कविता :- 17(26) हिन्दी


कविता :- 17(26) हिन्दी

तिथि :- 17-08-2020
दिन :- सोमवार
विधा :- कविता
शीर्षक :- याद आती हो  ।

याद आती हो कभी, कभी ,
तुम न पर , तुम्हारी छवि ।
उसी छवि से हम रोशन बने कवि ,
वह भी अभी - अभी ।।

तुम्हारे लिए हम रहें अजनबी ,
इसीलिए मेरी इच्छा दबी ।
साथ दिया न सभी ,
इसीलिए तो बना हूं कवि ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार
मो:-6290640716

कविता :- 17(23)
दिनांक :- 14/08/2020
दिवस :- शुक्रवार
बूंद सागर के लिए कविता
शीर्षक :- हम पत्रकार हैं  ,

भाई साहब हम पत्रकार है ,
सबके लिए समान व्यवहार है ।
कहां कैसा समाचार है ,
खबर बताने में ही व्यस्त ,
पता ही नहीं चलता कैसा अपना हाल है ।

दूर घर परिवार है ,
कहीं राह रोशन तो कहीं अंधकार है ।
पर उस राह पर चलना है हमें
क्योंकि हम पत्रकार है ,
रहकर भी न मेरे लिए कोई त्योहार है ।

त्योहार में भी खोज खबर लाने
जाना बाज़ार है ,
ये भी बताना रहता
सोयी या जगी हमारी सरकार है ।
सब की ख्याल है ,
क्योंकि भाई साहब हम एक पत्रकार हैं ।।

       सुब्रत मन्ना
गाजीपुर , अमता , हावड़ा , पश्चिम बंगाल - 711413
मो :-  7718231753

नमन 🙏 :- " कलम ✍️  बोलती है " साहित्य समूह
क्रमांक :- 190
तिथि :- 17-08-2020
दिन :- सोमवार
विधा :- कविता
विषय :- बेटियां
संचालक :- आ. एस.पी . दीक्षित  ' जी

तुम्हारा और मेरा न, यह बेटियां हमारी है ,
पूजा करने योग्य सरस्वती, दुर्गा वही काली है !
कल भी , आज भी और भविष्य की भी वही लाली है ,
तो हे ! दुनिया वालों सहयोग करो ,वह बेटियां नारी है !

पढ़ने दो , बढ़ने दो जब तक वह कुँवारी है ,
जब-जब आपद आई है , तब-तब बेटियां ही संभाली है !
भंयकर रूप धारी है !
रानी लक्ष्मीबाई बनकर, बेटियां ही दुष्ट को मारी है ,
गर्व है हमें हर एक बेटियां पर ,
वह तेरी मेरी नहीं , वह बेटियां हमारी हैं !!

उसे स्वतंत्र रहने दो , उसी के लिए धरती की हरियाली है ,
बेटियां से ही सुख-सुविधा सारी है !
वह बिहारी न बंगाली वह दुनिया वाली है ,
इज़्ज़त करो यारों , वह बेटियां नारी है !!

बेटियां ही लक्ष्मी उसी से होली,ईद और दीवाली है ,
अभी जो कोरोना जैसी महामारी है !
उससे भी लड़ने के लिए बेटियां तैयारी है ,
हम रोशन बेटियां की रक्षा के लिए,
आप सभी पाठकों के समक्ष बनें भिखारी है ,
मेरी भिक्षा यही है , कि बेटियां की इज़्ज़त करो
वह तेरी मेरी नहीं वह बेटियां हमारी हैं !!

