कविता :- 20(52) , शुक्रवार , 09/07/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 60, गमया पूजा भोला बाबा मंदिर पर , 11 मई 2021 से 9 जुलाई 2021 तक कुल अंक प्रकाशित - 60 एवं साप्ताहिक अंक - 3 , कुल सदस्य - 601 , आप सभी सम्मानित साहित्यकारों का सादर आभार 🙏💐मात्र 2 महीने में .....

रोशन कुमार झा

कविता :- 20(52)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र
कविता - महादेव भरते जेब

देवों के देव
प्रभु महादेव ,
वही भरते
दुनिया का जेब ।
भोलेनाथ का हम पर
दया हो आशीर्वाद हो ।
हमारी मंजिल
आँधी तूफ़ान के बाद हो ।।
हम अपना
कर्म करूँ , हमें न किसी
से वाद विवाद हो ,
भोलेनाथ का पुजारी
घबड़ाऊँ क्यों ?
सुख - दुख तो साथी
इससे न हम आज़ाद हो ।
देवों के देव प्रभु महादेव ,
उन्हीं पर तो भरा है
दुनिया का जेब ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(52)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
09/07/2021 , शुक्रवार
✍️ रोशन कुमार झा
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 60
Sahitya Ek Nazar
09 July 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

09/07/2021 , शुक्रवार
आ. कवयित्री आ. शुभांगी शर्मा" जी सम्मानित हुई साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से वाला वीडियो अंशु jio से डाउनलोड करके भेजा फिर पूजा को भेजें , भविन्द्र बाबा आये मिली पापा लोन वाला 1700 लेकर हम दादी को 1100 दिए आज पूजा पापा का रिपोर्ट पटना में ।
05:55 उठे 07:40 लाल चाय पीए
महादेव - 400 हम आनंदी - 500 , दाई - 200 , अंशु आनंद - 500 = 1600 , 07:41
एक एक करके
एक पंक्ति में दस , और पाँच पंक्ति होता है ऊपर से जनेऊ के लिए एक ।
3100 बनें महादेव
आनंद अंशु - 1000
आनंदी        - 1000
दादी फूल देवी - 600
हम - रोशन  -      500
कुल - 3100
पतुआ साग भात बना रहा । खीर लाया भोला बाबा मंदिर पर से गमया पूजा रहा ।
आज इस बार पहली बार दिन में सोये
11 मई 2021- मंगलवार  से 9 जुलाई 2021, शुक्रवार तक कुल अंक प्रकाशित - 60 एवं साप्ताहिक अंक - 3 , कुल सदस्य - 601 , आप सभी सम्मानित साहित्यकारों का सादर आभार 🙏💐

[09/07, 23:44] Babu 💓: Sona h
[09/07, 23:44] Babu 💓: Ab babu
[09/07, 23:44] Babu 💓: 12 bajne wala h
[09/07, 23:45] Babu 💓: Jao sone
[09/07, 23:48] Babu 💓: 😡
[09/07, 23:48] Babu 💓: 😡
[09/07, 23:48] Babu 💓: Meri batao ko andekha kr rahe h na
[09/07, 23:48] Babu 💓: Achha h
[09/07, 23:48] Babu 💓: Rhi
[09/07, 23:49] Babu 💓: Bye
[09/07, 23:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: जा रहे है
[09/07, 23:49] Babu 💓: Jaldi
[09/07, 23:49] Babu 💓: Fast
[09/07, 23:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: 12 बजे
[09/07, 23:49] Babu 💓: Ok
[09/07, 23:49] Babu 💓: Ham bhi online h
[09/07, 23:49] Babu 💓: 12 baje tak
[09/07, 23:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: By
[09/07, 23:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: Good night babu

Link of Bihar bodhi
[08/07, 22:36] ज्योति दीदी जी: पेज नंबर

रौशन भाई खुद लगा लेगा
[08/07, 22:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[09/07, 07:45] ज्योति दीदी जी: सुप्रभात

