कविता :- 20(04) , शनिवार , 22/05/2021, साहित्य एक नज़र अंक - 12, दसवीं कक्षा का रिजल्ट छः साल हो गया ।

रोशन कुमार झा

कविता :-  20(04)
साहित्य एक नज़र अंक - 12

दिनांक :- 22/05/2021
दिवस :- शनिवार

मैथिली , कविता

हम मिथिला पुत्र छी ,

गर्व अछि हमरा
कि हम छी मिथिला पुत्र ,
हमरा में शक्ति
अछि बहुत ।।
तहन हम मिथिलावासी
छी मजबूत ,
स्वर्ग सऽ सुन्दर अछि
अप्पन मिथिलांचल
रहन सहन अछि अद्‌भुत ।।

हम गंगाराम कहैत छि
हम मिथिला के छी संतान ।
माथ पर पाग अछि
इ तऽ अछि अप्पन पहचान ,
राह हेत रोशन , कर्म करूँ
हम इंसान ।
बार - बार हम जन्म ली
मिथिला में
और मिथिलांचल हुएअ
हमर जन्मस्थान ।।

✍️ गंगाराम कुमार झा
मधुबनी , बिहार
" चल गये छोड़कर पर्यावरण प्रेमी आदरणीय
सुंदरलाल बहुगुणा जी ,

" क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार। मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार। "

इनके इन बातों को सूना जी

तब हम सब पर्यावरण का रखें ख़्याल ,
आज कल और ये है भविष्य की सवाल ।। "

✍️ रोशन कुमार झा
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 20(04)
22/05/2021, शनिवार , कविता - 20(04)

साहित्य एक नज़र , अंक - 11

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/11-21052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/

21/05/2021 , कविता - 20(03)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2003-11-21052021.html

कविता :- 20(04)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2004-22052021-12.html

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=780157699540306&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 2
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=337385387813081&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

साहित्य एक नज़र अंक - 12
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/12-22052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/hnpx/

कविता :- 20(05)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2005-23052021-13.html

अंक - 13

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/13-23052021.html

गंगावतरण
https://vishnews20.blogspot.com/2021/03/blog-post_8.html?m=1

https://youtu.be/YJ6xadiJAvI

कविता :- 20(06)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2006-24052021-14.html

अंक - 14
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/14-24052021.html

22/05/2015, शुक्रवार, दस का रिजल्ट निकला रहा छः साल पहले ।
B.Road , Gupta school के पास से रिजल्ट निकाले रहें ।
Roshan Kumar Jha
Father - Shreestu jha
Roll - 209731B , No - 0079
Ghusuri sree Hanuman jute mill Hindi High school
Registration no :- 2141-193510
Examination centre
Salkia - 2
Salkia sree satyanarayan Madhab Mishra vidyalaya
Date of birth :- 13/06/1999

लंगड़ा बाड़ी में रहते रहें , रिजल्ट के समय दीपक भईया बाड़ी झील रोड़ में ।
12 वीं का चंदन दा सी रोड़ से 30 मई 2017 , 10:30 , राजन हमें फोन करके बता दिया रहा ।

आज साहित्य एक नज़र , अंक - 12
शनिवार , 22/05/2021, कविता :- 20(04)
मोनू  छत से, धर्मेंद्र पास से आंचल और रानी को पढ़ाएं पूजा नहीं पढ़ी हम बोले रात में नेहा का सपना देखें रहें कि वह हमें मार रहीं है । इसीलिए झगड़ा की ।
D.k , ट्यूशन एक ही से पढ़ा मेम से वह दो साल पहले बाली ब्रिज से गिरकर जान दे दी लिलुआ में रहती थी , बोला एक बार हमको रास्ते में मोनू के सामने एक झापड़ मारे भी रहें । बेबी भी पढ़ती रही । D.k 7 तक उसके बाद बिना ट्यूशन का ।

https://youtu.be/nOezgLN4Rvg

https://vishnews20.blogspot.com/2021/02/great-poet-arsi-prasad-singh.html?m=1

गंगावतरण
https://vishnews20.blogspot.com/2021/03/blog-post_8.html?m=1

https://youtu.be/YJ6xadiJAvI

आज शनिवार , 22/05/2021 विकास पाठक फोन किया रहा हम नहीं उठाएं ।

आज आ. प्रमोद ठाकुर जी से फोन पर बात किए । फेसबुक के बारे में बताएं आ. राजवीर सिंह मंत्र जी और आ. कुमार रोहित रोज़ जी के बारे में ,
____________

बंगाली कविता

कविता :- 17(73) , हिन्दी

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 03/10/2020
दिवस :- शनिवार
विषय :- आ. सोनू सूद  कोरोना काल के भगवान
सोनू सूद जी
विधा :-  समीक्षा
प्रदाता :- आ. भारत भूषण पाठक जी
विषय प्रवर्तन :-  आ. अर्चना वर्मा जी

साहित्य संगम संस्थान, नई दिल्ली द्वारा दी गई समीक्षा आज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है , इस विषय से हम साहित्य प्रेमियों सच्चे समाजसेवी के बारे में जान सकते हैं ,
इस कोविड-19 कोरोना काल में पुलिस, डॉक्टर, एनसीसी, एनएसएस, भारत स्काउट गाइड, सेंट जॉन एम्बूलेंस कैडेट्स द्वारा उठाए गए कदम बहुत ही मूल्यवान है ,इस विपत्ति में 30 जुलाई 1973, मोगा, पंजाब में जन्में सोनू सूद जी ने अहम भूमिका निभाये, इनकी द्वार किये गए कर्म को कभी भूलाया नहीं जा सकता,  जहां सरकार चाह कर भी कुछ न कर पायी रही , वही सोनू सूद जी ने घोषणा कर दिए कि मेरे प्यारे श्रमिकों भाइयों और बहनों, अगर आप मुंबई में हैं और आप अपने घर जाना चाहते हैं, तो कृपया इस नंबर पर कॉल करें- 18001213711 या अपना नाम और पता व्हाट्स एप करें , सच में सोनू सूद जी भगवान से कम नहीं सहयोग किये इस कोरोना काल में , जहां बड़े-बड़े उद्योगपतियों अपने मजदूरों को सहायता करने में असमर्थ रहा , वही सोनू सूद जी आगे बढ़कर मजदूरों भाईयों और बहनों की भरपूर सेवा किए,
भारत माँ को सोनू सूद जैसे संतानों पर गर्व है ।

✍️       रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716

इंक़लाब न्यूज़ , मुंबई ,       रोशन कुमार झा
कोलकाता / पश्चिम बंगाल
03/10/2020, शनिवार

साहित्य संगम संस्थान बोली विकास मंच द्वारा आयोजित
क्षेत्रीय बोली कवि सम्मेलन 4 अक्टूबर को

साहित्य संगम संस्थान, बोली विकास मंच द्वारा आयोजित बोली संवर्धन  वीडियो कवि सम्मेलन में , आ. किरण प्रभा अग्रहरि जी ,बुलंदशहर उत्तर प्रदेश से अवधी में ,आ. निशी भदौरिया जी ग्वालियर, मध्य प्रदेश से ब्रजभाषा में , आ. सुनीता रानी राठौर जी ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश गृह नगर -पटना से मागधी भाषा में, आ.सीताराम राय सरल जी टीकमगढ मध्यप्रदेश से क्षेत्रीय बोली बुन्देली, आ. श्रीकान्त दुदपुडी जी कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड से गढ़वाली बोली में , आ. प्रज्ञा शर्मा जी प्रयागराज उत्तर प्रदेश से खड़ी बोली में ,आ. जयहिंद सिंह हिंद जी, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से भोजपुरी सजल में , और आ.अतुल द्विवेदी अंजाना जी, रीवा मध्यप्रदेश क्षेत्रीय बोली बघेली भाषा में 4 अक्टूबर 2020 , रविवार शाम 07 बजे से 09 बजे तक के बीच काव्य पाठ करने के लिए आमंत्रित हैं ‌। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि आ. डॉ मीना भट्ट जी , पूर्व न्यायाधीशा जबलपुर , आ. बाबा कल्पनेश जी संतकवि प्रयागराज, एवं मुख्य अतिथि साहित्य संगम संस्थान के अध्यक्ष आ. राजवीर सिंह मंत्र जी है , प्रचार निर्देशक आ. नवीन कुमार भट्ट नीर जी  , कार्यक्रम संचालक आ. विनोद कुमार वर्मा दुर्गेश जी है , अतः आप सभी साहित्य प्रेमियों व पाठकों फेसबुक पर साहित्य संगम संस्थान बोली विकास मंच पर आमंत्रित हैं ।

अग्रसर हिंदी साहित्य मंच के क्षेत्रीय मातृभाषा/बोली विकास कार्यक्रम में *आपणी बोली आपणी मातृभाषा*

17  रोशन कुमार झा  , कोलकाता , बोली बंगाली
कविता :- 17(70) , बुधवार , 30/09/2020
ऑडियो :- 01:43,

नमन 🙏 :- अग्रसर हिंदी साहित्य मंच
मातृभाषा/बोली विकास कार्यक्रम
* आपणी बोली आपणी मातृभाषा*
क्रमांक:- 17
रोशन कुमार झा

भाषा :- बंगाली , कविता :-
ভাষা :- বাংলা , কবিতা

शीर्षक :- तुम मेरे पास आओ
শিরোনাম :- তুমি আসো আমার কাছে ।

তুমি আমার কাছে আসো ,
এই রকম আমি ভালোবাসি ,
সে রকমই তুমিও আমাকে ভালোবাসো ।
তুমি নিজের একা খাবার খাছো ,
ডাকলাম আমি তোমাকে
আর তুমি আমাকে ছেড়ে
কোথায় জাচ্ছে ।।

তোমার জন্য আমি রোশন ঘুমিয়ে পারি না
জেখানে তুই ডাকলী,
আমি গেলাম ,
কিন্তু ওইতো তোর বাড়ি না ।।
আমি তোমাকে ভালোবাসি ,
তুমিও আমাকে ভালোবাসো
অতটুকু তাড়াতাড়ি না ।
আসো তুমি , আপনি আমাকে নিজের
চোখে দিয়ে এখুন পর্যন্ত
দেখতে পাড়ি না ।।

