कविता :- 20(05) , रविवार , 23/05/2021 , साहित्य एक नज़र , अंक - 13

रोशन कुमार झा


कविता :- 20(05)
दिनांक :- 23/05/2021
दिवस :- रविवार
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 13
शीर्षक :- तुम मेरी भीख हो ।

क्यों तुम मुझे
तुम से आप बनायी ,
प्यार की हमसे
पर अपने बच्चों का
किसी और को बाप बनाई ।।

लाख सपने दिखाई तोड़कर
गयी ख़्वाब ,
क्यों छोड़कर गयी
अभी तक दी न जवाब ।।

खुद पढ़ी हमसे अपने
सहेलियों को भी पढ़ाई ,
दूर गयी हमसे
मेरी याद तुम्हें
अभी तक न आई ।।

तो तुम अब ठीक हो ,
तुम जिसके नज़दीक हो ।।
उसका भी गुरु
पर तुम हमारे लिए भीख हो ,
मैं भिक्षुक नहीं
मैं दानी हूँ
मैं रोशन तुम्हें हारा हूँ
मेरे नाम का तुम्हारा
हर एक छींक हो ।।


✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 20(05)
23/05/2021, रविवार
🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
Sahitya Eak Nazar
23 May , 2021 , Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 13
23 मई 2021
   रविवार
वैशाख , शुक्ल पक्ष , 12 , संवत 2078

कोलफील्ड मिरर व साहित्य एक नज़र में प्रकाशित -

दिनांक :- 22/05/2021
दिवस :- शनिवार

मैथिली , कविता

हम मिथिला पुत्र छी ,

गर्व अछि हमरा
कि हम छी मिथिला पुत्र ,
हमरा में शक्ति
अछि बहुत ।।
तहन हम मिथिलावासी
छी मजबूत ,
स्वर्ग सऽ सुन्दर अछि
अप्पन मिथिलांचल
रहन सहन अछि अद्‌भुत ।।

हम गंगाराम कहैत छि
हम मिथिला के छी संतान ।
माथ पर पाग अछि
इ तऽ अछि अप्पन पहचान ,
राह हेत रोशन , कर्म करूँ
हम इंसान ।
बार - बार हम जन्म ली
मिथिला में
और मिथिलांचल हुएअ
हमर जन्मस्थान ।।

✍️ गंगाराम कुमार झा
मधुबनी , बिहार
" चल गये छोड़कर पर्यावरण प्रेमी आदरणीय
सुंदरलाल बहुगुणा जी ,

" क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार। मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार। "

इनके इन बातों को सूना जी

तब हम सब पर्यावरण का रखें ख़्याल ,
आज कल और ये है भविष्य की सवाल ।। "

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716,
22/05/2021, शनिवार , कविता - 20(04)

कविता :- 17(70) , बुधवार , 30/09/2020

भाषा :- बंगाली , कविता :-
ভাষা :- বাংলা , কবিতা

शीर्षक :- तुम मेरे पास आओ
শিরোনাম :- তুমি আসো
আমার কাছে ।

তুমি আমার কাছে আসো ,
এই রকম আমি ভালোবাসি ,
সে রকমই তুমিও
আমাকে ভালোবাসো ।
তুমি নিজের একা খাবার খাছো ,
ডাকলাম আমি তোমাকে
আর তুমি আমাকে ছেড়ে
কোথায় জাচ্ছে ।।

তোমার জন্য আমি রোশন
ঘুমিয়ে পারি না
জেখানে তুই ডাকলী,
আমি গেলাম ,
কিন্তু ওইতো তোর বাড়ি না ।।
আমি তোমাকে ভালোবাসি ,
তুমিও আমাকে ভালোবাসো
অতটুকু তাড়াতাড়ি না ।
আসো তুমি , আপনি
আমাকে নিজের
চোখে দিয়ে এখুন পর্যন্ত
দেখতে পাড়ি না ।।

এখূন ন তুই একটূ পরে আসবি ,
জানী আমি তারপরো
তুই আমাকে ভালোবাসবী ।।

      ✍️•••  রোশন কুমার ঝা
      

ঠিকানা :- লিলুয়া , হাওড়া , কোলকাতা , পশ্চিমবঙ্গ :-  ৭১১২০৪
पता :- लिलुआ , हावड़ा , कोलकाता ,
पश्चिम बंगाल :- 711204
মোবাইল নাম্বার :- ৬২৯০৬৪০৭১৬
मो :- 6290640716
तुमी आसो आमार काचे ।
तुमी आमार काचे आसो ,
ऐ रोकोम आमि भालो भासी ,
सेई रोकोम तूमीयो  आमाके भालो भासौ ।
तूमी निजे एका खाबर खाचो ,
डाखलम आमी तोमाके
आर तूमी आमाके छेड़े कोथाई जाछो ।।

तोमार जनों आमि रोशन घूमिए पारी न ,
जेखाने तूई डाकरी आमी गेलाम
किंतु ओई ता तोर बाड़ी न ,
आमि तोमाके भालो भासी
तूमीयो आमाके भालोभासो ओतुक तालातारी न ।
आसो तूमी , आपनी आमाके निजेर छोखे दिए ऐखून पर्यन्तो
देखते पाड़ी न ।।