रौशन
और

दीप्ति

खूब खुश रहो।

खुशी-खुशी इस काम को आगे बढ़ाओ। जल्दी से आज-कल में इसे पूरा कर दो।

ताकि
छापने वाले को लिंक दे कर बात किया जा सके।

[09/07, 22:39] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: खुद से दूर

मैं प्रायः खुद ही खुद से दूर रहती हूँ
अपनों के संग सदा जीना चाहती हूँ
दुःख सहने की सहनशक्ति रखती हूँ
मन को समझने की कोशिश करती हूँ
अंदर से घायल ऊपर से मुस्काती हूँ
कांटों के बीच खिलना गुलाब से सीखती हूँ
खुद ही खुद की सहेली बन जीना चाहती हूँ
आँधी आए तूफ़ाँ आए टूट कर नहीं बिखरती हूँ
क्रोध जब आता मन को शांत, मोन हो जाती हूँ
गलती पर पछताती ना दोहराने की कसम खाती हूँ
क्रोध पर काबु पाने की भरसक कोशिश करती हूँ
खुद के मन को फिर खुद ही समझाती रहती हूँ
गलती किसी की भी हो खुद ही झुक जाती हूँ
दिल से क्षमा करती मन में दुर्भाव नहीं रखती हूँ
मन में उठती यादों की स्मृतियाँ भाव लिखती हूँ
कलम से कागज पर भावों का पिटारा खोलती हूँ
प्रेम रस में डूब सतरंगी ख्वाबों को बुनती हूँ
प्यार,ज़ज्बात,विरह,वेदना,वात्सल्य लिखती हूँ
भाव रस में होकर भाव विभोर गीत गुनगुनाती हूँ
मन में दबी कही अनकही बाते सदा लिखती हूँ
छोटी सी कलम कागज पर अल्फाज़ लिखती हूँ
मन की बात कभी दिल के ज़ज्बात लिखती हूँ
अपने मन को सदा मथनी से मथती रहती हूँ
हर उलझन को मैं खुद ही सुलझाती रहती हूँ
जब जब मन से दुःखी, अशांत, घायल होती हूँ
तब खुद से खुद दूर रहने की कोशिश करती हूँ

कलावती कर्वा
[09/07, 22:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार पंक्ति दीदी जी अंदर से घायल से घायल ऊपर से मुस्कुराती हूँ ।
[09/07, 23:21] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: धन्यवाद भाई 🙏🏻
[10/07, 00:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 दीदी जी स्वागतम् 🙏💐

साहित्य एक नज़र

आ. राजेश कुमार पुरोहित जी के पोस्ट पर

[09/07, 06:46] आ. पूनम शर्मा जी: शिवांगी जी को बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं अनेकानेक
[09/07, 07:09] आ. राजेश पुरोहित जी: शुभांगी शर्मा
[09/07, 08:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[09/07, 21:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://imojo.in/4S0xjO
[09/07, 21:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: अंक - 60
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो - 6290640716
राष्ट्रीय छात्र दिवस

साहित्य एक नज़र अंक - 60 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें -
https://imojo.in/4S0xjO

मात्र - 15 रुपये

जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

अंक - 60
9 जुलाई  2021
शुक्रवार
आषाढ़ कृष्ण 15 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण - पत्र - 6
कुल पृष्ठ -  7

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

सहयोगी रचनाकार  -

1.  आ. सीमा रंगा जी , हरियाणा , भारत
2.  आ. रोशन कुमार झा
3. आ.  आनंद पांडेय जी ,  बलिया उत्तर प्रदेश
4. आ. शिवाँग मिश्रा राजू जी ,  बाराबंकी उत्तर प्रदेश
5. आ. रेखा शाह आरबी जी , बलिया उत्तर प्रदेश
6. आ. विनय साग़र जायसवाल जी, बरेली
7.आ. अर्चना जोशी जी , भोपाल मध्यप्रदेश
8. आ. रंजना बिनानी "काव्या" जी ,गोलाघाट , असम





🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
122. आ. सीमा रंगा जी , हरियाणा , भारत

