कविता :- 20(37) , गुरुवार , 24/06/2021 , अंक - 45 , मिथिला वाणी

रोशन कुमार झा


कविता :- 20(37)

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस

न करेंगे और नहीं करने देंगे नशा ,
सुधारेंगे मिलकर विश्व की दशा ।।

मनाओ अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस ,
करों नशीली पदार्थों का तहस नहस ।।

✍️ रोशन कुमार झा
Name - Cdt Roshan Kumar Jha
Reg no - WB17SDA112047
Mob - 6290640716
31st Bengal Bn Ncc Fort William
Kolkata -B , National Cadet Corps Directorate - West Bengal & Sikkim
Coy - 5 ( N.D.College )
Narasinha Dutt College , Howrah

सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
वृहस्पतिवार , 24/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(37)
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 45
Sahitya Ek Nazar
24 June 2021 ,   Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

Ncc

ज्ञान की बात आपके साथ

कितने आश्चर्य की बात है... भारत के 29 राज्यों के नाम श्री. संत तुलसीदास जी के एक दोहे में समाई हुई है। क्या संयोग बना है... 😍😍

" राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ।
पंक में उगोहमि अहि के छबि झाउ।। "

---------------------- | ------------------    
जिसने ख़ोज की होगी उसको नमन है
रा - राजस्थान      | पं- पंजाब
म - महाराष्ट्र         | क- कर्नाटक
ना - नागालैंड       | मे- मेघालय
म - मणिपुर         | उ- उत्तराखंड
ज - जम्मू कश्मीर  | गो- गोवा
प - पश्चिम बंगाल   | ह- हरियाणा
ते - तेलंगाना         | मि- मिजोरम
अ - असम        |   अ- अरुणाचल प्रदेश
त्रि - त्रिपुरा     | हि- हिमाचल प्रदेश
म - मध्य प्रदेश     | के- केरल
त - तमिलनाडु     | छ- छत्तीसगढ़
गु - गुजरात         | बि- बिहार  
सि - सिक्किम     | झा- झारखंड
आ- आंध्र प्रदेश   | उ- उड़ीसा
उ - उत्तर प्रदेश    |

अत्यंत आश्चर्यजनक...👌🌺👏👏👏👏🙏💐🌹🌅🌍
जय श्री राम ,

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 45 , गुरुवार , 24/06/2021



आज खूनिया सौराठ में ही मर गई , कान्हा राहुल गाड़ी पर लाया उसका पिता आग दिया । पूजा का पापा पंडौल हॉस्पिटल से आये - 40000 , कल पटना जायेंगे । पूजा पापा का दोस्त खत्म हो गया उनका बेटी का कल शादी सालगिरह रहा शराब पीया सुबह चार बजे ख़त्म हो गया ।

आज चाचा , मां से बात किए कल मधुबनी जाना है नानी पास सुबह में ही ।

आनंदी आई परौल से , कल चतुर्थी रहेगा , Maggi लाई 3 तो बनाएं रात में
Modi
Sambba
instant
noodles
Muzaffarpur , का

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=352746149610338&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

Ncc

International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस





slogan writing competition

Name - Cdt Roshan Kumar Jha
Reg no - WB17SDA112047
Mob - 6290640716

देखियौं
[24/06, 19:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहुत नीक बहिन
[24/06, 19:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार अलंकरण बहिध
[24/06, 19:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहिन
[24/06, 19:27] ज्योति झा जी: नाम लेल सोच रहल छिय
[24/06, 19:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां बहिन स्वागत अछि
अंक - 45 के पहला पृष्ठ वॉट्सएप स्टेट्स
[24/06, 19:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏💐
[24/06, 19:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: मिथिला वाणी
[24/06, 19:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: नाम केहन रहत बहिन
[24/06, 19:54] ज्योति झा जी: बड्ड नीक♥️
[24/06, 19:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: सीता वाणी , जनक वाणी , या मिथिला वाणी राखब
[24/06, 19:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: अहा स्वतंत्र छी बहिन
[24/06, 19:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: जे इच्छा हेएत सेअ राईख सकैछी
[24/06, 19:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: यदि आर कुनू नाम हेएत तअ ओहो राइख सकैछी
[24/06, 19:56] ज्योति झा जी: तिरहुत वाणी
[24/06, 19:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार बहिन
[24/06, 19:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
[24/06, 19:57] ज्योति झा जी: हम और किछ आदमी सबस स' सेहो पुछलिय
[24/06, 19:58] ज्योति झा जी: त' जखन सब सुझाव आयैब जाय छैय त' ओई मे स' जे सबस नीक लागे से राखल जैय
[24/06, 19:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: तिरहुत प्रमंडल छैय
[24/06, 19:58] ज्योति झा जी: हॉ
[24/06, 19:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रवीण भाई जी सभ सअ पुईछ लियअ
[24/06, 19:58] ज्योति झा जी: हूं
[24/06, 19:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: अप्पन सभ के लिपि अछि
[24/06, 19:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: चारू नाम
[24/06, 19:59] ज्योति झा जी: मैथिली कवि छथिन्ह ने कमलेश प्रेमेन्द्र हुनका स' सेहो पुछलिय
[24/06, 20:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: मिथिला वाणी , जनक वाणी , तिरहुत वाणी , सीता वाणी
[24/06, 20:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[24/06, 20:00] ज्योति झा जी: त' ओ कहलथिन्ह हे कि किछ समय दिय हम और दु  तीन लोक स' पुछ क' बताबे छि
[24/06, 20:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर सोम दिन तक समय अछि
[24/06, 20:01] ज्योति झा जी: जी
[24/06, 20:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: मंगलवार पहिल अंक रहत
[24/06, 20:02] ज्योति झा जी: त' सोम दिन क' निर्धारित क' लेब नाम की राखल जे
[24/06, 20:02] ज्योति झा जी: और रचना सब सेहो
[24/06, 20:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां
[24/06, 20:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: 7 - 8 गो रचना ऐल अछि
[24/06, 20:03] ज्योति झा जी: जी
[24/06, 20:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: देखियोअ बहिन दुनिया के रीत
[24/06, 20:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: सह संपादक ककरो आर रखलैत
[24/06, 20:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: अंतराष्ट्रीय साझा काव्य संकलन_ "साहित्य सरिता"

1. साहित्य एक नज़र ई पत्रिका एवं डायरी प्रकाशन के सहयोग से प्रकाशित किया जा रहा है।

2.रचनाकार अपनी तीन रचनायें परिचय एवं एक फ़ोटो, तीनों रचनाओं में से 2 रचनायें चुनी जाएगी अगर तीनों रचनायें ठीक नहीं हुई तो निरस्त कर दी जाएगी।

3. चुने गये रचनाकारों को चयन प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

