कविता :- 20(57) , बुधवार , 14/07/2021 , अंक - 65

रोशन कुमार झा


कविता :- 20(57)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता -  हे ! राम

हे राम ,
तुझे सादर प्रणाम ।।
देते हो भक्तों को
कर्म का इनाम ,
एक ही बार दिल से नाम
लूँ आपका करके काम ।।
समय के साथ ही आएं शाम ,
मिटे रंग , रूप , बचा रहें नाम ,
मिले सभी को कर्म का परिणाम ,
सादर प्रणाम
स्वीकार करो जगत निर्माता
लव कुश का पिता श्रीराम ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(57)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
14/07/2021 ,  बुधवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 65
Sahitya Ek Nazar
14 July 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

पूजा आई ट्रेन रद्द रही बस से आई भोला भाई साथ 09:00 , एसी भाड़ा - 800 , 17:00 मधुबनी ,
पूजा माँ पापा कल मुंबई के लिए ट्रेन से ।
दाढ़ी बनाएं कल बाराती जाना रहा , दादी गांव में
साहित्य एक नज़र 🌅 , व्हाट्सएप ग्रुप

[14/07, 00:42] +91 39: नमन मंच को
और आदरणीय विशिष्ट कविगण को 🙏
[14/07, 03:27] +91  758: आदरणीय ,
श्रीमान रोशन कुमार झा जी ,
संस्थापक  ( साहित्य एक नज़र )

महोदय ,
मैं ईश्वर से करबद्ध प्रार्थना करता हूं कि " साहित्य एक नज़र " अनवरत उन्नति के पथ पर अग्रसर हो ।
तत्पश्चात आप एवं इस इस पत्रिका के प्रकाशन में सहयोग देने वाले समस्त कार्य कर्तागण स्वस्थ एवं आर्थिक दृष्टिकोण से समृद्ध हों ।

ईश्वर सबको दीर्घायु प्रदान करें ।

__ दीनानाथ सिंह
उपनाम :__" व्यथित बलियावी "
ग्राम : रघुनाथपुर
पोस्ट : छाता
जनपद : बलिया
उत्तर प्रदेश
भारत
दिनांक : १४/०७/२०२२
[14/07, 09:02] +91 61: Good morning 🌄
[14/07, 11:33] +91 778: सर ये लिंक पेमेंट करने पर ही खुलेगा क्या????
[14/07, 11:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[14/07, 11:59] +91 639: सुन्दर
[14/07, 16:06] +91 49: सर जी यहां पेमेंट करने की सुविधा न होने पर कोई उपाय 🙏
[14/07, 16:16] +91 46: श्री मान जी मेरी रचना छापने की कृपया करें।
यू.एस.बरी
[14/07, 16:50] +91 78: नमस्कार जी
मै सुनीता मिश्र
[14/07, 17:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहुत जल्दी एक नई कदम लेंगे ।
[14/07, 17:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप अपनी रचना भेजिए तब तक
[14/07, 17:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक अभिनन्दन 🙏💐
[14/07, 17:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप रचना भेजिए 🙏
[14/07, 17:34] +91 46:  
    '  राह ' 👣

तुम्हारे हृदय की उत्सुकता
हरदम तलाशती है...।

मेरे हृदय मे अपने होने
का अहसास...।

उतर कर डूव जाना चाहता है,
मन उन अन्नत गहराइयों मै...।

जहाँ तुम हम वसते हैं.।

और तुम उतर कर देखती हो,
मेरे हृदय में ...वही तस्वीर ।

जो तुम्हें पहली बार देखा था,
मेरे हृदय मे मुस्कराती नजर आती है।

मेरे हृदय के स्पंदन को,
तुम कान लगाकर सुनती हो  ।

तव तुम्हेप्रिय, प्रेम ही,प्रेम
सुनाई देता है।

मेरी बंद आंखों में तुम,
खुद को ही पाती हो...।

मेरी झील सी गहरी,
आंखों मे डूबकर चुनती हो,
 मोती प्रेम के...।

मेरे होठों को अपने होठो से,
स्र्पश कर,खुद को मुझमें
मिलाती हो...।
   
तुम्हारे माथे की बिन्दी
मुझे स्नेहामंत्रण देती है
खुद मे उतर जाने के लिए।

तुम्हारे नथुने की वह गर्माहट
मुझे अहसास कराती है...
अपने होने का ...।

हृदय मे उठता अनाहद
प्रेरित करता है एक विन्दु मे
उतर जाने के लिये...।

तुम्हारे हृदय का वह अभ्यस्त से
 अधिक उठाव गिराव....
मुझे प्रेरित करता है, तुम मे
खो जाने के लिये, हमेशा हमेशा
के लिये...।
                  यू.एस.बरी,✍
              लश्कर, ग्वालियर, म.प्र.
       Udaykushwah037@gmail.com
               परिचय
               नाम-यू.एस.बरी
                पिता-वी.एल.कुश.
                कार्य-एल.आई.सी.  जाव
                 शिक्षा-डवल एम.ए.
                  पता-लश्कर, ग्वालियर, म.प्र.
                   यह रचना स्वरचित है।
[14/07, 17:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: अंक - 53 में प्रकाशित हो चुकी है ।
[14/07, 18:10] +91 46: आदरणीय जी को धन्यवाद एवं कोटि कोटि नमन

