साहित्य एक नज़र , अंक - 379 , 24/05/2022 , मंगलवार , कविता - 23(70)

साहित्य एक नज़र   , अंक - 379 , 24/05/2022 , मंगलवार , कविता - 23(70)






साहित्य एक नज़र   , अंक - 379 , 24/05/2022 , मंगलवार , कविता - 23(70)


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  🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 393 , वर्ष - 1 , ज्येष्ठ शुक्ल 8 अमावस्या संवत 2079 , मंगलवार , 7 जून 2022
मो - 6290640716                 पृष्ठ -                   संपादक - रोशन कुमार झा
मो - 6290640716   संपादक - रोशन कुमार झा

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🇮🇳
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अंक - 393
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अंक - 392
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हिन्दी पत्रकारिता दिवस
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https://youtu.be/H2URa3A42xk
https://youtu.be/LH81qclfrbg

https://youtu.be/YfgEFhh2yhY

https://youtu.be/VsbtMPwqWR0

https://youtu.be/iJ4tjwJCyFY

10 K
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05/05/2022

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अंक - 1
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विश्व साहित्य संस्थान
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अंक - 70
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रोशन -05 मई 2022
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रोशन 2 -05 मई 2022

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  कविता - हुए महीना चार ..❤️

आज हमारी - तुम्हारी मुलाक़ात की
हो गई चार महीना ,
तुम्हें पाकर , तुम्हारे साथ बीता लिए आज महीने तीन ।
एक साथ गुजारे रात और दिन /
हम अपने में , तुम रहती हो मेरे में लीन ,
अंधकार राह भी रोशन न हो पाते , पूजा आपके बिन ।।
साथ चलें , साथ चलना है , चलते जाना है ,
क्योंकि हम एक - दूसरे को अपना माना है ।
तुम रूठोगी , हमें तुम्हें मनाना है ।
मिलकर अब एक नव जीवन बनाना है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
विद्यासागर विश्‍वविद्यालय ,
पश्चिम बंगाल
एम.ए ( हिन्दी ) सेमेस्टर - 2 ,
ग्राम - झोंझी , मधुबनी , मिथिला
बिहार  , भारत 🇮🇳
बिड़ला ओपेन माइंड्स इंटरनेशनल स्कूल
रोसड़ा , समस्तीपुर , बिहार , भारत 🇮🇳
संपादक - साहित्य एक नज़र 🌅
07/06/2022 , मंगलवार
कविता - 23(84)
✍️ Roshan kumar jha , রোশন কুমার ঝা
77/R Mirpara Road Liluah Howrah -
711204 , Aasirvad bhawan
51/9 kumar para Lane Liluah
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅 
सागर रोशन , रोशन लहर
दैनिक साहित्य समाचार पत्रिका
विश्‍व साहित्य संस्थान, विश्‍व न्यूज़ ,
मधुबनी इकाई - साहित्य एक नज़र 🌅 -
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
  साहित्य एक नज़र  🌅, Sahitya Ek Nazar
07 June , 2021 , Tuesday
Kolkata , India, সাহিত্য এক নজর
पूर्व छात्र - हिन्दी आनर्स -
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता , भारत
कलकत्ता विश्‍वविद्यालय
IGNOU - PGDT - 2108259530
रामकृष्ण महाविद्यालय , मधुबनी , बिहार
ललित नारायण मिथिला विश्‍वविद्यालय , दरभंगा
राष्ट्रीय सेवा योजना
Veriang scouts & Gulmarg Guides
The Bharat Scouts & Guides, Eastern Railway
Howrah District, Group:- Bamangachi (BMG)
IGNOU:-BPP-(191081735) श्री जैन विद्यालय हावड़ा
31 st Bengal BN NCC Fortwilliam kolkata - B
Coy no - 5 , Reg no - WB17SDA112047
N.D.college
Narasinha Dutt College St John Ambulance ,
Howrah ,  West Bengal
मो - 6290640716 , 9433966389, 7980860387 ,
6291026116 , +916287728755 -
07 फरवरी 2022 , सोमवार
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🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
रचनाएँ व साहित्य समाचार आमंत्रित -
अंक - 394 से 450
दिनांक - 07/06/2022 , मंगलवार
आपका अपना  - रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
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रचनाएँ न भेजें , व्हाट्सएप ग्रुप में सिर्फ़
अंक की पीडीएफ भेजें जायेंगे ।

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साहित्य एक नज़र   , अंक - 379 , 24/05/2022 , मंगलवार , कविता - 23(70)






कविता :- 20(16)
मधुबनी से रचना , उचाट उपन्यास
नमन 🙏 - साहित्य एक नज़र 🌅
मो - 6290640716
🚲🚴 🚴‍♀️🌍 🌅
विश्व साईकिल दिवस
বিশ্ব বাইসাইকেল দিবস
World Bicycle Day

मैं ग़रीब का साथी हूँ ,
बड़ा काम आती हूँ ।।
न डीज़ल न पेट्रोल
मैं खाती हूँ ,
बस पैदल ( पेडल )
मारने पर आगे जाती हूँ ।।

आज तीन जून
विश्व के लिए आज
हमारा दिवस है ।
दूर जाने के लिए
रेलगाड़ी , हवाई जहाज
और बस है ।।
मुझे चाहने वाला
एक न दस है ।
मंजिल तक पहुंचाना
ही हम साईकिल की
लक्ष्य है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
गुरुवार , 03/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(16)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 24
Sahitya Ek Nazar
3 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

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साहित्य एक नज़र रचना समीक्षा सम्मान - पत्र से सम्मानित किया -

कोलफील्ड मिरर आसनसोल में प्रकाशित - 04/06/2021 , शुक्रवार

साहित्य एक नज़र कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका मंगलवार 1 जून 2021 को समीक्षा स्तम्भ के अंतर्गत साहित्य एक नज़र के सह संपादक / समीक्षक आ. प्रमोद ठाकुर जी ने आ. श्रीमती सुप्रसन्ना झा जी व आ.श्री अनिल राही जी की रचना का समीक्षा किये । साहित्य एक नज़र के संस्थापक / संपादक रोशन कुमार झा आदरणीया श्रीमती सुप्रसन्ना झा जी , आ.श्री अनिल राही जी को रचना समीक्षा सम्मान - पत्र व आ. डॉ. मंजु अरोरा जी को साहित्य एक नज़र रत्न सम्मान से सम्मानित किए । साहित्य एक नज़र पत्रिका का शुभारंभ  11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा , सहयोगी सदस्य  आ. आशीष कुमार झा जी , आ. रोबीन कुमार झा जी , आ. पूजा कुमारी जी , आ. ज्योति झा जी , आ. प्रवीण झा जी , आ. नेहा भगत जी , आ. कवि श्रवण कुमार जी , आ. धर्मेन्द्र साह जी एवं आ. मोनू सिंह जी हैं ।।

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साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
🌹🙏 शिवसंकल्प 🙏🌹

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अंक - 24
3 जून  2021
गुरुवार
ज्येष्ठ कृष्ण 9 संवत 2078
पृष्ठ -  14
प्रमाण पत्र -  11 - 13
( आ. सुमन अग्रवाल " सागरिका " जी
प्रमाण पत्र संख्या - 19
आ. डॉ. दीप्ति गौड़ ‘ दीप ’ जी
किताब समीक्षा सम्मान - पत्र
आ. अजीत कुमार कुंभकार जी
रचना समीक्षा सम्मान - पत्र
कुल पृष्ठ -  14

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 24
Sahitya Ek Nazar
3 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
आप सभी को साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका की ओर से  🌍
विश्व  साईकिल 🚲🚴  दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
विश्व साईकिल दिवस
বিশ্ব বাইসাইকেল দিবস
World Bicycle Day

🚲🚴 🚴‍♀️ 🌍 🌅
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खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !

विश्व पर्यावरण दिवस पर  " काव्य पाठ " का विशेष आयोजन रखा है साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई ।

साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर  शनिवार 5 जून 2021 को "काव्य पाठ" का विशेष आयोजन रखा गया है । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु  आ. मनोज कुमार पुरोहित जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी  , समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनायेंगे । अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकारों व साहित्य - प्रेमियों सादर आमंत्रित है ।

दिवस - शनिवार
समय - सुबह 10 बजे से रात्रि आठ बजे तक
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष आयोजन
काव्यपाठ
समय सुबह 10 से रात 8 बजे तक
कार्यक्रम की रूपरेखा -
प्रातः देवस्थापन 10:00 आ अध्यक्षा कलावती करवा जी द्वारा
सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा
आशीर्वचन 10:10 आ महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा
मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ जयश्रीकांत जी द्वारा
अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा
मंच संचालन 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी द्वारा ।

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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा , बिहार , लनमिवि ( एलएनएमयू )
बी.ए, मैथिली , जनरल ( सामान्य ) द्वितीय वर्ष की प्रश्र -

Lalit Narayan Mithila University
Darbhanga, Bihar , India
LNMU , B.A, Part - 2 , Maithili ( Subsidiary )

उचाट उपन्यास ,  मैथिली साहित्य ,
उचाट उपन्यास लेखिकाक साहित्यिक परिचय :-
Uchhat Upniyash lekhika parichai

✍️ श्रीमती आशा मिश्रा जी
जन्म :- 6 जुलाई 1950
उचाट उपन्यास प्रकाशित :- 2010
उचाटक प्रकाशक अछि  :- तुलिका प्रकाशन , लालवाग , दरभंगा
उचाट उपन्यास लेल इनका साहित्य अकादमी
पुरस्कार सऽ सम्मानित :- 2014

उचाट उपन्यास लेखिकाक साहित्यिक परिचय दिअ -
उचाट उपन्यास लेखिका श्रीमती आशा मिश्र जी मैथिली भाषा के विख्यात साहित्यकार छैथ। इनकर जन्म 6 जुलाई 1950 केँ भेलनि । लेखिका स्वनामधन्य डॉ गणपति मिश्रक धर्मपत्नि  आ दरभंगा लक्ष्मीसागर में बास करैत छथि। भागलपुर विश्वविद्यालय सँ 1969 ई ० में हिन्दी साहित्य आ दर्शनशास्त्र सऽ स्नातक के डिग्री लेलकिन  । 1989 सँ मैथिली आऽ हिन्दी में लेखन कार्य प्रारम्भ कैलनि । ई कथा , निबन्ध, जीवनी , साक्षात्कार आदि में एक प्रोढ साहित्यकारक रूपमे स्थापित भेल छथि । एखन धरि सभसँ पैघ विजय, थाहैत स्वप्न कथा संग्रह प्रकाशित भेल अछि , हिनकर सभसँ पैघ विशेषता अछि जे प्राय: सभ रचना अप्पन परम्परा, अप्पन संस्कार के संग संग नव नव भाव - भूमिका रचना करबामे सिद्धहस्त छथि , इनकर सभ रचना में नीज भावनाक दर्शन भेटैत छथि । उपन्यास लेखिकाक आकाशवाणी दरभंगा सँ कतेक कथाक प्रसारण भ चुकल अछि । हिन्दी जगतमे हिनकर योगदान सराहनीय अछि । हिन्दी पत्रिका नवनीत आ मनोरमामे सेहो हिनकर कथा प्रकाशित अछि । इनकर उचाट उपन्यास तुलिका प्रकाशन , लालवाग , दरभंगा सऽ 2010 ई. में प्रकाशित भेल , इनकर द्वारा लिखल उपन्‍यास उचाट के लेल  इनका सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ  सम्मानित कैल गेलन ।

किछु प्रश्न :-
प्रश्न - उचाट की थिक -
उत्तर :- उपन्यास
प्रश्न - उचाटक लेखिका के नाम लिखू ।
उत्तर :- आशा मिश्र
प्रश्न - उचाटक प्रथम संकरण प्रकाशित भेल --
उत्तर :- 2010 ई. में
प्रश्न - उचाटक उपन्यासक समीक्षात्मक टिप्पणी लिखने छथि -
उत्तर :- पंडित गोविन्द झा
प्रश्न - उचाटक प्रकाशक अछि
उत्तर :- तुलिका प्रकाशन , लालवाग , दरभंगा

दिनांक :- 24/02/2021 , बुधवार
रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी बिहार
मोबाइल / व्हाट्सएप :- 6290640716
roshanjha9997@gmail.com

साहित्य एक नज़र

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 24
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
03/06/2021 , गुरुवार

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शीर्षककविता:-12(40)ह,विषय सामग्री:हिन्दी कविता-12(40)
04-06-2019 मंगलवार 12:00
*®• रोशन कुमार झा
-:मतलबी से बने कवि!:-

औ बिट्टु औ मिट्टु मैं देखा हूँ अभी-अभी,
ये दुनिया है मतलबी !
प्रेम और दर्द अगल होता ना तो कोई
बनता ना कवि,
राह रोशन हुआ योगदान दिये है
आप सभी!

योगदान है आपका प्रेम का नहीं
दुख का,
हमें और जरूरत है ज़ख्म भरी भुख का,
प्रभाव है ना हमें सुख का,
पीछे नहीं जाता अक्सर मैं देखता
हूँ सम्मुख का!

सामने से देखा हूँ अभी-अभी
बदल गयें सभी!
पर कब बदले चन्द्रमा प्रकृति और रवि
मैं वहीं हूँ जिसे खोजते हो आपलोग
कभी-कभी!

फिर अपनी बात में बहलाते हो
और साथ में खाते हो!
रास्ते में एक साथ जाते हो
थोड़ा आगे बढ़ गये तो आप
हमें गलियाते हो!

मैं सुनता नहीं क्या मैं बेहरा हूँ
और क्या झुठेबाज चेहरा हूँ!
समझ जाऔ समंदर की तरह मैं गहरा हूँ
बहते हुए आगे बढ़ता हूँ क्योंकि मैं
जग का नहीं सिर्फ दुश्मन तेरा हूँ!

तु दे दुख
मै जाऊँगा ना रुक!
क्योंकि बडबड़ा रहा है यह मुख
और बना रहा है कविता का तुक !

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(40)
04-06-2019 मंगलवार 12:00(Ncc)

कविता :- 20(17)

दिनांक :- 04/06/2021
दिवस :- शुक्रवार

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅

एक , दो , तीन , चार नहीं
मुझ पर मुसीबत लाख है ,
देखने वाला कोई और नहीं
देखने वाला मेरा आँख है ।।
फिर भी हार नहीं माना हूँ
साँस लेने में लगा हुआ मेरा नाक है ।।
लाख मुसीबत के बाद भी जी रहा हूँ ,
मुझे देख कर दुनिया अवाक् है ।

कि मैं कैसे जिंदा है ,
मुसीबत में जीना भी
आज की समाज में निंदा है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शुक्रवार , 04/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(17)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 25
Sahitya Ek Nazar
4 June 2021 ,  Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

विधा :- कहानी
शीर्षक :- नई खून , सोच से शून्य

बात कोरोना काल के बाद दो हज़ार बीस नहीं वर्ष इक्कीस की शुरुआती माह की प्रथम सप्ताह के अंत द्वितीय सप्ताह की शुरुआती के दुसरी दिन शनिवार नौ जनवरी की है , जब हम रोशन सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय से द्वितीय वर्ष हिन्दी आनर्स की परीक्षा देने के बाद रामकृष्ण महाविद्यालय से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के बी. एस .सी, बी.कॉम नहीं बी.ए प्रथम खंड हिन्दी आनर्स की परीक्षा देने बिहार आएं रहें , देव नारायण यादव महाविद्यालय में परीक्षा का केन्द्र पड़ा रहा , पहली तल्ला के कमरा संख्या बयालीस “अ” में हमारा सीट बीच कतारों की प्रथम बेंच पर ही रहा , हर बेंच पर चार – चार परीक्षार्थियों को बैठाया गया था इससे हमें पता ही नहीं चला हम परीक्षा देने आएं हैं या पढ़ने ….
और भी बातों से , परीक्षार्थियों फोन रखेंगे अपने जेब में पर बंद करके, इस तरह भी परीक्षा होती है , मानते हैं इस काल में फ़ोन रखना जरूरी है तो आप परीक्षकों परीक्षार्थियों की फोन उनके बैग बस्ता में रखने के लिए कहिए , आप जैसे परीक्षकों का भी सोच अच्छा है कहीं किसी का फोन चोरी न हो जाएं , आप मोबाइल बंद करवा कर रखने के लिए कहते परीक्षार्थियों को, वे अपने बंद भी रखते है , आप जैसे परीक्षकों कभी सोचे है ,आज एक अंक , दो नम्बर जैसी प्रश्न आते है जिसका वह उत्तर अपने मोबाइल इंटरनेट के माध्यम से आसानी से जान सकता है , वह कैसे भले परीक्षार्थी आपके डर से परीक्षा रूम में फोन न निकाले , न खोलें , लेकिन वह बाहर तो पांच – दस मिनटों के लिए तो जा ही सकता है न , बस वही कुछ प्रश्नों का जवाब अपने फ़ोन इंटरनेट से जान लेंगे , खैर कोई बात नहीं , अब आते है हम कहानी की शीर्षक पर “नई खून , सोच से शून्य” मतलब नई खून नव शिक्षक को कहा गया है यानि परीक्षक को , परीक्षक शायद प्राईवेट से परीक्षा लेने आया रहा इस बात का पता हमें उनके चेहरों से चल रहा था, द्वितीय पाली में हिन्दी आनर्स की द्वितीय पेपर की परीक्षा रहा जहां यानी डी.एन.वाई कॉलेज में आर.के. कॉलेज व अमीर हसन सकुर अहमद कॉलेज के परीक्षार्थियों बी.ए , प्रथम वर्ष की परीक्षा देने आएं रहें , उस दिन एक सरकारी प्रोफेसर रहे , और दो नई खून ? जो आप समझ ही चूके होंगे मतलब प्राईवेट से परीक्षा लेने वाले परीक्षकों , दोनों परीक्षकों को नई खून इसलिए कहा गया है कि नव खून की एक अलग ही गर्मी होती है और उन दोनों परीक्षकों ने गर्मी का शानदार प्रदर्शन दिए , ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना और बात उसे छोड़िए , जब हिन्दी की ही परीक्षा रही तो प्रश्न हिन्दी साहित्य से ही रहता न और प्रश्न भी बहुत आसान आसान थे , वही विद्यापति , कबीर, घनानंद , तुलसीदास , सूरदास आदि से संबंधित , हम तो हर परीक्षा को त्योहार मानते और उसे मनाते भी है उस दिन भी हम अपनी साहित्य से लगाव भरी प्रेम को दर्शायें इन शब्दों में …..

” जब आएं भगवान राम , लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र ,
तब जनक राज्य मिथिला हुए और पवित्र ”

ये शब्द धनुष भंग प्रसंग वाली प्रश्न , भगवान श्रीराम, लक्ष्मण , गुरु विश्वामित्र और मिथिला भूमि के लिए वर्णित किए , दोनों परीक्षकों प्राईवेट से रहें दोनों एक ही तरह व्यवहार किए , एक पतला दुबला रहा दूसरे थोड़ा ठीक ठाक रहा , वैसे दोनों परीक्षकों ने नव खून की गर्मी की परिभाषा दिए , जो पतला दुबला से ठीक ठाक रहा , अब उन्हीं परीक्षकों के बारे में बताने जा रहे है , परीक्षा आरंभ के समय ही एक परीक्षार्थी ने गेस पेपर से लिखना प्रारम्भ कर दिया , पतला दुबला से ठीक ठाक रहा जो परीक्षक वह आकर उस परीक्षार्थी का उत्तर पत्र छीन लिया , वह परीक्षार्थी भी खूब शोर गुल किया अंत में उस परीक्षार्थी को प्रधानाचार्य के पास ले गया , फिर वही परीक्षक अधिकांश सभी परीक्षार्थियों को दो नम्बर वाले प्रश्न का उत्तर बताने लगे , अचानक मेरी नज़र उस परीक्षक के पास गया वह उत्तर बता रहा था , मैंने इस तरह अपनी आंखों से देखा कि वह परीक्षक सीधे मेरे पास आएं , और बोले आपको कौन सा बता दूँ , मैं दो नम्बर वाली प्रश्न का आठ कर लिया था , दो का उत्तर पता नहीं था , फिर भी हम उन परीक्षक को कहें मेरा सभी प्रश्नों का उत्तर हो गया है , और वह परीक्षक कहने लगा सभी को लेकर चलना पड़ता है जी । वे हमारे बगल वाले लड़का को बताने लगे , और हमसे पूछें कोई समस्या नहीं न , समस्या होते हुए भी हमने बहुत ही गंभीर से उत्तर दिए नहीं सर कोई समस्या नहीं , समस्या हमें भी नहीं थी पर समस्या इस लिए थी क्योंकि वही परीक्षक ने एक लड़का का उत्तर पत्र कुछ समयों के लिए ले लिए रहें , मेरा कहना है जब नकल ही करवाना है तो फिर दिखावा क्यों ? इन सभी कारणों के लिए ही हम इस कहानी की शीर्षक रखें है ..
नई खून , सोच से शून्य
अर्थात खून तो नई है पर सोच से शून्य है , क्योंकि एक का उत्तर पत्र ले लिए फिर आप उत्तर बताने भी लगे तो आपकी सोच से ही शून्य है , न जाने इस प्रकार कितने परिक्षाएं हुए , हो रहे और होते रहेंगे ।।

✍️ रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शनिवार , 09/01/2021 , कविता :- 18(70)

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 25
04/06/2021 , शुक्रवार

कविता :- 20(08)
दिनांक :- 26/05/2021
दिवस :- बुधवार

साहित्य एक नज़र 🌅 , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका , रोशन कुमार झा , मो - 6290640716 , Sahitya Ek Nazar, 11/05/2021 मंगलवार  - YouTube

आपकी कला को नमन 🙏💐💐🙏

Portrait sketch by :शिवशंकर लोध राजपूत (दिल्ली), व्हाट्सप्प no. 7217618716
Portrait of :roshan kumar jha
25/05/2021 , मंगलवार

साहित्य संगम संस्थान उत्तर प्रदेश इकाई
25/05/2021 , मंगलवार

आप आदरणीय शिवशंकर लोध राजपूत जी
हो प्रसिद्ध चित्रकार व कवि ,
हर दिन ही बनाते है आप किसी न किसी
के छवि की छवि ।।

साहित्य संगम संस्थान हमें
ज्ञान - मान - सम्मान दिया बहुत ।
हम रोशन हमारी छवि को
आप आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी
बनाएं है अद्‌भुत ।

धन्यवाद सह सादर आभार 🙏
आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी

आपका अपना
  ✍️ रोशन कुमार झा
साहित्य एक नज़र , अंक -16
26 मई 2021 , बुधवार , 20(08)

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध जी के जन्मोत्सव / बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आप सभी सम्मानित देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं ।
गौतम बुद्ध जी की शिक्षाएं संपूर्ण विश्व को पीड़ा व‌ दुख से मुक्ति का मार्ग दर्शाती हैं।

बुद्ध पूर्णिमा -  बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था ।
इनका जन्म लुंबिनी नेपाल में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनको इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हो गया, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।

आपका अपना

  ✍️ रोशन कुमार झा
20(08)
🌅 साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 16
Sahitya Eak Nazar
26 May , 2021 , Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
26 मई 2021 , बुधवार
वैशाख शुक्ल 15 संवत 2078

शीर्षककविता:-11(29)ह,विषय सामग्री:हिन्दी कविता:-12(29)
26-05-2019 रविवार 14:38
*®• रोशन कुमार झा
-:नव गीत बनाता हूँ !:-

रो कर भी मुस्कुराता हूँ,
वहीं राह से होकर आता हूँ !
और फिर वहीं से हँसकर जाता हूँ
हर रोज़ मैं नया गीत बनाता हूँ!