4. रचनायें त्रुटी रहित होनी चाहिये।

5. कोई विषय नहीं है किसी भी विषय पर भेज सकते हैं।

6. रचनायें अप्रकाशित एवं पूर्णता स्वरचित होनी चाहिये।

7. एक रचनाकार तीन से अधिक रचनायें नहीं भेज सकता।

8. रचनायें राजनैतिक या किसी धर्म को ठेस पहुँचाने वाली न हो।

9. रचनायें चयन एवं निरस्त करने का पूर्ण अधिकार चयन मण्डल का होगा।

10. अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन पेपर बुक एवं ई बुक दोनों में रहेगा जिसके एक पेज पर रचनाकार का परिचय एवं दो पेज पर रचनायें रहेंगी।

11. पेपर बुक और ई बुक अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट, किंडल, गूगल बुक, प्रकाशक की वेव साइट एवं बुक स्टोर पर उपलब्ध रहेगी । इसका प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया पर एवं ऑन लाइन(सम्भवता उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री द्वारा) विमोचन किया जाएगा।

12. हमारी दैनिक ई पत्रिका साहित्य एक नज़र में प्रत्येक रचनाकार की रचना की समीक्षा, परिचय , फ़ोटो प्रकाशित किया जाएगा एवं समीक्षा सम्मान पत्र दिया जाएगा।

13. सभी रचनाकारों की रचनाओं के सर्वाधिकार सम्पादक के पास सुरक्षित रहेंगे।

14. प्रत्येक रचनाकार को एक लेखक प्रति स्पीड पोस्ट द्वारा भेजी जाएगी। अगर एक से ज्यादा प्रति खरीदना चाहते हो तो पुस्तक की कीमत से 20%डिस्काउंट पर मिलेगी।

15. प्रत्येक रचनाकार अपनी रचनायें, परिचय एवं फ़ोटो एक बार में वाट्सएप्प नम्बर 9753877785 पर प्रेषित करें।

16. रचना के चयन होने पर रचनाकार को 500/- की सहयोग राशि फोन पे/पेटीएम द्वारा 9753877785 पर भेजना होगा

17. पुस्तक ISBN के साथ वर्ड वाइड प्रकाशित की जाएगी जो हर देश में ऑन लाइन उपलब्ध  रहेगी।

18. रचनायें केवल 30 जून 2021 तक ही भेज सकते है बाद में भेजी गयीं रचनाओं पर विचार नहीं किया जायेगा।

कृपया जो भी इस अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन का हिस्सा बनना चाहता हो कृपया नीचे लिस्ट में नाम जोड़ें एवं मोबाइल नम्बर 9753877785 पर रचनायें , परिचय एवं फ़ोटो भेजे साथ में स्व रचित व मौलिकता का घोषणा पत्र दें अन्यथा रचनायें अमान्य कर दी जायेंगी।

             $ घोषणा $
मैं.............घोषणा करता/ करती हूँ कि अन्तराष्ट्रीय साझा काव्य संग्रह 'साहित्य-सरिता' योजना हेतु प्रेषित समस्त रचनाएँ स्व-रचित,मौलिक व अप्रकाशित हैं एवं जीवन परि चय में दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है असत्य पाये जाने की दशा में मैं स्वयं जिम्मेदार होऊँगा।

रचनाकार _
दिनांक_

1.पुष्प कुमार महाराज-गोरखपुर-9186628708

2 अर्चना जोशी भोपाल

3 नीरज सेन कलम प्रहरी गुना

4 सुजीत  जायसवाल जीत सराय आकिल प्रयागराज 8858566226

5  डॉक्टर जनार्दन प्रसाद कैरवाल ऋषिकेश उत्तराखंड

6 डा.मंजु अरोरा, जालंधर ,
    पंजाब, 98140-81673

7 नलिनी तिवारी शहडोल मध्यप्रदेश

8 डॉक्टर रानी गुप्ता सूरत गुजरात

9 दीन दयाल सोनी बाँदा

10 पूजा सिंह 7980761317

11. मधू आँधीवाल अलीगढ़

12. अल्पना चौधरी इलाहाबाद

13. अजीत कुमार कुंभकार

14.मधु खन्ना  ब्रसबेन ऑस्ट्रेलिया

15. वीणा सिन्हा न्यूजर्सी अमेरिका

16 प्रणय श्रीवास्तव *अश्क*
बालाघाट मध्यप्रदेश से

17.भारतेन्द्र त्रिपाठी प्रयागराज, उ.प्र.

18_ सुन्दर लाल मेहरानियाँ' 'देव'
      अलवर' राजस्थान 

19. भीम कुमार, गांवा, गिरिडीह,             
      झारखंड

20. अजय निदान भिलाई

21.प्रकाश राय
सारंगपुर (डाकघर ),
समस्तीपुर , बिहार
मोबाइल नंबर - 9709388629

22. अनानास कुमार दानपुर उत्तराखंड

23.नीलम बंसल
हिसार (हरियाणा)
9466500587

२४-आशीष पाण्डेय,पता सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश

25.डाक्टर अर्चना वर्मा जी
लखनऊ
_7309258927

26 . डॉ भगवान सहाय मीना
जयपुर, राजस्थान
_9928791368

27. प्रेमलता चौधरी जी
जोधपुर, राजस्थान
_ 8502903460

28. संतोष सिंह राजपुत
मेदिनीनगर, पलामु,झारखण्ड
सम्पर्क संख्या- 7004462599

29_ राज गुप्ता
औरैया, उत्तरप्रदेश
मोब _ 8449601724
(शायर देव मेहरानियाँ द्वारा) 

30. नाम.   रेखा  शाह आरबी
जिला   बलिया. शहरी क्षेत्र
राज्य.   उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर.  8736863697

31. नाम   - शिल्पी भटनागर
जन्म स्थान  - बरेली (उत्तर प्रदेश)
निवास स्थान   - हैदराबाद (तेलंगाना)

32. अनीता नायर नागपुर 9766442053

33_ ऐश्वर्या सिन्हा चित्रांश
जौनपुर उत्तरप्रदेश 
9889447644

34_ सुषमा खरे जी
जबलपुर, मध्यप्रदेश
मोब _9425154361


नोट:- कृपया क्रम बढ़ाते जाये एवं  क्रम को अव्यवस्थित न करें तो बड़ी मेहरबानी होगी।
    
