कविता :- 17(18) हिन्दी

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
दिनांक :- 09-08-2020
दिवस :- आदित्यवार
विधा :- कविता
विषय प्रदाता :- आ. तृप्ति त्रिवेदी जी
विषय प्रवर्तन :- आ. रमेश यादव जी
शीर्षक :- राम मंदिर भूमि पूजन

कविता :- 17(18)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान , उत्तर प्रदेश ईकाई
द्वारा प्रकाशित होने वाले बाल काव्य संग्रह के लिए रचना :-
दिनांक :- 09/08/2020
दिवस :- रविवार

शीर्षक :- हम बच्चा है ।

हम बाल बच्चा है ,
भले उम्र से कच्चा है ।
पर तन मन से सच्चा है ,
सब चाहता यही मेरी दशा ।

माता-पिता समाज
से हमारी सुरक्षा है ,
कल के भविष्य आज
हम रोशन बच्चा है ।।
घर के अंदर ही दुनिया
अभी बसा है ,
हम बच्चों के मधुर व्यवहार
से घर परिवार भी हँसा है ।।

न कोई नशा है ,
खेलने की रंग मचा है ।
उसी संग रक्षा है ,
न कोई चिंता,
क्योंकि हम बच्चा है ।‌।

   रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
यह हमारी स्वरचित, मौलिक रचना है ।
9453782287

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
दिनांक :- 09-08-2020
दिवस :- आदित्यवार
विधा :- कविता
विषय प्रदाता :- आ. तृप्ति त्रिवेदी जी
विषय प्रवर्तन :- आ. रमेश यादव जी
शीर्षक :- राम मंदिर भूमि पूजन

हुई होते रहेंगे राम की पूजा ,
हो रही है भूमि पूजन ,
चौदह साल तो सही पाँच सौ
साल बाद आई है ये चमन ,
राम नाम जप रहे है  मोदी, योगी ,
कोविंद और जन जन ,
रघुकुल रीत सदा से आई,
प्राण जाई पर जाई न वचन ।
है राम अपना आदर्श राजन ,
तब मिथिला पुत्री सीता, सीता पति
राम को सादर नमन ,

पांच अगस्त दो हजार बीस
बुधवार की है ये वर्णन ।
है कहां ममता , अब है न वह क्षण ,
अगला साल उन्नीस में 370 वीं धारा हटाकर
किये मोदी जी सभी को प्रसन्न ,
कोरोना काल में ही सही अयोध्या में
राम लला मंदिर की हुई भूमि पूजन ,
जिसमें उपस्थित हुए हैं भाई और बहन ।
घर में ही फल फूल,  निर्मल जल से
पूजा करकें किये है भजन ,
खूब आनंद मिला राम नाम जपे जब हम रोशन ।।

✍️ रोशन कुमार झा

http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/08/1718.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/08/1717.html

इंक़लाब न्यूज़     रोशन कुमार झा

कोलकाता / हावड़ा , पश्चिम बंगाल ,
रविवार                09/08/2020

कल बंगाल में लॉकडाउन रहा

कल शनिवार बंगाल में अगस्त माह की प्रथम सप्ताह की लॉकडाउन के दूसरी दिन रहा, पुलिस कर्मियों की सहयोग से सफल रहा , जी. टी . रोड , हावड़ा ब्रिज जैसे व्यस्त रहने वाले सड़कें सब सूनसान सा दिखता रहा,न कहीं आना, न कहीं जाना,इमरजेंसी सेवा में ही किसी को आने जाने देता रहा,सलकिया, लिलुआ, बामनगाछी सभी इलाकों में कड़ी शासन के साथ लॉकडाउन किया गया ताकि कोरोना की केस कम हो सके और  रविवार को तो वैसे ही लोग बहुत कम ही निकलते हैं यह कहना है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की । इसीलिए वृहस्पतिवार और शनिवार को लॉकडाउन किया जाता है ।

नमन 🙏  :- संगम सवेरा
" संगम सवेरा"- मासिक ई पत्रिका सितंबर 2020 अंक हेतु स्वरचित लघुकथा
दिनांक :- 09/08/2020
दिवस :- रविवार
विषय :- दादी माँ की अस्तित्व
विधा :- लघुकथा

क्या बताऊं , हम उस दादी माँ की अस्तित्व बताने जा रहा हूं जो माँ की अस्तित्व ले ली । दो बहन और एक भाई के बाद दुनिया में आई आनंदनी , वही आनंदनी आनंद का बहन,उसी झोंझीफूलदाई दादी माँ की बात है, आनंदनी के जन्म लेते ही उसकी जीवन रोशन से अंधकार हो गया, वह कैसे ? तो जानिए जन्म लेते ही दो वर्ष की उम्र में ही दिल्ली में आनंदनी की माँ सुधा की मृत्यु हो गई, पिता अरुण दिल्ली में कमाने के लिए रह गया, और दादी अपने बेटे अरूण को छोड़कर अपनी पोती आनंदनी को लेकर गांव आ गई, आनंदनी जन्म से ही विकलांग या उपचार न होने के कारण कमज़ोर हो गई रही , माथा बड़ा पर हाथ पांव पतला पतला , आस-पास के लोग न चलने के कारण उसे लोटिया ,लोटिया कहने लगे यहां तक कि अब ये जिन्दा न रह पायेगी ,मर जायेगी और भी कुछ , ये सब सुनने के बाद भी दादी माँ हार नहीं मानी ।  तनु वक्ष स्थल से धन्यवाद उस दादी माँ को देना चाहता हूँ , जो वृद्धावस्था में भी आनंदनी को बिना दवा दिए, खुद के मेहनत सरसों तेल से मालिश कर करके आनंदनी को चलाने की प्रयास में लगी रही, और एक दिन ऐसा आया वह चलने फिरने लगी और अपने आसपास के लोगों के काम में वह बेचारी आनंदनी हाथ बढ़ाने लगी, इस तरह आनंदनी अपने गांव में बिना माँ की ही दादी माँ की सहयोग से अपनी अस्तित्व बना ली जो कि अधिकांश बच्चे माँ के रहते हुए भी वह अस्तित्व नहीं बना पाते ।

      रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग  कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
कविता :- 16(84) दिनांक :- 06/07/2020 सोमवार
09/08/2020 रविवार कविता :-17(18)

कविता :- 14(57) हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
Roshan Kumar Jha, রোশন কুমার ঝা

-: जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है । :-

जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है ,
कभी आते है, तो कभी वह घर लौट कर नहीं आते है ।
बड़ा मन घबड़ाते है ,
जब कोई सैनिक सीमा पर हमेशा के लिए सो जाते है ।।

मरने के बाद आते है , तिरंगा में आते है ,
उनके अस्थियां भी नदी गंगा में जातें है ।
मैं देशभक्त कवि रोशन महसूस कर चुका हूं, सब दिखावा है
बाज़ार करने लोग सिंगापुर, दरभंगा जाते है ,
बोलो सेना के आलावा कौन सीमा के ढंगा में जाते है ।

कोई नहीं , सब घर बैठे काली पूजा, ईद, दिवाली मनाते है ,
फल फूल से घर द्वार, बाड़ी सजाते है ।
और सीमा पर सैनिक देश सेवा के लिए गोली खाते जाते है ,
कमाते है, वे कमाई के लिए नहीं,
बल्कि देश सेवा के लिए मरे जाते है ।।

जब कोई स्त्री अपनी पति ,
कोई माँ बाप अपने पुत्र को खोने लगते है ,
हम क्या ? प्रकृति भी रोने लगते है ।
देशभर में हलचल होने लगते है ,
कब ? जब कोई सैनिक हमेशा के लिए सोने लगते है ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
10-12-2019 मंगलवार 09:34

नमन 🙏 :- काव्यमंच
दिनांक :- 09/08/2020
दिवस :- रविवार

-: जब हमेशा के लिए सोता है जवान । :-

जब कोई जवान हमेशा के लिए सोता है ,
दिल क्या ? मेरा दिमाग़ भी रोता है ।
क्योंकि कोई अपनी सिन्दूर
तो कोई अपने लाल को खोता है ,

सच पूछो तो बड़ा दुख होता है ,
जब कोई जवान हमेशा के लिए सोता है  ।
चाह कर भी नहीं देखते कि वह पतला है या मोटा है ,
बल्कि आँसू के साथ मैं एक दर्दनाक कविता बोता है ।।

क्योंकि मेरी कोई सीमा नहीं ,
दर्दनाक कविता लिखते वक़्त मेरे
कलम के गति धीमा नहीं ।

यूं तो हर कोई आँसू पोछता है ,
पर हम यूं आँसू के साथ एक दर्दनाक
कविता के बारे में सोचता है ।

जब कोई माँ अपनी पुत्र खोती ,
पाल - पोष कर बड़ा किये रहती, खिलाकर रोटी ।
जब कोई स्त्री अपनी सिन्दूर धोती ,
हम यूं रोशन आँसू के साथ लिख बैठते कविता उन
शहीदों पर , इसे मत समझना पथरा - पोथी ।।

    रोशन कुमार झा

-: जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है । :-

जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है ,
कभी आते है, तो कभी वह घर लौट कर नहीं आते है ।
बड़ा मन घबड़ाते है ,
जब कोई सैनिक सीमा पर हमेशा के लिए सो जाते है ।।

मरने के बाद आते है , तिरंगा में आते है ,
उनके अस्थियां भी नदी गंगा में जातें है ।
मैं देशभक्त कवि रोशन महसूस कर चुका हूं, सब दिखावा है
बाज़ार करने लोग सिंगापुर, दरभंगा जाते है ,
बोलो सेना के आलावा कौन सीमा के ढंगा में जाते है ।

कोई नहीं , सब घर बैठे काली पूजा, ईद, दिवाली मनाते है ,
फल फूल से घर द्वार, बाड़ी सजाते है ।
और सीमा पर सैनिक देश सेवा के लिए गोली खाते जाते है ,
कमाते है, वे कमाई के लिए नहीं,
बल्कि देश सेवा के लिए मरे जाते है ।।

जब कोई स्त्री अपनी पति ,
कोई माँ बाप अपने पुत्र को खोने लगते है ,
हम क्या ? प्रकृति भी रोने लगते है ।
देशभर में हलचल होने लगते है ,
कब ? जब कोई सैनिक हमेशा के लिए सोने लगते है ।।

सोनू कुमार झा

® ✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,

Name :- Roshan Kumar Jha
District :- Kolkata
State :- West Bengal
Subject :- Poem
Instagram Id :-
31 st 2015 :- +918240607312, +91 91635 53664

नमन 🙏 :- बूँद बूँद सागर ‘ के लिए रचना ---
दिनांक :-09/08/2020  दिवस :- रविवार
शीर्षक :- राम मंदिर भूमि पूजन

हुई होते रहेंगे राम की पूजा ,
हो रही है भूमि पूजन ,
चौदह साल तो सही पाँच सौ
साल बाद आई है ये चमन ,
राम नाम जप रहे है  मोदी, योगी ,
कोविंद और जन जन ,
रघुकुल रीत सदा से आई,
प्राण जाई पर जाई न वचन ।
है राम अपना आदर्श राजन ,
तब मिथिला पुत्री सीता, सीता पति
राम को सादर नमन ,