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716 

कविता :- 16(49) आज कविता :-16(82) शनिवार
04/07/2020
नमन 🙏 :- काव्य कलश मंच
शब्द सुगंध क्रमांक :- 9
तिथि :- 01-06-2020
दिवस :- सोमवार
विषय :-  बेटियाँ
विधा :-  कविता
#### कविता  :-  16(18)





।       - सोमवार - 17/08/2020
कविता :- 17(19) , 10/08/2020
नमन 🙏 :- " कलम ✍️  बोलती है " साहित्य समूह
क्रमांक :- 127, तिथि :- 14-05-2020, दिन :- वृहस्पतिवार
विधा :- यात्रा वृत्तांत

-: जनेऊ के बाद का मेरा वह यात्रा । :-

जनेऊ के बाद का मेरा वह यात्रा, क्या कहूं जनेऊ के बाद कलकत्ता तो आना ही रहा, आये और इस तरह आये कि पूछो मत , ट्रेन में इतना भीड़ की एक बार बैठने के बाद, उठना तो दूर की बात, झुकना भी मुश्किल रहा, आख़िर क्यों , इतना भीड़ अब पता चला कि कोरोना के कारण ,पर उस समय घोषणा हुआ रहा कि आज के बाद जयनगर से कोलकाता जाने की ट्रेन कुछ दिनों के लिए रद्द रहेगी, जिसका कारण यह बताया गया रहा कि बरौनी पास राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी के ग्राम सिमरिया घाट पर बनी हुई राजेन्द्र पुल की  मरम्मत होगी, जिसके कारण न ही कलकत्ता से कोई ट्रेन आयेंगी ,और न ही उत्तर बिहार से कोई ट्रेन कोलकाता जायेगी, इसी कारण हम भी जल्दीबाजी में चल पड़े, हां और उसी दिन से कोलकाता से ट्रेन भी आना बंद हो गया रहा, शायद इसका यह कारण रहा होगा कि ट्रेन पूर्व रेलवे की होगी वह अपना अप डाउन दोनों मंगवाना चाहते होंगे, ये जानकारी हम रोशन को ईस्टर्न रेलवे स्काउट के सदस्य होने के कारण रहा , जो भी पर ऐसा यात्रा आज तक हम नहीं किये रहें, शाय़द ट्रेन को भी अपना भूमि से जाने का मन नहीं रहा होगा, बार-बार रुकती ही रही ,जो सिमरिया पुल रात को दस बजे पार करती लेती रही ,पर आज वह एक बजे पुल ही पार की. मतलब तीन घण्टे की देरी से चल रही थी, और देरी पर से देरी होती गई , पहले जो हावड़ा लोग सुबह आठ बजे पहुंच जाते रहे, सो आज उन्नीस मार्च के दोपहर के एक बजे पहुंचे ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :-6290640716 कविता :-16(31)
मेरा पहला यात्रा वृत्तांत,
राष्ट्रीय अग्रसर पत्रिका अंक :- 20 के लिए
                       नाटक :-
शीर्षक :-  जाना पहचाना, जानकर भी मारना बहाना !
प्रस्तुत :- ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के
रामकृष्ण महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना से आयोजित
2.0 स्वच्छ भारत समर इंटर्शिप कैम्प शिविर 2019 कार्यक्रम में प्रधानाध्यापक डॉ अनिल कुमार मंडल जी, एन.एस.एस यूनिट -1 के कार्यक्रम अधिकारी डॉ अशोक कुमार सर जी,
एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी सह 34 वीं बिहार बटालियन एनसीसी के ए.एन. ओ साहब सर डॉ राहुल मनहर जी के सहयोग से कैवल्य ग्रुप से 09 अगस्त 2019 शुक्रवार 12:30 को प्रस्तुत किया गया रहा ।

प्रस्तुत स्थल :- लालू टोला प्राथमिक विद्यालय जगतपुर, मधुबनी बिहार
लिखें रहें :- 02-10-2018 मंगलवार 22:10
दिनांक :- 09-08-2019 शुक्रवार 12:30

आज एक पक्षी का बच्चा पेड़ से गिरा रहा विकास पाठक चाचा सलकिया R.o office पास फिर कार्टून में रखकर जहां पानी भरते रहे ऊपर रख दिए ।
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/08/1750.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/08/1726.html
https://www.inkalabhindi.com/2020/08/blog-post_476.html?m=1
https://misternkdaduka.blogspot.com/2020/08/20.html?m=1
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/08/1719.html     नाटक, यात्रा वृत्तांत
धन्यवाद कैवल्य ग्रुप, राहुल मनहर सर जी , ग्रुप लीडर पूजा दीदी अगला साल किये गये नाटक प्रकाशित हुआ
आज

