कविता :- 16(59) , मेरी कलम मेरी पूजा,श्री नर्मदा प्रकाशन,
कविता :- 16(59) रोशन कुमार झा 🇮🇳
11-06-2020 गुरुवार
✍️ • রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha
श्री नर्मदा प्रकाशन साहित्य सुरभि चयनित पत्र
आज :- मेरी कलम मेरी पूजा कविता :-7(09)
सैनिक पर पांच रचनकारों में से एक ये हमारा पहला है
देश के रक्षक तीन भाई :- 16(57)
कीर्तिमान साहित्य सम्मान मिला ।
My gov से शपथ पत्र Break the stigma और
बी वोकल अबाउट लोकल प्राप्त किये ।
माधव साहित्यिक समूह ऑनलाइन कवि सम्मेलन
बाड़मेर
रोशन कुमार झा, सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज
कोलकाता (सुंदर नाथ रहा ) Edit हम किये ।
सौजन्य :- टीम अपना एवं माधव महाविद्यालय
नव वर्ष हमारा पर्व नहीं (Video :- 2:49)
नमन 🙏 :- माधव साहित्यिक समूह
-: नव वर्ष हमारा पर्व नहीं !:-
मैं रोशन मुझे अपने पर गर्व नहीं ,
मनाने की सब्र नहीं !
नव वर्ष पर मेरा कोई संदर्भ नहीं ,
क्योंकि ये अपना पर्व नहीं !!
चल रही है ठंडी-ठंडी है गर्म हवा नहीं ,
सूर्य बिना खिली हुई फूल सूर्यमुखी जवा नहीं !
मानव तो मानव जीव-जंतु भी दबे हैं , ठंड से
बचने के लिए कोई दवा नहीं ,
तब कैसे मनाऊं नव वर्ष, नया साल मनाने के लिए लगी
हुई कहीं सभा नहीं !!
पुरानी पत्ती ,अभी खिला सा वन नहीं ,
पौष माघ अभी बसंत और सावन नहीं !
आग नहीं तो बिस्तर, उसके बाहर मां बहन नहीं ,
क्यों मनाऊं, मनाने की मन नहीं ,
क्योंकि ये नव वर्ष अपना पावन नहीं !!
घर से निकलने वाली शाम नहीं ,
घर के अंदर कोई काम नहीं !
पेट के लिए निकलना ही होगा , ठंड से विश्राम नहीं ,
सच में नव वर्ष को मेरी ओर से प्रणाम नहीं !!
अभी जाने दो समय की गति ,
नव वर्ष मनाएंगे अभी नहीं , खिलने दो नव पत्ती !
आने दो बसंत , लेकर आ रही है मां सरस्वती ,
तब मनाएंगे नव वर्ष जलाकर दिया और मोमबत्ती !!
नव वर्ष मनाएंगे पहले चलें ,तो जाये ठंड की
पकवान चौखा लिट्टी !!
केक नहीं बनाएंगे जलेबी वह भी मीठी-मीठी ,
है अपना ये हिन्दुस्तान ,विद्यापति, कबीर,दिनकर की मिट्टी,
उस पर नव वर्ष मनाएंगे, अभी नहीं, आने दो अपना तिथि !!
अभी काफी ठंड है , ठंड की कोई दण्ड नहीं ,
पूजा पाठ करने के लिए कैसे नहाऊ ,गर्म जल की प्रबंध नहीं !
बढ़ते ही जाते ठंड, ठंड की गति मंद नहीं ,
कैसे मनाऊं नव वर्ष, नव वर्ष मनाने की कोई सुगंध नहीं !!
ठंड में यानि आज नहीं ,
कोयल की मीठी आवाज नहीं !
शीत के कारण समय कैसे बीती अंदाज नहीं ,
तब कैसे मनाऊं नव वर्ष,ये हमारा रीति रिवाज नहीं !!
कुहासा में नया साल मनाना ,अपनी कर्त्तव्य नहीं ,
वह भी अब नहीं !
नव वर्ष पर हमें गर्व नहीं ,
है अपना ये पर्व नहीं !!
® ✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार ,कविता :-14(89)
08/01/2020 बुधवार 08:47
08-05-2020 शुक्रवार मो:-6290640716
नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-151
दिनांक :- 11-06-2020
दिवस :- गुरूवार
विषय :- उम्मीद
विधा :- लघुकथा
संचालक :- आ. ऋतु गुलाटी " ऋतंभरा " जी
नेहा , अणु, और जूली में ऐसी मित्रता थी कि पूछो मत , पूजा पाठ में माहिर पर कर्म में नहीं, और वह रोशन लला ज्ञानी होते हुए भी अज्ञानी वह कैसे तो आईए बताते है, लला की बारहवीं की परीक्षा और उन तीनों की ग्यारहवीं की, वह बेचारा अपना परीक्षा को महत्व न देकर अपनी प्रिय की परीक्षा की तैयारी में लग गये दोनों का राजनीति शास्त्र का ही परीक्षा रहा,फिर क्या लला तीनों को दिन रात पढ़ाये , परिणाम आया वह तीनों तो सफल हुई, लला भी प्रथम श्रेणी से बारहवीं पास हुआ, और यही सच्चा प्यार झलकने लगता है, कि राजनीति विज्ञान में ही लला का सबसे अधिक अंक आया, फिर क्या वह तीनों लला से ही बारहवीं कक्षा तक पढ़ी , वे लोग भी अच्छे अंक बारहवीं में प्राप्त की,तब तक लला का उतना मान सम्मान करती रही कि पूछो मत , आज वही लला को देखकर तीनों के तीनों मुंह घुमा लेती हैं .तो क्या लला का मान सम्मान घट गया नहीं,वह परिश्रम से अपने हर कामयाबी को पाते गया, यहाँ वक्त के साथ सब बदल जाते हैं, आप लोग दरियादिल रहीम को जानते ही होंगे, उनके साथ भी ऐसे ही हुआ, ये दुनिया " फूल तोड़ लेते और कांटे छोड़ देते " । किसी विद्वान ने ठीक ही कहें है -
" वे रहीम अब बिरह कहँ ,जिनकर छाँह गंभीर ,
बागन बिच - बिच देखित सेहुड़ कुटज करीर । ।
® ✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो:-6290640716
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 11-06-2020
दिवस :- गुरुवार
विषय :- बहार
विधा :- ग़ज़ल
विषय प्रदाता :- आ. विनोद वर्मा दुर्गेश जी
चली गई वह हम नहीं घबड़ाये ,
तब जीवन में बहार सही पाये ।
क्या मतलब अब वह कहीं जाये ,
जो पाना था हम रोशन वही पाये ।
वह और हम कुछ भी यहीं खाये ,
इसी आस में हूँ वह कहीं बुलाये ।
तब से अब तक नज़र नहीं आये ,
यही तो जीवन में बहार कहीं लाये ।
® ✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो:-6290640716
कविता :- 16(59)
रामकृष्ण महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना परिवार के स्वयंसेवक विजय भईया जी को जन्मदिन 🎂🎂 की देर सारी शुभकामनाएं ।
हार नहीं , हो विजय । :-
लम्बी राह, दूर हो भय ,
शान से रहे, जैसे है हिमालय ।
हम रोशन रखे है आपके वर्षगांठ पर यह विषय ,
जन्मदिन की देर सारी शुभकामनाएं विजय भईया
हार नहीं हो हमेशा आपका विजय ।।
भूला नहीं हूँ आपका उपकार ,
आप पर कुछ न कुछ लिखूं हर एक साल ।
रामकृष्ण महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना
के साथ बढ़े आप , बढ़े अपना बिहार ,
यही है आपके वर्षगांठ पर मेरी विचार ।।
हसन, मिंटू, दया,सोनू भईया सह ,
अपना राष्टीय सेवा योजना परिवार ।
मिलकर मनाएं है, आपकी जन्मदिन की त्यौहार ।
हार न, हो आपका जीत ,ये है हमें स्वीकार ,
यही ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ, हो
सुखमय आपका भविष्य काल ।।
® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी, बिहार
11/06/2020 गुरुवार
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :- 6290640716