ऐखून न तूई एकतू पोले आसबी ,
जानि आमि तालफोरे तूई आमाके भालोभासबी ।।

________________________
हिन्दी अनुवाद कविता -

शीर्षक :- तुम मेरे पास आओ

तुम मेरे पास आओ ,
जिस प्रकार मैं प्यार करता हूँ ,
उसी प्रकार तुम भी हमको प्यार करो ।।
तुम खुद अकेले ही खाना खाती हो ,
बुलाएं हम ,और तुम हमको छोड़कर कहां जाती हो ।।

तुम्हारे लिए हम रोशन सो न पाएं ,
जहां तुम बुलायी , हम गये किंतु वह तुम्हारा घर नहीं रहा ।
हम तुमसे प्यार करते हैं, तुम भी करो उतना हड़बड़ी नहीं है ,
आओ तुम , आप हमको अपने आंखों से अभी तक देख नहीं पाएं हैं ।

अभी नहीं , कुछ देर बाद आओगी ,
मैं जानता हूं , उसके बाद तुम भी प्यार करोगी ।।

✍️       रोशन कुमार झा
कविता :- 17(41) , बंगाली ,
दिनांक :- 01/09/2020 , दिवस :- मंगलवार
-----------------
दिनांक :- 23/05/2021
दिवस :- रविवार
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 13
शीर्षक :- तुम मेरी भीख हो ।
___________________



कविता :- 20(05)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2005-23052021-13.html

अंक - 13

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/13-23052021.html

कविता :- 20(06)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2006-24052021-14.html

अंक - 14
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/14-24052021.html

कविता :- 20(04)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2004-22052021-12.html

साहित्य एक नज़र अंक - 12
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/12-22052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/hnpx/

साहित्य एक नज़र , अंक - 11

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/11-21052021.html

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हरियाणा इकाई
https://www.facebook.com/groups/690267965033102/permalink/844361806290383/?sfnsn=wiwspmo

इदन्नमम पुस्तक
आ. राजवीर सिंह मंत्र जी विमोचन करते हुए -

https://www.facebook.com/groups/365510634417195/permalink/576259113342345/?sfnsn=wiwspmo

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मिथिलाक्षर

23/05/2021  के अभ्यास

क वर्गादि संयुक्ताक्षरक पुनराभ्यास क ख ग घ ङ    अक्षरक संयुक्ताक्षरक अभ्यास 
सब छवि समूह पर उपलब्ध अछि 👆

https://youtu.be/L8WaxP0PmZc

https://youtu.be/VtEfGN5r7lg

https://youtu.be/3XxVnSAZT7w

https://youtu.be/UKoJ22jvB4Y
[22/05, 10:27 PM https://youtu.be/BbgSrTIJbtk

[23/05, 7:31 AM] : https://www.facebook.com/groups/690267965033102/permalink/845018149558082/?sfnsn=wiwspmo
[23/05, 7:31 AM] : नमस्कार रोशन कुमार जी।
[23/05, 7:32 AM] : मैं विनोद वर्मा दुर्गेश
[23/05, 7:33 AM] : हरियाणा इकाई ने पहली बार 926 कमेंट से एक नवीन इतिहास रचा है
[23/05, 7:37 AM] : https://www.facebook.com/groups/690267965033102/permalink/844361806290383/?sfnsn=wiwspmo
[23/05, 7:45 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम्
[23/05, 7:45 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏💐
[23/05, 7:45 AM] : 🙏🙏🙏

साहित्य संगम संस्थान - आ. राजवीर सिंह मंत्र जी



मिथिलाक्षर

23/05/2021  के अभ्यास

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रोशन कुमार झा

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21 May , 2021 , Friday
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21 मई 2021
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वैशाख शुक्ल 9 संवत 2078
पृष्ठ -  1
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साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 13
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🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ _ 004 दिनांक -  _ _  23/05/2021

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आ.  _ _ _ अर्चना जोशी   _ _ _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _ _ 1 - 13  _ _ _ _ _ _  में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

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सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।


रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
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आपका अपना
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अंक - 13
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कोलफील्ड मिरर आसनसोल व साहित्य एक नज़र में प्रकाशित
23/05/2021 , रविवार
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साहित्य एक नज़र

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साहित्य संगम संस्थान साक्षात्कार संगम मंच पर एक मुलाक़ात हुई आ. उमा मिश्रा जी और आ. ज्योति सिन्हा जी के बीच ।

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के साक्षात्कार संगम मंच पर शुक्रवार 21 मई 2021 को दोपहर बारह बजे मंच संचालक व सांस्कृतिक प्रचार सचिव नारी मंच के  आ. उमा मिश्रा प्रीति जी और साक्षात्कार सदस्य व साहित्य संगम संस्थान बिहार इकाई के अध्यक्षा आदरणीया ज्योति सिन्हा के बीच एक मुलाक़ात के दौरान परिचर्चा हुई । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी एवं समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाएं ।।



