कविता :- 20(16) , वृहस्पतिवार , 03/06/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 24, किताब सम्मान पत्र, उचाट उपन्यास , ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय

साहित्य एक नज़र 🌅






कविता :- 20(16)
मधुबनी से रचना , उचाट उपन्यास
नमन 🙏 - साहित्य एक नज़र 🌅
मो - 6290640716
🚲🚴 🚴‍♀️🌍 🌅
विश्व साईकिल दिवस
বিশ্ব বাইসাইকেল দিবস
World Bicycle Day

मैं ग़रीब का साथी हूँ ,
बड़ा काम आती हूँ ।।
न डीज़ल न पेट्रोल
मैं खाती हूँ ,
बस पैदल ( पेडल )
मारने पर आगे जाती हूँ ।।

आज तीन जून
विश्व के लिए आज
हमारा दिवस है ।
दूर जाने के लिए
रेलगाड़ी , हवाई जहाज
और बस है ।।
मुझे चाहने वाला
एक न दस है ।
मंजिल तक पहुंचाना
ही हम साईकिल की
लक्ष्य है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
गुरुवार , 03/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(16)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 24
Sahitya Ek Nazar
3 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

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[28/05, 19:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/ifjz/
[03/06, 10:00] +91 : भाई साहब सादर नमस्कार
[03/06, 10:00] +91: में फेसबुक में कमेंट नही कर पा रहा हु
[03/06, 10:00] +91: कुछ मदत कीजिये
[03/06, 10:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏💐
[03/06, 10:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: आपका तो दिख रहा है ।
[03/06, 10:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: और आप अगले अंक के लिए भेजिए
[03/06, 10:02] +91 : हाँ पर में कमेंट नही कर पा रहा
[03/06, 10:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: देख रहे हैं ।
[03/06, 10:03] +91 : मैने कल भेज रखा है किसी के द्वारा
[03/06, 10:03] +91 : कल छपा नही था
[03/06, 10:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: तीन दिन बाद ही प्रकाशित होगी
[03/06, 10:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: पोस्टर पढ़िए
[03/06, 10:06] +91 : जी
[03/06, 10:26] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐

[03/06, 18:01] +: सोच रहा हूँ किस तरह से संस्कृत को पढ़ाऊँ में,
किस तरह से पाश्चात्य की मानसिकता को मिटाऊँ में।
किस तरह से नव सृजनों को अपनी बात बताऊँ में,
अंग्रेजों की अंग्रेजी को किस तरह से भुलवाऊँ में।।

किस तरह से कालिदास की रचनाओं को गुनगुनाऊँ में,
किस तरह से पाणिनी के सूत्रों को सिखलाऊँ में।
किस तरह से साहित्य की महत्ता को बतलाऊँ में,
किस तरह से वेदांत की परिभाषा को समझाऊँ में।।

किस तरह से वेदाङ्गों के भावों को बतलाऊँ में,
किस तरह से उपनिषदों के गूढ़ रहस्य समझाऊँ में।
किस तरह से न्याय सांख्य के भेदों को बतलाऊँ में,
किस तरह से मीमांसा में धर्म,ब्रह्म को बतलाऊँ में।।

किस तरह से संस्कृत को जन जन तक पहुँचाऊँ में,
किस तरह से संस्कृत के गौरव को बतलाऊँ में।
किस तरह से देववाणी को हर मानव तक पहुँचाऊँ में,
किस तरह से अमर भाषा के वैभव को बतलाऊँ में।।

किस तरह से राजभाषा की वास्विकता को बतलाऊँ में।
सरकारों के छल छदमो को किस तरह से दिखलाऊँ में।।

     डॉ0 जनार्दन कैरवान
     ऋषिकेश उत्तराखंड
[03/06, 18:03] +91 : भाई साहब मैने ये रचना कल किसी और के माध्यम से फेसबुक कमेंट में भेज दी थी पर न कल और न आज इसको स्थान मिल पाया है।
और में कमेंट भी नही कर पा रहा हूँ।फेसबुक में मैने सुबह भी आपको बताया था,जरूर सहयोग करें
[03/06, 18:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: सर तीन दिन में एक ही दिन स्थान मिलता है आप देखिए पत्रिका और पोस्टर
[03/06, 18:19] +: Ok🙏
[03/06, 23:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐
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[03/06, 20:02] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: मजदूर हूं साहब"

मजदूर हूं मैं,
मजबूर नहीं।
किसी और सा,
मगरूर नहीं।
हालात हों जैसे,
जीवन में।
यदि राग द्वेष,
आए मन में।
फिर भी मजबूत,
बना खुद को।
हालात से,
लड़ता आय हूँ।
सबके चेहरे को,
खुश रखने।
मैं खुद ही,
हंसता आया हूँ।
है किया बहुत,
मेहनत मैने।
सबके सपने,
साकार किए।
सब ख़ुश हों,
खुद में खोए हैं।
अब मुझको ही,
दुत्कार दिए।
दो वक़्त की,
रोटी के खतिर।
अब भी वही,
मजदूर हूँ मैं
अब भी वही,
मजदूर हूँ मैं।।
       केशव कुमार मिश्रा
         मधुबनी,बिहार।
[03/06, 20:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏 अछि
[03/06, 21:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/Csqy8X67NcqIRnbqeFQ0bz
[03/06, 21:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: फोटो भेजब
[03/06, 21:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/301655748263875/?sfnsn=wiwspmo
[03/06, 21:33] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: Ki Hal chal aichh
[03/06, 21:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर छी ने
[03/06, 21:33] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: अपने कोलकाता में रहै छी की
[03/06, 21:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक छैय अप्पन कहुं
[03/06, 21:33] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: Ok
[03/06, 21:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[03/06, 21:34] Roshan Kumar Jha, रोशन: शामिल भोअ जाऊ
[03/06, 21:34] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: अपनो कुशल अछी
[03/06, 21:34] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: Ok
[03/06, 21:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: 👍👍👍👍
[03/06, 21:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: आजुक हम अपलोड कअ देनोऊ
[03/06, 21:38] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: जी बहुत बहुत धन्यवाद
[03/06, 21:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[03/06, 21:48] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: Online कवि gosthi होइ t smbhv ho to bata del karab
[03/06, 21:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर 🙏🙏🙏🙏
[03/06, 21:58] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: E nai Dekha rahal ye akhan
[03/06, 21:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक दू दिन में देखबअ लागत
[03/06, 21:59] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: Ok
[03/06, 21:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: काईल अहा के रचना प्रकाशित भोअ जेएत
[03/06, 21:59] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: हम एगो निजी विद्यालय में अध्यापक छी आ अधिवक्ता सेहो छी।
[03/06, 22:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: वाहहह 🙏🙏🙏🙏🙏💐

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[03/06, 21:20] कलावती कर्वा दीदी जी 🙏: 5 जून को साहित्य संगम संस्थान के महागुरु देव आ० डॉ राकेश कुमार सक्सेना जी का जन्मदिन है... संगम में किसी को शायद पता नहीं है मेने उन्हें अपनी इकाई के कार्यक्रम काव्य पाठ में आमंत्रित किया तब उन्होंने मुझे बताया कि 5 जून को मेरा जन्मदिन भी है सो हम लोग उस दिन हमारे कार्यक्रम में उनका जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाएंगे आप अपनी तरफ से गुरुदेव को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देने की तैयारी कर लीजियेगा... ग्रुप में इसलिए नहीं लिख रहे है कि बंगाल इकाई के पदाधिकारी सब मिलकर उनका जन्मदिन मना रहे है... बंगाल इकाई के पदाधिकारी के अलावा अभी किसी को नहीं बतायेंगे उसी दिन ही सबको पता चलेगा...
[03/06, 21:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐 दीदी जी 🙏

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साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
व्हाट्सएप ग्रुप

[03/06, 17:58] B Sunita Mukherjee साहित्य: बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय अनुज 🌹🌹
[03/06, 18:10] अर्चना जी साहित्य: 👌🏻👌🏻
[03/06, 18:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् दीदी जी
[03/06, 18:33] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 धन्यवाद दीदी जी 🙏💐
[03/06, 19:33] आ. रजनी हरिश जी: 👌👏👏👏👏.....
[03/06, 20:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
[03/06, 21:13] मनोज कुमार पुरोहित जी 🙏: रोशन ने नाम को सार्थक कर दिया
धन्यवाद भाई
[03/06, 21:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप सभी का आशीर्वाद है - 🙏💐

