कविता :- 20(58) , गुरुवार , 15/07/2021 , अंक - 66 , शादी बेता में , दीदी शादी , पापा का कहानी

साहित्य एक नज़र 🌅


कविता :- 20(58)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता -  तुमसे मिलने आता हूँ ,
💖🥰

तुमसे मिलने आता हूँ ,
सारी दुख दर्द भूलाकर
सुख चैन पाता हूँ ।
हो गयी दिल की पूजा पाठ
पता तो हमें है तेरे
बिन कैसे समय बिताता हूँ ,
आज जो दी हो ये डायरी
इसमें तुम पर ही कुछ गाता हूँ ।।
बेटा के जगह बेटा उसके बाद
कुछ कहा जाता हूँ ,
एक दिन लायेंगे बराती तुम्हारे
घर यही ख़्वाब सँजाता हूँ ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(58)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
15/07/2021 ,  गुरुवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 66
Sahitya Ek Nazar
15 July 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

पूजा कल आई ट्रेन रद्द रही बस से आई भोला भाई साथ 09:00 , एसी भाड़ा - 800 , 17:00 मधुबनी ,
पूजा माँ पापा कल मुंबई के लिए ट्रेन से ।
दाढ़ी बनाएं कल बाराती जाना रहा , दादी गांव में
साहित्य एक नज़र 🌅 , व्हाट्सएप ग्रुप
चूड़ा आम खाएं रात में कल दादी को डांट दिए आनंद को भात के लिए ।

तीन साल पहले की फोटो , N.D.College , Howrah , West Bengal St jonh Ambulance first Aid की कक्षा में ....
08:28
आज सुबह 06:30 उठे
एक महीना हो गया आज गांव आया
आज मधुबनी गये
09:38 चले गांव से 10:34 मधुबनी रामकृष्ण महाविद्यालय
13:13 होटल डायरी
Cadbury - 100 का
3800
बगल में चिल्लाती रही होटल में
मधुबनी स्टेशन गये ट्रेन सब बंद रही । फोटो खीचें
14:38 चले रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी से
15:25 झोंझी परौल मोड़ पास दादी , आनंद छोटकी को देखें बैठा रहा , 15:34 घर आये , करमौली वाली काकी लताम अमरूद दी ।
माँ मना की नहीं जाने बेता , रात में भी फोन की हम बोले घर में है ।
17:17 चले ।
परौल होकर गये
बेता 18:17 पहुंचे कलुआही से खजौली 15 Km
+9184746 पंकज चाचा
22:57 चले बेता से थाहर
पंकज चाचा सभी को बताये कविता लिए कवि कवि सभ कहैत रहथिन , कलेक्टर चाचा घर गेलियन बाबा कहलकीन प्रेम के विवाह के बादे तू ऐलहक हेए ने
सोनू चाचा कहलकीन तू ही कलकत्ता में पढ़ैत छअ ने । रेखा दीदी बड़का बेटा कुलदीप तृतीय वर्ष दरभंगा कॉलेज बी. कॉम करैत छेथीन , एक गो ओर रहथिन कहलकीन अहि कवि छी ने अहाँ गांव गेल रहि , रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी सँ पी. जी करैत छेथीन साइंस सअ कहलकीन हमहूँ साहित्य में आबअ चाहैत छी , पंकज चाचा नम्बर लिए कहलकीन राजनगर में job लागल ए हमरा पता चलल हम कहलियन नैय तअ दिसंबर में मोल चालू हेएत मधुबनी में तअ कहलकीन कतअ हम बतेलियन रांटी चौक लग तअ कहलकीन हां हां मधुबनी के बड़का मोल हेतैय ,
पंकज कहलकीन अहाँ के कीछ फोटो अछि भेज देब
मृत्युजंय झा एनसीसी करैत अछि ओहो अहाँ के फेसबुक फ्रेंड अछि ओतय सअ कविता सभ देखैत छी ।
साहित्य एक नज़र 🌅
तरुण चाचा कहलकीन हिन्दी , मैथिली के साथ संस्कृति सअ डिग्री कोअ ला सभ के कहलकीन बहुत चंचल छैथ विद्यार्थी लाख रुपया महीना कमेता बाबा सभ बोले कनअ तरुण चाचा कहलकीन साहित्य पर काज करैत छेथ बराती में ही । नम्बर लेलकीन

