कविता :- 20(10), शुक्रवार , 28/05/2021 , आनंद जन्मदिन , साहित्य एक नज़र अंक - 18 , 🌅

रोशन कुमार झा

कविता :- 20(10)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
दिनांक :- 28/05/2021

फेसबुक - 2
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फेसबुक - 1

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कोलफील्ड मिरर आसनसोल
29/05/2021 , शनिवार को प्रकाशित

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फेसबुक कोलफील्ड
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भाई आनंद कुमार झा  ( अंशु ) को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं -

छोटा भाई आनंद तू ही अंशु
तुम्हें तुम्हारा जन्मदिन की
हार्दिक शुभकामनाएं ,
हमारा स्नेह आशीर्वाद
हमेशा तुम्हारा काम आएं ।
हार नहीं तू जीत कर ही आएं ,
तुम्हारे राह से हर संकट मिट जाएं ।।

✍️ रोशन कुमार झा

🙏💐🍰🎉🎁🎁🎈🌅🎂🎂🎂
कविता :- 20(10)
अंक - 18
28 मई 2021
   शुक्रवार
ज्येष्ठ कृष्ण 2 संवत 2078

साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है । रोशन कुमार झा संपादक एवं आ. प्रमोद ठाकुर जी इस पत्रिका के सह संपादक है । साहित्य एक नज़र पत्रिका का शुभारंभ मंगलवार 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा , सहयोगी सदस्य  आ. आशीष कुमार झा जी , आ. रोबीन कुमार झा जी , आ. पूजा कुमारी , आ. ज्योति झा जी , आ. प्रवीण झा, आ. नेहा भगत , आ. कवि श्रवण कुमार जी , आ. धर्मेन्द्र साह जी एवं आ. मोनू सिंह जी हैं ।।

दादी माँ की अस्तित्व

विषय :-  दादी माँ की अस्तित्व

क्या बताऊं , हम उस दादी माँ की अस्तित्व बताने जा रहा हूं जो माँ की अस्तित्व ले ली । दो बहन और एक भाई के बाद दुनिया में आई आनंदनी , वही आनंदनी आनंद का बहन,उसी झोंझीफूलदाई दादी माँ की बात है, आनंदनी के जन्म लेते ही उसकी जीवन रोशन से अंधकार हो गया, वह कैसे ? तो जानिए जन्म लेते ही दो वर्ष की उम्र में ही दिल्ली में आनंदनी की माँ सुधा की मृत्यु हो गई, पिता अरुण दिल्ली में कमाने के लिए रह गया, और दादी अपने बेटे अरूण को छोड़कर अपनी पोती आनंदनी को लेकर गांव आ गई, आनंदनी जन्म से ही विकलांग या उपचार न होने के कारण कमज़ोर हो गई रही , माथा बड़ा पर हाथ पांव पतला पतला , आस-पास के लोग न चलने के कारण उसे लोटिया ,लोटिया कहने लगे यहां तक कि अब ये जिन्दा न रह पायेगी ,मर जायेगी और भी कुछ , ये सब सुनने के बाद भी दादी माँ हार नहीं मानी । तनु वक्ष स्थल से धन्यवाद उस दादी माँ को देना चाहता हूँ , जो वृद्धावस्था में भी आनंदनी को बिना दवा दिए, खुद के मेहनत सरसों तेल से मालिश कर करके आनंदनी को चलाने की प्रयास में लगी रही, और एक दिन ऐसा आया वह चलने फिरने लगी और अपने आसपास के लोगों के काम में वह बेचारी आनंदनी हाथ बढ़ाने लगी, इस तरह आनंदनी अपने गांव में बिना माँ की ही दादी माँ की सहयोग से अपनी अस्तित्व बना ली जो कि अधिकांश बच्चे माँ के रहते हुए भी वह अस्तित्व नहीं बना पाते ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
कविता :- 16(84) दिनांक :- 06/07/2020 सोमवार
https://hindi.sahityapedia.com/?p=130550

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 18
Sahitya Ek Nazar
28 May , 2021 ,  Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
28 मई 2021 ,  शुक्रवार

मिथिलाक्षर

https://youtu.be/B5bsN0aRgV8

https://youtu.be/q5oXQoWpBuE

https://youtu.be/9dWjcmhp2f0

28/05/2021 , शुक्रवार , कविता :- 20(10)
अंक - 18
आनंद से बात किए दादी से भी पानी होता रहा , गांव में होता रहा ।
आनंद जब जन्म लिया रहा उस दिन भी बहुत बारिश हुआ रहा हम झोंझी से गये रहें परौल सुबह में ।
यास तूफ़ान जो आया रहा आज बंगाल में वर्षा नहीं हुआ ।

पूजा की भोली मोसी बेटी की पति जीजा जी जो खत्म हो गये बैंक में काम करते रहे वह जानता रहा हम लोगों के बारे में बोले रहें हम पापा से बात कर लेंगे । उनके शादी में भी बहुत बारिश हुआ रहा और आज अंतिम संस्कार के समय पटना में भी बारिश हुआ पूजा बताई ।

आज से साहित्य एक नज़र यूट्यूब चैनल शुभारंभ
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मैथिली और हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रवीण झा "साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित हुए -

साहित्य एक नज़र 🌅 , शुक्रवार , 28 मई 2021

27 मई 2021 , गुरुवार को  " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से मैथिली और हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार आदरणीय प्रवीण झा जी को "साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित किया गया । प्रवीण झा जी पत्रिका के अंक 1 - 17 तक में  अपनी रचनाओं से योगदान करते हुए प्रचार प्रसार करने में भी अहम भूमिका निभाई है । साहित्य एक नज़र कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है , जो नि: शुल्क में साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , माहेश्वरी साहित्यकार, विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित व साहित्यकारों की रचनाएं , पेंटिंग ( चित्र ) प्रकाशित  साहित्य व कला की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका का उद्घाटन रोशन कुमार झा के हाथों से 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है उन सभी को  हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान पत्रिका के अंक के साथ सम्मानित किया जाएगा , प्रवीण जी को आ. सपना जी , आ. प्रमोद ठाकुर जी , आ. ज्योति झा जी , आ. आशीष कुमार झा जी , कवि श्रवण कुमार जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों बधाई दिए ।
साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है । रोशन कुमार झा संपादक एवं आ. प्रमोद ठाकुर जी इस पत्रिका के सह संपादक है । साहित्य एक नज़र पत्रिका का शुभारंभ मंगलवार 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा , सहयोगी सदस्य  आ. आशीष कुमार झा जी , आ. रोबीन कुमार झा जी , आ. पूजा कुमारी , आ. ज्योति झा जी , आ. प्रवीण झा, आ. नेहा भगत , आ. कवि श्रवण कुमार जी , आ. धर्मेन्द्र साह जी एवं आ. मोनू सिंह जी हैं ।।

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भैया मुझे इस तरह जी लाइन बनी है ,कैसे बना है बताइएगा - 11:42

[28/05, 11:44 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसकी जानकारी नहीं है हमें दीदी जी 🙏
[28/05, 11:44 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: शायद  _ इसका उपयोग किया गया है
[28/05, 11:49 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसी का उपयोग किया गया है ।
[28/05, 11:51 PM] अर्चना जी साहित्य: मैं इसको सीखना चाह रही हूं
[28/05, 11:51 PM] अर्चना जी साहित्य: बना नही पा रही हूं
[28/05, 11:57 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐 दीदी जी 🙏

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[28/05, 6:31 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[28/05, 7:53 PM] Ranjana Binani Jii: https://www.facebook.com/ranjana.binani.9/videos/2936617409959244/?sfnsn=wiwspwa
[28/05, 8:07 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏

फिर ऑडियो भेजी बोली यूट्यूब पर छोड़ने के लिए
[28/05, 8:14 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: आपकी अनुमति हो तो साहित्य एक नज़र के यूट्यूब पर छोड़ सकते है ।
[28/05, 8:14 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम वीडियो डाउनलोड कर लिए हैं ।
[28/05, 8:20 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य संगम संस्थान पर देने पर राष्ट्रीय पदाधिकारियों को समस्या होगा क्योंकि आप उसमें माहेश्वरी साहित्यकार मंच का नाम लिए हैं न ।
[28/05, 8:24 PM] Ranjana Binani Jii: साहित्य संगम संस्थान पर नहीं देना है रोशन भैया साहित्य एक नजर यूट्यूब पर दे दीजिए धन्यवाद 🙏🙏
[28/05, 8:25 PM] Ranjana Binani Jii: विषय--"बड़ी देर कर दी"

