आहुति - रोशन कुमार झा , आहुति क्रमांक - 76/04-2021

रोशन कुमार झा

आहुति

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30/04/2021 , शुक्रवार , कविता :- 19(82)
आ. कलावती कर्वा दीदी जी , अध्यक्षा साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

आहुति पुस्तक :-


आहुति पुस्तक

https://youtu.be/-h8wsPMNIr4

पुराने विश्व
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आहुति
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30/04/2021 , शुक्रवार , कविता :- 19(82)
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साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )
अनुज रोशन कुमार झा
जय हिंद , जय हिंदी  ,
आहुति पुस्तक :- परिचय ,
साहित्य संगम संस्थान , नई दिल्ली 
पंजीकृत राष्ट्रीय कार्यालय
एफ-५, विनायक , अपार्टमेंट , संत नगर मेन रोड बुराड़ी , दिल्ली - 110084
पंजीयन संख्या : एस -1801- 2017, नई दिल्ली , आहुति पुस्तक माला आ रोशन कुमार झा जी की आहुति
आहुति क्रमांक :- 76/04-2021
विमोचन दिनांक
कुल पृष्ठ मुख पृष्ठ सहित : 48 ,
पृष्ठ अभिकल्प :- आ. जयश्रीकांत जी
संपादन जयश्रीकांत
संपादक मंडल :- आ. जयश्रीकांत जी , संपादक ,
आ. भारती यादव जी सह संपादक
राष्ट्रीय अध्यक्ष :- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
कार्यकारी अध्यक्ष :- आ. कुमार रोहित रोज़ जी
सह अध्यक्ष :- आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी
पृष्ठांकन :- आ. चंद्रमुखी मेहता जी
संपर्क सूत्र : साहित्य संगम प्रकाशन
आर्य समाज मंदिर 219,
संचार नगर एक्स , इंदौर , म.प्र. 452016
दूरभाष 9977987777
शुभम् भवतु

शुक्रवार , 30/04/2021, कविता :- 19(82)
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आहुति , कैलेंडर
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साहित्य संगम संस्थान , 01/05/2021
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विश्व न्यूज़ , 01/05/2021 , शनिवार

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02/05/2021 , प्रकाशित, रविवार
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विश्व न्यूज़
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साहित्य संगम संस्थान
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नमन :- साहित्य संगम संस्थान

दिनांक :- 03/04/2021

दिवस :- शनिवार , कविता :-19(55)


    आभार - पत्र



माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान को नमन करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम ,

राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह "मंत्र" जी ,  कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी,  सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह "मिलिंद"  जी , पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा दीदी जी संपादक मंडल एवं आप सभी पदाधिकारियों को हृदयतल से कोटि-कोटि धन्यवाद सह सादर आभार ।।


हम कभी सोचें भी नहीं रहें कि मेरी रचनाओं का भी आहुति पुस्तिका बनें व आहुति पुस्तक में मेरी भी रचनाएं हो, आहुति मतलब जो यज्ञ में काम आता है , बोलचाल में हम कहते हैं न आहुति देना है , जी हाँ यह साहित्य आहुति है जिसमें साहित्य संगम संस्थान नि: शुल्क में साहित्यकारों की रचनाओं को लेकर आहुति पुस्तक बनवाते हैं   , कई बार हमें भी साहित्य संगम संस्थान द्वारा सूचित किया गया रहा कि अपनी रचनाओं को भेजें पर हम अपने आप को इस योग्य नहीं मानते थे और नहीं मैं इस योग्य हूँ , शायद पश्चिम बंगाल इकाई के प्रत्येक पदाधिकारियों की आहुति पुस्तक बन गई है बचे रहें हम , पश्चिम बंगाल अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा दीदी जी बोली अपनी रचनाओं को आ. कुमार रोहित रोज़ जी के पास भेजिए , मना भी नहीं कर सकते थे इतने बड़े सम्मानित लेखिका , कवियत्री आ. कलावती कर्वा दीदी जी को , हारकर भेजना ही पड़ा , मेरी रचनाओं में अशुद्धियां मिलेंगी , इसके लिए आप सभी से क्षमा चाहता हूँ 


,  मैं साहित्य संगम संस्थान में 14 मई , 2020 को शामिल हुआ , यहाँ पर आकर हमें साहित्य सेवा करने की एक अलग ही दुनिया दिखा , दैनिक लेखन कार्य में हम भी भाग लेने लगें , उस वक़्त हम नया थे फिर भी आप सभी गुरुजनों हमारा मार्गदर्शन किए , यहाँ तक की छ: माह के अन्दर ही हमें 25 अक्टूबर 2020 , रविवार को साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई का सचिव बनाएं , जो कि मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है , 


मैं संस्थान का इतना बड़ा उपकार को कभी भी नहीं चुका सकता ।।


धन्यवाद


आपका अपना


रोशन कुमार झा


जीवन परिचय :-

नाम :-   रोशन कुमार झा
पिता :- श्री श्रीष्टु झा
माता :- श्रीमती पूनम देवी
दादा :- स्वर्गीय केदारनाथ झा
दादी :- श्रीमती फूल दाई देवी
चाचा :- श्री अरुण झा
भाई :- राहुल , राजन , अंशु , ( आनंद )
बहन :- राखी , प्रीति ( गुड़िया ), तनु , रूपम , आनंदी
जन्मतिथि :- 13/06/1999
जन्म स्थान :-  ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , मिथिला ,
, बिहार - 847222
अन्य नाम :- गंगाराम कुमार झा
शिक्षक :- आ. अमिताभ सिंह जी ( बच्चन सर )
पता :- 51/9 कुमार पाड़ा लेन, लिलुआ , हावड़ा , कोलकाता
पश्चिम बंगाल
पिन कोड :- 711204
शिक्षा :- बी.ए. तृतीय वर्ष हिन्दी आनर्स सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कलकत्ता विश्वविद्यालय ।

कार्य :- 
बी.ए की छात्र,

एन.सी.सी, 31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी फोर्ट विलियम कोलकाता - बी , पंजीकृत संख्या - WB17SDA112047, कम्पनी पांचवीं,

नरसिंहा दत्त कॉलेज, सेंट जॉन एम्बुलेंस कोलकाता ,
द भारत स्काउट और गाइड ,पूर्व रेलवे हावड़ा जिला वेरियांग स्काउट और गुलमर्ग गाइड बामनगाछी समूह,

रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना ,ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के सदस्य,

विगत चार वर्षों से 11 वीं व 12 वीं कक्षा के विज्ञान व वाणिज्य विभाग को हिन्दी एवं कला विभाग के छात्र - छात्राओं को समस्त विषयों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते आये है,

इग्नू से बी.पी.पी , बारहवीं कला से सलकिया विक्रम विद्यालय , दसवीं घुसड़ी श्री हनुमान जुट मिल हिन्दी हाई स्कूल , हावड़ा हिन्दी हाई स्कूल , श्री नेहरू शिक्षा सदन टिकियापाड़ा , राजकीय मध्य विद्यालय नरही, राजकीय प्राथमिक विद्यालय , झोंझी , डॉ देवेन्द्र शारदा विद्या निकेतन , लोहा,  मधुबनी

बिहार युवा विकास मंच मधुबनी के जिला उप मीडिया प्रभारी, , विश्व न्यूज़ , इंक़लाब न्यूज़ मुंबई , पश्चिम बंगाल राज्य स्तरीय रिपोर्टर , साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव

भाषा :- हिन्दी , अंग्रेजी , मैथिली , भोजपुरी व बंगाली ( বাংলা )
मो :-6290640716
ई - मेल :- Roshanjha9997@gmail. com


__________
(1)

विषय - श्री गणेश

रंग रूप बदल देते वेश ,
माँ सरस्वती संग श्री गणेश ।।
अभी तो शुरू , अभी कहां शेष ,
गणपति महाराज का ही तो
भारत अपना देश ।।

