कविता :- 20(61) , रविवार, 18/07/2021 , अंक - 69 , मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान में आज उच्च वर्ग परीक्षा , ENVS

रोशन कुमार झा

कविता :- 20(61)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता - जीवन एक परीक्षा है ।

जीने की इच्छा है ,
जीवन भी एक परीक्षा है ।
जीने वाले कोई आगे तो
कोई पीछा है ,
हमसे भी कोई ऊपर
हम भी किसी के नीचा है ।।
एक से एक कला
और शिक्षा है ,
हासिल करके
करना समीक्षा है ।
सुख दुख तो
जीवन का हिस्सा है ,
मिलकर बनाना है इतिहास
न बना तो
बनाना एक क़िस्सा है ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(61)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
18/07/2021 ,  रविवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 69
Sahitya Ek Nazar
18 July 2021 ,  Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
।। मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान ।।
कृते :"मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश  ( रजि.)"
*************************
  उच्च वर्ग- प्रश्न पत्र
पूर्णांक - 100
निर्देश -प्रत्येक प्रश्नक उत्तर देनाई अनिवार्य अछि।
************************
1) (अ )-  पूरा स्वर वर्ण एवं व्यंजन वर्ण  मिथिलाक्षर में लिखू । (अ सँ ज्ञ तक)       (5 )

1)(ब) - निम्नलिखित प्रत्येक वर्ण में सब  मात्रा लगा कऽ मिथिलाक्षर में लिखू। (5)

जेना-क,का कि, की,कु......कः।

(ध, त्र, द,ह,ण,य ,त,ष, व,क)

(2) 1 सँ 100 तक (अंक)मिथिलाक्षर में लिखू। (10)

3) निम्नलिखित शब्द सभ के मिथिलाक्षर मे लिखू (25)

न्यायोचित,दुर्व्यवहार,सञ्जय, धूमकेतु,झञ्झावत,कुम्भ,कृष्ण, तृष्णा,मधुशााला,व्यायाम,हूँकार,अद्भुत,सौराष्ट्र,रामचन्द्र,त्वदन्य, विभत्स,हिडीम्बा,कृतघ्न,चञ्चला,ऊर्ध्वसॉस,दुर्गोत्सव,विस्तृत,मङ्गल,वृहस्पति,प्लुटो,बाहुबली, अन्त्योदय,मक्खन,अवश्यम्भावी, आह्लादित,क्लेश,द्रोणाचार्य, शशाङ्क, गन्धर्व,स्कुल,त्रिपुरसुन्दरि, पाश्चात्य,स्वाबलम्बी,वृषोत्सर्ग, सिन्दुर,अश्वत्थामा,वृद्धाश्रम, मुण्डन,यज्ञोपवीत,अगस्त्य, सत्तात्मक,बान्धव,रूक्मिणी, मातृत्व,कस्तूरी

4)  निम्नलिखित श्लोक सभ के मिथिलाक्षर में लिखू।
(15)
            *मालावत्युवाच*
वन्दे तं परमात्मानं सर्वकारणकारणम् ।
विना येन शवाः सर्वे प्राणिनो जगतीतले ।।
निर्लिप्तं साक्षिरूपं च सर्वेषां सर्वकर्मसु ।
विद्यमानमदृष्टं च सर्वेः सर्वत्र सर्वदा ॥
येन सृष्टा च प्रकृतिः सर्वाधारा परात्परा ।
ब्रह्मविष्णुशिवादीनां प्रसूर्या त्रिगुणात्मिका ॥
जगत्स्रष्टा स्वयं ब्रह्मा नियतो यस्य सेवया ।
पाता विष्णुश्च जगतां संहर्ता शंकरः स्वयम् ॥
ध्यायन्ते यं सुराः सर्वे मुनयो मनवस्तथा ।
सिद्धाश्चयोगिनः सन्तः संततं प्रकृतेः परम् ॥
साकारं च निराकारं परं स्वेच्छामयं विभुम् ।
वरं वरेष्यं वरदं वराहं वरकारणम् ॥
तपः फलं तपोबीजं तपसां च फलप्रदम् ।
स्वयं तपःस्वरूपं च सर्वरूपं च सर्वतः ॥
सर्वाधारं सर्वबीजं कर्म तत्कर्मणां फलम् ।
तेषां च फलदातारं तद्‌बीजं क्षयकारणम् ॥

(5)(अ) निम्नलिखित शब्द सभ के देवनागरी में लिखू। 👇    (25)

(5)(ब) निम्नलिखित श्लोक सभ के देवनागरी में लिखू।
(15) 👇


05:00 उठे , फूल तोड़े , मुंह धोए , भगवती घर काम , कपड़ा धोये । 06:00
फिर आनंद गैस पोछा

06:19 में डाटा खोले ।
10:20 , बुधनी आयी परौल से 10 रुपया दिए ।

Environmental studies Project for III YEAR :B.A &B.SC- Hrn AND Gen
Amphan cyclone and its effects on environment

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Hand written project, max 10 pages, with acknowledgement, cover page, bibliography. You can use pictures.You should write your roll no and registration no. Make its pdf , file name - your roll no.

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साहित्य एक नज़र 🌅 व्हाट्सएप ग्रुप
[18/07, 20:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[18/07, 22:23] आ प्रभात जी: कृपया इस पोस्ट को तत्काल हटाया जाए एडमिन महोदय से मेरा निवेदन है।
[18/07, 22:23] आ प्रभात जी: ग्रुप के सभी पदाधिकारियों और इससे जुड़े सभी आदरणीय/ आदरणीया,भाई,बहन से मेरा निवेदन है। कि आप सब किसी दुसरी समूह का प्रचार प्रसार ना करें। यहाँ पर जो 500/600 रूपये लेकर किसी कि रचना को स्थान देता हो। आप सब समझदार है।
[18/07, 22:23] आ प्रभात जी: यहाँ सिर्फ रचना प्रकाशन हेतु ही भेजें या कोई रचना बहुत सुन्दर लगी तो आप उस रचना पे टिप्पणी करें।वो भी ध्यान रहे।कुछ गलत टिप्पणी ना हो।
[18/07, 22:53] आ सपना जी: क्षमाप्रार्थी हूँ आदरणीय, अभी हटा देती हूँ मेरा उद्देश्य ऐसा नहीं था..कोई जुड़ना चाहे तो जुड़ सकें तभी डाला था..
[18/07, 22:55] आ प्रभात जी: सादर नमन आपको मैम 🙏🙏

