कविता :- 20(60) , अंक - 68 , शनिवार , 17/07/2021

रोशन कुमार झा


कविता :- 20(60)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता -  कुछ न कठिन है -

कुछ न कठिन है ,
आज मेहनत कर लो
कल अच्छे दिन है ।
कर्म में सब लीन है ,
कोई न अमीर और कोई
न दीन है ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(60)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
17/07/2021 ,  शनिवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 68
Sahitya Ek Nazar
17 July 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
# कल वाला कविता :- 20(59) में , शुक्रवार के जगह गुरुवार गलती से कर दिए 16/07/2021

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05:47 उठे

14:44 गैस दे गया गाड़ी से आवाज देता रहा 955 में वारिश होती रही । उसमें गैस रहा ही हम रेगुलेटर घुमाया ।
भात करेला तरकारी मंटू भाई जी माँ दी ।
आनंद बेता से आया ।

रात में आम चूड़ा खाएं हम आनंद
Puja
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माँ पूजा फोटो माँगी हम भेज दिए -
[11/07, 13:22] Rahul Jha Jio: Kki
[11/07, 21:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: Khanna ho gaya
[11/07, 22:05] Rahul Jha Jio: Nhi
[17/07, 20:53] Rahul Jha Jio: Pasand nhi h ma ko
[17/07, 21:18] Rahul Jha Jio: Thik hai
[17/07, 21:18] Rahul Jha Jio: Do char photo or bhej do Acha wala fress
[17/07, 21:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: Uska papa hai
[17/07, 21:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: Ujala wala

[17/07, 10:23] +91 99825: पाइ समस्या नहि वरन एकरा भेजबाक समस्या रहलाक कारने हम रचना भेजबा मे असमर्थ छी.
हम नव तकनीक स एखनहु बाहर छी.
अन्यतम शुभकामनाएँ.
[17/07, 11:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: अहाँ रचना भेजू
[17/07, 12:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/osxc/

[17/07, 10:14] +91 922: वर्तमान में अखिल भारतीय पत्रकार संघ नाशिक का सदस्य भी हूँ।
[17/07, 10:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[17/07, 10:15] +91 86922: 🙏🌹🙏
[17/07, 10:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn

गुवाहाटी
[16/07, 21:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक छैय 🙏 धन्यवाद
[16/07, 21:09] +91 : 💐🙏🌸
[16/07, 21:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: भावुक रचना अछि
[16/07, 21:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏 अहा के
[16/07, 21:09] +91 : 🌸🙂
[16/07, 21:09] +91 : धन्यवाद
[16/07, 21:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏
[16/07, 21:10] +91 : धन्यवाद यौ रौशन बाबू 🙂
[16/07, 21:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[16/07, 22:07] +91 : https://youtu.be/UudAO8Fss2k
[16/07, 22:07] +91 : प्रणाम श्रीमान, कृपया मेरी रचना को सुनें, यदि आपको पसंद हो, तो कृपया सब्सक्राइब, साझा( शेयर) और पसंद करने का आग्रह🙏🙂
[16/07, 22:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[16/07, 22:25] +91 : 😊
[17/07, 22:22] +91 : धन्यवाद रौशन बाबू 🙏🌸💐
[17/07, 22:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[17/07, 22:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: ईमेल आईडी पर लिंक गेल की
[17/07, 22:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: पीडीएफ गेल हेत
[17/07, 22:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: लिंक पुस्तक जकअ खुलत
[17/07, 22:25] +91 7: 🌸💐
[17/07, 22:25] +91  75122: धन्यवाद
[17/07, 22:25] +91 : भेट गेल
[17/07, 22:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहुत नीक 🙏💐
[17/07, 22:25] +91 2: शुभ राइत
[18/07, 06:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏💐
साहित्य एक नज़र 🌅
व्हाट्सएप ग्रुप
[17/07, 20:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[17/07, 22:08] +91 122: धन्यवाद एवं आभार श्रीमान 🙏😊

*समूह - 48*
*********
**************************************
*बैच-169*
*(दि• 22.04.2021 सँ दि• 21.07.2021 तक)*
*मिथिला विभूति पं. अजय नाथ झा शास्त्री (संरक्षक) /संस्थापक*
******************
**************************************
*1)उत्कृष्ट संरक्षक श्री कृष्णकान्त झा-8/8/5*.
*2)संरक्षक श्री शंकरनाथ मिश्र-13/122 🔯*
*3)संरक्षक श्री अश्विनी कुमार चौधरी-71/134*
*4)संरक्षक श्री दिलीप कुमार झा -53/157*
**************************************
*************************
*1)श्री जयपाल 100-निर्देशक*
*2)श्री ललित झा 106-निर्देशक*
*************************
******************************
*1)मार्गदर्शक श्री स्वतंत्र कुमार 130*
*2) मार्गदर्शक श्री रितेश कुमार 141*
*3) मार्गदर्शक श्री कमल किशोर सिंह 119*
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*कक्षा- उच्च वर्ग*
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**************************************
*नामांकित सदस्य आओर काल्हिक हाजरी :-  17/07/2021*
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1.रोशन कुमार🅿️
6290640716
2.सुभाष दत्त झा🅿️
9827962196