दोसर गली में चल गया रहा गाड़ी , हम पंकज चाचा सब रेल लाइन पास घूमने गये महाकवि विद्यापति मूर्ति रहा । कुछ खाएं हमरो पूछलकीन हम कहलियन हम नैय खाइ छी , गरीब घर में शादी पंडाल नैय सिर्फ कनिक दूर ऊपर में रहैया सड़क पर घर छोटा लड़की सब भाव दैत रहथिन । तरूण चाचा हमरा कचौड़ी दो देलकीन उनके बगल में बैठल रहियन , कलेक्टर चाचा पापा बोले कवि जी काईल कविता सुनेब ।
पंकज चाचा सब फोटो लेलकीन ,
रात में ही आये बड़का बाबा दालान पर सोये बड़का बाबा के घर बैन गेलकीन मिथलेश चाचा माँ लेल पुछलकीन , पहले कलेक्टर चाचा , फिर गांव पर का बाबा का , फिर बड़का बाबा का , तब महिन्द्र बाबा का  , कुआँ भी ।
सुबह उठे बड़का बाबा लाल चाय दिए ज्यादा नमक रहा कहलकीन ओतअ सअ समान ऐलैय ये मन उलैट गेलन से ए बाबा सभ बात बतेलकीन तोहर ओतअ चार गो काज केनू दाई के सास के काम , बाबा के , पापा , चाचा का जनेऊ , निर्मल ( दीदी ) की शादी
फेर दाई चाय लोअ कअ ऐलकीन पापा वाला कहानी सब कहलकीन , एक भेल माँ गई रहीं बिल्डिंग में आग लग गया रहा उसमें फायर स्टेशन आया केस हुआ उसमें रहा परिवार नहीं रहता है , फिर रहा सबसे मालिक पूछे महिन्द्र बाबा भी बोले मेरा नहीं , परमांनद जी भी बोले मेरा नहीं बड़का बाबा से पूछा बड़का बाबा चुप रहें , फिर बताएं मेरा भागिन भानजा का परिवार आई है डॉक्टर से दिखाने दस दिन में चल जायेगी दस दिन के लिए कहां घर लेती , हम बोले यहीं रह जाओ , मालिक बोला एक सप्ताह पहले बोलता , 20000 जुर्माना बोला फायर स्टेशन वाला फिर ऑफिसर को बोला हम 20000 नहीं देंगे 2000 में होगा तो ठीक नहीं तो हम केस लड़ेंगे । फिर ऑफिसर बोला ठीक है हम वहां रहेंगे भेज दीजिएगा फिर मालिक बाबा को दिए दे आये , बाबा कहलकीन तहन महिन्द्र किए नैय काम ऐलअ ।
एक भेल पापा चाचा गाँव ऐलकीन मालिक के कहलकीन मामा गाँव में शादी है ।  मालिक आने जाने का टिकट कटा दिए फिर बड़का बाबा से पूछे पापा का मालिक आप कब गांव जा रहे है । बोले भाई गया है हम दो चार दिन बाद जायेंगे । फिर हम चुपके से
सियालदह गेनोऊ इअ सभ नैय देखलैत हम तअ देखनोऊ इअ दोनों भाई खूब ऊपर नीचा करेअ । फिर गाँव सअ गेलकीन पापा के मालिक नैय रखलकीन बाबा कहलकीन तयोअ नैय , फेर हिसाब भेलन 10000 बाबा सामने दिया मालिक गया फाइल लाने हस्ताक्षर करवाने तब तक पापा भाग गया बड़का बाबा कहलकीन चल साइन कोअ क आबअ नैय जेबअ तयो हम ओकर साथ देवैया सामने देलकअ हेए महिन्द्र बाबा बोले नैय जा पापा को , फिर एक साल तक पापा इधर उधर काम करते रहे । बाबा ही पान वाला को बोले कि बात करो श्रीष्टु के लिए मालिक सामने मेरा नाम नहीं लेना , फिर रखा पहले दो महीना का पैसा पूजा में देता रहा वह अब आधा कर दिया
बाबा कहलकीन श्रीष्टु जेब में मिर्चा रखनेए रहे छअ
एक दिन बाबा गये पापा दुकान पर पापा का मालिक बुलाते रहा पापा कुछ नहीं बोला अचानक झूठे का रोने लगे मामा सामने बाढ़ आया सब घर द्वार बह गया  , बाबा मालिक से बात नहीं करते रहे क्योंकि उनके बातों पर पापा को नहीं रखें रहें ।
फिर मालिक पूछे बाबा से सब ठीक है न माँ सब , बाबा से पूछे गंगा जी है क्या बाबा भी झूठ बोले तब तीनों भाई और मालिक का बाप पैसा दिए तब घर बना , बाबा कहलकीन झूठ बजल तक हमरो बता दअ हमरो खुशी भेल बहिन के घर बैन गेल ।

