कविता :- 20(13) , सोमवार , 31/05/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 21, कहानी - कुछ सीखें बातों बातों से , 17(49)

रोशन कुमार झा

कविता :- 20(13)
बहन से आख़िरी बात , कुछ सीखें बातों बातों से , कहानी

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 31/05/2021 से 02/06/2021
दिवस :- सोमवार से बुधवार तक
विषय :- चित्रचिंतन
विधा :- स्वैच्छिक
विषय प्रदाता :- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
विषय प्रवर्तक :- आ. कलावती कर्वा जी

बांधा हो पाँव ज़ंजीर से ,
आज़ाद हो सकते हो तुम फिर से ।।
मुक्त होने का जुनून होना
चाहिए दिल से ,
व्यर्थ है ग़ुलामी की साँस
लेना इस शरीर से ।।

कट नहीं सकता ज़ंजीर
काट दो खुद का पाँव ,
ग़ुलामी रहकर अच्छा
है कटा हुआ पाँव में रहें घाव
घाव से भी डर है
तो लाओ कुछ ऐसा भाव  ।
उस भाव से जंजीर से बांधने
वाला भी विवश होकर
बदल लें अपना स्वभाव ,

तब तुम भी मुक्त हो
जाओगे ज़ंजीर से ,
कुछ सीख लो सूर्य कुमार कर्ण और
चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे वीर से ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(13)

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कविता :- 20(13)
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✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(13)

कुछ सीखें बातों बातों से
कविता :- 17(49) , हिन्दी

नमन 🙏 :-
तिथि :- 09/09/2020
दिवस :- बुधवार
विधा :- कहानी
विषय :- कुछ सीखें बातों बातों से !

कहानी
कुछ सीखें बातों बातों से !

कोरोना काल से दस साल पहले दो हज़ार नौ , दस की बात है , जब गंगाराम अपने गाँव झोंझी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय से पाँचवी पढ़कर बग़ल के गांव के राजकीय मध्य विद्यालय नरही में छठवीं कक्षा में नामांकन करवाया रहा, वह अपने दोस्त व भानजा मुकेश के साथ अपने अपने साईकिल से विद्यालय एक साथ ही आते जाते ,श्री सच्चिदानंद झा जी उस वक़्त उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर रहें , नाटा होने के कारण लोग उन्हें भुतवा सर कहकर पुकारते , उस समय टिफ़िन के समय विद्यार्थियों अपने अपने बस्ता लेकर घर चलें जाते फिर खाना खाकर आते, कितने तो टिफ़िन के बाद आते ही नहीं, और जो आते नहीं उनका मार्ग रोशन से अंधकार हो जाते, और जब वह अगले दिन विद्यालय आते या तो प्रधानाध्यापक जी नहीं तो कक्षा अध्यापक महफूज सर जी वह इलाज़ करते की, फिर से टिफ़िन के बाद आना ही आना पड़ता , दुर्गा पूजा की छुट्टी से पहले एक दिन अर्चना टिफ़िन के समय गंगाराम के सामने आकर ऊँगली दिखाकर पूछी कि तुम्हारा ,, टाईटल क्या है, यूँ मैथिली भाषा में पूछी रही … कि तोहर टाईटल की छोअ , गंगाराम को लगा कि हमसे पूछ रही है कि मेरी प्रेमिका कौन है, गंगाराम क्या खुश हो गया नदी के निर्मल जल से सागर की ओर एक ही बार में चला गया , फिर उत्तर दिया ,कीछो नैय मतलब कोई न । आरती , चाँदनी, छोटी , ज्योति, पूजा ,दीक्षा, दीप्ती, श्वेता, बबली , मिली, मनीषा व अपने सहेलियों के साथ अर्चना विद्यालय के बगल वाले आम के बग़ीचे में खेलने चली गई , और गंगाराम अपने मित्र मुकेश के पास आया और बोला, जानैय छीही अर्चुआ हमरा स्अ पूछलक कि तोहर टाईटल की छोउ, हम कहलियै कीयो नैय ,तब मुकेश हँसते हुए बोला अरे तोहरा सऽ पूछलको तोहर जाति की छोअ , गंगाराम बोला अच्छा भाई उसे यह पता न जब कक्षा में हाज़िरी होता है 93 ( तिरानवे ) के बाद क्रमांक 94 ( चौरानवे ) जो झा है तो उसे पता न कि हम ब्राह्मण हैं हद है , तब से गंगाराम को जब भी टाईटल की बात याद आते तो उसे अपने दोस्त मुकेश और चमकीले आँखों वाली अर्चना की याद आ जाते, ये सीख उन्हें इन्हीं दोनों के सहयोग से प्राप्त हुआ रहा, जब भी कोई रचना लिखने से पहले रचना का शीर्षक गंगाराम देता है तो वह अपने आप को शर्मिंदा महसूस करता हैं, कि एक वक्त पता न था कि टाईटल , शीर्षक क्या होता है और आज प्रत्येक दिन ही कोई न कोई शीर्षक पर कुछ न कुछ यूँ ही लिख लेते हैं, सब माँ सरस्वती की दया प्रेम और आशीर्वाद है, और उसे वह अनमोल पल याद आ जाता है, जब अर्चना पूछी रही तुम्हारा टाईटल ( Title ) क्या है, क्या वह ज़िन्दगी थी ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
कविता :- 17(49) , बुधवार , 09/09/2020
बहन से आख़िरी बात
मो :- 6290640716 , कविता :- 20(13)
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 21
31/05/2021 , सोमवार

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31/05/2021 , सोमवार
कल मछली बना रहा
77/R Mirpara Road Liluah Howrah Ashirbad Bhawan ,समय के कारण हम नमक भात खाएं , D.k 50 रुपए मांगा रहा हम बोले हम बैठे है , बैग में देख रहे है । फिर नहीं लिया बोला आप जैसे बोले न लेने का मन नहीं करता है ।माँ से बात किए फोन पर आशीष मामा काम नहीं करने दिया बोले हमरा नैय नीक लागैय येए , राहुल  शराब पीकर गाली माँ बहन का आशीष मामा को दिया रहा इसलिए हटा दिया ।।

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आ. प्रमोद ठाकुर जी 🙏
31/05/2021 , सोमवार
[31/05, 13:44] प्रमोद ठाकुर: ये दोनों समीक्षा स्तम्भ के लिए है जो 2 जून 2021 को प्रकाशित करना है।
[31/05, 13:46] प्रमोद ठाकुर: आज चाहें तो मुख्य पेज पर लगा दे जैसे सुप्रसन्ना एवं अनिल रही कि लगाई थी
[31/05, 14:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[31/05, 14:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: देखिए लुटेरों को
[31/05, 14:29] प्रमोद ठाकुर: सही कहा रोशन जी हम लोग बिल्कुल सही चल रहे है आज लोग 30/- दे रहे है कल जब विश्वास हो जाये गया कि ये लोग सही है तो यही 300 भी देगें।
अच्छा मैं ये कह रहा था पत्रिका के मुख्य पेज पर साइड में हम पदाधिकारियों के नाम देना शुरू करते है मैन अंतरराष्ट्रीय लेखक जो मेरे दोस्त है उनसे परमिशन के लिए मैसेज भेज दिया है उन्हें हम अंतराष्ट्रीय सलाकार मंडल में  रखेगें जिससे लोगो को लगेगा कि ये अंतराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे है। बाकी आप सलाह दीजिये
[31/05, 14:44] प्रमोद ठाकुर: जैसे
1.पदाधिकारी
जो भी हो
2. राष्ट्रीय सलाहकार मण्डल
3.अंतरष्ट्रीय सलाहकार मण्डल
इस तरह से
[31/05, 14:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[31/05, 14:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: आ. शायर देव मेहरबानियां जी सहयोग राशि देने के लिए तात्पर्य है
[31/05, 14:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: फोन पर कई बार बोले है
[31/05, 14:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: पर अभी कुछ दिन चलने दीजिए
[31/05, 14:46] प्रमोद ठाकुर: जी ज़रूर होंगे
[31/05, 14:46] प्रमोद ठाकुर: जी
[31/05, 14:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏
[31/05, 14:47] प्रमोद ठाकुर: मेरी विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस की सचिव अंजली जी से बात हुई है हम अपनी पत्रिका से उन्हें भी जोड़ रहे है
[31/05, 14:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागत है ।
[31/05, 16:10] प्रमोद ठाकुर: जी रोशन जी राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सलाहकार मण्डल बनाने के लिए सभी से परमिशन मिल गयी है मैं लिस्ट भेज देता हूँ आप को जो उचित लगें उन्हें मण्डल में रखिये
[31/05, 16:10] प्रमोद ठाकुर: कुछ नाम आप भी जोड़ दीजिएगा
[31/05, 17:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: अरे जब आप है तब क्या , आप अपने नुसार कर दीजिए ।
[31/05, 18:14] प्रमोद ठाकुर: इस तरह से रहेगा बाकी आप अपने हिसाब से देख ली जिये गा।
प्रधान संपादक : 1रहेगा
सह सम्पादक: 1 रहेगा
उप सम्पादक, कनिष्ठ सम्पादक, मीडिया प्रभारी इनकी संख्या कितनी भी हो सकती है।

राष्ट्रीय सलाहकार मण्डल
1. डॉक्टर विकास दवे- निदेशक साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन
2. डॉक्टर रंजना शर्मा - हिंदी विभागाध्यक्षा कोलकाता यूनिवर्सिटी
3. डॉक्टर देवेंद्र सिंह तोमर-गीतकार मुरैना मध्यप्रदेश
4.श्री मति निधी द्विवेदी -प्रधानाचार्य महिला इंटर कॉलेज राय बरेली एवं अध्यक्षा हिंदी साहित्य भारती
5. श्री अर्जुन सिंह चाँद वरिष्ठ साहित्यकार झाँसी

