कविता :- 20(34) , सोमवार , 21/06/2021 , अंक - 42, देव मामा चौथी बेटी की शादी , काली भईया पोता मुंडन , अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस , एनसीसी , एनएसएस ,

रोशन कुमार झा

कविता :- 20(34)

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

विवाह , जनेऊ , मुंडन ,
इसी में होता एक दूसरे का दर्शन ।।
कलकत्ता , दिल्ली , मुम्बई
लोग जाते बाहर कमाने धन ,
आज इक्कीस जून
तो रोशन
कर लो योगा , रहों प्रसन्न ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
सोमवार , 21/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(34)
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 42
Sahitya Ek Nazar
21 June 2021 ,   Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय , दरभंगा , बिहार
विषय - वैश्विक महामारी के समय में योग का महत्व
विधा - निबंध

प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। कोविड - 19 कोरोना काल में कोरोना - वायरस के चलते दुनिया तहस नहस हो गया , लॉकडाउन जैसे मुसीबत का सामना करना पड़ा । घर पर रहकर समय व्यतीत करना पड़ता रहा। लोगों का मन घर में बैठकर व दुखद समाचार सुनकर मन उभते गया , जैसे कि हम सभी जानते है खाली दिमाग़ में शैतान का वास होता है । ऐसे समय में कितनों ने आत्महत्या कर ली  इस वैश्विक महामारी में दुनिया की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई । घर परिवार के लोग एक दूसरे को देखने नहीं मांगते थे  , सभी घर पर बैठकर समय बीताते थे मोबाइल , टी.बी देखकर लोगों का मन उभ जाता रहा तो लोगों ने योग का सहारा लिया ।

राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह ' दिनकर ' जी अवकाश वाली सभ्यता कविता में सही कहें है -

अवकाशवाली सभ्यता 
अब आने ही वाली है 
आदमी खायेगा , पियेगा
और मस्त रहेगा 
अभाव उसे और किसी चीज़ का नहीं ,
केवल काम का होगा 
वह सुख तो भोगेगा ,
मगर अवकाश से त्रस्त रहेगा 
दुनिया घूमकर 
इस निश्चय पर पहुंचेगी 
कि सारा भार विज्ञान पर डालना बुरा है 

कोरोनावायरस के समय में लोगों अपने घर , छत पर सुबह-सुबह योग करके सकारात्मक सोचों का ग्रहण करके अपने दिन की शुरूआती करते थे । योग से उनका मनोबल बना रहता था कि जैसे कि हम सभी जानते है योग होने देता न रोग , इस कथन को ध्यान में रखते हुए मुसीबत के समय में योग का सहारा लिया ,

चला व चले जा रहें हैं कोरोना काल ,
लिए योग का सहारा पूरे संसार ।।
योग में ही है हर बीमारियों का उपचार ,
किए हम सभी नियमों का पालन
गया न कोरोना हार ।।

✍️ रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी
बी. ए , हिन्दी आनर्स द्वितीय वर्ष
राष्ट्रीय सेवा योजना
Roshan Kumar Jha

साहित्य एक नज़र में प्रकाशित -
विश्व साहित्य संस्थान
    🙏 प्रथम वर्ष 🌅
20/06/2020 , शनिवार से  20/06/2021 , रविवार
एक साल हो गया विश्व साहित्य संस्थान का