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***********
🅿️उपस्थित
🆎अनुपस्थित
🆑अवकाश
***********
*********************
उपस्थित सदस्य सं०-    02
अनुपस्थित सदस्य सं०- 00
अवकाश पर सदस्य सं०-00
*********************
***********************************
*विद्यालय मे नियमित आ अनुशासित रहब आवश्यक अछि।*
**************
**********************************
मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश(रजि०)  त्रैमासिक पत्रिका द्वारा संचालित
*"मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान"*
****************************

[17/07, 22:19] +91 94306: ।। मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान ।।
कृते :"मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश  ( रजि.)"
*************************
  उच्च वर्ग- प्रश्न पत्र
पूर्णांक - 100
निर्देश -प्रत्येक प्रश्नक उत्तर देनाई अनिवार्य अछि।
************************
1) (अ )-  पूरा स्वर वर्ण एवं व्यंजन वर्ण  मिथिलाक्षर में लिखू । (अ सँ ज्ञ तक)       (5 )

1)(ब) - निम्नलिखित प्रत्येक वर्ण में सब  मात्रा लगा कऽ मिथिलाक्षर में लिखू। (5)

जेना-क,का कि, की,कु......कः।

(ध, त्र, द,ह,ण,य ,त,ष, व,क)

(2) 1 सँ 100 तक (अंक)मिथिलाक्षर में लिखू। (10)

3) निम्नलिखित शब्द सभ के मिथिलाक्षर मे लिखू (25)

न्यायोचित,दुर्व्यवहार,सञ्जय, धूमकेतु,झञ्झावत,कुम्भ,कृष्ण, तृष्णा,मधुशााला,व्यायाम,हूँकार,अद्भुत,सौराष्ट्र,रामचन्द्र,त्वदन्य, विभत्स,हिडीम्बा,कृतघ्न,चञ्चला,ऊर्ध्वसॉस,दुर्गोत्सव,विस्तृत,मङ्गल,वृहस्पति,प्लुटो,बाहुबली, अन्त्योदय,मक्खन,अवश्यम्भावी, आह्लादित,क्लेश,द्रोणाचार्य, शशाङ्क, गन्धर्व,स्कुल,त्रिपुरसुन्दरि, पाश्चात्य,स्वाबलम्बी,वृषोत्सर्ग, सिन्दुर,अश्वत्थामा,वृद्धाश्रम, मुण्डन,यज्ञोपवीत,अगस्त्य, सत्तात्मक,बान्धव,रूक्मिणी, मातृत्व,कस्तूरी

4)  निम्नलिखित श्लोक सभ के मिथिलाक्षर में लिखू।
(15)
            *मालावत्युवाच*
वन्दे तं परमात्मानं सर्वकारणकारणम् ।
विना येन शवाः सर्वे प्राणिनो जगतीतले ।।
निर्लिप्तं साक्षिरूपं च सर्वेषां सर्वकर्मसु ।
विद्यमानमदृष्टं च सर्वेः सर्वत्र सर्वदा ॥
येन सृष्टा च प्रकृतिः सर्वाधारा परात्परा ।
ब्रह्मविष्णुशिवादीनां प्रसूर्या त्रिगुणात्मिका ॥
जगत्स्रष्टा स्वयं ब्रह्मा नियतो यस्य सेवया ।
पाता विष्णुश्च जगतां संहर्ता शंकरः स्वयम् ॥
ध्यायन्ते यं सुराः सर्वे मुनयो मनवस्तथा ।
सिद्धाश्चयोगिनः सन्तः संततं प्रकृतेः परम् ॥
साकारं च निराकारं परं स्वेच्छामयं विभुम् ।
वरं वरेष्यं वरदं वराहं वरकारणम् ॥
तपः फलं तपोबीजं तपसां च फलप्रदम् ।
स्वयं तपःस्वरूपं च सर्वरूपं च सर्वतः ॥
सर्वाधारं सर्वबीजं कर्म तत्कर्मणां फलम् ।
तेषां च फलदातारं तद्‌बीजं क्षयकारणम् ॥

(5)(अ) निम्नलिखित शब्द सभ के देवनागरी में लिखू। 👇    (25)

(5)(ब) निम्नलिखित श्लोक सभ के देवनागरी में लिखू।
(15) 👇
[17/07, 22:20] +91 9406: उत्तरपुस्तिका 19/07/21 क संध्या 05:00 बजे तक भेजय के अछि।
उत्तरपुस्तिका हमरे भेजय के अछि।
[17/07, 22:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान . 48

