कविता :-16(45),:-16(44)

कविता :- 16(45), कविता :-16(44)

रचनाएं :- 1

नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-139
दिनांक :- 28-05-2020
दिवस :- वृहस्पतिवार
विषय :- लॉक डाउन में बदलती जीवन शैली
विधा :- आलेख

-:   लॉक डाउन में बदलती जीवन शैली   !:-।

लॉक डाउन में बदलती जीवन शैली ये कोरोना दुनिया की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस करके रख ही दिया, इससे भारत भी दूर न रहा, यहां तक की कोई आदमी भी दूर न रहा ,कैसे रहता दूर, अब तो ऐसा हो गया है कोरोना से तो लोग मर ही रहे है, उससे कहीं ज्यादा लोग भूख, बेरोज़गारी से मर रहे है ,लोग शहर जाते रहे पहले कमाने के लिए आज लोग वहां से लौट रहे है, अपने घर अपने गांव, आख़िर किस लिए,तो दाना पानी के लिए, ये तो सही है गांव में रोज़गार नहीं, फिर भी लोग जीवन-यापन कर आनंद से रह सकते है । हम रोशन सब देख रहे हैं, यदि लॉकडाउन के बाद बाज़ार खुलता भी है तो काफ़ी लोग  बेरोज़गार हो जायेंगे, जिसका प्रमुख कारण है कि अधिकांश लोग शहर में लोग तीस - चालीस किलोमीटर दूर रहता है, वे दफ्तर लोकल ट्रेन से आते हैं , और लोकल ट्रेन में वह भीड़ की पूछो मत, और सुनने में यह भी आया है कि लोकल ट्रेन नहीं शुरुआत होगा, यदि नहीं होता है तो और भी अर्थव्यवस्था गिर सकते हैं, संभव नहीं है कि लोग तीस से चालीस किलोमीटर लोग बस से आये जाये , वह भी प्रतिदिन, तब आदमी करेंगे क्या ,? करेंगे चोरी, और चोरी हो भी रहीं हैं । न जाने गिरते हुए कहाँ पर रूकेगी दुनिया के साथ अपनी भारतीय अर्थव्यवस्था। यही है लॉक डाउन में बदलती जीवन शैली ।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

रचनाएं :- 2

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 28-05-2020
दिवस :- गुरुवार
विषय :- मुक्त
विधा :- ग़ज़ल
विषय प्रदाता :-  आ. डॉ राकेश सक्सेना जी

तुम आओ , मेरी जीवन को आकर खिला दो ,
जाओ तुम कोरोना , अब अपने से मिला दो ।।

पढ़ते लिखते रहें, वह दिन लाकर दो ,
पतंग उड़ रही है, आप धागा ढीला दो ।।

उसे आसमान की , खुद से सैर करने दो ,
प्यासी है वह , उसको जल तो पीला दो ।।

प्यास बुझाकर , अपना दया,प्रेम वर्षा दो ,
करो मुक्त, रोशन तुम अंहकार गिरा दो ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 28-05-2020
दिवस :- गुरुवार
विषय :- मुक्त
विधा :- ग़ज़ल
विषय प्रदाता :-  आ. डॉ राकेश सक्सेना जी

-: कर दो मुक्त । :-

तुम आओ , मेरी जीवन को आकर खिला दो ,
जाओ तुम जाओ , अब अपने से मिला दो ।।

पढ़ते लिखते रहें, वह दिन लाकर दो ,
पतंग उड़ रही है, आप धागा ढीला दो ।।

उसे आसमान की , खुद से सैर करने दो ,
प्यासी है वह , उसको जल तो पीला दो ।।

प्यास बुझाकर , अपना दया,प्रेम वर्षा दो ,
करो मुक्त, रोशन तुम अंहकार गिरा दो ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो :-6290640716


कविता :- 16(45) हिन्दी
आनंद भाई की वर्षगांठ की ढेर सारी शुभकामनाएं 💐💐🙏
Happy Birthday Anand Brother

-: भाई आनंद । :-

खुशी हो आनंद हो ,
मैं रोशन मेरा न रास्ता बंद हो ।
सुधा, निर्मल जल फल फूल की सुगंध हो ,
राहुल अरुण मंगल ग्रह हो पर तुम्हारा
सफलता की गति न मंद हो ।।