এখূন ন তুই একটূ পরে আসবি ,
জানী আমি তারপরো
তুই আমাকে ভালোবাসবী ।।

      ✍️•••  রোশন কুমার ঝা
       ✍️•••    रोशन कुमार झा

ঠিকানা :- লিলুয়া , হাওড়া , কোলকাতা , পশ্চিমবঙ্গ :-
৭১১২০৪
पता :- लिलुआ , हावड़ा , कोलकाता , पश्चिम बंगाल :- 711204

মোবাইল নাম্বার :- ৬২৯০৬৪০৭১৬
मो :- 6290640716

______________________

तुमी आसो आमार काचे ।
तुमी आमार काचे आसो ,
ऐ रोकोम आमि भालो भासी ,
सेई रोकोम तूमीयो  आमाके भालो भासौ ।
तूमी निजे एका खाबर खाचो ,
डाखलम आमी तोमाके
आर तूमी आमाके छेड़े कोथाई जाछो ।।

तोमार जनों आमि रोशन घूमिए पारी न ,
जेखाने तूई डाकरी आमी गेलाम
किंतु ओई ता तोर बाड़ी न ,
आमि तोमाके भालो भासी
तूमीयो आमाके भालोभासो ओतुक तालातारी न ।
आसो तूमी , आपनी आमाके निजेर छोखे दिए ऐखून पर्यन्तो
देखते पाड़ी न ।।

ऐखून न तूई एकतू पोले आसबी ,
जानि आमि तालफोरे तूई आमाके भालोभासबी ।।

________________________
हिन्दी अनुवाद कविता -

शीर्षक :- तुम मेरे पास आओ

तुम मेरे पास आओ ,
जिस प्रकार मैं प्यार करता हूँ ,
उसी प्रकार तुम भी हमको प्यार करो ।।
तुम खुद अकेले ही खाना खाती हो ,
बुलाएं हम ,और तुम हमको छोड़कर कहां जाती हो ।।

तुम्हारे लिए हम रोशन सो न पाएं ,
जहां तुम बुलायी , हम गये किंतु वह तुम्हारा घर नहीं रहा ।
हम तुमसे प्यार करते हैं, तुम भी करो उतना हड़बड़ी नहीं है ,
आओ तुम , आप हमको अपने आंखों से अभी तक देख नहीं पाएं हैं ।

अभी नहीं , कुछ देर बाद आओगी ,
मैं जानता हूं , उसके बाद तुम भी प्यार करोगी ।।

✍️       रोशन कुमार झा
कविता :- 17(41) , बंगाली ,
दिनांक :- 01/09/2020 , दिवस :- मंगलवार

Roshan Kumar Jha
77/ R mirpara road Liluah Howrah -711204
West Bengal

स्वर्णा आभा  समाचार पत्र में  प्रकाशित । संपादक महोदय का बहुत-बहुत धन्यवाद🙏
रोशन कुमार झा कोलकाता बंगाली भाषा में स्वरचित कविता प्रस्तुत किये रहें ।
आज पापा बैग ला दिए काला रंग ,
कल 2500 पूजा भेजी , आज शनिवार PNB से 2000 निकाले, बचा 788, रंगोली मोल पास खिलौना फैक्टरी में आएं नया में बिट्टू भईया रहें मशीन वाला में , बोले गांव कब जा रहे हैं, हम बोले 7 को बोले हम पैसा 12 तक दें देंगे , हम बोले ठीक है जाने लगे बोले 2 हजार लेते जाओ, बोले हम दो
हजार और दिए हैं, बाकी अभिषेक को एकाउंट नंबर दे देना हम बोले आप 75 पाते हैं , और हम चाय का 215 बोले अभिषेक से लेकर हमको 75 दें जाओ, 10 का चाय पिला दो , फिर अभिषेक भईया बोले इधर भी ला दे, 20 का चाय ला दिये,235 हुआ फिर 75 दिए 160 बचा , 100 दिए खाने का तीन बार का , 28 का अण्डा लाये रहें ,
____________________
हिन्दी कविता:-12(24)
22-05-2019 बुधवार 20:38
*®• रोशन कुमार झा
-: आराम मिला पाकर !:-

दूर जाकर,
आराम मिला पाकर!
नमक रोटी खाकर,
मैं दुख में रहूँ पर दुनिया को रखूँ हँसाकर!

मीठा स्वर गाकर,
अंधकार से रोशन राह में आकर!
आराम मिला जाकर,
सबको हँसाया मैं बुलाकर!

वही बना दुश्मन,
जिस पर लूटाये तन और मन!
दुख में कोई नहीं सुख में आया
जन के जन,
सब मतलबी निकला कैसे रहूँ मैं प्रसन्न!

सबका किये पूर्ण इच्छा,
वही लोग लिया परीक्षा!
पर बदले नहीं अपनी दिशा,
मेरा क्या कुछ भी नहीं जो है
वह है मेरी शिक्षा!

खुश हूँ जिसे पाकर
दुख दर्द खाकर!
हासिल किया हूँ सफलता गाकर
जीया हूँ जी रहा हूँ और जीने की इच्छा
है कि लोगों को रखूँ हँसाकर!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(24)
22-05-2019 बुधवार 20:38
गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार
सलकिया विक्रम विधालय
Roshan Kumar Jha(31St Bengal
Bn Ncc Fortwilliam Kolkata-B
Reg no:-WB17SDA112047
E.Rly.scouts
नया पंखा-1950(33|91 B.G.Road
लिलुआ ड्यूटी नेहा ड्यूटी Cosmic:-
टिकियापाड़ा रोबीन मोनू नशा पढ़ाये




साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 12
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )
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दिनांक :- 22/05/2021 , शनिवार


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🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
Sahitya Eak Nazar
22 May , 2021 , Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 12
22 मई 2021
   शनिवार
वैशाख , शुक्ल पक्ष , एकादशी , संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  14
कुल पृष्ठ -  15


अंक -  12

1.
हमारे बीच नहीं रहे पर्यावरण प्रेमी सुंदरलाल बहुगुणा जी ।

🌻💐🙏🌴🎄🏝️🎋🏞️🌲🌳🌴⛰️🏔️🏞️🗻

जन्म - 9 जनवरी 1927
94 वर्ष
निधन  - 21 मई , शुक्रवार , 2021

चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी सन 1927 को देवों की भूमि उत्तराखंड के 'मरोडा नामक स्थान पर हुआ और उनकी मृत्यु 21 मई शुक्रवार 2021 को ऋषिकेश मे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश मे हुई। अपनी प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बी.ए. किए। जीवन साथी विमला बहुगुणा , व्यवसाय से गांधीवादी , पर्यावरणविद् ।
1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी किए। दलितों को मन्दिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया।
अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही 'पर्वतीय नवजीवन मण्डल' की स्थापना भी की। सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुन्दरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
बहुगुणा जी के 'चिपको आन्दोलन' का घोषवाक्य है-

" क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार। मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार। "

सुन्दरलाल बहुगुणा के अनुसार पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाना अति महत्वपूर्ण है। बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेण्ड ऑफ़ नेचर नामक संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत भी किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
पर्यावरण को स्थाई सम्पति माननेवाला यह महापुरुष आज 'पर्यावरण गाँधी' बन गया है।

" चल गये छोड़कर पर्यावरण प्रेमी आदरणीय
सुंदरलाल बहुगुणा जी ,

" क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार। मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार। "

इनके इन बातों को सूना जी

तब हम सब पर्यावरण का रखें ख़्याल ,
आज कल और ये है भविष्य की सवाल ।। "

✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716



2.

कलकत्ता विश्वविद्यालय ( यूनिवर्सिटी) ने सीबीसीएस के तहत ऑनर्स/जनरल/मेजर परीक्षा 2020 का बी. कॉम ओड सेमेस्टर सेमेस्टर- I/III/V का रिजल्ट शुक्रवार 21 मई 2021 को ज़ारी कर दिया। जिन परीक्षार्थियों ने एग्जाम दिया था, वह अपना परिणाम https://www.exametc.com/  पर जाकर जांच कर सकते हैं। यदि किसी छात्र - छात्राओं के रिज़ल्ट में ( एबसेंट ) अनुपस्थित दिख रहा है तो वह अपने कॉलेज के पदाधिकारियों से संपर्क करें व अपने रिज़ल्ट से असंतुष्ट विद्यार्थी पन्द्रह दिनों के भीतर यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर जाकर रीचेकिंग के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

3.

साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई के पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को सम्मानित किया गया ।

साहित्य एक नज़र 🌅 , शनिवार , 22 मई 2021

शनिवार , 22 मई 2021 को साहित्य संगम संस्थान के संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी की करकमलों से 
साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई  के पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को सम्मानित किया गया । पदाधिकारी आ. दवीना अमर ठकराल जी , आ. रीतू गुलाटी जी , आ. अनिता राजपाल जी , आ. नीलम सिंह जी , आ. विनोद कुमार दुर्गेश जी , आ. होशियार सिंह यादव जी को साहित्य मणि सम्मान से विभूषित किया गया, सक्रिय सदस्य आ. जय मिश्रा जी , आ. सुनीता सिंह जी , आ. शंकर पी जी , आ. प्रज्ञा अंबेरकर जी को उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डाॅ० राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) इकाई की प्रगति में समस्त सर्वाधिक सक्रिय सदस्यों का भी अहम योगदान मानते हैं इसलिए सक्रिय सदस्यों को संगम सलिला से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा , आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर  सम्मानित हुए पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को बधाई दिए ।।

4.

