कविता :- 20(03) , शुक्रवार , साहित्य एक नज़र , अंक- 11 , 21/05/2021

रोशन कुमार झा




कविता :-  20(03)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
विषय प्रदाता :- आ. रजनी हरीश जी
विषय प्रवर्तक - आ. मनोज कुमार पुरोहित जी
दिनांक :- 21/05/2021
दिवस :- शुक्रवार
विषय :- रिश्तों में फूहड़ता ।।
विधा :- कविता

मेरे प्यारें पाठकों आज दें
रहा हूँ एक बात बता  ,
कैसे हो रही है रिश्तों में फूहड़ता ।।

छोटी साली आधी घरवाली
कहना हमारा संस्कार नहीं ,
माँ समान होती थी भाभी ,
पर अब मानव में
वह तनिक विचार नहीं ।।

कोई लड़की भाई कहें तो हमें
उसका ख्य़ाल नहीं ,
पर कोई लड़की , प्रिय कह दें
तो उसके अलावा मेरा कोई संसार नहीं ।।

इस तरह हो रहीं हैं
रिश्तों में फूहड़ता ।।
तब कैसे न लिखूँ
इस विषय पर एक
कविता और कथा ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 20(03)
21/05/2021 , कविता - 20(03)

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=779594036263339&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo
फेसबुक - 2
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=336779854540301&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

कविता :-  20(04)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2005-23052021-13.html

अंक - 13

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/13-23052021.html

पश्चिम बंगाल इकाई , रिश्तों में फूहड़ता
https://m.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1922029651307263/?sfnsn=wiwspmo

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2003-11-21052021.html
साहित्य एक नज़र , अंक - 11

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/11-21052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/
कविता :- 20(04)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2004-22052021-12.html

साहित्य एक नज़र अंक - 12
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/12-22052021.html
अंक - 10, वृहस्पतिवार , 20/05/2021
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/10-20052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/kwzu/

https://fliphtml5.com/axiwx/kwzu

कविता :- 20(02), वृहस्पतिवार , 20/05/2021
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2002-20052021.html
Telegram account
टेलीग्राम
https://t.me/joinchat/yeU2mqerYns4NTU1
साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
20/05/2021 , गुरुवार को बनाएं , कविता :- 20(02) , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 10
कोलफील्ड मिरर आसनसोल व साहित्य एक नज़र में प्रकाशित

कोलफील्ड मिरर

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg07KYg06Vx8geDTSK2J6BMFB6dDMbaI2gn2a1MX-is16HUL69yWZm66zDFynMFhhhyYvxsyGNGAldb6LNpCXssmsF-gCwOXld5S9CMreyZa6KtGVI8e_8q9Y6fdB7UnQ4STindLFhpRWI/s2048/CFM+HINDI+21.05.2021+8.jpg

साहित्य एक नज़र

https://online.fliphtml5.com/axiwx/kwzu/

साहित्य संगम संस्थान बिहार इकाई के समस्त सक्रिय सदस्यों को सम्मानित किया गया ।

साहित्य संगम संस्थान, रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )  के संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी की करकमलों से गुरुवार 20 मई 2021 को साहित्य संगम संस्थान बिहार इकाई  के सक्रिय सदस्य आ. पल्लवी रानी जी , आ. मृदुला श्रीवास्तव जी , आ. नीतू रानी जी एवं आ. रामबाबू प्रसाद जी को उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) इकाई की प्रगति में समस्त सर्वाधिक सक्रिय सदस्यों का भी अहम योगदान मानते हैं इसलिए सक्रिय सदस्यों को संगम सलिला से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा , आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर  सम्मानित हुए पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को बधाई दिए ।

2.

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा आयोजित दैनिक लेखन ने फिर रचा एक नई इतिहास -

साहित्य एक नज़र 🌅 , गुरुवार , 20 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा दैनिक लेखन के अंतर्गत बुधवार 19 मई 2021 को जीवन विषय पर कविता लिखना रहा । जिसके विषय प्रदाता आ. संगीता मिश्रा जी व विषय प्रवर्तन कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी के करकमलों से किया गया ‌ । देशभर के सम्मानित साहित्यकारों ने भाग लिए रहें एवं एक दूसरे की रचनाएं पढ़कर सार्थक टिप्पणी करते हुए लगभग  1700  कॉमेंट्स आएं जो कि संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है । इस उपलब्धि में महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी ,  समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों का हाथ हैं ।।

3.
श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से सम्मानित हुई आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई से ।

साहित्य एक नज़र 🌅 , गुरुवार , 20 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के अंतर्गत होने वाली लेखन में 17 मई 2021 से 19 मई 2021 , बुधवार तक खौफ और विश्वास विषय पर गीत रचना रहा । विषय प्रदाता आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी एवं विषय प्रवर्तन पश्चिम बंगाल इकाई उपसचिव  आ. सुनीता मुखर्जी की करकमलों से किया गया रहा ।  खौफ और विश्वास विषय पर देशभर के साहित्यकारों ने गीत रचे रहें । 20 मई 2021 को पश्चिम बंगाल उपाध्यक्ष आ. मनोज कुमार पुरोहित जी के सहयोग से परिणाम घोषित किया गया , जिसमें श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी , आ. रजनी हरीश जी , आ. जय हिंद सिंह हिंद जी को , एवं श्रेष्ठ टिप्पणीकार सम्मान से आ . मीना गर्ग जी को पश्चिम बंगाल इकाई सचिव व राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी रोशन कुमार झा के करकमलों से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. रंजना बिनानी जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. राम प्रकाश अवस्थी रूह जी, समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों सम्मानित सदस्यों को बधाई दिए ।।

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg07KYg06Vx8geDTSK2J6BMFB6dDMbaI2gn2a1MX-is16HUL69yWZm66zDFynMFhhhyYvxsyGNGAldb6LNpCXssmsF-gCwOXld5S9CMreyZa6KtGVI8e_8q9Y6fdB7UnQ4STindLFhpRWI/s2048/CFM+HINDI+21.05.2021+8.jpg

https://coalfieldmirror.blogspot.com/2021/05/21-2021-coalfieldmirrorgmailcom.html?m=1

मुख्य मंच
https://m.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1386319731739092/?sfnsn=wiwspmo
बिहार इकाई
https://m.facebook.com/groups/351043012608605/permalink/505357960510442/?sfnsn=wiwspmo

आ. संगीता मिश्रा जी
https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1386320831738982/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक कोलफील्ड मिरर
https://www.facebook.com/947627768756518/posts/1626240584228563/?sfnsn=wiwspmo

आज हिंददेश परिवार फेसबुक मैसेंजर मंच पर शामिल हुए ,
साहित्य संगम संस्थान बिहार अध्यक्षा आ. ज्योति सिन्हा जी फेसबुक पर
Friends Request भेजी , फिर मैसेंजर पर बात की न्यूज़ प्रकाशित करने के लिए ।

साहित्य एक नज़र व्हाट्सएप
ग्रुप में
[21/05, 11:01 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार 🙏 गुरु जी 🙏💐
[21/05, 11:09 AM] साहित्य राज: इसीलिए फ़ोटो डाल दी कि रचना कोई पढ़े न पढ़े फोटो तो देखे कम से कम।😀🙏
[21/05, 11:21 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी गुरु जी शानदार , सही कहें है आप कोई मिस्त्री अपनी लगन मेहनत से कुछ बनाता है बाद में उसी का हाथ कटवा दिया जाता है एक  और उदाहरण है - कोलकाता के हावड़ा ब्रिज बनाने वाला का भी हाथ काट दिया गया रहा ।

