्याल हर एक इंसान करें ।।

मजदूर दिन - रात काम करें ,
ऊपर से मालिक का बात सुनकर
वह किस तरह आराम करें ।।
मजदूर मालिकों का
मजदूरों का काम प्रभु श्रीराम करें ,
आज मजदूर दिवस
समस्त मजदूरों भाईयों को
हम रोशन प्रणाम करें ।।

✍️  रोशन कुमार झा
[26/06, 20:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: विषय :- यह वक्त भी गुजर जायेगा ।


यह वक्त भी गुजर जायेगा ,
हर समस्या का हल आयेगा ।।
मिल बांट कर फिर सब खायेगा ,
पता न कब अच्छे दिन लायेगा ।।

लाने वाला है न खुद लाना है ,
इन्हें तो चुनाव प्रचार करने में जाना है ।।
ये सरकार अनपढ़ बनाने को ठाना है ,
यह वक्त भी गुजर जायेगा तुम्हें
भी गद्दी से आना है ।।

यह वक्त भी गुजर जायेगा ,
क्या ?
कल का बीता हुआ
कल आयेगा ।।
नहीं न पूछता हम रोशन
बदलाव कौन लायेगा ,
कब तक पढ़ाई - लिखाई - कमाई बंद
और कब तक लोग शहर से गाँव जायेगा ।।

✍️  रोशन कुमार झा
[26/06, 20:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: विषय :-  देश के रक्षक तीन भाई ‌ । :- 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

हिन्दुस्तान की सोन्दर्यता की प्रतीक जल,थल, वायुसेना
तीनों भाई है ,
अपनों के लिए चंदन दुश्मनों के लिए कसाई हैं ।

जय श्री राम, जय हिन्द इनके नारा है ,
सुरक्षा के प्रति इनके पास अणु परमाणु बम प्वाइंट टु टु
.22 रायफल, 7.62 एल.एम. जी , एस. एल. आर ,
ब्रहामोज और भी शस्त्र व भाला है ।

सुबह में पीटी फिर करने को ड्रिल (Drill ) है ,
तीनों भाइयों को दुश्मनों के सामने वीरता दिखाने के लिए
सर्वोच्चम पुरस्कार चक्र परमवीर है ।

हर एक का मार्ग रोशन, देश की मान सम्मान इनके हाथों में है ,
क्या कहूं दम तो इनके वर्ड आफ कमांड और
हर एक बातों में है ।

देश सेवा के लिए तैरकर, उड़कर, दौड़कर चलते है ,
मारने या वीरगति पाने की भावना रखकर , दुश्मनों से
सीना तानकर लड़ते हैं ।

पहनने के लिए जूता , डी. एम. एस , तीनों भाई के
अलग-अलग वर्दी है ,
रहने के बाद भी कहां इनके लिए होली ,ईद, दिवाली,
गर्मी या सर्दी है ।

मंगल हो या शनि हर दिन दाढ़ी बनाते यानि सेविंग करते हैं,
कब घर - परिवार, समाज से दूर हो जायेंगे , क्योंकि हर
दिन युद्ध के मैदान में चलते है ।।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
[26/06, 20:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: नववर्ष की स्वागत अद्‌भुत हो ।

नववर्ष की स्वागत अद्‌भुत हो ,
उसके बाद जिसे न बेटी उसे बेटी
और जिसे न बेटा उसे पुत्र हो ।।
कमला , कोसी , गंगा बहती नदी ,
नील , हुगली ब्रह्मपुत्र हो ,
जो ग़लत है उसे सज़ा
उसे न फिर अगली छूट हो ।।

नववर्ष की स्वागत अद्धभुत हो ,
पूजा पाठ फल फूल से करने के लिए
सब एकजुट हो ।
हम रोशन हम कवियों की कल्पना न झूठ हो ,
जहां तहां प्रेम की लूट हो ।।
इस प्रकार नववर्ष की
स्वागत अद्‌भुत हो ।।

हर कहीं शिव शंकर ,हनुमान, राम सीता, भगवान
कहीं न बूरी आत्मा और भूत हो
कहीं न छुआछूत हो ,
हमारी उम्मीदें दो हज़ार बीस से
कहीं ज़्यादा मज़बूत हो ।‌‌।
इस तरह दो हज़ार इक्कीस
नववर्ष की स्वागत अद्‌भुत हो ,

✍️  रोशन कुमार झा
[26/06, 20:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: तुम्हारी यादें !:-

आँखों से मेरे आँसू बहने दो ,
मत रहो मेरे पास, बस अपनी यादें रहने दो ।

चांदनी रातें में जो बांटे थे सुख ,   वे रहने दो ,
अंधेरी रात में जो दुख देकर गयी वे अब सहने दो ।

पार्क , बाग़ में बैठकर किये थे, जो बातें,
अब उस बातें को रहने दो ,
जो पूरा नहीं हुआ चाहत , उन चाहत को रहने दो ।

तुम्हारे आने की जो आगाज़ थी , उस पल को रहने दो ,
तुम्हारे जाने से जो हम रोशन को गम मिला,
अब उस गम को सहने दो ।

तुम्हारी जो घुँघरू की आवाज थी, उस आवाज को सुनने दो,
जो तुम्हारे लिए रखें थे प्रेम की बातें ,
अब उन बातों को कहने दो ।

तुम्हारी जो आने की मार्ग थी, उस मार्ग को निखारते रहने दो,
तुम आओ या मत आओ , बस हमारी इंतजार जारी रहने दो ।

पतझड़ में दी थी होंठों पर मुस्कान, उस मज़े को रहने दो ,
भरी बंसत में जो देकर गयी सजा , उस सजे को सहने दो ।

पास रहो या मत रहो ,
बस मेरी आँखों से आँसू बहने दो ।।

✍️ रोशन कुमार झा
[26/06, 20:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: विषय :- हिन्दी हमारा महान है ।