* चंद पंक्तियाँ देश के जाँबाज
सैनिकों के सम्मान में आपके समक्ष *

मैं माटी की खुशबू का
गीत बनाकर गाता हुँ।
उन वीर सैनिकों की
गाथाओं को महकाता हूँ।।

जो प्रिया के मुखड़े को एक
नजर देख चले गए।
जो बूढ़ी माँ के आँचल को
बिन छुए ही चले गए।।

जिनकी राखी बिन बंधे
बहन की थाली सजो गई।
जिनकी बेटी खड़े-खड़े
दरवाजे पर ही सो गई।।

जो लाठी बुढ़ापे की फिर भी
सरहद पर चले गए।
मातृभूमि के सम्मान में देह
दान कर चले गये।।

उनकी भक्ति को मैं राग
बनाकर गाता हूँ।
हिन्द के मतवालों का
गीत तुम्हें सुनाता हूँ।।

✍️ पी के सैनी
राजस्थानी

दोहे :-

नारी के सम्मान में, रखती मन की बात।
नारी घर की आबरू, क्यों करते आघात।।

नारी नर की संगिनी, नारी से परिवार।
माँ,बेटी,पत्नी,बहन, शोभित ये संसार।।

माँ,भगिनी,पत्नी,सुता, करती हमसे प्यार।
नारी खुश रहती जहाँ, आती लक्ष्मी द्वार।।

त्याग, दया, करुणामयी,नारी की पहचान।
जननी जीवनदायिनी, तुम सा कौन महान।।

पालन-पोषण,हारिणी, नारी घर की शान।
नारी रुप अनेक है, मिले जगत में मान।।

✍️ सुमन अग्रवाल "सागरिका"
    आगरा

# लहराओं  तिरंगा

लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि देश हमारा गणतंत्र हुआ है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि देश हमारा स्वतंत्र हुआ है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि अब देश में लोकतंत्र है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि अब देश साम्प्रदायिक नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश असहिष्णु नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में न्याय सस्ता है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में कट्टरता नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सर्वधर्म समभाव है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब बेटियां सुरक्षित है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सैनिक मारे नहीं जाते हैं।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सब पढ़ और बढ़ रहे हैं।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब निरक्षरता दूर हो गयी है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में गरीबी नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में भूखमरी नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब भाई भतीजावाद नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब जातिवाद, क्षेत्रवाद नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब भाईचारा, सद्भावना है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सनकी शासक नहीं है।
लहराओं तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश विश्वगुरू पुनः बना है।

✍️  डॉ कन्हैया लाल गुप्त किशन
अध्यक्ष, हिंददेश परिवार, उत्तर प्रदेश
आर्य चौक- बाज़ार, भाटपाररानी,
देवरिया, उत्तर प्रदेश २७४७०२

कितना

कितना कुछ रह  जाता है मन
दुःख  कसक टीस

कुछ खुशियां कुछ अधूरे ख्वाब
कुछ अरमान

कुछ अधूरा प्रेम कुछ अधूरी कहानी
कितना कुछ न

कई  मन कि बातें जो चाहकर भी
अपनों से कह नहीं पाते हैं

कितनी सहेज कर रखी हुई बचपन की
बातें ,रेत मिट्टी से बनाया हुआ घरौंदा

फटी हुई किताबों पर लागाई हुई
लेई ,नई किताबों
पर चढ़ाई हुई जिल्द

किसी गलती से गिरे हुए फेंके
हुए कोरे कागज
पर न लिखी हुए भाव पढ़ना

बस कितना बहुत कुछ है
जीवन में जो रह
जाता है छूट जाता है और
बाक़ी रह जाती है केवल कसक
कितना कुछ कितना कुछ

✍️ अर्चना जोशी
भोपाल मध्यप्रदेश

🌹 *स्वीकार* 🌹

उम्मीदों का साथ छोड़कर
सपनों से वनवास लेना
यह भी मुझे स्वीकार नहीं
जीवन भर संघर्ष करूंगी
हार मुझे स्वीकार नहीं
आधुनिक हूं मैं किंतु
मर्यादा की सीमा लांघना
ये भी मुझे स्वीकार नहीं
कल जो थी वह आज नहीं
आज की नारी कमज़ोर नहीं
बाधाओं से हरदम लड़ती
दोहरे चेहरों की नज़दीकियां
जाने क्यों स्वीकार नहीं
नारी भी इंसान है
भोग्या बनना उसे स्वीकार नहीं
बलिहारी सदा करूंगी,
मेरे सपने अपनों के अपनेपन पर
ग़र मिले सम्मान मुझे
एक पल की भी बेइज्जती
रश्मि को स्वीकार नहीं
यह माना सपना है
ऊंची उड़ान का
थककर हार मानना
ये भी मुझे स्वीकार नहीं
स्वच्छंद नदी सी कल-कल
बहना चाहती हूं
किंतु कोई बांध बना दे
यह भी तो स्वीकार नहीं
हां हूं मैं आज की नारी
घर-बाहर निभाती हूं
दोहरी ज़िम्मेदारी
किन्तु 'आभा' पर कटाक्ष
उसे कभी स्वीकार नहीं

✍️ रश्मि दुबे " ** आभा *
* भोपाल *

मन और विचार मिलने की देर है।
बाकि तम बिखरा पडा, और फिर सबेर है।
कुछ लोगो मे देखा, मस्त हंसकर बोलते।
और कुछ पागल समझकर खूद मे ही रहते।
बहुत बार सोचते है, यह हमसे कान करे।
जान पहचान हुई है, अब थोडा मान धरे।
पर नही लाख बोलो तूम उतर तक ना देते है।
भले अस्पताल मे पडे हो, नही कुछ कहते है।
ईश्वर की लाठी मे देर है अंधेर नही।
मानव इट्ठलाया हुआ था, मुख सीला पाया था।
तभी इच्छा सबकी पुरी कर दी, बडा मास्क लगवाया था।
और कांधे का गरूर उसने सबसे तुडवाया था।
कह रहा आज भी जैसा सोचोगे यहां।
और वैसा ही यदि तुम करते जाओगे वहां।
फिर तो हर मन की मनोरथ, वह पुरी करते है।
राम नाम ,जय श्री कृष्णा, बोलना मानव ने छोडा था।
तभी तो उस देव ने भी तुमसे नाता तोडा था।
वह तो और भोला भंडारी, थोडा ध्यान धरते है।
जिसके कारण देखो हम तुमफिर हंसते दिखते है।
इसलिए एक बात ही इस आपदा से समझ लेना।
जैसै भी हो ,कोई भी हो अपना उन्हे समझ लेना।
पता नही आखिरी घडी मे कौन किसका सारथी बने।
सेवा भावी जन मिले और अपनो से दूर सने।

✍️ ममता वैरागी तिरला धार

* कौन थी वह *??

वह थक हार कर ,
कुछ उछल कर,
मेरे पास आ बैठी,

मैंने भी अनजाने में,
बड़े ताव में आके उस से
उठक बैठक लगवा ही  दी,

परेशान हो कर वो फिर वह
दूर जा खड़ी हुई,

मैंने भी अब, उस की
ओर लपककर
दौड़ लगा दी,

*गेंद* थी जनाब, हर
बार बल्ले से
उछाली  और ,
दूर भगा दी गई,......

रचनाकार :-
✍️  सौ.अल्पा कोटेचा,
महाराष्ट्र

तनहाई, बेवफाई और रूसबाई है!
ऐ ज़िन्दगी....
तू भी हमे किस मोड़ पर लायी है?
जहॉ मैं, अपने मन के जज्बात को
किसी से कह नहीं सकती
तड़पती हूँ मगर,
ये दर्द भी तो सह नहीं सकती
बाते कई रह गयी अनकही
जो कहनी थी उनसे ही हमें
ये सोच कर हर बार चुप ही रह गयी
जो कह दिया अभी सभी
तो फिर रहेगी बात क्या?
करने को उनसे...
यही गलती हमारी,
हमें तनहाई, बेवफाई और
रूसवाई का मंज़र सौगात दे गयी!!

●●●
✍️  ज्योति झा
बेथुन कॉलेज, कोलकाता

ग़ज़ल , ✍️ परेश दवे साहिब

-कोरोना-

अंजाना मेहमान है ये बिन
बुलाए घर आता है ||

नहीं छोड़ता यह किसी को,
लोगों को नाच नचाता है ||

अंजाना मेहमान है ये बिन
बुलाए घर आता है ||

नाम कोरोना है जी इसका,
यह लोगों को बहुत डर आता है ||

अंजाना मेहमान है ये बिन
बुलाए घर आता है ||

जो पॉजिटिव हो जाता इससे,
उन्हें ये क्वॉरेंटाइन कराता है ||

अंजाना मेहमान है ये बिन
बुलाए घर आता है ||

वैक्सीन लगवाना है बहुत जरूरी,
इसका दुष्प्रभाव कम हो जाता है||

अंजाना मेहमान है ये बिन
बुलाए घर आता है ||

घर में सुरक्षित रखें हम सबको
सैनिटाइज करें हम सबको,
मास्क लगाना बहुत जरूरी
सागर सबको बतलाता है ||

अंजाना मेहमान है ये बिन
बुलाए घर आता है ||

✍️ -वीरेंद्र सागर
-शिवपुरी मध्य प्रदेश

विष वृक्षों पर
कुछ पहुँच चुके हैं
स्वतः टूट की कगार में
कुछ टूटने की
कतार में लगे हुए है
कुछ भीरू पुरुष
उन्हे अब भी दे रहे हैं
अपने तूफानी उपदेश
खुद के बचाव के लिए
यह सब देखते
व समझते हुए भी
धंसान पर स्थित
नया उपजा विरवा
हंस रहा है
टूटने वाले पर
टूटने की कतार में
लगे हुओं पर
और उपदेश की
आत्मश्लाघा में डूबे हुए
विष वृक्षों पर।

✍️ प्रद्युम्न कुमार सिंह
बबेरू बाँदा
प्रकाशन हेतु

जिंदगी...
             जिंदगी में....
बिखराव अंतर का हो तो खुद
को समेटना ही ज़रूरी है....
हालात मन के हों जब बेकाबू
तब ठहराब ज़रूरी है.....
कुछ लोग हों अपने साथ
में ये टूटी आस में ज़रूरी है...
रुके जजवात हों दिल में
तब दर्द बह जाना ज़रूरी है...
आँसू पोंछ दें चुपके से वे लोग
"जिंदगी "में ज़रूरी हैं....
दस्तक बहुत थी खुशियों 
में लोगों की मेरे  दर पर....
अँधेरों ने जब घेरा तब
लोग जो  आए जिंदगी में....
वही ज़रूरी हैं.....
दरवाजे घर के खुले थे
हमेशा ही लेकिन......
किसी की आहट  मुश्किल में
आना तो ज़रूरी है....
. खबरों के इंतजार में
कान तो लगे हैं सबके....
लेकिन हौले से कानों
में जो गुनगुनाये............
"मैं हूँ ना " बस अवाज 
यही आना ज़रूरी है....
आहट अपनों के क़दमों की......
महसूस करना ज़रूरी है....
  यूँ तो रीत दुनिया की है यही दोस्तो.......
सलाम करती है
ये दुनिया चढ़ते सूरज को.......
ढलते सूरज के तो
बस बनाती किस्से कहानी है........
अपने तो खबर ही
नहीं लेते किस हाल में हैं...
जिनके वास्ते कभी
ये जान भी हाजिर थी...
यही तो दस्तूर है दुनिया
का इसे ही लोग कहते ...........
दुनियदारी हैं ....
अरे ओ सीख ले "गाफिल "यही
तो असल दुनियादारी है..........
लोग सच ही कहते हैं अकल के
कच्चे उनको............
खेलना आया नहीं
जिनको जज्बातो से....
कैसे अनाड़ी से वे कच्चे खिलाड़ी हैं...

