कविता :-16(28) हिन्दी :- 10(07) व नदी की जीवन:- भारत एक नज़र में प्रकाशित कविता :-

कविता  :-16(28) हिन्दी :-10(07) नदी :-भारत एक
नज़र में प्रकाशित कविता ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳

-:  हे ‌।  माता क्या लिखूं तेरे बारे   !:-

तू ही मेरी भाग्य विधाता ,
तू नहीं तो हम रह न पाता !
आज मां तुम्हारी दिन दुनिया मनाता ,
बोल मां क्या लिखूं तेरे बारे में ,
हाथ में कलम खोल कर रखा हूं खाता ‌।।

तू नहीं तो हम रोशन को सुपथ राह कौन दिखाता ,
विष-सुधा व सही ग़लत कौन बतलाता ।
क्या वर्णन करूं हम रोशन, तू पूनम हमारी माता ,
तुम्हारी सिवा व्यर्थ है दुनिया की सारी नाता !

तू ही मेरी मंजिल, तुमसे ही है मेरी प्राण ,
पहले तू , बाद में है मेरे लिए भगवान ।
राहुल,राजन,तनु , हूं हम भाई-बहन तेरी संतान ,
आज बहुत आनंद हूं बोल मां क्या करूं तेरी बखान !!

हम फूल, हमें तू निर्मल जल से की पुलकित ,
कैसे भूलूं वह सब दिन मां जो गई बीत ।
चलना सीखाई ,बतलाई हार और जीत ,
मां तुम्हारे लिए यही मेरी दो बात है,
इसे कविता कहो या कहो गीत ।।

                  🙏 धन्यवाद ! 💐🌹

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
09-05-2020  शनिवार 00:01 मो:-6290640716
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha
कविता :-10(007) हिन्दी

-: मां सुन लो मेरी कविता !:-

मां मैं लिखा हूं एक कविता ,
सुन लो मेरी कविता !
कैसे सुनू बेटा मैं तेरी कविता ,
भुखमरी, बेरोजगारी से जल रही है चिता ,
कैसे सुनूं बेटा मैं तेरी कविता !

जाओ कविता पापा को सुनाना ,
तब तक मैं बनाकर रख रहीं हूं खाना !

पापा-पापा मैं लिखा हूं एक कविता ,
बोल बेटा कहां से जीता !
जीता नहीं पापा मैं लिखा हूं एक कविता ,

कहां है अब राम और सीता ,
ना पापा राम-सीता नहीं , मैं लिखा हूं एक कविता !

अरे ! खाना जुटता ही नहीं , मैं कैसे शराब पीता ,
न-न पापा आप शराबी नहीं, मैं लिखा हूं एक कविता !

अच्छा कविता,
सुनाओ वही सुनाना जो मेरे जीवन में बीता !
बस-बस पापा वैसा ही कविता !!

सूर्य के रोशन, चांद सितारों की शीतलता में आप
पर रहीं भुखमरी की ताप ,
उसके बावजूद भी बड़े स्नेह से हमें पाले पापा आप !

बड़े संघर्षमय से आपकी जिन्दगी बीता ,
हमें रहा नहीं गया, पापा
बस आप पर लिख बैठे एक कविता !!

               🙏 धन्यवाद ! 💐🌹

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
02-01-2019 बुधवार  07:50
Intex मोबाइल से कविता:-10(007) होना चाहिए
:- 10(07) मां सुन लो मेरी कविता !
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha
03-05-2020 रविवार  मो:-6290640716
[11/05, 08:16] R: मां सुन लो मेरी कविता Maa sun lo meri kavita >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/maa-sun-lo-meri-kavita.html
R: माता क्या लिखूं तेरे बारे Maata kya likhu tere baare >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/maata-kya-likhu-tere-baare.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1607-1007.html
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha
https://www.rachanakar.org/2020/05/2_10.html   (60) में 57 अगला बार 36 में 27
(98) :-15(85)
https://www.rachanakar.org/2020/04/blog-post_476.html
##### भारत एक नज़र #######

कविता :-
नदी की जीवन

पर्वत से जन्म लेती हूं ,
वही रहती मेरी बचपना की उमंग
तीव्र गति से आगे बढ़ती ,
मार्ग में आये बड़े - बड़े पत्थर दूर फेक

फिर आती समतल भाग में ,
नई गति से भागती हूं
अनेक मंदिर, घाटी , ब्रीज ,
को पीछे छोड़ते जाते ।।

उनके मार्ग में कितने
नहरे- नालियां मिलती
सभी को अपनी सहेली बना लेती ,
उसे भी अपने साथ ले जाती
पर्वत से जन्म लेती हूं ,
मार्ग में जीवन बिताती हूं ।
अन्त समय में गति रुक जाती कम
फिर सागर में मोक्ष पा लेती हूं .

रोशन कुमार झा
    कक्षा: 12
विद्यालय: सलकिया
    विक्रम विद्यालय
भारत एक नज़र कोलकाता समाचार पत्र में
प्रकाशित पहली (दुसरी )  कविता :- रविवार
18 सितम्बर 2016 (मो :- 6290640716 )
11-05-2020  सोमवार कविता:-16(28)
नदी की जीवन :- भारत एक नज़र https://www.sahity.com/hindi-poems/%e0%a4%a8%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%
######  रोशन कुमार झा 🇮🇳  #########
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1597-1598-1585.html
14(89)  https://youtu.be/bLDymqXZQlg
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1627-919-1461-1489_10.html
https://kalamlive.blogspot.com/2020/05/kisi-beta-ka-beta-hu-to-kisi-ka-pota-hun.html
तीसरी वीं बंगाल बटालियन एनसीसी के सी.ए.टी.सी >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/blog-post_10.html  R: 19 वीं बंगाल बटालियन सी.ए. टी. सी-15 की रचना >>
http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/19-15.html
10-05-2020 रविवार 00:25 ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
http://kavyaaprajita.in/काव्यांकुर/श्री-रोशन-कुमार-झा/


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