कविता :-16(46) हिन्दी

कविता :-16(46)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 29-05-2020
दिवस :- शुक्रवार
विषय :- भारतीय अर्थव्यवस्था
विधा :- लघुलेख
विषय प्रदाता :-  आ. रचना उनियाल  जी

-:  वर्तमान की अर्थव्यवस्था । :-

वर्तमान में दुनिया की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो ही गया , इससे भारत भी दूर न रहा, कैसे रहता दूर, अब तो ऐसा हो गया है, बन्दी से तो लोग मर ही रहे है, उससे कहीं ज्यादा लोग भूख, बेरोज़गारी से मर रहे है ,लोग शहर जाते रहे पहले कमाने के लिए आज लोग वहां से लौट रहे है, अपने घर अपने गांव, आख़िर किस लिए,तो दाना पानी के लिए, ये तो सही है गांव में रोज़गार नहीं, फिर भी लोग जीवन-यापन कर आनंद से रह सकते है । हम रोशन सब देख रहे हैं, यदि
लॉकडाउन के बाद बाज़ार खुलती भी है तो काफ़ी लोग  बेरोज़गार हो जायेंगे, जिसका प्रमुख कारण है कि अधिकांश लोग शहर में शहर से तीस - चालीस किलोमीटर दूर रहता है, वे दफ्तर लोकल ट्रेन से आते हैं , और लोकल ट्रेन में वह भीड़ की पूछो मत, और सुनने में यह भी आया है कि लोकल ट्रेन नहीं शुरुआत होगा, यदि नहीं होती है तो और भी अर्थव्यवस्था गिर सकते हैं, संभव नहीं है कि लोग तीस से चालीस किलोमीटर लोग बस से आये जाये , वह भी प्रतिदिन, तब आदमी करेंगे क्या ,? करेंगे चोरी, और चोरी हो भी रहीं हैं । न जाने गिरते हुए कहाँ पर रूकेगी दुनिया के साथ अपनी भारतीय अर्थव्यवस्था ।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-140
दिनांक :- 29-05-2020
दिवस :- शुक्रवार
विषय :- विमान 
विधा :- कविता
प्रदाता :- आ . कुसुम त्रिवेदी जी

-: दूर ले जाने वाला विमान है । :-

बदलती प्रकृति , बदलता इंसान है ,
हम मानव , डॉक्टर , सैनिक आदि किसान है ।
इधर-उधर कहीं जाना ही प्रस्थान है ,
बैलगाड़ी, रेलगाड़ी, पर दूर देश जाने के लिए विमान है ।।

बढ़ रही आवश्यकता, बढ़ती हुई ज्ञान है ,
आज न किसी को साईकिल पर ध्यान है ।
सबके साथ सबके लिए विमान है ,
सच तो यह है कि पैसों की मान है ।।

उपजाते कोई और गेहूं, धान ,
पर विमान तक पहुंच न पाते वह किसान ।
क्या कहूं हम रोशन सबके सब है मेहमान ,
जो भी इच्छा है , पूरा करो क्या है ये विमान ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

नमन 🙏 :- वर्तमान अंकुर मंच
तिथि :- 29-05-2020
दिवस :- शुक्रवार
विधा :- कविता
विषय :-  राह तके ये नैन
मुख्य आयोजक :- श्रीमान निर्मेश त्यागी जी
सह आयोजक :- आदरणीय सुनीता सोनू जी

हम चाह रहे थे जिसे इन नैन से
वह किसी और से वफा निभा रहे थें .

हम उनके साथ का सपना सजा रहे थे ,
वह किसी के साथ सपनो को हकीकत बना रहे थे .

हम अभी प्यार की धुन ही बना रहे थे ,
वह किसी के साथ प्यार का गीत गा रहे थे .

हम इजहार -ए- ईश्क चाह रहे थे ,
वह किसी के साथ बहारे - ए - (इश्क ) लुटा रहे थे .

हुआ जो हकीकत से सामना ,
दिल मुझे अपना पड़ा धामना .

उनके बागों में फूल  खिले ,
हमारी बागियों में कॉटो के सिल सिले .