✍️ पूजा नबीरा
काटोल , नागपुर, महाराष्ट्र

बेताब हूं मैं

उनसे मिलने को

बेताब हूं मैं

मिलना भी जरूरी है

और

दूरी भी जरूरी है

पर करें क्या

यही मेरी मजबूरी भी है

कर रहा हूं मैं

इंतजार उस समय का

जब मिलना होगा उनसे

बताऊंगा हाले दिल कि

क्यों बेताब हूं उनसे मिलने

अभी तक तो

सिर्फ और सिर्फ

इतंजार है

अपने आने वाले समय का ।।

✍️  मनोज बाथरे चीचली
जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश

(श्रद्धांजलि गीत)वृक्ष मित्र बहुगुणा जी को
                  समर्पित शब्द सुमन

आओं मिलकर चढ़ाये श्रद्धा के दो फूल,
सुंदरलाल जी के सदैव याद रहेगें वसूल।

वृक्ष सारे सहम गये,रोती हैं डाली डाली,
छोड़कर आज चले गये सुंदर वन माली।
व्यथित हुआ जग चंहू ओर बहे अश्रुधार,
कहां गये, चिपको आन्दोलन के सूत्रधार।
वृक्षों की सुरक्षा ही उनका उद्देश्य था मूल,
आओं........................................
सूना हो गया गाॅव आज प्यारा सा चमोली,
कौन सुनेगा वृक्षों की दुख:भरी मौन बोली।
अब कौन बनेगा तुमसा वनमित्र पालनहार,
दुखी वृक्ष कह रहे हमें काट डालेंगे ठेकेदार।
वृक्ष ही बनाते सदा पर्यावरण धरा अनुकूल,
आओं...........................................
सुंदर सुंदर वृक्ष बचाते वृक्ष प्रेमी थे महान,
इंदिरा जी ने सम्यक पुरस्कार किया प्रदान।
उन्नीस सौ तेहत्तर से किया वृक्ष हित जतन,
आज संघर्ष याद करके रो रहा सारा वतन।
वृक्ष देते आक्सीजन और हटाते भू की धूल,
आओं...........................................
चण्डीप्रसाद भट्ट,गौरादेवी थी साथ संघर्षरत।
परममित्र आपके कामरेड गोविंद सिंह रावत,
चौबिस सौ महिलायें बुला साथ में वृक्ष बचाते।
सुंदरदा यादकर तुम्हे दीनदयाल अश्रु बहाते।
बहुगुणा जी को भारत कभी ना पायेंगा भूल।
आओं............................................
                               कलम से....
                            ✍️ दीनदयाल सोनी

ये भ्रम है आपका कि
अंधेरा करीब से निकल गया
आगे अभी भी ख़तरा है
आगे एक भयभीत आदमी
गहरी सांसें लिए बगैर गुजर गया...
उसने कोशिश तो बहुत की थी
हवा से दूर रहने की
पर अपनी गली के आते ही
दम उसका उखड़ गया.....
पीछे लोग कहते हैं
वो एक अच्छा आदमी था
अब आगे कोई ख़तरा नही
बाकी जो रह गया
वो अगले जनम में सोचेंगे.....

✍️ पुष्प कुमार महाराज,
गोरखपुर

ईश्वर को पाती

हे प्रभु क्या क्या
कलयुग में दिन दिखा रहे
जब तुम्हें है ताप बढ़ाना
बारिश पर बारिश करा रहे

क्या सारे नियम को
इस वर्ष बदल दिए
जेठ में बारिश तो
सावन का क्या हल दिए

बता देना उस अनुरूप
हम भी करेंगे तैयारी
आपदा में हारे थके
हम इंसान हैं भारी

मंदिरों पर ताले बंद कर
खुद तो कर रहे आराम
हमको जिंदा बचने का
दे दिए हो कठिन काम

ज्यादा आलस्य उचित नहीं
आओ कार्यभार संभालो
थोड़ी चिंताएं कम करके
हमको इससे निकालो

चहू ओर बहा देना
सुखद खुशियों के फूल
कान पकड़ते हैं प्रभु
अब ना करेंगे भूल

रात दिन करेंगे
तुम्हारी प्रकृति से प्यार
हम मनुष्यों को अपनी
गलतियां है स्वीकार

✍️  रेखा शाह आरबी
जिला बलिया उत्तर प्रदेश

ये मै हूं......
ये मैं हूं और यह मेरी कलम है!
यहां संवाद करने का खासा चलन है!
यह संवेदनशीलता महज इक
रोब है उन पर,
हकीक़त में जहा रुतबा ख़तम है!

यूं दस्तयाब करती है, पटल
पर चित्र मानस के,
में मानो गंध गेंदे सी
, वो पूरा चमन है!

चयन  ये चिर वियोगी है,
कविता का कलम से,
कवि किरदार है केवल,
कल्पना ही लगन है!

विचारों की सजग नफरी,
दिनों दिन बढ चली यूंही,
किया केवल जतन मैने,
ना कोई संकलन है!

जरूरी जिक्र से ज्यादा ,
किसी की फिक्र करना
गुलाले गाल तक सीमित,
तंग रंगो से जलन  है!

यूं जुमलो से सफर ,
बनता सफरनामा,
कारवां कद्र का ही
करता ,आंकलन है!
ये मै हूं यह मेरी कलम है....!
यहां संवाद करने का
खासा चलन है...!

✍️   -नीरज (क़लम प्रहरी)
कुंभराज,गुना ( म. प्र.)


* पर हमें तुम सुन न पाए *

छांव मेरे जी रहे थे ,पर
हमें ही पढ़ न पाए,
प्राण दायक हूं सभी का,
पर हमे तुम सुन न पाएं ।।

गगनचुंबी धूम्र वलयों से
विषाणु नष्ट होते,
स्वच्छ पर्यावरण होता ,
रुग्णता से दूर होते,
यज्ञ की इस दिव्य महिमा को
,मनुज कब जान पाए।।
प्राण दायक हूं सभी का
,पर हमे तुम सुन न पाए ।।

वायु मंडल ओजमय था
,मंदिरों की घंटियों से
भागते प्रच्छन्न अरि थे,
शंख ऊर्ध्व ध्वनियों से,
ओम के और होम के,
विज्ञान को कब मान पाए ।।
प्राण दायक हूं सभी का
,पर हमे तुम सुन न पाए ।।

तन बदन धोते रहे हम,
आचमन करते रहे हम,
जन्म से और मृत्यु तक
संग सलिला के रहे हम,
जल बिना जीवन न संभव,
पर नदी को पढ़ न पाए ।।
प्राण दायक हूं सभी का,
पर हमे तुम सुन न पाए।।

पीत पत्ते झर रहे हैं,
गिर हरे पत्ते रहे हैं ,
स्वप्न भी रोगी हुए हैं,
गीत अब तो मर रहे हैं,
घोर विपदा की घड़ी में ,
आओ कुछ तरुवर लगाए।।
प्राण दायक हूं सभी का,
पर हमे तुम सुन न पाए।।

मानते हैं रात संकट की
पहाड़ों सी खड़ी है,
पर मनुज के हौसले से
वो नही होती बड़ी है,
काल काटेगा उसे भी,
आओ मिल दीपक जलाएं ।।
प्राणदायक हूं सभी का
,पर हमे तुम सुन न पाए ।।

✍️ गीता सिंह "शंभुसुता "
प्रयागराज

     ़़़़़़़़़़ सादगी. .........