बाबा सब का घर बनते रहा बाबा ख़त्म हो गये देवी बाबा गये तब घर का काम रोककर झोंझी में काम क्रिया किए ।

बाबा कहलकीन हम ग्रिलर सब रखनोउ महिन्द्र के पेट सअ कोलकाता सअ श्रीष्टु ऐन लेलक

दीदी की शादी की बात बाबा सभ गेलकीन ठाकुर पट्टी सअ एक आदमी गेलकीन मोटे साट रहथिन बात केलकीन कहलकीन पुआल अहाँ लग मान सम्मान ठाकुर पट्टी में , फिर पिसा का पापा बोले हमरा भेल बेटा में शादी इअ तअ झोंझी के मुसम्मात मो. बेटी सअ करबैय छेथिन ओह कहलकीन मो. अहाँ छी अहाँ के बाप जयनगर में हॉस्टल में खाना बनाकर मामा गांव में बसला अहाँ लोग के कियो खेती नैय कोले से
अहाँ के केनोऊ , ओह बेचारी अप्पन स्थान पर दो बेटा एक बेटी के साथ जीवन बीता रहल छैथ ।
दीदी शादी में पंडित नहीं रहैया , मनी बाबा गांव वाला बाबा परौल वाला पंडित लोहा में रहैया रात में अनलकीन 50 रुपया लेलकीन , बाराती सब को रात के खाना सब खिलाकर खाना वाला समान सब लेकर साईकिल से ही चल दिए परौल में एक कुआं पास रूकें कुत्ता सब भोंकता रहा आगे वाला को तेज से चलाते रहे । कियो कहलकीन ओई कुआं पास कुत्ता काट लेने रहैया तअ मैर गेलैय 6 बजे सअ पहिले कियो जाई नैय  छैय मार दैय छैय बाबा ओई कुआं पास सिगरेट पीने रहथिन , साईकिल एक जगह गिर गेलन उनका भेलन भूत प्रेत छैय फेर लाइटर जलेलकीन देखलकीन रास्ता खोदने छैय पानी बहा बअ लेल साईकिल चक्का फंस गेल , तब सअ ओइ रास्ते बाबा नैय जाई छेथिन ।
परजुआर तक जैत रहतिन