पांच अगस्त दो हजार बीस
बुधवार की है ये वर्णन ।
है कहां ममता अब है न वह क्षण ,
अगला साल उन्नीस में 370 वीं धारा हटाकर
किये मोदी जी सभी को प्रसन्न ,
कोरोना काल में ही सही अयोध्या में
राम लला मंदिर की हुई भूमि पूजन ,
जिसमें उपस्थित हुए हैं भाई और बहन ।
घर में ही फल फूल,  निर्मल जल से
पूजा करकें किये है भजन ,
खूब आनंद मिला राम नाम जपे हुआ राह रोशन ।।

✍️ पूजा गुप्ता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी
गांव :- राजनगर, मधुबनी , बिहार
मो :- 7061410453
+91 97802 88100 बूंद सागर

नमन 🙏 :- काव्य मंच
दिनांक :- 09/08/2020
दिवस :- रविवार
-: जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है । :-

जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है ,
कभी आते है, तो कभी वह घर लौट कर नहीं आते है ।
बड़ा मन घबड़ाते है ,
जब कोई सैनिक सीमा पर हमेशा के लिए सो जाते है ।।

मरने के बाद आते है , तिरंगा में आते है ,
उनके अस्थियां भी नदी गंगा में जातें है ।
मैं देशभक्त कवि रोशन महसूस कर चुका हूं, सब दिखावा है
बाज़ार करने लोग सिंगापुर, दरभंगा जाते है ,
बोलो सेना के आलावा कौन सीमा के ढंगा में जाते है ।

कोई नहीं , सब घर बैठे काली पूजा, ईद, दिवाली मनाते है ,
फल फूल से घर द्वार, बाड़ी सजाते है ।
और सीमा पर सैनिक देश सेवा के लिए गोली खाते जाते है ,
कमाते है, वे कमाई के लिए नहीं,
बल्कि देश सेवा के लिए मरे जाते है ।।

जब कोई स्त्री अपनी पति ,
कोई माँ बाप अपने पुत्र को खोने लगते है ,
हम क्या ? प्रकृति भी रोने लगते है ।
देशभर में हलचल होने लगते है ,
कब ? जब कोई सैनिक हमेशा के लिए सोने लगते है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
          कोलकाता

  यह रचना हमारी स्वरचित, मौलिक व अप्रकाशित है ।

बूँद बूँद सागर ‘ के लिए रचना
09/08/2020 
तुम्हारी यादें !:-

आंखों से मेरे आंसू बहने दो ,
मत रहो मेरे पास, बस अपनी यादें रहने दो ।

चांदनी रातें में जो बांटे थे सुख ,   वे रहने दो ,
अंधेरी रात में जो दुख देकर गयी वे अब सहने दो ।

पार्क , बाग़ में बैठकर किये थे, जो बातें,
अब उस बातें को रहने दो ,
जो पूरा नहीं हुआ चाहत , उन चाहत को रहने दो ।

तुम्हारे आने की जो आगाज़ थी , उस पल को रहने दो ,
तुम्हारे जाने से जो हम कोमल को गम मिला,
अब उस गम को सहने दो ।

तुम्हारी जो घुँघरू की आवाज थी, उस आवाज को सुनने दो,
जो तुम्हारे लिए रखें थे प्रेम की बातें ,
अब उन बातों को कहने दो ।

तुम्हारी जो आने की मार्ग थी, उस मार्ग को निखारते रहने दो,
तुम आओ या मत आओ , बस हमारी इंतजार जारी रहने दो ।

पतझड़ में दी थी होंठों पर मुस्कान, उस मजे को रहने दो ,
भरी बंसत में जो देकर गयी सजा , उस सजे को सहने दो ।

पास रहो या मत रहो ,
बस मेरी आंखों से आंसू बहने दो ।।

✍️ कोमल पाण्डेय
लिलुआ , हावड़ा , पश्चिम बंगाल
मो :-  7998543051


नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-142
दिनांक :- 01-06-2020
दिवस :-  सोमवार

कविता ----

खुली बाज़ार

देखकर आज की प्रात: काल ,
आई मन में कई विचार ।
खुला दुकान खुली बाज़ार ,
चल अब गौतम शुरू कर व्यापार ।।

नुकसान पहुंचा, उसे भरने के लिए हो तैयार ,
फिर भारत को चमकाये, हम सब यहां के लाल ।
सावधानी से खोले दुकान दुकानदार ,
करें न बेईमानी, बढ़ाए मान ईमानदार ।‌।

ताकि हम बढ़े और बढ़े हमारा देश ,
आज फिर कई महीनों बाद हुआ है
,काम काजों में प्रवेश ।
माक्स लगाकर घर से निकालें अपना वेश ,
बढ़े हमारी आमदनी और हो कोरोना का शेष ।।

✍️ गौतम भारद्वाज

कविता :- 16(49)

कविता :-

-: जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है । :-

जब कोई सैनिक सीमा पर जाते है ,
कभी आते है, तो कभी वह घर लौट कर नहीं आते है ।
बड़ा मन घबड़ाते है ,
जब कोई सैनिक सीमा पर हमेशा के लिए सो जाते है ।।

मरने के बाद आते है , तिरंगा में आते है ,
उनके अस्थियां भी नदी गंगा में जातें है ।
मैं देशभक्त कवि गौतम महसूस कर चुका हूं, सब दिखावा है
बाज़ार करने लोग सिंगापुर, दरभंगा जाते है ,
बोलो सेना के आलावा कौन सीमा के ढंगा में जाते है ।