राज्या के राजन, बनना तू राजा ,
तेरे लिए खुला है दरवाजा ।
कुछ कर जो है तेरा अंदाजा ,
अपने धर्म कर्म से हर कहीं छा जा ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716


नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 29-05-2020
दिवस :- शुक्रवार
विषय :- भारतीय अर्थव्यवस्था
विधा :- लघुलेख
विषय प्रदाता :-  आ. रचना उनियाल  जी

-: कोरोना के बाद की अर्थव्यवस्था । :-

ये कोरोना दुनिया की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस करके रख ही दिया, इससे भारत भी दूर न रहा, कैसे रहता दूर, अब तो ऐसा हो गया है कोरोना से तो लोग मर ही रहे है, उससे कहीं ज्यादा लोग भूख, बेरोज़गारी से मर रहे है ,लोग शहर जाते रहे पहले कमाने के लिए आज लोग वहां से लौट रहे है, अपने घर अपने गांव, आख़िर किस लिए,तो दाना पानी के लिए, ये तो सही है गांव में रोज़गार नहीं, फिर भी लोग जीवन-यापन कर आनंद से रह सकते है । हम रोशन सब देख रहे हैं, यदि
लॉकडाउन के बाद बाज़ार खुलता भी है तो काफ़ी लोग  बेरोज़गार हो जायेंगे, जिसका प्रमुख कारण है कि अधिकांश लोग शहर में लोग तीस - चालीस किलोमीटर दूर रहता है, वे दफ्तर लोकल ट्रेन से आते हैं , और लोकल ट्रेन में वह भीड़ की पूछो मत, और सुनने में यह भी आया है कि लोकल ट्रेन नहीं शुरुआत होगा, यदि नहीं होता है तो और भी अर्थव्यवस्था गिर सकते हैं, संभव नहीं है कि लोग तीस से चालीस किलोमीटर लोग बस से आये जाये , वह भी प्रतिदिन, तब आदमी करेंगे क्या ,? करेंगे चोरी, और चोरी हो भी रहीं हैं । न जाने गिरते हुए कहाँ पर रूकेगी दुनिया के साथ अपनी भारतीय अर्थव्यवस्था।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

कविता :- 16(44) हिन्दी

हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳

रचनाएं :- 1

शुभ प्रभात आदरणीयों
नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-138
दिनांक :- 27-05-2020
दिवस :- बुधवार
विषय :- अफ़वाह
विधा :- गीत
प्रदाता :- आ.  रिपुदमन झा " पिनाकी " जी

-:   अफ़वाह  !:-।

अफ़वाह की हम कथा सुनाते है , हां हम कथा सुनाते हैं ,
झूठ से जन्म लिए है ये, इसके बारे में हम रोशन कुछ
बतलाते हैं । हां हम कुछ बतलाते हैं ,

बोलो हो अफ़वाह की नाश , नाश ही न हो सत्यानाश ।।

चारों तरफ जब अफ़वाहें बढ़ने लगती हैं ,
तब सोये हुए भी जगने लगती है ।

जागकर फिर कुछ वे भी आगे बढ़ाते हैं , हां आगे बढ़ाते हैं ,
इसलिए हर कहीं अफ़वाह ही नज़र आते है ।

हवा से भी तेजी से वह आगे जाती है ,
आगे जाकर फिर वह तो शोर मचाती है ।

यही तो है अफ़वाह, इसे रोकने के लिए करो कुछ परवाह ,
यही तो है अफ़वाह, मत पकड़ो ये राह ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

रचनाएं :- 2

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 27-05-2020
दिवस :- बुधवार
विषय :- प्रस्थान
विधा :- कविता
विषय प्रदाता :-  आ. विनोद वर्मा  दुर्गेश जी

-: ये है प्रस्थान । :-

जब तक ये जान है ,
तब तक ये शान है ।
बदलता इंसान है ,
बदलते स्थान है ,
यही तो यारों प्रस्थान है ।।

हम रोशन भक्त,  और दूर भगवान है ,
सैनिक और किसान है ।
कला और विज्ञान है ,
वहां तक पहुंचना ही तो प्रस्थान है ।।

कुछ अभियान है ,
उसमें कुछ देना योगदान है ।
गुरुओं का दिया हुआ ज्ञान है ,
उस ज्ञान से जो आगे बढ़े
वह भी तो एक प्रस्थान है ।।