साहित्य संगम संस्थान साक्षात्कार संगम मंच पर एक मुलाक़ात हुई आ. उमा मिश्रा जी और आ. ज्योति सिन्हा जी के बीच ।

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कविता -
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कोलफील्ड मिरर आसनसोल फेसबुक
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साहित्य संगम संस्थान मुख्य मंच
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बिहार इकाई

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नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
विषय प्रदाता :- आ. मनोज कुमार पुरोहित जी
विषय प्रवर्तक - आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी
दिनांक :- 23/05/2021
दिवस :- रविवार
विषय :- वंदना  ।।
विधा :- दोहा

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हम हिन्दुस्तानी , अमेरिका

http://humhindustaniusa.com/epaper/edition/245/09-10-2020/page/71

बंगाली कविता - अग्रसर मंच पर

राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
http://humhindustaniusa.com/epaper/edition/276/13-05-2021

http://humhindustaniusa.com/epaper/edition/276/13-05-2021/page/30

इंकलाब मंच
कविता :- 20(05)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2005-23052021-13.html

अंक - 13

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/13-23052021.html

कविता :- 20(06)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2006-24052021-14.html

अंक - 14
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/14-24052021.html

कविता :- 20(04)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2004-22052021-12.html

साहित्य एक नज़र अंक - 12
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साहित्य एक नज़र , अंक - 11

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हरियाणा इकाई
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इदन्नमम पुस्तक
आ. राजवीर सिंह मंत्र जी विमोचन करते हुए -

https://www.facebook.com/groups/365510634417195/permalink/576259113342345/?sfnsn=wiwspmo

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मिथिलाक्षर

23/05/2021  के अभ्यास

क वर्गादि संयुक्ताक्षरक पुनराभ्यास क ख ग घ ङ    अक्षरक संयुक्ताक्षरक अभ्यास 
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मिथिलाक्षर भाग - 3
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html
मिथिलाक्षर भाग - 2
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर भाग - 1
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साहित्य एक नज़र , अंक - 14
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आ. प्रमोद ठाकुर जी
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
अंक - 13
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साहित्य एक नज़र
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Sahitya Eak Nazar
সাহিত্য এক নজর

अंक -1
11/05/2021
मंगलवार
वैशाख कृष्ण 15 संवत 2078
पृष्ठ - 1
कुल पृष्ठ - 4
वैशाख कृष्ण 15 संवत 2078
कविता :- 19(92) - 19(93)

अंक - 1
11/05/2021 , मंगलवार ,
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अंक - 2
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अंक - 3
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अंक - 4
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आहुति पुस्तक
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अंक - 7
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अंक - 8
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अंक - 9
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अंक - 10
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अंक - 11
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अंक - 13
23 मई 2021
   रविवार
वैशाख , शुक्ल पक्ष , 12 , संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  11
कुल पृष्ठ -  12
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नव कार्यक्रम करते हुए साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई रचा एक इतिहास -

साहित्य एक नज़र 🌅 , रविवार , 23 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई 21 मई 2021 , शुक्रवार को माँ विषय पर कविता , गीत , ग़ज़ल विधा में सृजन करने के लिए साहित्यकारों को आमंत्रित किए । जैसा कि आपको विदित है कि नवरात्र में हमने अपना यूट्यूब चैनल आरंभ किया था और सर्वश्रेष्ठ वीडियोस यूट्यूब चैनल पर अपलोड की थी ।उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज माँ विषय पर आपकी वीडियोस आमंत्रित हैं। मातृ दिवस पर हम सबने आलेख लिखकर माँ की महिमा पर अपना सृजन किया। आज माँ विषय  पर ही आप वीडियोस प्रेषित करेंगे। माँ को परिभाषित करना मुश्किल ही नहीं असंभव है -लेकिन फिर भी माँ की सहजता सरलता ममता की पराकाष्ठा माँ जन्नत है ,दुनिया है ,जन्नत है ,तक़दीर है ,ख़ुशी है ,सांत्वना है ,शान्ति है ,भावना है ,दुनिया का हर सुखमय शब्द है।
यह सर्वविदित है माँ सा कोई नहीं हो सकता ।माँ के समान कोई छाया नहीं ,कोई सहारा नहीं ,कोई रक्षक नहीं ,कोई प्रिय नहीं ,माँ कभी पलायन नहीं करती केवल जीवन सँवारती है। आईए माँ विषय पर सृजन  कर वीडियोस बनाएँ व यूट्यूब पर अपलोड करवाएँ ।
इस कार्यक्रम में मुख्य आयोजक अध्यक्ष हरियाणा इकाई आदरणीय विनोद वर्मा दुर्गेश जी आयोजक डॉ दवीना  अमर ठकराल जी , अलंकरण प्रमुख डॉ अनीता राजपाल जी डॉ दवीना अमर ठकराल जी महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी ,  समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों के सहयोग से एक दूसरे की रचनाएं को वीडियो के माध्यम से सुनकर सार्थक टिप्पणी करते हुए लगभग  1000  कॉमेंट्स आएं जो कि संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है ।

हरियाणा इकाई
https://www.facebook.com/groups/690267965033102/permalink/844361806290383/?sfnsn=wiwspmo

2.