फिर उसे गाता हूँ
गाकर कमाता हूँ!
उसी कमाई से खाता हूँ
मैं ना दलाली के गीत गाता हूँ!

इससे दूर जाता हूँ
ज़ख्म भरी कहानी मैं भूल जाता हूँ!
असफलता से सफलता की
ओर मुड़ जाता हूँ
हारकर भी मैं अपने आप से
जीत जाता हूँ!

जीतकर आयु सीमा बढ़ाता हूँ
राह रोशन करके जाता हूँ!
आज तक दुख नहीं सुख बाँटा हूँ
दुख में रहकर भी मैं एक नव गीत गाता हूँ!

रूप नहीं मैं अपना कर्म दर्शाता हूँ
कर्म के कारण ही बच्चे बूढ़े जवान
सभी को भाता हूँ
दूर जाने के बाद भी उन्हें याद आता हूँ,
दूर हूँ मजबूर हूँ फिर भी मैं हर रोज़
एक नया गीत गाता हूँ!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(29)
26-05-2019 रविवार 14:34
31st Bengal Bn Ncc Fortwilliam
E.Rly,Scouts Howrah
St John Ambulance
मिली पापा गाँव सियालदह राजन साई
गाड़ी-otp-nvllmw(नेहा-15 हजार फोन
दीपक-D.B.CLG Ncc

साहित्य एक नज़र , अंक - 16
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

अंक - 16
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26 मई 2021
   बुधवार
वैशाख शुक्ल 15 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  14 ( आ. कवि श्रवण कुमार जी )
कुल पृष्ठ - 15

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अंक - 16
दिनांक :- 26/05/2021 , सुबह 11 बजे तक
नियम :-
पहले आओ पहले पाओ .....

दिवस :- बुधवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

सादर निवेदन 🙏💐
समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा

साहित्य एक नज़र


कविता :- 20(09)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
दिनांक :- 27/05/2021
दिवस - गुरुवार

कविता -
आया चक्रवाती तूफ़ान यास है ।।

संकट पर संकट इस कोरोना
काल में भी आया चक्रवाती
तूफ़ान यास है ,
इस मुसीबत पल में भी
पुलिस को घूस की तलाश है ।
नेताओं को जनता नहीं
सत्ता पाना ही ख़ास है ,
तब बताओं यारों
अब होने वाला नहीं विकाश है ।।

उन्नति होना अब संभव नहीं ,
वह भी अब नहीं ।
नेताओं के नज़रों में है सब सही ,
जनता के साथ हम है नहीं
ये बात उन्होंने कब कही ।।

जीने योग्य ये काल
और मास नहीं ,
कैसे न बाहर जाऊं
खाने के लिए पैसा पास नहीं ।
हम रोशन , हम गरीबों की ये स्थिति
ये हमारी बकवास नहीं ,
अब हमें इन ग़द्दारों नेताओं पर
विश्वास नहीं ,
इनसे होने वाला अब विकाश नहीं ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
( गंगाराम ), मो :- 6290640716
कविता :- 20(09) , गुरुवार , 27/05/2021

बचपना भारत की मिथिला भूमि पर

विषय :- बचपना भारत की मिथिला भूमि पर

बात उन दिनों की है जब ,झोंझी गांव से प्रियंका,दीपक,रीचा , दो बहन एक भाई साथ रोशन और मनीषा बग़ल के गांव लोहा में डॉ. देवेन्द्र विद्यालय में एक साथ पढ़ने जाते थे,सभी का एक अलग अलग या घर से दिया हुआ नाम इस प्रकार रहा ,प्रियंका नाम जुनजुन ,दीपक नाम गोलू , रीचा नाम बिट्टू, रोशन नाम गंगाराम वही मनीषा नाम मिली, वह बचपना का उमंग,क्या बताऊं, विद्यालय गर्मी के दिनों में सुबह की हो जाती, और गर्मी के बाद डे की, तो बात गर्मी की है अर्थात् मॉर्निंग शिफ्ट यानि विद्यालय सुबह पाली की थी, सभी एक साथ ही विद्यालय जाते, एक दिन गंगाराम उन लोगों के साथ न जाकर मंटू भईया के साईकिल पर जाने वाला रहा, और मंटू भईया को कॉलेज जाना रहा, उस गांव से लोहा जाने के लिए दो रास्ते थे एक फाटक पर से यानि मुख्य सड़क होते हुए तो दूसरी पैदल जाने वालों के लिए खेतों खेतों के बीच से ईंटा भट्ठा के तरफ जाने वाले रास्ता का नाम थरहा रहा,लोग मैथिली भाषा में कहते भी ” थरहा दअ कऽ जेएबेए तअ जल्दी पहुँच जेबै ” मतलब मुख्य रास्ता से न जाकर इस रास्ते से जाने पर समय बहुत ही कम लगता, थरहा और जो मुख्य सड़क जहां लोहा के रास्ते में मिलते, गंगाराम तो साईकिल पर रहा बाकी सब थरहा के रास्ते से उस मोड़ पर पहुंचने वाले रहें, और गंगाराम और बाक़ी की भेंट होने से पहले ही चिल्लाने लगता है , वह अज्ञानता देखने को मिलता है कि क्या बताऊं, वह इस प्रकार चिल्लाता है , जो मैथिली भाषा में वर्णित है :-
मंटू भईया जल्दी – जल्दी चलूं ,
देरी भोअ जेएत , साईकिल में हवा नैई छैय ,
मतलब गंगाराम साईकिल के आगे बैठे रहे, कहीं कोई पीछे न बैठ जाएं, वह इसलिए बोला , सच में बचपना में हमें सही का ज्ञान नहीं रहता ,और जब बचपना बीत जाते तो हम उस पल को याद करते, याद करके दुख ही मिलता, फिर भी बचपना के वह सुनहरे दिन याद आ ही जाते, वर्तमान में सभी अपने अपने लक्ष्य पाते हुए जीवन की सफ़र कर रहे है, कोई साहित्य सेवा तो कोई समाज सेवा करके , वही गोलू आज दीपक झा मैथिली गायक के रूप में प्रसिद्ध है ।
सच में भारत माँ की मिथिला की भूमि हीरा उपजाती है, मिथिलांचल वही है जहां माँ सीता जन्म ली , विद्यापति जैसे भक्त , महाकवि का जन्म स्थान, जिन्हें सेवा करने स्वंय महादेव उगना बनकर आये,बाबा नागार्जुन जैसे कवि यही जन्में, धन्य है यह भारत माँ की मिथिला की भूमि जहां भगवान राम तक आये.

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
कविता :- 16(97) , रविवार , 19/07/2020
मो :- 6290640716

हिन्दी कविता:-12(30)
27-05-2019 सोमवार 20:19
*®• रोशन कुमार झा
-:व्यर्थ जायें ना मेरी परिश्रम !:-

हमेशा हमारे शिष्य रहे खुश
मैं पाऊँ गम,
मेरी ज्ञान भरी कोमल स्वर
कभी हो ना कम!
उसे काम आये हरदम,
राह रोशन करने के लिए मैं
करूँ घोर परिश्रम!

ताकत है परिणाम,
परिणाम से ही समाज में जुड़ा
हुआ है गुरु का नाम!
मत करना इसे बदनाम,
गुरु के चरण में ही है खुशी के
सुबह और शाम!

वहाँ करना ना आराम,
जब तक हो ना तुम्हारा लक्ष्य तमाम!
तब तक छोड़ना ना गुरु का धाम,
स्वर्ग से भी सुन्दर है गुरु का नाम!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(30)
27-05-2019 सोमवार 20:19
Ncc,E.Rly Scouts
WBCHSE result
Komal:-256(हH-54,E-44,Eco:-47
Envs:-43,Hist:-64,Pols:-47)B

Baby:-216 C
हH-53,Eng:-45,EDCN:-37,Hist:-40
Pols:-41,philo:-NA

Mina:-274 B
हHina:-56,ENG:-44,ENVS:-52
Hist:-61,Pols:-52,Econ:-53
Puja:-263,Ncc Amrita'-250
Nikita-302
Mukund-363,Shivam;-383
Saniya:-260(2018)
नेहा काम छोड़ दी बात की
Sunday CLS भईया साईकिल लिए
कल सर 2 रोल scouts में मीटींग

हिन्दी कविता:-12(29)
26-05-2019 रविवार 14:38
*®• रोशन कुमार झा
-:नव गीत बनाता हूँ !:-

रो कर भी मुस्कुराता हूँ,
वहीं राह से होकर आता हूँ !
और फिर वहीं से हँसकर जाता हूँ
हर रोज़ मैं नया गीत बनाता हूँ!

फिर उसे गाता हूँ
गाकर कमाता हूँ!
उसी कमाई से खाता हूँ
मैं ना दलाली के गीत गाता हूँ!

इससे दूर जाता हूँ
ज़ख्म भरी कहानी मैं भूल जाता हूँ!
असफलता से सफलता की
ओर मुड़ जाता हूँ
हारकर भी मैं अपने आप से
जीत जाता हूँ!

जीतकर आयु सीमा बढ़ाता हूँ
राह रोशन करके जाता हूँ!
आज तक दुख नहीं सुख बाँटा हूँ
दुख में रहकर भी मैं एक नव गीत गाता हूँ!

रूप नहीं मैं अपना कर्म दर्शाता हूँ
कर्म के कारण ही बच्चे बूढ़े जवान
सभी को भाता हूँ
दूर जाने के बाद भी उन्हें याद आता हूँ,
दूर हूँ मजबूर हूँ फिर भी मैं हर रोज़
एक नया गीत गाता हूँ!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(29)
26-05-2019 रविवार 14:34
31st Bengal Bn Ncc Fortwilliam
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St John Ambulance
मिली पापा गाँव सियालदह राजन साई
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27 मई 2021
   गुरुवार
ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 15  ( आ. प्रवीण झा जी )
कुल पृष्ठ - 16

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 17
Sahitya Ek Nazar
27 May , 2021 ,  Thursday
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27 मई 2021 ,  गुरुवार
ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा संवत 2078

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29/05/2021 , शनिवार
कविता :- 20(11)
साहित्य एक नज़र अंक - 19
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान , नई दिल्ली
दिनांक : - 29/05/2021
दिवस :- शनिवार
विषय :- साहित्य मणि व उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान
विधा :- समीक्षा
विषय प्रदाता :- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
विषय प्रवर्तक :- आ. कुमार रोहित रोज़ जी

माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) को नमन करते हुए आप सभी सम्मानित पदाधिकारियों, साहित्यकारों , गुरुजनों दीदियों , साहित्य मणि व उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित साहित्यकारों को सादर प्रणाम । आप सभी जानते ही हैं साहित्य संगम संस्थान नित्य कुछ न कुछ बेहतर करते हुए साहित्य की सेवा कर रहें है , जहां नि:शुल्क में वर्षगांठ की भेंट के रूप में साहित्यकारों को उनकी रचनाओं से आहुति व इदन्नमम पुस्तक बनाकर देते है । एक महीने से साहित्य संगम संस्थान संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी की करकमलों से सभी इकाइयों के पदाधिकारियों को साहित्य मणि व सक्रिय सदस्यों को उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) इकाई की प्रगति में समस्त सर्वाधिक सक्रिय सदस्यों का भी अहम योगदान मानते हैं इसलिए सक्रिय सदस्यों को संगम सलिला से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी को एवं समस्त पदाधिकारियों को धन्यवाद सह सादर आभार जिन्होंने मुझे भी साहित्य मणि सम्मान से सम्मानित किए , लगभग 135 पदाधिकारियों साहित्य मणि सम्मान से सम्मानित हुए हैं , एवं 77 सक्रिय सदस्य उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित हुए हैं , इस सम्मान पाकर हम में व साहित्यकारों में बहुत बदलाव आया है जो हमें नित्य संगम सचिव व्हाट्सएप ग्रुप मंच पर भी देखने को मिलता है । सुबह नौ बजे तक समस्त इकाई की विषय प्रवर्तन हो जाती है । अब हम साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई की बात करें तो हमें बंगाल इकाई के पदाधिकारियों पर गर्व है जो अपने सहयोग से बंगाल इकाई को आगे बढ़ा रहे है । अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी , उपाध्यक्ष आ. मनोज कुमार पुरोहित जी , अलंकरण कर्ता - आ. स्वाति 'सरु' जैसलमेरिया ,आ. अर्चना जायसवाल जी , उपसचिव आ. सुनीता मुखर्जी , आ. रजनी हरीश जी , आ. रंजना बिनानी जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' का सादर आभार जो हमारे इकाई में सहयोग कर रहे है , हमें अपने उपाध्यक्ष जी पर गर्व है जो सब कुछ कर लेते है , चाहे विषय प्रवर्तन हो चाहे विषय देना हो , चाहे पोस्टर बनाना हो , चाहें पंचपर्मेश्वरी का काम हो सब कर लेते जिसके परिणामस्वरूप हमारे बंगाल इकाई अप-टू-डेट है मतलब आज का आज ।

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान  , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
सह पश्चिम बंगाल इकाई सचिव
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो - 6290640716 , कविता :- 20(11)

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के संयोजिका आदरणीया संगीता मिश्रा जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐 🍰🎉🎈🎂🎁🌅

आदरणीय संगीता मिश्रा दीदी जी
आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ,
हमेशा मुस्कुराते हुए इसी तरह साहित्य सेवा
में कदम बढ़ाएं ।
हमारे साहित्य संगम संस्थान आपकी नेतृत्व में
ही 4 जी से 6 में आएं ,
तब क्यों न आज आपकी
वर्षगांठ पर हम भी कुछ गाएं ।।

रोशन कुमार झा
29/05/2021, शनिवार

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं प्यारे अनुज
आदित्य शुक्ला ।
🙏💐 🍰🎉🎈🎂🎁 🌅

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं बढ़ते
रहना हमारे भाई नित्य ,
तुम ही मेरे भाई शुक्ला जी आदित्य ।।

आशीर्वाद व स्नेह दाता - प्रवीण झा

29/05/2021 , शनिवार
कविता :- 20(11)
साहित्य एक नज़र अंक - 19
कविता :- 20(12)

मैथिली कविता

कोरोना जेबाअ के जेबए करतैय ,
घर पर बैठ कऽ केतक दिन लोग
पेट भरतैय ,
लॉकडाउन पर सँ लॉकडाउन
आब प्रशासन आर सरकार पर
लाठी चलतैय ,
तहने इअ अंधा सरकार किछ
करतैय ।।

परीक्षा लेतैय नैय खाली
चुनाव लड़तैय ,
फेर पाँच साल बाद वोट,
भीख में
मांगअ शहर और गाँव ऐतैय  ।
तहन की कहूँ हम गंगाराम
कनअ इअ जीवन कटठैय ,
करूँ अंधकार राह रोशन
हे भगवान कखन ईअ कोरोना हटतैय ।।

गंगाराम कुमार झा
झोंझी , मधुबनी , बिहार

29/05/2021 , शनिवार
कविता :- 20(11)
साहित्य एक नज़र अंक - 19
English Poem:-12(27)
Happy Brother's Day
*•र® Roshan Kumar Jha
24 th May 2019 Friday 20:45

-: Brother's Day :-

Oh very beautiful sun ray,
I understand brother's day,
Today.
I no say but the nature say.

So I happy all time grew up
My brother,
Peace house sister father
and mother.
Came by winning soldier,
and love each other,
Do not have go away to
My brother.

Enhanced Name,
Gain fame.
Then celebrate the day same,
Brother's Day is returned came.

*•र® ✍️  Roshan Kumar Jha
Kolkata
Surendranath Evening College
Kolkata India
Part-2 Hindi Honours sec:-H4
Roll no:-9
Reg no:-117-1111-1018-17
Mob:-6290640716,(8420128328)
9433966389(Poem:-12(27)
24 th May 2019 Friday 20:45
31st Bengal Bn Ncc Fortwilliam
Kolkata-B
Reg no:-WB17SDA112047
IGNOU-BPP:-191081735
The Bharat scouts & Guides
Eastern Railway Howrah
Bamangachi(Pmkvy)
Narasinha Dutt college St John
Ambulance
Gangaram Kumar Jha Jhonjhee
Madhubani Bihar
Salkia Vikram Vidyalaya
(Nios Bithu praveen admission
Mob:-150)

______________

29/05/2021 , शनिवार
कविता :- 20(11)
साहित्य एक नज़र अंक - 19
साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई फिर रचा इतिहास -

साहित्य एक नज़र

साहित्य एक नज़र

साहित्य एक नज़र 🌅 , कोलकाता , 29 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई शुक्रवार 28 मई 2021 को बेटी विषय पर कविता , गीत , ग़ज़ल विधा में सृजन करने के लिए साहित्यकारों को आमंत्रित किए । जैसा कि आपको विदित है कि नवरात्र में हमने अपना यूट्यूब चैनल आरंभ किया था और सर्वश्रेष्ठ वीडियोस यूट्यूब चैनल पर अपलोड की थी ।उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज बेटी विषय पर आपकी वीडियोस आमंत्रित हैं। आज बेटी विषय  पर ही आप वीडियोस प्रेषित करेंगे। आईए बेटी विषय पर सृजन  कर वीडियोस बनाएँ व यूट्यूब पर अपलोड करवाएँ । इस कार्यक्रम में मुख्य आयोजक अध्यक्ष हरियाणा इकाई आदरणीय विनोद वर्मा दुर्गेश जी आयोजक डॉ दवीना  अमर ठकराल जी , अलंकरण प्रमुख डॉ अनीता राजपाल जी डॉ दवीना अमर ठकराल जी महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी ,  समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों के सहयोग से एक दूसरे की रचनाएं को वीडियो के माध्यम से सुनकर सार्थक टिप्पणी करते हुए लगभग  1800  कॉमेंट्स आएं जो कि संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है ।

