कविता :- 20(02) , वृहस्पतिवार , 20/05/2021

कविता :- 20(02)





रोशन कुमार झा

कविता - 20(02)

विषय - सीता नवमी
दिनांक :- 20/05/2021
दिवस :- गुरुवार

जन्म ली रहीं आज ही के दिन मिथिला पुत्री सीता ,
मिलें आदर्श पति श्रीराम , कहलाएं मिथिला के राजा जनक पिता ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 20(02)
20/05/2021 , गुरुवार
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 10
77/ R Mirpara Road Liluah Howrah Ashirbad Bhawan
2019
Belgachiya Road
बंटी भईया मामा बाड़ी में
कविता :- 12(21) , रविवार , 19/05/2019
रविवार की पल
वीडियो फेसबुक -  1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=778968786325864&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo


2.

हिन्दू धर्म में सीता नवमी बहुत बड़ा महत्व रखतीं है। हिंदू धर्म में सीता नवमी का उतना ही महत्व है, जितना राम नवमी का है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, तो पवित्र नारी , मिथिला पुत्री व माता सीता वैशाख शुक्ल नवमी को प्रकट हुई थी । वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी या जानकी नवमी कहा जाता है।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि को पुष्य नक्षत्र में मिथिला के महाराजा जनक यज्ञ की भूमि तैयार करने हेतु हल से जमीन जोत रहें थे, तभी भूमि से कन्या प्रकट हुई, जिनका नाम सीता रखा गया।

जन्म ली रहीं आज ही के दिन मिथिला पुत्री सीता ,
मिलें आदर्श पति श्रीराम , कहलाएं मिथिला के राजा जनक पिता ।।

सीता नवमी आज गुरुवार 20 मई एवं 21 मई 2021 शुक्रवार दो दिन मनाई जा रही है इस वर्ष ।

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅 अंक  - 10
मो. - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅 , गुरुवार , 20 मई 2021

" साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित हुए ग्वालियर के प्रमोद ठाकुर ‌।

20 मई 2021 , गुरुवार को  " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से ग्वालियर के प्रसिद्ध साहित्यकार आदरणीय  प्रमोद ठाकुर जी को सम्मानित किया गया । ठाकुर जी पत्रिका के अंक 1 - 10 तक में  अपनी रचनाओं से योगदान करते हुए प्रचार प्रसार करने में भी अहम भूमिका निभाएं है । साहित्य एक नज़र कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है , जो नि: शुल्क में साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , माहेश्वरी साहित्यकार, विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित व साहित्यकारों की रचनाएं , पेंटिंग ( चित्र ) प्रकाशित  साहित्य व कला की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका का उद्घाटन रोशन कुमार झा के हाथों से 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है उन सभी को  हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान पत्रिका के अंक के साथ सम्मानित किया जाएगा ।।

___________________

खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी

माँ सरस्वती, साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका मंच को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐।

साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है । वे अपना नाम इस सूची में शामिल करें ।। ताकि हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित किया जाएगा ।।

क्रम संख्या       नाम         , दिनांक
1.  आ. प्रमोद ठाकुर जी , 20/05/2021
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19.
20.

सूचना :- अपनी क्रमांक आने के एक दिन पहले अपनी फोटो भेजेंगे इसी ग्रुप में ।।

आपका अपना
रोशन कुमार झा
19/05/2021

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
    

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ _ 001 दिनांक -  _ _  20/05/2021

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _ _ _  प्रमोद ठाकुर _ _ _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _ _ 1 - 10 _ _ _ _ _ _  में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।


रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ _ _ _ _ _ _ _ _  दिनांक -  _ _ _ _ _ _

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _ _ _ _ _ _ _  _ _ _ _ _ _ _  _ _ _ _ _ _ _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _ _ _ _ _ _ _ _  में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।



अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

हिंददेश परिवार
आ. प्रियंका अलकनन्दनी जी
https://m.facebook.com/groups/408580406906965/permalink/455909185507420/?sfnsn=wiwspmo

[19/05, 10:35 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप अपना हस्ताक्षर भेजिएगा ।
[19/05, 10:36 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: कल आपको सम्मानित करेंगे ।
[19/05, 10:36 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: बाकी के सम्मान पत्र पर आपका भी हस्ताक्षर को शामिल करना है ।
[19/05, 11:11 PM] प्रमोद ठाकुर: जी भेजता हूँ
[19/05, 11:27 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐
[19/05, 11:30 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: आपका तो प्रमाण पत्र बना दिए , फिर भी सूचना ग्रुप में दिए वहां आप अपनी फोटो भेज दीजिए ताकि बाकि साहित्यकार भी अपने अपने दिन आने के पहले फोटो भेज देंगे । सादर निवेदन 🙏💐

[19/05, 11:35 PM] प्रमोद ठाकुर: जी रोशन जी बहुत बहुत शुक्रिया
[19/05, 11:46 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐💐💐💐
___________
अंक - 9
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/9-19052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/myoa/

अंक - 10, वृहस्पतिवार , 20/05/2021
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/10-20052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/kwzu/

https://fliphtml5.com/axiwx/kwzu

कविता :- 20(02), वृहस्पतिवार , 20/05/2021
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2002-20052021.html

कविता :- 20(01)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2001-19052024.html

21/05/2021 , कविता - 20(03)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2003-11-21052021.html
साहित्य एक नज़र , अंक - 11

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/11-21052021.html

कविता :- 20(04)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2004-22052021-12.html

साहित्य एक नज़र अंक - 12
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/12-22052021.html

फेसबुक - 1

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कविता :- 12(21) , रविवार , 19/05/2019
रविवार की पल
वीडियो फेसबुक -  1
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फेसबुक - 2
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=336111964607090&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo
20/05/2021 ,
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
विषय :- रिश्तों में फूहड़ता
विधा :- स्वैच्छिक
दिनांक :- 20/05/2021 से  22/05/2021
दिवस :- गुरूवार से शनिवार
विषय प्रदाता :- रजनी हरीश जी
विषय प्रवर्तक - आ. मनोज कुमार पुरोहित जी
https://m.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1922029651307263/?sfnsn=wiwspmo

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

माँ सरस्वती, साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्यकारों को सादर प्रणाम ‌ । आज खौफ और विश्वास , गीत विधा की परिणाम रख रहें है ।