अंतराष्ट्रीय सलाहकार मण्डल
1. हरिहर झा -वरिष्ठ साहित्यकार सिडनी(ऑस्ट्रेलिया)
2. संजय अग्निहोत्री- उपन्यास कार सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)
3. वीना सिन्हा- वरिष्ठ कवियत्री न्यूजर्सी (अमेरिका)
4.मधू खन्ना-वरिष्ठ कवियत्री ऑस्ट्रेलिया
5. डॉक्टर भावना कुँअर - वरिष्ट सहित्यकारा सिडनी ऑस्ट्रेलिया
[31/05, 18:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् है  🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[31/05, 18:16] प्रमोद ठाकुर: सर  कुछ गलत हो तो बता देना आप कोई बात नहीं
[31/05, 18:17] Roshan Kumar Jha, रोशन: सही है पर आप नहीं दिखें ।
[31/05, 18:17] प्रमोद ठाकुर: ये दरअसल जो अपने मीडिया प्रभारी है ऐसे 3 या 4 बना दो अपने तो अहमियत खत्म हो जाएगी
[31/05, 18:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[31/05, 18:18] प्रमोद ठाकुर: आप पर छोड़ा है जहाँ  सही लगे
[31/05, 18:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: बाप रे ।
[31/05, 18:18] प्रमोद ठाकुर: या मुझे सिर्फ काम करने दो
[31/05, 18:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम तो छात्र है । सर जी 🙏
[31/05, 18:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप ही मेन है सर जी 🙏💐
[31/05, 18:19] प्रमोद ठाकुर: हर किसी से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है
[31/05, 18:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[31/05, 18:19] प्रमोद ठाकुर: चलिये काम पर ध्यान देते है
[31/05, 18:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[31/05, 18:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: पदाधिकारियों के लिए ग्रुप है उसमें सिर्फ पदाधिकारियों को ही शामिल कीजियेगा ।
[31/05, 18:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: सर जी 🙏
[31/05, 18:26] प्रमोद ठाकुर: जी
[31/05, 20:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏
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साहित्य एक नज़र 🌅 व्हाट्सएप ग्रुप
[31/05, 21:28] +91 आ. देवप्रिया अमर तिवारी : प्रणाम सर, 🙏❤🙂🌺
आपका बहुत बहुत आभार मुझे इस पत्रिका के बारे में जानकारी देने और इस पत्रिका पटल से मुझे जोड़ने के लिए।
[31/05, 21:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है , तीन दिन पर हमलोग फेसबुक पर रचनाएं आमंत्रित के लिए पोस्टर रखते है वहीं कामेंट बाक्स में रचनाएं आती है उसी रचनाओं में से तीन दिनों तक प्रकाशित करते है , तीन दिन बाद ही कोई साहित्यकार अपनी दूसरी रचना प्रकाशित करवा सकते है ।
[31/05, 21:39] +91 : जी आदरणीय🙏🙂 मैं ख़्याल रखूँगी।
[31/05, 21:40] +91 : Welcome ji
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31/05/2021 सोमवार ,
मोनू छत पर

पूजा , आंचल , रानी को उर्वशी का चरित्र चित्रण पढ़ाएं
पुरूरवा
Thoda mastee thoda study
[29/05, 09:58] Babu 💓: Aaj or kal class band hai
[29/05, 09:58] Babu 💓: Monday ko apne apne time pe present rahe
[29/05, 10:32] Achal Puja: Ok
[29/05, 10:32] Achal Puja: Mam
[29/05, 10:43] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है मेम
[31/05, 18:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज 19:30 में क्लास है ।
[31/05, 18:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: 07:30
[31/05, 19:04] +91 रानी: Thik hai sir
-  - - - - - - - - - - - -  - - - - - - - - -

[30/05, 19:38] आ प्रज्ञा जी: 🙏
[30/05, 19:38] आ प्रज्ञा जी: विषय*कविता
**********************
कविता का स्वरूप
------------------------
कविता -कविता नहीं,
वह कविता-कविता नहीं,
जिसका कोई अर्थ नहीं,
जिसकी कोई भाषा नहीं,,
और जिसका कोई भाव नहीं।।।
कविता-कविता नहीं,,,,
जिसमें कोई लय न हो,
जिसमें कोई रस न हो,
जो मधुर न हो,
जो बोधक न हो।।।
कविता -कविता नहीं
जो तीर हो,तलवार हो,
जो बाणों की बौछार हो,
जो शूल हो, त्रिशूल हो,,
और सत्यता से दूर हो।।
कविता-कविता नहीं,,
मैं न लिखूँ ऐसी कविता,
जिसमे कोई पहचान न हो,
ज्ञान न हो ,सम्मान न हो,
जिसमें मौलिकता न प्रेम हो,
जिसमें हृदय के भाव न हो,
वह कविता कविता नहीं।।।।।।।
प्रज्ञा शर्मा
प्रयागराज
[30/05, 19:39] आ प्रज्ञा जी: प्रकाशन हेतु है सर् थोड़ा देख कर बताइएगा🙏🙏
[30/05, 19:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी स्वागतम् 🙏
[31/05, 09:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: अपनी फोटो दें आज आपकी रचना प्रकाशित कर देंगे ।
[31/05, 10:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[31/05, 10:53] आ प्रज्ञा जी: 🙏🙏🙏
[31/05, 23:52] आ प्रज्ञा जी: जी बहुत बहुत आभार आपका
[31/05, 23:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[01/06, 07:35] आ प्रज्ञा जी: Suprbhat sir
[01/06, 07:36] आ प्रज्ञा जी: प्यारे पापा
*******
अब तक थे जो नज़रों के सामने,,,,,
अब तो बस सदृश ही दिखते,,,,,,,,,
प्यार और डांट से गलतियाँ सुधारते,
हमारे सिर पर आशीष का हाथ धरते,,
मत घबराना, मत डरना की सीख देते,,,
हमारी हिम्मत और हमारा हौसला बढ़ाते,
पल पल हर मुश्किल घड़ी में साथ निभाते,,
जाने कहाँ चले गए रोता बिलखता,,
अब न उनकी आवाज़ देती सुनाई,,
न उनके कदमों की आहट से हम ठिठकते,,,,
उनके बिन घर का हर कोना सूना सा लगता,,
हर छण उनका एहसास होता पर वो पास न होते,,,
उनकी यादों में बस आँखें भर आती,,
जो कभी रोने न देते वो अब हमें खूब रुलाते,,
अब आपके संग न होने की पीड़ा सह न पाते,,
कभी सोचा न था ये दिन भी आएगा,
प्रेम और आशीष का हाथ यूँ हट जाएगा,,,
आपने साथ भले छोड़ा हो पर दिल से कभी न जाएंगे,,,,,
आपका कर्ज कभी न हम चुका पाएंगे,,,,
बिन बोले विन मिले जाने कहाँ चले गए,,
हमें रोता बिलखता छोड़ जाने कहाँ चले गए,,,
काश आप तक हम पैगाम भेज। पाते,,,
बिन आपके हम कितने अधूरे ये देख पाते,,,,
बहुत याद आती है पापा😭😭😭🙏🙏🙏💐💐💐
[01/06, 07:37] आ प्रज्ञा जी: भैया आप इसे प्रकशित करवा सकते हैं🙏🙏
[01/06, 07:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: 3 को हो जायेगी
[01/06, 07:54] आ प्रज्ञा जी: Thanku so much
[01/06, 08:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
-  - - - - - - - - - - - -  - - - - - - - - -
[30/05, 21:40] सरिता साहित्य: Kb ayegi..
[30/05, 21:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: कल
[30/05, 21:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये आपकी अपनी पत्रिका है । जब चाहे तब ही , पर दूसरों को भी जगह देना है ।
[30/05, 21:41] सरिता साहित्य: जी बिल्कुल...
[30/05, 21:41] सरिता साहित्य: Oky
[30/05, 21:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[31/05, 20:20] सरिता साहित्य: Sir mera name 33 pr edit kr dijiye...
[31/05, 20:20] सरिता साहित्य: Ht gaya hai...
[31/05, 20:21] सरिता साहित्य: & Thanks For Publish My Poem....
[31/05, 20:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏
[31/05, 21:10] सरिता साहित्य: जी धन्यवाद🙏
[31/05, 21:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐

- - - - - - - - - - - -  - - - - - - -
[28/05, 09:31] आ. नेतलाल प्रसाद जी: यास तूफ़ान का नँगा नाच ।
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"यास " क्यों कर रहे हो नाश
पहले से ही तैर रही है लाश
   सब चुनौतियों से ही जूझ रहे हैं
बचने के तरकीब बूझ रहे हैं
अचानक इस कदर तेरा आना
दिल के दर्द को खूब चुभाना
आँसुओं का सैलाब बहाना
मंजर मौत का नँगा नाच दिखाना
वह भी आपदाओं के इस साल में
ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल में
तूने सबको चौकन्ना कर दिया है
तूने ऐसा दानवी रूप लिया है
पहले भी तेरे,कितने आए भाई
सभी ने तबाही ,खूब मचाई
तमाचा जड़ा ,आदमी के गाल में
आदमी मजबूत हुआ, हरहाल में
इरादों का बनता है, रोज़ चट्टान
रोज़ जन्म लेता है, अंदर का ज्ञान
जिजीविषा को मारता नहीं है
आदमी हारकर भी हारता नहीं है ।

----------------------------------------------
                  नेतलाल प्रसाद यादव (हिंदी शिक्षक)
उत्क्रमित उच्च विद्यालय शहरपुरा,जमुआ,गिरिडीह ,
झारखंड ।
यह मेरी कविता मौलिक और अप्रकाशित  है ।
[01/06, 08:59] आ. नेतलाल प्रसाद जी: मान्यवर,
        यह मेरे मित्र की रचना है ,जिसे भेज रहा हूँ और प्रतिदिन अखबार का प्रचार प्रसार कर रहा हूँ, आशा है आपको पसंद आयेगी ।