[21/05, 11:25 AM] साहित्य राज: 😀🙏😀


*दिया रहा।* आपकी पेट शैली हो रही है अनुज। सुधार की आवश्यकता है।
- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
[21/05, 11:30 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां गुरु जी 🙏💐

एशिया ( एसिया )

😀🙏 विंडो फैन🙏😀

विंडो एसी की तरह विंडो फैन भी होता है। एसी लगवाने की सामर्थ्य जिनकी नहीं होती वे विंडो फैन से काम चला लेते हैं। यह बहुत छोटा, सस्ता और देखने में अत्यंत प्यारा होता है। एक दिन मेरी नज़र पड़ गई विंडो फैन पर तो मैं भी फैन हो गया विंडो फैन का। पैसे नहीं थे तो ख़रीद नहीं सका। पर मन में था कि एक दिन इसे खरीदूंगा ज़रूर। जैसे ही मासिक वेतन मिला सबसे पहले मैं उसी दुकान पहुंचा और सगर्व उसे खरीद लाया। रात में विंडो में लगाकर रख दिया तो सुबह तक मेरी हालत खस्ता हो गई। रात भर कांपता रहा मैं। अगले दिन मैंने दो कंबल निकालने का आग्रह गृहलक्ष्मी से जोर देकर किया। दरअसल जहां मैं रहता हूँ यहां नदी, पहाड़ और एसिया ( एशिया ) का सबसे बड़ा वनप्रदेश है। अब तो लोहे की असीमित खानों के खुल जाने के कारण वातावरण प्रदूषित हो गया है, नहीं तो कभी गर्मियों में यहां पसीना नहीं आता था। आज विकास के नाम पर विनाश की ओर अग्रसर हैं हम। विंडो फैन इतना शालीन और श्रमजीवी है कि बड़ी शांति से चलता है पर बाहर की सारी फ्रेस हवा अंदर ले आता है और स्वास्थ्य वर्धन का कार्य करता है। उसकी कर्मठता और उपयोगिता को देख गृहशोभा ने कहा कि एक और विंडो फैन ले आइए, अतिथि कक्ष के लिए। गृहशोभा की बात मुझे भी जंची। क्योंकि लॉकडाउन में हॉस्टल से बेटियों के घर आ जाने के कारण अब मेरा शयनकक्ष वहीं हो गया है। पर मेरे स्वास्थ्य और लॉकडाउन के कारण दूसरे विंडो फैन की अगवानी नहीं हो पा रही थी। मैंने दुकानदार को दसियों बार फोन करके उसका जीना हराम कर दिया। आख़िर में बड़े अहसान के साथ दुकानदार ने एक और विंडो फैन पहुंचा दिया। जैसे ही उसे चलाने की कोशिश की वह अड़ गया, नहीं चला। मैंने पुनः दुकानदार को परेशान करना शुरू कर दिया। दुकानदार अच्छा मिस्त्री भी है। उसके आते ही और छूते ही श्रीमान जी चल पड़े, जैसे किसी जादूगर ने छू लिया हो, बड़ा आश्चर्य हुआ। दुकानदार ने कहा सर, "इसे आप दो चार दिन चलाकर देख लीजिए पैसे उसके बाद ही देना।"

शाम को मैंने उसे विंडो पर सेट किया और चलाया तो फिर नहीं चला। अब तो बड़ा क्रोध आ रहा था उस पर। वहां से उठाकर दूसरे प्वाइंट पर लगाया तो थोड़ा हिला। दुकानदार ने कहा था कि दिक्कत करे तो ले आना, मैं हूँ न! पर मैं जोश में आ गया। उसे नीचे से खोलकर उसके लूज प्वाइंट टाइट किए और फिर चलाया तो चल पड़ा। इस विंडो फैन की इतनी स्पीड है कि रातभर में अपने सारे बोल्ट ढीले कर लिए और कुछ तो निकलकर गिर पड़े, उद्घोष ऐसा जैसे बज्रपात हो रहा हो। रातभर सोने नहीं दिया। मैनें जहां - जहां के बोल्ट निकल गए थे, वहां उसे तार से उसे बांध दिया। जब चालू किया जाता है तो वह बड़ी जोर से पहले हिलता है, फिर ऐसे भागता है जैसे उसके पीछे कोई कुत्ता पड़ा हो। बेचारे ने अपनी इस स्पीड के कारण अपना अस्ति-पंजर पूरा ढीला कर लिया। इतना कि जहां बेल्डिंग थी वह भी खुल गई। इसका निर्माता/असेंबलकर्ता/जनक कोई निकम्मा मिस्त्री रहा होगा। ऐसे लोग अपनी संतानों का निर्माण और परवरिश सही से नहीं करते। जबकि पहले वाला विंडो फैन एकदम सही है। उसका जनक मेहनती और लगनशील रहा होगा। ऐसे ही जब कोई मास्टर पढ़ाता नहीं तो अपनी कक्षा में पहुंचते ही अपने विद्यार्थियों को जोर से डांटता है और कुछ काम देकर या तो फरार हो जाता है या फिर अपने काम में मशगूल हो जाता है या मोबाइल में लग जाता है। ऐसे उदाहरण ही समाज में निष्ठावानों को भी बदनाम करते हैं और ऐसे लोग डींगे इतनी बड़ी- बड़ी हांकते हैं कि मेहनती लोगों की बोलती बंद हो जाती है। वे जो समाज में अच्छे मिस्त्री, अच्छे मास्टर, अच्छे पिता होते हैं वे ऐसे लोगों के कारण बदनाम होते हैं। समाज में उनकी छवि धूमिल होती है। मेरे स्कूल से २२ किमी दूर एक मास्टर ने दुर्व्यवहार किया तो हम लोग शर्म से पानी-पानी हो रहे थे। खैर, उसकी जहां से बेल्डिंग हट गई थी वहां भी मैंने उसे तार से बांध दिया। अब वह चल तो ठीक रहा है। पर मैं उसे देखकर अंदर ही अंदर इतना आह्लादित होता हूँ कि जितनी औकात नहीं उससे ज़्यादा सेवा दे रहा है। जब उसे बंद करता हूँ तो पूरा हिल जाता है और चालू करने पर भी कुछ यही हाल होता है। उसका साथी जिसे फर्राटा कहते हैं वह उसके सामने अब वैसा प्रतीत होता है जैसे कोई बुजुर्ग थक और शिथिल होकर अपने अस्तित्व के लिए जान हथेली पर रखकर नवयुवकों के साथ दौड़ लगाता है। जद्दोजोहद करके जीवनयापन कर रहा है।