विषय प्रदाता - आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी
विषय प्रवर्तक - आ. सुनीता मुखर्जी

🏆 श्रेष्ठ रचनाकार 🏆

🏆 टिप्पणीकार 🏆

17/05 से 19/05/2021
विषय-  खौफ और विश्वास , गीत

 
🏆 श्रेष्ठ रचनाकार 🏆

आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी , 23033
आ. रजनी हरीश जी , 23034
आ. जय हिंद सिंह हिंद जी , 23035

🏆 टिप्पणीकार 🏆

आ . मीना गर्ग जी , 23036

आप सभी सम्मानित साहित्यकारों को हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
आप इसी तरह जय हिन्द और जय हिन्दी की सेवा करते रहिए ।

जय हिंद , जय हिंदी ।
आपका अपना
रोशन कुमार झा
गुरुवार , 20/05/2021
 
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल सम्मान पत्र
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1922074244636137/?sfnsn=wiwspmo


________
[20/05, 10:21 AM] +91 97581 54755: इंकलाब प्रकाशन एवं साहित्यिक मंच, मुम्बई (महाराष्ट्र) के समस्त सम्मानित पदाधिकारियों एवं सम्पादक मंडल का बहुत-बहुत आभार, मुझे इंकलाब काव्य महासंग्राम- 2 में द्वितीय स्थान देने के लिए🙏🙏💐💐
[20/05, 10:27 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: इंकलाब काव्य महासंग्राम -2 काव्य प्रतियोगिता में सभी सम्मानित प्रतिभागियों एवं  विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई । आप सभी इसी तरह साहित्य की सेवा करते रहें ।

आपका अपना
रोशन कुमार झा
इंकलाब मंच
सह मीडिया प्रभारी

हिन्दी कविता:-12(22)
20-05-2019 सोमवार 13:45
*®• रोशन कुमार झा
-:यह जीवन यह है !:-

यह जीवन रेलगाड़ी है
सुख-दुख सारी है!
जिसे तन-मन से पाली है
सच में यह जीवन भारी है!

फिर भी चलाना है
जीवन के पार जाना है!
सुख दुख खाना है
अंधकार में रोशन करने को माना है!

होगी प्रकाश
यह जीवन है मालिक और दास!
जो है आपके पास
अपने आप को मानीयें कि हम भी है ख़ास!

और है हम रेल की पटरी
जाना है गली-गली!
आज फूल कल रहें कली
सुख-दुख से ही यह जीवन है भरी!

जो समाज में बसती है
जो दुख में भी हँसती है!
वही मानव की जीवन हीरा की बस्ती है
जीवन महँगी है कौन कहा
है कि सस्ती है !

जीवन रेलगाड़ी है
जो हम नर और नारी है!
एक-दूसरे पर नज़र डाली है
जीया हूँ जी रहा हूँ और जीने की चाँह
जारी है!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(22)
20-05-2019 सोमवार 13:45
Roshan Kumar Jha(31st Bengal
Bn Ncc Fortwilliam Kolkata-B
Reg no-WB17SDA112047
Narasinha Dutt college St John
Ambulance(Pmkvy Liluah
Eastern Railway Scouts Howrah
सियालदह मुन्ना मिली मुनचुन राहुल भाई
घर में

हिन्दी कविता:-12(21)
19-05-2019 रविवार 19:19
*®• रोशन कुमार झा
-:रविवार की पल !:-

जीवन में खूब लुटाये लुटने वाला
लूटे और लूटी,
उसी वज़ह से बहुत कुछ छूटी!
पर आज जाना नहीं है ड्यूटी,
क्योंकि मनाना है आज रविवार की छुट्टी!

करना है आराम,
जाना है धर्म स्थान घुसड़ीधाम!
जपना है नाम राम-राम,
पार्क मैदान में ही बीतेंगी आज की शाम!

बहुत किया परवाह,
दुख कोई और नहीं दुख तो दिया है
खुद की चॉह,
रोशन करना है राह,
अकेले ही ठीक है चाहिए ना
किसी की छाँह!

जाऊँ ना किसी के विरुद्ध,
देख लिया हूँ खुद!
अब करना है मन शुद्ध!
वहीं राह अपनाना है जो राह अपनायें
रहे गौतम बुद्ध!

अपना दिन रविवार,
जो आज है फ़िलहाल!
पूंजीपति मजदूर की त्योहार,
आज तो छुट्टी मना लो यार!

पर जाना नहीं है हार,
देखनी है यह संसार!
भले मैं रहूँ कुमार,
पर मनाते रहूँ रविवार!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(21)
19-05-2019 रविवार 19:19
The Bharat scouts & Guides
Eastern Railway Howrah
Bamangachi(200-दिये दीदी
31st Bengal Bn Ncc Fortwilliam
Kolkata-B
Reg no-WB17SDA112047

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी जीवन विषय पर विषय प्रवर्तन करते हुए ।

#साहित्यसंगमसंस्थान
#विषयप्रवर्तन: 19-05-2021

विषय : जीवन
विधा : कविता
           
         मित्रो नमस्कार!
सभी ज्येष्ठ श्रेष्ठ वरिष्ठ कनिष्ठ नवादित रचनाकारों का वंदन अभिनंदन। सर्वप्रथम विषय प्रदाता आ. संगीता मिश्रा जी इतने खूबसूरत विषय के लिए धन्यवाद पुनश्च संचालक मंडल का हृदय तल से आभार मुझे विषयपर्वरतन का अवसर देने के लिए।
आज का विषय बेहद सरल व कठिन है। सरल इसलिए कि ईश्वर के हर अंश को इसका तजुर्बा है। कठिन इसलिए कि इसे कोई समझ नहीं पाया। मुझे कई मशहूर शायरों के गीत याद आ रहे हैं जैसे-
👉     जिंदगी कैसी है पहेली हाय
          कभी तो हंसाये कभी ये रुलाए...
👉     ये जीवन है इस जीवन का
          यही है यही है रंग रूप...
👉     एक प्यार का नगमा है
          मौजो की रवानी है
          जिंदगी और कुछ भी नहीं...
👉     जिंदगी एक सफर है सुहाना
          यहां कल क्या हो किसने जाना...
मेरा ही लिखा मुक्तक :-
जिस्म में बस धड़कनों का साज है ये जिंदगी
ख्वाहिशों की हर घड़ी परवाज़ है ये ज़िंदगी।
रात दिन की रस्म केवल वक्त की पंडाल में
'रोज' सुख दुख की फकत आवाज है ये ज़िंदगी।