सादगी है कुदरती खूबरती
पर नही है यह दिखावा कीमती
क्या करेंगे आप ये सब चाहकर
कुछ भी न ले जा सकेंगे साथ मे
बस सादगी है कुदरती खूब सूरती
पर नही है यह   दिखावा कीमती
ये  है जरूरी मन हो चंगा आपका
अच्छा लगेगा बात अच्छी मानकर
बस सादगी है कुदरती खूब सूरती
पर नही है   यह  दिखावा कीमती
जिन्दगी है ये प्रकृति है ये ही सच
क्या मिलेगा रोज ही यूँ करके नष्ट
बस सादगी है कुदरती खूबसूरती
पर नही है यह ..दिखावा कीमती
इस. ...हवा का नही कोई मोल है
है नही इसके बिना कहीं जिन्दगी
बस सादगी है कुदरती खूबसूरती
पर है नही है यह दिखावा कीमती
छोडकर स्वार्थ ये सच भी जानिये
गर मिटी प्रकृति सब मिट जाओगे
बस सादगी है कीमती  खूबसूरती
पर है नही है यह दिखावा कीमती

✍️ डा0 प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर

हरो कष्ट करो कोरोना का निदान

अंजनी के लाल आज
आपका प्राकट्य-दिवस है,
इस धरती पर आप
अजर-अमर देव हो,

आज धरा पर मानव जीवन
फंसा पड़ा है भंवर में,
अंजनी जी के लाल अपना
हाथ बढ़ाओ तुम,

कोरोना के अथाह सागर में मानव
जीवन की कश्ती फंसी है,
अब पतवार बन कश्ती को
आपको लगाना पार है,

लक्ष्मण को संजीवनी
लाकर दिया नया जीवन,
त्राहि-त्राहि करता आज सम्पूर्ण
धरा पर मानव-जीवन,

हा हा कार मचा रखा राक्षस
कोरोना से भय भरा पड़ा है सब में,
खिसक रहा है जीवन
जीने का अब तो आधार सब में,

आपका इरादा अटल-तेज है प्रभाव
आप ही करदो कोरोना का संहार,
अति भयाकुल है धरा पर हर
इंसान बार-बार ललकार रहा यह असुर,

आप ही धरा पर प्रकट हो कर कर
दो सबको पुनः नया जीवन-दान,
यह संकट ही ऐसा है जो तुमसे
ही टरे दूजे किसी से न,

मानव जाती की है मति मूढ़ कर
बैठा है गलती बडी भारी,
आप हो ज्ञानी इस धरा पर
आप ही तारन-हार,

पाप गति बड़ी तेज है धरा पर
डस्ता पल पल अंधियारा,
आप ही योगी आप ही बलशाली
आपसे बढ़कर ओर कौन ?

हरो विप्पति करो निदान कोरोना
का जो बढ़ रहा रैन-दिन,
आये है आज शरण तुम्हारे
हर प्राणी बन दीन,

कष्ट हरो अंजनी के लाल कोरोना
का करो करो जल्दी निदान !!

✍🏻 चेतन दास वैष्णव
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा , राजस्थान


21.05.2021
जय माँ सरस्वती

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
    

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ _ 003 दिनांक -  _ _  22/05/2021

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _ _ _ नेहा भगत   _ _ _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _ _ 1 - 12 _ _ _ _ _ _  में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।


रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

साहित्य एक नज़र , अंक - 11

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21/05/2021 , कविता - 20(03)

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कविता :- 20(04)

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साहित्य एक नज़र अंक - 12
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कविता :- 20(05)
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अंक - 13

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गंगावतरण
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कविता :- 20(06)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2006-24052021-14.html

अंक - 14
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*(जीवन सन्देश)* दुनिया भर में तनाव की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, आज यह एक आम बीमारी बन चुकी है। एक शोध के अनुसार हर चौथा व्यक्ति कभी न कभी तनाव का शिकार होता है और इसका असर सिर्फ उस पर ही नहीं बल्कि उनके पूरे परिवार पर पड़ता है। बच्चे, जवान और बूढ़े हर तबके के लोग इस बीमारी के शिकार हैं। कारण सबका अलग-अलग हो सकता है पर लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं।

तनाव की स्थिति तब बनती है, जब हम अधिक दवाब महसूस करने लगते हैं और जीवन के हर आयाम पर नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं। यह समस्या शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और व्यवहारिक हर तरह से कमजोर बनाती है। इससे हमारी कार्यशैली और संबंधों पर बुरा असर पड़ता है, क्योंकि इससे ग्रस्त व्यक्ति न तो ठीक से काम कर पाता है और न ही अपने जीवन का खुलकर आनंद उठा पाता है, उसमें जीने की इच्छा भी खत्म हो जाती है।

देखिए! मनुष्य का उदास या निराश होना स्वाभाविक है, लेकिन जब ये प्रक्रिया निरंतर लंबे समय तक बनी रहे तो समझ जाइए कि यह स्थिति जीवन के लिए हानिकारक है। यह एक ऐसा मानसिक विकार है, जिसमें व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता। जीवन नीरस, खाली-खाली और दुःखों से भरा लगता है। निराशा के घोर अंधकार में डूबा रहता है। हर पल नकारात्मक विचार हैं। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो अवसाद (डिप्रेशन) में बदल जाती है और अवसाद हमें आत्महत्या की ओर ले जाता है, इसलिए समय रहते अपने अंदर चल रहे मनोविकार का इलाज करना आवश्यक है।

तनाव से निजात पाने के लिए सबसे पहले अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। ध्यान/प्रणायाम और योग करें। खुशमिजाज और सकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ रहें। भरपूर नींद लें। बेवजह की बातों पर सोच-विचार या बहस न करें। अपनी परेशानियों को दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें। राहत भरा संगीत सुनें। धूम्रपान और शराब का सेवन बिल्कुल न करें। बेहतर जीवन के बारे में सोचें। समस्याओं के बारे में सोचने के बजाय उनका समाधान निकालने की कोशिश करें।

✍🏻 * सत्यम सिंह बघेल *
       * लखनऊ (उ.प्र.) *

“कौन”

यह कौन कहाँ की मिट्टी से आया है।
ख़ुशबू है के बदबू है ,
ये कोई ना जान पाया है।
ये मिट्टी कौन सी है?
हिन्दु , मुस्लिम , सिख के ईसाई ,
मारो गोली , अपने को क्या
अपना तो राहत भाई आया है।

रिश्वत की आजमाईशे बहुत चली ,
राम भी बने यहाँ ,
रहीम भी यहीं पले,
कौन कितनी गन्दगी में गिरा
हम को क्या ?
मारो गोली , अपने को क्या अपना तो राहत भाई आया है।

सवेर का इंतज़ार रहा
यूँ अंधेरा छाया है।
अपने देश की गलियों में
वो अपनापन तो पाया है।
आज तीर बरसते हैं
जलती है ज़मीं
मारो गोली , अपना तो राहत भाई आया है।

मैंने सोचा था तरक़्क़ी होगी
२२ साल पहले जब आई थी ।
मैट्रो बनी, माल खुले
अंग्रेज़ी छाई, पर कुछ सोचा तो लगा
हम ने कुछ गँवाया है।
खोजने पर पता चला
चरित्र कहीं नज़र ना आया है।
चाहने पर भी कोई उस को पकड़ ना पाया है।
रिश्ते धुँधले पड़े
अपनो में सफ़ेद ख़ून पाया है।

छोटे थे तो गली में बदंरिया आती थी ।
ख़ूब नाचती थिरकती रंग दिखाती थी ।
आज ढुगढुगी बजे ना बजे ,
बंदरिया नंगा नाच नचाती है।
भालू भी आता था,
नचता नचाता था ।
आज हर खाल में भेड़िया पाया है।

मंदिर का घंटा बजा , राम के नाम पर त्रिशूल उठे ।
मस्जिद में आजान हुई ,नफ़रत के तरकश ने सिर उठाया है।
देश को तोड़ दो , ऐसा पैग़ाम आया है ।
भारत ना कहो, हिन्दुस्तान कहलाया है।
हिन्दुस्तान ना कहो, खालिसतान बनाया है।
अपने को क्या , मारो गोली , अपना तो राहत भाई आया है।

स्कूल में किस ने क्या पडाया?
मदरसे से कैसा शोर आया।
कृष्ण का नाम ना लो, प्रदुमन का कटा गला पाया ।
मारो गोली , अपने को क्या , अपना तो राहत भाई आया है।

रोटी तुम को खानी है , ये रोटी हम को खानी है।
कौन सा हम को तड़का लगाना है।
खाने का सवाद आ जाये बस चटनी बनाना है।
तेरे और मेरे जैसे लोगों ने ही तो खाना , खाना है।
नफ़रत छोड़ो , मिल के रहो भाई,
गले लगो , अपना तो राहत भाई आया है।

किसी ने कहा गाय को अब रोटी नहीं खिलाते ,
किसी ने कहा तंदूर से अब रोटी नहीं लगवाते ,
किसी ने कहा पार्क में तितलियाँ पकड़ने नहीं जाते,
किसी ने कहा , तीज पर अब झूले नहीं झुलाते ।
मारो गोली , अपने को क्या , अपना तो राहत भाई आया है।

राहत भाई आप को एक बात बताना है।
यहाँ किसी से भी पूछो, भाई कहाँ के हो ? बस एक ही जवाब आना है।
मैं गुजराती हूँ , मैं मराठी हूँ , मैं हिन्दु हूँ , मै पंजाबी हूँ ।
किसी ने भी अपने को भारतवासी ना जाना है।
मिले आप को भारतवासी तो हमें भी बताना है।

चमकते सितारों के नीचे लम्बी सड़क दूर जाती है।
तेरे और मेरे जैसे मिल जायें तो बहुत फूल खिलाती है।
आगे बड़ों , गले लगो , मुस्कुराओ , अपना तो  राहत भाई आया है।

लेखिका - ✍️  मधु खन्ना ।

विषय -'जिंदगी एक गीत है"
विधा- कविता

जिंदगी एक गीत है ,
हंसते मुस्कुराते गुजारिये।
गीतों के स्वरों की तरह...,
गाते- गाते
जिंदगी बिताइये।
सरगम में ज्यूं,
उतार चढ़ाव आते हैं,
जीवन के सुख
दुख, को अपनाइए।
हंसना हंसाना भी एक कला है ...,
तो जीवन को
खुशनुमा बनाइए।
जी हां "जिंदगी एक गीत है "....,
गीत ज्यूं,जीवन
को सरस बनाइए।
सुर -लय- ताल से जिंदगी को ,
गीतों के रंग से सजाइए.....।
मन गीतों को सुन, झूम जाता है ,
जिंदगी को झूमते हुए बिताइए।
माना कठिन समय आया है ...,
गुजर जाएगा, मस्ती लुटाइए...।
हंसिये- हंसाइये ,माहौल
को खुशनुमा बनाइए.....,
जिंदगी को गीत ज्यूं,
गाते गाते बिताइए।
आपसी प्रेम बढ़ाइए,
गमों को दूर भगाइये,
हंसने से जिंदगी,
संवर जाती है...।
जिंदगी में हंसी का ,
फूल खिलाइए...,
सारे जहां को ,
सुगंधित बनाइए...।
जिंदगी एक गीत है....,
दिल खोल कर गाइये...,
हंसिये और हंसाइये....,
जीवन को ,
सकारात्मक बनाइए।