संसार गरीबों और श्रमजीवियों के श्रम और निष्ठा से चलता है। दुनिया के जितने भी बड़े प्रतिष्ठान हैं वे किसी न किसी गरीब-लाचार श्रमजीवी महामानव के श्रम की गाथा हैं। एक - एक ईंट *राज* मिस्त्री जोड़ता है और मज़दूर कड़ी धूप में खून-पसीना एक करके ताजमहल खड़ा करते हैं। उसके बाद महान ऐसे मिस्त्रियों के हाथ कटवा वह ताजमहल अपनी मुमताज़ को गिफ्ट कर देते हैं। लोग ज़्यादातर इस फ़िराक़ में रहते हैं कि श्रमजीवियों का कैसे और क्या करके श्रेय अपने माथे मढ़ लें। वे सदैव *बुद्धिर्यस्य बलम्तस्य* को अपनी नीति बनाकर जीवन जीते हैं। सब ऐसे नहीं होते। बहुत से महान लोग ऐसे भी होते हैं कि जिन्हें देख श्रद्धा स्वत: जन्म लेती है। आधेय के विमोचन कार्यक्रम में राजस्थान के जो कुलपति महोदय आ० प्रधान साहब पधारे थे, उनका व्यक्तित्व पूरी दुनिया के महान व्यक्तियों को अपनाना चाहिए। इतने सरल, इतने विनीत और सहज कि विद्या उनमें शोभा पाती है, विद्या ददाति विनयम्।  आज *बुद्धिर्यस्य बलम्तस्य*  वालों के लिए बहुत बड़ा सबक महामारी ने दिया है कि श्रम करो, पसीना बहाओ, वरना रोगप्रतिरोधक क्षमता नहीं बचेगी। अतः अब *बुद्धिर्तस्यबलम्यस्य* सही और समसामयिक सूक्ति हो गई है। सतत साधना की शक्ति और निष्ठावानों की भक्ति और अनुकरण ईमानदारी से अब करना ही होगा। जो विश्व नमस्ते करने वालों पर हंसता था(मेरे बचपन के दोस्त भूपेंद्र की शादी में साली ने बड़ी गर्मजोशी से हाथ आगे करते हुए कहा- "हैलो जीज्जा जी" तो भूपेंद्र ने हाथ जोड़कर नमस्ते किया। बराती लोफड़ जो नागिन डांस पर खूब धूल और जमीन पर लोट- लोटकर नाचे थे, उन्होंने बड़ी तफरी ली। बोले "यार मुझे कोई ऐसे हैलो करता तो मैं तो गले ही लगा लेता)😀 आज न केवल नमस्ते कर रहा है अपितु हवन और प्राणायाम करके जान बचा रहा है। हल्दी, फिटकरी, दालचीनी आदि आयुर्वैदिक औषधियां आजकल हर घर में शोभा पा रही हैं।

विंडो फैन बनें, एसी का जमाना लद गया। श्रम ही जीवन की कथा रही। जो नहीं कही वह जाय कही। कहावत को चरितार्थ कीजिए। इसी में भलाई है।

राज वीर सिंह

आज कलकत्ता विश्वविद्यालय B.com semester - 1, 3,  5 Results , Robin , Tanu monu sister

115-1211-0655-20
Candidate Name
TANU SINGH
Father's/Guardian's Name
INDRADEO SINGH
201115-11-0030
Stream
B.COM.
Category
HONOURS
Gender
Female
Semester
SEMESTER - I
Date of Birth *
25/09/2001
Rani singh , reg no :- 144-1211-0132-20 , roll no :- 202144-11-0062,
Roshan Kumar Jha
Reg no:-117-1111-1018-17
Robin kumar jha Roll no - 201224210149 , Reg no - 224 - 1111 - 1252 - 20

Jyoti
221-1211-0132-19 JYOTI Sem -3 , 192221110075

NEHA
University of Calcutta
B.A / B.Sc Semester-I ( Honours / General / Major ) Examination ( Under CBCS) , 2018
brought to you by National Informatics Centre
 

Roll No 182144110126 Registration No 144-1211-0557-18 Name NEHA SINGH

https://youtu.be/GCdTyK_PQJo

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2000-8-18052021.html

आंचल , पूजा , रानी , 19:00 बजे पढ़ाएं शुक्रवार 21/05/2021 , साहित्य एक नज़र अंक - 11
रानी का पहली बार रहा ,, मीरपाड़ा मैदान पास फ़ोन पर

https://youtu.be/nOezgLN4Rvg

https://vishnews20.blogspot.com/2021/02/great-poet-arsi-prasad-singh.html?m=1

गंगावतरण
https://vishnews20.blogspot.com/2021/03/blog-post_8.html?m=1

https://youtu.be/YJ6xadiJAvI
आज रोबिन का रिजल्ट आया ।

आ. प्रमोद ठाकुर जी -

[21/05, 6:22 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏💐
[21/05, 2:34 PM] प्रमोद ठाकुर: स्वस्थ खराब है
[21/05, 2:49 PM] प्रमोद ठाकुर: हमारा फीवर और हाथ पैरों में दर्द
[21/05, 3:07 PM] प्रमोद ठाकुर: बैसे जब11 मार्च को हार्ट अटैक आया था तभी कोरोना टेस्ट हुआ नेगेटिव था।
[21/05, 3:23 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: आराम कीजिए आप
[21/05, 3:29 PM] प्रमोद ठाकुर: आज की पत्रिका का डिजाइन बहुत सुंदर है just like a symmetrically
[21/05, 3:29 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐
[21/05, 3:29 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/

साहित्य एक नज़र व्हाट्सएप
ग्रुप में
[21/05, 2:36 PM] प्रमोद ठाकुर: स्वस्थ खराब है
[21/05, 2:47 PM] प्रमोद ठाकुर: हमारा फीवर और हाथ पैरों में दर्द
[21/05, 2:58 PM] साहित्य राज: अविलंब डॉक्टर से संपर्क करें। जितना विलंब करेंगे उतना ख़तरनाक हो सकता है।
🙏🙏🙏
[21/05, 3:05 PM] प्रमोद ठाकुर: बैसे जब11 मार्च को हार्ट अटैक आया था तभी कोरोना टेस्ट हुआ नेगेटिव था।
[21/05, 3:09 PM] साहित्य राज: एक मिनट में पॉजिटिव हो सकता है। ११ मार्च तो बहुत पहले की बात है। पर आपको कोरोना नहीं हो, ऐसी प्रभु से प्रार्थना है। डॉक्टर से मिलने में क्या जाता है आपका। पांच सौ मुश्किल से।‌जईवन सुरक्षित हो जाएगा अभी।
[21/05, 3:30 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/
[21/05, 3:35 PM] प्रमोद ठाकुर: जी ज़रूर बस जा ही रह हूँ
[21/05, 3:49 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/293312572431526/?sfnsn=wiwspmo
[21/05, 4:24 PM] प्रमोद ठाकुर: सुमन अग्रवाल जी आप 12 बजे के बाद भेज दीजिये अगले दिन के अंक में प्रकाशित हो जाएगी
[21/05, 4:33 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏
[21/05, 7:30 PM] साहित्य राज: 🙏🦜🌹🦜🙏
[21/05, 7:30 PM] साहित्य राज: 🙏🌹🙏
[21/05, 8:34 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐

साहित्य राज - आ. राजवीर सिंह मंत्र जी


________


साहित्य एक नज़र , अंक - 11
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )

https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/

🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
Sahitya Eak Nazar
21 May , 2021 , Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 11
21 मई 2021
   शुक्रवार
वैशाख शुक्ल 9 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  10
कुल पृष्ठ -  11

1.

साहित्य संगम संस्थान साक्षात्कार संगम मंच पर एक मुलाक़ात उमा मिश्रा और ज्योति सिन्हा के बीच ।

साहित्य एक नज़र 🌅 , शुक्रवार , 21 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के साक्षात्कार संगम मंच पर शुक्रवार 21 मई 2021 को दोपहर बारह बजे मंच संचालक व सांस्कृतिक प्रचार सचिव नारी मंच के  आ. उमा मिश्रा प्रीति जी और साक्षात्कार सदस्य व साहित्य संगम संस्थान बिहार इकाई के अध्यक्षा आदरणीया ज्योति सिन्हा के बीच एक मुलाक़ात के दौरान परिचर्चा हुई । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी एवं समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाएं ।।

2.

साहित्य संगम संस्थान के महासचिव आदरणीय. तरुण सक्षम जी को उनके अवतरण दिवस एवं आदरणीया दीप माला तिवारी जी को वैवाहिक वर्षगांठ पर समस्त साहित्य संगम संस्थान परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏🏻🙏🏻🌹🎁💐🎉🍰🎈🎂🎂🎉🎂

3.
हिंददेश परिवार के पदाधिकारियों -
4.