सनम आते-आते,
"बड़ी देर कर दी",
इंतजार में तेरे...
नैना राह निहारे...,
अब तो आ जाओ,
प्रियवर.....,
" बड़ी देर कर दी"..।

सांसें थम ना जाए...,
डरती हूं....,
सनम तुम्हे एक नजर....,
देखने को तरसती हूं...
दरवाजे से  ये,आंखें हटती नहीं...
सनम अब आ जाओ ,
   "बड़ी देर कर दी "....।

तेरा -मेरा नाता ही ,कुछ ऐसा है..,
चाह कर भी मन से, नहीं उतरता है,
छोटी सी बात पर  ....,
ऐसी क्या नाराजगी ....,
अब  तो सनम ,आ जाओ...,
"बड़ी देर कर दी"....।

स्वरचित
रंजना बिनानी" काव्या"
गोलाघाट असम
[28/05, 8:25 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 दीदी जी स्वागतम् 🙏💐
[28/05, 8:52 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/K17jcEVWE30
[28/05, 8:52 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏 दीदी जी 🙏
[28/05, 11:14 PM] Ranjana Binani Jii: अंतरराष्ट्रीय नारी मासिक धर्म स्वास्थ्य एवं स्वच्छता दिवस पर माहेश्वरी साहित्यकार मंच पर विशेष आयोजन किया गया 🙏🙏
[28/05, 11:16 PM] Ranjana Binani Jii: भैया जी बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏 प्लीज..बड़ी देर कर दी कविता अलग है। विडियो नारी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता दिवस पर है 🙏🙏
[28/05, 11:28 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है दीदी जी 🙏
[28/05, 11:35 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: कर देंगे दीदी जी 🙏💐
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[28/05, 8:29 AM] 49: सादर अभिवादन🙏🙏
आपकी पत्रिका में मुझे भी स्थान मिले ऐसी आशा है
[28/05, 8:30 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी स्वागतम् 🙏
[28/05, 8:33 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: नाम सही करके भेजिए सब एक ही में मिला हुआ है ‌।
[28/05, 8:34 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: एक ही रचना फेसबुक पर कामेंट बाक्स में भेजिए
[28/05, 8:34 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: यही की रचना प्रकाशित होती है ।
[28/05, 8:35 AM] : डॉ0जनार्दन प्रसाद कैरवान
       प्रभारी प्रधानाचार्य
श्री मुनीश्वर वेदाङ्ग महाविद्यालय ऋषिकेश
     उत्तराखंड
[28/05, 8:35 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[28/05, 8:40 AM] : मुझे कॉमेंट का ऑप्शन नही मिल रहा है फेसबुक में
[28/05, 8:40 AM] : कैसे करूँ कमेंट
[28/05, 8:42 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज हम कर दिए ग्रुप ज्वाइन कीजिए
[28/05, 8:42 AM] : कर दिया है
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साहित्य एक नज़र
[27/05, 10:39 PM] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: हमारे अभिव्यक्ति ग्रुप में जुड़े
जो मित्र पत्रकारिता भी कर रहे हैं, करते हैं उनको पत्रकारिता दिवस पर सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।कृपया 29-5-2021 की शाम तक अपना नाम, पत्रकारिता में सेवा के वर्ष की जानकारी हमारे पटल पर भेज दीजिए। जो मित्र चाहे वो निम्न लिंक से पटल पर जुड़े और वांछित जानकारी भेजें
https://chat.whatsapp.com/KGNb5qtXPp69MLXKjTJsCm

[27/05, 10:40 PM] डॉ सुनील जी, अभिव्यक्ति: आप अपने व संपादक मंडल के मित्रों का नाम अभिव्यक्ति ग्रुप में भेजिएगा🙏

[28/05, 6:30 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी शुभ प्रभात धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐

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[28/05, 9:51 PM] पुष्प महराज जी 🙏: प्रणाम आपको...

कल शाम को जो कविता मैने भेजी थी वो आज के अंक में प्रकाशित नहीं है वो क्या कल के अंक में प्रकाशित होने की उम्मीद है या आज जो कविता मैंने लिखी है उसे प्रकाशित होने के लिए कल भेजूं.

कृपया मार्गदर्शन करें...आभार
[28/05, 9:52 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप छाता विषय पर कविता दिए रहें जो पहले ही प्रकाशित हम कर चुके है ।
[28/05, 9:56 PM] पुष्प महराज जी 🙏: किस अंक में मैंने देखा नहीं है क्षमा चाहूंगा...तो आज की कविता क्या आपके पास भेजूं...
[28/05, 9:57 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं फेसबुक कामेंट बाक्स में थोड़ा पोस्टर सब पढ़ लिया कीजिए गुरु जी 🙏
[28/05, 9:58 PM] पुष्प महराज जी 🙏: ओ.के..
[28/05, 9:58 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/kwzu/
[28/05, 10:22 PM] पुष्प महराज जी 🙏: जी धन्यवाद आपको...

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[27/05, 10:49 PM] Up Sahitya: उपरोक्त कविता कल दिनाँक 28/05/2021 के लिए है।
आपको बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाओं सहित धन्यवाद।
[28/05, 6:31 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏 शुभ प्रभात 🙏💐
[28/05, 7:19 PM] Up Sahitya: परम् आदरणीय भाई साहब सादर आज दिनाँक 28/05/2021 की पत्रिका अभी नहीं आई है ।

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[28/05, 4:06 PM] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी मैन इस लिस्ट में रामकरण साहू बाँदा का नाम 32 नम्बर पर जोड़ा था लेकिन दिख नहीं रहा उनका फ़ोन आया था प्लीज़ चेक कर लीजिए
[28/05, 4:30 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏
[28/05, 4:31 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: अब रचनाकारों से तीन दिन पर रचना ली जायेगी
[28/05, 4:31 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: ताकि हमलोग और भी कुछ करें ।
[28/05, 5:29 PM] प्रमोद ठाकुर: जी बिल्कुल सही
[28/05, 7:49 PM] प्रमोद ठाकुर: सर आज पत्रिका का क्या हुआ
[28/05, 7:50 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/ifjz/
[28/05, 7:50 PM] प्रमोद ठाकुर: जी धन्यवाद
[28/05, 7:50 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: बस आपके पास
[28/05, 7:50 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏
[28/05, 8:39 PM] प्रमोद ठाकुर: रोशन जी ये सुनीता नायर की फ़ोटो की मंजू सैनी की कविता के साथ प्रकाशित हो गयी है । सर अगले अंक इसे सुधारने की कोशिश करें।

https://online.fliphtml5.com/axiwx/gyjn/

[28/05, 8:41 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: ओहह
[28/05, 8:46 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: गलत इनकी है एक तो दो रचना हम प्रकाशित ही किए
[28/05, 8:46 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: तीसरे भी दे दी ।
[28/05, 8:52 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://youtu.be/K17jcEVWE30

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साहित्य एक नज़र 🌅 ग्रुप में -
[28/05, 7:50 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/ifjz/
[28/05, 7:56 PM] साहित्य राज: 👍👍👍
[28/05, 7:59 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏
[28/05, 7:59 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/298072278622222/
[28/05, 8:05 PM] प्रमोद ठाकुर: जी पूजा जी आपको हार्दिक बधाई
[28/05, 8:16 PM] साहित्य - 28:
आ. नेतलाल प्रसाद यादव जी

पहली बार पत्रिका में भाग लिया और प्रकाशित भी हुई ।
संपादक महोदय को बारम्बार धन्यवाद और अभिनन्दन ।
पत्रिका परिवार को शुभकामनाएं और असीम बधाई ।
[28/05, 8:21 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐
[28/05, 8:52 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏 दीदी जी 🙏
आज पहली बार मेरी रचना को अपनी पत्रिका में स्थान देने के लिए संपादक मण्डल का बहुत बहुत आभार , 9:11 PM , डॉ0जनार्दन प्रसाद कैरवान
       प्रभारी प्रधानाचार्य

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[28/05, 9:31 AM] साहित्य - 28: यास तूफ़ान का नँगा नाच ।
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"यास " क्यों कर रहे हो नाश
पहले से ही तैर रही है लाश
   सब चुनौतियों से ही जूझ रहे हैं
बचने के तरकीब बूझ रहे हैं
अचानक इस कदर तेरा आना
दिल के दर्द को खूब चुभाना
आँसुओं का सैलाब बहाना
मंजर मौत का नँगा नाच दिखाना
वह भी आपदाओं के इस साल में
ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल में
तूने सबको चौकन्ना कर दिया है
तूने ऐसा दानवी रूप लिया है
पहले भी तेरे,कितने आए भाई
सभी ने तबाही ,खूब मचाई
तमाचा जड़ा ,आदमी के गाल में
आदमी मजबूत हुआ, हरहाल में
इरादों का बनता है, रोज़ चट्टान
रोज़ जन्म लेता है, अंदर का ज्ञान
जिजीविषा को मारता नहीं है
आदमी हारकर भी हारता नहीं है ।