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nss@lnmu.ac.in

पश्चिम बंगाल इकाई सम्मान पत्र
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जनेऊ वाला जिंस पहने पहली बार , पूजा वाला टी-शर्ट ।
WB 05 3603  , गाड़ी देव मामा का 3 नम्बर जमाई का कोलकाता बालीगंज वाला का ,
। 4 नम्बर तुलिया की शादी आज
आये 14:02 परौल कचौड़ी सब्जी , लाल मोहन दही , रसगुल्ला, संजय सर को भी देखें  , 2100 दिए नानी बोली हमरे किये नैय देलअ ,  सभी को खिलाएं फिर गये गांव खेत तरफ गये कविता छोड़ने मुन्ना साथ बोला हमरा कोरोना सअ बड़ा डर हुइत हेअ ,
जंयति नेपाल बोली खाली कपड़े देलहीन हेअ ।
जंयती का पति चाचा जैसा दिखने में
सोभ गोटाक के नोट रहैय काली भईया आंगन में दोनों बेटा के बेटा का मुंडन रहा कान छेदाया उन लोगों में होता है । 5 छागल पड़ा काली भईया आंगन में कचौड़ी सब्जी , चावल पुलाव वाला , हम परौल आ गये ।
आनंद भी झोंझी गया रहा 19:00 परौल आ गया ।
20:30 में परौल आ गये । नोट नहीं खाएं ।
रामनगर वाला आनंद का मौसा आएं रात में ।
22:45 में बाराती आएं , झगड़ा होने लगा , लड़का का पापा गिलास सब उठाने लगा नाना बाबा रोकें । खाना अच्छा नहीं रहा , मछली , हम लोग 2 बजे खाएं , छोटकी को नानी उठा दी , देव मामा चिल्लाने लगे हमरा बेइज्जती करवैत छैथ वैष्णव कहलकी कीछ एखन कीछ आर , जंयती लड़का को बोली इअ तअ हमरा घरों पर ऐल छैथ । छोटकी बेटी परेशान को देनेए रहैया लड़का के , लोग मना करैत तअ कहैय हम अप्पन जीजाजी के भाई साथ मजाक करैत छी कुनू भैय साथ करैत छी की । बाराती में जो मोटका रहा वही मुस्लिम से शादी कर लिया है , सुबह में फिर झगड़ा पंडित जी लोग के पैसा लिए अंत में नानी भी आई माफ़ी मांगी , बिदकरी गुड़िया बोकी कोलकाता वाली , आनन्द बहुत माना पापड़ , मछली सब खिलाया ठंडा भी वही पिलाया ।


दुकान पास सोये रहें परौल में अरूण से मिलें डॉ देवेन्द्र स्कूल लोहा में एक साथ पढ़ते थे।


सुबह आ गये हम काली भईया आंगन से खाना सब आया रहा ।
डिगो काका खाना ला दिया काली भईया आंगन से दादी को ।

कुमारी में आनंदी गई रहीं काली भईया यहां ।
पूजा पापा हॉस्पिटल में
पंडौल में भर्ती तबीयत ख़राब हो गया रहा ।
06:11 उठे काली भईया आये ओह रोशन हम सोये रहें , साड़ी दिए , कहलकीन रोशन के माँ हेएल अछि ।
दादी 500 काली भईया आंगन में दिया ।
सभी का फोटो खींचे तीन में देव मामा की छोटकी बेटी है । टेबल कम पड़ गया रहा ।

घनश्याम भाई जी , भौजी , दीपक सब आया गांव
श्री शिक्षायतन महाविद्यालय , कोलकाता

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आ. ज्योति झा की व्हाट्सएप स्टेट्स से

[21/06, 13:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/cayp/
[21/06, 17:37] Ano N. d College: Thanks Roshan
[21/06, 17:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: Welcome sir jii jai hind sir 🙏💐

[21/06, 13:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/cayp/
[21/06, 15:41] Hasan Bhiya: 🥰🙏🏻
[21/06, 15:41] Hasan Bhiya: Ise nss group me bheje
[21/06, 15:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐

[21/06, 13:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/cayp/
[21/06, 14:17] Rahul Manhar Sir: 👌👌💐
[21/06, 14:17] Rahul Manhar Sir: Thank you
[21/06, 15:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐

[21/06, 17:04] Babu 💓: Achha h
[21/06, 19:28] Babu 💓: सरोज पासवान ( श्री रामपुर)
[21/06, 19:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: Bolo babu
[21/06, 19:37] Babu 💓: Kya bolu jaan
[21/06, 19:37] Babu 💓: Man nhi lg rha
[21/06, 19:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: Mera bhi
[21/06, 19:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jaan
[21/06, 19:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: Papa jii ko lekar
[21/06, 19:39] Babu 💓: Shadi me pauch gye
[21/06, 19:39] Babu 💓: Aap hamse pyr nhi krte  h
[21/06, 19:39] Babu 💓: Sirf kasam torte h
[21/06, 19:40] Babu 💓: Ham abhi bhi aapse gussa h
[21/06, 19:40] Babu 💓: Or hamesha rahenge gussa
[21/06, 19:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: Sorry jaan
[21/06, 19:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: Avi apne gaw me hai
[21/06, 19:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: Sorry
[21/06, 19:42] Babu 💓: No maffi
[21/06, 19:42] Babu 💓: Ab aapke life se dur chale jayenge
[21/06, 19:42] Babu 💓: Dekhna
[21/06, 19:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: Sorry
[21/06, 19:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jaan
[21/06, 19:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: Aisa kyo bolti hoo
[21/06, 20:14] Babu 💓: Kyuki aap mujhse nhi pyr krte h
[21/06, 20:14] Babu 💓: Us chudel se krte h
[21/06, 20:14] Babu 💓: Agar krte to kasam nhi torte
[21/06, 20:14] Babu 💓: Aap jante ho ki ham aapse bahut pyar krte h, nhi rah sakte aapke bina, esliye kasam tor kr rulate ho
[21/06, 20:14] Babu 💓: Waise bhi aaj dekh hi liye log mujhse kitna pyar krte h
[21/06, 20:14] Babu 💓: Aapse dur rahenge to aap khush rahenge
[21/06, 20:14] Babu 💓: Papa chale kya gye hamse koi pyar nhi krta , papa chabhi diye the bole the dukan dekhna
[21/06, 20:14] Babu 💓: Or chabhi bulbul chhin li hamse , boli ki papa h to tumhara hak h nhi to kuchh bhi nhi
[21/06, 20:14] Babu 💓: Tum bhi waise hi ho
[21/06, 20:14] Babu 💓: Pyar nhi krte ho
[21/06, 20:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: Jaan
[21/06, 20:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: Hmm hai jaan
[21/06, 20:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: Hmm hai naa
[21/06, 20:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: Tumhari nanad
[21/06, 20:37] Babu 💓: Achhi lag rhi h
[21/06, 21:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: Thanks 🙏💐

[21/06, 16:15] ज्योति दीदी जी: देख लेना बाबू 22 और 23 तारीख का है
[21/06, 16:15] ज्योति दीदी जी: हमको ध्यान था 23 तारीख का बनाना है

इसलिए पहले 23 का बना दिये

फिर लगा कि नहीं २२ छूट गया

😁😁
[21/06, 16:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏 दीदी जी 🙏💐

[21/06, 07:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏 भाई
[21/06, 08:34] आ प्रभात जी: Good morning brother 🌹🌹
[21/06, 21:54] आ प्रभात जी: Congratulations sir👌👌
[21/06, 22:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद भाई 🙏🙏💐

[21/06, 11:44] प्रमोद ठाकुर: सुप्रभात,🙏🙏🙏🙏🙏
[21/06, 14:25] प्रमोद ठाकुर: सर अगर आज की पत्रिका में समीक्षा बाला  एड क्या लग सकता है।
[21/06, 15:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रकाशित हो चुकी है
[21/06, 16:00] प्रमोद ठाकुर: जी शुक्रिया
[21/06, 22:18] प्रमोद ठाकुर: 22 जून 2021 की समीक्षा स्तम्भ के लिए।
[21/06, 23:29] प्रमोद ठाकुर: कल समीक्षा बाला जो नियम और शर्तें बनाई थी उसका एड पत्रिका में लगाने के लिए बोल रहे थे।
[22/06, 07:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[22/06, 07:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात
[22/06, 07:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: सर जी




अंक - 42
https://online.fliphtml5.com/axiwx/cayp/

अंक - 41

https://online.fliphtml5.com/axiwx/tjxw/

अंक - 40
https://online.fliphtml5.com/axiwx/neyx/

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 42

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

मो - 6290640716
🧘 🌅
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

अंक - 42
21  जून  2021

सोमवार
ज्येष्ठ शुक्ल 11 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 12
कुल पृष्ठ -  13

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
89. आ. राजेश "तन्हा" जी

सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 41 से 44 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/311880380574745/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 - 40
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 34 से 36
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 42 ,  सोमवार
21/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 42
Sahitya Ek Nazar
21 June 2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