29/05/2021 , शनिवार
कविता :- 20(11)
साहित्य एक नज़र अंक - 19

-: वह तीन दोस्त !:-

वह तीन दोस्त, आख़िर में क्या रहा उन तीन दोस्तों में, कौन रहा वह तीन दोस्त, तो आइए जानते हैं, कहानी लिलुआ की पनौतीपण्डित, धर्मेन्द्र और मोनू की है , वह दोस्त मानों तो एक अटल, तो दूसरा कलाम,और तीसरा मनमोहन, मतलब ? मतलब यह कि तीनों उन्हीं महानों के राह पर चल पड़े थे, पनौतीपण्डित साहित्य से जुड़े अर्थात अटल जी जिसके खिलाड़ी थे, दूसरा धर्मेन्द्र विज्ञान से पढ़ने वाले, और वह देश दुनिया के लिए अब्दुल कलाम की तरह विज्ञान से कुछ करना
चाहते थे , और तीसरा मोनू तो वे मनमोहन जी के विषय वाणिज्य पर चल पड़े थे, तीनों की मंजिल एक ही, पर राह अलग थे , तीनों का मानना था, जब जीवन पाये है , तो क्यों न मानव सेवा में लगाऊं, सेवा करने के लिए तन मन के साथ धन की भी जरूरत होती है, धन की उत्पत्ति के लिए तीनों ने विद्या को ही सर्वोत्तम मानें ,तीनों के घर की आर्थिक स्थिति ख़राब ही था , इसी भावना के साथ पनौतीपण्डित अपने घर की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के बावजूद भी लोक कल्याण में लगा दिए वह कैसे उनके पास धन तो थे नहीं, पर मन और अपने कला, ज्ञान से निःशुल्क में विद्यार्थियों को पढ़ाने लगे , तीनों की दिल की पूजा पाठ भी हुआ रहा ,राजा रानी की तरह मिलन की रात भी हुआ रहा, ने… हा से यानि सीमा रेखा पार भी हुआ रहा ,तब जाकर उन तीनों में नव जीवन की कृति हुआ रहा,पता न किस लिए तीनों अपने सुख-सुविधा को त्यागकर मानव सेवा में लगाना चाहते थे , या प्रकृति का ही देन रहा होगा, अब बात करते उन दिनों की, जब तीनों अपने होंठों पर मुस्कान भरने के लिए दिन के दो से तीन घण्टे इधर-उधर भटकते रहते थे, और जो धर्मेंद्र जिसको प्यार से लोग डीके कहते थे , इतना मज़ाक करते थे कि पूछो मत, और मोनू बेचारा हमेशा मुस्कुराते ही रहते थे, और पनौतीपण्डित तो खाली बकबक ही करता रहता था, और कैसे न करता साहित्य प्रेमी भी तो था .और तीनों में एक और चीज मिलता था, कैसा भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा मुस्कुराते हुए रहता था , पता न एक का और धर्मेन्द्र और मोनू पढ़ते-पढ़ते कितना भी रात क्यों न हो जाएं , बिना पिता परमेश्वर यीशु की प्रार्थना किये हुए सोता नहीं था , और वह जो एक पनौतीपण्डित था वह विवेकानंद के विचार धारा के,वे सर्व धर्म में विश्वास करते थे, कभी राम,कभी खुदा को तो कभी मसीहा को तो कभी गौतम तो कभी महावीर को याद कर लेते थे ,और तीनों में एक और चीज मिलता था, कैसा भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा मुस्कुराते हुए रहता था , समय अपने गति से चलता गया , अब तीनों में ऐसा बदलाव आ गया की, पूछो मत पहले कहां दो से तीन घण्टे बीताते रहते थे , अब सप्ताह में अगल दस मिनट के लिए भी मिलते हैं तो प्रतीत होता है कि फूल है पर पत्तें नहीं, वही डीके लोगों से इतना मज़ाक करता था, आज वही चाणक्य की तरह गंभीर रहने लगे हैं, ऐसा नहीं है कि बोलते नहीं है , वही बोलते हैं जो सटीक रहता,और मोनू उन दोनों की तरह कल भी कम और आज भी बहुत कम ही बोलते हैं , शायद किसी महानों के यह कथन उससे मिलता , “जो गरजते हैं , वह बरसते नहीं और जो बरसते हैं वह गरजते नहीं , ऐसा लक्षण उसमें दिखता था , शायद उसका मन में ये रहा हो कि कुछ करके ही मुंह खोलेंगे ! इस तरह तीनों में बदलाव आया, और तीनों अपने मंजिल तक जानें में सफल रहे हैं , और रहेंगे भी !

सीख :- बीत जायेगी अन्धेरी रात, राह रोशन होगा और होगी प्रभात, कब जब अन्दर से हो जज़्बात , जो चलता राह पर उसी का देता ऊपर वाला साथ !

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार
मो :- 6290640716
05-05-2020 मंगलवार 08:40 मो:-6290640716, कविता :-16(20),
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha,

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 19
कविता :- 20(11) , शनिवार ,
29/05/2021

29/05/2021 , शनिवार
कविता :- 20(11)
साहित्य एक नज़र अंक - 19

आप सभी को हिन्दी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं -
✍️📖
   📙
🗞️📝

हिन्दी पत्रकारिता के लिए 30 मई को बहुत अहम दिन माना जाता है क्योंकि आज के दिन ही हिन्दी भाषा में पहला समाचार पत्र " उदन्त मार्तण्ड " का प्रकाशन हुआ था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल जी ने 30 मई, 1826 को इसे कलकत्ता ( कोलकाता ) से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था।

हिन्दी कविता-12(33)
30-05-2019 वृहस्पतिवार 10:08
*® रोशन कुमार झा
•रेल सुरक्षा अभियान!

जीवन जीऊँ पक्षी बनकर जाऊँ उड़
पास नहीं पहुँचू दूर!
खुद हटाऊँ काँटा पर बनकर रहूँ फूल
रेल सुरक्षा अभियान के बारे में जाननें
और बताने आया हूँ हावड़ा बामनगाछी
से सिंगुर !

मानेंगे नियम
आप और हम!
इस जीवन पर करेंगे रहम
अब ना उठायेंगे रेल लाइन पर
अपना कदम!

पुल करेंगे पार
चाँहे कैसा भी हो हाल!
आप और हम पर टिका है भविष्य काल
तो क्या है रेलवे सुरक्षा पर आपका विचार!

प्रकट कीजिए अभी आज नहीं इसी साल
और करना है हम आप को
रेलवे सुरक्षा का प्रचार!
राह रोशन करना है हटाकर अंधकार
नियम मानियें डरकर नहीं रखकर
जीवन पर ख़्याल!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12-33
30-05-2019 वृहस्पतिवार 10:08
The Bharat scouts & Guides
Eastern Railway Howrah
Bamangachi नहीं हम कामारकुण्डु
N.D.college st John Ambulance
Roshan Kumar Jha(31st Bengal
Bn Ncc Fortwilliam Kolkata-B
Reg no-WB17SDA112047
गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार
लिलुआ ड्युटी से-08:33
Amrita बात ncc

माँ सरस्वती, साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका मंच को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐।

साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका  "पुस्तक समीक्षा स्तम्भ"  1 जून से शुरू किया जा रहा है इसमें साहित्कारों की  पुस्तक समीक्षा कर पत्रिका में प्रकाशित की जाएगी एवं साहित्यकारों को समीक्षा प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाएगा ।जून माह के लिए 31 मई 2021 शाम 5 बजें तक हो लिया जायेगा। कृपया अपना परिचय , मोबाइल नम्बर और फ़ोटो कमिंट में प्रेषित करें।कृपया
सहयोग राशि 30/- रुपये इसी नम्बर 9753877785 पर फ़ोन पे/पेटीएम/गूगल पे करकें और स्क्रीन शॉट भेजने का कष्ट करें। किताब भी 5 जून तक प्राप्त हो जानी चाहिए कृपया स्पीड पोस्ट से ही निकालें।

1. श्री रामकरण साहू "सजल" बबेरू (बाँदा) उ.प्र.
2. अजीत कुमार कुंभकार
3.राजेन्द्र कुमार टेलर "राही" नीमका , राजस्थान
4.निशांत सक्सेना "आहान" लखनऊ
5. कवि अमूल्य रतन त्रिपाठी
6.डॉ. दीप्ती गौड़ दीप ग्वालियर
7. अर्चना जोशी भोपाल मध्यप्रदेश
8. नीरज सेन (कलम प्रहरी)कुंभराज गुना ( म. प्र.)
9. सुप्रसन्ना झाँ जोधपुर

नोट:- कृपया सहयोग राशि 30/- रुपये इसी नम्बर 9753877785 पर फ़ोन पे/पेटीएम/गूगल पे करकें स्क्रीन शॉट भेजने का कष्ट करें।

आपका अपना
प्रमोद ठाकुर

किताब भेजने का पता
महेशपुरा, अजयपुर रोड़
सिकंदर कंपू,लश्कर
ग्वालियर
मध्यप्रदेश - 474001
9753877785

कविता :- 20(10)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
दिनांक :- 28/05/2021

भाई आनंद कुमार झा  ( अंशु ) को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं -

छोटा भाई आनंद तू ही अंशु
तुम्हें तुम्हारा जन्मदिन की
हार्दिक शुभकामनाएं ,
हमारा स्नेह आशीर्वाद
हमेशा तुम्हारा काम आएं ।
हार नहीं तू जीत कर ही आएं ,
तुम्हारे राह से हर संकट मिट जाएं ।।

✍️ रोशन कुमार झा

🙏💐🍰🎉🎁🎁🎈🌅🎂🎂🎂
कविता :- 20(10)
अंक - 18
28 मई 2021
   शुक्रवार
ज्येष्ठ कृष्ण 2 संवत 2078

_____________
दादी माँ की अस्तित्व

विषय :-  दादी माँ की अस्तित्व

क्या बताऊं , हम उस दादी माँ की अस्तित्व बताने जा रहा हूं जो माँ की अस्तित्व ले ली । दो बहन और एक भाई के बाद दुनिया में आई आनंदनी , वही आनंदनी आनंद का बहन,उसी झोंझीफूलदाई दादी माँ की बात है, आनंदनी के जन्म लेते ही उसकी जीवन रोशन से अंधकार हो गया, वह कैसे ? तो जानिए जन्म लेते ही दो वर्ष की उम्र में ही दिल्ली में आनंदनी की माँ सुधा की मृत्यु हो गई, पिता अरुण दिल्ली में कमाने के लिए रह गया, और दादी अपने बेटे अरूण को छोड़कर अपनी पोती आनंदनी को लेकर गांव आ गई, आनंदनी जन्म से ही विकलांग या उपचार न होने के कारण कमज़ोर हो गई रही , माथा बड़ा पर हाथ पांव पतला पतला , आस-पास के लोग न चलने के कारण उसे लोटिया ,लोटिया कहने लगे यहां तक कि अब ये जिन्दा न रह पायेगी ,मर जायेगी और भी कुछ , ये सब सुनने के बाद भी दादी माँ हार नहीं मानी । तनु वक्ष स्थल से धन्यवाद उस दादी माँ को देना चाहता हूँ , जो वृद्धावस्था में भी आनंदनी को बिना दवा दिए, खुद के मेहनत सरसों तेल से मालिश कर करके आनंदनी को चलाने की प्रयास में लगी रही, और एक दिन ऐसा आया वह चलने फिरने लगी और अपने आसपास के लोगों के काम में वह बेचारी आनंदनी हाथ बढ़ाने लगी, इस तरह आनंदनी अपने गांव में बिना माँ की ही दादी माँ की सहयोग से अपनी अस्तित्व बना ली जो कि अधिकांश बच्चे माँ के रहते हुए भी वह अस्तित्व नहीं बना पाते ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
कविता :- 16(84) दिनांक :- 06/07/2020 सोमवार
-------------

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 18

मैथिली और हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रवीण झा "साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित हुए -

साहित्य एक नज़र 🌅 , शुक्रवार , 28 मई 2021

27 मई 2021 , गुरुवार को  " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से मैथिली और हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार आदरणीय प्रवीण झा जी को "साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित किया गया । प्रवीण झा जी पत्रिका के अंक 1 - 17 तक में  अपनी रचनाओं से योगदान करते हुए प्रचार प्रसार करने में भी अहम भूमिका निभाई है । साहित्य एक नज़र कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है , जो नि: शुल्क में साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , माहेश्वरी साहित्यकार, विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित व साहित्यकारों की रचनाएं , पेंटिंग ( चित्र ) प्रकाशित  साहित्य व कला की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका का उद्घाटन रोशन कुमार झा के हाथों से 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है उन सभी को  हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान पत्रिका के अंक के साथ सम्मानित किया जाएगा , प्रवीण जी को आ. सपना जी , आ. प्रमोद ठाकुर जी , आ. ज्योति झा जी , आ. आशीष कुमार झा जी , कवि श्रवण कुमार जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों बधाई दिए ।
साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है । रोशन कुमार झा संपादक एवं आ. प्रमोद ठाकुर जी इस पत्रिका के सह संपादक है । साहित्य एक नज़र पत्रिका का शुभारंभ मंगलवार 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा , सहयोगी सदस्य  आ. आशीष कुमार झा जी , आ. रोबीन कुमार झा जी , आ. पूजा कुमारी , आ. ज्योति झा जी , आ. प्रवीण झा, आ. नेहा भगत , आ. कवि श्रवण कुमार जी , आ. धर्मेन्द्र साह जी एवं आ. मोनू सिंह जी हैं ।।
हिन्दी कविता:-12(32)
29-05-2019 बुधवार 20:35
*®• रोशन कुमार झा
-: कर्म गया पानी में !:-

हँसी मैं खो दिया,
परिणाम देखकर मैं रो दिया!
मेहनत के बदले क्या दिया,
दुश्मन की हुई जीत तो लो ये जला
दो दिया!

रोशन करो राह,
अच्छा प्रीत निभाई मेरे साथी वाह! वाह!
अब वह पेड़ कहाँ मैं जो दे पाऊँ छाँह,
खुद बनाओ अपनी चाँह,

चलो और दूर जाओ,
मानो कि नीले आसमान में उड़ जाओ!
मँजिल की राह पर असफलता
को भूल जाओ,
मैं हूँ अभी जिन्दा पहले तुम तो आओ!

फिर करेंगे पढाई,
पढ़ायेंगे पर बनकर कसाई!
अब हम बनकर नहीं रहेंगे गाय,
क्योंकि देख लिए है हम
तुमलोगो का परछाई!

कर्म गया पानी में,
अब कैसे तुलना होगी मेरी ज्ञानी में!
लाभ में कहाँ परिणाम आया हानी में,
वह भी अपनी मनमानी में!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(32)
29-05-2019 बुधवार 20:35
Part-2 admit card
Roll no-9
Reg no-117-1111-1018-17
Roll no:-2117-41-0024
Scottish  church college
रोशनी दबा ग या नेहा फोन पर पढाये
जागो फिर एक बार निराला!
Car driving from लाये
सन्मार्ग शिवम:-392,काकू scouts फोन

हिन्दी कविता:-12(31)
28-05-2019 मंगलवार 20:00
*®• रोशन कुमार झा
-: हमेशा रहना आनंद !:-

उम्र में तुम हमसे बड़ा नहीं छोटा है
सफलता का बीज बोता है!
और यह जीवन को धोता है
तुम्हें पता है कि वर्षगाठ क्या होता है!

राहुल अरूण ग्रह सुधा की तनु वक्ष स्थल
से हुआ तेरा पालन पोषण
रहा नहीं गया तेरे वर्षगाठ पर एक कविता
लिख बैठा तेरा बड़ा भाई रोशन!
बहन की फूल राखी है तेरे साथ करना
ना किसी का शोषण
तू आनंद से रहना मेरे भाई हमेशा प्रसन्न!

बढ़ना बढ़ते रहना,
हो तक़लीफ़ तो हमें कहना!
कुछ दुख दर्द सहना,
और नदी की तरह बहना!

हो तुम्हारा जीत,
मैं बनकर रहूँ तुम्हारा मित्र!
छोड़ो उसे जो वक्त गया बीत,
दूर हूँ पर ना जाने तुमसे है मेरा
जन्मों-जन्मों का प्रीत!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(31)
28-05-2019 मंगलवार 20:00
रविवार जन्म आनंद
ज्योति घर बेन वाला मर गया जो ncc  कहे
आज school leaving certificate
लाये संजय पांडे आशीष
विक्रम लड़की 11-12 चालू
Anamika:-253(2017)सनिया:-260
Parash झा:-373,Amit:-409विक्रम
इस बार मेरा 421011 no:-1207
344


कविता :- 20(13)

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 31/05/2021 से 02/06/2021
दिवस :- सोमवार से बुधवार तक
विषय :- चित्रचिंतन
विधा :- स्वैच्छिक
विषय प्रदाता :- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
विषय प्रवर्तक :- आ. कलावती कर्वा जी

बांधा हो पाँव ज़ंजीर से ,
आज़ाद हो सकते हो तुम फिर से ।।
मुक्त होने का जुनून होना
चाहिए दिल से ,
व्यर्थ है ग़ुलामी की साँस
लेना इस शरीर से ।।

कट नहीं सकता ज़ंजीर
काट दो खुद का पाँव ,
ग़ुलामी रहकर अच्छा
है कटा हुआ पाँव में रहें घाव
घाव से भी डर है
तो लाओ कुछ ऐसा भाव  ।
उस भाव से जंजीर से बांधने
वाला भी विवश होकर
बदल लें अपना स्वभाव ,

तब तुम भी मुक्त हो
जाओगे ज़ंजीर से ,
कुछ सीख लो सूर्य कुमार कर्ण और
चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे वीर से ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(13)

कुछ सीखें बातों बातों से
कविता :- 17(49) , हिन्दी

नमन 🙏 :-
तिथि :- 09/09/2020
दिवस :- बुधवार
विधा :- कहानी
विषय :- कुछ सीखें बातों बातों से !

कहानी
कुछ सीखें बातों बातों से !

कोरोना काल से दस साल पहले दो हज़ार नौ , दस की बात है , जब गंगाराम अपने गाँव झोंझी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय से पाँचवी पढ़कर बग़ल के गांव के राजकीय मध्य विद्यालय नरही में छठवीं कक्षा में नामांकन करवाया रहा, वह अपने दोस्त व भानजा मुकेश के साथ अपने अपने साईकिल से विद्यालय एक साथ ही आते जाते ,श्री सच्चिदानंद झा जी उस वक़्त उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर रहें , नाटा होने के कारण लोग उन्हें भुतवा सर कहकर पुकारते , उस समय टिफ़िन के समय विद्यार्थियों अपने अपने बस्ता लेकर घर चलें जाते फिर खाना खाकर आते, कितने तो टिफ़िन के बाद आते ही नहीं, और जो आते नहीं उनका मार्ग रोशन से अंधकार हो जाते, और जब वह अगले दिन विद्यालय आते या तो प्रधानाध्यापक जी नहीं तो कक्षा अध्यापक महफूज सर जी वह इलाज़ करते की, फिर से टिफ़िन के बाद आना ही आना पड़ता , दुर्गा पूजा की छुट्टी से पहले एक दिन अर्चना टिफ़िन के समय गंगाराम के सामने आकर ऊँगली दिखाकर पूछी कि तुम्हारा ,, टाईटल क्या है, यूँ मैथिली भाषा में पूछी रही … कि तोहर टाईटल की छोअ , गंगाराम को लगा कि हमसे पूछ रही है कि मेरी प्रेमिका कौन है, गंगाराम क्या खुश हो गया नदी के निर्मल जल से सागर की ओर एक ही बार में चला गया , फिर उत्तर दिया ,कीछो नैय मतलब कोई न । आरती , चाँदनी, छोटी , ज्योति, पूजा ,दीक्षा, दीप्ती, श्वेता, बबली , मिली, मनीषा व अपने सहेलियों के साथ अर्चना विद्यालय के बगल वाले आम के बग़ीचे में खेलने चली गई , और गंगाराम अपने मित्र मुकेश के पास आया और बोला, जानैय छीही अर्चुआ हमरा स्अ पूछलक कि तोहर टाईटल की छोउ, हम कहलियै कीयो नैय ,तब मुकेश हँसते हुए बोला अरे तोहरा सऽ पूछलको तोहर जाति की छोअ , गंगाराम बोला अच्छा भाई उसे यह पता न जब कक्षा में हाज़िरी होता है 93 ( तिरानवे ) के बाद क्रमांक 94 ( चौरानवे ) जो झा है तो उसे पता न कि हम ब्राह्मण हैं हद है , तब से गंगाराम को जब भी टाईटल की बात याद आते तो उसे अपने दोस्त मुकेश और चमकीले आँखों वाली अर्चना की याद आ जाते, ये सीख उन्हें इन्हीं दोनों के सहयोग से प्राप्त हुआ रहा, जब भी कोई रचना लिखने से पहले रचना का शीर्षक गंगाराम देता है तो वह अपने आप को शर्मिंदा महसूस करता हैं, कि एक वक्त पता न था कि टाईटल , शीर्षक क्या होता है और आज प्रत्येक दिन ही कोई न कोई शीर्षक पर कुछ न कुछ यूँ ही लिख लेते हैं, सब माँ सरस्वती की दया प्रेम और आशीर्वाद है, और उसे वह अनमोल पल याद आ जाता है, जब अर्चना पूछी रही तुम्हारा टाईटल ( Title ) क्या है, क्या वह ज़िन्दगी थी ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
कविता :- 17(49) , बुधवार , 09/09/2020
बहन से आख़िरी बात
मो :- 6290640716 , कविता :- 20(13)
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 21
31/05/2021 , सोमवार

कविता :- 20(12)
ग़लत नहीं, ग़लत होने की कारण !:
✍️📖
  हिन्दी पत्रकारिता दिवस
📙 🗞️📝
30/05/2021, रविवार
ज्येष्ठ कृष्ण 4 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 13 ( आ.  नीरज सेन ( क़लम प्रहरी ) )
कुल पृष्ठ - 14
आप सभी को हिन्दी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं -
✍️📖
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
   📙
🗞️📝