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[29/05, 08:51] आ. नेतलाल प्रसाद जी: पापा खूब भाते हैं
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                    (बाल कविता

पापा बाज़ार से आते हैं
चॉकलेट, बैलून लाते हैं
  जन्मदिन मेरा मनाते हैं
केक बड़ा कटवाते हैं
  पापा खूब भाते हैं
दूध मुझे पिलाते हैं
  बॉन बीटा डलवाते है
अपने हाथों से खिलाते हैं
रविवार को नहलाते हैं
पापा खूब भाते हैं
  साथ में सुलाते हैं
  कहानी सुनाते हैं
   कविता पढ़ाते हैं
  खूब प्यार जताते हैं
   पापा खूब भाते हैं
   पार्क में घूमाते हैं
    झूला मुझे झुलाते हैं
सवालों को बताते हैं
   रोज़ ज्ञान बढ़ाते हैं
  पापा खूब भाते हैं  ।। 
                              नेतलाल प्रसाद यादव  ।
संपर्क-
चरघरा नवाडीह, पंचायत-जरीडीह
थाना-जमुआ ,जिला-गिरिडीह (झारखंड)
पिन कोड-815318
व्हाट्सएप-8294129071
नोट- यह मेरी मौलिक और अप्रकाशित कविता है ।
[01/06, 08:59] आ. नेतलाल प्रसाद जी: मान्यवर,
        यह मेरे मित्र की रचना है ,जिसे भेज रहा हूँ और प्रतिदिन अखबार का प्रचार प्रसार कर रहा हूँ, आशा है आपको पसंद आयेगी ।

नारी तुम जीवन की परिभाषा हो (कविता)
नारी तुम ममता की मूरत
मन का अनुबंध हो
प्रेम का प्रबंध हो
कोयल सी लगती है बोली
तुम जीवन की परिभाषा हो
जीवन को अंकुर देकर
माता बनकर उर्जित हो
खुशियों की भण्डार हो
तुम ही संपूर्ण परिवार हो
परिवार की शान हो
तुम ही जगत की उत्थान हो
प्रेम का सागर है तुममें
रंग भरी फिर होली
घर की मर्यादा है,तुम ही से
प्रेम पूर्ण की वादा हो
खुशियों की ईरादा हो
सब कुछ है तुम्हारे अंदर
लगती हो, सृष्टि में सुंदर ।।
                     
                         गोपाल रजक(सहयोगी शिक्षक)
उत्क्रमित उच्च विद्यालय गादी श्री रामपूर गिरिडीह, झारखंड ।
[01/06, 09:00] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागत है इनका
[01/06, 09:01] आ. नेतलाल प्रसाद जी: सुप्रभात सर
[01/06, 09:02] आ. नेतलाल प्रसाद जी: स्नेहिल धन्यवाद आपको
[01/06, 09:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏 सर जी 🙏
[01/06, 09:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[01/06, 09:02] आ. नेतलाल प्रसाद जी: किस अंक में लगा देंगे
[01/06, 09:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: 22 आज की अंक में ही देखते है ।
[01/06, 09:03] आ. नेतलाल प्रसाद जी: शुक्रिया
[01/06, 09:04] आ. नेतलाल प्रसाद जी: ह्रदय से
[01/06, 09:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[03/06, 18:35] आ. नेतलाल प्रसाद जी: {मुख्यमंत्री का दौरा}

आज जब मैं अपने घर से ड्यूटी के लिए निकल रहा था, तब दो आखें नम थीं, वे चाह रहीं  थीं कि मैं उन्हें छोड़ कर न जाऊँ, लेकिन
जहाँ बेदर्द हाक़िम हो वहाँ फरियाद क्या करना, लिखा परदेस किस्मत में वतन की याद करना|
हम ठहरे ऐसे आम लोगों में, जो जन्म से ही अभावों में जीवन जीने के लिए विवश ,दो जून की रोटी व सिर छुपाने के लिए  एक छोटे से आशियानें की जतन के लिए हर दिन जद्दोजहद करते रहते हैं, उन लोगों की तरह नहीं जिनके आगे पीछे दाएँ बाएँ ऊपर नीचे हर तरफ धन  ही धन का स्रोत दिखायी देता है, बहरहाल वियोग से विमुख होकर यात्रा के लिए छोटे भाई को साथ लेकर निकला, छोटे भाई को इस लिए साथ लेना पड़ गया क्योंकि कोरोना कर्फ़्यू के कारण सभी वाहन बन्द हो गये हैं, छोटे भाई के साथ बीस किलोमीटर की यात्रा संपन्न करने के बाद , रोडवेज पकड़ना था, अभी बसड्डे तक पहुँच भी नहीं पाया था कि बस आ गयी, भाई को विदा करते हुए दौड़ कर बस पकड़ने में सफल हुआ| बस में चढ़ते ही नजरें खाली सीट को ढूंढने लगी जिस पर  बैठकर आराम से यात्रा की जाय| आखों की खोज पूरी हुई ,बस के पिछले भाग में दो तीन सीटें खाली थी जिसमें से एक  सीट पर मैं बैठ गया, बैठते ही परिचालक महोदय ने टिकट पकड़ा कर पैसा मागा ,मैंने उन्हें सौ रूपये का एक नोट पकड़ाया जो थोड़ी सी पुरानी व कटी हुई थी|उस नोट को उन्होंने लेने से इनकार कर दिया कहा दूसरी दीजिए यह नहीं लूंगा |फिर मैंने उन्हें दो सौ रूपये की नयी नोट पकड़ाया जिसमें से उन्होंने टिकट का मूल्य काट कर बचे पैसे वापस कर दिये| अभी बस से थोड़ी ही दूर यात्रा किए थे कि देख रहे हैं बसों की लाइन लगी है अनगिनत गाड़ियां खड़ी  हैं ,पता लगाने पर जानकारी प्राप्त हुई की आगे मुख्यमंत्री साहब का दौरा चल रहा है इसलिए कोई भी वाहन अभी आगे नहीं जा सकता नहीं तो उन्हें असुविधा हो सकती है |सुबह दस बजे से दोपहर के दो बजे तक धूप से तपती हुई बसों में बैठे यात्री तपती हुई बसों की तपन से व्याकुल हो रहे थे |पसीने से तरबतर मैं भी अपनी सीट पर  ललचाई नजरों से राह को रोकने वाले सुरक्षाकर्मियों की ओर देख रहा था कि कब वह संकेत करें बसों के जाने के लिए, लेकिन उधर से कोई संकेत न पाकर मैंने अपने बस में   यह देखने की  कोशिश करने लगा कि सभी यात्रियों की स्थिति या प्रतिक्रिया क्या है, बगल वाली सीट पर बैठा दंपति अपने नन्हे से बच्चे को चुप कराने के लिए कई जतन कर रहा था, किंतु  बच्चा उमस और गर्मी से व्याकुल होकर रो रहा था |उस नन्हे से शिशु की अकुलाहट से मां परेशान होकर अपने पतिदेव को कुछ खरी खोटी सुनाने लगी, बेचारा पति भी करे तो क्या करे, उसे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था |उस परेशान पति को मैंने कहा बच्चे को लेकर बस से उतरिये और वह जो दूर आम का पेड़ दिख रहा है उसके नीचे जाकर जब तक बस छूटने का संकेत नहीं होता वही रहिए |उन्होंने वैसा ही किया शिशु को आम के वृक्ष की शीतल छाया में मंद मंद पवन ने ऐसा सुख प्रदान किया कि वह बिल्कुल शांत हो गया उसे नींद आ गई |यह देख शिशु की मां के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान की रेखा फैल गई | इधर बस में बैठे सभी लोग पसीने से तर हो रहे थे, कई लोग पसीना पोछने में परेशान तो कई लोग रुमाल से ही हवा हाक रहे थे, कोरोना के कारण सभी के मुंह पर मास्क  लगा था जो गर्मी में सांस लेने में और भी  तकलीफ का कारण बन रहा था| मैंने अनुमान लगाया की यही स्थिति  लगभग सभी बसों में होगी |सभी लोग व्याकुल होंगे  ,परेशान होंगे| सभी की निगाहें सुरक्षाकर्मियों की ओर ही लगी होगी कि वे कब संकेत करें और बसें आगे बढ़ें, किंतु सुरक्षाकर्मियों की ओर से कोई संकेत नहीं आ रहा था |वे लोग भी इतनी कड़ी धूप में सड़क पर खड़े थे और पसीने से उनकी पोशाकें भीग चुकी थीं, लेकिन करें तो करें क्या ऊपर के आदेश का पालन तो करना ही था| मुख्यमंत्री साहब का दौरा स्वास्थ्य की समीक्षा व स्वास्थ्य केंद्रों के निरीक्षण का था जो कि काबिले तारीफ है| किंतु धूप में कई कई घंटे व्याकुल आमजन का क्या दोष  है जो उन्हें किसी भी बड़े अधिकारी, मंत्री या विधायक के आगमन पर यूं ही सड़कों पर रोक दिया जाता है| क्या कोई भी बड़े से बड़ा पदाधिकारी सहजता से किसी भी कार्य की समीक्षा या निरीक्षण नहीं कर सकता |क्या यातायात को  बिना बाधित किये यह कार्य संभव नहीं किया जा सकता| अगर किया जा सकता है तो बिल्कुल कीजिए, क्योंकि शासन की निर्मिति आमजन की सुविधाओं के लिए है न कि उन्हें पीड़ा पहुंचाने के लिए| आमजन को पीड़ा पहुंचाने के लिए वैसे ही अनेक कारक विद्यमान  हैं - भुखमरी, बेरोजगारी, गरीबी ,रोग ,रंजिश अतिवृष्टि, अनावृष्टि, ओला, वज्रपात ,अनेक तूफ़ानों के तांडव आदि उनके जीवन को जमींदोज करनें पर  सदैव उतारू रहते हैं|मुख्यमंत्री के दौरे के फेर में फंसे सभी मुसाफिरों के मन में यही चल रहा था कि पीड़ा और कष्ट सहना हमारी नियति है।उसको सहते, झेलते ही जीवन को जीना पड़ेगा|इसी बीच सुरक्षाकर्मियों द्वारा संकेत पाकर सभी बसें अपने अपने गंतव्यों की ओर चल पड़ी|  इसका यात्रियों  पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि वे सभी प्रतीक्षा को ही अपना अपना भाग्य मानते हुए, अपने अपनें भावी जीवन के सपनों में खोये  थे|

