कहानी :-16(20), हिन्दी कहानी :-1(02) , आलेख :-प्रभात खबर में प्रकाशित रचना :-

कहानी :-  16(20) हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
कहानी :- 1(02) हिन्दी  ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
05-05-2020 मंगलवार 08:40 मो:-6290640716

-:  वह तीन दोस्त  !:-

वह तीन दोस्त, आख़िर में क्या रहा उन तीन दोस्तों में, कौन रहा वह तीन दोस्त, तो आइए जानते हैं, कहानी लिलुआ की पनौतीपण्डित, धर्मेन्द्र और मोनू की है , वह दोस्त मानों तो एक अटल, तो दूसरा कलाम,और तीसरा मनमोहन, मतलब ? मतलब यह कि तीनों उन्हीं महानों के राह पर चल पड़े थे, पनौतीपण्डित साहित्य से जुड़े अर्थात अटल जी जिसके खिलाड़ी थे, दूसरा धर्मेन्द्र विज्ञान से पढ़ने वाले, और वह देश दुनिया के लिए अब्दुल कलाम की तरह विज्ञान से कुछ करना
चाहते थे , और तीसरा मोनू तो वे मनमोहन जी के विषय वाणिज्य पर चल पड़े थे, तीनों की मंजिल एक ही, पर राह अलग थे , तीनों का मानना था, जब जीवन पाये है , तो क्यों न मानव सेवा में लगाऊं, सेवा करने के लिए तन मन के साथ धन की भी जरूरत होती है, धन की उत्पत्ति के लिए तीनों ने विद्या को ही सर्वोत्तम मानें ,तीनों के घर की आर्थिक स्थिति ख़राब ही था , इसी भावना के साथ पनौतीपण्डित अपने घर की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के बावजूद भी लोक कल्याण में
लगा दिए वह कैसे उनके पास धन तो थे नहीं, पर मन और अपने कला, ज्ञान से निःशुल्क में विद्यार्थियों को पढ़ाने लगे , तीनों की दिल की पूजा पाठ भी हुआ रहा ,राजा रानी की तरह मिलन की रात भी हुआ रहा, ने... हा से यानि सीमा रेखा पार भी हुआ रहा ,तब जाकर उन तीनों में नव जीवन की कृति हुआ रहा,पता न किस लिए तीनों अपने सुख-सुविधा को त्यागकर मानव सेवा में लगाना चाहते थे , या प्रकृति का ही देन रहा होगा, अब बात करते उन दिनों की, जब तीनों अपने होंठों पर मुस्कान भरने के लिए दिन के दो से  तीन घण्टे इधर-उधर भटकते रहते थे, और जो धर्मेंद्र जिसको प्यार से लोग डीके कहते थे , इतना मज़ाक करते थे कि पूछो मत, और मोनू बेचारा हमेशा मुस्कुराते ही रहते थे, और पनौतीपण्डित तो खाली बकबक ही करता रहता था, और कैसे न करता साहित्य प्रेमी भी तो था .और तीनों में एक और चीज मिलता था, कैसा भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा मुस्कुराते हुए रहता था , पता न एक का और धर्मेन्द्र और मोनू पढ़ते-पढ़ते कितना भी रात क्यों न हो जाएं , बिना पिता परमेश्वर यीशु की प्रार्थना किये हुए सोता नहीं था , और वह जो एक पनौतीपण्डित था वह विवेकानंद के विचार धारा के,वे सर्व धर्म में विश्वास करते थे, कभी राम,कभी खुदा को तो कभी मसीहा को तो कभी गौतम तो कभी महावीर को याद कर लेते थे ,और तीनों में एक और चीज मिलता था, कैसा भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा मुस्कुराते हुए रहता था , समय अपने गति से चलता गया , अब तीनों में ऐसा बदलाव आ गया की, पूछो मत पहले कहां दो से तीन घण्टे बीताते रहते थे , अब सप्ताह में अगल दस मिनट के लिए भी मिलते हैं तो प्रतीत होता है कि फूल है पर पत्तें नहीं, वही डीके लोगों से इतना मज़ाक करता था, आज वही
चाणक्य की तरह गंभीर रहने लगे हैं, ऐसा नहीं है कि बोलते नहीं है , वही बोलते हैं जो सटीक रहता,और मोनू उन दोनों की तरह कल भी कम और आज भी बहुत कम ही बोलते हैं , शायद किसी महानों के यह कथन उससे मिलता , "जो गरजते हैं , वह बरसते नहीं और जो बरसते हैं वह गरजते नहीं , ऐसा लक्षण उसमें दिखता था , शायद उसका मन में ये रहा हो कि कुछ करके ही मुंह खोलेंगे ! इस तरह तीनों में बदलाव आया, और तीनों अपने मंजिल तक जानें में सफल रहे हैं , और रहेंगे भी !