हिन्दी पत्रकारिता के लिए 30 मई को बहुत अहम दिन माना जाता है क्योंकि आज के दिन ही हिन्दी भाषा में पहला समाचार पत्र " उदन्त मार्तण्ड " का प्रकाशन हुआ था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल जी ने 30 मई, 1826 को इसे कलकत्ता ( कोलकाता ) से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था।

कोलफील्ड मिरर में प्रकाशित
दिनांक :- 30/05/2021 ,
दिवस :- रविवार

मैथिली कविता

कोरोना जेबाअ के जेबए करतैय ,
घर पर बैठ कऽ केतक दिन लोग
पेट भरतैय ,
लॉकडाउन पर सँ लॉकडाउन
आब प्रशासन आर सरकार पर
लाठी चलतैय ,
तहने इअ अंधा सरकार किछ
करतैय ।।

परीक्षा लेतैय नैय खाली
चुनाव लड़तैय ,
फेर पाँच साल बाद वोट,
भीख में
मांगअ शहर और गाँव ऐतैय  ।
तहन की कहूँ हम गंगाराम
कनअ इअ जीवन कटठैय ,
करूँ अंधकार राह रोशन
हे भगवान कखन ईअ कोरोना हटतैय ।।

गंगाराम कुमार झा
झोंझी , मधुबनी , बिहार
30/05/2021 , रविवार ,
कविता :- 20(12)
मो - 6290640716

ग़लत नहीं, ग़लत होने की कारण !:

कहानी :- 16(14) हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
कहानी :- 1(01) हिन्दी

कहानी
-: ग़लत नहीं, ग़लत होने की कारण !:-

बात है कुमारपाड़ापुर की झील रोड की , बंगाराम, तोताराम,अंतिमराम, तीनों भाई में से बंगाराम बड़े थे, तीनों संग- संग स्कूल आया-जाया करते थे, बंगाराम आठवीं , तोताराम सातवीं और अंतिमराम दूसरी कक्षा में पढ़ते थे, बंगाराम बड़े शांत स्वभाव के थे , जब बंगाराम आठवीं कक्षा पास कर लिए, तब बंगाराम के सामने एक संकट छा गया, बंगाराम जिस नेहरू जी के स्कूल में पढ़ते थे ,वह विद्यालय आठवीं तक ही था ,बंगाराम नौवीं कक्षा में नामांकन करवाने के काफी कोशिश किया ,पर सब व्यर्थ गया, कोई भी स्कूल के नवीं कक्षा में सीट ही नहीं थी , या और कारण रहा होगा, इसके नामांकन के लिए मात-पिता भी परेशान रहते थे , अंत में पिता किसी से कह सुनकर नामांकन नवीं में न करवाकर पुनः आठवीं में हावड़ा हिन्दी हाई स्कूल में करवां दिये, वह विद्यालय बारहवीं तक रहा,
पर फिर से आठवीं में नामांकन करवाने के कारण
बंगाराम गलत रास्ते पर चलने लगते हैं, वह दिन- रात
सोचने लगता है , सोचता है पढ़ाई लिखाई करूं ,
या न करूं ,बंगाराम धार्मिक,विक्रम बजरंगी
हनुमान व मां सरस्वती जी के पूजा पाठ बचपना
से ही करते थे ,अंत में वे ईश्वर से प्रार्थना किये ,
हे ! भगवान तूने ये क्या किया, मेरे साथ पढ़े सहपाठी
आगे हम फिर से आठवीं में पढ़ूं हमसे नहीं होगा ,
वह यह निर्णय लेकर ग़लत रास्ते पर चलने लगा ,
वह घर से निकलता विद्यालय के लिए पर विद्यालय
जाता नहीं, वह ट्रेन से इधर-उधर घूमने लगा था,
कैसे न घूमता , विद्यार्थियों का तो रेल का टिकट
लगता ही नहीं था, इसके बारे में उसके माता-पिता
को पता भी नहीं चलता था, क्योंकि वह स्कूल
के समयानुसार ही आया-जाया करता था , पर एक दिन उसका गांव का प्रकाश- रोशन भईया देख लिया, रेलवे स्टेशन पर ! , पर उससे कुछ न कहा,
वह सीधे उसके पिता के पास फोन किया, बोला
चाचा बंगाराम को आज घूमते हुए देखें है स्टेशन पर,
फिर क्या रात में पिता के दफ़्तर से आते ही , पिता से
पहले ही सारी बातें बता दिया, क्योंकि अपने गांव
वाला को स्टेशन पर वह भी देखा रहा , और कहा
पापा हम पांच महीने में सिर्फ पन्द्रह ही दिन स्कूल
गये होंगे, पिताजी अब हममें हिम्मत नहीं है कि
फिर से आठवीं की पढ़ाई करूं, तब ही मां बोली
बेटा तुम तो जानते ही हो तुम भी और पिता भी
तुम्हारे नौवीं कक्षा में नामांकन करवाने के लिए
भरपूर कोशिश किया ,

पर हुआ नहीं न, क्या करोगें बेटा एक साल की बात है पांच महीने बीत ही गये अच्छा से पढ़ाई कर लो मजबूत हो जाओगे ! उसी वक्त बंगाराम बोलने लगा , माँ आप समझती नहीं हों , आप एक साल कह दिये , यहां लोग एक दिन ज़्यादा या कम होने के कारण सरकारी नौकरी के फॉर्म नहीं भर पाते हैं और आप एक साल कहती हैं , पापा – पापा मेरे पास एक सुझाव है, यदि आप चाहें तो मेरा नामांकन नौवीं कक्षा में हो जायेगा, पिता वह कैसे अभी तो सितंबर हो गया, अभी नामांकन होता है क्या , कहां होता है कहो मैं जरूर पूरा करूंगा ! पापा एक स्कूल हैं , जिसमें मेरा नामांकन नौवीं में हो जायेगा , पर वह प्राईवेट है , तब ही पिता कहा कहो बेटा हम कैसे तुम्हें प्राईवेट में पढ़ा सकते , प्राईवेट स्कूल की फीस हर महीने सात-आठ सौ रुपया कहां से दें पायेंगे, बोलो बेटा पापा सिर्फ एक बार आप कष्ट करिए, सिर्फ एडमिशन के लिए पच्चीस सौ रुपये दे दीजिए, उसके बाद आप जो हमें ट्यूशन पढ़ाते हैं , अब से ट्यूशन नहीं पढ़ेंगे और उसी ट्यूशन के पैसों से स्कूल के फीस भरेंगे, इस प्राईवेट स्कूल की ज़्यादा फीस नहीं है , जैसा कहें पापा आप ,फिर क्या पिता ब्याज पर लाकर पैसे दे दिया , और बंगाराम का नामांकन नौवीं कक्षा में हो गया ,जब बंगाराम के बारे में ट्यूशन के सर को पता चला , तो बंगाराम को बुलाया और कहें तुम ट्यूशन पढ़ने आओगे , और चाहो तो तुम्हें हम अपने ट्यूशन के कुछ बच्चों को पढ़ाने के लिए देते हैं, जिससे तुम अपने विद्यालय के फीस भर पाओगे ! इस तरह फिर बंगाराम सही रास्ते पर आ गया, दिन-रात मेहनत करने लगा, और अपने मंजिल के तरफ बढ़ने लगा !

शिक्षा :- कोई इंसान ग़लत नहीं होता हैं , ग़लत बनने
का कुछ न कुछ कारण होता है, और वही कारण
उसे गलत दिशा में ले जाकर गलत बना देता है !
अतः बिना जाने किसी को ग़लत कहना उचित नहीं है !
पहले कारण जानना चाहिए वह कैसे ग़लत हुआ ,
हुआ तो उसे कैसे सही रास्ते पर लाया जाये !

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
02-05-2020 शनिवार 19:15
कहानी :- 16(14) हिन्दी
कहानी :- 1(01) हिन्दी
मो:-6290640716
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha
यह हमारे द्वारा हम पर लिखी हुई प्रथम कहानी है !
नाटक भी 2 तारीख को ही लिखें रहें
02-10-2018 मंगलवार :- 8(01)
साहित्य एक नज़र अंक - 20
कविता :- 20(12), रविवार 30/05/2021

साहित्य एक नज़र, अंक - 20

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो - 6290640716
✍️📖
  हिन्दी पत्रकारिता दिवस
📙 🗞️📝
30/05/2021, रविवार
ज्येष्ठ कृष्ण 4 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 13 ( आ.  नीरज सेन ( क़लम प्रहरी ) )
कुल पृष्ठ - 14
✍️📖
   📙
🗞️📝
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 20
Sahitya Ek Nazar
30 May , 2021 ,  Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
30 मई 2021 ,  रविवार


अंक 20
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साहित्य एक नज़र अंक - 20
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सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
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आपका अपना
रोशन कुमार झा

शीर्षककविता:-12(35)ह,विषय सामग्री:हिन्दी कविता:-12(35)
31-05-2019 शुक्रवार 13:31
*®• रोशन कुमार झा
-: मेरे प्रति विश्वास ही मर गया !:-

कैसे दिलाऊँ मैं विश्वास,
अपना ही बना हैं लाश !
राह रोशन करना है इसलिए रहता
नहीं हूँ किसी के पास,
बस बस वहीं लोग मेरी सँघर्ष को समझ
चुका है बकवास!

सबका पूर्ण करूँ इच्छा बनकर दास,
कब तक रहूँ किसी के पास!
बदलते है वक्त दिन मास,
फिर भी मैं करता हूँ हर दिन पर विश्वास!

उसी में बहुत कुछ सीखता हूँ
और क्या लिखता हूँ!
मैं ना किसी के हुक्म से बिकता हूँ
पर ये सही है सबको हम मुसीबत
में ही दिखता!

फिर उसे मुसीबत से दूर भगाता हूँ
सुख के समय उसे मैं भूल जाता हूँ!
और अचानक मैं फिर से दुख में
याद आता हूँ
सच में मैं लगातार ज़ख्म पाता हूँ!

विश्वास है ना किसी को मेरे पर
यहीं है मेरी भय
जिसे मैं सहायता करता वहीं कहता
मेरा भी आयेंगा समय!

तो मैं क्या करूँ
मुझे अपनी राह पर पूर्ण विश्वास है
इसलिए मैं लगातार चलु!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(35)
31-05-2019 शुक्रवार 13:31
Day Hightension duty
100:-सुभाष को दिये!यह कविता नेहा
पर कल,

शीर्षककविता:-12(35)ह,विषय सामग्री:हिन्दी कविता:-12(35)
31-05-2019 शुक्रवार 13:31
*®• रोशन कुमार झा
-: मेरे प्रति विश्वास ही मर गया !:-

कैसे दिलाऊँ मैं विश्वास,
अपना ही बना हैं लाश !
राह रोशन करना है इसलिए रहता
नहीं हूँ किसी के पास,
बस बस वहीं लोग मेरी सँघर्ष को समझ
चुका है बकवास!

सबका पूर्ण करूँ इच्छा बनकर दास,
कब तक रहूँ किसी के पास!
बदलते है वक्त दिन मास,
फिर भी मैं करता हूँ हर दिन पर विश्वास!

उसी में बहुत कुछ सीखता हूँ
और क्या लिखता हूँ!
मैं ना किसी के हुक्म से बिकता हूँ
पर ये सही है सबको हम मुसीबत
में ही दिखता!

फिर उसे मुसीबत से दूर भगाता हूँ
सुख के समय उसे मैं भूल जाता हूँ!
और अचानक मैं फिर से दुख में
याद आता हूँ
सच में मैं लगातार ज़ख्म पाता हूँ!

विश्वास है ना किसी को मेरे पर
यहीं है मेरी भय
जिसे मैं सहायता करता वहीं कहता
मेरा भी आयेंगा समय!

तो मैं क्या करूँ
मुझे अपनी राह पर पूर्ण विश्वास है
इसलिए मैं लगातार चलु!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(35)
31-05-2019 शुक्रवार 13:31
Day Hightension duty
100:-सुभाष को दिये!यह कविता नेहा
पर कल,

कविता :- 20(14)


नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ( लनमिवि )  ( एलएनएमयू ) दरभंगा के स्नातक द्वितीय वर्ष विषय नोन हिन्दी की प्रश्न - 

महाकवि आरसी प्रसाद सिंह जी की संजीवनी

संजीवनी (संजीविनी) की कथावस्तु का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।

संजीविनी’ खण्ड-काव्य की संक्षिप्त कथा प्रस्तुत कीजिए ।


🌅 साहित्य एक नज़र 🌅

कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका


अंक - 22

1 जून  2021

मंगलवार

ज्येष्ठ कृष्ण 6 संवत 2078

पृष्ठ -  1

प्रमाण पत्र -  12 - 14

 ( आ. डॉ. मंजु अरोरा जी ,)

समीक्षा स्तम्भ

आ. श्रीमती सुप्रसन्ना झा जी

आ.श्री अनिल राही जी )

कुल पृष्ठ - 15


कविता -

कुछ नया दूँ रच ।


सोचा हूँ दूँ कुछ नया रच ,

जज़्बात होनी चाहिए बस ।।

जो करता संघर्ष वही

पीता मीठा रस ,

जान चुका हूँ 

इस ज़िन्दगी की रहस्य ।।

तब इस जीवन से

कुछ ऐसा रच ,

हर कहीं जाएं तुम्हारी

शोर मच ।

क्या जाता बोलने में

बोल सच ,

सच बोलने पर विपक्ष

भी देगा तुम्हारा पक्ष ।।


✍️ रोशन कुमार झा

सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता

ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार, 

मंगलवार , 01/06/2021

मो :- 6290640716, कविता :- 20(14)

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 22

Sahitya Ek Nazar

1 June 2021 ,  Tuesday

Kolkata , India

সাহিত্য এক নজর


ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ( लनमिवि )  ( एलएनएमयू ) दरभंगा के स्नातक द्वितीय वर्ष विषय नोन हिन्दी की प्रश्न - 

महाकवि आरसी प्रसाद सिंह जी की संजीवनी

संजीवनी (संजीविनी) की कथावस्तु का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।

संजीविनी’ खण्ड-काव्य की संक्षिप्त कथा प्रस्तुत कीजिए ।


महाकवि आरसी प्रसाद सिंह जी की संजीवनी


महाकवि आरसी प्रसाद सिंह जी

( Great poet Arsi Prasad Singh, )

विषय :- संजीवनी

कच और देवयानी की प्रेम कथा

वृहस्पति :- कच का पिता , देवताओं के गुरु

शुक्राचार्य :- देवयानी की पिता , राक्षसों के गुरु , कच का गुरु


जन्म- 19 अगस्त, 1911 ई., बिहार

मृत्यु- 15 नवंबर, 1996


आरसी प्रसाद सिंह का जन्म 19 अगस्त, 1911 को बिहार के मिथिलांचल के समस्तीपुर जिला में रोसड़ा रेलवे स्टेशन से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बागमती नदी के किनारे एक गाँव ‘एरौत’ (पूर्व नाम ऐरावत) में हुआ था। यह गाँव महाकवि आरसी प्रसाद सिंह की जन्मभूमि और कर्मभूमि है, इसीलिए इस गाँव को “आरसी नगर एरौत” भी कहा जाता है।।

अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद आरसी प्रसाद सिंह की साहित्य लेखन की ओर रुचि बढ़ी। उनकी साहित्यिक रुचि एवं लेखन शैली से प्रभावित होकर कवि रामवृक्ष बेनीपुरी ने उन्हें “युवक” समाचार पत्र में अवसर प्रदान किया। बेनीपुरी जी उन दिनों ‘युवक’ के संपादक थे। ‘युवक’ में प्रकाशित रचनाओं में उन्होंने ऐसे क्रांतिकारी शब्दों का प्रयोग किया था कि तत्कालीन अंग्रेज़ हुकूमत ने उनके ख़िला़फ गिरफ़्तारी का वारंट जारी कर दिया था।

भारत के प्रसिद्ध कवि, कथाकार और एकांकीकार थे। छायावाद के तृतीय उत्थान के कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखने वाले और ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित आरसी प्रसाद सिंह को जीवन और यौवन का कवि कहा जाता है। बिहार के श्रेष्ठ कवियों में इन्हें गिना जाता है। आरसी प्रसाद सिंह हिन्दी और मैथिली भाषा के ऐसे प्रमुख हस्ताक्षर थे, जिनकी रचनाओं को पढ़ना हमेशा ही दिलचस्प रहा है। इस महाकवि ने हिन्दी साहित्य में बालकाव्य, कथाकाव्य, महाकाव्य, गीतकाव्य, रेडियो रूपक एवं कहानियों समेत कई रचनाएँ हिन्दी एवं मैथिली साहित्य को समर्पित की थीं। आरसी बाबू साहित्य से जुड़े रहने के अतिरिक्त राजनीतिक रूप से भी जागरूक एवं निर्भीक रहे। उन्होंने अपनी लेखनी से नेताओं पर कटाक्ष करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। 15 नवंबर, 1996 में इनकी मृत्यु हो गई ।


प्रश्न :- संजीवनी (संजीविनी) की कथावस्तु का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।

संजीविनी’ खण्ड-काव्य की संक्षिप्त कथा प्रस्तुत कीजिए ।


संजीवनी (संजीविनी) एक खण्ड काव्य है । इसकी कथा नौ सर्गो में है । राष्ट्रीय भावना से भरा हुआ कविवर आरसी ने कच और देवयानी की पौराणिक कथा का आधार बनाकर आधुनिक भारत की समस्याओं का स्पर्श किया है । आज का हमारा अधिकांश युवकों प्यार के लिए सब कुछ कर सकता , पर प्यार को त्याग नहीं सकता ।


देवासुर (देवता और राक्षस) संग्राम की कथा बहुत प्राचीन है । देवता और दानवों में हमेशा संघर्ष होता रहा है । देवताओं ने बार – बार दानवों (राक्षसों) को हराया , पर दानव हारकर भी पुनः दुगना शक्ति से युद्ध में लग जाते । कारण यह था कि राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य को संजीविनी विद्या का ज्ञान था और उसी शक्ति से वे राक्षसों को पुनः जीवित कर देते थे । देवराज इन्द्र चिन्तित थे। देवताओं के समक्ष (सामने) एक गम्भीर समस्या उपस्थित थीं । सभा में सभी देवता मौन थे । उनकेे गुरु वृहस्पति ने उनकी समस्या का समाधान किया कि यदि कोई देव-पुत्र राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य को प्रसन्न कर ले और उनसे संजीविनी विद्या का ज्ञान प्राप्त कर लें तभी कुशल (अच्छा) है । पर राक्षसों के राज्य में जाने के लिए कोई तैयार नहीं था । तभी वृहस्पति का तेजवान पुत्र कच खड़ा हुआ – सारी कठिनाइयों और आपत्तियों को झेल कर शुक्राचार्य से विद्या प्राप्त करने के लिए मैं जाऊंगा । कच को प्रस्तुत देखकर इन्द्र चौंक पड़े और बोले ‘सौम्य ! यहां यम , कुबेर आदि दिकपाल जैसे वीर शिरोमणि खड़े हैं , फिर भला तुम क्यों उस आग की लपटों में जाओगे ? उसने बड़े उत्साह से कहा कि ‘पूज्य पिता का आशीर्वाद हो , सुर – संसद की कृपा हो तो मैं गुरु-सेवा में आत्मसमर्पण कर दूंगा , संजीविनी सीख कर आऊंगा और औरों को सिखलाऊंगा । वृहस्पति बोले – जाओ तात् ! (बेटा) गुरु- प्रसाद से ही विद्या प्राप्त होती है । इस प्रकार देवलोक से गुरु-जनों का आशीष ग्रहण कर कच ने प्रस्थान किया ।

नगर के कोलाहल से दूर शान्त तमसातट पर तपोवन के एक एकान्त आश्रम में शुक्राचार्य रहते थे । जब कच वहां पहुंचा तो उस समय उनकी पुत्री देवयानी से उसकी भेंट हुई । कच ने गुरु से भेंट करने की प्रार्थना की तथा अपना प्रयोजन भी बतलाया । देवयानी के हृदय में उसके प्रति प्रेम उत्पन्न हुआ। उसनेे समुचित सत्कार किया तथा कच को आश्वासन दिया कि उसका मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होगा । कच गुरु शुक्राचार्य के चरणों पर विनीत हुआ तथा उनका शिष्य बनने की चाह प्रकट की । कच की भक्ति से प्रभावित होकर शुक्राचार्य संतुष्ट हुए । उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया और अपना शिष्य बना लिया। दस – शत वर्षों तक ब्रह्राचर्य-व्रत का संकल्प लेकर कच उनका शिष्य बन गया और एक योग्य , कुशल शिष्य की तरह गुरु के चरणों का आशीर्वाद तथा निश्छल हृदय देवयानी का स्नेह पाकर अपनी साधना में जुट गया । वह कठोर श्रम करता – गुरु की आज्ञा और साधना की धूप से न तो वह विचलित होता और न देवयानी के प्रेम की चाँदनी से चंचल ही होता । साधना के पथ पर अविचलित , अविश्रान्त भाव से वह गतिशील था ।