विश्व साहित्य संस्थान
    🙏 प्रथम वर्ष 🌅
20/06/2020 , शनिवार से  20/06/2021 , रविवार
एक साल हो गया विश्व साहित्य संस्थान का
https://vishshahity20.blogspot.com/2020/06/blog-post.html?m=1



http://vishshahity20.blogspot.com/2021/02/11.html

✍️ ज्योति सिन्हा
मुजफ्फरपुर , बिहार
International Yoga Day, 21 June 2021.
विश्व योग दिवस , বিশ্ব যোগ দিবস

31 st Bengal Bn Ncc Fort William
Kolkata -B , National Cadet Corps Directorate - West Bengal & Sikkim
Coy - 5 ( N.D.College )
Narasinha Dutt College , Howrah
University of Calcutta

कम्पनी :- पांचवीं , नरसिंहा दत्त कॉलेज , 
कलकत्ता विश्वविद्यालय
31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी
फोर्ट विलियम कोलकाता-बी ,
पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय
2.

International Yoga Day, 21 June 2021.
विश्व योग दिवस , বিশ্ব যোগ দিবস

Ramakrishna college, ( R.K.College )
Madhubani , Bihar ( LNMU  )
National Service Scheme (NSS)
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी बिहार
राष्ट्रीय सेवा योजना ( रा.से.यो )

1.
परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

आज द्वितीय चरण की समीक्षा में  बात कर रहा हूँ वही हरफ़नमौला  शायर , कवि और साहित्यकार की  जो अपने सहित्य के हर फ़न में माहिर है चाहे कविता,गीत या फिर ग़ज़ल । इससे पहले इन हज़रत के बारे में  इनकी ग़ज़ल संग्रह "सजल की ग़ज़ल "के बारे में कुछ लिखूँ उससे पहले मेरे ज़हन में एक ग़ज़ल उभर रही है जो ज़नाब अमीर कज़लबाश जी की लिखी और सुरेश वाडेकर और लता मंगेशकर की गायी  है कि
मुझकों देखोगें जहाँ तक
मुझकों पाओगें वहाँ तक
रास्तों से कारवाँ तक
इस ज़मीन से आसमां तक
मैं ही मैं हूँ ,मैं ही मैं हूँ।
दूसरा कोई नहीं।
सही कहा है कज़लबाश जी ने की श्री रामकरण साहू "सजल" जी की कलम भी यही कहती है।कि मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं।अगर मैं इस ग़ज़ल संग्रह "सजल की ग़ज़ल" की बात करू तो इस पूरे संग्रह में एक से एक बहतरीन ग़ज़ल का पढ़ने को मिलेगी। अगर मैं ये कहूँ की इन ग़ज़लों को अगर संगीतबद्ध किया तो हिंदुस्तान को एक अच्छा ग़ज़ल की नुमाइंदगी करने वाला शख़्स मिल जाएगा।
इनके इस संग्रह में मुझे कुछ गज़लें बहुत पसन्द जैसे एक ग़ज़ल का में ज़िक्र करना चाहूँगा कि
हम पत्थर है हमीं पर इल्ज़ाम लगता है।
शीशा क्या टूटा हमारा नाम लगता है।
विखरते रहे वसूलों को वही बेकदर।
जिनका सुबह से शाम तक ही ज़ाम लगता है।
इन हज़रत की एक ग़ज़ल ही नहीं पूरे संग्रह में सभी ग़ज़ल एक बढ़कर एक है। ये वो शायर नहीं कि किसी जहाँपनाह की शान में कसीदे पढ़ते हो। एक ज़ुनूनियत की हद तक अपनी कलम को ले जाते है। जिसका नाम है "सजल की ग़ज़ल" हो सकता है इन ग़ज़लों को कहीं संगीत की दुनियाँ में स्थान मिले और मिलना चाहिये। मैं ज़नाब रामकरण साहू "सजल"जी का उनकी लेखनी का इस्तक़बाल करता हूँ।
तृतीय चरण की समीक्षा में फिर मुलाकात होगी।
राम-राम

✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

2.
International Yoga Day, 21 June 2021.
विश्व योग दिवस , বিশ্ব যোগ দিবস

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी के दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष , 34 वीं बिहार बटालियन एनसीसी के लोकप्रिय ए.एन.ओ, राष्ट्रीय सेवा योजना, एनएसएस जिला नोडल अधिकारी डॉ . राहुल मनहर सर जी योगा करते हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ...