                                      शैल यादव
                             लतीफपुर बेलहट कोरांव
                               प्रयागराज उत्तर प्रदेश
[03/06, 18:36] आ. नेतलाल प्रसाद जी: उम्मीद है आपको पसंद आयेगी
[03/06, 18:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[03/06, 18:42] आ. नेतलाल प्रसाद जी: धन्यवाद आदरणीय
[03/06, 18:43] आ. नेतलाल प्रसाद जी: किसी अंक में लगाने का कष्ट करेंगे
[03/06, 21:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी
[03/06, 21:16] आ. नेतलाल प्रसाद जी: आभार आपका

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[03/06, 10:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: किताब की समीक्षा है न

[03/06, 11:00] प्रमोद ठाकुर: जी

[03/06, 11:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक ही दिन में प्रकाशित करना है क्या ?

[03/06, 11:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: तो दो पृष्ठ में हो जायेगा

[03/06, 11:02] प्रमोद ठाकुर: जी 30/- ही दिए थे इसीलिये अलग अलग स्लैब बनाया।

[03/06, 11:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है सर जी 🙏💐

[03/06, 11:03] प्रमोद ठाकुर: ये कर दो आगे से नही करेंगे

[03/06, 11:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 कोई बात नहीं 🙏💐

[03/06, 11:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: सम्मान पत्र वहीं दें या

[03/06, 11:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: किताब समीक्षा सम्मान पत्र दें

[03/06, 11:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: बताईए

[03/06, 11:07] प्रमोद ठाकुर: किताब समीक्षा सम्मान पत्र

[03/06, 11:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

[03/06, 18:05] प्रमोद ठाकुर: 4 जून 2021 के समीक्षा स्तम्भ के लिए

[03/06, 18:05] प्रमोद ठाकुर: परिचय:

अजीत कुमार कुंभकार

पेशा: गणित शिक्षक सह प्रधानाध्यापक

संप्रति: उत्क्रमित मध्य विद्यालय पुण्डीदा खरसावां 

रुचि : कविता, गजल , गीत, नवगीत, दोहा, छन्द, लघुकथा, लेख, इत्यादि साझा संग्रह कविता काव्य यश छप चुका है, लघुकथा संग्रह पारिजात छपने की प्रक्रिया में है।

[03/06, 18:06] प्रमोद ठाकुर: ये इनकी दूसरी रचना की समीक्षा है।

[03/06, 18:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी

[03/06, 18:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: कल एक ही है न

[03/06, 18:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: सर जी कितना समझाऊं

[03/06, 18:19] प्रमोद ठाकुर: रुको कुछ सोचते है

[03/06, 18:20] प्रमोद ठाकुर: 4 जून की दो समीक्षाएँ भेज दी है

[03/06, 18:20] प्रमोद ठाकुर: अजीत कुमार कुंभकार की एक और भेजी है।

[03/06, 18:26] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी अपनी पत्रिका का logo थोड़ा बड़ा भेजिये साझा काव्य संग्रह का कवर पेज बनबा रहा हूँ

[03/06, 18:31] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी किताब की जगह पुस्तक समीक्षा सम्मान-पत्र होना चाहिये क्या ये सही हो सकता है।

[03/06, 18:31] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

[03/06, 18:32] प्रमोद ठाकुर: प्लीज़ अगर हो जाएं तो

[03/06, 18:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: कल से कर देंगे ।

[03/06, 18:32] प्रमोद ठाकुर: जी ठीक है

[03/06, 18:35] प्रमोद ठाकुर: जहाँ जहाँ किताब लिखा है वहाँ वहाँ पुस्तक करना है

[03/06, 18:36] प्रमोद ठाकुर: logo PNG file में भेजिये

[03/06, 18:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

[03/06, 21:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये आदमी शायद पैसा कमा रहे है।

[03/06, 21:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: हर दिन अलग-अलग व्यक्ति के नाम से रचना भेजते है ।

[03/06, 21:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: शैल यादव नाम के फेसबुक पर हैं ।

[03/06, 21:44] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी अगर आपको सही लगे तो रचनायें या तो पटल पर पोस्ट करबायेंगे या मेरे नम्बर पर मैं फेसबुक पेज पर पोस्ट कर दूगाँ

[03/06, 21:45] प्रमोद ठाकुर: मैं इनका अकाउंट चेक करता हूँ

[03/06, 21:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

[03/06, 21:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: कल बात करना है आपसे फोन पर

[03/06, 21:46] प्रमोद ठाकुर: जी समय बतायें

[03/06, 21:46] Roshan Kumar Jha, रोशन: जब आपके पास समय हो

[03/06, 21:47] प्रमोद ठाकुर: 10 बजे से पहले

[03/06, 21:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: अपना पत्रिका होते हुए भी हमलोग स्वतंत्र नहीं है ।

[03/06, 21:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏

[03/06, 21:48] प्रमोद ठाकुर: अच्छा 25 जून तक समीक्षा स्तम्भ में जगह नही है डिटेल कल ऑफिस से लौटकर भेजूगां

[03/06, 21:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: आ. पुष्प महराज उत्तर प्रदेश से फोन किए रहें कि आ. शायर जी की रचना नहीं प्रकाशित कीजिए राजनीति है।

[03/06, 21:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐

[03/06, 21:49] प्रमोद ठाकुर: इन्होंने लिखा है मित्र की रचना भेज रहा हूँ कुछ गड़बड़ है

[03/06, 21:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: दूसरी दिन

[03/06, 21:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: और आज किसी और का

[03/06, 21:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये लोग पैसा कमाते है -

[03/06, 21:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहुत सारा समाचार पत्र में प्रकाशित करवा कर ये लोग लूट रहें है ।

[03/06, 21:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: अब मैं उनका रचना ही नहीं प्रकाशित करूंगा

[03/06, 21:51] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक दिन हो गया एक दोस्त का मज़ाक बना रखा है ।

[03/06, 21:52] प्रमोद ठाकुर: रोशनजी इतना व्यस्त रहता हूँ मेरी पर्सनल 4 किताबे फेयर कर रहा हूँ पब्लिशर रोज फोन करता है आपके भाई की साझा छोड़ कर पर्सनॉल 13 किताबे हो जाएगी

[03/06, 21:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 मैं समझता हूं आपकी मेहनत को

[03/06, 21:53] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमन 🙏💐

[03/06, 21:53] प्रमोद ठाकुर: अब मत करना अगर भेजे तो कहना एक एफिडेविट बना कर भेजो हमारी पत्रिका के नाम से

