कविता :- 20(21) , मंगलवार , 08/06/2021 , अंक - 29 , साहित्य एक नज़र, IGNOU Assignment . आ. स्वाति पाण्डेय जी एवं आ . स्वाति जैसलमेरिया जी , साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई, विश्व पर्यावरण दिवस सम्मान पत्र

साहित्य एक नज़र 🌅

कविता :- 20(21)

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

होनी को कौन रोक
सकता होने से ,
जब आँसू आ ही गई
तो कौन रोक सकता रोने से ,
जब इच्छा बन ही गई
छायादार वृक्ष लगाने की
तब कौन रोक सकता
बीज बोने से ।।
जब नींद आ ही गई
तब कौन रोक सकता
सोने से ।।

अंदर पाप ही पाप
तब क्या होगा गंगा में
शरीर धोने से ,
डर हमें है न यह जीवन खोने से ,
डर तो हमें यह है व्यर्थ में
समय न बीते
यही डर आता कोने कोने से ,
तब बताओ प्यारे पाठकों
होनी को कौन रोक सकता होने से ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मंगलवार , 08/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(21)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 29
Sahitya Ek Nazar
8 June 2021 ,   Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
साहित्य एक नज़र 🌅 के तरफ से आप सभी को विश्व महासागर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐 ।

IGNOU Assignment . आ. स्वाति पाण्डेय जी एवं आ . स्वाति जैसलमेरिया जी , साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

आ. स्वाति पाण्डेय दीदी जी और आ. स्वाति 'सरु' जैसलमेरिया दीदी जी की द्वारा किए हुए सहयोग के लिए धन्यवाद 🙏 । अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा दीदी जी  ,आ. स्वाति पाण्डेय दीदी जी, आ. स्वाति 'सरु' जैसलमेरिया दीदी जी और हमारा एक ही साथ मनोनीत हुआ रहा वह याद हमेशा हमेशा के लिए बना रहेगा , आज चार से हम दो हो गये । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐
कुछ यादें :-

https://youtu.be/QyglUAxUAh0
आ. स्वाति पाण्डेय जी
https://youtu.be/B3HNXlTxJFA
आ. स्वाति'सरु'जैसलमेरिया जी
https://youtu.be/FaGPLhxu0us

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
विश्व पर्यावरण दिवस
सम्मान पत्र

https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1937789836397911/?sfnsn=wiwspmo

http://rckolkatta.ignou.ac.in/news/detail/1/List_of_Assignment_Received-186

फेसबुक - 1

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=790231375199605&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 2

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हिन्दी कविता-12(45)
08-06-2019 शनिवार 15:32
*®• रोशन कुमार झा
-:वही भाग गया!:-

उसके प्रति प्रेम गया राग गया
दिल गया दिमाग़ गया!
मुझे गिरते ही वह छोड़कर भाग गया
उसके बाद मैं भी जाग गया!

जागा ही नहीं जागा हूँ,
राह रोशन करने के लिए भागा हूँ!
मैं ना अभागा हूँ,
क्योंकि मैं पतंग का धागा हूँ!

जो उड़ता हूँ,
नीले आसमान में आकर हरियाली
को भूलता हूँ!
और नव जीवन से जुड़ता हूँ,
असफलता के बाद भी मैं रास्ते से
ना मुड़ता हूँ!

क्योंकि मैं लगातार हारा हूँ,
उस हार को पाला हूँ!
पालकर हार से अपने जीत को निकाला हूँ,
क्योंकि मैं अपने आप को सैनिक,शिक्षक
डॉक्टर समाजसेवा के राह में अपने
जीवन को डाला हूँ!

*®• रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो:-6290640716,(8420128328)
9433966389(कविता-12(45)
08-06-2019 शनिवार 15:32
5387-5200bank,5300-R.Singh
Aman-Nios,amrita I card
Mini Xerox sdha,duruvswamni
Ashish,विशाल विवेक 5 जन कविता
सुनाये जमाई सष्टी आज!जुली छोटु देखे
नितेश मिले(Pmkvy)E.Rly,Scouts
गंगाराम कुमार झा झोंझी मधुबनी बिहार
31st Bengal bn Ncc Fortwilliam
Kolkata-B
Reg no-WB17SDA112047





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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐 18:23
[08/06, 18:42] ज्योति झा जी: धन्यवाद भायजी 🥰🙏🏼
[08/06, 18:48] ज्योति झा जी: **सूचनार्थ*
*भारत में पहली बार*
*विश्व हिंदी संगठन नई दिल्ली* द्वारा *प्रथम अखिल भारतीय हिंदी ओलंपियाड* 29 जून 2021 (दिन- बुधवार) को *ऑनलाइन* आयोजित किया जा रहा है।
इस ओलंपियाड में भारत के समस्त  विश्वविद्यालयों/ महाविद्यालयों के स्नातक और स्नातकोत्तर के विद्यार्थी भाग ले सकते हैं।
*भाग लेने के लिए नीचे दी गई पंजीकरण लिंक द्वारा पंजीकरण आवश्यक है*

*कुल पुरस्कार राशि :51000/-*
*प्रथम पुरस्कार राशि : 21000/-*
*द्वितीय पुरस्कार राशि :15000/-*
*तृतीय पुरस्कार राशि :8000/-*
  *सांत्वना* पुरस्कार: 7000/-
कुल 1000/- प्रत्येक ( 07)
*पंजीयन शुल्क :100/-*
बैंक डिटेल :
अकांउट नं-10340813481
आईएफएससी कोड(IFSC CODE)-SBIN0003752
इस नंबर पर -
9421362107,
9313809165
गूगल पे, यूपीआई, फोनपे,  पेटीएम किया जा सकता है ।
*पंजीकरण शुल्क भुगतान पश्चात, भुगतान राशि का स्क्रीन शॉट अवश्य भेजें।*

*पंजीकरण लिंक :*
https://forms.gle/TriPYiTDBagxk4Ev6
पूर्ण विवरण हेतु पोस्टर देखें ।
[08/06, 18:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[08/06, 18:59] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[08/06, 19:01] Roshan Kumar Jha, रोशन: अहा फार्म भरलियैए
[08/06, 19:02] Roshan Kumar Jha, रोशन: समय सीमा पार छैय
[08/06, 19:09] ज्योति झा जी: ओ
[08/06, 19:09] ज्योति झा जी: हम मेम स' पुछ क' बताबे छी
[08/06, 19:10] ज्योति झा जी: कियाक की ओ आयै भेजलथिन्ह हे
[08/06, 19:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक छैय

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[08/06, 19:23] +91 : नमस्ते सर
[08/06, 19:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏💐
[08/06, 19:23] +91 : मेरा आशीष पाण्डेय है
[08/06, 19:23] +91 : मैं अपनी कविता प्रकाशित कराना चाहता हूं
[08/06, 19:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/303637988065651/?sfnsn=wiwspmo
[08/06, 19:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: पोस्टर पढ़ कर नियम देखकर यहां कामेंट बाक्स में भेजिए
[08/06, 19:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: पीडीएफ फाइल पाने के लिए
[08/06, 19:25] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://chat.whatsapp.com/Csqy8X67NcqIRnbqeFQ0bz

