कविता :-16(51),Pmkvy, अविचल प्रभा ई पत्रिका
कविता :- 16(51), PMKVY,अविचल प्रभा ई पत्रिका
नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-144
दिनांक :- 03-06-2020
दिवस :- बुधवार
विषय :- माँ पर दोहे
विधा :- दोहा
संचालक :- आ. प्रमोद गोल्हानी जी
माँ सही में व्यर्थ है दुनिया तेरे बिना ,
हम होते न, तू रखती न पेट में नौ महीना ।।
उसी नौ महीने से देखें और देख रहे हैं संसार ,
तू न होती , तो कैसे होता मेरा रक्त संचार ।।
तुझे क्या दूं तोफा, और क्या दूं उपहार ,
समझ के बाहर है , मां तुम्हारी प्यार ।।
तुम्ही तो बनाई हम रोशन को होशियार ,
तुम्हें क्या दूं , देने के लिए व्यर्थ है मेरी सवाल ।।
हर इच्छा पूरा की माँ , अगल-बगल से लेकर उधार ,
बताओ दुनिया, कहां मिलता मां के अलावा मां की प्यार ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716 कविता :-16(29)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 03-06-2020
दिवस :- बुधवार
विषय :- गोवर्धन
विधा :- मुक्त
विषय प्रदाता :- साहित्य संगम संस्थान
ओ कृष्ण गोवर्धन धारी ,
वर्णन करूं हम रोशन, किये सूर और बिहारी ।
कभी भक्त होते न खाली ,
यही तो है श्याम तुम्हारी यारी ।
करूं तुम्हारा पूजा पाठ ,
रखें गोवर्धन पर अपना हाथ ।
हरि हरि नाम लूं दिन रात ,
जब तक हूं ,तब तक देखूं शुभ प्रभात ।।
ओ कृष्ण प्यार तुम्हारी ,
सबसे प्यारी ।
राधा प्रेमिका,वह सुन्दरी नारी,
सब दुख दर्द हरते हो प्रभु,
कुछ दुख दूर करो हमारी ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716
कविता :-16(36) हिन्दी हाइकु पहला व 4 रचनाएं
साहित्य लाइव में 15(06) हम सब अतिथि हैं
तुम्हारी यादें पहला डायरी की :-
नमन 🙏 :- " अविचल प्रभा ई पत्रिका जून महीने हेतु
तिथि :- 03-06-2020
दिन :- बुधवार
विषय :- पिता
विधा :- हाइकु
-: पिता । :-
पिता हमारा
वही जीवन दाता
पिता व माता
तब ही खाता
जब ही हम आता
पिता कमाता
हमारा गाथा
आपको भी सुनाता
जीवन दाता
रोशन पर
न कल दुख आता
कमाने जाता
कमाकर वे
आते लाते राशन
तब बासन
चूल्हा पर
बनाती माता खाना
पेट में दाना
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
मो :- 6290640716
कविता :-10(007) हिन्दी
नमन 🙏 :- " अविचल प्रभा ई पत्रिका जून महीने हेतु
तिथि :- 03-06-2020
दिन :- बुधवार
विषय :- पिता
विधा :- कविता
-: (मां ) पापा सुन लो मेरी कविता !:-
मां मैं लिखा हूं एक कविता ,
सुन लो मेरी कविता !
कैसे सुनू बेटा मैं तेरी कविता ,
भुखमरी, बेरोजगारी से जल रही है चिता ,
कैसे सुनूं बेटा मैं तेरी कविता !
जाओ कविता पापा को सुनाना ,
तब तक मैं बनाकर रख रहीं हूं खाना !
पापा-पापा मैं लिखा हूं एक कविता ,
बोल बेटा कहां से जीता !
जीता नहीं पापा मैं लिखा हूं एक कविता ,
कहां है अब राम और सीता ,
ना पापा राम-सीता नहीं , मैं लिखा हूं एक कविता !