✍️  रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम

पगली
**********************

           बाहर बहुत शोर था, मेरी आँख खुली आज छुट्टी का दिन था !रात को सोच  कर सोई थी कि देर तक सोऊंगी पर शोर से नींद टूट गई ! नीचे झाँक कर देखा बहुत भीड़ एकत्रित थी ! जब पड़ोस में पूछा तो पता चला कि रात को कोई पागल स्त्री को बेहोशी हालत में यहाँ  डाल गया है !
            मैं उतर कर नीचे पहुंची भीड़ को हटा कर देखा चेहरा कुछ जाना पहचाना लगा जब बहुत सोचा तो ध्यान आया कि इसका नाम रामा है ये हम पहले जहाँ  रहते थे पड़ोस में एक सज्जन मि. शर्मा रहते थे उनकी बेटी है जो मानसिक रूप से विक्षिप्त थी, पर उस समय अल्हड़ थी ! उस समय खिड़की में से ये सबको आवाज लगाती थी ! ज़ब आस पड़ोस के लोगो से पूछा तब पता चला कि रामा  के घर वाले उसे कमरे में बंद कर देते हैं ! मुझे बहुत दुःख होता था जब उसको देखती थी ! कुछ दिन बाद उसकी आवाज आनी बंद हो गई !
         एक दिन वह हमारे घर आगई मेरी बेटी 8 महीने की थी ! उसने मेरी बेटी को गोद में कस कर उठा लिया मैंने बहुत कोशिश की उसे उसकी गोद से ले लूँ पर वह बाहर भागने लगी ! मेरे मकान मालिक के बेटे ने उससे बेटी को जबरदस्ती से लिया ! वह रोती हुई चली गई ! हम भी बाहर चले गए ! कुछ दिन बाद पता चला कि किसी जरुरत वाले शख्स से उसकी शादी कर दी ! माँ बाप मर चुके थे ! भाई भाभी को वह बोझ थी !
         जिससे उसकी शादी हुई उसके लिए केवल ये एक वासना पूर्ति की वस्तु थी ! आज जब देखा तो मुझे बहुत दुःख हुआ ! पुलिस आ चुकी थी ! उसे हॉस्पिटल भेजा ! मेरा मन बहुत उदास था ! रात को कॉलोनी वालों से पता लगा कि उसका बहुत लोगों द्वारा शरीरिक शोषण किया गया और आंतरिक बहुत चोटें हैं अब शायद बच भी नहीं पाएगी ! सुबह उठते ही पता लगा वह इस दुनिया से जा चुकी थी पर उस पागल को इस स्थिति में लाने वाले सब वहशी आराम से अपने घरों में मस्त थे !
    

✍️  डॉ. मधु आंधीवाल एड.
अलीगढ

किसको कोरोना हुआ, किसको नहीं हुआ.. अब यह मसला नहीं रह गया !  देर सवेर सभी को इससे गुजरना है !
अब लड़ाई चरम पर है! लगभग आधा भारत और एक चौथाई विश्व कोरोना पॉज़िटिव है!

कोरोना फ़ौज बढ़ती आ रही है, कुछ मज़बूत तो कुछ कम़जोर किले ढ़ह भी रहे हैं। जो बंकर महफूज हैं, वह भी कितने दिन महफूज रहेंगे कहा नहीं जा सकता !!

हमारे शील्ड, कवच (वैक्सीन आदि) बेशक आपकी जान बचा सकते हैं, लेकिन आसन्न हमले को नहीं रोक सकते !
अदृश्य दुश्मन के वार से बच पाना लगभग नामुमकिन है!
परंतु दोस्तों युद्ध हो जाने पर,  किस तरह लड़ा जाए यह जरूर हमारे अख़्तियार में है !
सबसे पहले तो खौफ़ से बाहर आ जाएं!
खौफ़, कि 'कहीं मुझे न हो जाए, कहीं इसे न हो जाए, कहीं उसे न हो जाए!'.. इन बातों से बाहर आ जाएं !
क्योंकि खौफ़ज़दा होकर युद्ध नहीं लड़ा जाता! हमारी आधी ताकत तो खौफ़ ही खत्म कर देता है !

हम यदि सजग होकर रक्षात्मक सारे उपाय अपनाएंगे.. और साथ ही मानसिक तैयारी भी रखेंगे कि अगर हो गया तो इससे कैसे लड़ना है, तो लडाई शायद उतनी कठिन न लगे। ख़याल रहे, वायरस का लोड उतना घातक नहीं है जितना भय का लोड घातक है !
जीवन की सबसे बड़ी जंग, रोग से जंग होती है.. क्योंकि इसमें आपके धैर्य, निडरता और मानसिक ताकत का वास्तविक परीक्षण होता है !
रोग हो जाना बड़ी बात नहीं है, रोग से लड़ कर जीत जाना बड़ी बात है!
कोरोना पॉजिटिव आने पर, मन को नेगेटिव न होने दें ! क्योंकि नकार से बड़ा कोई 'विष' नहीं और सकार से बड़ी 'औषधि' नहीं!
आप जीवन भर किस तरह जिए हैं, यही बात रोग होने पर भी काम आती है ! अगर आप आजीवन.. दुखी, निराश, अविश्वासी, संकुचित और सशंकित होकर जिए हैं.. तो यही मनोभाव, रोग हो जाने पर  गद्दार जयचंद की तरह,शत्रु सेना का साथ देकर आपकी ताकत कम कर देते हैं !
किंतु अगर आप जीवन में खुशमिजाज, निडर और पॉजिटिव रहे हैं.. तो यही मनोभाव, पेशवा बाजीराव की तरह, संकट में घिरे छत्रसाल की मदद भी करते हैं !!  यानी आपकी ताकत को बढ़ा देते हैं !!
सकारात्मक विचारों से बड़ा कोई इम्यूनिटी बूस्टर नहीं !!

कोई बात नहीं, जो आप कोरोना पॉजिटिव आ गए तो !!
गिरते हैं शहसवार ही, मैदान-ए-जंग में
वो तिफ्ल क्या गिरेंगे, जो घुटनों के बल चलें
तो पहली बात, खौफ से बाहर आ जाएं!
हो गया, तो हो गया.. ऐसी भी कोई बहुत बड़ी बला नहीं आ गई है !!
दूसरी बात, अफवाहों को सर ना चढ़ाएं ! अफवाह, शक्की स्वभाव का लक्षण है! यह गैरजरूरी बातों में ऊर्जा का अपव्यय करना है ! विश्वसनीय और प्रामाणिक खबरों पर ही दृष्टि रखें ! शक्की न बनें, अन्यथा अफवाहें आपकी आधी ताकत खा जाएंगी!
तीसरी बात,  अज्ञानियों के ज्ञान से बाहर आ जाएं !
आपदा की बारिश में सब ओर से ज्ञान के मेंढक टर्राने लगते हैं!
'फलां काढ़ा पी लो, ढिंकाँ कपूर सूंघ लो, यह खा लो, वह पी लो..' ऐसी सभी अवैज्ञानिक बातों से बाहर निकल आएं! अथवा उन्हें, वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की तरह ही लें, प्राथमिक ट्रीटमेंट न बनाएं !
वे दवाएं, जिनका मोड ऑफ एक्शन, रिसर्च बेस्ड और विज्ञान सम्मत हो, चिकित्सकीय परामर्श से उनका सेवन ही करें !
चाहे वह आइवरमेक्टिन हो, कि अज़ीथ्रोमायसिन, या ज़िंक, विटामिन सी, डी अथवा फेवीपिराविर या रेमडेसिविर इंजेक्शन ही क्यों न हो !!
स्वयं अपने वैद्य न बने  वरना अपने रोग की भयावहता के ख़तावार आप स्वयं होंगे !

आप चाहें तो कोरोना को श्राप नहीं, बल्कि वरदान की तरह भी देख सकते हैं .. क्योंकि इसने बता दिया कि जीवन में, जीवन से अधिक कीमती कुछ नहीं !!
धन, गुरुर, दिखावा, घमंड सब धरे रह जाते हैं.. सबसे ज्यादा जरूरी है आपका और आपके अपनों का जिंदा रहना !
शरीर की हर सांस जीवन की डोर को बचाए रखना चाहती है ! आप बेशक मन से टूट जाएं मगर.. आपका शरीर मरना नहीं चाहता! शरीर की प्रत्येक कोशिका, मृत्यु के खिलाफ संघर्ष करती है !
जरूर जीवन में कुछ ऐसा भेद छिपा है कि जिसके लिए देह जिंदा रहना चाहती है !!
शायद उस सत्य की खोज का महाअभियान ही जीवन है, जिसे जाने बिना देह, प्राण नही छोड़ना चाहती !!

हजार संकट टले हैं,यह भी टल जाएगा...किंतु क्यों न अब इस तरह जिएं कि जीवन में सत्य का फूल खिले..ताकि जब मृत्यु की बेला आए,  तो यह देह, सहर्ष ही अस्तित्व में विलीन होने  को तैयार हो!
किंतु यह तो तब ही होगा जब हम अहंकार से परे, शाश्वत के साथ कुछ पग चले होंगे,
जब हमने 'पद' से अधिक 'प्रेम' जिया होगा,
'प्रतिष्ठा' से अधिक 'प्रेम पुष्प' संकलित किए होंगे !!

इससे अधिक मृत्यु की पराजय और क्या हो सकती है कि जब आंख बुझने की घड़ी आए  तो हमारी आंखों में 'अनजिए' का नैराश्य नहीं, बल्कि जिए हुए क्षणों की चमक हो..,
प्रेम के साथ गुजारे लम्हों का संदूक सिरहाने रखा हो और कंठ पर प्रेम का पुष्प हार सजा हो !
इस खजाने के साथ विदा, मृत्यु को भी धता बता देती है  क्योंकि जो जीवन को जी लेता है वह मृत्यु के भय से पार हो जाता है !