नारी तुम जीवन की परिभाषा हो (कविता)
नारी तुम ममता की मूरत
मन का अनुबंध हो
प्रेम का प्रबंध हो
कोयल सी लगती है बोली
तुम जीवन की परिभाषा हो
जीवन को अंकुर देकर
माता बनकर उर्जित हो
खुशियों की भण्डार हो
तुम ही संपूर्ण परिवार हो
परिवार की शान हो
तुम ही जगत की उत्थान हो
प्रेम का सागर है तुममें
रंग भरी फिर होली
घर की मर्यादा है,तुम ही से
प्रेम पूर्ण की वादा हो
खुशियों की ईरादा हो
सब कुछ है तुम्हारे अंदर
लगती हो, सृष्टि में सुंदर ।।
                     
                         गोपाल रजक(सहयोगी शिक्षक)
उत्क्रमित उच्च विद्यालय गादी श्री रामपूर गिरिडीह, झारखंड ।
[01/06, 09:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागत है इनका
[01/06, 09:01] आ. नेतलाल प्रसाद जी: सुप्रभात सर
[01/06, 09:02] आ. नेतलाल प्रसाद जी: स्नेहिल धन्यवाद आपको
[01/06, 09:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏 सर जी 🙏
[01/06, 09:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[01/06, 09:02] आ. नेतलाल प्रसाद जी: किस अंक में लगा देंगे
[01/06, 09:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: 22 आज की अंक में ही देखते है ।
[01/06, 09:03] आ. नेतलाल प्रसाद जी: शुक्रिया
[01/06, 09:04] आ. नेतलाल प्रसाद जी: ह्रदय से
- - - - - - - - - - - -  - - - - - - -
[31/05, 09:38] +91 86909 01309: प्रणाम सर 🙏🙂🌺
[31/05, 09:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏💐
[31/05, 09:40] +91 86909 01309: आपका no और facebook link मुझे डाॅ देवेन्द्र तोमर जी ने दिया है।
[31/05, 09:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐
[31/05, 09:40] +91 86909 01309: पर मैं आपके link पर comment नहीं कर पा रही हूँ।
[31/05, 09:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/Csqy8X67NcqIRnbqeFQ0bz
[31/05, 09:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप अपनी रचना और एक फोटो अभी भेजिए आज की अंक में प्रकाशित कर दूंगा
[31/05, 09:41] +91 86909 01309: जी धन्यवाद आपका 🙂🙏
[31/05, 09:45] +91 86909 01309: *मेरी बिटिया मेरी लाड़ो*
================

मेरी बिटिया मेरी लाड़ो,
परियों जैसी लागे है,
सो जा सो जा राजकुमारी
क्यों तेरी अँखियाँ जागे हैं ।
मेरी बिटिया मेरी लाड़ो......

नीला अंबर तेरा बिछौना,
चाँद का तकिया लागे है,
चादर तेरी झिलमिल तारे,
फ़िर काहे तू जागे है ।
सो जा सो जा बाबा की प्यारी
क्यों तू निदियाँ से भागे है
मेरी बिटिया मेरी लाड़ो......

सपनों में तेरे परियाँ आएँ ,
गोद में लेकर तुझको झुलाएं      
दुप-दुप करता जगमग जुगनू
झाँक किवडिया भागे है
सो जा सो जा जान से प्यारी
क्यों तेरी अँखियाँ जागे हैं।
मेरी बिटिया मेरी लाड़ो.......

बाबा की तू गुड़िया प्यारी,
मैय्या की तू राजदुलारी ।
पूरे घर की खुशियाँ है तू
सो पाये जो माँगे है।
सो जा सो जा राजकुमारी,
क्यों तू निदिया से भागे है।
मेरी बिटिया मेरी लाडो!!!!

देवप्रिया 'अमर' तिवारी
दुबई, यूएई
स्वरचित और मौलिक रचना
[31/05, 09:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[31/05, 10:01] +91 86909 01309: आभार आपका
[31/05, 10:44] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[31/05, 19:59] +91 86909 01309: Thanks  sir
[31/05, 20:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
-  - - - - - - - - - - - -  - - - - - - - - -

फेसबुक से
हिन्दी कविता:-12(35)
31-05-2019 शुक्रवार 13:31
*®• रोशन कुमार झा
-: मेरे प्रति विश्वास ही मर गया !:-

कैसे दिलाऊँ मैं विश्वास,
अपना ही बना हैं लाश !
राह रोशन करना है इसलिए रहता
नहीं हूँ किसी के पास,
बस बस वहीं लोग मेरी सँघर्ष को समझ
चुका है बकवास!

सबका पूर्ण करूँ इच्छा बनकर दास
कब तक रहूँ किसी के पास!
बदलते है वक्त दिन मास
फिर भी मैं करता हूँ हर दिन पर विश्वास!

उसी में बहुत कुछ सीखता हूँ
और क्या लिखता हूँ!
मैं ना किसी के हुक्म से बिकता हूँ
पर ये सही है सबको हम मुसीबत
में ही दिखता हूँ!

फिर उसे मुसीबत से दूर भगाता हूँ
सुख के समय उसे मैं भूल जाता हूँ!
और अचानक मैं फिर से दुख में
याद आता हूँ
सच में मैं लगातार ज़ख्म पाता हूँ!

विश्वास है ना किसी को मेरे पर
यहीं है मेरी भय
जिसे मैं सहायता करता वहीं कहता
मेरा भी आयेंगा समय!

तो मैं क्या करूँ
मुझे अपनी राह पर पूर्ण विश्वास है
इसलिए मैं लगातार चलु!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(35)
31-05-2019 शुक्रवार 13:31
Day Hightension duty
100:-सुभाष को दिये!यह कविता नेहा
पर कल


रोशन कुमार झा


अंक - 21
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो - 6290640716

अंक - 21
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31 मई 2021
सोमवार
ज्येष्ठ कृष्ण 5 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 9 ( आ. चेतन दास वैष्णव )
कुल पृष्ठ - 10

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 21
Sahitya Ek Nazar
31 May , 2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর


अंक 20
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अंक - 22 से 24 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा




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कविता :- 20(11)

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अंक - 19
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कविता :- 20(12)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2012-30052021-20.html

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अंक - 20

अंक 20
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कविता :- 20(13)
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अंक - 21

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/21-31052021.html

अंक - 22
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/22-01062021.html

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अंक - 23
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/23-02062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2015-02062021-23.html

अंक - 24
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/23-03062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2016-03062021-24.html


______________________________

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

1.

खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !

माँ सरस्वती, साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका मंच को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐।

साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका  "पुस्तक समीक्षा स्तम्भ" में चयनित पुस्तकों के लेखकों की सूची जससे साहित्कारों को समीक्षा प्रमाण पत्र दिया जा सके जून 2021 माह के लिए केवल 60 स्थान है ।

1. आ. श्री रामकरण साहू "सजल" बबेरू (बाँदा) उ.प्र.
2. आ. अजीत कुमार कुंभकार
3.आ. राजेन्द्र कुमार टेलर "राही" नीमका , राजस्थान
4.निशांत सक्सेना "आहान" लखनऊ
5. आ. कवि अमूल्य रतन त्रिपाठी
6. आ. डॉ. दीप्ती गौड़ दीप ग्वालियर
7. आ. अर्चना जोशी जी भोपाल मध्यप्रदेश
8. आ. नीरज सेन (कलम प्रहरी) जी कुंभराज गुना ( म. प्र.)
9. आ. सुप्रसन्ना झा जी , जोधपुर
10. आ.  श्री अनिल "राही" जी

नोट:- कृपया अपना नाम जोड़ने का कष्ट करें कृपया सहयोग राशि 30/- रुपये इसी नम्बर 9753877785 पर फ़ोन पे/पेटीएम/गूगल पे करकें स्क्रीन शॉट भेजने का कष्ट करें।

आपका अपना
किताब भेजने का पता
प्रमोद ठाकुर
महेशपुरा, अजयपुर रोड़
सिकंदर कंपू,लश्कर
ग्वालियर
मध्यप्रदेश - 474001
9753877785
रोशन कुमार झा

2.

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ 012  दिनांक -  _  31/05/2021

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _ चेतन दास वैष्णव     _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _  1 - 21  _   में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।

रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

_____________________________
3.
" समीक्षा स्तम्भ "

ज्ञान की बात , आपके साथ ,
" समीक्षा स्तम्भ " के अंतर्गत
करवाते है सम्मानित साहित्यकारों
व पाठकों से मुलाक़ात ।

2 जून 2021 , मंगलवार  को "समीक्षा स्तम्भ" के अंतर्गत मिलिये सम्मानित प्रसिद्ध साहित्यकार आ. नीरज सेन (कलम प्रहरी) जी और आ. राजेन्द्र कुमार टेलर "राही" जी से ।


4.
नमन मंच
अंक :-21
दिनांक :-31/5/2021
विषय :-

अनकहे एहसास

कुछ अनकहे अहसास हैं
दिल में दबे कुछ राज़ हैं
उमड़ती काली घटा सी
छाती लबों पर खामोशियाँ
बरबस तटों को तोड़ जाती हैं
आंखों में उफनती नदियाँ।
चाहता है दिल,
कह दे जो अहसास है
रोकता है मन,
रहने दे जो अधूरे प्यास हैं
लता सी उलझी हुई हैं,
अहसासों की गुत्थियाँ
दिल ठकठका रहा खोलने को,
बंद अहसासों की खिड़कियाँ।।

✍️ संतोष सिंह राजपुत
मेदिनीनगर, पलामु , झारखण्ड।।
5.
⛩️🏰🕋🕌
मैं तो कहता हूँ,
सारे मंदिर-मस्ज़िद
प्रतिमाओं को तोड़ दो।
जो तुममें है, हम सब
में है,हम सब से परे है।
जो हम सब में समाया है,
जो कण-कण में व्याप्त है।
उसकी आराधना करों
बाक़ी सब छोड़ दो।
मैं तो कहता हूँ,
सारे मंदिर-मस्जिद
प्रतिमाओं को तोड़ दो।
जो पापी और महात्मा है,
ईश्वर और निकृष्ट है।
जो दृश्यमान है, ज्ञेय है ,
सत्य है, सर्व व्यापी है।
सिर्फ उसी का पूजन
करो बाकी सब छोड़ दो
मैं तो कहता हूँ,
सारे मंदिर-मस्जिद
प्रतिमाओं को तोड़ दो।
हे मनुष्य उस जाग्रत
देव की उपेक्षा मत कर,
अनन्त प्रतिबिम्बों से ये
विश्व है जो सामने है।
उसकी उपासना कर
जैसे माँ - बाप और गुरु
कल्पनाओं का पीछा छोड़ दो ।
मैं तो कहता हूँ,
सारे मंदिर-मस्जिद
प्रतिमाओं को तोड़ दो।

