कविता :-16(66) ग़ज़ल

कविता :- 16(66)  ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
18-06-2020 गुरुवार
✍️ • রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 18-06-2020
दिवस :- गुरुवार
विषय :- मीत
विधा :- ग़ज़ल
विषय प्रदाता :-  आ. विनोद वर्मा दुर्गेश जी 

मीत ख़ातिर जो उखाड़ना रहा उखाड़ दिये
वही बाहों में नहीं आया जिसे कई साल दिये ।।

उसी के साथ हर पल रहने की इच्छा रहा
अब वह भी इच्छा जीते जी ही हम मार दिये ।।

तन-मन-धन सब लुटाये कभी जिस पर
आज वही भरी बसंत में हमें नकार दिये ।।

मित्र तेरे बिना भी यूं जी रहा हूं आभार हूं उनका,
जो हमारा नाम अंधकार न रोशन कुमार दिये ।।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :-6290640716

कविता :- 16(49) लघुकथा :-2
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान  :- 01-06-2020

नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-157
दिनांक :- 18-06-2020
दिवस :- गुरुवार
विषय :-  जीवन के वो अनमोल पल
विधा :-  संस्मरण
प्रदाता :- आ .प्रीती शर्मा जी

-: रिक्शावाला की ईमानदारी । :-

बात करीब रात दस बजे की आस - पास की है,पूजा राजनगर रेलवे स्टेशन पर विश्वविद्यालय दरभंगा से काम काज निपटा कर आई, काफ़ी रात होने के कारण पूरा जगह सुनसान रहा, न गाड़ी नहीं कहीं आदमी, थोड़ी दूर पर एक रिक्शा रहा, वहां जाकर रिक्शा पर सवार हो गई, और क्या अपने घर चली गई , अपनी बस्ता तो ली पर रिक्शा पर ही काम की काग़ज़ की फाईल छोड़ दी , इस तरह दो दिन बीत गई, पूजा परेशान थी , कि कहां फाईल छोड़ दी, डर के मारे घर वालों को न कह पा रही थी, रिक्शावाला भी अपना रिक्शा लेकर दो दिन में कितने जगह गये आये पर वह फाइल देखा नहीं, फाईल रिक्शा वाला का बेटा देखा उसमें पैसे और रिजल्ट के काग़ज़ सब रहें, दौड़े - दौड़े वह पापा के पास आया, और बोला पापा पापा यह फाईल पूजा नाम की लड़की की है , इसमें पैसे और उसके काम के काग़ज़ भी है, पता न कहां रहती है, क्यों न पापा इस फाइल को पुलिस स्टेशन में दे आये , न बेटा सब पुलिस ईमानदार ही नहीं होता , पैसों रख लेंगे, काग़ज़ कहीं फेक देंगे , कुछ देर हमें सोचने दो हां हां मंगलवार को रात दस के आसपास एक लड़की को स्टेशन के पास ही ले गये रहे, जाकर उसके घर के पास पता लगाता हूं, उस मौहल्ला में जाकर रिक्शा वाला पूछा एक आदमी से यहां कोई पूजा नाम की लड़की रहती है क्या , तो वह आदमी बोला हां क्या काम है मैं ही हूं उसका पिता, रिक्शावाला साहब यह फाईल आपकी लड़की की है , इसमें पैसे और उसकी काम काज की काग़ज़ है, ये लीजिए साहब , फिर रिक्शावाला जाने लगा, तब पिता वैसे कैसे जाते हो , आज के जमाने में तुम्हारे जैसे ईमानदार कहां, अपनी ईमानदारी की परिणाम तो लेते जाइए, कल से आप हमारे कार्यालय में काम करने आइये ,फिर क्या रिक्शावाला का जीवन अन्धेरा से रोशन हो गया, जो रिक्शा चलाकर महीने में पाँच हजार भी नहीं कमा रहे थे,वह अब महीने के पन्द्रह हजार कमाने लगे, कैसे तो ईमानदारी के कारण ।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :-6290640716

नमन  🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
नमन 🙏 :- बदलाव मंच
दिनांक :- 18-06-2020
दिवस :- गुरुवार
विषय :-  हमारी भारत माँ फिर बीस लाल खोये है ।
विधा :-  कविता

नमन 🙏 :- वर्तमान अंकुर मंच
तिथि :- 18-06-2020
दिवस :- गुरुवार
विषय :-  चीन को चेतावनी
विधा :- कविता
मुख्य आयोजक :- श्रीमान निर्मेश त्यागी जी
सह आयोजक :- आदरणीया सुनीता सोनू जी

रे ! चीन
अब सुधर जा
फिर हमारी भारत माँ
अपनी बीस लाल खोये है ।

जिसमें कोई अपने बेटा ,
कोई अपने चाचा व बड़े भाई
तो कोई अपने पति को खोकर
आज फिर मांग की सिन्दूर धोये है ।।

बदला
न लेता तो
ये मत समझ जा
कि हम भारतीय सोये है ।।

जगा हूं
हम रोशन भारतीय
हम तो हमेशा दुनिया
में मानवता ही बोये है ‌।।

क्या
तुम्हारी करनी
उस करनी से कोरोना
उस कोरोना से आज विश्व रोये है ।।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
31वीं बंगाल बटालियन एन०सी०सी० फोर्ट विलियम कोलकाता- बी
पंजीकृत संख्या :- WB17SDA112047

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