कविता :- 19(99) , सोमवार , 17/05/2021 , अंक - 7 , साहित्य एक नज़र 🌅
कविता :- 19(99)
दिनांक :- 17/05/2021 , सोमवार
विषय :- हम धरती के संतान है ,
हम धरती के संतान है ,
पवित्र हमारा जन्मस्थान है ।
जहाँ राम , कृष्ण भगवान है ,
कर कर्म , कर्म करने वाला हम इंसान है ।
कला और विज्ञान है ,
सीखाने के लिए विद्वान हैं ।
सच में हमारा देश महान ,
हम हिन्दुस्तानी
देश हमारा हिन्दुस्तान है ।
धरती के हम संतान है ,
धरती से ही हमारा मान है ।
सीखना और हमें ज्ञान है ,
क्योंकि धरती पर
हम बुद्धिजीवी इंसान है ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 19(99)
17/05/2021
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 7
मिथिलाक्षर परीक्षा आज दूसरी बार
77/R Mirpara Road Liluah Howrah Ashirbad Bhawan
फेसबुक -2
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फेसबुक - 1
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विश्व साहित्य संस्थान
https://m.facebook.com/groups/978836735882669/permalink/1221789601587380/
विश्व न्यूज़
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विश्व साहित्य संस्थान पब्लिक
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आ. रोशन कुमार झा जी मीडिया सम्बंधित कार्य क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु माहेश्वरी साहित्यकार मंच की ओर से सम्मानित करते हुए हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे।
यूँ ही आपकी सेवाओं से सदा हम लाभान्वित होते रहे ।
#maheshwari #sahityakar
माहेश्वरी साहित्यकार
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कविता :- 19(99)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/1999.html
अंक - 7
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/7-17052021.html
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http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/1998.html
अंक - 8
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/8-18052021.html
कविता :- 20(00) , मंगलवार , 18/05/2021
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2000-8-18052021.html
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http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/1996.html
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आ. प्रमोद ठाकुर जी
कविता और गीतों का संग्रह है जो ग्वालियर की सेंटल लाइव्रेरी मैं लोग बड़ी चाव से पड़ रहे है। मैं सिर्फ कह नही राह हूँ आप नेट से लाइव्रेरी नम्बर निकल कर तस्दीक कर सकते है और अमेज़न पर भी उपलब्ध है।
वो अपने आपको मुसलमान बतायें,
तुम अपने आपको हिन्दू बताओं।
होना है जिस मिट्टी में दफ़न,
पहले तुम उसकी जात बताओं।
प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर(मध्यप्रदेश)
[17/05, 6:34 AM] प्रमोद ठाकुर: ये कल की मैगज़ीन की लिए है
[17/05, 6:35 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज ?
[17/05, 6:40 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍👍👍
[17/05, 6:40 AM] प्रमोद ठाकुर: जी आज मैं भूल गया था
[17/05, 6:41 AM] प्रमोद ठाकुर: अगर आपको ठीक लगे तो
[17/05, 6:42 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी आपका ही तो पत्रिका है आदरणीय श्री 🙏💐
[17/05, 6:42 AM] प्रमोद ठाकुर: सर मैं ग्रुप से और लोगों को जोड़ दूँ अगर आप आदेश करें तो
[17/05, 6:43 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप एडमिन है जरूर
[17/05, 6:43 AM] प्रमोद ठाकुर: जी जोड़ता हूँ
[17/05, 7:04 AM] प्रमोद ठाकुर: सर 95 लोगों को जोड़ दिया जिसमें मेरे ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, रूस , यूनाइटेड अमेरिका और ओमान के लोग भी है।
[17/05, 7:19 AM] प्रमोद ठाकुर: जी आप सभी को मैं इस ग्रुप से जोड़ा है जिससे आप लोगों को लेखन के क्षेत्र में एक आयाम मिल सके ये हमारी दैनिक ई पत्रिका हैं। आप सभी अपनी रचनायें नियमित भेज सकते जो दैनिक पत्रिका में प्रकाशित होगी। अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो क्षमा चाहता हूँ जो भी ग्रुप छोड़ना चाहे छोड़ सकता है कोई दबाब नहीं है। मैं फिर क्षमा चाहता हूँ