आ. लता सगुण खरे 'वल्लरी' जी की इदन्नमम पुस्तक का विमोचन किए साहित्य संगम संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष आ. राजवीर सिंह मंत्र जी ।

साहित्य एक नज़र 🌅 , रविवार , 23 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान, रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )  के राष्ट्रीय अध्यक्ष आ. राजवीर सिंह मंत्र जी के करकमलों से 23 मई 2021 रविवार को व्याकरण - शाला की संचालिका , छत्तीसगढ़ इकाई की पंच परमेश्वरी आ. लता सगुण खरे 'वल्लरी' जी को जन्म दिन की अनुपम भेंट इदन्नमम पुस्तक का विमोचन किए , एवं शाम 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक काव्य मंच पर काव्योत्सव का आयोजन किया गया है । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , महागुरुदेव आ. डॉ राकेश सक्सेना जी,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी , पश्चिम बंगाल इकाई सचिव व राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी रोशन कुमार झा,  आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर आ. लता सगुण खरे 'वल्लरी' जी को जन्मदिन की बधाई काव्य पाठ के माध्यम से देंगे ।।

इदन्नमम पुस्तक
आ. राजवीर सिंह मंत्र जी विमोचन करते हुए -

https://www.facebook.com/groups/365510634417195/permalink/576259113342345/?sfnsn=wiwspmo

https://drive.google.com/file/d/1fXVXGm8ESQ1xrjIUncUDDo8HiD6B1IKR/view

3.
पानागढ़ की कवियत्री नेहा भगत "साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित हुई -

साहित्य एक नज़र 🌅 , रविवार , 23 मई 2021

22 मई 2021 , शनिवार को  " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से बंगाल भूमि के पानागढ़ की कवियत्री नेहा भगत जी को "साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित किया गया । नेहा जी पत्रिका के अंक 1 - 12 तक में  अपनी रचनाओं से योगदान करते हुए प्रचार प्रसार करने में भी अहम भूमिका निभाई है । साहित्य एक नज़र कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है , जो नि: शुल्क में साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , माहेश्वरी साहित्यकार, विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित व साहित्यकारों की रचनाएं , पेंटिंग ( चित्र ) प्रकाशित  साहित्य व कला की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका का उद्घाटन रोशन कुमार झा के हाथों से 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है उन सभी को  हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान पत्रिका के अंक के साथ सम्मानित किया जाएगा , नेहा जी को समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों बधाई दिए ।

https://online.fliphtml5.com/axiwx/hnpx/

4.

मैथिली , कविता

हम मिथिला पुत्र छी ,

गर्व अछि हमरा
कि हम छी मिथिला पुत्र ,
हमरा में शक्ति
अछि बहुत ।।
तहन हम मिथिलावासी
छी मजबूत ,
स्वर्ग सऽ सुन्दर अछि
अप्पन मिथिलांचल
रहन सहन अछि अद्‌भुत ।।

हम गंगाराम कहैत छि
हम मिथिला के छी संतान ।
माथ पर पाग अछि
इ तऽ अछि अप्पन पहचान ,
राह हेत रोशन , कर्म करूँ
हम इंसान ।
बार - बार हम जन्म ली
मिथिला में
और मिथिलांचल हुएअ
हमर जन्मस्थान ।।

✍️ गंगाराम कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी , बिहार
राष्ट्रीय सेवा योजना
कविता :- 20(04) मो - 6290640716
कविता -
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgHleybi-zU7a8lBr20WnAdJrAroWSgJkdDLCono3qExq4JJCBW7oVXzufs4InKgZdV4b4FJ1kyh3zhHFsslhqJn7A-mYgjKCMcBEKAyIuud9ubdZdqcB2Qutg8vc5t9nZJNktSMaUuDi4/s2048/CFM+HINDI+23.05.2021+9.jpg

23/05/2021 , रविवार
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPxw1whPghq34Ywu8kKqrbATVvNFRkCSi17mr0z1dhEz4zjkwMkzAqzDYkTVpVbEUtMVmNclxPijhGOilfmiTQQgYVNJ9RJqEGigpGO3RSQ69JqZUkZna3Ghe0czaVcVMONf6lisCg3aU/s2048/CFM+HINDI+23.05.2021+8.jpg

5.
कविता :- 17(70) , बुधवार , 30/09/2020

भाषा :- बंगाली , कविता :-
ভাষা :- বাংলা , কবিতা

शीर्षक :- तुम मेरे पास आओ
শিরোনাম :- তুমি আসো
আমার কাছে ।

তুমি আমার কাছে আসো ,
এই রকম আমি ভালোবাসি ,
সে রকমই তুমিও
আমাকে ভালোবাসো ।
তুমি নিজের একা খাবার খাছো ,
ডাকলাম আমি তোমাকে
আর তুমি আমাকে ছেড়ে
কোথায় জাচ্ছে ।।

