कविता :- 20(51) , गुरुवार , 08/07/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 59 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - साप्ताहिक पत्रिका अंक - 3, आ. शुभांगी शर्मा जी - साहित्य एक नज़र रत्न

साहित्य एक नज़र

कविता :- 20(51)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र
कविता - बरसात

खेत भी है पानी के साथ ,
प्रकृति भी कर रही है बात ।
किसान भाई रोप रहें है धान
चलाकर अपना हाथ ,
देखो-देखो आ गये बरसात ।।
बरसात में ही डूबने
लगते पोखर के घाट ,
भंयकर होती
बरसात की रात ‌‌।
लेकर आती नव प्रभात ,
कोई और नहीं
यही बरसात ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(51)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
08/07/2021 , गुरुवार
✍️ रोशन कुमार झा
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 59
Sahitya Ek Nazar
07 July 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

रात 01:30 में सोये -

21:58 - साहित्य एक नज़र , अंक - 59 , गुरुवार , 08/07/2021 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी, अंक - 3
09/07/2021 , शुक्रवार
आ. कवयित्री आ. शुभांगी शर्मा" जी सम्मानित हुई साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से वाला वीडियो अंशु jio से डाउनलोड करके भेजा फिर पूजा को भेजें , भविन्द्र बाबा आये मिली पापा लोन वाला 1700 लेकर हम दादी को 1100 दिए आज पूजा पापा का रिपोर्ट पटना में ।


[08/07, 22:01] +91 7403: सादर नमस्कार जी
[08/07, 22:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 नमस्ते 🙏💐
आ. अनूप कुमार वर्मा जी

[08/07, 22:25] +91 : साहित्य एक नज़र पत्रिका मे छपने के लिए क्या व्हाट्सएप पर रचनाएं लेते हैं
[08/07, 22:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर कामेंट बाक्स में
[08/07, 22:28] +91 : जी धन्यवाद आदरणीय
[08/07, 23:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐

[08/07, 22:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/VRHtCBzV2hg
[08/07, 22:17] Babu 💓: Hii
[08/07, 22:17] Babu 💓: Ji
[08/07, 22:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bolo
[08/07, 22:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: Eak bar sunnoo
[08/07, 22:22] Babu 💓: Achha h
[08/07, 22:22] Babu 💓: Bye
[08/07, 22:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: Boli jaa
[08/07, 22:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jaan
[08/07, 22:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: Aaj tola time do please
[08/07, 22:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: Babu
[08/07, 22:26] Babu 💓: Kis chij ka time
[08/07, 22:26] Babu 💓: Kasm krna h
[08/07, 22:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ha jaan
[08/07, 22:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: Aaj do patrika tha
[08/07, 22:27] Babu 💓: Ok
[08/07, 22:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: Eak avi baki hsi
[08/07, 22:27] Babu 💓: Ok
[08/07, 22:27] Babu 💓: Bye
[08/07, 22:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: Thanks Jaan
[08/07, 22:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: Gussa ho
[08/07, 22:27] Babu 💓: Good night
[08/07, 22:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: Babu
[08/07, 22:27] Babu 💓: Nhi jaan
[08/07, 22:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: Good night my dear
[08/07, 22:28] Babu 💓: Bas bhgwan se kal prey krna
[08/07, 22:28] Babu 💓: Or puja kr lijyega
[08/07, 22:28] Babu 💓: Kal report aayega
[08/07, 22:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ha jaan
[08/07, 22:28] Babu 💓: Or ham bhi kal report ke baad hi kuchh khayenge
[08/07, 22:29] Babu 💓: Achha nhi aaya report to life time bhgwan ko bhul jayenge
[08/07, 22:29] Babu 💓: Ham bhi soch liye h
[08/07, 23:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ha jaan acha ho aayaga

[08/07, 11:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: वाह दीदी शानदार रचना हम सब मिलकर करेंगे देश हित अच्छा काम
[08/07, 11:30] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: सृजन की सराहना कर उत्साहवर्धन करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई रोशन जी
💐💐💐💐💐
[08/07, 14:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏
[08/07, 16:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/
[08/07, 16:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये पत्रिका भी अपना ही है दीदी जी 🙏
[08/07, 22:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/
[08/07, 23:00] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: वाह बहुत अच्छी बात है
आप दो पत्रिका के संपादक है बहुत-बहुत बधाई
आपके उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करती हूँ
💐💐💐💐💐
[08/07, 23:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: तीन है दीदी जी एक मैथिली भाषा में निकलती है । संपादिका आ. ज्योति झा जी
[08/07, 23:15] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: 👍🏻👍🏻👍🏻
[08/07, 23:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद सह सादर आभार 🙏 दीदी जी 🙏
[08/07, 23:16] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: आपकी साहित्य सेवा को नमन करती हूँ 🙏🏻

भगवान आपकी हर मनोकामना पूरी करे यही प्रभु से प्रार्थना करती हूँ 🙏🏻
[08/07, 23:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/VRHtCBzV2hg
[08/07, 23:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य एक नज़र का भी नाम आ. राजेश पुरोहित जी के सहयोग से
[08/07, 23:52] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: 👍🏻👍🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
[09/07, 07:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात दीदी जी 🙏💐

[08/07, 23:43] +91 968: मेरा नाम कंचन शुक्ला है। उम्र 40 साल। मूलतः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की निवासी हूँ। रेलवे विभाग में पतिदेव की नौकरी के चलते पिछले 5साल से अहमदाबाद में रह रही हूँ। एमकॉम और सीए इंटर जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त कर। कई निगमखंड/व्यावसायिक क्षेत्र में करीब 10साल कार्यरत रहने के बाद। इसी साल 2021में लिखना प्रारंभ किया। मेरे लेखन को दैनिक समाचार पत्रों तथा डिजिटल मंचों पर खासी सराहना मिल रही है। बस इसी आशा व निमित्त से अब आप लोगों से जुड़ना चाहती हूँ।
[08/07, 23:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏
[08/07, 23:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn

साहित्य एक नज़र -
[07/07, 23:17] आ. पूनम शर्मा जी: अभिनंदन
[08/07, 16:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , साप्ताहिक पत्रिका
अंक - 3 , रचना से सहयोग करने वाले सम्मानित रचनाकार -

1. विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
2. डॉ. पल्लवी कुमारी पाम जी ( संपादकीय )
3. रोशन कुमार झा ( संपादकीय )
4. आ. राम चन्दर आज़ाद जी , उत्तर प्रदेश
5.आ. मानसी मित्तल जी ,  बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश
6. आ. देश दीपक जी उत्तर प्रदेश
7. आ. आशीष कुमार झा जी
8. आ. कैलाश चंद साहू जी, बूंदी , राजस्थान
9. आ. सोनू विश्वकर्मा  जी
10. आ. केशव कुमार मिश्रा जी , मधुबनी , बिहार
11. आ. नेहा चितलांगिया जी , मालदा , पश्चिम बंगाल
12. आ.  डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह जी
"सहज़" हरदा मध्यप्रदेश,
13. आ. कीर्ति रश्मि नन्द जी
14. आ.  अशोक शर्मा जी , कुशीनगर,उ.प्र
15. आ. डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल' जी
धामपुर उत्तर प्रदेश
16. आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी, दिल्ली
17. आ. दिनेश कौशल जी , दरभंगा , बिहार
18. आ. गणेश चन्द्र केष्टवाल जी ,  उत्तराखंड
19. आ. प्रेम लता कोहली जी
20. आ.  तबरेज़ अहमद जी, नई दिल्ली
21. आ. डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम जी,  बिजनौर
22. आ. अजय कुमार झा जी , सहरसा ( बिहार )
23. आ. सुरेश शर्मा जी
24. आ. रोशन कुमार झा जी ( संस्थापक / संपादक )

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मात्र - 21 रुपये
20.31


कुल पृष्ठ - 14
पृष्ठ - 1
08 जुलाई 2021 , गुरुवार , आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 59 , गुरुवार , 08/07/2021

विषय :- बरसात
विषय प्रदाता :- आ. आशीष कुमार झा जी
आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

आपका अपना
रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
[08/07, 16:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://imojo.in/8Gg0oc
[08/07, 16:07] +91 : आदरणीय रचनाकारों को तो फ्री में पढ़ने का मौका दें🙏
[08/07, 16:08] +91 : आदरणीय महोदय नमस्कार बहुत अच्छी बात कही आपने।
विनोद कुमार सीताराम दुबे
[08/07, 16:14] Roshan Kumar Jha, रोशन: पहले देते थे पर लोग इसका लाभ उठाते थे दूसरे तीसरे का रचना पैसों लेकर हमसे नि: शुल्क में प्रकाशित करवाते थे , और अधिकांश सम्मानित साहित्यकारों को जहाँ भेजने का रचना रहता है वहां भेजते नहीं है पर्सनली तो फेसबुक पर दूसरे तीसरे पोस्ट पर भेजते है , यदि कोई इतना पत्रिका पर मेहनत करें तो 10 रुपया भी नहीं ले सकता कम्पनी 15 लेते है हमें 9 रुपये मिलते है ।
[08/07, 16:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: यदि आप में से किसी को  असुविधा है तो मत प्रकाशित करवाये ।
[08/07, 20:17] +91 : नमस्कार 🙏🏻🙏🏻
[08/07, 20:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏 हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
[08/07, 20:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: आ. अजय कुमार झा जी का हार्दिक अभिनन्दन 🙏💐
[08/07, 20:19] +91 : आत्मीय अभिनंदन सहित, नमस्ते.
[08/07, 20:36] +91 : बहुत सही
[08/07, 20:37] +91 : आदरणीय महोदय नमस्कार यह अच्छा नहीं करते थे।
विनोद कुमार सीताराम दुबे शिक्षक व हिंदी प्रचारक भांडुप मुंबई महाराष्ट्र
[08/07, 20:51] +91 47: सर आपको सादर नमन
[08/07, 20:53] +91 47: मेरा कहना है जहाँ लोग गैर फायदा उठाते हो वहाँ अगर इस प्रकार का निर्णय लिया गया है।तो एक सही सोच है।( आ. प्रभात जी )
[08/07, 21:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐
[08/07, 21:12] विश्व: https://www.facebook.com/100011742030199/posts/1351330168601705/?app=fbl
बहुत बहुत आभार
[08/07, 22:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/VRHtCBzV2hg
[08/07, 22:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏 आ. शुभांगी शर्मा जी , व आ. डॉ . राजेश कुमार पुरोहित जी 🙏💐
[08/07, 22:07] आ. पूनम शर्मा जी: बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं अनेकानेक
[08/07, 22:08] +91 447: बहुत बहुत बधाई हो आ.शुभांगी शर्मा जी 🌷🌷🌷
[08/07, 22:11] +91 825: शुभांगी शर्मा जी को ढेर सारी बधाइयाँ.
[08/07, 22:54] +91  04246: आदरणीय श्री जी नमस्कार
[08/07, 22:57] आ. पूनम शर्मा जी: शुभांगी बेटा आपको बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं अनेकानेक
[08/07, 23:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://imojo.in/A7zp9o
[08/07, 23:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: अंक - 59
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो - 6290640716

साहित्य एक नज़र अंक - 59 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें -
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मात्र - 21 रुपये

जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

अंक - 59
8 जुलाई  2021
गुरुवार
आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078
पृष्ठ -  1
विशेष पृष्ठ - 7 - 21
कुल पृष्ठ -  22

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

सहयोगी रचनाकार व साहित्य समाचार -

1. साहित्य संगम संस्थान ( आ. कुमार रोहित रोज़ जी )
2. आ. शुभांगी शर्मा जी - साहित्य एक नज़र रत्न ( आ. डॉ. राजेश कुमार पुरोहित जी )
3. आ.  शुभांगी शर्मा जी - "पथ प्रदर्शक सम्मान"
4. आ. कलावती कर्वा जी
5. आ. रोशन कुमार झा
6. आ. दीनानाथ सिंह जी
7.आ. आशीष कुमार झा जी
8. आ. पूनम शर्मा जी , मेरठ
9. आ. धीरेंद्र सिंह नागा जी
10. आ. रीता झा जी - दिलीप कुमार जी को शत् शत् नमन

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
121. आ. दीनानाथ सिंह जी

साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका -
अंक - 59
8 जुलाई  2021
गुरुवार
आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078
पृष्ठ -  1
विशेष पृष्ठ - 7 - 21
( विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 3 )
कुल पृष्ठ -  22
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 3 )
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कवयित्री आ. शुभांगी शर्मा" जी सम्मानित हुई साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से -
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http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html
मात्र - 21 रुपये
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏
आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

[06/07, 09:30] Rahul Jha Jio: Hi kidar ho
[06/07, 09:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ghar par

[06/07, 17:58] आ. राजेश पुरोहित जी: बहुत बहुत धन्यवाद
[06/07, 20:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[06/07, 20:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[06/07, 20:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn
[06/07, 21:16] आ. राजेश पुरोहित जी: बहुत बहुत धन्यवाद
[06/07, 21:22] आ. राजेश पुरोहित जी: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=3263951167170118&id=100006658000204
[06/07, 21:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[07/07, 07:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद सह सादर आभार 🙏 , शुभ प्रभात 🙏💐
[07/07, 08:06] आ. राजेश पुरोहित जी: शुभ प्रभात
[07/07, 08:06] आ. राजेश पुरोहित जी: 🙏🌹
[07/07, 17:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://roshanjha1301.myinstamojo.com/product/495866/-58-07-2021-
[07/07, 18:24] आ. राजेश पुरोहित जी: 🙏🌹
[08/07, 06:53] आ. राजेश पुरोहित जी: 🙏🙏
[08/07, 08:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 शुभ प्रभात 🙏💐
[08/07, 21:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं
[08/07, 21:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: अपना भी प्रकाशित होने वाला है आज दो पत्रिका हो गई रहीं ।
[08/07, 21:04] आ. राजेश पुरोहित जी: ठीक आदरणीय
[08/07, 21:17] आ. राजेश पुरोहित जी: https://youtu.be/VRHtCBzV2hg
[08/07, 22:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: वाह शानदार 🙏 हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[08/07, 22:32] आ. राजेश पुरोहित जी: शानदार कवरेज
[08/07, 22:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/
[08/07, 22:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद 🙏💐
[08/07, 22:43] आ. राजेश पुरोहित जी: बहुत सुंदर अंक
श्रेष्ठ सम्पादन
[08/07, 22:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐

आशीष कुमार झा -
[08/07, 16:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/
[08/07, 16:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://imojo.in/8Gg0oc
[08/07, 16:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: इअ भला
[08/07, 16:53] Ashish: Achha
[08/07, 22:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद भाई 🙏🙏
[08/07, 22:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभांगी इहे छैय

[08/07, 22:20] रोहित रोज़ जी: 👍👍
[08/07, 22:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/

[08/07, 22:14] आ. पूनम शर्मा जी: कब तक प्रकाशित होगी कविता
कृपया बताएं इंतजार है अभिनंदन भाई
[08/07, 22:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: हो गई
[08/07, 22:36] आ. पूनम शर्मा जी: धन्यवाद भाई संपादक महोदय
आभार आपका, अपनी पत्रिका में स्थान देने हेतु, बड़ी बहन की दुआएं  आपके साथ है
[09/07, 08:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐

[08/07, 12:37] +91 024: 🙏🙏
[08/07, 17:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏💐
[08/07, 17:57] +91 24: जी भेजूं क्या अपनी रचना
[08/07, 18:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn
[08/07, 18:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी भेजिए

मेरी बीमारी

मेरी बीमारी तुम्हारी बेचैनी सब कुछ कह गई
चाहे तुम कुछ कहो या ना कहो आंखों की नमी, दिल की तड़प ने जगती रातों में, धड़कते दिल ने
उस भूखे इंसान की भूख ने
सब कुछ बयां कर दिया

मेरी बीमारी तुम्हारी बेचैनी सब कुछ कह गई
भीगती वर्षा में गीले कपड़ों ने
उस दर्द भरी आंखो के अश्रु ने
उस तड़प ने,उस चुभन ने
पल -पल निहारती आंखों ने सब बयां कर दिया

मेरी बीमारी तुम्हारी बेचैनी सब कुछ कह गई
उस मेरे चिखते- चिल्लाते दर्द ने आपकी बेचैन आंखों की कड़क भोहों ने
सब कुछ बयां कर दिया उस दिन
अश्रु धरती पर गिरे मेरे दुख में

मेरी बीमारी तुम्हारी बेचैनी सब कुछ कह गई
उस छोड़कर चले जाने के डर ने
उस अकेलेपन ने, उस मजबूरी ने तन्हाई के छोने ने ,उन दर्द भरी चीख ने
  समीप आकर बार-बार दर्द को बांटने ने

मेरी बीमारी तुम्हारी बेचैनी सब कुछ कह गई
उन दर्द भरी आंखों से निहारने ने सारी रिपोटो को बार- बार देखना ने  न कोई बीमारी होने पर खुशी जाहिर करना
छुट्टी वाले पल ने, उस कड़क कमांडो की
नरमी ने सब कुछ कह दिया

मेरी बीमारी तुम्हारी बेचैनी सब कुछ कह गई

सीमा रंगा
हरियाणा
स्वरचित मौलिक रचना

[08/07, 21:26] +91 : एक साथ कितनी रचना भेज सकते हैं श्रीमान जी
[09/07, 08:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक ही
यही अंक - 59 ली

[08/07, 21:16] +91 87: कृपया विश्व साहित्य संस्थान वाणी, अंक- 3 प्रकाशन का PDF भेजिए।🙏
[09/07, 08:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप लिंक से खरीदकर डाऊनलोड कर सकते है । आदरणीय श्री 🙏💐

[08/07, 20:02] +91 825: विश्व साहित्य संस्थान वाणी के अंक - 3 का सामान्य लिंक नहीं दिख रहा है.एक लिंक खरीद कर पढ़ने वाला है.
स्पष्ट करने का कष्ट करेंगे.
सधन्यवाद.
[08/07, 20:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 ई पत्रिका एक कम्पनी संचालन करैत अछि ओहे लिंक ईमेल पर भेजत
[08/07, 20:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: ककरो बतेबैय नैय , कहवैय हम कीननोऊ हेए
[08/07, 20:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn
[08/07, 20:17] +91 825: जी, सधन्यवाद आभार.
[08/07, 20:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐

[08/07, 19:54] +91 60: Hi
[08/07, 20:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: बोलिए नमस्ते 🙏💐
[08/07, 20:07] +91 : जान पहचान है क्या😛
[08/07, 20:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[08/07, 20:08] +91 : आपके नम्बर नेहा जी से लिये
[08/07, 20:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: ओह
[08/07, 20:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: कौन नेहा जी आदरणीय श्री 🙏💐
[08/07, 20:10] +91 60: पानागढ
[08/07, 20:10] +91 60: से
[08/07, 20:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[08/07, 20:10] +91 60: मै देव धनदेव 🙏🏻
[08/07, 20:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏
[08/07, 20:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn

N.D College -  Ncc

[08/07, 17:57] +91 550: *C Cert Exam Centre*
In view of the inclement weather the C Cert exams schedule on 11 Jul 21 (Sunday) will be held at North point SR Secondary Boarding School.
All to note and must be sure of the location well before 11 Jul 21.
Keeping in mind the present State of public Transport, necessary actions be taken at Cadet level to ensure reaching exam centre before/on reporting time. Detailed instructions follows .
*It is strongly recommended to use own private vehicles accompanied by parents/near relatives to be safe during pandemic situations.
[08/07, 18:17] +91 54: *NOTE  IMP UPDATE*
*The C Cert exam date has been changed from 11 Jul 21 to 25 Jul 21. Rest no change*
[08/07, 18:23] +91 50: Ye date nehi hain 25 July ko hoga
[08/07, 20:14] +91 49: B exme ka koi new update




मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान -
[08/07, 23:12] +91 01: 09/07/2021 के अभ्यास

तीन व चारि वर्णक संयुक्ताक्षरक अभ्यासक दसम  दिनक अभ्यास   👇
[08/07, 23:12] +91 : https://youtu.be/F1BHmWW-k_8



हिन्दी कविता:-12(78)
09-07-2019 मंगलवार 17:07
*®• रोशन कुमार झा
-: मैं हूँ तुम नहीं  !:-

मैं कहाँ फँस गया मालूम नहीं,
चुप हूँ पर गुमसुम नहीं!
शोर है पर धूम नहीं,
मैं हूँ पर तुम नहीं!

कुत्ता हूँ,
फटा हुआ जूता हूँ!
कटा हुआ सूता हूँ,
पर जूते में गूंथा हूँ!

किसी के पाँव में लगा हूँ,
जगा हूँ!
ठगाया हूँ पर किसी को न ठगा हूँ,
मैं तो सगा हूँ!

तो जो मैं वह तुम नहीं,
जो तुम वह मैं नहीं!
अंतर होना भी है सही,
रोशन राह का कुत्ता हूँ पर मैं भी काम आता
हूँ कहीं न कहीं!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
द्वितीय वर्ष हिन्दी आनर्स क्रमांक:-9
Sec:-H4 (Pmkvy)
Reg no:-117-1111-1018-17
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389,(कविता:-12(78)
09-07-2019 मंगलवार 17:07
सलकिया विक्रम विधालय मेन
गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार
Roshan Kumar Jha(31st Bengal
Bn Ncc Fortwilliam Kolkata-B
Reg no:-WB17SDA112047
The Bharat Scouts & Guides
Eastern Railway Howrah
Bamangachi
IGNOU-BPP-191081735
Narasinha Dutt College st John
Ambulance
SUO Samarat Ncc फोन किये!
Jio 99 recharge# Nif night Duty

शीर्षककविता:-7(011)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 7(011)
क्या निशाना लगाये!?