कोई नहीं , सब घर बैठे काली पूजा, ईद, दिवाली मनाते है ,
फल फूल से घर द्वार, बाड़ी सजाते है ।
और सीमा पर सैनिक देश सेवा के लिए गोली खाते जाते है ,
कमाते है, वे कमाई के लिए नहीं,
बल्कि देश सेवा के लिए मरे जाते है ।।

जब कोई स्त्री अपनी पति ,
कोई माँ बाप अपने पुत्र को खोने लगते है ,
हम क्या ? प्रकृति भी रोने लगते है ।
देशभर में हलचल होने लगते है ,
कब ? जब कोई सैनिक हमेशा के लिए सोने लगते है ।।

      गौतम भारद्वाज

नाम- गौतम भारद्वाज
जन्मतिथि - 15/03/2000
जन्म स्थान - रहिका
पिता का नाम - भोगेंद्र झा
माता का नाम - माला देवी
शिक्षा - B.A इतिहास ऑनर्स
        - NCC बी सर्टिफिकेट  होल्डर आरके कॉलेज मधुबनी यूनिट 34 बटालियन
        - NSS सर्टिफिकेट होल्डर बीएम कॉलेज रहिका ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी

कार्य -
1. छात्र
2. पूर्व भाजपा आईटी सेल जिला कार्यसमिति मधुबनी
3.पूर्व भाजपा आईटी व सोसल मीडिया संयोजक रहिका मंडल
4. बिहार युवा विकास मंच पूर्व जिला प्रभारी
5. भाजयुमो मंडल उपाध्यक्ष रहिका
6. बिहार राज्य स्तरीय पत्रकार इंकलाब न्यूज़ मुम्बई
पता - रहिका, मधुबनी, बिहार, 847238
ईमेल आईडी- gautamjha0072016@gmail.com
मोबाइल नंबर - 6202199909,7281066123

बहुत बहुत धन्यवाद् व आभार आपका आज जो में स्टेटस लगाया हूं वह सब आपकी मेहनत की कमाई का है।
भगवान् आपकी हर एक मनोकामना पूर्ण करे यही प्राथना करता हूं।
💐💐💐 19:24

[09/08, 22:33] Goutam Jii: क्या लिखूं में तेरे लिए , मेरे पास कोई वाक्य नहीं
कितना  किया था तुमसे प्यार, मेरे पास इतना शब्द नहीं
क्या क्या देखा था सपना , उसका कोई हिसाब नहीं
क्या लिखूं  मैं तेरे लिए, मेरे पास इतना वाक्य नहीं
जान से भी ज्यादा चाहा करता था तुझे , इस से भी ज्यादा कोई प्यार नहीं
पलकों में बैठा कर रखता तुमको , दिखता दुनिया की रौशनी
पर न मिली तुम मुझे , इस से ज्यादा कोई गम नहीं
प्यार करता था तुमको , प्यार निभाते हम , पर उतना मुझ पर तुमको विश्वास नहीं
क्या लिखूं में तेरे लिए, मेरे पास इतना वाक्य नहीं

✍️🤭
[09/08, 22:33] Goutam Jii: आपके लिए🥱
[09/08, 22:34] R: गजब
[09/08, 22:35] Goutam Jii: 😁😁

परिचय -

अपना नाम :- रोशन कुमार झा
जन्म तिथि :- 13/06/1999, मोबाइल नम्बर :- 6290640716
पिता :- श्री श्रीष्टु झा , पता :- ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार :- 847222
ईमेल :- Roshanjha9997@gmail. com.
वर्तमान पता :- 51/9 कुमार पाड़ा लेन लिलुआ हावड़ा कोलकाता, 711204
कार्य :-
विगत तीन वर्षों से 11 व 12 वीं कक्षा के (विज्ञान व वाणिज्य के छात्र-छात्राओं को "हिन्दी विषय" व कला विभाग के समस्त
विषयों को निःशुल्क पढ़ाते आ रहे हैं ,संग - संग 31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी फोर्ट विलियम कोलकाता-बी ,कम्पनी -5,
पंजीकृत संख्या - WB17SDA112047, विश्व साहित्य संस्थान, सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय,
नरसिंहा दत्त कॉलेज सेंट जॉन एम्बुलेंस , ( प्राथमिक उपचार ) द भारत स्काउट और गाइड ,पूर्व रेलवे हावड़ा जिला वेरियांग स्काउट और गुलमर्ग गाइड बामनगाछी समूह,रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना ,ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा, बिहार युवा विकास मंच मधुबनी के जिला उप मीडिया प्रभारी , इंक़लाब न्यूज़ मुंबई , पश्चिम बंगाल राज्य स्तरीय पत्रकार , महिला सुरक्षा संगठन बंगाल, ब्रिगेड ऑफ एक्स कैडेट्स , ( बीओसी ) पश्चिम बंगाल और सिक्किम, कोलकाता

प्रकाशित रचनाएँ :- कविताएँ,नाटक,संस्मरण,हाइकु,ग़ज़ल, आलेख,गीत,यात्रा वृत्तांत आदि ,विभिन्न पत्र पत्रिका, में  हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली, भोजपुरी, मैथिली भाषा  में प्रकाशित ।