एक भेल नरही आइब गेलकीन दोसर रास्ता पकैड़ कअ । फेर फाटक पर दो कअ ऐलकीन

बड़का बाबा कहलकीन उल्टे बैठ गेल रहैय वर और बाप , सब दिन गांव में रहलैत ,

बड़का बाबा कहलकीन महिन्द्र , श्रीष्टु दू नू के बहुत समझेलिया चोरी सभ नैय करअ ।
गांव पड़का बाबा कहलकीन जहन ओतेक बड़का घर तोकेदार घर में विधवा सअ बेटा के साथ शादी कोअ लेलक तेअ हम ई विवाह करवेनोउ हेअ।
पहिले भूरा बेटी सअ भूरा झा 50 ग्वाल के अकेला देखअ वाला जे कि गरीब गांव पड़का बाबा कहलकीन ।


नववर्ष हमारा पर्व नहीं 

https://youtu.be/XKBxyDMStGg

https://youtu.be/XKBxyDMStGg दिखाएं

बोले इअ हमरे कविता अछि ।

बोले पहले पश्चिम बंगाल इकाई सचिव थे साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली का अब अपना साहित्य एक नज़र 🌅 है , 11 मई 2021 से आरंभ किए हैं ।



09:26 चले बेटा से  कलुआही लोहा होकर आएं - 10:24 घर
आनंद को 50 दिए बेता में भाड़ा के लिए ।
13:38 माँ फोन की पापा बोल दिया बाराती गेल रही छोटका बाबा पापा के कहलकीन हेअ
13:56 , पंकज चाचा फोन केलकीन एक भेल भेंट कोअ लेतोअ कीछ पाई छेले हम कहलियन दाई के दो देबन , रामकृष्ण महाविद्यालय वाला रहथिन कहलकीन कतअ छेतीन पंकज कहलकीन गांव में
हम एक दू दिन में आइब तअ भेंट कोअ लेब

हिन्दी कविता:-12(84)
15-07-2019 सोमवार 17:45
*®• रोशन कुमार झा
-: बने बेईमान!:-

सही का है न यह ज़माना
और मेहनत का मिलता न दाना!
राह रोशन हुआ बने बेईमान का दीवाना
अब बेईमान बनकर ही है रास्ते में जाना!

जाऊँगा
थोड़ा बहुत लात जूता खाऊँगा!
पर सही के रास्ते पर न आऊँगा,
क्योंकि मैं अब फिर से नहीं पछताऊँगा!

किसी के हस्ताक्षर बनाकर बनूँगा बेईमान
यही है मेरा ध्यान!
और इसी में है लोक कल्याण
मैं देख चुका हूँ कला और विज्ञान!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389,(कविता-12(84)
15-07-2019 सोमवार 17:45
सलकिया विक्रम विद्यालय
Roshan Kumar Jha(31st Bengal
Bn Ncc Fortwilliam Kolkata-B
Reg no-WB17SDA112047
The Bharat Scouts & Guides
Eastern Railway Howrah
Bamangachi
Narasinha Dutt College st John
Ambulance
कल कोमल पाँव चोट फोन
2nd Merit List-6 no 219
R.K.College#1noJ.N.College146
1noV.S.J.College:-78
काकु दीदी Scoutsफोन#stamp
Councilor signature बना 120
Wbchse Salt lake Migration
Certificate:-215लगाRegपर stamp
3750(B)A-2000साईकिल से बड़ाबाजार

आ. सुदामा दुबे जी ।
[15/07, 20:27] 63: रचना प्रकाशन के लिए आभार सर...🙏🙏

किंतु समस्या यथावत है इसे हम  कैसे देखे !
[15/07, 20:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: पेमेंट कीजिए वहां लिंक है Buy. पर क्लिक कीजिए