3.

शीर्षक:-

पिता

सुबह की खुशबू शाम की
सुहानी रात है पिता--
मुझे खुशी का एहसास दिलाये
और खुद दर्द सहता है पिता-
मेरे जीवन के हर दुखों
में मेरे साथ है पिता
खुद कडी धुप में काम करता
मुझे छाँव में रखता है पिता-
मेरे हृदय में क्या है
सब जानता है पिता
मेरे खवाबों को सच करता है पिता-
जब भी कहीं से आये वो नजरें
पागल की तरह ढुढती है पिता--
मेरे सारे दुःख दर्द हर लेता है पिता
मेरी धरती मेरी आसमान है पिता-
मेरी सांस मेरी धड़कन है पिता
मेरा खुदा मेरा परवर दिगार है पिता--
उसके बाहों में झुला जो
वो मेरा यार है पिता
उसके गोदी में जो बचपन गुजारा
वो प्यार है पिता---
मुझे रूलाना फिर मुझे हँसाना
वो मेरा है पिता
मुझे लोरी सुनाता और सुबह
स्कूल ले जाता है पिता--
तु नहीं है तो जाने कैसा
लगता है पिता
तेरे बिना मेरा जीवन सुना
सुना लगता है पिता--
मेरा खुदा मेरा भगवान
सब है पिता
मेरे जीवन जीने का
सही मार्ग है पिता--
मेरे सारी गलतियों को जो
नज़र अंदाज करता है पिता
मेरे आखों का तारा मेरा चाँद है पिता
सुबह की सूरज शाम की
अजान है पिता--

     ✍️ प्रभात गौर
      पता:- नेवादा जंघई
         प्रयागराज

4.

2
कुछ इस तरह हुआ होगा
उस बस में उस बच्ची के साथ
कुछ काले पंजे उसकी ओर बढे होंगे।
सप्तमी के चाँद की नोंक से चुभें होंगे।
बो बस से दूर भागना चाहती होगी।
जैसे उस समय पोल दरख़्त
,बस से दूर भाग रहे होगें
सप्तमी से पूनम की ओर बढ़ते,
चाँद के आकार से,
बो काले पंजे बढ़े होंगे।
कलमयी रात में दिनकर की किरण
सी,एक आस जगी होगी।
वो निराशा सी अमानवीय क्रीड़ा
उसने घंटों सही होगी।
सिर्फ दरख्तों की सरसराहट,
बस का कोलाहल हो रहा होगा।
दरिन्दों का अट्हास कानों में
पारा सा पिरो रहा होगा।
जब बस्त्रों को शरीर से
अलग किया होगा।
एक-एक अंग चीखा
और चीत्कारा होगा।
बस्त्र किसी कोने में मुहँ
छिपाये पड़े होंगे।
असहाय अपनी किस्मत
पर रो रहे होगें।
वो बस की किसी सीट पर
निर्जीव सी पड़ी होगी।
कलमयी क्रीड़ा, अमानवीयता
के पल सह रही होगी।
जब निर्जीव समझ सड़क
पर फेंका होगा
ओस कणों ने शरीर को ढ़कने
का असफल प्रयास किया होगा।
एक बच्ची के इंसाफ में,माँ
ने कितने कष्ट सहे होंगे।
वो बचपन में सुनाई लोरी-गाने
रुंध गले से, एकांत में गुनगुनाये होंगे।
आओ उन दरिन्दों की फांसी
का आज जशन मनाये।
आओ आज इंसाफ का
पन्द्रह अगस्त मनाएं।