https://www.sahity.com/sahity-live-ptrika/%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%a8%e0%a4%b9%e0%a5%80%e0%a4%82-%e0%a4%b9%e0%a5%8b-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a4%af/
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/06/1658.html
https://www.facebook.com/groups/2460137284248835/permalink/2557040954558467/?flite=scwspnss&extid=OLrSCJTdhRhH36Gm मेरी कलम मेरी पूजा
कविता :- 16(53)
https://devbhoomisamachar.page/article/paryaavaran-divas-/ewKC9Q.html
shrinarmadaprakashan@gmail.com
*जी सादर नमस्कार*
श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा प्रस्तावित साझा काव्य संकलन *साहित्य सुरभि* में प्रकाशन हेतु आपकी रचनाएँ (कविताएँ, गीत, ग़ज़ल, छंद, दोहा, मुक्तक आदि काव्य से सम्बंधित विधा) आमंत्रित हैं। आप अपनी मौलिक रचनाएँ ईमेल
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1- चयनित होने पर पुस्तक प्रकाशन के बाद रचनाकार को 4 किताबें एवं सम्मान पत्र (हार्डकॉपी) प्रदान करेंगे।
2- संकलन हेतु आपको अपनी 4 रचनाएं भेजना है, जिनमें से आपकी 3 रचनाएँ 3 पेज पर प्रकाशित की जाएंगी। एक पेज परिचय/फोटो हेतु निर्धारित है। इस तरह प्रत्येक संकलन में हरएक रचनाकार को 4 पृष्ठ दिए जाएंगे।
3- रचनाएँ अधिकतम 28 पंक्तियों की होनी चाहिए, स्पेस के साथ।
4- प्रकाशन सामग्री व परिचय हिन्दी में टाइप करके/लिखकर भेजें। (परिचय में फोटो के साथ-
अपना नाम :- रोशन कुमार झा
जन्म तिथि :- 13/06/1999
माता/पिता/पति का नाम :- श्रीमती पूनम देवी
पिता :- श्री श्रीष्टु झा
शिक्षा :-
द्वितीय वर्ष हिन्दी आनर्स
सम्प्रति :- सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
प्रकाशित रचनाएँ/कृति :- कविताएँ, नाटक, संस्मरण,हाइकु , ग़ज़ल,आदि विभिन्न पत्र पत्रिका में प्रकाशित ।
प्राप्त सम्मान :- रामवतार गुप्त प्रतिभा पुरस्कार, कलकत्ता विश्वविद्यालय से हिन्दी दिवस पर प्रमाण पत्र हासिल किये ।
पता :- ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मोबाइल नम्बर :- 6290640716
मेल आई डी :- Roshanjha9997@gmail. com.
श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा प्रस्तावित साझा काव्य संकलन *साहित्य सुरभि* में प्रकाशन हेतु रचनाएँ
वह बेटियां नारी है !:-
तुम्हारा और मेरा न, यह बेटियां हमारी है ,
पूजा करने योग्य सरस्वती, दुर्गा वही काली है !
कल भी , आज भी और भविष्य की भी वही लाली है ,
तो हे ! दुनिया वालों सहयोग करो ,वह बेटियां नारी है !
पढ़ने दो , बढ़ने दो जब तक वह कुँवारी है ,
जब-जब आपद आई है , तब-तब बेटियां ही संभाली है !
भंयकर रूप धारी है !
रानी लक्ष्मीबाई बनकर, बेटियां ही दुष्ट को मारी है ,
गर्व है हमें हर एक बेटियां पर ,
वह तेरी मेरी नहीं , वह बेटियां हमारी हैं !!
उसे स्वतंत्र रहने दो , उसी के लिए धरती की हरियाली है ,
बेटियां से ही सुख-सुविधा सारी है !
वह बिहारी न बंगाली वह दुनिया वाली है ,
इज़्ज़त करो यारों , वह बेटियां नारी है !!
बेटियां ही लक्ष्मी उसी से होली,ईद और दीवाली है ,
अभी जो कोरोना जैसी महामारी है !
उससे भी लड़ने के लिए बेटियां तैयारी है ,
हम रोशन बेटियां की रक्षा के लिए,
आप सभी पाठकों के समक्ष बनें भिखारी है ,
मेरी भिक्षा यही है , कि बेटियां की इज़्ज़त करो
वह तेरी मेरी नहीं वह बेटियां हमारी हैं !!
® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
मो:-6290640716 कविता :-16(28)
shrinarmadaprakashan@gmail.com
-: मौन हूँ अनभिज्ञ नहीं !:-
मौन हूँ , तो मैं अनजान नहीं ,
चुप हूँ, तो क्या मेरा पहचान नहीं ।
कोरोना तेरे कारण खुला हुआ बाज़ार
और दुकान नहीं ,
तू कोरोना जायेगा, तुम से डरने वाला
हमारा हिन्दुस्तान नहीं ।
प्रेम है , अभिमान नहीं ,
व्यर्थ हमारा ज्ञान नहीं ।
पीछे हटा मेरा कला और विज्ञान नहीं ,
तू जायेगा कोरोना
इसलिए मौन हूं , पर अज्ञान नहीं ।
हूं हम रोशन बेरोज़गार पर चीन तुम्हारे जैसा
हम भारतीय बेईमान नहीं ,
मार - काट करने पर हमारा ध्यान नहीं ,
तू क्या समझा कोरोना ,
तुम्हारे भगाने के लिए कोई विद्वान नहीं ।।
बन रही है सुझाव चुपके से , अभी कहीं भान नहीं ,
इसलिए मौन हूं , तो क्या मेरे होंठों पर मुस्कान नहीं ।
बंद है भारत दुनिया के साथ तो क्या हुआ
तू कोरोना महान नहीं ,
कष्ट दूर करेंगे प्रभु , तू क्या समझा हम मानव के
लिए भगवान नहीं ।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :- 6290640716, कविता :-16(29)
shrinarmadaprakashan@gmail.com
दिनांक :- 05-06-2020
दिवस :- शुक्रवार
विषय :- विश्व पर्यावरण दिवस
विधा :- कविता
-: एक पेड़ लगाओ । :-
आओ जी आओ
हरियाली लाओ
एक पेड़ लगाओ ।
है पर्यावरण अपना
इसे बचाओ ।।
फल खाओ
जल लाओ
जल देकर पेड़ बचाओ
और अपना ये वातावरण हंसाओ ।।
हम रोशन और आप मिलकर
बदलाव लाओ ,
अपने जन्मदिन के दिन
हर वर्ष एक पेड़ लगाओ ।
हरी भरी पेड़ पौधे से घर द्वार बाड़ी चमकाओ ,
एक पेड़ लगाकर इस कविता को गाओ ।।
आओ जी आओ ,
पड़े ज़मीन में हल चलाओ
कोई पेड़ , तो कोई जल लाओ ।
पेड़ लगाकर " वृक्षारोपण " की विधि दर्शाओ ।।
अपने करो घर परिवार और समाज से करवाओ ,
वृक्षारोपण की अभियान चलाओ ।
आज लगाओ कल सुख पाओ ,
आओ जी आओ, एक पेड़ लगाओ ।।
वृक्ष की महत्त्व खुद समझो और दूसरों को समझाओ ,
न समझे तो बार - बार बतलाओ ।
बतलाकर खुद भी और उससे भी एक पेड़ लगाओ ,
और क्या आप भी पर्यावरण रक्षक कहलाओ ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :- 6290640716 कविता :-16(39)
shrinarmadaprakashan@gmail.com
लघुकथा ।
-: बेटियाँ ऐसी हो । :-
झोंझीकुमारपुर में तनु , नेहा, पूजा, मुस्कान और वर्षा एक ही कक्षा में पढ़ने वाली पाँच सहेली रहती रही,सब के सब धनी पर तनु ग़रीब होते हुए भी मन से धनी, भले अपने खाती या न खाती पर अपने गाँव में दूसरे को भूखा नहीं रहने देती, सब तो ट्यूशन पढ़ती पर तनु नहीं , माँ सरस्वती की दया उस पर रही, एक समय ऐसा आया कि उनकी चारों सहेलीयाँ भी उसी से पढ़ने लगी, और कहती यार तू इस तरह समझाती हो क्या बताऊं,सब सहेलीयाँ दुर्गा पूजा में नई नई कपड़ा लेती , पर तनु अपनी पढ़ाकर कमाई हुई पैसों से ग़रीबों की राह रोशन करती,अपने गांव के आसपास के गांवों के ग़रीब बच्चों को मुफ़्त में पढ़ाती,एक दिन जब तनु बच्चों को पढ़ाती रही तभी नेहा आकर बोली बहन तुम पढ़ाती रहो, हम तुम्हारी व पढ़ते हुए बच्चों की फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर समाजसेवी नाम