[17/07, 18:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏
[18/07, 20:48] आ सपना जी: सादर नमन आदरणीय
[18/07, 20:48] आ सपना जी: *ख़ुशखबरी रचनाकारों के लिए...*

*Classic Era पब्लिकेशन* की ओर से *काव्य दर्पण* साझा काव्य संग्रह प्रकाशन की प्रक्रिया में है।  सभी कवि एवं कवयित्री सादर आमंत्रित है। आप सभी *काव्य दर्पण*  साझा संग्रह में अपनी रचनाएँ प्रकाशित करने के लिए भेज सकते हैं। 

1. आपको अपनी 2 स्वरचित मौलिक रचनाएँ प्रकाशनार्थ भेजनी हैं। 
2. अपना संक्षिप्त परिचय (मोबाइल नम्बर और ई मेल आईडी के साथ), पासपोर्ट साइज फोटो व्हाट्सएप्प पर भेजनी होगी या इमेल के द्वारा भी आप अपनी रचना भेज सकते हैं। 
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(3)  रचना के साथ वांछित सामग्री व सहयोग राशि पूर्व में भेजकर पटल से जुड़कर सूची में नामांकित करना होगा साथ ही दिए गए गूगल पे, पे टीएम नम्बर पर भुगतान की गई राशि का स्क्रीन शॉट व विवरण अंकित संपर्क पर व्हाट्सएप करनी होगी।
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(5) अपनी रचनाओं के मौलिक और स्वलिखित होने का उल्लेख अवश्य करे। 
(6) रचनाएँ इस ईमेल पर भी भेज सकते हैं
*Sapnanegi68@gmail.com*

(7) रचना भेजने की अंतिम तिथि 18 अगस्त 2021

विशेष - इस संग्रह में शामिल रचनाकारों को " *काव्य दर्पण सम्मान 2021"* प्रदान किया जायेगा ।
*ध्यान रखें* -
प्रकाशनार्थ प्रेषित रचना सकारात्मक, सामाजिक, उद्देश्यपूर्ण हो व राजनैतिक, राष्ट्रभावना, धार्मिक भावनाओं आदि को आहत करती हुई नही होनी चाहिए।
रचनाओं पर किसी प्रकार के वाद-विवाद हेतु रचनाकार उत्तरदायी होगा।।

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*संपादन एवं प्रबंधक*
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[18/07, 20:48] आ सपना जी: आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीय..अगर आप जुड़ना चाहे तो
[18/07, 20:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[18/07, 20:49] आ सपना जी: नई शुरुवात की है उम्मीद है आप सबका साथ मिलेगा😊
[18/07, 20:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: अवश्य 🙏💐
[18/07, 20:51] आ सपना जी: शुक्रिया जी
[18/07, 20:51] आ सपना जी: अपने साथ वालोंं को भी ज़रूर बोले😊
[18/07, 20:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 मेरा भरपूर सहयोग रहेगा आदरणीया 🙏💐
[18/07, 20:53] आ सपना जी: 😊
धन्यवाद आदरणीय। आप ने मेरा हौसला बढ़ाया है बहुत
[18/07, 20:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐
[18/07, 20:55] आ सपना जी: आदरणीय कल पत्रिका में भी देते हैं
[18/07, 20:56] आ सपना जी: वहां से भी मदद मिल जाएँगी।
[18/07, 20:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई यदि साहित्य सेवा करें तो उसे आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है आदरणीया 🙏💐
[18/07, 20:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[18/07, 20:57] आ सपना जी: 😊
[18/07, 20:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏
[18/07, 21:51] आ सपना जी: आदरणीय एक नज़र साहित्य समूह में भी डाला जाएंं क्या अगर आप अनुमति दें तो
[18/07, 21:51] आ सपना जी: क्या पता कोई जुड़े
[18/07, 21:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: डालिए
[18/07, 21:58] आ सपना जी: शुक्रिया आदरणीय💐😊
[18/07, 22:59] आ सपना जी: साथ देने वाले कम और आपको गिराने  वाले दस खड़े हो जाते हैं
[18/07, 22:59] आ सपना जी: आप से भी क्षमाप्रार्थी हूँ आदरणीय..कुछ लोग पता नहीं हर काम को नकारात्मक दृष्टि से क्यों देखते हैं..जबकि हमारा उद्देश्य ऐसा नहीं होता
प्रकाशन में कुछ खर्चा तो आएगा ही...बाकी आपको तो सब पता है आदरणीय
[18/07, 23:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 मैं खुद आप से क्षमा चाहता हूँ । आदरणीया 🙏💐
[18/07, 23:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[18/07, 23:06] आ सपना जी: नहीं आदरणीय।
आप ने मुझे हौसला दिया है और मैं इतनी जल्दी हार मानने वालोंं में दे नहीं हूँ..जब आप सबका साथ है तो फिर यह मुश्किलें क्या चीज़ है
[18/07, 23:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏

[12/07, 23:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏 भाई जी 🙏💐
[18/07, 22:04] आ प्रभात जी: Bhaiya g
[18/07, 22:05] आ प्रभात जी: Gruop me kisi aur samuh ya koi aur ki mashik patrika ya sakhsa kavy sankalan jaise chij ko na bheje
[18/07, 22:06] आ प्रभात जी: क्युकि आप स्वयं पैसा नहीं लेते और आपके जरिये कोई और पैसा लेके रचना को छापे ये उचित नहीं है
[18/07, 22:07] आ प्रभात जी: भैया जी
[18/07, 22:07] आ प्रभात जी: थोड़ा मेरी बात पर गौर किजीए
[18/07, 22:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी भाई
[18/07, 22:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: कुछ लोग ज्यादा होशियार बनते है भाई उन्हें हटाना होगा
[18/07, 22:08] आ प्रभात जी: हाँ भाई
[18/07, 22:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: सादर आभार 🙏 आपका भाई जी 🙏💐
[18/07, 22:10] आ प्रभात जी: 15 रूपये लेना 20 रूपये लेना उचित है भाई लेकिन 500 या इससे अधिक लेना उचित नहीं है और अपने खिलाफ है
[18/07, 22:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां भाई जी वहां से अपने को लेना देना नहीं है
[18/07, 22:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: कल फिर एडमिड कर देंगे
[18/07, 22:12] आ प्रभात जी: हा
[18/07, 22:17] आ प्रभात जी: ग्रुप के सभी पदाधिकारियों और इससे जुड़े सभी आदरणीय/ आदरणीया,भाई,बहन से मेरा निवेदन है। कि आप सब किसी दुसरी समूह का प्रचार प्रसार ना करें। यहाँ पर जो 500/600 रूपये लेकर किसी कि रचना को स्थान देता हो। आप सब समझदार है।
[18/07, 22:20] आ प्रभात जी: यहाँ सिर्फ रचना प्रकाशन हेतु ही भेजें या कोई रचना बहुत सुन्दर लगी तो आप उस रचना पे टिप्पणी करें।वो भी ध्यान रहे।कुछ गलत टिप्पणी ना हो।
[18/07, 22:21] आ प्रभात जी: Ye mai group me post karu agar aap kahe to
[18/07, 22:21] आ प्रभात जी: Bhaiya g
[18/07, 22:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: शानदार भाई , शानदार निशाना आदरणीय भेजिए 🙏
[18/07, 22:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक अभिनन्दन 🙏💐
[18/07, 22:23] आ प्रभात जी: कर दिया मैं
[18/07, 22:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद आपका
[18/07, 22:24] आ प्रभात जी: जो होगा आगे आप देख लेना भाई
[18/07, 22:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: देखें है जो पोस्ट की है पहले अपना पत्रिका में काम करना चाहती थी अब खुद काव्य संग्रह निकाली है ‌। आप जवाब दे सकते है ।
[18/07, 22:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: सपना नाम है
[18/07, 22:25] आ प्रभात जी: Tab thik hai
[18/07, 22:25] आ प्रभात जी: Ok
[18/07, 22:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप चिंता न करें भाई जी 🙏 देख लेंगे
[18/07, 22:25] आ प्रभात जी: Thank you brother
[18/07, 22:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: कैसे ठीक है भाई , रास्ता दिखाएं हम
[18/07, 22:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: फिर आगे आगे चलने लगी
[18/07, 22:27] आ प्रभात जी: भैया जी मैं बिजी रहता हूँ थोड़ा लेकिन देखते रहताहूँ
[18/07, 22:27] आ प्रभात जी: अगर कहीं गलत टिप्पणी करू तो आप कह देना मुझे
[18/07, 22:27] आ प्रभात जी: बेझिझक बोलना आप हमे
[18/07, 22:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 भाई जी 🙏💐
[18/07, 22:29] आ प्रभात जी: सपना जी ने पोस्ट पढ लिया है भैया जी
[18/07, 22:29] आ प्रभात जी: हाँ
[18/07, 22:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: ओहहह
[18/07, 22:29] आ प्रभात जी: Ha
[18/07, 22:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: सोच रहे हैं हमलोग भी अगले महीने तक काव्य संग्रह निकालें
[18/07, 22:31] आ प्रभात जी: हा सही सोचा है
[18/07, 22:31] आ प्रभात जी: मुझे बताओ पैसा कितना लगता है
[18/07, 22:32] आ प्रभात जी: फिर पैसा लेना है या नहीं
[18/07, 22:32] आ प्रभात जी: विचार किया जाय
[18/07, 22:32] आ प्रभात जी: बताओ आप
[18/07, 22:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: 16 से 17 हजार यदि हम पीडिएफ बनाकर देंगे तब
[18/07, 22:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर
[18/07, 22:33] आ प्रभात जी: क्या कह रहे हो
[18/07, 22:33] आ प्रभात जी: आप
[18/07, 22:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: 75 किताब मिलेगी 150 पृष्ठ रहेंगे
[18/07, 22:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: बस आप से बात
[18/07, 22:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: बोलिए कोई बात है क्या
[18/07, 22:34] आ प्रभात जी: Nhi
[18/07, 22:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: और बताइए अपना
[18/07, 22:34] आ प्रभात जी: Ammount jyada hai bhaiya g
[18/07, 22:34] आ प्रभात जी: Mere hisab se
[18/07, 22:34] आ प्रभात जी: Patrika free chapate hai aap
[18/07, 22:35] आ प्रभात जी: Aur isaka paisa lenge agar
[18/07, 22:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: दो चार प्रकाशन से बात करते है
[18/07, 22:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: जहां सस्ता हो वही से करेंगे
[18/07, 22:35] आ प्रभात जी: Ha
[18/07, 22:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां भाई जी 🙏
[18/07, 22:36] आ प्रभात जी: Kaphi log nikal rahe साझा काव्य
[18/07, 22:36] आ प्रभात जी: पैसा ज्यादा मिलता है इसमे लगता है
[18/07, 22:37] आ प्रभात जी: मै रोज देखता हूँ कोई ना कोई नया निकाल रहा है
[18/07, 22:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 4 से 5 हजार रुपया बचता है
[18/07, 22:45] आ प्रभात जी: Ooòooo
[19/07, 08:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏💐 भाई

[18/07, 10:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: Sir , I am Roshan Kumar Jha , surendranath Evening college part - 3 Hindi Honours Student , ENVS Project B.A Honours ,
[18/07, 10:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: Please help sir jii
[18/07, 11:09] Evs: Write any one topic with 10 or 12 pages which are given above

+91 843 61
[18/07, 11:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: For B.A (Honours ) , Thanks you 🙏💐 sir jii

[16/07, 20:13] Nitish: dibyatanu3@gmail.com
[16/07, 20:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद भाई
[18/07, 10:01] Nitish: Environmental studies Project for III YEAR :B.A &B.SC- Hrn AND Gen
Amphan cyclone and its effects on environment

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[18/07, 10:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद भाई 🙏🙏💐

[18/07, 20:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/100012727929862/posts/1267873366980249/?sfnsn=wiwspmo
[18/07, 20:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: #साहित्यसंगमसंस्थान
🌹स्वमंतव्यामंतव्यप्रकाश🌹

संगम में कुंभ का मेला क्यों लगा है?
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