प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
[17/05, 7:20 AM] : कौन हो, कहां से हो, ग्रुप में मुझे Add क्यूं कर लिया
[17/05, 7:21 AM] प्रमोद ठाकुर: आप मेरा फेस बुक प्रोफाइल चेक कर लीजिये पहचान जाये गे और अगर ग्रुप छोड़ना चाहते है तो छोड़ सकते है
[17/05, 7:23 AM] : रचनाऐं छपवाने के लिए क्या process है
[17/05, 7:24 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य एक नज़र
[17/05, 7:24 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां आप अपनी रचनाएं भेजिए
[17/05, 7:24 AM] : किस किस विष्य पर लिखी रचनाऐं आप छापते हैं
[17/05, 7:24 AM] प्रमोद ठाकुर: इसी ग्रुप मैं भेज सकते है। अच्छी रचनाओं को पत्रिका में स्थान दिया जाएगा ये दैनिक ई पत्रिका है।
[17/05, 7:25 AM] प्रमोद ठाकुर: किसी भी विषय पर परन्तु राजनैतिक न हो।
[17/05, 7:26 AM] : मतलब कोई शुल्क तो नहीं है
[17/05, 7:26 AM] प्रमोद ठाकुर: जी नहीं
[17/05, 7:26 AM] : आभार सर जी
[17/05, 7:27 AM] : धन्यवाद सर जी
[17/05, 7:29 AM] : ग्रुप में भेजने से रचनाऐं चोरी होने का खतराहै, अपना पर्सनल whatapp number दो
[17/05, 8:35 AM] : सुप्रभात
आशा है यह ग्रुप प्रगति के पथ पर अग्रसर रहेगा
मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
डॉक्टर देवेंद्र तोमर
अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष
विश्व साहित्य सेवा संस्थान
[17/05, 9:06 AM] प्रमोद ठाकुर: जी डॉक्टर साहब बस आप आशीर्वाद बनायें रखिये अपने अज्ञानी भी पर
[17/05, 9:37 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 धन्यवाद सह सादर आभार 🙏 आशीर्वाद बना रहें ।
[17/05, 9:57 AM] प्रमोद ठाकुर: आदरणीय ये रचना आज की पत्रिका में दे दूँ
[17/05, 10:04 AM] प्रमोद ठाकुर: सभी रचनाकारों से निवेदन है कि रचना के अंत मे नाम एवं जगह का नाम जरूर लिखें ये मेरी विनम्र प्रार्थना है।
[17/05, 10:13 AM] प्रमोद ठाकुर: ग्रुप के सम्मानीय सदस्यों से गुज़ारिश है कि अपनी रचना, गीत, लेख केवल 12 बजे तक ही भेजे 12 बजे के बाद मिलने बाली प्रविष्टियां फिर कल की पत्रिका में प्रकाशित होगी।
[17/05, 7:48 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद सह सादर आभार योगदान देने के लिए , आपका हम सदैव ऋणी रहेंगे ।
[17/05, 7:48 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात 🙏 सह सादर प्रणाम 🙏💐
[17/05, 7:50 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: इस फेसबुक में आप शामिल होकर औरों को शामिल कीजिए , धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐
[17/05, 7:51 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/?ref=share
[17/05, 8:00 AM] प्रमोद ठाकुर: जी कर दिया
[17/05, 8:03 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी धन्यवाद आपको एडमिड बना दिए ,
[17/05, 8:27 AM] प्रमोद ठाकुर: अरे मुझें सिर्फ काम करने दीजिए कुछ स्कीम है जो हम मिलकर चलायेंगे आज सृजन ऑस्ट्रेलिया 1 साल में कहाँ पहुँच गयी मैं हिंदी सचिवालय मॉरीशस से लिंक करूँ गा।
[17/05, 8:28 AM] प्रमोद ठाकुर: मैं उसका सह सम्पादक हूँ
[17/05, 9:10 AM] प्रमोद ठाकुर: अपने जो लिंक भेजा है वो एक्सपायर दिख रहा है अभी ऑस्ट्रेलिया से डॉक्टर मधु खन्ना जी का मैसेज आया था।
[17/05, 9:36 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: ओह
[17/05, 9:36 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: आपका सादर आभार 🙏💐
[17/05, 9:37 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[17/05, 10:08 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: 12 बजे तक ही रचनाएं व समाचार व आमंत्रित रखिए , 12 बजे से जब तक पत्रिका आ नहीं जाती तब तक ग्रुप को एडमिड करकें रखिए , फिर जब पत्रिका आ जाती है तो पब्लिक कर दीजिए ताकि अगले दिनों के लिए रचनाएं साहित्यकारों भेज सकें । सादर निवेदन ,
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[17/05, 10:34 AM] Baby Dk: Dekhiye bhaiya
[17/05, 10:34 AM] Baby Dk: Mina ko
[17/05, 10:34 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: Haaa
[17/05, 10:34 AM] Baby Dk: Aap dekhe thr