खैर जीवन पर न जाने कितने गीत ग़ज़लें नज्में कविताएं लिखीं गईं। उनमें से चंद हमारी जुबां पर सहज रूप से थिरकते हैं।

💥ध्यातव्य: जीवन पर जो कविताएं लिखीं गईं वे शायद ही याद हों लेकिन जिन कविताओं में जीवन लिखा गया वे अवश्य कालजयी बन गईं।

    आप सभी श्रेष्ठ साहित्य साधक हो आप आज जरूर ऐसी कविता लिखोगे जिनमें जीवन होगा और इस वैश्विक महामारी के दौर में हम सबको जीवन देगा। इससे अच्छा अवसर क्या होगा जबकि आज किसी छंद विधान का बंधन भी नहीं है। आज आप सबसे यह भी उम्मीद है कि अपने सृजन के माध्यम से बतायें कि हिन्दी साहित्य का भविष्य आप जैसे श्रेष्ठ साधकों के होने से उज्ज्वल है। बस यूं मानिये कि आज आपकी साहित्य साधना का इम्तिहान है। तो आइये और अपनी कविता में डरे सहमे समाज को नया जीवन दिखाईये....

आपका मुंतजिर
कुमार रोहित रोज

साहित्य संगम संस्थान मुख्य मंच
https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1384871308550601/
YouTube, साहित्य संगम संस्थान
https://youtu.be/7cF25mYk9fM

आहुति -
https://youtu.be/UG3JXojSLAQ

20/05/2021 , गुरुवार ,
20/05/2021 , कोलफील्ड मिरर
https://www.facebook.com/947627768756518/posts/1625444360974852/?sfnsn=wiwspmo

https://coalfieldmirror.blogspot.com/2021/05/20-2021-coalfieldmirrorgmailcom.html?m=1

कोलफील्ड मिरर व साहित्य एक नज़र में प्रकाशित :-
20/05/2021 , गुरुवार
कोलफील्ड मिरर
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXhy0XD6Vwbm_APOne59ec6d2Ciu1pXZR30_IY5SmaFxx3J4QxYIatmOg6RhqeJ2Qa9HL5k3EGYZ4ppz8hzB7C081hjStwgnj39QERlR3BK1FT-Fp0zV6IOhwQI-ZzAsQltdI6t4jsA8U/s2048/CFM+HINDI+20.05.201+8.jpg

साहित्य एक नज़र

https://online.fliphtml5.com/axiwx/myoa/
साहित्य संगम संस्थान जम्मू-कश्मीर इकाई के समस्त पदाधिकारियों एवं सक्रिय सदस्यों साहित्यकारों को सम्मानित किया गया ।

साहित्य एक नज़र 🌅 , बुधवार , 19 मई 2021

बुधवार , 19 मई 2021 को साहित्य संगम संस्थान के संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी की करकमलों से 
साहित्य संगम संस्थान जम्मू-कश्मीर इकाई  के पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को सम्मानित किया गया । आ. प्रदीप मिश्र अजनबी जी ,आ. भूपेंद्र कुमार भूपी जी , आ. मदन गोपाल शाक्य जी , आ. हर किशोर परिहार जी , आ. शिव सन्याल जी को साहित्य मणि सम्मान से विभूषित किया गया, सक्रिय सदस्यों
आ. अर्चना श्रीवास्तव जी , आ. अजय तिरहुतिया जी , आ. बेलीराम कंसवाल जी , आ. गिरीश पांडे जी , आ. हंसराज सिंह हंस जी को उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डाॅ० राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) इकाई की प्रगति में समस्त सर्वाधिक सक्रिय सदस्यों का भी अहम योगदान मानते हैं इसलिए सक्रिय सदस्यों को संगम सलिला से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा , आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर  सम्मानित हुए पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को बधाई दिए ।

जम्मू-कश्मीर इकाई
https://www.facebook.com/groups/538091520508075/permalink/585198892464004/?sfnsn=wiwspmo

https://m.facebook.com/groups/538091520508075/permalink/585902429060317/?sfnsn=wiwspmo

मुख्य मंच

https://m.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1385650021806063/?sfnsn=wiwspmo





साहित्य एक नज़र , अंक - 10
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )

https://online.fliphtml5.com/axiwx/kwzu/

https://fliphtml5.com/axiwx/kwzu

🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
Sahitya Eak Nazar
20 May , 2021 , Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 10
20 मई 2021
   गुरुवार
वैशाख शुक्ल 8 संवत 2078
पृष्ठ - 1
प्रमाण पत्र - 12
कुल पृष्ठ - 13

1.
साहित्य संगम संस्थान बिहार इकाई के समस्त सक्रिय सदस्यों को सम्मानित किया गया ।

साहित्य एक नज़र 🌅 , गुरुवार , 20 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान, रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )  के संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी की करकमलों से गुरुवार 20 मई 2021 को साहित्य संगम संस्थान बिहार इकाई  के सक्रिय सदस्य आ. पल्लवी रानी जी , आ. मृदुला श्रीवास्तव जी , आ. नीतू रानी जी एवं आ. रामबाबू प्रसाद जी को उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) इकाई की प्रगति में समस्त सर्वाधिक सक्रिय सदस्यों का भी अहम योगदान मानते हैं इसलिए सक्रिय सदस्यों को संगम सलिला से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा , आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर  सम्मानित हुए पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को बधाई दिए ।


2.