जहां भी न होने का
वहां पर भी हो जाता प्रवेश ,
सब पर दया बरसाने वाले हैं , गणेश
संग ब्रह्मा विष्णु महेश ।।
कभी भी न किसी को पहुंचाते ठेस ,
धन्य है प्रभु श्री गणेश ।।

✍️       रोशन कुमार झा


(2)

विषय :- जीवन परिचय छंद में

शाण्डिल्य गोत्र, नाम झा रोशन कुमार ,
काम से हूँ एक छोटा मोटा रचनाकार ।
हूँ कोलकाता में छोड़कर आया हूँ मिथिला,बिहार ,
हम ही गंगाराम, मधुबनी जिला गांव झोंझी के लाल ।

पढ़ाई के साथ राष्ट्रीय कैडेट कोर,संस्था किया हूँ स्वीकार ,
राष्ट्रीय सेवा योजना, भारत स्काउट गाइड से करता हूँ प्रचार  ,
सीखा हूँ सेंट जॉन एम्बुलेंस से, करता हूँ प्राथमिक उपचार ,
संग में नि:शुल्क में पढ़ाकर मिलजुल कर मनाता हूँ त्यौहार ।।

नाम :-   रोशन कुमार झा

(3)

-: माँ सुन लो मेरी कविता !:-

माँ मैं लिखा हूँ एक कविता ,
सुन लो मेरी कविता !
कैसे सुनू बेटा मैं तेरी कविता ,
भूखमरी, बेरोज़गारी से जल रही है चिता ,
कैसे सुनूँ बेटा मैं तेरी कविता !

जाओ कविता पापा को सुनाना ,
तब तक मैं बनाकर रख रहीं हूं खाना !

पापा-पापा मैं लिखा हूं एक कविता ,
बोल बेटा कहां से जीता !
जीता नहीं पापा मैं लिखा हूं एक कविता ,

कहां है अब राम और सीता ,
ना पापा राम-सीता नहीं , मैं लिखा हूं एक कविता !

अरे ! खाना जुटता ही नहीं , मैं कैसे शराब पीता ,
न-न पापा आप शराबी नहीं, मैं लिखा हूं एक कविता !

अच्छा कविता,
सुनाओ वही सुनाना जो मेरे जीवन में बीता !
बस-बस पापा वैसा ही कविता !!

सूर्य के रोशन, चांद सितारों की शीतलता में आप
पर रहीं भुखमरी की ताप ,
उसके बावजूद भी बड़े स्नेह से हमें पाले पापा आप !

बड़े संघर्षमय से आपकी जिन्दगी बीता ,
हमें रहा नहीं गया, पापा 
बस आप पर लिख बैठे एक कविता !!

              

✍️ रोशन कुमार झा 


(4)

विषय :-  पिता
विधा :- हाइकु

-: पिता  । :-

पिता हमारा
वही जीवन दाता 
पिता व माता ।

तब ही खाता
जब ही हम आता
पिता कमाता ।

हमारा गाथा
आपको भी सुनाता
जीवन दाता ।

रोशन पर
न कल दुख आता
कमाने जाता ।

कमाकर वे
आते लाते राशन
तब बासन ।

चूल्हा पर
बनाती माता खाना
पेट में दाना ।
                                                            
✍️ रोशन कुमार झा


(5)

-:  नव वर्ष हमारा पर्व नहीं   !:-

मैं रोशन मुझे अपने पर गर्व नहीं ,
मनाने की सब्र नहीं !
नव वर्ष पर मेरा कोई संदर्भ नहीं ,
क्योंकि ये अपना पर्व नहीं !!

चल रही है ठंडी-ठंडी है गर्म हवा नहीं ,
सूर्य बिना खिली हुई फूल सूर्यमुखी जवा नहीं !
मानव तो मानव जीव-जंतु भी दबे हैं , ठंड से
बचने के लिए कोई दवा नहीं ,
तब कैसे मनाऊं नव वर्ष, नया साल मनाने के लिए लगी
हुई कहीं सभा नहीं !!

पुरानी पत्ती ,अभी खिला सा वन नहीं ,
पौष माघ अभी बसंत और सावन नहीं !
आग नहीं तो बिस्तर, उसके बाहर मां बहन नहीं ,
क्यों मनाऊं, मनाने की मन नहीं ,
क्योंकि ये नव वर्ष अपना पावन नहीं !!

घर से निकलने वाली शाम नहीं ,
घर के अंदर कोई काम नहीं !
पेट के लिए निकलना ही होगा , ठंड से विश्राम नहीं ,
सच में नव वर्ष को मेरी ओर से प्रणाम नहीं !!

अभी जाने दो समय की गति ,
नव वर्ष मनाएंगे अभी नहीं , खिलने दो नव पत्ती !
आने दो बसंत , लेकर आ रही है मां सरस्वती ,
तब मनाएंगे नव वर्ष जलाकर दिया और मोमबत्ती !!

नव वर्ष मनाएंगे पहले चलें ,तो जाये ठंड की
पकवान चौखा लिट्टी !!
केक नहीं बनाएंगे जलेबी वह भी मीठी-मीठी ,
है अपना ये हिन्दुस्तान ,विद्यापति, कबीर,दिनकर की मिट्टी,
उस पर नव वर्ष मनाएंगे, अभी नहीं, आने दो अपना तिथि !!

अभी काफी ठंड है , ठंड की कोई दण्ड नहीं ,
पूजा पाठ करने के लिए कैसे नहाऊ ,गर्म जल की प्रबंध नहीं !
बढ़ते ही जाते ठंड, ठंड की गति मंद नहीं ,
कैसे मनाऊं नव वर्ष, नव वर्ष मनाने की कोई सुगंध नहीं !!

ठंड में यानि आज नहीं ,
कोयल की मीठी आवाज नहीं !
शीत के कारण समय कैसे बीती अंदाज नहीं ,
तब कैसे मनाऊं नव वर्ष,ये हमारा रीति रिवाज नहीं !!

कुहासा में नया साल मनाना ,अपनी कर्त्तव्य नहीं ,
वह भी अब नहीं !
नव वर्ष पर हमें गर्व नहीं ,
है अपना ये पर्व नहीं !!

                 

✍️ रोशन कुमार झा 


(6)

-:  हम सब अतिथि है  !:-

सब यहां अतिथि है ,
सुख-दुख से जीवन बीती है !
आना-जाना ही तो रीति है ,
अमीर हो या गरीब अंतिम संस्कार के लिए
तो यही मिट्टी है !!

जीव-जंतु हाथी और चींटी है ,
क्या कहूं मैं रोशन यह ज़िन्दगी भी मीठी है !
जन्म लिए तो मरने का भी एक तिथि है ,
क्या हम क्या आप , हम सभी यहां के अतिथि है !!

जो कल जवान रहें, वही आज बूढ़ा हुए ,
समय के साथ कृष्ण-राधा भी जुदा हुए !
अमृत भी विष, विष भी समय के साथ सुधा हुए ,
समय की बात है यारों , समय बदलते होशियार भी बेहूदा हुए !

एक मां की ही बेटा सम्पत्ति बांटने में भाग लेते ,
पत्नी आते ही मां-बाप को त्याग देते !
जिसे पाल पोस कर बड़ा करते वही संतान अंतिम
वक्त आग देते ,
सब मतलबी है यारों , सिर्फ अपना काम पर ही दिमाग़ देते !!

तो कोई दिमाग़ लगाकर भी हारा , कोई हार
के बाद भी जीती हैं ,
सफलता-असफलता ही तो जिन्दगी की नीति है !
जिंदगी पूजा पाठ,लेखन कार्य ,अर्थ व्यवस्था, संस्कृति
और राजनीति में ही बीती है ,
तब हम आप नहीं ,कहों यारों हम सब अतिथि है  !!