मेरा तीर का क्या निशाना था,
एक तरफ हम दुसरें तरफ यह जमाना था!
हालात मजबुर था,
मन में सपना सजॉ लिए थे मगर रिश्ता
ही दुर था!
कपड़ा काला,श्वेत,जबरदस्त रंग लाल था,.
सोन्दर्यता में उपमा किससे करते करने
के लिए कुछ था ही नही मगर चन्द्रमा
जैसा गोरा-गोरा गाल था!
कवि सैनिक शिक्षक विधार्थी,समस्त जीव
भरी क्षावण बंसत देखकर प्रसन्न था,
जुलाई महीना था हँसते कैसे स्थिर ही
नही मेरा मन था!
सुर्य के रोशन भी उस सुन्दरता के रोशनी
में कम था,
काले-काले बादलो के बीच स्थिर
सितारा में ही मेरा दम था!
उस सितारा का क्या निशाना था,
मुझे और कही नही हमे उसी बगिया में
जाना था!
पुजा पाठ अर्चन कहॉ जबरदस्त दर्शन था,
तारे तो कई थे मगर उसी सितारा में मेरा
आर्कषण था!
चॉकलेट खिलाये खाये नही मगर स्वाद
मिठासा था,
अरे मै देखकर इतना प्रसन्न था ,पुछो मत
क्योंकि वह परी की रानी सितारा ही
मेरे पास था!
०रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,शनिवार 00:15
07-07-2018,Ncc, Pmkvy, E.Rly,
Scouts, st john Ambulance (N.D.College)
Roshan kumar jha

शीर्षककविता;-2(012)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 2(012)
क्या लव,क्या ऐरेंज मैरेज!?

क्या लव क्या ऐरेंज मैरेज,
जहॉ प्रेम ना हो उसे मै समझता हुँ कुड़ा
की गैरेज!
मार्ग रोशन करो पलभर की स्नेह भरी
मुस्कान है झुठ,
नेहा भरी राह में सफलता की वर्षा ऑधी
तूफान जायेगा छुट!
फिर पछताओगे,
क्या बीता हुँआ वक्त दोबारा लाओगे!
छोड़ो प्यार मोहब्बत,शादी,
इसमें किसका नही हुँआ र्बवादी!
क्या माता,क्या पिता,
मुसीबत मे जीवन साथी ही बन जाती चिता!
क्युँ करूँ किसी मैरेज पर आशा,
इससे अच्छा अभी से ही क्युँ ना बना
लुँ अकेलापन की परिभाषा!
लव हो या ऐरेंज मैरेज सभी देंगे
एक दिन छोड़,
क्युँ ना रिश्ता बनने से पहले ही दुँ उस
रिश्ते को तोड़!
सोहरत ऐसा ही रहे लोग हमे चॉहे,
किस्मत ऐसा ही हो कि हम किसी
के प्रेम ना पाये!
कभी करूँगा नही मैरेज,
ऐ दुनिया कसम कहो या कुछ भी कहो
यह मेरा है चैलेंज!?
०रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
08-09-2017शुक्रवार17:20
मो:-6290640716 कविता-2(012)
Chandan institute Bamangachi
Eastern Railways Scouts Howrah
Roshan kumar jha
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B Reg no:-WB17SDA112047
St john Ambulance




[09/07/2021 , शुक्रवार
आ. कवयित्री आ. शुभांगी शर्मा" जी सम्मानित हुई साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से वाला वीडियो अंशु jio से डाउनलोड करके भेजा फिर पूजा को भेजें , भविन्द्र बाबा आये मिली पापा लोन वाला 1700 लेकर हम दादी को 1100 दिए आज पूजा पापा का रिपोर्ट पटना में ।

05:55 उठे 07:40 लाल चाय पीए
महादेव - 400 हम आनंदी - 500 , दाई - 200 , अंशु आनंद - 500 = 1600 , 07:41
एक एक करके
एक पंक्ति में दस , और पाँच पंक्ति होता है ऊपर से जनेऊ के लिए एक ।
3100 बनें महादेव
आनंद अंशु - 1000
आनंदी        - 1000
दादी फूल देवी - 600
हम - रोशन  -      500
कुल - 3100


08/07, 17:51] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: आई वाला आबी गेल
[08/07, 17:51] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: Ki
[08/07, 17:52] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: भेज देब
[08/07, 17:59] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: बहुत बहुत धन्यवाद भाई
[08/07, 19:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏 भाई जी 🙏
[08/07, 20:10] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: बहुत बहुत धन्यवाद

N.D.College - Ncc
[08/07, 17:57] +91 : *C Cert Exam Centre*
In view of the inclement weather the C Cert exams schedule on 11 Jul 21 (Sunday) will be held at North point SR Secondary Boarding School.
All to note and must be sure of the location well before 11 Jul 21.
Keeping in mind the present State of public Transport, necessary actions be taken at Cadet level to ensure reaching exam centre before/on reporting time. Detailed instructions follows .
*It is strongly recommended to use own private vehicles accompanied by parents/near relatives to be safe during pandemic situations.
[08/07, 18:17] +91 4: *NOTE  IMP UPDATE*
*The C Cert exam date has been changed from 11 Jul 21 to 25 Jul 21. Rest no change*
[08/07, 18:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: 11 ko exam hai kya senior
[08/07, 18:18] +91 54: .

[08/07, 14:52] डॉ पल्लवी जी: "बरसात के लिए दो शब्द "

आओ बरखा;
राह देख रहे सूखे पेंङ, प्यासी धरती;
बाट जोह रहे ,,,खङी फसलें,,
सूखे जलाशय,,,वन की लताऐं,,,
सब तेरी राह तक रहे;
तृप्त करो अब इनको;
कि कब से तेरी राह तक रहे।
तू अब समय पर क्यूं आती नहीं;
झमाझम बारिश में सबको भिगोती नहीं,,,
तू अब पहले सी इठलाती नहीं!!

बरसात की बात निराली है!!
बहती हवाऐं मतवाली हैं;
झूमते पेङ,,चिडियों की कतारें
रंग विविध के लुढकते..घुमङते बादल,,
हरियाली ही हरियाली.....
कागज की वो  नाव
बरसात के गड्ढों में;
बहाते खिलखिलाते बच्चे ....
घुटनों भर पानी में बेमतलब का आना जाना!

देखो बरखा तुम रूठ न जाना।
हमने तुम्हें सहेजा नहीं,
व्यर्थ तुम्हें बहने दिया;
भू-गर्भ  जल भी खाली किया,,,
तुम नेमत बन कर हर साल आती हो,
मन से धरा  तक
सबको तृप्त कर जाती हो।

हम भी प्रण अब करते हैं
इन्हें व्यर्थ न बहने देंगे,
अब छोटे-छोटे गड्ढों में हम जल का संचय करेंगे;
जहां दिखेगें पेङों की झुरमुट ;
क्यारियां हम बनाएअंगे;

छत पर इकट्ठे  जल धरती में जाकर
धरा को सूखने से बचाएंगे।
बरसात के पानी से अपनी धरती को
बंजर होने से बचाएंगे।
अपनी धरती को बरसात के जल से उर्वरा हम बनाऐंगे;
बरसात के जल को यूं ही न बहने देंगे।

   ✍डॉ पल्लवी कुमारी"पाम "
        संपादक "विश्व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक पत्रिका
        पटना,बिहार
[08/07, 15:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज की अंक प्रकाशित हो गई दीदी जी 🙏💐
[08/07, 15:50] डॉ पल्लवी जी: आपने पहले ही कर दिया,अमूमन तौर पर शामिल में किया करते थे।
[08/07, 15:50] डॉ पल्लवी जी: मुझे प्रकाशित अंक भेज दें।
[08/07, 16:01] डॉ पल्लवी जी: शुक्रिया भाई।
[08/07, 16:02] डॉ पल्लवी जी: एक बात बतायेंगे ,ये मैं लिखती तो सब एक समान हूं, फिर ये आगे पीछे क्यूं प्रिंट होने पर हो जाती है?
[08/07, 16:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: सेटिंग करने पर ऐसा हो जाता है दीदी जी 🙏💐
[08/07, 16:05] डॉ पल्लवी जी: क्या इसको सही करने का तरीका है?आप बतायें तो मैं वैसे ही कोशिश करूं।
[08/07, 17:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: देखते है

[05/07, 08:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/blyv/
[05/07, 08:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां से तो कोई शुल्क नहीं आयेगी हम अपलोड कर दिए है , यदि आप सहमत है तो शेयर कर सकते है , किसी भी तरह की यदि समस्या हो तो बतायेगा फिर हम हटा देंगे । धन्यवाद सह सादर आभार 🙏 गुरु जी

आपका अपना

रोशन कुमार झा
[05/07, 08:13] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: कोई शुल्क नहीं है मित्र।अच्छी रचना जितना प्रचारित हो, ठीक ही है
[05/07, 08:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐 गुरु जी 🙏💐
[08/07, 16:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/
[08/07, 16:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , साप्ताहिक पत्रिका
अंक - 3 , रचना से सहयोग करने वाले सम्मानित रचनाकार -

1. विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
2. डॉ. पल्लवी कुमारी पाम जी ( संपादकीय )
3. रोशन कुमार झा ( संपादकीय )
4. आ. राम चन्दर आज़ाद जी , उत्तर प्रदेश
5.आ. मानसी मित्तल जी ,  बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश
6. आ. देश दीपक जी उत्तर प्रदेश
7. आ. आशीष कुमार झा जी
8. आ. कैलाश चंद साहू जी, बूंदी , राजस्थान
9. आ. सोनू विश्वकर्मा  जी
10. आ. केशव कुमार मिश्रा जी , मधुबनी , बिहार
11. आ. नेहा चितलांगिया जी , मालदा , पश्चिम बंगाल
12. आ.  डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह जी
"सहज़" हरदा मध्यप्रदेश,
13. आ. कीर्ति रश्मि नन्द जी
14. आ.  अशोक शर्मा जी , कुशीनगर,उ.प्र
15. आ. डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल' जी
धामपुर उत्तर प्रदेश
16. आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी, दिल्ली
17. आ. दिनेश कौशल जी , दरभंगा , बिहार
18. आ. गणेश चन्द्र केष्टवाल जी ,  उत्तराखंड
19. आ. प्रेम लता कोहली जी
20. आ.  तबरेज़ अहमद जी, नई दिल्ली
21. आ. डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम जी,  बिजनौर
22. आ. अजय कुमार झा जी , सहरसा ( बिहार )
23. आ. सुरेश शर्मा जी
24. आ. रोशन कुमार झा जी ( संस्थापक / संपादक )

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कुल पृष्ठ - 14
पृष्ठ - 1
08 जुलाई 2021 , गुरुवार , आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 59 , गुरुवार , 08/07/2021

विषय :- बरसात
विषय प्रदाता :- आ. आशीष कुमार झा जी
आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

आपका अपना
रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
[08/07, 16:43] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: धन्यवाद भाई रोशन जी
[08/07, 16:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏 गुरु जी 🙏💐

[08/07, 13:44] प्रमोद ठाकुर: आज भेज दीजिये
[08/07, 13:44] प्रमोद ठाकुर: प्रकाशक को भेजना है
[08/07, 15:33] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी आप के फ़ोन पे मै 5000/- रुपए है।
[08/07, 15:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम ये सब उपयोग नहीं करते हैं सर जी , एकाउंट में होगा भी पर मैं तो अभी गांव में आया हूं
[08/07, 15:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई बात क्या
[08/07, 15:35] प्रमोद ठाकुर: चलिये कोई बात नहीं