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[08/06, 19:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं भाई जी 🙏💐
[08/06, 19:17] आ. केशव मिश्रा मधुबनी: ई अहाँक स्नेह स सम्भव भ सकल ये।।👏🏻
[08/06, 19:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: नैय 🙏💐
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[08/06, 19:03] +91
© डॉ_देशबन्धु_भट्ट:
प्रवक्ता संस्कृतम्
रा इं कॉ तोलीसैण मुखेम
प्रताप नगर,टिहरी-गढ़वाल उत्तराखण्ड
[08/06, 19:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसे परसों भेजिएगा
[08/06, 19:30] +91 : अच्छा । ठीक है  आदरणीय महोदय 🙏
[08/06, 20:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐 स्वागतम्
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आ. भीम कुमार
[08/06, 20:11] +91 : Sir मेरी एक रचना " मूर्दे से पूछता यमराज है।" जिसको भेजना है। साहित्य एक नज़र में कॉमेंट बॉक्स नहीं आ रहा है।
[08/06, 20:11] +91 : 🙏🙏🙏🌹🌹🙏🙏🙏
[08/06, 20:12] Roshan Kumar Jha, रोशन: हमें भेजिए
[08/06, 20:14] +91 : Ok Sir 🌹🌹🙏🙏
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[07/06, 20:50] आ प्रभात जी: और क्षमा चाहता हूँ सर इसके लिए
[07/06, 20:51] आ प्रभात जी: 🙏🙏
[07/06, 20:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई बात नहीं
[08/06, 20:11] आ प्रभात जी: Thank you sir
[08/06, 20:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐

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सर क्रमांक संख्या 36 हमारी थी तो किसी और का क्यों
[08/06, 20:11] Roshan Kumar Jha, रोशन: समीक्षा प्रमाण पत्र के कारण इधर उधर हो गया है दीदी जी 🙏💐
[08/06, 20:12] ज्योति धनबाद: तो सर हमारी संख्या क्या है
[08/06, 20:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: बता देंगे
[08/06, 20:16] ज्योति धनबाद: जी
[08/06, 22:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏💐
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[08/06, 18:27] +91 : Good evening
[08/06, 18:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ संध्या दीदी जी 🙏💐
[08/06, 18:27] +91 : मेरा सम्मानपत्र नही आया
[08/06, 18:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: 15 दिनों बाद कम से कम 5 अंकों में आपकी रचना प्रकाशित हुई हो । कल ही तो आपकी पहली रचना प्रकाशित हुई है ।
[08/06, 18:29] +91 : ओह, पता नही था, धन्यवाद
[08/06, 18:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई बात नहीं दीदी जी 🙏💐
[08/06, 18:29] +91 : दूसरी रचना अभी भेज सकती हूँ क्या
[08/06, 18:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं दीदी जी परसों या कल रात को
[08/06, 18:30] +91 : Ok
[08/06, 22:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
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[08/06, 21:15] Rudra P-2: https://chat.whatsapp.com/I4dw6FJHw2OIYHfqxjVTkf

            संस्था

राष्ट्रीय हिंदी साहित्य अंचल मंच

महा ऑनलाइन कवि सम्मेलन

    ग्रुप के माध्यम से......

दिनांक -: 10/06/2021

समय -: 3 बजे शाम से....

विषय -: किसी भी विषय में (मुक्त)

सम्मान समारोह -: 12 और 13 जून
🌹🌹😍😍🌹🌹😍😍🥰🥰🌹😍🥰🥰🌹
[08/06, 21:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद 🙏
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[08/06, 20:02] Up Sahitya: -*-*- पेशे

*************************
रामकरण साहू "सजल" बबेरू (बाँदा) उ०प्र०
*************************
[08/06, 20:03] Up Sahitya: कृपया प्रकाशन हेतु हार्दिक बधाई धन्यवाद।
[08/06, 20:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏 स्वागतम् 🙏💐

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[08/06, 07:19] रोहित रोज़ जी: ई को छपवाना भाई
[08/06, 09:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी गुरु जी 🙏💐
[08/06, 18:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/jevw/
[08/06, 18:25] रोहित रोज़ जी: 👍👍👍👍👍खुश रहो अनुज
[08/06, 18:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐 गुरु जी 🙏

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फौजी की पत्नी
✍️ भगवती सक्सेना गौड़
[08/06, 18:27] : Good evening
[08/06, 18:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ संध्या दीदी जी 🙏💐
[08/06, 18:27] : मेरा सम्मानपत्र नही आया
[08/06, 18:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: 15 दिनों बाद कम से कम 5 अंकों में आपकी रचना प्रकाशित हुई हो । कल ही तो आपकी पहली रचना प्रकाशित हुई है ।
[08/06, 18:29] : ओह, पता नही था, धन्यवाद
[08/06, 18:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: कोई बात नहीं दीदी जी 🙏💐
[08/06, 18:29] : दूसरी रचना अभी भेज सकती हूँ क्या
[08/06, 18:30] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं दीदी जी परसों या कल रात को
[08/06, 18:30] : Ok
[08/06, 22:45] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
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[08/06, 07:54] डॉ पल्लवी जी: जी नमस्ते सुप्रभात।🙏
[08/06, 09:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
[08/06, 12:40] Roshan Kumar Jha, रोशन: * हमारी मन की अवस्था का तन
पर भी सापेक्ष असर होता है *।

जब तक हमारे
हाथों में तराजू न था
;हम बड़े आनंद में थे //
जब तक हमें अपनी छवि
दूसरों की आँखों में
देखने की हसरत न थी ;
हम बड़े आनंद में थे //
जब तक हमें यह देखने की
समझ न थी कौन हमसे
आगे निकल गया....
हम कितने पीछे रह गए...
.इस जीवन में कितना पाया....
कितना नुकसान हुआ...
.किसने अपनी भावी पीढ़ियों
के लिए हमसे अधिक संचित
कर लिया... हम बड़े आनंद में थे //
कौन हमें त्वज़जो देता है
या नहीं.... हमारा अहंकार
जब आकर न ले पाया था
कि हमारी हैसियत  कैसी है....
हम बड़े आनंद में थे //
जब हम कितने महत्वपूर्ण हैँ...
ये देखने के लिए दूसरों की
राय जानना न सीखे थे...
. हम बड़े आनन्द में थे //
  जब हम बचपन में थे....
हम बड़े आनंद में थे //
गीली मिट्टी में गिर जाते..
खुद पर हँसते.
सुबह उठते  दौड़ते -भागते..
. जबरदस्ती पढ़ाई करते..
शाम को खेलने की होड़ रहती.
दोस्तों से मिलने का दौड़ होता.
शाम को डांट
मिलने का डर होता //
सुबह उठने का बेसब्री
से इंतज़ार होता //
हम बड़े आनंद में थे,,,
जब से बड़े हुए.....
न डर रहा....
. न खुद पर हँसने का दौड़ रहा..
न किसी के संग खेलने
का होड़ रहा....
एक तराज़ू लेकर बैठे हैँ...
कितनी .बीमारियों का
आगाज़ कर बैठे हैँ....
अपनी खुशियों का आईना
दूसरे के हाथों में दे बैठे हैँ,,,
हमारा पसंदीदा गाना है
"ये दौलत भी ले लो...
ये शोहरत भी ले लो...."