हिन्दू धर्म में सीता नवमी बहुत बड़ा महत्व रखतीं है। हिंदू धर्म में सीता नवमी का उतना ही महत्व है, जितना राम नवमी का है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, तो पवित्र नारी , मिथिला पुत्री व माता सीता वैशाख शुक्ल नवमी को प्रकट हुई थी । वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी या जानकी नवमी कहा जाता है।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि को पुष्य नक्षत्र में मिथिला के महाराजा जनक यज्ञ की भूमि तैयार करने हेतु हल से जमीन जोत रहें थे, तभी भूमि से कन्या प्रकट हुई, जिनका नाम सीता रखा गया।

जन्म ली रहीं आज ही के दिन मिथिला पुत्री सीता ,
मिलें आदर्श पति श्रीराम , कहलाएं मिथिला के राजा जनक पिता ।।

सीता नवमी आज गुरुवार 20 मई एवं 21 मई 2021 शुक्रवार दो दिन मनाई जा रही है इस वर्ष ।

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅 अंक  - 10
मो. - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅 , गुरुवार , 20 मई 2021

3.
आज हिंददेश परिवार गाजियाबाद इकाई का उद्घाटन समारोह ।

साहित्य एक नज़र 🌅 , गुरुवार , 20 मई 2021

हिंददेश परिवार गाजियाबाद इकाई का उद्घाटन समारोह आज है।  कार्यक्रम सुबह आठ बजे से रात्रि दस बजे तक का फेसबुक मंच पर आयोजित किया गया है । इस कार्यक्रम में अध्यक्ष व संस्थापिका आ. डॉ अर्चना पांडेय 'अर्चि' जी , सह अध्यक्ष आ. डॉ स्नेहलता द्विवेदी जी , महासचिव आ. बजरंगलाल  केजडी़वाल जी , आ. प्रियंका अलकनन्दनी जी  गाजियाबाद का अध्यक्ष , अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रभारी आ. राजेश कुमार  पुरोहित जी, पश्चिम बंगाल मीडिया प्रभारी रोशन कुमार झा, हिंददेश परिवार के समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर रात्रि दस बजे कार्य  पाठ करेंगे ।।

4.

इंकलाब काव्य महासंग्राम - 2 में प्रथम स्थान प्राप्त किया उत्तर प्रदेश का कृष्ण गोपाल शर्मा  -

साहित्य एक नज़र 🌅 , गुरुवार , 20 मई 2021

इंकलाब प्रकाशन एवं साहित्यिक मंच मुंबई भारत सरकार द्वारा पंजीकृत  MH-18-0063950 . गुरुवार 20 मई 2021 को मंच संस्थापक आ. रमाकांत यादव ( सागर यादव ज़ख्मी ) जी सहायक संपादक आ. पिंकी सिंघल जी , डॉ. शिवधनी पांडेय जी को वरिष्ठ समीक्षक एवं मार्गदर्शक, डॉ विनय कुमार श्रीवास्तव जी  वरिष्ठ सहयोगी ,मीडिया प्रभारी  आ. रवींद्र त्रिपाठी जी व आ. सुरेन्द्र दुबे जी को एवं सह मीडिया प्रभारी रोशन कुमार झा जी व समस्त निर्णायक मंडल के सुझाव से इंकलाब काव्य महासंग्राम - 2 , हौसलों की जीत विषय का परिणाम रखा गया , जिसमें बरेली उत्तर प्रदेश का आ. कृष्ण गोपाल शर्मा जी प्रथम स्थान प्राप्त किया , एटा , उत्तर प्रदेश का पुनेश समदर्शी जी द्वितीय व भदोही उत्तर प्रदेश का आ. ज्योति प्रकाश राय जी तृतीय स्थान प्राप्त किए । इस प्रतियोगिता में देशभर के साहित्यकारों भाग लिए रहें । सम्मानित साहित्यकारों को इंकलाब मंच के समस्त पदाधिकारियों व साहित्यकारों शुभकामनाएं प्रदान किए ।।

5.

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा आयोजित दैनिक लेखन ने फिर रचा एक नई इतिहास -

साहित्य एक नज़र 🌅 , गुरुवार , 20 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा दैनिक लेखन के अंतर्गत बुधवार 19 मई 2021 को जीवन विषय पर कविता लिखना रहा । जिसके विषय प्रदाता आ. संगीता मिश्रा जी व विषय प्रवर्तन कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी के करकमलों से किया गया ‌ । देशभर के सम्मानित साहित्यकारों ने भाग लिए रहें एवं एक दूसरे की रचनाएं पढ़कर सार्थक टिप्पणी करते हुए लगभग  1700  कॉमेंट्स आएं जो कि संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है । इस उपलब्धि में महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी ,  समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों का हाथ हैं ।।

6.
श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से सम्मानित हुई आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई से ।

साहित्य एक नज़र 🌅 , गुरुवार , 20 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के अंतर्गत होने वाली लेखन में 17 मई 2021 से 19 मई 2021 , बुधवार तक खौफ और विश्वास विषय पर गीत रचना रहा । विषय प्रदाता आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी एवं विषय प्रवर्तन पश्चिम बंगाल इकाई उपसचिव  आ. सुनीता मुखर्जी की करकमलों से किया गया रहा ।  खौफ और विश्वास विषय पर देशभर के साहित्यकारों ने गीत रचे रहें । 20 मई 2021 को पश्चिम बंगाल उपाध्यक्ष आ. मनोज कुमार पुरोहित जी के सहयोग से परिणाम घोषित किया गया , जिसमें श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी , आ. रजनी हरीश जी , आ. जय हिंद सिंह हिंद जी को , एवं श्रेष्ठ टिप्पणीकार सम्मान से आ . मीना गर्ग जी को पश्चिम बंगाल इकाई सचिव व राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी रोशन कुमार झा के करकमलों से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. रंजना बिनानी जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. राम प्रकाश अवस्थी रूह जी, समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों सम्मानित सदस्यों को बधाई दिए ।।

7.

मिथिला / मधुबनी पेंटिंग

✍️  पूजा कुमारी
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी बिहार
राष्ट्रीय सेवा योजना
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 10
गुरुवार , 20/05/2021
8.

मिथिला / मधुबनी पेंटिंग
✍️  सरस्वती गुप्ता
( स्वाति ) राजनगर

9.