তোমার জন্য আমি রোশন
ঘুমিয়ে পারি না
জেখানে তুই ডাকলী,
আমি গেলাম ,
কিন্তু ওইতো তোর বাড়ি না ।।
আমি তোমাকে ভালোবাসি ,
তুমিও আমাকে ভালোবাসো
অতটুকু তাড়াতাড়ি না ।
আসো তুমি , আপনি
আমাকে নিজের
চোখে দিয়ে এখুন পর্যন্ত
দেখতে পাড়ি না ।।

এখূন ন তুই একটূ পরে আসবি ,
জানী আমি তারপরো
তুই আমাকে ভালোবাসবী ।।

      ✍️•••  রোশন কুমার ঝা
      

ঠিকানা :- লিলুয়া , হাওড়া , কোলকাতা , পশ্চিমবঙ্গ :-  ৭১১২০৪
पता :- लिलुआ , हावड़ा , कोलकाता ,
पश्चिम बंगाल :- 711204
মোবাইল নাম্বার :- ৬২৯০৬৪০৭১৬
मो :- 6290640716

🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
Sahitya Eak Nazar
23 May , 2021 , Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
______________________


हम हिन्दुस्तानी , अमेरिका

http://humhindustaniusa.com/epaper/edition/245/09-10-2020/page/71

बंगाली कविता - अग्रसर मंच पर

राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
http://humhindustaniusa.com/epaper/edition/276/13-05-2021

http://humhindustaniusa.com/epaper/edition/276/13-05-2021/page/30

इंकलाब मंच , राष्ट्रीय अग्रसर मंच
https://misternkdaduka.blogspot.com/2020/07/17.html?m=1

6.


गम के कोल्हू में मैं पिलता रहा
सच मानो प्याज सा छिलता रहा 1

वक्त के मरहम के इन्तजार मे
जख्म ताजा रोज मिलता रहा|2

चाक दामन लोग करते ही रहे
सब्र की सुई लिये सिलता रहा  |3

कोशिशे ये भी  हुई दम घोट दें
आईनो से ये पता मिलता रहा |4

जिक्र मेरा कर रहे थे जब सभी
मै खडा चुपचाप बस हिलता रहा |5

प्रेम दुश्मन  आज कल बेचैन है
कैसे मै यूँ फूल सा खिलता रहा [6

✍️  डा0 प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाज बिजनौर
7.
नमन मंच के सभी सदस्यों को

मेरी रचनाएँ पत्रिका में प्रकाशित करने के लिए

दीन ओ इमान बेच कर खाऊँगा
देख लेना मैं खूब पैसे कमाऊँगा ।
ज़ेहनऔर ज़मीर की बात न कर
उन्हें तो ज़िंदा ही दफना आऊँगा।
लोग भले  समझें मुझें पत्थरदिल
कतरा भी न  आंखो  से बहाऊँगा ।
मुझे किसी के बेबसी से क्या लेना
मैं तो  उस पर ही  हुक्म चलाउँगा ।
भाड़ में जाए सच्चाईओइमानदारी
खुद को  खुंखार खुदगर्ज बनाऊँगा।
देख ली है मैनें मसीहाई का नतीज़ा
पीर,पैगंबर संतो से पीछा छुड़ाऊँगा ।
आज फ़िर से पी कर आ गए अजय
चलो पहले तुम्हारा नशा उतर बार्ऊँगा

भूखे  पेट  तो  प्यार नहीं  होता
खाली जेब  बाज़ार नहीं  होता ।
पढ़ा-लिखा के घर पे बिठातें हैं
यूँही कोई बेरोज़गार नहीं होता ।
बेलने पड़ते हैं पापड़ क्या क्या
आसानी से सरकार नहीं होता ।
आजकल के बच्चों से क्या कहें
सँग रहना ही परिवार नहीं होता ।
दिल में गर खुलूस न हो अजय
तो फ़िर सेवा,सत्कार नहीं होता।

✍️ अजय प्रसाद
अण्डाल,वेस्ट बंगाल ( पश्चिम बंगाल )

8.
🙏🏻 सावधानी रखनी है 🙏

मची है धरा पर हा
हा कार खूब है,
कोरोना की दूसरी लहर का
कहर बहुत ख़ौफ़नाक है,

चारों तरफ तबाही का
मंजर ही मंजर है,
सच्चाई कम और अफवाहों
का बवंडर बहुत है,

मौत तांड़व कर रही है
सबके सिर चढ़ कर आज,
अस्पतालों में दवा और
हवा कम हो गई है आज,

कुदरत नाराज हो गई है
मानव के दोहन पर आज,
किया है गुनाह तो सजा
तो भुगतनी पड़ेगी आज,

न डरना है न ही किसी
को भी डराना है,
न अफवाहों का बवंडर
बना कर फैलाना है,

सबको रखना है हौसला और
ओरों का भी बढ़ाना है,
किसमें कितनी सच्चाई है ये
परख कर बात को आगे बढ़ाना है,

यह महामारी हर सौ साल में
आती है इससे घबराना नहीं है,
सरकार अपना काम रही है
हवा और दवा जुटा रही है,

तब तक अपना और ओरों का
संतुलन बनाए रखना जरुरी है,
ये कोरोना की बीमारी ही ऐसी
है सबको बचके रहना जरूरी है,

सावधानी और सांसे सबको
मिलकर चल रही है
तब तक चलानी जरूरी है,
दो गज की दूरी और
मास्क है सबको जरूरी है,

घर से बाहर और भीड़-भाड़
में ज्यादा जाना नहीं है,
सावधानियां और सरकारी
गाइड-लाइन की पालना जरूरी है,

सावधानी हटी तो समझो
दुर्घटना घटनी है,
सावधानी इस समय
रखना है बहुत जरूरी है !!