[17/08, 11:35] R: 2.0 समर इंटर्नशिप कैम्प में जो नाटक किए रहें वह आज प्रकाशित हुआ गुरु जी 🙏💐💐💐💐💐🙏
[17/08, 11:59] Rahul Manhar Sir: Excellent💐👍👍
[17/08, 12:00] R: धन्यवाद सह सादर प्रणाम 🙏💐💐💐💐💐 🙏
[17/08, 12:01] R: आभार गुरु जी 🙏💐💐💐💐💐🙏

Nss group में :- राहुल मनहर सर, +91 94313 25287
Forwarded किये
[17/08, 11:59] Rahul Manhar Sir: https://misternkdaduka.blogspot.com/2020/08/20.html?m=1
[17/08, 12:00] Rahul Manhar Sir: Excellent roshan congratulations👍👍💐💐💐💐

विश्व साहित्य संस्थान

[17/08, 13:43] Prabin झा Writter: *बिहार इलेक्शन कवर करने के लिए मैथली में बोलने और लिखने में कोई अच्छा (लड़का/लड़की) कंटेंट राइटर की ज़रूरत है, जिसकी बिहार की राजनीति पर पकड़ अच्छी हो। इच्छुक व्यक्ति संपर्क करें। Mb. 9599544364*
[17/08, 13:43] R: खूब नीक मौका
[17/08, 13:53] Prabin झा Writter: हमपूर्व में मीडिया में  कतो कार्य नय केने छी तेँ नय हम एहि हिनकर संवादाता बनी स्कैत छी..
[17/08, 13:53] Prabin झा Writter: कियो अन्य इक्षुक छी त' हुनका लेल आई
[17/08, 13:54] Prabin झा Writter: आर मीडिया क्षेत्र में फ्रेसर के लेल किनको जन्तव्य में वर्क होइ त' से खबर हमरो संग सांझा करब...🙏🙏
[17/08, 13:56] R: जरूर भाई जी
[17/08, 13:56] R: इंक़लाब न्यूज़ के बनब
[17/08, 14:03] Prabin झा Writter: कत' के लेल
[17/08, 14:03] R: जतअ के बनब

[17/08, 14:03] Prabin झा Writter: जी भैयारी कहल जाउ
[17/08, 14:03] R: हां हां कहुं
[17/08, 14:03] R: ठीक छी
[17/08, 14:04] Prabin झा Writter: जौँ आई हम पूर्व सँ मीडियाकर्मी रहितों त' आई हमरा हुनक संग डील भ' जाइत
[17/08, 14:04] Prabin झा Writter: ग्रुप में बात करब अनुचित छल
[17/08, 14:04] R: हां हां
[17/08, 14:05] R: सही कहनोउ हेए भाई जी 🙏
[17/08, 14:05] Prabin झा Writter: फिलहाल  त' हम दिल्ली में छी
[17/08, 14:05] R: आब शुरुआत कअ दियोअ
[17/08, 14:05] R: दिल्ली सअ ही दियोअ
[17/08, 14:05] Prabin झा Writter: सेह सोची रहल छी
[17/08, 14:06] R: हां, हां
[17/08, 14:06] Prabin झा Writter: जी किएक नय
[17/08, 14:06] R: हमहु तअ एक महीना सअ तअ करैछी
[17/08, 14:06] Prabin झा Writter: बहुत गोटेक कहला मुदा हम इग्नोर करैत ऐलियै हन
[17/08, 14:06] Prabin झा Writter: नीक आई
[17/08, 14:06] Prabin झा Writter: एकर की प्रावधान छैय
[17/08, 14:07] Prabin झा Writter: से साझा कैल जाउ
[17/08, 14:08] R: यदि अहा id बनेबैई तअ 500 रुपया लागत , नैई बनेबैय तैयोअ अहा के रिपोर्ट प्रकाशित करत
[17/08, 14:08] Prabin झा Writter: नीक
[17/08, 14:08] R: और विज्ञापन देबई तअ एक विज्ञापन पर 500 देएत
[17/08, 14:09] R: अहा के
[17/08, 14:09] Prabin झा Writter: अच्छा
[17/08, 14:09] Prabin झा Writter: केहन तरहक विज्ञापन
[17/08, 14:09] R: +91 98192 73616
[17/08, 14:10] R: प्रचार लेर कुनु नव स्कुल
[17/08, 14:10] R: सागर यादव जख्मी जी
[17/08, 14:10] R: मुंबई
[17/08, 14:10] Prabin झा Writter: अच्छा
[17/08, 14:10] Prabin झा Writter: बात करैत छियैन्ह
[17/08, 14:10] R: कियोअ यदि नाम बदलअ चाहैय सेअ
[17/08, 14:11] R: हां
[17/08, 14:11] Prabin झा Writter: 👍🏻🙏
[17/08, 14:11] R: 🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐

[17/08, 14:11] R: नमस्ते गुरु जी 🙏💐💐💐💐💐
[17/08, 14:11] R: +91 72890 20982
[17/08, 14:12] R: दिल्ली से पत्रकार के रूप में जुड़ना चाहते है , प्रवीण झा जी

विश्व साहित्य संस्थान पर
[17/08, 14:59] Goutam: हम छी ने
[17/08, 14:59] Goutam: बाजू ने
[17/08, 15:00] Prabin झा Writter: अपने उक्त नम्बर पर सम्पर्क कैल जाउ।मुदा पूर्व में मीडियाक अनुभव जरूरी आई से ध्यान राखल जाउ🙏🙏


हे रास !
********

हे रास !  अवध में आओ !!

पर - पीर देख , खुश   होते ।
उनके बच्चे , जब      रोते  ।
जब आग  कहीं पर लगती ?
उनको खुशहाली    जगती ।
सुत रहे   पिता के   आगे ।
अब  ऐसा नियम  बनाओ ।।

हर फूल  समाता घर   हो  ।
अन्दर से हो , बाहर   हो   ।
तरु फूल  - फले  बेमौसम ।
यह सत्य नियम हो  कायम।
मर्यादा   की    रक्षा      में  ,
अपना  कर - पांव लगाओ।।

अब कामधेनु घर - पर   हो।
पय - पुर  मही , सत्वर  हो।
माखन - मिसरी सब खाएं ।
पल - पल आनन्द  मनाएं ।
चाहो तुम जहां, वहां   से  ,
मंगल - घड़ियां , लेे   आओ।।

---- गिरीश इन्द्र,कोठिया, आजमगढ़, ऊ ०प्र०-२७६१२४.
०००
http://vishshahity20.blogspot.com/2020/08/10.html

उक्त रचना स्वरचित और अप्रकाशित है।-- गिरीश इन्द्र।
दि०-१७/०८/२०२० ई ०.

इंक़लाब न्यूज़, मुंबई                  रोशन कुमार झा
दिनांक :- 17/08/2020 , सोमवार
नई दिल्ली / कोलकाता

प्रधानमंत्री मोदी ने किया राष्ट्रीय कैडेट कोर कैडेट्स के विस्तार का ऐलान, होंगी एक तिहाई लड़कियां कैडेट्स