हिन्दी हम हमारा यह हिन्दुस्तान है ,
हिन्दी से ही अर्जित किया हुआ ज्ञान है ।
तब हिन्दी की सेवा करने पर हमारा ध्यान है ,
हिन्दी कला ही नहीं , कला के साथ विज्ञान है ।।

जो बदलाव लाता ,
बदलाव लाने वाले साहित्यकार
वह भी एक इंसान हैं ,
हिन्दी बोलने , लिखने , सीखने
वाले सबके सब महान है ,
तब न विश्व स्तर पर अपना हिन्दी
भाषा का स्थान है ।
गर्व है हमें हम हिन्दुस्तानी
हम हिन्दी का ही संतान है ।।

तब हिन्दी की रक्षा करने
में ही मेरा सम्मान है ,
रक्षा करना हमारी शान है ।
हिन्दी से ही हमें बनना
साहित्यकार और विद्वान है ,
सच में अपना हिन्दी भाषा महान है ।

✍️  रोशन कुमार झा
[26/06, 20:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: बिहार

आप बोलों हम बोलो कि हम बिहार है ,
कुछ कर्त्तव्य और कुछ अपना अधिकार है ।

मिथिला पुत्री जनक लली की ये बिहार है, हाँ बिहार है
मधुबनी चित्रकला , मिथिला पेंटिंग से जानता जिसे संसार है ।
हाँ वह बिहार है ।

जहां आम , लीची की बाग़ान है ,
खेतों में भरा धान है ।
वहाँ की धरती ही महान है ,
उसी धरती की
हम रोशन इंसान हैं ।

विद्यापति , दिनकर यही का कवि नागार्जुन है ,
दुनिया को आर्यभट्ट यहीं से दिया शून्य है ।
हम बिहारियों का कुछ अलग - अलग गुण है ‌,
तब ही तो हम सम्पूर्ण है ।

✍️  रोशन कुमार झा
[26/06, 20:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: माँ सुन लो मेरी कविता !:-

माँ मैं लिखा हूँ एक कविता ,
सुन लो मेरी कविता !
कैसे सुनू बेटा मैं तेरी कविता ,
भूखमरी, बेरोज़गारी से जल रही है चिता ,
कैसे सुनूँ बेटा मैं तेरी कविता !

जाओ कविता पापा को सुनाना ,
तब तक मैं बनाकर रख रहीं हूं खाना !

पापा-पापा मैं लिखा हूं एक कविता ,
बोल बेटा कहां से जीता !
जीता नहीं पापा मैं लिखा हूं एक कविता ,

कहां है अब राम और सीता ,
ना पापा राम-सीता नहीं , मैं लिखा हूं एक कविता !

अरे ! खाना जुटता ही नहीं , मैं कैसे शराब पीता ,
न-न पापा आप शराबी नहीं, मैं लिखा हूं एक कविता !

अच्छा कविता,
सुनाओ वही सुनाना जो मेरे जीवन में बीता !
बस-बस पापा वैसा ही कविता !!

सूर्य के रोशन, चांद सितारों की शीतलता में आप
पर रहीं भुखमरी की ताप ,
उसके बावजूद भी बड़े स्नेह से हमें पाले पापा आप !

बड़े संघर्षमय से आपकी जिन्दगी बीता ,
हमें रहा नहीं गया, पापा
बस आप पर लिख बैठे एक कविता !!

             

✍️ रोशन कुमार झा
[26/06, 20:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: लेखक एक सदी का और सरकार पांच सरकार का  !:-

मैं एक सदी के कवि , आप पाँच साल के सरकार है ,
आपका प्रशंसा क्यों करूं , आपका वर्णन करने का
मेरा न विचार है !
आदत से आप लाचार है ,
कहते ही नहीं , आप दिखाते भी हो कि हम सरकार है !

आज सरकार मोदी और नीतीश कुमार है ,
अगला पांच साल में कोई और आने के लिए तैयार हैं !
पांच दो बार बने तो दस , उतना ही साल का अख्तियार है ,
हम रोशन एक सदी के लेखक हमें मानवता से ही प्यार है !!

आपका चुनाव प्रचार है ,
बेरोजगारी से शहर, गांव बीमार है !
क्यों ? और कैसे आपकी बड़ाई करूं, आप तो
सिर्फ पांच साल के सरकार है ,
हम एक सदी के कवि हमें रचना करके समाज को सुमार्ग
पर ले जाना ही मेरी त्यौहार है !!

आपका पीछे हवलदार है ,
हम गरीब आपका शिकार हैं !
मैं रोशन क्यों, आपका वर्णन करूं, आप तो सिर्फ
पांच साल के सरकार है ,
वर्णन करूं या न करूं सरकार का , बताओ मेरे
प्यारे पाठको आज आप सभी से मेरा यही सवाल है !!

                

✍️ रोशन कुमार झा
https://vishnews2.blogspot.com/2021/04/2021.html?m=1
[26/06, 21:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: फोटो भेजिए दीदी जी 🙏 फोटो सब
[26/06, 21:49] ज्योति दीदी जी: समझे नहीं हम
[26/06, 21:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: गाना बताइए
[26/06, 21:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: शादी सालगिरह का जो वीडियो बनाना है
[26/06, 21:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: उसके लिए
[26/06, 21:50] ज्योति दीदी जी: थोड़ा समय दो अर्चना की रचनाएं बना लेते हैं फिर ढूंढ के देते हैं
[26/06, 21:50] ज्योति दीदी जी: या फिर देखो मेरे टाइम लाइन में जो सही लगता है निकाल लो
[26/06, 21:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏 आप अपने समयनुसार भेजिएगा 🙏💐
[26/06, 21:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏 आप अपने समयनुसार भेजिएगा 🙏💐
[26/06, 22:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: मिले हो तुम हमको बड़े नसीबों से
[26/06, 22:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: तो यही गाना न
[26/06, 22:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: Didi jii apne patii  ka name bejiyee
[26/06, 23:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: Pankaj Srivastava
[26/06, 23:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jyoti Sinha