क्योंकि बहुत से मठाधीशों का साहित्य सेवा का उत्साह अब ठंडा पड़ गया है और अच्छे तथा सुशिक्षित लोगों द्वारा वे बहुत सताए गए हैं। कोई एक कविता लिखता है और चाहता है कि पद्मश्री अवार्ड मिल जाए। जिसे थोड़ा सम्मान और पहचान मिल गई वह खुद को सदा सर्वदा के लिए भगवान मान बैठता है और फिर मंच संचालकों की नाक में दम करके रखता है, तारीफ़ और तानों का मकड़जाल बुनता रहता है। हर मंच पर कुछ घुसपैठिये भी बैठे रहते हैं जिनका काम ही होता है कि जहां किसी प्रशिक्षित और अच्छे रचनाकार को देखो उस पर डोरे डालना शुरू। कुछ बिगाड़ुद्दीन किस्म के भी पढे-लिखे जंतु पाए जाते हैं संसार में। वे भी महान साहित्यकार की झूल ओढ़कर मौके की तलाश में रहते हैं। कुछ सीखकर और लाभान्वित होकर अपना नया मंच बनाने या दोषारोपण करके अन्य मंच की नौकरी करने चले जाते हैं। कुल मिलाकर सबका ध्येय होता है कि यह जो अच्छा काम कर रहा है डूब जाए और वे जो अच्छा काम कर रहे हैं डुबाने का वह सफल हो जाएं। ऐसी विडंबना हिंदी के साथ क्यों हो रही है? यह तो आज का साक्षर समाज बताएगा कि बुराई को इतनी तवज्जो क्यों मिल रही है? हवन में श्रद्धा और विश्वास की आहुतियों की बजाय हड्डी और मांस फेंकने वाले छुट्टा सांड की तरह लोकतंत्र में घूमते हैं और अच्छा/आम आदमी बेचारा अपनी आबरू बचाने के लिए ही चिंतित है। जब कोई मंच बनता है तो बहुत से लोग उत्साहित होकर जुडते हैं कि नवीन सृष्टि होगी, एक और अलग तरह का प्रमाणपत्र मिलेगा। पर सृष्टि में जहां देवता पैदा होते हैं वहीं दानव भी चाहे-अनचाहे आ धमकते हैं। वे विनाशलीला करते हैं और जब थक-हारकर मंचाधीश अपनी कुंडली में कुंडलियां रचने चले जाते हैं तो यायावर सृष्टिकर्ता फिर अनाथ हो जाते हैं। बहुत से लोग जोश - जोश में साझा संकलन का कार्य करने के लिए उत्साहित होते हैं और जब प्रकाशक पैसे खा जाता और आश्वासन पर आश्वासन देता या किताब छापकर नहीं देता तो जिनके ऊपर साहित्य सेवा का भूत सवार था वे मुंह दिखाने लायक भी नहीं बचते। कुछ तो जेब से पैसे लौटाते पाए  गए हैं। पुराने साहित्यकार जो सरकार या किसी संस्था की चाटुकारिता करके दो चार अवार्ड झटक लेते हैं उनकी अलग लीला है। वे किसी को कुछ समझते ही नहीं। यह बात अलग है कि इस लॉकडाउन में सबसे ज़्यादा उपेक्षित वे ही हैं। क्योंकि उन्हें तकनीकि का ज्ञान नहीं है और इस माध्यम से उन्हें पैसा भी नहीं मिल पा रहा। जो कहीं से तकनीकि सीख गए वे नवोदितों को भटकाने और मूर्ख बनाने मे लगे हैं। पर घर के एकांत कमरे में डायरी में कविता लिखना और मंचों पर गाने से इलेक्ट्रॉनिक हिंदी साहित्य की सेवा करना बहुत अलग और दुरूह कार्य है। किसी के भी बस की बात नहीं है यह, क्योंकि दुनिया में बहुत काबिल लोग हैं। जब कोई मंच बंद होता है या उदासीन हो जाता है तो केवल सृष्टि ही नहीं रुकती अपितु बहुत से अवसर खत्म हो जाते हैं, बहुत सी प्रतिभाएं कुंठित होती हैं, बहुत से लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर जाता है, एक विश्वास को ठेस पहुंचती है, कि जिस पर विश्वास किया वह ही खतम हो गया।

साहित्य संगम संस्थान में इसीलिए कुंभ ♒ का मेला लगा है। बीस इकाइयों और दसियों शालाओं में नित्य सैकड़ों रिक्वेस्ट आ रही हैं। पर संगम ने तो अपनी प्रवेश पॉलिसी बदल दी है। विधिवत् आवेदन और साक्षात्कार के बाद किसी को भी जोड़ा जाता है। संगम किसी एक का प्रयास नहीं है, कोई एक कर भी नहीं सकता इतना कार्य। जो ये सताए और धोखा खाए लोग हैं, वही संगम में विविध आयाम विकसित कर रहे हैं। ये अब किसी के झांसे में नहीं आने वाले। जो अभी नए-नए हैं वे तो इधर-उधर सम्मानपत्र बटोरते फिरते हैं। फिर जब धोखा खाते हैं तो फिर संगम की याद आती है। संगम सदैव सबका स्वागत करता है। बस भाव कुछ अच्छा करने के लिए हो तो आइए। आपको इतने लोग फूलमाला लेकर स्वागत के लिए मिलेंगे कि यह सब देख बहुतेरे तो बड़े नखरे दिखाते हैं। पर संगम न तो पैसे लेता है और न ही कोई किसी प्रकार का कठोर नियम या शर्तें रखता है। बस एकमात्र सहयोग की भीख मांगता है कि जब समय मिले, जब सुविधा हो और जब मन करे तो एक दायित्व लेकर सहयोग कीजिए। वह जो आप जीवन में करना चाहते थे पर किसी मजबूरी में नहीं कर पाए। संगम की दुनिया की सर्वोत्तम टीम और इसके निस्वार्थ सेवी संरक्षकों ने पांच वर्षों में एक विश्वास कमाया है। जिन किताबों के लिए कभी राशि ली उन्हें  सस्ते मूल्य पर सबसे अच्छा कार्य करके दिया है। लॉकडाउन के कारण महाकाव्यमेध और कुछ असुविधा के कारण वसुधैव कुटुंबकम् के प्रकाशन में विलंब जरूर हुआ है पर किसी का भी सहयोग व्यर्थ नहीं गया/जाएगा। महाकाव्यमेध मुद्रित हो चुकी है और सबको भेजी जा रही है। संगम में जो भी कार्य करता है उसे हमेशा के लिए संरक्षित और करने वालों को सम्मानित किया जाता है। जो संस्थापक संगम छोड़कर चले गए और जो इस दुनिया में भी नहीं रहे उन्हें भी पंचम वार्षिकोत्सव में सम्मानित किया गया। रचनाकार की एक इच्छा होती है कि उसकी किताब बने, पर अच्छे - अच्छे लोग नहीं बनवा पाते। संगम आपने सहयोगियों को किताबें बनाकर निशुल्क देता है। इसके सेवक संगम को अपना मानकर सेवा करते हैं। जबकि अन्य मंचों में कोई मां के नाम से, कोई पिता के नाम से, तो कोई बेटी के नाम से साहित्य सेवा कर रहा है और उसके सदस्य सेवा नहीं उस मंच की नौकरी करते हैं। संगम में अच्छा कार्य करने के लिए किसी से पूछने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इन्हीं सब खूबियों के कारण संगम में कुंभ का मेला लगा है।