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, एनसीसी राष्ट्रीय कैडेट कोर
कैडेट्स का विस्तार 173 बॉर्डर एरिया क्षेत्र में किया जाएगा. इस अभियान के तहत करीब 1 लाख नए एनसीसी कैडेट्स को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी. नए एनसीसी कैडेट्स में एक तिहाई लड़कियां होंगी. उन्हें उनके संबंधित क्षेत्र में ट्रेंड किया जाएगा.
राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps-NCC) की स्थापना 16 जुलाई 1948 में पण्डित ह्रदयनाथ कुजरू जी के सहयोग से किया गया, और कर्नल जी.जी. बैबूर को सैनिक अधिकारी को एनसीसी का प्रथम निदेशक नियुक्त किया गया.राष्ट्रीय कैडेट कोर का प्रस्ताव " एकत्रा और अनुशासन है,
इसी उद्देश्य के साथ एनसीसी के विस्तार पर भी जोर दिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'एनसीसी कैडेट्स का विस्तार 173 बॉर्डर एरिया में किया जाएगा. इस अभियान के तहत करीब 1 लाख नए एनसीसी कैडेट्स को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी. नए एनसीसी कैडेट्स में एक तिहाई लड़कियां होंगी. उन्हें उनके संबंधित क्षेत्र में ट्रेंड किया जाएगा.'
पीएम ने कहा, 'बॉर्डर और कोस्ट एरिया के युवाओं के विकास उसको भी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विकास की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. एक बड़ा अभियान हम शुरू कर रहे हैं. हमारे जो बॉर्डर इलाके हैं, वहां के 173 जिले हैं जो किसी न किसी देश की सीमा या समुद्री तट से जुड़े हुए हैं. आने वाले दिनों में एनसीसी का विस्तार उन बॉर्डर जिले के नौजवाने के लिए किया जाएगा. बॉर्डर एरिया के लिए एक लाख नए कैडेट्स तैयार करेंगे. बॉर्डर एरिया के कैडेट्स को सेना प्रशिक्षित करेगी. कोस्ट एरिया के कैडेट्स को नेवी और जहां एयरबेस हैं वहां के कैडेट्स को एयरफोर्स ट्रेनिंग देगी. इससे युवाओं को आर्म्ड फोर्सेज में जगह बनाने के लिए स्किल भी मिलेगी.
देश के सीमावर्ती इलाकों तक एनसीसी के विस्तार के ऐलान से नौजवानों का जोश हाई था. दिल्ली के एक स्कूल में 12वीं के छात्र सौरभ ने कहा- जोश इज वेरी हाई.. ये योजना जबरदस्त होगी. वहीं, इन कैडेट्स के ट्रेनर अनिल खत्री ने इसे अनिवार्य कर देने की मांग कर डाली. उन्होंने कहा कि देश में गिरते नैतिक मूल्यों की वजह देशभक्ति का जज्बा न होना भी है. गौरतलब है कि 17 राज्यों में 98 ग्रुप हेडक्वार्टर्स, 814 बटालियन के जरिए एनसीसी के करीब 15 लाख कैडेट्स ट्रेनिंग लेते हैं. सेना के तीनों विंग के साथ उनके कठिन प्रशिक्षण शिविर लगते हैं. इसके अलावा ट्रैकिंग, मैप रीडिंग और अन्य सैन्य गतिविधियों के जरिए उनमें आत्मविश्वास और देशभक्ति की भावना भरी जाती है.
साल 2010 में एनसीसी में 13 लाख कैडे़ट्स थे. पिछले साल तक इनकी तादाद बढ़ कर 15 लाख हो गई. देश भर में 16597 शैक्षणिक संस्थानों में एनसीसी की 825 यूनिट्स हैं. इन संस्थानों में 11022 स्कूल हैं और 5575 कॉलेज हैं. देशभर में 15 लाख से ज्यादा एनसीसी कैडेट्स में से 4 लाख 26 हजार यानी 32 फीसदी हिस्सेदारी लड़कियों की हैं. 16 जुलाई 1948 को नेशनल कैडेट्स कोर एक्ट के जरिए इस संस्थान की शुरुआत रक्षा मंत्रालय के मातहत की गई थी.
https://www.inkalabhindi.com/2020/08/blog-post_513.html?m=1

15-05-2020 शुक्रवार 08:35 कविता :-16(32)
आलेख -:  राष्ट्रीय कैडेट कोर पर परिचर्चा  ।:-

राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps-NCC) की स्थापना 16 जुलाई 1948 में पण्डित ह्रदयनाथ कुजरू जी के सहयोग से किया गया, और कर्नल जी.जी. बैबूर को सैनिक अधिकारी को एनसीसी का प्रथम निदेशक नियुक्त किया गया.राष्ट्रीय कैडेट कोर का प्रस्ताव " एकत्रा और अनुशासन है,
समय के साथ, कठोर परिश्रम करते हुए, बिना बहाने झुठ  न बोलते हुए, मुस्कुराते हुए आज्ञा का पालन करना ही अनुशासन की विशेषताएं हैं ,
एन.सी.सी का झण्डा तीन रंग की तीन बराबर भागों में बांटा हुआ है, सबसे पहले लाल, बीच में गहरी नीले, उसके बाद आसमानी रंग की पट्टी होती है, जो थलसेना, जलसेना,व वायु सेना की प्रतीक दर्शाती है , और इसके इतने प्यारे व मधुर गान है क्या बतलाऊं, गाते ही एक अलग आनंद मिलती है, गीत की शुरुआत इस प्रकार है :- हम सब भारतीय हैं, अपनी मंजिल एक है हां हां एक है , हम सब भारतीय हैं ।
हर वर्ष के नवम्बर के अन्तिम रविवार को एनसीसी दिवस के रूप में मनाया जाता है, नई दिल्ली में अपने मुख्यालय के साथ भारतीय सैन्य कैडेट कोर है। और इसके सत्तरह निदेशालय हैं, जैसे कि हम जानते हैं ,हमारा भारत में 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश है, तो एनसीसी का भी उतना निदेशालय होना चाहिए , पर ऐसा नहीं है , एक या एक से अधिक राज्यों को मिलाकर एक निदेशालय हैं, जैसे कि पश्चिम बंगाल व सिक्किम निदेशालय , जिसका मुख्यालय कोलकाता है, अब निदेशालय को भी 95 ग्रुप में जल,थल,वायु में बांटा गया है,85 ग्रुप थल, 4 ग्रुप जल सेना और 6 ग्रुप वायुसेना के है,ग्रुप का नाम स्थान के नाम पर होते हैं ज्यादातर जिले के नाम पर जैसे कोल- बी यानि कोलकाता बी, ऐसा नाम कहीं कहीं होते हैं, अधिकांश जिला के नाम पर होते हैं, जैसे कि मुजफ्फरपुर ग्रुप । ग्रुप कमांडर बिग्रेडियर रेंक वाले होते हैं ,और ग्रुप के अन्दर बटालियन होते हैं , जिसका कमाडिंग आफिसर कर्नल होते हैं, बटालियन का नाम इस प्रकार के होते हैं , जैसे 31 बीं बंगाल बटालियन एनसीसी, उसके बाद बटालियन के अंदर बहुत सारा स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय आते हैं, जिसे कम्पनी कहते हैं, जैसे नरसिंहा दत्त कालेज कम्पनी नम्बर पांचवीं, जिसका कमांड ए. एन.ओ  करते हैं
( Associate NCC Officer ) एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर करते हैं ,इनका भी रेंक होते हैं, :- लेफ्टिनेंट,कैप्टन
,मेजर एस. डी के लिए, और जे.डी के ए.एन.ओ के रेंक इस प्रकार होते हैं, थर्ड आफिसर, सेकेण्ड आफिसर, फर्स्ट आफिसर, और एन.सी.सी कैडेट का भी रेंक होता है,