                 

✍️ रोशन कुमार झा 

(7)

विषय :-  -: मौन हूँ अनभिज्ञ नहीं  !:-

मौन हूँ , तो मैं अनजान नहीं ,
चुप हूँ, तो क्या मेरा पहचान नहीं ।
कोरोना तेरे कारण खुला हुआ बाज़ार 
और दुकान नहीं ,
तू कोरोना जायेगा, तुम से डरने वाला 
हमारा हिन्दुस्तान नहीं ।

प्रेम है , अभिमान नहीं ,
व्यर्थ हमारा ज्ञान नहीं ।
पीछे हटा मेरा कला और विज्ञान नहीं ,
तू जायेगा कोरोना 
इसलिए मौन हूं , पर अज्ञान नहीं ।

हूं हम रोशन बेरोज़गार पर चीन तुम्हारे जैसा 
हम भारतीय बेईमान नहीं ,
मार - काट करने पर हमारा ध्यान नहीं ,
तू क्या समझा कोरोना , 
तुम्हारे भगाने के लिए कोई विद्वान नहीं ।।

बन रही है सुझाव चुपके से , अभी कहीं भान नहीं ,
इसलिए मौन हूं , तो क्या मेरे होंठों पर मुस्कान नहीं ।
बंद है भारत दुनिया के साथ तो क्या हुआ 
तू कोरोना महान नहीं ,
कष्ट दूर करेंगे प्रभु , तू क्या समझा हम मानव के 
लिए भगवान नहीं ।

✍️ रोशन कुमार झा 

(8)

-:  लेखक एक सदी का और सरकार पांच सरकार का  !:-

मैं एक सदी के कवि , आप पाँच साल के सरकार है ,
आपका प्रशंसा क्यों करूं , आपका वर्णन करने का
मेरा न विचार है !
आदत से आप लाचार है ,
कहते ही नहीं , आप दिखाते भी हो कि हम सरकार है !

आज सरकार मोदी और नीतीश कुमार है ,
अगला पांच साल में कोई और आने के लिए तैयार हैं !
पांच दो बार बने तो दस , उतना ही साल का अख्तियार है ,
हम रोशन एक सदी के लेखक हमें मानवता से ही प्यार है !!

आपका चुनाव प्रचार है ,
बेरोजगारी से शहर, गांव बीमार है !
क्यों ? और कैसे आपकी बड़ाई करूं, आप तो
सिर्फ पांच साल के सरकार है ,
हम एक सदी के कवि हमें रचना करके समाज को सुमार्ग
पर ले जाना ही मेरी त्यौहार है !!

आपका पीछे हवलदार है ,
हम गरीब आपका शिकार हैं !
मैं रोशन क्यों, आपका वर्णन करूं, आप तो सिर्फ
पांच साल के सरकार है ,
वर्णन करूं या न करूं सरकार का , बताओ मेरे 
प्यारे पाठको आज आप सभी से मेरा यही सवाल है !!

                 

✍️ रोशन कुमार झा

(9)

शीर्षक :- प्रेम प्रस्ताव

जहाँ रखें प्रेम प्रस्ताव ,
वहीं बढ़ गया उसी का भाव ।
सच्चा प्रीत एक से उन्हें ,
पर उनसे है कईयों का लगाव ।
पता न कैसे बिगड़ गया हम रोशन का स्वभाव ।।

जो ऑनलाइन के माध्यम से ही प्रेम पत्र देकर
डालना चाहें प्रभाव ,
प्रेम की परिभाषा जानता हूँ  ,
व्यर्थ है डालना है किसी पर दबाव ।
प्रेम स्वतंत्र है न इसमें उच्च - नीच 
नहीं इसमें हानि - लाभ ,
दिल दे बैठे , बदले में ना ही मिला जवाब ।।

अब से वही मेरे मन मंदिर वही सपना वही मेरी ख़्वाब ,
उनकी चाहत पूरी हो भले डूबे मेरी नाव ।
ग़म में जीने का एक अलग ही मज़ा है
फिर पाला हूँ एक नया घाव ,
गर्व है हमें कम से कम सुनी तो वह मेरी प्रेम प्रस्ताव ।।

माँगी भी तो चौबीस घंटे ही 
ख़ास समझ गयी होती मेरी वह भाव  ,
हर कुछ है पर उसकी ही है अभाव ।
हमें उनसे , उन्हें है किसी और से लगाव ,
एक हो जाएं वे दोनों , 
पर मेरे में होनी चाहिए बदलाव ।।

क्योंकि मैं अनजाने में रखें रहें  प्रेम की प्रस्ताव ,
उनकी यादों में खुद बदलकर 
बदल दूँ शहर और गाँव ।
मेरे हृदय में बसे 'वे'
वे नहीं  उनकी शक्ल सूरत हाथ और पाँव ,
तब मेरे प्यारे पाठकों कैसी लगी मेरी ये कविता
प्रेम की प्रस्ताव ‌।‌।

✍️  रोशन कुमार झा 

(10)

विषय :- भारत माँ को चाहिए , मोदी जी जैसा सरकार ,
विधा :-  गीत

भारत माँ को चाहिए , 
आपके जैसा सरकार ,
जय हो मोदी ‌जी ।
एक दो बार नहीं ,
चाहिए बारम्बार ।
बोलो भईया मोदी की जय
मोदी की जय , 
हो हम जनता की भलाई ।।

आठ नवंबर दो हज़ार सोलह को
किये नोटबंदी आठ बजे रातों रात ,
जय हो ।
जी.एस. टी (G.S.T ) लगाकर
बिगाड़े  पूंजीपति की बात ।
हाय हो ऐसी सरकार ,
जो जाने 
अपना कर्त्तव्य और अधिकार ।

आप ही के समय में  आप पर भी
एक मुसीबत आएं दुनिया में ,
वह है कोविड-19, कोरोना काल ।
फिर भी आप घबड़ाएं नहीं -2 
लिए भारत को संभाल ।
बोलो भईया भारत माता की जय ,
भारत माता की जय ,
हो हम जनता की भलाई ।

भले मैं रोशन हूँ बेरोज़गार ,
आपने तो संघर्ष करना सिखाया ,
तब कैसे मान लूँ हार ।
बोलो भईया मोदी की सरकार ,
जो एक दो बार नहीं 
चाहिए बारम्बार ।
बोलो भईया मोदी की जय
मोदी की जय ,
हो हम जनता की भलाई ।।

✍️  रोशन कुमार झा

(11)

कविता :-   पहलवान 

बता रहा हूं समाज की कुछ लोगों की अभियान ,
कमज़ोर पर दिखाते शान ।
पहले खाते फिर करते स्नान ,
डरा धमकाकर जीते है पहलवान ।।

कुछ पल के लिए खो बैठते ध्यान ,
उजाड़ते कई घर , लेते कितने के प्राण ।
दानी भी है , करते पुलिस और प्रशासन
व्यवस्था के पास दान ,
और कहलाते पहलवान ।।

डरा - धमका कर पाते मान सम्मान ,
दिखाते रोशन मार्ग अंधेरा करके कि हम
किये है कल्याण ।
अधिकांश रहता झूठी बखान ,
डर के मारे हम जनता हाँ में हां मिलाते
क्योंकि वह हैं पहलवान ।।

बोतल के बोतल शराब, मुंह में रखते पान ,
गुण्डा गर्दी दिखाकर मजदूर बेचारों से छीन लेते धान ।
थाना में मजदूर की फैसला कहां , उल्टे पकड़वाते कान ,
क्योंकि जेब तो भर रहे हैं पहलवान ।।

✍️ रोशन कुमार झा

(12)

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

जा लें कोरोना तू अब जा लें , अब न कहीं अंधकार है ,
दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल की प्रमुख त्योहार है ।।
उसी पर्व में साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
इकाई बनकर तैयार हैं ।
आप सभी आज कल के नहीं , आप तो
एक सदी के साहित्यकार है ।।

माँ सरस्वती मंच को नमन करते हुए
अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी, 
आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, को मेरा नमस्कार है ।।
आ. कुमार रोहित रोज़ जी , महासचिव आ. 
तरुण सक्षम जी की ये पुकार  हो ,
करूं साहित्य की सेवा , हो साहित्य की सेवा
,ये डॉ राकेश सक्सेना गुरु जी को स्वीकार है ।।