[26/06, 23:07] ज्योति दीदी जी: 👍🏻
[26/06, 23:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/7IAu7DXb6N4
[26/06, 23:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/-CqFj4-RFas

पूजा पटना में पापा के इलाज करवाने के लिए गयी रहीं -

[26/06, 22:36] Babu 💓: Hii
[26/06, 22:36] Babu 💓: Ji
[26/06, 22:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bolo
[26/06, 22:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: Baby
[26/06, 22:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: Network ka problem hai
[26/06, 22:36] Babu 💓: Boliye na
[26/06, 22:37] Babu 💓: Phir busy
[26/06, 22:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: Message nhi ja raha hai
[26/06, 22:37] Babu 💓: 😡😡😡😡😡😡😡
[26/06, 22:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: Dakho
[26/06, 22:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: Kab sms kiya
[26/06, 22:38] Babu 💓: Kaha busy tha
[26/06, 22:38] Babu 💓: Bolo
[26/06, 22:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jaan network ki problem hai
[26/06, 22:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: Dakho
[26/06, 22:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: Video bana do
[26/06, 22:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: Mile ho tu hmko bare nasibo se
[26/06, 22:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: Happy anniversary लिख देना जान
[26/06, 22:45] Babu 💓: Ok
[26/06, 22:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: नाम नहीं पता
[26/06, 22:48] Babu 💓: Naam boliye
[26/06, 22:48] Babu 💓: Ek baar puchho na jaan
[26/06, 22:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: नीचे
[26/06, 22:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य एक नज़र 🌅
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका, मो - 6290640716 )
[26/06, 22:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये देना प्लीज
[26/06, 22:53] Babu 💓: Kosis krte h
[26/06, 22:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ok
[26/06, 22:58] Babu 💓: Naam batao na ji
[26/06, 23:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: Pankaj Srivastava
[26/06, 23:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jyoti Sinha
[26/06, 23:02] Babu 💓: Ok
[26/06, 23:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: अभी तक नाम नहीं बताई
[26/06, 23:08] Babu 💓: Ye kiska name h to
[26/06, 23:08] Babu 💓: Bolo
[26/06, 23:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: Pati ka
[26/06, 23:08] Babu 💓: Tumko kaise pata

[26/06, 23:09] Babu 💓: Ek or ja raha h
[26/06, 23:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: Facebook se jaan

[26/06, 23:13] Babu 💓: Bolo
[26/06, 23:13] Babu 💓: Kaisa bana h bolo na
[26/06, 23:14] Babu 💓: Kya hua
[26/06, 23:14] Babu 💓: Bolo
[26/06, 23:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: Nice thanks you 🙏💐
[26/06, 23:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: Nice jaan
[26/06, 23:18] Babu 💓: Ok
[26/06, 23:18] Babu 💓: Bye
[26/06, 23:18] Babu 💓: Ab busy reh sakte ho
[26/06, 23:19] Babu 💓: Jaha tha busy
[26/06, 23:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtube.com/shorts/7IAu7DXb6N4?feature=share
[26/06, 23:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/7IAu7DXb6N4
[26/06, 23:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/-CqFj4-RFas
[26/06, 23:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bolo

[25/06, 11:54] राजस्थान इकाई: --: नववधु :--

घूँघट भीतर से मुख झांके।
नर नारी मुख खोले ताके।।
लागे जैसे  सब  कुछ छूटे।
दरश हेतु अब धीरज छूटे।।
नववधु रूप सीय सम साजा।
स्वागत में बाजें सब बाजा।।
सजी धजी आई घर रानी।
लागे  उतरी नारि सयानी।।
रूप राशि अनुकूल विचारा।
नभ में ज्यों चमके ध्रुवतारा।।
नववधु देखि कहहिं नर नारी।
नववधु पर जाऊँ बलिहारी।।

सादर:-
राम प्रकाश अवस्थी 'रूह'
जोधपुर, राजस्थान🙏
(स्वरचित एवं मौलिक रचना)
[25/06, 11:55] राजस्थान इकाई: आपकी पत्रिका में प्रकाशनार्थ,
सादर👏🙏
[25/06, 11:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[26/06, 18:30] राजस्थान इकाई: आभार आदरणीय, आज के अंक में मेरी रचना को स्थान प्रदान करने हेतु💐💐🙏💐💐
[26/06, 18:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी ये आपकी अपनी पत्रिका है आदरणीय श्री 🙏💐
[26/06, 18:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[26/06, 18:32] राजस्थान इकाई: 👏🙏
[26/06, 18:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐

व्हाट्सएप स्टेट्स , आभार अनुज रोशन जी 💐💐🙏💐
[26/06, 19:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐
[26/06, 19:10] राजस्थान इकाई: 👏🙏

साहित्य एक नज़र 🌅 व्हाट्सएप ग्रुप
यू.एस. बेरी
[26/06, 18:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/drnf/
[26/06, 18:33] +91 46: परम आदरणीय संपादक महोदय एवं साहित्य एक नजर के सभी संपादन मण्डल को मुझे प्रमाण पत्र दिये जाने पर हृदय से कोटि कोटि धन्यवाद एवं करवद्व नंमन।

[26/06, 12:05] +91 : Hi
पहले फोन किया बोले एक इकाई हमें बना दीजिए 1500 रचनाकार को शामिल कर सकते है।
[26/06, 12:05] +91 : प्रणाम 🙏🙏🙏
[26/06, 12:05] +91 : Writer Tabrez Ahmed
[26/06, 12:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[26/06, 12:05] +91 75: शुक्रिया