सीनियर अन्डर आफिसर,(SUO), जूनियर अन्दर आफिसर
(JUO ), सारजेंट, कारपोरल, लान्सकारपोरल, और भी सीनियर डिवीजन के लिए, और जूनियर डिवीजन कैडेट के ये रेंक होते हैं , ट्रुप सार्जेन्ट, कारपोरल, लान्सकारपोरल ये रेंक इनके अच्छे गुणों पर मिलते हैं ।
इसमें भी कैडेट का अपना एक रेजिमेंटल नम्बर होते हैं , जैसे
WB17SDA112047 कैडेट रोशन कुमार झा,ये नम्बर राज्य के नाम का संकेत, उसके बाद वर्ष के संकेत होते हैं जैसे यहां पर 17 है यानि दो हजार सत्ररह का है, उसके बाद जो SD
एस.डी है इसका मतलब सीनियर डिवीजन,ये भी चारों भागों में बांटा गया है, स्कूल स्तर पर जो एनसीसी होते हैं , वहां के कैडेट्स को जे.डी (JD ) और जे.डब्लु (JW) कहते हैं, जे.डी मतलब जूनियर डिवीजन, और जे.डब्लु मतलब जूनियर विंग्स , लड़का कैडेट को जूनियर डिवीजन, और लड़की कैडेट को जूनियर विंग्स कहते है, इनका परीक्षण दो वर्षों का होता है, और इन्हें एक या दो वार्षिक कैम्प करना पड़ता है, इसके ये कैडेट्स A ए की परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं,
और कॉलेज व विश्वविद्यालय स्तरीय लड़का कैडेट को SD एस.डी यानि सीनियर डिवीजन और गर्ल्स कैडेट को SW एस.डब्लू यानि सीनियर विंग्स कहते हैं ।
और इनका तीन साल का कोर्स होता है, जिसमें तीन कैम्प शिविर करना पड़ता हैं, उसके बाद बी और सी की परीक्षा में शामिल होना पड़ता है
इसमें कैडेटों को आर्मी के जवानों पी आई स्टाफ साहब लोग,
छोटे-बड़े हथियारों खोलना जोड़ना सीखाते है, जैसे एल. एम. जी, मतलब 7.62 सेल्फ लोडिंग राइफल, एस. एल,. आर
7.62 लाइट मशीन गन आदि को खोलना जोड़ना सीखाते है, और कैडेट्स से .22 हथियार से फायरिंग करवाते हैं, और यहां से कैडेट्स को 26 जनवरी व 15 अगस्त के परेड पर दिल्ली तक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तक मिलने का सोभाग्य इन्हें अपने प्रशिक्षण से प्राप्त होता है । और इन्हें यहां से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कैम्प में पर भी भेजते हैं।ये एनसीसी कैडेट दुर्गा पूजा व अन्य कार्यक्रम में पुलिस के साथ ड्यूटी करके प्रशासन की सेवा में हाथ बढ़ाते हैं, और वर्तमान में कोरोना जैसी महामारी में भारत स्काउट गाइड, सेंट जांन एम्बूलेंस, राष्ट्रीय सेवा योजना के साथ साथ राष्ट्रीय कैडेट कोर के कैडेट्स भी
सहयोग कर रहे हैं । साहित्य की जय,एनसीसी की जय ,
जय हिन्द , जय भारत ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
15-05-2020 शुक्रवार 08:35
मो :- 6290640716 कविता :-16(31)