प्राप्त सम्मान :-

2015 :- हनुमान जुट मिल हिन्दी हाई स्कूल घुसड़ी से 10 वीं कक्षा में हिन्दी में सर्वाधिक अंक लाने पर सन्मार्ग समाचार पत्र के रामवतार गुप्त प्रतिभा पुरस्कार से हमें सम्मानित किया गया, 2017 :- वही सलकिया विक्रम विद्यालय से 12 वीं में अच्छे अंक प्राप्त करने पर मिथिला स्टूडेंट यूनियन पश्चिम बंगाल पुरुस्कार से सम्मानित हुए,पीएमकेवीवाई, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना,से प्राप्त प्रमाण पत्र , वही रचनात्मक क्षेत्र में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज से कविता लिखकर कलकत्ता विश्वविद्यालय व श्री शिक्षायतन कॉलेज से प्रमाण पत्र हासिल किये , (2020) वर्तमान अंकुर, साहित्य संगम संस्थान, विश्व साहित्य संस्थान, वर्तमान अंकुर, कलम लाइव पत्रिका, से रचनाकर के रूप में प्रमाण पत्र हासिल किये है । साहित्य संगम संस्थान उत्तर प्रदेश इकाई से प्राप्त काव्य साधक सम्मान पत्र,मेरी कलम मेरी पूजा कीर्तिमान साहित्य से आयोजित विषय सैनिक पर बेहतरीन काव्य सृजन के लिए कीर्तिमान साहित्य से सम्मानित किया गया, इंक़लाब ऑनलाइन पत्रिका में सत्य का दर्पण लघुकथा प्रकाशित होने पर 'सत्य सारथी, "हिन्दी काव्य रत्न " सम्मान पत्र से सम्मानित हुए,भारत के प्रतिभशाली कवि एवं कवयित्री साझा काव्य के लिए प्रतिभाशाली रचनाकार सम्मान, स्त्री तेरी कहानी साझा काव्य संग्रह के लिए काव्य शिरोमणि प्राप्त किये,ऑल पोएट्री से गोल्ड मेंबर की उपाधि प्राप्त किये ,तब से आज तक साहित्य की सेवा तन-मन से कर रहे है, और करते रहेंगे ।

कविता :- 17(13) Brigade of Ex Cadets ( BOC ) West Bengal & Sikkim Directorate
स्त्री तेरी कहानी साझा काव्य संग्रह ई - बुक प्रकाशन आज

दिनांक:- 04/08/2020,दिवस :-मंगलवार, कविता -17(13)
नमन 🙏 :- इंक़लाब ऑनलाइन हिंदी पत्रिका
मौलिकता प्रमाण पत्र :- यह हमारी स्वरचित कविता है, इसे इंक़लाब ऑनलाइन हिंदी पत्रिका आ. श्रीमती रूपा व्यास जी के संपादन में काव्य क्रांति साझा काव्य संग्रह ई - बुक प्रकाशन में प्रकाशित करवाने के लिए प्रस्तुत किये है ।:-
दिनांक :- 09/08/2020,दिवस :- रविवार,कविता :- 17(18)

-: घर , बाड़ी , सरकारी , तरकारी । :-

इस कोरोना काल में हुआ यह रूप ज़ारी ,
करो तो करो नौकरी सरकारी
या बेचों तरकारी ,
सच में यह बात है कितनी प्यारी ।।

बनाकर रखों घर द्वार बाड़ी ,
तब कभी न रहेगी ये हाथ खाली ।
ये सब न तो रोशन सुनोगे
घर-परिवार से गाली ,
यही बताने तो आया रहा ये कोरोना महामारी ।।

बचा कर रखों धन , बनों धन की पुजारी ,
धन ही तो काम करवाती है जितनी काम सारी ।
जिसके पास कुछ न उसी के दिन है भारी ,
सरकारी न तो तरकारी या बनाकर रखों घर द्वार बाड़ी ,
यही दुनिया को बतलाने आया रहा
कोविड - 19 चीनी बीमारी ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सोनू , कविता :- डायरी :- 1, तुम्हारी यादें !:-
कोमल बूँद सागर ‘ में, 2. पूजा गुप्ता बूंद सागर में राम भूमि पूजन, कविता :-17(14) सोनू भी, कविता :-8(42) हम
मोदी की कथा, गौतम , मौन हूं अनभिज्ञ नहीं, बूंद सागर कविता:- 16(29) इंक़लाब, कविता:- 16(49) खुली बाज़ार, कविता:-14(57) जब कोई सैनिक,बेबी बूंद सागर कविता:-16(80) पिता, और पंकज कुमार साह अपना हम मीडिया कर्मियों की दास्तां 

कविता :-8(42) हिन्दी गाना , कविता -17(13)
नमन 🙏 :- इंक़लाब ऑनलाइन हिंदी पत्रिका

मौलिकता प्रमाण पत्र :- यह हमारी स्वरचित कविता है, इसे इंक़लाब ऑनलाइन हिंदी पत्रिका आ. श्रीमती रूपा व्यास जी के संपादन में काव्य क्रांति साझा काव्य संग्रह ई - बुक प्रकाशन में प्रकाशित करवाने के लिए प्रस्तुत किये है ।:-
दिनांक - 09/08/2020, दिवस :- रविवार, कविता :-17(18)

-: मोदी की कथा । :-

गांधी के अवतार हम मोदी की कथा सुनाते है ,
हां हम भारतीय कथा सुनाते है ,
अंधकार में रोशन किये हम इनके लिए दिये जलाते है,
हां हम दिये जलाते है ।

सब बोलो बी. जे. पी की जय ,
हो हम जनता की भलाई ।

चाय बेचकर कुछ ही दिन में प्रधानमंत्री तो बन गये ,
जन सेवा से वे सारे तन में छा गये ।
देख के अध्यक्ष अमित शाह खुशी मनाते हैं,
हां खुशी मनाते है ।

गांधी के अवतार हम गुजराती मोदी की गाथा गाते हैं ,
हां हम भारतीय कथा सुनाते है ,

सब बोलो बी. जे. पी की जय ,
हो हम जनता की भलाई ।

नोटबंदी जैसे कानून तो देश में लगाये ,
सारे काले धन को तो दूर तो भगाये ।

देख के मायावती दीदी शोर मचाते हैं , हां शोर मचाते हैं ,
गांधी के अवतार हम मोदी को योगी संग गाथा गाते हैं ,
हां हम कथा सुनाते है ।

