कविता :- 18(30),18(29),18(28)





कविता :- 18(30), 18(29) 18(28)

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक  :- 30/11/2020
दिवस :- सोमवार

कुछ न कुछ सीखता हूं ,
तब जाकर कुछ लिखता हूं ।।

इसी तरह दिन बीताता हूँ ,
आज यहां कल कहीं और कमाता हूं ।।

✍️       रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 18(30)

जनून भईया यहां भी काम छोड़ दिए , 4 दिन का पैसा भी नहीं लिए वह बोले कब तक छिपाओगे कल बिट्टू को बोल देंगे इसलिए काम छोड़े , अभिषेक भईया, बिट्टू भईया बार बार फोन किए, कल SBI pass book Xerox करवाएं mirpara में ही पासबुक भूल गये आज 1 दिसंबर को कुमार पाड़ा गया मोनू फोन किया ।।

दिनांक :- 29/11/2020
दिवस :- रविवार

बेटियां आती है ,
घर द्वार सजाती है ।।
सीता जी जैसी पवित्र नारी की ये माटी है ,
बाहर जाने से अब घबराकर भी न घबराती है ‌‌।।
क्योंकि कमज़ोर है न अब लड़कियां ,
तब करो न फिर से लड़कियों के साथ
फिर से वही गलतियां हां हां वही गलतियां ।।

✍️       रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 18(29)
आलू :- 48×2
प्यज :- 35
टमाटर :- 60
मटर :-25
गोभी :- 15= 232, हम मीरपाड़ा में रहें, घर में बिट्टू भईया छोटकी बेटी फोन की , गये , शाम में भोला भईया आएं हम समोसा दिए , गये दवाई लेकर , हम बस्ता सब सुबह में ही ले आएं रहें ,750 दी भाभी बोली इसे भी गांव ले गये होते , पूजा में ले जायेंगे ।। रंगोली मोल पास खिलौना फैक्टरी बिट्टू भईया को चाभी देकर आ गये ।।

दिनांक :- 28/11/2020
दिवस :- शनिवार

अरे बेटियां लक्ष्मी की अवतार है ,
तू भी किसी नारी की लाल है ।।
फिर लक्ष्मी रूप नारी को इज़्ज़त देने
के लिए क्यों न तैयार हैं ,
तैयार हो जाओ करो नारी की मान सम्मान
उन्ही से हंसता मुस्कुराता हुआ घर परिवार है ।
तब बेटियों को घर में और घर के बाहर जाने दो
कब तक बंद रहेगी उनकी सफलता की खिड़कियां ,
खिड़कियां बंद करके मत करों फिर से वही गलतियां
हां हां वही गलतियां ।।

✍️       रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 18(28)

অ , আ , ই , ঈ, উ ,ঊ
এ,ঐ,ও,ও
ক,খ,গ,ঘ,ঙ,
চ,ছ,জ,ঝ,ঞ
ট,ঠ,ড,ঢ,ণ
ত,থ,দ,ধ,ন
প,ফ,ব,ভ,ম
য,র,ল,শ,ষ,স,হ,ড়,

कैसे सुरक्षित रह पाऐगी भारत माँ की बेटियां
फिर से हो रही है वही गलतियां, हा,हा फिर हो रही है वही गलतियां ।।

1) न सेना , न बेटियां ,न आम  आदमी के लिए सुरक्षा है ,
हे शासन करनें वालें शासकों
इनकी वज़ह से ही तुम्हारी रक्षा है।
देखों क्या कह रही है एक वेश्या
आखिर उसकी क्या दशा है ।
तो सुनो
अब तो रो रो के एक वेश्या भी यही कह रही हैं
ऐसे सेको न सियासत की रोटियां
फिर से हो रही हैं वही गलतियां, हा, हा फिर से हो रही है वही गलतियां

2) हो वो गुलनाज या निर्भया
इन लोगों के साथ दरिंदों ने कर्म ऐसा किया कि एक वेश्या
भी शर्मा गई  ।।
चीख कर कह रही है वही अर्जिया , हां हां वही अर्जिया ,
फिर से हो रही है वही गलतियां , हां हां फिर से हो रही है वही गलतियां ।।