[03/06, 21:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी कीजिए हार्दिक शुभकामनाएं आप इसी तरह व्यस्त रहकर आगे बढ़ते रहिए सर जी 🙏

[03/06, 21:54] प्रमोद ठाकुर: तब रचना प्रकाशित होगी

[03/06, 21:54] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏 सर जी 🙏💐

[03/06, 21:55] प्रमोद ठाकुर: कोई बात नही कोई अच्छा काम करो तो असुर तो एकत्रित हो ही जाते है।

[03/06, 21:55] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 💐💐

[03/06, 21:56] प्रमोद ठाकुर: चिंता मत करो आपका भाई  है

[03/06, 21:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी तभी ही तो पत्रिका आगे बढ़ रही है ।

[03/06, 21:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: यही रचना प्रकाशित करने के लिए मना किए हैं बताये

[03/06, 21:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: मेहनत हम लोगों का हुक्म किसी और का

[03/06, 21:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: किसान के लिए है -

[03/06, 22:03] प्रमोद ठाकुर: इसमें खालिस्तान शब्द का प्रयोग है आप मना कर दो

[03/06, 22:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: प्रकाशित करनी है या नहीं आप बताइए

[03/06, 22:05] प्रमोद ठाकुर: अब नही चलेगा अगर आप भाई मानते हो तो पत्रिका की भलाई के लिए आप मुझे बुरा बना दो कहना उन्होंने मन किया है। और मुझें बहस करने के लिए ये बहुत हिम्मत जूटना पड़ेगी ये  ये भी जानते है।

[03/06, 22:06] प्रमोद ठाकुर: नहीं

[03/06, 22:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏

[03/06, 22:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी पत्रिका की भलाई में ही अपना भलाई है

[03/06, 22:07] प्रमोद ठाकुर: किसी से डरना नही है लेकिन जो सही है हम बही करेगें

[03/06, 22:07] प्रमोद ठाकुर: हम पत्रिका से है पत्रिका हम से नहीं

[03/06, 22:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसी लिए तो हम आपसे राय लिए है ।

[03/06, 22:07] प्रमोद ठाकुर: जी शुक्रिया

[03/06, 22:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏💐

[03/06, 22:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद 🙏💐

[03/06, 22:08] प्रमोद ठाकुर: शुभ रात्रि शब्बाखैर

[03/06, 22:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ रात्रि आपका भी रात्रि शुभ हो ।

[03/06, 22:09] प्रमोद ठाकुर: एक खुश खबरी

[03/06, 22:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: बताइए बताइए

[03/06, 22:10] प्रमोद ठाकुर: 10 जून को साझा काव्य संग्रह का कवर पेज आ जायेगा

[03/06, 22:10] प्रमोद ठाकुर: साहित्य सरिता नाम है

[03/06, 22:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: वाह एक माह भी नहीं हुआ आपका सब सहयोग है ।

[03/06, 22:11] प्रमोद ठाकुर: कोई और नाम अगर ज़हन में हो तो बताइए अभी बदल जायेगा

[03/06, 22:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: 11 मई को शुभारंभ किए रहें ।

[03/06, 22:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: अच्छा है सर जी

[03/06, 22:12] प्रमोद ठाकुर: जी  जानता हूँ

[03/06, 22:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य सरिता मतलब नदी

[03/06, 22:12] प्रमोद ठाकुर: जी

[03/06, 22:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: अच्छा नाम है

[03/06, 22:12] प्रमोद ठाकुर: जी धन्यवाद

[03/06, 22:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: यदि आपके पास नाम है तो बदल सकते है ।

[03/06, 22:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐

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साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई दैनिक विषय प्रवर्तन - 03/06/2021 , गुरुवार
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अंक - 24

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

मो - 6290640716
🚲🚴🚴‍♀️🌍 🌅
विश्व साईकिल दिवस

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक

अंक - 24
https://online.fliphtml5.com/axiwx/dgzl/
3 जून  2021
गुरुवार
ज्येष्ठ कृष्ण 9 संवत 2078
पृष्ठ -  14
प्रमाण पत्र -  11 - 13
( आ. सुमन अग्रवाल " सागरिका " जी
प्रमाण पत्र संख्या - 19
आ. डॉ. दीप्ति गौड़ ‘ दीप ’ जी
किताब समीक्षा सम्मान - पत्र
आ. अजीत कुमार कुंभकार जी
रचना समीक्षा सम्मान - पत्र
कुल पृष्ठ -  14

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 24
Sahitya Ek Nazar
3 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

फेसबुक - 1

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फेसबुक - 2
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अंक - 23
https://online.fliphtml5.com/axiwx/bouz/
https://youtu.be/oeDczGNbq-4

सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
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अंक - 19 से 21   -

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अंक - 22 से 24 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

अंक - 25 से 27 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -

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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा






कविता :- 20(11)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2011-29052021-19.html
अंक - 19
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/19-29052021.html

कविता :- 20(12)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2012-30052021-20.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2004-22052021-12.html

अंक - 20

अंक 20
https://online.fliphtml5.com/axiwx/zegy/
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/20-30052021.html

कविता :- 20(13)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/20-13-31052021-21.html
अंक - 21

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/21-31052021.html

अंक - 22
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/22-01062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2014-01062021-22.html

अंक - 23
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/23-02062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2015-02062021-23.html

अंक - 24
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/23-03062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2016-03062021-24.html

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ 019  दिनांक -  _  03/06/2021

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _  आ. सुमन अग्रवाल " सागरिका "  _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _  1 - 23  _   में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।

रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

आप सभी को साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका की ओर से  🌍
विश्व  साईकिल 🚲🚴  दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏



1.
खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !

विश्व पर्यावरण दिवस पर  " काव्य पाठ " का विशेष आयोजन रखा है साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई ।

साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर  शनिवार 5 जून 2021 को "काव्य पाठ" का विशेष आयोजन रखा गया है । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु  आ. मनोज कुमार पुरोहित जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी  , समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनायेंगे । अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकारों व साहित्य - प्रेमियों सादर आमंत्रित है ।

दिवस - शनिवार
समय - सुबह 10 बजे से रात्रि आठ बजे तक
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष आयोजन
काव्यपाठ
समय सुबह 10 से रात 8 बजे तक
कार्यक्रम की रूपरेखा -
प्रातः देवस्थापन 10:00 आ अध्यक्षा कलावती करवा जी द्वारा
सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा
आशीर्वचन 10:10 आ महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा
मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ जयश्रीकांत जी द्वारा
अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा
मंच संचालन 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी द्वारा ।

2.

परिचय

नाम-  डॉ. दीप्ति गौड़ ‘ दीप ’
शिक्षा- एम. ए.(भूगोल, हिंदी साहित्य,मनोविज्ञान), एम.एड., पी-एच.डी, पी.जी. डिप्लोमा इन साइक्लोजिकल काउंसिलिंग,पी जी डिप्लोमा इन योगा एंड मेडिटेशन, डिप्लोमा इन जर्नलिज्म, स्वर्णपदक द्वय।
कार्यक्षेत्र-शिक्षिका,शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1, ग्वालियर, म.प्र., भारत
सामाजिक क्षेत्र- लेखन, पर्यटन, मंच संचालन, अभिनय, योग, समाज सेवा, खगोल विज्ञान प्रचार प्रसार ।
विधा - गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे, हाइकू,कहानी,लेख,निबंध,समीक्षा |
मोबाइल/व्हाट्सऐप -
8770644905/ 9713679207
ईमेल- gaurdrdeepti@gmail.com
पत्राचार का पता - C-11, प्रगति विहार कॉलोनी, गोला का मन्दिर ग्वालियर, मध्यप्रदेश
पिन - 474005