अंक - 54 से 58 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/320528306376619/?sfnsn=wiwspmo

हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
[09/07, 21:32] +91 : ये प्रकाशित हो चुका है क्या
[09/07, 21:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[09/07, 21:50] +91 : श्रीमान जी मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा नहीं खुल रही है, मैंने तो 59 खरीद ली
सम्मान पत्र - आ. सीमा रंगा जी
[09/07, 21:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[09/07, 21:54] +91  32024: धन्यवाद श्रीमान जी आपका बहुत-बहुत 🙏🙏🙏
[09/07, 21:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐 आदरणीया 🙏💐
[09/07, 21:54] आ सपना जी: हार्दिक बधाई आदरणीया💐💐
[09/07, 21:56] +91 : बहुत-बहुत आभार माननीय साहित्य एक नजर मंच का और आदरणीय सभी मित्र बंधुओं का 🙏🙏🙏
[09/07, 22:45] +91 55: बहुत बहुत आभार अभिनंदन साहित्य एक नज़र मंच का🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
         गीतकार
आनंद पांडेय बलिया उत्तर प्रदेश
[09/07, 22:53] +91  आ. सोनू विश्वकर्मा जी 025: अब रचनायों को कब भेजना है
[09/07, 23:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: 11 मई 2021 से 9 जुलाई 2021 तक कुल अंक प्रकाशित - 60 एवं साप्ताहिक अंक - 3 , कुल सदस्य - 601 , आप सभी सम्मानित साहित्यकारों का सादर आभार 🙏💐

मात्र 2 महीने में .....

[09/07, 23:44] +91 आ. सीमा रंगा जी 024: मुबारक हो श्रीमान जी 🙏🙏🙏
[09/07, 23:47] +91 आ. प्रभात जी : बहुत बहुत बधाई हो रौशन सर🌷🌷
[09/07, 23:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद आदरणीय श्री 🙏💐
[09/07, 23:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद जी 🙏💐

आनंद पाण्डेय
[09/07, 11:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[09/07, 15:25] +91 : कविता देखे सर आप
[09/07, 15:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[09/07, 15:27] +91 : एक काफी है या और
[09/07, 15:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक प्रकाशित होने के बाद
[09/07, 15:30] +91 : OK sir🙏
[09/07, 22:55] +91 : बहुत बहुत आभार सर आपका 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[09/07, 22:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐
[09/07, 22:59] +91 : क्या भेजना है सर
साहित्य एक नज़र सम्मान के लिए
[09/07, 23:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: पाँच रचनाएं प्रकाशित होने के बाद खुद आपको साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाएगा ।
[09/07, 23:00] +91 5: अब रचना कब भेजें
[09/07, 23:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: दो दिन के अंतराल पर आदरणीय श्री 🙏💐
[09/07, 23:04] +91 9455: जी धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[09/07, 23:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏 आदरणीय श्री 🙏💐
[09/07, 23:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: 11 मई 2021 से 9 जुलाई 2021 तक कुल अंक प्रकाशित - 60 एवं साप्ताहिक अंक - 3 , कुल सदस्य - 601 , आप सभी सम्मानित साहित्यकारों का सादर आभार 🙏💐

मात्र 2 महीने में .....
[10/07, 07:07] +91 : साहित्य समृद्धि एवं रचनाकारों को प्रोत्साहित करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य के लिए पत्रिका, सम्पादन और प्रबंधन को हृदयतल से अशेष शुभकामनाएँ. - आ. अजय कुमार झा जी

[09/07, 08:54] +91 8: Hai
[09/07, 08:54] +91 88: शिवांग मिश्रा 'राजू'
बाराबंकी उत्तर प्रदेश
[09/07, 08:54] +91 : श्रीमान जी इसी पर भेज दीजिए
[09/07, 08:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/?ref=share
[09/07, 08:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn
[09/07, 23:01] +91 8988: भैया जी हमने बैलेंस काट दिया उसके बाद भी डाउनलोड नही हुआ
[09/07, 23:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: देख रहे है आपके ईमेल आईडी पर लिंक भेजा गया होगा Thanks you के साथ लिंक वहां क्लिक कीजिए
[09/07, 23:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: ईमेल आईडी चेक कीजिए

