कविता :-16(63), कलम लाइव पत्रिका मजदूर की व्यथा ई पुस्तक

कविता :-16(63) ,माधव साहित्यिक संगम कवि सम्मेलन

#######  भाग :- 1

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 15-06-2020
दिवस :- सोमवार
विषय :- मन
विधा :- लघु लेख
विषय प्रदाता :-  आ. तृप्ति त्रिवेदी जी

मन हवा से भी तेज चलने वाली है,कुछ ही क्षण में लोग मन से बहुत कुछ बन जाते है, पर हक़ीक़त में नहीं, मन को जो अपने वश में कर लेता, वही कुछ न कुछ रच देता , मन रुकता कहाँ, मन को रोकना पड़ता है, और मन पर क़ाबू रखना चाहिए, ताकि हम रोशन न , मन हमारे अनुसार चले ,मन तो बहुत कुछ कहता ये कर लूँ, वे कर लूँ ,मन की बात मन ही में रखना चाहिए ,हाँ बदलाव लाये, सिर्फ मन से ही नहीं, तन मन से ।

® ✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :- 6290640716

#######  भाग :- 2

नमस्ते 🙏 :-   कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय :- देखकर ये हथिनी
विधा :- चित्र लेखन
विषय क्रमांक :- 154
दिनांक :- 15/06/2020
दिवस :- सोमवार
संचालक :- आ. एन.एल. शर्मा जी

नमस्ते 🙏 :-  मेरी कलम मेरी पूजा कीर्तिमान साहित्य मंच,
विषय :- भावनाएं

इस हथिनी से हथिनी नहीं तो होता हाथी ,
चित्र देखकर फट रहे है हम रोशन की छाती ।
यही है मानवता की माटी ,
मैं पूछता हूँ, मानव से
क्या मानव यही दया, प्रेम की भावनाएं दर्शाती ।।

तो व्यर्थ है ,
उन्हें मानव होने का न अर्थ है ।

माटी वही है, इंसानियत घटा ,
आज भी लोग सुनते है , रामायण, महाभारत कथा ।
तब मत करो भावनाओं का लापता ,
दिखाओ यारों मानवता ।।

मानव तो मानव , जीव जंतु का भी करो सहयोग,
तब वातावरण बना रहेगा, तब होंगे न कोई रोग ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा
ग्राम :- झोंझी ,मधुबनी, बिहार

सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार ,
मो :- 6290640716
Nss फोटो दोनों संस्था में यही कविता

#######  भाग :- 3

कविता :-16(58) बुधवार 10/06/2020

नमन 🙏 :-  माधव साहित्यिक समूह

-:  नव वर्ष हमारा पर्व नहीं   !:-

मैं रोशन मुझे अपने पर गर्व नहीं ,
मनाने की सब्र नहीं !
नव वर्ष पर मेरा कोई संदर्भ नहीं ,
क्योंकि ये अपना पर्व नहीं !!

चल रही है ठंडी-ठंडी है गर्म हवा नहीं ,
सूर्य बिना खिली हुई फूल सूर्यमुखी जवा नहीं !
मानव तो मानव जीव-जंतु भी दबे हैं , ठंड से
बचने के लिए कोई दवा नहीं ,
तब कैसे मनाऊं नव वर्ष, नया साल मनाने के लिए लगी
हुई कहीं सभा नहीं !!

पुरानी पत्ती ,अभी खिला सा वन नहीं ,
पौष माघ अभी बसंत और सावन नहीं !
आग नहीं तो बिस्तर, उसके बाहर मां बहन नहीं ,
क्यों मनाऊं, मनाने की मन नहीं ,
क्योंकि ये नव वर्ष अपना पावन नहीं !!

घर से निकलने वाली शाम नहीं ,
घर के अंदर कोई काम नहीं !
पेट के लिए निकलना ही होगा , ठंड से विश्राम नहीं ,
सच में नव वर्ष को मेरी ओर से प्रणाम नहीं !!

अभी जाने दो समय की गति ,
नव वर्ष मनाएंगे अभी नहीं , खिलने दो नव पत्ती !
आने दो बसंत , लेकर आ रही है मां सरस्वती ,
तब मनाएंगे नव वर्ष जलाकर दिया और मोमबत्ती !!