✍️ ~ डॉ पल्लवी कुमारी"पाम,
अनिसाबाद, पटना ,बिहार
[08/06, 12:41] Roshan Kumar Jha, रोशन: सादर निवेदन दीदी जी इस तरह रचना न भेजिए
[08/06, 17:46] डॉ पल्लवी जी: अच्छा। त्रुटि बता दें।
[08/06, 18:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: त्रृटि नहीं है दीदी जी 🙏💐
[08/06, 18:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: *हमारी मन की अवस्था का तन पर भी सापेक्ष असर होता है*।

जब तक हमारे हाथों में तराजू न था ;हम बड़े आनंद में थे//
जब तक हमें अपनी छवि दूसरों की आँखों में देखने की हसरत न थी ;हम बड़े आनंद में थे//जब तक हमें यह देखने की समझ न थी कौन हमसे आगे निकल गया.... हम कितने पीछे रह गए....इस जीवन में कितना पाया.... कितना नुकसान हुआ....किसने अपनी भावी पीढ़ियों के लिए हमसे अधिक संचित कर लिया... हम बड़े आनंद में थे//कौन हमें त्वज़जो देता है या नहीं.... हमारा अहंकार जब आकर न ले पाया था कि हमारी हैसियत  कैसी है.... हम बड़े आनंद में थे// जब हम कितने महत्वपूर्ण हैँ... ये देखने के लिए दूसरों की राय जानना न सीखे थे.... हम बड़े आनन्द में थे//
                          जब हम बचपन में थे.... हम बड़े आनंद में थे//गीली मिट्टी में गिर जाते... खुद पर हँसते...
सुबह उठते  दौड़ते -भागते... जबरदस्ती पढ़ाई करते..... शाम को खेलने की होड़ रहती.... दोस्तों से मिलने का दौड़ होता.... शाम को डांट मिलने का डर होता// सुबह उठने का बेसब्री से इंतज़ार होता //हम बड़े आनंद में थे,,,
              जब से बड़े हुए..... न डर रहा..... न खुद पर हँसने का दौड़ रहा..... न किसी के संग खेलने का होड़ रहा.... एक तराज़ू लेकर बैठे हैँ...कितनी .बीमारियों का आगाज़ कर बैठे हैँ....अपनी खुशियों का आईना दूसरे के हाथों में दे बैठे हैँ,,, हमारा पसंदीदा गाना है "ये दौलत भी ले लो... ये शोहरत भी ले लो...."

                                          ~ डॉ पल्लवी कुमारी"पाम, अनिसाबाद, पटना,बिहार
[08/06, 18:06] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये देखिए पूरी कहानी की तरह लग रही है ।
[08/06, 18:07] डॉ पल्लवी जी: ये एक आलेख ही था।
[08/06, 18:08] डॉ पल्लवी जी: मैं दूसरा भेजती हूं।🙏
[08/06, 18:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: बार बार , हम बड़े आनंद में थे हमको लगा कविता है खैर कोई बात नहीं कल फिर से प्रकाशित कर देंगे
[08/06, 18:08] Roshan Kumar Jha, रोशन: क्षमा चाहता हूं
[08/06, 18:09] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज हम इस तरह प्रकाशित कर दिए
[08/06, 18:10] डॉ पल्लवी जी: कोई बात नहीं, मुझे भी शिर्षक में स्पष्ट कर देना चाहिए था।🙏
[08/06, 18:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[08/06, 18:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/jevw/
[08/06, 18:43] डॉ पल्लवी जी: 🙏बहुत-बहुत धन्यवाद।
[08/06, 18:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी स्वागतम् 🙏💐
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[07/06, 21:21] आ. सागर जी K a: Hi
[07/06, 21:21] आ. सागर जी K a: I am a founder of KA writing Community
[07/06, 21:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: बोलिए
[07/06, 21:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: नमस्ते 🙏💐
[07/06, 21:22] आ. सागर जी K a: Aap Newspaper published karti ho
[07/06, 21:22] आ. सागर जी K a: Na
[07/06, 21:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां
[07/06, 21:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: साहित्य एक नज़र 🌅
[07/06, 21:23] आ. सागर जी K a: Ji
[07/06, 21:24] आ. सागर जी K a: Aap only e newspaper published karti ho ya soft copy bhi
[07/06, 21:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: सिर्फ ई अभी
[07/06, 21:25] आ. सागर जी K a: Ok
[07/06, 21:25] आ. सागर जी K a: Aap kuch cost lati ho
[07/06, 21:28] आ. सागर जी K a: Ky
[07/06, 21:28] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं नि: शुल्क है
[07/06, 21:29] आ. सागर जी K a: Ok hamara bhi writing platform hi
Uski winners ki add daI sakti ho aap
[07/06, 21:32] Roshan Kumar Jha, रोशन: जरूर 🙏🙏🙏🙏🙏💐
[07/06, 21:33] आ. सागर जी K a: Thanks ji
[07/06, 21:33] आ. सागर जी K a: Aapki koi Google pai web hi
[07/06, 21:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: नहीं 🙏💐
[07/06, 21:36] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[07/06, 21:56] आ. सागर जी K a: No problem 😇
[07/06, 22:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏💐
[07/06, 22:17] आ. सागर जी K a: सर हमारे ग्रुप में आज डांस कॉन्पिटिशन है उसके विनर की
न्यूज़ पेपर में ऐड दे सकते हो क्या
[07/06, 22:19] आ. सागर जी K a: ठीक है ना
[07/06, 22:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[07/06, 22:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: भेजिए
[07/06, 22:20] आ. सागर जी K a: Ok kal ham aapko
विनर्स और उनकी तस्वीरें भेजते हैं
[07/06, 22:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: लिखकर भी भेजना है तो भेज सकते है ।
[07/06, 22:21] आ. सागर जी K a: Ok kal send karti hi
[07/06, 22:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है 🙏
[07/06, 22:23] आ. सागर जी K a: Hami add karo aapki Facebook group mi
[07/06, 22:24] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है
[08/06, 09:12] आ. सागर जी K a: Hi
[08/06, 09:44] आ. सागर जी K a: आप सभी का कवियों का अध्यात्म की तरफ से स्वागत करता हूं | सोमवार 8 जून 2021 को कवियों का अध्यात्म द्वारा संचालित मंच से ली गई नृत्य प्रतियोगिता में सबने बहुत अच्छा नृत्य प्रदर्शन का वीडियो सेड किया,
एक दूसरों को कुछ नया सिखाना इस हेतु से यह समूह बनाया गया है। हमारी टीम के कमलेश सर, मनस्वी स्वाति मैडम, आस्था पटेल मैडम, और हमारे समूह के एमडी ( MD ) सरिता जैन मैडम इत्यादि सदस्यों के कारण आज हमारा संग यहां तक आया है। मैं समूह का संस्थापक सागर गुडमेवार सभी विजेताओं का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।।
[08/06, 09:44] आ. सागर जी K a: यह पेपर में देना है
[08/06, 09:47] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[08/06, 09:48] आ. सागर जी K a: 🥉Bhakti Mishra - third winner
[08/06, 09:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/303637988065651/?sfnsn=wiwspmo
[08/06, 09:48] आ. सागर जी K a: 🥈Aditya Amol Pilajii - second
[08/06, 09:48] Roshan Kumar Jha, रोशन: आदरणीय यहां भेजने का कष्ट करें ।
[08/06, 09:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: सभी एक साथ ही भेजिए
[08/06, 09:49] आ. सागर जी K a: Group join nahi ho raha hi mini bhout koshis kai
[08/06, 09:49] आ. सागर जी K a: Rashmi Dangwal - first
[08/06, 09:49] आ. सागर जी K a: Ok
[08/06, 09:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/
[08/06, 09:51] आ. सागर जी K a: Our kisi dalna hi
[08/06, 09:52] आ. सागर जी K a: Ji
[08/06, 09:57] आ. सागर जी K a: Kisi dali batai
[08/06, 09:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: देख रहा हूं
[08/06, 09:57] आ. सागर जी K a: Ji
[08/06, 09:58] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप अपना फेसबुक का लिंक दीजिए
[08/06, 09:58] आ. सागर जी K a: Ok
[08/06, 09:59] आ. सागर जी K a: https://www.facebook.com/sagar.gudmewar
[08/06, 10:16] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/
[08/06, 10:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: आप पूरा एक साथ लिखकर भेजिए
[08/06, 10:19] Roshan Kumar Jha, रोशन: हम अपलोड कर देंगे
[08/06, 10:32] आ. सागर जी K a: Ok
[08/06, 10:40] आ. सागर जी K a: आप सभी का कवियों का अध्यात्म की तरफ से स्वागत करता हूं | सोमवार 8 जून 2021 को कवियों का अध्यात्म द्वारा संचालित मंच से ली गई नृत्य प्रतियोगिता में सबने बहुत अच्छा नृत्य प्रदर्शन का वीडियो सेड किया,
एक दूसरों को कुछ नया सिखाना इस हेतु से यह समूह बनाया गया है। हमारी टीम के कमलेश सर, मनस्वी स्वाति मैडम, आस्था पटेल मैडम, और हमारे समूह के एमडी ( MD ) सरिता जैन मैडम इत्यादि सदस्यों के कारण आज हमारा संग यहां तक आया है। मैं समूह का संस्थापक सागर गुडमेवार सभी विजेताओं का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।।
[08/06, 10:41] आ. सागर जी K a: Ok
[08/06, 10:42] Roshan Kumar Jha, रोशन: ठीक है |
[08/06, 11:16] आ. सागर जी K a: Kab hoga Published
[08/06, 11:50] Roshan Kumar Jha, रोशन: आज
[08/06, 18:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/Csqy8X67NcqIRnbqeFQ0bz
[08/06, 18:07] Roshan Kumar Jha, रोशन: पीडीएफ फाइल के लिए जुड़ जाइए 🙏🙏🙏🙏💐
[08/06, 18:08] आ. सागर जी K a: Ok
[08/06, 18:08] आ. सागर जी K a: Aai hi kay hamara
[08/06, 18:08] आ. सागर जी K a: Our aap marathi ki bhi add dati ho ky
[08/06, 18:09] आ. सागर जी K a: Ji
[08/06, 18:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी सब ये अपना पत्रिका समझिए
[08/06, 18:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: कुछ देर में
[08/06, 18:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/jevw/
[08/06, 20:00] आ. सागर जी K a: To marathi add dai sakti hi ky
[08/06, 20:10] Roshan Kumar Jha, रोशन: हां
[08/06, 20:11] आ. सागर जी K a: Ok
[08/06, 20:17] आ. सागर जी K a: कवियों का अध्यात्म द्वारा संकलित KA मराठी प्रेरणा समूह अंतर्गत पर्यावरण दिनानिमित्त विशेष स्पर्धा घेण्यात आली स्पर्धेत एकूण २१ सरस्वातांनी सहभाग घेतला व पर्यावरणातील वेगवेगळ्या घटकावर उत्कृष्ठ चारोळी लेखन केले. त्यामध्ये सौ. सिद्धी रावळ यांनी तृतीय क्रमांक, आदित्य गव्हाणकर यांनी द्वितीय क्रमांक तर सौ. विनया तिडके यांनी प्रथम क्रमांक प्राप्त केला. स्पर्धेमध्ये सहभागी झालेल्या सर्व सरस्वातांचे खूप खूप धन्यवाद व अभिनंदन आपला प्रतिसाद म्हणजे आमच्यासाठी एक प्रेरणा ठरतो. त्याचबरोबर स्पर्धेसाठी परीक्षक म्हणून लाभलेले सरिता जैन मॅडम व कमलेश इंदोरकर यांनी निरपेक्ष परीक्षण करून मोलाचे सहकार्य केले.