      (प्रधान सम्पादक)
[24/06, 20:08] ज्योति झा जी: त' हुनके (सह सम्पादक) स' पुछ चाही ने
[24/06, 20:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: अप्पन भैय के पत्रिका सअ कमैय ये
[24/06, 20:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: अप्पने मुख्य संपादक बैन गेलकीन तयो हमरा हर्जा नैय कि अनुभवी साहित्यकार छथिन , कम सअ कम संपादक मंडल में तअ शामिल करबाक छाही
[24/06, 20:11] ज्योति झा जी: हॉ
[24/06, 20:11] ज्योति झा जी: अहाँ छोड़ दियौं न' हुनकर साथ
[24/06, 20:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: उनका विदा 1 जुलाई कअ विदा कोअ देवन
[24/06, 20:12] ज्योति झा जी: काज सबटा अहाँ करबे और ओई स' होब वाला लाभ आ' मान-सम्मान सब ओ लेथिन्ह
[24/06, 20:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: समीक्षा वाला के सम्मान पत्र हम देवैय
[24/06, 20:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: यदि अखन हम कदम उठा लेब तअ प्रमोद जी कतोअ के नैय रहथिन
[24/06, 20:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: छोड़ूं हटावु बहिन बस
[24/06, 20:15] ज्योति झा जी: 😊
[24/06, 20:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: 12 नम्बर देखियोअ
[24/06, 20:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: 50 दिन तक हम प्रकाशित करवैय सम्मान पत्र साहित्य एक नज़र देतैय
[24/06, 20:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: अखरे 100 रूपया लैत छेथिन
[24/06, 20:20] ज्योति झा जी: मिथि इंडिया
[24/06, 20:21] ज्योति झा जी: ई सुझाव देलथिन्ह हे
[24/06, 20:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: नाम ठीक अछि
[24/06, 20:23] ज्योति झा जी: ऊपर जतेकौं नाम छैय सब बहुत नीक छैय
[24/06, 20:23] ज्योति झा जी: मुदा ई बेसी आकर्षक छैय
[24/06, 20:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां
[24/06, 20:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: मिथिला इंडिया राखूं
[24/06, 20:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेर
[24/06, 20:25] ज्योति झा जी: काल्हि फाइनल क' लैय छि
[24/06, 20:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक छैय 🙏💐
[24/06, 20:26] ज्योति झा जी: तहन और नाम सब सेहो सोच क'
[24/06, 20:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर बहिन

--------
[24/06, 20:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏 गुरु जी 🙏
[24/06, 20:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: 12 नम्बर देखिएगा , 51 दिनों तक हम प्रकाशित करेंगे , सम्मान पत्र हम देंगे , सब हम करेंगे और हमें सह संपादक मंडल में भी शामिल नहीं किए । यही है दुनिया का रीत
[24/06, 20:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: मार्ग दर्शन कीजिए गुरु जी 🙏
[24/06, 20:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: आ. प्रमोद ठाकुर जी को क्या करें , कुछ सहयोग करते हैं नहीं ।
[24/06, 20:43] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: भाई रोशन जी आप अब तक सब समझ चुके हैं।
देख लिया,देख रहे हैं।
जैसा उनका व्यवहार,वैसा आप अपना रखिए।
साहित्य एक नजर के प्लेटफार्म का और अपने नाम का किसी को भी ग़लत इस्तेमाल न करने दीजिए।चाहे कोई कितना ही वरिष्ठ क्यों न हो।
नाम और पहचान आपकी उनसे अधिक है। साहित्य एक नजर हर प्रकाशित रचनाकार को प्रतिष्ठित कर रहा है। अधिकांश लेखक रचनाकार तो किसी दूसरे की रचना पर प्रशंसा के दो शब्द भी नहीं कहते, संपादक की तो करेंगे क्या।
आप अपनी पत्रिका में केवल संपादक (अपना) नाम दीजिए।
अन्य किसी का नहीं। समीक्षा भी अलग अलग लोगों की लिखी देनी चाहिए और उन्हीं पुस्तकों की देनी चाहिए,जिनकी प्रति साहित्य एक नजर को मिले।
शेष आप जैसा उचित समझें।
[24/06, 20:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार सुझाव गुरुदेव जी 🙏💐
[24/06, 20:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: हमें पता रहा आप हमें नई ऊर्जा प्रदान करेंगे इसीलिए आप से सुझाव मांगे । जी कल से संपादक में किसी और का नाम नहीं देंगे , आ. प्रमोद ठाकुर जी हमें कहें रहें कि प्रथम पृष्ठ पर ही संपादक मंडल का नाम और फोटो देने के लिए हम फोटो के लिए सीधे मना कर दिए ।

[24/06, 21:24] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: काम अपना तो नाम किसी और का क्यों? श्रेय किसी और को क्यों दें भाई।
जैसे और रचनाकार आ रहे हैं, वैसे ही सब आएं।
[24/06, 21:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 गुरु जी 🙏
[24/06, 21:29] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: पत्रिका में स्पष्ट लिखिए समीक्षा उसी कृति की दी जाएगी जिसकी प्रति हमें मिलेगी। कम से कम समीक्षित कृति आपकी नजर से तो गुजरे। इसके लिए पोर्टल एड्रेस दीजिए।
(किसी एक कविता की समीक्षा देने का कोई औचित्य ही नहीं बनता रोशन जी).
[24/06, 21:30] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: ऊपर पोस्टल एड्रेस पढ़िए
[24/06, 21:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी रचना समीक्षा करते है 30 रुपए में , साहित्यकार भी अपना तारीफ सुनने के लिए दे देते है ।
[24/06, 21:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: बस दो पुस्तक और बचा है आ. रामकरण साहू जी का उसके बाद बंद कर देंगे । नहीं हमारे पास कोई पुस्तक आया और नहीं एक पैसा .
[24/06, 21:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी पुस्तक की समीक्षा करना कोई आम बात नहीं है , साहित्य संगम संस्थान में शनिवार को समीक्षा की जाती है कभी काल आप सभी के आशीर्वादों से हम भी समीक्षा करते थे , पूरी पुस्तक पढ़नी पड़ती थी उसके बाद से जो रचना पसंद आती थी उस पर सार्थक टिप्पणी करते हुए करते थे । आ. प्रमोद ठाकुर जी की समीक्षा देखकर पता ही नहीं चलता की समीक्षा है या विज्ञापन
[24/06, 21:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[24/06, 21:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: कितना अच्छा से आप किए है पुस्तक का दाम सहित हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐

[24/06, 21:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[24/06, 21:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: कितना अच्छा से आप किए है पुस्तक का दाम सहित हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐
[24/06, 21:40] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: जिसकी पुस्तक आए ऐसे पठनीय पुस्तक में दे दीजिए।
बस इतना ही पर्याप्त है
[24/06, 21:44] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: अपने 35 साल के साहित्यिक जीवन में मैंने अभी ३५ पुस्तक समीक्षा नहीं लिखी होगी। यह सच है।
यूं ही तारीफ करनी हो तो अलग बात है,कुछ भी लिख दें।
[24/06, 21:48] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: शुभरात्रि
[24/06, 21:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[24/06, 21:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार 🙏 गुरु जी 🙏 शुभ रात्रि

वाह गुरूजी आप 35 साल के अनुभवी है हम तो बस अभी अभी आएं है , इसी तरह मार्ग दर्शन करते रहिए ।
----------
साहित्य सरिता चयनित रचना