प्रकाशन- शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हुई 20 पुस्तकों का प्रकाशन,  देश व विदेश नीदरलैंड, कनाडा, मॉरीशस, नेपाल की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं एवं संकलनों में रचनाओं व राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अनेक शोध आलेखों का प्रकाशन।
प्रकाशित काव्य कृति – 1. काव्य संग्रह ‘देहरी का दीप’,साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग भोपाल के सहयोग से प्रकाशित, प्रथम संस्करण 2017
2. संपादित काव्य संग्रह कोविड़ 19 पर आधारित "हौसला रखना इन दिनों" प्रथम संस्करण 2020
3. अनेक साझा संग्रहों में रचनाओं का प्रकाशन
विश्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज
डॉ.दीप्ति चार विश्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुकी है, जिसमे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज भारत की प्रथम मीडिया डायरेक्टरी, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्डस रिकॉर्ड में भारत की प्रथम महिलाओं पर आधारित काव्य लेखन एवं अर्जुन अवॉर्डी खिलाड़ियों पर आधारित काव्य लेखन, भारत के सेनानियों पर आधारित एक पूर्ण दिवसीय कवि सम्मेलन में सहभागिता हेतु उनका नाम इन रिकॉर्ड्स में दर्ज है।
सम्मान- मात्र 26 वर्ष की उम्र में  सर्वांगीण दक्षता हेतू (शैक्षणिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, समाजसेवा, आचरण, व्यवहार के आधार पर) राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली की ओर से भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति महामहिम स्व. डॉ. शंकर दयाल शर्मा स्मृति स्वर्ण पदक 2002, विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्न शिक्षक के रूप में राज्यपाल अवार्ड 2018 से राज्यपाल महामहिम श्रीमती आनंदी बेन पटेल के कर कमलों से सम्मानित, दैनिक विनय उजाला समाचार पत्र इंदौर द्वारा शिक्षा व साहित्य क्षेत्र में सतत योगदान हेतु राज्यस्तरीय "नेशन बिल्डर अवॉर्ड" 2019, विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा राष्ट्रीय लक्ष्मीबाई काव्य भूषण सम्मान 2019, ब्रज भूमि फाउंडेशन द्वारा नारी शक्ति को प्रणाम अवॉर्ड 2019, मेंटर एंड मस्कट फिल्म प्रोडक्शन कंपनी एवम् सज्जा निलयम संस्था द्वारा नई दिल्ली में महिला दिवस पर साहित्य क्षेत्र में राष्ट्रीय "सशक्त नारी सम्मान 2019", एन सी ई आर टी नई दिल्ली के भाषा विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय हिंदी विभाग,सतना, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी , जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा समय समय पर आयोजित भाषा सेमिनारों व संगोष्ठी  में उत्कृष्ट शोध पत्र वाचन हेतु अनेक बार सम्मानित, ग्वालियर विकास समिति द्वारा “ग्वालियर गौरव सम्मान”, जे सी आई एक्सीलेंसी द्वारा सलाम ग्वालियर “अद्वितीय युवा प्रतिभा” अवार्ड, प्रभात वेलफेयर एवं सोशल सोसायटी द्वारा “प्रभात रत्न अलंकरण” अवार्ड, विपिन जोशी स्मारक समिति इटारसी द्वारा “अक्षरदूत राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान”,सरस्वती काव्य संगम झांसी की ओर से “काव्य श्री सम्मान”,स्व.मनोज रावत खेल अकादमी द्वारा “शब्द-सृजन सम्मान”,बेटी है तो कल है संस्था द्वारा “नारी शक्ति तुझे सलाम” अवार्ड ,जेएमडी प्रकाशन नई दिल्ली की ओर से “नारी गौरव अवार्ड”,द फेथ ऑफ पब्लिक संस्था द्वारा साहित्यकार सम्मान, हिंदी परिवार ग्वालियर इकाई द्वारा युवा रचनाकार सम्मान ,गहमर वेलफेयर सोसाइटी गाजीपुर द्वारा तेजस्विनी सम्मान,साहित्यिक पत्रिका काव्य रंगोली लखीमपुर खीरी उ. प्र. द्वारा "साहित्य भूषण सम्मान" विविधा कला एवं सांस्कृतिक अकादमी जबलपुर के सौजन्य से राष्ट्रीय शौर्य काव्य अलंकरण, कलम पुत्र काव्य मंच एवम् भारतीय संस्कृति एवम् भाषा प्रचार परिषद करनाल हरियाणा के तत्वावधान में मेरठ में आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय आध्यात्मिक काव्य संगोष्ठी में आध्यात्मिक काव्य भूषण उपाधि से अलंकृत,स्टोरी मिरर मैगज़ीन द्वारा "लिटरेरी कैप्टन" से सम्मानित,  सहित लगभग 500 पुरस्कार - सम्मान से सम्मानित l
ब्लॉग- अनुभूति के छंद
कवयित्री डॉ. दीप्ति गौड़ ‘दीप’
अन्य उपलब्धियाँ-अनेक अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में सहभागिता, आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं अन्य चैनल्स पर काव्य पाठ का प्रसारण । जापान हिन्दी कल्चरल सेंटर की मानद सदस्यता ।
लेखन का उद्देश्य- इनकी रचनाएं मानवीय संवेदनाओं के आवेग को परिलक्षित करती हैं l जीवन के प्रत्येक पहलू, सम्बन्ध और घटना पर अपनी कलम चलाने का प्रयास करती है l आपकी रचनाएं समाज में सकारात्मक बदलाव में सहायक सिद्ध होंगी। जिस भी विषय पर कलम उठाती है पूरी शिद्दत के साथ उसका निर्वाह करती है l  उनके विषय परम्परागत भी हैं तो नवागत भी l समकालीन सामाजिक विसंगतियों के मध्य नारी की नवीनतम चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला है। कन्या भ्रूण हत्या, महिला सशक्तिकरण और 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे विषयों और भी उनकी लेखनी बोली ही नहीं, खूब बोली है और खुलकर बोली है।  अपने गीतों में उन्होंने माधुर्य, प्रेम, अनुभूति, सरसता और वैयक्तिकता का अनूठा राग छेड़ा है l अपनी लेखनी के द्वारा शिक्षण कार्य के दौरान पर्यावरण गीत, दोहे, हाइकु, खगोल जागरुकता, मद्य निषेध आदि से संबंधित काव्य का प्रयोग नवाचार के रूप में विषय को रोचक व प्रभावपूर्ण बनाने हेतु कर रही हैं ।
कोविड 19 जागरूकता कार्यक्रम-स्थानीय नागरिकों को जागरूकता हेतु कार्यक्रम, डॉ को आमंत्रित कर ऑनलाइन बच्चों को कोरॉना संबंधी जानकारी इम्यूनिटी बढ़ाने संबंधी कार्यक्रम, ऑनलाइन योगा कार्यक्रम, कोरोना जागरूकता हेतु काव्य संग्रह "हौसला रखना इन दिनों का प्रकाशन",
कोरोना क़ाल में विद्यार्थियों की रचनात्मकता और कला को प्रोत्साहित करने हेतु सतत रूप से कार्यक्रमों का आयोजन, इस काल में मनोवैज्ञानिक तनावों से उबारने हेतु काउंसिलिंग व कैरियर गाइडेंस, हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम में उत्कृष्ट सहभागिता, घर में जाकर बच्चों को पुस्तकें दी, ऑनलाइन टीचिंग द्वारा सतत अध्यापन कार्य, छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु डॉ दीप्ति गौड़ ने गीतों का लेखन किया । जीवन कौशल शिक्षा बच्चे ऑनलाइन प्राप्त करें  और कोराना काल में तनाव प्रबंधन करें इस हेतु भी जागरूकता गीत लिखा जिसे यू ट्यूब के माध्यम से संपूर्ण मध्यप्रदेश के बच्चों तक पहुंचाया गया । बच्चों की रचनातमकता को प्रोत्साहन देने और वे कोविड काल में भी अपना विकास कर सकें इस हेतु अनेक कार्यक्रम ओर webinar वेबीनार का आयोजन इन्होंने किया । ऑनलाइन शिक्षा किस प्रकार लें । गूगल क्लास के बारे में जानकारी एवम् करियर काउंसिलिंग पर भी विशेषज्ञों द्वारा सेमिनार करवाए।
विभिन्न संस्थाओं राष्ट्रीय महिला सम्मान मंच, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बेटी क्लब दतिया  द्वारा कॉरोना वॉरियर सम्मान से सम्मानित ।