KA मराठी प्रेरणा समूह
कवियों का अध्यात्म
संस्थापक/अध्यक्ष
सागर गुडमेवर सर

आयोजक/उपाध्यक्ष
कमलेश इंदोरकर
[08/06, 20:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर कामेंट बाक्स में भेजने का कोशिश कीजिए
[08/06, 20:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: समस्या होने पर हम तो कर ही देंगे
[08/06, 20:18] आ. सागर जी K a: Ok no problem
[08/06, 20:19] आ. सागर जी K a: Ok
[08/06, 20:20] आ. सागर जी K a: https://chat.whatsapp.com/FCPqP3mDY4Z5Fv0QDnSYu0

Yai link dalogi sir aapko group mi.

🙏
[08/06, 20:20] Roshan Kumar Jha, रोशन: इसका कोई फोटो है क्या
[08/06, 20:21] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐
[08/06, 20:22] आ. सागर जी K a: Ji yai use na karo ham comment karangi aapko kal
[08/06, 20:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[08/06, 20:23] आ. सागर जी K a: Plz send in your group for motivation 😇
[08/06, 20:29] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏
[08/06, 20:36] आ. सागर जी K a: धन्यवाद जी 🙏
[08/06, 20:37] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[08/06, 21:43] आ. सागर जी K a: अभी तो ग्रुप में लिंक डाली नहीं सर
[08/06, 21:44] आ. सागर जी K a: यह लेखकों का मंच है डाल दो लिंक
[08/06, 22:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: क्षमा चाहता हूं सर न हम लिंक किसी को डालने देते और नहीं हम डाल सकते है 🙏🙏🙏🙏💐
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साहित्य एक नज़र 🌅
व्हाट्सएप ग्रुप

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प्रवीण झा बिट्टू कल घर आया लड़की लेकर जो भागा रहा , 08/06/2021 , मंगलवार
77/R Mirpara Road Liluah Howrah Ashirbad Bhawan
Lockdown रहा ।

मिथिलाक्षर
https://youtu.be/E-3TIKl7LCA


साहित्य एक नज़र

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[07/06, 19:42] सरिता साहित्य: भैया जी मेरा प्रमाण पत्र कब तक आयेगा...
[07/06, 19:49] Roshan Kumar Jha, रोशन: बहन को सम्मानित किया जाएगा , भाई के नज़र में है आप पहले जल्दीबाजी वाले को सम्मानित करने दीजिए , ये आपकी पत्रिका है ।
[07/06, 20:55] सरिता साहित्य: It's oku Bhaiya Ji..
[07/06, 20:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[07/06, 20:56] सरिता साहित्य: 🥰
[07/06, 21:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏💐
[08/06, 18:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://online.fliphtml5.com/axiwx/jevw/
[08/06, 18:25] सरिता साहित्य: Thank You So Much Bhaiya... 🌸🙏🌸
[08/06, 18:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏 बहन
[08/06, 18:30] सरिता साहित्य: 🌸🙏🌸
[08/06, 19:03] Roshan Kumar Jha, रोशन: धन्यवाद बहन जी , स्वागतम् 🙏💐

WhatsApp status
मेरी रचनाओं को पहला सम्मान पत्र ..... ✍️🗞️🥰 साहित्य एक नज़र ' समूह और मुख्यत: ' रोशन कुमार झा ' सर को बहुत बहुत धन्यवाद 🙏💐 जिनकी वजह से यह सम्भव हो पाया , ✍️ आ. सरिता त्रिपाठी ' मानसी ' जी