अरे ! खाना जुटता ही नहीं , मैं कैसे शराब पीता ,
न-न पापा आप शराबी नहीं, मैं लिखा हूं एक कविता !
अच्छा कविता,
सुनाओ वही सुनाना जो मेरे जीवन में बीता !
बस-बस पापा वैसा ही कविता !!
सूर्य के रोशन, चांद सितारों की शीतलता में आप
पर रहीं भुखमरी की ताप ,
उसके बावजूद भी बड़े स्नेह से हमें पाले पापा आप !
बड़े संघर्षमय से आपकी जिन्दगी बीता ,
हमें रहा नहीं गया, पापा
बस आप पर लिख बैठे एक कविता !!
® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
कविता :-10(07)
कविता :- 3(47)
कौशल भारत - कुशल भारत
कोशल भारत - कुशल भारत है, हिन्दोस्तां की योजना ,
स्वतंत्रता के लक्ष्य ग़रीबी, बेरोज़गारी हटाने के लिए बनी
है , ये परियोजना ।।
योजना खिल उठी 2015 में माननीय प्रधानमंत्री
मोदी जी के सहयोग से ,
बड़े-बड़े डिग्री लेकर नागरिक पहले मरते थे , बेरोज़गारी
भूखमरी के रोग से ।।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का बेरोज़गारी हटाना है इनका लक्ष्य ,
ग़रीबी दूर करने के लिए हर एक नागरिक ले सकता है इस योजना का पक्ष ।।
योजना का सदस्य बनने के लिए नहीं सोर्स, नहीं लगते रकम ,
खिली हुई बेरोज़गारी की बस्तियां कुछ
वर्षों में हो जायेगी कम ।
इलेक्ट्रॉनिक, नर्सिंग, संगणक, बोलचाल आदि की ट्रेनिंग
दिये जाते है ,
हिन्दुस्तानी के नाते सभी को आदर्शता ज़िन्दगी
जीना सीखाते है ।।
छोटे - बड़े कम्पनी आते है इस योजना के अन्दर ,
कौशल भारत - कुशल भारत की केन्द्र छायी हुई है देशभर ।।
बड़े बड़े डिग्री लेकर लोग बेरोज़गारी के बाज़ार में घूमते हैं ,
Pmkvy पीएमकेवीवाई के तीन या चार महीने के कोर्स में
ही लोग रोज़गार के लिए कार में घूमते हैं ।।
नेहरू, शास्त्री, के बाद जनता को ऐसा
सरकार की ज़रूरत था ,
इतने वर्ष में कई आये ,कई गये , कहां किसी
सरकार का ऐसा मत था ।।
बार-बार हम नागरिक को चाहिए ऐसी सरकार ,
इस योजना की दरिया से कुछ वर्षों बाद ग़रीबी, बेरोज़गारी
हो जायेगी पार ।।
एक केन्द्र है , इस योजना का हावड़ा के लिलुआ में स्थित ,
आओ मेरे भाई और बहनों, pmkvy ( पीएमकेवीवाई )
के राहों में अवश्य होगा जीत ।।
अच्छे दिन आयेंगे , निभा डाले अपना वचन ,
सरकारी नौकरी के रूप में नहीं , कौशल मेला के रूप में सही,
किये हर एक जनता के मार्ग रोशन ।।
धीरे-धीरे छा रही है, हर गली हर राहों में , हर एक जनता के
होंठों पर मुस्कान ,
आओ मेरे भाई और बहनों, मिलकर करें
कौशल मेला का सम्मान ।।
हर एक नागरिक को इस योजना का लक्ष्य बताना है ,
सदियों से पाले हुए ग़रीबी, बेरोज़गारी को अब गंवाना है ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716
15-01-2018 सोमवार 12: 20 डायरी :-3(47)
ममता दीदी वाला
23-02-2018 शुक्रवार सुनाते कौशल मेला दिन :-4(32)
03-06-2020 बुधवार कविता :-16(51)
PRADHAN MANTRI KAUSHAL VIKAS YOJANA
Roshan Kumar Jha
Asst. Electrician
Howrah Pmkvy
04-01-2018
कोरोना चालिसा।
जय कोरोना जब तोहर वृहान में जन्म खून जागल ,
जय दो हजार बीस , उन्नीस के असर बीस में
विश्व लोक के लागल !