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान
[09/07, 22:46] +91 : 10/07/2021 के अभ्यास

तीन व चारि वर्णक संयुक्ताक्षरक अभ्यासक एग्यारहम  दिनक अभ्यास   👇
[09/07, 22:47] +91 01: https://youtu.be/pxTFzrugr8w

आ. सीमा रंगा जी
[09/07, 10:59] +91 4: श्रीमान जी कौन से अंक में आएगी मेरी कविता
[09/07, 11:00] +91 4: कल हमने ऑनलाइन 59 नवंबर की ई पत्रिका खरीदी थी परंतु वह खुल नहीं रही
[09/07, 11:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: ईमेल आईडी पर लिंक गया होगा देखिए
[09/07, 11:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज प्रकाशित हो जायेगी
[09/07, 11:25] +91 4: Ji
[09/07, 21:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/kldy/
[09/07, 21:54] +91 : बहुत-बहुत आभार महोदय आपका
[09/07, 21:56] +91 4: क्या मैं पत्रिका को ऑनलाइन मंगवा सकती हूं
[09/07, 21:56] +91 : कृपा थोड़ा सा मार्गदर्शन करें मेरा
[09/07, 22:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं आदरणीया श्री , हार्ड कॉपी बनाने पर काम चल रहीं हैं ‌।
[09/07, 22:02] +91 24: जी महोदय
[09/07, 22:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐

आ. अशोक जी
[08/07, 21:16] +91 : कृपया विश्व साहित्य संस्थान वाणी, अंक- 3 प्रकाशन का PDF भेजिए।🙏
[09/07, 08:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप लिंक से खरीदकर डाऊनलोड कर सकते है । आदरणीय श्री 🙏💐
[09/07, 12:41] +91 87: रचनाकार को भी खरीदना पड़ेगा क्या?
[09/07, 12:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏

[09/07, 10:48] डॉ पल्लवी जी: भाई अगले सप्ताह का विषय मैं दूं?
[09/07, 11:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: मासिक कर दिए दीदी जी दोनों पत्रिका को कोई सहयोग करने वाले हैं नहीं
[09/07, 15:26] डॉ पल्लवी जी: क्या हुआ  भाई? क्या आप आर्थिक सहयोग की बात कर रहे,,,
[09/07, 15:27] डॉ पल्लवी जी: लेखनी से सहयोग करने को मैं हमेशा तत्पर हूं।
[09/07, 15:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं दीदी जी रचनाकारों की भावनाओं को देखते हुए मासिक किए हैं । आ. ज्योति जी भी मासिक कर दी
[09/07, 15:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[09/07, 17:23] डॉ पल्लवी जी: ठीक है प्रकाशन के पूर्व सूचित कर दीजिएगा।
[10/07, 07:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐



अंक - 60
जय माँ सरस्वती
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जय माँ सरस्वती
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अंक - 60
9 जुलाई  2021
शुक्रवार
आषाढ़ कृष्ण 15 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण - पत्र - 6
कुल पृष्ठ -  7

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4. आ. शिवाँग मिश्रा राजू जी ,  बाराबंकी उत्तर प्रदेश
5. आ. रेखा शाह आरबी जी , बलिया उत्तर प्रदेश
6. आ. विनय साग़र जायसवाल जी, बरेली
7.आ. अर्चना जोशी जी , भोपाल मध्यप्रदेश
8. आ. रंजना बिनानी "काव्या" जी ,गोलाघाट , असम

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वीडियो
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सम्मान पत्र - 79 -
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सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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अंक - 49 से 53
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अंक - 45 - 48
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मधुबनी इकाई अंक - 2
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 60 ,  शुक्रवार
09/07/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 60
Sahitya Ek Nazar
09 July ,  2021 ,  Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