अहम

हम दोनों अपने अहम में जीते हैं !
वक्त बे वक्त झांक पड़ता है ये अहम
करवटों तले।
वो हँसता है हम चिढ़ते हैं
किसी गली मोहल्ले से
नदी नालो के रस्ते
इनके निकलने की
कोई गुंजाईश नही होती।
जब टूट पड़ता है
अहम का दवाजा
तो टप-टप बूंदों सा
बह जाता है
चला जाता है कोई दूर देश।
बड़ा ही बेपरवाह
बे हिचक सा होता है
इसका चेहरा।
इसमें भावनाओं की कोई क़द्र नही
परत दर परत पिरोता है
मगर कुछ भूली हुई बात।
इसमें रिहाई की कोई वजह नही
होता है बस समझौता।
बे आवाज सा कदमो से समा जाता है
कांच के बर्तनों सा रूह में!
उसे खरोचता है दिन प्रति दिन
और चीखता है!
फिर होता है प्रत्यक्ष ये अहम्
अपने भयावाह रूप में!!

Pooja Singh  ✍️ पूजा सिंह

10.

ग़ज़ल

हर कोई खाए तरस ऐसी जगह
वार तुमने कर दिया ज़ख्मी जगह

ख़ूब ठंडक देंगे तुमको दोस्तो
तुम लगाओ पौधें ए.सी. की जगह

आज के बच्चे लिए फिरते हैं बस
फोन हाथों में किताबो की जगह

ज़िन्दगी में नौकरी में इश्क़ में
हम हुए नाक़ाम सारी ही जगह

लड़कियाँ ख़ुद इश्क़ हैं और इश्क़ पर
फूल बरसाओ तुम एसिड की जगह

✍️ जावेद पठान सागर

11.
******* पेड़ लगाओ ********
*************************

आओ मिल जुल कर पेड़ लगाएं,
धरती को  निर्मल,मनोरम बनाएं।

तरुवर शीतल  घनी छाया हैं देते,
पग पग पर तरु  लगाते ही जाएं।

पेड़ बचाओ कभी मत कटवाओ,
वृक्षारोपण से वसुधा को  सजाएं।

मानव मन बन गया बहुत शैतानी,
एक दूसरे को रहते रहें  समझाएं।

घर  आँगन की  रौनक रहें बनते,
घर  और  बाहर खूब पेड़ उगाएं।

इंसान बनो मत बनो  तुम हैवान,
प्राकृतिक रूप की शोभा बढ़ाएं।

आयुर्वेदिक  दवाओं से  भरे हुए,
अंग्रेजी  दवाओं को  दूर भगाएं।

जीने के  लिए  शुद्ध वायु हैं देते,
पेड़ लगा के ऑक्सीजन बढ़ाएं।

हरियाली मन  को सदा है भाती,
हरा भरा सूंदर सा संसार बनाएं।

मनसीरत कोरोना काल भयंकर,
दरख्तों से अपना जीवन बचाएं।
*************************

✍️ सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

12.
"" ख़ामोशी ""

ख़ामोशी बहुत कुछ
अपने हृदय में
छिपाए हुए वो निरंतर
अपने लक्ष्य पर
पहुंचने के लिए
अपने लक्ष्य के साथ
सदैव आगे की ओर
अग्रसर रहती है
क्योंकि उसकी सोच सदा
सकारात्मक होती है
और इसी के बल पर वह
निश्चित ही एक दिन
अपना लक्ष्य पाने में
सफल भी हो जाती है।।

✍️ मनोज बाथरे चीचली
जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश

13.

कविता -
कुछ कर दूँ इस शरीर से ,

कुछ कर दूँ इस शरीर से ,
थोड़ी न दो हज़ार बीस
आयेंगे फिर से ।।
डर लगता न हमें भीड़ से ,
जो भी करता हूँ ,
करता हूँ दिल से ।।

राह पर चलना कितना
कठिन होता पूछो
उस मुसाफ़िर से ।
जो टकरा कर वापस
आ गये एक
छोटी सी लकीर से ।।
तो हमें टकराना है
पर वापस आना है न भीड़ से ,
कुछ कर दूँ इस शरीर से ,
क्या ?
पता कल साँस लूँ या न लूँ फिर से ‌।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
कलकत्ता विश्वविद्यालय
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(01)

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 10
Sahitya Eak Nazar
20 May , 2021 , Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

14.

भारत की पावन माटी को प्रणाम

रहे तिरंगा सदा लहरता
भारत के आकाश में ,
करता रहे देश नित उन्नति
इसके धवल प्रकाश में ॥
लाखों वीरों ने बलि देकर
के इसको फहराया है
आजादी का रथ रक्तिम पथ
से ही होकर आया है ॥ 1 ॥

यह भारत की माटी
पावन इसमें चन्दन - गंध है ,
अमर शहीदों का इसमें
इतिहास और अनुबंध है ॥

उनके उष्ण रक्त से रंजित
अगणित मर्म व्यथाएँ हैं ,
सतत प्रेरणादायी भावुक
कई गौरव - गाथाएँ हैं ॥2 ॥

मनस्वियों औ ' तपस्वियों
से इसका युग का नाता है ,
राम - कृष्ण , गाँधी - सुभाष
हम सबकी प्रेमल माता है ।

वीर प्रसू यह भूमि पुरातन
बलिदानी , वरदानी है ,
मानवीय संस्कृति की हर
कण में कुछ लिखी कहानी है ॥ 3 ॥

आओ इससे तिलक करें हम
सुदृढ़ शक्ति फिर पाने को ,
नई पीढ़ी को अमर शहीदों
की फिर याद दिलाने को ॥

जन्मभूमि यह कर्मवती
धार्मिक ऋषियों का धाम है ,
इसको शत - शत नमन हमारा ,
बारम्बार प्रणाम है ॥ 4 ॥

✍️  प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव, जबलपुर

15.
             
            मजदूर ।

दिन की तपती दोपहर
मे जब बदन जलने
लगता है प्यास पानी
पीने से भी नही बुझती
बेहाल कर देता है
चार कदम पैदल चलना
नंगे पैर अध नंगे बदन
कई किलो वजन
लादे कमर पर
कई कई मंजिल
चढता है जो मजदूर
जिसके दम पर सुन्दर
आकार लेती है ऊँची ऊँची
इमारते ...और एक दिन
वही अपवित्र
समझा जाता है
उनमें प्रवेश वर्जित हो
जाता है  उसके
लिए ........
कुछ संवेदना जरूरी है
इस वेदना के लिए
आखिर इन्सान है
मजदूर भी हमारी
ही तरह

✍️ डॉ. प्रमोद शर्मा
नजीबाबाद बिजनौर

  16.               