________

[14/07, 14:36] +91 87: Iska praman patr bhi hai kya?
[14/07, 14:36] +91 87: अगर हो तो भेजिये🙏
[14/07, 14:37] +91 87: एक अद्वितीय रचना भेजना चाहता हूँ!
[14/07, 15:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं है
[14/07, 15:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर कामेंट बाक्स में भेजिए
[14/07, 15:58] +91 87: Kisme chhapegi
[14/07, 15:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: कल छपेगी साहित्य एक नज़र में
[14/07, 15:59] +91 87: Ok

[12/07, 22:06] Ano N. d College: We may prefer calling 2019 and 2020 batche cadets for Drill prac *those who have been vaccinated* .
Kindly take your Vaccines at the earliest to be able to join training and preparation for RDC 2021.
[14/07, 19:23] Ano N. d College: 15 Jul 21 is the last day for acceptance of Application. Be aware to fill the Application ,if desired.

फोन पर बताएं रहें विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी पत्रिका का सम्मान पत्र नहीं मिलता है फिर भी आज पूछे ।


अंक - 65
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
साहित्य एक नज़र अंक - 65 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें -
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मात्र - 15

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अंक - 65
14 जुलाई  2021
बुधवार
आषाढ़ शुक्ल 4
संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण - पत्र -  5
कुल पृष्ठ -  6

सहयोगी रचनाकार  व साहित्य समाचार -

1.  आ. साहित्य एक नज़र 🌅
2.  आ. डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित जी
3. आ. आनंद कुमार पांडेय जी , बलिया , उत्तर प्रदेश ,
4. आ.  अजय कुमार झा जी
5. आ. गणेश चन्द्र केष्टवाल जी , कोटद्वार गढ़वाल उत्तराखंड
6. आ. रोशन कुमार झा
7.आ. रीता मिश्रा तिवारी जी , भागलपुर ,  बिहार
8. आ. भगवती सक्सेना गौड़ जी
9. आ. तबरेज़ अहमद जी , बदरपुर , नई दिल्ली

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
127. आ. आनंद कुमार पांडेय जी , बलिया , उत्तर प्रदेश ,



अंक - 62 से 67 तक के लिए इस लिंक पर जाकर  रचनाएं भेजें -
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 65
Sahitya Ek Nazar
14 July ,  2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी



सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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फेसबुक - 1
https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1153821648464721/

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अंक - 54 से 58 -
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फेसबुक - 2

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रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
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মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई


कविता :- 20(55)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2055-12072021-63.html

अंक - 63
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/63-12072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jtka/

कविता :- 20(56)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2056-13072021-64.html

अंक - 64
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/64-13072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/pfpt/
अंक - 65
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/65-13072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/osxc/

कविता :- 20(57)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2057-14072021-65.html

अंक - 66
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/66-15072021.html

कविता :- 20(58)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2058-15072021-66.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html



विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/

अंक - 59
Thanks you
https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/

14 जून 2021 कोलकाता से गांव आएं
अंक - 35

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/35-14062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2027-14062021-35.html

करलो इरादों को अटल

आत्म निर्भरता से हीं तेरा मनोरथ हो सफल।
बांध लो कसके कमर करलो इरादों को अटल।।
विश्व में अपना पताका तुमको लहराना हीं होगा।
जिंदगी की दौड़ में अव्वल तुम्हें आना हीं होगा।
एक हो निर्णय तुम्हारा देश तब होगा प्रबल।
बांध लो कसके कमर करलो इरादों को अटल।।
खुद बनों मालिक तु अपना कह रही माँ भारती।
अपने जीवन रथ का खुद हीं बनना होगा सारथी।।
सोंचने में मत बिताओ अपना सुनहरा आज-कल।
बांध लो कसके कमर करलो इरादों को अटल।।
बेवजह की बात में अपना समय बर्बाद मत कर।
कौन क्या कहता है इन बातों में घूंट-घूंट के न तु मर।।
मेरी इन बातों को तु अपने जीवन में कर अमल।
बांध लो कसके कमर करलो इरादों को अटल।।
कश्मकश जीवन में है इस कश्मकश से तु उबर।
जिंदगी की राह में तुझको तो चलना है निडर।।
कौन है अपना-पराया इस मुसीबत से निकल।
बांध लो कसके कमर करलो इरादों को अटल।।
प्रण तुम्हारा पूर्ण होगा मन में तो विश्वास करले।
आत्म निर्भर होगा भारत अब तु ये एहसास करले।।
सत्य पथ पर चलके हीं "आनंद" होना है सबल।
बांध लो कसके कमर करलो इरादों को अटल।।
आत्म निर्भरता से हीं तेरा मनोरथ हो सफल।
बांध लो कसके कमर करलो इरादों को अटल।।