पुस्तक
" देहरी का दीप "
काव्य संग्रह
डॉक्टर दीप्ति गौड़ "दीप" की एक उत्कृष्ट पुस्तक है जो साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के सहयोग से उत्कर्ष प्रकाशन मेरठ से प्रकाशित हैं। मुझें आज इस पुस्तक की समीक्षा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । इस पुस्तक में डॉक्टर दीप्ति गौड़ ने मानों हर विषय को दिल से छुआ हो कोई भी विषय अछूता नही रहा । चाहे रिश्तों की बुनियाद , दिल को कचोटने  बाला ग़म, बहारों से बातें करती हवायें, मुहब्बत का इज़हार  या बेटी पर जिसे उनकी लेखनी ने आँगन की फुलवारी और परिवार का गौरव और बेटी के बचपन एवं दहेज जैसी कुप्रथा का अद्भुत चित्रण किया वो यही तक सीमित नहीं रहीं पर्यावरण , नशा मुक्ति पर भी अति सुंदर रचना का  सृजन , देश भक्ति पर भी अपनी रचना के माध्यम से अमिट छाप आज मेरे दिल पर छोड़ी है।
आज इस भौतिक संसार की परिपाठी है कि एक छत के नीचे सारी वस्तुयें उपलब्ध हो जायें बस ये मान  लीजिए कि इस एक पुस्तक में हर विषय पर एक अद्भुत रचना का संगम है।
मैं इनके साहित्यक सफर की मंगलकामना करता हूँ ये नए सोपान तय करें।
मेरी शुभकामनायें।

समीक्षक ✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
ग्वालियर , मध्य प्रदेश
9753877785
3.
अजीत कुमार कुंभकार
ग्राम पोस्ट : खरसावां
जिला: सरायकेला- खरसावां
राज्य: झारखंड
833216
दूरभाष: 9955836022
         9031909364
पेशा: गणित शिक्षक सह प्रधानाध्यापक
संप्रति: उत्क्रमित मध्य विद्यालय पुण्डीदा खरसावां
रुचि : कविता, गजल , गीत, नवगीत, दोहा, छन्द, लघुकथा, लेख, इत्यादि साझा संग्रह कविता काव्य यश छप चुका है, लघुकथा संग्रह पारिजात छपने की प्रक्रिया में है।

( ✍️ अजीत कुमार कुंभकार )
1222 1222 1222 1222
काफ़िया :आ  रदीफ़:देते तो अच्छा था।
                  * फ़ासला *

कभी तो जान लेते हम भी नफरत क्यों  किये हमसे।
अगर थी कोई मजबूरी बता देते तो अच्छा था।।

नहीं था प्यार हमसे तो न आना पास मेरे अब ।
तुम्हीं पहले हमीं से फ़ासला देते तो अच्छा था।।

मिला जब कुछ नहीं तुमसे कभी भी, क्या करूँ बोलो।
अगर तुम साथ देकर तो वफ़ा देते तो अच्छा था।

वफ़ा करते रहे तुम गैर से अब तो जफ़ा मुझसे।
युँ ग़ैरों की तरह ही तुम दगा देते तो अच्छा था।।

मिले तुम गैर से ठुकरा हमें यूँ जिंदगी से अब।
हमें तुम तो अभी दिल से भुला देते तब अच्छा था।।

रकीबों के अभी तुम साथी , नहीं है प्यार हमसे जब।
दिए गम तुम जहर हमको पिला देते तो अच्छा था।।

नहीं हम चाहते जीना अभी  जिल्लत लिये अब तो।
अभी तुम जिंदगी से भी  मिटा देते तो अच्छा था।।

खुदा सुनते नहीं मांगी क़भी जब बद्दुआ मैंने  ।
अभी तुम जब फना की बद्दुआ देते तो अच्छा था।।

तड़प गम के सिवा जग में मिला कुछ क्या हमें अब तक।
खुदा मुझको कभी तो जलजला देते तो अच्छा था।।

दिये तुम दर्द गम जिल्लत हमें तुम तो हरिक पल अब।
वफ़ा कर तो नहीं पाये तुम कजा देते तो अच्छा था।।

✍️ अजीत कुमार  कुंभकार,

" समीक्षा "
अजीत कुमार कुंभकार ग़ज़ल के एक सशख़्त हस्ताक्षर है ग़ज़ल की बारीकियों में इनको महारत हासिल है। जैसे ये ग़ज़ल
अगर हमसे कोई शिकायत थी तो बता देते कोई मजबूरी थी या मेरे पास नहीं आना था काश तुम मुझसे प्यार ही न करतें इस ग़ज़ल में काफ़िया और रदीफ़ का सही सही समावेष किया है  1222 पर लिखी ये ग़ज़ल एक उत्कृष्ट सृजन है।
ईश्वर इनकी लेखनी को और नये आयाम दें।
अजीत जी आप साहित्य पथ पर यूँ ही आगे बढ़ते रहें।
मेरी शुभकामनायें

समीक्षक ✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
ग्वालियर , मध्य प्रदेश
9753877785
4.
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1237973956636857&id=100012727929862

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
🌹🙏 शिवसंकल्प 🙏🌹

तुम बाधाएं डालो मग में,
मैं सबको ही पार करूंगा।
हिंदी में ही कार्य करूंगा,
हिंदी का उद्धार करूंगा।
🙏राज वीर सिंह🙏

कल तक जो देखा था सपना,
आज जुनून बन गया अपना।
आप सभी का साथ मिले तो,
लक्ष्य मिले आभार करूंगा।।
रंजना बिनानी
कार्यकारी अध्यक्षा असम इकाई

लेकर सबको साथ चलूंगा,
भले यह नवाचार कहलाए।
जनगणमन साहित्य सजाकर,
तकनीकि से वार करूंगा।।
डॉ भावना दीक्षित
अध्यक्षा म०प्र० इकाई

सच की राह नहीं छोडूंगा,
कहना # वाह नहीं छोडूंगा।
मध्य राह में नहीं रुकूंगा,
शब्दों से ही मार करूंगा।।
ज्योति सिन्हा
अध्यक्षा बिहार इकाई

आशा के संदीप सजाकर,
तम को ताली थाल बजाकर।
धीरज साहस के बल पर मैं,
सेवा बारंबार करूंगा।।
कुसुमलता
अध्यक्षा दिल्ली इकाई

देखो सतत प्रतीक्षारत है,
हिंदी सेवा का विस्तृत जग।
किञ्चित् सफल हुआ माता मैं,
गुलशन को गुलज़ार करूंगा।।
प्रदीप मिश्र अजनबी
अध्यक्ष जम्मू-कश्मीर इकाई

नकारात्मकता हारेगी,
शम की शक्ति उबारेगी।
भावों में बहना न बहना,
एक-एक मिल चार करूंगा।।
संगीता मिश्रा
प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान

हिंदी भारत भाल की शोभा,
जिसका अब शृंगार ही होगा।
बाधाओं को कह दें आएं,
उनको भी स्वीकार करूंगा।।
राम प्रकाश अवस्थी 'रूह'
कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान इकाई

समताओं का मंत्र फूंककर
सद्भावों में गहन डूबकर।
मन को थोड़ा संयत करके
सूना पथ बाज़ार करूँगा।
विनोद वर्मा दुर्गेश
अध्यक्ष हरियाणा इकाई

जन जन तक हिंदी फैलाना,
गीत यही हर दम दोहराना।
साथ हजारों का लेकर के,
हिंदी का अभिसार करूँगा।।
वन्दना नामदेव
अध्यक्षा महाराष्ट्र इकाई

जुड़कर अपनी प्यारी जड़ से,
जीवन की सारी भड-भड से।
कला और साहित्य की खुशबू,
से मैं हरशृंगार करूंगा।।
रजनी हरीश
अध्यक्षा, तमिलनाडु इकाई

विनय पूर्ण अधिकार खरा हो,
रिक्त  स्नेह का  कोष भरा हो।
भय   न   होवे   अंतर्मन   में,
साथ सफाई झार करूंगा।।                           
# जयश्रीकांत
अधीक्षिका दोहाशाला/प्रधान
संपादिका दोहा संगम

हिंदी होगी सारे जग में,
ऐसे भाव भरे रग-रग में।
हिंदीमय हो जाए धरती,
शक्ति से हुंकार करूंगा।।
चंद्रमुखी मेहता
अध्यक्षा, छत्तीसगढ़ इकाई

विश्वपटल में शान बढ़ेगी,
यतियों की पहचान बढ़ेगी।
काया में जब तक हैं प्राण,
ऐसी ही ललकार करूंगा।।
रीता झा
अध्यक्षा, उड़ीसा इकाई

सुख भी प्यारा, दुख भी प्यारा।
कभी न  छूटे  , साथ तुम्हारा ।
संगम  में  अनमोल  रतन  हैं,
समभावों  से  प्यार  करूँगा ।।
                   ●
डाॅ0 राकेश सक्सेना, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश

समवेत प्रयास

🙏 ✍️ राजवीर सिंह मंत्र जी🙏
राष्ट्रीय अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1237973956636857&id=100012727929862

https://youtu.be/oeDczGNbq-4
कुछ पद बाद में आए हैं। इन्हें लिखित रूप से जोड़ा गया है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
5.