[08/06, 19:04] Roshan Kumar Jha, रोशन: मेरे वजह से नहीं , आप अपनी रचनाएं के सहयोग से प्राप्त किए है । हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
[08/06, 19:07] सरिता साहित्य: जी आपका बहुत Bahut धन्यवाद...🙏 यदि रचनाएँ आपके व आपकी समूह द्वारा पत्रिका मे शामिल न की गई होती तो कहाँ संभव था...
[08/06, 19:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐
[08/06, 19:23] सरिता साहित्य: 🌸🙏🌸
[08/06, 20:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏🙏🙏💐
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[06/06, 22:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: ओह
[06/06, 22:35] Roshan Kumar Jha, रोशन: हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏
[06/06, 22:38] Roshan Kumar Jha, रोशन: मैं भी भारत स्काउट गाइड से जुड़ा हूँ , पूर्व रेलवे स्टेट , हावड़ा डिस्ट्रीक है , रोभर हूँ ।
[06/06, 22:39] साहित्य 06/06: वाह वाह वाह 👏🏽💐💐💐
[07/06, 06:05] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/303637988065651/?sfnsn=wiwspmo
[07/06, 23:10] साहित्य 06/06: देव नदी मां गंगा की अंतर्निहित वेदना पर आधारित कविता
शीर्षक -मुझे मेरे हाल पर बहने दो।

बहुत सह चुकी अब ना सहूँगी ,
अब  दबाव में न रहने दो ,
स्वच्छंद नीरा सुर सरि सरिता मैं
मुझे मेरे हाल पर बहने दो। ।

मैं कलुष को धोने वाली ,
मैं जीवन को देने   वाली ,
मैं जन पोषण करने वाली ,
मैं मानव हित बहने वाली ,
बना दिया मुझको कचरामय ,
अब ना  कलुषता ढहने दो ।
मुझे मेरे हाल पर बहने दो।।

नहीं समझे तुम मेरी कीमत ,
नहीं समझे तुम मेरी हिम्मत,
नहीं समझे मेरे अस्तित्व को ,
नहीं जाने मेरे कृतित्व को ,
मैं अनादि हूं ,मैं असीम हूं,
मुझे मेरे घर में रहने दो ,
मुझे मेरे हाल पर बहने दो ,
मुझे स्वच्छंद से बहने दो।।

सोचा था धरती सरसाऊँ,
सोचती हूँ समृद्धि  को लाऊँ ,
सोचती हूं मातृत्व  निभाऊँ,
पर अब  घाव न सहने दो,
मुझे मेरे हाल पर बहने दो।।

पहले स्वच्छता फिर हो आरती, पहले श्रद्धा ,फिर हो भक्ति ,
मैं जल नहीं, गंगा जल हूँ ,
मैं शाश्वत प्रवाहमय हूँ ,
जो बीत चुकी  आपदा को देखो, उस विपत्ति से कुछ तो सीखो,  सतत् स्वच्छंदता रहने दो,
मुझे मेरे हाल पर बहने दो।।

प्रेषक-
आचार्य रामकृष्ण पोखरियाल
वरिष्ठ उपाध्यक्ष  साहित्यिक संस्था
ऋषिकेश( उत्तराखंड)
[07/06, 23:13] साहित्य 06/06: आदरणीय झा साहब फेसबुक में रचना प्रेषित नहीं हो पा रही है  कुछ तकनीकी समस्या और कमैंट्स प्रॉब्लम है इसलिए आप के माध्यम से ही भेज रहा हूं👏🏽
[08/06, 06:39] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी दो चार दिन तक समस्या होगी कोई बात नहीं तब तक हम अपलोड कर देंगे ।
[08/06, 08:38] साहित्य 06/06: मैं रामकृष्ण पोखरियाल सरस प्रमाणित करता हूं कि उपरोक्त रचना मेरी अपनी मौलिक है इसे अभी तक कहीं अन्यत्र पत्र-पत्रिकाओं में  प्रकाशित नहीं किया गया है और मैं इसे साहित्य एक नजर कोलकाता से प्रकाशित पत्रिका में प्रकाशनार्थ प्रेषित कर रहा हूं
स्थान ऋषिकेश
दिनांक 7 जून 2021
[08/06, 08:39] साहित्य 06/06: 🙏🌺🌺🌺
[08/06, 09:23] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
_______________
[08/06, 09:27] Roshan Kumar Jha, रोशन: शुभ प्रभात सर जी 🙏💐
[08/06, 09:28] प्रमोद ठाकुर: सुप्रभात
[08/06, 23:15] प्रमोद ठाकुर: 9  जून 2021 के लिए समीक्षा
[08/06, 23:18] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी समीक्षा

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[07/06, 20:54] : नमस्ते।
मैं रीता मिश्रा तिवारी हूं।
कहानी, कविता आदि लिखती हूं।

कृप्या आप अपने ग्रुप में एड कर ले।
[07/06, 20:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: जी 🙏💐
[07/06, 20:56] Roshan Kumar Jha, रोशन: स्वागतम् 🙏💐
[07/06, 20:57] Roshan Kumar Jha, रोशन: Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/Csqy8X67NcqIRnbqeFQ0bz
[07/06, 20:58] : जी धन्यवाद 🙏
[07/06, 22:22] Roshan Kumar Jha, रोशन: 🙏🙏💐
[08/06, 11:54] : मैं नई हूं, 
तो मैं अपनी रचना कहां और कैसे भेजूं। बताएं 🙏
[08/06, 12:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/303637988065651/?sfnsn=wiwspmo
[08/06, 12:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: यहां भेजिए
[08/06, 12:15] Roshan Kumar Jha, रोशन: फेसबुक पर
[08/06, 13:45] : जी,,किसी भी टाइम भेज सकते हैं या समय निर्धारित है
[08/06, 14:13] Roshan Kumar Jha, रोशन: ये पढ़ लीजिए

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रोशन कुमार झा

























अंक - 29

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jevw/

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 29

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

मो - 6290640716
🌅🗺️🌍
विश्व महासागर दिवस

अंक - 29
8 जून  2021

मंगलवार
ज्येष्ठ कृष्ण 13 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 8 - 17
कुल पृष्ठ - 18

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆

34. आ. सरिता त्रिपाठी ' मानसी ' जी
35. आ. प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान जी
36. आ. ज्योति झा जी
37. आ. देवप्रिया ' अमर ' तिवारी  जी , ( अंक - 21)
38. आ. अजय कुमार झा जी
39. आ. मधु खन्ना जी , ( अंक - 20 )
40. आ. वीणा सिन्हा , ( अंक - 19 )
41. आ.  वीरेंद्र सागर जी
42. आ. डॉ. अनिल शर्मा 'अनिल ' जी
43. आ. गणेश चन्द्र केष्टवाल जी



साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 29
Sahitya Ek Nazar
8 June 2021 ,  Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

फेसबुक - 1

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1130921720754714/

https://m.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1130917787421774/
फेसबुक - 2

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/304930094603107/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/304928164603300/?sfnsn=wiwspmo


अंक - 23
https://online.fliphtml5.com/axiwx/bouz/

https://youtu.be/oeDczGNbq-4

अंक - 28

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jtec/



समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

अंक - 25 से 27

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/301655748263875/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 28 से 30 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/303637988065651/?sfnsn=wiwspmo

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा

मो - 6290640716

_________________

अंक - 27
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/27-06062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2019-06062021-27.html

अंक - 28
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/28-07062021.html
कविता - 20(20)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2020-07062021-28.html

अंक - 29

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/29-08062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2021-08062021-29.html

अंक - 30
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/30-09062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2022-09052021-30.html

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html

1.
श्री रामकरण साहू "सजल" जी का कविता संग्रह "गाँव का सोंधापन" पुस्तक का समीक्षा किया गया ।

श्री रामकरण साहू "सजल" जी का कविता संग्रह "गाँव का सोंधापन" पुस्तक का समीक्षा साहित्य एक नज़र के सह संपादक/ समीक्षक आ. प्रमोद ठाकुर जी ने किया । आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों से आग्रह है एक बार आ.  रामकरण साहू "सजल" जी का कविता संग्रह "गाँव का सोंधापन" पुस्तक का अध्ययन जरूर करें ।

