कविता :-16(39),:-3(15),7( 09) हाइकु

कविता :-16(39) ,:-3(15), 7(09)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 22-05-2020
दिवस :-  शुक्रवार
आज का विषय :- वृक्षारोपण
विधा :- कविता
विषय प्रदाता :- आ. कृपाशंकर सिंह जी
समीक्षक :-
(1) आ. नेमलता पटेल जी
(2) आ. हरीश विष्ट जी

-: एक पेड़ लगाओ  । :-

आओ जी आओ
हरियाली लाओ
एक पेड़ लगाओ ।
है पर्यावरण अपना
इसे बचाओ ‌।।

                   फल खाओ
                   जल लाओ
                   जल देकर पेड़ बचाओ
                   और अपना ये वातावरण हंसाओ ।।

हम रोशन और आप मिलकर
बदलाव लाओ ,
अपने जन्मदिन के दिन
हर वर्ष एक पेड़ लगाओ ।
हरी भरी पेड़ पौधे से घर द्वार बाड़ी चमकाओ ,
एक पेड़ लगाकर इस कविता को गाओ ।।

            आओ जी आओ ,
            पड़े ज़मीन में हल चलाओ
            कोई पेड़ , तो कोई जल लाओ ।
            पेड़ लगाकर  " वृक्षारोपण " की विधि दर्शाओ ।।

अपने करो घर परिवार और समाज से करवाओ ,
वृक्षारोपण की अभियान चलाओ ।
आज लगाओ कल सुख पाओ ,
आओ जी आओ, एक पेड़ लगाओ ।।

वृक्ष की महत्त्व खुद समझो और दूसरों को समझाओ ,
न समझे तो बार - बार बतलाओ ।
बतलाकर खुद भी और उससे भी एक पेड़ लगाओ ,
और क्या आप भी पर्यावरण रक्षक कहलाओ ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716

नमन 🙏 :- " कलम ✍️  बोलती है " साहित्य समूह
रोशन कुमार झा
क्रमांक :- 134
तिथि :- 22-05-2020
दिन :- शुक्रवार
आज का विषय :-  मजबूरी
प्रदाता :- आ. एकता शर्मा जी

-: ये रही मजबूरी  !:-

                      
150 रोटियां और एक टिफिन चटनी लेकर चले थे 20 मजदूर, 16 के लिए आखिरी सफर बन गया ,
हम रोशन लिखते कुछ और , पर लिखने के लिए तो
बदल मन गया !!

महाराष्ट्र से जाना रहा मध्य प्रदेश ,
औरंगाबाद जाते-जाते सोलह तो हो गये शेष !!
                          
सड़क मार्ग से जाते तो पुलिस, रेलवे स्टेशन पर रूकते तो
आर .पी , एफ मारते डंडा लेते पैसा ,
कोरोना से बचे ,भूख से बचे, पर मौत से बचा न पाये
प्रभु!, लीला है आपका कैसा !!
                            
जाना रहा उन लोगों को घर, पर पार भी न कर पाए औरंगाबाद ,
जीते जी सुविधा नहीं, सरकार क्या देंगे सुविधा मरने के बाद !!
                           
बाल बच्चें , और इंतजार में रहीं होगी वह नारी ,
कट गये मालगाड़ी से , आये न ब़ाग के माली !!
                 
कट कर अलग हुआ हाथ पाँव ,
इतने दूर चलने के बाद भी पहुंच न पाये अपना गांव !!
                     
तुम सरकार क्या करोगे ग़रीबों का मदद ,
तुम्हें तो प्यारा है अपना पद !!
                               
दूरी बनाकर ट्रेन चलाये होते,तो सारे के सारे प्रवासी
मजदूर घर पहुंचे होते सही सलामत ,
आज मरने के बाद दे रहे हो उनका कीमत !
                                 
न रेलगाड़ी, बैलगाड़ी ही सही, पहले लोग आते-जाते थे
न रेल के बिना ,
राजतंत्र ही ठीक रहा, लोकतंत्र में आते गए व होते गये
एक से एक कमीना !!
                                   
घर-परिवार को भले कुछ मिले, पर हमें विश्वास है न
कि तू सरकार दे पायेगा रुपया पांच-पांच लाख ,
खुली आंखें न, नींद में आंखें बंद, तब तू मौत आया होने भी दिया न उन बेचारों को अवाक् !!

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
मो:-6290640716 कविता :-16(26) देखें

कविता :- 3(15) हिन्दी
-: भारतीय सैनिक कोबरा वाहिनी 207 दो सौ सात । :-

भारतीय सैनिक फौज मुख्यालय बंगाल की कोबरा दो सौ सात , 207
समझ में कुछ नहीं आता , किससे करूं तुलना आपके साथ ।

कमल से करूं क्या ?
न ना वह तो सिर्फ सूर्य की रोशन किरण में ही खिली रहती है ।
आप तो सदैव नदी की तरह गतिमान है ,

क्या मैं आपकी तुलना धुप से कर सकता हूं ,
अगल कर सकता हूं तो आप धूप नहीं बल्कि एक पेड़ है ,