आ. भारत भूषण जी, आ. विनोद कुमार दुर्गेश जी 
, और  आ. नवीन कुमार भट्ट नीर जी का मिला प्यार है ,
आदरणीया कलावती कर्वा दीदी जी , आ. स्वाति पाण्डेय  जी आ .स्वाति जैसलमेरिया जी के साथ साहित्य यात्रा पर 
चलने के लिए तैयार हम रोशन कुमार है ।।
 

✍️       रोशन कुमार झा

( 13)

विषय :-  देश के रक्षक तीन भाई ‌ । :- 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

हिन्दुस्तान की सोन्दर्यता की प्रतीक जल,थल, वायुसेना
तीनों भाई है ,
अपनों के लिए चंदन दुश्मनों के लिए कसाई हैं ।

जय श्री राम, जय हिन्द इनके नारा है ,
सुरक्षा के प्रति इनके पास अणु परमाणु बम प्वाइंट टु टु
.22 रायफल, 7.62 एल.एम. जी , एस. एल. आर ,
ब्रहामोज और भी शस्त्र व भाला है ।

सुबह में पीटी फिर करने को ड्रिल (Drill ) है ,
तीनों भाइयों को दुश्मनों के सामने वीरता दिखाने के लिए
सर्वोच्चम पुरस्कार चक्र परमवीर है ।

हर एक का मार्ग रोशन, देश की मान सम्मान इनके हाथों में है ,
क्या कहूं दम तो इनके वर्ड आफ कमांड और 
हर एक बातों में है ।

देश सेवा के लिए तैरकर, उड़कर, दौड़कर चलते है ,
मारने या वीरगति पाने की भावना रखकर , दुश्मनों से
सीना तानकर लड़ते हैं ।

पहनने के लिए जूता , डी. एम. एस , तीनों भाई के 
अलग-अलग वर्दी है ,
रहने के बाद भी कहां इनके लिए होली ,ईद, दिवाली,
गर्मी या सर्दी है ।

मंगल हो या शनि हर दिन दाढ़ी बनाते यानि सेविंग करते हैं,
कब घर - परिवार, समाज से दूर हो जायेंगे , क्योंकि हर
दिन युद्ध के मैदान में चलते है ।।

✍️ रोशन कुमार झा

(14)

शीर्षक  :-  नववर्ष की स्वागत अद्‌भुत हो ।

नववर्ष की स्वागत अद्‌भुत हो ,
उसके बाद जिसे न बेटी उसे बेटी 
और जिसे न बेटा उसे पुत्र हो ।।
कमला , कोसी , गंगा बहती नदी ,
नील , हुगली ब्रह्मपुत्र हो ,
जो ग़लत है उसे सज़ा
उसे न फिर अगली छूट हो ।।

नववर्ष की स्वागत अद्धभुत हो ,
पूजा पाठ फल फूल से करने के लिए
सब एकजुट हो ।
हम रोशन हम कवियों की कल्पना न झूठ हो ,
जहां तहां प्रेम की लूट हो ।।
इस प्रकार नववर्ष की
स्वागत अद्‌भुत हो ।।

हर कहीं शिव शंकर ,हनुमान, राम सीता, भगवान
कहीं न बूरी आत्मा और भूत हो 
कहीं न छुआछूत हो ,
हमारी उम्मीदें दो हज़ार बीस से 
कहीं ज़्यादा मज़बूत हो ।‌‌।
इस तरह दो हज़ार इक्कीस 
नववर्ष की स्वागत अद्‌भुत हो ,

✍️  रोशन कुमार झा

(15) 

-:  वह अब हैं न मेरी दिवानी !   !:-

हम जो कहें वह मानी नहीं ,
इसलिए वह आज मेरी रानी नहीं !
उससे बढ़कर कोई स्यानी नहीं ,
दुनिया के लिए समंदर हूं , पर अपने पास 
पीने के लिए पानी नहीं !!

उसके अलावा मेरी कोई कहानी नहीं ,
जगा हुआ है मेरी सोई हुई वाणी नहीं !
अब लाभ- हानि नहीं ,
क्योंकि अब कोई मेरी दिवानी नहीं !!

उसके लिए हमसे बढ़कर कोई दानी नहीं ,
देते रहे, लेती रही उससे बढ़कर कोई स्यानी नहीं !
पता रहा छोड़कर जायेगी , फिर भी लुटाये हम रोशन
से बढ़कर कोई अज्ञानी नहीं ,
प्यार- मोहब्बत से जो दूर रहा उससे बढ़कर कोई ज्ञानी नहीं !!

हम रहें कुत्ता , वह कानी नहीं ,
सब कुछ देखी , फिर भी वह मुझे अपना मानी नहीं !
मुझे अपना बनाने के लिए वह कभी भी
अपने मन में ठानी नहीं ,
इसलिए वह आज मेरी रानी नहीं !!

                 

✍️ रोशन कुमार झा

(16)

-: जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है । :-

जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है ,
कभी आते है, तो कभी वह घर लौट कर नहीं आते है ।
बड़ा मन घबड़ाते है ,
जब कोई सैनिक सीमा पर हमेशा के लिए सो जाते है ।।

मरने के बाद आते है , तिरंगा में आते है ,
उनके अस्थियां भी नदी गंगा में जातें है ।
मैं देशभक्त कवि रोशन महसूस कर चुका हूं, सब दिखावा है
बाज़ार करने लोग सिंगापुर, दरभंगा जाते है ,
बोलो सेना के आलावा कौन सीमा के दंगा में जाते है ।

कोई नहीं , सब घर बैठे काली पूजा, ईद, दिवाली मनाते है ,
फल फूल से घर द्वार, बाड़ी सजाते है ।
और सीमा पर सैनिक देश सेवा के लिए गोली खाते जाते है ,
कमाते है, वे कमाई के लिए नहीं, 
बल्कि देश सेवा के लिए मरे जाते है ।।

जब कोई स्त्री अपनी पति , 
कोई माँ बाप अपने पुत्र को खोने लगते है ,
हम क्या ? प्रकृति भी रोने लगते है ।
देशभर में हलचल होने लगते है ,
कब ? जब कोई सैनिक हमेशा के लिए सोने लगते है ।।

✍️ रोशन कुमार झा 

(17)

-: जब हमेशा के लिए सोता है जवान । :-

जब कोई जवान हमेशा के लिए सोता है ,
दिल क्या ? मेरा दिमाग़ भी रोता है ।
क्योंकि कोई अपनी सिन्दूर 
तो कोई अपने लाल को खोता है ,

सच पूछो तो बड़ा दुख होता है ,
जब कोई जवान हमेशा के लिए सोता है  ।
चाह कर भी नहीं देखते कि वह पतला है या मोटा है ,
बल्कि आँसू के साथ मैं एक दर्दनाक कविता बोता है ।।

क्योंकि मेरी कोई सीमा नहीं ,
दर्दनाक कविता लिखते वक़्त मेरे
कलम के गति धीमा नहीं ।

यूं तो हर कोई आँसू पोछता है ,
पर हम यूं आँसू के साथ एक दर्दनाक
कविता के बारे में सोचता है ।

जब कोई माँ अपनी पुत्र खोती ,
पाल - पोष कर बड़ा किये रहती, खिलाकर रोटी ।
जब कोई स्त्री अपनी सिन्दूर धोती ,
हम यूं रोशन आँसू के साथ लिख बैठते कविता उन
शहीदों पर , इसे मत समझना पथरा - पोथी ।।

✍️ रोशन कुमार झा 

18

विषय :- वीर जब सरहद पर जाते 

दुश्मनों के लिए हद हो जाते है ,
वीर जब देश सेवा में सरहद पर जाते है ,
कर्नल , बिग्रेडियर जैसी पद में आते हैं  ,
वही तो सैनिक कहलाते हैं ।।

देश सेवा , देश की सुरक्षा में लगे रहते है ,
हम घर में सोये, वे रात में भी जगे रहते है ।
ईद, काली पूजा में भी घर से भगे रहते हैं ,
उन्हें ही तो देश के रक्षक सैनिक कहते हैं ।।