✍🏻 चेतन दास वैष्णव
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा , राजस्थान
9.
गीत ----------
**************
आपकी याद में गुनगुनाते रहें ,
आप आएँ न आएँ बुलाते रहें  !
रो रहा मन बिलखती
मेरी सांस है ,
ठिठक जाती मेरी हर
पलक आश है ,
एक आना तुम्हारा
यही खास है ,
देख लो मुस्कुरा कर
यही प्यास है ,
आपके  शब्द हों  हम सुनाते रहें ,
राह के ग़म सभी हम भुलाते रहें  !
आपको प्यार की डोर
में बाँध लूँ ,
नैन की कोर से मैं
तुम्हें झाँक लूँ ,
दूर या पास पर मैं
तुम्हें माँग लूँ ,
आप अपने पराए
मगर साध लूँ ,
आपका साथ हो हम सिखाते रहें ,
नैन से  नैन अब हम  मिलाते रहें !
मैं वसन्ती हवा चल
रही जोर से ,
है लगी तन अगन जल
रही भोर से ,
पाती आती नहीं आज
उस छोर से ,
कल्पना बह रही मेरी
हर पोर से ,
वह हमें साख सा बस हिलाते रहें ,
मुस्कुरा फूल सा वह खिलाते रहें  !
फूटती सिसकियाँ मुख
मेरे प्यार की ,
एक ही सुध हृदय पर
मेरे यार की ,
छिल रहा यह बदन
मार में खार की ,
टूटती यह नहीं अब
"सजल"धार की ,
होश में  आ सकूँ  रस पिलाते रहें ,
मर न जाएँ कहीं हम जिलाते रहें !

✍️ रामकरण साहू"सजल"ग्राम-बबेरू
जनपद-बाँदा , उ0प्र0
नाम- रामकरण साहू"सजल"
पिता का नाम- श्री श्रीकृष्ण साहू
जन्मतिथि- 10/08/1970
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
परिषद (बाँदा) उ०प्र०
पता- कमासिन रोड़ नीलकंठ
पेट्रोल पम्प के पास ग्राम+पोस्ट
बबेरू जनपद-बाँदा उ0प्र0
सम्पर्क सूत्र- 8004239966

10.
एक दिन व्यक्ति इतना
व्यस्त हो जाएगा
अपने हाथ पैर भी धोबी के
यहाँ धुलबाने जाएगा।

प्रत्येक धोबी अपनी दुकान पर
एक बोर्ड लगबायेगा।
जिस पर हाथ स्पेशलिस्ट पैर
स्पेशलिस्ट लिखबायेगा।

एक व्यक्ति ने अपने हाथों को गंदा पाया ।
वो सीधा धोबी की दुकान पर आया।

बोला हाथ धुलबाना है समय कम है
ऑफिस भी जाना है।
धोबी बोला आज छोड़ जाइये
, सुबह आकर ले जाइये।

यह सुन व्यक्ति झल्लाया
जोर से चिल्लाया।
क्यों मरबाते हो हाथ छोड़ जाऊँगा
तो रिश्वत कैसे ले पाऊँगा।

धोबी बोला मैं अभी  नहीं धो पाऊँगा।
पहले अपने हाथ उठाने बगल
की दुकान पर जाऊँगा।

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर

11.
"पिंजरा"

काले पिंजरे में उसके
आ गई थी जंग कत्थई
सूर्य की ढ़ीठ किरणें
कर ही जाती थी घुसपैठ
तब वह कत्थई रंग
बन जाता था सोना
आंखें ही क्या देह भी
चुॅधिया जाती हल्की
किंतु तेज रोशनी से
सलवटें छोड़ती त्वचा
हो चली बेजान और निस्तेज
दमकती रात की चमचमाती
रंग बिरंगी बत्तियों में
श्रृंगार की अभ्यस्त आंखों को
प्रेम भरे बाजार में सिर्फ
मिला बाजार भरा प्रेम ही
और काजल भरी काली कोठरी
एक-एक रग का
देह के वृत्त और चाप का
भाव था बहुमूल्य किंतु
कीमत लगा न पाया कोई
दिलो-दिमाग की शिराओं का
अवचेतन अवस्था को झकझोर कर
चेतनता की कटार मुट्ठी में भींचकर
घात लगाए है उस हाथ पर जो
पकड़े हैं छल्ला गोल-गोल
काले पिंजरे के सबसे ऊपर
आज बेचेगी लहू वह
इस बाजार में जो
धार बन बहेगा प्यासी धरती पर
बढ़ेगी उर्वरता ज़मी के दिलो-दिमाग की