नव वर्ष मनाएंगे पहले चलें ,तो जाये ठंड की
पकवान चौखा लिट्टी !!
केक नहीं बनाएंगे जलेबी वह भी मीठी-मीठी ,
है अपना ये हिन्दुस्तान ,विद्यापति, कबीर,दिनकर की मिट्टी,
उस पर नव वर्ष मनाएंगे, अभी नहीं, आने दो अपना तिथि !!

अभी काफी ठंड है , ठंड की कोई दण्ड नहीं ,
पूजा पाठ करने के लिए कैसे नहाऊ ,गर्म जल की प्रबंध नहीं !
बढ़ते ही जाते ठंड, ठंड की गति मंद नहीं ,
कैसे मनाऊं नव वर्ष, नव वर्ष मनाने की कोई सुगंध नहीं !!

ठंड में यानि आज नहीं ,
कोयल की मीठी आवाज नहीं !
शीत के कारण समय कैसे बीती अंदाज नहीं ,
तब कैसे मनाऊं नव वर्ष,ये हमारा रीति रिवाज नहीं !!

कुहासा में नया साल मनाना ,अपनी कर्त्तव्य नहीं ,
वह भी अब नहीं !
नव वर्ष पर हमें गर्व नहीं ,
है अपना ये पर्व नहीं !!

® ✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार , कविता :-14(89)
08-05-2020 शुक्रवार मो:-6290640716
वीडियो:-2:49
https://youtu.be/bLDymqXZQlg
सैजन्य :- टीम अपना एवं माधव महाविद्यालय, बाड़मेर
माधव साहित्यिक संगम बाड़मेर, राजस्थान कवि सम्मेलन क्रमांक:-8 पर (कुल :-55) आज कविता :-16(63) सोमवार 15/06/2020

#######  भाग :- 4

कविता :-

नमन 🙏 :- साहित्य उत्थान
विधा :- कविता
विषय :-  नदी
दिनांक :- 15/06/2020
दिनांक :- सोमवार

पर्वत से जन्म लेती हूँ
वही रहती मेरी बचपना की उमंग ।।
तीव्र गति से आगे बढ़ती ,
मार्ग में आये बड़े - बड़े पत्थर दूर फेक ।।

फिर आती समतल भाग में ,
नई गति से भागती हूँ ।।
अनेक मंदिर, घाटी , ब्रीज ,
को पीछे छोड़ते जाते ।।

उनके मार्ग में कितने ,
नहरे- नालियां मिलती ।
सभी को अपनी सहेली बना लेती ,
उसे भी अपने साथ ले जाती  ।।

पर्वत से जन्म लेती हूँ ।
मार्ग में जीवन बिताती हूँ ।।
अन्त समय में गति रुक जाती कम  ,
फिर सागर में मोक्ष पा लेती हूँ ।।

नाम :-   रोशन कुमार झा
जन्मतिथि :- 13/06/1999
कार्य :- बी.ए की छात्र, एन.सी.सी, एन.एस.एस, सेंट जॉन एम्बुलेंस, भारत स्काउट गाइड के सदस्य ।
पता :- ग्राम :- झोंझी , मधुबनी, बिहार
ई - मेल :- Roshanjha9997@gmail. com
यह रचना हमारा मौलिक व स्वरचित है, और इसे साहित्य उत्थान से आयोजित ई - पुस्तिका में प्रकाशित करने का अनुमति देता हूँ ।।

रोशन कुमार झा
    कक्षा: 12
विद्यालय: सलकिया
    विक्रम विद्यालय
भारत एक नज़र कोलकाता समाचार पत्र में
प्रकाशित पहली (दुसरी )  कविता :- रविवार
18 सितम्बर 2016 (मो :- 6290640716 )
11-05-2020  सोमवार कविता:-16(28)
नदी की जीवन :- भारत एक नज़र https://www.sahity.com/hindi-poems/%e0%a4%a8%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%
######  रोशन कुमार झा 🇮🇳  #########
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1597-1598-1585.html

#######  भाग :- 5

नमन 🙏 :-  प्रणाम साहित्य
विषय :- बेटी
दिनांक :- 09/06/2020 कविता :-16(57)
दिवस :- मंगलवार

वह बेटियां नारी है  !:-

तुम्हारा और मेरा न, यह बेटियां हमारी है ,
पूजा करने योग्य सरस्वती, दुर्गा वही काली है !
कल भी , आज भी और भविष्य की भी वही लाली है ,
तो हे ! दुनिया वालों सहयोग करो ,वह बेटियां नारी है !