सिर्फ कहने के लिए सब के सब रक्षक हैं ,
देश की मान सम्मान जिसके हाथ में बेशक़ है
सही पूछो तो सैनिक ही सच्चा देश के सेवक है ,
तब सुरक्षित हम रोशन और आप सभी देश के लेखक हैं ।

           रोशन कुमार झा

19

-: तुम्हारी यादें !:-

आँखों से मेरे आँसू बहने दो ,
मत रहो मेरे पास, बस अपनी यादें रहने दो ।

चांदनी रातें में जो बांटे थे सुख ,   वे रहने दो ,
अंधेरी रात में जो दुख देकर गयी वे अब सहने दो ।

पार्क , बाग़ में बैठकर किये थे, जो बातें, 
अब उस बातें को रहने दो ,
जो पूरा नहीं हुआ चाहत , उन चाहत को रहने दो ।

तुम्हारे आने की जो आगाज़ थी , उस पल को रहने दो ,
तुम्हारे जाने से जो हम रोशन को गम मिला, 
अब उस गम को सहने दो ।

तुम्हारी जो घुँघरू की आवाज थी, उस आवाज को सुनने दो,
जो तुम्हारे लिए रखें थे प्रेम की बातें ,
अब उन बातों को कहने दो ।

तुम्हारी जो आने की मार्ग थी, उस मार्ग को निखारते रहने दो,
तुम आओ या मत आओ , बस हमारी इंतजार जारी रहने दो ।

पतझड़ में दी थी होंठों पर मुस्कान, उस मज़े को रहने दो ,
भरी बंसत में जो देकर गयी सजा , उस सजे को सहने दो ।

पास रहो या मत रहो ,
बस मेरी आँखों से आँसू बहने दो ।।

✍️ रोशन कुमार झा

20

शीर्षक :- राम मंदिर भूमि पूजन

हुई होते रहेंगे राम की पूजा , 
हो रही है भूमि पूजन ,
चौदह साल तो सही पाँच सौ 
साल बाद आई है ये चमन ,
राम नाम जप रहे है  मोदी, योगी ,
कोविंद और जन जन ,
रघुकुल रीत सदा से आई, 
प्राण जाई पर जाई न वचन ।
है राम अपना आदर्श राजन ,
तब मिथिला पुत्री सीता, सीता पति 
राम को सादर नमन ,

पांच अगस्त दो हजार बीस 
बुधवार की है ये वर्णन ।
है कहां ममता अब है न वह क्षण ,
अगला साल उन्नीस में 370 वीं धारा हटाकर 
किये मोदी जी सभी को प्रसन्न ,
कोरोना काल में ही सही अयोध्या में 
राम लला मंदिर की हुई भूमि पूजन ,
जिसमें उपस्थित हुए हैं भाई और बहन ।
घर में ही फल फूल,  निर्मल जल से 
पूजा करकें किये है भजन ,
खूब आनंद मिला राम नाम जपे जब हम रोशन ।।

✍️ रोशन कुमार झा 


21



विषय :- हिन्दी हमारा महान है ।


हिन्दी हम हमारा यह हिन्दुस्तान है ,

हिन्दी से ही अर्जित किया हुआ ज्ञान है ।

तब हिन्दी की सेवा करने पर हमारा ध्यान है ,

हिन्दी कला ही नहीं , कला के साथ विज्ञान है ।।


जो बदलाव लाता , 

बदलाव लाने वाले साहित्यकार 

वह भी एक इंसान हैं ,

हिन्दी बोलने , लिखने , सीखने

वाले सबके सब महान है ,

तब न विश्व स्तर पर अपना हिन्दी 

भाषा का स्थान है ।

गर्व है हमें हम हिन्दुस्तानी 

हम हिन्दी का ही संतान है ।।


तब हिन्दी की रक्षा करने 

में ही मेरा सम्मान है ,

रक्षा करना हमारी शान है ।

हिन्दी से ही हमें बनना 

साहित्यकार और विद्वान है ,

सच में अपना हिन्दी भाषा महान है ।


✍️  रोशन कुमार झा


22.



विषय :-  चलों आज हम महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जी की वर्षगांठ मनाते हैं ।

विधा :- गीत



आज आपको एक बात बताते हैं ,

जो चल जाते वह कब लौट के आते हैं ।

पर अपने कर्मों से वह हर एक के दिल में रह जाते हैं ,

चलों आज हम महान गणितज्ञ 

वशिष्ठ नारायण सिंह जी की

वर्षगांठ मनाते हैं ।


भोजपुर बिहार , भारत का वह पुत्र था ,

सवाल बनाने के लिए उसके पास अलग - अलग सूत्र था ।

पागल कहते थे हमलोग उन्हें 

वे सही 

हम ही तो झूठ था ,

सच में वह पल भी बड़ा अद्‌भुत था ।।


पिता का बात रखनें के लिए वे अपने प्यार भी खोएं थे ,

जेल में रहकर भी सवाल ही बनाते 

बोलों वे कब रोएं थे ।


तब आज धर्मेंद्र , मोनू संग हम रोशन यूं ही कुछ गाते हैं ,

इन्हीं शब्दों से आज हम उनका वर्षगांठ मनाते हैं ।।



✍️  रोशन कुमार झा





23.


विषय :- बिहार


आप बोलों हम बोलो कि हम बिहार है , 

कुछ कर्त्तव्य और कुछ अपना अधिकार है ।


मिथिला पुत्री जनक लली की ये बिहार है, हाँ बिहार है

मधुबनी चित्रकला , मिथिला पेंटिंग से जानता जिसे संसार है ।

हाँ वह बिहार है ।


जहां आम , लीची की बाग़ान है , 

खेतों में भरा धान है ।

वहाँ की धरती ही महान है ,

उसी धरती की 

हम रोशन इंसान हैं ।


विद्यापति , दिनकर यही का कवि नागार्जुन है ,

दुनिया को आर्यभट्ट यहीं से दिया शून्य है ।

हम बिहारियों का कुछ अलग - अलग गुण है ‌,

तब ही तो हम सम्पूर्ण है । 



✍️  रोशन कुमार झा




24.


विषय :-  भारतवर्ष मना रहें हैं आज होली, रंगों का त्यौहार ,

विधा :- गीत



भारतवर्ष मना रहें हैं आज होली, रंगों का त्यौहार ,

 जोगीरा सा रा रा रा ,


भारतवर्ष मना रहें हैं आज होली, रंगों का त्यौहार , 

जम्मू-कश्मीर इकाई बनकर हो गया है तैयार ।।


ये हैं साहित्य संगम संस्थान की उन्नीसवीं इकाई ,

देखों - देखों खुश नज़र आ रहें हैं 

साहित्य प्रेमियों बहन और भाई ।।


तब पूजा पाठ करके 

करूँ साहित्य की सेवा मिलकर साथ - साथ ,

संस्थान नि: शुल्क में आहुति , इदन्नमम पुस्तक 

देते जब आते किसी के वर्षगांठ ।।


साहित्य है जो संगम वहीं है संस्थान  ,

आज पहुंच गये फेसबुक के माध्यम से

भारत के स्वर्ग कहें जाने वाला स्थान ।।


भारतवर्ष मना रहें हैं आज होली, रंगों का त्यौहार , 

साहित्य की करूँ‌ सेवा, हो ऐसी मेरी विचार ।।


ये है स्वर हम जनेऊधारी रोशन का

 28 मार्च 2021 की दिवस है रविवार ,

दुनिया में आया रहा जो कोरोना 

वह तो चला ही गया कोरोना काल ।।


भारतवर्ष मना रहें हैं आज होली, रंगों का त्यौहार , 

आप भी होली मना लो , मेरे प्यारें पाठकों व साहित्यकार ।।


✍️  रोशन कुमार झा




25.


वह बेटियां नारी है  !:-


तुम्हारा और मेरा न, यह बेटियां हमारी है ,

पूजा करने योग्य सरस्वती, दुर्गा वही काली है !