_________________

रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई





कविता :- 20(46) , शनिवार , 03/07/2021 , अंक - 54

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2046-03072021-54.html

http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

अंक - 55
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/55-04072021.html

कविता :- 20(47) ,
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2047-04072021-55.html

अंक - 56
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/56-05072021.html

कविता :- 20(48)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2048-05072021-56.html

अंक - 57
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/57-06072021.html

कविता :- 20(49)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2049-06072021-57.html

अंक - 58
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/58-06072021.html

कविता :- 20(50)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2050-07072021-58.html

साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 59

http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक पत्रिका
अंक -3
http://vishshahity20.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

अंक - 2
http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(51)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2051-08072021-59-3.html

कविता :- 20(52)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2052-0972021-60.html

अंक - 60
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अंक - 61

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कविता :- 20(53)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2053-10072021-61.html

अंक - 61
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
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अंक - 57

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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
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अंक - 59
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साहित्य एक नज़र , अंक - 59 , गुरुवार , 08/07/2021 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी, अंक - 3

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पृष्ठ - 1
08 जुलाई 2021 , गुरुवार ,
आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078











मेरी बीमारी

मेरी बीमारी तुम्हारी
बेचैनी सब कुछ कह गई
चाहे तुम कुछ कहो या ना
कहो आंखों की नमी, दिल की
तड़प ने जगती रातों में,
धड़कते दिल ने उस भूखे इंसान
की भूख ने सब कुछ बयां कर दिया
मेरी बीमारी तुम्हारी
बेचैनी सब कुछ कह गई
भीगती वर्षा में गीले कपड़ों ने
उस दर्द भरी आंखो के अश्रु ने
उस तड़प ने,उस चुभन ने
पल -पल निहारती आँखों
ने सब बयां कर दिया
मेरी बीमारी तुम्हारी
बेचैनी सब कुछ कह गई
उस मेरे चिखते- चिल्लाते
दर्द ने आपकी बेचैन आँखों
की कड़क भोहों ने
सब कुछ बयां कर दिया उस दिन
अश्रु धरती पर गिरे मेरे दुख में
मेरी बीमारी तुम्हारी
बेचैनी सब कुछ कह गई
उस छोड़कर चले जाने के डर ने
उस अकेलेपन ने, उस मजबूरी
ने तन्हाई के छोने ने
,उन दर्द भरी चीख ने
  समीप आकर बार-बार
दर्द को बांटने ने
मेरी बीमारी तुम्हारी बेचैनी सब
कुछ कह गई उन दर्द भरी
आंखों से निहारने ने सारी रिपोटो
को बार- बार देखना ने  न कोई
बीमारी होने पर खुशी जाहिर करना
छुट्टी वाले पल ने, उस कड़क कमांडो की
नरमी ने सब कुछ कह दिया
मेरी बीमारी तुम्हारी बेचैनी
सब कुछ कह गई

✍️ सीमा रंगा
हरियाणा , भारत

स्वरचित मौलिक रचना

कविता :- 20(52)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र
कविता - महादेव भरते जेब

देवों के देव
प्रभु महादेव ,
वही भरते
दुनिया का जेब ।
भोलेनाथ का हम पर
दया हो आशीर्वाद हो ।
हमारी मंजिल
आँधी तूफ़ान के बाद हो ।।
हम अपना
कर्म करूँ , हमें न किसी
से वाद विवाद हो ,
भोलेनाथ का पुजारी
घबड़ाऊँ क्यों ?
सुख - दुख तो साथी
इससे न हम आज़ाद हो ।
देवों के देव प्रभु महादेव ,
उन्हीं पर तो भरा है
दुनिया का जेब ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(52)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
09/07/2021 , शुक्रवार
✍️ रोशन कुमार झा
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 60
Sahitya Ek Nazar
09 July 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर


बेकार नहीं हैं हम
हमको भी ईश्वर ने
अपने हाथों से बनाया है।
अपने हाथों से मेरा
सुंदर रूप सजाया है।।
मत कोस हमें तु बार-
बार शिकार नहीं हैं हम।
बेकार नहीं हैं हम,
बेकार नहीं हैं हम।।
मुश्किल घड़ियों में
साथ तुम्हारा देंगे हम।
हंस-हंस के सह लेंगे
तेरे ढ़ाये वो सितम।।
तु कह ले तेरे ममता
के हकदार नहीं हैं हम।
बेकार नहीं हैं हम,
बेकार नहीं हैं हम।।
किश्मत की लकीरों
को हम भी खूद बदलेंगे।
दे छोड़ भले तु तनहा
कुछ तो कर हीं लेंगे।।
जो डूबो दे मंझदार में
वो पतवार नहीं हैं हम।
बेकार नहीं हैं हम,
बेकार नहीं हैं हम।।
जो करते हैं वो
करने दो मत रोको अब।
मेरे भी साथ खड़ा है
जो तेरा है रब।।
अरमानों की इस बगिया के
गुलजार तो हीं हैं हम।
बेकार नहीं हैं हम,
बेकार नहीं हैं हम।।
आनंद की आँखों में
भी देखो पानी है।
दुःख सुख को हमने भी
नजदीक से जानी है।।
ये आता जाता रहता है
बीमार नहीं हैं हम।
बेकार नहीं हैं हम,
बेकार नहीं हैं हम।।

   गीतकार
   ✍️ आनंद पांडेय
बलिया उत्तर प्रदेश
  मो. 9454261955/
9721106924

🌧 मेघ 🌧

ऐ मेघ है तुम्हे प्रणाम
कर रही धरती ।
कर दो दया अब प्यास से
व्याकुल बङी धरती ॥
उसका कुटुम्ब जल
रहा है नीर के बिना ।
अब हो नही सकता
कुछ तेरी दया बिना ॥
तुम आते हो दिख जाते हो
खिल जाता उसका मन ।
जब खाली ही चले जाते हो
दुखता है उसका मन ॥
निज प्यार के कुछ बूँद
अब गिरा दो इस धरा ।
शरीर और मन सहित
तृप्त हो धरा ॥
साथ मे राजू भी यही
कर रहा अरदास ।
अब हो मेहरबान तुम
बुझा दो सबकी प्यास ॥

✍🏻 शिवाँग मिश्रा राजू
     बाराबंकी उत्तर प्रदेश
        8960272788

  सच् एक विकार है ##

व्यंग कविता -
सच् एक विकार है

सच की कीमत हमेशा
चुकानी पड़ती है
यह कलयुग है यहां
झूठ की जय चलती है
सच के पीछे कभी भी ना
बिल्कुल भी भागिए
झूठ की महिमा को
समझिए और जागिए
सत्य वचन दुर्गत कराएं
स्वजन को दुश्मन बनाएं
झूठ का साम्राज्य अपार
भर भर कर मिलता है प्यार
झूठ बोलकर होता संभव
मूर्ख बन जाता  मिनिस्टर
सच झूठ के खेल से ही
घर चलाता है बैरिस्टर
सच से दुश्मनी एकसार है
झूठ से सबको प्यार है
सच्चाई एक विकार है
झूठ से पटा तो अखबार है
अगर गलती से कभी
सत्य वचन को बोला
कीचड़ से भर देंगी दुनिया
आपका मुखड़ा भोला
झूठ की जय जय कार हो
चाहे कोई सरकार हो
एक बार नहीं जय उसकी
हजारों लाखों बार हो