आप सभी को साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका की ओर से  🌍
विश्व  साईकिल 🚲🚴  दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
विश्व साईकिल दिवस
বিশ্ব বাইসাইকেল দিবস
World Bicycle Day

🚲🚴 🚴‍♀️ 🌍 🌅

नमन 🙏 - साहित्य एक नज़र 🌅
मो - 6290640716
🚲🚴 🚴‍♀️ 🌍 🌅
विश्व साईकिल दिवस
বিশ্ব বাইসাইকেল দিবস
World Bicycle Day

मैं ग़रीब का साथी हूँ ,
बड़ा काम आती हूँ ।।
न डीज़ल न पेट्रोल
मैं खाती हूँ ,
बस पैदल ( पेडल )
मारने पर आगे जाती हूँ ।।

आज तीन जून
विश्व के लिए आज
हमारा दिवस है ।
दूर जाने के लिए
रेलगाड़ी , हवाई जहाज
और बस है ।।
मुझे चाहने वाला
एक न दस है ।
मंजिल तक पहुंचाना
ही हम साईकिल की
लक्ष्य है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
गुरुवार , 03/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(16)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 24
Sahitya Ek Nazar
3 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
उचाट उपन्यास , मैथिली साहित्य
6.
साहित्य एक नज़र

साहित्य एक नज़र

https://vishnews20.blogspot.com/2021/02/uchhat-upniyash-lekhika-parichai.html?m=1

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा , बिहार , लनमिवि ( एलएनएमयू )
बी.ए, मैथिली , जनरल ( सामान्य ) द्वितीय वर्ष की प्रश्र -

Lalit Narayan Mithila University
Darbhanga, Bihar , India
LNMU , B.A, Part - 2 , Maithili ( Subsidiary )

उचाट उपन्यास ,  मैथिली साहित्य ,
उचाट उपन्यास लेखिकाक साहित्यिक परिचय :-
Uchhat Upniyash lekhika parichai

✍️ श्रीमती आशा मिश्रा जी
जन्म :- 6 जुलाई 1950
उचाट उपन्यास प्रकाशित :- 2010
उचाटक प्रकाशक अछि  :- तुलिका प्रकाशन , लालवाग , दरभंगा
उचाट उपन्यास लेल इनका साहित्य अकादमी
पुरस्कार सऽ सम्मानित :- 2014

उचाट उपन्यास लेखिकाक साहित्यिक परिचय दिअ -
उचाट उपन्यास लेखिका श्रीमती आशा मिश्र जी मैथिली भाषा के विख्यात साहित्यकार छैथ। इनकर जन्म 6 जुलाई 1950 केँ भेलनि । लेखिका स्वनामधन्य डॉ गणपति मिश्रक धर्मपत्नि  आ दरभंगा लक्ष्मीसागर में बास करैत छथि। भागलपुर विश्वविद्यालय सँ 1969 ई ० में हिन्दी साहित्य आ दर्शनशास्त्र सऽ स्नातक के डिग्री लेलकिन  । 1989 सँ मैथिली आऽ हिन्दी में लेखन कार्य प्रारम्भ कैलनि । ई कथा , निबन्ध, जीवनी , साक्षात्कार आदि में एक प्रोढ साहित्यकारक रूपमे स्थापित भेल छथि । एखन धरि सभसँ पैघ विजय, थाहैत स्वप्न कथा संग्रह प्रकाशित भेल अछि , हिनकर सभसँ पैघ विशेषता अछि जे प्राय: सभ रचना अप्पन परम्परा, अप्पन संस्कार के संग संग नव नव भाव - भूमिका रचना करबामे सिद्धहस्त छथि , इनकर सभ रचना में नीज भावनाक दर्शन भेटैत छथि । उपन्यास लेखिकाक आकाशवाणी दरभंगा सँ कतेक कथाक प्रसारण भ चुकल अछि । हिन्दी जगतमे हिनकर योगदान सराहनीय अछि । हिन्दी पत्रिका नवनीत आ मनोरमामे सेहो हिनकर कथा प्रकाशित अछि । इनकर उचाट उपन्यास तुलिका प्रकाशन , लालवाग , दरभंगा सऽ 2010 ई. में प्रकाशित भेल , इनकर द्वारा लिखल उपन्‍यास उचाट के लेल  इनका सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ  सम्मानित कैल गेलन ।

किछु प्रश्न :-
प्रश्न - उचाट की थिक -
उत्तर :- उपन्यास
प्रश्न - उचाटक लेखिका के नाम लिखू ।
उत्तर :- आशा मिश्र
प्रश्न - उचाटक प्रथम संकरण प्रकाशित भेल --
उत्तर :- 2010 ई. में
प्रश्न - उचाटक उपन्यासक समीक्षात्मक टिप्पणी लिखने छथि -
उत्तर :- पंडित गोविन्द झा
प्रश्न - उचाटक प्रकाशक अछि
उत्तर :- तुलिका प्रकाशन , लालवाग , दरभंगा

दिनांक :- 24/02/2021 , बुधवार
रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी बिहार
मोबाइल / व्हाट्सएप :- 6290640716
roshanjha9997@gmail.com
https://youtu.be/SkkETcU1Z7o
साहित्य एक नज़र
https://vishnews20.blogspot.com/2021/02/uchhat-upniyash-lekhika-parichai.html?m=1
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 24
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
03/06/2021 , गुरुवार

7.
-- युद्ध नहीं बुद्ध का ज्ञान चाहिए---

बैशाख पूर्णिमा दिन था पावन,
शुद्धोधन के घर आया राजकुमार।
महामाया थी माता उनकी
खुशियां मना, मना जैसे त्योहार।
मां गुजर गाई बचपन में,
पालन- पोषण की गौतमी मौसी ने।
यशोधरा संग उनका हुआ विवाह
पुत्र राहुल का वर्षों बाद जन्म हुआ।
सांसारिक दुखों से विचलित हो कर
न जाने क्यों विरक्ति हुई।
छोड़ सिंहासन,राज - पाट सब
क्यों गृह त्यागी हुए।
रहे भटकते वर्षों तक
न जाने  कौन सी
उनको शक्ति मिली।
पुत्र - पत्नी को छोड
बीच राह में
निकल पड़े वो सत्य
और ज्ञान की चाह में।
बोध गया में पीपल के
नीचे ज्ञान वो पाये,
सत्य - अहिंसा न्याय
को अब वो जान भी पाये।
सुखमय जीवन त्याग दिए वो
अब सन्यासी का मार्ग अपनाए।
विचित्र रहा है जीवन उनका,
गौतम से अब बुद्ध कहलाए।
सारनाथ में प्रथम
वो उपदेश दिए,
अपने अनुयायियों
को वे आदेश दिए।
दुख है दुख का कारण
दुख नीरोध और सत्य
मार्ग का ज्ञान दिए।
नालंदा, विक्रमशिला
और वल्लभी का
अब वो रहा ज्ञान कहां।
विश्वगुरु था भारत जग में,
अब वो रहा सम्मान कहां।
भटक रहे लोग अंधविश्वास,
आडंबर और पाखंड में।
बुद्ध ने कहा " पहले जानो,तब मानो "
मत रहो तुम घमंड में।
दुनियां में फैला बुद्ध का ज्ञान,
जग में बढ़ा भारत का मान।
अब भारत की खोई अस्मिता और
पहचान चाहिए।
बस करो भीम अब युद्ध,
युद्ध नहीं बुद्ध का ज्ञान चाहिए।

  ✍️   भीम कुमार
      गांवा, गिरिडीह, झारखंड

8.

" मेरी कलम "

कलम कभी रूकती नहीं;
कलम कभी थकती नहीं;
कलम वो -जो कभी झुकती नहीं,,,
कलम ही तो पहचान है।
मेरे मन की आवाज है।
धड़कनों की शोर को
मद्धम राग में पिरो रही ;
ह्रदय के उठते गर्जना को
अक्षरों में बांध रही;
अभिव्यक्ति में ढाल रही,,,
सुख हो या दुःख !!
मन को टटोलती
चुपके से साथ निभा रही;
ज्यों कोई चिर सहचरी
भर भाव के;
आनन्द मधु-का छलका रही,,,
कलम ही तो दरमियाँ हैं;
मन की असंख्य पगडंडियों के -
खोजती- निज नवीन पथ को;
जोङती----
मन की  कङियों से;
रूह को,,,
टटोलती---
प्रखर---प्रबुद्ध है।

कलम है तो ;
जान है।
धड़कनों में प्रवाह है~

  ✍-  डाॅ पल्लवी कुमारी " पाम "
    अनिसाबाद ,पटना (बिहार)
9.