2.
प्रकाशक -

सरोकार प्रकाशन
30 अभिनव काकड़ा मार्केट,
अयोध्या बायपास,
भोपाल ( मध्यप्रदेश ) - 462041
मोबाइल नम्बर - 9993974799

मैं सरोकार प्रकाशन के बारें में सिर्फ इतना ही कहूँगा। कि जिस तरह हीरे की खदानों से खोज कर एक-एक हीरा निकाला जाता है।उसी तरह सरोकार प्रकाशन भी साहित्य के नायाब हीरों को खोज कर निकलता है।जिसकी लेखनी की सृजनता के एक-एक शब्द की चमक से पूरे समाज को एक नयी रोशनी मिलती हैं। ठीक वैसे ही सरोकार प्रकाशन ने एक ऐसा नायाब हीरा खोज कर निकाल जिसकी चमक पूरे हिंदुस्तान को रोशन करेगी और वो है अद्भुत साहित्यकार श्री रामकरण साहू "सजल" उनकी कलम से निकले शब्दों के मोती जिन्हें शब्दमाला में पिरोकर उन्होंने जन्म दिया एक महान कविता संग्रह "चाँद दागी हो गया"  जिसकी समीक्षा का आज मुझे सौभाग्य प्राप्त  हुआ।
3.

बहती मानवता - व्यंग्य ✍️ कुमार रोहित रोज जी

              मानव सबसे अनूठा थलचर है। जिसके पास विद्या और ज्ञान का अथाह भंडार है। जिज्ञासा और असंतोष ने आविष्कारों की झड़ी लगा रखी है। जलचर और नभचर दोनों थलचर के कई कारनामें देखकर भौचक्कें हैं। स्वयं थलचर भी निज प्रवृति पर किंकर्तव्यविमूढ़ है। दया प्रेम करुणा सद्भाव सहयोग परिश्रम अनुशासन तप साधना साधारणीकरण उचित अनुचित का बोध इत्यादि जैसे विरल भाव ही उसे मानव सिद्ध करते हैं। इन्हीं भावों के कारण मानव सभी जीवों में अलग पहचान रखता है।
             समय गतिमान व परिवर्तनशील है...समय के साथ मानव की भावनाएं भी परिवर्तित हुईं है यह सर्वविदित है। हर वस्तु को पाने की भूख और होड़ ने सबको पीछे छोड़ दिया है। लालच घृणा ईर्ष्या जलन द्वेष आदि दुर्भाव सारे सद्भावों का वध कर रहे हैं। मानव जीवन के कुरुक्षेत्र में अर्जुन भीम युधिष्ठिर नकुल सहदेव अकेले दुर्योधन से परास्त दिखाई दे रहे हैं। चक्रधारी कृष्ण का सुदर्शन शायद परशुराम जी ने वापस ले लिया है। पावन गीता उपदेश की मुनादी तो करती है मगर मानव को सिर्फ स्वार्थ सिद्धि की बातें ही सुनाई देती हैं। मानव को तृष्णा ने अँधा अवश्य किया है किंतु लालच रूपी लक्ष्य देखने की शक्ति संजय की दिव्यदृष्टि को भी मात देती है। द्रोपदी हर चौराहे पर चीख रही हैं उसका चीर दुशासन बेखौफ खींच रहा है... समाज भीष्म बना मौन है।
           गाँधी जी के तीन बंदर अभिधा लक्षणा को छोडकर व्यंजना में उछल कूद कर रहे हैं। बुरा मत देखो, बुरा मत कहो, बुरा मत सुनो इन तीनों वाक्यों से 'मत' लुप्त प्रजाति की भांति हो चुका है। वैसे भी मत से ही मति बना है जिसके दर्शन ईद के चाँद सरीखे हो गये हैं। 'सबको सन्मति दे भगवान'- गांधी जी ने यह भजन न जाने किस मन अवस्था में लिखा था। सुना व पढा है कि गांधी जी एक उच्च कोटि के दार्शनिक थे - मगर मानव की वर्तमान अवस्था ने इस बात को कटघरे में खडा कर दिया है।
          मानव मिट्टी का पुतला जरूर है मगर हृदय पाषाण का बन गया है। इसलिए इंसानियत मानवता सहृदयता सारे मूर्छित हैं। अब हनुमान जी का भी पता नहीं किस कुटी में साधना कर रहें हैं वर्ना संजीवनी ही ला देते। मान मर्यादा कर्तव्यपरायणता वचन बद्धता धर्म इत्यादि सभी वनवासी हैं। मानव केवल निज लाभ की खोज में तल्लीन है। इसके लिए चाहे उसे किसी भी संबध को तोडना पड़े या किसी भी परीक्षा से गुजरना पडे। समष्टिवाद पर व्यष्टिवाद हावी है। आश्चर्य की बात तो यह है कि मानव मानव को नौंच रहा है। चील गिद्ध कौवे मानव के कारनामे देखकर खुद के अस्तित्व पर शंका कर रहे हैं। जानवरों में इंसानियत के गुण देखकर विज्ञान भी हतप्रभ है।
           सामान्य रूप से देखें तो अर्थ ने ही अनर्थ किया है। जहां सबसे ज्यादा है पैसा है वहां मानवता का ह्रास नियम लागू हो जाता है। अर्थशास्त्रियों ने भी इसका जिक्र कहीं नहीं किया। वे भी सिर्फ मांग और आपूर्ति पर ही अटके रहे। राजनेता सफेद परिधान पहनकर जितने काले कारनामे करते हैं इसका आंकलन मुझ जैसा बुद्धिहीन प्राणी नहीं कर सकता। कफन तक से भी अपना लाभांश ले लेना इनकी विशेष अर्हता में शामिल है। ईश्वर ने डाक्टर को जीवन बचाने के लिए भेजा है आज के आंकडे बताते हैं कि ये भगवान मुर्दे से भी अपनी फीस मांग लेते हैं जिसे इनकी व्यवसाय के प्रति इमानदारी...खैर जो कहो।
           पहाड़ों की छाती से निकलता पानी कितना निर्मल और पावन होता है। जैसे जैसे वह आगे बढता है अपनी निर्मलता को खोता जाता है। रास्ते में न जाने कितने अवशेष रूपी कथानक नदी की कहानी को अपने में विलीन कर लेते हैं। ऐसे ही अनगिनत सबूत पुख्ता करते हैं कि मानव संवेदनशील से असंवेदनशील हो गया है। अब केवल साहित्यकारों से एक उम्मीद है कि ये मान मर्यादा और मानवता को सहेजे और संवेदना की तख्ती पर कुछ ऐसा सृजन करते रहे जिसे पढकर समाज में मानवता और इंसानियत फिर से शंखनाद करने लगे... वर्ना आर्तनाद सब कुछ नष्ट करता जा रहा है।

@✍️ कुमार रोहित रोज जी
कार्यकारी अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
4.