सीख :- बीत जायेगी अन्धेरी रात, राह रोशन होगा और होगी प्रभात, कब जब अन्दर से हो जज़्बात , जो चलता राह पर
उसी का देता ऊपर वाला साथ !

                  🙏 धन्यवाद ! 💐🌹

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
05-05-2020 मंगलवार 08:40 मो:-6290640716
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha

R: वह तीन दोस्त  Teen dosto ki kahani  >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/teen-dosto-ki-kahani.html
R: घर को बनायें प्राथमिक शिक्षा का केंद्र  ghar ko banaye prathmik shiksha ka kendr >> https://kalamlive.blogspot.com/2020/05/ghar-ko-banaye-prathmik-shiksha-ka-kendr.html
[ R: मत मनाएं अभी वर्षगांठ Abhi mat manao varshganth >> https://kalamlive.blogspot.com/2020/05/abhi-mat-manao-varshganth.html
R: रहें नहीं श्री नथुनी साह जी >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/blog-post_5.html
हमारी पहली रचना जो ( प्रभात खबर) में प्रकाशित हुआ !

कविता  :-  15(17)  हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳

आलेख :-  हिन्दी         ✍️ रोशन कुमार झा

-: घर को बनायें प्राथमिक शिक्षा का केंद्र ! :-

बदलते परिवेश में शिक्षा प्रणाली, परिपाटी व परंपरा भी
बदलती जा रही है. आज अभिभावक दो वर्षीय बच्चे
को प्ले स्कूल में डाल कर कर्त्तव्य की शुरुआत कर देते
हैं, बच्चें को जल्द ही समझदार बनाना अपनी जिम्मेदारी
समझते हैं, लेकिन अनजाने में वे अपने बच्चों को समाज
और परिवार से दूर करने का भी काम करते हैं.
बच्चे का प्राथमिक स्कूल घर, परिवार और समाज ही है ,
जो नैतिकता, सामाजिकता व भाईचारे का पाठ पढ़ाता
है. बालक माता-पिता, दादा-दादी , भाई-बहन,
रिश्तेदारों आदि से मातृभाषा सीखता है, इससे संस्कार
भी मिलता है, लेकिन कच्ची उम्र में ही स्कूलों के दरवाज़े
तक पहुंचा देने पर वे व्यावहारिक ज्ञान से अछूत रह जाते
हैं, इसलिए जरूरी है कि अभिभावक बच्चों को स्कूल
भेजने के पहले घर को ही प्राथमिक शिक्षा का केंद्र बनाएं,

                  🙏 धन्यवाद ! 💐🌹

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
04-05-2020 सोमवार  मो :-6290640716
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha

• रोशन कुमार, हावड़ा
05-12-2015 शनिवार लिखकर ईमेल किये
लिलुआ से 07-12-2015 सोमवार को प्रभात खबर
में प्रकाशित हुआ ! यह मेरी पहली रचना है !
कोलकाता सोमवार 7, दिसंबर,2015 मार्ग शीर्ष
कृष्ण 11 संवत 2072 ( फ्लैग डे )
सशस्त्र सेना झंडा दिवस !।
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1619.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1618.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/blog-post_29.html 
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1609_29.html  https://kalamlive.blogspot.com/2020/04/blog-post_87.html
https://kalamlive.blogspot.com/2020/04/roshan-kumar-jha-jivan-prichay.html 
रोशन कुमार झा
(1)
https://allpoetry.com/Roshan_Kumar_jha
(2) रचनाकार :-
https://www.rachanakar.org/2020/04/blog-post_476.html
(3) अमर उजाला :-
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/roshan-kumar-come-here-krishna-poem-written-by-roshan-kumar-jha

(4)
https://kalamlive.blogspot.com/2020/04/corona-ke-khilaaf-desh-ki-janata.html
(5) भोजपुरी
https://kalamlive.blogspot.com/2020/04/blog-post_87.html
(6) जीवनी :-
https://kalamlive.blogspot.com/2020/04/roshan-kumar-jha-jivan-prichay.html
(7)
नाटक :- https://kalamlive.blogspot.com/2020/05/blog-post.html
दोहा :-
https://kalamlive.blogspot.com/2020/05/corona-sambndhit-doha.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1614-101.html

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