[15/07, 17:45] 63: इसमे मिस प्रिंट हो गया है सादर क्षमा सहित..🙏🙏
[15/07, 20:37] 63: सर हम इस ऐप का ज्ञान नही रखते हमे ऐसा पेमेंट आता है जैसे आई एफ एस कोड और खाता नम्बर फिर हम उसमे राशि हस्तांतरित कर देते है !
[15/07, 20:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[15/07, 20:40] 63: झा साहब आप तो एक बार मे 500 रूपये ले लीजिए ! अपने व्यक्तिगत खाता नम्बर पर उसमे हमे कोई समस्या नही होगी !
[15/07, 20:41] 63: हम आपका नियम भी नही तोड़ना चाहते है
[15/07, 20:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/cgpv/
[15/07, 20:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: बस दो दिन रूक जाइए सर जी 🙏💐
[15/07, 20:44] 63: ठीक है सर...🙏🙏
[15/07, 23:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏

[15/07, 20:54] +91 122: Hii
[15/07, 20:54] +91 22: विजय कुमार यादव मधुबनी सं
[15/07, 21:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/D7fFPpnOiAU6idh3d7qthn

[10/07, 19:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है पहले इतना कर ले
[15/07, 15:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहुत सुंदर दीदी जी 🙏💐
[15/07, 15:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज व्यस्त हूँ कल फोन करेंगे दीदी जी 🙏
[15/07, 15:58] ज्योति दीदी जी: फोन करो हमें
[15/07, 16:19] ज्योति दीदी जी: 👍
[16/07, 00:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏


आ. राजेश पुरोहित जी
[15/07, 21:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[15/07, 21:48] +91 74: जी फोन करा आपने
[15/07, 21:48] +91 74: जी बोलिए आदरणीय
[15/07, 21:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: गलती से लग गई
[15/07, 21:49] +91 74: जी अच्छा


शीर्षककविता:-7(024)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा
प्रेम की बंधन,से अब रह दुर!

प्रेम की बंधन से अब रहो दुर
इसमे जख्म ही मिलते है कभी काल
किसी को मिल जाते है फुल!
अटल-अचल राशी नही हुँ ग्रह राहुल
कोई और मिल गया गयी मेरे को भुल!
पुनम तेरी नेहा भरी रास मे फँसे हम
कुछ पल मजा दी देकर चली गयी गम!
भुल गयी वह सब बात
जब गुजारे थे वर्षा ऑधी तुफान
एक साथ!
कहॉ तुझे दया लेकर गयी मेरा दिल
मै बचा अकेला तुझे तो कोई और गया मिल!
होठो के मुस्कान गँवाये तेरी प्यारो में,
बिगड़े या जो भी बने वह तेरी ख्यालो में!
ऐ मेरे मित्र अगल रिश्ता धन दोलत
स्मार्टनेंस पर जुटा हो तो लगाकर
आ जाना पॉव
अरे यारो अपना भी तो कुछ है ना ख्याब!
उसी ख्याब में जीना है
उदास मत हो यार अपने ही जैसे कितना
है जो गर्लफ्रेंड के बिना है!
कल मेरे पास आज कही और कल
हो जायेगी किसी और से विवाह
जख्म है पर क्युँ किसी के ख्यालो में
छोड़ दुँ मंजील की राह!
प्यार मोहब्बत सब अब इस जमाने
में है घुँस
ऐ मेरे भाई प्रेम राह से रहो दुर मार्ग होंगा
रोशन रहोंगे खुश!
०रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716रविवार00:55
15-07-2018
Pmkvy,Ncc,st john Amb

शीर्षककविता:-7(022)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 7(022
जन्म-मरण है बंधन!