मिथिला / मधुबनी पेंटिंग

✍️ पूजा कुमारी

रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी बिहार
राष्ट्रीय सेवा योजना

5.

* खेल *

काश, जिंदगी भी एक खेल  जैसी होती..
जब चाहते,  नए सिरे से सुरु होती..

काश होती बचपन की जिद जैसी,
रोते ही मिल जाती, चीज मनचाही..

होती क्रिकेट या फुटबाल के खेल सी
अपने टीम में कौन , कौन नहीं बता देती,

या, होती जिंदगी लूडो के खेल सी,
कौन आगे कौन पीछे, 
कौन करने वाला वार,
हर बार,हर बात  दिखला देती,

असली रंग हर किसिके ,
होली के रंगों सी बता देती...

काश जिंदगी भी खेल सी होती..
जब चाहे नए सिरे से सुरु होती.......

रचनाकार ✍️  सौ अल्पा कोटेचा,
जलगांव, महाराष्ट्र।

6.

* सौंदर्य बोध *

सौंदर्य के मापदंड  क्या हैं?
कोई जानता है क्या ?
तन की धवलता या मन की धवलता ?
क्या स्त्री है सौंदर्य की प्रतिमूर्ति,
यदि है गौरांगी?
तो क्या नहीं जीना चाहिए 
श्याम वर्णी स्त्रियों को?
जो बनाती हैं मजबूत हाथों से,
मकानों की दीवारें।
सिर पर रखकर टोकरियां ।
हाथों को धूल मिट्टी से सानकर
बना देती हैं अट्टालिकाएं
विशाल रंगीली इमारतों के शीशों से,
झलकते सौंदर्य को गौर से देखना।
श्वेत श्याम की परिपाटी से मुक्त होकर
तभी होगा सच्चा सौंदर्य बोध।

✍️ रचनाकार
डॉ. दीप्ति गौड़ "दीप"
शिक्षाविद् एवम् कवयित्री
ग्वालियर मध्यप्रदेश भारत
सर्वांगीण दक्षता हेतू राष्ट्रपति भवन
नई दिल्ली की ओर से भारत
के भूतपूर्व राष्ट्रपति
महामहिम स्व. डॉ. शंकर दयाल शर्मा
स्मृति स्वर्ण पदक, विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्न
शिक्षक के रूप में राज्यपाल
अवार्ड से सम्मानित

7.

नहीं सुनता  मेरी, मुझसे कहानी छीन लेता है
कतारों में लगाकर ये जवानी छीन लेता है
*
उसे बहता हुआ पानी कभी अच्छा नहीं लगता
बना कर बांध नदियों की रवानी छीन लेता है
*
कहां ढूंढे, तलाशें अब नदी के इन मुहानों पर
मरे बेमौत लोगों से निशानी छीन लेता है
*
नहीं खुद का कोई विरसा,यही तकलीफ है उसकी
सभी से इसलिए चीजें पुरानी छीन लेता है
*
बड़ी मुश्किल से होता है गुजारा आजकल अपना
कमाई पाई पाई तो अडानी छीन लेता है
*
तुझे दिखता नहीं है, या कि तू देखा नहीं करता
हमारे रंग सारे आसमानी छीन लेता है
*

✍️  राकेश अचल

8.

******** दादी माँ का प्यार *******
******************************

भुलाए नहीं  भूलता दादी माँ का प्यार,
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।

याद आती रहती परियों की कहानियाँ,
पास बस रह गई अम्मा की निशानियाँ,
बहती नैनों में अश्रुधारा,दादी का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।

गोदी में सुलाती थी गा गा कर लोरियाँ,
माथे पर कभी भी  देखी नहीं त्योरियाँ,
पल आएंगे न दुबारा दादी माँ का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।

चुपके से देती  खाने को मीठी गोलियाँ,
शरारत  करने  पर मिलती थी गालियाँ,
खट्टा  मीठा  नजारा दादी माँ का प्यार।
नसीबो से हैं मिलता दादी माँ का प्यार।

साहूकार को जैसे मूल से प्यारा ब्याज,
दादी का था हमारे राग से बजता साज,
राग मल्हार था जैसा दादी माँ का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।

मनसीरत को दिल से लाड़ था लड़ाया,
दिन में ना जाने  कितनी बार नहलाया,
दुलार से  पुचकारा  दादी माँ का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।

भुलाए नही भूलता  दादी माँ का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।
******************************
✍️ सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

9.

* जिंदगी के रंग *

जीवन में हालातों के उलटफेर से
जो उतार-चढ़ाव जीवन में आते हैं
यही उतार-चढ़ाव जीवन के,,,,
जिंदगी के रंग कहलाते हैं !!!

कभी जीवन में रंग रलियाँ होती हैं
कभी मातम के बादल छाते हैं !!!
कभी महफ़िल में गुजरतीं हैं शामें
कभी तन्हाई से घबराते हैं !!!!

कभी गुस्से में लाल हो जाते हैं
कभी करुणा सब पर बरसाते हैं
कभी डर से पीले पड़ जाते हैं
कभी दबंग रूप दिखाते हैं!!!

कभी स्वार्थ के वश अंधे होकर
अपनों को धोखा दे जाते हैं !!!
कभी छद्म वेश धारण करके
मुँह काला भी कर जाते हैं !!!!

अपराध बोध से ग्रसित हो फिर
मन ही मन पछताते हैं!!!
और मारे शर्म के सारी दुनियाँ से
चेहरा भी अपना छुपाते हैं !!!!

शर्मो-हया ईर्ष्या-द्वेश घृणा, कृपणता
हर्षोल्लास ,मातम , प्रेम , चपलता
कभी हेकड़ी , कभी भय ग्रस्तता
कभी दयालुता , कभी निकृष्टता

यही तो जिंदगी के रंग हैं सारे
जिनमें हम रंग जाते हैं !!!!
कोई नहीं इनसे है अछूता
सबके जीवन में असर ये दिखाते हैं

वक्त का पहिया जैसा घूमे
वैसे हम चलते जाते हैं !!
कभी उठते कभी गिरते हैं हम
इन रंगों में रँगते जाते हैं !!!

एक रंग अभिमान का भी है
पर इसमें रँगना ठीक नहीं !!
वक्त कभी ना एक सा रहता
इसलिए अकड़ना ठीक नहीं ।

मानवता का रंग सबसे चोखा
इस रंग में सराबोर जो होता
वही इहलोक-परलोक दोनों में
जीवन के रंगों का आनंद लेता !!
जीवन के रंगों का आनंद लेता!!

लेखिका/कवयित्री-
✍️ प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान ©
सागर मध्यप्रदेश

10.

शीर्षक- आँखे 👁️👁️

आँखों में हज़ारों ही ख़्वाब बसते हैं
बहुत उलझे हुए से आँखों के रस्ते हैं..

आँख से ही ख़ूबसूरत से नज़ारे मिले
आँख से ही नटखटी से इशारे मिले
जोड़ती हैं दिलों को ये आँखे हमारी
आँखे से ही देख कुछ अपने हमारे मिले..
नैना ही अपनो को देखने को तरसते है
आँखों में हज़ारों ही ख़्वाब बसते हैं..

अंगुलियों पर नचाती हैं आँखे किसी को
कभी देख शर्माती हैं ये आँखे किसी को
दस्ताने शुरू हो मोहब्बत की आँखों से ही
रात भर जगती और जगाती किसी को..
आँखों में ही इश्क़ के सुहाने चित्र सजते है
आँखों में हज़ारों ही ख़्वाब बसते हैं..