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर
9753877785
6.
विषय*कविता
**********************
कविता

कविता का स्वरूप

कविता -कविता नहीं,
वह कविता-कविता नहीं,
जिसका कोई अर्थ नहीं,
जिसकी कोई भाषा नहीं,,
और जिसका कोई भाव नहीं।।
कविता-कविता नहीं,,,,
जिसमें कोई लय न हो,
जिसमें कोई रस न हो,
जो मधुर न हो,
जो बोधक न हो।।।
कविता -कविता नहीं
जो तीर हो,तलवार हो,
जो बाणों की बौछार हो,
जो शूल हो, त्रिशूल हो,,
और सत्यता से दूर हो।।
कविता-कविता नहीं,,
मैं न लिखूँ ऐसी कविता,
जिसमे कोई पहचान न हो,
ज्ञान न हो ,सम्मान न हो,
जिसमें मौलिकता न प्रेम हो,
जिसमें हृदय के भाव न हो,
वह कविता कविता नहीं ।।

✍️ प्रज्ञा शर्मा
प्रयागराज
7.

रचना ;-

बड़ा चंचल सा मन

बड़ा चंचल सा मन ,
इधर उधर विचरता मन ,
कभी गोते लगाता
भविष्य की उलझनों में,
कभी ले जाता
अतीत के ख्यालों में,
कभी डूबकी मारता
ग़मों के सागर में,
कभी कल्पनाओं में
खुशियों के अम्बार सजाता ,
ठहरता नही ,थकता नही
बस भ्रमण करता रहता हैं
ये बड़ा  चंचल सा मन ..
तन रहेगा यहाँ ,मन घूमेगा वहां ,
इसकी बहुत पहचान हैं ,
बिन डोर खिंचा जाता हैं ,
हर तरफ चला आता  हैं ,
बड़ा चंचल सा मन ..
नहीं चाहिए इसे 
कोई घोड़ा  -गाड़ी,
ये खुद से कर आता सवारी ,
सोचता बहुत हैं
,समझता भी कम नहीं हैं ,
इसके गुणों की क्या बात करे ,
पुरे शरीर को संभालता ये मन ,
इठलाता ,मंडराता
,भटकता ,
बिखरता सा मन ,
खुद ही खुद को
संवारता सा मन ,
बड़ा चंचल सा मन ...2

✍️  रक्षा  गंगराडे
8.
विषय-

" विश्वास का आधार "

आज है विषम परिस्थितियां,
"विश्वास का ही है आधार"।
सकारात्मक सोच से ही,
होगा बेड़ा पार.....।
ईश्वर पर विश्वास कर ..,
जो हर मुसीबत में देते साथ।
जल्दी ही इस, संकट से होगा उद्धार,
विश्वास के आधार पर,
होता है चमत्कार....।
तभी तो पत्थर की मूर्ति में ,
दिखते हैं भगवान....।
विश्वास की पतवार से ..,
तूफान में नैया लगती पार।
जीवन के हर मोड़ पर ...,
विश्वास का थामो हाथ...।
विश्वास और प्यार से ...,
बन जाते बिगड़े काम.…।
तभी तो प्रातः नित उठ ...,
करते प्रभु को प्रणाम...।

✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम
9.
गौरव है हिंदुस्तान की

संघर्षों से जीवन भरा
जब दुःख रहे हर छण हरा
लड़ने की शक्ति रखे जो
गरिमा है नारी जहान की
गौरव है हिंदुस्तान की ..
दुःख हंसकर वह सह लेती है
कष्टों को दिल में सेती है
महसूस नही होने देती
जो तकलीफों के खान की
गौरव है हिंदुस्तान की..
जीवन का अर्थ बताती है
भूलें तो राह दिखाती है
माँ बनके चिंता रखती हरदम
प्राण प्रिय संतान की
गौरव है हिंदुस्तान की..
सबकी सुख दुःख सहभागिनी
मोह माया सब त्यागिनी
रक्षा में रहती समर्पित
आन मान सम्मान की
गौरव है हिंदुस्तान की..
हर तूफ़ाँ से लड़ने की रखे शक्ति
जीवन परिपूर्ण कर्तव्य भक्ति
कर्म का शस्त्र लेकर जो रण में
भीड़ जाती तूफान सी
गौरव है हिंदुस्तान की..
सहन शक्ति की सीमा पार
कर जाती कुछ परिस्थिति ऐसी
नारी फिर भी अपनाती है
चाहे हो राह अंगार जैसी
असंभव को कर सम्भव होती
पूज्यनीय भगवान सी
गौरव है हिंदुस्तान की..
महसूस करो व पूछो हृदय से
इक नारी की चोट को
आशा है समझ जायेंगे
अपने अंदर के खोट को
क्यों रही नही परवाह तुम्हें
भारत भविष्य के प्राण की
गौरव है हिंदुस्तान की..
अब करो प्रतिज्ञा जीवन में
नारी का मान बढ़ाओगे
उन्हें मान सम्मान दिल
जग के अरमान जगाओगे
बेटे के खातिर बेटी का
न करना बलिदान कभी
गौरव जो हिंदुस्तान की ।
गौरव जो हिंदुस्तान की।।

✍️ सरिता त्रिपाठी 'मानसी'
  प्रतापगढ़,  उत्तर प्रदेश
10.

* मेरी बिटिया मेरी लाड़ो *

मेरी बिटिया मेरी लाड़ो,
परियों जैसी लागे है,
सो जा सो जा राजकुमारी
क्यों तेरी अँखियाँ जागे हैं ।
मेरी बिटिया मेरी लाड़ो..
नीला अंबर तेरा बिछौना,
चाँद का तकिया लागे है,
चादर तेरी झिलमिल तारे,
फ़िर काहे तू जागे है ।
सो जा सो जा बाबा की प्यारी
क्यों तू निदियाँ से भागे है
मेरी बिटिया मेरी लाड़ो...
सपनों में तेरे परियाँ आएँ ,
गोद में लेकर तुझको झुलाएं      
दुप-दुप करता जगमग जुगनू
झाँक किवडिया भागे है
सो जा सो जा जान से प्यारी
क्यों तेरी अँखियाँ जागे हैं।
मेरी बिटिया मेरी लाड़ो..
बाबा की तू गुड़िया प्यारी,
मैय्या की तू राजदुलारी ।
पूरे घर की खुशियाँ है तू
सो पाये जो माँगे है।
सो जा सो जा राजकुमारी,
क्यों तू निदिया से भागे है।
मेरी बिटिया मेरी लाडो!!

✍️ देवप्रिया 'अमर' तिवारी
दुबई, यूएई
11.

स्वरचित और मौलिक रचना
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 31/05/2021 से 02/06/2021
दिवस :- सोमवार से बुधवार तक
विषय :- चित्रचिंतन
विधा :- स्वैच्छिक
विषय प्रदाता :- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
विषय प्रवर्तक :- आ. कलावती कर्वा जी

बांधा हो पाँव ज़ंजीर से ,
आज़ाद हो सकते हो तुम फिर से ।।
मुक्त होने का जुनून होना
चाहिए दिल से ,
व्यर्थ है ग़ुलामी की साँस
लेना इस शरीर से ।।
कट नहीं सकता ज़ंजीर
काट दो खुद का पाँव ,
ग़ुलामी रहकर अच्छा
है कटा हुआ पाँव में रहें घाव
घाव से भी डर है
तो लाओ कुछ ऐसा भाव  ।
उस भाव से जंजीर से बांधने
वाला भी विवश होकर
बदल लें अपना स्वभाव ,
तब तुम भी मुक्त हो
जाओगे ज़ंजीर से ,
कुछ सीख लो सूर्य कुमार कर्ण और
चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे वीर से ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(13)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 21
Sahitya Ek Nazar
31 May , 2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

लिंक :-

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12.
एक नज़्म

ए कलम चल तू कहीं वीराने में
लिखेंगे जहाँ के दर्द अफ़साने में ।1
खुशबू सी महकी कहीं अंजाने में
बीते पल लौट आये मयखाने में। 2
यूँ ही बेसाख्ता था  कोई दर्द उठा 
आँख मेरी भर आई अंजाने में । 3
साँसे तो चलती रहती हैं अनवरत्,
जिंदगी बीत जाती है तहखाने में। 4
साथ चलने की आरजू चंद कदम
हर कदम मौत प्यार आजमाने में । 5
चलो अच्छा हुआ भरम कोई टूटा
जरा सा सुकूँ मिला अश्क बहाने में । 6
सपने खुली आँखों या गहरी नींद के
तोड ही जाते हैं वजूद तो जमाने में। 7
वक्त लगा हमको बिखर कर सँवरने में
वो फिर आमादा हैं ठोकर लगाने में। 8
गम भुला कर  चाहा चंद पल मुस्काना
बात चुभ गयी उनको लगे बहलाने में । 9
मयस्सर कहाँ है ये खुशियाँ हमको ए मन
लोग लगे है बेवजह बात वो  बढ़ाने में । 10
चलो समेट लो पंख अपने अय पाखी
बाज न आयेगी दुनिया तुझे रुलाने में । 11

✍️ मनोरमा जैन पाखी
मेहगाँव ,भिंड मध्यप्रदेश

13.

''वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया''

इंसान इंसान से घृणा
करता हैं यहां, 
व्यवहार इंसानियत का
तूने अजब कर दिया ||
वाह रे इंसान तुमने गजब कर दिया ||
जाति धर्म में सबको बांटकर तूने,
अलग-अलग सबका मजहब कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
साथ साथ परिवार में खुश रहते थे सभी,
अलग अलग सबका तूने घर कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
आग लगाकर घर में किसी के,
घर से उसे बेघर कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
छोटी छोटी बस्ती हुआ करती थी कभी,
उन बस्तियों का तूने नगर कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
जन्म नाम घर दिया जिसने,
उन्हीं मां-बाप को तूने दरबदर कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
जिंदा रहने पर तूने कदर ना की कभी भी, 
मरने के बाद रो-रो घर भर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||

- ✍️ वीरेंद्र सागर
-शिवपुरी मध्य प्रदेश
14.
पापा खूब भाते हैं
( बाल कविता )

पापा बाज़ार से आते हैं
चॉकलेट, बैलून लाते हैं
  जन्मदिन मेरा मनाते हैं
केक बड़ा कटवाते हैं
  पापा खूब भाते हैं
दूध मुझे पिलाते हैं
  बॉन बीटा डलवाते है
अपने हाथों से खिलाते हैं
रविवार को नहलाते हैं
पापा खूब भाते हैं
  साथ में सुलाते हैं
  कहानी सुनाते हैं
   कविता पढ़ाते हैं
  खूब प्यार जताते हैं
   पापा खूब भाते हैं
   पार्क में घूमाते हैं
    झूला मुझे झुलाते हैं
सवालों को बताते हैं
   रोज़ ज्ञान बढ़ाते हैं
  पापा खूब भाते हैं  ।। 

✍️  नेतलाल प्रसाद यादव  ।
संपर्क- चरघरा नवाडीह, पंचायत-जरीडीह
थाना-जमुआ ,जिला-गिरिडीह (झारखंड)
पिन कोड-815318
व्हाट्सएप-8294129071

यह रचना प्रकाशित करने के लिए है 🙏
15.
खंडहर

देखो देखो! वहां छाई आज  वीरानियां है
जहां कभी मशहूर रही जहां जवानियां है
वो दीवारो ने जोओढ़ रखी खामोशियां हैं
जहां छाई कभी जलवे की मदहोशियां है।
वह दीवारें हमे पुकार कर याद दिला रही
वह चीख चीख हमें कुछ -कुछ बता रही
वह अपनी पुराने किस्सों को दोहरा रही
क्या थे हम क्या हो गए वह ये दिखा रही
यहां भी रोशन ऐ महफिले सजा करती थी
जहां सदा  घुंघरू की थाप सुनाई देती थी
जहां रोशन  हर शाम गुलजार सी होती थी
जहां महकता हुआ सा शमा भी होती थी।
यहां की हर चीज में शान शौकत न्यारी थी
जहां की हर चीज कुछ अलग  निराली थी
लगते थे हर दिन शाम को निराले
से मेले आज छाई विरानी हो गए 
कितने अकेले।
जहां अत:पुर में बसती थी सुंदर नारियां
सौंदर्य से हवा में भी होती थी खुमारियां
कितना सुंदर आहा! दृश्य हुआ करता था
जब राजा -रानी और महफिले सजती थी।
यह खंडहर कभी खुद पे इतना मगरूर था
सानो शौकत भी यहां  दिखता भरपूर था
जहां सिर्फ दौलत सौंदर्य दिखाई देता था
जहां चारों ओर ये जलवा दिखाई देताथा।
ये खंडहर नारियों की चीख भी सुनता था
जहां अत्याचार भी इसे  दिखाई  देता था
नारी कुमारी की इज्जत भी लूटी जातीथी
बाहर उसे दिखाने को वो पूजी जाती थी।
कुछ खुशी कुछ गम भी खुद में समेटे हुए
बने गया खंडहर सब कुछ वह सहते हुए
बता रहा  दौलत ना शोहरत काम आती है
वक्त एक दिन सबको खंडहर बानाती  है।
तो छोड़िए गुरुर कुछ तो ऐसा काम कर ले
जाना है पर इतिहास में नाम अमर कर ले
जितनी हो शक्ति इतनी करें अपनी भक्ति
जीवन हो सार्थक लगाये कुछ ऐसी युक्ति।

✍️ डॉ अरुणा पाठक  आभा रीवा
16.

जीवन में अच्छे संस्कार और आदतों का महत्व

हमारे जीवन में अच्छे संस्कार और आदतों का बड़ा ही महत्व है। अगर हम अच्छे संस्कार अपनाते हैं तो वह हमें अभूतपूर्व सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। और वही बुरे संस्कार और गलत आदतें ,पतन और असफलता के गहरी खाई में धकेल देते हैं ।जहां से हम निकलने का लाख प्रयास करके भी नहीं निकल पाते, यदि हम जीवन में किसी अच्छी आदत को सोच विचार कर बुद्धिमत्ता पूर्वक अपने व्यक्तित्व में शामिल कर ले, तो वह व्यक्ति के स्वभाव में शामिल हो जाती है और हमारी जीवन पद्धति को उच्च बनाने में मदद करती है, और वहीं पर बुरी आदत यदि किसी व्यक्ति को लग जाए तो जीवन पर्यंत उसका पीछा नहीं छोड़ती और उसके स्वभाव में रच-बस जाया करती है और उसकी बहुत-सी असफलताओं का प्रमुख कारण बन जाती है। शिशु की प्रथम शिक्षक उसकी मां होती है और उसकी शिक्षा-दीक्षा जन्म उपरांत ही शुरू हो जाती है। बालक जो घर में वातावरण संस्कार देखता है वही अनकहे रूप में भी ग्रहण करता जाता है ।और उसी के अनुसार उसका चरित्र निर्माण भी शुरू हो जाता है यदि हम उसी समय से उसके अंदर नेक तथा अच्छी आदतों का रोपण, करें तो उनका चरित्र आगे चलकर दूसरों के लिए एक आदर्श बन जाता है किसी भी मनुष्य की 20 वर्ष की आयु ऐसी होती है। जब उसके अंदर संस्कार जड़ पकड़ लेते हैं और वे अच्छे बुरे संस्कार उसके चरित्र में शामिल हो जाते हैं उसके ही अनुसार उसका आचार व्यवहार विचार कर्म भी उसी के मुताबिक होते जाते हैं। कभी-कभी हम बच्चों की छोटी गलतियों को सामान्य कह कर नजरअंदाज कर देते हैं ,पर वही गलतियां धीरे-धीरे विशाल वृक्ष बन जाती हैं और उस विशाल वृक्ष  को उखाड़ फेंकना नामुमकिन नहीं, पर मुश्किल जरूर हो जाता है हमारी पारिवारिक परंपराएं और रीति रिवाज व्यक्ति तथा समाज को प्रभावित करती हैं अगर परंपराएं अच्छी है तो समाज पर इनका अच्छा प्रभाव पड़ता है तथा बुरी है तो समाज को दूषित कर देती हैं बुरी आदतें नदी की धारा के समान ही हैं इन्हें अपनाने में कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती पर छोड़ने में बहुत करना पड़ता है
हेजलेट. ने बुरी आदतों के विषय में एक स्थान पर लिखा है--- मनुष्य के मन से बुरी आदतों की लौह श्रृंखला किसी जहरीले नाग की भांति लिपट जाती है तथा उसके दिल में घातक प्रभाव डालती है और तोड़ मरोड़ कर उसे खाली करती जाती है
इसका नतीजा यह होता है कि वक्त से पहले ही उस व्यक्ति का जीवन समाप्ति की ओर अग्रसर हो जाता है दरअसल बुरे संस्कार उस फिसलन भरी चिकनी ढलान के समान है जिस पर पर अचानक पैर पड़ने के उपरांत मनुष्य कितना भी संभालने की कोशिश करें फिसलता ही जाता है और पतन के उस गहरे गड्ढे की ओर बढ़ जाता है। जहां सिर्फ उसके संस्कारों का और उसकी अच्छाइयों का समापन होता है।
इसलिए हमें अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार और आदतों का विकास करना चाहिए ।

✍️ रेखा शाह आरबी
जिला बलिया उत्तर प्रदेश

17.
कुछ सीखें बातों बातों से
कविता :- 17(49) , हिन्दी

नमन 🙏 :-
तिथि :- 09/09/2020
दिवस :- बुधवार
विधा :- कहानी
विषय :- कुछ सीखें बातों बातों से !

कहानी
कुछ सीखें बातों बातों से !