[17/05, 10:34 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: Nhi
[17/05, 10:35 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: Thanks you 🙏💐
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[17/05, 6:30 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-Bb4lqFaADAVbSJL7J6kAi2Qd1dyN-Mrs_l-iN8YTxArPylbkCCAaC34iD4gJ7cLYC0CKkzQwpd81tjBDBzEMFfUI4SXFjZn4IjIAha-5LXJIxqJciemDH2b5XjgkPCgjAuYULha81H0/s2048/CFM+HINDI+++++++++17.+05.2021+8.jpg
धन्यवाद सह सादर आभार 🙏 गुरु जी , निर्णायक समूह में आप हमें शामिल नहीं किए , कोई शंका है क्या गुरु जी 🙏💐 ,
[17/05, 7:19 AM] इंकलाब पत्रिका सागर सर: अरे नही यार याद ही नहीं आया
[17/05, 7:19 AM] इंकलाब पत्रिका सागर सर: कृपया ऐसा कहकर शर्मिंदा न करो
[17/05, 7:20 AM] इंकलाब पत्रिका सागर सर: आपका स्थान हमारे हृदय में है
[17/05, 7:21 AM] इंकलाब पत्रिका सागर सर: https://chat.whatsapp.com/GsVPAcz6rcbH9DstVnGoPW
[17/05, 7:24 AM] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 धन्यवाद सह सादर आभार 🙏 गुरु जी 🙏
इंकलाब मंच को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों को सादर प्रणाम 🙏💐 , संस्थापक महोदय सागर यादव ज़ख्मी जी को सादर आभार 🙏 ।
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[17/05, 7:26 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहिन ओहु के स्वागत अछि अप्पन रचना प्रकाशित क अ सकैछी ।
[17/05, 7:27 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/Csqy8X67NcqIRnbqeFQ0bz
[17/05, 7:28 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/
[17/05, 8:16 PM] ज्योति झा जी: 😇🙏🏼
[17/05, 8:18 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐
[17/05, 4:02 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/ https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/#.YKJFU5FVC0M.whatsapp
[17/05, 4:02 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/
[17/05, 4:05 PM] Prabin Bhaiya: 🙈😃🤗🙏
[17/05, 4:08 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/Csqy8X67NcqIRnbqeFQ0bz
[17/05, 4:08 PM] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏💐
17/05/2021 , सोमवार
https://online.fliphtml5.com/axiwx/duny/
पंजाब इकाई
https://m.facebook.com/groups/244001030419140/permalink/337387191080523/?sfnsn=wiwspmo
साहित्य संगम संस्थान पंजाब इकाई के समस्त पदाधिकारियों एवं सक्रिय सदस्यों साहित्यकारों को सम्मानित किया गया ।
रविवार , 16 मई 2021 को साहित्य संगम संस्थान के संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी की करकमलों से
पंजाब इकाई के पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को सम्मानित किया गया । आ. पूर्णिमा राय जी , आ. राजन लिब्रा जी , आ. सुमन सचदेवा एवं पंकज माहर जी को साहित्य मणि सम्मान से विभूषित किया गया, सक्रिय सदस्यों आ. सुधा चतुर्वेदी जी , आ. त्रिशला गुड्डा जी , आ. निर्मला डोगरे जी , आ. नवीना सोनी जी को उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डाॅ० राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) इकाई की प्रगति में समस्त सर्वाधिक सक्रिय सदस्यों का भी अहम योगदान मानते हैं इसलिए सक्रिय सदस्यों को संगम सलिला से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा , आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर सम्मानित हुए पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को बधाई दिए ।
इंकलाब काव्य महासंग्राम - 1 में प्रथम स्थान प्राप्त किया राजस्थान का नीलम मुकेश वर्मा -
इंकलाब प्रकाशन एवं साहित्यिक मंच मुंबई भारत सरकार द्वारा पंजीकृत MH-18-0063950 . शनिवार 15 मई 2021 को मंच संस्थापक आ. रमाकांत यादव ( सागर यादव ज़ख्मी ) जी सहायक संपादक आ. पिंकी सिंघल जी , डॉ. शिवधनी पांडेय जी को वरिष्ठ समीक्षक एवं मार्गदर्शक, डॉ विनय कुमार श्रीवास्तव जी वरिष्ठ सहयोगी ,मीडिया प्रभारी आ. रवींद्र त्रिपाठी जी व आ. सुरेन्द्र दुबे जी को एवं सह मीडिया प्रभारी रोशन कुमार झा जी व समस्त निर्णायक मंडल के सुझाव से इंकलाब काव्य महासंग्राम - 1 का परिणाम रखा गया , जिसमें राजस्थान के आ. नीलम मुकेश वर्मा , अलीगढ़ के