[24/06, 12:08] प्रमोद ठाकुर: चयन मण्डल

1.मधु खन्ना -ब्रसबेन ऑस्ट्रेलिया- +61 400190965
2. डॉक्टर देवेंद्र तोमर मुरैना मध्यप्रदेश भारत
+91 7828148403
3. विभा श्री साहू , न्यूयॉर्क अमेरिका - +1(845) 327-8569
4. श्री रामकरण साहू "सजल" बाँदा उत्तर प्रदेश भारत
+918004239966
5.श्री सुंदर लाल मेहरानियाँ अलवर राजस्थान भारत  +917891640945
6.देवप्रिया अमर तिवारी
अबू धाबी (यू ए ई)
ये चयन मण्डल की लिस्ट है कृपया एक बार देख लें उसके बाद पटल पर डालूँगा।
[24/06, 12:08] प्रमोद ठाकुर: सह सम्पादक
1. सुंदर लाल मेहरानियाँ जी
2. डॉक्टर देवेंद्र तोमर जी
[24/06, 12:12] प्रमोद ठाकुर: आदरणीय सह सम्पादकों को बधाई
[24/06, 12:14] प्रमोद ठाकुर: आदरणीय चयन मण्डल के सम्मनीय सदस्यों का स्वागत एवं बधाई मुझें पूर्ण विश्वास है कि सभी अपना कार्य पूर्ण निष्ठा एवं कर्मठता से निर्वाह करेगें। मेरा स्वस्थ थोड़ा खराब है।
[24/06, 12:20] प्रमोद ठाकुर: सभी चयनकर्ताओं से निवेदन है कि मुख्य पटल से रचनायें चयनित कर इस पटल पर प्रेषित  करें । उसके बाद चयन सूची तैयार की जायें गी जो मुख्य पटल पर प्रेषित करेगें।
[24/06, 12:50] प्रमोद ठाकुर: https://chat.whatsapp.com/LlIMSwSsYC46vrSw9qWgIg ये चयनित पटल का लिंक है।
[24/06, 12:50] प्रमोद ठाकुर: इस पटल पर मुख्य पटल से  उठा कर रचना पोस्ट करनी है
[24/06, 12:55] आ. शायर देव जी: चयन समिती के सम्मानीय सदस्यों का हार्दिक अभिनंदन जी🌹🙏
प्रधान सम्पादक परम आदरणीय प्रमोद ठाकुर जी का तहे-दिल से शुक्रिया 🙏🙏
[24/06, 12:56] आ. शायर देव जी: हार्दिक बधाई 🌹🙏
[24/06, 12:58] आ. शायर देव जी: हार्दिक बधाई 🌹🙏
[24/06, 13:00] आ. शायर देव जी: जी आदरणीय जी
सम्मानीय मंच का आदेश शिरोधार्य है जी 🙏
आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं 🙏🌹
[24/06, 13:01] आ. शायर देव जी: सुन्दर लाल मेहरानियाँ
अलवर, राजस्थाण
(शायर, कवि व गीतकार)
_7891640945
[24/06, 14:59] प्रमोद ठाकुर: सभी चयन मण्डल के पदाधिकारियों से निवेदन है कृपया अतिशीघ्र मुख्य पटल पर रचनाकारों से रचनायें मंगवाये और चयनित कर इस पटल पर डालने का कष्ट करें
[24/06, 20:13] आ. शायर देव जी: जी,
आदरणीया जी 🙏
[24/06, 20:13] आ. शायर देव जी: मैने एक सूचना तो डाल दी है।सादर

--------------
[23/06, 22:27] Monu: Kya bhaiya ji yaad nhi aate hai kya hm
[23/06, 22:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bolo, kaisha hoo , aaplog
[24/06, 07:57] Monu: Thik hai
[24/06, 18:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: Acha se padana
[24/06, 18:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: तुलसीदास जी के इस दोहे में भारत के 29 राज्यों के नाम है ।
[24/06, 18:05] Monu: Gjb
[24/06, 18:05] Monu: Wahh
[24/06, 18:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद 🙏 भाई
[24/06, 18:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: देखों अपना हिन्दू धर्म और अपना साहित्य
[24/06, 18:06] Monu: Hn bhai ji
[24/06, 18:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: लिखें कब तब झारखंड रहा भी न
[24/06, 18:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहुत सा राज्य अभी बना
[24/06, 18:06] Monu: Hn
[24/06, 18:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: और बताओ

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[24/06, 00:35] प्रमोद ठाकुर: चयन मण्डल

1.मधु खन्ना -ब्रसबेन ऑस्ट्रेलिया- +61 400190965
2. डॉक्टर देवेंद्र तोमर मुरैना मध्यप्रदेश भारत
+91 7828148403
3. विभा श्री साहू , न्यूयॉर्क अमेरिका - +1(845) 327-8569
4. श्री रामकरण साहू "सजल" बाँदा उत्तर प्रदेश भारत
+918004239966
5.श्री सुंदर लाल मेहरानियाँ अलवर राजस्थान भारत  +917891640945
6.देवप्रिया अमर तिवारी
अबू धाबी (यू ए ई)
ये चयन मण्डल की लिस्ट है कृपया एक बार देख लें उसके बाद पटल पर डालूँगा।
[24/06, 00:36] प्रमोद ठाकुर: इन सभी को चयनित रचनाकारों के पटल से जोड़ा जाएगा।
[24/06, 00:40] प्रमोद ठाकुर: सह सम्पादक
1. सुंदर लाल मेहरानियाँ जी
2. डॉक्टर देवेंद्र तोमर जी
[24/06, 07:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 शुभ प्रभात 🙏💐
[24/06, 07:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏
[24/06, 07:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजिए सब ठीक है ।
[24/06, 12:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[24/06, 12:51] प्रमोद ठाकुर: https://chat.whatsapp.com/LlIMSwSsYC46vrSw9qWgIg ये चयनित पटल का लिंक है।
[24/06, 12:51] प्रमोद ठाकुर: इस पटल पर मुख्य पटल से  उठा कर रचना पोस्ट करनी है
[24/06, 12:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏
[24/06, 12:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम जुड़े हुए है
[24/06, 15:00] प्रमोद ठाकुर: आप दोनों  पटल से जुड़े है आदरणीय
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हिन्दी कविता-12(61)
24-06-2019 सोमवार 20:19
*®• रोशन कुमार झा
-भूल जाऊँगा!-

भूल जाऊँगा
दूर जाऊँगा
खुल जाऊँगा
पर मैं ना लौटकर आऊँगा!

प्रकृति के प्रेम में डूब जाऊँगा
अकेला हूँ अब अपने चेहरे को हँसाऊँगा!
कहीं आऊँगा
ना जाऊँगा
राह रोशन करके जीवन में एक नया
मोड़ लाऊँगा!