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                  नेतलाल प्रसाद यादव (हिंदी शिक्षक)
उत्क्रमित उच्च विद्यालय शहरपुरा,जमुआ,गिरिडीह ,
झारखंड ।
यह मेरी कविता मौलिक और अप्रकाशित  है ।
[28/05, 9:34 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर कामेंट बाक्स में भेजिए
[28/05, 9:59 AM] साहित्य - 28: अप्रूवल करने का कष्ट करेंगे
[28/05, 7:07 PM] साहित्य - 28: सर मुझे फेसबुक पर सो नहीं कर रहा है
[28/05, 7:51 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/ifjz/
[28/05, 8:09 PM] साहित्य - 28: सर कोटि-कोटि साधुवाद, धन्यवाद और अभिनन्दन  ।
[28/05, 8:09 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐
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हिन्दी कविता:-12(31)
28-05-2019 मंगलवार 20:00
*®• रोशन कुमार झा
-: हमेशा रहना आनंद !:-

उम्र में तुम हमसे बड़ा नहीं छोटा है
सफलता का बीज बोता है!
और यह जीवन को धोता है
तुम्हें पता है कि वर्षगाठ क्या होता है!

राहुल अरूण ग्रह सुधा की तनु वक्ष स्थल
से हुआ तेरा पालन पोषण
रहा नहीं गया तेरे वर्षगाठ पर एक कविता
लिख बैठा तेरा बड़ा भाई रोशन!
बहन की फूल राखी है तेरे साथ करना
ना किसी का शोषण
तू आनंद से रहना मेरे भाई हमेशा प्रसन्न!

बढ़ना बढ़ते रहना,
हो तक़लीफ़ तो हमें कहना!
कुछ दुख दर्द सहना,
और नदी की तरह बहना!

हो तुम्हारा जीत,
मैं बनकर रहूँ तुम्हारा मित्र!
छोड़ो उसे जो वक्त गया बीत,
दूर हूँ पर ना जाने तुमसे है मेरा
जन्मों-जन्मों का प्रीत!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता:-12(31)
28-05-2019 मंगलवार 20:00
रविवार जन्म आनंद
ज्योति घर बेन वाला मर गया जो ncc  कहे
आज school leaving certificate
लाये संजय पांडे आशीष
विक्रम लड़की 11-12 चालू
Anamika:-253(2017)सनिया:-260
Parash झा:-373,Amit:-409विक्रम
इस बार मेरा 421011 no:-1207
344



अंक - 18

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 18
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/298065778622872/?sfnsn=wiwspmo
माहेश्वरी साहित्यकार मंच
https://www.facebook.com/ranjana.binani.9/videos/2936617409959244/?sfnsn=wiwspwa

आ. रंजना बिनानी जी
जय मां शारदे 🙏
     माहेश्वरी साहित्यकार मंच  द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला मासिक धर्म स्वच्छता दिवस जागरूकता पर प्रस्तुत है मेरी चंद लाईनें ....

यूट्यूब -
https://youtu.be/K17jcEVWE30

https://online.fliphtml5.com/axiwx/ifjz/

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/297391668690283/?sfnsn=wiwspmo

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अंक - 17
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अंक - 16
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अंक - 18
28 मई 2021
   शुक्रवार
ज्येष्ठ कृष्ण 2 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  12 ( आ. पूजा सिंह जी  )
कुल पृष्ठ - 13

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 18
Sahitya Ek Nazar
28 May , 2021 ,  Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
28 मई 2021 ,  शुक्रवार

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नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

आमंत्रित
रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 19 - 21
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अंक - 19

अंक - 20

अंक - 21
दिनांक :- 30 मई 2021 , सुबह 11 बजे तक
दिनांक - 29/05/2021 से 31/05/2021 के लिए
दिवस :- शनिवार - सोमवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 19 तो कुछ रचनाएं को अंक 20 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 21 में शामिल किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐

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✍️ रोशन कुमार झा

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एक रचनाकार एक ही रचना भेजेंगे । एक से अधिक रचना या पहले की अंक में प्रकाशित हुई रचना न भेजें ।


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कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
    

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ 009 दिनांक -  _  28/05/2021

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _ _  पूजा सिंह  _ _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _ _ 1 - 18  _ _  में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।

रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

_____________________________

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

1.

खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !

माँ सरस्वती, साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका मंच को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐।

साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका  "पुस्तक समीक्षा स्तम्भ" में चयनित पुस्तकों के लेखकों की सूची जससे साहित्कारों को समीक्षा प्रमाण पत्र दिया जा सके जून 2021 माह के लिए केवल 60 स्थान है ।

1. श्री रामकरण साहू "सजल" बबेरू (बाँदा) उ.प्र.
2. अजीत कुमार कुंभकार
3.राजेन्द्र कुमार टेलर "राही" नीमका , राजस्थान
4.निशांत सक्सेना "आहान" लखनऊ
5. कवि अमूल्य रतन त्रिपाठी
6.डॉ. दीप्ती गौड़ दीप ग्वालियर
7. अर्चना जोशी भोपाल मध्यप्रदेश
8. नीरज सेन (कलम प्रहरी)कुंभराज गुना ( म. प्र.)
9. सुप्रसन्ना झा , जोधपुर
नोट:- कृपया अपना नाम जोड़ने का कष्ट करें कृपया सहयोग राशि 30/- रुपये इसी नम्बर 9753877785 पर फ़ोन पे/पेटीएम/गूगल पे करकें स्क्रीन शॉट भेजने का कष्ट करें।

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किताब भेजने का पता
प्रमोद ठाकुर
महेशपुरा, अजयपुर रोड़
सिकंदर कंपू,लश्कर
ग्वालियर
मध्यप्रदेश - 474001
9753877785
रोशन कुमार झा
2.

https://m.facebook.com/groups/789691235131619/permalink/960093041424770/

साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई
अर्चना-  हरिगीतिका छंद
शिल्प- २८ मात्रा, १६-१२ पर यति। 
विषय प्रवर्तन-

पूजना  अरु  अर्चना  दोनों   बने  इक  धातु  से ही।
माता - पिताद्वय  हैं  जगत  में   पालना पातु से ही।।
आशीष  इनका  मिल  सके  हम  कर्म ऐसे ही करें।
आयु-विद्या-कीर्ति-बल पाकर जगत का मंगल करें।।

व्यापार  सारे  चल  रहे  हैं  अर्चना के नाम पर।
भगवान व शैतान भी संग लग रहे हैं काम पर।।
भाव- शब्दावली अन्यों की है हमारा कुछ नहीं।
ढोंग केवल प्रार्थना का है प्रभु जाय ठहरे कहीं।।

हो देह देवालय तथा मन ज्योति ज्योतित  हो अभी।
अपना  मनन  मंदिर सजा  लें  पूजिए मन हो तभी।।
भक्ति से भगवान को  व  शक्ति संग शैतानियत को।
जान करके हम नियंत्रित कर करें अपनी नियत को।।

अंधश्रद्धा   से   सदा   जीवन   नरक  होता  है  सखे।
नयन  मूंद  भी  दृश्य  कोई न, कभी किसी को लखे।।
आज आकर के लिखें सब कवि यहां अति आनंद है।
हरिगीतिका    हरिगीतिका    हरिगीतिका    छंद   है।।

✍️ राज वीर सिंह मंत्र जी
राष्ट्रीय अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

3.
दहेज प्रथा

दहेज प्रथा  घिनौना पाप है,
कन्याओं  हेतु अभिशाप है।
जो बेटी चढ़े दाज की बलि,
माँ बाप का बढ़े रक्तताप है।
जब  पैदा  होती है बिटिया,
बोझ से रहता उच्चताप है।
कहते  सुता  होती है पराई,
पूर्ण घर संसार की माप है।
नोच डालते  हैं जब भेड़िये,
जग का सबसे बड़ा पाप है।
नहीं रहती घर और घाट की,
जीवन का सर्वोत्तम  श्राप है।
मिटाओ दहेज की बुरी रीत,
मनसीरत कहे यह संताप है।

✍️ सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
4.

