कविता :- 16(60) हिन्दी, 13(59)

कविता :-16(60),:-13(59)  रोशन कुमार झा 🇮🇳
12-06-2020 शुक्रवार
✍️ • রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha

कविता :- 16(60)

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 12-06-2020
दिवस :- शुक्रवार
विषय :- प्रकृति का रौद्र रूप
विधा :- घनाक्षरी 
नियम :- 8,8,8,7
विषय प्रदाता :-  आ . वंदना नामदेव जी 

सब कोई फिर आओ
बचाओ जी ये बचाओ 
प्रकृति को भी जगाओ 
एक पेड़ लगाओ 

जब आये वर्षगांठ 
मनाना प्रकृति साथ
होने देना नहीं क्रोध
करो मानव बोध 

कुछ करो देखभाल 
प्रकृति से है संसार
कहें रोशन कुमार
ये है मेरी विचार ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार ,
मो :- 6290640716

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कविता :- 16(60)

नमस्ते 🙏 :-  मेरी कलम मेरी पूजा कीर्तिमान साहित्य मंच,
विषय :- यादें 
दिनांक :- 12/06/2020
दिवस :- शुक्रवार

कुछ पूरी हुई , कुछ रह गये वादे ,
मंजिल तक जाने से पहले ही बदल गये इरादे ।
है कोई जो हम रोशन को राह दिखा दे ,
नहीं न , फिर क्यों सता रहीं है बचपन की यादें ।।

ऊपर खुद जाऊँगा, पहले जगह नीचा दें ,
है हम में कमी, कोई हमें शिक्षा दे ।
और क्या हमें भिक्षा दे ,
कि कभी सताये न बचपन यादें ।।

ज्यादा उम्र ना दे ,
जब तक हूँ, तब तक प्यार माँ दे ।
दया , प्रेम और क्षमा दे ,
दूर जाते न, दूर जाने वाली है ना यादें ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :-6290640716 

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कविता :- 16(60) आज 

कविता :- 13(59) हिन्दी, ® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
19-09-2019 वृहस्पतिवार 06:25
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha

-: जब हमेशा के लिए सोता है जवान । :-

जब कोई जवान हमेशा के लिए सोता है ,
दिल क्या ? मेरा दिमाग़ भी रोता है ।
क्योंकि कोई अपनी सिन्दूर 
तो कोई अपने लाल को खोता है ,

सच पूछो तो बड़ा दुख होता है ,
जब कोई जवान हमेशा के लिए सोता है  ।
चाह कर भी नहीं देखते कि वह पतला है या मोटा है ,
बल्कि आँसू के साथ मैं एक दर्दनाक कविता बोता है ।।

क्योंकि मेरी कोई सीमा नहीं ,
दर्दनाक कविता लिखते वक़्त मेरे
कलम के गति धीमा नहीं ।

यूं तो हर कोई आँसू पोछता है ,
पर हम यूं आँसू के साथ एक दर्दनाक
कविता के बारे में सोचता है ।

जब कोई माँ अपनी पुत्र खोती ,
पाल - पोष कर बड़ा किये रहती, खिलाकर रोटी ।
जब कोई स्त्री अपनी सिन्दूर धोती ,
हम यूं रोशन आँसू के साथ लिख बैठते कविता उन
शहीदों पर , इसे मत समझना पथरा - पोथी ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार ,
मो :- 6290640716

Typing:- Microsoft :- 2 राहुल मनहर सर जन्मदिन
दुर्गा पूजा 06-10-2019 से शुरू कविता :-13(80)
77/R mirpara road ashirbad bawan Liluah
-15-10-2019 मंगलवार ,कविता :- 13(91) 

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कविता :- 16(60 )

कविता :- 7(09) हिन्दी

  देश के रक्षक तीन भाई ‌ । :- 

हिन्दुस्तान की सौन्दर्यता की प्रतीक जल,थल, वायुसेना
तीनों भाई है ,
अपनों के लिए चंदन दुश्मनों के लिए कसाई हैं ।

जय श्री राम, जय हिन्द इनके नारा है ,
सुरक्षा के प्रति इनके पास अणु परमाणु बम प्वाइंट टु टु
.22 रायफल, 7.62 एल.एम. जी , एस. एल. आर ,
ब्रहामोज और भी शस्त्र व भाला है ।

सुबह में पीटी फिर करने को ड्रिल (Drill ) है ,
तीनों भाइयों को दुश्मनों के सामने वीरता दिखाने के लिए
सर्वोच्चम पुरस्कार चक्र परमवीर है ।

हर एक का मार्ग रोशन, देश की मान सम्मान इनके हाथों में है ,
क्या कहूं दम तो इनके वर्ड आफ कमांड और 
हर एक बातों में है ।