पढ़ने दो , बढ़ने दो जब तक वह कुँवारी है ,
जब-जब आपद आई है , तब-तब बेटियां ही संभाली है !
भंयकर रूप धारी है !
रानी लक्ष्मीबाई बनकर, बेटियां ही दुष्ट को मारी है ,
गर्व है हमें हर एक बेटियां पर , 
वह तेरी मेरी नहीं , वह बेटियां हमारी हैं !!

उसे स्वतंत्र रहने दो , उसी के लिए धरती की हरियाली है ,
बेटियां से ही सुख-सुविधा सारी है !
वह बिहारी न बंगाली वह दुनिया वाली है ,
इज़्ज़त करो यारों , वह बेटियां नारी है !!

बेटियां ही लक्ष्मी उसी से होली,ईद और दीवाली है ,
अभी जो कोरोना जैसी महामारी है !
उससे भी लड़ने के लिए बेटियां तैयारी है ,
हम रोशन बेटियां की रक्षा के लिए, 
आप सभी पाठकों के समक्ष बनें भिखारी है ,
मेरी भिक्षा यही है , कि बेटियां की इज़्ज़त करो
वह तेरी मेरी नहीं वह बेटियां हमारी हैं !!

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :- 6290640716 कविता :-16(28)

#######  भाग :- 6

कविता :- 14(57) हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
Roshan Kumar Jha, রোশন কুমার ঝা

-: जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है । :-

जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है ,
कभी आते है, तो कभी वह घर लौट कर नहीं आते है ।
बड़ा मन घबड़ाते है ,
जब कोई सैनिक सीमा पर हमेशा के लिए सो जाते है ।।

मरने के बाद आते है , तिरंगा में आते है ,
उनके अस्थियां भी नदी गंगा में जातें है ।
मैं देशभक्त कवि रोशन महसूस कर चुका हूं, सब दिखावा है
बाज़ार करने लोग सिंगापुर, दरभंगा जाते है ,
बोलो सेना के आलावा कौन सीमा के ढंगा में जाते है ।

कोई नहीं , सब घर बैठे काली पूजा, ईद, दिवाली मनाते है ,
फल फूल से घर द्वार, बाड़ी सजाते है ।
और सीमा पर सैनिक देश सेवा के लिए गोली खाते जाते है ,
कमाते है, वे कमाई के लिए नहीं,
बल्कि देश सेवा के लिए मरे जाते है ।।

जब कोई स्त्री अपनी पति ,
कोई माँ बाप अपने पुत्र को खोने लगते है ,
हम क्या ? प्रकृति भी रोने लगते है ।
देशभर में हलचल होने लगते है ,
कब ? जब कोई सैनिक हमेशा के लिए सोने लगते है ।।

                🙏✍️ धन्यवाद

® ✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
10-12-2019 मंगलवार 09:34
CATC (KB-14) ,3 Bengal Bn Ncc, Camp शिविर में
रिषड़ा विद्यापीठ में कविता :-14(61)
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार ,
मो :- 6290640716 आज कविता :- 16(63)
सोमवार 15/06/2020

http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/06/1660-1359.html   :-13(59),7(09)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1639-3157-09.html  (कोबरा वाहिनी पर कविता
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1598.html  सभी वीडियो इस में
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1627-919-1461-1489_10.html  19,3 Bengal Ncc
http://roshanjha1999.blogspot.com/2020/04/1570.html पुराना वाला
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/06/1662.html  मजदूर पर क्रमांक:-5
कुल :-25 विक्रम विद्यालय फोटो पृष्ठ :-24-26
मजदूर पर किताब
https://kalamlive.blogspot.com/2020/06/majdoor-ki-pida.html
कविता :- 16(56) वक्त
https://kalamlive.blogspot.com/2020/06/wakt.html
विजय भईया के वर्षगांठ पर कविता :-16(59)
https://kalamlive.blogspot.com/2020/06/har-nhi-ho-vijay.html
कविता :- 13(59) जब हमेशा के लिए सोता जवान
https://kalamlive.blogspot.com/2020/06/hmesha-ke-lie-sota-h-jawan.html
कविता :- 16(62) वर्षगांठ पर सब आज प्रकाशित हुआ
https://kalamlive.blogspot.com/2020/06/janamdin-janmdivas-happy-birthday.html
आज देवभूमि में एक पेड़ लगाओ
https://devbhoomisamachar.page/article/ek-ped-lagao/J5DEWe.html    कविता :-16(39)


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