मैथिली और हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रवीण झा "साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित हुए -

साहित्य एक नज़र 🌅 , शुक्रवार , 28 मई 2021

27 मई 2021 , गुरुवार को  " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से मैथिली और हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार आदरणीय प्रवीण झा जी को "साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान से सम्मानित किया गया । प्रवीण झा जी पत्रिका के अंक 1 - 17 तक में  अपनी रचनाओं से योगदान करते हुए प्रचार प्रसार करने में भी अहम भूमिका निभाई है । साहित्य एक नज़र कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है , जो नि: शुल्क में साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , माहेश्वरी साहित्यकार, विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित व साहित्यकारों की रचनाएं , पेंटिंग ( चित्र ) प्रकाशित  साहित्य व कला की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका का उद्घाटन रोशन कुमार झा के हाथों से 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका में जिन - जिन रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है उन सभी को  हर एक दिन एक एक रचनाकार को " साहित्य एक नज़र रत्न " सम्मान पत्रिका के अंक के साथ सम्मानित किया जाएगा , प्रवीण जी को आ. सपना जी , आ. प्रमोद ठाकुर जी , आ. ज्योति झा जी , आ. आशीष कुमार झा जी , कवि श्रवण कुमार जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों बधाई दिए ।
साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है । रोशन कुमार झा संपादक एवं आ. प्रमोद ठाकुर जी इस पत्रिका के सह संपादक है । साहित्य एक नज़र पत्रिका का शुभारंभ मंगलवार 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा , सहयोगी सदस्य  आ. आशीष कुमार झा जी , आ. रोबीन कुमार झा जी , आ. पूजा कुमारी , आ. ज्योति झा जी , आ. प्रवीण झा, आ. नेहा भगत , आ. कवि श्रवण कुमार जी , आ. धर्मेन्द्र साह जी एवं आ. मोनू सिंह जी हैं ।।

5.
भाई आनंद कुमार झा  ( अंशु ) को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं -

छोटा भाई आनंद तू ही अंशु
तुम्हें तुम्हारा जन्मदिन की
हार्दिक शुभकामनाएं ,
हमारा स्नेह, आशीर्वाद
हमेशा तुम्हारा काम आएं ।
हार नहीं तू जीत कर ही आएं ,
तुम्हारे राह से हर संकट मिट जाएं ।।

✍️ रोशन कुमार झा

🙏💐🍰🎉🎁🎁🎈🌅🎂🎂🎂
कविता :- 20(10)
अंक - 18
28 मई 2021
   शुक्रवार
ज्येष्ठ कृष्ण 2 संवत 2078
6.
दादी माँ की अस्तित्व

विषय :-  दादी माँ की अस्तित्व

क्या बताऊं , हम उस दादी माँ की अस्तित्व बताने जा रहा हूं जो माँ की अस्तित्व ले ली । दो बहन और एक भाई के बाद दुनिया में आई आनंदनी , वही आनंदनी आनंद का बहन,उसी झोंझीफूलदाई दादी माँ की बात है, आनंदनी के जन्म लेते ही उसकी जीवन रोशन से अंधकार हो गया, वह कैसे ? तो जानिए जन्म लेते ही दो वर्ष की उम्र में ही दिल्ली में आनंदनी की माँ सुधा की मृत्यु हो गई, पिता अरुण दिल्ली में कमाने के लिए रह गया, और दादी अपने बेटे अरूण को छोड़कर अपनी पोती आनंदनी को लेकर गांव आ गई, आनंदनी जन्म से ही विकलांग या उपचार न होने के कारण कमज़ोर हो गई रही , माथा बड़ा पर हाथ पांव पतला पतला , आस-पास के लोग न चलने के कारण उसे लोटिया ,लोटिया कहने लगे यहां तक कि अब ये जिन्दा न रह पायेगी ,मर जायेगी और भी कुछ , ये सब सुनने के बाद भी दादी माँ हार नहीं मानी । तनु वक्ष स्थल से धन्यवाद उस दादी माँ को देना चाहता हूँ , जो वृद्धावस्था में भी आनंदनी को बिना दवा दिए, खुद के मेहनत सरसों तेल से मालिश कर करके आनंदनी को चलाने की प्रयास में लगी रही, और एक दिन ऐसा आया वह चलने फिरने लगी और अपने आसपास के लोगों के काम में वह बेचारी आनंदनी हाथ बढ़ाने लगी, इस तरह आनंदनी अपने गांव में बिना माँ की ही दादी माँ की सहयोग से अपनी अस्तित्व बना ली जो कि अधिकांश बच्चे माँ के रहते हुए भी वह अस्तित्व नहीं बना पाते ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
कविता :- 16(84) दिनांक :- 06/07/2020 सोमवार
https://hindi.sahityapedia.com/?p=130550

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 18
Sahitya Ek Nazar
28 May , 2021 ,  Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
28 मई 2021 ,  शुक्रवार

7.

Roshan Kumar Jha जी धन्यवाद

नमन मंच
अंक- 18
तिथि-28, 5, 2021
दिवस -शुक्रवार
विधा- कविता
शीर्षक- कोरोना
   प्रकाशनार्थ
साहित्य एक नजर

       कोरोना

कोरोना है डरावना
हर दिशा मे हो रही है उठावना
ऐसे में कैसे न होगा मन विकल
मानव फिर भी तू चल

पल-पल सुनकर मौत की खबर
लगता बड़ा भयावना है
नहीं, नहीं ,होती नहीं
मुझसे अब आराधना है

भगवन! तुम हो तो फिर
ये कोहराम कैसा हो रहा है
अगर नहीं हो तो फिर
तेरा नाम कैसा हो रहा है

हर तरफ मानव दहसत मे है जी रहा
घुट-घुटकर आँसुओं का वह
घूँट जैसे पी रहा
आशाओं का दीप थामे लौ
को हवाओं से बचा  रहा
होकर कैद घरों में प्रतिपल
कैदियों सा जी रहा

हा हा भगवन ! तुम ये सब
निर्दय बन क्यों देख रहा
मानव का जीवन तो इस पल
ना इधर रहा , ना उधर रहा।

✍️ सुप्रसन्ना झा
      जोधपुर

8.

🙏🏻 सावधानी रखनी है 🙏

मची है धरा पर हा हा कार खूब है,
कोरोना की दूसरी लहर का
कहर बहुत ख़ौफ़नाक है,
चारों तरफ तबाही का
मंजर ही मंजर है,
सच्चाई कम और अफवाहों
का बवंडर बहुत है,
मौत तांड़व कर रही है
सबके सिर चढ़ कर आज,
अस्पतालों में दवा और
हवा कम हो गई है आज,
कुदरत नाराज हो गई है
मानव के दोहन पर आज,
किया है गुनाह तो सज़ा
तो भुगतनी पड़ेगी आज,
न डरना है न ही किसी
को भी डराना है,
न अफवाहों का बवंडर
बना कर फैलाना है,
सबको रखना है हौसला और
ओरों का भी बढ़ाना है,
किसमें कितनी सच्चाई है ये
परख कर बात को आगे बढ़ाना है,
यह महामारी हर सौ साल में आती
है इससे घबराना नहीं है,
सरकार अपना काम कर रही है
हवा और दवा जुटा रही है,
तब तक अपना और ओरों का
संतुलन बनाए रखना जरुरी है,
ये कोरोना की बीमारी ही ऐसी
है सबको बचके रहना जरूरी है,
सावधानी और सांसे सबको
मिलकर चल रही है
तब तक चलानी जरूरी है,
दो गज की दूरी और
मास्क है सबको जरूरी है,
घर से बाहर और भीड़-भाड़
में ज्यादा जाना नहीं है,
सावधानियां और सरकारी
गाइड-लाइन की पालना जरूरी है,
सावधानी हटी तो समझो दुर्घटना घटनी है,
सावधानी इस समय रखना है बहुत जरूरी है !!

✍🏻 चेतन दास वैष्णव
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा , राजस्थान

9.