जन्म-मरण है बंधन
नीम कहो या कहो चंदन!
जो आये सभी का जलेगा एक ना एक
दिन चिता
चॉहे हम हो या हो हमारे परम पुज्य पिता!
उम्र कहॉ पर बाल हो गये थे सादा
झौझी गॉव समाज कुटुंब के ख्याल
रखते थे चोकन दादा!
निमंत्रण सारा जिम्मेदारी थे इनके हाथ
बच्चे हो या जवान,बुढे हो या किसान
सबसे हँसते मुस्कुराते करते रहते
थे बात!
अपने तनु वक्ष स्थल से खो बैठे पवन
वर्षा ऑधी तुफान
राहुल अरुण मंगल ग्रह से सामना किये
कभी हटाये नही अपने होठो से मुस्कान!
नेहा भरी भावना से किये हर एक
का मार्ग रोशन
सुख हो या दुख हमेशा रखते थे
सभी को प्रसन्न!
कैसे भुलु वह सब
अविरान बाग करके चले गये वे
कहॉ रहे अब!
फल फुल की लगाकर चले गये बगिचा
र्दुभाग्य है मेरा वह तो बचे नही पर आज
भी जिन्दा है उनके द्वारा दिया हुँआ
आर्दशता की शिक्षा!
०रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716शनिवार09:40
14-07-2018
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
Kolkata-B, Reg no:-WB17SDA112047
Narasinha dutt college Howrah
St john Ambulance
सलकिया विक्रम विधालय मेन
Pmkvy, Eastern Railways Scout


अंक - 66
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
साहित्य एक नज़र अंक - 66 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें -

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मात्र - 15

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अंक - 66
15 जुलाई  2021
गुरुवार
आषाढ़ शुक्ल 6
संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण - पत्र -  5
कुल पृष्ठ -  6

सहयोगी रचनाकार  व साहित्य समाचार -

1.  आ. साहित्य एक नज़र 🌅
2.  आ. रोशन कुमार झा
3. आ. सोनू विश्वकर्मा " समर " जी ,
4. आ.  सीमा मिश्रा जी ,  बिन्दकी फतेहपुर , भारत
5. आ. दीनानाथ सिंह जी ,  बलिया , उत्तर प्रदेश ,
6. आ. राम चन्दर आज़ाद जी , लदूना मंदसौर(म.प्र.)
7.आ. सुदामा दुबे जी , सीहोर , मध्य प्रदेश
8. आ. आ. देवानन्द मिश्र सुमन जी

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
128. आ.  सीमा मिश्रा जी ,  बिन्दकी फतेहपुर , भारत



अंक - 62 से 67 तक के लिए इस लिंक पर जाकर  रचनाएं भेजें -
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 66
Sahitya Ek Nazar
15 July ,  2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी



सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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फेसबुक - 1
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अंक - 54 से 58 -
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फेसबुक - 2
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रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई


कविता :- 20(55)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2055-12072021-63.html

अंक - 63
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/63-12072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jtka/

कविता :- 20(56)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2056-13072021-64.html

अंक - 64
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/64-13072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/pfpt/
अंक - 65
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/65-13072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/osxc/

कविता :- 20(57)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2057-14072021-65.html

अंक - 66
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/66-15072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/cgpv/

कविता :- 20(58)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2058-15072021-66.html

अंक - 67
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/67-16072021.html

कविता :- 20(59)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2059-16072021-67.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html



विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/

अंक - 59
Thanks you
https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/

14 जून 2021 कोलकाता से गांव आएं
अंक - 35

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/35-14062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2027-14062021-35.html

अंक - 66

नव सृजन

भारती की भूमि को नव रूप देने चल दिए हैं,
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।
रंग तितली से चुराए, फूल से मुस्कान ली,
पवन से छीनी गति तो, पीक से है तान ली,
नव उमंगों की नव हम प्रीत रचने चल दिए हैं।
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।
धैर्य धारण धरा से कर ,गगन से विस्तार छीना,
सूर्य से ली रश्मियां तो, संस्कृति से सत्य बीना,
मां के चरणों से भागीरथ नीर भरने चल दिए हैं।
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।
श्रमिक से श्रमबिंदु लेकर, पुस्तकों से ज्ञान सीखा,
नए युग की नव विधा से,शौर्य का विज्ञान सीखा,
दुश्मनों के दल में नया हम मीत चुनने चल दिए हैं।
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।
सृष्टि से कल्याण सीखा,दृष्टि से अभिमान रीता,
स्वच्छता ली नीर से तो,क्रांति से है कर्म जीता,
हर दिशा में नेह की नव रीत रचने चल दिए हैं।
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।