* संघर्ष *

जीवन का ही
दूसरा नाम संघर्ष है,
बिना संघर्ष कौन
जी पाया है,
मंजिल को जो
पाना चाहता है,
जो ऊपर उठ कुछ
करना चाहता है,
उसे
खुद से खुद का संघर्ष
भी तो,करना होता है,
हालातों से, दुनिया से
संघर्ष करना पड़ता है,
बिना संघर्ष के कौन
महान बन पाया है,
बिना डरे बिना हारे,
जिसने जितना संघर्ष किया
वो मनुष्य काबिल
उतना बन पाया है,
इसलिए संघर्ष ही
जीवन कहलाया है..

____✍️सौ  अल्पा कोटेचा.
10.

" मेरी आत्मकथा "

माँ की कोख से मैं जब जन्मा
धरा पे ली पहली सांस
दिनकर की आभा से मेरे
मुख मण्डल पर फैला प्रभात

जन्मा जिस वासर को मैं
तारीख थी जनवरी सात
मंगल-गीत गूंजे घर में
घर मे मनी खुशियाँ अपार

दिल लगाया जिस दिल से मैनें
तीन साल की इशारों में बात
किया इज़हार जब उनने हमसे
तारीख थी पच्चीस
दिसम्बर अंक था सात

प्यार के दुश्मन बने घर बाले
नहीं तैयार थे करने शादी की बात
कोर्ट में जाकर कर ली शादी
तारीख थी नवम्बर सात

सोचा था सात फेरों के बाद
छूट जायेगा सात का साथ
और प्रकाशित हुई पहली पुस्तक
तारीख थी जुलाई सात

सोचता हूँ कब छूटेगा
ये सात का साथ
शायद मृत्यु भी लेगी आगोश में
उस दिन भी होगी तारीख सात

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश
975387778

11.

साहित्य एक नजर
नमन मंच🙏
अंक22 से 24
**************

कोई नहीं कर सकता इंकार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही कर्म है प्रेम ही पूजा है
प्रेम से ही है जीवन का उद्धार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही करूणा है प्रेम ही दया है
प्रेम ही दरिया सा उमड़ता प्यार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही जगत को जोड़ता है
ईर्ष्या कटुता से मुंह मोड़ता है
अपनापन भाई चारा से ही
इस दुनियां का चलता ब्यापार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही रस भरी वो मिठास है
खिलते पल्लवित पुष्पों की
सगन्धित चन्दन सी सुपास है
प्रेम से ही सब हो जाते अपने
जानी दुश्मन में हो जाता प्यार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम से सबको गले लगाओ
प्रेम रूपी जीवन को अपनाओ
प्रेम ही नदिया का बहता पानी
प्रेम से ही होगा बेडा पार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही जीवन का आधार

✍️ अनिल राही
ग्वालियर ,  मध्यप्रदेश

12.

शब्द

शब्द , शब्द मे ब्रह्म बसे
शब्द से उपजे प्यार
शब्द ही घातक करे
शब्द देते है रिश्तों को मार
एक शब्द मरहम करे
एक शब्द देते घाव
एक शब्द मे प्रेम बसे
एक शब्द अलगाव
शब्द सदा ही बोलिए
जो दे प्रेम जगाए
ऐसे शब्द ना बोलिए
जो आपस मे घृणा बढाये
शब्द ही ईश्वर
शब्द ही प्रेम
शब्द ही धर्म
शब्द ही नेम
ईश्वर ने जो
शब्द रचा उसमें
था बस प्रेम
मानव ने तो भर दिया
ना जाने क्यों इसमें
वैमनस्यता का गेम।

© ✍️ श्रीमती सुप्रसन्ना झा
        जोधपुर।
13.

मर्यादा

मर्यादा।  पुरुषोत्तम  जय   श्री राम जय राम
मर्यादा  का   जीवन  में  मत  करना    हास
अपना जीवन उत्कर्ष काल में मर्यादा दुकाल
मर्यादा के  बंधन में  बंधी संस्कृति परिहास।।

मर्यादा    से   जीवन  में   आते  अच्छे   भाव
वाणी   की  मर्यादा  देती  जीवन  की    नाव
कल्पना और  अनुमान  भाव   के साथ चाव
सीख जीवन में मर्यादा की भक्ति का उछाव।।

मर्यादा  से   बनता  जीवन  का  आनंद  अपार
नारी का या पुरुष का गहना मर्यादित व्यवहार
सीता  बनकर  जो  रहे वहीं मर्यादित आचरण
रावण बनकर करे जो सदा अमर्यादित व्यवहार।।

मर्यादा  की सीमा  लांघकर  करे घर्नित काम
उसका  सर्व  नाश  निश्चित है  यही प्रभु धाम
सेवा धर्म से करता मर्यादित सापेक्षता सिद्धांत
जो  बुजुर्गो  का  सदा  करता  मान   सम्मान
मर्यादा जीवन उसका नहीं कोई बिगड़ा नाम।।

मर्यादा।  बिना   जीवन   कोरा अभिशाप
मर्यादा  ही  जीवन  का  ध्यान सदा  जाप
मर्यादा  पुरुषोत्तम  भगवान जय श्री राम
अयोध्या पति   रघुपति राघव राजा राम।।

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान
मो - 9928325840
14.

#साहित्य एक नजर (कोलकाता से....
#विषय :अलमारी मे रखे पुराने खत
#दिनांक :03/06/2021
#विधा :

कविता
* अलमारी मे रखे पुराने ख़त *

अलमारी मे रखे
पुराने खत
पुरानी यादों को
करते ताज़ा आज
डाकिया जब आता
गाँव मे
लोगों की
उम्मीद जाग जाती
में भी दौड़ी दौड़ी जाती
और पूछती डाकिया बाबू
कि क्या मेरे
पिया का भी खत
आया है परदेश से
कभी हाँ मे कभी
ना में जबाब होता
कोई शुभ संदेश
रातों की नींद
उड़ जाती थी
सोचते सोचते सुबह
हो जाती थी
कई रातें ऐसे ही
गुजारी हमने
पिया की विरह मे
कब मेरे पिया आएंगे
मिलन की आस लगाये
विरह की मारी सी में
जो खत आये
मेरे पिया के
उसे दिल के
टुकड़े की तरह
संभालकर रखे थे
अलमारी मे
वर्षों बाद
आज जब देखें
मैंने अलमारी में
रखे तुम्हारे पुराने खत
उन लम्हों की,पुरानी यादें
ताज़ा हो गई
जब हमारी शादी हुई थी
तुम मुझे छोड़
प्रदेश चले गए
और में तुम्हारा
हर रोज़ आने का
इंतजार करती रहती थी
उस वक़्त सिर्फ और सिर्फ
खत का ही सहारा था
मोबाइल का तो
नामोनिशान ही नहीं था
याद आते है आज भी
अलमारी में रखे वो ख़त

✍️ शिवशंकर लोध राजपूत (दिल्ली)
व्हाट्सप्प no. 7217618716
15.
यह रचना स्वरचित व मौलिक है !
नमन मंच🙏🙏
अंक -21-23
शीर्षक :- खो जाने से पहले

हैं जो हसरतें मेरी
तू सदा खुश रहे
ऐ खुदा! हों ऐसी रहमतें तेरी।
खो जाने से पहले
तमन्ना है तुझे बताने की
चाहता हूँ, हो हँसी तेरे लबों पे
की है इबादत,
हरपल तेरे मुस्कुराने की।
किस पल हम खो जायें
ये खुद को भी पता नहीं
खो जाने से पहले
हम तेरे हो भी पायें,ये पता नहीं।।

✍️ संतोष सिंह राजपुत
मेदिनीनगर, पलामु
झारखंड।।

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 25 से 27 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 04/06/2021 से 06/06/2021 के लिए
दिवस :- शुक्रवार से रविवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 25 तो कुछ रचनाएं को अंक 26 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 27 में शामिल किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

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✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा


अंक - 25

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कविता :- 20(17) , शुक्रवार , 04/06/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 25
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अंक - 26
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http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2018-05062021-26.html
अंक - 27
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/27-06062021.html

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अंक - 24
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अंक - 25
नमन :- माँ सरस्वती
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अंक - 25

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कविता :- 20(17) , शुक्रवार , 04/06/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 25
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अंक - 26
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