इधर कच के प्रति राक्षसों में कौतूहल जगा । गुरु शुक्राचार्य के भय से वे प्रत्यक्षत: कुछ कर नहीं पाते थे ‌। उनके हृदय में घृणा और विद्वेष का दावानल दहक रहा था । एक दिन एकान्त पाकर दनुज के बालकों ने स्नेह का छल बिछाकर कच से सारी बातें जान ली । निष्कपट कच कुछ छिपा नहीं पाया , और तब दुष्ट-दानव बालकों ने उसे मार डाला । संध्या हो जाने पर भी जब कच आश्रम नहीं लौटा तब देवयानी का हृदय शंका और त्रास से भर उठा ‌ उसके हृदय में कच के प्रति निश्छल प्यार पनप चुका था । वह विफल होकर अपने पिता के पास पहुंची और अत्यन्त आतुर भाव से अपने भय का निवेदन किया ‌ । शुक्राचार्य अपनी पुत्री को अत्यधिक प्यार करते थे ‌। उन्होंने दिव्य मंत्रोच्चार किया तथा कच का आह्वान किया । दूर दूर तक उनका स्वर प्रतिध्वनित हो उठा और उत्तर के रूप में सुदूर देश में कच की आवाज़ सुनाई पड़ी। कच पुनरुज्जीवित होकर संदेह उपस्थित हो गया । देवयानी के अश्रु पुरित नैन खुशी से नाच उठे । कच से पूरी कहानी सुनकर शुक्राचार्य ने उसे सावधानी से रहने की सीख दी । देवयानी ने संकल्प किया कि

वह भविष्य में कच को अकेले वन में नहीं जाने देगी । साधना का रथ फिर बढ़ चला । पर राक्षसों के बीच खलबली मच गई थी । उनका द्वेष बढ़ता गया और वे किसी उपयुक्त अवसर की खोज में थे । कच पूजा हेतु जब मधुबन से फूल चुन रहा था राक्षसों ने उसे पुनः मार डाला और अस्थि – मांस को पीस कर जल की धारा में विसर्जित कर दिया । एक बार फिर देवयानी के आकुल अंतर को , स्नेह – शिथिल हृदय को शांति तथा उल्लास देने हेतु गुरु शुक्राचार्य ने कच को जीवित कर दिया ।


एक दिन राजभवन के किसी उत्सव में गुरु और देवयानी दोनों गये हुए थे । कच आश्रम में अकेले था । राक्षसों ने छल का सहारा लिया । कच को लगा मानो आश्रम की गाय बाहर भय से चिल्ला रही हो । वह अस्त्र लेकर गौ रक्षा के लिए बाहर निकला । राक्षसों को अवसर मिला । उन्होंने उसे मार डाला तथा अस्थि – मांस को जलाकर गुरु के पेय में मिला दिया । बिना किसी आशंका की कल्पना किए हुए गुरु उसे पी गये ।


रात में जब शुक्राचार्य और देवयानी आश्रम आये तो कच का कहीं पता नहीं था । एक अज्ञात भय से देवयानी सिहर उठी । मन की समस्त पीड़ाओं को वाणी देकर , वह पिता के समक्ष (सामने) गिड़गिड़ाने लगी । उसकी कातर वेदना-युक्त आग्रह ने एक बार पुनः शुक्राचार्य को कच को जीवित करने के लिए विवश कर दिया । उन्होंने फिर मंत्रोच्चारण किया। पर गुरु के उदर में स्थित कच बाहर निकलने के विषय में धर्म संकट में पड़ा हुआ था। ( लोक लाज) गुरु का पेट चीर कर निकलने का अर्थ होता गुरु की मृत्यु और कच को यह सोचना भी अभीष्ट नहीं था। अन्त में देवयानी का अत्याधिक अग्रह देखकर गुरु ने कच को वहीं ( पेट के अंदर ही ) संजीविनी विद्या का ज्ञान दिया । कच बाहर निकला और फिर उसी मंत्र के सहारे गुरू को भी जीवित कर दिया । साधना की सिद्धि के अवसर पर कच ने गुरु के चरणों पर सिर रख दिया । स्नेह – शिथिल गुरु ने उसे अपने पुत्र की समकक्षता दी तथा उसे जी भर आशीर्वाद दिया ।


उद्देश्य – पूर्ति के पश्चात जब एक बार कच ने देवलोक जाने का निश्चय किया तो देवयानी ( गुरु की पुत्री ) ने उस पर प्रेम प्रकट करके उससे रुक जाने की प्रार्थना की । कच ने अपने कर्त्तव्य पालन की बात कहकर देवयानी की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया , साथ ही यह बात भी स्पष्ट कर दी कि भगिनी के रूप में गुरु- सुता ( गुरु की पुत्री ) से वह विवाह की बात भी नहीं सोच सकता । अन्त में निराश होकर देवयानी ने कच को शाप दे दिया कि संजीविनी ( संजीवनी) विद्या कच के काम नहीं आएगी । कच ने भी देवयानी के क्रोध को अनुचित बताकर उसे किसी क्षत्रिय की पत्नी बनने का शाप दे दिया । तदोपरान्त कच ने देवलोक जाकर संजीवनी विद्या का प्रसार कर देवताओं में उत्साह भर दिया और देवताओं ने धर्म- युद्ध में तत्पर होकर दानवों को परास्त कर दिया , स्वर्ग लोक में सुख और शांति छा गई । ‘संजीविनी का यही कथानक है ।


28/02/2021 , रविवार , कविता :- 19(21)

✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা

मोबाइल / व्हाट्सएप , Mobile & WhatsApp no :- 6290640716

Service :- 24×7

सेवा :- 24×7


नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 23
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 23
2 जून  2021
बुधवार
ज्येष्ठ कृष्ण 8 संवत 2078
पृष्ठ -  13
प्रमाण पत्र -  10 - 12
( आ. रंजना बिनानी जी , आ. राजेन्द्र कुमार टेलर राही जी , आ. नीरज सेन ( क़लम प्रहरी ) जी
कुल पृष्ठ - 13

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 23
Sahitya Ek Nazar
2 June 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

कुछ लिखूं ।

कुछ लिखना है ,
पर कहाँ से शुरूआत करूँ ।
व्यर्थ की क्यों बात करूँ ,
अकेले चलने से बेहतर
है साथ चलूं ,
कभी सड़क पर
तो कभी गंगा घाट चलूँ ।।
वहां चलकर प्रकृति
की सौन्दर्य चित्रण करूँ ,
हल्का अपना मन करूँ ।।
रच - रच कर रचना रचते रहूँ ,
कड़ी मेहनत के बाद मैं
इसी तरह हंसते रहूँ ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
बुधवार , 02/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(15)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 23
Sahitya Ek Nazar
2 June 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा , बिहार
लनमिवि ( एलएनएमयू )
बी.ए, बी.एस.सी , बी.कॉम , नोन हिन्दी , द्वितीय वर्ष की प्रश्र -

Lalit Narayan Mithila University
Darbhanga, Bihar

_____________
LNMU , B.A,B.SC,B.COM , Non-Hindi ( Part –2 )

गंगावतरण का कथासार संक्षेप में प्रस्तुत करें ।

LNNU , B.A,B.SC,B.COM , Non-Hindi ( Part – 2 )
पाषाणी , गंगावतरण , भगीरथ , हिन्दी
Pashani , Gangavataran , Bhagiratha

गंगावतरण का कथासार संक्षेप में प्रस्तुत करें ।

गंगावतरण की कथा पौराणिक है। देवराज इन्द्र की प्ररेणा से भगीरथ के पूर्वजों ने मुनिश्रेष्ठ कपिल को अपमानित करना चाहा किन्तु महर्षि कपिल के तपोबल के ताप में उनका अस्तित्व ही दग्ध (जल गया) हो गया और आश्चर्य यह कि भागीरथ के पूर्वजों का भस्मावशेष (राख के रूप में बचा अंश)
शीतल ही नहीं हो पा रहा था । भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार करने के लिए तप का सहारा लिया ‌। उनकी तपोनिष्ठा ( तप करने की भाव ) के परिणामस्वरूप ही स्वर्ग की गंगा पृथ्वी पर उतरी । इस विषय में किसी ने ठीक ही कहा है :-

भगीरथ को अपने पूर्वजों को करना रहा उद्धार ,
तब किया उन्होंने तप विद्या को स्वीकार ।
लगा रहा तप में, छोड़ कर ये सुख, सुविधा, संसार ,
तब पूर्वजों को उद्धार की और बनी गंगा
पावन देश धरती की हार ।।

गंगावतरण भगीरथ की तपोनिष्ठा के यश:कल्प की कथा गाथा है । उनके यश की यह गाथा तीन दृश्यों में बांटा है । प्रथम दृश्य भागीरथ के उग्रतप के निश्चय से होता है । पितरों के उद्धारार्थ तप के अतिरिक्त ( अलाव ) उनके समक्ष (सामने) कोई दूसरा विकल्प नहीं है ‌। अतः उनका निश्चय है –

मैं करूँगा तप , महातप मौन –
ऊर्ध्व बाहु , कनिष्ठिका भर टेक-
भूमि पर , कंपित न हूंगा नेक !
अपने पूर्व निश्चय को वह गंगोत्री के पुण्य-तीर्थ में कर्मणा चरितार्थ है । निराहार तपस्या में वह निरत है । भगीरथ के तप की ख्याति चतुर्दिक ( चारों तरफ ) फैली हुई है ‌। भगीरथ के तप से सूर्य , चन्द्र, नक्षत्र सभी प्रकंपित है । इन्द्र को यह सूचना नारद से उपलब्ध होती है। इन्द्र भगीरथ के उग्रतप से अत्यंत चिन्तित हो उठते हैं । परन्तु उन्हें उर्वशी, रंभा जैसी अप्सराओं का भरोसा है । वह अतः उर्वशी और रंभा को भगीरथ की तपस्या के स्खलनार्थ पृथ्वी पर भेजते हैं । यह दृश्य अपनी प्रस्तावना में भगीरथ की चारित्रिक- दृढ़ता एवं इन्द्र के षड्यंत्र निश्चय से संपृक्त है ।
द्वितीय दृश्य का सूत्रपात अत्यंत मादक वातावरण से होता है ‌। आधी रात का समय है , दूध की धोयी चांदनी दिक् – दिगन्त में छितराई है । उन्मादक वायु का शीतल प्रवाह वातावरण में तंद्रिलता बिखेर रहा है । नीरव शांति का सन्नाटा चतुर्दिक व्याप्त है । ऐसे कामोद्दीपक वातावरण में भी वह स्तूपवत् खड़े हैं । वे वातावरण में सर्वथा अलिप्त हैं । तपस्या में निर्बाध निरत भगीरथ संकल्प-दृढ़ता के उत्कर्ष में अधीष्ठित है ‌। इसीलिए अप्सराओं सम्मोहन भी उनके लिए निरर्थक ही सिद्ध होता है । रंभा और उर्वशी के सम्मोहन से भगीरथ छले नहीं जाते । वे अपनी तपस्या में शान्त भाव से लीन हैं । अप्सराओं के समक्ष भगीरथ की तपस्या विचलित नहीं होती । अप्सराओं का कामोद्दीपन भगीरथ को थोड़ा भी प्रभावित नहीं कर पाता । वे निष्काम ही बने रहते हैं । धरती की तप : साधना के समक्ष देवलोक का दंभ धूमिल हो जाता है ।
भगीरथ की तृप्तकाम निष्कामता तृतीय दृश्य में पुरस्कृत होती है । अनेक वर्ष बीत गए किन्तु तपोनिष्ट भगीरथ का मस्तक विचलित नहीं हुआ ‌ । तन शिराओं का बन गया, पर मनोरथ इष्ट-सिद्धि के पूर्व कभी क्लान्त नहीं हुआ। उनके प्रबल संकल्प के सामने ब्रह्मा का कमलासन हिल उठता है । वे ‘ब्रह्मब्रूहि’ के आश्वासन के साथ भगीरथ के समक्ष प्रस्तुत होते है । वे भगीरथ को स्वर्ग का प्रलोभन देते है किन्तु स्वर्ग – सुख के प्रलोभन से वह छले नहीं जाते। अपने पूर्वजों के उद्धारार्थ वह पृथ्वी पर गंगाअवतरण की याचना करते है । ब्रह्मा कर्मफल की दुहाई देते हुए यह प्रस्तावित करते है कि भगीरथ के पुण्यकर्म उनके पितरों के उद्धार में तो असम्भावना ही व्यक्त करते हैं। भगीरथ ब्रह्मा के कर्मज संस्कार को निरर्थक सिद्ध करते है। कहते हैं –
मैं उतारूँ पार औरों को न जो ,
धिक् तपस्या , नियम ! तब सब ढोंग तो ।
भगीरथ के अनुसार सूर्य की व्यापकता केवल उसी तक सीमित नहीं रहती , वह सभी को प्रकाश देती है । कर्म का शीतल प्रभाव चाँदनी के रूप में सबको स्निग्धता में डुबो देता है। फिर भगीरथ की तपस्या पितरों को भी प्रभावित नहीं कर सकेंगी क्या ? अतः उनकी कामना है –
मेरे पितर क्या ? भस्म ही उनका अरे , अब शेष ,
उनके बहाने हो हमारा पतित पावन देश ।
पूर्वजों का उद्धार तो एक बहाना है ‌ । भगीरथ की कामना सम्पूर्ण देश की पावनता से संपृक्त है । ब्रह्मा भगीरथ की इस मूल्यजीविता पर ही रीझते है। प्रसन्नता के आह्लाद में वह कहते है-
कुल कमल राजा भगीरथ धन्य
स्वार्थ – साधक स्वजन होते अन्य ।।
मानता , जग कर्म-त़त्र – प्रधान ,
पर भगीरथ असामान्य महान् ।
लोक-मंगल के लिए प्रण ठान –
तप इन्होंने है किया , यह मान-
हम, इन्हें देंगे अतुल वरदान ,
ये मनुज उत्थान के प्रतिमान ।
ब्रह्मा की धारणा में भगीरथ ‘मनुज उत्थान के प्रतिमान’ की सिद्धि अर्जित करते है । उनकी कामना है कि कीर्ति-गाथा गगन चढ़े ऊपर, सबसे ऊपर फहरे , लहरे । इस क्षण देवाधिदेव शंकर का आशीष ( आशीर्वाद ) भी भगीरथ को सुलभ होता है। भगीरथ का शिवधर्मातप तृप्तकाम होता है। स्वर्ग की गंगा धरती पर अवतरित होती है ।

03/03/2021 , बुधवार , कविता :- 19(24)
रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
रामकृष्ण महाविद्यालय , मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार
साहित्य संगम संस्थान , पश्चिम बंगाल इकाई (सचिव)
मोबाइल / व्हाट्सएप , Mobile & WhatsApp no :- 6290640716
roshanjha9997@gmail.com
Service :- 24×7 , सेवा :- 24×7


मैथली कविता:-12(37)
01-06-2019 शनिवार 17:45
*®• रोशन कुमार झा
-:आजूक दिन :-

कनअ मनाबू तोरा बिन,
आजूक दिन!
पैइन बिना कहाँ रहैछैय मीन,
आई छैई संसार के बड़का दिन!

हँसू मुस्कुराव,
शहर सअ गाँव जाव!
तरूआ पकौड़ा खाव,
राह रोशन कअ क हरि के गुण गाव!

आय अैछ साल के दिन बड़का,
काका खेत में काकी चलाईवैई
छेतीन चरख़ा!
अैई महीना बाद हुअह लगतैइ बरखा,
तअ आजूक दिन समझु नैई हल़्का!

चलै छैइ बस रेल गाड़ी,
आम सअ महैक लहर अैछ खेत
खलिहान बाड़ी!
और देखू-देखू जामुन के डाली,
उठु-उठु नर और नारी!

ऐईल नया महीना,
पर अहाँ बिना,
बेकार अैछ जीना,
अैछ बड़का दिन, पर बैह रहल
अैछ पसीना!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(37)
01-06-2019 शनिवार 17:45
Roshan Kumar Jha(31st Bengal
Bn Ncc Fortwilliam Kolkata-B
Reg no-WB17SDA112047
E.Rly,Scouts Howrah
St John Ambulance
गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार
माँ मिली शादी में गाँव नया शाट माँ दी!
सियालदह,कट गया नाखून कोमल
Part-2 pol Sc history guide
560+80पेन 200 Xerox, Nitesh
दुकान राजन देखा कॉलेज पास पापा!

हिन्दी कविता-12(36)
01-06-2019 शनिवार 14:45
*®• रोशन कुमार झा
-:आ गया नव महीना जून!-

नई रंग नई खून
है अब नई जुनून!
देख अपने जीवन को मत किसी के
बातों को सुन
अब आ चुका है नव महीना जून!

क्या करना है
कहाँ चलना है!
और ना अब किसी से डरना है
राह रोशन हो इसलिए सँघर्ष से लड़ना है
सँघर्ष से लड़कर ही मरना है!

कुछ पाना है
तो कुछ गँवाना है!
सच में कुछ करके जाना है
पुराने को भूलना और नया को लाना है
क्योंकि यह नश्वर ज़माना है!

दुनिया के पीछे नहीं दुनिया के साथ
चलना है
और नया रंग रूप भरना है!
भरकर कुछ करना है
आज कोई और तो कल हमें भी मरना है!

मृत्यु से कोई बचा ना सकता
कौन किसको कब तक अपने पास रखता
फल भी पेड से गिर जाता पर गिरने
से पहले पकता,
नया महीना है यारो कुछ कर बैठो
मैं हूँ ना कोई बड़ा वक्ता!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(36
01-06-2019 शनिवार 14:45
माँ मिली शादी में गाँव12:17
सियालदह,कट गया नाखून कोमल
बेबी मीना कोमल,अमरिता,IGNOU
बिमल भईया ड्युटी छुट्टी कल जोगा दा
gun दिखाये बाड़ी वाला सुभाष गजल
नया दुकान mini Xerox


कविता :- 20(18), साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 26
दिनांक :- 05/06/2021 , शनिवार
यादें एशिया का सबसे बड़ा किताब बाज़ार कोलकाता की !:-

माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐। आप सभी को " विश्व पर्यावरण दिवस " की हार्दिक शुभकामनाएं ।

मार्गदर्शक , साहित्य संगम संस्थान उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष सम्मानित डॉ राकेश सक्सेना महागुरुदेव जी को जन्मदिन की बधाई । 🎂🎂🎂🎂🎂🎈🍰🎁🎉

महागुरुदेव जी आपको
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ,
जय हिन्द , जय हिन्दी के बारे में
हम नव साहित्यकारों को आप ही तो बताएं ।।
हिन्द में हिन्दी से ही हम आपकी वर्षगांठ मनाएं ,
विश्व पर्यावरण दिवस है आज क्यों न
एक पेड़ लगाएं ।

जन्मदिन मनायें बिना काटे केक ,
उन पैसों से पेड़ लगायेंगे
ज़्यादा नहीं एक ।
जिसका उपयोग करेंगे हम
आप और लोग अनेक ,
ऑक्सीजन की कमी तो
हमलोग लिए ही है
आँखों से देख ।।

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন
🎈 🎈 🎈 🎈 🎁 🎂

साहित्य संगम संस्थान , रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) के महागुरुदेव , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष

आ.  _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ डॉ. राकेश सक्सेना  जी

को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई ।

🙏💐💐🙏🎂🎈🎉🎈🎁🍰🎈🌅 🌳🏝️🎋

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शनिवार , 05/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(18)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 26
Sahitya Ek Nazar
5 June 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

कविता :- 20(18), साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 26
दिनांक :- 05/06/2021 , शनिवार
यादें एशिया का सबसे बड़ा किताब बाज़ार कोलकाता की !:-

माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐। आप सभी को " विश्व पर्यावरण दिवस " की हार्दिक शुभकामनाएं ।

मार्गदर्शक , साहित्य संगम संस्थान उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष सम्मानित डॉ राकेश सक्सेना महागुरुदेव जी को जन्मदिन की बधाई । 🎂🎂🎂🎂🎂🎈🍰🎁🎉

महागुरुदेव जी आपको
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ,
जय हिन्द , जय हिन्दी के बारे में
हम नव साहित्यकारों को आप ही तो बताएं ।।
हिन्द में हिन्दी से ही हम आपकी वर्षगांठ मनाएं ,
विश्व पर्यावरण दिवस है आज क्यों न
एक पेड़ लगाएं ।

जन्मदिन मनायें बिना काटे केक ,
उन पैसों से पेड़ लगायेंगे
ज़्यादा नहीं एक ।
जिसका उपयोग करेंगे हम
आप और लोग अनेक ,
ऑक्सीजन की कमी तो
हमलोग लिए ही है
आँखों से देख ।।

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন
🎈 🎈 🎈 🎈 🎁 🎂

साहित्य संगम संस्थान , रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) के महागुरुदेव , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष

आ.  _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ डॉ. राकेश सक्सेना  जी

को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई ।

🙏💐💐🙏🎂🎈🎉🎈🎁🍰🎈🌅 🌳🏝️🎋

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शनिवार , 05/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(18)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 26
Sahitya Ek Nazar
5 June 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