[17/07, 21:09] +91 90166: *अभ्यासार्थी लोकिन आय रायत में आँहा सब अभ्यासार्थी के निजी नंम्बर पर प्रश्न पत्र पहुँच जायत।*
*आ आँहा सब के अपन अपन उत्तरपुस्तिका श्री अश्विनी कुमार चौधरी गुरु जी के नंम्बर पर भेजय के अछि नंम्बर सेहो आँहा के निजी पर भेज देल जायत।*
*समूह पर कियो भूलोवस नय भेजब ऊ मान्य नय हेत।*
जय जगेत मिथिला, जय जगेत मिथिलाक्षर🙏🏻
[17/07, 22:33] +91 94506: सब परीक्षार्थी के निजी नम्बर पर प्रस्न पत्र भेज देल गेल अछि। आहां सब के दिनांक 19.07.2021 के संध्या 6 बजे तक का अन्तिम समय देल गेल अछि। सबकियो ध्यान राखब जे जखन सम्पूर्ण प्रस्न के उत्तर तैयार भय जाय तऽ उत्तरपुस्तिका हमरा निजी नम्बर 9431367506
  पर भेज देब। खुब स्थिर मोन से उत्तर लिखब।
सब के परीक्षा के अग्रिम शुभकामना अछि। 💐
[17/07, 22:48] +91 900301: सब परीक्षार्थी के परीक्षा के अग्रिम शुभकामना 💐💐

*आँहा सब कोई के निजी पर प्रश्नपत्र पहुँच गेल अछि, यदि किनको प्राप्त नय भेल होय त समूह पर अथवा हमरा निजी पर संज्ञान में देब।*
*आँहा सब के अपन अपन उत्तरपुस्तिका हमर निजी नंबर 94506 पर 19/07/2021 संध्या 5 बजे तक भेजय के अछि।*
*संपूर्ण प्रश्न के उत्तर लिखनाये अनिवार्य अछि कियक त आँहा सब के उत्तीर्ण होबाक लेल न्यूनतम 70% अंक चाही अतः आँहा सब साफ साफ अक्षर में संपूर्ण प्रश्न के उत्तर लिख क समय स काल हमर नंबर पर भेज देबय।*

सादर
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान🙏🏻


*समूह - 48*
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*बैच-169*
*(दि• 22.04.2021 सँ दि• 21.07.2021 तक)*
*मिथिला विभूति पं. अजय नाथ झा शास्त्री (संरक्षक) /संस्थापक*
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**************************************
*1)उत्कृष्ट संरक्षक श्री कृष्णकान्त झा-8/8/5*.
*2)संरक्षक श्री शंकरनाथ मिश्र-13/122 🔯*
*3)संरक्षक श्री अश्विनी कुमार चौधरी-71/134*
*4)संरक्षक श्री दिलीप कुमार झा -53/157*
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*1)श्री जयपाल 100-निर्देशक*
*2)श्री ललित झा 106-निर्देशक*
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*1)मार्गदर्शक श्री स्वतंत्र कुमार 130*
*2) मार्गदर्शक श्री रितेश कुमार 141*
*3) मार्गदर्शक श्री कमल किशोर सिंह 119*
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*कक्षा- उच्च वर्ग*
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*नामांकित सदस्य आओर काल्हिक हाजरी :-  16/07/2021*
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1.रोशन कुमार🅿️
6290640716
2.सुभाष दत्त झा🅿️
9827962196

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🅿️उपस्थित
🆎अनुपस्थित
🆑अवकाश
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उपस्थित सदस्य सं०-    02
अनुपस्थित सदस्य सं०- 00
अवकाश पर सदस्य सं०-00
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*विद्यालय मे नियमित आ अनुशासित रहब आवश्यक अछि।*
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मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश(रजि०)  त्रैमासिक पत्रिका द्वारा संचालित
*"मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान"*
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[17/07, 18:47] +91 : महाशय
साहित्य एक नजर मे  रचनाएँ प्रकाशित हो इसके लिए क्या करना होता है?
मार्गदर्शन करें।

विषय- आखिरी दास्तान

उस उदास शाम को
तुम जब जा चुके थे
मैने कोशिश की थी
तुम्हें समेट लेने की
जितना तुम बच रहे थे
उन खामोश हवाओं मे
तुम्हारी शोख हंसी और
तुम्हारी मासूमियत को
बड़े जतन से तब
मैने उकेरना चाहा था
उन कोरे कागजों पर
जो अब मेरी जिन्दगी थे
और फिर टूटे हुए
दिल के टुकड़े जोड़
मैने लिखा वो अंतिम नज्म
हमारे अंतहीन प्यार के
जो आखिरी दास्तान थे।
साग्रह
प्रकाश रंजन 'शैल'।
उच्च न्यायालय, पटना।
[17/07, 18:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn
[17/07, 18:52] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/325876409175142/?sfnsn=wiwspmo
[17/07, 18:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां रचना भेजिए 🙏💐
[17/07, 18:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर कामेंट बाक्स में
[17/07, 18:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक फोटो साथ
[17/07, 18:53] +91 : धन्यवाद
[17/07, 18:53] +91 7711: 🙏
[17/07, 18:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/?ref=share
[17/07, 18:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏

फेसबुक से - एक साल पहले का -
West Bengal Council of Higher Secondary

Education (WBCHSE) बारहवीं कक्षा विज्ञान विभाग से 78 प्रतिशत प्राप्त करते हुए, हिन्दी में 83 अंक लाया मेरा छात्र सह दोस्त आदरणीय धर्मेंद्र साह जिसे हिन्दी हम निःशुल्क पढ़ाये रहे , हम इनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है ।

Roll :- 421011  No :- 1018
Registration no :- 4181186422
Name :-  DHARMENDRA SAH

HINA 064/A+ 019/O 083A+ 096.72
ENGB 042/B 018/O  060B+ 074.54
CHEM056/A+ 027/O  083A+ 039.16
MATH063/A 018/O  081A+ 081.90
PHYS056/A+ 027/O  083A+ 037.50

Total -  390

Over All Grade -  A

रोशन कुमार झा , जिला उप मीडिया प्रभारी, मधुबनी
                मो :- 6290640716
                बिहार युवा विकास मंच

विश्व साहित्य संस्थान , कविता :-16(95)

17/07/2020            शुक्रवार

83 हिन्दी में लाया मेरा छात्र सह दोस्त धर्मेंद्र साह जिसे हिन्दी हम पढ़ाये रहे,

83 हिन्दी में लाया मेरा छात्र सह दोस्त धर्मेंद्र साह जिसे हिन्दी हम पढ़ाये रहे,

हिन्दी कविता:-12(86)
17-07-2019 बुधवार 07:15
*®• रोशन कुमार झा
-:जा रहा हूँ गाँव !:-

राह हुआ रोशन जा रहा हूँ गाँव
लेकर अपना पाँव!
साईकिल रेल से किये यात्रा कभी
डूबा न मेरा नाव
मिथिला मातृभूमि जन्मों-जन्मों तक होते
और होते रहे मेरा लाभ!

तो अच्छा है
मैं भी अभी बच्चा है!
पर दिल के सच्चा है
मैं खुश हूँ पढ़ने के लिए मेरा भी कक्षा है!

आऊँगा
जाऊँगा!
जीवन में नया मोड़ लाऊँगा
और सँघर्ष से कमाऊँगा!

आ रहा हूँ गाँव
लेकर अपना पाँव!
करना है कुछ बदलाव
है अभी नया ताब!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
कलकत्ता विश्वविद्यालय
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389,(कविता-12(86)
17-07-2019 बुधवार 07:15
सलकिया विक्रम विद्यालय
Roshan Kumar Jha(31st Bengal
Bn Ncc Fortwilliam Kolkata-B
Reg no-WB17SDA112047
The Bharat Scouts & Guides
Eastern Railway Howrah
Bamangachi
Narasinha Dutt College st John
Ambulance
IGNOU-BPP-191081735(Pmkvy)
गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार
रामकृष्ण महाविद्यालय(R.K.College)
LNMU Admission Ncc dress
आज सियालदह से 13185 ट्रेन
पकड़ना है!#S&B NiF U-1Duty





अंक - 68
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
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अंक - 68
17 जुलाई  2021
शनिवार
आषाढ़ शुक्ल 8
संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण - पत्र -  5
कुल पृष्ठ -  6

सहयोगी रचनाकार  व साहित्य समाचार -

1.  आ. साहित्य एक नज़र 🌅
KA - BIGGEST INSTA CONTEST हुआ संपन्न
2.  आ. विजय कुमार यादव जी , 
3. आ.  रामप्रीत आनंद (एम.जे.) जी
गोरखपुर उत्तर प्रदेश ।
4. आ.  साधना सिंह जी
5. आ. नरेश कुमार बेसरा जी
6. आ. सुरेश लाल श्रीवास्तव जी
7.आ. रोशन कुमार झा जी
8. आ. सुनील "सुगम" जी
9. आ. विनय साग़र जायसवाल जी ,बरेली


🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
130 . आ. विजय कुमार यादव जी
गुवाहाटी असम, भारत - 17/07/2021






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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
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आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
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आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
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साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई


कविता :- 20(55)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2055-12072021-63.html

अंक - 63
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/63-12072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jtka/

कविता :- 20(56)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2056-13072021-64.html

अंक - 64
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/64-13072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/pfpt/
अंक - 65
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/65-13072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/osxc/

कविता :- 20(57)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2057-14072021-65.html

अंक - 66
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/66-15072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/cgpv/