डॉ अनुज कुमार चौहान जी द्वितीय स्थान व तृतीय स्थान प्राप्त किए इंदौर के आ. प्रीति धीरज जैन जी , सम्मानित साहित्यकारों को इंकलाब मंच के समस्त पदाधिकारियों व साहित्यकारों शुभकामनाएं प्रदान किए ।।
कोलफील्ड मिरर
https://www.facebook.com/947627768756518/posts/1623144027871552/?sfnsn=wiwspmo
https://coalfieldmirror.blogspot.com/2021/05/17-2021-coalfieldmirrorgmailcom.html?m=1
अंक - 7
साहित्य एक नज़र
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
Sahitya Eak Nazar
17 May , 2021 , Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
अंक - 7
17 मई 2021
सोमवार
वैशाख शुक्ल 5 संवत 2078
पृष्ठ - 1
कुल पृष्ठ - 7
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साहित्य संगम संस्थान राजस्थान इकाई के अध्यक्ष पद पर मनोनीत हुए आ. आदरणीय भगवान सहाय मीना जी ।
साहित्य एक नज़र 🌅 , सोमवार , 17/05/2021
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के तत्वावधान में संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री राजवीर सिंह मंत्र जी व कार्यकारी अध्यक्ष आदरणीय कुमार रोहित रोज़ जी के सुझाव व परामर्श पर साहित्य संगम संस्थान की राजस्थान इकाई में हिन्दी विकास के कार्यक्रम में सुयोग्य व सुदृढ़ सहभागिता हेतु आदरणीय भगवान सहाय मीना जी को संस्थान की राजस्थान इकाई के विशिष्ट पद अध्यक्ष के पद पर चयन सुनिश्चित किया गया है। आपकी काबिलियत व साहित्य के प्रति आपकी निष्ठा भावना को देखते हुए संस्थान ने आपको राजस्थान इकाई के अध्यक्ष पद पर मनोनीत करते हुए, संस्थान आपसे राजस्थान इकाई की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से सक्रिय रखने की उम्मीद करता है। आपको राजस्थान इकाई के इस विशेष पदभार ग्रहण हेतु हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं के साथ सह अध्यक्ष आ . मिथलेश सिंह मिलिंद जी मनोनीत किए । महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी , संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा , आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी, आ. सुनीता मुखर्जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों भगवान सहाय मीना जी को बधाई दिए ।
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हिंददेश परिवार अंग्रेजी पत्रिका के लिए हुए निम्न पदाधिकारियों का मनोनीत ।
साहित्य एक नज़र 🌅 , सोमवार , 17/05/2021
रविवार , 16 मई 2021, हिंददेश परिवार के सह अध्यक्ष आ. डॉ स्नेहलता द्विवेदी जी की करकमलों से आ. आराधना प्रियदर्शनी जी को अंग्रेजी पत्रिका का प्रधान संपादिका , आ. कौशल किशोर जी को अंग्रेजी पत्रिका का अध्यक्ष एवं अंग्रेजी पत्रिका का उपाध्यक्ष पद पर आ. नसीम अख्तर जी को मनोनीत किया गया । अध्यक्ष व संस्थापिका आ. डॉ अर्चना पांडेय 'अर्चि' जी , महासचिव आ. बजरंगलाल केजडी़वाल जी , अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रभारी आ. राजेश कुमार पुरोहित जी, पश्चिम बंगाल मीडिया प्रभारी रोशन कुमार झा, हिंददेश परिवार के समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों नव नियुक्त पदाधिकारियों को हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई दिए ।
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सभी साथियों को मेरा नमस्कार। आशा है कि इस महामारी में आप और आपका परिवार सुरक्षित होंगे। प्रभु से प्रार्थना है कि जल्द हम सब लोग इस महामारी को मात देकर पुनः पूर्वावस्था में आ जाएंगे। आप सभी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करें। अगर किसी भी प्रकार की किन्हीं को भी कोई दिक्कत हो तो हमें जरूर बताएं। निश्चित तौर पर मैं आपकी सहायता करूंगा। आप घबराएं नहीं ये वक्त भी गुजर जाएगा। अगर किसी प्रकार की समस्या हो तो मुझे सेवा करने का अवसर दें।*
*आपका विकाश !*
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
मो - 6290640716
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गीत रचना,,,,,,,, जीत बहुत हैं हार बहुत हैं
रचनाकार,,,,,,,,, डॉक्टर देवेंद्र तोमर