कोरोना काल से दस साल पहले दो हज़ार नौ , दस की बात है , जब गंगाराम अपने गाँव झोंझी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय से पाँचवी पढ़कर बग़ल के गांव के राजकीय मध्य विद्यालय नरही में छठवीं कक्षा में नामांकन करवाया रहा, वह अपने दोस्त व भानजा मुकेश के साथ अपने अपने साईकिल से विद्यालय एक साथ ही आते जाते ,श्री सच्चिदानंद झा जी उस वक़्त उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर रहें , नाटा होने के कारण लोग उन्हें भुतवा सर कहकर पुकारते , उस समय टिफ़िन के समय विद्यार्थियों अपने अपने बस्ता लेकर घर चलें जाते फिर खाना खाकर आते, कितने तो टिफ़िन के बाद आते ही नहीं, और जो आते नहीं उनका मार्ग रोशन से अंधकार हो जाते, और जब वह अगले दिन विद्यालय आते या तो प्रधानाध्यापक जी नहीं तो कक्षा अध्यापक महफूज सर जी वह इलाज़ करते की, फिर से टिफ़िन के बाद आना ही आना पड़ता , दुर्गा पूजा की छुट्टी से पहले एक दिन अर्चना टिफ़िन के समय गंगाराम के सामने आकर ऊँगली दिखाकर पूछी कि तुम्हारा ,, टाईटल क्या है, यूँ मैथिली भाषा में पूछी रही … कि तोहर टाईटल की छोअ , गंगाराम को लगा कि हमसे पूछ रही है कि मेरी प्रेमिका कौन है, गंगाराम क्या खुश हो गया नदी के निर्मल जल से सागर की ओर एक ही बार में चला गया , फिर उत्तर दिया ,कीछो नैय मतलब कोई न । आरती , चाँदनी, छोटी , ज्योति, पूजा ,दीक्षा, दीप्ती, श्वेता, बबली , मिली, मनीषा व अपने सहेलियों के साथ अर्चना विद्यालय के बगल वाले आम के बग़ीचे में खेलने चली गई , और गंगाराम अपने मित्र मुकेश के पास आया और बोला, जानैय छीही अर्चुआ हमरा स्अ पूछलक कि तोहर टाईटल की छोउ, हम कहलियै कीयो नैय ,तब मुकेश हँसते हुए बोला अरे तोहरा सऽ पूछलको तोहर जाति की छोअ , गंगाराम बोला अच्छा भाई उसे यह पता न जब कक्षा में हाज़िरी होता है 93 ( तिरानवे ) के बाद क्रमांक 94 ( चौरानवे ) जो झा है तो उसे पता न कि हम ब्राह्मण हैं हद है , तब से गंगाराम को जब भी टाईटल की बात याद आते तो उसे अपने दोस्त मुकेश और चमकीले आँखों वाली अर्चना की याद आ जाते, ये सीख उन्हें इन्हीं दोनों के सहयोग से प्राप्त हुआ रहा, जब भी कोई रचना लिखने से पहले रचना का शीर्षक गंगाराम देता है तो वह अपने आप को शर्मिंदा महसूस करता हैं, कि एक वक्त पता न था कि टाईटल , शीर्षक क्या होता है और आज प्रत्येक दिन ही कोई न कोई शीर्षक पर कुछ न कुछ यूँ ही लिख लेते हैं, सब माँ सरस्वती की दया प्रेम और आशीर्वाद है, और उसे वह अनमोल पल याद आ जाता है, जब अर्चना पूछी रही तुम्हारा टाईटल ( Title ) क्या है, क्या वह ज़िन्दगी थी ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
कविता :- 17(49) , बुधवार , 09/09/2020
मो :- 6290640716 , कविता :- 20(13)
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 21
31/05/2021 , सोमवार

https://hindi.sahityapedia.com/?p=130552

https://hindi.sahityapedia.com/?p=130551

18.

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1236480206786232&id=100012727929862

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साहित्य संगम संस्थान
🌹स्वमंतव्यामंतव्यप्रकाश🌹

वरम्विरोधोsपिसमम्महत्मभि:

मैं स्वमंतव्यामंतव्यप्रकाश में आदित्यवार को अपने मन की बात लिखता हूँ। आप सबका स्नेह और आशीर्वाद मुझे लिखने की प्रेरणा और संबल प्रदान करता है। दुष्टों का संग जहां जीवन को बर्बाद करने वाला होता है वहीं विग्रह तो और भी ख़तरनाक होता है। परंतु सज्जनों का साथ जहां जीवन को उत्तरोत्तर उन्नति के पथ पर ले जाता है वहीं यदि किसी कारण विरोध हो जाए तो भी वह वरदान ही साबित होता है। क्योंकि सज्जन होते ही ऐसे हैं। वे किसी भी परिस्थिति में हमारा अहित नहीं करते। यह सज्जनता की सबसे बड़ी पहचान और परिभाषा है। जहां अध्यापन करते हुए न जाने कितने छात्रों का जीवन बनाने का सुअवसर मिला वहीं साहित्य संगम संस्थान के माध्यम से असंख्य लोगों को सम्मानित करने और लिखने-पढ़ने, सीखने-सिखाने का सौभाग्य मिला। यह मैं अपने जीवन में पूर्व जन्म के कृत कर्मों का पुण्य/प्रारब्ध ही मानता हूँ। जब किसी विद्वान और देवी को सम्मानित किया तो इतना आशीर्वाद मिला कि जीवन सात्विकता से भर गया। वहीं यदि गलती से कोई दुष्टात्मा सम्मानित हो गई तो उसने दिन का सुख और रात का चैन छीन लिया। कुछ तो ऐसे मिले कि जिनसे बहुत प्यारा संबंध था पर जैसे ही कोई मौका मिला तो वे अपनी महानता की छाप छोड़ गए। किसी गलत व्यक्ति को विद्या/अलंकरण/संपादन/छंद प्रशिक्षण आदि दे दिया तो उसने सदैव मेरे ही पैर पर कुल्हाड़ी मारकर मुझे अपमानित करने का प्रयास किया और बार-बार यह सोचने पर मजबूर किया कि बहुत बड़ी गलती हो गई। पर आप सभी का संगम सदा ढाढस बढाता रहा।  संगम अगम है, इसमें अनेक रत्न हैं। मैं तो इस संस्थान की सबसे छोटी कड़ी हूँ और सदैव खुद को सेवक मानता हूँ। मुझे एक संत मिले जो स्नेह- प्यार, रिश्तों की अहमियत बताते रहते पर मैं सदैव इन सबसे ऊपर साहित्य सेवा और संस्थान को रखता हूँ। कई बार उन बाबा जी से मेरा मतभेद हुआ पर कभी मैं उन्हें व्यक्त नहीं कर पाया। महामारी के दौरान वे भी पॉजिटिव हो गए और उनके बाद मैं भी। वे पहले अस्वस्थ हुए थे, जीवन और मौत से लड़कर मौत को पराजित कर पहले ठीक हो गए और मैं उनके बाद उनके दिशानिर्देश में और आप सबके आशीर्वाद से स्वास्थ्य लाभ पा गया। जैसा कि मैंने अपने पूर्व आलेख में लिखा था कि बीमारी के अंतिम समय मेरा बीपी बढ़ गया था। जिस कारण नकारात्मकता हावी हो गई थी। इसी मध्य एक विषय को लेकर मतभेद हुआ और मेरी उन संत से बहस हो गई। पहली बार मैंने उनसे बहस की थी। वे बहुत आहत हुए साथ ही मेरी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। मैं भले ही स्नेह- प्यार और रिश्तों को साहित्य सेवा और संस्थान के बाद महत्व देता हूँ पर आख़िर हूँ तो आदमी ही। स्नेह - प्यार और रिश्ते कहीं न कहीं मुझे भी उद्वेलित करते हैं, यह बात अलग है कि मैं रिश्तों आदि को और मानापमान, हानि-लाभ, सुख-दुख को परे रख दीवानों/पागलों की तरह साहित्य और इस संस्थान के विकास में लगा हुआ हूँ। दो दिन बाद मन न माना फिर उनसे संपर्क किया तो पता चला कि वे पुनः भयंकर रूप से बीमार हो गए हैं। उनके अनुसार पूरा शरीर छलनी कर दिया गया है, कभी इंजेक्शन लगाने के नाम पर तो कभी ब्लड सैंपल लेने के नाम पर। मैं द्रवित हो उठा और दृढ़ संकल्प किया कि अब ये कितना भी भड़कें पर जब तक स्वस्थ नहीं हो जाते मैं इनका साथ नहीं छोडूंगा। काहे कि बाबा जी भी जिद्दी कम नहीं हैं। आख़िर आराध्य किसके हैं!!! अब वे पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं और फिर से अपने पूर्ववत फॉर्म में आ चुके हैं। आज उनका सुबह-सुबह आशीर्वाद मिला तो लगा कि दुनिया की सारी न्यामतें मिल गईं। जहां आवेश में आकर वे बहुत कुछ बोले थे जिनकी प्रतिक्रिया मैंने भी इतनी भंयकर बनाई थी कि यदि वह भेज देता तो अनर्थ हो जाता। पर मैं सदा कहता हूँ न कि साहित्य सेवा करते हुए मुझे सदैव उस नियंता का अहसास होता है, प्रतिक्रिया भेजने ही जा रहा था कि एक देवी का फोन आ गया। ये वही देवियां हैं जिनकी नवरात्रों में मैने/हमने पूजा की थी। लोगों को जड़ देवियां और देवता लाभ पहुंचाते हो या न हों पर ये सजीव देवियां मुझे अपना आशीर्वाद अवश्य प्रदान कर रही हैं। यह फोन भी वैसा ही था जैसा अनुजा सुमति श्रीवास्तव का आया था, अप्रत्याशित नए नं० से। मेरी आदत नए नं० से फोन न उठाने की होने के बावजूद न जाने क्यों फोन उठा लिया। लंबी वार्ता के बाद उन्होंने संत जी को किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से मना किया। मैंने अपने आवेग को किसी तरह शांतकर देवी जी का आदेश शिरोधार्य किया। आज उसका सुपरिणाम मैं साक्षात् देख रहा हूँ। जहां बाबा जी बहुत कुछ बोले थे, जिससे मैंने सोच लिया था  कि अब ये भी अन्यों की तरह मेरी बुराई करेंगे समाज में। वे सारी बातों को भूल पुनः अपने साहित्य हितैषी अंदाज़ में पुनीत भाव से लग गए। वे जब मुझे आशीर्वाद देते हैं तो लगता है संसार की सारी खुशियां मुझे मिल गईं। मुझे छब्बीस साल पहले पढ़ा किरातार्जुनीयम् का वह श्लोक याद आ गया कि संतों के संग विरोध भी वरदान साबित होता है। मैं अपने जीवन में सदा ही उनका आशीर्वाद चाहता हूँ और सदा प्रार्थना करता हूँ कि साहित्य संगम संस्थान को फलता-फूलता देखकर वे सदैव आह्लादित होते रहें। अब आपने इतना पढ़ ही लिया है तो मेरे दो प्रश्नों के उत्तर प्रतिक्रिया में दीजिए, कि वे संत कौन हैं और वह देवी कौन है? लेख से न समझ में आए तो खोजिए और आप भी कोई ऐसा संत तलाशिए जिससे वैर होने पर भी वह आपका उपकार ही करे।

✍️ राजवीर सिंह मंत्र जी
राष्ट्रीय अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली



रोशन कुमार झा




बहन से आख़िरी बात

कविता :- 17(50)
नमन 🙏 :-
दिनांक :- 10/09/2020
दिवस :- वृहस्पतिवार
विधा :- कहानी
शीर्षक :- बहन से आख़िरी बात