   ✍️ आनंद कुमार पांडेय
   Mo- 9454261955
  बलिया उत्तर प्रदेश

#साहित्य एक नजर.
अंक - 62 से 67.
दिनांक- 14/7/2021.

☀️ 🌄 सूर्य का सत्य. ☀️ 🌅

जुमलों की सरगोसी में
घटाटोप गहन व्योम में
ठनकित ठनका से वो
सपनों पर कर रहा
उल्कापात!
गम छुपाने के लिए
मुस्कुराते चेहरों में
चमकते भारत की कोख में
प्रसव वेदना व्यथित हृदय में
पनप रहा सृजित नव हयात
आकुल है व्याकुल है
मातृ नाद बंध गर्भस्थ   
अवतरण को नवजनतंत्र.

✍️ अजय कुमार झा.

नमो नमो महेश को
(पंचचामर छंद)

जटा कटाह घूमती, विराजमान गंग है|
सवार बैल हो चले, पिए सदैव भंग है |
जटा खुली हुई झुके,विशाल अंस पे रहे|
कराल व्याल भी बसे, सुकंठ में सदा रहे ||१||
महान ज्वाल भाल में, विराजमान नेत्र है |
समान सूर्य चंद्र के,धरे महा सुनेत्र हैं |
शरीर भस्म लेप है, किशोर चंद शीश में|
सुनील कंठ सोहता,मृगेंद्र चर्म लंक में ||२||
शिवा बसे सुसंग में, गणेश गोद में रहे |
मयूर का सवार जो, सदैव साथ में रहे |
महेश शूल को धरे,धरा कभी कपाल भी|
हरो हमारे रोग को, हरो समस्त शोक भी||३||
तुषार से ढके हुए, गिरीश में निवास है|
हृदय सदा रमा रहे, सुवास पैर ईश है|
नमस्करोमि ईश को, नमो नमो महेश को|
भजा करूँ शिवेश को,जपा करूँ शमीश को||४||

✍️ गणेश चन्द्र केष्टवाल
मगनपुर किशनपुर
कोटद्वार गढ़वाल उत्तराखंड

११-०७-२०२१

नमन मंच
साहित्य एक नजर
अंक_62_67
दिनांक_11.7.2021
दिन_रविवार
विधा_कविता
शीर्षक_बरसात
कविता
🌦️🌦️ बरसात 🌧️⛈️

पुरी जिंदगी मुहब्बत की बारिश में..
हर गम नम होगा इस बारिश में !
दिल की झील में ना जानें कितने..
कमल खिल जायेंगे !
ठहर जाओ कुछ पल के लिए जरा..
निगाहें मिले तो कुछ बात बन जाए !
जल रहा था तन मन मेरा..
आने से तेरे पड़ी ठंडक..
भींग के तुझमें मन हुआ गीला !
आने से तेरे रौनक आई..
छाई चहूं ओर हरियाली !
जरा धीरे से हौले हौले आना..
कहीं डूब ना जाए घर अंगना !
बज्र देव से कहना ना..
जलाए किसी का आशियां !
तिनका तिनका जोड़ा हमने..
खड़ा किया महल सपनों का !

✍️ रीता मिश्रा तिवारी
शिक्षिका स्वतंत्र लेखिका
भागलपुर बिहार
11.७.२०२१

ख़ुद कि तलाश से बेहतर

मुझे कोई तलाश नहीं दिखती
दरिया के पास रहकर
भी प्यासा रहता हूँ मैं
कितने खुदगर्ज़ है ज़माने में लोग
उन्हें मेरी प्यास नहीं दिखती
महफ़िल में बुलाकर मुझे वो मेरे
साथ ग़ैरों जैसा बर्ताव करती है
ना जाने क्यों उसे मेरे प्यार
का अहसास नहीं दिखती
मिल गया है उसे कोई नया रक़ीब
इसलिए अब मेरे लिखे ग़ज़ल
उसे ख़ास नहीं दिखती
पहले मुझसे बाते ना हो तो
तो ग़मज़दा दिखती थी वो
जबसे किसी ग़ैर को हमसफ़र
बनाया है उसने उदास नहीं दिखती
मुझे आज भी उसके
छोड़ने का बड़ा ग़म सताता है
एक वो है तबरेज़ जो निराश
नहीं दिखती