चीन दूत कोरोना धामा ,
चाईना पुत्र कोविड-19 नामा !
सर्दी जुखाम क्रम-क्रम रंगी ,
समझ जाओ ये है कोरोना के संगी !
लक्षण मरण समाज में ऐसा,
दिन रात न यह बढ़े हमेशा !
हाथ ब्रज , मिथिला, मथुरा भारत में थाली बाजे ,
करें ब्रहामण जनेऊ से प्रार्थना कहीं न ये कोरोना
महामारी बीमारी विराजे !
अंक्ल जन माक्स लगाकर हुए चाची के बंधन,
तेज प्रताप से कोरोना कर रहे हैं विश्व को खण्डन !
विद्यावान मुनि,कवि, विज्ञान अति बहादुर ,
करें न कोई राहुल,अरूण नेता ऐसी भूल !
चलें समाचार सुनने प्रधानमंत्री मोदी जी न्यूज
पर अमेरिका रसिया,
कोरोना तो हर कहीं हो चुके है बसिया !
छप्पन इंच छाती बड़ा काज दिखावा ,
अमेरिका के धमकी से न, मानवता के कारण दिये दावा !
भीम रूप कलि, फूल सहारे ,
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा देकर नमस्ते
ट्रम्प के काज संवारे !
लाया सा दवा उससे भारत विश्व जियावे ,
तब जग भारत पर फूल बरसावे !
हिन्दुस्तान की गति बहुत बड़ाई ,
तुम चीन सच में दुष्ट है भाई !
सार्क के देश तुम्हारे विरोध में आवें ,
विश्व अंदाज किये है अब तुम्हारे अंत लगावे !
आज़ादी, गांधीवादी पर चले हमारी दिशा ,
पर अब तुम विश्व सम्मेलन में लेना न मित्र हिस्सा !
तुम्हारे यम कोरोना काल जहां ते ,
हम जनता घर में कर्फ्यू लगे वहां थे !
तुम हम भारतीयों का उपकार कभी न चिन्हा ,
तुम दुष्ट चीन हमेशा दुख ही दिन्हा !
तुम्हारे मंत्र हम क्या ? विश्व न माना ,
हम हमारी भारतीयों के कर्मों से विश्व गुरु कहे जमाना !
तब तुम्हें हम कैसे अपना मानूं ,
तबाह है सभी मुख्यमंत्री ममता, नीतीश कुमार
भगाना है कोरोना ये विचार मैं भी ठानू !
पायें न कोई सुख राही ,
क्योंकि कोरोना रूकने पर तैयार नाहीं !
दुख भरी काज तुम जगत के देते ,
कौन ? तुम दुष्ट चीन के बेटे !
राम सहारे हम भारतीय दिया जलाकर किये और
करें विश्व के रखवाले ,
हे दुष्ट चीन तू अभी कमा रे !
हम तो हम तुम्हें भी है मरना ,
अपनाया तो सनातन धर्म तुम्हें भी है जलना !
तुम्हारे कारण विश्व तापें ,
तुम पर मंडरा रही है सारी पापे !
दुष्ट कोरोना अब निकट न आवे ,
कब ? जब भारत अपना लांकडाउन हटावे !
हंसे मुस्कुराये गांव घर और सब जिला ,
करेंगे भारत मां की पूजा चढ़ायेंगे फल फूल निर्मल
जल और खीरा !
विश्व से संकट घड़ी भारत हटावे ,
जब कोई भारत के चरण में आवे !