कविता - मातृभूमि

दर्द ए कशिस' की वाहिनी है।
सब की, जीवनदायिनी है।।
त्रिलोकी ने भी, ली थी पनाह,
यहां आकर, तेरे दामन में।
हसीं, बहुत लगती हमको'
अल्हड़ अठखेलियाँ ,तेरे आंगन में।।
छुपा लिया था तूने,
गैरों को अपने आगोश में।
देखें जो जख्म तेरे दामन के,
मन भर जाता है, रोष में।।
गोरों तक के दिये दर्द भी,
तूने हँसकर झेले हैं।
डच, कुषाण,और पुर्तगाली,
तेरे आँचल से खेले हैं।। 
हर रोज देखती है तू सिसकते,
बेबस लाचार, अभागिन को।
कोई झोंक देती ज्वाला में,
क्या,माफ करेगी, उस नागिन को।।
हैं कितने उपकार तेरे,
कैसे हम, कर्ज चुकाएंगे।
याद करेंगे जब-जब तुझको,
अश्क, छलक कर आएँगे।
लहुलूहान हो गया, दामन तेरा,
दर्द का कोई छोर नहीं ।
तेरे ही तुझको, जख्मी करते
दूजे कोई, और नहीं।।
कितने जख्म, उभर आये,
आखिर कब तक, सहना होगा।
लगे फिसलती जान हाथ से,
घुट घुट कर ,अब मरना होगा।।

✍ शायर देव मेहरानियां
         अलवर, राजस्थान
      (शायर, कवि व गीतकार)
Mob - 7891640945

5.
" महासागर है कष्ट में "

अथाह जल समेटकर,
सभी को ये बता रहा।
बढ़े चलो सफर में तुम,
मुकाम पास आ रहा।
प्रकृति को सहेजकर,
विनम्रता दिखा रहा।
जीवन आधार बन,
महानता सिखा रहा।
जैव की अनेकता को,
खुद में समेट कर।
प्राप्त करें लक्ष्य हम,
हमको बतला रहा।
फैल रहे ताप को,
खुद ही ये सोखकर।
घर को हमारे देखो,
कष्ट से बचा रहा।
मानव बन जन्म लिया,
फिर भी क्यों मौन हैं।
महासागर है कष्ट में,
देखो सब गौण हैं।
आज गर संभले नहीं,
बहुत देर हो जाएगी।
अपनी करनी ही हमें,
बहुत बहुत रुलाएगी।
चलो आज प्रण लें,
सभी मिल जुल हम।
महासागर बचाने को,
प्रदूषण को करें कम।
चलो आज प्रण लें,
सभी मिल जुल हम।।(इति)
   
               
✍️   केशव कुमार मिश्रा,
अधिवक्ता व्यवहार न्यायालय दरभंगा।
मधुबनी।
🌅🗺️🌍
विश्व महासागर दिवस
6.
विषय- प्रेम

बेरहम दुनियां के
खुशनसीब सितारे
मेरे दिल के हज़ार
टुकड़े करने वाले
मैं तेरे प्रेम में आज भी वहीं
हूँ जहाँ तूने मुझे छोड़ा था,,
तुमने मुझे सहारा देकर
बेसहारा कर दिया था,
मैं तो तेरे प्रेम में हर पल
, रातों दिन तड़पती थी,,
तेरी कही अनकही बातें
हर पल याद करती थी,,
तेरे प्यार में छोड़ना
चाहा सारा जहाँ,,
तुम ही मेरे हमदम
मेरी सारी दुनिया जहाँ,,
तेरे प्रेम के
एहसास में जी रहे है
तेरे प्रेम की खुशबू
फ़िज़ाओं में है
मैंने तुझसे प्यार किया
ऐसे जैसे चंदा
करता चांदनी से,,,,
बादल करता बरसात से,,,
धूप प्रेम करती
रेत के कणों से,,
मछलियों प्रेम
करती जल से,,
भोरे प्रेम करते पुष्पों से,,
पर तूने तो मेरे प्रेम
को मज़ाक बना दिया,
प्रेम के बदले जीवन
भर की रुषवाईयाँ दे दिया,,
मजबूर हूँ इतनी मैं
बददुआ दे नहीं सकती,,,
मैं आज भी तुझसे
ही प्यार हूँ करती,,
तेरे प्यार ने मुझको जीवन
का संघर्ष सीखा दिया,,
तेरे खातिर जिन अपनो
को छोड़ा उनसे
प्रेम सिखा दिया,,,
बेरहम दुनिया के
खुशनसीब सितारे,,,,,,

  ✍️  प्रज्ञा शर्मा
    प्रयागराज

7.

#दिनांक-07/06/2021
#विषय-

विवश कर दे लेखनी तो ....

विवश कर दे लेखनी तो
समझ लेना कवि हृदय हो!
जिन्दगी की हर कहानी
बचपन हो या हो जवानी
सुख और दुःख की व्यथा गर
होती न याद मुंहजबानी
समेटने को जब तुम्हें
उसे ...समेटने को जब तुम्हें
विवश कर दे लेखनी तो
समझ लेना कवि हृदय हो !
प्रेम या वैराग्य को जब
किया हो महसूस तुमने
राग मे उन्मत्त होकर
वैराग्य में ही विरक्त होकर
मुक्त होने को व्यथा से
विवश कर दे लेखनी तो
समझ लेना कवि हृदय हो !
पर पीड अथवा सुख स्वयं का
देखकर मन सन्तप्त होना
पर पीड पर उपकार करना
खुद के सुख का त्याग करना
उपकार करने को तुम्हें जब
विवश कर दे लेखनी तो
समझ लेना कवि हृदय हो !
विवश कर दे लेखनी तो
समझ लेना कवि हृदय हो !

✍️ डॉ देशबन्धु भट्ट
सेम मुखेम
प्रताप नगर , टिहरी गढ़वाल

8.

* हमारी मन की अवस्था का तन
पर भी सापेक्ष असर होता है *।

जब तक हमारे
हाथों में तराजू न था
;हम बड़े आनंद में थे //
जब तक हमें अपनी छवि
दूसरों की आँखों में
देखने की हसरत न थी ;
हम बड़े आनंद में थे //
जब तक हमें यह देखने की
समझ न थी कौन हमसे
आगे निकल गया....
हम कितने पीछे रह गए...
.इस जीवन में कितना पाया....
कितना नुकसान हुआ...
.किसने अपनी भावी पीढ़ियों
के लिए हमसे अधिक संचित
कर लिया... हम बड़े आनंद में थे //
कौन हमें त्वज़जो देता है
या नहीं.... हमारा अहंकार
जब आकर न ले पाया था
कि हमारी हैसियत  कैसी है....
हम बड़े आनंद में थे //
जब हम कितने महत्वपूर्ण हैँ...
ये देखने के लिए दूसरों की
राय जानना न सीखे थे...
. हम बड़े आनन्द में थे //
  जब हम बचपन में थे....
हम बड़े आनंद में थे //
गीली मिट्टी में गिर जाते..
खुद पर हँसते.
सुबह उठते  दौड़ते -भागते..
. जबरदस्ती पढ़ाई करते..
शाम को खेलने की होड़ रहती.
दोस्तों से मिलने का दौड़ होता.
शाम को डांट
मिलने का डर होता //
सुबह उठने का बेसब्री
से इंतज़ार होता //
हम बड़े आनंद में थे,,,
जब से बड़े हुए.....
न डर रहा....
. न खुद पर हँसने का दौड़ रहा..
न किसी के संग खेलने
का होड़ रहा....
एक तराज़ू लेकर बैठे हैँ...
कितनी .बीमारियों का
आगाज़ कर बैठे हैँ....
अपनी खुशियों का आईना
दूसरे के हाथों में दे बैठे हैँ,,,
हमारा पसंदीदा गाना है
"ये दौलत भी ले लो...
ये शोहरत भी ले लो...."

✍️ ~ डॉ पल्लवी कुमारी "पाम"
अनिसाबाद, पटना ,बिहार

9.