✍️ तबरेज़ अहमद
बदरपुर , नई दिल्ली

नमन मंच
साहित्य एक नजर
अंक 62 -67
दिनांक 11.7.21
दिन रविवार

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता

🌈 इंद्रधनुष 🏳️‍🌈

मौसम के भी कई रंग देखे,
जीवन के भी सातो रंग देखे,
फिर बादल छाए, बिजली चमकी
बरस गए फिर इंद्रधनुषी रंग छाए!!
जीवन भी इसी क्रम में चलता रहा,
कभी दुख के असंख्य बादल छाए,
शब्दो की बेतहाशा बिजली चमकी,
फिर आंखों से गंगा जमुना बरसी!!!
ये मौसम भी साफ हुआ और
हर तरह की खुशियों में इंद्रधनुषी
सात रंगों में जीवन में छाए ,
काश! ये इंद्रधनुष
लेखनी में सजा सकूं!!!

✍️ भगवती सक्सेना गौड़
स्वरचित

आलेख - प्रेम प्यार तपस्या
✍️ डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित

प्रेम शब्द बड़ा व्यापक है। मीराबाई कृष्णभक्त थी। मीरा प्रेम दीवानी हो गई। कृष्ण भजन में लीन हो गई। प्रेम परमात्मा से करना चाहिए। प्रेम में विश्वास हो श्रद्धा हो समर्पण हो तभी प्रेम सच्चा कहलाता है। निष्काम भाव से उस परमात्मा से प्रेम करो। लौकिक प्रेम तो देह का प्रेम है। स्वार्थ के पूर्ण करने के लिए लोग एक दूसरे से प्रेम करते हैं। स्वार्थ पूर्ण होते ही नफरत घृणा करने लगते हैं। ये सांसारिक प्रेम की सच्चाई है  पायो जी मैंने राम रतन धन पायो  वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु कृपा कर दरसायो। इसलिए सच्चा धन सच्चा रत्न क्या है। वह परमात्मा जो प्रेम से पाया जाता है। प्रेम गली अति सांकडी जामे दो न समाय। इसलिए ह्रदय देश मे किसी एक छवि को बिताओ । वहाँ दो का प्रवेश नहीं यानि वह ईश्वर एक है। अतः हमें प्रेम से सुमिरण करना चाहिए। यही तपस्या है। ईश्वर तप से जप से प्रेम से भक्ति से भजन से पाया जाता है। घोर तप करने वाले शरीर को कष्ट देते है। गिरी कन्दराओं में तप करते हैं। कंद मूल फल खाते हैं। ये तप करने की अलग अलग विधियां। ऐसे तपस्वी परमात्मा को प्रसन्न करते हैं। सच्चे तपस्वी वो होते हैं जो किसी कामना से तप नहीं करते। निष्काम  प्रेम से भक्ति करने वाले ही सच्चे तपस्वी होते हैं। प्रेम से बोलोगे तो आपके दो काम ज्यादा होंगे। कौए की तरह बोलेंगे न तो कोई नजदीक नहीं आएगा। प्रेम वश भगवान। शबरी ने प्रेम से भगवान श्रीराम को झूंठे बैर खिलाये तो भगवान ने खाये। प्रेम से विदुर ने कृष्ण को भोजन कराया भगवान ने ग्रहण किया। इसलिए प्रेम से भाव से उत्तम विचार से जीवन मे आगे बढ़ो। प्यार ढाई आखर का शब्द है। ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पण्डित होय।प्रेम से भाईचारे से रहना चाहिए यह हम पढ़ते आये हैं लेकिन हम देखते हैं विश्व मे कितनी हिंसा आतंकवाद की घटनाएं रोज होती हैं। शांति वार्ता सभी करते हैं लेकिन शांति स्थापित नही होती। प्यार से रहना सीखो। किसी से नफरत मत करो। बुराइयों से नफरत करो केवल फिर देखो आपका जीवन आनंदमय हो जाएगा।

✍️ डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित
कवि,साहित्यकार
भवानीमंडी , राजस्थान

कविता :- 20(57)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता -  हे ! राम

हे राम ,
तुझे सादर प्रणाम ।।
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कर्म का इनाम ,
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लूँ आपका करके काम ।।
समय के साथ ही आएं शाम ,
मिटे रंग , रूप , बचा रहें नाम ,
मिले सभी को कर्म का परिणाम ,
सादर प्रणाम
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✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
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मो :- 6290640716, कविता :- 20(57)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
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, Roshan Kumar Jha ,
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14 July 2021 ,  Wednesday
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रोशन कुमार झा


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