यादें एशिया का सबसे बड़ा किताब बाज़ार कोलकाता की !:-

कहा जाता है कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट एशिया का सबसे बड़ा क़िताबो का बाज़ार हैं, जी हां, कैसे न रहे बगल में भारत के सबसे पूराने विश्वविद्यालय कलकत्ता विश्वविद्यालय, दरभंगा बिल्डिंग , प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी , संस्कृत विश्वविद्यालय, सुरेन्द्रनाथ इवनिंग, डे, वूमेन, उमेशचंद्र, जलान गर्ल्स कॉलेज, चितरंजन, बांगोबासी, सेंट पाल, विद्यासागर,सिटी राजाराममोहन , आंनद मोहन, गिरिशचन्द्र, खुदीराम, जगदीश चन्द्र, शिक्षायतन, गोयनका, स्कॉटिश चर्च,महराजा मनिंद्र चंद्रा मानों तो कुछ ही किलोमीटर में महाविद्यालय ही महाविद्यालय है, तब हम अपने संस्मरण पर चलते है, बस से जाते तो घर से सिर्फ दस किलोमीटर दूर रहा ,पर बस से जाने से अच्छा पैदल जाना , क्योंकि हावड़ा तक तो ठीक पर रवीन्द्रनाथ सेतु पार करते ही वह जाम और वह भी एम. जी यानी महात्मा गांधी रोड़ की क्या बताऊं , इसलिए बीस किलोमीटर दमदम होते हुए ट्रेन से ही जानें का विचार किये, उन लोगों को बारहवीं की किताब लेना रहा । बात पाँच जून दो हजार सत्ररह ( सोमवार ) शुक्रवार विश्व पर्यावरण दिवस दिन की बात है, अपने एकतरफा प्यार के प्रिय नेहा व शिष्या बारहवीं कक्षा कला विभाग की जूली नहीं अणू के साथ लिलुआ से बाली गये बैण्डेल लोकल मेन लाइन से फिर डानकुनी सियालदह लोकल पकड़े बाली हल्ट से यहां आने के लिए सीढ़ी चढ़ना पड़ता ,क्या कहूं वैसे हम तो कॉलेज हावड़ा ब्रिज होते हुए बड़ा बाज़ार बी.के,साव मार्केट, कैनिंग स्ट्रीट पिता जी के मामा यानि दादा जी के यहां साईकिल रखकर वहां से कॉलेज पैदल ही जाते हैं, पर कभी भी अगर हम ट्रेन से जाते तो अपनी प्रिय की स्मरण में उसी सीढ़ी से आते जाते, जिस सीढ़ी से वह गुजरी थी ,टिकट संख्या :- 31430426 हमारा रहा अंतिम का जो 26 है वह हमारा बी.ए प्रथम वर्ष हिन्दी आनर्स की क्रमांक रहा, और नेहा की टिकट की अन्तिम संख्या 27 व अणु की 28 रहा वह टिकट आज भी कविता शीर्षक “हम लोगों की सैर” के साथ है,पर हम लोगों के फोटो नहीं , कहती भी रहीं छवि खिंचवाने के लिए पर हम न खिंचवाएं, वे दोनों आपस में सेल्फी लेती रही,उस वक्त हमारा पहला कविता की डायरी लिखाता रहा, वह डायरी, डायरी नहीं एक मोटा रजिस्टर रहा, जो पिताजी अपने कार्यकाल से लाये रहे,उसमें हिसाब किताब हुआ रहा ,
फिर भी हम रोशन उसमें कविताएं लिखते रहें,और अभी हमारा यही कोरोना, कल आये अम्फान तूफान को लेकर हम सोलहवीं डायरी लिख रहे है, जिसमें, कविताएं ज्यादा, हिन्दी, अंग्रेजी, भोजपुरी, मैथिली,बंगाली में व अन्य विधा हिन्दी में आलेख,दोहा, ग़ज़ल, नाटक, व्यंग्य ,कहानी,गीत, शायरी, हाइकु लिखते हुए सफर कर रहे हैं।
चाउमीन, आईसक्रीम खाये व खिलाये फिर सियालदह से ट्रेन से चले शाम के चार बजे के करीब बाली हल्ट आये, जल्दी रहा दौड़ना पड़ा रहा फिर क्या उन दोनों का भी बस्ता भी लेना पड़ा ,पुराने से नया बाली में कर्ड लाइन की चार नम्बर प्लेटफार्म बनी रही पहले सामने पर अब थोड़ा दूर रहा फिर जैसे तैसे ट्रेन पकड़े लिलुआ पहुंचे, एक गज़ब की बात है वैसे मेरा तो टिकट लगता ही नहीं, कॉलेज की नाम ही काफी रहा , फिर भी इन लोगों के साथ जाना रहा टिकट कटवा लिए, फिर क्या मेरे पास ही टिकट रहा हम आगे वह दोनों पीछे-पीछे, टिटी साहब टिकट निरीक्षक उन दोनों को पकड़ लिए , फिर नेहा आवाज लगाई ,क्या वह आवाज रही ,गये टिकट दिखाये , साहब हस्ताक्षर किए, और नाम पूछे बताएं रोशन , शाय़द बेचारा कुछ जानते रहे ,प्रिय की तरफ देखकर हमें कहे कि अपना रोशनी को तो अपने साथ लेते जाओ ,दिल खुश हो गया रहा उन बातों से ।
जब बाली घाट से चली ट्रेन विवेकानंद सेतु गंगा,हुगली नदी पार करते हुए दक्षिणेश्वर जा रही थी तब हम माँ काली व गंगा माई से प्रार्थना करते रहे हे मां कभी हम भी तुम्हारी पूजा करने अपनी प्रिय के साथ आऊं, पर वह दिन अब तक न आया , शायद आएगा भी नहीं , यही है हमारी उसकी संस्मरण ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
मो :- 6290640716
कलम ✍️ बोलती है ” साहित्य समूह, क्रमांक :- 133
21-05-2020 गुरुवार , कविता :- 16(38)
विषय :- वो खुशी के पल ,विधा :- संस्मरण
05/06/2020 शुक्रवार रहा इसलिए गलती से 05/06/2017 को ही शुक्रवार लिख दिए रहें ।
05/06/2017 , सोमवार रहा ।

कविता :- 20(17)

दिनांक :- 04/06/2021
दिवस :- शुक्रवार

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅

एक , दो , तीन , चार नहीं
मुझ पर मुसीबत लाख है ,
देखने वाला कोई और नहीं
देखने वाला मेरा आँख है ।।
फिर भी हार नहीं माना हूँ
साँस लेने में लगा हुआ मेरा नाक है ।।
लाख मुसीबत के बाद भी जी रहा हूँ ,
मुझे देख कर दुनिया अवाक् है ।

कि मैं कैसे जिंदा है ,
मुसीबत में जीना भी
आज की समाज में निंदा है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शुक्रवार , 04/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(17)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 25
Sahitya Ek Nazar
4 June 2021 ,  Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

विधा :- कहानी
शीर्षक :- नई खून , सोच से शून्य

बात कोरोना काल के बाद दो हज़ार बीस नहीं वर्ष इक्कीस की शुरुआती माह की प्रथम सप्ताह के अंत द्वितीय सप्ताह की शुरुआती के दुसरी दिन शनिवार नौ जनवरी की है , जब हम रोशन सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय से द्वितीय वर्ष हिन्दी आनर्स की परीक्षा देने के बाद रामकृष्ण महाविद्यालय से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के बी. एस .सी, बी.कॉम नहीं बी.ए प्रथम खंड हिन्दी आनर्स की परीक्षा देने बिहार आएं रहें , देव नारायण यादव महाविद्यालय में परीक्षा का केन्द्र पड़ा रहा , पहली तल्ला के कमरा संख्या बयालीस “अ” में हमारा सीट बीच कतारों की प्रथम बेंच पर ही रहा , हर बेंच पर चार – चार परीक्षार्थियों को बैठाया गया था इससे हमें पता ही नहीं चला हम परीक्षा देने आएं हैं या पढ़ने ….
और भी बातों से , परीक्षार्थियों फोन रखेंगे अपने जेब में पर बंद करके, इस तरह भी परीक्षा होती है , मानते हैं इस काल में फ़ोन रखना जरूरी है तो आप परीक्षकों परीक्षार्थियों की फोन उनके बैग बस्ता में रखने के लिए कहिए , आप जैसे परीक्षकों का भी सोच अच्छा है कहीं किसी का फोन चोरी न हो जाएं , आप मोबाइल बंद करवा कर रखने के लिए कहते परीक्षार्थियों को, वे अपने बंद भी रखते है , आप जैसे परीक्षकों कभी सोचे है ,आज एक अंक , दो नम्बर जैसी प्रश्न आते है जिसका वह उत्तर अपने मोबाइल इंटरनेट के माध्यम से आसानी से जान सकता है , वह कैसे भले परीक्षार्थी आपके डर से परीक्षा रूम में फोन न निकाले , न खोलें , लेकिन वह बाहर तो पांच – दस मिनटों के लिए तो जा ही सकता है न , बस वही कुछ प्रश्नों का जवाब अपने फ़ोन इंटरनेट से जान लेंगे , खैर कोई बात नहीं , अब आते है हम कहानी की शीर्षक पर “नई खून , सोच से शून्य” मतलब नई खून नव शिक्षक को कहा गया है यानि परीक्षक को , परीक्षक शायद प्राईवेट से परीक्षा लेने आया रहा इस बात का पता हमें उनके चेहरों से चल रहा था, द्वितीय पाली में हिन्दी आनर्स की द्वितीय पेपर की परीक्षा रहा जहां यानी डी.एन.वाई कॉलेज में आर.के. कॉलेज व अमीर हसन सकुर अहमद कॉलेज के परीक्षार्थियों बी.ए , प्रथम वर्ष की परीक्षा देने आएं रहें , उस दिन एक सरकारी प्रोफेसर रहे , और दो नई खून ? जो आप समझ ही चूके होंगे मतलब प्राईवेट से परीक्षा लेने वाले परीक्षकों , दोनों परीक्षकों को नई खून इसलिए कहा गया है कि नव खून की एक अलग ही गर्मी होती है और उन दोनों परीक्षकों ने गर्मी का शानदार प्रदर्शन दिए , ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना और बात उसे छोड़िए , जब हिन्दी की ही परीक्षा रही तो प्रश्न हिन्दी साहित्य से ही रहता न और प्रश्न भी बहुत आसान आसान थे , वही विद्यापति , कबीर, घनानंद , तुलसीदास , सूरदास आदि से संबंधित , हम तो हर परीक्षा को त्योहार मानते और उसे मनाते भी है उस दिन भी हम अपनी साहित्य से लगाव भरी प्रेम को दर्शायें इन शब्दों में …..

” जब आएं भगवान राम , लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र ,
तब जनक राज्य मिथिला हुए और पवित्र ”

ये शब्द धनुष भंग प्रसंग वाली प्रश्न , भगवान श्रीराम, लक्ष्मण , गुरु विश्वामित्र और मिथिला भूमि के लिए वर्णित किए , दोनों परीक्षकों प्राईवेट से रहें दोनों एक ही तरह व्यवहार किए , एक पतला दुबला रहा दूसरे थोड़ा ठीक ठाक रहा , वैसे दोनों परीक्षकों ने नव खून की गर्मी की परिभाषा दिए , जो पतला दुबला से ठीक ठाक रहा , अब उन्हीं परीक्षकों के बारे में बताने जा रहे है , परीक्षा आरंभ के समय ही एक परीक्षार्थी ने गेस पेपर से लिखना प्रारम्भ कर दिया , पतला दुबला से ठीक ठाक रहा जो परीक्षक वह आकर उस परीक्षार्थी का उत्तर पत्र छीन लिया , वह परीक्षार्थी भी खूब शोर गुल किया अंत में उस परीक्षार्थी को प्रधानाचार्य के पास ले गया , फिर वही परीक्षक अधिकांश सभी परीक्षार्थियों को दो नम्बर वाले प्रश्न का उत्तर बताने लगे , अचानक मेरी नज़र उस परीक्षक के पास गया वह उत्तर बता रहा था , मैंने इस तरह अपनी आंखों से देखा कि वह परीक्षक सीधे मेरे पास आएं , और बोले आपको कौन सा बता दूँ , मैं दो नम्बर वाली प्रश्न का आठ कर लिया था , दो का उत्तर पता नहीं था , फिर भी हम उन परीक्षक को कहें मेरा सभी प्रश्नों का उत्तर हो गया है , और वह परीक्षक कहने लगा सभी को लेकर चलना पड़ता है जी । वे हमारे बगल वाले लड़का को बताने लगे , और हमसे पूछें कोई समस्या नहीं न , समस्या होते हुए भी हमने बहुत ही गंभीर से उत्तर दिए नहीं सर कोई समस्या नहीं , समस्या हमें भी नहीं थी पर समस्या इस लिए थी क्योंकि वही परीक्षक ने एक लड़का का उत्तर पत्र कुछ समयों के लिए ले लिए रहें , मेरा कहना है जब नकल ही करवाना है तो फिर दिखावा क्यों ? इन सभी कारणों के लिए ही हम इस कहानी की शीर्षक रखें है ..
नई खून , सोच से शून्य
अर्थात खून तो नई है पर सोच से शून्य है , क्योंकि एक का उत्तर पत्र ले लिए फिर आप उत्तर बताने भी लगे तो आपकी सोच से ही शून्य है , न जाने इस प्रकार कितने परिक्षाएं हुए , हो रहे और होते रहेंगे ।।

✍️ रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शनिवार , 09/01/2021 , कविता :- 18(70)

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 25
04/06/2021 , शुक्रवार

शीर्षककविता:-12(41)ह,विषय सामग्री:हिन्दी कविता:-12(41)
05-06-2019 बुधवार 16:09
*®• रोशन कुमार झा
-: जाते-जाते देखा! :-

दुनिया के हर चीज को मैं
बिखरते हुए देखा है,
जीवन की राह पर चलते हुए देखा है!
पेड़ से पत्ते को झड़ते हुए देखा है!
राह रोशन है फिर जन-जन को धन-दौलत
के लिए मरते हुए देखा है!

देखकर घबड़ाया हूँ,
जाना है मुझे भी पर मैं अभी ही आया हूँ!
अभी तो मैं बसंत का ही फल खाया हूँ,
दूर है मेरा अंत ये बात मैं अपने मन
को समझाया हूँ!

समझा है,
पर ये मन भी तो बच्चा है!
इसके लिए सभी ही अच्छा है,
बीत रही है बचपना अब जीवन में
दुख ही बचा है!

सुख से दुख में आना है,
गम से खुशी में जाना है!
इस पेट के लिए कुछ कमाना है,
और एक दिन छोड़ छाड़कर यमलोक
को जाना है!

तो मैं दुनिया के हर चीज को आते और
जाते हुए देखा,
नमक रोटी से घी शक्कर खाते हुए देखा!
सुन्दर रूप पाते हुए देखा,
और एक दिन उसी रूप को उसे
गँवाते हुए देखा!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(41)
05-06-2019 बुधवार 16:09
Ncc,E,Rly,Scouts Howrah
नेहा कल बात राजन से Dk
पढ़ाने गये नेहा को 2 बार पढ़ाये!दी sct


साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 06/06/2021 , रविवार
विषय :- स्वैच्छिक , विधा :- घनाक्षरी
विषय प्रदाता :- आ. मनोज कुमार पुरोहित जी
विषय प्रवर्तक :- आ. मनोज कुमार पुरोहित जी

जीवन

जीवन एक कला है , इसमें सब भरा है -
जीत हार , सुख  दुख , से जो कोई लड़ा है ।।

लड़ - लड़कर आगे , बढ़ते हुए चला है ,
जो करना अभी करों , ये समय बड़ा है ।।

जो लौटता नहीं कभी , न किसी लिए खड़ा है ,
मत कहो आप अभी ,  ये जीवन पड़ा है ।

कवि , नेता या कोई भी , जीवन जीने चला है
बताकर आज तक , नहीं कोई मरा है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
रविवार , 06/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(19)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 27
Sahitya Ek Nazar
6 June 2021 ,   Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

मनहरण घनाक्षरी 16,15 या 8,8,8,7 यति के साथ चरण होता है।

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 06/06/2021 , रविवार
विषय :- स्वैच्छिक , विधा :- घनाक्षरी
विषय प्रदाता :- आ. मनोज कुमार पुरोहित जी
विषय प्रवर्तक :- आ. मनोज कुमार पुरोहित जी

जीवन

जीवन एक कला है , इसमें सब भरा है -
जीत हार , सुख  दुख , से जो कोई लड़ा है ।।

लड़ - लड़कर आगे , बढ़ते हुए चला है ,
जो करना अभी करों , ये समय बड़ा है ।।

जो लौटता नहीं कभी , न किसी लिए खड़ा है ,
मत कहो आप अभी ,  ये जीवन पड़ा है ।

कवि , नेता या कोई भी , जीवन जीने चला है
बताकर आज तक , नहीं कोई मरा है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
रविवार , 06/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(19)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 27
Sahitya Ek Nazar
6 June 2021 ,   Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

मनहरण घनाक्षरी 16,15 या 8,8,8,7 यति के साथ चरण होता है।

साहित्य संगम संस्थान के पश्चिम बंगाल व असम इकाई - विश्व पर्यावरण दिवस पर  " काव्य पाठ " का विशेष आयोजन किया ।

साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर  शनिवार 5 जून 2021 को "काव्य पाठ" का विशेष आयोजन रखा गया है । एवं असम इकाई में
विशेष आयोजन " वृक्षमित्र सम्मान " एक दिवसीय 05 जून 2021 शनिवार को  विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में वृक्षारोपण करते हुए स्वंय का फोटोग्राफ एवं अधिकतम चार पंक्तियां की प्रस्तुति करने के लिए आप सभी सम्मानित साहित्यकार आमंत्रित है , आ.  मनोज शर्मा जी विषय प्रदाता है एवं आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी की करकमलों से विषय प्रवर्तन किया गया ।। साहित्य संगम संस्थान मार्गदर्शक , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष आ. डॉ. राकेश सक्सेना महागुरुदेव का जन्मोत्सव भी मनाया गया ।  राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु  आ. मनोज कुमार पुरोहित जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी  , समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनायें । मंच का संचालन हरियाणा इकाई अध्यक्ष मंच संचालन  आ. विनोद वर्मा दुर्गेश जी किए ।

कविता :- 20(18), साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 26
दिनांक :- 05/06/2021 , शनिवार
यादें एशिया का सबसे बड़ा किताब बाज़ार कोलकाता की !:-

माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐। आप सभी को " विश्व पर्यावरण दिवस " की हार्दिक शुभकामनाएं ।

मार्गदर्शक , साहित्य संगम संस्थान उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष सम्मानित डॉ राकेश सक्सेना महागुरुदेव जी को जन्मदिन की बधाई । 🎂🎂🎂🎂🎂🎈🍰🎁🎉

महागुरुदेव जी आपको
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ,
जय हिन्द , जय हिन्दी के बारे में
हम नव साहित्यकारों को आप ही तो बताएं ।।
हिन्द में हिन्दी से ही हम आपकी वर्षगांठ मनाएं ,
विश्व पर्यावरण दिवस है आज क्यों न
एक पेड़ लगाएं ।

जन्मदिन मनायें बिना काटे केक ,
उन पैसों से पेड़ लगायेंगे
ज़्यादा नहीं एक ।
जिसका उपयोग करेंगे हम
आप और लोग अनेक ,
ऑक्सीजन की कमी तो
हमलोग लिए ही है
आँखों से देख ।।

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন
🎈 🎈 🎈 🎈 🎁 🎂

साहित्य संगम संस्थान , रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) के महागुरुदेव , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष

आ.  _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ डॉ. राकेश सक्सेना  जी

को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई ।

🙏💐💐🙏🎂🎈🎉🎈🎁🍰🎈🌅 🌳🏝️🎋

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शनिवार , 05/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(18)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 26
Sahitya Ek Nazar
5 June 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