नमन मंच :साहित्य एक नजर
अंक-१८
दिवस-शुक्रवार २८-५-२०२१
शीर्षक-

कितने बदल गए हम

आज देखो कितने बदल गए हम...
अब अपने दुःख-दर्द छिपा
दिखावटी मुस्कुराहट में
अब  छले से जा रहे हैं
अपने ही गुरुर के मयखाने में
तब उम्र बीत जाया करती थी
,सब के काम आने में
अब देखो तो लगता है
अकेले जीवन के शराबखाने में।
आज देखो कितने बदल गए हम..
तब रहा करते थे
मिलजुल के परिवारो में
अब तो घुमा करते हैं
घमंड के मयखाने में
अब क्या बतायूँ बदल दिया
हमने सब दस्तावेजो में
अब भूगोल ही क्या से क्या
कर दिया परिवारों में।
आज देखो कितने बदल गए हम...
अब तुम तो देखो उलझ
कर रह गए कागज़ों में
अब तो बस ख्वाहिश हैं
ज़्यादा पैसा ही कमाने में
अब मैं भी लग गई बस
रोज़ टी वी के सीरियलों में
अब तो बर्बाद करना शुरू
किया समय फालतू बातों में।
आज देखो कितने बदल गए हम...
आंखों में शर्मोहया के
पर्दे अब उतरें हैं
न जाने क्यो अब अपने
लिए ही बस जीते हैं
वो दौर अपना सा था जब
जीते थे हम सबके लिए
अब तो अपने लिए ही सब दिखता हैं।
आज देखो कितने बदल गए हम...
अब आसान नही जिंदगी
का सफर अकेले में
अब दिन सारा गुजर जाता
है आपसी तकरारो में
अबतो उलझा है हरेक अपने ही
दुख के आँधीतूफानो में
अब तो बदल ही गए हैं अपने
ही बस लालच में

✍️ डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
घोषणा:मेरी स्वरचित रचना

10.
अंक 18 हेतू
सादर प्रेषित
डा0 प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद बिजनौर यू पी

    ग़ज़ल

दिल मेरा फिर  से दुखाने आ गये
यादों के दीपक ...जलाने आ गये|1
छोड कर पँछी को बच्चे उड़ गये
पंख अब सबको .चलाने आ गये|2
चाँदनी ही चाँद ...को डसने लगी
तारे भी.हैरत ......जताने आ गये|3
दोस्तों ने जब डुबो.....डाला मुझे
उनके कुछ दुश्मन बचाने आ गये| 4
साँप सारे देख .... कर हैरान हैं
आदमी को फन ..उठाने आ गये | 5
दाम फिर गेहूँ के देखो गिर गये
दोस्तों फसलों ....में दाने आ गये| 6
आईने ने जब किसी से सच कहा
प्रेम सब ले संग ...मिटाने आ गये|7

✍️ डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर

11.

|| ॐ श्री वागीश्वर्यै नमः ||
         हाँ मैं नारी हूँ
         **********
        (कविता छंदमुक्त)

हाँ मैं नारी हूँ, मानव को
कोख से जनने वाली हूँ
जो नर उलाहनाएँ देता,
जीवन उसे भी देने वाली हूँ
अन्याय विरुद्ध बनने को ज्वाला,
उर रखती चिनगारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ......
हूँ वात्सल्य विस्तार धरा पर,
सुख-आँचल धरने वाली हूँ
हूँ मैं भगिनी भ्राताओं की,
राखी बाँधने वाली हूँ
दुहिता बन मात-पिता की,
दुःख को हरने वाली हूँ
हाँ मैं नारी हूँ.......
कष्ट पड़े जब निज लोगों पर,
दुर्गा बनने वाली हूँ
काली करतूती दुष्ट दलन को,
काली बनने वाली हूँ
नर जीवन की हर उन्नति का,
मंत्र सिखाने वाली हूँ
हाँ मैं नारी हूँ....
पर्वतों को पद-दलित कर,
शिखर चूमने वाली हूँ
नहीं अगम्य रहा अंतरिक्ष भी,
गगन में जाने वाली हूँ
बन अधिकारी मैं राष्ट्र में,
दिशा दिखाने वाली हूँ
हाँ मैं नारी हूँ....

✍️ गणेश चन्द्र केष्टवाल
मगनपुर किशनपुर
कोटद्वार गढ़वाल उत्तराखंड
२७-०५-२०२१

12.

साहित्य एक नजर
नमन मंच🙏
शीर्षक- बहका
दिनाँक  27/05/2021
#अंक 18
विधा 
कविता - बहका

पीड़ित मानवता देख बहका हैमन
सेवा करने को तत्पर बहका है तन
आज की दशा देख बहकती ये आंखें
न करने की मजबूरी से बहकी है सांसे
चहुँ ओर हाहाकार से बहका है दिल
बहक कर कह रहा पास आके मिल
रो रो के बयां करते हैं बहके येआंसू
कैसे सम्हाले इनको बहक हो रहे रोआँसू
व्यथित दुखित पीड़ा का बहका समन्दर
बाहर से ही बहको न जा सकते है अंदर
महामारी का ये बहकना कब तक चलेगा
बेचारा बहकता हुआ पीड़ित जब तक सहेगा ।

✍️ अनिल राही
ग्वालियर मध्यप्रदेश

13.
अंक 18के लिए

नयी ग़ज़ल से उसे नवाज़ दूँगा
खामोश रह  कर  आवाज़ दूँगा ।
बहुत खुश रहूँगा उसे भुला कर
आशिक़ी को नया रिवाज़  दूँगा ।
ज़िक्र नहीं  करूँगा ज़िंदगी भर
फिक्र  को  नया ये अंदाज़ दूँगा ।
रश्क करेंगे रक़ीब भी मेरे साथ
नफ़रत  करने को  समाज दूँगा ।
ज़ुर्रत कर नहीं सकता दिल भी
अजय इतना उसे  रियाज़ दूँगा ।

- ✍️ अजय प्रसाद

14.
नमन मंच _ साहित्य एक नजर
अंक _ 18
दिनांक _ 28/05/2021
********************
शीर्षक _

रंग दे मोरे चुनरिया ....

श्याम मोरे तू, ये रंग दे मोरी चुनरिया
तोरे ही रंग में, मैं रंग जाऊं सांवरिया,
झूम के मैं नाचूँ,  संग तोरे जो कानन
लहरा के घूमे जो, रंग भरी घाघरिया,
श्याम मोरे तू, ये रंग दे मेरी चुनरिया ।

लाली न भाए मोहे, हरी भी न भाए
तोरे सुरतिया मोरे,ये हृदय में समाए,
मैं जो चाहूं ये रहे,रंग पीत हो वासन
बेसुध हुई मैं,जब बाजे तोरे मुरलिया,
श्याम मोरे तू,ये रंग दे मोरी चुनरिया ।

तोरे मुरली धुन सुन, चुपके  से आई
मोरे उर की धड़कन, है इसने बढ़ाई,
संग तोरे बीते, लागे बहुत ही भावन
तोरे रंग में रंगी मैं, ऐ मोरे रंगरसिया,
श्याम मोरे तू, ये रंग दे मोरे चुनरिया ।

चितवन की डोर तूने,है आके लड़ाई
शर्म आए ये,मुखड़ा चुनरी में छुपाई,
नयनों में बीते जो,संग अपने साजन
तोरे फंदे में जा फंसी, मोरे बाबरिया,
श्याम मोरे तू, ये रंग दे मोरे चुनरिया ।

✍️ अवधेश राय
नई दिल्ली ।
( स्वरचित )

15.

*कविता शीर्षक*

    कोरोना ने क्या दिया ?

हाँ अपने को समझने की समझ,
मानव के विकास की ताकत,
विज्ञान की पहुँच, मेडिकल
साइंस की प्रगति,
आयुर्वेद का विश्वास, लोगों
में परस्पर भ्रातृ भाव,
परस्पर सहयोग की भावना, रोटी बांटना,
सुख -दु:ख बांटना, सहनशक्ति, धैर्य,
मौन, आत्मनिर्भरता, नयी रचना धर्मिता,
आशावादी दृष्टिकोण, मनुष्य का
मनुष्य के प्रति नया दृष्टिकोण ,
सफाई कर्मियों की महत्ता,
कालाबाजारी, लूटपाट,
और न जाने क्या-क्या?
जब कभी मनुष्य जीवन पर
कोई भारी संकट आता है।
वह मनुष्य को बहुत कुछ
नया सिखा जाता है।
जिसकी वह उम्मीद ही नहीं करता,
परंतु मनुष्य भूल बहुत जल्दी जाता है,
और शायद भूलना ही उस के हित में है।
यदि वह भूलेगा नहीं साहब
जिंदगी भर सिरदर्द रहेगा।
इतने भयावह विचार मनुष्य
को जीने नहीं देंगे, वह डरेगा ,
हारेगा,निराशा उसे घेर लेगी ,
फिर चरेवेति-चरेवेति का
सिद्धांत व्यर्थ हो जायेगा।
मनुष्य सभ्यता यहीं सिमट के
रह जाएगी।।।
विकास, विज्ञान, तरक्की,
ऊंचाइयां, खोज, ऊंच-नीच, रिसर्च,
ये सारे शब्द अर्थ विहीन हो जाएंगे ।
न शब्द रहेगा न अर्थ और ना
उसके जानकार। मनुष्य को
मनुष्य बने रहने में फयदा ही फ़ायदा है।
यदि संकट नहीं होगा तो सभ्यता कैसी?
इतिहास कैसे बनेगा? साहब।
मनुष्य ने अपनी साख कैसे बचाई?
यह हमारी आने वाली
पीढ़ी कैसे समझेगी?
तभी तो वह हमारी और
तुम्हारी पीठ थपथपायेंगें।
इसलिए कुछ  नया पाने के लिए
कुछ खोना भी पड़ता है साहब।
पर किसने खोया ?
किस पर फर्क पड़ता है साहब।
हम सब भूल जाएंगे।
हमे भूलना आता है।
हम बडे़ भुलक्ड्ड हैं साहब।।।
===============
✍️ डॉ0 श्याम लाल गौड
सहायक प्रवक्ता
श्री जगद्देव सिंह संस्कृत महाविद्यालय
सप्त ऋषि आश्रम हरिद्वार।