कोरोना पॉजिटिव, भीतर का सब नेगेटिव जला दे तो यह वरदान ही है अभिशाप नहीं !
इस जंग में जिन्होंने जान गंवा दी है वे सभी योद्धा भी, एक अधिक प्रेम पूर्ण विश्व के निर्माण में दी गई दिव्य आहुति की तरह ही हैं !
हर मृत्युचिता,  दिव्य धूप है अगर वह इस विश्व को, नवीन तरह से जीने के लिए अनुप्राणित कर जाती है !
एक ऐसा विश्व, जो गैर प्रतिस्पर्धी हो, जो पशुओं के प्रति करुणामय हो, जो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन न करें, जो जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखे... और जो अनाक्रामक , प्रेम पूर्ण और सृजनशील विश्व हो !

इस महामारी में जिन्होंने अपनों को खोया है, उन सभी के पास..सभी की संवेदना और संबल पहुंचे !
वे सब आगामी विश्व निर्माण के अग्रदूत हैं, उनके बलिदान को पूरी मानवता का नमन है !

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर
9753877785

कोलफील्ड मिरर आसनसोल व साहित्य एक नज़र में प्रकाशित
22/05/2021 , शनिवार
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiOVDTQDeS0MV3XyoZNi_A7GOYUr9mahelArSDDSHieciUs2Gp88Y_hr_MG5iRLezs8eNLuGY_CKt7kJgLwwMV-q3frfRGwXYQYjdQPp3XzGTybPmlIT98-NSufDXanwGVp3eA9u9hsP9M/s2048/CFM+HINDI+22.05.2021+8.jpg

साहित्य एक नज़र , अंक - 10

https://online.fliphtml5.com/axiwx/kwzu/
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा आयोजित दैनिक लेखन ने फिर रचा एक नई इतिहास -

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा दैनिक लेखन के अंतर्गत बुधवार 19 मई 2021 को जीवन विषय पर कविता लिखना रहा । जिसके विषय प्रदाता आ. संगीता मिश्रा जी व विषय प्रवर्तन कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी के करकमलों से किया गया ‌ । देशभर के सम्मानित साहित्यकारों ने भाग लिए रहें एवं एक दूसरे की रचनाएं पढ़कर सार्थक टिप्पणी करते हुए लगभग  1700  कॉमेंट्स आएं जो कि संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है । इस उपलब्धि में महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी ,  समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों का हाथ हैं ।।

मुख्य मंच
https://m.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1386979218339810/?sfnsn=wiwspmo

साहित्य संगम संस्थान मुख्य मंच
विषय प्रवर्तन

https://youtu.be/7cF25mYk9fM

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आ. राजवीर सिंह मंत्र जी आ. तरुण सक्षम जी को जन्मदिन की बधाई देते हुए -
https://youtu.be/OYbndkLltK8

साक्षात्कार मंच
https://youtu.be/CYH890rwMuo

2.

कोलफील्ड मिरर आसनसोल में प्रकाशित
शनिवार , 22/05/2021

अंक - 10
साहित्य एक नज़र , अंक - 10

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कोलफील्ड मिरर

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कोलफील्ड मिरर आसनसोल में प्रकाशित
22 मई 2021 , शनिवार

" साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित हुए ग्वालियर के प्रमोद ठाकुर ‌।

20 मई 2021 , गुरुवार को  " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से ग्वालियर के प्रसिद्ध साहित्यकार आदरणीय  प्रमोद ठाकुर जी को सम्मानित किया गया । ठाकुर जी पत्रिका के अंक 1 - 10 तक में  अपनी रचनाओं से योगदान करते हुए प्रचार प्रसार करने में भी अहम भूमिका निभाएं है । साहित्य एक नज़र कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है , जो नि: शुल्क में साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , माहेश्वरी साहित्यकार, विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित व साहित्यकारों की रचनाएं , पेंटिंग ( चित्र ) प्रकाशित  साहित्य व कला की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका का उद्घाटन रोशन कुमार झा के हाथों से 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है उन सभी को  हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान पत्रिका के अंक के साथ सम्मानित किया जाएगा ।।

अंक - 8
अंक - 8
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कोलफील्ड मिरर आसनसोल में प्रकाशित
18/05/2021 , मंगलवार को -

साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका साहित्य जगत में दें रहें है योगदान ।

कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका साहित्य एक नज़र साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित करके साहित्य की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका में रोशन कुमार झा के साथ ग्वालियर के सम्मानित , लोकप्रिय साहित्यकार आ. प्रमोद ठाकुर जी अहम योगदान दें रहें है । इस पत्रिका का शुभारंभ 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्यकारों के रचनाओं , पेंटिंग ( चित्र )  को निशुल्क में प्रकाशित किया जाता है , आशा है भविष्य में भी साहित्य एक नज़र पत्रिका इसी तरह साहित्य की सेवा करते रहें ।

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18 मई 2021

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कविता -
कुछ कर दूँ इस शरीर से ,

कुछ कर दूँ इस शरीर से ,
थोड़ी न दो हज़ार बीस
आयेंगे फिर से ।।
डर लगता न हमें भीड़ से ,
जो भी करता हूँ ,
करता हूँ दिल से ।।

राह पर चलना कितना
कठिन होता पूछो
उस मुसाफ़िर से ।
जो टकरा कर वापस
आ गये एक
छोटी सी लकीर से ।।
तो हमें टकराना है
पर वापस आना है न भीड़ से ,
कुछ कर दूँ इस शरीर से ,
क्या ?
पता कल साँस लूँ या न लूँ फिर से ‌।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
कलकत्ता विश्वविद्यालय
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(01)

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 10
Sahitya Eak Nazar
20 May , 2021 , Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর




कविता -
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5f7tDEmLaFIFbXLIJuSZzGPxFHoT_XKBqo6Moux-M_C_mSBUX_idyDJ9CjB-vPHTcgVqe6SGpgmx-yTOMJBIltadERlDR-oco78pxqh5pkm2Qi7Z9H8z_K9640-yE34tBH2z3FclLgao/s2048/CFM+HINDI+22.05.2021+2.jpg
कोलफील्ड मिरर आसनसोल फेसबुक

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साहित्य संगम संस्थान हरियाणा
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रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 13
दिनांक :- 23/05/2021
दिवस :- रविवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

सादर निवेदन 🙏💐

समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
अंक - 13
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जान  बची  तो लाख उपाय।
लौटकर बुद्धू घर को आय।।
😀🙏😀🙏😀🙏😀🙏😀
महामारी का बहुत नज़दीक से अनुभव
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

शुरुआत अजीब टाइप की सर्दी से हुई तो यह सोचा कि इसे तो दो दिन के प्राणायाम से भगा दूंगा, जैसे पहले भगा देता था। पर दूसरे दिन शाम तक बुखार का अनुभव हुआ और तीसरे दिन बुखार आ गया। यह सोचकर कि वायरल फीवर होगा, ठीक हो जाऊंगा अनदेखा किया। यही अनदेखा करना ख़तरनाक साबित हुआ। शुभचिंतकों ने प्रबलता से सलाह दी की टेस्ट कराएं और डॉक्टर से परामर्श लें। तीसरे दिन हॉस्पिटल जा पहुंचा। टेस्ट का सैंपल दिया और डॉक्टर से दवाइयां लिखवा ली। दवाइयां खाना शुरू कर दिया। पर बुखार नहीं उतर रहा था। टेस्ट रिपोर्ट आने में दो दिन लग गए, तब पता चला कि यह महामारी का ही प्रकोप है, मैं पॉजिटिव हूँ।

अब शुरू होती है अंतर्द्वंद्व की लीला। मैं अंदर से बहुत साहसी हूँ पर सोशल मीडिया पर लोग इतना अवसाद फैला रहे हैं कि मुझे भी लगने लगा कि शायद अंत काल आ गया। पर मैं हारा नहीं, मेरी जिजीविषा ने मेरा साथ नहीं छोड़ा। कुछ लोग फोन करके भी सहानुभूति में यह बतला जाते कि 'फलनवा को हुआ था तो उसकी आंखें चली गईं, आप सावधान रहना। बकरी की लेंडी जरूर खाना वरना...... आदि-आदि। लोगों को पता ही नहीं कि कब क्या बोलना और करना है। पता नहीं कैसे जीवन जीते हैं। इधर पांचवें दिन तक तीन -तीन बार पैरासीटामोल ६५० एमजी की लेने पर भी बुखार नहीं उतर रहा था। तो घबराहट और बढ़ने लगी। ऐसे में मैंने बाबा रामदेव जी की कोरोनिल मंगवाकर खाना शुरू कर दिया। जिसमें उन्होंने दावा किया था कि तीसरे दिन से असर दिखाना शुरू कर देगी। कोरोनिल तो बुखार के पांचवें दिन शुरू की थी। अब आठ दिन हो रहे थे बुखार आते-आते। मैंने प्राणायाम नहीं छोड़ा, बल्कि आक्रोश में पचास- पचास मिनट तक कपालभाती और अनुलोम विलोम किया। जिस कारण मेरा ऑक्सीजन लेबल कभी कम न हुआ। घर में थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर था ही।  पर शारीरिक थकान बढ़ने से नींद नहीं आने लगी। इस कारण और घबराहट बढ़ी। इधर एकांतता से बचने के लिए सोशल मीडिया पर लगातार आता रहा और क्लासेस एक भी नहीं छोड़ी। सोशल मीडिया ने इस महामारी में बड़ा ही नकारात्मक रोल अदा किया। कुछ लोगों को पास कोई काम नहीं तो वे ख़ोज- खोजकर यह खबर फैला रहे थे कि महामारी से वे गुज़र गए। कुछ इतने निकम्मे होते हैं कि काव्य सम्मेलन चल रहा होगा उसी समय गूगल पर सर्च करके किसी का शोक समाचार मंच पर पोस्ट कर जाएंगे। सोचिए कितने बड़े जग हितैषी हैं।  वे लोग काम तो वे अच्छा कर रहे थे कि संवेदनाएं व्यक्त कर रहे थे। पर इससे जो चले गए वे तो वापस आ नहीं सकते। दुःख तो सभी को होता है, उन्हें ज़्यादा जो ऑक्सीजन पर हैं या बीमार हैं। उनके लिए ख़तरा और बढ़ जाता है। इनके इस अच्छे काम से किसी की जान दांव पर लग जाती है। जैसे मुझे नौवें दिन परेशानी होने लगी थी। अत्यंत घबराहट में मैंने डॉक्टर से संपर्क किया और जाकर हॉस्पिटल में एडमिट हो गया। वहां जब कई तरह के चेकअप हुए तो पता चला बीपी बढ़ा है। मुझे आश्चर्य हुआ कि ध्यान-योग करने वालों को भी बीपी!!! इसीलिए नींद नहीं आ रही। डॉक्टर ने सलाह दी कि आज आप एकदम रेस्ट कीजिए, मोबाइल हाथ में नहीं लेना। खुशखबरी यह मिली कि हॉस्पिटल में चेक करने पर बुखार उतर चुका था। मैंने उसी दिन वहां से छुट्टी ले ली। मुझे कभी कमज़ोरी महसूस नहीं हुई क्योंकि बीमारी के पहले से ही नित्य हल्दी वाला दूध शिलाजीत के साथ लेता आ रहा था।

