कविता :- 16(53) ,घनक्षरी,पहला, और रचनाएं

कविता :- 16(53) घनाक्षरी, 
मेरी कलम मेरी पूजा कीर्तिमान साहित्य,हिमाचल साहित्य दर्पण

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 05-06-2020
दिवस :- शुक्रवार
विषय :- पर्यावरण दिवस
विधा :- घनाक्षरी
नियम :- 8,8,8,7
विषय प्रदाता :-  आ. कृपाशंकर सिंह जी 

पर्यावरण दिवस 
है आज बचा व बच 
लगा एक नई पेड़ 
गुजरे कई रेल 

जहाँ होंगे हरियाली
पूजा पाठ ,हो हमारी 
और यही ज़िम्मेदारी
रोशन का है बारी 

हरा भरा है बनाना 
यही है हमने माना 
पेड़ लगाकर जाना 
तब पर्व मनाना 

प्रकृति की दिन रात
पेड़ लगा,कर बात
मना आज वर्षगांठ
वातावरण साथ ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716
हमारा पहला घनाक्षरी है ।

नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-146
दिनांक :- 05-06-2020
दिवस :-  शुक्रवार
विषय :-  विश्व पर्यावरण दिवस
विधा :- कविता
संचालक :- आ. स्नेहलता द्विवेदी जी

-: एक पेड़ लगाओ  । :-

आओ जी आओ 
हरियाली लाओ 
एक पेड़ लगाओ ।
है पर्यावरण अपना
इसे बचाओ ‌।।

                   फल खाओ 
                   जल लाओ 
                   जल देकर पेड़ बचाओ 
                   और अपना ये वातावरण हंसाओ ।।

हम रोशन और आप मिलकर 
बदलाव लाओ ,
अपने जन्मदिन के दिन
हर वर्ष एक पेड़ लगाओ ।
हरी भरी पेड़ पौधे से घर द्वार बाड़ी चमकाओ ,
एक पेड़ लगाकर इस कविता को गाओ ।।

            आओ जी आओ ,
            पड़े ज़मीन में हल चलाओ
            कोई पेड़ , तो कोई जल लाओ ।
         पेड़ लगाकर  " वृक्षारोपण " की विधि दर्शाओ ।।

अपने करो घर परिवार और समाज से करवाओ ,
वृक्षारोपण की अभियान चलाओ ।
आज लगाओ कल सुख पाओ ,
आओ जी आओ, एक पेड़ लगाओ ।।

वृक्ष की महत्त्व खुद समझो और दूसरों को समझाओ ,
न समझे तो बार - बार बतलाओ ।
बतलाकर खुद भी और उससे भी एक पेड़ लगाओ ,
और क्या आप भी पर्यावरण रक्षक कहलाओ ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716
नमस्ते 🙏 :-  मेरी कलम मेरी पूजा कीर्तिमान साहित्य मंच,नमस्ते 🙏 :- काव्य कलश,काव्यांचल साहित्यिक संस्था
कविता :-16(39) ,:-3(15), 7(09)
22-05-2020 शुक्रवार

नमन 🙏 :- वर्तमान अंकुर मंच
तिथि :- 05-06-2020 
दिवस :- शुक्रवार
विषय :-  पर्यावरण सांसों का नाम
विधा :- कविता
मुख्य आयोजक :- श्रीमान निर्मेश त्यागी जी 
सह आयोजक :- आदरणीया सुनीता सोनू जी

-: मेरी न नारी हो , पर हरियाली हो । :-

दुनिया के लिए हम रोशन उपकारी हो ।
जनसंख्या रोकूं , न ही शादी और न ही मेरी नारी हो ,
पुत्र के बदले एक पेड़ लगाऊं , जिससे 
आज न कल हरियाली हो ,
हरियाली- हरियाली से मिलकर हर कहीं खुशहाली हो ‌।।

पेड़-पौधा से ही हमारा दोस्ती यारी हो ,
आज एक पेड़ लगा दूं, कल हमें भी जाने की बारी हो ।
वही लगा दूं, जहां जगह ख़ाली हो ,
इतना पेड़-पौधे लगा दूं, कि कभी न कोई बीमारी हो ।।

मुस्कुराये पर्यावरण कुछ न कुछ सहयोग हमारी हो ,
चल जाये कोरोना, कहीं न कोई रोग बीमारी हो ।
ईद, दुर्गा पूजा, काली पूजा और दिवाली हो ,
वातावरण हंसे हरियाली से, और हम मानव जाति का
हरियाली से खुशहाली हो ।।

बनूं न पिता पर किसी बाग़ का हम माली हो ,
बग़िया हरा - भरा करना कर्त्तव्य हमारी हो ।
जब तक हूं, तब तक पेड़-पौधा को लगाना 
ये कार्य हमारा जारी हो ,
हर कहीं हरा - भरा , उस हरियाली से हर कहीं खुशहाली हो ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
मो :- 6290640716
कविता :-16(33) हिन्दी 6 रचना  
तिथि :- 16-05-2020 शनिवार
########  रोशन कुमार झा  ## 

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हिमाचल साहित्य दर्पण कविता :- 16(39)
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता, झोंझी मधुबनी, बिहार

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कल वाला ग़ज़ल आधुनिक प्यार स्वैच्छिक दुनिया में

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