नहीं याद करूँगा
नहीं तड़फुंगा
और नहीं मरूँगा
अब तो मैं सँघर्ष से लड़ूँगा!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
द्वितीय वर्ष हिन्दी आनर्स क्रमांक-9
Reg no-117-1111-1018-17
Roll no-2117-21-0024
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(61)
24-06-2019 सोमवार 20:19
गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार
Roshan Kumar Jha(31st Bengal
Bn Ncc Fortwilliam Kolkata-B
Reg no-WB17SDA112047
Narasinha Dutt college St John
Ambulance#Pmkvy
The Bharat scouts & Guides
Eastern Railway Howrah
Bamangachi#LNMU
IGNOU-BPP-191081735
B.A Part-1 CU from जमा-360
Suggestion-40
L.A Howrah-car Driving
LL TEST SLOT 1193628519 on
24-07-2019at10:30-15:00
08:00SMS
डायरी-12-13(70)File-200
नेहा पढ़ाये मिली आयीLiluah sec
PNB-1600-1200A

शीर्षककविता-6(201)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 6(201)
बनो कुछ अलग!?

अगल कुछ बनना है तो बनो कुछ अलग,
मै नही कहता,कहता जग!
बीत गया वह पल,
जब तुम्हारे पास था दल!
अँधेरा में कोन देता साथ
मार्ग रोशन होने के बाद ही कोइ करता
सीधी मुँह बात!
देखते-देखते गया कई वर्ष बीत
अपनाये नही नेहा नही नफरत तब
जाकर कही हुँआ हार तो कही हुँआ जीत!
वर्षा हुई पर ,भींगा भी नही घर
लोग कहता बाढ़ से ग्रस्त है शहर!
समनदर में आया भी नही लहर
उजड़ गया घोसड़ा जिसे बनाते रहे जिन्दगी
भर!
हार मत कुछ कर अलग से अविष्कार,
जो अभी तक हुँआ नही व्यवहार!
भर होठ पर मुस्कान रख दुनिया का ख्याल,
बस कर एक नई अविष्कार!
मै नही कहता कहता यह संसार
वह विश्व- प्रेम भाईचारा!
जिसका लगा है सबको प्यास
यही है नई अविष्कार हर कोई कर सकता
है अभ्यास!
जन-जन जब देंगे संग
तब खुन नही हर राहो मे नजर आयेंगे
हर-भरा रंग!
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
24-06-2018रविवार12:19 pmkvy
(मॉ पापा गॉव) मो:- 6290640716
Nursingh dutt college Howrah
St john Ambulance
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B Reg no- WB17SD112047





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अंक - 45
https://online.fliphtml5.com/axiwx/jjme/
अंक - 44
https://online.fliphtml5.com/axiwx/nzjh/


जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 45

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक

आ. ज्योति झा जी
संपादिका
साहित्य एक नज़र
मधुबनी इकाई


अंक - 45
24  जून  2021

गुरुवार
ज्येष्ठ शुक्ल 15 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  8
कुल पृष्ठ -  9

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
94. आ. अवधेश राय जी

सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 45 से 48 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 41 - 44

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/311880380574745/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 - 40
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

मधुबनी इकाई
https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/316049233531466/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 1

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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 45 ,  गुरुवार
24/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 45
Sahitya Ek Nazar
24 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

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ज्ञान की बात आपके साथ

कितने आश्चर्य की बात है... भारत के 29 राज्यों के नाम श्री. संत तुलसीदास जी के एक दोहे में समाई हुई है। क्या संयोग बना है... 😍😍

" राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ।
पंक में उगोहमि अहि के छबि झाउ।। "

---------------------- | ------------------    
जिसने ख़ोज की होगी उसको नमन है
रा - राजस्थान      | पं- पंजाब
म - महाराष्ट्र         | क- कर्नाटक
ना - नागालैंड       | मे- मेघालय
म - मणिपुर         | उ- उत्तराखंड
ज - जम्मू कश्मीर  | गो- गोवा
प - पश्चिम बंगाल   | ह- हरियाणा
ते - तेलंगाना         | मि- मिजोरम
अ - असम        |   अ- अरुणाचल प्रदेश
त्रि - त्रिपुरा     | हि- हिमाचल प्रदेश
म - मध्य प्रदेश     | के- केरल
त - तमिलनाडु     | छ- छत्तीसगढ़
गु - गुजरात         | बि- बिहार  
सि - सिक्किम     | झा- झारखंड
आ- आंध्र प्रदेश   | उ- उड़ीसा
उ - उत्तर प्रदेश    |

अत्यंत आश्चर्यजनक...👌🌺👏👏👏👏🙏💐🌹🌅🌍
जय श्री राम ,

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 45 , गुरुवार , 24/06/2021

परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

समीक्षा "लेखनी पंचकाव्य"

जब श्री रामकरण साहू "सजल" जी की पुस्तक "लेखनी पंचकाव्य"  मेरे हाथ में आयी तो में स्तब्ध था मुझे लगा कि मैं श्री रामधारी सिंह "दिनकर"जी का उपन्यास उर्वशी मेरे हाथ में है। पाँच श्रेणी में विभाजित पंचकाव्य लेखनी, दीपक, किरण, पवन और तिरंगा ये ऐसे विषय है जिस पर साहित्यकार सोचता है कि क्या लिखूँ। लम्बी रचनायें पहले प्रचलन में थी लेकिन अब तो लोग  दस- बारह पंक्तियों की रचना लिख पाते है और उनकी लेखनी आगे नहीं बढ़ती लेकिन सजल जी की यह पुस्तक जिसमें प्रथम काव्य लेखनी में सजल जी ने कहा कि
लिख सको तो माँ चरण में स्वर्ग लिख,
जिसका आँचल छत्र सर का ताज लिख,
जिसने मर कर भी जन्म तुमको दिया,
दे दिया सब कुछ नहीं कुछ भी दिया,
मत रुको जननी को जगदम्बा लिखो,
दर्द उर से बह रहा उसको लिखो।
एक माँ को समर्पित ये पंक्तियाँ जिसका एक - एक शब्द दिल के सागर में डूबकर लिखा हो।
द्वतीय भाग काव्य दीपक में कहते है कि
जल सको तो सुर सा जलते रहो,
भक्ति की अविरल कथा गढ़ते रहो,
हर ह्रदय में वह जिसे तुम ढूढ़तें,
सामने है वह जिसे तुम पूछतें,
वह बसा कण-कण में कहते लोग है,
कण नही अणू में समाया योग है,
स्वयं की रचना रचाते तुम रहो,
हर ह्रदय के तिमिर को हरते रहो।
जिस तरह दीपक प्रज्वलित होकर ईश्वर की भक्ति में लीन होता है उसी तरह अगर कोई ज्ञानी है तो अज्ञान के तिमिर को हर लेता है। तृतीय काव्य में किरण की व्याख्या करते हुए कहते है कि -
लालिमा फूटी हुआ जग लाल है,
जो अंधेरे का सबल एक काल है,
भागता चहुँ और ना स्थान है
रो रहा आंसू बह रहा शैतान है,
तिलमिलाता अब बना नादान है,
मैं मिटा दूँ ये बाद हैवान है,
मैं किरण सम्मान मुझको मान लो,
प्रकृति का उपहार हूँ यह जान लो।
जब दिनकर की किरण धरा पर फैलती है तो काल बना अंधेरा चारों ओर धरा पर फैले अंधकार के काल को लील लेता है। कितनी सुंदर अभिव्यक्ति है।ऐसा ही चतुर्थ काव्य पवन में उन्होंने कहा है कि
मैं धरा की शक्ति नभ का गान हूँ,
बोलती पगडंडियों की शान हूँ,
उड़ रही रज चरण का सम्मान हूँ,
लिख रही जो कलम गौरव गण हूँ,
डोलती हर ज़िन्दगी की जान हूँ,
जान ही हूँ जान न बेजान हूँ,
मैं रहूँ हर पल पवन यह जान लो,
मैं पवन हूँ प्राण सबका मान लो।