कविता :- 20(58)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2058-15072021-66.html

अंक - 67
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/67-16072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/iwmf/

https://online.fliphtml5.com/axiwx/ndqq/

https://imojo.in/9Gs5NG

कविता :- 20(59)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2059-16072021-67.html

अंक - 68
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/68-17072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jurd/
कविता :- 20(60)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2060-68-17072021.html

अंक - 69
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/69-18072021.html

कविता :- 20(61)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2061-18072021-69.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html

सम्मान पत्र
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/079.html


विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/

अंक - 59
Thanks you
https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/

14 जून 2021 कोलकाता से गांव आएं
अंक - 35

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/35-14062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2027-14062021-35.html

KA - BIGGEST INSTA CONTEST हुआ संपन्न

13 दिनों से चलने वाला यह बिगेस्ट कॉन्टेस्ट 4 जुलाई को शुरू हुआ और 16 जुलाई को खत्म हुआ।  कुल मिलाकर 20 से ज्यादा सदस्यों ने इस प्रतियोगिता में सहभागिता ली थी , उनमें से 10 लोगों ने दूसरे चरण में पदार्पण किया, यह दूसरा चरण इंस्टाग्राम के सोशल प्लेटफॉर्म पर हुआ, यहां से लोगों के वोट से जो टॉप 3 राइटर्स रहे उनके नाम कुछ इस प्रकार हुमा अंसारी प्रथम, सुदिक्षा क्षत्रिय द्वितीय, सुचिता सुकेन तृतीय।
इस प्रतियोगिता के मुख्य रश्मि सिंग तथा इस प्रतियोगिता को आयोजित करने का काम सागर गुडमेवार ने दर्शाया।।

Head Of Contest                 Founder Of KA
Rashmi Singh                   Sagar Gudmewar

Roshan Kumar Jha plz add in news

निम्नलिखित मेरी कविताएं  आपको प्रस्तुत है,कृपया यदि उचित समझें तो  पत्रिका में प्रकाशित करने की कृपा करें

सादर 🙏विजय कुमार यादव, गुवाहाटी असम, (भारत) मोबाइल नंबर 9957550052,7002975122
imvkya@gmail.com

जिंदगी कि अनजान राहों का  I

कोई तो ठिकाना होगा     II
क्या पता, किस मंजिल पर III
यह सफर सुहाना होगा  IIII
नदियां तो  चलना ही जाने  I
ना जाने कहां उसका मुहाना होगा
मद्धम होगा वेग कहीं तो
तीव्र कभी बहाना होगा
श्रम रूपी तपस्या में तो
खुद को तड़पाना होगा
फल रूपी आम्र को तुमको
कर्म से ही पकाना होगा
कर महान प्रयास तू जीवन पथ में
फिर तेरे पीछे ही जमाना होगा

✍️ विजय कुमार यादव,
गुवाहाटी असम, (भारत)  9957550052,7002975122
imvkya@gmail.com


मैं यह घोषणा करता हूं कि यह कविता मेरे द्वारा स्वरचित है, और मौलिक है, इसका कहीं भी प्रकाशन, किसी पत्रिका में नहीं हुआ है

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फोटो नहीं

आदरणीय ! सादर नमन के साथ
'भारतीय संविधान में नारी के अधिकार ' पर आलेख  -
✍️ रामप्रीत आनंद (एम.जे.)