आँखें इश्क में दिल की जुबानी कहे
इशारों में ये कितनी ही कहानी कहे
बेचैन बेताब रहती ये यार के दीदार बिन
भावनाओं को ये पागल दिवानी कहे..
आँखों में मोहब्बत की नई दुनिया बसती है
आँखों में हज़ारों ही ख़्वाब बसते हैं..

आँखों की नजाकत सभी लगती शराबी
मन की करती शैतानियाँ जैसे हो नवाबी
नाज़ुक बहुत ये, इनमें आकर्षण का हुनर
नूर आँखों का लगता है जैसे आफताबी..
आँखे पलकों की ख़ूबसूरती से सजती हैं
आँखों में हज़ारों ही ख़्वाब बसते हैं..

आँखों के नशे के कितने ही दीवाने हुए
डूब झील सी आँखों में जग से बेगाने हुए
दौर गुज़र गया सदियों पहले ही इश्क़ का
पर न भूले वो आँखें प्यारी हम ज़माने हुए..
रात सोता तन पर आँखे मन संग जगती हैं
आँखों में हज़ारों ही ख़्वाब बसते हैं..

आँखें ख़ुशी ग़म दोनों में साथ देती
अश्रुओं से परे सुकूं का हाथ देती
आँखों से ही उतरे चित में चितेश्वर
सौभाग्यशाली दरस में नाथ देती..
आँखे रंगीं खूबसूरती का महत्व बताती हैं
आँखों में हज़ारों ही ख़्वाब बसते हैं..

✍️ अनामिका वैश्य आईना
लखनऊ
11.

* बाल श्रम *

आओ मिलकर हम सब
सुंदर भारत का निर्माण करें....

किसी बच्चे का दामन
न छूटे अपने बचपन से
रोंदे न कोई उसके सपनों को
बाल श्रम के घन से
कोई छीने न इनसे इनका भोलापन
फिर न कोई छोटू मज़बूर हो
दुकान पर दिन रात
काम करता दिखे....
कड़कड़ाती ठंड में
काँपते हाथों से लोगों को
चाय बाँटता मिले ....

...ऐसी ही कहानी
लक्ष्मी की भी होगी
गुड्डों से खेलने की उम्र में
दूसरों के यहाँ
झाड़ू- पोंछा करना होता होगा
दिल उसका भी पसीजता होगा..
ज़रा ज़रा सी बात पर
रोज़ मार वह खाती होगी....

..चन्दू की भी यही कहानी होगी
पढ़ने लिखने की बजाए
सड़कों पे पेन, किताब बेचता फिरेगा
यक़ीनन मन उसका भी करता होगा
वह भी कागज़ पर कुछ अपनी
मन की लिखे....
....पर भूखा ज़िस्म लिखना भूल
काम पर फिर लग जाता होगा।

आओ सब संकल्प करें
अब संकल्प करें
मिटायें देश से बाल श्रम को
थामकर इनका हाथ
इनका सहारा हम बनें...

देश में ऐसा माहौल बनाऐं
बचपन हो खुशहाल
शिक्षा पर सबका अधिकार

ऐसे प्यारे भारत का ध्यान करें
आओ मिलकर हम सब
सुंदर भारत का निर्माण करें....
 
      
✍️  सपना  " "नम्रता"
           दिल्ली

12.

एक तो जनता भूखी है दूजी बेरोजगारी है
उस पर भी निर्दोषों का दमन सीधा गद्दारी है

दमन चक्रों का प्रतिफल क़भी विकास नहीं होता
सीधी साधी जनता का इस तरह उद्धार नहीं होता

मजहबी दंगों से जब जब समाज जलाया जाता है
तब तब आरोप अपनों पर ही लगाया जाता है

इतनी सी समझदारी बस अबके  दिखा देना
कातिलों के बदले निर्दोषों को सजा मत देना।

✍️  पी के सैनी
राजस्थानी

13.

आरोप प्रत्यारोप

मैं कौन? तुम कौन?
ये शासन और प्रशासन कौन?
हम या हममें से कौन?
आखिर इन तैरती लाशों का
मानवता पर तमाचे का
जिम्मेदार कौन?

सब बताते किसकी ज़िम्मेदारी?
पर अपनी ज़िम्मेदारी लेगा कौन?
मानव कहलाने वाला कौन?
इसका जवाब देगा कौन?

दूसरों से सवाल हुआ बहुत
अब खुद से जवाब मांगेगा कौन?

✍️ मनोरंजन कुमार श्रीवास्तव
संपादक विविधा सृजन संगम
मासिक ई पत्रिका एवम् पुस्तक श्रृंखला
तथा संस्थापक मनोहर साहित्यिक
क्रिएशंस प्रकाशन,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
8787233718

14.

*(जीवन सन्देश)* गौतम बुद्ध ने एक बार अपने शिष्यों से कहा था, 'तुम वीणा के तारों को इतना न कसो कि वे टूट जाएं और न ही इतना ढीला छोड़ो कि उनसे स्वर न निकले'। कहने का आशय यह है कि हमें हमेशा भावनात्मक रूप से संतुलित एवं विवेकशील होना चाहिए।

अपनी भावनाओं को संतुलित कर पाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन ऐसा कर पाने में हम सक्षम हुए, तो लगभग आधी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है, क्योंकि इंसान अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीख लेता है तो वह स्वत: भावनात्मक परिपक्वता अर्थात समझदारी की ओर बढ़ने लगता है और सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।

यदि हम शांतिपूर्वक अकेले बैठे हों तब तटस्थ हो कर दूसरों की नजर से स्वयं का आत्मविश्लेषण करें, तो हम अपनी भावनाओं को अच्छी तरह समझने में सक्षम हो सकते हैं। इससे अपने मनोभावों को नियंत्रित और संतुलित करना हमारे लिए सहज होगा।

साथ ही प्रेरक विचार/लेख पढ़ें, सकारात्मक दृष्टिकोण एवं अनुशासित जीवनशैली अपनाएं तो भावनाओं को एक सीमा तक संतुलित कर सकते हैं और दुःख-संताप-क्रोध-ईर्ष्या-द्वेष जैसी भावनाओं से काफी हद तक ऊपर उठ सकते हैं।

✍🏻 * सत्यम सिंह बघेल *
       * लखनऊ (उ.प्र.) *
15.

✍🏻 मेरी कलम गद्दार लिखेगी ✍🏻

करनी थी आपदा से लड़ाई
करने लगे है आपदा में कमाई,

ऐसे गद्दारों को ग़द्दार ही लिखूंगा
बार-बार ही सही हर बार लिखूंगा,

इस आपदा को वो अवसर समझ बैठा
कोरोना मरीजों को मजबूर समझ बैठा,

मरीजों में लहू की लहर जमने लगी है
जमते लहू के थप्पों से "जाने" जाने लगी है,

बच्चें-बुढ्ढे और जवान सब अपनी जान गवाने लगे है
ऐसे में ये काली कमाई करने वाले अपनी जेबें भरने लगे है,

फल से लेकर दवाइयां और बेड से लेकर ऑक्सीजन
यहां तक कि मंहगें दामों में बिक रहे है आज इंजेक्शन,

लगता है ऐसे की मानो लहू से चुपड़ी चपातियां
और
ये रुपया-पैसा नहीं जैसे नोंच खा रहे है बोटियां,

करने वाले काला-बाजारियों का जिस्म-ज़मीर जैसे मर गया है
धिक्कार है ऐसे गद्दारो को जो मद्दत की जगह लुटेरों है,

मैं और मेरी कलम तुम पर  "थू" लिखेगी
एक बार नहीं हजार बार गद्दार लिखेगी,

ये मत समझो गद्दारो हिसाब तो तुम्हें भी देना पड़ेगा
यहां नहीं तो उसको एक दिन हिसाब तो देना पड़ेगा !!