कल भी , आज भी और भविष्य की भी वही लाली है ,

तो हे ! दुनिया वालों सहयोग करो ,वह बेटियां नारी है !


पढ़ने दो , बढ़ने दो जब तक वह कुँवारी है ,

जब-जब आपद आई है , तब-तब बेटियां ही संभाली है !

भंयकर रूप धारी है !

रानी लक्ष्मीबाई बनकर, बेटियां ही दुष्ट को मारी है ,

गर्व है हमें हर एक बेटियां पर , 

वह तेरी मेरी नहीं , वह बेटियां हमारी हैं !!


उसे स्वतंत्र रहने दो , उसी के लिए धरती की हरियाली है ,

बेटियां से ही सुख-सुविधा सारी है !

वह बिहारी न बंगाली वह दुनिया वाली है ,

इज़्ज़त करो यारों , वह बेटियां नारी है !!


बेटियां ही लक्ष्मी उसी से होली,ईद और दीवाली है ,

अभी जो कोरोना जैसी महामारी है !

उससे भी लड़ने के लिए बेटियां तैयारी है ,

हम रोशन बेटियां की रक्षा के लिए, 

आप सभी पाठकों के समक्ष बनें भिखारी है ,

मेरी भिक्षा यही है , कि बेटियां की इज़्ज़त करो

वह तेरी मेरी नहीं वह बेटियां हमारी हैं !!


✍️ रोशन कुमार झा 


 


26.


-: भारतीय सैनिक कोबरा वाहिनी 207 दो सौ सात । :-


भारतीय सैनिक फौज मुख्यालय बंगाल की कोबरा दो सौ सात , 207

समझ में कुछ नहीं आता , किससे करूं तुलना आपके साथ ।


कमल से करूं क्या ? 

न ना वह तो सिर्फ सूर्य की रोशन किरण में ही खिली रहती है ।

आप तो सदैव नदी की तरह गतिमान है ,


क्या मैं आपकी तुलना धूप से कर सकता हूं ,

अगल कर सकता हूं तो आप धूप नहीं बल्कि एक पेड़ है ,


जहां समस्त जीव - जन्तु आपके पास रहते है ,

धूप- वारिश स्वंय सहकर आप उनकी निगरानी में रहते हैं ।


हे भारतीय सैनिक आपकी आत्मा नदी की तरह बड़ा है ,

और आप पर्वत हिमालय की तरह खड़ा है ।


ना आपकी तुलना किसी से नहीं हो सकते है ,

स्वंय को वीरगति पाकर आप भारत माता के संतान को सुरक्षित रखते हैं ।।


   रोशन कुमार झा  




27.



एच०आई०वी० एवं कोविड-19 के सम्बन्ध में मानसिक स्वास्थ्य



एच०आई०वी० एवं कोविड-19 से लड़ने के लिए है हम तैयार,

एच०आई०वी० , कोरोना मुक्त बनायेंगे मिलकर अपना बिहार।

हरा भरा तन से मन से है हम भारतीय धनी ,

कोरोना मुक्त बिहार बनाने में तैयार हैं मधुबनी ।

                   

करेंगे न एक ही सूई का प्रयोग ,

तब होंगे न एड्स जैसी रोग ।

चलें है हम रोशन और चलना है ,

डरना नहीं , कोरोना से लड़ना है ।

                  

करके रखेंगे साफ - सफाई ,

हम सब अपना भाई - भाई ।।              

हम करेंगे आप करेंगे ,

आगे पीछे साफ करेंगे ।

कहीं रूकने ही नहीं देंगे पानी ,

तब मलेरिया की होगी ख़त्म कहानी ।।


मास्क लगाकर तैयार होना ,

डर मत अब रहा न वह कोरोना ।।

युवा है हम एक पेड़ लगाओ ,

आज लगाओं कल सुख पाओ ।।


संकल्प लेते हैं हम नर और नारी ,

स्वच्छ रहेंगे, भगायेंगे एच०आई०वी० 

और कोरोना जैसी बीमारी ।।


साथ है पर बनाकर रखेंगे एक हाथ दूरी ,

हर बीमारी की उपचार, ये सुझाव है ज़रूरी ।


रोशन कुमार झा




28




 विषय :- वृक्षारोपण

विधा :- कविता



-: एक पेड़ लगाओ  । :-


आओ जी आओ 

हरियाली लाओ 

एक पेड़ लगाओ ।

है पर्यावरण अपना

इसे बचाओ ‌।।


फल खाओ ,

जल लाओ ।

जल देकर पेड़ बचाओ ,

और अपना ये वातावरण हँसाओ ।।


हम रोशन और आप मिलकर 

बदलाव लाओ ,

अपने जन्मदिन के दिन

हर वर्ष एक पेड़ लगाओ ।

हरी भरी पेड़ पौधे से घर द्वार बाड़ी चमकाओ ,

एक पेड़ लगाकर इस कविता को गाओ ।।


आओ जी आओ ,

पड़े ज़मीन में हल चलाओ ,

कोई पेड़ , तो कोई जल लाओ ।

पेड़ लगाकर  " वृक्षारोपण " की विधि दर्शाओ ।।


अपने करो घर परिवार और समाज से करवाओ ,

वृक्षारोपण की अभियान चलाओ ।

आज लगाओ कल सुख पाओ ,

आओ जी आओ, एक पेड़ लगाओ ।।


वृक्ष की महत्त्व खुद समझो और दूसरों को समझाओ ,

न समझे तो बार - बार बतलाओ ।

बतलाकर खुद भी और उससे भी एक पेड़ लगाओ ,

और क्या आप भी पर्यावरण रक्षक कहलाओ ।।


✍️  रोशन कुमार झा



29.



-: ये रही मजबूरी  !:-


                       

150 रोटियां और एक टिफिन चटनी लेकर चले थे 20 मजदूर, 16 के लिए आखिरी सफर बन गया ,

हम रोशन लिखते कुछ और , पर लिखने के लिए तो

बदल मन गया !!


महाराष्ट्र से जाना रहा मध्य प्रदेश ,

औरंगाबाद जाते-जाते सोलह तो हो गये शेष !!

                           

सड़क मार्ग से जाते तो पुलिस, रेलवे स्टेशन पर रूकते तो

आर .पी , एफ मारते डंडा लेते पैसा ,

कोरोना से बचे ,भूख से बचे, पर मौत से बचा न पाये

प्रभु!, लीला है आपका कैसा !!

                             

जाना रहा उन लोगों को घर, पर पार भी न कर पाए औरंगाबाद ,

जीते जी सुविधा नहीं, सरकार क्या देंगे सुविधा मरने के बाद !!

                            

बाल बच्चें , और इंतजार में रहीं होगी वह नारी ,

कट गये मालगाड़ी से , आये न ब़ाग के माली !!

                  

कट कर अलग हुआ हाथ पाँव ,

इतने दूर चलने के बाद भी पहुंच न पाये अपना गांव !!

                      

तुम सरकार क्या करोगे ग़रीबों का मदद ,

तुम्हें तो प्यारा है अपना पद !!

                                

दूरी बनाकर ट्रेन चलाये होते,तो सारे के सारे प्रवासी 

मजदूर घर पहुंचे होते सही सलामत ,

आज मरने के बाद दे रहे हो उनका कीमत !

                                  

न रेलगाड़ी, बैलगाड़ी ही सही, पहले लोग आते-जाते थे 

न रेल के बिना ,

राजतंत्र ही ठीक रहा, लोकतंत्र में आते गए व होते गये

एक से एक कमीना !!

                                    

घर-परिवार को भले कुछ मिले, पर हमें विश्वास है न

कि तू सरकार दे पायेगा रुपया पांच-पांच लाख ,

खुली आंखें न, नींद में आंखें बंद, तब तू मौत आया होने भी दिया न उन बेचारों को अवाक् !!


® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳





30


विषय :-  प्यारा तिरंगा हमारा है       

विधा:- कविता


जीता है , कभी नहीं हारा है ,

विश्व की उजाला है ।

जहां बहती गंगा की धारा है ,

वहीं फहराता हुआ

भारत की तिरंगा सबसे प्यारा है ।।


स्वतंत्रता दिवस, राखी बंधवाना पर्व हमारा है 

न किसी को नकारा है ,

सब का सहारा है ,

तब विश्व भारत को विश्व गुरु कहकर पुकारा है ।।


जहां एक से एक तारा है ,

हम रोशन ग़रीब से लेकर 

अमीर तक के लिए पाठशाला है ।

पूजा पाठ धर्म कर्म सुख शांति सारा है ।

वही प्यारा देश भारत हमारा है ।।



✍️  रोशन कुमार झा


       

31.




-: मेरी राजनीति सत्ता की नहीं संघर्ष की है । :-


मेरी राजनीति सत्ता के लिए नहीं, संघर्ष की है ,

धर्म जात की नहीं ,मेरी चिंता ग़रीब की खाली पर्स की है ।


कैसे ग़रीबी हटाऊं जरुरत कार की नहीं , बाज़ार की है ,

पाँच साल बहुत है , कुछ ग़रीबी अभी कम कर दो,

सवाल इस साल की है ।


बिरयानी की नहीं , भूख दो रोटी की है ,

रहने के लिए एसी (AC)  नहीं, चैन से सोने के लिए

ज़रूरत दो गोटी की है ।


थके है मजदूर काम से , इनकी काम हर दिन की है ,

ज़बरदस्ती काम कैसे न करें मजदूर , चिंता पूंजीपति

की ऋण की है ।


रहने के लिए महल की नहीं , जरुरत झोपड़ी घर की है ,

शराब नहीं ले भाई , प्यास जल की है ।


ग़रीबी हमारे घर की ही नहीं , संसार की हैं ,

सत्ता की सरकार कहती :-

ग़लती हमारी नहीं , बीती हुई कई पाँच साल की है ।


ग़रीबों की मार्ग में रोशन लाना है ,

कैसे कहूं मैं, सरकार के लिए बात की नहीं, 

अब लात की जमाना है ।


✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳



32



बेटियाँ तुम्हारी भलाई हो   !:-


मैं नमक रोटी खाऊं , पर तुम्हारे लिए मलाई हो ,

वही करूं हम रोशन जिससे तुम्हारी बेटियाँ भलाई हो !

बेटियाँ तुम्हारे लिए हमें जग से लड़ाई हो ,

आगे तुम चलना और तुम्हारे आगे मेरी कलाई हो !


ऐसा नियम हो ग़लत की पकड़ाई हो ,

वही पढ़ूं , जिसमें बहन और बेटियों की भलाई हो !

तुम बहन, बेटियाँ क्यों डराई हो ,

उठो , उठो तुम तो तिरंगा फहराई हो !!


मेरे लिए नहीं , तुम्हारे लिए मिठाई हो ,

सपना है मेरी, 

बेटियाँ की अपने मन से ही विदाई हो !

तब तक उसकी पढ़ाई हो ,

बहन की साथ निभाये , सिर्फ भारत का ही नहीं,

निभाने के लिए दुनिया का ऐसा भाई हो !


आगे बढ़ने से जो बेटियों को रोकें, उस पर कारवाई हो ,

उसी पर इतिहास बनें जो, बेटियों की सुख-सुविधा 

के लिए कुछ न कुछ बनवायी हो !

तुम बेटियाँ ही लक्ष्मी , तू ही धन लायी हो ,

आगे बढ़ बहन पीछे-पीछे हम तुम्हारा भाई हो !


✍️  रोशन कुमार झा


33


-: आइए वीर हनुमान तोड़िए कोरोना की गुमान !:-


कोरोना भगाने में असफल रहा कला और विज्ञान ,

तब हम निर्धन रोशन का पुकार सुनिए भगवान !

आइए आप ही पवनपुत्र वीर हनुमान ,

और तोड़िए ये दुष्ट कोरोना की गुमान !!


साईकिल से हवाई जहाज तक बनायें इंसान ,

पर आज कोरोना जैसी मुसीबत में

व्यर्थ रहा हम मानव के ज्ञान !

कोरोना भगाने के लिए लगाकर आयें अनुमान ,

तब अब जल्दी आईयें रामभक्त वीर हनुमान !!


वह शक्ति दो घर पर रहकर सरकार के नीति नियम लूं मान ,

बंद पड़े हैं, हाट, बाज़ार , दुकान !

पर्वत लिए उठा , आप में है परम शक्ति हनुमान ,

तब कोरोना से दूर करों प्रभु ! ताकि हम भारतीय

फिर से नव जीवन पाकर करूं भारत मां की चुमान !!


माँ सरस्वती की दया से लिखा हूं कविता,भले ही मैं

रोशन कोरोना में हो जाऊं कुर्बान ,

पर हे!  राम अपने भक्त हनुमान के माध्यम से

लौटा दे धरती की मुस्कान !

ये सिर्फ हमारी नहीं, समस्त मानव जाति की है ज़ुबान ,

तब कोरोना भगाने के लिए सिर्फ एक बार आ जाओ

पवनपुत्र हनुमान !!


✍️  रोशन कुमार झा


34


विषय :- रंगों का त्यौहार होली है ।


रेल चालकों , सिपाहियों , वीरों के लिए थोड़ी है ,

वे तो ड्यूटी में , हाथ में लिए बन्दूक और गोली है ।

उसे भी घर पर आने के लिए प्रियतम बोली है ,

कार्यालयों में ही उनके लिए

रंगों का त्यौहार होली है ।।


इन पावन के आते ही कईयों ने

कईयों का दिल तोड़ी है ,

ज़िन्दग़ी निभाने की थी बात

भरी मौसम में ही साथ छोड़ी है ।

मैं रोशन भी हूँ अकेला 

मेरी वाली भी शायद संघर्ष की ओर दौड़ी है ,

तब क्यों मानूं बूरा

बूरा न मानों होली है ।।


राधा - कृष्ण की तरह कईयों की जोड़ी है ,

तो कईयों ने प्रेम निभाने के लिए मुँह खोली है ।

ये प्यार भी रंग , अबीर-गुलाल और रोली है ,

जो जहां है , वह वहीं मना लो

ये रंगों का त्यौहार होली है ।।

 

✍️  रोशन कुमार झा




35


भक्त हूं वीर हनुमान का । :-


भूख है ज्ञान का ,

परवाह है न जान का ।

राह रोशन है , चिंता है ना मान और सम्मान का ,

हमेशा खुश रहता हूं , क्योंकि मैं भक्त हूं वीर हनुमान का ।।


नशा है न कनक , धतूरा, पान का ,

भूखा हूं मंगल गान का ।

कैसे न वर्णन करूं भगवान का ,

बड़ी सुख-सुविधा मिलती , सिर्फ जपता हूं 

राम भक्त नाम हनुमान का ।।


सहायक हूं जवान का ,

दर्द जानता हूं मजदूर किसान का ।

हवा में रहता हूं, पर डर रखता हूं तूफान का ,

समंदर की तरह अपने आप में बहता हूं 

क्योंकि मैं सेवक हूं वीर पुत्र हनुमान का ।।


इंतजार रखता हूं न संतान का ,

पत्नी तक स्वार्थी होती , धन - दौलत क्या करूंगा

आवश्यकता है मुझे दो मुट्ठी धान का ,

और नश्वरता की प्राण का ,

जब तक मैं जिंदा रहूं , तब तक जपते रहूं नाम

वीर हनुमान का ।।


* ® ✍️  रोशन कुमार झा 



4 नम्बर हाइकु सबसे बाद में

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/04/1953-1955.html
http://vishnews20.blogspot.com/2021/04/blog-post.html