सब बोलो बी. जे. पी की जय ,
हो हम जनता की भलाई ।

✍️ रोशन कुमार झा

सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
06-11-2018 मंगलवार 00:34 कविता :-8(42)
intex से  है :-8(042) Readme मो :-6290640716
19-05-2020 मंगलवार कविता :- 16(36)

नाम :- सोनू कुमार झा
पिता :- प्रेमकान्त झा
जन्मतिथि :- 27/07/1999
ईमेल :- sonu2016jha@gmail.com
मो :- 8340502972
शिक्षा :- पी.जी केमेस्ट्री , रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी, एलएनएमयूं दरभंगा
कार्य :- राष्ट्रीय सेवा योजना, बिहार राज्य स्तरीय न्यूज़ रिपोर्टर इंकलाब, बिहार युवा विकास मंच मधुबनी जिला उपाध्यक्ष ,
सम्मान :- द्वितीय स्थान बाल मजदूरी लेखन
राष्ट्रीय स्तर प्रतियोगिता में,
ग्राम :- खोईर , पोस्ट ;- परिहारपुर, थाना :- राजनगर
जिला :- मधुबनी - 847235

हम मीडिया कर्मियों की दास्तां 

कट रही है जिन्दगी,
जैसे जी रहे वनवास में।
हम तो है मीडिया कर्मी,
ड्यूटी करना हर हाल में।

घर मे राशन नही ,
फिर भी काम पर जाते है।
सभी दुकाने बंद हो जाती,
जब हम वापस आते है।

माँ- बाप सिसककर पूछ रहे ,
बेटा कैसे खाते हो।
जब पूरा देश लॉक डॉन  है तो ,
तुम क्यों काम पर जाते हो।

यहाँ सब कुछ है मिल रहा,
झुठ बोल मां को समझाते है।
देश के लिए समर्पित ये जीवन
इसलिए काम पर जाते है।

सेना, पुलिस, डॉक्टर, शिक्षक नही है हम
इसलिए सम्मान नही पाते है।
हम तो मीडिया कर्मी है साहब,
इसलिए काम पर जाते है ।

लोग को दुनिया की खबर रहे,
इसलिए रात भर नही सो पाते है।
आंधी हो, बरसात हो,चाहे  रात हो
हर हाल में ख़बर पहुचाते है।

हम मीडिया कर्मी है इसलिए काम पर जाते है।।

पंकज कुमार साह
ग्राम+पोस्ट- आर एन बौलिया
थाना -मनिहारी
जिला-कटिहार
बिहार
854113
मोबाइल नंबर 9708539396

बूँद बूँद सागर ‘ के लिए रचना -
रविवार, 09/08/2020

02/07/2020 गुरुवार कविता :- 16(80)

बूँद बूँद सागर ‘ के लिए रचना -
रविवार, 09/08/2020
विषय :- पिता

हम बेबी , आप पिता मेरे भगवान है ,
हमेशा आपकी सेवा करूं , यही हमारा ध्यान है ।
आपकी पूजा पाठ से ही , हमारा मान सम्मान है ,
हम पुत्र आपके धनुष तो पिता आप बाण है ।

साईकिल रिक्शा, रेल और विमान है ,
बढ़ता हुआ कला और विज्ञान है ,
आप ही मेरे आन - वान और शान है ‌।
आप ही बोये बीज तब हम आज चमकता हुआ धान है ।।

दुनिया तंग पर हम न परेशान है ,
ये पिता जी आपकी एहसान है ।
तब हमारे पास कुछ ज्ञान है ,
जिससे ज़िन्दगी जीने की अभियान है ।

बाद में रामायण, महाभारत, गीता, बाइबल और कुरान है ,
सच में पिता जी माँ के बाद आप ही मेरा भगवान है ।।

     ******* बेबी साह
पता :- पचनतल्ला, लिलुआ, हावड़ा ,711204
पश्चिम बंगाल
मो :- 6289228822
हमारी स्वरचित कविता है ।
Personally भेजा इंक़लाब ग्रुप से
इच्छुक आप सभी लोग आने वाले इस साझा संग्रह के लिए अपने नाम दे सकते हैं जो कि शायरी/कथन(shayri/quote) विधा में  *हिंदी* या *अंग्रेजी* में भेज सकते हैं। साथ ही ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इस समूह से जोड़े ताकि आपकी रचना और पुस्तक पब्लिश का काम शीघ्र किया जा सके।

#नोट - #ज़्यादासेज़्यादाकलमकारोंकोजोड़नेवालेकेलिएविशेषसरप्राइज़*

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सहयोग शुल्क - मात्र २०₹/शायरी या कोट
संकलनकर्ता - जितेन्द्र विजयश्री पाण्डेय 'जीत'
लिंक 👇

https://chat.whatsapp.com/G1Vi2hOQoTb7VEXMARAjIF
आपको करना है बस इतना ऊपर दिए गए लिंक से समूह में जुड़ना है और नीचे दिए गए लिंक में अपनी रचना भेजनी है।
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdl57chtEPZl8r_V2zfTxkeVYNPq0ovga1fecfyXcVHNryY9g/viewform?usp=pp_url

कविता :- 17(16)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
दिनांक :- 07/08/2020   दिवस :- शुक्रवार
विधा :- ग़ज़ल    विषय :- फसाना
विषय प्रवर्तन :- आ. ज्योति मिश्रा जी
विषय प्रदाता :-  डॉ विनोद वर्मा दुर्गेश जी