✍🏻 चेतन दास वैष्णव
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा , राजस्थान

  16.             
            
"" मैं चाहता हूं ""

मैं चाहता हूं कि

वसुंधरा पर रहें सदा

एकता और भाईचारा

बहती रहें इस धरा पर

प्रेम

उल्लास

सद्भभावना

शांति उमंग की

अविरल धारा

होगा हमारे जीवन में

खुशियों संग

अनेक तरह का

उजियारा।।

✍️ मनोज बाथरे चीचली
जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश

17.

मैंने भी
सितारों से दोस्ती कर ली है
उन्मुक्त आकाश में
तन्हां तन्हां अपनों की तलाश में
अतीत की यादें भुलाने
पुराने दोस्तों से हाथ मिलाने
मैंने भी
सितारों से दोस्ती कर ली है...
छोड़ दिया
अब सपनों का पीछा करना
अपनों से दूर रहकर
आंखें नम करना
अब न हैं वो उलाहनें
न शिकायतें न दूरी
ना ही कोई वितृष्णा या मजबूरी...
छुपी छूपाई के खेल में जहां
जो छुप गए न जाने कहां
मुझे पूछना है.....
उन आधे अधूरे सपनों का क्या...
जो  टूट गये
उन रिश्तों का क्या..
जो निभाने से पहले
ही छूट गये...
तुम हवा में घूल गये हो
या मिट्टी में मिल गये हो
चले गए हो कहीं
इस किनारे से उस किनारों तक
आकाश या पाताल से दूर
या चले गये हो सितारों तक...
देखना मैं तुम्हें ढूंढ ही लूंगा......

✍️ पुष्प कुमार महाराज ,
गोरखपुर
18.

रवि कई दिनों से
लुकाछिपी खेल रहे थे
कभी छुपे पर्वत पीछे
,कभी तरूवर पिछे

बरखा रानी भी कम नहीं थी ,
ढूंढती रही खोजती रही
बस सब जगह बूंदों से
बरखा रानी भिगोती रही

कि रवि दिख जाएं 
पर नहीं दिखे , कहने लगे
ठंडी हवा चल रही है,
मैं नहीं आऊंगा बहार

बरखा भी कम न थी ,
मेंघ से लड़ पड़ी  मेघों को
भी धक्का दिया
वे बेचारे डर गये,

छोड़ रवि दादा को
बरखा संग चले गए
तभी स्वर्णिम प्रकाश हुआ ,
सुप्रभात सवेरा हुआ

बरखा कि बूंदें मेरे पास
आई , झरोखे से झांककर
कह उठी देखो अर्चना
मैंनै रवि को
खोज लिया   

अब तुम भी जाग जाओ
सुप्रभात की बेला में
सुप्रभात कह जाओ ,
रवि दादा भी हंस पड़ें

प्रभात की बेला में
मुस्कुरा कर सुप्रभात कह उठे
कहने लगे मान लिया अर्चना जी
आप ने हमें खोज लिया ,
चलो सुप्रभात कहा जाए

बहुत दिनों से चाय नहीं पी ,
चलो चाय हो जाए।

✍️ अर्चना जोशी
भोपाल मध्यप्रदेश

19.

अब जो बात चली है तो दूर तक जाएगी
वो आए, ना आए उनकी यादें जरूर आएगी
जब आएगा यादों के दौर का  सिलसिला
तो हिचकियाँ और सिसकियाँ भी साथ लाएगी
मान लेंगे, हिचकियों में याद किया उन्होंने हमें
और सिसकियों में...
उनके अनकहे अल्फ़ाज़ खुल हमसे कुछ कह जाएगी
अब जो बात चली है तो दूर तक जाऐगी
वो आए, ना आए उनकी याद जरूर आएगी

●●●
✍️ ज्योति झा
बेथुन कॉलेज, कोलकाता

20.

अपना स्वदेश

वह वक्त भी कितना अच्छा होगा
जब मंदिर में कुरान और
मस्जिद में रामायण होगा
ना होगा हिंदू-मुस्लिम में कोई फासला
तब हर तरफ इंसान होगा।।

यह जाति धर्म मजहब
नाम के रह जाएंगे
जब पूरी दुनिया अपना परिवार होंगे
ना होंगे कोई विवाद आपस में
तब घर घर में खुशियां हजार होंगे।।

तब होंगे हर घर में प्रेमचंद की ईदगाह
होंगे रसखान के कृष्ण
गाए जाएंगे गुणगान हर घर में
तो मिलेंगे हर घर में राम और रहीम ।।

ना कोई घृणा होगा
ना होगा कोई द्वेष
पूरी जहां एक होगा
तब बनेगा अपना स्वदेश ।।

वह वक्त भी कितना अच्छा होगा
जब ये जहां अपना होगा
जब हर इंसान सच्चा होगा ।।

✍️ संजीत कुमार निगम
फारबिसगंज अररिया , बिहार
मोबाइल:  7070773306

21.

विषय :- रिश्तों में फूहड़ता ।।
विधा :- कविता

मेरे प्यारें पाठकों आज दें
रहा हूँ एक बात बता  ,
कैसे हो रही है रिश्तों में फूहड़ता ।।

छोटी साली आधी घरवाली
कहना हमारा संस्कार नहीं ,
माँ समान होती थी भाभी ,
पर अब मानव में
वह तनिक विचार नहीं ।।

कोई लड़की भाई कहें तो हमें
उसका ख्य़ाल नहीं ,
पर कोई लड़की , प्रिय कह दें
तो उसके अलावा मेरा कोई संसार नहीं ।।

इस तरह हो रहीं हैं
रिश्तों में फूहड़ता ।।
तब कैसे न लिखूँ
इस विषय पर एक
कविता और कथा ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 20(03)

🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
Sahitya Eak Nazar
21 May , 2021 , Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর


23.
जय माँ सरस्वती

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
    

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ _ 002 दिनांक -  _ _  21/05/2021

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _ _ _ डॉक्टर देवेंद्र  तोमर  _ _ _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _ _ 1 - 10 _ _ _ _ _ _  में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।


रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

हिन्दू धर्म में सीता नवमी बहुत बड़ा महत्व रखतीं है। हिंदू धर्म में सीता नवमी का उतना ही महत्व है, जितना राम नवमी का है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, तो पवित्र नारी , मिथिला पुत्री व माता सीता वैशाख शुक्ल नवमी को प्रकट हुई थी । वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी या जानकी नवमी कहा जाता है।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि को पुष्य नक्षत्र में मिथिला के महाराजा जनक यज्ञ की भूमि तैयार करने हेतु हल से जमीन जोत रहें थे, तभी भूमि से कन्या प्रकट हुई, जिनका नाम सीता रखा गया।

जन्म ली रहीं आज ही के दिन मिथिला पुत्री सीता ,
मिलें आदर्श पति श्रीराम , कहलाएं मिथिला के राजा जनक पिता ।।

सीता नवमी आज गुरुवार 20 मई एवं 21 मई 2021 शुक्रवार दो दिन मनाई जा रही है इस वर्ष ।

___________

कविता :- 20(04)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2004-22052021-12.html

साहित्य एक नज़र अंक - 12
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/12-22052021.html

21/05/2021 , कविता - 20(03)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2003-11-21052021.html
साहित्य एक नज़र , अंक - 11

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/11-21052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/