इन देवदूतों के अलावा कुछ लोग संजीवनी भी बांटते हैं। सातवें दिन शायद ग़ज़ल गुंजन और गीत संगम की संपादिका महोदया अनुजा सुमति श्रीवास्तव जी का नए नं० से फोन आया। वे  सपरिवार महामारी से लड़कर विजयी हुई थीं। उन्होंने बताया कि "दादा, हिम्मत नहीं हारना, बार-बार पानी पीते रहना, बार बार खाते रहना। ये बुखार उतरेगा और आप स्वस्थ हो जाएंगे। देखिए मैं तो ठीक हो गई हूँ।" उनकी वाणी मेरे लिए संजीवनी बन गई। मेरी आदत थी कि दिन में दो ही बार खाता था। उनके कहने से मैं तीन बार खाने लगा और बीच-बीच में फलाहार करने लगा। प्यास तो अपने से लगती थी। आयुर्वेद में नियम है कि कुछ भी खाने के बाद एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। जो इस महामारी में गलत साबित हुआ। कुछ भी खाने के बाद तुरंत एक गिलास गर्म पानी पीने से यदि भोजन में वायरस गया तो(क्योंकि उस समय तो पूरे घर में वायरस राज तांडव कर रहा होता है) वह गले और फेफड़ों से उतरकर पेट में चला जाता है और वहां ऐसिड होने के कारण नष्ट हो जाता है।

इस महामारी का साक्षात् द्रष्टा होकर मैंने महसूस किया कि मुझे तीन दिन इंतजार नहीं करना चाहिए था। पहले ही दिन हॉस्पिटल जाकर दवा ले लेनी चाहिए थी। क्योंकि मेरी बीमारी के चौथे दिन जब ऋचा(धर्मपत्नी) को सर्दी की शिकायत हुई और फिर बुखार आया तो तुरंत हॉस्पिटल जाकर दवा ले ली। बहुत कम दवा खाकर वह तीसरे दिन स्वस्थ हो गई और मैं विलंब करने के कारण आठ दिनों तक बुखार में रगड़ाता रहा। अतः इसमें देर करना घातक साबित हो सकता है। यह महामारी जानलेवा नहीं है पर असावधानी और लापरवाही मृत्यु के द्वार खोल देती है। अब तक तो इसके बारे में इतनी जागरुकता आ गई है कि अब सबको इससे लड़कर जीतना चाहिए।

मैं एक बार फिर से विनम्र निवेदन करना चाहूंगा कि साहित्यिक मंचों पर अवसाद मत फैलाइए, आपकी इस नादानी से किसी की जान को खतरा हो सकता है। पूरे विश्व में भय और दुष्प्रचार के कारण सर्वाधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं। मीडिया तो अपने फायदे के लिए ऐसा कर रही है, आपतो बुद्धजीवी हैं। कब क्या करना चाहिए और कब क्या नहीं करना चाहिए इसकी समझ कब आएगी? कल ही अनुज नवीन से बात हो रही थी तो उन्होंने तपाक से कहा कि पंद्रह दिनों से फेसबुक छोड़ रखा है। क्योंकि वहां सिर्फ वही खबरें आ रही हैं। देखते ही मन खराब हो जाता है। सोचिए जब एक स्वस्थ व्यक्ति अवसादग्रस्त हो रहा है तो जो बीमार हैं उन पर क्या बीतती होगी? चूंकि ऐसे समय अस्वस्थ लोग क्वारंटाइन होते हैं। कोई जरूरी नहीं कि वे टीवी वाले रूम में हों। ऐसे में मो० ही एक सहारा होता है टाइमपास का और वे जैसे ही फेसबुक पर आते हैं तो उन्हें यह सब मिलता है। मेरे जानने वाले लोग जो इस समय ऑक्सीजन पर हैं उन्हें भी फेसबुक पर देख रहा हूँ। वे खुद को रोक नहीं पाते और यहां आकर क्या पाते हैं? अवसाद, शोक समारोह और पंडों का गरुण पुराण वाचन। मैंने अपने अस्वास्थ्य के पहले से लेकर अब तक चार लोगों को अपनी उत्साहवर्धक, हिम्मत बंधाने वाली, संजीवनी बूटी थेरेपी दी जिनमें तीनों स्वस्थ हो चुके हैं चौथी शीघ्र आपके समक्ष स्वस्थ होकर नाच-गाना करेंगी ऐसा अटूट विश्वास है। कुछ कर सकते हैं तो यह कीजिए। वैसे जैसे वह चाहता हो। फोन करके भी किसी को परेशान मत कीजिए। मेरे अस्वस्थ होने पर अपरिचित-अनदेखी- चंचला- छैल-छबीली, संजीवनी बूटी का साक्षात् पहाड़ जो स्वयं अतिशीघ्र महामारी से उबरी थी और अभी भी ऐसे ही उहापोह में जी रही है कि कब क्या होगा पता नहीं, सभी इकाइयों में पदाधिकारियों को सम्मानित करती घूम रही है, बहना संगीता मिश्रा ने मुझे दिल्ली और फिर कानपुर से पुनर्जीवित कर दिया। मैं किसी से न तो फोन पर और न ही व्हाट्स ऐप पर लगातार बात करना कतई पसंद नहीं करता वह कितना भी महान और विद्वान क्यों न हो। पर यह इतनी धृष्ट निकली कि मुझे व्हाट्स ऐप पर सांस ही नहीं लेने देती थी और एक संदेश देखकर हटो नहीं तो दूसरा ऑडियो या लिखित संदेश भेज देती थी। मैं उसका धन्यवाद करना नहीं भूलूंगा। साहित्य संगम संस्थान में जितने अल्प समय में उसने अपनी पहचान बनाई है वह काबिल ए तारीफ है। स्वस्थ होने के बाद भी मन स्वस्थ न था। कल शाम अनुज नवीन का फोन आया, करीब आधा घंटे बात हुई। उसके बाद तो अब ऐसा लग रहा है कि मैं पूरी तरह स्वस्थ हो गया हूँ। ऐसे लोग इस समय भगवान हैं। अनुज नवीन का कोटि-कोटि आभार। मुझे इस महामारी से पुनर्जीवन मिला इसमें आप सबका आशीर्वाद और आशावाद ही है। इसके लिए मैं आपका आजीवन ऋणी हो गया हूँ और आपको विश्वास दिलाता हूँ कि जब तक जीवन रहेगा हिंद और हिंदी हितैषी ही कार्य करूंगा तथा कोशिश होगी कि कभी आपको निराश न करूँ।

जो लोग अस्वस्थ हैं वे शीघ्र स्वस्थ हो जाएंगे, विश्वास और आस जगाए रखिए। यदि आपमें जिजीविषा है तो कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ध्यान रहे आवश्यक उपचार और मन में ईश्वर के आभार का भाव बनाए रखें। वह शीघ्र इस अंधेरे में उजाले की किरण फैलाएगा। दुःख के बाद सुख आते ही हैं। दुखों का समय अविलंब समाप्त होने वाला है।

✍️ राज वीर सिंह मंत्र जी
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
         राष्ट्रीय अध्यक्ष

खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी

माँ सरस्वती, साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका मंच को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐।

साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है । वे अपना नाम इस सूची में शामिल करें ।। ताकि हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित किया जाएगा ।।

क्रम संख्या       नाम         , दिनांक 
1.  आ. प्रमोद ठाकुर जी , 20/05/2021 ✓
2. डॉक्टर देवेंद्र तोमर  18 तथा 19 मई 2021 ✓
3. आ. नेहा भगत जी ✓
4.अर्चना जोशी भोपाल मध्यप्रदेश
5. संजीत कुमार निगम अररिया बिहार
6.डा0 प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद बिजनौर 
7. कवि श्रवण कुमार जी 
8. आ. प्रवीण झा जी
9. पूजा सिंह
10. पी के सैनी
11 नीरज (क़लम प्रहरी) म.प्र
12.चेतन दास वैष्णव बाँसवाड़ा( राज. )
13.डा. मंजु अरोरा ,जालंधर, 
      पंजाब।(19/5/21)
14.डाॅ॰रश्मि चौधरी-ग्वालियर,म॰प्र॰18/5/21
15. आ. पूजा कुमारी जी
16. आ. रंजना बिनानी जी
17. सुमन अग्रवाल "सागरिका"  19/5/2021
18. आ. डॉ मधु आंधीवाल जी
19. आ. दिलशाद सैफी  जी
20.पुष्प कुमार महाराज , गोरखपुर
21. आ. काजल चौधरी जी
22.आ. सुखविंद्र सिंह मनसीरत जी
23.आ. मनोज बाथरे चीचली  जी
24. आ. ज्योति झा
25.अनामिका वैश्य आईना 
26. सपना "नम्रता"
27. रेखा शाह
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आपका अपना
रोशन कुमार झा

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