जीत बहुत हैं हार बहुत हैं
सपनों के संसार बहुत हैं।
जीवन जीते इस जीवन में
कदम कदम पर धोखे मिलते
लाख जतन कर डालो फिर भी
मन बगिया में फूल न खिलते
आशाओं के उलट दिखाई
जो देते व्यवहार बहुत हैं।
जीत बहुत हैं हार बहुत हैं
सपनों के संसार बहुत हैं।
शहर सड़क पर बाहरवाली
चकाचौंध में सब खोए हैं
एक हताशा एक निराशा
जैसे कंधों पर ढोए हैं
ऊपर से दिख रहे दूधिया
पर भीतर अंधियार बहुत हैं।
जीत बहुत हैं हार बहुत हैं
सपनों के संसार बहुत हैं।
याद रखो कुछ बातें ऐसी
जीवन की जो दिशा बता दें
मकां गली का और सड़क का
फिर मंजिल का तुम्हें पता दें
अनुभव की शाला पड़ने पर
जीने के आसार बहुत हैं।
जीत बहुत हैं हार बहुत हैं
सपनों के संसार बहुत हैं।
जीत बहुत हैं और बहुत हैं
सपनों के संसार बहुत हैं।
✍️ डॉक्टर देवेंद्र तोमर
अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष
विश्व साहित्य सेवा संस्थान
व्हाट्सएप 78281 48403
बातचीत 98276 79982
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
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भाषा :- मैथिली
विधा :- कविता
अहिं हमर आत्मबल,
अहिं जीबनक आधार छी,
अहिं स रूप मिलल,
अहिं स पायोल निज संस्कार छी।
अहिं हमर मायक चूड़ी,कंगन,
बिंदिया आ सुहाग छी
अहिं हुनक सब गहना,
आ सोलहो श्रृंगार छी।
अहिं हमर स्वर्ग स्न घरक ,
पालनहार छी,
अहाँ मनुख रूप म्,
परमात्माक साक्षात् अवतार छी।
अहि हमर आत्मबल......
पितृ-दिवसक हार्दिक शुभकामना!
✍ प्रवीण झा
विश्व साहित्य संस्थान
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
______________________
पिता के बाद,
याद आता है,
बहुत कुछ-
उनका त्याग,
उनकी तपस्या।
हमारी खातिर
हमारी परवरिश हेतु,
हमीं से दूर रह
हर पल
चिंताकुल रहना,
हमारी ज़िद्द भरी भूलो पर,
कुछ न कहना,
उन्हें नजरअंदाज करना।
उलहाना में भी-
प्यार पिरोना।
सच है
पिता आस हैं,
विश्वास है,
परिवार का अभिमान हैं,
उनके बाद ही समझ आता है,
उनके साए में ही,
ज़िंदगी है,
उनके बाद
मंज़र सब सूना
और बेजान है।
✍️ काजल चौधरी
( कानपुर नगर )
( उत्तर प्रदेश )
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
______________________
पुरुष से क ई गुना पुरुष
~~~~~
बीते हुए मातम की यादें
राख की तरह झड़ रही थीं उसकी कल्पना में,
अंधकार भरे दिनों में पैर उठते थे
जैसे मृत्यदंड से पहले
कालकोठरी में ढकेला जाय,
नाउम्मीदी का ढेर बन चुकी निगाहों के बीच
टिमटिमाते तीन बच्चे
जिंदगी और मौत की जंग में
फरिश्तों की तरह थे,
भूख लग लगकर इतनी ज्यादा बुझी
कि सीख गयी वह
अन्न के बगैर भूख को जीत लेना,
चारों ओर माया की तरह बरसती
अकाल मौत की आहटों के बीच
उसका कलेजा मोर्चा बन चुका था,
बच्चों की मुस्कान पाकर पिघल जाता
संकल्प की तरह,
अंखुआते बीज जैसी दूधिया निगाहों में
भय की छाया देखकर
अनजानी चट्टान में तब्दील होने लगता,
सिर से पांव के बीच
धड़कते प्राण की तरह शेष थी
किसी पराजय को कभी हार न मानने वाली ममता,
यकीनन चुनौतियों से दो-दो हाथ करती स्त्री
अपनी कोख के लिए
पुरुष से कयी गुना ज्यादा पुरुष होती है।।।
✍️ भरत प्रसाद
(कवि,आलोचक और कथाकार)
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष
हिन्दी विभाग
पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय
शिलांग-793022
मेघालय
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
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पानी के बारीशो का शोर अक्सर देखा
पर लाशों की बारीशे इस साल देखी
श्मशानों में भी कतार देखी उलझ गई
हे नजर नदियों में बहती लाशे देखी
सवाल कई हैं पर जवाब नहीं अपनों ने
ही बहाई होगी, कोई तो मजबूरी होगी
या धरती मां ने ही अपनी बात कही होगी
शायद उगल दी होगी हर लाश जो दफन हैं
लगता है प्रकृति ने भी सफाई अभियान
चलाया है
जो आया यहां मरण उसने पाया है
पर लाशों की बारीश से मन भर आया है
माना कि एक हिस्सा है हम इस नियम का
पर दर्द अंत हीन होता है देख नजारा तबाही का
नहीं कोई अपना बस ये समय आया है प्रकृति का
✍️ अर्चना जोशी
भोपाल मध्यप्रदेश
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
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एक गज़ल
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जिसे ख़्वाबों में पाला है