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश

5.
गीत

पिता हमारे जान से प्यारे

माँ को वसुधा पिता
को आसमाँ कहते हैं
दुख दर्द सभी जो,
औलाद के सहते हैं
मत देना बना इन्हें,मेहमां
किसी गैर के आशियाँ का
यही सोच सोच कर,ये
बेबस रात दिन डरते हैं
पिता हमारे जान से प्यारे।
फलक के लगते हसीं सितारे।
माँ के कंगन सिन्दूर बने ये,
हसीं आशियाँ के सपने सारे।।
पिता हमारे जान से प्यारे।
फलक के लगते हसीं सितारे।।
रूठ कभी गर मैं जो जाऊँ,
कितना मुझे मनाते।
यूँ ना रूठों जान मेरी तुम,
बार बार समझाते।।
सीने से मुझे लगाते,तो
अश्कों के लगें फिर धारे।
पिता हमारे जान से प्यारे
फलक के लगते हसीं सितारे
ना मिले कोई मुझको हमजोली,
संग ये मेरे खेलें 
लुटाके अपनी सारी खुशियाँ
मेरी बलायें लेलें
दुख दर्द मेरे सारे झेलें
, कष्टों से मुझे उबारें
पिता हमारे जान से प्यारे
फलक के लगते हसीं सितारे
कभी नहीं करते गुस्सा,
बस प्यार सदा बरसाते।
मेहनत मजदूरी कर-कर के
घर को हैं स्वर्ग बानाते।
फिर देख देख इठलाते,
मानो सपने सच होते सारे ।
पिता हमारे जान से प्यारे ।
फलक के लगते हसीं सितारे ।।
पिता हमारे जान से प्यारे।
फलक के लगते हसीं सितारे।
माँ के कंगन सिन्दूर बने ये,
हसीं आशियाँ के सपने सारे।।
पिता हमारे जान से प्यारे।
फलक के लगते हसीं सितारे।।

✍शायर देव मेहरानियाँ
       अलवर,राजस्थान
    (शायर,कवि व गीतकार)
      _7891640945

6.
नमन मंच
विषय-

उम्मीद पिता

पिता उम्मीद का सूत्र ,
होता वह विश्वास ,
विश्वास उसका न खोइए ,
मिलता सदैव त्रास।
संघर्ष की वह आंधियां ,
हौसले की दीवार,
बराबर सबको मानता ,
बनाता हकदार ।
पिता सबका "जमीर"सम,
ह्रदय से जागीर ,
जिसके पास पिता सदा ,
वही सबसे अमीर।
बच्चों हेतु सदा से ही ,
करता बहुत से काम,
बच्चे जब उन्नति करते
,माथा ऊँचा,शान।
बच्चों तुम करना हमेशा ,
पिता का बड़ा मान ,
उसके ह्रदये तुम बसे,
उससे है पहचान ,

✍️ पूनम सिंह
लखनऊ , उत्तर प्रदेश

7.
लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर ,
बुंदेली भाषा में गीत सादर समर्पित-

धर लयो चंडी जैसो रूप
जे निकलीं युद्ध करन मनु बाई
घोड़े पे चढ़ गईं चंडी समान
दान्तन के बीच लई है लगाम
पीठ पे बंधो लाल प्यारो
  तेजी से धाईं जाबत हैं
   दुर्ग से दुर्गा को धर रूप
  चढ़ीं चंडी सी घुरबा पीठ
   क्रोध से अगन तेज मों पे
   आँखन से गोलीं बरस रहीं
ये पहुंचीं गोरन बीच भबानी
उड़ा दए छक्के सबन के जाए
तोर दये उनके तीखे तीर
तमंचा ,तोप, तीर, तलवार
  पहुंच जातीं रानी जिस ओर
  परत उत गोरन के मुख मन्द
  काटतीं ककड़ी जैसे शीश
  युद्ध में मारे गोर अनेक
मार दयो गीदड़ जैसो उन्हें
बना दई युद्ध भूमि श्मशान
  न ऐसो युद्ध कबहुँ देखो
   कि एक नारी ने करो हताश
    गोरन के छक्के छुड़ा दये
   लक्ष्मी काली बन के आईं।
जीते जी देह छुअन न दई
अपन ने ही तो धोका दयो
हार न स्वीकारी उनने
युद्ध में युद्ध करत मर गईं।
   बुन्देलन को गौरव बन आईं
   नारियन को अभिमान बनी
   युगों तक याद करें उनको
    वो मर्दानी रानी कहलाईं
अमर भई उनकी कीर्ति जहान
अमर भयो नारियन को सम्मान
अमर भई लक्ष्मी बाई महान
युगों तक उनके गायें गान।
     धर लयो चंडी जैसो रूप
     जे आईं युद्ध करन मनु बाई ।