[26/06, 12:10] +91 : 🙏🙏🙏🙏
[26/06, 14:40] +91 : https://chat.whatsapp.com/E4Kjcdv18nP5rUzvdEtnFe
[26/06, 14:50] +91 : 🙏🙏🙏🙏🙏

*दिनांक:- 26/06/2021*

*प्रतियोगिता विषय : उर्दू अलफ़ाज़     रहज़न    - *लुटेरा* * */ *मुसाफिरों को लूटने* *वाला* **

आपको अपनी रचना सिर्फ *4 पंक्तियों* में  ही भेजनी है।

अपनी रचना आप 02:40से 11:00 pmतक भेज सकते हैं।

परिणाम की घोषणा:- रात्रि 12:00 बजे।

*2:40बजे ग्रुप ओपन होगा।*

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

*Download the app and write*
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🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Ncc
[26/06, 10:15] +91 : Roshan
[26/06, 10:15] +91 50: Kuch link diya hai ?
[26/06, 10:15] +91 50: Join karne ke liye ?
[26/06, 11:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: Nhi senior

[26/06, 09:02] Up Sahitya: पेशे खिदमत एक ग़ज़ल
*********************
आज  कोई  मत  कहे  पागल मुझे  मैं होश  में हूँ , 
इश्क़ की मकसूद मंजिल ही मिले इस जोश में हूँ ।

इकरार  के मजबून पर इंकार ने  दस्तख़त किया ,
यह  मुहब्बत  देखकर  झूँठी  तुम्हारी  रोष में  हूँ ।

अब ख़्वाहिशें जितनी तुम्हारी जो जहाँ पूरी करो ,
दूर तक दिक्कत नहीं काबिज़ यहाँ मैं कोष में हूँ ।

एकान्त की तनहाईयों से अब ब्यथित मेरा हृदय ,
श्रृंगारिका के शिखर से अब गूँजते हर घोष में हूँ ।

आज वैभव,कीर्ति,जल्वा और  रुतबा है तुम्हारा ,
मैं पराजित  पालियों के  साथ चलते  दोष में हूँ ।

धवलाँचलों से तू सरकती धार कोई बन "सजल",
अब ज़िगर पत्थर दबाए देख लो हर ठोस में हूँ ।
*************************
रामकरण साहू "सजल" बबेरू (बाँदा) उ०प्र०
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
परम् आदरणीय भाई साहब सादर उपरोक्त ग़ज़ल प्रकाशन हेतु है धन्यवाद।
मेरा फोटो आपके पास है।
[26/06, 11:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

[26/06, 10:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏
[26/06, 10:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहिन फोटो भेजूं और लिखलो आजुक पत्रिका में प्रकाशित कोअ देबन
[26/06, 11:00] ज्योति झा जी: जी
[26/06, 11:01] ज्योति झा जी: *मैथिली साहित्यक वरिष्ठ कथाकार, कवि (साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त), झारखण्ड पुलिस सेवाक पूर्व पदाधिकारी, मधुबनी जिलाक बरहा गामवासी श्याम दरिहरे नहि रहलाह! विगत राति वृन्दावनमे ब्रेन हेमरेजसँ हुनक निधन भ' गेलनि। सम्पूर्ण मैथिली साहित्यजगत शोक संतप्त अछि।*
*विनम्र श्रद्धांजलि 🌼🙏🏼*
*ॐ शांति...*
[26/06, 11:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[26/06, 11:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: नाम देगलियअ मधुबनी इकाई के फेसबुक पर
[26/06, 11:29] ज्योति झा जी: नैय
[26/06, 15:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहिन अहा के कदम बढ़ेला सअ एक और सहयोगी ।
[26/06, 15:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: इनका विश्व साहित्य संस्थान दो दैय छियन
[26/06, 15:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई
विश्व साहित्य संस्थान वाणी ( साप्ताहिक पत्रिका )

संपादिका - आ. डॉ पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
[26/06, 15:51] ज्योति झा जी: जी🙏🏼
[26/06, 19:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏
[26/06, 21:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार भावुक सृजन 🙏💐 अहा के कलम के नमन 🙏💐
[26/06, 21:37] ज्योति झा जी: 🙏🏼
[26/06, 21:37] ज्योति झा जी: धन्यवाद भायजी🙏🏼

[26/06, 15:07] डॉ पल्लवी जी: भाई एक क्षेत्र की इकाई के संपादक की मुख्य जिम्मेदारियां जान सकती हूं?
[26/06, 15:08] डॉ पल्लवी जी: अगर संभव होगा तो मैं अपना नाम प्रेषित करने का आग्रह करूंगी। 🙏
[26/06, 15:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 दीदी जी , संपादक की मुख्य जिम्मेदारी आयी हुई रचनाओं को पृष्ठ पर अलंकरण करना है , यदि कहीं कोई मात्रा में अशुद्धियां हो तो उसे शुद्ध करना है दीदी जी ,
[26/06, 15:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏 दीदी जी
[26/06, 15:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: आ. ज्योति झा जी मधुबनी इकाई की संपादिका है
[26/06, 15:14] डॉ पल्लवी जी: एक तरह से प्रूफ राइटिंग।
[26/06, 15:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी दीदी जी 🙏
[26/06, 15:16] डॉ पल्लवी जी: पृष्ठ पर अलंकरण की जानकारी मुझे नहीं है।
[26/06, 15:16] डॉ पल्लवी जी: अशुद्धियों को देख सकती हूं।
[26/06, 15:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 यदि आप तैयार हैं तो आपका भाई सहयोग करने के लिए आपके साथ है ।
[26/06, 15:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/?ref=share
[26/06, 15:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये आप संभालिए , पत्रिका का नाम बताइए
[26/06, 15:28] डॉ पल्लवी जी: पर मुझे टेक्निकल जानकारी ज्यादा नहीं।
[26/06, 15:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम है न
[26/06, 15:29] डॉ पल्लवी जी: "सहर्ष"
[26/06, 15:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐
[26/06, 15:30] डॉ पल्लवी जी: "वारिधि"
[26/06, 15:31] डॉ पल्लवी जी: दो नाम  भेजे हैं।
[26/06, 15:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[26/06, 15:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई
विश्व साहित्य संस्थान वाणी