व्हाट्सएप ग्रुप सिर्फ एडमिड करने के लिए स्कीन शार्ट भेजें -
फोन भी किए रहें ।

[07/07, 21:47] +91 18: 🙏🏿🙏🏿 नमस्कार

मुझे आपका नंबर आदरणीय कलावती करवा षोडश कला जी ने दिया है।

मैं आरती तिवारी सनत दिल्ली से आपका हार्दिक धन्यवाद है।
पिता पर मेरी रचना को जगह मिला आपके अंक में🙏🏿🙏🏿
[07/07, 21:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏 दीदी जी 🙏

[07/07, 19:25] अमित नव साहित्यकार: hello
[07/07, 19:25] अमित नव साहित्यकार: अमित कुमार बिजनौरी
[07/07, 19:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी नमस्ते 🙏💐
[07/07, 23:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://roshanjha1301.myinstamojo.com/product/495866/-58-07-2021-

[07/07, 22:15] +91 आ. रीति झा जी 55: काल्हि प्रकाशित भ सकतै की रोशन जी!!
[07/07, 22:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां दीदी जी 🙏💐
[07/07, 22:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn




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[09/07, 06:44] आ. राजेश पुरोहित जी: 🙏🌹
[09/07, 06:46] आ. पूनम शर्मा जी: शिवांगी जी को बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं अनेकानेक
[09/07, 07:09] आ. राजेश पुरोहित जी: शुभांगी शर्मा
[09/07, 08:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐

[08/07, 20:40] ज्योति दीदी जी: अर्चना तिवारी जी की रचनाएं ☝️☝️
[08/07, 20:41] ज्योति दीदी जी: छै लोगों की रचनाएं यहां पर है
[08/07, 20:42] ज्योति दीदी जी: रोशन की रचना रोशन के पास है

दीप्ति

तुम्हारी और रीता दीदी की रचना तुम्हारे पास है।
[08/07, 20:42] ज्योति दीदी जी: हमारे ख्याल से हमारा काम पूरा हो गया ।

अगर कुछ बाकी लग रहा है तो प्लीज तुम दोनों बताओ।
[08/07, 22:03] +91 91100 47827: Page no. Or shrishti di ka parichay
[08/07, 22:36] ज्योति दीदी जी: पेज नंबर

रौशन भाई खुद लगा लेगा
[08/07, 22:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[09/07, 07:45] ज्योति दीदी जी: सुप्रभात

रौशन
और

दीप्ति

खूब खुश रहो।

खुशी-खुशी इस काम को आगे बढ़ाओ। जल्दी से आज-कल में इसे पूरा कर दो।

ताकि
छापने वाले को लिंक दे कर बात किया जा सके।







अंक - 59
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो - 6290640716

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जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

अंक - 59
8 जुलाई  2021
गुरुवार
आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078
पृष्ठ -  1
विशेष पृष्ठ - 7 - 21
कुल पृष्ठ -  22

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

सहयोगी रचनाकार व साहित्य समाचार -

1. साहित्य संगम संस्थान ( आ. कुमार रोहित रोज़ जी )
2. आ. शुभांगी शर्मा जी - साहित्य एक नज़र रत्न ( आ. डॉ. राजेश कुमार पुरोहित जी )
3. आ.  शुभांगी शर्मा जी - "पथ प्रदर्शक सम्मान"
4. आ. कलावती कर्वा जी
5. आ. रोशन कुमार झा
6. आ. दीनानाथ सिंह जी
7.आ. आशीष कुमार झा जी
8. आ. पूनम शर्मा जी , मेरठ
9. आ. धीरेंद्र सिंह नागा जी
10. आ. रीता झा जी - दिलीप कुमार जी को शत् शत् नमन

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
121. आ. दीनानाथ सिंह जी

साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका -
अंक - 59
8 जुलाई  2021
गुरुवार
आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078
पृष्ठ -  1
विशेष पृष्ठ - 7 - 21
( विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 3 )
कुल पृष्ठ -  22
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( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 3 )
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कवयित्री आ. शुभांगी शर्मा" जी सम्मानित हुई साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से -
https://youtu.be/VRHtCBzV2hg

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मात्र - 21 रुपये
20.31

हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏
आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 )
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मधुबनी - 1
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साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
अंक - 1

सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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अंक - 54 से 58 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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अंक - 49 से 53
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अंक - 45 - 48
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 59 ,  गुरुवार
08/07/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 59
Sahitya Ek Nazar
08 July ,  2021 , Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

_________________

रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई





कविता :- 20(46) , शनिवार , 03/07/2021 , अंक - 54

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2046-03072021-54.html

http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

अंक - 55
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/55-04072021.html

कविता :- 20(47) ,
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2047-04072021-55.html

अंक - 56
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/56-05072021.html

कविता :- 20(48)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2048-05072021-56.html

अंक - 57
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/57-06072021.html

कविता :- 20(49)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2049-06072021-57.html

अंक - 58
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/58-06072021.html

कविता :- 20(50)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2050-07072021-58.html

साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 59

http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक पत्रिका
अंक -3
http://vishshahity20.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

अंक - 2
http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(51)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2051-08072021-59-3.html

कविता :- 20(52)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2052-0972021-60.html

अंक - 60

http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/60-09072021.html


अंक - 53
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
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अंक - 57

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अंक - 58
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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
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अंक - 59
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साहित्य एक नज़र , अंक - 59 , गुरुवार , 08/07/2021 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी, अंक - 3

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पृष्ठ - 1
08 जुलाई 2021 , गुरुवार ,
आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078



अंक - 59
8 जुलाई  2021
गुरुवार
आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078
पृष्ठ -  2

साहित्य संगम संस्थान पंचम वार्षिकोत्सव पर कार्यक्रम संयोजक आ. कुमार रोहित रोज ने जताया आभार...

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के स्वर्णिम पंचम वार्षिकोत्सव को चार दिन बहुत धूम धाम से मनाया गया। कार्यक्रम के संयोजक राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आ.कुमार रोहित रोज जी ने बताया कि यह कार्यक्रम सबके लिए चार दिन का था किंतु उनके लिए पिछले 15 दिन इसी में निकले कि किस प्रकार इस उत्सव को ऐतिहासिक बनाया जाए | कुमार जी ने कार्यक्रम की रूप रेखा बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष आ. राजवीर सिंह मंत्र जी से स्वीकृति ली। राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को संशय था कि इतना वृहत कार्यक्रम कैसे सफल होगा। किंतु कुमार जी को अपने संयोजन पर भरोसा था। फलतः चारों दिन उत्सव मनाने का उत्साह कम नहीं हुआ। कार्यक्रम में चार चांद लगाने हेतु देश विदेश के गणमान्य साहित्यकार मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे। अंतर्राष्ट्रीय कवि डॉ राकेश सक्सेना जी , आ.अशोक चौधरी जी पूर्व न्यायाधीश ,आ.प्रशांत करण जी पूर्व आई पी एस अधिकारी,आ.नरेश द्विवेदी, आ. छगनलाल गर्ग विज्ञ जी, आ.घनश्याम सहाय जी प्रसिद्ध व्यंग्यकार, आ.मीना भट्ट जी पूर्व न्यायाधीश, डाॅ. वाचस्पति कुलवंत जी संस्थापक डी ए वी स्कूल्स ,आ.शैलेंद्र खरे सोम जी,आ.सुमेश सुमन जी सुविख्यात कवि,आ.छगन लाल मुथा जी (आस्ट्रेलिया), प्रो.(डाॅ.) अनूप प्रधान जी जैसे आदि की उपस्थिति सफलता को खुद बयां करती है। कार्यक्रम को चार दिनों में विभाजित किया गया। प्रत्येक दिवस को विशिष्ट नाम देकर खूबसूरती दी गई। प्रथम दिवस 'उत्कर्ष', द्वितीय दिवस 'परिकल्पना', तृतीय दिवस 'नज़रिया', चतुर्थ दिवस क्षितिज व इनके संचालन को भी रचनात्मक तरीके से आकार दिया। डाॅ. विनोद वर्मा दुर्गेश जी, डाॅ. दवीना अमर ठकराल जी, आ.जय श्रीकांत जी एवं आ.वंदना नामदेव राजे जी ने बेहद शानदार संचालन क्रमश: किया|  कार्यक्रम को चार दिन रखने का मकसद ही था कि संगम का हर एक कवि शायर, लेखक, रचनाकर इसमें भाग लेकर संगम को आत्मसात कर सके। जैसा सोचा था वैसा ही हुआ भी। 2 जुलाई से भावों का सैलाब ऐसा उमड़ा की चार दिन तक थमने का नाम ही नहीं लिया। देश विदेश के रचनाकारों आ.अर्चना श्रीवास्तव (मलेशिया), आ.छगन लाल मुथा (ऑस्ट्रेलिया), आ.अनिता सुधीर आख्या (अमेरिका) ने भाग लेकर अपना उत्साह दिखाया। जैसे जैसे कार्यक्रम आगे बढा साहित्यकारों का जोश भी बढता दिखा। प्रत्येक दिवस के अतिथियों को अभिनंदन पत्र वंदना करने वालों व प्रतिभाग करने वालों को बेहद खूबसूरत सम्मान पत्र दिये गये। जिन्हे पाकर साहित्यकारों की खुशी का ठिकाना न रहा। इस वार्षिकोत्सव में 500 से अधिक साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।प्रतिदिन कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना, गणेश वंदना, गुरु वंदना, संगम गीत, भजन आदि से हुई जिससे उत्सव का मौहल संगीतमय हो जाता था तत्पश्चात राज्य की इकाइयों के अध्यक्षों के उद्बोधन, सचिवों के आलेख, पंच परमेश्वर की रचनाएं, अलंकरणकर्ताओं के एक से एक सुंदर अलंकरण से मंच दुल्हन की भांति दिखाई दिया। वार्षिकोत्सव की कवरेज के लिए मीडिया सहयोगियों का भरपूर सहयोग मिला जिन्होनें प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं छोडी। देश भर के 12 पत्रकारों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। अंतिम दिन जिनका हृदय से आभार व श्रेष्ठ पत्रकार सम्मान से सम्मानित किया गया। समस्त मीडिया सहयोगियों से भविष्य में सहयोग की हार्दिक इच्छा भी जताई। कुमार जी ने राष्ट्रीय सह अध्यक्ष आ.मिथलेश सिंह मिलिंद जी का हार्दिक आभार व्यक्त किया जिन्होंने प्रतिदिन समाचार बनाकर पत्रकारों को दिए जिससे प्रतिदिन का उत्साह जन जन तक पहुंच पाया। कुमार जी ने साहित्य संगम संस्थान के कर्णधार राष्ट्रीय अध्यक्ष आ. राजवीर सिंह मंत्र जी के संबल और हौसलाअफजाई की भूरि भूरि प्रशंसा की जिनके मार्गदर्शन से ही यह कार्यक्रम संयोजित होकर ऐतिहासिक बना। अंत में उन्होंने संपूर्ण साहित्य संगम संस्थान का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सबके सहयोग, लगन, समर्पण ने ही पंचम वार्षिकोत्सव को शानदार बनाया। यह वार्षिकोत्सव किसी भी मंच का सर्वाधिक प्रसिद्ध और सफलतम समारोह रहा। इसके लिए हर सहयोगी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष बधाई के पात्र हैं।

