कविता :-16(31) हिन्दी व प्रथम यात्रा वृत्तांत
कविता :-16(31)
नमन 🙏 :- " कलम ✍️ बोलती है " साहित्य समूह
क्रमांक :- 127
तिथि :- 14-05-2020
दिन :- वृहस्पतिवार
विधा :- यात्रा वृत्तांत
-: जनेऊ के बाद का मेरा वह यात्रा । :-
जनेऊ के बाद का मेरा वह यात्रा, क्या कहूं जनेऊ के बाद कलकत्ता तो आना ही रहा, आये और इस तरह आये कि पूछो मत , ट्रेन में इतना भीड़ की एक बार बैठने के बाद, उठना तो दूर की बात, झुकना भी मुश्किल रहा, आख़िर क्यों , इतना भीड़ अब पता चला कि कोरोना के कारण ,पर उस समय घोषणा हुआ रहा कि आज के बाद जयनगर से कोलकाता जाने की ट्रेन कुछ दिनों के लिए रद्द रहेगी, जिसका कारण यह बताया गया रहा कि बरौनी पास राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी के ग्राम सिमरिया घाट पर बनी हुई राजेन्द्र पुल की मरम्मत होगी, जिसके कारण न ही कलकत्ता से कोई ट्रेन आयेंगी ,और न ही उत्तर बिहार से कोई ट्रेन कोलकाता जायेगी, इसी कारण हम भी जल्दीबाजी में चल पड़े, हां और उसी दिन से कोलकाता से ट्रेन भी आना बंद हो गया रहा, शायद इसका यह कारण रहा होगा कि ट्रेन पूर्व रेलवे की होगी वह अपना अप डाउन दोनों मंगवाना चाहते होंगे, ये जानकारी हम रोशन को ईस्टर्न रेलवे स्काउट के सदस्य होने के कारण रहा , जो भी पर ऐसा यात्रा आज तक हम नहीं किये रहें, शाय़द ट्रेन को भी अपना भूमि से जाने का मन नहीं रहा होगा, बार-बार रुकती ही रही ,जो सिमरिया पुल रात को दस बजे पार करती लेती रही ,पर आज वह एक बजे पुल ही पार की. मतलब तीन घण्टे की देरी से चल रही थी, और देरी पर से देरी होती गई , पहले जो हावड़ा लोग सुबह आठ बजे पहुंच जाते रहे, सो आज उन्नीस मार्च के दोपहर के एक बजे पहुंचे ।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :-6290640716 कविता :-16(31)
मेरा पहला यात्रा वृत्तांत
https://www.facebook.com/groups/1340182259483836/permalink/1519229991579061/?app=fbl
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 14-05-2020
दिन :- गुरुवार
विधा :- कविता
विषय :- हम
-: मैं नहीं हम है ।:-
मैं नहीं हम है ,
इस जीवन में खुशी और गम है ।
चाहिए ज्यादा , चाहने वाले भी न कम है ,
गर्व है हमें कि हम कहने वाले में से हम है ।
वह शब्द हरदम है ,
कहो तो सम है ।
हम रोशन को कहने का दम है ।
कहों यारों मस्ती में की मैं नहीं हम है ।।
मैं में अंहकार है ,
ये न हमें स्वीकार है ।
मैं से न हम से ही संचार है ।।
तब हमें जानने वाला ये संसार है ।।
तो क्या है आप और क्या है हम ,
हम , हम , हम .. करेंगे और हम शब्द से ही है हम सक्षम ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
14-05-2020 वृहस्पतिवार 15:05
आज पहली रचना साहित्य संगम संस्थान में
मो :-6290640716 कविता :-16(31)
https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1107184192985982/?flite=scwspnss&extid=Q8V7CnEqQJxsDk9I
ज़रा सुनो
ऐसा छवि मत लो , जिसमें खुद का शक्ल हो , कुछ ऐसा ही छवि लो , जिसमें महानता का अक्ल हो ।
वर्तमान अंकुर में :- 18-20 शब्दों में रहा
https://www.facebook.com/groups/1783264965056444/permalink/2926848687364727/?flite=scwspnss&extid=rZAvirgXSZTL9NnH
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/6.html
https://swaikshikduniya.page/article/-maan-baap-ke-lie-vrddhaashram-nahin-/vh-5XH.html
काव्य कलश :-
दोहा :- -: वृद्धाश्रम की परिवेदना । :-
माँ बाप से कोई बड़ा नहीं ,
आज बूढ़ापे में कोई खड़ा नहीं ।।
पाला पोसा माँ बाप, तो मानव कर कर्म ,
क्यों दे आते हो , माँ बाप को वृद्धाश्रम ।।
तुझे पढ़ाया, लिखाया, दुनिया दिखाया ,
तू उसी मां-बाप को वृद्धाश्रम दे आया ।।
तन-मन-धन से कर माँ बाप की सेवा , उठ रे मानव उठ ,
तू जो दे आया मां-बाप को वृद्धाश्रम , कल तुझे
भी दे आयेगा तेरा पुत्र ।।
कर माता-पिता की देखभाल ,
यही कह रहा हूं हम रोशन कुमार ।।
शब्द सुगन्ध क्रमांक :- ६
विषय :- -: वृद्धाश्रम की परिवेदना । :-
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
विद्या :- दोहा
मो :- 6290640716
यह मेरी अपनी स्वरचित रचना है "काव्य कलश परिवार "
में प्रकाशित करने की अनुमति देता हूं ।
12-05-2020 मंगलवार
https://swaikshikduniya.page/article/-maan-baap-ke-lie-vrddhaashram-nahin-/vh-5XH.html
https://allpoetry.com/poem/15168078-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE--16-31--%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B5-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A5%E0%A4%AE-%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4-by-Roshan-Kumar-jha