भारतीय जनमानस के प्राचीन परिवेश पर चिंतन किया जाए तो नारी सदा से सदाचार और कदाचार का शिकार होती रही है। पुरुष सोच के केंद्र में रहकर पूजी जाती रही है और उपभोग की वस्तु भी बनती रही है। समाज में उसका स्थान एक शून्य मात्र था, जिसे सामाजिक विडंबनाओं, प्रथाओं, पाखंडों और जातिगत भावनाओं के आधार पर अपराध और उपचार के बीच रखकर सदुपयोग और दुरुपयोग किया जाता रहा है ।
जब  विदेशी आक्रामकों से भारत देश को संवैधानिक आजादी मिली तो भारतीय संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष एवं संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जी ने संविधान के द्वारा समाज में सम्मान से जीने का अधिकार दिया और तब से नारी मन साँस की राहत लेने लगी ।
अगर भारतीय संविधान के अंतर्गत नारी के  अधिकारों की बात की जाए तो सबसे पहले उसे अनुच्छेद 14 और 15 के तहत समानता का अधिकार दिया गया है,  15 (3) में स्त्री के लिए विशेष उपबंध की बात की गई है । अनुच्छेद 16 के माध्यम से लोक सेवाओं में जाने का अवसर प्रदान किया गया है । अनुच्छेद 19 में स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है ।धारा 23 और 24 में उसके  विरुद्ध किए जाने वाले शोषण को समाप्त करने का उल्लेख किया गया है । 
धारा 39 के द्वारा जीविका और समान वेतन का प्रावधान किया गया है । संविधान के भाग चार के अनुच्छेद 51 क(ड.)में स्त्री विरोधी प्रथाओं के त्याग एवं उसके सम्मान को दर्शाया गया है । धारा 243 के द्वारा  पंचायती चुनावों में 1/3स्थान सुरक्षित किया गया है । 292 से लेकर 294 तक विशिष्टता एवं सदाचार का प्रावधान है । 312-318 तक गर्भपात के विरुद्ध दंड का उल्लेख है तो 325 में निर्वाचक नियमावली में पुरुष के समान अधिकार दिया गया है ।
भारतीय दंड संहिता के तहत सीआरपीसी नियम 125, 127 में  दहेज उत्पीड़न , वसूली की बात की गई है तो 498 के तहत भरण पोषण बढ़ाने आदि की बात की गई है। इस तरह भारत के संविधान में अनेक अधिकार दिए गए हैं, जिनके कारण नारी आज के सामाजिक परिवेश में अपना स्थान सुरक्षित करने में काफी हद तक सफल हुई है । घर-गृहस्थी, ज़मीन-जायदाद , राजनीति, समाजसेवा, धर्म, संस्कृति, पूजा-अर्चन , अर्थ, व्यापार , विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, आदि सभी में अग्रणी हुई है । अतएव प्राचीन सभ्यता से लेकर आधुनिक सभ्यता तक जीवन के  अनेक उतार-चढ़ाओं को झेलते हुए अपने अधिकारों को हासिल की है, जिसके कारण उसे अंतिम उपनिवेश की संज्ञा दी गई है । अंत में उसके अनेक रूपों और रिश्तों पर विचार किया जाए तो यही बात स्पष्ट होती है कि संवैधानिक अधिकारों के बावजूद भी प्रत्येक छः मिनट में नारी किसी न किसी अपराध का शिकार होती है जिसे तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने की पहल करनी चाहिए । स्वयं नारी वर्ग को भी घरेलू हिंसा और सामाजिक बुराइयों आदि से बचने    के लिए अपने अधिकारों को जानने और समझने की जरूरत है, तभी संवैधानिक अधिकारों को पूरी तरह अमल में लाया जा सकता है ।

✍️ लेखक- रामप्रीत आनंद (एम.जे.)
गोरखपुर उत्तर प्रदेश ।

अंतर्मन की वेदना - (पद्य)

निज अंतर्मन की व्यथा-कथा,
हर जन से तुम क्यों कहते हो।
देकर   अपने  मन  की   बातें,
उपहास   का  मौका देते   हो।
परिवर्तित  युग  अब   ऐसा है,
दुःख-दर्द   न   कोई बाँटता है।
ऐसे   में  दिल के   कष्टों    को,
सब  जन को  क्यों  सुनाते हो।।
माना कि दिल में कष्ट बहुत,
हर तरफ से पीड़ा पहुँची है।
दुःख  में न कोई साथ दिया,
तुमको  रोना ही आया   है।
दुःख से बोझिल तेरे मन को,
मदद भी कहीं से नहीं मिली।
फिर भी तेरा जीवन  अपना,
तूँने   क्यों  इसे   रुलाया  है।।
सच्चे हो पथिक यदि जीवन के,
तो  जीवन  से अति प्रेम   करो।
निज  अंतर्मन  की  वेदना  को,
हर  किसी से न  इज़हार  करो।
हो आत्मबली दुःख को  झेलो,
सुख  के   दिन  इसके पीछे हैं।
दुःख झेल लिए  सुख पाओगे,
इस दुःख का तुम सम्मान करो।।
अच्छे  दिन  के  सब    साथी हैं,
अच्छे   के   परं    प्रशंसक    हैं।
अच्छे  पर   होते   मित्र     बहुत,
बुरे     वक्त  कहाँ   होते        हैं।
दुःख  की   बदली  जैसे    छायी,
शुभ चिंतक भी  सब  छोड़ दिये।
अपनी   लठिया  खुद ही पकड़ो,
इसको   ही   जीवन   कहते  हैं।।
अंतर्मन की वेदना, रखो  खुद  के पास।
इसी वेदना पर तुम्हें, रचना है  इतिहास।
बाँटा जो भी है इसे,हुआ बहुत शर्मिन्दा।
अंतर्मन लेकर बढ़ा, हुआ वही ही खास।।

✍️ सुरेश लाल श्रीवास्तव
     प्रधानाचार्य
राजकीय विद्यालय अम्बेडकरनगर
उत्तर प्रदेश,9415789969

सच सजा है.