✍️ रेखा शाह आरबी 
जिला बलिया उत्तर प्रदेश

गीत---

तेरे अंतस की प्यास बुझाने आया हूँ ।
अपने हाथो जयमाल बना कर लाया हूँ ।।
दीप जलाकर घर में कर लो तुम उजियारा
बन्दनवारों से आज सजाओ घर-द्वारा
अपने स्वागत में तत्पर है यह जग सारा
कंचन सपनों का सार लुटाने से पहले
पाकर बाँहों में सकल सृष्टि इतराया हूँ।।
अपने हाथों ----
लेकर थाली में आ जाओ रोली चावल
चूड़ी बिंदी झुमका गजरा लाली काजल
रस घोल रही हो कानो में छमछम पायल
भर दूँ सिंदूर कणों से तेरी माँग अभी
बर्षों में जाकर आज कहीं मुस्काया हूँ।।
अपने हाथो---
मादक झोंको से झूम रही है अमराई
चंदा तारों ने सुधा-सिंधु भी बरसाई
अब द्वार तुम्हारे गूँज रही है शहनाई
यह अग्नि कुण्ड भी देता है वरदान हमें
तेरी साधो को सच आखिर कर पाया हूँ ।।
अपने हाथो---
रजनीगंधा के सुमन यहाँ खिल जायेंगे
सब रिश्तों में हम मधुर गंध बरसायेंगे
सारे जग में हम प्रणय गीत मिल गायेंगे
तुम वीणा की झंकार सुनाओ तो *साग़र*
मैं मिलन पर्व की बेला में भरमाया हूँ ।।
अपने हाथो जयमाल बनाकर लाया हूँ।
तेरे अंतस की प्यास बुझाने आया हूँ ।।

✍️ विनय साग़र जायसवाल
बरेली
अंतस-हदय ,दिल

बस रहा शीतल मन्द समीर
बन  नन्हा  बालक ,
मैंने पूछा तो कह रहा
, धूम आया जग सारा
नहा आया , नदी , समुन्दर,
झरना , गिरती जलधारा
अब क्या बाकी रहा ,
तो जिद कर बैठा
अभी तो और भिगूंगा
,बारीश की बूंदों से
खेलूंगा , छोटे छोटे पोखर
में कागज की नाव खैना है,
‌बचपन सब  खो गया , 
मुझे तो अभी न टोक
न रोक बस जीवन है ,जीने दे
बचपन को  बस बचपन रहने दें
,मैं मौन  हो गई निशब्द सी ,
शायद मंद समीर सही कह रहा था ,
बचपन तो जैसे बस गुम हो रहा था
मैं कुछ भी न कह पाई पवन उड़ गया
बादलों पे सवार हो ,
आँखों से ओझल हो गया

✍️ अर्चना जोशी
भोपाल मध्यप्रदेश


#विषय-बरखा
#विधा-

कविता - बरखा 🌧️🌦️

बरखा का मौसम, होता है खास,
मानसून आता है ,लाता उल्लास।
बरखा रानी ,रिमझिम बरसती,
बुझ जाती ,धरती की प्यास..।
जेठ मास की ,तपती गर्मी से ,
मिल जाता ,सब को निजात..।
आषाढ़ मास के, आते ही....,
बादलों की गड़गड़ाहट
, सुनती है खास।
उमड़ घुमड़ कर बरखा बरसे,
मन मयूर उढ़ता है नाच,
तन मन हर्षित हो उठता
,वर्षा की बूंदे सिहराती आज।
नदी नाले पानी से,
लबालब भर जाते,
चंहुऔर हरियाली
,दिखती है,खास....।
बरखा के मौसम में
,मोर की पिऊ -पिऊ
आवाजें सुनती है खास,
मेंढक की टर्र-टर्र भी सुनती
,झूम झूम कर कोयल गाती।
मानसून  के आते ही,
मन में खुशियां छा जाती है खास,
धरा भी हंसती मुस्कुराती,
लगता ज्यूं सुंदर गीत है गाती आज।
वर्षा ऋतु के आते ही
,मन प्रफुल्लित हो जाता ,
मन में भर जाता उल्लास,
इंद्रधनुषी छटा मन को मोहती,
कजरी के गीत सुनाई देते खास,
सावन के आते ही ,झूले पड़ जाते ,
तीज की धूम मच जाती ,
छम छमा छम बदरा बरसे, आसमान
में चमकती बिजुरिया आज।

✍️ रंजना बिनानी " काव्या "
गोलाघाट असम






साहित्य एक नज़र


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