अंक - 10, वृहस्पतिवार , 20/05/2021
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/10-20052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/kwzu/

https://fliphtml5.com/axiwx/kwzu

कविता :- 20(02), वृहस्पतिवार , 20/05/2021
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2002-20052021.html
आ. मनोरंजन कुमार श्रीवास्तव जी
https://www.facebook.com/mano1889/

साक्षात्कार मंच
https://www.facebook.com/groups/1834320443382050/permalink/1914645428682884/?sfnsn=wiwspmo

YouTube

https://youtu.be/CYH890rwMuo

वीडियो
https://www.facebook.com/groups/1834320443382050/permalink/1918261344987959/?sfnsn=wiwspmo

आ. राजवीर सिंह मंत्र जी

https://www.facebook.com/100012727929862/posts/1230362850731301/?sfnsn=wiwspmo

श्री नर्मदा प्रकाशन
आ. सत्यम सिंह बघेल  जी
       * लखनऊ (उ.प्र.) *

https://www.facebook.com/shrinarmadapublication

Telegram account
टेलीग्राम
https://t.me/joinchat/yeU2mqerYns4NTU1
साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
20/05/2021 , गुरुवार को बनाएं , कविता :- 20(02) , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 10

पश्चिम बंगाल इकाई , रिश्तों में फूहड़ता
https://m.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1922029651307263/?sfnsn=wiwspmo
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2003-11-21052021.html

मुख्य मंच
https://m.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1386319731739092/?sfnsn=wiwspmo
बिहार इकाई
https://m.facebook.com/groups/351043012608605/permalink/505357960510442/?sfnsn=wiwspmo

आ. संगीता मिश्रा जी
https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1386320831738982/?sfnsn=wiwspmo

हिंददेश परिवार
https://www.facebook.com/100491425084365/posts/282421760224663/?sfnsn=wiwspmo

काव्य मंच
सोचिए, आज का मीडिया कितना तेज़ है। आज के कार्यक्रम ग्वालियर से एक साहित्यिक मित्र की आज प्रकाशित पत्रिका में। मित्र का आभार। आप बने आधार।
🙏😀🌹😀🙏

https://www.facebook.com/groups/365510634417195/permalink/575326026768987/?sfnsn=wiwspmo
पृष्ठ - 1
प्रमाण पत्र - 12
कुल पृष्ठ - 13

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=779594036263339&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo
फेसबुक - 2
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=336779854540301&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo




22.

😀🙏 विंडो फैन🙏😀

विंडो एसी की तरह विंडो फैन भी होता है। एसी लगवाने की सामर्थ्य जिनकी नहीं होती वे विंडो फैन से काम चला लेते हैं। यह बहुत छोटा, सस्ता और देखने में अत्यंत प्यारा होता है। एक दिन मेरी नज़र पड़ गई विंडो फैन पर तो मैं भी फैन हो गया विंडो फैन का। पैसे नहीं थे तो ख़रीद नहीं सका। पर मन में था कि एक दिन इसे खरीदूंगा ज़रूर। जैसे ही मासिक वेतन मिला सबसे पहले मैं उसी दुकान पहुंचा और सगर्व उसे खरीद लाया। रात में विंडो में लगाकर रख दिया तो सुबह तक मेरी हालत खस्ता हो गई। रात भर कांपता रहा मैं। अगले दिन मैंने दो कंबल निकालने का आग्रह गृहलक्ष्मी से जोर देकर किया। दरअसल जहां मैं रहता हूँ यहां नदी, पहाड़ और एसिया ( एशिया ) का सबसे बड़ा वनप्रदेश है। अब तो लोहे की असीमित खानों के खुल जाने के कारण वातावरण प्रदूषित हो गया है, नहीं तो कभी गर्मियों में यहां पसीना नहीं आता था। आज विकास के नाम पर विनाश की ओर अग्रसर हैं हम। विंडो फैन इतना शालीन और श्रमजीवी है कि बड़ी शांति से चलता है पर बाहर की सारी फ्रेस हवा अंदर ले आता है और स्वास्थ्य वर्धन का कार्य करता है। उसकी कर्मठता और उपयोगिता को देख गृहशोभा ने कहा कि एक और विंडो फैन ले आइए, अतिथि कक्ष के लिए। गृहशोभा की बात मुझे भी जंची। क्योंकि लॉकडाउन में हॉस्टल से बेटियों के घर आ जाने के कारण अब मेरा शयनकक्ष वहीं हो गया है। पर मेरे स्वास्थ्य और लॉकडाउन के कारण दूसरे विंडो फैन की अगवानी नहीं हो पा रही थी। मैंने दुकानदार को दसियों बार फोन करके उसका जीना हराम कर दिया। आख़िर में बड़े अहसान के साथ दुकानदार ने एक और विंडो फैन पहुंचा दिया। जैसे ही उसे चलाने की कोशिश की वह अड़ गया, नहीं चला। मैंने पुनः दुकानदार को परेशान करना शुरू कर दिया। दुकानदार अच्छा मिस्त्री भी है। उसके आते ही और छूते ही श्रीमान जी चल पड़े, जैसे किसी जादूगर ने छू लिया हो, बड़ा आश्चर्य हुआ। दुकानदार ने कहा सर, "इसे आप दो चार दिन चलाकर देख लीजिए पैसे उसके बाद ही देना।"

शाम को मैंने उसे विंडो पर सेट किया और चलाया तो फिर नहीं चला। अब तो बड़ा क्रोध आ रहा था उस पर। वहां से उठाकर दूसरे प्वाइंट पर लगाया तो थोड़ा हिला। दुकानदार ने कहा था कि दिक्कत करे तो ले आना, मैं हूँ न! पर मैं जोश में आ गया। उसे नीचे से खोलकर उसके लूज प्वाइंट टाइट किए और फिर चलाया तो चल पड़ा। इस विंडो फैन की इतनी स्पीड है कि रातभर में अपने सारे बोल्ट ढीले कर लिए और कुछ तो निकलकर गिर पड़े, उद्घोष ऐसा जैसे बज्रपात हो रहा हो। रातभर सोने नहीं दिया। मैनें जहां - जहां के बोल्ट निकल गए थे, वहां उसे तार से उसे बांध दिया। जब चालू किया जाता है तो वह बड़ी जोर से पहले हिलता है, फिर ऐसे भागता है जैसे उसके पीछे कोई कुत्ता पड़ा हो। बेचारे ने अपनी इस स्पीड के कारण अपना अस्ति-पंजर पूरा ढीला कर लिया। इतना कि जहां बेल्डिंग थी वह भी खुल गई। इसका निर्माता/असेंबलकर्ता/जनक कोई निकम्मा मिस्त्री रहा होगा। ऐसे लोग अपनी संतानों का निर्माण और परवरिश सही से नहीं करते। जबकि पहले वाला विंडो फैन एकदम सही है। उसका जनक मेहनती और लगनशील रहा होगा। ऐसे ही जब कोई मास्टर पढ़ाता नहीं तो अपनी कक्षा में पहुंचते ही अपने विद्यार्थियों को जोर से डांटता है और कुछ काम देकर या तो फरार हो जाता है या फिर अपने काम में मशगूल हो जाता है या मोबाइल में लग जाता है। ऐसे उदाहरण ही समाज में निष्ठावानों को भी बदनाम करते हैं और ऐसे लोग डींगे इतनी बड़ी- बड़ी हांकते हैं कि मेहनती लोगों की बोलती बंद हो जाती है। वे जो समाज में अच्छे मिस्त्री, अच्छे मास्टर, अच्छे पिता होते हैं वे ऐसे लोगों के कारण बदनाम होते हैं। समाज में उनकी छवि धूमिल होती है। मेरे स्कूल से २२ किमी दूर एक मास्टर ने दुर्व्यवहार किया तो हम लोग शर्म से पानी-पानी हो रहे थे। खैर, उसकी जहां से बेल्डिंग हट गई थी वहां भी मैंने उसे तार से बांध दिया। अब वह चल तो ठीक रहा है। पर मैं उसे देखकर अंदर ही अंदर इतना आह्लादित होता हूँ कि जितनी औकात नहीं उससे ज़्यादा सेवा दे रहा है। जब उसे बंद करता हूँ तो पूरा हिल जाता है और चालू करने पर भी कुछ यही हाल होता है। उसका साथी जिसे फर्राटा कहते हैं वह उसके सामने अब वैसा प्रतीत होता है जैसे कोई बुजुर्ग थक और शिथिल होकर अपने अस्तित्व के लिए जान हथेली पर रखकर नवयुवकों के साथ दौड़ लगाता है। जद्दोजोहद करके जीवनयापन कर रहा है।