सच सजा है, झूठा झुका सकता नहीं!
फरेब से फरियाद किया नहीं जाता !!
कठोर वाणी व्यक्त विचार का घेरा!
या फरक दीप तले भले होअंधेरा!!
जलती वाती जग स्वत: प्रकाश मिले!
जितनी जिनकी बनी प्रीति, प्राण खुले!!
बना जोंक-सा मानुष -मुर्ख पला जो!
मरा सबके -सब बिना वाती दीया वो!! 
जिनके वाती जले नहीं दीया में  !
चाहे कौन रहना उस अंधेरे में  !!
अपना समझकर साझा करता जीवन!
कब किसी का मोहताज रहा है रोशन!!
कौन किसे क्या कहता, सुनता भला ना!
बिना नीति-रीति राही पथ पग चले ना!!
गाँव -समाज कोई पूत मिले नारद!
गंवार" सुनील "को मानव का दे वरद!!

✍️ सुनील "सुगम"

ग़ज़ल--
1212-1122-1212-22

तुम्हारे शहर का मंज़र बड़ा सुहाना है
हमें भी दोस्त यहाँ आशियां बनाना है
क़दम के रखते ही अहसास हो गया हमको
तुम्हारे दम से ही रौशन ग़रीबख़ाना है
इशारा दे दिया उसने ये बातों बातों में
सवेरे शाम यहाँ रोज़ मिलने आना है
अँधेरे में भी उजाला मिले मुसाफिर को
हमें चराग़ मुढेंरों पे भी जलाना है
महकने ख़ुद ही लगेगी चमन सी यह बस्ती
कि एक दूजे के दुख को  फ़कत बँटाना है
हमारे ज़िक्र पे ख़ूश होगी कल यही दुनिया
भले खिलाफ हमारे अभी ज़माना है
तुम्हारे साथ से महसूस हो रहा * साग़र*
तमाम उम्र हमें अब तो मुस्कुराना है

✍️ विनय साग़र जायसवाल ,बरेली
14/7/2021

कविता का शीर्षक है
    नारी-

भारतीय नारी के
पश्चिमी परिधान में
बहुत बेहतरीन ,
लाजवाब और
खूबसूरत लगते हैं
सूरजमुखी की तरह
नैनों में झलकती हैं
नारी घर आंगन की
शोभा बढ़ाते है
नारी किसी की
मां-बेटी-बहन तो
किसी की बहू का
रिश्ता निभाते हैं
काबिले तारीफ है
मैं कितना भी कहूं
मेरे होठों के लब्ज
कम पड़ जायेंगे
भारतीय नारी के
पश्चिमी परिधान से
इस कदर प्यार की
बारिश हो जाए तो
जल-थल हो जाऊं
तुम घटा बनकर
चले आओ तो
मैं बादल हो जाऊं
भारतीय नारी के
सोलह सिंगार और
हर पहनावे से झलकती है
सुंदरता की एक चिंगारी
चमकते हुए मोती की तरह
लगते हैं सचमुच
एक भारतीय नारी