देश सेवा के लिए तैरकर, उड़कर, दौड़कर चलते है ,
मारने या वीरगति पाने की भावना रखकर , दुश्मनों से
सीना तानकर लड़ते हैं ।

पहनने के लिए जूता , डी. एम. एस , तीनों भाई के 
अलग-अलग वर्दी है ,
रहने के बाद भी कहां इनके लिए होली ,ईद, दिवाली,
गर्मी या सर्दी है ।

मंगल हो या शनि हर दिन दाढ़ी बनाते यानि सेविंग करते हैं,
कब घर - परिवार, समाज से दूर हो जायेंगे , क्योंकि हर
दिन युद्ध के मैदान में चलते है ।।

✍️ रोशन कुमार झा 
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :-6290640716
06-07-2018 शुक्रवार 00:05 , Ncc
31 st Bengal Bn Ncc Fort William Kolkata-B
Coy no :-5 (Reg no :- WB17SDA112047 )
22-05-2020 शुक्रवार कोरोना कविता :-16(39) ,3(15)
कोबरा वाहिनी Roshan Kumar Jha 11 जुलाई नेहा जन्मदिन कविता :-7(009)

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कविता :- 16(60)  :- डायरी :- 1

नमस्ते 🙏 :-   कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह 
विषय :- सुनहरी यादें
विषय क्रमांक :- 152
दिनांक :- 12/06/2020
दिवस :- शुक्रवार
संचालक :- आ. एस . डी शर्मा जी

आंखों से मेरे आंसू बहने दो ,
मत रहो मेरे पास, बस अपनी यादें रहने दो ।

चांदनी रातें में जो बांटे थे सुख ,   वे रहने दो ,
अंधेरी रात में जो दुख देकर गयी वे अब सहने दो ।

पार्क , बाग़ में बैठकर किये थे, जो बातें, 
अब उस बातें को रहने दो ,
जो पूरा नहीं हुआ चाहत , उन चाहत को रहने दो ।

तुम्हारे आने की जो आगाज़ थी , उस पल को रहने दो ,
तुम्हारे जाने से जो हम रोशन को गम मिला, 
अब उस गम को सहने दो ।

तुम्हारी जो घुँघरू की आवाज थी, उस आवाज को सुनने दो,
जो तुम्हारे लिए रखें थे प्रेम की बातें ,
अब उन बातों को कहने दो ।

तुम्हारी जो आने की मार्ग थी, उस मार्ग को निखारते रहने दो,
तुम आओ या मत आओ , बस हमारी इंतजार जारी रहने दो ।

पतझड़ में दी थी होंठों पर मुस्कान, उस मजे को रहने दो ,
भरी बंसत में जो देकर गयी सजा , उस सजे को सहने दो ।

पास रहो या मत रहो ,
बस मेरी आंखों से आंसू बहने दो ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :-6290640716 कविता :- 16(34) 17-05-2020 रविवार 
✍️ रोशन कुमार झा     (Pagal)  Neha singh
24-09-2016  शनिवार 16:25
कक्षा :- 12 वीं  क्रमांक :-11
विभाग :- आर्ट्रस (कला )
विद्यालय :- सलकिया विक्रम विद्यालय ( मेन )
मो :-8481   933873
51/9 Kumar para lane,अभी 77/R mirpara road डायरी नहीं एक मोटा रजिस्टर रहा, जो पिताजी अपने कार्यकाल से लाये रहे, उसमें हिसाब किताब हुआ रहा ,

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Top :- 7 कलकत्ता विश्वविद्यालय आज R.k.college Nss,
इंक़लाब में
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/06/1649.html
प्रकाशित हुआ
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/06/1657.html

 सत्य का दर्पण: साझा लघुकथा संग्रह (Hindi Edition) by संपादक दीपक क... https://www.amazon.in/dp/B089T8HLMD/ref=cm_sw_r_wa_awdo_t1_SsW3EbHCTMXF8
पृष्ठ :-117-120  क्रमांक :-32  Rs :- 226
SNEC college code :- 117
 https://play.google.com/store/books/details/%E0%A4%A6_%E0%A4%AA%E0%A4%95_%E0%A4%95_%E0%A4%B0_%E0%A4%A4_%E0%A4%B8%E0%A4%A4_%E0%A4%AF_%E0%A4%95_%E0%A4%A6%E0%A4%B0_%E0%A4%AA%E0%A4%A3?id=uNDpDwAAQBAJ

नमन 🙏 :- इंक़लाब ऑनलाइन हिंदी पत्रिका

मौलिकता प्रमाण पत्र :- यह हमारी स्वरचित कविता है, इसे इंक़लाब ऑनलाइन हिंदी पत्रिका सागर यादव ज़ख़्मी जी के संपादन में काव्य तरंग साझा काव्य संग्रह ई - बुक प्रकाशन में प्रकाशित करवाने के लिए प्रस्तुत किये है ।:- कविता :- 13(59), 7(09)

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