✍️ आ. कुमार रोहित रोज़ जी
कार्यकारी अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

शुभांगी साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से सम्मानित

कोलकाता :- पश्चिमी बंगाल कोलकाता से प्रकाशित समाचार पत्र दैनिक साहित्य एक नज़र में अंक 58 में श्रेष्ठ काव्य रचना प्रकाशित कर समाचार पत्र की ओर से भवानीमंडी जिला झालावाड राजस्थान की सुप्रसिद्ध बाल कवयित्री शुभांगी शर्मा को साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से बुधवार को कोलकाता से ऑनलाइन रोशन कुमार झा ने सम्मानित किया। शुभांगी कवयित्री चित्रकार व श्रेष्ठ मंच संचालक भी  है।वह वर्तमान में भवानीमंडी शहर के बथेल सेकेंडरी स्कूल में कक्षा नवीं की छात्रा है। उन्होंने छोटी सी उम्र में अपनी मेहनत व लगन से राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य जगत में नाम रोशन किया है। उनकी कविताओं के प्रमुख विषय राष्ट्रभक्ति पर्यावरण देश सेवा स्वच्छता रहते हैं। वे कविताओं से समाज मे व्याप्त बुराइयों कुरीतियों को मिटाने हेतु जन जागरण का काम कर रही हैं। कोरोना काल मे उन्होंने दिल्ली की साहित्य संगम संस्थान के फेसबुक मंच पर ऑनलाइन काव्यपाठ किया है। बुधवार को उन्होंने हिंददेश परिवार विश्व बंधुत्व कविता की आवाज़ पेज पर भी शानदार काव्य पाठ किया है। उन्हें कई रचनाकारों ने ऑनलाइन बधाई दी है।

बाल कवयित्री शुभांगी शर्मा"पथ प्रदर्शक सम्मान" से सम्मानित -

डिब्रूगढ़ ,असम :- भवानीमंडी जिला झालावाड राजस्थान की बाल कवयित्री शुभांगी शर्मा को देश की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक संस्थान हिंददेश परिवार के फेसबुक पेज हिंददेश परिवार विश्व बंधुत्व कविता की आवाज पर सकारात्मक काव्यपाठ हेतु "पथ प्रदर्शक सम्मान" से बुधवार को सम्मानित किया गया। बाल कवयित्री शुभांगी शर्मा ने बताया कि उन्हें  यह सम्मान डॉ. अर्चना पांडेय अर्चि राष्ट्रीय अध्यक्षा एवम संस्थापिका हिंददेश परिवार हरकिशोर परिहार राष्ट्रीय काव्य आयोजक अमरजीत सिंह राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी ने प्रदान किया। शुभांगी बथेल सेकेंडरी स्कूल भवानीमंडी में कक्षा 9 की छात्रा है। उन्होंने छोटी सी उम्र में ही राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय स्तर पर  भवानीमंडी शहर का  नाम साहित्य जगत में रोशन किया है । शुभांगी देश के सुप्रसिद्ध कवि एवम साहित्यकार डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित की सुपुत्री है। शुभांगी श्रेष्ठ मंच संचालक कवयित्री व चित्रकार है  वे साहित्य व पेंटिंग के माध्यम से समाज मे व्याप्त कुरीतियों को समाप्त के जन जागरण का कार्य कर रही है।कोरोना काल मे उन्होंने पढ़ाई के साथ साथ साहित्य के क्षेत्र को चुना है।

सावधानी

तुम नवयौवना बन
न इतराओ,
सामने खड़ा
आमिर खान है
जो खा जाएगा
तुम्हारे पन्द्रह साल,
तुम्हें किरण राव बना
छितरा देगा,
कैरम की गोटि़यों सा
बिखेर देगा,
संभलो ! सोचो !
सावधानी हटी, दुर्घटना घटी,
जो किक कर सकता है
किसी एक को, वो
तुम्हें क्यों नहीं ?
अपनाते वक्त बनायेगा
ध्रुव तारा  तुम्हें,
तुम बहकावे में आ जाओगी
और फिर बिखेर देगा
तिल तिल कर,,,,
समेटना बड़ा मुश्किल है
उन बिखरे हुए लम्हों को,
आज के समाज का
ज्वलंत सच,
जिसपर मोहर लगा रहे हैं
फिल्म अभिनेता , अभिनेत्री..

✍️ पूनम शर्मा , मेरठ

पर्वत प्रदेश में पावस पर कविता

पावसी बूंदे पड़ते ही पर्वत झूमने है लगते..
पेड़  पौधे  फूल  सभी  मुस्कुराने  है लगते ..
चट्टानों पर छा जाती है चाहुओर हरियाली
मानो उपवन में कोई मोर नाचने है लगते।
रिमझिम बूंदें है गाती  भीगती है चोटियां...
छनन छनन खलल खलल गाती है नदिया ...
झूमे मस्ती में पर्वत, पहाड़ और चोटिया
जैसे झीलो में नग्न होके नहाती है गोपियां।
अंबर जब है टूटने लगता पर्वत है डरने लगता...
अश्कों से समंदर भर जाता नर जब रोने लगता....
वर्षा ऋतु जब आती है बादल है फटने लगते
तब  व्यथित मानव  त्राहि-त्राहि है करने लगता ।

कवि  ✍️ धीरेंद्र सिंह नागा
जवई ,तिलहपुर ,कौशांबी
     उत्तर प्रदेश

हम

हम सब मिलकर करेगें देश हित अच्छा काम।
जिस से ऊँचा पूरे विश्व में भारत देश का नाम।
अपनी कलम से हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार।
साहित्य द्वारा अभियान चलाएं हर कलमकार।
स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ यह अभियान।
स्वदेशी उत्पादनों से बनाएयेगें अपनी पहचान।
अपने देश की कलाकारी अद्भुत सुंदर मनोरम।
बढ़ावा देगे पर्यटन देश में ही भ्रमण करेंगे हम।
अपनी संस्कृति,संस्कारों को देगे हम महत्व।
तभी बचा पाएगें अपने संस्कृति का अस्तित्व।
जङी बुंटी आयुर्वेद ऋषि मुनियों की खोज।
हवन, ध्यान, योग प्राणायाम करेंगे हम रोज।
हम ही है भावी पीढ़ी के भविष्य का कर्णधार।
युवा ही होगे नवभारत का नवीन सृजनहार।
अपनी क्षमता का उपयोग नित नया अविष्कार।
अपने देश में ही करेगे हम वैज्ञानिक चमत्कार।
हम क्या थे क्या हो गए खुद में सिमटकर रह गए।
आधुनिक बनने की होड में अपनों से दूर हो गए।
मैं से हम बन दिखाना एकता की शक्ति का दम।
पूरे विश्व में भारतवासी हम,नहीं किसी से कम।
मन संकल्प देश भक्ति पराकाष्ठा की सीमा पर।
पूरे विश्व में भारत का नाम करेगे सब मिलकर।

✍️ कलावती कर्वा



कविता - मनभावन सुबह "

सूरज  की  किरणें  जब  आतीं ,
भग जाता  जग  से  अंधियारा ।
जाते   जग   तन्द्रा   से    प्राणी,
हो   जाता   हरसू    उजियारा ।
खिल जातीं पुष्पों की कलियां,
हरसू " बू"  उनकी   भर  जाए ,
चहके   पंछी  तरू   डालों   पे,
जैसे   कोई   सुर   पंचम  गाए ,
वन, बाग , तड़ाग औ  गिरिवर ,
लगते  जैसे   अति   सुखियारा_
जाते   जग   तन्द्रा  से   प्राणी_
कल-कल जलध्वनि भी सरिता के ,
अपने  मन  को  रे  अति  भाए ,
रह-रह  के  मन्द  पवन  प्यारा ,
अपने  जी  को  सुख   पहुंचाए,
लगती धरती  भी  अति  सुन्दर,
हो  जैसे  प्रिय  नभ   का तारा_
जाते  जग   तन्द्रा   से   प्राणी_
नर,  नारी,  बालक   औ   बूढ़े ,
सब   खुश    तब    तो   आएं ,
मिलते- जुलते   इक  दूजे   से,
अपने   कर्मों   में   लग   जाते,
हैं  इतना  कहे   औ   ऐ  साथी,
लगता  जग  सुन्दर  ही   सारा_
जग   जाते   तन्द्रा   से   प्राणी_

✍️ दीनानाथ सिंह
उपनाम :- " व्यथित बलियावी"
ग्राम : रघुनाथपुर जनपद : बलिया
उत्तर प्रदेश , भारत

नमन 🙏 :-
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
कविता - बरसात

खेत भी है पानी के साथ ,
प्रकृति भी कर रही है बात ।
किसान भाई रोप रहें है धान
चलाकर अपना हाथ ,
देखो-देखो आ गये बरसात ।।
बरसात में ही डूबने
लगते पोखर के घाट ,
भंयकर होती
बरसात की रात ‌‌।
लेकर आती नव प्रभात ,
कोई और नहीं
यही बरसात ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(51)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
08/07/2021 , गुरुवार
✍️ रोशन कुमार झा
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 59
Sahitya Ek Nazar
07 July 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

⛈️☔🌅 मैं बारिश हूँ - 🌅🌦️🌧️

मैं बारिश , मैं हूँ परेशान
क्या करूँ
कुछ समझना और मानव के मन
के बात मानव ही जाने
मैं कैसे पहचानूँ ।
जब हो गर्मी ज्यादी तो मुझे बुलाते ,
खेत में हो सुखा तो पूजा पाठ कराते ।
फिर भी मैं न आऊँ तो उदास हो जाते ,
जब बिहार की ओर आऊँ तो
दिल्ली वाले मुझे बुलाते ,
जब दिल्ली जाऊँ तो दिल्ली
वाले परेशान हो जाते ,
परन्तु बच्चों को मैं हूँ पसंद
मेरी पानी में खूब नहाते ,
खेलते तरह - तरह के खेल
और मेरी धारा में नाव बहाते ।।

✍️  आशीष कुमार झा

दिलीप कुमार जी को शत् शत् नमन 🙏

हर दिल अज़ीज़ दिलीप कुमार चला गया।
जिंदगी देख आज तेरा अदाकार चला गया।
पर्दे पर जिसको देख दिल बाग-बाग होता था
आज वह महान, जीवन्त फनकार चला गया
जाने किस किस रूप में नहीं देखा था उनको
आज जग से वह बेहतरीन किरदार चला गया
जिसकी अदाओं की दीवाने थे पूरी दुनिया में।
आज वह दीवानों को छोड़ उस पार चला गया।।
खुदा ने बहुत ही नेक इंसान जग में दिया था।
हासिल करके पूरे जहां का प्यार चला गया।।
शख्सियत जिसकी काबिले तारीफ थी जहां में।
उस जहां पर करने अपना उपकार चला गया।।
जग की "रीत' है आया है सो इक दिन जाएगा।
रोता छोड़कर आज वो ,  संसार चला गया।।

✍️ रीता झा


विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , साप्ताहिक पत्रिका
अंक - 3 , रचना से सहयोग करने वाले सम्मानित रचनाकार -

1. विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
2. डॉ. पल्लवी कुमारी पाम जी ( संपादकीय )
3. रोशन कुमार झा ( संपादकीय )
4. आ. राम चन्दर आज़ाद जी , उत्तर प्रदेश
5.आ. मानसी मित्तल जी ,  बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश
6. आ. देश दीपक जी उत्तर प्रदेश
7. आ. आशीष कुमार झा जी
8. आ. कैलाश चंद साहू जी, बूंदी , राजस्थान
9. आ. सोनू विश्वकर्मा  जी
10. आ. केशव कुमार मिश्रा जी , मधुबनी , बिहार
11. आ. नेहा चितलांगिया जी , मालदा , पश्चिम बंगाल
12. आ.  डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह जी
"सहज़" हरदा मध्यप्रदेश,
13. आ. कीर्ति रश्मि नन्द जी
14. आ.  अशोक शर्मा जी , कुशीनगर,उ.प्र
15. आ. डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल' जी
धामपुर उत्तर प्रदेश
16. आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी, दिल्ली
17. आ. दिनेश कौशल जी , दरभंगा , बिहार
18. आ. गणेश चन्द्र केष्टवाल जी ,  उत्तराखंड
19. आ. प्रेम लता कोहली जी
20. आ.  तबरेज़ अहमद जी, नई दिल्ली
21. आ. डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम जी,  बिजनौर
22. आ. अजय कुमार झा जी , सहरसा ( बिहार )
23. आ. सुरेश शर्मा जी
24. आ. रोशन कुमार झा जी ( संस्थापक / संपादक )

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पृष्ठ - 1
08 जुलाई 2021 , गुरुवार , आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 59 , गुरुवार , 08/07/2021

विषय :- बरसात
विषय प्रदाता :- आ. आशीष कुमार झा जी
आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

आपका अपना
रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 )
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मधुबनी - 1
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सम्मान पत्र - 79 -
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कविता :- 20(46) , शनिवार , 03/07/2021 , अंक - 54

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कविता :- 20(47) ,
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2047-04072021-55.html

अंक - 56
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कविता :- 20(48)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2048-05072021-56.html

अंक - 57
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कविता :- 20(49)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2049-06072021-57.html

अंक - 58
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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक पत्रिका
अंक -3
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कविता :- 20(51)

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
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अंक - 57

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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक - मासिक पत्रिका , अंक - 3

साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई )

08 जुलाई 2021 , गुरुवार , आषाढ़ कृष्ण 14 संवत 2078

पृष्ठ -   , कुल पृष्ठ -

- 2 -
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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी अंक - 3

संपादकीय

माँ सरस्वती विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक पत्रिका को नमन करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏 । जैसे कि आप सभी जानते है साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है , इसी पत्रिका के इकाई विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी व मधुबनी इकाई से प्रकाशित होने वाली মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर दोनों साप्ताहिक पत्रिका है , মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर साप्ताहिक पत्रिका मंगलवार को जो प्रकाशित होती रही उसे मासिक पत्रिका के रूप में स्थानांतरित किया गया है , इस पत्रिका में मैथिली भाषा के रचनाओं, मिथिलांचल के संस्कृति व कलाओं को प्रकाशित किया जाएगा , इसी के साथ विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी गुरुवार साप्ताहिक पत्रिका को भी मासिक पत्रिका के रूप में
स्थानांतरित किया गया है । जो हर महीने के प्रथम सप्ताह के वृहस्पतिवार को प्रकाशित किया जाएगा ।
अब करते है बात , विषय है बरसात  , जी हाँ इस वक्त मैं कर्मभूमि कोलकाता से जन्मभूमि मधुबनी मिथिला बिहार में आया हूँ , जब से आया हूँ तब से बरसात से मुलाक़ात हो ही रहा है ।  समय के साथ हर मौसम सुहाना लगता है , गर्मी में गर्मी , वर्षा में बरसात होना स्वाभाविक है , किसान भाईयों प्रकृति, जीव जंतु बरसात का इस समय स्वागत कर रहे है । अंक - 2 में आप सभी सम्मानित साहित्यकारों ने कोरोना विषय पर सृजन किए रहें इसी के साथ अंक - 3 में सम्मानित साहित्यकारों द्वारा बरसात के विभिन्न रूपों का वर्णन अपने शब्दों से किए हैं जो पठनीय है । अतः आप सभी सम्मानित पाठकों से आग्रह है एक बार विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक पत्रिका गुरुवार अंक - 3 अवश्य पढ़ें ।

आपका अपना

✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
साहित्य एक नज़र
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका , अंक - 59
08/07/2021 , गुरुवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी / मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

#नमन मंच#
विषय- बरसात का मौसम
विधा-कवित्त
दिनाँक-06/07/2021
स्वरचित,मौलिक एवम प्रकाशनार्थ।
कवित्त-
बरसा ऋतु

बादल गरज रहे मगन गगन बीच ,
देखि-देखि धरती के उर हुलसाई है ।
काले, भूरे, श्वेत रंग सोहत है जाके अंग ,
चहुँ दिश शीतल पवन पुरवाई है ।।
कहत 'आजाद' मोर शोर वन करि रहे,
मानो बरसा की धुनि कानन सुनाई है ।।
उर में उमंग लिए छवि को निरखती है ,
साजन मिलन की सुहानी ऋतु आई है ।।
जल की फुहारें टिप टिप कर भूमि गिरे।
धरती वसन हरे पहन सुहाई है।
दादुर तडाग तट  टर्र टर्र करि रहे।
झींगुरों ने झन झन राग अलपाई है।
कहत अज़ाद धान रोपि रहे नर नारी,
गीत गाती सबन के मन हुलसाई है।
हँसती हँसाती काम करती है ऐसे मानो।
जैसे उन्हें काम से प्रीति होय आई है।।

✍️ राम चन्दर आज़ाद
पता-अम्बेडकर नगर , उत्तर प्रदेश
पिन-224230
मोबाइल संख्या -8887732665

नमन मंच
#साहित्य_एक_नजर

विषय #बरसात
शीर्षक-#आओ_रे_बरसो_मेघा_प्यारे,
दिनाँक 6.7.2021
अंक 3

आओ रे बरसो मेघा प्यारे,

घुमड़ घुमड़ कर बदरा कारे।
धरा तपिश से हो रही व्याकुल,
वन उपवन वर्षा को आतुर।
ठंडी ठंडी वर्षा की बूंदों से,
भूमि को तुम शीतल कर दो।
आओ रे ....
तुम बिन खेत खलियान हैं सूखे,
क्यों तुम हो कृषक से रूठे??
ढूंढ रही हैं प्यासी अखियाँ ,
इन अखियों की प्यास बुझा दो।
आओ रे ..
चातक ,पक्षी ,मोर, पपीहा,
सब गर्मी से झुलस रहे हैं।
सूखे नदी,  तड़ाग ,सरोवर,
अपनी वर्षा से पावन कर दो।
आओ रे ..
कोयल काली कुहूक रही हैं,
अमुआ की डाली सुख रही हैं।
जीव ,जंतु इस भीषण गर्मी में,
अपने रहम की वर्षा कर दो।
आओ रे ..
नटखट हो तुम कारे बदरा,
लगाके आते नयनों में कजरा।
अब तो प्यारे मेघा बरसो,
अपनी वसु की झोली भर दो।
आओ रे मेघा....

✍️ मानसी मित्तल
शिकारपुर , जिला बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश

मंच को नमन 🙏
# साहित्य एक नज़र ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )
#विषय  -- बरसात
#दिनांक -- 05 / 07 / 21
#विधा -- कविता ( मौलिक व स्वरचित)
#नाम -- कीर्ति रश्मि नन्द
#स्थान -- वाराणसी

बरसात
  
चलो प्रियतम ! कहीं घूमें...,
मौसम ये बरसात का है ।।
बूंदों को गालों से चुमें ...,
मौसम ये बरसात का है।।
एक छतरी के नीचे,
चलते रहें हाथों को थामें।
रिमझिम के संग झुमें...,
मौसम ये बरसात का है ।।
चलो प्रियतम.. बरसात का है ।।
बैठ झुलें पे साथ में
हरीतिमा के नीचे झूलें।
पत्तों का संगीत सुनें...,
मौसम ये बरसात का है ।।
चलो प्रियतम .. बरसात का है ।।
बरखा जल से खेलें
कुछ अठखेलियां ले लें।
कुछ मीठे स्वप्न बुनें...,
मौसम ये बरसात का है ।।
चलो प्रियतम.. बरसात का है।।
सुंदर इस ऋतू में
चलो दिन सुंदर हम बिताएं ।
कोई प्रणय गीत गुनें...,
मौसम ये बरसात का है।।
चलो प्रियतम... बरसात का है।।
बूंदों को.. बरसात का है।।

    ✍️कीर्ति रश्मि नन्द


#विश्व_साहित्य_संस्थान_वाणी
दिनांक - 05 जुलाई 2021
शीर्षक:-

बरसात

काली रात, गरजते-चमकते बादल,
ऐसी भयानक रात है, वह बरसात है।
साथ देकर तेज हवाओं ने अंधेरों का,
घर के अंदर रखा,
जलता दीप बुझा दिया।
छत टपक रही है, ऐसी बरसात है,
साथ में ओले भी साथ लाई है।
हर तरफ़ काली रात है,
जिंदगी में बरसात है,
असहाय, सहमा देख रहा
बिजली की चमक को,
चमक रहा बिजली की चमक
से घर के अंदर भरा पानी,
उस चमक से ढूंढ़ रहा,
घर के अंदर एक सूखा कोना
जहाँ बिछानी है खाट,
भयानक रात को गुजारने के लिये।
न जाने इन हवाओं के थपेड़ों से,
बरसात के बूंदों से और ओलों से,
टिक पायेगी क्या सुबह तक
घर की दीवार
ऐसी अनोखी बरसात है।

✍️ देश दीपक
ईश्वरपुर साई हरदोई उत्तर प्रदेश
    

दुबली पतली  सी नर्म नाज़ुक। 

बरसात तो वैसे ही होती है
अब भी अपने गांव में,
दिल याद करता है तुमको
मगर साथअब तुम नहीं होते,
मिट्टी की महक  फूलों सुगंध
सताती है तुम नहीं होते,
आंगन भी  वैसा ही कच्चा
है,यादें हैं तुम नहीं होते,
वो शाम का मंज़र धुँआ भी
शाम का सुंदर तुम नहीं होते,
हरियाली वो खेतों की,धान
की खुशबू तुम नहीं होते,
चांदनी रातें सुहानी और
चाँदका यौवन तुम  नहीं होते,
बरगद भी बूढ़ा सा याद करता
है मगर अब तुम नहीं होते,
दुबली पतली  सी नर्म नाज़ुक
वो काया, अब तुम नहीं होते,
छाओं नीम की ठंडी, औऱ वो
इमली भी,तुम नहीं होते,
महफिलें शादी की सजती हैं
मेहबूब यहां तुम नहीं होते,
बचपन की वो यादें हैं, महक
है ,हल्दी चंदन के उबटन की
दिल धड़कता है मुश्ताक़ याद
करता है तूम नहीं होते,

✍️ डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह
"सहज़" हरदा मध्यप्रदेश,