बहुत ही वह निराला है
गरीबों से पूछो मत
कि कैसे पेट पाला है
बड़ी इससे भी दौलत क्या
कि दो दिन का निवाला है
वही चुपचाप है जिसने
नया जुमला उछाला है
बदल कर सोच देखा तब
नया रस्ता निकाला है
ख़ुशी मिलती है जिससे वह
तुम्हारा ही रिसाला है
ख़ुदा का नाम हो लब पे
उजाला ही उजाला है
✍️ डॉ. कविता विकास
(कवयित्री व स्तंभकार)
धनबाद (झारखंड) _____
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
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विधा...... कविता
विधार्थी जीवन
एक
तपस्या है
विधार्धी
जीवन
संयम से
जीने की
अवस्था है
और देश के
बेहतर
नागरिक
निर्माण
की प्रावस्था
जो कर सकें
देश के लिए
बेहतर
योगदान
दें सके अपना
बलिदान
भी
समय आने पर
बन सकें
मजबूत
स्तम्भ भारतीय
संस्कृति के
आधार
✍️ डॉ प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
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वो रातें मुझे पसंद है,
वो बातें मुझे पसंद है,
तेरी मुहब्बत की हर,
यादें मुझे पसंद है।
चाँदनी रातों में तेरा,
खूबसूरत दमकता चेहरा,
इन आँखों को बड़ा पसंद है।
बारिश कि बूँदों के बीच,
तेरा,यूँ भीगते जाना,
तेरी हर मुलाकात
में मुझे पसंद है।
हर एक तस्वीर में तेरी,
ये खूबसूरत आँखे
मुझे,पसंद हैं ।
चेहरे पर गिरती लटों को,
यूँ हाथों से फेरना,
भी मुझे पसंद है,
मुहब्बत की बातों पर,
तेरा यूँ मुस्कुराना
मुझे पसंद है.
बातों का तेरी,हर लहजा,
मुझे पसंद है.
✍️ Amulya Ratna Tripathi
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
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राजलक्ष्मी
आज़ाद होने का क्या अर्थ है? ये कोई किसी औरत से पूछे, वो भी उस औरत से जो सही मायने में इसे महसूस करती हो, उस औरत से जो अपने आने वाले कल का इतिहास जानती हो, या उस औरत से जो ईश्वर द्वारा मिली अपनी ही सोच को उसकी ताकत बनाना चाहती हो। मगर अक्सर ऐसा नहीं होता औरत समय और लोगों के अनुसार भेस बदलती है,पूर्वजों के नियमों पर चलना पड़ता है और बस कुछ दिनों के लिए होती है राजलक्ष्मी।
बड़े अरसे बाद लता जी अपने पिता से कुछ भूली-बिसरी कह रही थीं। पिता के गोद में सर रखना उनके लिए ब्रम्हांड का सुख पाना था। उनकी उँगलियों की हल्की-हल्की छुअन बालों को सहला रही थी और लता जी अनंत शांति में लिपटी कभी रो कर कभी हँस कर पिता को सुनाए जा रही थीं-“पापा मैं अकेली हो गई हूँ, प्रत्येक पल मुझे अपनेआप से लड़ना पड़ता है, जीवन की सारी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए मुझे अब थकावट सी होने लगी है। जानते हो पापा! कोई भी लड़की अपने पिता की प्रिंसेस होती है कोई उस पर उँगली भी उठा दे तो बड़े शान से उन्हें सामने खड़ा कर के कहती हैं-जरा उँगली तो उठाओ मैं हूँ अपने पिता की लाडली। “हाँ बेटा इसलिए तो तुम हो मेरी राजलक्ष्मी! लता जी मुस्कुराने लगीं पिता की ठंडी उंगलियाँ उनके बेचैन ललाट को ठंडक पहुँचा रही थी मगर एक झटके में यह क्या लता जी उठकर बैठ जाती हैं “नहीं वे राजलक्ष्मी नहीं होती । वो राज केवल पिता के गोद में करती है,उसके बाद उसका अपना क्या ?वो फलाने की पत्नी होती है, फलाने की माँ होती है,फलाने की भाभी,फलाने की दादी और बहुत कुछ………। साठ सालों के जीवन निर्वाह तक औरत इसी उम्मीद में रहती हैं कि शायद कोई उससे पूछे कि क्या चाहती हो? पैसे और गहनों के मोह ने स्त्री जीवन को बाँध दिया है वे भी बस इतनी ही दूरी की लायक खुद को समझती हैं। हाँ मुझे ऋतुराज जी की एक कविता याद आ रही है-“ वस्त्र और आभूषण बंधन है स्त्री जीवन के, लड़की हो पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।” एक लड़की को उसके अपने ही रूप से अलग क्यों किया जा रहा है? पिता ने मुस्कुराते हुए कहा –“ बेटा तुम सही कह रही हो राजलक्ष्मी तो केवल लक्ष्मी बन कर रह जाती है। पिता की बात अभी अधूरी थी कि 6:30 बजे का अलार्म बजता है। दादी उठिए आपको मुझे बसस्टैंड तक ले जाना है क्या याद नहीं? लता जी के पास उनके पिता नहीं थे और न ही उनकी उंगलियाँ लता जी के बालों को सहला रही थी।अब वे एक पैंसठ साल की झुकी हुई औरत थी जीवन से झुकी हुईं और आठ साल का अरमान उन्हे झकझोरे जा रहा था।