         ✍️   डॉ. ज्योति उपाध्याय
          प्राध्यापक , मुरार कॉलेज ।
            18-06-2021

8.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
(२१ जून) पर विशेष-
[ योग भी हो जीवन में ]

स्वस्थ,मस्त रहने को,
योग भी हो जीवन में।
ताजगी और स्फूर्ति,
बनी रहेगी तन मन में।।
यम,नियम,आसन,
प्राणायाम,प्रत्याहार।
धारणा,ध्यान,समाधि,
का भी करिए प्रचार।
ये हैं अष्टांग योग,
अपनाओ इसे जीवन में।
प्रचलन में आसन,
प्राणायाम,ध्यान है
आठ अंग वाला
योग जीवन विज्ञान है
इनको अपनाओ और 
जीते  रहो यौवन में।
श्वांसो पर नियंत्रण से
लंबी होती आयु
प्राणायाम  कर पाते
योगीजन प्राणवायु
रोगमुक्त रहे शरीर ,
हो विस्तार जन जन में।
विश्व सारा मान रहा,
योग के महत्व को
इससे पा सकता
मनुष्य भी देवत्त्व को
अलौकिक आनंद अनुभव
हो जाता है मन में।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर, उत्तर प्रदेश

9.
जला नहीं -

जला नहीं प्रहलाद,
होलिका बनी
राख की ढेरी,
झूठ - सत्य का
अंतर होते
लगी नहीं कुछ देरी, 
दुहराता.....,
ईतिहास सदा ही
अपनी बातें पुरानी
सदैव....,
सत्य की विजय हुई है
गया झुठ का पानी,
मद-मस्ती में
गलती ना होगी, 
सीख ये हम
होली-पर्व पर सब लेलें,
पर्व आज होली का
हम सब नऐ रंग में खेल !!

✍️ चेतन दास वैष्णव
       गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा,  राजस्थान
स्वरचित मौलिक मेरी रचना
10
#विषय- पिता
#विधा- #स्वतंत्र. कविता

         
🌹पिता🌹

पिता वही जो पालक बन,
घर परिवार चलाता है,
.परमपिता परमेश्वर को 
भी ,पिता कहा जाता है।
हम  सब बच्चों के,पिता
ही जन्मदाता हैं,
हम सब की परवरिश कर
,पिता ही  लाड़ लडाता है।
पढ़ा लिखा कर शान से
,जो जीना हमें सिखाता है,
फरमाईश हम सबकी,
जो पूरी  करता रहता है।
पिता हमारे जीवन दर्शन ,
पिता हमारे प्राण हैं,
पिता हमारे पालक ,रक्षक ,
पिता ही स्वाभिमान है।
पिता हमारे घर के आधार,
पिता एक मजबूत दीवार है,
पिता बिना घर सूना सूना
,पिता हमारी शान है।
पिता पथ प्रदर्शक मेरे,
प्रेरणा के वो स्रोत हैं,
पिता का साया ठंडी छाया ,
पिता का प्यार मूरत है।
पिता हमारे त्याग समर्पण की,
साक्षात प्रतिमूर्ति हैं,
पिता के पद चिन्हों पर चलकर,
मिलती मुझको पहचान है।
मै अपने पिताजी की लाडली,
माता-पिता दोनों मेरी जान है,
हम बच्चों पर  करते वो,
अपना तन -मन- धन न्योछावर हैं।
ऐसे मात पिता दोनों को
,मेरा बारंबार प्रणाम है।।

✍️ रंजना बिनानी
गोलाघाट असम

11.
[20/06, 16:46] +91 94106 02648: एक मुकतक आपके लिए

पकड़ कर हाथ की
उंगली चलना सिखाता है !
मिले परिवार को ...
खुशियाँ जीवन खपाता है!
चले खुद पाव .....
नंगे बेटे को कांधे बैठता है !
मगर बेटा बुढ़ापे में .....
उसे आंखे दिखाता है!
पिता से ख्वाहिशें हैं
पिता से ही गुमां भी है!
पिता का डर खामोशी
,हौसला जबां भी है!
पिता से खुशी घर में
पिता से रौशनी भी है!
पिता ही है जमीं मेरी .
पिता आसमां भी है!