अंधेरे रातो में भी उनके चेहरों पर उज्जवलता ,
कड़ी धूपो में भी हमारी चेहरों अंधकारो से भरी हुई .

पतझड़ में भी उनके होंठों पर मुस्कुराहट आयी ,
भरी बंसत में हमारी आंखें डब - डबाई  .

क्यो उम्मीद टुटती नहीं प्यार पाने की ,
दर्द सहनी पड़ती है, दूर जाने की  .

उसके आने से हर रोज हम रोशन को एक आस जागती रही ,
उसके जाने से हर रोज़ एक-एक निराशा बढ़ती रही .

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716


आप सभी रचनाशिल्पी मित्रों को सूचित करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है कि साहित्य संगम संस्थान की उत्तर प्रदेश इकाई के गठन के शुभ अवसर पर दिनांक-07  जून 2020 से दो दिवसीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन सायं 7 बजे से संस्थान के व्हाट्सएप्प समूह पर किया जा रहा है जिसमे आप सभी मित्र सादर आमंत्रित हैं

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कार्यक्रम के अतिथिगण-


मुख्य अतिथि- सा0 सं0 संस्थान के अध्यक्ष आ0 राजवीर सिंह जी


विशिष्ट अतिथि- आ० नवल किशोर सिंह जी 


अध्यक्षता- आ० रचना उनियाल जी 


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कार्यक्रम के संचालन में सहयोग हेतु उत्तर प्रदेश के इच्छुक साथीगण अपना नाम यहाँ जोड़ सकते हैं--

१-आशुतोष त्रिपाठी

२-रविशंकर विद्यार्थी

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 कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के इच्छुक साथी नीचे अपना नाम जोड़ते जाएं----


1- नंद सारस्वत बेंगलुरू


2- डॉ0 राजेन्द्र सिंह राही बस्ती


3- रिपुदमन झा "पिनाकी" धनबाद (झारखण्ड)


4-रीतू गुलाटी..ऋतंभरा


5-प्रज्ञा शर्मा, प्रयागराज


06-छबिराम यादव छबि मेजा प्रयागराज


07 उमाकान्त यादव उमंग प्रयागराज


08 सुनील कुमार, बहराइच


09-गोपाल कोडेचा बाड़मेर


10- प्रा. द्वारका गिते-मुंडे 

       बीड 

11-प्रतीक प्रभाकर, गया


12- सरोज सिंह ठाकुर


13 - सतीश "बब्बा"

     सतीश चन्द्र मिश्र 


14-निक्की शर्मा मुम्बई

 

15- डॉ0 उमेश सिंह जौनपुर


16- अली इलियास,प्रयागराज


17- डा० भारती वर्मा बौड़ाई


18. विनोद वर्मा 'दुर्गेश'


19. कर्मवीर कौशिक 'प्रभास'


20. अनुजीत इकबाल


21. संदीप यादव, मिर्ज़ापुर


22. संदीप कुमार मेहरोत्रा , बहराइच( उ0प्र0) 

               संयोजक

      साहित्य संगम संस्थान उ0 प्र0 इकाई

23. दीपक मेहरा (रायसेन म.प्र.)

24-कमल किशोर"कमल"

      हमीरपुर बुन्देलखण्ड

25- सूर्यदीप कुशवाहा

26.डॉ.गोकुल बहादुर क्षत्रिय  - भरुच (गुजरात)

27.रुपेश कुमार

सीवान , बिहार

28 . रोशन कुमार झा ( कोलकाता )



नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 30-05-2020
दिवस :- शनिवार
विषय :-  डॉ राकेश सक्सेना जी की कविता की समीक्षा
विधा :- समीक्षा
विषय प्रदाता :-  साहित्य संगम संस्थान

आज का विषय खूब सुन्दर है, जिसे हम रोशन व साहित्य संगम संस्थान के समस्त रचनाकारों को साहित्य संगम संस्थान के सक्रिय सदस्य डॉ राकेश सक्सेना जी की कविता की समीक्षा की विषय रचने के लिए रखें है, सक्सेना जी की बहुत सारी कविताएं हमने पढ़ें है, " घर में सुख चैन लाती है बेटियाँ "


हिमाचल साहित्य दर्पण में प्रकाशित कविता:- नव वर्ष

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