             जिन्दगी

जिन्दगी भर वफा की हमने
बेवफाई की आज  तक भी नही|
बेसबब आँख दुखती रहती है
नींद इनमे पर आज तक भी नही|
जिन्दगी क्यों यूँ तंज कसती है
ये खबर कुछ आज तक भी नही|
रोज अपनो ने मुझको मारा है
मौत आई है  आज तक भी नही|
यूँ तो दुनिया मे सब ही सच्चे हैं
झूठ से मुक्ति आज तक भी नही|
क्यों तू कहता है याद करता हूँ
घर तो आया आज तक भी नही|
मेरे दिल की जमी तो प्यासी है
इसपे बारिश आज तक भी नही|
प्रेम बाकी हो तुम कहीं मुझमे
भूल पाया मै आज तक भी नही|

✍️ डॉ. प्रमोद शर्मा
नजीबाबाद बिजनौर

17.
मंच को नमन
विषय- पर्यावरण
विधा-  कविता

मानव विकास के होड़ में यूं बढ़ गया,
आज वो खुद ही संकटो से घिर गया,
देख रहे पर्यावरण पर खुद संकट लाया,
आज के हालात का खुद जिम्मेदार पाया,
काट दिए जंगल के जंगल बना
दिया कंक्रीट का जंगल धरती पर,
धरती पर रहने नहीं आया प्लॉट
काट रहा है मंगल पर,
मचा हुआ है जो आज महामारी
का प्रकोप धरा पर,
कुपति हो गई है प्रकृति मानव
के दमनतात्मक कार्य पर,
जल को देखो तालाब
गायब-कुएं गायब नलों से
बोतलों में बिक रहा है,
विकास के नाम पर जंगल काटते रहे,
अब भी यदि मानव नहीं चेता
तो कर रहा है बड़ी गलती,
जब जगा तब सवेरा मानकर
सुधार ले अपनी गलती,
हम देख रहे है अस्पतालों
में दवा नहीं
और हवा नहीं,
पल पल मौत का कर
रहा आज इंतज़ार यहीं,
श्मशानों में भी जगह नहीं है
और जलाने को लकड़ी नहीं,
अपने ही हाथों अपने पैरों
पर मार रहा है कुल्हाड़ी यहीं,
जो भी बच जा रहे इस महामारी
से वो भी करें आज प्रतिज्ञा,
हो जाय वो भी जो ऑक्सीजन
के लिए तरस रहे है वो भी करें प्रतिज्ञा
सब मिलकर एक-एक नहीं 
लगाए कई पेड़ भरपूर,
इस धरती को फिर से करें
हम मिलकर रहाभरा,
पर्यावरण प्रदुषण की चपेट में आया
पर्यावरण को मानव ने खूब ही सताया
फिर भी इस मानव को
अब भी समझ नहीं आया !!

✍🏻 चेतन दास वैष्णव
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा , राजस्थान

  18.
                    
इश्क इबादत है तो इश्क कीजिए
नहीं कुछ तो मोहब्बत ही कीजिए

रात दिन का सूकून इसमें  ,
बस  से खौफ सी बातें
रात दिन ख्आबो में  ,
यूं ही बस कभी खोजा फूलों में

कभी बहती  ब्यारो में ,कभी
फूलों से आती महक में
कभी झलकती हुई मादकता में

बस इश्क कीजिए ,कभी
चांद ,कभी चमचमाती किरणों में,
मेहबूब का दीदार कीजिए

नहीं कुछ तो इश्क कीजिए
बस एक सरोकार सा है
तुमसे पता नहीं क्या रिश्ता है तुमसे

बस एक इबादत कीजिए है,
अगर इश्क तो इश्क
कीजिए

✍️ अर्चना जोशी
भोपाल मध्यप्रदेश


19.

☂️☔  छाता...  🌂⛱️

बारिश की शुरुआत होते ही,
उसे छाते का ख्याल आया,
पेंशन के पैसों से,
छाता खरीदना भी उसे भारी लगा,
पूराने कबाडों से आखिर ढूंढ ही लिया,
उसने अपना पुराना छाता,
बड़े प्यार व जतन से,
उसने लगी धूल मिट्टी पोछा सहलाया,
कुछ पुरानी स्मृतियों जुडी थी,
जब वो अपनी संगनी व बच्चों को,
समेटे फिरा करता था......
जैसे ही बारिशों की बूंदें,
गिरनी शुरू हुई,
वो छाता लेकर सड़क पर आ गया,
पर हवा के झोंको से
कमानियां छिटक गई,
छाते के डंडे को सीने से लगाए,
वो भींगता वापस घर आ गया,
उसे अपनी छाती की कमांनिया भी,
छाते की तरह कमजोर व जर्जर लगी,
किसी भी थपेड़ों को सहने में,
असमर्थ.....

✍️ पुष्प कुमार महाराज
गोरखपुर

20.

मेरे मरने के उपरांत

मेरे मरने के उपरांत
मेरी आत्मा
शून्य में विलय हो जाएगी,
देह अग्नि में जलकर
भस्म हो जाएगी,
मेरी गाथाएं
वक्त के संदूक में
कैद हो जाएंगी,

मेरे मरने के उपरांत
सूर्य शीध्र अस्त नहीं होगा
चाँद नियत समय पर ही आएगा
सुबह भी होगा
शाम भी ढ़लेगी
पवन मंद - मंद मुस्काएगा
पंछी मीठे स्वर में गाएंगे
पतझड़ में वृक्ष के पत्ते गिरेंगे
वसंत में
फिर नए पत्ते लग जाएंगे

बस परिवार के सदस्य थोड़ा
आँसू बहाएंगे
सगे संबंधी भी आकर
शोक मनाएंगे
चंद दिनों तक
कुछ रस्म रिवाज़ निभाएं जाएंगे,
फिर सब विस्मरण कर
अपने अपने कार्य में
संलग्न हो जाएंगे,

नहीं पड़ेगा दुनिया की गति पर
कोई फ़र्क
ना ही कोई चिर काल तक
आँसू बहाएगा
क्योंकि मृत्यु एक सामान्य प्रक्रिया है
और एक अटल सत्य ।

      ✍️ आलोक पराशर, मुजफ्फरपुर

21.
"कविता"
कविता दायरे से दूर, सीमाओं से परे है!
कविता और न केवल, कलम के आसरे है!!
कविता देश ना भाषा, विचारो से बंधी है,
कविता से सजी गजले, कवि के गीत उजरे है!!