“माँ अरमान को बस्टॉप तक ले जाइए। आपका चलना-फिरना भी हो जाएगा, क्या यूँही हमेशा एक कमरे में बैठी रहती हैं? आपमें तो अपनी भी कुछ समझ होनी चाहिए कि अपने स्वास्थ्य का ध्यान मुझे खुद भी रखना है, केवल लोगों के सामने रोने से क्या होगा कि मैं बीमार हूँ।“ लता जी को पल-पल अपने बोझ होने का अहसास होता था पति के मृत्यु के बाद और कैसी चुप्पी साध ली थी। हाँ दिनभर में कई बार बड़बड़ा जरूर लेती थीं या दवा का डब्बा भूल जाती थीं या बेशक ये भी जानती थीं कि ये आचरण घर के सदस्य को परेशान कर रहा है और कभी कभी ये परेशानी कुछ इन शब्दों में निकल जाती है-“अब रहने दीजिए माँ! सिंहासन खाली कीजिए आपके बाद हमारा भी हक़ यहाँ आपको खाने और पहनने को तो मिल ही रहा है ना फ़िर हर चीज़ में किट--किट करने की क्या ज़रूरत है?” लता जी ने कहा- “सिंहासन कब मिला? क्या ये घर मेरा था? क्या ये घर तुम्हारा भी है? औरतों का कोई घर नहीं होता। वो पलती रहती हैं औरों के अनुशासन पर और ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करती हैं।“
ठीक चार महीने बाद दिनचर्या के अनुसार सुबह 6:30 बजे की चाय उबल रही थी। अलार्म फ़िर से बज रहा था और अरमान दादी को झकझोरे जा रहा था “दादी उठिए बस छूट जाएगी।“ मगर दादी जा चुकी थी, सपनों में एक बार फिर अपने पिता से मिलने जहाँ से वे लौटना नहीं चाहती थीं। अब वे अपना सिंहासन माँग रहीं थी चार कंधों का। परिवार ने बहुत सम्मान से उन्हें उन्ही सिंहासन पर सुलाया और बाजारों की भीड़ को चिड़ते हुए एक ही आवाज़ गूँज रही थी- “राम नाम सत्य है।”अब वे किसी की माँ नहीं, बहन नहीं,पत्नी नहीं।अब वो हैं अपनी सिंहासन की राजलक्ष्मी जिसे कोई छीन नहीं रहा था और छीनना भी नहीं चाहता था।
✍️ पूजा सिंह
मो - 7980761317
09poojasingh@gmail.com
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
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मनहरण घनाक्षरी
(शब्द-कली) के साथ
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बागों में है कली खिली,
दुनिया की खुशी मिली।
अब न कोई है गिला,
जान में जान आई।।
हिय में बहार छाई,
तन लेता अंगड़ाई।
खुशियाँ हजार लाई,
चलती है पूर्वाई।।
काली घनघोर घटा,
बादलों की प्यारी छटा।
बदली बरसती है,
भू की प्यास बुझाई।।
अधरों से छूता रहूँ,
गरमी को सदा सहूँ।
गले से लिपट जाऊँ,
दूर होगी तन्हाई।।
मनसीरत कहता है,
दुख दर्द सहता है।
मन में है चैन नहीं,
नैनो में नीर लाई।।
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✍️ सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 7
सोमवार , 17/05/2021
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मिथिला / मधुबनी पेंटिंग
पूजा कुमारी
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी
राष्ट्रीय सेवा योजना
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 7 , सोमवार , 17/05/2021
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कटुकल्पना कविता और गीतों का काव्य संग्रह है , जिसके संपादक व लेखक आ. प्रमोद ठाकुर जी है ।
जो ग्वालियर की सेंटल लाईब्रेरी (पुस्तकालय ) में लोग बड़ी चाव से पढ़ रहे है। यह पुस्तक अमेज़न पर भी उपलब्ध है। निवेदन है आप सभी सम्मानित पाठकों से कटुकल्पना काव्य संग्रह पुस्तक पढ़कर समीक्षा ज़रूर करें ।
साहित्य एक नज़र 🌅 , सोमवार , 17/05/2021
प्रसिद्ध लेखक आ. सुनील कुमार 'सिंक्रेटिक' जी की
बेहद लोकप्रिय पुस्तक 'बनकिस्सा' की अगली कड़ी 'बात बनेचर' अब अमेज़न पर उपलब्ध है। प्री-आर्डर में डिलीवरी फ्री है।
तो देरी किस बात की । 'बात बनेचर' पुस्तक की कहानियां का रसास्वादन करें प्रिय पाठकों ।
साहित्य एक नज़र 🌅 , सोमवार , 17/05/2021
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विश्व साहित्य सेवा संस्थान शुभकामनाएं प्रेषित किए साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका मंच को ।
साहित्य एक नज़र , सोमवार , 17/05/2021
सुप्रभात
आशा है यह ग्रुप ( साहित्य एक नज़र) प्रगति के पथ पर अग्रसर रहेगा
मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
डॉक्टर देवेंद्र तोमर
अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष
विश्व साहित्य सेवा संस्थान
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वो अपने आपको मुसलमान बतायें,