संसार गरीबों और श्रमजीवियों के श्रम और निष्ठा से चलता है। दुनिया के जितने भी बड़े प्रतिष्ठान हैं वे किसी न किसी गरीब-लाचार श्रमजीवी महामानव के श्रम की गाथा हैं। एक - एक ईंट *राज* मिस्त्री जोड़ता है और मज़दूर कड़ी धूप में खून-पसीना एक करके ताजमहल खड़ा करते हैं। उसके बाद महान ऐसे मिस्त्रियों के हाथ कटवा वह ताजमहल अपनी मुमताज़ को गिफ्ट कर देते हैं। लोग ज़्यादातर इस फ़िराक़ में रहते हैं कि श्रमजीवियों का कैसे और क्या करके श्रेय अपने माथे मढ़ लें। वे सदैव *बुद्धिर्यस्य बलम्तस्य* को अपनी नीति बनाकर जीवन जीते हैं। सब ऐसे नहीं होते। बहुत से महान लोग ऐसे भी होते हैं कि जिन्हें देख श्रद्धा स्वत: जन्म लेती है। आधेय के विमोचन कार्यक्रम में राजस्थान के जो कुलपति महोदय आ० प्रधान साहब पधारे थे, उनका व्यक्तित्व पूरी दुनिया के महान व्यक्तियों को अपनाना चाहिए। इतने सरल, इतने विनीत और सहज कि विद्या उनमें शोभा पाती है, विद्या ददाति विनयम्।  आज *बुद्धिर्यस्य बलम्तस्य*  वालों के लिए बहुत बड़ा सबक महामारी ने दिया है कि श्रम करो, पसीना बहाओ, वरना रोगप्रतिरोधक क्षमता नहीं बचेगी। अतः अब *बुद्धिर्तस्यबलम्यस्य* सही और समसामयिक सूक्ति हो गई है। सतत साधना की शक्ति और निष्ठावानों की भक्ति और अनुकरण ईमानदारी से अब करना ही होगा। जो विश्व नमस्ते करने वालों पर हंसता था(मेरे बचपन के दोस्त भूपेंद्र की शादी में साली ने बड़ी गर्मजोशी से हाथ आगे करते हुए कहा- "हैलो जीज्जा जी" तो भूपेंद्र ने हाथ जोड़कर नमस्ते किया। बराती लोफड़ जो नागिन डांस पर खूब धूल और जमीन पर लोट- लोटकर नाचे थे, उन्होंने बड़ी तफरी ली। बोले "यार मुझे कोई ऐसे हैलो करता तो मैं तो गले ही लगा लेता)😀 आज न केवल नमस्ते कर रहा है अपितु हवन और प्राणायाम करके जान बचा रहा है। हल्दी, फिटकरी, दालचीनी आदि आयुर्वैदिक औषधियां आजकल हर घर में शोभा पा रही हैं।

विंडो फैन बनें, एसी का जमाना लद गया। श्रम ही जीवन की कथा रही। जो नहीं कही वह जाय कही। कहावत को चरितार्थ कीजिए। इसी में भलाई है।

✍️ राज वीर सिंह 'मंत्र'
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
     ( राष्ट्रीय अध्यक्ष )

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली राष्ट्रीय अध्यक्ष आ. राजवीर सिंह मंत्र जी महासचिव आ. तरुण सक्षम जी को जन्मदिन की बधाई देते हुए -
🌹जीवेम शरद: शतम् 🌹
https://www.facebook.com/groups/365510634417195/permalink/575186856782904/?sfnsn=wiwspmo

आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
https://youtu.be/OYbndkLltK8

साहित्य संगम संस्थान के महासचिव आदरणीय. तरुण सक्षम जी को उनके अवतरण दिवस एवं आदरणीया दीप माला तिवारी जी को वैवाहिक वर्षगांठ पर समस्त साहित्य संगम संस्थान परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏🏻🙏🏻🌹🎁💐🎉🍰🎈🎂🎂🎉🎂

साहित्य संगम संस्थान साक्षात्कार संगम मंच पर एक मुलाक़ात हुई आ. उमा मिश्रा जी और आ. ज्योति सिन्हा जी के बीच ।

https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/

https://youtu.be/CYH890rwMuo

साहित्य संगम संस्थान

साहित्य संगम संस्थान साक्षात्कार संगम मंच पर एक मुलाक़ात हुई आ. उमा मिश्रा जी और आ. ज्योति सिन्हा जी के बीच ।

https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के साक्षात्कार संगम मंच पर शुक्रवार 21 मई 2021 को दोपहर बारह बजे मंच संचालक व सांस्कृतिक प्रचार सचिव नारी मंच के  आ. उमा मिश्रा प्रीति जी और साक्षात्कार सदस्य व साहित्य संगम संस्थान बिहार इकाई के अध्यक्षा आदरणीया ज्योति सिन्हा के बीच एक मुलाक़ात के दौरान परिचर्चा हुई । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी एवं समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाएं ।।

साक्षात्कार मंच
साक्षात्कार मंच
https://www.facebook.com/groups/1834320443382050/permalink/1914645428682884/?sfnsn=wiwspmo

वीडियो
https://www.facebook.com/groups/1834320443382050/permalink/1918261344987959/?sfnsn=wiwspmo

साहित्य एक नज़र , अंक - 11
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )

https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg07KYg06Vx8geDTSK2J6BMFB6dDMbaI2gn2a1MX-is16HUL69yWZm66zDFynMFhhhyYvxsyGNGAldb6LNpCXssmsF-gCwOXld5S9CMreyZa6KtGVI8e_8q9Y6fdB7UnQ4STindLFhpRWI/s2048/CFM+HINDI+21.05.2021+8.jpg

https://coalfieldmirror.blogspot.com/2021/05/21-2021-coalfieldmirrorgmailcom.html?m=1

मुख्य मंच
https://m.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1386319731739092/?sfnsn=wiwspmo
बिहार इकाई
https://m.facebook.com/groups/351043012608605/permalink/505357960510442/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1386320831738982/?sfnsn=wiwspmo

पश्चिम बंगाल इकाई , रिश्तों में फूहड़ता
https://m.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1922029651307263/?sfnsn=wiwspmo
21/05/2021 , शुक्रवार ,
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/11-21052021.html

निवेदक - रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
सचिव
कविता :-  20(04)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2005-23052021-13.html

अंक - 13

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/13-23052021.html

फेसबुक पब्लिक। -
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/293312572431526/?sfnsn=wiwspmo
फेसबुक - प्राईवेट
https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1119540131892873/
अंक - 11 , शुक्रवार , 21/05/2021

Popular posts from this blog

कविता :- 19(89)

कविता :- 16(77), 16(75),:- 16(76)

कविता :- 18(61),18(60), 18(59) ,18(58)