3) बेटियों की हिफ़ाज़त तो अब न रही ,
हर छन,हर पल,हर लम्हा डर के सयो में पल रही है बेटियां
कौन दरिंदा कब किस रूप में झपट्टा मार दे
इस डर में हर पल,हर लम्हा जूझ रही बेटियां
अरे मैं तो एक लक्ष्मी का रूप हुँ कोई जानवर नही
ऐ हवश के पुजारी तुम सुनों मैं बेटी हुँ कोई वस्तु नहीं
ऐ दरिंदों तुम सुनलो
झांसी वाली रानी भी यही आयी रही
फिर से आएगी देर हो सकता है सही
हर वक़्त एक ही आँचल में पलता नही
अरे सत्ता के ठीकेदारों ने फिर मकरो फ़रेब निकला
निकलकर बना रहीं हैं उल्टी सीधी नीतियां ,
फिर से वही गलतियां , हां हा फिर से वही गलतियां

4) बेटा के लिए रोज़गार नहीं ,
बलात्कार न हुआ हो कोई ऐसा साल नहीं ।।
चूड़ी पहन कर बैठी है ये हमारी सरकार नहीं ,
योजना व नारों से क्या होगा ये हमें स्वीकार नहीं ।।
बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ
बस नारों की बह रही है नदियां ,
अरे बेटियां विद्यालय, महाविद्यालय तक पहुंच ही
नहीं पाती
क्योंकि रास्ते में ही हो जाती उनके साथ
बलात्कार जैसी गलतियां हा,हा बलात्कर जैसी गलतियां !!
फिर से वही गलतिया हा, हा वही गलतियां

5) बेटियों की दर्द भरी इस चीख को सुनकर रो देती हैं भारत माँ की मिट्टियां
सत्ता के ठीकेदारों ने
इसी चीख इसी पुकार को दबाने के लिए
इसी मिट्टी पर छोड़ते है बड़े-बड़े भाषण
अरे यही भाषण मार कर फिर से कर देते है वही गलतियां हा,हा फिर से वही गलतियां

6) सत्ता में आने से पहले ये ऐलान सरेआम होता हैं
बेटी का सम्मान करूँगा बेटा को रोजगार दूँगा
और सत्ता में आते ही गायब हो जाता है बेटी का सम्मान और बेटा का रोजगार
और कहतें है बेटा बेचो पकौड़ी बेटी उठा लो टोकरियाँ
जनाब क्या पकौड़ी बेचने के लिए पढ़ रहा है बेटा
क्या टोकरियाँ उठाने के लिए पढ़ रही है बेटियां
या फिर दरिंदो का शिकार होने के लिए पढ़ रही है बेटियां
फिर से वही गलतियां हां, हां फिर से वही गलतियां ।

7) अरे बेटियां लक्ष्मी की अवतार है ,
तू भी किसी नारी की लाल है ।।
फिर लक्ष्मी रूप नारी को इज़्ज़त देने
के लिए क्यों न तैयार हैं ,
तैयार हो जाओ करो नारी की मान सम्मान
उन्ही से हंसता मुस्कुराता हुआ घर परिवार है ।
तब बेटियों को घर में और घर के बाहर जाने दो
कब तक बंद रहेगी उनकी सफलता की खिड़कियां ,
खिड़कियां बंद करके मत करों फिर से वही गलतियां
हां हां वही गलतियां ।।

8) बेटियां आती है ,
घर द्वार सजाती है ।।
सीता जी जैसी पवित्र नारी की ये माटी है ,
बाहर जाने से अब घबराकर भी न घबराती है ‌‌।।
क्योंकि कमज़ोर है न अब लड़कियां ,
तब करो न फिर से लड़कियों के साथ
फिर से वही गलतियां हां हां वही गलतियां ।।