संपादिका - आ. डॉ पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
[26/06, 15:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप साप्ताहिक निकालिएगा या दैनिक
[26/06, 15:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: अपने हिसाब से बताइए
[26/06, 15:34] डॉ पल्लवी जी: साप्ताहिक ठीक रहेगा।
[26/06, 15:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[26/06, 20:04] डॉ पल्लवी जी: मैं इसकी अभिव्यक्ति अपने फेसबुक पर करना चाहती हूं भाई।क्या इसके लिए निर्धारित सर्टिफिकेट दे सकते हैं?🙏
[26/06, 20:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी कल मनोनीत पत्र देंगें
[26/06, 20:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: इस तरह का
[26/06, 20:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/?ref=share
[26/06, 20:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप यहां से जुड़िए
[26/06, 20:07] डॉ पल्लवी जी: ठीक है भाई  मैं कल ही अपने पेज पर इसका उल्लेख करूंगी। 🙏
[26/06, 20:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 दीदी जी 🙏
[26/06, 20:08] डॉ पल्लवी जी: मैंने ग्रुप ज्वाईन कर लिया है।
[26/06, 20:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏
[26/06, 21:22] डॉ पल्लवी जी: भाई सर्टिफिकेट पर ये तस्वीर डालिएगा। 🌺
[26/06, 21:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्व साहित्य संस्थान

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई






अंक - 47

https://online.fliphtml5.com/axiwx/drnf/

अंक - 46
https://online.fliphtml5.com/axiwx/tbxd/

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 47

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
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विश्व साहित्य संस्थान

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई




अंक - 47
26  जून  2021

शनिवार
आषाढ़ कृष्ण 2 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -   6 - 9
कुल पृष्ठ -  10

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
96. आ. यू.एस.बरी जी
97.आ. अवधेश राय जी
98. आ. डॉ देशबन्धु भट्ट जी



सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 45 से 48 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 41 - 44

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/311880380574745/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 - 40
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

मधुबनी इकाई
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
🌅
अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस

अंक - 47 ,  शनिवार
26/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 47
Sahitya Ek Nazar
26 June 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________
परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

_________________
अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस

_________________
साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई
विश्व साहित्य संस्थान वाणी ( साप्ताहिक पत्रिका )

संपादिका - आ. डॉ पल्लवी कुमारी "पाम "  जी

___

मैथिली साहित्यक वरिष्ठ कथाकार, कवि (साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त), झारखण्ड पुलिस सेवाक पूर्व पदाधिकारी, मधुबनी जिलाक बरहा गामवासी श्याम दरिहरे नहि रहलाह! विगत राति वृन्दावनमे ब्रेन हेमरेजसँ हुनक निधन भ' गेलनि। सम्पूर्ण मैथिली साहित्यजगत शोक संतप्त अछि।
विनम्र श्रद्धांजलि 🌼🙏🏼 ॐ शांति...

✍️ ज्योति झा
बेथुन कॉलेज , कोलकाता
कलकत्ता विश्वविद्यालय
संपादिका - मधुबनी इकाई
साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE
मिथि लिट्रेचर , विश्व साहित्य संस्थान

मंच को नमन🙏
पत्रिका में प्रकाशन हेतु ( अंक 45,46,47 )

      गृहिणी की कविता

जी अभी आई!!!!
अभी तो मैंने कुछ पल निकाला है
अभी तो इसे अपने लिए संभाला है
सुबह की जागी हूं
दैनिक दिनचर्या में भागी हूं
सभी के लिए नाश्ता तैयार किया
फिर साफ सुथरा घरबार किया
व्यवस्था की सास ससुर के नहाने की
और उनके उतारे कपड़े धोने की
बच्चो को नहला धुला कर खुद नहाई
सभी को नाश्ता करा अपने भी खाई
की लंच की तैयारी, धुल के बर्तन सजाया
सारे काज निपटा मैंने था कुछ पल चुराया
सोचा समय है कुछ लिख लेती हूं
अपने मन की तरंगों को शब्दों में बुन लेती हूं
ज्यों कुछ पंक्तियां लिख पाई
तभी पतिदेव की आवाज आई
सुनती हो ! चुन्नू ने किया है डाईपर गीला
ओह!! खर्च हो गया समय जो था मुझे मिला
जी अभी आई!!!
चुन्नू का डाईपर बदल उसे दूध पिलाया
चूल्हे पे भी दाल चढ़ाया
लग गई दोपहर के भोजन में
बुनती रही शब्दों के जाल मन ही मन में
अभी लॉकडाउन में सब घर पे है
मेरे काम काज बृहत स्तर पे हैं
वैसे भी गृहिणी का समय कहां होता है
और इस अवसर पर वक्त और भी छोटा है
खैर! भोजन तैयार हुआ
सभी का खत्म इंतजार हुआ
खा पी के सब आराम में लग गए
मेरे कर पग व्यवस्थित इंतजाम में लग गए
ससुर जी की दवा के वास्ते पानी किया गर्म
जग में डाल उसे, पुनः लिखने बैठी मर्म
जैसे ही कुछ कागज पे उतारा
वक्त हुआ तो ससुर जी ने पुकारा
तीन बजे हैं!! बहू पानी लाना
अब कुछ है दवाई खाना
जी अभी आई!!!
पानी लेकर लगाई मैंने अपनी हाजिरी
वहीं बैठ कुछ उनकी सुनी कुछ अपनी कही
कैसे छोड़ कर जाऊं जब सब बैठे हों इकट्ठा
बेला शाम की हुई कहते सुनते कथा व्यथा
इस बीच मुझे थे छोटे बड़े काम निपटाने
चाय के साथ थे बाल मनुहार व्यंजन पकाने
परिवार रूपी सूर्य की करती परिक्रमा
अपनो के लिए जीना जिसका नहीं थमा
अपनी धुरी पे घूमती मैं वो धरती हूं
तमाम झंझावतों को सहन करती हूं
स्वयं के लिए जीने की जो प्रबल
चाहत हुई तत्काल ही गृहिणी
रूप में  मैं आहत हुई