आदर्श राजन मोदी राजा ,
खूब ठीक तनु वक्ष स्थल से योगी अंदाजा !
और दुख जो कोई लावे ,
उसे भारत मां के भारत स्काउट गाइड, सेंट जांन एम्बूलेंस,
एन.सी.सी, और एन.एस.एस के पुत्र ही मिटावे !
हे चीन संकट फैलाना कर्म तुम्हारा ,
है दुनिया को बचाना धर्म हमारा !
साधु संत के हम रखवाले ,
तुम्हारे तो सोच ही है काले !
दुख दिया मिटेंगे विधाता ,
हंस-हंस कर दर्द सहे है हमारी भारत माता !
कौन ? रखेंगे तुम पर आशा ,
छल कपट से बढ़ा तू चीन यही है तुम्हारी परिभाषा !
तुम्हारे कर्म विश्व को पावे ,
विश्व सोचा अब तुम्हें हटावे !
अंत काल तू (UNO) यूं.एन.ओ पुर जाई ,
वहां कोई साथ देंगे न ए चीनी भाई !
और चीन अब चिंता मत करिए ,
दुनिया को मारे अब आप भी मरिये !
लांकडाउन हटें मिटे सब पीरा ,
कष्ट से तड़फे न कोई राज्य और जिला !
जय-जय कोरोना कसाई ,
लाट मार कर अब विश्व तुम्हें भगाई !
जो सट कर बात करें न कोई,.
हटी इमरजेंसी,छुटी लांकडाउन, विश्व में महासुख होई !
जो यह जब जब पढ़ें कोरोना चालिसा ,
तब तब चीन को मिलें गाली जैसी भिक्षा !
रोशन सदा गुरु , हम रोशन कुमार उनका चेला ,
कोरोना को दूर कीजो नाथ , यही है ह्रदय से विनती मेरा !
रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
3 ये अमर उजाला पत्रिका में प्रकाशित 28-05-2020 वृहस्पतिवार देखें 02-06-2020 मंगलवार कविता :-15(85)
Corona Chalisha Poem Written By Roshan Kumar Jha - कोरोना कविता - Amar Ujala Kavya - https://www.amarujala.com/amp/kavya/mere-alfaz/roshan-kumar-corona-chalisha-poem-written-by-roshan-kumar-jha#aoh=15911212409173&csi=1&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&_tf=From%20%251%24s
® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कलकत्ता विश्वविद्यालय,
कोलकाता भारत ,Reg no:-117-1111-1018-17
09-04-2020 वृहस्पतिवार 17:30
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1598.html Pmkvy
https://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1585.html?m=1
http://roshanjha1999.blogspot.com/2020/04/1585_16.html
26-04-2020 रविवार कविता:-16(06) रचनाकार में
https://www.rachanakar.org/2020/04/blog-post_476.html
आज निमंत्रण रहा संजय अंक्ल यहां एकादशी का हम ,राजन,पापा, मां गये , SBI से 5000 निकाले 3997 है
डायरी :-16 व 17 लिए जनेऊ बाद कोरोना कॉलेज स्ट्रीट से
90 में गैस ले गये
77/R mirpara road ashirbad bawan Liluah
नीचे विर्जेश हनुमान 10 आया रहा शायरी का नाम लिया तो दमाद का घर वाला बोला यह वही है नेहा लोग को पढ़ाता रहा सब बात किये । Redmi :-4 कविता, नया पुरान 3000 पहले का 1300 दिये,पहला Intex,2 Microsoft,3 Realme c2,Redmi :-4
5:-
4 :- Redmi 7A, 5:- Redmi 3S आज राजन से 3000 में Redmi 3S लिए 1200 पहले वाला 4200 आज विश्व साईकिल दिवस , कविता :-16(51)
एक और डायरी SILPAULIN का माँ को दिये संजय अंक्ल।