     ✍️ -रश्मि चौधरी-
  
12.
नमन मंच
शीर्षक- मैं हूँ बूंद

मैं हूँ बारिश की बूंद जो अपने को
पृथ्वी के आँचल में अपने को खुश पाती हूँ
पृथ्वी अपने मे समेटे हैं हरियाली,खुशहाली
हरे भरे पेड़ लताये,न्यारे-न्यारे फूल,फल
पृथ्वी पर झरने और नदियाँ,बहती अविरल
खड़े पर्वत बहता सागर विशाल सब करते
बून्द बून्द का इंतजार।

झिलमिल सितारों की चमकते मेरे बरसने के बाद
अनंत अम्बर चमकता जैसे हो मणियों का हार
प्रात दिनकर की किरणों से चमकती धरा विशाल
शांत पवन भी बहती मंद मंद लिए मुस्कान
मानो खुशियां बांट रही आज बरसात की वो रात
मुझसे ही मिट्टी की सोंधी सी खूशबू भी करती
बून्द बून्द का इंतजार।

पेड़ो का शृंगार रंग-बिरंगे फूलों से होता
ऊर्जा पाती हूँ हूँ मैं ये सब देख
स्नेह प्रस्फुटन होता सबका मुझसे नूतन पुष्पो को देख
बरसात का करते पशु-पक्षी भी बेसब्री से इंतजार
पक्षी करते कलरव मेरे आगमन से
आनंदित होती हूँ मै भी उनकी प्यास बुझाकर ओर वो करते
बून्द बून्द का इंतजार।

सभी ऋतुओं से मिलती खुशियां बरसात की बात निराली
तभी हूँ गौरवान्वित, क्योंकि प्रकर्ति जीवन है सिर्फ़ मुझसे
मस्त हो बरसती हूँ कभी यहां कभी वहां
इठलाती, उल्लासित होती अंक पृथ्वी के गिरकर
गोद को ले मैं चूमती हूँ धरा की मानो गोद  मिली हो माँ की
जीवन उत्सव मनाते गिरती हूं जब धरा पर तभी करते
बून्द बून्द का इंतजार।

✍️ डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
13.


देव शायद सो रहा है,
पाप सबके धो रहा है।
है अलौकिक शक्ति मानव,
फिर भी कैसे रो रहा है।।
हर इबारत गढ़ रहे हैं,
चाँद तक पर चढ़ रहे हैं।
मौत के पर आंकड़े भी,
रोज कितने बढ़ रहे हैं।।
अब उठा जो ज्वार है वो
, आसमां तक भेद देगा।
किन्तु मानव फिर धरा पर,
इक नई दुनिया रचेगा।।

आंख में सैलाब है,
और टूटता हर ख्वाब है।
ढेर लाशों के लगे हैं,
और चिता पर आग है।।
सब अचानक मर रहे हैं,
मौत से सब डर रहे हैं।
कुछ समझ ना आ रहा,
तकनीक का क्या कर रहे हैं।।
सभ्यता अवसान पर है, लग
रहा कुछ ना बचेगा।
किन्तु मानव फिर धरा पर,
इक नई दुनिया रचेगा।।

दौड़ ये विज्ञान की है,
या अभी अज्ञान की है।
लग रहा है दौड़ ये बस,
दुनिया के अवसान की है।।
हमने यूं पौरूष दिखाया,
पेड़ काटे, वन जलाया।
सारे जीवों का हमीं ने,
छीनकर के हक है खाया।।
अब प्रलय हुंकार देती,
मौत का तांडव मचेगा।
किन्तु मानव फिर धरा पर,
इक नई दुनिया रचेगा।।

मन में ये विश्वास रखना,
दिल में अपने आस रखना।
ठोकरें कितनी लगें पर,
लक्ष्य तुम आकाश रखना।।
हमको चाहे सब डराएं,
कितने साथी छूट जाएं।
रुदन-क्रंदन घोल करके,
मृत्यु का सब गीत गाएं।।
पर विजय हम पा गए तो,
फिर से जीवन सुर सजेगा।
हाँ ये मानव फिर धरा पर,
इक नई दुनिया रचेगा।।

✍️ अभिजित त्रिपाठी
पूरेप्रेम, अमेठी,
उत्तर प्रदेश
मो.- 7755005597
14.