जहां समस्त जीव - जन्तु आपके पास रहते है ,
धूप- वारिश स्वंय सहकर आप उनकी निगरानी में रहते हैं ।

हे भारतीय सैनिक आपकी आत्मा नदी की तरह बड़ा है ,
और आप पर्वत हिमालय की तरह खड़ा है ।

ना आपकी तुलना किसी से नहीं हो सकते है ,
स्वंय को वीरगति पाकर आप भारत माता के संतान को सुरक्षित रखते हैं ।।

® *****   रोशन कुमार झा  🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
बी.ए प्रथम वर्ष हिन्दी आनर्स Sec:-H4 Roll no:-26
मो :- 6290640716 , मधुबनी बिहार
28-12-2017 गुरुवार , यह मेरा पहला कविता है, जो मैक लेकर बोले Narasinha Dutt College St John Ambulance से सालबनी हाई स्कूल में कैम्प शिविर रहा
तीसरा डायरी ममता दीदी वाला ।
27-12-2018  है :-9(056) Intex से
3(015) है :-9(056) (Ncc 19 Bn :-9(19)
कविता :-16(39) बलसैत 22-05-2020 शुक्रवार
Redmi कोरोना  22-05-2015 बुधवार 369 Result :-10

कविता :- 7(09) हिन्दी

🇮🇳🇮🇳🇮🇳  देश के रक्षक तीन भाई ‌ । :- 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

हिन्दुस्तान की सोन्दर्यता की प्रतीक जल,थल, वायुसेना
तीनों भाई है ,
अपनों के लिए चंदन दुश्मनों के लिए कसाई हैं ।

जय श्री राम, जय हिन्द इनके नारा है ,
सुरक्षा के प्रति इनके पास अणु परमाणु बम प्वाइंट टु टु
.22 रायफल, 7.62 एल.एम. जी , एस. एल. आर ,
ब्रहामोज और भी शस्त्र व भाला है ।

सुबह में पीटी फिर करने को ड्रिल (Drill ) है ,
तीनों भाइयों को दुश्मनों के सामने वीरता दिखाने के लिए
सर्वोच्चम पुरस्कार चक्र परमवीर है ।

हर एक का मार्ग रोशन, देश की मान सम्मान इनके हाथों में है ,
क्या कहूं दम तो इनके वर्ड आफ कमांड और
हर एक बातों में है ।

देश सेवा के लिए तैरकर, उड़कर, दौड़कर चलते है ,
मारने या वीरगति पाने की भावना रखकर , दुश्मनों से
सीना तानकर लड़ते हैं ।

पहनने के लिए जूता , डी. एम. एस , तीनों भाई के
अलग-अलग वर्दी है ,
रहने के बाद भी कहां इनके लिए होली ,ईद, दिवाली,
गर्मी या सर्दी है ।

मंगल हो या शनि हर दिन दाढ़ी बनाते यानि सेविंग करते हैं,
कब घर - परिवार, समाज से दूर हो जायेंगे , क्योंकि हर
दिन युद्ध के मैदान में चलते है ।।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716
06-07-2018 शुक्रवार 00:05 , Ncc
31 st Bengal Bn Ncc Fort William Kolkata-B
Coy no :-5 (Reg no :- WB17SDA112047 )
22-05-2020 शुक्रवार कोरोना कविता :-16(39) ,3(15)
कोबरा वाहिनी Roshan Kumar Jha 11 जुलाई नेहा जन्मदिन कविता :-7(009)

हाइकु

सीता ने राम
से कहती हे प्रिय
सुनो ये बात

जनकपुर
में हुई मुलाक़ात
आपके साथ

उससे कुछ
बढ़ते रहा आश
वही रहूं मैं

जहां आप हो
सेवा में हम रहूं
आपके पास

मिला राम को
राज्य न वनवास
संग लक्ष्मण

और जानकी
साथ साथ चलते
गये जंगल

गुजरी काल
सीता देखी हिरण
मन ही मन

चाहिए रहा
प्रिय राम से कही
हिरण पीछे

भागते रहे
राम वन के धाम
घबरा गई

राम के सीता
फिर लक्ष्मण को भी
भेजी पीछे से

दे गये रेखा
वही लक्ष्मण रेखा
होती न पार

हुआ रहता
नहीं सीता हरण
ये रामायण

साधु वेश में
भिक्षा लेने आये जो
रावण मोह

रेखा पार की
सीता जी को ले गये
किये हरण

वापस आये
राम लक्ष्मण कुटी
रही न सीता

सीते हे सीते
कहां तू है वन में
न सुनी बोली

क्योंकि लंका में
सीता मुसीबत में
लगाये पता

गये श्रीलंका
वे दूत हनुमान
देखी माँ सीता

हे हनुमान
कहां राम लक्ष्मण
दे देना चूड़ी

हमें ले आया
लंका के रावण
बने वे  साधु

तब राम ने
लक्ष्मण, हनुमान
बनाये वहीं

लंका जाने के
लिए आदम पुल
बनाये सब

विभिषण ने
लिया प्रभु राम के
पास शरण

तब ही युद्ध
हुआ रावण मरण
कहें रोशन

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
22-05-2020 शुक्रवार कविता :-16( 39)

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