16.
नमन मंच
अंक 18

उठो साथियों कलम उठाओ
देश के पहरेदार बनकर
हर शब्द हर घड़ी हर तरफ
संघर्ष का बिगुल फूंक दो
संघर्ष ही जीवन संघर्ष ही
हमारा हर्ष है, दुःख सुख
जीवन के साथी, हर्ष हो
विषाद हमें क्रांति लानी है।
जीवन हर्ष हमारा साथी है
दुःख है तो स्वर्ग भी आनी
और जानी है शोक विषाद
हमारे अरमान नहीं फिर
भी जीवन एक जुबानी है।
संघर्ष करो तुम ये हिन्द
की सुनहरी कलम माटी है
बदलेगी तस्वीर हमारी
बदलेगी तकदीर हमारी
एक दिन सुख दुःख तो
यारो आना जाना है।
बनेगा जीवन उत्कर्ष हमारा
हर्ष जीवन में आना बाकी है
संघर्ष से तुम हार न मानो
अपनी आवाज को बुलंद करो
संघर्ष को तुम अपनाओ
हर्ष तुम्हे उजाला देगा।
तुम्हारे जीवन में विषाद नहीं होगा
बढ़ते चलो तुम राह में
कांटे हटते जाएंगे, जीवन
हर्ष से भर जाएगा। कलम
में ताकत भर देगा।
नव निर्माण हमें करना है
कलम की ताकत से सबको भरना है,
हर्ष में रहे हम सब, संघर्ष को अपनाना है।

✍️ कैलाश चंद साहू
मो - 9928325840
बूंदी राजस्थान

17.
एहसास हूँ मैं

बिना मेरे मन में न उठती तरंगें
जो मैं न होता,न होती उमंगें
मेरे ही दम पर, करते हो मस्ती
सबसे निराली सदा मेरी हस्ती
हृदय के तुम्हारे सदा पास हूं मैं।
एहसास हूं मैं, एहसास हूँ मैं।।
कभी मैं हॅसाऊं,कभी मैं रुलाऊं
कभी देश परियों के झूला झुलाऊं
भरी भीड़ में भी मैं कर दूं अकेला
अकेले को भी मैं घुमा देता मेला
उदासी,निराशा,उल्लास हूं मैं।
एहसास हूं मैं, एहसास हूं मैं।।
मै साथी,जीवन में हर एक पल का
हूं मैं ही सहारा, समस्या के हल का
है मुझसे नियंत्रित गतिविधियां सारी
कई रंग मेरे, मैं बहु रुपधारी
मालिक तुम्हारा, नहीं दास हूं मैं।
एहसास हूं मैं, एहसास हूं मैं।।
मस्तिष्क, तन-मन नियंत्रण में मेरे
मैं हर पल प्रभावी,क्या संध्या सवेरे
मेरे ही कारण कोई मन को भाता
और कोई न फूटी आॅखों सुहाता
न समझो पराया, बहुत खास हूं मैं।
एहसास हूँ मैं, एहसास हूं मैं।।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा अनिल
धामपुर उत्तर प्रदेश
संपादक - ई प्रकाशन अभिव्यक्ति

      

18.

- झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां-

चाहत हुस्न की है और प्रेम
ज़बरदस्ती है यहां,
मोहब्बत की आड़ में नफरत
भरी मस्ती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
पेश आते हैं ऐसे जैसे इनका
दिल बहुत साफ है,
बनावटी चेहरे हैं और बनावटी
लोगों की हस्ती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
जाल इतने प्यार से फेंकते हैं मछुआरे जिसमें,
मासूम और भोली मछली फसती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
नोच खाते हैं लोग उसे इस कदर,
लोगों में सिर्फ हवस ही बसती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
तड़पता छोड़ देते हैं रास्ते पर उसे,
अब तो तन्हाई भी उसे डसती है यहां||
झूठें हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
मार देते हैं लोग सच को पैसे के लिए,
झूठ महंगा है और सच्चाई सस्ती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
कयामत ने छीन लिया उससे रूप रंग उसका,
अब उसे देख ये दुनिया हंसती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
यह मंजर देख दिल दहल गया सागर का,
मंजिल दूर है और टूटी कश्ती है यहाँ ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||

- ✍️  वीरेंद्र सागर
- शिवपुरी मध्य प्रदेश

19.
नमन मंच
अंक :-18
दिनांक :- 27/5/2021
शीर्षक:-
वादा

तुझ से बस एक वादा चाहिए
ना तुझ से कम ना ज्यादा चाहिए।।
हरपल मुझे तेरा प्यार चाहिए
सिर्फ इस जन्म नहीं हरबार चाहीए।।
कर वादा तू रहेगी साथ मेरे
तफ़रीह में रहूँ या रहे गर्दिश घेरे।।
सदा मुस्कुराना आँखों में आँसू ना लाना
संग हूँ तेरे हरदम, है मुझे तेरा साथ निभाना।।

✍️ संतोष सिंह राजपुत
मेदिनीनगर, पलामु , झारखण्ड।।

20.
अंक-18
डाॅ पल्लवी कुमारी"पाम
अनिसाबाद, पटना,बिहार

जीवन जो ईश का वरदान है।

जी लीजिए ~
कि जब तक सांसें साथ हैं।
ओज है••
धड़कनों में स्पंदन और
शिराओं में प्रवाह है।
मत  धकेलिए अपने को•••
करूण स्थिति में;
जहां सिर्फ दूसरों की आस है।
तम बन जो ह्रदय को जकङा है।
धुंध की मानिंद गहरा है~
इसे मिटा
नभ पटल पर अंशुमाली
सा दमकिए।
कि तम बहुत प्रगाढ़ है।
जब तक बाजुओं में
जोर है•••• जी लीजिए कि
विवशता चहुंओर है।
मत धकेलिए अपने को•••
जहां सिर्फ दूसरों की आस है।
वह दूर जो सविता उदित है;
किस हेतु अपना प्रकाश फैला रही•••
स्वंय को नित जला रही ~
धुंध हटा , दमक रही।
जीवन के अणु को प्रकंपित कर रही।
इसका सम्मान तो कीजिए।
जीवन है वरदान जी लीजिए ~
की जीवन की अनदेखी
स्वंय ईश का तिरस्कार है।
अपनी  बिगङी बना लीजिए
कि जब तक सांसें में ओज है
संवर जाइए और संवार दीजिए।

  ✍ पल्लवी कुमारी "पाम "
अनिसाबाद, पटना, बिहार
21.

कोरोना तू जिंदगी का जंग हो गया....