राज वीर सिंह
[18/07, 20:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://m.facebook.com/photo.php?fbid=372448330973453&id=100046248675018&set=a.190484462503175&sfnsn=wiwspmo
[18/07, 23:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: CU Even Semester Form fill up (B.A./B.sc)
1) For 6th Semester -  https://www.cuexamwindow.in/CandidateEnrollment.aspx?s=j7HaAwdC7ZnqgGwp8ZV7GQ==&sv=h2DQ7qfbLlvpDMkfyOJxLvqE8gZVW5Hlrw6qMh6/uZ0=&acy=Ndt5py7TbBp3OwvQ4EXZrQ==&stm=YaZKv1t3SdV1IFhcLrH/YQ==

2) For 4th Semester - https://www.cuexamwindow.in/CandidateEnrollment.aspx?s=+iaPw/RBvMBeT3ZfWgSlcw==&sv=h2DQ7qfbLlvpDMkfyOJxLkvbi3T7Kv63uY8OSL7+BKQ=&acy=Ndt5py7TbBp3OwvQ4EXZrQ==&stm=YaZKv1t3SdV1IFhcLrH/YQ==

3) For 2nd Semester - https://www.cuexamwindow.in/CandidateEnrollment.aspx?s=LK/lq6aiuPmPSMIDt3ok/Q==&sv=h2DQ7qfbLlvpDMkfyOJxLh+TgsJQ7PQhJqr8crDX5jY=&acy=Ndt5py7TbBp3OwvQ4EXZrQ==&stm=YaZKv1t3SdV1IFhcLrH/YQ==

: For part system
https://www.cuexamwindow.in/PART/StreamChoose.aspx

Roll no - 2117-61-0012
Reg no - 117-1111-1018-17


http://www.surendranatheveningcollege.com/checklist-for-part-iii/

Notice For C.U. Form fillup B.A./B.Sc/B.Com (Hons. & General) Part-III
http://www.surendranatheveningcollege.com/notice-for-c-u-form-fillup-b-a-b-sc-b-com-hons-general-part-iii/


Roshan Kumar Jha

115-1211-0655-20
Candidate Name
TANU SINGH
Father's/Guardian's Name
INDRADEO SINGH
201115-11-0030
Stream
B.COM.
Category
HONOURS
Gender
Female
Semester
SEMESTER - I
Date of Birth *
25/09/2001
Rani singh , reg no :- 144-1211-0132-20 , roll no :- 202144-11-0062,
Roshan Kumar Jha
Reg no:-117-1111-1018-17

Jyoti
221-1211-0132-19 JYOTI Sem -3 , 192221110075

NEHA
University of Calcutta
B.A / B.Sc Semester-I ( Honours / General / Major ) Examination ( Under CBCS) , 2018
brought to you by National Informatics Centre
 

Roll No 182144110126 Registration No 144-1211-0557-18 Name NEHA SINGH
[18/07, 23:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: http://www.surendranatheveningcollege.com/notice-for-part-iii-envs-project-submission/












अंक - 69
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
साहित्य एक नज़र अंक - 69 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें -

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मात्र - 15 रुपये

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अंक - 69
18 जुलाई  2021
रविवार
आषाढ़ शुक्ल 9
संवत 2078
पृष्ठ -   1
प्रमाण - पत्र -  5
कुल पृष्ठ -  6

सहयोगी रचनाकार  व साहित्य समाचार -

1.  आ. साहित्य एक नज़र 🌅
2.  आ. गूँज कलम की साहित्यिक संस्थान की झारखंड, जम्मू कश्मीर, कटिहार इकाई का उद्घाटन समारोह सम्पन्न - ✍️ आ. राजेश पुरोहित जी , भवानीमंडी
3. आ.  प्रकाश रंजन 'शैल' जी ,  उच्च न्यायालय, पटना।
4. आ.   रोशन कुमार झा
5. आ. शिवा सिंहल आबू रोड जी
6. आ. नंदिनी लहेजा जी , रायपुर , छत्तीसगढ़
7.आ. रंजना बिनानी "काव्या" जी , गोलाघाट असम
8. आ. भोलानाथ जी
9. आ. सोहन बलूनी जी , उत्तराखण्ड


🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
131. आ. प्रकाश रंजन 'शैल' जी ,  उच्च न्यायालय, पटना।

अंक - 62 से 67
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अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
के लिए रचनाएं व अन्य कलाओं सादर आमंत्रित -
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रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 69
Sahitya Ek Nazar
18 July ,  2021 ,  Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
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रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई


कविता :- 20(55)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2055-12072021-63.html

अंक - 63
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/63-12072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jtka/

कविता :- 20(56)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2056-13072021-64.html

अंक - 64
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/64-13072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/pfpt/
अंक - 65
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/65-13072021.html

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कविता :- 20(57)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2057-14072021-65.html

अंक - 66
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कविता :- 20(58)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2058-15072021-66.html

अंक - 67
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/67-16072021.html

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कविता :- 20(59)
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अंक - 68
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कविता :- 20(60)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2060-68-17072021.html

अंक - 69
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कविता :- 20(61)

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कविता :- 20(62)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2062-20072021-71.html

अंक - 70
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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
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सम्मान पत्र
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/079.html


विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/

अंक - 59
Thanks you
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जय माँ सरस्वती
अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
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दिनांक :- 19 जुलाई 2021 से 24 जुलाई 2021 तक
सोमवार से शनिवार तक
16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं व बिना मतलब के स्पेस ( अंतराल ) वाली रचनाओं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
शब्द सीमा - 300 - 350

सूचना - साहित्य एक नज़र 🌅 पत्रिका में प्रकाशित करवाने हेतु सहयोग राशि -
एक रचना 16 - 20 पंक्ति अन्य विधा शब्द सीमा - 300 - 350 - 15 रुपये
एक महीना में दस अंक में दस रचनाएं
प्रकाशित करवाये मात्र - 120 रुपये में
आप किसी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी पत्रिका के माध्यम से दे सकते है ।
State Bank of India
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IFSC code : SBIN0000144
Name :- Roshan Kumar Jha
सहयोग राशि जमा कर स्कीन शार्ट व रसीद 6290640716 पर भेजें ।