मंजिल दूर राह पर जाना है
हार नहीं तो जीत कर ही आना है ।

फंसे हम तो क्या पर हमें  किसी को
कभी भी कहीं भी नहीं फसाना है ।

फंसाने से सही किसी घर परिवार
को एक ही समाज में बसाना है ।

अंधकार में रोशन हो बस ऐसा
ही दया प्रेम के दीप जलाना है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
https://www.inkalabhindi.com/2020/08/blog-post_620.html

[09/08, 12:51] R: क्या हाल चाल कोमल
[09/08, 12:52] R: किताब में आना है क्या
[09/08, 13:18] Komal: Ache h bhaiya
[09/08, 13:18] Komal: Aap kse h
[09/08, 13:18] R: मस्त
[09/08, 13:18] Komal: Kkrh
[09/08, 13:20] R: Kuch nhi
[09/08, 13:21] Komal: Book chap gya na aapka
[09/08, 13:21] R: Ha bahut
[09/08, 13:21] R: Is bar tumko mokha da rahe hai tum jo poem bolti thi
[09/08, 13:22] Komal: Hmko poem nhi aata h bhaiya😅😅
[09/08, 13:24] R: कोई बात नहीं
[09/08, 13:26] R: +91 97802 88100
[09/08, 13:26] R: Eak photo bhi
[09/08, 13:26] R: Is number par
[09/08, 13:26] R: Baby bhi di hai usko bhi poem diya
[09/08, 13:27] R: Waisha ye tumhari favourite poem raha
[09/08, 13:27] R: Jab puchaga no kon diya
[09/08, 13:27] R: To bol dana Roshan
[09/08, 13:27] R: Aaj last date hai
[09/08, 13:28] R: Ab aap logo ko bhi aach level par le jayanga
[09/08, 13:29] R: Bhej doo
[09/08, 13:30] R: Acha photo dana
[09/08, 13:30] Komal: Pr no. Kiska h
[09/08, 13:30] Komal: Bhaiya
[09/08, 13:30] R: Puja bhi di hai
[09/08, 13:30] R: Hmm hi poem diye
[09/08, 13:31] R: Waisha bhi hindi Honours ki student ho kaam aiyaga aage
[09/08, 13:31] R: Isliya bole hai
[09/08, 13:31] R: Mam ki
[09/08, 13:31] R: Us par bhejna hai
[09/08, 13:31] Komal: Okh. Bhaiiya
[09/08, 13:31] Komal: Mam ka naam kya h
[09/08, 13:31] Komal: Wse
[09/08, 13:32] R: मनु
[09/08, 13:32] R: यही है
[09/08, 13:32] Komal: Oohhooo
[09/08, 13:33] R: भेज कर skin short bhej na hmme
[09/08, 13:33] Komal: Thik h bhaiya
[09/08, 13:33] Komal: Poem khud se bna kr dena h na
[09/08, 13:33] R: Ye wala
[09/08, 13:34] R: Copy karke bhj doo
[09/08, 13:34] Komal: Thik h bhaiya
[09/08, 13:34] R: तुम्हारी साहित्य यात्रा मंगलमय हो
[09/08, 13:34] Komal: Thnkuu so much bhaiya
[09/08, 13:35] R: Welcome स्वागतम्
[09/08, 13:35] R: Welcome स्वागतम्
[09/08, 18:42] R: Bhej dii komal
[09/08, 18:42] R: Skin short bhej na unko hmm bhej danga
[09/08, 18:52] Komal: Sry bhaiya ghr me nhi the is liy vj dete h
[09/08, 18:53] Komal: Kya poem ka aap jo vje h uskaa screen shot vjna h mam ko
[09/08, 18:56] R: Ok
[09/08, 18:56] R: Bhej ke hmme skin short bhejho
[09/08, 19:07] R: Ye photo bhej dana
[09/08, 19:12] Komal: Thik h bhaiya
[09/08, 19:13] R: Kabita ko copy kar lana
[09/08, 19:13] Komal: Thik h bhaiya
[09/08, 19:13] R: Thank you
[09/08, 19:20] R: Good komal
[09/08, 19:22] Komal: Btw
[09/08, 19:22] Komal: Hnkuu bhaiyaa
[09/08, 19:25] R: Welcome