आहुति पुस्तक :-

#साहित्य संगम संस्थान काव्यमंच
आज हमारे साहित्य संगम संस्थान के लिए अत्यंत ही हर्ष का समय है कि आज हमारे साहित्यिक परिवार के एक उदीयमान एवं युवा कवि आ.रोशन कुमार झा जी की रचनाओं की आहुति बनकर तैयार हो गई है और आज उसका लोकार्पण होने जा रहा है। मैं तो विशेष रूप से प्रसन्न हूं कि एक युवा और मेधावी कवि की आहुति का विमोचन करने का सौभाग्य संस्थान ने मुझे दिया है।
कवि रोशन कुमार झा जी को साहित्य संगम संस्थान से जुडे़ हुए आज पूरा एक वर्ष हो गया है। वे विगत दिनांक १४.०५.२०२० को आज के ही दिन हमारे परिवार का हिस्सा बनें थे। वे साहित्य संगम संस्थान की बंगाल इकाई में सचिव पद को सुशोभित कर रहे हैं। हाल ही में भाई रोशन कुमार झा को उनकी साहित्य सेवा व पूरे संगम के समाचार प्रकाशित कर उत्कृष्ट सेवा के लिए मुख्य मंच का मीडिया प्रभारी भी बनाया गया है। बंगाल इकाई के सचिव रोशन कुमार झा जी पर हमे गर्व है।
भाई रोशन कुमार झा जी विनम्र स्वभाव, सहृदय, बात को शांतचित से स्वीकारने वाले, सबको मान देने वाले,  अपने दायित्व के प्रति सजग, कर्मठ, सक्रिय सदस्य हैं।
इन्होंने समाज की वर्तमान की समस्याओं को सबके सामने लाने की मंशा से विभिन्न और विविध विषयों पर रचनाओं का सृजन किया है जो अपने साहित्यिक उद्देश्य को पूरा करने में सफल रहीं हैं। उनकी रचनाओं में विशेष रूप से "बिहार", "पहलवान", "हम सब अतिथि हैं", "मौन हूं अनभिज्ञ नहीं", "ये रही मजबूरी" आदि उम्दा रचनाएं हैं।
मैं पूरे साहित्य संगम संस्थान की मुख्यालय सहित समस्त इकाईयों एवं मेरी तरफ से हमारे युवा कवि रोशन कुमार झा जी के उज्ज्वल साहित्यिक भविष्य की कामना करते हैं और उनके इस अभिनव प्रयास की सफलता की शुभकामना देते हैं।
नीचे आहुति का लिंक दिया है जिससे जुड़कर आप उनकी रचनाओं का रसास्वादन कर सकते हैं।

https://drive.google.com/file/d/1OvgULQW2cH5_yl6vn-B3_SyuiZOLISID/view?usp=drivesdk

निवेदक,
बजरंग लाल केजडी़वाल 'संतुष्ट',
सचिव, साहित्य संगम संस्थान असम इकाई🙏👍🕉️❤️🇮🇳

https://drive.google.com/file/d/1OvgULQW2cH5_yl6vn-B3_SyuiZOLISID/view

काव्य मंच
https://www.facebook.com/groups/365510634417195/permalink/571042130530710/?sfnsn=wiwspmo
YouTube
https://youtu.be/UG3JXojSLAQ

पश्चिम बंगाल
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1917234135120148/?sfnsn=wiwspmo
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=332390594979227&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

कविता :- 19(96) , शुक्रवार , 14/05/2021
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/1996.html
साहित्य एक नज़र 🌅,
अंक -3
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-13052021.html
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अंक - 4

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/4-14052021.html

पिछले साल कविता :- कविता :-16(31)


शुक्रवार , 30/04/2021, कविता :- 19(82)
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/2021.html
आहुति , कैलेंडर
http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/04/2021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/04/1982.html

आहुति पुस्तक

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पुराने विश्व
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आहुति
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30/04/2021 , शुक्रवार , कविता :- 19(82)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/04/blog-post_30.html

आभार पत्र

साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )
अनुज रोशन कुमार झा
जय हिंद , जय हिंदी  ,
आहुति पुस्तक :- परिचय ,
साहित्य संगम संस्थान , नई दिल्ली 
पंजीकृत राष्ट्रीय कार्यालय
एफ-५, विनायक , अपार्टमेंट , संत नगर मेन रोड बुराड़ी , दिल्ली - 110084
पंजीयन संख्या : एस -1801- 2017, नई दिल्ली , आहुति पुस्तक माला आ रोशन कुमार झा जी की आहुति
आहुति क्रमांक :- 76/04-2021

विमोचन दिनांक :- 14/05/2021 , शुक्रवार
विमोचन कर्ता :- आ. बजरंग लाल केजडी़वाल 'संतुष्ट', जी , सचिव, साहित्य संगम संस्थान असम इकाई

कुल पृष्ठ मुख पृष्ठ सहित : 48 ,
पृष्ठ अभिकल्प :- आ. जयश्रीकांत जी
संपादन जयश्रीकांत

संपादक मंडल :- आ. जयश्रीकांत जी , संपादक ,
आ. भारती यादव जी सह संपादक
राष्ट्रीय अध्यक्ष :- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
कार्यकारी अध्यक्ष :- आ. कुमार रोहित रोज़ जी
सह अध्यक्ष :- आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी
पृष्ठांकन :- आ. चंद्रमुखी मेहता जी
संपर्क सूत्र : साहित्य संगम प्रकाशन
आर्य समाज मंदिर 219,
संचार नगर एक्स , इंदौर , म.प्र. 452016
दूरभाष 9977987777
शुभम् भवतु

माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली , पश्चिम बंगाल इकाई को नमन करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏 ।

आहुति पुस्तक प्रदान करने के लिए साहित्य संगम संस्थान मंच ,पृष्ठ अभिकल्प आ. जयश्रीकांत जी
संपादन आ. जयश्रीकांत जी , संपादक मंडल आ. जयश्रीकांत जी , संपादक ,आ. भारती यादव जी सह संपादक , राष्ट्रीय अध्यक्ष आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
कार्यकारी अध्यक्ष  आ. कुमार रोहित रोज़ जी सह अध्यक्ष  आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी पृष्ठांकन आ. चंद्रमुखी मेहता जी , विमोचन कर्ता साहित्य संगम संस्थान असम इकाई के सचिव आदरणीय बजरंग लाल केजडी़वाल 'संतुष्ट', जी , पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आदरणीया कलावती कर्वा दीदी जी , उपाध्यक्ष आ. मनोज कुमार पुरोहित जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति सरु जैसलमेरिया जी , पंचपर्मेश्वरी
आ. स्वाति पाण्डेय'भारती'जी ,संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , महागुरुदेव आ. डॉ राकेश सक्सेना जी, आ. अर्चना जायसवाल जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी संस्थान के समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों को धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐 ,

आज हमें साहित्य संगम संस्थान से जुड़ा हुआ एक साल हो गए ।
आज भगवान परशुराम जन्मोत्सव व अक्षय तृतीया की शुभ अवसर पर शुक्रवार 14 मई 2021 को संस्थान आहुति पुस्तक भेंट देने के लिए एवं " रोहित सरदाना" अवार्ड सम्मान से सम्मानित करने के लिए मंच का सादर आभार 🙏💐 ।

एक साल के अंदर ही संस्थान हमें बहुत कुछ सीखाएं , बहुत मान , सम्मान और ज्ञान दिए , मैं साहित्य संगम संस्थान का हमेशा ऋणी रहूंगा ।

1. 14/05/2020 , गुरुवार ,

(14 मई 2020 , गुरुवार को हम विषय पर कविता लिखना रहा , विषय प्रदाता स्वर्गीय आ. हिमांशु गुप्ता जी , समक्षीक आ. आरती डोगरे जी व आ. महिमा दुबे जी )

2. रविवार , 25/10/2021
पश्चिम बंगाल इकाई सचिव
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई उद्घाटन

3. गुरुवार , 06/05/2021

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली (मुख्य मंच )
राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी

आप सभी का दया , प्रेम और आशीर्वाद इसी तरह बना रहें , ताकि हम भी आप सभी के साथ हिन्दी साहित्य की सेवा करते रहें ।

आपका अपना
रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव

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