तुम अपने आपको हिन्दू बताओं।
होना है जिस मिट्टी में दफ़न,
पहले तुम उसकी जात बताओं।
✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर(मध्यप्रदेश)
साहित्य एक नज़र 🌅
सोमवार , 17/05/2021
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अंक - 6
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/6-16052021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/duny/
अंक - 7
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/7-17052021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/ https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/#.YKJFU5FVC0M.whatsapp
https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/
कविता :- 19(99)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/1999.html
अंक -5
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/5-15052021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/qcja/
अंक - 8
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/8-18052021.html
कविता :- 20(00) , मंगलवार , 18/05/2021
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2000-8-18052021.html
सोमवार ,
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/1998.html
राजस्थान अध्यक्ष
https://www.facebook.com/100012727929862/posts/1227085837725669/?sfnsn=wiwspmo
हिंददेश परिवार
https://www.facebook.com/groups/408580406906965/permalink/455544868877185/?sfnsn=wiwspmo
संपादक मंडल
https://www.facebook.com/groups/408580406906965/permalink/455450818886590/?sfnsn=wiwspmo
बात बनेचर पुस्तक
Link-
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साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका साहित्य जगत में दें रहें है योगदान ।
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका साहित्य एक नज़र साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित करके साहित्य की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका में रोशन कुमार झा के साथ ग्वालियर के सम्मानित , लोकप्रिय साहित्यकार आ. प्रमोद ठाकुर जी अहम योगदान दें रहें है । इस पत्रिका का शुभारंभ 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्यकारों के रचनाओं , पेंटिंग ( चित्र ) को निशुल्क में प्रकाशित किया जाता है , आशा है भविष्य में भी साहित्य एक नज़र पत्रिका इसी तरह साहित्य की सेवा करते रहें ।
साहित्य संगम संस्थान डॉ राकेश सक्सेना जी की समीक्षामहे
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विश्व साहित्य संस्थान ( प्रवीण झा )
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कविता :- 20(01)
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आ. रोशन कुमार झा जी मीडिया सम्बंधित कार्य क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु माहेश्वरी साहित्यकार मंच की ओर से सम्मानित करते हुए हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे।
यूँ ही आपकी सेवाओं से सदा हम लाभान्वित होते रहे ।
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माहेश्वरी साहित्यकार
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साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका साहित्य जगत में दें रहें है योगदान ।
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका साहित्य एक नज़र साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , इंकलाब मंच मुंबई , हिंददेश परिवार , विश्व साहित्य संस्थान , विश्व न्यूज़ , विश्व साहित्य सेवा संस्थान एवं अन्य मंचों का साहित्य समाचार प्रकाशित करके साहित्य की सेवा कर रहें हैं , इस पत्रिका में रोशन कुमार झा के साथ ग्वालियर के सम्मानित , लोकप्रिय साहित्यकार आ. प्रमोद ठाकुर जी अहम योगदान दें रहें है । इस पत्रिका का शुभारंभ 11 मई 2021 मंगलवार को हुआ रहा केवल एक सप्ताह में ही यह पत्रिका सोशल मीडिया पर छा गया । इस पत्रिका में साहित्यकारों के रचनाओं , पेंटिंग ( चित्र ) को निशुल्क में प्रकाशित किया जाता है , आशा है भविष्य में भी साहित्य एक नज़र पत्रिका इसी तरह साहित्य की सेवा करते रहें ।