9) आज पढ़ लिखकर क्या हुआ लाभ
ये हैं कैसी आजादी
बेटा हवश का शिकार कर रहा हैं
बेटियां हवश का शिकार बन रही है
बस अब बहुत हो गया
रोक दो ये सब कुरीतियां
बुलंदी पर आवाज़ उठाया हूँ , मारा नहीं हूँ चुटकियां ,
चाहिए इन सब शासकों से मुक्तियाँ ,
तब कहीं जाकर रूक सकती है
ये गलतियां , हां हां रुक सकती है ये गलतियां ।।

         ✍️   मो० एहतेशामुल हसन
सह
✍️ रोशन कुमार झा

मो० एहतेशामुल हसन
মো.এহতেশামুল হসন

रंगोली मोल पास खिलौना फैक्टरी से 1000 लिए , जनून भईया पास काम आया भाभी लोग भी अलग अलग से 50 दी भाभी ,

http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/11/1824.html
कविता :- 18(05),
दिनांक :- 05/11/2020
दिन :- वृहस्पतिवार

नमन 🙏 :- सुवासित पत्रिका अंक दिसंबर के लिए रचना

विषय :- अनाथ

शहर और गांव की बात है,
अभी सवेरा कहां , अभी तो रात है ।
कहां कोई उसके साथ है ,
क्योंकि वह अनाथ ।।

उसके भी कई सपने
कई बात है ,
कह नहीं पाता ,
मुसीबत में पड़ा उसका हाथ है ।।
कोई न पूछता तुम्हारा क्या जात है ,
क्यों नहीं पुछता
क्योंकि वह अनाथ है ।।

✍️       रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार।

कविता:- 16(21)   मैथिली  ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
06-05-2020  बुधवार 07:07 , आज कविता :- 17(46)
06/09/2020 रविवार

माँ सरस्वती, साहित्य संगम संस्थान बोली विकास मंच को नमन 🙏 करते हुए , आप सभी गुरुजनों सह देवियों को सादर प्रणाम 🙏 , मैं रोशन कुमार झा , मधुबनी से अपनी स्वरचित कविता सुनाने जा रहें हैं, कविता मैथिली भाषा में वर्णित है, मैथिली भाषा उत्तर बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है । आबूं नैई लेकिन कोरोना भगाबूं  मेरा कविता का शीर्षक है ।

-: 🙏   आबूं नैई लेकिन कोरोना भगाबूं  !  🙏:-

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 06/09/2020
https://www.inkalabhindi.com/2020/09/blog-post_15.html?m=1
दिवस :- रविवार
भाषा :- मैथिली
-: 🙏   आबूं नैई लेकिन कोरोना भगाबूं  !  🙏:-

घर सऽ बाहर नैई आबू  ,
घर पर रैही कऽ कोरोना भगाबूं !
हम रोशन के विनीत अछि कि माधव के गुण गाबूं  ,
अखन घोरे पर रहूं अहाँ सभ भैया आर बाबू !

मिल कऽ सोब गोटा बदलाव लाबूं ,
एखन घोरे पर रहि कऽ , नैइ कमाबू !
एक नीक आदमी के फ़र्ज़ निभाबूं ,
कोरोना मुक्त मिथिला के साथ  कोरोना मुक्त भारत बनाबूं !!

केतक अछि अहाँ के क़ाबू ,
ओऽ सऽ अहाँ कोरोना भगाबूं !
घोरे पर रहि कऽ इअ महीना बीताबू ,
कोरोना के हरा कऽ अपन भारत जीताबू !!

दुख तक़लीफ़ सैह कऽ नीक दिन लाबू ,
केअ अपने लोगेन भईया आर बाबू !
बाहर जेअ के जे इच्छा अछि होअ दबाबू ,
कोरोना भगा कऽ फेर सँ ओहि दिन के सुख पाबू !!

✍️    रोशन कुमार झा
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार
मो :- 6290640716
यह रचना मैथिली भाषा में रचित स्वरचित, मौलिक कविता है,
4 महीने पहले की कविता, वीडियो :- 2:15
77/R mirpara road ashirbad bawan Liluah
कविता :- 17(41) , बंगाली , आज चयनित - 10 पर
दिनांक :- 01/09/2020 , दिवस :- मंगलवार

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