विषम परिस्थिति में अपने को वरण करते 
अनेक हालातों में अस्तित्व को धारण करते
फिर स्वयं के लिए चुराए पल संवर से गए
शाम को जब सभी टहलने बाहर घर से गए
कुछ पल पश्चात मुझे फिर लगाई
गई आवाज़ सभी के लौट आने
का था कुछ ऐसा अंदाज़  ‌
जी अभी आई!!!
देकर अपनी कलम  को पुनः आराम
शब्दों की गति रोक, दिया उन्हें विराम
सब्ज़ी थाम कर्तव्य निर्वहन को चल पड़ी
जैसे चलती रहती टिक टिक सी एक घड़ी
रजनी बेला में सबके निद्रगमन के पश्चात
निश्चित मन एकांत में खुद से करने चली बात
जी अभी आई " की बेला की समाप्ति थी
अब इस पल में मनचाहा की प्राप्ति थी
चंद पंक्तिओं को उकेरने का ये संघर्ष है
फिर भी मनोभावों को लिखने का हर्ष है  
मेरे शब्द- चित्र कागज के हृदय पे 
मेरी कलम ने बड़े धैर्य के साथ उकेरे
मै कहती रही और वह सुनती रही जज्बात
जिसे कहने की बेला मैं खोजती हूं दिनरात
सारे दिवस अपने मन को भरमाया है
अब जाके मन से तुष्टि पाया है
पल पल जोड़ के समग्र किया जो था अधूरा
मुझ गृहिणी की कविता का सफर
इस तरह हुआ पूरा ।

  ✍️    कीर्ति रश्मि नन्द ( वाराणसी)

--: नववधु :--

घूँघट भीतर से मुख झांके।
नर नारी मुख खोले ताके।।
लागे जैसे  सब  कुछ छूटे।
दरश हेतु अब धीरज छूटे।।
नववधु रूप सीय सम साजा।
स्वागत में बाजें सब बाजा।।
सजी धजी आई घर रानी।
लागे  उतरी नारि सयानी।।
रूप राशि अनुकूल विचारा।
नभ में ज्यों चमके ध्रुवतारा।।
नववधु देखि कहहिं नर नारी।
नववधु पर जाऊँ बलिहारी।।

✍️ राम प्रकाश अवस्थी 'रूह'
जोधपुर, राजस्थान
🙏
(स्वरचित एवं मौलिक रचना)

नमन  :- साहित्य एक नज़र 🙏
अंक    -  46 - 48
दिनांक - 25 - 06 - 2021
दिन     - शुक्रवार

विधा   - कविता
शीर्षक -

मेरी  प्यारी  भांजी

मेरी  भी  है  एक  रानी ,
जो  करती  बहुत  मनमानी ,
जो  दिखती  है
बिल्कुल  राजकुमारी ।
हां  जी !  पूछो - पूछो
एक  बार  फ़िर  से
कौन  है  मेरी ?
लगती  है  मेरी  प्यारी  भांजी ।
ठुमक - ठुमक  कर  जब  चलती  है ,
हम  सभी  का  मन  मोह  लेती  है ।
अपनी  तोतली  आवाज़ों  से ,
कैसी  सभी  को
  भाव - विभोर  करती  है ‌
रंग - बिरंगी  चूड़ियों 
की  कितनी  शौकिन  है ,
दिन  भर  खनखनाती  रहती  है ।
सीबीएसई  की  छात्रा
  होने  के  बावजूद  भी ,
हिंदी  से  कितनी  प्रेम  करती  है ।
उसकी  मामाजी  जब से  बताए ,
हिंदी  के  महत्व  के  बारे  में ।
दिन  भर  पढ़ती  रहती  है
  कविता  और  कहानी  वो ,
सपनों  में  भी  कितना 
स्मरण  रखती  वो ।
मामाजी  से  बेहतर
काव्य  कैसे  लिखूं ?
यही  बात  दिन  भर  बैठे -
बैठे  सोचती  रहती ।
इतनी  प्रश्न  पूछती  है  हमसे ,
मैं  डर  के  मारे  भागता -
फिरता रहता  हूं  उससे ,
कहीं  हार  न  जाऊं  हिंदी  में उससे ।
बताइए !  अभी  से  इतनी  टक्कर
देती है हिंदी  में  मुझे ,
बड़ी  होकर  किन - किन 
को  टक्कर  देगी ?
यही  बात  तो 
सोच  रहा  हूं  कब से ।