राष्ट्रीय अग्रसर पत्रिका अंक :- 21 के लिए कहानी

-:  वह तीन दोस्त  !:-

वह तीन दोस्त, आख़िर में क्या रहा उन तीन दोस्तों में, कौन रहा वह तीन दोस्त, तो आइए जानते हैं, कहानी लिलुआ की पनौतीपण्डित, धर्मेन्द्र और मोनू की है , वह दोस्त मानों तो एक अटल, तो दूसरा कलाम,और तीसरा मनमोहन, मतलब ? मतलब यह कि तीनों उन्हीं महानों के राह पर चल पड़े थे, पनौतीपण्डित साहित्य से जुड़े अर्थात अटल जी जिसके खिलाड़ी थे, दूसरा धर्मेन्द्र विज्ञान से पढ़ने वाले, और वह देश दुनिया के लिए अब्दुल कलाम की तरह विज्ञान से कुछ करना
चाहते थे , और तीसरा मोनू तो वे मनमोहन जी के विषय वाणिज्य पर चल पड़े थे, तीनों की मंजिल एक ही, पर राह अलग थे , तीनों का मानना था, जब जीवन पाये है , तो क्यों न मानव सेवा में लगाऊं, सेवा करने के लिए तन मन के साथ धन की भी जरूरत होती है, धन की उत्पत्ति के लिए तीनों ने विद्या को ही सर्वोत्तम मानें ,तीनों के घर की आर्थिक स्थिति ख़राब ही था , इसी भावना के साथ पनौतीपण्डित अपने घर की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के बावजूद भी लोक कल्याण में
लगा दिए वह कैसे उनके पास धन तो थे नहीं, पर मन और अपने कला, ज्ञान से निःशुल्क में विद्यार्थियों को पढ़ाने लगे , तीनों की दिल की पूजा पाठ भी हुआ रहा ,राजा रानी की तरह मिलन की रात भी हुआ रहा, ने... हा से यानि सीमा रेखा पार भी हुआ रहा ,तब जाकर उन तीनों में नव जीवन की कृति हुआ रहा,पता न किस लिए तीनों अपने सुख-सुविधा को त्यागकर मानव सेवा में लगाना चाहते थे , या प्रकृति का ही देन रहा होगा, अब बात करते उन दिनों की, जब तीनों अपने होंठों पर मुस्कान भरने के लिए दिन के दो से  तीन घण्टे इधर-उधर भटकते रहते थे, और जो धर्मेंद्र जिसको प्यार से लोग डीके कहते थे , इतना मज़ाक करते थे कि पूछो मत, और मोनू बेचारा हमेशा मुस्कुराते ही रहते थे, और पनौतीपण्डित तो खाली बकबक ही करता रहता था, और कैसे न करता साहित्य प्रेमी भी तो था .और तीनों में एक और चीज मिलता था, कैसा भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा मुस्कुराते हुए रहता था , पता न एक का और धर्मेन्द्र और मोनू पढ़ते-पढ़ते कितना भी रात क्यों न हो जाएं , बिना पिता परमेश्वर यीशु की प्रार्थना किये हुए सोता नहीं था , और वह जो एक पनौतीपण्डित था वह विवेकानंद के विचार धारा के,वे सर्व धर्म में विश्वास करते थे, कभी राम,कभी खुदा को तो कभी मसीहा को तो कभी गौतम तो कभी महावीर को याद कर लेते थे ,और तीनों में एक और चीज मिलता था, कैसा भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा मुस्कुराते हुए रहता था , समय अपने गति से चलता गया , अब तीनों में ऐसा बदलाव आ गया की, पूछो मत पहले कहां दो से तीन घण्टे बीताते रहते थे , अब सप्ताह में अगल दस मिनट के लिए भी मिलते हैं तो प्रतीत होता है कि फूल है पर पत्तें नहीं, वही डीके लोगों से इतना मज़ाक करता था, आज वही
चाणक्य की तरह गंभीर रहने लगे हैं, ऐसा नहीं है कि बोलते नहीं है , वही बोलते हैं जो सटीक रहता,और मोनू उन दोनों की तरह कल भी कम और आज भी बहुत कम ही बोलते हैं , शायद किसी महानों के यह कथन उससे मिलता , "जो गरजते हैं , वह बरसते नहीं और जो बरसते हैं वह गरजते नहीं , ऐसा लक्षण उसमें दिखता था , शायद उसका मन में ये रहा हो कि कुछ करके ही मुंह खोलेंगे ! इस तरह तीनों में बदलाव आया, और तीनों अपने मंजिल तक जानें में सफल रहे हैं , और रहेंगे भी !

सीख :- बीत जायेगी अन्धेरी रात, राह रोशन होगा और होगी प्रभात, कब जब अन्दर से हो जज़्बात , जो चलता राह पर
उसी का देता ऊपर वाला साथ !

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
05-05-2020 मंगलवार 08:40 मो:-6290640716
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha, कविता :-16(20),
कविता :- 17(26) , 17-08-2020  सोमवार
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1620-102.html
R: वह तीन दोस्त  Teen dosto ki kahani  >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/teen-dosto-ki-kahani.html



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