कोरोना तू जिंदगी का जंग हो गया,
तेरा ये कहर देख मैं दंग हो गया,
सभी हंसते मुस्कुराते थे लोग यहां
पर जिंदगी में लोहे सा जंग हो गया।
गरीबों का फांसी का फंदा हो गया,
नेताओं का बेदाग सा धंधा हो गया,
पेड़ पौधे बेजुबां खुश बहुत है मगर
जुबानी गलों का अब तू फंदा हो गया।
स्कूल कॉलेज जाना सब सपना हो गया,
बच्चे सब एकलव्य ,इंटरनेट द्रोण हो गया,
मंदिर में न इंशा है, मस्जिद में न अल्लाह
पत्थर भगवान नहीं सिद्ध कोरोना हो गया।
कोरोना तू डॉक्टरों का धंधा हो गया,
मरीजों का फांसी का फंदा हो गया,
मास्क न लगाना हजारों का जुर्माना है
मगर पुलिस का 500 का चंदा हो गया।

लेखक– ✍️ धीरेंद्र सिंह नागा
ग्राम -जवई, तिल्हापुर,
(कौशांबी )उत्तर प्रदेश - 212218

22.
नमन मंच
अंक - 18.
28/5/2021.
     *

🇮🇳 राष्ट्रगान. 🇮🇳
-----------
मैं राष्ट्र जन हूँ
नि:शब्द का शब्द हूँ
हवाओं की पगध्वनि से
झंकृत शाश्वत सत्य हूँ.
निश्चिंत खड़े पहाड़ की
जीवन की जिजीविषा हूँ
तलहटी में अविरल बहता                     
कलकल निनादित जल हूँ
तरू पत्रों के हरियाली की
आश्वस्ति का उत्स हूँ.
एकांतिक निर्जन वन के
मौन की वाचलता हूँ
आसमानी परिंदों का
गीत गाता प्रलाप हूँ.
उषाकाल में विहंसती
उष्मा से लेती उग्रता
सर्द रातों की टपकती
ओस की बूंद हूँ.
श्रमस्वेद से गदराई
स्वर्ण बालियां हूं
चिमनियों की धुआँ हूँ
तिरंगे की पहचान हूँ.
शवदाह गृह के ताप से
अपनी अस्मिता जलाते
पेट की आग बुझाती
चुल्हे की आग हूँ
अस्मिता से आबद्ध
मैं ही तो राष्ट्रगान हूँ.

@  ✍️ अजय कुमार झा.
   6/5/2021.

23.
शीर्षक :
युवा

उठो जागो रुको नहीं,
देश का भविष्य हो तुम युवा,
रूकावटों से डरो नहीं,
छोड़ दो सारे व्यसन,
तुमको सशक्त राष्ट्र का
निर्माण करते जाना है,
स्वस्थ समाज के
सृजनकर्ता हो तुम युवा,
लक्ष्य प्राप्ति तक रुको नहीं,
आध्यात्म हो या हो विज्ञान ,
हर क्षेत्र में नाम दर्ज कराना है,
भारत को आत्मनिर्भर व
बलशाली बनाना है,
रोको तकनीक -ए-
विज्ञान का दुरुपयोग,
नया अविष्कारिक आयाम
स्थापित कर दिखाना है,
जुड़े रहो संस्कारो से,
आगामी पीढ़ी के लिए
आदर्श बन जाना है,
सर्वत्र भारत का झंडा
चमका कर,
उगता रवि बन प्रकाशवान
हो  जाना है,
उठो युवा रूको नहीं,
प्रतिदिन नव्य कीर्तिमान बनाना है।

-- इं. निशांत सक्सेना "आहान" ✍️...

24.

जिंदगी उत्साह है उमंग है,
ये जीवित रहने की तरंग है।
इसलिये मस्त और व्यस्त रहिये,
क्यूंकि जीवन की यही पतंग है।।
क्यूँ हैरान और परेशान हो,
   क्यूँ जिंदगी से अन्जान हो।
  ये चलेगी अपनी ही रवानी से,
समझो तुम तो केवल इंसान हो।।
नासमझी में समझ को देखो,
समझ से नासमझी को लेखो।
तुम वीर हो धीर और गंभीर हो,
तुम हर किसी की पीर को देखो।।
   जिस दिन अपना दुःख दर्द,
  और दास्तान भूल जावोगे।
उस दिन एक अनेको में,
    नेक इंसान कहलावोगे।।

✍️ डॉ. जनार्दन प्रसाद कैरवान
       प्रभारी प्रधानाचार्य
श्री मुनीश्वर वेदाङ्ग महाविद्यालय ऋषिकेश
     उत्तराखंड

25.

गीत  - अब तक हैं कितने दर्द सहे
  
जन्नत का चैन सुकून लगे,
अब फिर से लौट के आयेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,
इतिहास भुला ना पायेगा।।
कितनी सूनी हुई गोद,
राखी की मिटि कलाइयाँ थी।
सिन्दूर तरसता रहा माँग,
मातम की बस परछाइयाँ थी।।
नन्ही सी जान यूँ बिलखे ,
माँ का प्यार सुला ना पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,
इतिहास भुला ना पायेगा।।
अब तक तो खेली थी होली,
खून भरी पिचकारी से।
गद्दारों ने बहुत डराया,
पत्थर की बम बारी से।
अब की बार जो करी,
हिमाकत कोई छुड़ा ना पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,
इतिहास भुला ना पायेगा।।
बहुत हो गई आँख-मिचौनी,
दुश्मन तो अब देख लिया।
करता चिकनी चुपड़ी बातें ,
ढोंगी का तूने भेष लिया।।
लगा आग अब ऐसी दें हम,
बुझा नहीं कोई  पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे ,
इतिहास भुला ना पायेगा।।
घाटी में अब रण ना हो,खिलती
यूँ ही रहेंगीं वादियाँ।
ना कोई गद्दार बने,गूँजेंगी
फिर शहनाईयाँ ।।
लहराएगा सदा तिरंगा,
कोई झुका ना पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे ,
इतिहास भुला ना पायेगा।।
जन्नत का चैन सुकून लगे,
अब फिर से लौट के आयेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,
इतिहास भुला ना पायेगा।।

✍शायर देव मेहरानियाँ
   अलवर,राजस्थान
(शायर, कवि व गीतकार)
     7891640945

26.
छा गये फिजा में है बादल

छा गए फिजा में है बादल
चल पड़ी है भीनी मंद पवन
छा गए ............
मद्धिम सी शीतल लहर चली
बाहर से अंतरमन बदली
छा गई मधुर मुस्कान स्वयं
नेह छलकते मधुर नयन
छा गए.......
ये होंठ वर्षा बूँदे चाहें
मन करता फैला दूँ बाहे
वर्षा जल में मै भीगूँ
धुल जाए मेरा तन मन
छा गए.......
कोयल बोल रही डाली
मयूर नाचता हरियाली
मन है संगीत हिलोरों का
मै भी गाऊँ प्रेम ग़ज़ल
छा गए......
वर्षा ने आ मदहोश किया
झूमू नाचूँ ये जोश दिया
मैंने भी मित्रता कर डाली
संग क्रीड़ा में हुई मगन
छा गए .....
छा गए फिजा में है बादल
चल पड़ी है भीनी मंद पवन

✍️ सरिता त्रिपाठी ' मानसी '
सांगीपुर, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

27.
सुरेश शर्मा
नमन मंच-साहित्य एक नज़र
अंक-18
दिनाँक-28-05-21
विधा-कविता

    🙏   माँ 🙏

बचपन में कस कर दो चोटियाँ बनाना,
वो लँगड़ी-टाँग खेलते बीच में बुलाना,
बड़ा बुरा लगता था--–
कुछ बड़ी हुई तो अकेले में बैठ जाना,
"कहाँ मर गई", तल्ख़ लहज़े में बुलाना,
बड़ा बुरा लगता था---
"कॉलेज से सीधी घर पर ही आना,
देख! किसी सहेली के
यहाँ न निकल जाना",
बड़ा बुरा लगता था------
कितना चुभता था तब,
नाराज़गी से बड़बड़ाना,
पर ऐसे ही सिखाती हैं
माँएं, बेटी को माँ बनाना,
अच्छा लगता है ---??

✍️ सुरेश शर्मा

28.
स्वरचित

     🌹मन का गुलाब 🌹

मन का गुलाब तब  खिलता है
दिल को अपना जब मिलता है
कुछ भी असंभव नही दुनिया में
करो कोशिश तो सब मिलता है
भक्ति हो सच्ची पूजा हो पवित्र
तो पत्थरों मे भी रब मिलता है
हाथों की लकीरों से नही,करो
जी तोड़ मेहनत तब मिलता है
मंदिर जाने  से नही  यहां "धीर"
मन की पवित्रता से सब मिलता है

✍️   मंजुला धीर
        नीमच (मध्य प्रदेश)

29.
विषय--

बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा है ,बौद्ध
धर्म का प्रमुख त्योहार,
बैसाख माह की पूर्णिमा को ,
यह दिन आता खास।
गोतम बुद्ध जी ने लिया था,
इस दिन अवतार,
इसीदिन गौतम बुद्ध जी ने
,लिया था महानिर्वाण।
ज्ञान प्राप्ति भी गौतम बुद्ध जी को,
हुई थी इस दिन खास,
उन्नतीस  वर्ष की आयु में ,महात्मा
बुद्ध जी ने लिया था संन्यास।
गौतम बुद्ध जी को मानते हैं ,
विष्णु जी का नवां अवतार,
पीपल वृक्ष के नीचे 6 वर्ष तक,
बुद्ध जी ने कठिन तपस्या की थी।
बोधगया में भगवान गौतम बुद्ध
ने ,पाई सत्य की दीक्षा थी,
भगवान गौतम बुद्ध का जन्म
,सत्य का ज्ञान ,और महानिर्वाण,
एक ही दिन वैशाख
पूर्णिमा को है आता।
इसलिए वैशाख महीना में ,पूर्णिमा
के दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाया जाता,
चीन, नेपाल ,श्रीलंका ,विश्व के
कई देशों में, बुद्ध जयंती मनाई जाती ।
बिहार का बोध गया ,हिंदुओं
की पवित्र धार्मिक स्थली मानी जाती,
कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा का,
मेला लगता अति भारी।
बुद्धपूर्णिमा की आप सभी को देती हूं,
हार्दिक हार्दिक बधाई।।

✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम

30.
परम् आदरणीय प्रकाशक महोदय यह
सामग्री दिनाँक 27/05/2021 हेतु है।
फोटो आपके पास उपलब्ध है।

व्याकरण

तुम एक अति प्राचीन
महिला हो किन्तु
एक नई नवेली दुल्हन सी
तुम्हारा नाम है
संज्ञा
सर्वनाम की गोटेदार ओढ़े चुनरिया
क्रिया का सुन्दर पोल्का
कर्म के कुचों को ढके
विशेषण युक्त चाल पर
मचल रहा है मदन जिसमें
व्याकरण
तुम्हारी अव्यय सी मुस्कान
अलंकारों की बिन्दी
झलक रही है माथे पर
छन्द सी पायल की
छनछनाहट
व्याकरण
तेरी मुक्तक की चार चुटकियाँ
सवैया सा स्वरूप
दोहा जैसी देंह
सोरठा जैसे गुलाबी कपोल
साखी जैसे मधुर शब्द
उलझे हैं रमैनी के
काले - काले केशों पर
व्याकरण
तुम उपसर्ग और प्रत्यय के
नाज़ुक होंठों से
सन्धि जैसी मधुर अभिव्यक्ति
सरसा रही हो
समासो की कामुकता
रसों से सुरमाई कंटीले नैनों से
चला रही हो
तीखे - तीखे शबद जैसे बाण
व्याकरण
तुम शर्मा रही हो
अपने मनोरम श्रृंगार पर
बढ़ रही हो धीरे-धीरे
कुण्डलियों के सहारे
क्यों हो रही हो ओझल
हमारे मानस पटल से
व्याकरण तुम ---!

✍️ रामकरण साहू "सजल"
बबेरू (बाँदा) उ०प्र०

31.

यास तूफ़ान का नँगा नाच ।

"यास " क्यों कर रहे हो नाश
पहले से ही तैर रही है लाश
   सब चुनौतियों से ही जूझ रहे हैं
बचने के तरकीब बूझ रहे हैं
अचानक इस कदर तेरा आना
दिल के दर्द को खूब चुभाना
आँसुओं का सैलाब बहाना
मंजर मौत का नँगा नाच दिखाना
वह भी आपदाओं के इस साल में
ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल में
तूने सबको चौकन्ना कर दिया है
तूने ऐसा दानवी रूप लिया है
पहले भी तेरे,कितने आए भाई
सभी ने तबाही ,खूब मचाई
तमाचा जड़ा ,आदमी के गाल में
आदमी मजबूत हुआ, हरहाल में
इरादों का बनता है, रोज़ चट्टान
रोज़ जन्म लेता है, अंदर का ज्ञान
जिजीविषा को मारता नहीं है
आदमी हारकर भी हारता नहीं है ।

    ✍️  नेतलाल प्रसाद यादव (हिंदी शिक्षक)
उत्क्रमित उच्च विद्यालय शहरपुरा,
जमुआ,गिरिडीह , झारखंड ।
यह मेरी कविता मौलिक और अप्रकाशित  है ।

साहित्य एक नज़र 🌅
दिनांक :- 28/05/2021
दिवस :- शुक्रवार
जय माँ सरस्वती , श्री गणेशाय नमः ,

विषय--"बड़ी देर कर दी"

सनम आते-आते,
"बड़ी देर कर दी",
इंतजार में तेरे...
नैना राह निहारे...,
अब तो आ जाओ,
प्रियवर.....,
" बड़ी देर कर दी"..।

सांसें थम ना जाए...,
डरती हूं....,
सनम तुम्हे एक नजर....,
देखने को तरसती हूं...
दरवाजे से  ये,आंखें हटती नहीं...
सनम अब आ जाओ ,
   "बड़ी देर कर दी "....।

तेरा -मेरा नाता ही ,कुछ ऐसा है..,
चाह कर भी मन से, नहीं उतरता है,
छोटी सी बात पर  ....,
ऐसी क्या नाराजगी ....,
अब  तो सनम ,आ जाओ...,
"बड़ी देर कर दी"....।

✍️ रंजना बिनानी" काव्या"
गोलाघाट असम

माहेश्वरी साहित्यकार मंच
https://www.facebook.com/ranjana.binani.9/videos/2936617409959244/?sfnsn=wiwspwa

आ. रंजना बिनानी जी
जय मां शारदे 🙏
     माहेश्वरी साहित्यकार मंच  द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला मासिक धर्म स्वच्छता दिवस जागरूकता पर प्रस्तुत है मेरी चंद लाईनें ....

यूट्यूब -
https://youtu.be/K17jcEVWE30
साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका है । रोशन कुमार झा संपादक एवं आ. प्रमोद ठाकुर जी इस पत्रिका के सह संपादक है । साहित्य एक नज़र पत्रिका का शुभारंभ मंगलवार 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा , सहयोगी सदस्य  आ. आशीष कुमार झा जी , आ. रोबीन कुमार झा जी , आ. पूजा कुमारी , आ. ज्योति झा जी , आ. प्रवीण झा, आ. नेहा भगत , आ. कवि श्रवण कुमार जी , आ. धर्मेन्द्र साह जी एवं आ. मोनू सिंह जी हैं ।।

अंक - 18
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ifjz/

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अंक - 17
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अंक - 16
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अंक - 19 से 21 के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -

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अंक - 18
28 मई 2021
   शुक्रवार
ज्येष्ठ कृष्ण 2 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  12 ( आ. पूजा सिंह जी  )
कुल पृष्ठ - 13

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 18
Sahitya Ek Nazar
28 May , 2021 ,  Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
28 मई 2021 ,  शुक्रवार


अंक - 18 🌅
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साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
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विश्व साहित्य संस्थान
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अंक - 17
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/17-27052021.html

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अंक - 16
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/16-26052021.html

वृहस्पतिवार , 27/05/2021

अंक - 18 🌅
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/18-28052021.html

28/05/2021 , शुक्रवार , आनंद जन्मदिन

कविता :- 20(11)

अंक - 19
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/19-29052021.html


अंक - 20

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/20-30052021.html

अंक - 21

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/21-31052021.html

अंक - 1
11/05/2021 , मंगलवार ,
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अंक - 2
https://online.fliphtml5.com/axiwx/gtkd/?1620827308013#p=2
अंक - 3
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अंक - 4
https://online.fliphtml5.com/axiwx/chzn/
आहुति पुस्तक
https://youtu.be/UG3JXojSLAQ

कविता :- 20(00)
https://youtu.be/GCdTyK_PQJo

अंक - 5
https://online.fliphtml5.com/axiwx/qcja/
अंक - 6
https://online.fliphtml5.com/axiwx/duny/

अंक - 7
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https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/

अंक - 8
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अंक - 9
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अंक - 10
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अंक - 11
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अंक - 12
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अंक - 13
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अंक - 14
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अंक - 15
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सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
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साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
https://youtu.be/OYbndkLltK8
मिथिलाक्षर भाग - 3
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html
मिथिलाक्षर भाग - 2
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर भाग - 1
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विश्व साहित्य संस्थान
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संचालक :-
रोशन कुमार झा
मो - 6290640716

कविता :- 20(09)
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साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
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विश्व साहित्य संस्थान
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अंक - 17
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https://online.fliphtml5.com/axiwx/gyjn/
कविता :- 20(07)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2007-15-25052021.html
अंक - 16
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/16-26052021.html

वृहस्पतिवार , 27/05/2021
कविता :- 20(10)
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अंक - 18 🌅
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28/05/2021 , शुक्रवार , आनंद जन्मदिन

कविता :- 20(11)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2011-29052021-19.html
अंक - 19
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/19-29052021.html

कविता :- 20(12)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2012-30052021-20.html

अंक - 20

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/20-30052021.html

कविता :- 20(13)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/20-13-31052021-21.html
अंक - 21

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/21-31052021.html

कोलफील्ड मिरर आसनसोल
29/05/2021 , शनिवार को प्रकाशित

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