✍️ प्रकाश  राय
समस्तीपुर , बिहार

सारंगपुर
समस्तीपुर , बिहार
पिन कोड - 848505
मोबाइल नंबर - 9709388629

पेशे खिदमत एक ग़ज़ल

आज  कोई  मत  कहे 
पागल मुझे  मैं होश  में हूँ , 
इश्क़ की मकसूद मंजिल
ही मिले इस जोश में हूँ ।
इकरार  के मजबून पर
इंकार ने  दस्तख़त किया ,
यह  मुहब्बत  देखकर  झूँठी 
तुम्हारी  रोष में  हूँ ।
अब ख़्वाहिशें जितनी
तुम्हारी जो जहाँ पूरी करो ,
दूर तक दिक्कत नहीं
काबिज़ यहाँ मैं कोष में हूँ ।
एकान्त की तनहाईयों से
अब ब्यथित मेरा हृदय ,
श्रृंगारिका के शिखर से
अब गूँजते हर घोष में हूँ ।
आज वैभव,कीर्ति,जल्वा
और  रुतबा है तुम्हारा ,
मैं पराजित  पालियों के 
साथ चलते  दोष में हूँ ।
धवलाँचलों से तू सरकती
धार कोई बन "सजल",
अब ज़िगर पत्थर दबाए
देख लो हर ठोस में हूँ ।

✍️ रामकरण साहू "सजल"
बबेरू (बाँदा) उ०प्र०

परम् आदरणीय भाई साहब सादर उपरोक्त ग़ज़ल प्रकाशन हेतु है धन्यवाद।
मेरा फोटो आपके पास है।

आज फिर आपके समक्ष उपस्थित हूँ श्री रामकरण साहू "सजल" जी पुस्तक "पुरूषार्थ ही पुरूषार्थ" की प्रथम चरण की समीक्षा लेकर जिसके प्रकाशक है।

लोकोदय प्रकाशन प्रा.लि.
65/44 शंकरपुरी, छितवापुर रोड़, लखनऊ - 226001
(यू.पी.)

मैं प्रथम चरण की समीक्षा में हमेशा बात करता हूँ प्रकाशक के बारे में , लोकोदय प्रकाशन पिछलें
तीन दशक से साहित्कारों के सृजन को प्रकाश में लाने का कार्य कर रहें है। अनेकों पुस्तकों का प्रकाशन कर आज देश में एक प्रतिष्ठित प्रकाशन में से एक है। मैं लोकोदय प्रकाशन के बारे में सिर्फ इतना ही कहूँगा कि जिस तरह एक भटके सफ़ीने को साहिल की तलाश होती है। यह प्रकाशन साहित्यकारों का एक साहिल है। इसी श्रृंखला में प्रकाशित श्री रामकरण साहू "सजल" जी की पुस्तक "पुरूषार्थ ही पुरूषार्थ" जो आज आप के समक्ष है।
कल मैं बात करूँगा इस पुस्तक की  क्या है इस पुस्तक में और क्यों ये पुस्तक बाजार में पाठक माँग रहें है। तो कल फिर मिलूँगा आपसे तब तक के लिए।

राम-राम

* सदियों का मेला है *

जीवन के,
सफर में तुम।
कभी हार भी,
यदि जाओ।
चुप रह के,
सब दुख को।
खुद ही,
निबटा जाओ।
दुनिया बड़ी,
जालिम है।
उपहास,
उड़ाती है।
गर मांगने,
कुछ जाओ।
ये बात,
बनाती है।
गर राज,
पता चल जाय।
बदनाम,
कराती है।
मौके का,
उठा फायदा।
हम को,
तरपाती है।
इसलिए हमें,
जीवन में।
चलना ही,
अकेला है।
दो दिन का,
है जीवन।
सदियों का,
मेला है।
अपने हैं,
सभी सपने।
गैरों का,
रैला है।
तुम भूल,
चलो सबको।
बस ईश का,
ध्यान रखो।
सब अपने,
सब दूजे।
इस बात का,
ज्ञान रखो।
जीवन के,
सफर में तुम।
कभी हार भी,
यदि जाओ।।

    ✍️ केशव कुमार मिश्रा
सिंगिया गोठ, बिस्फी, मधुबनी,बिहार
अधिवक्ता व्यवहार न्यायालय दरभंगा

लघुकथा- अवसर ✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

जब रिश्तेदारों और सगे संबंधियों ने भी कोरोना की दुहाई देते हुए इस अवसर पर आने से साफ इंकार कर दिया  तो भला पास पड़ोसी,मुहल्ले वालों से ही क्या शिकायत।उसने प्रशासन से सहयोग की गुहार लगाई।
"सर ! मैं घर में अकेला हूं।मेरी मां का निधन हो गया है और कोई पड़ोसी , रिश्तेदार अंतिम संस्कार के लिए नहीं आ रहा।हेल्प मी प्लीज़।" इससे आगे उसकी रुलाई फूट पड़ी। " अरे आप रोइए नहीं,अपना एड्रेस नोट कराइए।हम पंहुचते है।" एस एस आई ने पता
नोट करते करते सांत्वना दी। अपने तीन चार साथियों के साथ पी पी ई किट पहन, एस एस आई बताए गये पते पर पहुंचे और तत्काल मृतका के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की।इतना ही नहीं शव को शमशान तक पहुंचाकर अंतिम संस्कार होने तक वहीं रहे। चलते समय अपना पर्सनल नंबर देते हुए उससे कहा,"चिंता,मत करना कोई परेशानी हो तो काल करना।हम है न। हमारे सीने में भी दिल धड़कता है यार।कुछ पुण्य कमाने का अभी तो अवसर मिला है।"

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर,उत्तर प्रदेश

     उस ओर *

शांत वहती नदी के,
किनारे वैठा हो मेरा अस्तित्व
प्रत्यक्षारत संध्या की ।
कुछ हो हल्का अन्धेरा
दिशा हो तरुणाई
कुछ और हो गहरा आकाश
तव वैठूं नाव में...।
चल दूँ कहीं,विना दिशा के
तब चमके क्षितिज में शशि ...।
मैं अपने अस्तित्व को उसी
मन्द्र शीतल आलोकित
सलिला में लिऐ चलूं...।
कहीं दूर विना दिशा के
बस खो जाऊं कहीं उन्ही,
शांत वहती हुई सरिता में
सदा-सदा के लिये ...।
चमकता रहे चन्द्रमा
हमेशा-हमेशा के लिये
मेरे जीवन के अस्तित्व में...।

   ✍️   यू.एस.बरी,
, लश्कर,ग्वालियर म.प्र.