कविता आंख का जल है, कविता है तो काजल है!
कविता कोर है कलेजे की, हमारे एक दूजे की!
कविता से कबीरा है, कविता है तो मीरा है!
कविता तार सप्तक है, सुरो का सार जब तक है!

कविता से कुमुदिनी है, कवि की मां से दूनी है!
कवि तो कोरा पन्ना है, कविता हीरा पन्ना है!
कविता सूर वीरो की, ये गाथा है अधीरो की!
कवि आवाम का जरिया, उगलती आग का दरिया!

कविता प्रेम की प्याली, छुपे किरदार की जाली!
कविता शोषण से मुक्ति, दिमागी पोषण की युक्ति!
कविता है तो गीता है, कविता है तो सीता है!!
क़लम कागज़ बिना कोई ,कवि निष्प्राण जीता है!!
         
✍️ आरक्षक नीरज सेन (क़लम प्रहरी)
कुंभराज, गुना ( म. प्र)

22.
गीत का शीर्षक,,,,, याद तुम्हारी सुबहो आई
रचनाकार,,,,,,,,,,,,,  डॉक्टर देवेंद्र  तोमर

याद तुम्हारी सुबहो आई
दोपहरी फिर  शाम।
रात खड़ी है दरवाजे पर
लेकर फिर पैगाम।

बचपन वाले खेल तमाशे
आए मुझको याद
संग तुम्हारे खुशियां रहतीं
सूनापन था बाद
बारिश का एहसास कराती
संग तुम्हारे घाम।
रात खड़ी है दरवाजे पर
लेकर फिर पैगाम।

हम पर रूप जवानी जैसे
बनकर आया काल
प्रतिबंधों के दो पल जैसे
लगते हमको साल
मुजरिम दोनों हुए प्यार के
करे चौकसी गाम।
रात खड़ी है दरवाजे पर
लेकर फिर पैगाम।

अक्सर जैसा होता वैसा
हुआ हमारे साथ
दरवाजे पर रुकी तुम्हारे
दूल्हा संग बारात
आसमान तक पहुंचे सपने
आकर गिरे धड़ाम।
रात खड़ी है दरवाजे पर
लेकर फिर पैगाम।

याद तुम्हारी सुबहो आई
दोपहरी फिर शाम।
रात खड़ी है दरवाजे पर
लेकर फिर पैगाम।

✍️ डॉक्टर देवेंद्र तोमर
अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष
विश्व साहित्य सेवा संस्थान

23.
* वो कौन ?*

कमसिन,मासूम,भोली सूरत,
मन पर छा गई वो मौन।
छिप गई दो पल झलक दिखाकर,
सखि ना जाने थी वो कौन ?

या थी कोई भक्त पूजारिन,
सूने मंदिर में शंख बजाए ।
या थी वो एक सागर कन्या,
यादों के कई मोती बरसाए ll

या थी वो स्वाति की बदली,
चातक की जैसे प्यास बढ़ाई ।
या थी कोई लहर मौज सी ,
आई, टकराई और चली गई ll

सहसा एक दिन उतरी थी वो,
जीवन के सूने आंगन में l
अनाम सा रिश्ता बना दिया,
नजरों के एक बहाने से ll

सच बड़ी निर्मोही थी वो,
मग में अकेला छोड़ गई l
दो पलो के संगम में वो,
यादों का सागर जोड़ गई ll

✍️ डॉ. अरविन्द कुमार व्यास *
सहायक आचार्य
जे.आर.कॉलेज,रेलमगरा,
जिला राजसमन्द ( राजस्थान )

24.

ऐ बेग़ैरत इंसा,
तूने मुझें दोष देकर
अपनी फ़ितरत बदली।

मैंने तो आसमा
एक बनाया था,
तूने घरौंदे बनाकर
छतें अलग करली।

ऐ बेग़ैरत इंसा,
तूने मुझें दोष देकर
अपनी फ़ितरत बदल ली।

मैंने तो ज़मी एक बनाई थी
सरहदें बना कर अपनी-अपनी
ज़मी अलग कर ली।

ऐ बेग़ैरत इंसा,
तूने मुझें दोष देकर
अपनी फ़ितरत बदल ली।

मैंने तो इंसा भी एक बनाया था।
तूने धर्म बनाकर अपनी
जतियाँ अलग करली।

ऐ बेग़ैरत इंसा,
तूने मुझें दोष देकर
अपनी फ़ितरत बदल ली।

मैंने तो इबादत भी एक ही बनायी थी
मंदिर-मस्ज़िद बनाकर
तूने इबादत भी अलग करली।

ऐ बेग़ैरत इंसा,
तूने मुझें दोष देकर
अपनी फ़ितरत बदल ली।

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर
मध्यप्रदेश

25.

जानकी नवमी पर विशेष

जानकी अवतरण

जनकपुरी पड़ा भारी
दुर्भिक्ष अकाल भया
ऋषि श्रेष्ठ ने सुझाया तब
हलेषठी यज्ञ किया

भू पाप मिटावन खातिर
लक्ष्मी अंश अवतारी
घट के अंदर थी विराजी
बन के जनक कुमारी

हल जो चलाएं जनक
फल टकराया घट से
अवतरित हुई जानकी
कल कल हुआ थल जल से

हृदय प्रसन्न मिथिलेश
प्रसन्न हुए मिथिला वासी
लक्ष्मी अंश रूप धर के
जानकी बनी मिथिला निवासी

जानकी अवतरण से हुए
सुर नाग मानव हर्ष विभोर
जानकी के बाल रुदन से
संसार सुखमय हुआ चहुंओर

✍️ रेखा शाह आरबी
जिला बलिया उत्तर प्रदेश

अंक - 10

जय माँ सरस्वती

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
    

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ _ 001 दिनांक -  _ _  20/05/2021

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _ _ _  प्रमोद ठाकुर _ _ _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _ _ 1 - 10 _ _ _ _ _ _  में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।


रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

___________

अंक - 9
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/9-19052021.html

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अंक - 10, वृहस्पतिवार , 20/05/2021
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/10-20052021.html