[09/08, 15:13] R: मेरा नाम दे दीजिएगा गुरु जी 🙏💐
[09/08, 15:16] इंकलाब पत्रिका सागर सर: Ok
[09/08, 15:16] इंकलाब पत्रिका सागर सर: Thik hai
[09/08, 16:08] R: धन्यवाद सह सादर प्रणाम 🙏
[09/08, 16:11] इंकलाब पत्रिका सागर सर: प्रणाम
[09/08, 16:13] R: 🙏🙏🙏🙏💐
[09/08, 16:14] इंकलाब पत्रिका सागर सर: दूसरी सूची में आपका नाम जोड़ दिया जाएगा
[09/08, 16:14] इंकलाब पत्रिका सागर सर: शाम को अपडेट करूँगा
[09/08, 16:15] R: ठीक है मैं अभी रचना भेज रहा हूं
[09/08, 20:07] R: सादर आभार 🙏💐💐💐💐💐
[09/08, 20:37] R: देख लीजिएगा
[09/08, 22:17] R: गुरु जी आज न्यूज़ प्रकाशित नहीं किये , कोई बात क्या
[09/08, 22:17] इंकलाब पत्रिका सागर सर: कर रहा हूँ यार
[09/08, 22:18] इंकलाब पत्रिका सागर सर: बुक और न्यूज़ सब संभालना है
[09/08, 22:18] इंकलाब पत्रिका सागर सर: 😀😀😀😀
[09/08, 22:18] R: बस पूछें है वहीं दोनों तंग कर रखा था
[09/08, 22:18] इंकलाब पत्रिका सागर सर: 12 बजे तक सब हो जाएगा
[09/08, 22:18] इंकलाब पत्रिका सागर सर: 😀😀😀😀😀😀
[09/08, 22:18] R: हम सब जानते है
[09/08, 22:19] इंकलाब पत्रिका सागर सर: दोनों ईबुक में भी आने के लिए लड़ रहे थे
[09/08, 22:19] R: आराम से कीजिए
[09/08, 22:19] R: हां हां पता है,
[09/08, 22:19] इंकलाब पत्रिका सागर सर: आपका नाम देखा तो सोनू साहब ने जिद की
[09/08, 22:19] इंकलाब पत्रिका सागर सर: फिर गौतम जी ने
[09/08, 22:20] R: साहित्य वाला ग्रुप में मत शामिल कीजिएगा
[09/08, 22:20] इंकलाब पत्रिका सागर सर: दोनो एक साथ
[09/08, 22:20] इंकलाब पत्रिका सागर सर: नहीं
[09/08, 22:20] इंकलाब पत्रिका सागर सर: इन्हें अलग से ही रखूँगा
[09/08, 22:20] R: हां देखें हम शुभकामनाएं भी दे दिए
[09/08, 22:21] इंकलाब पत्रिका सागर सर: ठीक किए
[09/08, 22:21] इंकलाब पत्रिका सागर सर: ठीक किए
[09/08, 22:22] इंकलाब पत्रिका सागर सर: अगर वे दोनों आपस मे लड़ने की बजाय एक साथ मिलकर काम करेंगे तो बुलंदी तक पहुँच जाएंगे
[09/08, 22:22] R: 🙏🙏🙏🙏💐💐💐
[09/08, 22:22] R: हां गुरु जी 🙏
[09/08, 22:22] इंकलाब पत्रिका सागर सर: जी भाई
[09/08, 22:23] इंकलाब पत्रिका सागर सर: सिरदर्द हो रहा है थोड़ा आराम कर लूं फिर कार्य करता हूँ
[09/08, 22:23] इंकलाब पत्रिका सागर सर: आज बहुत काम किया
[09/08, 22:23] R: ज़रूर
[09/08, 22:23] R: आप प्रतिदिन ही करते है।

Goutam recharge के लिए, Friend Request भेजा गौतम
[09/08, 12:44] R: +916202199909
[09/08, 12:44] R: Is par 199
[09/08, 12:45] R: Recherche kar di
[09/08, 12:45] R: Uncle ja hai
[09/08, 12:45] R: Mahina milaga to bhej danga
[09/08, 13:20] Babu: Kon sa sim h
[09/08, 13:20] R: Jio
[09/08, 13:20] Babu: Boliye na
[09/08, 13:20] Babu: Ok
[09/08, 13:21] R: Aur kuch
[09/08, 13:21] Babu: Nhi
[09/08, 13:21] Babu: Punnu
[09/08, 13:21] Babu: Baby
[09/08, 13:25] R: Ok
[09/08, 13:35] Babu: Ho jaye recharge to bol dena
[09/08, 13:35] Babu: Ok
[09/08, 13:35] Babu: Byy
[09/08, 16:13] R: ठीक
[09/08, 16:36] R: 4
[09/08, 17:02] Babu: Bata sakte h
[09/08, 17:02] Babu: Gautam bhardwaj kon hai
[09/08, 17:02] Babu: Or uncle rehte bhi to jha lagta
[09/08, 17:02] Babu: Kyuki ye to aapke uncle nahi h
[09/08, 17:02] Babu: Jisse recharge karwaye h na wahi bhaiya mujhse puche h ye gautam bhardwaj kon h
[09/08, 17:02] Babu: Abhi bhi aap jab baat kar rahe the to Gautam ka naam liye
[09/08, 17:03] Babu: Sab pata chal gya mujhe aap jhut bole mujhe
[09/08, 17:03] Babu: Or kya lagta h aap sach bol dete to kya mai recharge nhi karwa deti
[09/08, 17:03] Babu: Khud hi sochna aapki kon si baat ham nhi mane h
[09/08, 17:03] Babu: To phir jhuta kasam kyu khaye mere ki wo aapke uncle ka num tha
[09/08, 17:03] Babu: Nhi karna baat hame
[09/08, 17:03] Babu: Kya pata aap esi trah mere diya hua kasam torte honge
[09/08, 17:03] Babu: Sach to yah h ki aap hamse pyar nhi karte h
[09/08, 17:03] Babu: Chahte h ki ham mar jaye
[09/08, 17:03] Babu: Khush raho
[09/08, 17:03] Babu: Bye
[09/08, 17:03] Babu: 😔😔😔😔
[09/08, 17:36] R: Ok
[09/08, 17:36] R: By
[09/08, 17:36] R: Khush raho
[09/08, 17:36] R: Hmm kis hisab se bole
[09/08, 17:36] R: Sab paisha da da ge
[09/08, 17:36] R: Moond off kar di
[09/08, 18:52] Babu: Ok
[09/08, 18:52] Babu: Bye
[09/08, 19:03] Babu: Kaisa h
[09/08, 19:03] Babu: Hamne banaya h
[09/08, 19:03] R: Mast
[09/08, 22:50] Babu: Ye kyu veja h hame friend request
[09/08, 22:52] R: Kar lo accpt
[09/08, 22:52] Babu: Kyu karu
[09/08, 22:52] R: Kuch bolaga to bolna
[09/08, 22:52] Babu: Hame nhi karna
[09/08, 22:52] R: Pir
[09/08, 22:52] Babu: Nhi karna
[09/08, 22:52] Babu: Aap khana kha liye



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