Udaykushwah037@gmail.com
       
    परिचय
नाम -यू.एस.बरी
पिता श्री बी.एल.कुश.
शिक्षा डवल एम.ए.
कार्य भारतीय जीवन बीमा निगम मे
लेखन कार्य मे कविता ,कहानियां ,पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशित होतीं रहती हैं।

कविता स्वरचित है।

[26/06, 12:05] +91 75: Writer Tabrez Ahmed
[26/06, 12:07] +91 : विधा - ग़ज़ल
शीर्षक -

ग़ज़ल
मैं उसके इश्क़ में बीमार हूँ

मैं उसके इश्क़ में बीमार हूँ
सारी सारी रात उसके
लिए तड़पा बेशुमार हूँ
कह देता हूँ दिल
की बात दोस्तों से
मगर उस से अपनी बेताबी
बताने में लाचार हूँ
मैं हो तो गया हूँ
बदनाम ज़माने में
मगर उसकी
रुस्वाई नहीं चाहता
मैं इतना  समझदार हूँ
मैं हर अपनों के
लिए कमाल हूँ
मगर उस संग
दिल के लिए बेकार हूँ
उसकी ना जाने कितनी
रातें कटती है मेरे बिन
मेरी राते कटती नहीं उसके
बिन इतना बेक़रार हूँ
माँग ले मेरा दिल या
मेरी जान वो मुझसे
उसपे ही तो मैं दिलो
जान से जाँनिसार हूँ
उस से कहो की पढ़े
अपने शहर की हर ख़बर
तबरेज़ मैं ही तो उसके
शहर का अख़बार हूँ

Writer Tabrez Ahmed


कविता :- 20(39)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र
कविता
बिहार की पहचान ।

जहाँ जन्म ली मर्यादा पुरुषोत्तम
राम की पत्नी सीता ,
राजा जनक जैसे पिता ‌‌।।
महाकवि विद्यापति,
नागार्जुन और दिनकर की कविता ।।
आज ही न सदियों से
भारत को आगे बढ़ाने
में बिहार का सहयोग ही था ।।

मुजफ्फरपुर के लीची ,
हाजीपुर का केला ।
पटना राजधानी ,
गया में ही मिटे गौतम
बुद्ध का अंधेरा ।।
छठी माई का पूजा , सोनपुर का मेला ,
लिट्टी चोखा खाना अपना ,
बिहार हमारा गुरु हम रोशन उसका चेला ।।

बांग्ला और उड़िया अक्षर का हुआ
मिथलाक्षर से ही निर्माण ,
स्वंय आये बिहार के मिथिलांचल
भूमि पर शिव शंकर और राम भगवान ।।
आम , लीची , फल - फूल खेत में भरा धान ,
मैथिली , मगही, भोजपुरी ,
उर्दू , हिन्दी बोले जाने वाला हैं ये स्थान ।।
यहीं से आर्यभट्ट दिए दुनिया को शून्य ,
माता गंगा यहीं से गुजर कर की
बिहार पवित्र भूमि को पुण्य ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(39)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
शनिवार , 26/06/2021
Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 47
Sahitya Ek Nazar
26 June 2021 ,   Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई
विश्व साहित्य संस्थान वाणी ( साप्ताहिक पत्रिका )

संपादिका - आ. डॉ पल्लवी कुमारी "पाम "  जी

अंक - 45

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/45-24062021.html

कविता :- 20(37) , गुरुवार , 24/06/2021 , अंक - 45
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2037-24062021-45.html

अंक - 46
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/46-25062021.html

कविता :- 20(38)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2038-25062021-46.html
अंक - 47
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/47-26062021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक - 44
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/44-23062021.html
कविता - 20(36)

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अंक - 57 सम्मान पत्र
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साहित्य एक नज़र के साथ सम्मानित हुए , आज मैं बहुत बहुत खुश हूँ , 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌅

प्रेरणा , अंक - 57
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 शादी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं आ. पकंज श्रीवास्तव जी व आ. ज्योति सिन्हा जी
27/06/2021 , रविवार

Happy Anniversary
शुभ वैवाहिक वर्षगांठ 💐💐🙏🌹🍰🎉🎂💖🥰🎁
🌅
फेसबुक वीडियो -
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यूट्यूब -

https://youtu.be/7IAu7DXb6N4

https://youtu.be/-CqFj4-RFas

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फेसबुक -
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अंक - 47

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अंक - 46
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जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 47

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्व साहित्य संस्थान

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई




अंक - 47
26  जून  2021

शनिवार
आषाढ़ कृष्ण 2 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -   6 - 9
कुल पृष्ठ -  10

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
96. आ. यू.एस.बरी जी
97.आ. अवधेश राय जी
98. आ. डॉ देशबन्धु भट्ट जी



सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 45 से 48 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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अंक - 41 - 44

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अंक - 37 - 40
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मधुबनी इकाई
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
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अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस

अंक - 47 ,  शनिवार
26/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 47
Sahitya Ek Nazar
26 June 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

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कविता :- 20(38)
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अंक - 47
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कविता :- 20(39)

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अंक - 48
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कविता :- 20(40)
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अंक - 44
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कविता - 20(36)

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साहित्य एक नज़र के साथ सम्मानित हुए , आज मैं बहुत बहुत खुश हूँ , 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌅

प्रेरणा , अंक - 57
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रोशन कुमार झा


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