बरसात
कविता (सार छंद) - बरसात

चली बदरिया घिर कर काली, मोर मंद मुस्काते।
लगन लगी है धरा मिलन की, गीत खुशी के गाते।।
बीच राह जब मिलती पुरुवा, कहे पकड़ि के बहिंयाँ।
धरा गगन का मिलन आज है, बैठ कदम की छइयाँ।।
पपीहा कोयल कक्की चहके, रुक जा चंचला रानी।
अम्बर मिलन को चली अदिती, किये चुनरिया धानी।।
छेड़ो मत देखो तुम चपला, अचला हो हरियाली।
प्रतीक मिलन का सतरंगी , नभ से दे खुशहाली।।
रिमझिम सी जब पड़े फुहारें , मस्त चले मतवाली।
झूलों पर पेंग मारे जब , लचके डाली डाली ।।
देख पपीहा मन न समाये, कुहु कुहु कूक लगाए।
अंग अंग फड़के सुनकर तब, मस्त मदन हो जाये।।
इतना बरसे मिल अवनी से, जलद अश्रु कुछ ऐसी।
चहुँ ओर हो जाता जल जल, सफेद चादर जैसी।।
हरी श्वेत धारित्री होकर , सन्देश जग को देती।
सम्पन्नता हो शांति पूर्ण,तभी खुशहाली लाती।।
बदरा आते रहें ऐसे ही , होती रहें बर्सातें।
सब जग खुशहाली में झूमें, गीत मिलन के गाते।।

✍️ अशोक शर्मा
,कुशीनगर,उ.प्र

बरसो राम धड़ाके से,बुढ़िया मर गयी फांकें से।

पानी के अभाव के संग ही,भोजन को जीवन तरसे।
लगा टकटकी,तकें आसमां,कब आते बादल,बरसे।।
आते जाते छलते बादल,इधर उधर बस झांके से।
झुलस गये हैं पेड़ पौधे सब,सूख गयी सारी धरती।
जीवन जीना दूभर हो रहा,रोज यहां जिंदगी मरती।।
मत्युु देवता हरें जिंदगी,जीवन पर अब डाके से।
भूल गये क्यों,रस्ता बादल,इधर नहीं आये इस बार?
उनको है नाराजी कैसी,किसके साथ हुई तकरार?
बारिश के अभाव में जीवन,तरसा हंसी ठहाके से।
भंडारे ,नियाज़ और लंगर,फांकें से न कोई मरे।
अब पुकार ये सुनो राम जी,जय श्री रामा हरे हरे।
मना रहे हम, तुम्हें राम जी,अब तो ढोल-ढमाके से।
बरसों राम धड़ाके से,अब मरे न कोई फांकें से।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश

विषय:बरसात
दिनांक:03/07/2021
विधा :कविता

बरसात

बरसात प्यारी लगे
सूखी धरती ने जब बादलों को
देखा गरजते, घुमड़ते
झूम उठी धरती,
अब आशा है सिंचित होगी
बरसात प्यारी लगे
नन्हें अंकुर जो पड़े धरती में,
खिल उठें, हर्ष उल्लास है मन में
बरसात प्यारी लगे
वर्षा मे जब भरते
नदी, ताल-तलईयाँ
मछरी कूदे पानी में,
पकड़े मछुअरे भैया
वर्षा ऋतु प्यारी लगे
सावन की हल्की फुहार गिरे
गीत गए झूमे सब नर-नारी
चारों ओर हरियाली ही हरियाली
बरसात प्यारी लगे
वर्षा ऋतु मे नदियाँ इठलाती,
बल खाती,आँख दिखाकर चलती

✍️ शिवशंकर लोध राजपूत
दिल्ली
व्हाट्सप्प no. 7217618716

बरसात
जब सारे शहर में बरसात नहीं
तो ये आसमां में बादल क्यों
ताबीज बनकर उसकी हिफाजत मैं करता हूं
फिर उसकी आंखों में ये काजल क्यों
जिसे सन्नाटों का भी शोरगुल पसंद नहीं
फिर उसकी पांव में पायल क्यों
वो कहती है शादी करना लेकिन बच्चे नहीं
फिर उसकी साड़ी के पल्लू में ये आंचल क्यों
उतनी ही नफ़रत है उसे बच्चों से
तो मेरे भांजा और भांजी के लिए
वो इतनी पागल क्यों

✍️ तबरेज़ अहमद
नई दिल्ली बदर पुर

☔ वर्षा आह्वाहन गीत. 🌦️

वर्षा रानी अब आओ भी
थोड़ा जल ..बरसाओ भी
सूरज देखो...झुलसाता है
कुछ भी समझ न आता है
सबका मन .समझाओ भी
वर्षा रानी अब...आओ भी
थोडा जल ...बरसाओ भी
ये जालिम गर्मी पीर.हुई है
जनता बहुत .अधीर हुई है
आकर  धीर ...बंधाओ भी
वर्षा रानी ..अब आओ भी
थोड़ा जल ...बरसाओ भी
जीव जंतु सब ही प्यासे हैं
वन उपवन बहुत उदास है
इतना मत ...तरसाओ भी
वर्षों रानी .अब आओ भी
थोड़ा जल ..बरसाओ भी

✍️ डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर

सुरेश शर्मा
नमन मंच-साहित्य एक नज़र
#विषय-बरसात
#विधा-कविता
दिनाँक-04-07-21

मिट्टी की सौंधी खुशबू संग
आई झूमती मस्त बयार
काले बादल हाथी, घोड़े
सरपट दौड़े हिरन, सियार
दादुर, मोर, पपीहा टेरे
छा जाओ, बादल घनेरे
प्यासी धरती करे श्रृंगार
बरस बरस, बरसाओ अनुराग
वर्षा की डोली लेकर,
काले घन हैं तैयार
मिट्टी की सौंधी---
बेल, लता और तरुवर झूमे
प्यासी धरती, मृदु-जल चूमे
कड़क दामिनी, सूखा ढूँढे
हर्षाये सब बरगद बूढ़े
तरुवर- पात, हरित हो हरषे
रखे सुरक्षित छाते निकले
पानी जीवन का है आधार
मिट्टी की सौंधी--
हो न विनाश की कोई कहानी
ऐसे बरसो, बरखा रानी--

✍️ सुरेश शर्मा

विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 3
विषय - बरसात.
विधा - कविता.
दिनांक-5/7/2021.
           *

🌦️ बरसात 🌧️

सुप्त मानव का झंकृत हृदय
प्रस्फुटित हो जब बोलता है
नृत्यांगना काले मेघ को देख
कड़ कड़ करती विद्युतलता में
कर्कशा मनोहरी मनमयूर
तन्मयी तांडवी कहलाती है
यौवन मद में मंद मंद मुस्काती
प्रकृति स्वयं गुनगुनाती है
आवारा वायु के मस्त झोंकों में
ता ता थैया करती बौछारें
झंझा ताल पर थिरक उठती है
बाढ़ बन विघ्नों को हरती
बाधाओं के पैर उखाड़ती
नूतन परिधान में  सृजन
नवांकुर का कर जाती है
यौवनागमन की स्वर्ण बालियां
बरसात को सहेज आंचल में
मधुर गीत गाती है.

✍️ अजय कुमार झा
मुरादपुर, सहरसा ( बिहार )

# नमन मंच
#साहित्य एक नजर,कोलकाता
#अंक  -03
#दिनांक-06/07/2021तक
#विषय-बरसात
#विधा-काव्य (स्वैच्छिक)

                 बरसात
            
बरसात का मौसम मनमोहक,
रोमांचक, बड़ा सुहाना
बारिश हो बूँदाबाँदी,रिमझिम या हो फिर झमाझम,
जागृत हो शाँत सुषुप्त  मन, हर घर -हर आँगन,
तपिश गर्मी- धूल  की सीमा पार ना अब होगी,
भीनी-भीनी माटी की ताजी खुशबू फिज़ा में तैरेगी।
बरसात का मौसम रोमांटिक, प्रेमियों को जोडने वाला,
दरकते, धधकते ,सुलगते धरा जल  प्लावित होगी,
चीर धरती का सीना बीज, कोंपलें अंकुरित होगी,
हर चेहरे पर हँसी, खुशी, मुस्कान का डेरा होगा,
कागज की नाव अब  हिलडुल कर सड़कों पर तैरेगी।
बरसात  ख्वाहिशों, कल्पनाओं,सपनों का मौसम,
हर ओर, चारों दिशा हरियाली का बसेरा होगा,
मयूर पंख फैला मंत्रमुग्ध हो खुशी- खुशी नाचेंगे,
बिजली चमकेगी ,कड़कती गर्जना बादलों का होगा,
डर कर शिशु माँ की ममता के आँचल में सिमटेंगे।
बरसात का मौसम लाजवाब पकवानों का मौसम,
कभी बारिश की पानी से खुद को बचाते फिरेंगे,
कभी झूम-झूम कर झमाझम बारिश में स्नान करेंगे,
बच्चों की शोर मचाती टोलियाँ सड़कों पर दौड़ेंगी,
खिड़कियों से झाँकते फिर से बच्चे होने को सोचेंगे।

✍️ दिनेश कौशल
कवि एवं शिक्षक
लक्ष्मीसागर, दरभंगा( बिहार )

*

                  ॐ श्री वागीश्वर्यै नमः

                     घन और वर्षा (आल्हा)

बादल उमड़ घुमड़ नभ आए, आकर विविध रूप दिखलाय|
सुंदर नार कभी बन जावें, नन्हा बालक फिर बन जाय|
पलभर में वनराज बना है, फिर बिल्ली बनकर वह आय|
खग कुल सा वह नभ में फैले,मिलकर हाथी भी बन जाय||
अंधकार हर दिशा में फैला, अब वर्षा गिरने की बार|
यों सोहे बक-पाँति घटा में, कृष्ण कंठ मोती का हार|
चपला घन में चमक रही यों, रण में चमके ज्यों तलवार |
घोर गर्जना सुनकर घन की, भय से भीत हुई सब नार||
लिपट गई वो पिया से अपने, लखती थी जो निज शृंगार|
नई खुशी प्रीतम उर जागी, मिला हो उनको ज्यों उपहार|
प्रेम वल्लरी बाढ़ी उनकी, उड़े वो मानो पँंख पसार|
साधुवाद उस घन को कहते, जिसने दिया परम उपहार||
टप-टप बूँदे गिरी अनेकों, गिरने लगी धार पर धार|
बचने को सब भीतर भागे, बाहर अब वर्षा की मार|
गलियों में पानी भर आया, बनी सड़क भी पारावार|
उग्र रूप वर्षा का देखो, बहते इससे सब घर द्वार||