✍️ डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर

12.
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय , दरभंगा , बिहार
विषय - वैश्विक महामारी के समय
में योग का महत्व
विधा - निबंध

प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। कोविड - 19 कोरोना काल में कोरोना - वायरस के चलते दुनिया तहस नहस हो गया , लॉकडाउन जैसे मुसीबत का सामना करना पड़ा । घर पर रहकर समय व्यतीत करना पड़ता रहा। लोगों का मन घर में बैठकर व दुखद समाचार सुनकर मन उभते गया , जैसे कि हम सभी जानते है खाली दिमाग़ में शैतान का वास होता है । ऐसे समय में कितनों ने आत्महत्या कर ली  इस वैश्विक महामारी में दुनिया की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई । घर परिवार के लोग एक दूसरे को देखने नहीं मांगते थे  , सभी घर पर बैठकर समय बीताते थे मोबाइल , टी.बी देखकर लोगों का मन उभ जाता रहा तो लोगों ने योग का सहारा लिया ।

राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह ' दिनकर ' जी अवकाश वाली सभ्यता कविता में सही कहें है -

अवकाशवाली सभ्यता 
अब आने ही वाली है 
आदमी खायेगा , पियेगा
और मस्त रहेगा 
अभाव उसे और किसी चीज़ का नहीं ,
केवल काम का होगा 
वह सुख तो भोगेगा ,
मगर अवकाश से त्रस्त रहेगा 
दुनिया घूमकर 
इस निश्चय पर पहुंचेगी 
कि सारा भार विज्ञान पर डालना बुरा है 

कोरोनावायरस के समय में लोगों अपने घर , छत पर सुबह-सुबह योग करके सकारात्मक सोचों का ग्रहण करके अपने दिन की शुरूआती करते थे । योग से उनका मनोबल बना रहता था कि जैसे कि हम सभी जानते है योग होने देता न रोग , इस कथन को ध्यान में रखते हुए मुसीबत के समय में योग का सहारा लिया ,

चला व चले जा रहें हैं कोरोना काल ,
लिए योग का सहारा पूरे संसार ।।
योग में ही है हर बीमारियों का उपचार ,
किए हम सभी नियमों का पालन
गया न कोरोना हार ।।

✍️ रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी
बी. ए , हिन्दी आनर्स द्वितीय वर्ष
राष्ट्रीय सेवा योजना
Roshan Kumar Jha

साहित्य एक नज़र में प्रकाशित -
https://online.fliphtml5.com/axiwx/cayp/

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

विवाह , जनेऊ , मुंडन ,
इसी में होता एक दूसरे का दर्शन ।।
कलकत्ता , दिल्ली , मुम्बई
लोग जाते बाहर कमाने धन ,
आज इक्कीस जून
तो रोशन
कर लो योगा , रहों प्रसन्न ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
सोमवार , 21/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(34)
✍️ रोशन कुमार झा ,
Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 42
Sahitya Ek Nazar
21 June 2021 ,   Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 41 - 44

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -

अंक - 41 से 44 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 20/06/2021 से 23/06/2021 के लिए
दिवस :- रविवार से बुधवार
इसी पोस्ट में कॉमेंट्स बॉक्स में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें । एक से अधिक रचना भेजने वाले रचनाकार की एक भी रचना प्रकाशित नहीं की जायेगी ।।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 41 तो कुछ रचनाएं को अंक 42 , कुछ रचनाएं को अंक - 43 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 44 में प्रकाशित किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

# फेसबुक के इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में ही रचना भेजें ।

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समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

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सम्मान पत्र ( 79 -

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

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कविता - 20(33)
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कविता - 20(34)
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रोशन कुमार झा



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