कविता :- 16(54) हिन्दी, छंद, सवैया, मेरी कलम मेरी पूजा

कविता :-16(54)

कविता :- डायरी :- 1

नमस्ते 🙏 :-  मेरी कलम मेरी पूजा कीर्तिमान साहित्य मंच, विषय :- आँसू , -: तुम्हारी यादें !:-

आंखों से मेरे आँसू बहने दो ,
मत रहो मेरे पास, बस अपनी यादें रहने दो ।
चांदनी रातें में जो बांटे थे सुख ,   वे रहने दो ,
अंधेरी रात में जो दुख देकर गयी वे अब सहने दो ।।

पार्क , बाग़ में बैठकर किये थे, जो बातें, अब उस बातें को रहने दो ,
जो पूरा नहीं हुआ चाहत , उन चाहत को रहने दो ।
तुम्हारे आने की जो आगाज़ थी , उस पल को रहने दो ,
तुम्हारे जाने से जो हम रोशन को ग़म मिला, 
अब उस ग़म को सहने दो ।।

तुम्हारी जो घुँघरू की आवाज थी, उस आवाज को सुनने दो,
जो तुम्हारे लिए रखें थे प्रेम की बातें ,
अब उन बातों को कहने दो ।
तुम्हारी जो आने की मार्ग थी, उस मार्ग को निखारते रहने दो ।।

तुम आओ या मत आओ , बस हमारी इंतजार जारी रहने दो ।
पतझड़ में दी थी होंठों पर मुस्कान, उस मजे को रहने दो ,
भरी बंसत में जो देकर गयी सजा , उस सजे को सहने दो ।
पास रहो या मत रहो , बस मेरी आंखों से आँसू बहने दो ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :-6290640716 कविता :- 16(34)

नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-147
दिनांक :- 06-06-2020
दिवस :-  शनिवार
विषय :-  देख मेरी आँख भर आई ,
मानवता फिर शरमाई ...
विधा :- कविता
संचालक :- आ. एकता शर्मा जी

देख मेरी आँख भरआई, मानवता फिर शरमाई ,
गर्भवती हथिनी को मारकर क्या हुआ तेरा भलाई ,
हम रोशन पूछ रहे हैं, तुम्हीं से पढ़े लिखे केरल की भाई ।
पूजा करते हो श्री गणेश के, उनका भी यह काम आई ‌।।

उन्हीं को अनानास में आतिशबाज़ी बम देकर खिलाई ,
बनना है तो , प्रकृति की मित्र बन, मत बन कसाई ।
मत खिलाता, खिलाकर क्यों तड़पायी ,
जीव जंतु मानव, मानव जानवर बनकर फिर शर्मायी ।।

यह जगत सबके लिए प्रभु है बनाई ,
जीओ, और जीने दो भाई ,
देखकर घटना आँख में आंसू भर आई ,
तब न मानवता, फिर शर्मायी ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :-6290640716

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 06-06-2020
दिवस :- शनिवार 
विषय :- सवैया , छंद संग्रह
विधा :- समीक्षा
विषय प्रदाता :-  साहित्य संगम संस्थान

22 से लेकर 26 वर्णों तक के छंद को सवैया कहते है, सवैया सम वर्णिक छंद है । सवैया के प्रमुख भेद ये हैं :-
(1) मत्तगयंद :- इसमें 23 वर्ण होते है ।
(2) दुर्मिल सवैया :- 24 वर्ण इसके प्रत्येक चरण में होते हैं,इसे चन्द्रकला भी कहते हैं ।
(3) सुंदरी सवैया :- यह चार चरण वाला वर्णिक छन्द है ,इसमें 25 वर्ण होते हैं ।
अब हम रोशन छंद संग्रह की बात करते है, छन्द का अर्थ होता है खुश करना । कविता में युक्त होने वाले वर्ण, मात्रा आदि के संघटन को छन्द कहते हैं ।
मात्रा, गति, यति, लय, गण आदि छंद सामग्री है ,
छन्दों का उदाहरण - चौपाई , दोहा, गीतिका , सवैया आदि है ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :-6290640716

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