कोरोना काल से दस साल पहले दो हज़ार दस , कार्तिक मास
काली पूजा, छठ पूजा के बाद की बात है , गंगाराम, तोताराम, अंतिमराम तीनों भाई के बाद तीन पर से एक फ्री बहन तनु की बात करते हैं, रोशन , राहुल, राजन और तनु भाई बहनों में वह प्रेम था कि क्या वर्णन करूँ , मिथिलांचल में मैथिली भाषा में कहें जाते है, ठेठर बेटा आग लगाबेए, तेतर बेटी राज लगाबेए , मतलब तीन बेटियां के बाद जो बेटा होता है वह राज्य को नष्ट कर देता है, और तीन बेटों के बाद जो बेटी होती है वह राज्य को लगाती है, 20 नवम्बर 2003 गुरुवार को जन्मी तनु राजकीय प्राथमिक विद्यालय झोंझी के दूसरी कक्षा के छात्रा अपने जन्मदिन और 20 नवंबर 1999 को जन्मा मझला भाई राहुल , दोनों के वर्षगांठ एक ही दिन पड़ता , उससे पहले निर्मल दीदी की बेटी गुड़िया बहन की जन्मदिन चौदह नवंबर चाचा नेहरू जी के बाल दिवस के दिन ही पड़ता , राजन का पाँच मई आनंद का 28 मई , रोशन तो एक अक्टूबर 1997 जन्मा पर वर्षगांठ एक अक्टूबर न 1999 के तेरह जून को ही हर वर्ष मनाते हैं, पर तनु बहन अपनी सातवीं वर्षगांठ मनाने से दो दिन पहले ही वृहस्पतिवार 18 नवंबर 2010 को ही दुनिया छोड़कर चली गई, यूं तो जॉन्डिस के शिकार से , अन्तिम वक्त माँ अपने गांव पचदही , राजनगर , रामपट्टी , कैथाही के भैरव स्थान भी गई, जहाँ माँ की हर एक मनोकामना पूरी हो जाती वहां के पुजारी बाबा भी बता दिए कि अब आपकी बेटी नहीं बच पायेगी, कोई नज़र लगा दिया है , धन्यवाद उस माँ की जो घर परिवार से ये बात छिपाते हुए अपनी संतान की इलाज़ करवाने में लग गई , उसके बावजूद भी तनु बहन नहीं बच पायी , और देवउठनी एकादशी के सुबह लगभग आठ बजे अन्तिम सांस लेते हुए चल पड़ी , उस वक्त गंगाराम राजकीय मध्य विद्यालय नरही में पढ़ता रहा , वह मिली मनीषा आठवीं , कंचन नौवीं , गंगाराम सातवीं कक्षा में एक ही साथ अपने अपने साईकिल से लोहा के अवधेश सर के न्यू एक्टिव कोचिंग सेंटर में सुबह को पढ़ने जाते , छठ पूजा के बाद जब बहन तनु की हालत बहुत ख़राब हो गई , रात के दो बजे से ही तड़पने लगी, भूख , भूख करती रही , जोंडिस होने के कारण दादी माँ चावल में पानी और नमक मिलाकर देती रही और वह खाती रही, कहती रही हमको और भूख लगा है , पानी पर से पानी पीती रहीं, बोलती ही रह गयी छठ पूजा के प्रसाद दो , पर तबीयत खराब होने के कारण उसे प्रसाद तक नहीं दिया गया, कुछ दिन पहले हुई भरदुतिया में निर्मल दीदी के बेटा मुकेश भईया , रूबी दीदी की ऋषि सब भाईयों के साथ गंगाराम भी प्रीति गुड़िया , खुशी बहन राजेश चाचा आंगन में और मुनचुन अमिषा, मिली मनीषा , नीषा मौसी व बहनों के साथ तो भरदुतिया पर्व मनाया पर अपनी बहन तनु अपने भाईयों के माथे पर तिलक नहीं कर पायी रही , जिसका कारण रहा लीवर कटाने उसे पिता साईकिल पर बैठकर सप्ता मधुबनी ले गया रहा , आते वक्त साईकिल के रिम में पांव फंसने के कारण कुछ ज़्यादा ही पांव कट गया रहा, जिसके चलते गंगाराम बहन तनु को साईकिल पर बैठाकर पैदल ही माँ पापा के साथ ले लोहा तक ले गया, गंगाराम को कोचिंग जाने का मन नहीं रहा, जिसके चलते वह बार बार बहन को जो तो कहता रहा मैथिली में नीक सऽ बैठ , मतलब ठीक से बैठों, शायद बहन जानती रही की अब तो हम रहेंगे ही नहीं , सब सुनती रही , जहां जहां मंदिर आते माँ बोलती बेटी हनुमान जी, काली जी को प्रणाम कर लो , वह बेचारी ज़ोर ज़बरदस्ती करती रही, कहा जाता है नीलकंठ के दर्शन से हर काम बन जाता फाटक नरही जाने की मोड़ के बाद परौल के तरफ ईंट भट्टा के तरफ माँ की नज़र उस नीलकंठ भगवान पर पड़े , फिर माँ बोली बेटी प्रणाम कर लो वह फिर प्रणाम कर ली शायद यह सफ़र उसका झोंझी गांव से अंतिम सफ़र रहा , गंगाराम बार बार कहता रहा कोचिंग का देरी हो जाएगा , इस तरह टोलवा , नहर पार करने के बाद लोहा के मुख्य सड़क पर जाने से पहले माँ बोली गंगाराम से तनु को पापा गोदी में ले लेते हैं और तुम कोचिंग चले जाओ ,गंगाराम भारी मन से बहन को उतार दिया और साईकिल चलाकर आगे बढ़ गया, कोचिंग जाने का मन तो रहा नहीं तो वह बलईन के रास्ते नहर से वह कुछ समय इधर उधर करके घर चला गया , वह स्थान बड़े पक्का के हो गए हैं पर याददाश्त आज भी है , जब गंगाराम उस स्थान से गुजरते है तो अपनी बहन की याद आ जाते हैं , जहाँ वह अपनी बहन से दूर हुए रहें , बेचारी न तो काली पूजा की मेला देखी और न ही छठ पूजा और देवउठनी एकादशी के प्रात: ही दुनिया छोड़कर चली गई, एकादशी के रात में फूस वाले घर में माँ काली भगवती के पास बड़े भाई गंगाराम अपनी बहन की रक्षा के लिए धूप अगरबत्ती जलाते रहे, माँ पूनम , पिता श्रीष्टु तनु के साथ अस्पताल में ही रहें , और दादी माँ और माँ एकादशी की व्रत रही , जिसके कारण लड्डु दीदी, के घर में ही बने खाना खाकर व्रत तोड़कर फूल देवी अपने पोती से मिलने मधुबनी गयी , दादी मधुबनी जैसे ही पहुंची , तब तक तनु , पिता और माँ के साथ लाश बनकर भगवान जी के जीप में आयी, जीप वाला ज़्यादा रुपये नहीं लिए क्योंकि विजय मिश्रा मौसा जी बात किये रहें , लोहा हाट में भगवान जी के जीप को शुभ माना जाता था,पर कब कौन किसके लिए शुभ हो जाएं और कौन कब किसके लिए अशुभ हो जाएं , कौन जानता है , बड़े भाई उस वक्त गोलू दीपक झा के छत पर विनोद भईया के बेटी रीतू को दी हुई बीस रुपया मांग रहे थे कि हम आज बहन से मिलने जाएंगे, तभी अचानक गंगाराम की नज़र जीप पर तो पड़ी ही पड़ी पर पिता जो साईकिल से गये रहे , वह साईकिल जीप के ऊपर रहा उसका नज़र साईकिल पर पड़ा और वह खुश होकर आया कि बहन आ गयी , जैसे ही जीप के पास से रोने की आवाज़ आयी रोशन दिल से टूट पड़ा , यहां तक की बहन को बाड़ी में ही धूल कंकड़ के पास ही रख दिया गया , ललन काका जानते हुए भी बिना बताएं दादी को मोटरसाइकिल पर बैठाकर लाएं, आते ही दादी घर परिवार के साथ रोने लगी, अंतिम संस्कार के यात्रा में ललन काका उसे कंधे पर रखकर ब्रह्मा स्थान के ठीक सामना सामनी वाले आम के बग़ीचे जो उसकी माँ अपनी ज़ेवर सब बंधक में लगाकर सुटू काका से खरीदें रहें, उस आम बाग़ान के प्रवेश द्वार पर मालदह आम के पास तनु की लाश को रख दिया , भाई गंगाराम अपनी बहन को बार बार देखता रहा , जहाँ से खून चढ़ाया गया रहा , वह चींटी लगा रहा उसे वह बार बार साफ करता रहा , अंतिम संस्कार में अपने घर से सिर्फ बड़े भाई ही आया रहा , सभी गंगाराम से पूछा कहां अंतिम संस्कार किया जाएं , तो भाई गंगाराम दिगम्बर भईया और बैजू चाचा के बग़ीचे के कोने वाले स्थान को उपयुक्त माना और वहीं तनु बहन को गंगाराम अग्निदान देकर दाह संस्कार किया , और ब्रह्मा स्थान के पोखर तालाब में ही स्नान करते हुए घर आएं, दाह संस्कार वाले गंगाराम उस स्थान को उपयुक्त इसलिए माना , क्योंकि जब एक साथ ही बीस आम के पेड़ लगाया गया रहा , सब पेड़ बड़े हो गए पर उस कोने वाला पेड़ बढ़ ही नहीं रहा था , जिसके चलते फिर से दो साल पहले दुर्गेश चाचा के और अपने पिता के साथ गंगाराम मिथिलांचल नर्सरी से तीन आम के पेड़ लाया रहा , दो बाड़ी में और एक पेड़ आम बाग़ान में लगाया , पर बहन की मृत्यु के बाद वह कोने वाला पेड़ भी और जो नया लगाया गया रहा वह भी सुख पड़ा , यहां तक कि जिस पेड़ के लकड़ी से जलाया गया रहा वह आम के पेड़ आज तक रोता हुआ महसूस करता है वह पेड़ भी एक कोने में था पर वह पेड़ गुणों से भरपूर था आम बड़े छोटा होता था पर वह मिठास की क्या बताऊं, उस बग़ीचे के सबसे लंबे पेड़ भी वही थे , पर अपने