इस लम्बी कविता में दिवा-रात्रि
कर्म शीलता को देखकर यह संदेश
दिया है। और वही दूसरी ओर
पंचकाव्य "तिरंगा"में कि
हर जन का अधिकार है झण्डा,
हर प्राणी का प्राण है झण्डा,
शिरा और धमनी है झण्डा,
हर दिल की धड़कन है झण्डा,
निकल रही हर बोली झण्डा,
स्वंय दिवाली होली झण्डा,
प्यारी-प्यारी चितवन झण्डा,
बदली गीत मिलन के गाये,
उड़गन छिप-छिप जाये,
जब तक सब धारा लहराये,
हम सब मिल झण्डा फहराये।
जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका में
सब कुछ देखता है उसका रूप ,
यौवन और अन्य खूबियाँ उसी
तरह हर भारतीय को तिरंगे में
सभी कुछ दिखता है।आजकल लम्बी
रचनाओं का दौर जैसे खत्म ही हो गया।
अब तो सभी साहित्यकार 20-20 क्रिकेट 
खेलते है बस दस-बारह पंक्तियों लिखी
और हो गयी रचना पूरी पुराने कवि ,
साहित्यकार ऐसे ही नहीं हुए उन्होंने
अपनी लेखनी से प्रकाश फैलाया उन्होंने
अपनी लेखनी से उस ऊँचाई को छुआ है ।
और ऐसा ही सर्जन श्री रामकरण
साहू "सजल" जी कर रहे है। मैं
कह सकता हूँ ये पंचकाव्य अमर
काव्य है।अब आप लोग सोच रहें
होंगे कि मैंने ज्यादा समय ले लिया
क्या करूँ ये "लेखनी पंचकाव्य"पुस्तक
ही ऐसी है कि मेरी लेखनी को भी
विदा लेने का मन नहीं कर रहा लेकिन
विदा तो लेना पड़ेगी। तृतीय चरण की
समीक्षा में फिर मिलेंगे तब तक
के लिये ! - राम-राम

समीक्षक - ✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी

गीत ही गाना अच्छा है "

इस निश्छल जीवन मे हमने संगीत तुम्ही से सीखा है,
खालीपन में भी हमने गीत तुम्हारा लिखा है,
आस में रहने से अच्छा गीत ही गाना अच्छा है,
मन मेरे जो शांत करे वो संगीत ही गाना अच्छा है।
तुमसे अच्छी संगीत है मेरी, जब चाहे गा लेता हूँ,
गुनगुन करके ही सही पर, हर प्यार वहाँ पा जाता हूँ,
नयनो में जो नीर बही वो ,संगीत बन उतरती है,
आंसू-आंसू ,क्रंदन-क्रंदन गीत मेरी बन जाती है।
राह तेरे तकने से अच्छा गीत ही गाना अच्छा है,
मन मेरे जो शांत करे वो संगीत ही गाना अच्छा है।
हरे दरख्तों से सीखा मैं ,गीत तेरी हरियाली का,
फूलों से सीखा था मैंने,गीत तेरी मुसकानि का,
नाजुक सी कलियों से सीखा गीत तेरी नाजुकता की,
मृदकपोलों से गीत मैं लिखा,तेरे अरुणिम कपोलों की।
इन हरे दरख्तों की छावों में,गीत ही गाना अच्छा है,
मन मेरे जो शांत करे वो संगीत ही गाना अच्छा है।
बहती नदियों से लिखा मैं, गीत तेरी हर चालों का,
घाघरा उठाये धूल से लिखा, गीत तेरी चंचलता का,
हरी लताओं से लिखा मैं, संगीत तेरी यौवनता की,
अलसी को देख लिख दी मैंने, गीत तेरी अठखेली की।
यूं तन्हां-तन्हां से अच्छा तो तेरी गीत ही गाना अच्छा है,
मन मेरे जो शांत करे वो गीत ही गाना अच्छा है।
प्रकृति की रंग में रंग कर, गीत लिखा तेरे जीवन का,
पल दो पल की जीवन मे एक,उम्र लिखा है जीवन का,
यादों की नौका में बैठ कर ,गीत लिखा मंझधार की
तुमसे दूर होकर भी मैंने, गीत लिखा है प्यार की
प्रकृति संग- संग में रह कर संगीत ही गाना अच्छा है
मन मेरे जो शांत करे वो संगीत ही गाना अच्छा है।

        ✍️   कवि तुलसी विश्वास
गिरीडीह झारखंड पिन-815313
       8651792869
ईमेल-tulsiprasad8651@gmail. com
         My you tube लिंक-https://youtube.com/channel/UCHrmoB1G7mcLAUntNvX4k2w

कविता- प्रेरक जीवन

हर कर्म का फल भोगना,
यह रीत है संसार की।
फैलती सुगंध चहुं दिस,
सुकर्म की, उपकार की।।
उपकार, एक मानवीय गुण
यह सदा से ही रहा।
उपकार की खातिर यहां
अवतारों ने भी दुख सहा।।
मिलता सुखद परिणाम अंततः
उपकार के हर काम का।
देखिए जीवन चरित्र
श्रीकृष्ण का श्रीराम का।।
बुद्ध,नानक, गांधी आदि
सब रहे उपकारी जन।
प्रेरणा जन मन को देता,
उपकार हित इनका जीवन।।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश

(1)
ये पवन तू एक संदेशा देना,
जब निकले गाँव मेरे
,मेरे भैया से ये कहना
हर पल हर दिन ,
याद करे तेरी बहना
आख़ियांन राह भिगोऊँ
,मुतियन द्धार सजाऊँ।
कैसे मैं अब तेरे पास हैं आऊं।
ये वीरा व्योग कब तक
पड़ेगा सहना ।
जब निकले गांव मेरे-–-
बो पीपल की छइयां
उमर लड़कियां
संग-संग खेले थे हम तुम भैया
बो बचपन की यादें,कब
तक पड़ेगीं सहना
जब निकले गांव मेरे---
डोली में जब बिठाया था तुमने
राखी पे हर साल आऊँगा मिलने
उन वादों का अब ,क्या है कहना
जब निकले गांव मेरे----
       
✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश
9753877785

यह मेरे एक शिष्य की रचना है, पसंद आये तो पत्रिका में स्थान देने की कृपा करेंगें

नई पीढ़ी और पुराने संस्कार

आजकल आधी रात सोचते हुए और बची आधी रात रोते हुए निकल जाती है। नींद की खुमारी चेहरे पर स्पष्ट नजर आती है। चेहरे पर झुर्रियां उगने लगी है, जिसके वजह से समय से पहले बुढापा दस्तक देने लगा है। अब समझ आता है कि हीर को रांझे से और मजनू को लैला से बिछड़ के कैसा लगा होगा। वो फैसले जो हमारे लिए हो और हमसे पूछा भी न जाये वो वास्तव में  फैसले नही मुकर्रर की गई सजाएं होती है। हम बीसवीं सदी को पीछे छोड़ 21वी सदी में प्रवेश कर चुके है और दुनिया तरक्की, स्वतंत्रता और महिला सशक्तिकरण का ढोल पिटती है, जबकि भारतीय गाँवो के मिडिल क्लास में सिर्फ लड़कियाँ ही नही लड़को के शादी के मामले में भी ऐसी ही सजा मुकर्रर होती है। जिसके परिणामस्वरूप उनके साथ साथ  प्रेमी/प्रेमिका को भी ताउम्र सजा भुगतते रहना पड़ता है।  और फिर वही प्रेमी जोड़े वही बंदिशें अपने बच्चों के ऊपर लाद देते हैं, जिसका दंश वो खुद झेल चुके होते हैं। क्या एक जिंदगी और एक ठोकर सीख लेने के लिये काफी नही होता है? इंसान अपने वैवाहिक जीवन को कितना भी खुशहाल क्यो न बना ले, लेकिन बिछड़े हुए प्यार की कशक दिल से नही मिटा सकता। वो रह-रहकर पूरे जीवन टीस देता रहता है। जब कभी थोड़े वक़्त के लिए भी खालीपन सा महसूस होता है, दिल मतवाले हाथी की तरह मचल उठता है, और अतीत रूपी सरोवर में  यादों के कतरन रूपी कमल का मर्दन करने लग जाता है। मर्दन करते करते जब उन्ही यादों के दलदल में फस जाता है, तो निकलने के लिए तरह-तरह के उपाय ढूँढता है और अंत मे निस्सहाय होकर दृग जल से यादों के कीचड़ को साफ करते हुए अपने किस्मत को कोसने लगता है। कुछ मामले में फ़ैसले इंसान के हाथ मे न होकर वक़्त के हाथ मे होता है, और वक़्त का किया गया फैसला अमूमन कठोर होता है। जिसका कुठाराघात आजीवन महसूस किया जा सकता है।

✍️ "विवेक सोनू"

#साहित्य एक नजर.
अंक - 45 से 48 के लिए.
            *
बदहवास चीख.

अरमानों की चिता पर,
चिता नहीं आग जल रही है,
जलती आत्मा की लपटों में,
नजरअंदाज हुए लोगों की,
पगलाई संवेदना जल रही है.
आंसुओं का मदिरापान कर,
जिजीविषा निगलने को आतुर,
बदहवास सत्ता चीख रही है,
"आत्मा नश्वर है, आत्मा नश्वर है."
शहीदी धुआँ बन फिजाई उर्धश्वांस,
उम्मीदों के सपनें जिंदा हैं,
प्रतीक्षा की पथराई दृष्टि में,
अपराध के बाद भूल और क्षमा,
खो चुका है अपना अर्थ,
नसों में दौड़ता पानी अब,
लहू बन चुका है,
यह आवर्तन है परिवर्तन का!

✍️ अजय कुमार झा.

||ॐ श्री वागीश्वर्यै नमः||

           धीरज ( धैर्य )
          
विशेष ध्यान से सुनो सुधीर चित्त में रहे|
नहीं किसी विपत्ति में महान धैर्य त्याज्य है|
विदेश में विपत्ति में अपार बाधा भीति में|
बना रहे अजेय वो रखे सुधैर्य चित्त में||
घिरे कभी समुद्र में विशाल वातचक्र में|
तरानवार यान का लगा रहे बचाव में|
बचाव में बचा रहे जहाज भी कभी कभी|
जहाज जो बचा रहे बचे रहें सवार भी||
कराल काल सामने खड़ा कभी मिले सुनो|
डरो नहीं डटे रहो बचाव राह को चुनो|
फले उपाय काल जाय मृत्यु तो अवश्य है|
सदैव धैर्य धार्य है सुमित्र एक धैर्य है|

✍️ गणेश चन्द्र केष्टवाल
मगनपुर किशनपुर
कोटद्वार गढ़वाल उत्तराखंड

* योग के अर्थ का संक्षिप्त अनुशीलन *

आजकल योग की बात करना एक फैशन सा हो गया है। इसलिए योग के वास्तविक अर्थ निर्धारण में कठिनाई होने लगी है। अतः आवश्यक है कि योग का वास्तविक अर्थ निर्धारित किया जाये। आजकल चिकित्सा और उपचार में योग की बात अधिक की जाती है। ऐसा स्वाभाविक भी है क्योंकि इस दृष्टिकोण से भी योग की महती भूमिका है। लेकिन योग को केवल सीमित अर्थ में देखना इसके वास्तविक और व्यापक अर्थ की उपेक्षा ही होगी। अतः योग की शाब्दिक अर्थ के संबंध में योग का अर्थ है- मिलना, संयोग, जुड़ना, संयुक्त होना, कोई विशिष्ट एवं शुभ काल, अवसर, योगफल, चित्त को एकाग्र करने का उपाय या शास्त्र आदि। इस प्रकार योग शब्द की उत्पत्ति 'युज्' शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है- मिलना। अर्थात "योग मिलन की प्रक्रिया का सूचक है।" जिस विधि से साधक अपने प्रकृतिजन्य विकारों को त्यागकर अपनी आत्मा के साथ संयुक्त होता है वही 'योग' है। अर्थात विकारों को उतारकर अपने वास्तविक स्वरूप को प्राप्त हो जाना ही योग है।
'योगसूत्र' के प्रणेता 'महर्षि पतंजलि' ने योग का अर्थ - 'चित्तवृत्तियों का निरोध' (योगसूत्र-1:2) बताया है अर्थात चित्त की वृत्तियों का रुक जाना और चित्त की वृत्तियों को सांसारिक भोग से अलग करके ईश्वर की ओर लगाना। इस प्रकार योग का अर्थ है - आत्मा और परमात्मा का मिलन। चित्तवृत्तियों का निरोध समाधि में होता है, इसलिये योग को "योगः समाधि" भी कहते हैं। अतः इस बात को सतत् स्मरण रखना नितांत आवश्यक है कि हमें योग के वास्तविक अर्थ के प्रति उचित न्याय करके और उसका अनुशीलन करके हम अपना तथा विश्व का कल्याण करें।

