रचनाकार में प्रकाशित कविता :- 15(97):-15(98) :-15(85)

रोशन कुमार झा 

-:   भारी पड़ा कोरोना  विज्ञान पर  !

क्या बताऊं कैसी दशा है ,
मुसीबत में हम तो हम दुनिया भी फंसा है !
न आना,न कहीं जाना, नहीं अब कोई नशा है ,
घर बैठे आज मैं रोशन खूब जोर से हंसा है !

किस पर...? विज्ञान पर... ,
उसका मान-सम्मान पर !
ताला लटका हुआ है दुकान पर !
वहीं घर है पर रौनक़ है न उस मकान पर ,

सबका जिम्मेदारी कौन है ,
जो है आज वह मौन है !

कहां गया वह विज्ञान का सिध्दांत ,
कोरोना जैसी मुसीबत में कला तो कला,
विज्ञान भी हो गया शांत !

   ---
  कोरोना के कारण !

कर लिया है कोरोना भंयकर रूप धारण ,
तंग हूं हम जनता, कोरोना के कारण !
मर रहें हैं हम रोशन ... और लोग साधारण !
कब तक करते रहूं  बिना कमाई का पेट पालन !

लॉकडॉउन है बाहर निकलना असम्भव
क्योंकि कड़ी है शासन !
शान से बैठें हैं अमीर , नेता लोग लगाकर आसन ,
उस आसन से सूनने को मिलती हैं घर-घर
पहुंचेंगे राशन ,
पर राशन कहां , वह राशन , राशन नहीं ,
रहता एक प्रकार की भाषण !

वहीं से सम्बोधित करते जहां रहता उनका सिंहासन ,
कब तक आशा में रहूं हम गरीब कहां दिया अन्न !
कोरोना खराब किया मन ,
और भोग में ले लिया विश्व का धन !

अमीर-गरीब को छांट दिया कोरोना भरी चालन ,
भूखे मर रहें हैं दिहाड़ी मजदूर.. , है इसके उदाहरण !
सेठ गिन रहे हैं धन , हम ग़रीब भूखे कर रहें हैं
राम-राम उच्चारण !
किस लिए ? तो सब कोरोना के कारण !
---
कोरोना चालिसा।   

जय कोरोना जब तोहर वृहान में जन्म खून जागल ,
जय दो हजार बीस , उन्नीस के असर बीस में 
विश्व लोक के लागल !

चीन दूत कोरोना धामा ,
चाईना पुत्र कोविड-19 नामा !

सर्दी जुखाम क्रम-क्रम रंगी ,
समझ जाओ ये है कोरोना के संगी !

लक्षण मरण समाज में ऐसा,
दिन रात न यह बढ़े हमेशा !

हाथ ब्रज , मिथिला, मथुरा भारत में थाली बाजे ,
करें ब्रहामण जनेऊ से प्रार्थना कहीं न ये कोरोना
महामारी बीमारी विराजे ! 

अंक्ल जन माक्स लगाकर हुए चाची के बंधन,
तेज प्रताप से कोरोना कर रहे हैं विश्व को खण्डन !

विद्यावान मुनि,कवि, विज्ञान अति बहादुर ,
करें न कोई राहुल,अरूण नेता ऐसी भूल !

चलें समाचार सुनने प्रधानमंत्री मोदी जी न्यूज
पर अमेरिका रसिया,
कोरोना तो हर कहीं हो चुके है बसिया !  

छप्पन इंच छाती बड़ा काज दिखावा ,
अमेरिका के धमकी से न, मानवता के कारण दिये दावा !

भीम रूप कलि, फूल सहारे ,
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा देकर नमस्ते
ट्रम्प के काज संवारे !  

लाया सा दवा उससे भारत विश्व जियावे ,
तब जग भारत पर फूल बरसावे !

हिन्दुस्तान की गति बहुत बड़ाई ,
तुम चीन सच में दुष्ट है भाई !

सार्क के देश तुम्हारे विरोध में आवें ,
विश्व अंदाज किये है अब तुम्हारे अंत लगावे !

आज़ादी, गांधीवादी पर चले हमारी दिशा ,
पर अब तुम विश्व सम्मेलन में लेना न मित्र हिस्सा !