यादें एशिया का सबसे बड़ा किताब बाज़ार कोलकाता की !:-

कहा जाता है कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट एशिया का सबसे बड़ा क़िताबो का बाज़ार हैं, जी हां, कैसे न रहे बगल में भारत के सबसे पूराने विश्वविद्यालय कलकत्ता विश्वविद्यालय, दरभंगा बिल्डिंग , प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी , संस्कृत विश्वविद्यालय, सुरेन्द्रनाथ इवनिंग, डे, वूमेन, उमेशचंद्र, जलान गर्ल्स कॉलेज, चितरंजन, बांगोबासी, सेंट पाल, विद्यासागर,सिटी राजाराममोहन , आंनद मोहन, गिरिशचन्द्र, खुदीराम, जगदीश चन्द्र, शिक्षायतन, गोयनका, स्कॉटिश चर्च,महराजा मनिंद्र चंद्रा मानों तो कुछ ही किलोमीटर में महाविद्यालय ही महाविद्यालय है, तब हम अपने संस्मरण पर चलते है, बस से जाते तो घर से सिर्फ दस किलोमीटर दूर रहा ,पर बस से जाने से अच्छा पैदल जाना , क्योंकि हावड़ा तक तो ठीक पर रवीन्द्रनाथ सेतु पार करते ही वह जाम और वह भी एम. जी यानी महात्मा गांधी रोड़ की क्या बताऊं , इसलिए बीस किलोमीटर दमदम होते हुए ट्रेन से ही जानें का विचार किये, उन लोगों को बारहवीं की किताब लेना रहा । बात पाँच जून दो हजार सत्ररह ( सोमवार ) शुक्रवार विश्व पर्यावरण दिवस दिन की बात है, अपने एकतरफा प्यार के प्रिय नेहा व शिष्या बारहवीं कक्षा कला विभाग की जूली नहीं अणू के साथ लिलुआ से बाली गये बैण्डेल लोकल मेन लाइन से फिर डानकुनी सियालदह लोकल पकड़े बाली हल्ट से यहां आने के लिए सीढ़ी चढ़ना पड़ता ,क्या कहूं वैसे हम तो कॉलेज हावड़ा ब्रिज होते हुए बड़ा बाज़ार बी.के,साव मार्केट, कैनिंग स्ट्रीट पिता जी के मामा यानि दादा जी के यहां साईकिल रखकर वहां से कॉलेज पैदल ही जाते हैं, पर कभी भी अगर हम ट्रेन से जाते तो अपनी प्रिय की स्मरण में उसी सीढ़ी से आते जाते, जिस सीढ़ी से वह गुजरी थी ,टिकट संख्या :- 31430426 हमारा रहा अंतिम का जो 26 है वह हमारा बी.ए प्रथम वर्ष हिन्दी आनर्स की क्रमांक रहा, और नेहा की टिकट की अन्तिम संख्या 27 व अणु की 28 रहा वह टिकट आज भी कविता शीर्षक “हम लोगों की सैर” के साथ है,पर हम लोगों के फोटो नहीं , कहती भी रहीं छवि खिंचवाने के लिए पर हम न खिंचवाएं, वे दोनों आपस में सेल्फी लेती रही,उस वक्त हमारा पहला कविता की डायरी लिखाता रहा, वह डायरी, डायरी नहीं एक मोटा रजिस्टर रहा, जो पिताजी अपने कार्यकाल से लाये रहे,उसमें हिसाब किताब हुआ रहा ,
फिर भी हम रोशन उसमें कविताएं लिखते रहें,और अभी हमारा यही कोरोना, कल आये अम्फान तूफान को लेकर हम सोलहवीं डायरी लिख रहे है, जिसमें, कविताएं ज्यादा, हिन्दी, अंग्रेजी, भोजपुरी, मैथिली,बंगाली में व अन्य विधा हिन्दी में आलेख,दोहा, ग़ज़ल, नाटक, व्यंग्य ,कहानी,गीत, शायरी, हाइकु लिखते हुए सफर कर रहे हैं।
चाउमीन, आईसक्रीम खाये व खिलाये फिर सियालदह से ट्रेन से चले शाम के चार बजे के करीब बाली हल्ट आये, जल्दी रहा दौड़ना पड़ा रहा फिर क्या उन दोनों का भी बस्ता भी लेना पड़ा ,पुराने से नया बाली में कर्ड लाइन की चार नम्बर प्लेटफार्म बनी रही पहले सामने पर अब थोड़ा दूर रहा फिर जैसे तैसे ट्रेन पकड़े लिलुआ पहुंचे, एक गज़ब की बात है वैसे मेरा तो टिकट लगता ही नहीं, कॉलेज की नाम ही काफी रहा , फिर भी इन लोगों के साथ जाना रहा टिकट कटवा लिए, फिर क्या मेरे पास ही टिकट रहा हम आगे वह दोनों पीछे-पीछे, टिटी साहब टिकट निरीक्षक उन दोनों को पकड़ लिए , फिर नेहा आवाज लगाई ,क्या वह आवाज रही ,गये टिकट दिखाये , साहब हस्ताक्षर किए, और नाम पूछे बताएं रोशन , शाय़द बेचारा कुछ जानते रहे ,प्रिय की तरफ देखकर हमें कहे कि अपना रोशनी को तो अपने साथ लेते जाओ ,दिल खुश हो गया रहा उन बातों से ।
जब बाली घाट से चली ट्रेन विवेकानंद सेतु गंगा,हुगली नदी पार करते हुए दक्षिणेश्वर जा रही थी तब हम माँ काली व गंगा माई से प्रार्थना करते रहे हे मां कभी हम भी तुम्हारी पूजा करने अपनी प्रिय के साथ आऊं, पर वह दिन अब तक न आया , शायद आएगा भी नहीं , यही है हमारी उसकी संस्मरण ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
मो :- 6290640716
कलम ✍️ बोलती है ” साहित्य समूह, क्रमांक :- 133
21-05-2020 गुरुवार , कविता :- 16(38)
विषय :- वो खुशी के पल ,विधा :- संस्मरण
05/06/2020 शुक्रवार रहा इसलिए गलती से 05/06/2017 को ही शुक्रवार लिख दिए रहें ।
05/06/2017 , सोमवार रहा ।

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅


नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

दिनांक : - 07/06/2021 से 09/06/2021

दिवस :- सोमवार से बुधवार

विषय :- प्रेम के कितने रंग

विधा :- छंदमुक्त कविता 

विषय प्रदाता :- आ. मनोज कुमार पुरोहित जी

विषय प्रवर्तक :- आ. स्वाति पाण्डेय जी


माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्यकारों को सादर प्रणाम । आज की विषय और विधा बहुत ही शानदार है , विषय प्रदाता आ. मनोज कुमार पुरोहित जी को धन्यवाद सह सादर आभार , एवं समस्त पदाधिकारियों को भी धन्यवाद । आ.  स्वाति पाण्डेय जी की व्यस्तता के कारण हमें विषय प्रवर्तन करने का अवसर मिला । प्रेम के कितने रंग पर 

छंदमुक्त कविता के माध्यम से अपनी भाव को प्रकट कीजिए -


समाज में आधुनिक प्रेम के है कितने रंग ,

सुबह किसी और शाम में किसी और के संग ।।

प्रेम करने का सभी का है अलग- अलग-अलग ढंग ,

प्रेम स्वतंत्र है इसे पाने के लिए करना नहीं चाहिए तंग ।।


ऐसा हाल हो गये है समाज में ! अब कहाँ है सीता , उर्वशी , देवयानी , प्रभु श्रीराम , कवि घनानंद

औरों की तरह प्रेम निभाने वाले ।


अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकार आमंत्रित है , अपनी मन की भावनाओं को प्रेम के कितने रंग पर 

छंदमुक्त कविता के माध्यम से  07/06/2021 से 09/06/2021 , सोमवार से बुधवार तक प्रेषित कीजिए । एवं अन्य रचनाकारों के रचना को पढ़कर सटीक टिप्पणी करके रचनाकारों को प्रोत्साहित कीजिए ।।


जय हिन्द , जय हिन्दी

धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐


आपका अपना 

रोशन कुमार झा


#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई


साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 28

Sahitya Ek Nazar

7 June 2021 ,  Monday

Kolkata , India

সাহিত্য এক নজর

मो - 6290640716

हिन्दी कविता-12(44)

07-06-2019 शुक्रवार 18:12

*®• रोशन कुमार झा

-: चलो पकड़ो !:-


हमें पकड़कर दिखाओ,

इसी बहाने तुम मिलने तो आओ!

और कुछ समझाओ,

हो सके तो हमसें कभी ना दूर जाओ!


पास रहो,

ख़ास रहो,

हमसें ना तुम निराश रहो,

कहीं मालिक तो कहीं दास रहो,

आज कल नहीं जन्मों-जन्मों तक 

तुम मेरे पास रहो!


मुझे पकड़ो मैं खड़ा हूँ,

राह रोशन करने चला हूँ!

सफलता से हरा-भरा हूँ,

हर पल मैं सँघर्ष से लड़ा हूँ!


जीता हूँ हारा हूँ,

हार में भी जीवन गुज़ारा हूँ

योग करके दिमाग को स्वस्थ कर डाला हूँ!

और ये चंचल मन को सँभाला हूँ!


आऔ पकड़ो,

हमसें मत डरो!

आगे नहीं पीछे ही सही पर चलो!

और अपने हक़ के लिए लड़ो!


*®• रोशन कुमार झा

सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत

मो:-6290640716,(8420128328)

9433966389(कविता-12(44)

07-06-2019 शुक्रवार 18:12

गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार

31st Bengal bn Ncc Fortwilliam

Kolkata-B

Reg no-WB17SDA112047

Yoga Day-21 June ncc

The Bharat scouts & Guides

Eastern Railway Howrah

Narasinha Dutt college

St John Ambulance(Pmkvy)

को बे ब्रे कप कविता IGNOU I card

ने हा पढ़ाने राजन से 500


शीर्षककविता:-6(155)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा
जा दूर आ गया रास्ता!
मत भर होठ पर मुस्कान, मत लगा कान मे बाली,
जा दुर अपने रास्ते कर ट्रेन खाली!
रास्ता मे है दुख द्रदँ भरी पर्वत पहाड़,
कैसे समस्या हल करके बदलोगे अपना हाल!
जा दुर,
ला एक सुगंधता भरी फूल!
जिसे चॉहे संसार,
आज नही कल चॉहे क्युँ ना लगे कई साल!
तब हो जीत,
खुश हो घर परिवार और मित्र!
मार्ग हो  रोशन त्याग दुँ खाना नाश्ता,
चलो अब चलते है आ गया रास्ता,
तय करगे मंजिल,
सुख शान्ती लायगे हँटायंगे वर्षो का पीर,
पीर भरी राहो से नही जायेगे हिल,
तय करगे मंजिल कहलॉओगे वीर!?
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
दिनांक:-08-06-2018,शुक्रवार (09:15)
मो:-6290640716,(6!155)3बहन कोन
सलकिया विक्रम विधालय मेन
क्ष्री हनुमान जू़ुट मिल हिन्दी हाई स्कुल घुसड़ी
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B ,Reg no:-WB17SD112047
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah WB
Narasinha dutt college Howrah
St john Ambulance
Roshan kumar jha
Pmkvy Liluah Howrah (1283f)
Electrician
Donbosco Milpara Bhatonager spoken English

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

होनी को कौन रोक
सकता होने से ,
जब आँसू आ ही गई
तो कौन रोक सकता रोने से ,
जब इच्छा बन ही गई
छायादार वृक्ष लगाने की
तब कौन रोक सकता
बीज बोने से ।।
जब नींद आ ही गई
तब कौन रोक सकता
सोने से ।।

अंदर पाप ही पाप
तब क्या होगा गंगा में
शरीर धोने से ,
डर हमें है न यह जीवन खोने से ,
डर तो हमें यह है व्यर्थ में
समय न बीते
यही डर आता कोने कोने से ,
तब बताओ प्यारे पाठकों
होनी को कौन रोक सकता होने से ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मंगलवार , 08/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(21)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 29
Sahitya Ek Nazar
8 June 2021 ,   Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
साहित्य एक नज़र 🌅 के तरफ से आप सभी को विश्व महासागर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐 ।

IGNOU Assignment


कविता :- 20(22)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

कुछ भी लिखों
मन की बात लिखों ,
हिम्मत के साथ लिखों ।।
दो और छ: ?
होता है आठ
तो आठ लिखों ,
सीखना है छोटा बड़ा
सबसे सीखों ,

सीखकर नव निर्माण करों ,
सबका सम्मान करों ।
कुछ करों या न करों
पर अर्जित ज्ञान करों ,
रात के बाद ही दिन होती
तो दिन का ध्यान करों ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
बुधवार , 09/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(22)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 30
Sahitya Ek Nazar
9 June 2021 ,   Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

Roshan Kumar Jha
Address - 77/R , Mirpara Road Ashirbad Bhawan Liluah Howrah West Bengal - 711203
Mob - 6290640716
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई साहित्यकारों को सम्मानित किए हरित रक्षक सम्मान .

साहित्य एक नज़र 🌅 , बुधवार , 9 जून 2021 ,

साहित्य संगम संस्थान , रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) के पश्चिम बंगाल इकाई द्वारा 05 जून 2021 , शनिवार , विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में काव्य पाठ का आयोजन किए रहें ।
देवस्थापन 10:00 बजे आ अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी द्वारा, सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा, आशीर्वचन 10:10 में आ . महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा , मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ . जयश्रीकांत जी द्वारा, अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ. राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा , 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी मंच का संचालन किए ,  आ. विनीता कुशवाहा जी , गोण्डा उत्तर प्रदेश, आ. फूल सिंह जी , आ. रवींद्र कुमार शर्मा जी , आ. श्वेता धूत जी , हावड़ा, पश्चिम बंगाल,  आ. बेलीराम कनस्वाल जी,  आ. अनुराधा तिवारी "अनु" जी , आ. विनीता लालावत जी, आ. रजनी हरीश जी , आ. रंजना बिनानी "काव्या " जी , गोलाघाट असम,  आ. मीना  गर्ग जी, आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , जोधपुर राजस्थान, आ. मनोज कुमार चन्द्रवंशी "मौन" जी,  आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी ( दिल्ली ), आ. सुनीता बाहेती, (श्रुति ) जी, आ. दीप्ति गुप्ता जी,  आ. प्रेमलता उपाध्याय स्नेह  जी दमोह , आ. दीप्ति खरे जी, आ. स्वर्णलता सोन जी , दिल्ली,  आ. अनु तोमर जी, आ. अनिल पालीवाल जी , आ. कलावती कर्वा जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी, आ. सुनीता मुखर्जी, आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी, आ. प्रमोद पाण्डेय 'कृष्णप्रेमी' गोपालपुरिया जी,  आ. सुधीर श्रीवास्तव जी, आ. आशुतोष कुमार जी, आ. सुशील शर्मा जी,  रोशन कुमार झा ,  आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी और भी साहित्यकारों द्वारा काव्य पाठ किया गया रहा , उन समस्त सम्मानित साहित्यकारों को  ' हरित रक्षक ' सम्मान से साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी के करकमलों से सम्मानित किया गया ।। साहित्य संगम संस्थान मार्गदर्शक , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष आ. डॉ. राकेश सक्सेना महागुरुदेव  जी ,  राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु  आ. मनोज कुमार पुरोहित जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी  , समस्त सम्मानित साहित्यकारों को शुभकामनाएं दिए ।

शीर्षककविता:-6(157)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 6(157)
टुटे बंधन लेकिन दुनिया से जुडो!

टुट गया रिश्ता कुछ बात बिगड़ जाने से
सुर्य की रोशन अस्त हो गई अब क्या होगा
घबड़ाने से!
नफरत मिला नेहा राह अपनाने से
दोस्ती तो हुई वह भी किसी अनजाने से!
वर्षा मे नाली मे भींगे राह पर चलने से
होठ पर मुस्कान भी नही आया और नही
मै डरा मरने से!
कुछ ना कुछ मिलते रहा है हर दिन
गुजारने से
थका  भी नही मै दुख द्रदँ पालने से!
हुआ बगिया मे अविरान पानी ड़ालने से
आज रेलवे स्टेशन हावड़ा के लिलुअा मे
स्वच्छता के प्रति जागरुक किये है झाडु
मारने से,
स्काउट ,वर्दी की नाता है क्युँ डरना
है शर्म लाज से
स्वच्छता के प्रति आग जलाना है इस समाज से!
नेहा भरी राह नही,प्ररेब है हमे कॉटा भरी राह से,
कुड़ा करकट हँटाऊ घर द्वार परिवार लोग
देखते रहे मै खुश रहुँ अपने चॉह से!
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
दिनांक:-09-06-2018,शनिवार!10:15
लिलुआ स्टेशन पर ,मो:-6290640716
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B Reg no:-WB17SD112047
Roshan kumar jha
St john Ambulance N.D.clg Howrah



शीर्षककविता-6(156)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 6(156)
ना द्रदँ ना प्यार भुला?

ना तुम्हारी नफरत ना तुम्हारी नेहा भरी
बात भुलुँगा,
मार्ग रोशन करके अविरान बाग हो या
विरान लगातार दोडुँगा!
खुश हुँ बॉटे ग्यान,
अणु बम विस्फोट हुई मै बचा अब तो
भरने दे होठ पर मुस्कान!
नही वर्षा नही धर्म और नही कर्म से हारा,
भम्र था जो तुझे पाला!
रिश्ता टुटा सुर्य की रोशन की हुई अस्त
चॉदनी निशा की प्रवेश,
सफल-ए-राह लम्बा पड़ा है मत समझना
इसे शेष!
वचन है दुँगा तेरा हर वक्त काम,
नाली,समंदर सरिता मे क्या तुझे दे सकता हुँ
अपना आखिरी शाम!
मेरा पक्तिं राग वर्दी दी है चंदन पुष्प से सजा,
दुर हुँ फिर भी है पास की मजा!
कभी अॉशु तो कभी रहता हुँ खुश,
सोन्दर्यता की प्रतिक है मंगल राहूल वुध
अरुण पुथ्वी ग्रह राज्य की राजन व रानी
जख्म से ग्रस्त रहता शराब नही पीता हुँ जुश!
आज यहॉ कल दुनिया मे हो तेरा विजय,
प्राची से उषा मुस्कुराये हमेशा हो
तुम्हारा हो जय!?
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
दिनांक:-08-06-2018,WBCHSE Result
19:05 शुक्रवार नेहा 321नाली
सलकिया विक्रम विधालय मेन
मो:-6290640716,Ncc, St john Amb
Pmkvy,E.Rly Sct

कविता :- 20(23)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

पद शब्द ही है
अंहकार से युक्त ,
इसलिए भाई हमें पद
से ही रहने दो मुक्त ।।

हमें बिना पद के ही साहित्य सेवा
के मार्ग पर चलने दो ,
क्या पता कल रहूं या न रहूँ
इसलिए आराम से नहीं
तीव्र गति से काम करने दो ।
जो हमसे पीछे और
जो हमसे आगे
उन्हें भी आगे बढ़ने दो ,
मैं रोशन , हिन्द , हिन्दी की सेवक हूँ
अब हमें रचने से ज़्यादा पढ़ने दो ।।

न अध्यक्ष , न सचिव ,
न संस्थापक , और नहीं
मैं मीडिया प्रभारी है ,
साहित्य का सेवक हूँ
सेवा कर रहा हूँ
यही साहित्य से लगाव हमारी है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
गुरुवार , 10/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(23)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 31
Sahitya Ek Nazar
10 June 2021 ,   Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई साहित्यकारों को सम्मानित किए हरित रक्षक सम्मान .

साहित्य संगम संस्थान , रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) के पश्चिम बंगाल इकाई द्वारा 05 जून 2021 , शनिवार , विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में काव्य पाठ का आयोजन किए रहें ।
देवस्थापन 10:00 बजे आ अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी द्वारा, सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा, आशीर्वचन 10:10 में आ . महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा , मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ . जयश्रीकांत जी द्वारा, अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ. राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा , 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी मंच का संचालन किए ,  आ. विनीता कुशवाहा जी , गोण्डा उत्तर प्रदेश, आ. फूल सिंह जी , आ. रवींद्र कुमार शर्मा जी , आ. श्वेता धूत जी , हावड़ा, पश्चिम बंगाल,  आ. बेलीराम कनस्वाल जी,  आ. अनुराधा तिवारी "अनु" जी , आ. विनीता लालावत जी, आ. रजनी हरीश जी , आ. रंजना बिनानी "काव्या " जी , गोलाघाट असम,  आ. मीना  गर्ग जी, आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , जोधपुर राजस्थान, आ. मनोज कुमार चन्द्रवंशी "मौन" जी,  आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी ( दिल्ली ), आ. सुनीता बाहेती, (श्रुति ) जी, आ. दीप्ति गुप्ता जी,  आ. प्रेमलता उपाध्याय स्नेह  जी दमोह , आ. दीप्ति खरे जी, आ. स्वर्णलता सोन जी , दिल्ली,  आ. अनु तोमर जी, आ. अनिल पालीवाल जी , आ. कलावती कर्वा जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी, आ. सुनीता मुखर्जी, आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी, आ. प्रमोद पाण्डेय 'कृष्णप्रेमी' गोपालपुरिया जी,  आ. सुधीर श्रीवास्तव जी, आ. आशुतोष कुमार जी, आ. सुशील शर्मा जी,  रोशन कुमार झा ,  आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी और भी साहित्यकारों द्वारा काव्य पाठ किया गया रहा , उन समस्त सम्मानित साहित्यकारों को  ' हरित रक्षक ' सम्मान से साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी के करकमलों से सम्मानित किया गया ।। साहित्य संगम संस्थान मार्गदर्शक , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष आ. डॉ. राकेश सक्सेना महागुरुदेव  जी ,  राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु  आ. मनोज कुमार पुरोहित जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी  , समस्त सम्मानित साहित्यकारों को शुभकामनाएं दिए ।

दैनिक नवीन कदम में प्रकाशित कवि सम्मेलन का समाचार           सभी को हार्दिक बधाई💐💐


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शीर्षककविता:-12(50)ह,विषय सामग्री:हिन्दी कविता-12(50)
13-06-2019 वृहस्पतिवार 20:22
*®• रोशन कुमार झा
-:मेरी वर्षगांठ दो बात!-

जीवन में कुछ करने के लिए अपना
दो हाथ है
राह रोशन करने की बात है
सँघर्ष मेरे साथ है
साल में दो बार पर आज मेरी वर्षगांठ है!

जो सच्ची नहीं पर काग़ज़ की प्रमाण है
वही एक जीवन की शान है
उसी पर आधारित डिग्री और ज्ञान है
सचमुच सही वाला वर्षगांठ कला और
काग़ज़ वाला जन्मदिन विज्ञान है!