#साहित्य एक नजर
# अंक -  28-30
दिनांक -
7/6/2021.
     *
कहानी.

सुनो, सुनना होगा तुम्हें पार्थ
जीवन के नियत महाभारत में
जीवनोत्सर्ग करते कुरूक्षेत्र में
तुम्हारी रची कहानी!
सदियों से सजा है रंगमंच
अपनी अपनी भूमिका ले
अभिनीत करते अभिनेता
बन गांधी और गोडसे
नाजी और नाजेहिन्द
बना जाते खुद को कहानी
होता नही अंत कहानियों का
अभिनय से दर्शक बनाते
कालातीत जब कहानियाँ
अमिट कालजयी बन जाता है
सृष्टि श्रष्टा- विध्वंसक नामधारी
हस्ताक्षरित इतिहास कहलाता है.

✍️ अजय कुमार झा.
      7/6/2021.
10.

रोज सोचता हूं
एक पत्र लिखूं
पर क्या लिखूं
कितना लिखूं
जीवन में जो
कुंठा है, घुटन है
शायद उसे
कम कर सकूं
यहां के जंगल
बहुत घने है
पहाड़ों में
दरारें बड़े बड़े है
उसे देखकर
तुम्हारी यादें लिखूं
या बीते दिनों
की बातें लिखूं
मन कितना बैचेन
है कैसे कहूं
जी करता है हर
शब्द प्रेम ही लिखूं
गगन में पाखी
बनकर तुम तक उडूं
मंदिर की बजती
घंटियां लिखूं
और हुलसकर
तुमसे कहूं..
मैं जल्दी
आ जाऊंगा...
या बैठ कर
किसी नदी के मुहाने
तुम पर कोई
कविता लिखूं
मुझे पता है
पढ़कर तुम
पलकें मूंद लोगी
थोड़ी नम
करोगी आंखें
फिर तकिये
के नीचे रख लोगी
रात गुजर जाने तक
फिर भींग जायेगा
तुम्हारा सिरहाना
सुबह होने तक.......

✍️ पुष्प कुमार महाराज,
गोरखपुर
दिनांक- 07.06.2021

11.

हरी भरी वसुंधरा, हरा-भरा ये द्वीप है.
ये कौन कह रहा है कि,ये प्रेम का प्रतीक है.
ये वन कट रहे जहाँ,मरुस्थलों में आग है.
ये भवरे कह रहे यहाँ,ना फूलों से प्यार है.
ये कौन कह रहा है कि,ये प्रेम का प्रतीक है.
मृग ना रह सके जहाँ,ना पक्षियों का शोर है.
तम से भरा है जीवन,उषा की अब तलाश है.
पथ पे जिधर भी देखों,हर घर का एक शव है.
मातम जहाँ में छाया,हर उर में वेदना है.
ये कौन कह रहा है कि,ये प्रेम का प्रतीक है.
सांसें है सबकी घुटती,दम भी निकल रहा है.
लगता है जैसे मारुत,कोई विष उगल रहा है.
गंगा का हाल देखकर,सूरज भी रो रहा है.
कैसा महा प्रलय है,त्राहि त्राहि सब हो रहा है.
ये कौन कह रहा है कि,ये प्रेम का प्रतीक है.

✍️ प्रभात गौर
नेवादा जंघई
  प्रयागराज  ( उत्तर प्रदेश )

12.

इंकलाब प्रकाशन मुंबई द्वारा प्रकाशित" काव्य सलिल" साझा काव्य संग्रह में आ. प्रमोद ठाकुर जी अपनी रचनाओं से योगदान दिए रहें । " काव्य सलिल साहित्य सम्मान" से आ. प्रमोद ठाकुर जी को सम्मानित किया गया ।

13.

आप सभी का कवियों का अध्यात्म की तरफ से स्वागत करता हूं | सोमवार 8 जून 2021 को कवियों का अध्यात्म द्वारा संचालित मंच से ली गई नृत्य प्रतियोगिता में सभी ने बहुत अच्छा नृत्य प्रदर्शन का वीडियो सेंड किया, एक दूसरों को कुछ नया सिखाना इस हेतु से यह समूह बनाया गया है। हमारी टीम के कमलेश सर, मनस्वी स्वाति मैडम, आस्था पटेल मैडम, और हमारे समूह के एमडी ( MD ) सरिता जैन मैडम इत्यादि सदस्यों के कारण आज हमारा संग यहां तक आया है। मैं समूह का संस्थापक सागर गुडमेवार सभी विजेताओं का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।।

🥇 Rashmi Dangwal - first ( प्रथम )
🥈 Aditya Amol Pilajii - second ( द्वितीय )
🥉Bhakti Mishra - third winner ( तृतीय )

14.

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

होनी को कौन रोक
सकता होने से ,
जब आँसू आ ही गई
तो कौन रोक सकता रोने से ,
जब इच्छा बन ही गई
छायादार वृक्ष लगाने की
तब कौन रोक सकता
बीज बोने से ।।
जब नींद आ ही गई
तब कौन रोक सकता
सोने से ।।

अंदर पाप ही पाप
तब क्या होगा गंगा में
शरीर धोने से ,
डर हमें है न यह जीवन खोने से ,
डर तो हमें यह है व्यर्थ में
समय न बीते
यही डर आता कोने कोने से ,
तब बताओ प्यारे पाठकों
होनी को कौन रोक सकता होने से ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मंगलवार , 08/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(21)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 29
Sahitya Ek Nazar
8 June 2021 ,   Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
साहित्य एक नज़र 🌅 के तरफ
से आप सभी को
विश्व महासागर दिवस
की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐 ।
🌅🗺️🌍
विश्व महासागर दिवस
अंक - 29 , 08/06/2021
मंगलवार



05 जून 2021 , शनिवार , विश्व पर्यावरण दिवस पर काव्य पाठ करने वालों की सूची -



1. आ. विनीता कुशवाहा जी   गोण्डा उत्तर प्रदेश 23055

2. आ. फूल सिंह जी , 23056

3. आ. रवींद्र कुमार शर्मा जी ,23057

4. आ. श्वेता धूत जी , हावड़ा, पश्चिम बंगाल 23058

5. आ. बेलीराम कनस्वाल जी 23059

6. आ. अनुराधा तिवारी "अनु" जी 23060

7. आ. विनीता लालावत जी 23061

8. आ. रजनी हरीश जी 23062

9. आ. रंजना बिनानी "काव्या " जी , गोलाघाट असम 23063

10. आ. मीना  गर्ग जी 23064

11. आ. स्वाति जैसलमेरिया  जी , जोधपुर राजस्थान 23065

12. आ. मनोज कुमार चन्द्रवंशी "मौन" जी 23066

13. आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी (दिल्ली) 23067

14. आ. सुनीता बाहेती, (श्रुति ) जी 23067

15. आ.   दीप्ति गुप्ता जी 23068

16. आ. प्रेमलता उपाध्याय स्नेह  जी दमोह 23069

17. आ. दीप्ति खरे जी 23070

18. आ. स्वर्णलता सोन जी , दिल्ली 23071

19. आ. अनु तोमर जी 23072

20. आ. अनिल पालीवाल जी 23073

21. आ. कलावती कर्वा जी 23074

22. आ. मनोज कुमार पुरोहित जी 23075

23. आ. सुनीता मुखर्जी 23076

24. आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी 23077

25. आ. प्रमोद पाण्डेय 23078 'कृष्णप्रेमी' गोपालपुरिया जी 23079

26. आ. सुधीर श्रीवास्तव जी 23080

27. आ. आशुतोष कुमार जी 23081


























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