✍️ गणेश चन्द्र केष्टवाल
मगनपुर किशनपुर
कोटद्वार गढ़वाल उत्तराखंड
०५-०७-२०२१

विषय :बरसात
बरसात की एक बूंद को तरस रही अखियां,
आसमान को निहार रही सूखी फूल -पत्तियां।
उमस भरी तपती झुलसती हवाओं का शोर,
आती है रोज अलसाई, बेचैन अंगड़ाई लेती भोर।
तपता सूरज जब शिखर पर है चढ़ता,
सूनी हो जाती हैं सारे शहर की गलियां।
झुलस गया भीषण गर्मी से भरा का ओर-छोर,
आओ रे मेघा घेरो गगन घन -घन घनघोर।
तपती धरा का प्राणी जगत अब भटक गया,
मेघा रे मेघा ना जाने तू कहां गगन में अटक गया।
तड़-तड़ तड़ित घपला को लेकर आओ ना !
झर- झर निर्झर शीतल जल बरसाओ ना !
मेघा रे मेघा तेरी पावन निर्मल बरसात ।
कब से हम तेरे आने की लगाएं हैं आस।
छम-छम बरसेगा सावन जब दिन रात,
खिल उठेगा हर प्राणी मिलेगी धरा को राहत।
ऐसी होगी सावन की बरसात सखी री ।
झूम उठेंगे सब ऐसी मन की चाहत सखी री।

✍️ प्रेम लता कोहली

नमन मंच -
#साहित्य_एक_नजर
विषय - #बरसात
विधा - कविता
दिनांक - 06-07-21
अंक -03
  शीर्षक - #

मानसून की बरसात

मानसून मतवाला आया ,देखो रुत सुहानी आई ,
रवि छुपा बादलों की ओट में ,भोर में ही निशा छाई ।
काले - काले मेघा छाए , टिप - टिप , टिप - टिप बूंदे बरसे ,
मिट्टी की सोंधी खुशबू से , तृप्त हो तन - मन हरषे ।
अंबर में जब भास्कर - जलधर लुका छुपी खेलते ,
धरती पर मानव , मंत्रमुग्ध हो इन्हें देखते ।
कभी बूंदा - बांदी होती कभी मूसलाधार बरसात ,
कभी-कभी दिन में हो जाती अमावस सी अंधियारी रात ।
सुगंधित , शीतल बहे पवन , बांसुरी सी मीठी तान लिए ,
भंवरा फूलों पर मंडराए , नवयुगलों सा गान किए ।
अल्हड़ सरिता बन तरंगिणी , गीत मिलन के है गाती ,
अर्णव से मिलने वो जाती ,  कुछ इतराती , बलखाती ।
अपने नवयौवन पर वसुधा , थोड़ा शर्माती , थोड़ा इठलाती ,
कामदेव की छवि निराली , वसुधा में उतर आती ।
पशु - पक्षी , कीट - पतंगे , तरु - पल्लव और इंसान ,
खुश हो जाते बरसात में ऐसे , जैसे मिल गये भगवान ।

✍️ नेहा चितलांगिया
मालदा , पश्चिम बंगाल

बरसात

है त्योहार चौमासा का
परितोष हमें अब लेने दो-१
सुभगा सी वर्षा ऋतु है यह
खुशबू में मृण की अब लेने दो
कुदरत की है ये अजब पहल
हर जन उत्साहित होते हैं
धरती सजती दुल्हन सी अब
पशुओं को प्रमोद अब लेने दो
  है त्योहार चौमासा का
परितोष हमें अब लेने दो-२
पौधों का खिलता हृदय अंग
पक्षी आनन्द मनाते हैं
प्रमुदित सी होती धरा आज
हलधर को हर्षित होने दो
है त्योहार चौमासा का
परितोष हमें अब लेने दो-३
हो बड़े पुराने मीत मेरे
एक छुट्टी तुम बन जाते थे
रिमझिम बूंदों को छूकर के
बचपन को याद कर लेने दो
है त्योहार चौमासा का
परितोष हमें अब लेने दो-४
तुमको पाकर ये मोर आज
नर्तक से ये बन जाते हैं
तुम बिन थी ये प्यासी नदियां
लट इनके अब खुल जाने दो
  है त्योहार चौमासा का
  परितोष हमें अब लेने दो-५
तुम आते थे अड़चन बनके
वो कॉलेज के दिन याद हमें
उस प्रणय मीत से मिलने को
हम भीग के कॉलेज जाते थे
वो अड़चन की मीठी यादें
स्मरण पुनः कर लेने दो
है त्योहार चौमासा का
परितोष हमें अब लेने दो-६

✍️ सोनू विश्वकर्मा
अध्यापक ( बेसिक शिक्षा विभाग )
दिनांक - ०६/०७/२०२१

नमन मंच

विधा कविता
विषय बरसात

कोयल मोर पपिहे ये मधुर वाणी
जिंदगी की उथल पुथल बरसात।
दिल की धड़कन में बसा यह शोर
नाज़ुक नाजुक ये तन मन मस्तिष्क
ये सुनी सुनी गलियां मचाए प्रभात।
सुंदर सफल सलोना ये चित्त चोर
बह रही है मंद मंद पवन चहुं ओर
प्रेम में मादकता यही जीवन की डोर
चहुं दिशा में गुंजित ये दिल से दिल का भोर।
फागुन का महीना बृज की गलियों में
वृंदावन में खुशियों भरा चारो ओर
हर गली उपवन बाग बगीचे में मखनचोर
रंग गुलाल लगाकर मचाए दिल का जोर।
नाचे गाए धूम मचाए हर तरफ शोर
अश्कों में नीर बहे साजन है कित ओर
दिल पर नहीं चलता अब यारो जोर
बरसात के मौसम में मोर मचाए शोर।

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान

नमन 🙏 :-
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
कविता - 🌦️  बरसात 🌧️

खेत भी है पानी के साथ ,
प्रकृति भी कर रही है बात ।
किसान भाई रोप रहें है धान
चलाकर अपना हाथ ,
देखो-देखो आ गये बरसात ।।
बरसात में ही डूबने
लगते पोखर के घाट ,
भंयकर होती
बरसात की रात ‌‌।
लेकर आती नव प्रभात ,
कोई और नहीं
यही बरसात ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(51)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
08/07/2021 , गुरुवार
✍️ रोशन कुमार झा
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 59
Sahitya Ek Nazar
07 July 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर


सम्पादकी
संपादकीय

बरसात तृप्ति लेकर आता है।।तपती धरती पर इसका आगमन एक दाता के रूप में होता है।जिसके लिए कृषक वर्ग से लेकर पशु-पक्षी,मानव  सभी प्रतीक्षारत होते हैं।हमारे यहां मॉनसून अब निर्धारित समय से कुछ  आगे पीछे होने लगी है।कारण पर्यावरण  स्तर से लेकर मानवीय स्तर तक हैं।बरसात सौगात लेकर आता है, सूखे वृक्षों से लेकर पूरी वसुन्धरा हरियाली सात सौगात लेकर आता है, सूखे वृक्षों से लेकर पूरी वसुन्धरा हरियाली से ढंक जातीहै।इतनी अच्छी बारिश के बाद भी कई  जगहों में भू-गर्भ जल स्तर लगातार कम होता जा रहा है। हम आंखें मूंद इस ओर कभी ध्यान भी नहीं देते।जितनी सहजता से हम आज जल का उपयोग कर पा रहे क्या आने वाली पीढ़ियों के लिए  भी हम इसकी सहजता सुनिश्चित कर पाऐंगे?आज "कोरोना" वैश्विक महामारी ने हमें वृक्षों के संरक्षण के प्रति सचेत तो जरूर किया है।वृक्ष सिर्फ वातावरण में औक्सीजन के स्तर को ही नियंत्रित करता है बल्कि जल आप्लावन से भी बचाता है।बरसात के जल को जलभृत में संग्रहित करने में भी मदद करता है।जिस जगह पेंड-पौधे ज्यादा होते हैं वहां बरसात का पानी जमीन के अन्दर तक अवशोषित होता है।भू-गर्भ में जल स्तर को नियंत्रित करता है।बरसात जल हमें नेमत के रूप  में मिलता है,हमें इन्हें संचित करना होगा,, आने वाली पीढियों को जल के संकट से न जूझना पङे इसके लिए सार्थक प्रयास करने होंगे। जलभृत के जल के दोहन से बचना होगा।बरसात के पानी को संग्रहित कर अगर हम जमीन के अन्दर के जलभर को बनाये रखने में सफल होते हैं तो जमीन को बंजर होने से भी रोक सकते हैं।बरसात का पानी हमें संग्रहित करना होगा।कितने ही पशु-पक्षी,कीट-पतंग को विलुप्त होने से बचा सकेंगे।मिहमारेट्टी के कटाव को रोक सकेंगे।जल नेमत है।ईश्वर का उपहार है,अगर हम इनका संचय,संवर्धन, कर सकें तो हमारी वसुंधरा यूं ही हरी-भरी आने वाली पीढियों को भी मिलेगी। हमारा संकल्प हो!" पेंङ लगाना,,,भू-गर्भ जल को बचाना।"विश्व साहित्य संस्थान वाणी साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका  ) की इकाई है जो साप्ताहिक पत्रिका के रूप में गुरुवार को प्रकाशित होती है ।इसका तृतीय अंक आप लेखक गण के सहयोग से निरंतरता की ओर अग्रसर है।मुझे विश्‍वास है आप पाठकगण इसकी पठन सामाग्री से लाभान्वित होंगे।साहित्य की पुणित सेवा में सहयोग करेंगे।सभी लेखकगण अपनी लेखन सामाग्री से विश्व साहित्य संस्थान वाणी साहित्य एक नजर(साप्ताहिक पत्रिका)को समृद्ध करेंगे।

       ✍️ डॉ  पल्लवी कुमारी"पाम,
        पटना,बिहार
        संपादिका
      विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
      साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई )


मैं बारिश हूँ -

मैं बारिश हूँ परेशान करता करूँ
कुछ समझना और मानव के मन
के बात मानव ही जाने
मैं कैसे पहचानूँ ।
जब हो गर्मी ज्यादी तो मुझे बुलाते ,
खेत में हो सुखा तो पूजा पाठ कराते ।
फिर भी मैं न आऊँ तो उदास हो जाते ,
जब बिहार की ओर आऊँ तो
दिल्ली वाले मुझे बुलाते ,
जब दिल्ली जाऊँ तो दिल्ली
वाले परेशान हो जाते ,
परन्तु बच्चों को मैं हूँ पसंद
मेरी पानी में खूब नहाते ,
खेलते तरह - तरह के खेल
और मेरी धारा में नाव बहाते ।।

✍️  आशीष कुमार झा

" याद तू आया "

आज हमें फिर, याद तू आया।
काली घटा, बादल है छाया।
मस्त हवा, फिर! है लहराया।
मौसम बिगड़ा, सावन आया।
आज हमें फिर, याद तू आया।
कह के! गया तू, कल लौटेंगे।
कल सदियों के, बाद है आया।
वादा किया था, जो भी तुमने।
भूला जब मैं, तू है आया।
आज हमें फिर, याद तू आया।
जीवन जीना, सीखा मैंने। जीना!
मरने के, बाद है आया।
हम दोषी हैं, ख्याल जो आया।
द्वार खड़ा, तुझको ही पाया।
आज हमें फिर, याद तू आया।
दोस्त बने, दुश्मन बन बैठे।
फिर भी तुझको, भूल न पाया।
याद नहीं, करना है तुझको।
मन को अपने, है समझाया।
आज हमें फिर, याद तू आया।।

        ✍️ केशव कुमार मिश्रा
सिंगिया गोठ, बिस्फी, मधुबनी, बिहार।
अधिवक्ता व्यवहार न्यायालय, दरभंगा।




     










साहित्य एक नज़र





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