तब घूम आऊँ चर्च मस्जिद मन्दिर
जहाँ से बनाया गया है मुझे वीर
बाईस बीस साल से चला रहा हूँ तीर
कुछ करके जाना चाहता हूँ मरने के बाद
थोड़ी ना आऊँगा फिर!

गंगाराम यहीं मेरी दो बात है
अभी दिन ही है मेरी जिन्दगी
की बाक़ी रात है
मानो कि प्रात: है
मैं बहुत खुश हूँ आज मेरी वर्षगांठ है!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(50)
13-06-2019 वृहस्पतिवार 20:22
D.O.B-01-10-1997(बुधवार)22
कलश स्थापना दुर्गा पूजा!अमावस्या
School-13-06-1999(रविवार)20
13 मईLnmuआजcomputer
Shyammandirfrom,sec Liluah
2017 आज ही Ncc fromjaiswal
Hospital signature
सत्यबतीकोPol.Scpaprनेहा रोई🌅

शीर्षककविता:-6(166) ब,विषय सामग्री:बंगाली कविता रोशन कुमार झा 6(166)
जिन्दगी र वर्षगाठ!?
खुब भालो जिन्दगी पेची,
उन्नीस वर्षाो दिये आमी चाल गेहुँ खेयेछी!
कतो भालो देश अमार,
अमार ना आपनार!
सती कोथा आमी एका जीवोन पेऐची,
सोबाई दादा भाई मिले माठ मुदे खेयेछी!
की जीवोन आचे रेलगाड़ी,
आसो आमी सोवाई मिले बनाई
देशप्रेम बाड़ी!
बाड़ी मुदे आमी सोबाई थाकबो,
देशप्रेम निजेर भावना ऐइ कोथा आमी
सोवाइ मुने राखबो!?
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716 वुधवार 11:50
13-06-2018 +19 वी वर्षगाठ
13-06-1999 रविवार 01-10-1997 वुध
झौझी मधूबनी बिहार
राजकीय मध्य विधालय नरही 6-8
राजकीय प्राथमिक विधालय झौझी 1-5
सलकिया विक्रम विधालय मेन 11-12
कला ( आर्ट्रस)
क्ष्री हनुमान जुट मिल हिन्दी हाई स्कुल
घुसड़ी 9-10
टिकियापाड़ा क्ष्री नेहरू शिक्षा सदन  7-8
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
Kolkata- B Reg no :-WB17SD112047
Roshan kumar jha pmkvy 1283f Ec
Liluah Howrah
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah WB
Nursingh dutt college Howrah
St john Ambulance
Donbosco Milpara Bhatonager
English spoken

शीर्षककविता:-6(165)मै,विषय सामग्री:मैथली कविता रोशन कुमार झा
वर्षगाठ अैच जिन्दगी के बात!

बीत गेऐलैइ बीसवी शताब्दी अैब गेल़ैय
उन्नसवी साल,
हम तह छी मिथिला मातुभुमी के लाल!
खुशी-खुशी  हम जीवैत ऐनो,
हार जीत हम दुनु पेनोउ,
सुर्य के रोशन चॉद के शीतलता पेनोउ,
संघर्ष करैत-करैत भारत नेपाल नैय
मालुम नैय कतक तक गेनोउ!
अरुण राहूल मंगल वुध शनि ग्रह सह लड़ोनोउ,
वर्षा ऑधी तूफान के बादो होठ पर
मुस्कान भरनोउ!
नफरत के जगह नेहा भरी लअगोनोउ पेड़,
खुशिया के दीप बुझेनोउ अपनाअ लेर नै
दुनिया लेर!
शुभ-शूभ अैछ वर्षगाठ,
धन दोलत नैय अहॉ सब के दुऑ अैछ
हमर साथ!
जैय सह खुशी- खुशी गुजारैय छी दिन रैत,
वर्दी कलम कागज सह हरदम दुख द्रदँ
लिखैय छी के देलक बैठ!
चरण पेनैय छी हरी के,
पता नैय हम छी कुन गाछ के कली के!
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716 वुधवार 11:15
13-06-2018 ,19 वी वर्षगाठ
13-06-1999 रविवार 01-10-1997 वुध
झौझी मधूबनी बिहार
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
Kolkata- B Reg no:-WB17SD112047
Roshan kumar jha pmkvy 1283f Ec
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah WB
Nursingh dutt college
St john Ambulance

शीर्षकPoem:-6(164)Eng,विषय सामग्री:English Poem Roshan kumar jha
Do not stop Life

True today birthday,
but i am happy everyday!
thanks oh god, father,
Only you my friend brother!
all time you gives sunlight,
obey the save life my dutty
and right!
twenty century and nineteen any
year,
Oh god my dear!
I see life is Railways,
Day and night high ways!
Oh god please all time smile,
brouht life succesful file!
today birthday,
i do not goverment registered say!
०Roshan kumar jha 6(164)
Surendranath evening college
kolkata india
13-06-2018 Wednesday 00:15
Sunday
13-06-1999-19 th birthday
Jhonjhee Madhubani Bihar
01-10-1997 Mob:-6290640716
Salkia vikram vidyalaya (main)
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B Reg no:-WB17SD112047
Nursingh dutt college st john
Ambulance, pmkvy 1283f Elect
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah WB
Shree hanuman jute mills hindi
High school Ghusuri 9-10
Tikiapara shre Nehru shi s
Rajkia madha vidyalaya Nalhi 6-8
Rajkia prathamik vidyalaya
1-5 jhonjhee
51\9 kumar para lane Liluah
Howrah 711204

कविता :- 20(24)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

साहित्य एक नज़र ही
हमारा तन - मन - धन है ,
तब जाकर हम रोशन
प्रसन्न है ।।
हमारा सब कुछ इस
पत्रिका पर ही समर्पण है ,
अभी आज तो एक महीने ही
हुई है आप सभी सम्मानित
साहित्य प्रेमियों को धन्यवाद
सह सादर आभार
व्यक्त कर रहा हूँ ,
व्यक्त करने वाला मैं संपादक नहीं
साहित्य सेवक मैं रोशन है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शुक्रवार , 11/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(24)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 32
Sahitya Ek Nazar
11 June 2021 ,   Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 34
https://online.fliphtml5.com/axiwx/lxhh/

अंक - 33

https://online.fliphtml5.com/axiwx/ltkj/

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 34

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 34
13 जून  2021

रविवार
ज्येष्ठ शुक्ल 03 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 10 -12
कुल पृष्ठ -  13

मो - 6290640716


🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
74. आ. प्रेम लता कोहली जी
75. आ. डॉ. जनार्दन प्रसाद कैरवान  जी ,  ऋषिकेश उत्तराखंड

🏆 🌅 पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र  🌅 🏆

76. आ. रामकरण साहू " सजल " जी - "शबनम की बूँदें  ( पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र - 3 )

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 34
Sahitya Ek Nazar
13 June 2021 ,  Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा

मो - 6290640716

_________________

कविता :- 20(26)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅

तेरह जून उन्नीस सौ निन्यानवे
दिन रविवार को मैं जन्मा नहीं
यह जन्मतिथि का किया
गया है पंजीकरण ,
झोंझी ग्राम , मधुबनी , मिथिला
बिहार , भारत की
भूमि पर जन्म लिए रहें
एक अक्टूबर उन्नीस सौ सत्तानवे ,
बुधवार को मैं गंगाराम व रोशन ।।
हमारा जन्मदिन कोई न मनाएँ
बिना मनाएं ही है हम प्रसन्न ,
क्योंकि धन्यवाद कहने में ही
नहीं व्यतीत करना चाहता हूँ ये
समय भरी धन ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
रविवार , 13/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(26)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 34
Sahitya Ek Nazar
13 June 2021 ,   Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
शुभ जन्मदिन , Happy Birthday ,
শুভ জন্মদিন

🎁🎂🎈🎉🎉🎈
13/06/1999 - रविवार
01/10/1997 - बुधवार

77/R Mirpara Road Liluah Howrah Ashirbad Bhawan



कविता :- 20(25)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅

मैं हार नहीं माना है ,
ये बात मैं अपने
आप से जाना है ।
जहाँ से गुजरता हूँ ,
वहाँ फिर से नहीं आना है ।
ये बात अपने दिमाग़ और
दिल से सही ठाना है ।।

पीछे नहीं आगे बढ़ते जाना है ,
अभी की साहित्य सेवा करने से अच्छा
है , कबीर , तुलसी
, सूर की साहित्य को दोहराना है ।
पढ़कर वहां से बेहतर ज्ञान पाना है ।।
तो समझ जाओं मैं हार नहीं माना है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शनिवार , 12/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(25)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 33
Sahitya Ek Nazar
12 June 2021 ,   Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

हिन्दी कविता-12(49)
12-06-2019 बुधवार 20:19
*®• रोशन कुमार झा
🐦🚹🚺-:मिली कहाँ मिली!-🚺🚹🐦

मनीषा बहुत कुछ मिली
राह रोशन करके खिली!
है मौसी बहन की नाता पर दूर
हूँ जाना है कलकत्ता से दिल्ली
मैं खुश हूँ जन्मों-जन्मों की मौसा जीजा
जी कुलदीप के प्यार आज तुम्हें मिली!

एक साथ पढ़े लिखे
रहे राहुल-अरुण ग्रह के आगे पीछे!
कभी एक साथ बबली श्वेता मिलकर
जाते रहे बग़ीचे!
अब गये वह नीशा दिन नीचे!

ख़ैर कोई बात नहीं
रंग वहीं!
तनु वक्ष स्थल की रूप नई
जीवन साथी के साथ रहना सही!

हो शुभ तुम्हारी विवाह
प्रकृति करे तुम्हारी परवाह!
अब तो आना ही है झोंझी
से बेलुर लिलुआ
हमेशा तुम्हारी चूड़ी खनकती रहे
बस यहीं माँग रहा हूँ प्रभु से दुआ!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
द्वितीय वर्ष हिन्दी आनर्स क्रमांक-9
Roll no-2117-41-0024
मो-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(49)
12-06-2019  बुधवार 20:19
Scottish church college में 14:00
से 17:00 room-6,icecrm
Political science-2 Exeam
मिली मौसी शादी बहन आज
मनीषा अर्थ-अक्ल📕Ncc🌞🌍🌅
Rahul से बात किये कलWhatsApp
आज हाथ कटाHightension

शीर्षककविता:-6(163)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 6(163)
मस्तमोला से बीता जिन्दगी!

जिन्दगी मिली है कर ले मजाक,
वरना एक दिन तो बनना ही है राख!
क्या हार,क्या जीत,
मत पछता जो वक्त गया बीत!
जो है उसका कर उपभोग,
क्या ईलाज,क्या रोग!
जब आयेंगे यमराज,
तब ही मौका मिलेंगा छोड़ने को घर
परिवार और समाज!
रह मस्त,
मरने से पहले मत कर कष्ट!
सुर्य की रोशन, चॉद  तारा है,
विधालय, महाविधालय,विश्वविधालय
पढ़ा मत समझ जिन्दगी से हारा है!
मस्त रह अभी पड़ा है जीवन,
क्या लुटाना क्या जुटाना है धन!
जाना है अकेला पहले आये तो यमराज,
नही फुरसत मेरे पास नही वक्त उनके पास
बस करने दे अभी काज!
क्या शर्म क्या लाज,
जब तक है प्राण तब तक निकालते
रह अवाज!
मत डुब जिन्दगी की हार जीत
की रहस्य मे,
हँसना मुस्कुराना है  वश मे!
कर ले मजाक,
आज ना तो कल बनना ही है राख!
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716 मंगलवार 19:05
12-06-2018,clg फार्म
सलकिया विक्रम विधालय मेन
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B Reg no:-WB17SD112047
Pmkvy, St john Ambulance
Nursingh dutt college Howrah
Eastern Railways Scouts Bamangachi

शीर्षककविता:-6(162)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 6(162)
ईत्र ओर मित्र

ईत्र और मित्र,
होते पवित्र!
चारो ओर सुगंधता फैलाते ईत्र,
जो जिन्दगी महकाते वह है मित्र!
कॉटे निकालते बोते फुल,
खुशिया लाते दुख द्रदँ करते दुर!
दिपक जलाते दुर करते अँधेरा,
मार्ग रोशन करके दिखाते जिन्दगी की
उज्जवलता भरी सबेरा!
हार जीत ईत्र मित्र,के बिना,
व्यर्थ है जिन्दगी जीना!
तु खुद बन ईत्र,
महकता हुआ ऑचल से हर कोई बन
जायेगा मित्र!
सोच ईत्र के लिए चंदन ओर भी लगते
कई पोधा,
कब हुँआ है मित्रता मे सोदा!
हार हो या जीत,
जो देता साथ वही कहलाता सच्चा मित्र!.
मूसीबत मे देता साथ,
नकामी में करता नही बात!
देता डॉट फटकार,
ईत्र व मित्र के बिना किसका जिन्दगी
हुआ है पार!
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
12-06-2018 मंगलवार 11:30 फार्म c
Roshan kumar jha
मो:-6290640716 (51\9 कुमार पाड़ा
लेन लिलुआ हावड़ा  711204, pmkvy Liluah Howrah
सलकिया विक्रम विधालय मेन
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah WB
Nursingh dutt college Howrah
St john Ambulance
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B Reg no:-WB17SD112047
झौझी मधूबनी विहार

शीर्षककविता:-6(161)हि,विषय सामग्री:हिन्दी कविता रोशन कुमार झा 6(161)
हम नही तुम सही!?

नेहा भरी बंधन रचे तुम से धन से नही,
मार्ग रोशन किये सुर्य से अँधेरा के बाद सही!
चमकता हुँ तुमसे दुर रहकर सही,
वर्षा ऑधी तूफान मिल ही जाती कही ना कही!
होठ पर मुस्कान भरती यादास्त वही,
मिले विछुड़े हमलोग यही कही ना कही!
अविरान हुआ बगिया खाये बंगाल विहार
असम नेपाल की दही,
मंगल राहूल वुध अरुण पुथ्वी ग्रह है
मै संघर्ष राह से हारा नही!
झाड़ु वर्दी हथियार पिस्तोल को मानते हो सही,
कलम कागज से रचे कविता लेकिन उसका
वास्तविकता मै नही!
दुनिया सेवा कार बजार मे लगे रहे कही ना कही,
स्वपना से हकीकत तक नफरत ही मिली
उसको भी मै प्रियतम माना सही!
धर्म से साथ देती पक्ष लेती राह तय
करने के बाद कही,
मै नही बदला बदली जमाना मै तो रहा वही,
तारा बनकर जाना था दुर कही,
मै तो वही किया जाने दो हमे दुर
तुम रहो यही कही!
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
11-06-2018 सोमवार(00:45)सर
मो:-6290640716
Ncc pmkvy,E Rly Scouts,st john
Ambulance N. D.College
Roshan kumar jha

अंक - 33

https://online.fliphtml5.com/axiwx/ltkj/

अंक - 32

https://online.fliphtml5.com/axiwx/dxqp/

अंक - 2
https://online.fliphtml5.com/axiwx/gtkd/

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 33

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 33
12 जून  2021

शनिवार
ज्येष्ठ शुक्ल 02 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  7 - 8
कुल पृष्ठ -  9

मो - 6290640716


🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆

72. आ. रानी साह जी
73. आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी (दिल्ली)

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 33
Sahitya Ek Nazar
12 June 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

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समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

अंक - 25 से 27

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अंक - 28 से 30

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अंक - 30
https://online.fliphtml5.com/axiwx/iqjc/

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अंक - 31 से 33
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा

मो - 6290640716

_________________

कविता :- 20(24)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

साहित्य एक नज़र ही
हमारा तन - मन - धन है ,
तब जाकर हम रोशन
प्रसन्न है ।।
हमारा सब कुछ इस
पत्रिका पर ही समर्पण है ,
अभी आज तो एक महीने ही
हुई है आप सभी सम्मानित
साहित्य प्रेमियों को धन्यवाद
सह सादर आभार
व्यक्त कर रहा हूँ ,
व्यक्त करने वाला मैं संपादक नहीं
साहित्य सेवक मैं रोशन है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शुक्रवार , 11/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(24)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 32
Sahitya Ek Nazar
11 June 2021 ,   Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका, मधुबनी इकाई ( संपादिका -
आ. ज्योति झा जी ) मो - 6290640716

इच्छुक सदस्य अपना नाम, शहर का नाम और व्हाट्सएप नम्बर कॉमेंट बॉक्स में लिखने की कृपा करियेगा जी।

कविता :- 20(27)

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

कुछ काम से
कोरोना काल इस लॉकडाउन में
कोलकाता से मधुबनी , बिहार
मिथिला भूमि ग्राम झोंझी
जाना है आज ही ,
तो है आज जल्दीबाज़ी ।
साहित्य एक नज़र
पत्रिका पर भी काम करना है
क्योंकि कई महारथियों से लगा
लिए है बाज़ी ,
धर्म - कर्म से जवाब देना है
यही तो ज्ञान दिए हैं गुरु ,
माता और पिताजी ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
सोमवार , 14/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(27)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 35
Sahitya Ek Nazar
14 June 2021 , Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

77/  R Mirpara Road Liluah Howrah Ashirbad Bhawan

LNMU , Part - 2 , Admission , Ramkrishna college,  Madhubani
PNR No - 6551284550 , Train No - 03185 ( 131085) SDAH / JYG SPL , Sealdah to Madhuubani
Roshan kr jha , Age :- 22 , Male , CNF , Coach : - D4 , Seat no :- 42 , ( 215+ 11.80 = 226.80
Distance :- 592 KM
Booking :- 13 June 2021 , 03:55:48
Date of Journey :- 14 Jun - 2021

✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা

PNR-6551284550
Trn:03185
Dt:14-06-21
Frm SDAH to MBI
Cls:2S
P1-D4,42
Chart Prepared
For Enquiry/Complaint/Assistance,please dial 139
Indian Railway

शीर्षककविता:-12(51)ह,विषय सामग्री:हिन्दी कविता-12(51)
14-06-2019 शुक्रवार19:47
*®• रोशन कुमार झा
-: दोस्त का शब्द!:-

धर्म-कर्म से सभी का हो जायें शादी
पर मैं रहूँ कुँवारा,
मानो कि बनकर आवारा!
क्योंकि मैं अपने दोस्त-यार से हारा,
जिसका हर पल हर मिनट किये सहारा,
वही राह रोशन करके हमें पंक्तियों के
माध्यम से मारा भाला!

हुआ हूँ घायल,
पर मैं ना हूँ कायर!
दर्द कौन जाने पर हमें कहता है शायर!
हक़ीक़त तो यह है हमें बजानें के लिए
लाना ही नहीं है पायल!

तो मैं बिंदास हूँ,
अकेला हूँ पर अपने पास हूँ!
और अपनी साँस हूँ,
इस बाज़ार में मैं भी ख़ास हूँ!

जो खोजाता हूँ कभी काल,
फँसता हूँ बार-बार!
साथ भी दिया है दोस्त यार,
पर अकेला निराश बैठा हूँ फ़िलहाल!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(51)
मोनू पर वह लिखा,कल कॉलेज स्ट्रीट नहीं
14-06-2019 शुक्रवार 19:47
अगला साल कविता:-6(167)
मसाला डो़सा:-40
नेहा 300 Xerox,हिन्दी साहित्य
3400 pnb 3 Bar code लगाये
(1000+700+340+20+100)सीट
पापा,मो राजन,jio,a,bsnl,साईकिल
वारिश हुआ! आशीष.Exeam न
Sec -Liluah (Pmkvy)
E.Rly,Scouts ,Ncc

शीर्षककविता:- 6(167)भ,विषय सामग्री:भोजपुरी कविता रोशन कुमार झा 6(166)
गुजर गईल बचपना,?

बीत गईल बीसबी शताब्दी आ गईल
उन्नसवी साल,
की बताई रोऊआ लोगेन के अपन शुभ
समचार!
जीतैत अैनी नेहया के रचनी रास,
हार जीत दुनो रखनी अपन पास!
वर्षा ऑधी तूफान बईल तब पर भी
लेबेत रहनी मुस्कान भरी सॉस,
जीवैत अैनी दुख द्रदँ ही पैनी,
कही पर कामी तो कही पर नकामी कहैनी!
फिर भी कहॉ रूकनी,
सुर्य के रोशन बाद मे उगल हम तो
अँधेरा मे ही बननी धनी!
दिन से रात से दिमाग से ,
निर्जन वन मे जिन्दगी बीतैनीआशा भी
ना रखनी अविरान बाग से
जीयैत अैनी मुस्करा के दुख द्रदँ चॉह के,
संघर्ष सेए लड़नी ना रहनी घर के ना
रहनी राह के!
०रोशन कुमार झा
सूरेन्द्रनाथ ईवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716  वुधवार 12:05
13-06-2018 -19 वी वर्षगाठ
13-06-1999 रविवार 01-10-1997 वुध
झौझी मधूबनी बिहार
सलकिया विक्रम विधालय मेन
Ncc:-31st bn ncc Fortwilliam
kolkata-B Reg no:-WB17SD112047
Roshan kumar jha pmkvy 1283f
Liluah Howrah:- 711204
Nursingh dutt college St john
Ambulance
Eastern Railways Scouts Bamangachi Howrah




































































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