✍️ सीमा मिश्रा ,
बिन्दकी फतेहपुर

स्वरचित v सर्वाधिकार सुरक्षित

नमन मंच

" साहित्य एक नज़र "

अंक : 62 से 67 हेतु रचना

दिनांक : 11/07/2021

शीर्षक : __" मुहब्बत में नाकामी "

" गीत "
" मुहब्बत में नाकामी "

टूटा अपना दिल लिए अब ,
हम तेरे दर से चले  ।
हो गए बर्बाद औ हम ,
हों तेरे हर दम भलें  ।।
दर्दों गम ही हो गए अब ,
साथ अपने  हमनशीं ,
चैन  की  तो  सांस अपनी ,
उड़ गई जाने कहीं ,
दिल के  अरमां आज मेरे ,
आँसुओं में बह चले
हो   गए  बर्बाद औ  हम
राहें  भी  सुझतीं नहीं  अब ,
मंजिलें भी  खो  गईं ,
जाएंगे  तो अब कहां  हम ,
ख़ुद  को ही मालूम नहीं ,
आतिशे _ग़म से  सदा अब ,
है बदन अपना जले _
हो  गए बर्बाद औ  हम _
टूटा  अपना  दिल लिए  ये ,
कैसे अब जी पाएंगे ,
कब तलक आंखों से अपनी,
अश्क यूं तो बहाएंगे ,
जाएंगे  मर आह भर अब ,
तू रहे फूले फले _
हो गए बर्बाद औ हम _

✍️  दीनानाथ सिंह
उपनाम : " व्यथित बलियावी"
ग्राम : रघुनाथपुर ,  छाता , जनपद : बलिया
उत्तर प्रदेश , भारत

विशेष :
आदरणीय ,
श्री रोशन कुमार झा जी,
मैं सादर आपको यह अवगत करना चहता हूं कि " चन्द्र बिन्दु " की जगह पर जहां विन्दु होगा , वहां चन्द्र बिन्दु लगा देने का प्रयास कर दीजिएगा क्योंकि कहीं मुझे मात्राओं के अंतर्गत इसमें चन्द्र बिन्दु दृष्टिगत नहीं होता है ।
धन्यवाद ।

#नमन मंच#
साहित्य एक नज़र
विषय- प्रतीक्षा
विधा-कविता
दिनाँक-13/07/2021
स्वरचित,मौलिक एवम प्रकाशनार्थ।

कविता - प्रतिक्षा

खूब प्रतीक्षा हमने कर ली,
अच्छे दिन के आने की।
चला गया बेटा विकास,
बेटी मंहगाई आ धमकी।।
रोज रोज बेटी मंहगाई,
रूप बदलकर आती है।
इसको बेंचा उसको बेंचा,
राहत नज़र न आती है।।
कब तक करें प्रतीक्षा तेरी,
कब आएगी रोजगारन।
बूढ़ी हो रही शिक्षा,डिग्री,
उमर गई तेरे कारण।।
बहन महामारी कोविड ने,
ऐसा परचम लहराया है।
उसके जाने की प्रतीक्षा में,
दो दो वर्ष गँवाया है।।
कॉलेज,स्कूलों पर भी
बहन महामारी के हाथ।
शिक्षक, छात्र नदारद हो गए,
कभी न दिखते दोनों साथ।।
राजा बाबू कुर्सी खातिर,
सब तिकड़म अपनाते हैं।
कड़वा, मीठा और चटपटा,
भाषण की चाट खिलाते हैं।।
आयु घट रही वर्ष बढ़ रहे,
कब अच्छे दिन आएंगे।
भारत बाबू तेरी महिमा,
कब कविजन गा पाएंगे।।

✍️ राम चन्दर आज़ाद
पता-जवाहर नवोदय विद्यालय,
लदूना मंदसौर(म.प्र.)
पिन-224230
मोबाइल संख्या -8887732665