✍️ देश दीपक
ईश्वरपुर साई हरदोई उत्तर प्रदेश
ddesh619@gmail.com
7897588165

बढ़ाओ हाथ तुम ही दोस्ती का!
पुराना राग छोड़ो दुश्मनी का!!
नशे में हूं जरा रहना संभल कर !
भरोसा कुछ नहीं है जिंदगी का!!
मुअत्तर अम्न से  हो जाए दुनिया!
खिलाओ फूल अमनो-आष्टी  का !!
अँधेरा सारा मिट जाएयहाँ से .l
दिया  हर  घर जलाओ रोशनी काll
सलीका इक़तदा का भी नहीं है l
लगा है शौक कैसा रहबरी  का  ll

✍️ अकील अहमद अनस
Ex Editor Paigame Aman
naisaray sherkot Bijnor up
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नमन
#विधा-पद्य

महाराणा प्रताप

थे  प्रताप शूरवीर जन जन
के  प्यारे  प्रचंड प्रतिभा के
धनी    और   उपकारी  थे
प्रखर  बुद्धि  के  योद्धा  थे
चेतक  पर  सवार  हाथ में
तलवार  तेजस्वी  झनकार
प्रखर स्वाभिमान को नमन
विवेकशील   कर्म   प्रधान
अग्नि आकाश नभ जलचर
थलचर   अगणित  अमित
अनुपम गुणों से युक्त भाल
कृत्रिम  नहीं  रहा  स्वभाव।
दुश्मनों के दुश्मन तेज धनाधन,
दंभ  का   नहीं   था   फन,
सत्य   पुरुष    का   चरित्र
थे  प्रताप  बलशाली चेतक
पर सवार मारवाड़ की आन।।

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान

सोच की गहराई

कभी-कभी
फैसले को कमज़ोर करती है...
ज़्यादा सोचते सोचते
निष्कर्ष पर तो नहीं निकलती ,
लेकिन सोंच सोंच कर,
भितर भीतर सोचने वाले को तोड़ती है...
सोंच की गहराई कभी-कभी
फैसले को कमजोर करती है...
कभी ऐसा भी होता है कि,
जो सोचा हो ,वह पूरा हो जाता है...
कुछ पल के लिए खुशियों भरा ,
माहौल छा जाता है..
दिल में खुशियां होती है
और प्यार उमड़ कर आता है..
दूरियों वाला रिश्ते  भी
करीबी में जोड़ा जाता है...
लेकिन फिर भी
इस बात से इंकार नहीं ..
कि सोच की गहराई
कभी-कभी 
फैसले को  झकझोर देती है ...
हमेशा तोड़ती नहीं रिश्तों को
कभी-कभी जोड़ भी देती है.
झूठे ,बेवफा, दगावाजों के भी,
राज़ यही सोच खोलती है...
बहुत ज़्यादा सोचती है
और फिर
कुछ बोलती है..
सोच सोच कर ही
रिश्तो की मर्यादा को
अपने संस्कारों से तौलती है..
विश्वास की डोर
थाम कर ,और
दिल पर हाथ रख कर...
सच्चाई तो बोलती है,,
यह सोच कभी-कभी
बहुत बातचीत करती है,
सोचें हुए फैसलों को
कभी मजबूत और
कभी कमजोर करती है...
सोच की गहराई  कभी-कभी...

✍️ ज्योति सिन्हा
मुजफ्फरपुर , बिहार

आज "साहित्य सरिता" अंतर्राष्ट्रीय काव्य संग्रह के लिए चयन मण्डल का गठन किया गया।

चयन मण्डल

1.मधु खन्ना -ब्रसबेन ऑस्ट्रेलिया- +61 400190965
2. डॉक्टर देवेंद्र तोमर मुरैना मध्यप्रदेश भारत
+91 7828148403
3. विभा श्री साहू , न्यूयॉर्क अमेरिका - +1(845) 327-8569
4. श्री रामकरण साहू "सजल" बाँदा उत्तर प्रदेश भारत
+918004239966
5.श्री सुंदर लाल मेहरानियाँ अलवर राजस्थान भारत  +917891640945
6.देवप्रिया अमर तिवारी
अबू धाबी (यू ए ई)

सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ।

संदेह

संदेह के बादल
एक बार घिर आये,
तो सच मानिए कि
फिर कभी न छंट पाये,
मान लिया छंट भी गये तो भी
उसके अंश अपनी जगह
कभी अपनी जगह से
न हिल पाये।
संदेह ऐसा नासूर है
जो लाइलाज है यारों
जो भी इसका शिकार
हो गया एक बार
मरने के बाद ही
वह इससे मुक्त हो पाये।

✍️  सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा, उ.प्र.
    8115285921

©मौलिक, स्वरचित

#विषय-"यादों के समंदर में"
#विधा-

कविता -
" यादों के समंदर में "

यादों कि समंदर में ,
जो गोते लगाते हैं,
वो जीवन भर ,
तड़पते रह जाते  हैं..।
यांदे है कि कमबख्त,
पीछा नहीं छोड़ती,
यादें कुछ अच्छी ,
तो कुछ बुरी होती है।
यूं तो यादें ,जीवन
भर की पूंजी होती है,
सुहानी यादें जीवन को ,
सुखमय बनाती है।
जीवन पथ पर आगे बढ़ने का,
रास्ता दिखाती है,
"यादों के समंदर में ",याद
तेरी जब गोते लगाती है।
मेरे दिल का ,सुख
चैन उड़ाती है....,
सुरमई रातों की तस्वीर,
आंखों में घूम जाती है।
तेरे संग बिताए लम्हों
की, याद सताती है,
सांसों में बसी हो तुम,
नींद मेरी उड़ाती हो।
कभी सपनों में आ, मेरे
सामने खड़ी हो जाती हो,
लगता है यूं, तुम कहीं
आस-पास हो मेरे।
दिल मानता ही नहीं ,
कि तुम बस ख्वाब में हो मेरे,
न जाने क्यूं,तेरा जाना,
मुझे स्वीकार नहीं होता।
मेरी यादों में तुम,
जीवित रहोगी हमेशा।।

✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट , असम

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस

न करेंगे और नहीं करने देंगे नशा ,
सुधारेंगे मिलकर विश्व की दशा ।।

मनाओ अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस ,
करों नशीली पदार्थों का तहस नहस ।।

✍️ रोशन कुमार झा
Name - Cdt Roshan Kumar Jha
Reg no - WB17SDA112047
Mob - 6290640716
31st Bengal Bn Ncc Fort William
Kolkata -B , National Cadet Corps Directorate - West Bengal & Sikkim
Coy - 5 ( N.D.College )
Narasinha Dutt College , Howrah

_______________
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
वृहस्पतिवार , 24/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(37)
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 45
Sahitya Ek Nazar
24 June 2021 ,   Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 45

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/45-24062021.html

कविता :- 20(37) , गुरुवार , 24/06/2021 , अंक - 45
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2037-24062021-45.html

अंक - 46
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/46-25062021.html

कविता :- 20(38)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2038-25062021-46.html
अंक - 47
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/47-26062021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक - 44
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/44-23062021.html
कविता - 20(36)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2035-23062021-43.html

फेसबुक - 1
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फेसबुक - 2
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=357402412478045&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo






रोशन कुमार झा





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