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कविता :- 20(02), वृहस्पतिवार , 20/05/2021
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कविता :- 20(01)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2001-19052024.html

21/05/2021 , कविता - 20(03)

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साहित्य एक नज़र , अंक - 11

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जम्मू-कश्मीर इकाई
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साहित्य संगम संस्थान , मुख्य मंच , आ. कुमार रोहित रोज़ जी की विषय प्रवर्तन -
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26.
जीवन में आत्मविश्वास की महत्ता

किसी भी स्त्री और पुरुष की सफलता का इतिहास देखिए तो उसकी कामयाबी में आत्मविश्वास का बहुत बड़ा हाथ होता है। आत्मविश्वास से लबरेज इंसान के लिए कोई भी कार्य नामुमकिन और असंभव नहीं होता तथा उसके कार्य करने की गति भी दोगुनी हो जाती है। यदि हम अपने अंदर आत्मविश्वास से परिपूर्ण हैं तो हमारे शरीर मे अनेकों शक्तियां उत्पन्न होकर हमारे कार्य को पूरा करने में सहायक बन जाती हैं ।आत्मविश्वास के दम पर दुनिया का कठिन से कठिन काम भी सरलतम किया जा सकता है और उस से बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकता है।

आत्मविश्वास के अभाव में कोई भी व्यक्ति कामयाब नहीं हो पाता आत्मविश्वास ना होने पर मनुष्य सपने तो देख सकता है ।पर उसे पूरा नहीं कर सकता । जब तक स्वयं पर विश्वास ना हो कि मैं यह कार्य कर सकता हूं उसमें अपना शत प्रतिशत नहीं दे सकता । विश्वास ना होना तथा आत्मविश्वास में काफी फर्क है कुछ लोग  घोर निराशावादी होते हैं वह सोचते हैं जो भाग्य में लिखा है वही होगा वक्त से हम कितना भी मेहनत करें मेहनत फल नहीं देगी जब तक तकदीर का साथ ना हो । यही भावना उनके अंदर घर बना लेती है और यही भावना उसे निराशा और नाकामयाबी की ओर उन्मुख करती है।

जब हम महात्मा गांधी के जीवन चरित्र की ओर दृष्टि डालते हैं । तो हमें मालूम होता है कि उस दुबले पतले आदमी ने अपने आत्मविश्वास के बल पर भारत को स्वतंत्र कराया था।   इब्राहिम लिंकन ने अमेरिका में इसी आत्मविश्वास के बल पर राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था।  जबकि उस समय अमेरिका में गृह युद्ध छिड़ा हुआ था कोई भी साधारण मनुष्य इस बात की कल्पना नहीं कर सकता था। कि उनकी इस हालात में विजय होगी ।लेकिन लिंकन  अपने आत्मविश्वास के बल पर चुनाव जीतकर अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे।
यदि हम अपने संपूर्ण साहस हिम्मत और कार्य शक्ति को बटोर कर कोई भी लक्ष्य केंद्रित करें तो कामयाबी अवश्य मिलेगी । हो सकता है कुछ लोग नाहक ही वह बरगलाए, फुसलाए ,अकारण आपके कार्य में त्रुटियां निकाले ,व्यर्थ ही हतोत्साहित करें पर यदि हम अपने मन विश्वास पर अडिग रहें । तो सफलता निश्चित मिलेगी आत्मविश्वास के बल पर वैज्ञानिकों ने बड़े-बड़े आविष्कार कर दिखाए।  उन्होंने अनेकों कष्ट सहकर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया यह सब मात्र आत्म विश्वास के कारण ही संभव हो सका।

आजकल के युवकों और युवतियों में बहुत बड़ी समस्या है । वह अपने अंदर आत्म विश्वास उत्पन्न तो कर लेते हैं
पर उसमें निरंतरता कायम नहीं रख पाते उनके भीतर का जोश और हौसला कुछ दिनों के उपरांत ही दम तोड़ने लगता है । यदि जीवन के किसी क्षेत्र में उतरना चाहते है। तो  पल पल आने वाले संकटों से टकराना चाहते है जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय पताका फहराना चाहते हो तो आत्मविश्वास को अपना अभेद्य सुरक्षा कवच बना कर रखना पड़ेगा ।आत्मविश्वास एक अनमोल निधि है जो पल-पल हमारी मदद करता है और हमारे काम आता है इस अनमोल निधि को पहचानिए परखिए मजबूत पकड़ के साथ संभाले रखिए आप दुनिया के कठिन से कठिन काम को भी हंसते खेलते पूरा कर सकते हैं आज तक जितने भी वीर पुरुष और महापुरुष इस धरा पर पैदा हुए हैं सब अपने हिम्मत और आत्मविश्वास के बल पर ही कामयाब और शिखर पर पहुंचे। मनुष्य के अनेकों गुणों में आत्मविश्वास निसंदेह एक श्रेष्ठ गुण है

✍️ रेखा शाह आरबी
जिला बलिया उत्तर प्रदेश

अंक - 10
20 मई 2021
   गुरुवार
वैशाख शुक्ल 8 संवत 2078
पृष्ठ - 1
प्रमाण पत्र - 12
कुल पृष्ठ - 13
साहित्य एक नज़र 🌅
मो - 6290640716

" साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित हुए ग्वालियर के प्रमोद ठाकुर ‌।

20 मई 2021 , गुरुवार को  " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से ग्वालियर के प्रसिद्ध साहित्यकार आदरणीय  प्रमोद ठाकुर जी को सम्मानित किया गया । ठाकुर जी पत्रिका के अंक 1 - 10 तक में  अपनी रचनाओं से योगदान करते हुए प्रचार प्रसार करने में भी अहम भूमिका निभाएं है । साहित्य एक नज़र कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है , जो नि: शुल्क में साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , माहेश्वरी साहित्यकार, विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित व साहित्यकारों की रचनाएं , पेंटिंग ( चित्र ) प्रकाशित  साहित्य व कला की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका का उद्घाटन रोशन कुमार झा के हाथों से 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है उन सभी को  हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान पत्रिका के अंक के साथ सम्मानित किया जाएगा ।।

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कविता :- 20(04)

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साहित्य एक नज़र अंक - 12
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कविता :- 12(21) , रविवार , 19/05/2019
रविवार की पल
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20/05/2021 , 


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