तुम्हारे यम कोरोना काल जहां ते ,
हम जनता घर में कर्फ्यू लगे वहां थे ! 

तुम हम भारतीयों का उपकार कभी न चिन्हा ,
तुम दुष्ट चीन हमेशा दुख ही दिन्हा !

तुम्हारे मंत्र हम क्या ?  विश्व न माना ,
हम हमारी भारतीयों के कर्मों से विश्व गुरु कहे जमाना !

तब तुम्हें हम कैसे अपना मानूं ,
तबाह है सभी मुख्यमंत्री ममता, नीतीश कुमार
भगाना है कोरोना ये विचार मैं भी ठानू !

पायें न कोई सुख राही ,
क्योंकि कोरोना रूकने पर तैयार नाहीं !

दुख भरी काज तुम जगत के देते ,
कौन ? तुम दुष्ट चीन के बेटे ! 

राम सहारे हम भारतीय दिया जलाकर किये और
करें विश्व के रखवाले ,
हे दुष्ट चीन तू अभी कमा रे ! 

हम तो हम तुम्हें भी है मरना ,
अपनाया तो सनातन धर्म तुम्हें भी है जलना !

तुम्हारे कारण विश्व तापें ,
तुम पर मंडरा रही है सारी पापे !

दुष्ट कोरोना अब निकट न आवे ,
कब ? जब भारत अपना लांकडाउन हटावे !

हंसे मुस्कुराये गांव घर और सब जिला ,
करेंगे भारत मां की पूजा चढ़ायेंगे फल फूल निर्मल
जल और खीरा ! 

विश्व से संकट घड़ी भारत हटावे ,
जब कोई भारत के चरण में आवे !

आदर्श राजन मोदी राजा ,
खूब ठीक तनु वक्ष स्थल से योगी अंदाजा ! 

और दुख जो कोई लावे ,
उसे भारत मां के भारत स्काउट गाइड, सेंट जांन एम्बूलेंस,
एन.सी.सी, और एन.एस.एस के पुत्र ही मिटावे !

हे चीन संकट फैलाना कर्म तुम्हारा ,
है दुनिया को बचाना धर्म हमारा ! 

साधु संत के हम रखवाले ,
तुम्हारे तो सोच ही है काले !

दुख दिया मिटेंगे विधाता ,
हंस-हंस कर दर्द सहे है हमारी भारत माता !

कौन ? रखेंगे तुम पर आशा ,
छल कपट से बढ़ा तू चीन यही है तुम्हारी परिभाषा !

तुम्हारे कर्म विश्व को पावे ,
विश्व सोचा अब तुम्हें हटावे ! 

अंत काल तू (UNO)  यूं.एन.ओ पुर जाई ,
वहां कोई साथ देंगे न ए चीनी भाई !

और चीन अब चिंता मत करिए ,
दुनिया को मारे अब आप भी मरिये !

लांकडाउन हटें मिटे सब पीरा ,
कष्ट से तड़फे न कोई राज्य और जिला !

जय-जय कोरोना कसाई ,
लाट मार कर अब विश्व तुम्हें भगाई !

जो सट कर बात करें न कोई,. 
हटी इमरजेंसी,छुटी लांकडाउन, विश्व में महासुख होई !

जो यह जब जब पढ़ें कोरोना चालिसा ,
तब तब चीन को मिलें गाली जैसी भिक्षा !

रोशन सदा गुरु , हम रोशन कुमार उनका चेला ,
कोरोना को दूर कीजो नाथ , यही है ह्रदय से विनती मेरा !
  

              रोशन कुमार झा    
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कविता :- 15(97) ,:- 15(98) :-15(85)
https://www.rachanakar.org/2020/04/blog-post_476.html
संध्या शर्मा
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1597_28.html
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http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1606_26.html
26-04-2020 रविवार कविता:-16(06)
आदरणीय महोदय/महोदया,
हर्ष पूर्वक सूचित किया जाता है कि आपकी रचनाएँ आज प्रकाशित कर दी गई हैं जिसकी कड़ी (लिंक) निम्न है -
https://www.rachanakar.org/2020/04/blog-post_476.html
कृपया देखें, व इस कड़ी को सहेज कर रखें व अपने साहित्यिक मित्रों व पाठकों से से साझा करें.

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