बहन तनु के न रहने पर भाई गंगाराम रक्षाबंधन पर अपने कलाई को खाली ही रखतें हैं , जबकि जो जो बहन पहले राखी बांधती वह आज भी भेजती है पर गंगाराम वह राखी पुस्तकों में लगा लेते पर खुद नहीं पहनते , और न ही भरदुतिया के पर्व मनाते , चार साल बाद गंगाराम की चाची ,राखी ,आनंद वही अंशू , रूपम , आनंदनी ,की माँ , अरूण चाचा के जीवनसाथी सुधा भी दिल्ली में ही दुनिया छोड़कर चली गई, उस वक़्त गंगाराम कोलकाता में टिकियापाड़ा श्री नेहरू शिक्षा सदन, हावड़ा हिन्दी हाई स्कूल के बाद, घुसड़ी हनुमान जुट मिल हिन्दी हाई स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ता रहा , उसके बाद से चाचा के लड़का – लड़की गाँव पर रहने लगे , गंगाराम पेड़ पौधे लगाने के शौक़ीन थे साथ साथ राहुल, राजन, बहन तनु भी अपने अपने बाड़ी में ही बाड़ी बनाकर पेड़ पौधे लगातें और कहते ये मेरा कोलम है , मैथिली में बाग़ बग़ीचा को कोलम कहा जाता है, भले आज वहां वह कुछ पेड़ है कुछ पक्के घर बनने के कारण नहीं है , पर वह पर आज भी जिंदा है जो आंखों में हमेशा बसा हुआ है , बहन की मृत्यु के बाद हम तीनों भाइयों माँ पापा के साथ दो हज़ार ग्यारह से पश्चिम बंगाल हावड़ा के फकीर बगान पीलखाना में छोटा घर फिर फूल बाबू चाचा यहां , फिर बामनगाछी दिलीप दत्तो बाड़ी झील रोड़ , उसके बाद कमलेश अंक्ल के यहां , फिर शिशु विद्यापीठ के पास वेलगछिया रोड़ में दो तल्ला दो हज़ार चौदह में , फिर दीपक भईया झील रोड़ के बाद 51/9 कुमार पाड़ा लेन लिलुआ सुभाष दा बाड़ी नीचे फिर ऊपर उसके बाद बंटी भईया मामा यहां वेलगछिया रोड़ सुभाष भईया पास के बाद अभी मीरपाड़ा रोड़ आशीर्वाद भवन लिलुआ में रहकर बहन की याद करते हुए ज़िन्दगी की सफ़र कर रहे हैं गंगाराम, कोलकाता में स्थान दिलाने में , काली भईया , राजू चाचा पापा के मित्र, पापा के मामा सब बहुत योगदान दिए, प्रकाश भईया , मंटू भईया भी अपने साड़ी फैक्टरी से साड़ी के धागा काटने का काम दिए , उन लोगों का योगदान से ही गंगाराम आगे बढ़ रहा है ,चाची की मृत्यु के बाद दो तीन साल बाद राखी बहन की शादी रोशन से रामनगर में हो गई, उस वक्त गंगाराम बारहवीं ,कला से सलकिया विक्रम विद्यालय से पढ़ता रहा , राहुल हावड़ा जनता आदर्श विद्यालय से दसवीं पास किया, अमीर हसन सकुर अहमद कॉलेज, वाणिज्य से ग्यारहवीं कक्षा तक पढ़ा , उसके बाद अपनी माँ की बड़ी दीदी बरहारा वाली दीदी के बेटा आशीष मामा के कारखानों मुंबई में काम करके जीवन यापन करने लगा , अपना मामा संजय मुंबई में ड्यूटी के दौरान जान गंवाए रहें, और एक मामा बिकन को किसी से मतलब ही नहीं , एक बार तनु बहन दुर्गा पूजा समय में कोलकाता अपने भाई राजन और माँ के साथ पिता जी के पास आया रहा कुछ दिन बड़ा बाज़ार में उसके बाद राजन व तनु अपने गांव के तरफ से चाचा और नानी गांव के तरफ से नाना, क्योंकि माँ की छोटी बुआ के पति भविन्द्र फूफा के पास बेहरा कालीघाट में रहने लगे, भाई राजन और बहन तनु की फोटो आज भी है एक साथ , और एक फोटो में माँ और पापा है , एक ही महीना में भविन्द्र चाचा व नाना राजन व तनु को दोस्त दोस्त कहने लगे, वही तनु की छोटा भाई राजन नेहरू के बाद सलकिया विक्रम विद्यालय में नौवीं , आनंद आठवीं में पढ़ता है, इस साल दो हजार बीस में हुए चारों भाइयों के जनेऊ व दादी की एकादशी यज्ञ से एक दिन पहले कुमरम दिन पाँच मार्च को अपने आम के बग़ीचे में जाकर गंगाराम अपनी बहन तनु को याद करके रोये , फिर नमन करके घर वापस आ गए , उससे एक दिन पहले वाली रात में जब बलिदान के लिए परीक्षा नहीं लेता रहा तो गंगाराम अपनी बहन तनु , चाची सुधा और अपने बाबा स्वर्गीय श्री केदार नाथ को याद किए , तभी ही छागल परीक्षा लिया, इस जनेऊ में गंगाराम का आचार्य मंगनू चाचा , गुरु पीसा भोगेन्द्र ,दादी माँ बाल ली , राहुल का आचार्य भविन्द्र नाना वही चाचा , गुरु दिल्ली से आएं कुमर छोटा नाना , कपसिया वाली मौसी बाल ली, राजन का आचार्य श्रीष्टु अपने ही पिता , गुरु राखी की ससुर , निर्मल दीदी केश ली , और आनंद का आचार्य अपने ही पिता गंगाराम का चाचा अरुण , गुरु राखी बहन की पति रोशन जीजा , नानी कुमदिन देवी बाल ली , दादी की आचार्य गंगाराम के गुरु , और गुरु रहें आनंद के गुरु इस तरह जनेऊ का कार्यक्रम हुआ , दादी की यज्ञ में नारियल न होने के कारण बड़े भाई मुकेश के सहयोग से बाँस लगाकर नारियल तोड़ा यह नारियल का पेड़ भी बंगाल का ही है जब एक बार माँ गंगाराम और राहुल साथ कोलकाता गये रहे बड़ा बाज़ार घर के बग़ल में एक बंगाली कन्हैया जी रहते थे वही दो नारियल के पेड़ दिए रहें एक तो छोटा में ही सुख गए और एक आज भी हरा भरा है , यज्ञ के दौरान सब सोया पर गंगाराम दादी की यज्ञ के अंत तक जगा रहा , फिर चाचा साथ गाय लाने विनोद भईया पास गया और लाया प्रकृति भी अपनी आशीर्वाद वर्षा के माध्यम से वर्षायी , दस मार्च को होली का पर्व भी रहा , इस जनेऊ में कोलकाता लिलुआ से बलिया वाला संजय अंक्ल और आंटी भी आयी रही उन्हें भी खेत , आम के बग़ीचे दिखाने ले गए , इसी सब दुख के कारण गंगाराम विगत तीन वर्षों से 11 व 12 वीं कक्षा के विज्ञान व वाणिज्य के छात्र-छात्राओं को हिन्दी विषय व कला विभाग के समस्त विषयों को निःशुल्क पढ़ाते आ रहे हैं ,इस सेवा के लिए 2020 में साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली से बृहस्पति सम्मान, राष्ट्रीय अग्रसर हिन्दी साहित्य मंच से डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन साहित्य सम्मान , प्रतिध्वनि साहित्य से प्रतिध्वनि आदर्श शिक्षक सम्मान से सम्मानित हुए , संग – संग 31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी फोर्ट विलियम कोलकाता-बी
,कम्पनी -5, पंजीकृत संख्या – WB17SDA112047, चंदन शिक्षा संस्थान , अपने गुरु अमिताभ सिंह बच्चन सर की सेवा करते हुए विश्व साहित्य संस्थान के एक रचनाकार , कलकत्ता विश्वविद्यालय , सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, श्री शिक्षायतन कॉलेज , दमदम सरोजिनी नायडू कॉलेज फॉर वुमेन, (2020) 74 वें स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर बंगवासी मॉर्निंग कॉलेज के द्वारा की गई हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता में उच्च अंक पाने व अपनी रचनाओं के लिए प्रमाण पत्र हासिल किए, नरसिंहा दत्त कॉलेज सेंट जॉन एम्बुलेंस , प्राथमिक उपचार , द भारत स्काउट और गाइड ,पूर्व रेलवे हावड़ा जिला वेरियांग स्काउट और गुलमर्ग गाइड बामनगाछी समूह , रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना ,ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा , महिला सुरक्षा संगठन बंगाल, बिहार युवा विकास मंच मधुबनी जिला उप मीडिया प्रभारी, ब्रिगेड ऑफ एक्स कैडेट्स , ( बीओसी ) पश्चिम बंगाल और सिक्किम, कोलकाता एन.एन.बी एंड जी .एस संस्था राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंक़लाब न्यूज़ मुंबई, पश्चिम बंगाल राज्य स्तरीय पत्रकार होकर वह तनु की भाई गंगाराम साहित्य सेवा के साथ साथ लोकसेवा करते आ रहें हैं , और अपनी बहन की पुण्यतिथि पर हर एक वर्ष उसकी छवि व चाची की छवि को याद करते हुए आँसू के साथ एक नव रचना कर बैठते हैं, अमर है वह भाई बहन और अमर है यह बहन से आख़िरी बात कहानी ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716






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