से डाल देंगे, फिर क्या तुम बहुत दूर तक चली जाओगी, इतने में तनु बोल उठी , न बहन हमें दूर तक नहीं जाना,एक ग़रीब का दर्द दूसरा ग़रीब ही जानते,छवि खींचाकर ग़रीबी का मज़ाक नहीं उड़ा सकती, अगर धनी होती तो अपने पैसों से कई विद्यालय खोल देती,पर नहीं हूं, पर मेरी जो भी ज्ञान है उसे तो बाँट ही सकती हूं। गर्व है हमें तनु जैसी बेटियाँ पर, हे ईश्वर हर कहीं तनु जैसी बेटियाँ हो ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
ग्राम :- झोंझी,मधुबनी, बिहार कविता :- 16(50)
05-06-2020 शुक्रवार
श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा प्रस्तावित साझा काव्य संकलन *साहित्य सुरभि* में प्रकाशन हेतु परिचय -
अपना नाम :- रोशन कुमार झा
जन्म तिथि :- 13/06/1999
पता :- ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार :- 847222
मोबाइल नम्बर :- 6290640716
मेल आई डी :- Roshanjha9997@gmail. com.
माता का नाम :- श्रीमती पूनम देवी
पिता :- श्री श्रीष्टु झा
शिक्षा :- सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
द्वितीय वर्ष हिन्दी आनर्स, कलकत्ता विश्वविद्यालय
सम्प्रति :- सेवा कर रहे हैं :-
31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी फोर्ट विलियम कोलकाता-बी , कम्पनी :-5
पंजीकृत संख्या :- WB17SDA112047
नरसिंहा दत्त कॉलेज सेंट जॉन एम्बुलेंस , प्राथमिक उपचार
द भारत स्काउट और गाइड ,पूर्व रेलवे हावड़ा जिला
वेरियांग स्काउट और गुलमर्ग गाइड बामनगाछी समूह
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा
विगत तीन वर्ष से 11 व 12 वीं कक्षा के (विज्ञान व
वाणिज्य के छात्र-छात्राओं को " हिन्दी विषय " व कला विभाग के समस्त विषयों को निःशुल्क पढ़ाते आ रहे हैं !
प्रकाशित रचनाएँ/कृति :- कविताएँ, नाटक, संस्मरण,हाइकु , ग़ज़ल, आलेख, गीत,यात्रा वृत्तांत आदि प्रभात खबर, भारत एक नज़र,समज्ञा,मेरी कलम मेरी पूजा,अमर उजाला,
रचनाकार,कलम लाइव, साहित्य लाइव,संगम सवेरा, स्वैच्छिक दुनिया , काव्यांकुर, न्यूज़ ऑफ बंगाल व विभिन्न पत्र पत्रिका, में हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली, भोजपुरी, मैथिली भाषा में प्रकाशित ।
प्राप्त सम्मान :-
2015 :- 10 वीं कक्षा में हिन्दी में सर्वाधिक अंक लाने पर सन्मार्ग समाचार पत्र के रामवतार गुप्त प्रतिभा पुरस्कार से हमें सम्मानित किया गया, 2017 :- वही 12 वीं में मिथिला स्टूडेंट यूनियन पश्चिम बंगाल पुरुस्कार से सम्मानित हुए,राष्ट्रीय कैडेट कोर, एन .एस.एस,भारत स्काउट,पीएमकेवीवाई,सेंट जॉन ऐम्बुलेंस,से प्राप्त प्रमाण पत्र , और रचनात्मक क्षेत्र में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में लिखें कविता से कलकत्ता विश्वविद्यालय व श्री शिक्षायतन कॉलेज से प्रमाण पत्र हासिल किये , (2020) वर्तमान अंकुर, साहित्य संगम संस्थान, साहित्य उत्थान कोश, इंक़लाब आनलाइन पत्रिका से रचनाकर प्रमाण पत्र हासिल किये है । तब से आज तक साहित्य की सेवा तन-मन से कर रहे है, और करते रहेंगे ।
1000 भेजे 08/06/2020 पूजा भेजी :-3465