आपका अपना -
✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संपादक / संस्थापक
साहित्य एक नज़र 🌅
मधुबनी इकाई - মিথি LITERATURE ,
मिथि लिट्रेचर साप्ताहिक - मासिक पत्रिका ( मंगलवार ),
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका - मासिक पत्रिका )

अंक - 62 से 67
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सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

गूँज कलम की साहित्यिक संस्थान की झारखंड, जम्मू कश्मीर, कटिहार इकाई का उद्घाटन समारोह सम्पन्न -

✍️ राजेश पुरोहित,भवानीमंडी
पटना , बिहार - दिनांक 15 जूलाई 2021को गूंज कलम की साहित्यिक मंच के मुख्य मंच , झारखंड इकाई , जम्मू कश्मीर इकाई और कटिहार इकाई का  भव्य उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित हुआ।  कार्य क्रम देर रात तक चला। इस कार्यक्रम में अध्यक्षीय संबोधन में डॉ.स्नेहलता द्विवेदी ' आर्या' में अपने संबोधन में साहित्य  को  समाज और राष्ट्रीय चेतना जगाने का माध्यम बताया और साहित्य की साधना को उच्चतम कोटि का कार्य बताया। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों की यह महती भूमिका समाज के  संस्कारों के सजग प्रहरी बनें। गूंज कलम की साहित्यिक मंच को उन्होंने परिवार भाव से ' सब सबके लिए ' के सिद्धांत पर समभाव से चलनेवाला संस्थान बताया।
   उदघाटन समारोह के उद्घाटन कर्ता के रूप में डॉ. पवन  प्रबल शर्मा ने अपने संबोधन में गूंज कलम की साहित्य मंच को उदीयमान सशक्त साहित्यिक जागरण का मंच बताया और इसके सफलता की कामना की। डॉ.(प्रो.) अनवर इरज  ने साहित्य के इस मंच को  शुभकामनाएं देते हुए डॉ. आर्या जी की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि निश्चित रूप से यह मंच साहित्य की उत्कृष्ट सेवा करेगा और साहित्यिक उन्नयन का कार्य करेगा। विशिष्ट अतिथि डॉ.  सुरेश चंद्रा जी ने डॉ. आर्या  को साहित्य जगत का एक सशक्त हसताक्षर बताया और विश्वास व्यक्त किया की यह मंच अपनी विशिष्ट छवि आवश्य स्थापित करेगा। विशिष्ट अतिथि श्री रविशंकर विद्यार्थी ने मंच के उद्देश्य को सराहते हुए साहित्य के विशिष्ट माणिक्य की तरह बताया। मंच का संचालन श्री कैलाश चंद्र साहू ने बड़ी कुशलतापूर्वक सम्प्रेषण की उत्कृष्ट शैली में किया।
कार्यक्रम  की शुरुआत गणेश वंदना से हुई जिसे  डॉ . अर्चना वर्मा में सुरीले अंदाज में प्रस्तुत किया।  उसके बाद सरस्वती बंदना को मोहक अंदाज में  सुश्री रुचिका राय जी ने  प्रस्तुत किया।
अतिथियों का स्वागत राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी श्री डॉ.राजेश कुमार शर्मा" पुरोहित" जी ने अपने ओजस्वी अंदाज में किया। डॉ. रामकुमार झा निकुंज ने प्रभावी अंदाज में मंच को सारस्वत और जागृत बताया।
     इस समारोह में विभिन्न इकाइयों के पदाधिकरियों का मनोनयन  हुआ। झारखंड इकाई के अध्यक्ष पद पर सुश्री ज्योति कुमारी जी, जम्मू कश्मीर के  अध्यक्ष के पद पर श्री अमरजीत सिंह जी, कटिहार इकाई के अध्यक्ष के रूप में श्री   अनुज कुमार वर्मा    जी का मनोनयन  किया गया। कार्यकारिणी  का गठन शीघ्र ही किया जाएगा।
मंच के सभी सदस्यों ने इस समारोह में  सक्रिय सकारात्मक भागीदारी निभाई और  विविध प्रकार की रचनाओं के वीडियो पोस्ट किया साथ ही बहुत सदस्यों ने लाइव आकर कविता पाठ किया।
  काव्य पाठ करने वालों में सस्मिता मुर्मु ज्योति भगत अमरजीत सिंह कैलाश चन्द्र साहू शिव सान्याल अंकुर सिंह आशुतोष कुमार नीलम पटेल हेमराज सिंह हंस पप्पू यादव शायर देव मेंहरानियाँ बालू लाल वर्मा  शिवा एमचे  ममता कुमारी अभिषेक मिश्रा दिलीप कुमार झा हरकिशोर परिहार आनन्द कृष्णन सेतुरमन सुमन दास गुप्ता राम कुमार झा किरण पांडेय शैलेश  दास प्रजापति नीलम द्विवेदी अमित कुमार विजनोरि प्रज्ञा आम्बेरकर विनोद कुमार ओझा डॉ ज्योति सिंह वेदी येसु सुधीर श्रीवास्तव ज्योति भगत सुधा चतुर्वेदीएम एस अंसारी इंद्रजीत कुमार अंजू दास गीतांजलि कृष्णकांत बडोनी हँसराज हंस कुलदीप रुहेला आभा चौहान बेलीराम कनस्वाल आराधना प्रियदर्शिनी ज्योति सिन्हा  रीता झा विनोद शर्मा  निभा राय नवीन अनिल राही रमेशचंद्र शर्मा निर्मला सिन्हा कौशल किशोर डॉ कन्हैया लाल गुप्ता नवनीत कमल मोनिका प्रशाद निक्की शर्मा मनोज कुमार चंद्रवंशी श्रीकांत तैलंग भारती यादव ओम श्रीवास्तव कंचन वैभव वर्मा रिपुदमन झा पिनाकी गिरीश चंद्र कुलदीप रुहेला संगीता सिंघल संस्था के तरफ से सम्मानित किया जायेगा।



आखिरी दास्तान

उस उदास शाम को
तुम जब जा चुके थे
मैने कोशिश की थी
तुम्हें समेट लेने की
जितना तुम बच रहे थे
उन खामोश हवाओं मे
तुम्हारी शोख हंसी और
तुम्हारी मासूमियत को
बड़े जतन से तब
मैने उकेरना चाहा था
उन कोरे कागजों पर
जो अब मेरी जिन्दगी थे
और फिर टूटे हुए
दिल के टुकड़े जोड़
मैने लिखा वो अंतिम नज्म
हमारे अंतहीन प्यार के
जो आखिरी दास्तान थे।