सुरेश शर्मा

📙📖📕 पुस्तक 📙📖📕

पुस्तक
तुम हो मेरी प्रिय सखी सी
आँसू डूबी कलम-मसि सी
कैसे-कैसे चित्र उकेरे
बहुरंगी हो, तुम तूली सी,
जब-जब जैसी दुनियां दीखी
भाव-व्यंजना, क्षुधा-महिषी,
हृदय-हृदय में वास करो तुम
भव-भुवन में होकर प्रीति,
पौंछो आँसू, जैसे कोई !
बन जाओ न, मीत-मनीषी,
एक दिन हर घर में जाना तुम
ओढ़ चुनरिया, ज़िल्द सरीखी,
तुम हो मेरी---------

✍️ सुरेश शर्मा

15.
कभी सांकल किवाड़ों की
खुलती रही होगी
कभी निस्तार नाली का
मेरे घर से गुजरता था!
कभी सिगरेट के सुत्ते अटक
जाते गले में थे
बगल से गांव का गूंगा
भी गुजरता था!
निठल्ले घूमती होगी कभी
जो एडिया भरती!
वो दबते पाव चलती
कभी घर से निकलती!
कभी धरती धमकती थी
पैर की धमकार से
कभी आंचल सहजती
दुपट्टे की कोर से!
कभी घी के दिए से काड़ती
काजल बनाती
कभी सावन में कजली
गीत गाती!
कभी जो नाप आती थी
समूचे गाव का कूंचा
कभी सर माथ पे धरती घर समूचा
कभी पायजेब की रुनझुन
सुरीले तान छेड़े
कभी परिहास, पर का
प्रेम से पानी उड़ेले!
मुहल्ले की सभी संकरी सी
गलियां नापती होगी
कभी गणगौर पर सजती
संवरती थी दुलहन सी
कभी काला सा धागा बांध
पैरो में मटकती
अब...          
अभी किस्तों में कटती
जिंदगी रिश्तो पे ठहरी
अभी सोने के बदले  काटती
फसलें सुनहरी!
अभी उंगली पकड़ते हाथ
पर महंदी लरजती
अभी रूंधन भरे कंठो को
तरवतर करती!
अभी द्रोपद सरीखी परिवार
का ख्याल रखती
अभी दो चार बातो से
ठहाके सहन करती!
अभी निर्लज्जता की
हदे सब पार करते
सुना है भेड़ियों को
रोज का शिकार करते!
ना थकती, ना रुकती,
कमाल करती!
निगाहों से नगाहे ताकती
सवाल करती!
निरुत्तर हूं तुम्हारी श्रेष्ठता पर...
निरुत्तर हूं तुम्हारी चेष्ठा पर..!

✍️ नीरज (क़लम प्रहरी)
कुंभराज, गुना (म. प्र.)
16.
""मैं मेहनतकश हूं""

मैं मेहनतकश हूं

मुझे आराम पसंद नहीं

मुझे तो मेरी

मेहनत से प्रेम है

क्योंकि

मैं जो आज हूं

वो सब मेरी

मेहनत का ही है

जिसकी बदौलत मैं

आज एक सफल इंसान हूं ।।

✍️ मनोज बाथरे चीचली
जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
17.
मंच को सादर नमस्कार 🙏
शीर्षक- साजिशें

साजिशें यूं चलती रही
किस्से यूं बनते रहे
बदनामियों के समंदर में
कुछ डूबे, कुछ तरते रहे....
तूफान तो आते रहे
आंधियां चलती रही
ग़म में, खुशी में
साज बजते रहे....
मौत के आगोश में
तन कभी जलते रहे
बंदगी की चाहत में
कभी सुर सजते रहे....
नाकामियों की आग में
कुछ ख्वाब खाक हुए
दिल्लगी की शाम में
कई ग़म छलकते रहे.....
यूं दौड़ती रही जिन्दगी
सरपट ट्रेन की तरह
समय कम होता रहा
ख्वाहिशों के दौर बढ़ते रहे.....!

             ✍️        बबिता ओबराए
                         धर्मशाला
18.

आपकी यादों में हम कुछ यूं गुम हो जाते है
कि, कब सुबह से शाम हो जाती है,
हमें कुछ खबर ही नहीं चलती
और हम ये सोच-सोच आह भरे जाते है
कि, दर्दे दिल जब हद से गुजर जाऐगा
तो, अश्क... तो बिलकुल न बहाऐंगे
बल्कि एक बेबाक मुसकान चेहरे पर लाऐंगे
और.. गम-ए-जुदाई को धुल चटाकर ये बताऐंगे
अभी हम हारे नहीं,
उनके दूर चले जाने से
बस जरा सी चोट है रूह की
उम्मीद है, जल्द ही भर जेऐगी
वो तो वापस लौट आने से रहे
बस अब उनकी याद ही,
हमें उम्र भर सताऐंगी
इसे भी झेल लेंगे हँसकर,
उन्हें बिसरा कर क्योंकि,
जब हम कभी पहले टूटेंगे, बिखरेंगे
तभी तो बाद में और बेहतर हो निखरेंगे!

●●●
✍️ ज्योति झा
बेथुन कॉलेज, कोलकाता
   
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कविता :- 20(07)




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साहित्य एक नज़र
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )

Sahitya Eak Nazar
সাহিত্য এক নজর

अंक -1
11/05/2021
मंगलवार
वैशाख कृष्ण 15 संवत 2078
पृष्ठ - 1
कुल पृष्ठ - 4
वैशाख कृष्ण 15 संवत 2078
कविता :- 19(92) - 19(93)

अंक - 1
11/05/2021 , मंगलवार ,
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अंक - 2
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अंक - 3
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अंक - 4
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आहुति पुस्तक
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अंक - 5
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कविता :- 20(06)

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