✍️ नरेश कुमार बेसरा

दहशत कि भेट मानवता ✍️ साधना सिंह

रोज की तरह सुबह आँख खुली, मैं उठते ही मुँह ही रही थी..।कि तभी आवाज सुनाई दी,चाची जी की ,....लतिका   लतिका ...मैं मुंह धोते हुए  ,मैंने सोचा इतनी सुबह सुबह तो चाची जी उठती नहीं है ..।फिर क्यों आवाज दे रही है...क्या हुआ होगा..।मैं दौड़ती भागती हुई उनके पास पहुंची ....जैसे ही उनके पास पहुंची  तो देखा कि वह गहरी गहरी सांसें ले रही हैं ....। उनकी सांस बहुत तेजी से फूल रही थी ..। मुझे यह देखकर एकदम से घबराहट होने लगी। चाची  जी मुझसे बोलने लगी कि लतिका मुझे बहुत  तकलीफ हो रही हैं..सांस लेने में...।मैंने सचिन को तेज तेज आवाज देने लगी सचिन  जल्दी आओ देखो चाची जी को क्या हो गया...। सचिन सो रहे थे मेरी आवाज  सुनकर वह भी घबरा गए... ।  दौड़ते   हए आये चाची जी को देखकर सचिन सोचने लगा  .।अब क्या करूं, इतनी सुबह कौन डॉक्टर मिलेगा..।  ऊपर से कॅरोना कि दहशत...वह चाची  को पेट के बल लिटा कर जोर जोर से सांस लेने को बोलने लगा... थोड़ी सी चाची नॉर्मल हुई तो वह बोला कि मैं देखता हूं कोई डॉक्टर मिल जाए शायद..। हमारे -बगल  में एक डॉक्टर रहते थे  .। सचिन ने उनको फोन मिलाया..और उनसे बात हुई और उन्होंने बोला मैं अभी आता हूँ डॉ अमित  बहुत भले  आदमी थे..। मोहल्ले में कोई भी बुलाता वो आ जाते थे ...।थोड़ी ही देर में वो घर पर आ पहुंचे ,जब वह पहुंचे तो चाची जी खत्म हो चुकी थी...।  सचिन रोने लगे .।. डॉ अमित ने उन्हें संन्तावना देके चले गए...।  अब इस कॅरोना काल में घर में सिर्फ दो मेंबर  और  बच्चे क्या करते...।  सचिन चिल्ला चिल्ला कर रोने लगे...।चाची जी ने बचपन से सचिन को पाला था...। मेरा दिल भी फटा जा रहा था..। पर हमारा रोना सुनकर भी कोई अगल-बगल से ना  आया...। मैं थोड़ा नॉर्मल हुई...। सचिन अभी भी रो रहे थे..। मैंने अपनी ऑफिस की फ्रेंड  को फोन किया । सूची....चाची जी खत्म हो गई है....मेरी फ्रेंड सूची थोड़ी सी चुप रहने के बाद उसने कहा अरे यह कैसे कब हुआ....?   मैंने उसे बताया सारी  स्थिति, अगल बगल से भी कोई आने को तैयार नहीं है...।और  बोलते बोलते मैं फिर रोने लगी..। उसने कहा चुप रहो यह सब तो आजकल आम बात होती जा रही है रोते हुए मैंने बोला मैं बहुत अकेली हो गई हूं  सूची...बोली   अच्छा ठीक है मैं अभी आती हूं तुम परेशान ना हो और वह  थोड़ी देर में मेरे पास आ गयी..। चाची  जी को देखकर वह भी रोने लगी थोड़ी देर बाद वह नॉर्मल हुई...और उसने हम लोगों को चुप कराया..। और  अपने घर से चाय मंगायी...। और  वापस घर चली गई मेरे हस्बैंड सचिन इधर-उधर फोन करने लगे...। ना कोई आने के लिए तैयार ना कोई रिश्तेदार आने के लिए तैयार...। बहुत देर तक हम हस्बैंड वाइफ अकेले बैठे रहे सोचते रहे .  और रोते रहे...। .. अब क्या होगा? कैसे करें तभी थोड़ी देर बाद  फिर सूची आई बच्चों के लिए चाय ब्रेड लेकर उसने कहा भैया आप ज्यादा मत सोचिए गांव पर फोन करिए ...। और  चाची जी को लेकर वहां ले जाइए... सूची कि सलाह हम सबको ठीक लगी...।जैसे तैसे किसी तरह से इन्होंने मन बनाया कि अब मैं गांव  लेकर ही जाऊंगा और गांव पर फोन किया वहां घर के बगल के चाचा जी ने से बोले चाचा जी,..... चाची नहीं रही.। चाचा जी के मुंह से निकला ओह.....बेटा.।  थोड़ी देर चुप रहकर चाचा जी बोले बेटा परेशान ना हो...। तुम उनको लेकर यहां लेकर आ जाओ यहां सब चीज मैं करवा दूंगा...और वह इंतजाम करने लगे....।यहां किसी तरह से हम लोगों ने उनको नीचे उतारा और कार डाला और सीधे लेकर गांव पहुंचे  ....। सबने चाची जी का काम  करवाया...।वहां सब कुछ आसानी से हुआ और हम लोगों ने शव दाह संस्कार करने के बाद अपने घर पर वापस आ गए ...।मैं अब सोचने लगी गाड़ी में बैठे बैठे क्या   कॅरोना कि दहशत मानवता पर भारी  पड़ गई ..। मानवता धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है...। करोना काल में आदमी ऐसे   भी किसी के घर नहीं जाता...।कम से कम मरने में तो  उसके साथ खड़े होजाये ..।अकेला आदमी क्या करेगा......।बहुत बुरे दिन आ गए हैं...। पहले जहां मरने में अगल बगल के लोग इक्क्ठा  हो  जाते थे,  रोना सुनकर..। वहां अब कोई भी  ना आने के लिए तैयार हैं...। कॅरोना काल में ......। क्या यही अंत समय  हैं,क्या यही इंसानियत है..।इंसानों की इंसानियत खत्म हो चुकी है.। करोना की बलि चढ़ गई है मानवता और संस्कृति हमारी, इंसानियत मर चुकी है...। आगे भगवान ही जाने क्या होगा ...,। कब घर आ गया, पता ही नही चला...हम लोग घर पर आकर चाची जी को याद करने लगे..। दूसरे का आंसू पूछते हुए 😭  

✍️ साधना सिंह

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता -  कुछ न कठिन है -

कुछ न कठिन है ,
आज मेहनत कर लो
कल अच्छे दिन है ।
कर्म में सब लीन है ,
कोई न अमीर और कोई
न दीन है ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(60)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
17/07/2021 ,  शनिवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 67
Sahitya Ek Nazar
17 July 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
# कल वाला कविता :- 20(59) में , शुक्रवार के जगह गुरुवार गलती से कर दिए 16/07/2021




रोशन कुमार झा


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