कविता :- 17(03) समीक्षा

कविता :- 17(03)

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 25/07/2020
दिवस :- शनिवार
विषय :-  गीत कमल पत्रिका
विधा :- समीक्षा
प्रदाता :- साहित्य संगम संस्थान

गीत कमल मासिक ई पत्रिका साहित्य संगम संस्थान द्वारा प्रकाशित पत्रिका है , अध्यक्ष महोदय राज वीर सिंह जी ने हिन्दी के बारे में कुछ ही शब्दों में बहुत कुछ बता दिए है,हिंद सबका है और हिन्दी सबकी है,इस पत्रिका में एक से एक गीत के रंग रूप है, प्रकृति से लेकर जीवन आधारित एक से एक रचना है, कहीं माँ ,तो कहीं गांव का खूब सुन्दर सा वर्णन देखने को मिलता है, रामवतार शीर्षक गीत में बहुत ही सुन्दर ढंग से भगवान राम को एक बार फिर से धरती पर आने को संबोधित किए हैं ,इसी के साथ मिलता जुड़ता गीत कब आएगी भोर में भी अध्दभुत चित्रण है , वक्त, मेरा गांव, बेटियां, जिन्दगी, मन कहां है और भी विषयों पर गीत इस पत्रिका में सम्मिलित है ,
पूर्ण विश्वास है आप इस गीत कमल मासिक ई पत्रिका को पढ़कर खुशियां हासिल कर सकते हैं ‌।

         रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716

नमन 🙏 :- कलम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक :- 25/07/2020 , दिवस :- शनिवार
विषय क्रमांक :- 180
विषय :- कोयल
विधा :-  कविता

कोयल है जो रंग रूप से वे काली
देखने में है जो यहां सबसे प्यारी

बोलती है जो सबसे सुन्दर बोली
चाहने वाले हैं हम नर व नारी ।

सभी को खुश करके वह कोयल
अपनी जीवन गुजारती बेचारी ।

सच में सुंदर आवाज वह गला से
सुनाने के लिए है रोशन की बारी ।

रंग रूप न कर्म बड़ा यह गुण
हम सब में न , कोयल में है सारी ।।

            रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716

नमन 🙏 :- साहित्य शिल्पकार में आज प्रकाशित कविता :- 16(50)
प्रकाशन हेतु लघुकथा ।
दिनांक :- 25/07/2020
दिवस :- शनिवार

बूँद बूँद सागर ‘ के लिए रचना --------
विषय # बचपना भारत की मिथिला भूमि पर
विधा :# लघुकथा

बात उन दिनों की है जब ,झोंझी गांव से प्रियंका,दीपक,रीचा , दो बहन एक भाई साथ रोशन और मनीषा बग़ल के गांव लोहा में डॉ. देवेन्द्र विद्यालय में एक साथ पढ़ने जाते थे,सभी का एक अलग अलग या घर से दिया हुआ नाम इस प्रकार रहा ,प्रियंका नाम जुनजुन ,दीपक नाम गोलू , रीचा नाम बिट्टू, रोशन नाम गंगाराम वही मनीषा नाम मिली, वह बचपना का उमंग,क्या बताऊं, विद्यालय गर्मी के दिनों में सुबह की हो जाती, और गर्मी के बाद डे की, तो बात गर्मी की है अर्थात्
मॉर्निंग शिफ्ट यानि विद्यालय सुबह पाली की थी, सभी एक साथ ही विद्यालय जाते, एक दिन गंगाराम उन लोगों के साथ न जाकर मंटू भईया के साईकिल पर जाने वाला रहा, और मंटू भईया को कॉलेज जाना रहा, उस गांव से लोहा जाने के लिए दो रास्ते थे एक फाटक पर से यानि मुख्य सड़क होते हुए तो दूसरी पैदल जाने वालों के लिए खेतों खेतों के बीच से ईंटा भट्ठा के तरफ जाने वाले रास्ता का नाम थरहा रहा,लोग मैथिली भाषा में कहते भी  " थरहा दअ कऽ जेएबेए तअ जल्दी पहुँच जेबै " मतलब मुख्य रास्ता से न जाकर इस रास्ते से जाने पर समय बहुत ही कम लगता, थरहा और जो मुख्य सड़क जहां लोहा के रास्ते में मिलते, गंगाराम तो साईकिल पर रहा बाकी सब थरहा के रास्ते से उस मोड़ पर पहुंचने वाले रहें, और गंगाराम और बाक़ी की भेंट होने से पहले ही चिल्लाने लगता है , वह अज्ञानता देखने को मिलता है कि क्या बताऊं, वह इस प्रकार चिल्लाता है , जो मैथिली भाषा में वर्णित है :-
मंटू भईया जल्दी - जल्दी चलूं ,
देरी भोअ जेएत , साईकिल में हवा नैई छैय ,
मतलब गंगाराम साईकिल के आगे बैठे रहे, कहीं कोई पीछे न बैठ जाएं, वह इसलिए बोला , सच में बचपना में हमें सही का ज्ञान नहीं रहता ,और जब बचपना बीत जाते तो हम उस पल को याद करते, याद करके दुख ही मिलता, फिर भी बचपना के  वह सुनहरे दिन याद आ ही जाते, वर्तमान में सभी अपने अपने लक्ष्य पाते हुए जीवन की सफ़र कर रहे है, कोई साहित्य सेवा तो कोई समाज सेवा करके , वही गोलू आज दीपक झा मैथिली गायक के रूप में प्रसिद्ध है ।
सच में भारत माँ की मिथिला की भूमि हीरा उपजाती है, मिथिलांचल वही है जहां माँ सीता जन्म ली , विद्यापति जैसे भक्त , महाकवि का जन्म स्थान, जिन्हें सेवा करने स्वंय महादेव उगना बनकर आये,बाबा नागार्जुन जैसे कवि यही जन्में, धन्य है यह भारत माँ की मिथिला की भूमि जहां भगवान राम तक आये.

रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय

सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता

ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716



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बूंद - बूंद सागर संकलन हेतु,

भजन .

जीवन अगर सुधार लो,बस हो गया भजन ।
हरि नाम कुछ विचार लो, बस हो गया भजन।।

पाई हजार जोड़ कुछ , मिलना नहीं तुम्हे ।
अब नाम कुछ विचार लो , बस हो गया भजन।।

छल - दंभ - द्वेष माया,मत्सर कपट भरे ।
कुछ काम - क्रोध मार लो,बस हो गया भजन।।

विष - पान कर अमरता ,जिनको मिली यहां।
उनका सुभाव  धार लो, बस हो गया भजन।।

शिव - भाव से करो नित, सेवा जहान की।
कर कुछ परोपकार लो, बस हो गया भजन।।
------ गिरीश इन्द्र,श्री दुर्गा शक्ति पीठ, अजुवाॅ,आजमगढ़, ऊ 0प्र0-276127.
मोबाइल नंबर ः    8896239704 . ः9493969124.

*सदियों से चला आ रहा रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता है। भाई -बहन के प्रेम का प्रतीक यह पर्व विशेष महत्त्व रखता है। इसी दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती हैं। आइये इस रक्षाबंधन पर बहन की राखी और भाई के वचन को अपनी कविताओं और कहानियों के माध्यम से और मजबूत बनाएँ।*

_प्रतियोगिता से सम्बंधित नियम व शर्तें :_

1 . प्रतियोगिता में भाग लेने की तिथि 25 जुलाई 2020 से लेकर 5 अगस्त 2020 की रात 12 बजे तक है।
2 . 2 ही विधाओं में रचनाएं स्वीकार की जाएँगी। कविता या कहानी। 
3.  प्रतियोगिता में कोई भी रचनाकार भाग ले सकता है। किसी भी प्रकार का उम्र बंधन नहीं है।
4 . शब्द संख्या रचनाकार के ऊपर है। हमारी तरफ़ से कोई प्रतिबन्ध नहीं है।
5.  रक्षाबंधन पर आधारित आप अपनी कोई भी रचना प्रेषित कर सकते हैं। याद रहे स्टोरीमिरर पर वह रचना पहले से प्रकाशित नहीं हुई होनी चाहिए।
6.  रचना में किसी भी प्रकार की आपत्तीजनक या अश्लील शब्दों का प्रयोग न करें और न ही ऐसा कुछ लिखें कि किसी धर्म -समुदाय को ठेस पहुँचे।
7. रचना पर किसी भी दशा में किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने पर सारा दायित्व रचनाकार का स्वंय होगा।
8. यदि रचना किसी भी दूसरे लेखक की कॉपी की हुई पाई जाती है तो स्टोरीमिरर की वेबसाइट उसे डीलिट कर दिया जाएगा।
9. अपनी कहानी में वर्तनी व व्याकरण का विशेष ध्यान रखें। कहानी मौलिक होनी चाहिए, आप किसी अन्य की रचना की नकल नहीं कर सकते।
10.  निर्णायक मण्डल का निर्णय अंतिम व सर्वमान्य होगा।
11. एक रचनाकार कितनी भी रचनाएँ प्रेषित कर सकता है।

_परिणाम और पुरस्कार :_

*● परिणाम 05 सितंबर  2020 को स्टोरीमिरर की वेबसाईट पर घोषित किया जाएगा।*

_● टॉप 02 में एक कहानी और एक कविता को पुरस्कार स्वरूप स्टोरीमिरर का गोल्ड मेंबरशिप व डिजिटल प्रमाणपत्र।_

*● सभी प्रतिभागियों को 100  रुपये का शॉप वॉउचर व डिजिटल प्रशस्ति - पत्र दिया जाएगा।*

*नोट-: रचना केवल प्रतियोगिता के लिंक पर ही जाकर प्रेषित की जानी चाहिए। प्रतियोगिता में भागीदारी पूर्णतः निशुल्क है।*
लिंक:
http://sm-s.in/y9MoxCp

विधा :-  कविता
विषय :- बहन की राखी की मेहरबानी
दिनांक :- 25/07/2020
दिवस :- शनिवार

आज जो भी हूं वह बहन की
राखी की मेहरबानी है ,
आंसू गिरते नहीं मगर आंखों में पानी है ।।
हम रोशन क्या ये कलाई पर
बांधी राखी बहन की निशानी है ,
यही भाई और बहन की पर्व
रक्षाबंधन की कहानी है ।।

सुंदर स्वर मधुर बहन की वाणी है ,
हारी है पर हार नहीं वह मानी है ।
बहन की राखी से लाभ ही लाभ
नहीं कहीं हानी है ,
तनु वक्ष स्थल से तो
बहन ही मुझे अपना मानी है ।।

मेरे जीवन के लिए पूजा करती
कितना वह ज्ञानी है ,
तब खड़ा हम किसान,
सैनिक भाई विज्ञानी है ,
तन मन से वह रानी है ,
आज जो भी हूं वह बहन
की राखी की मेहरबानी है ।।

       रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716


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