कबिबर चिंतन भी करो जरूर

कविता लिखो  रचना करो जरूर
कविता रचना   वक्त सोंचो हुजूर
जिसमें भाषा हो सरल एवं सुमधुर
गिद्ध दृष्टि रखो तब दिखेगा दूर दूर
फूहर अश्लील  शब्द करो किनार
लेखनी की  गरिमा  रखो बरकरार
समाज कल्याण  को दो तुम धार
लहरी तेरी  रचनाओं में दिखे सार
राष्ट्र गाथा उज्वल  भविष्य कल्पना
रचना माध्यम तुम  दिखाओ सपना
तूलिका से भर  विचित्र रंग रचना में
उकेर कलम  नोंक से वन जाए चित्र
चिंतन कर  रचना  रहेगा स्वतः नित्य
तन मेरा तेरा है  सबका होता अनित्य
लेखन पूर्व आत्मसात कबिबर कर्तव्य
रचनात्मक रचना से ईश भी हों स्तब्ध

✍️  देवानन्द मिश्र सुमन

पतंगों सा मन

इन पतंगों सा मेरा जो मन उड़ रहा
प्रेम की डोर को तोड़ना तुम नहीं/
क्या पता पंछियों प्रेम की डोर क्या
मेरे जैसे कभी तुम उड़े ही नहीं/
उड़ रहा था गगन की  ऊंचाई पे जो
मिल गया काफ़िला इक पतंगों का भी/
थी पतंगों की इतनी बनावट वहां
था रहा मै उलझ उस बड़ी भीड़ में /
कुछ पतंगें ख़ुशी में है लहरा रही
कुछ विरह गीत के गा रही थी वहां /
डोर मेरी जुड़ी जा के इक डोर से
दो पतंगों का फिर ये मिलन हो गया /
इस पतंग रूपी मन का मिलन जब हुआ
ये हवाऐं भी खुशियां मनाने लगी /
प्रेम में उड़ रहे इस खुले ब्योम में
बेवजह इस धरा पे ना लाना मुझे /
इन पतंगों सा मेरा जो मन उड़ रहा
प्रेम की डोर को तोड़ना तुम नहीं /

✍️ सोनू विश्वकर्मा " समर "
अध्यापक  (बेसिक शिक्षा विभाग)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता -  तुमसे मिलने आता हूँ ,
💖🥰

तुमसे मिलने आता हूँ ,
सारी दुख दर्द भूलाकर
सुख चैन पाता हूँ ।
हो गयी दिल की पूजा पाठ
पता तो हमें है तेरे
बिन कैसे समय बिताता हूँ ,
आज जो दी हो ये डायरी
इसमें तुम पर ही कुछ गाता हूँ ।।
बेटा के जगह बेटा उसके बाद
कुछ कहा जाता हूँ ,
एक दिन लायेंगे बराती तुम्हारे
घर यही ख़्वाब सँजाता हूँ ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(58)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
15/07/2021 ,  गुरुवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 66
Sahitya Ek Nazar
15 July 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

मुरझायेे भाव सुमन
प्रीत के हार के !
लूट ले गया कोई 
काफिले बहार के !!
आये ना वो कभी  
वादा जो कर गए !
थक गए है हम 
उनको देखो पुँकार के !!
रिश्तों का बंधन जो   
हँसते हुए तोड़ गए !
बैठे है उदास से हम 
मन अपना मार के !!
दर्द बढ़ा गहरा सा दे  
गए है वो हमे !
घाव भी प्यारे से लगे
हमे अपने यार के !!
भूलने की आदत थी   
भूल गए वो हमे !
चर्चे करते हैं हम फिर
भी उनके प्यार के !!

        ✍️ सुदामा दुबे
      मुकाम --बाबरी
     पोस्ट-- डिमावर
तहसील--नसरूलागंज
जिला--सीहोर म० प्र०





रोशन कुमार झा

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