✍️ प्रकाश रंजन 'शैल'
उच्च न्यायालय, पटना।

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता - जीवन एक परीक्षा है ।

जीने की इच्छा है ,
जीवन भी एक परीक्षा है ।
जीने वाले कोई आगे तो
कोई पीछा है ,
हमसे भी कोई ऊपर
हम भी किसी के नीचा है ।।
एक से एक कला
और शिक्षा है ,
हासिल करके
करना समीक्षा है ।
सुख दुख तो
जीवन का हिस्सा है ,
मिलकर बनाना है इतिहास
न बना तो
बनाना एक क़िस्सा है ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(61)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
18/07/2021 ,  रविवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 69
Sahitya Ek Nazar
18 July 2021 ,  Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

कलमकार का धर्म

कभी जो मन बड़ा बेचैन हो जाता
चाहता है कुछ बोलना पर कह नहीं पाता
आसपास की घटनाएं करती व्यथित बड़ा
पर न उनका हल कुछ निकल है पाता
मन फिर होने लगता है  भारी
कहते अपने मित्र कलम
से अब तेरी है बारी
कलम को मान शस्त्र अपना
आवाज अपनी उठाते है
यही तो धर्म है हर कलमकार को
जिसे हम निभाते है
उठाते है डायरी अपनी और कलम
जो आता मन में बस वही लिख लेते हम
मैं क्या लिखूं यह प्रश्न मन में आता कई बार
क्या उत्तर मैं  पाउँगा बदले में इस - बार
माना की सामने कोई इंसान ना खड़ा
जो जवाब दे उन प्रश्नों का
जिनको हमने लिखा
पर सच कहूं जो लिखते है
वे करते सवाल स्वयं से
क्या बदलाव ला सकते है हम पहले स्वयं से
लिखना हमें अपनी अंतरात्मा से जोड़ता
उस से ही तो बन्दे तू स्वयं में बदलाव कर पाता
यह याद रख जब बदलेगा तू, समाज बदलेगा
बस लिखता जा न सोच मैं की क्या
लिखूं तुझे जवाब जरूर मिलेगा

नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)

फोटो नहीं

******""""***********
शीर्षक ,,,प्रेम क्या है,,,
विधा ,,,

कविता - प्रेम क्या है,,,

***💞🌹💞
प्रेम मेरी कलम है,
प्रार्थना मेरी कविता ,
प्रेम के सरगम में
शब्दों को पिरोता,
मन से मन का अर्पण
प्रेम है पावन दर्पण ,
प्रेम ज्ञानी, समझे मोनी वाणी,
प्रेम हवा में उड़ता पत्ता है
प्रेमी की किस्मत लिखता है,
प्रेम दीया और बाती,
प्रेम से बनते जीवन साथी ,
प्रेम है नदी का किनारा,
प्रेम बहते झरने की धारा,
प्रेम  में करते इंतजार तो,
प्रेम ही कराता इजहार,
प्रेम खिलाते धूल में फूल,
बेवफाई की मत कर भूल
प्रेम फूल और कांटे,जो
किस्मत के सुख-दुख बाटे ,
प्रेम हो धूप छांव सा,
प्रेम हो अपनों
के आलिंगन सा
सच मानो जीवन में यारों
प्रेम है कुछ खट्टा तो
प्रेम है कुछ मीठा,
प्रेम है अंतर ज्ञानी,
मूर्ख बने अभिमानी,
***💞🌹💞****

✍️ शिवा सिंहल आबू रोड

मेरे अपने सभी मित्रों की शुभ कामनायें चाहूँगा मेरी बिटिया का आज जन्म दिन है और आज हम साथ नहीं हैं !बस उपहार स्वरुप एक नवगीत निवेदित कर रहा हूँ ! आशीर्वाद चाहूँगा !

अकेले गुनगुनाऊं
कौन गीत गाऊं
मम्मी की लोरी
पापा की थपकी
बिटिया न झपकी !
जनम दिन आया
सुबह ने बताया
फिर से
दुआओं का कुमकुम
कैसे लगाऊं मैं अबकी !
दूरी बहुत है
आँखों की पुतरी
परदेशी बिटिया
अभी अभी
पांवों में अपने
खड़ी होने की खातिर
तुलसी के चौरे
रपक कर झुकी है,
मकड़ियों के
जालों से
उलझा एकाकी
पीछे छूटी यादें
ख्यालों में अब भी
अक्षत के टीके
फुलहरी में साँसें
गंध सी रुकी है,
कलेजे के टुकरे
पतझर सा बिखरे
कैसे सहेजूँ
फरका की आंधी
गुजर गई कबकी !
अकेले गुनगुनाऊं
कौन गीत गाऊं
मम्मी की लोरी
पापा की थपकी
बिटिया न झपकी !
जनम दिन आया
सुबह ने बताया
फिर से
दुआओं का कुमकुम
कैसे लगाऊं मैं अबकी !

✍️ भोलानाथ

#विषय- ""विज्ञान और अविष्कार""
#विधा-

कविता - विज्ञान और अविष्कार

विज्ञान और अविष्कार का,
चोली दामन का साथ है,
विज्ञान का ही कमाल है ,जो
आज हम आपसे इस तरह ....,
कर रहे विचारों का,
आदान-प्रदान है‌।
नए नए अविष्कार, रोज हो रहें हैं,
हम एक दूसरे से इतने
, नजदीक हो रहे हैं।
कंप्यूटर ,मोबाइल ,टीवी ,लैपटॉप से,
डिजिटल भारत का, सपना
साकार हो रहा है।
हवाईजहाज और मेट्रो से
यातायात सुगम हो रहा है,
अंतरिक्ष में भी, भारत देश
ने परचम लहराया है।
विज्ञान ने ऊंची उड़ान भर
,भारत देश के नाम को चमकाया है,
चांद पर जाकर भी घर बनाने का सपना
,वैज्ञानिकों ने दिखाया है।
आग्नेयास्त्र वह अणुशक्ति का भी,
अविष्कार वैज्ञानिकों ने हीं
कर दिखाया है।
जिसने कि जापान देश को,
घायल किया है,
आज कोरोना महामारी भी
,चीन के आविष्कारों का ही नतीजा है।
विज्ञान और अविष्कार सिक्के के दो
, पहलू की तरह होते हैं,
कभी ये वरदान व चमत्कार, तो
कभी अभिशाप बन जाते हैं।
वैज्ञानिकों ने नए नए अविष्कार कर,
देश को प्रगतिशील बनाया है,
आज कोरोना का टीका बना ,
महामारी का तोड़ भी
वैज्ञानिकों ने ही निकाला है।

✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम

भारत का अभिमान है हिन्दी

भारत का अभिमान है हिन्दी
जन -जन का गुणगान है हिन्दी
श्रमिक जनों की भाषा है हिन्दी
हम सब  अभिमान है हिन्दी।।१।।
वेद- पुराणों का सार है हिन्दी
मुनियों का तपबल  है  हिन्दी
कवि जनों का ज्ञान है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।२।।
कण-कण में   गुंजित  है हिन्दी
नवरसों का    सार  है हिन्दी
तुलसी की लेखन  है   हिन्दी
हम सब का अभिमान  है हिन्दी।।३।।
मीरा की भक्ति है   हिन्दी
सूर- कबीर  की वाणी है   हिन्दी
गुणियों का  गुणगान   है   हिन्दी
हम सब  का अभिमान  है हिन्दी।।४।।
बच्चों  की किलकारी है  हिन्दी
देश की हर आवाज है हिन्दी
भारत  की पहचान  है    हिन्दी
हम सब का  अभिमान है हिन्दी।।५।।
ब्रज-अवध बघेल है हिन्दी
गढ   प्रदेश  की भाषा है हिन्दी
देश की हर भाषा में है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।६।।
वीर शहीदों की भाषा  है हिन्दी
एकता की परिभाषा है   हिन्दी
माता की ममता है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।७।।
क्रान्तिवीरों  की भाषा है हिन्दी
सुधियों का यश गान है हिन्दी
जन- जन की भाषा है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।८।।

✍️ सोहन बलूनी
कोटद्वार  पौडी गढवाल , उत्तराखण्ड

साहित्य एक नजर


[18/07, 19:54] +91 : Hi
[18/07, 19:54] : I am writer poet & dramatist RJ Anand Prajapati From Uttar Pradesh Azamgarh
[18/07, 19:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏💐
[18/07, 19:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn
[18/07, 19:55] : Sir aap vo hame link roopi visa diziye jisase hum parlok me padarpan kare
[18/07, 19:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/VRHtCBzV2hg
[18/07, 19:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/cgpv/
[18/07, 19:56] : Aaj ki publish poem ki pic Sir diziye
[18/07, 19:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/jurd/
[18/07, 19:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: कुछ देर में होगी तो हम भेज देंगे
[18/07, 19:57] +91 4: Ji sir Thanx
[18/07, 19:57] : Vaise aapki age kya hai
[18/07, 19:58] : Bahut kam age ke lag rahe the baat se bilkul youth
[18/07, 19:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: 21
[18/07, 19:58] : Meri bhi yahi hai
[18/07, 19:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: वाहहहह
[18/07, 20:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/?ref=share
[18/07, 20:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां आप देख सकते है अभी हम 760 सदस्य है मात्र 2 महीने में
[18/07, 20:01] +91 : सब कुछ बहुत ही तन्मयता से हम देख और पढ रहे है ।
[18/07, 20:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/tcvq/
[18/07, 20:04] +91  67444: सर अकाउंट नंबर सेण्ड कर दीजिए ।
[18/07, 20:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐 धन्यवाद
[18/07, 20:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये आज की पत्रिका है सर
[18/07, 20:05] +91  67444: बहुत हर्षोल्लासित है हम अपनी रचना को लेकर ।
[18/07, 20:05] +91  67444: की आगे इस पेज पर अपना भी नाम होगा ।
[18/07, 20:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: अग्रिम शुभकामनाएं 🙏💐
[18/07, 20:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[18/07, 20:06] +91  444: आपका बहुत बहुत आभार कवियो के मनोबल को एक नई दिशा और साहित्य समाज को जीवंत रखने के लिए 🙏🙏🙏
[18/07, 20:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: जय माँ सरस्वती
अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
के लिए रचनाएं व अन्य कलाओं सादर आमंत्रित -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/330630155366434/?sfnsn=wiwspmo

दिनांक :- 19 जुलाई 2021 से 24 जुलाई 2021 तक
सोमवार से शनिवार तक
16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं व बिना मतलब के स्पेस ( अंतराल ) वाली रचनाओं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
शब्द सीमा - 300 - 350

सूचना - साहित्य एक नज़र 🌅 पत्रिका में प्रकाशित करवाने हेतु सहयोग राशि -
एक रचना 16 - 20 पंक्ति अन्य विधा शब्द सीमा - 300 - 350 - 15 रुपये
एक महीना में दस अंक में दस रचनाएं
प्रकाशित करवाये मात्र - 120 रुपये में
आप किसी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी पत्रिका के माध्यम से दे सकते है ।
State Bank of India
Account Number :- 20357163357
IFSC code : SBIN0000144
Name :- Roshan Kumar Jha
सहयोग राशि जमा कर स्कीन शार्ट व रसीद 6290640716 पर भेजें ।

आपका अपना -
✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संपादक / संस्थापक
साहित्य एक नज़र 🌅
मधुबनी इकाई - মিথি LITERATURE ,
मिथि लिट्रेचर साप्ताहिक - मासिक पत्रिका ( मंगलवार ),
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका - मासिक पत्रिका )

अंक - 62 से 67
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/325876409175142/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo
[18/07, 20:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: 20357163357
[18/07, 20:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसमें एकाउंट नंबर है
[18/07, 20:07] +91 : Kal karte hai aur apni ek rachana bhi dete hai
[18/07, 20:07] +91 : Ji dekha hamne
[18/07, 20:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[18/07, 20:10] + 67444: Meri rachana kuchh jyada line ko agar hogi to aapko hum badhakar charge de denge par usko aap jagah diziye
[18/07, 20:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई बात नहीं
[18/07, 20:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://imojo.in/2ohkQk
[18/07, 20:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां से आप खरीद भी सकते है ।
[18/07, 20:27] +91  67444: Ji bilkul sab kuchh hoga ye aasmaa bhi jhukega
Is dharati ka kona kona prakashman hoga
John  bhi sahitya Ek Nazar se judega
[18/07, 20:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: वाह बहुत सुंदर पंक्ति हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐





रोशन कुमार झा


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