ये प्रकृति और नीला आसमान है ,
हम हिन्दुस्तानी, विश्व का प्यारा देश हिन्दुस्तान है ।
कल मरते ही जाना हमें श्मशान है ,
जन्म से मृत्यु तक जाना भी एक प्रस्थान है ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

कविता :-8(42) हिन्दी गाना
नमन 🙏 :- वर्तमान अंकुर मंच
तिथि :- 27-05-2020
दिवस :- बुधवार
विधा :- गीत
विषय :- मोदी की कथा
मुख्य आयोजक :- श्रीमान निर्मेश त्यागी जी
सह आयोजक :- आदरणीय सुनीता सोनू जी

-: मोदी की कथा । :-

गांधी के अवतार हम मोदी की कथा सुनाते है ,
   हां हम भारतीय कथा सुनाते है ,
अंधकार में रोशन किये हम इनके लिए दिये जलाते है,
   हां हम दिये जलाते है ।

सब बोलो बी. जे. पी की जय ,
हो हम जनता की भलाई ।

चाय बेचकर कुछ ही दिन में प्रधानमंत्री तो बन गये ,
जन सेवा से वे सारे तन में छा गये ।
देख के अध्यक्ष अमित शाह खुशी मनाते हैं,
हां खुशी मनाते है ।

गांधी के अवतार हम गुजराती मोदी की गाथा गाते हैं ,
हां हम भारतीय कथा सुनाते है ,

सब बोलो बी. जे. पी की जय ,
हो हम जनता की भलाई ।

नोटबंदी जैसे कानून तो देश में लगाये ,
सारे काले धन को तो दूर तो भगाये ।

देख के मायावती दीदी शोर मचाते हैं , हां शोर मचाते हैं ,
गांधी के अवतार हम मोदी को योगी संग गाथा गाते हैं ,
हां हम कथा सुनाते है ।

सब बोलो बी. जे. पी की जय ,
हो हम जनता की भलाई ।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716
कविता :- 16(44)

कविता :-3(30) हिन्दी
-: रेलगाड़ी । :-

रेलगाड़ी छुक - छुक करके जाती है ,
सभी बच्चे के मन को भाती है ।
तेज गति से भागती है ,
नहीं किसी से शर्माती है ।।

दूर देश गाँव हमें घूमाती है ,
अपने सीट पर हमें सुलाती है ।
नदी - पहाड़ निर्जन वन हमें दिखलाती है ,
हम सभी बच्चों को आगे बढ़ने सीखाती है ।।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
02-01-2018 मंगलवार
मो :-6290640716 कविता :- 3(30) ममता बनर्जी की
कॉपी में अमन 51/9 कुमार पाड़ा लेन लिलुआ
को स्कूल केन्द्रीय विद्यालय बामनगाछी में देना रहा
77/R mirpara road ashirbad bawan Liluah
आज कविता :-16(44) बुधवार 27-05-2020

कविता :- 3(77 )

-: मेरी राजनीति सत्ता की नहीं संघर्ष की है । :-

मेरी राजनीति सत्ता के लिए नहीं, संघर्ष की है ,
धर्म जात की नहीं ,मेरी चिंता ग़रीब की खाली पर्स की है ।

कैसे ग़रीबी हटाऊं जरुरत कार की नहीं , बाज़ार की है ,
पाँच साल बहुत है , कुछ ग़रीबी अभी कम कर दो,
सवाल इस साल की है ।

बिरयानी की नहीं , भूख दो रोटी की है ,
रहने के लिए एसी (AC)  नहीं, चैन से सोने के लिए
ज़रूरत दो गोटी की है ।

थके है मजदूर काम से , इनकी काम हर दिन की है ,
ज़बरदस्ती काम कैसे न करें मजदूर , चिंता पूंजीपति
की ऋण की है ।

रहने के लिए महल की नहीं , जरुरत झोपड़ी घर की है ,
शराब नहीं ले भाई , प्यास जल की है ।

ग़रीबी हमारे घर की ही नहीं , संसार की हैं ,
सत्ता की सरकार कहती :-
ग़लती हमारी नहीं , बीती हुई कई पाँच साल की है ।

ग़रीबों की मार्ग में रोशन लाना है ,
कैसे कहूं मैं, सरकार के लिए बात की नहीं,
अब लात की जमाना है ।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
02-02-2018 शुक्रवार 18:45
मो :-6290640716 कविता :- 3(77) ममता बनर्जी की
कॉपी में 51/9 कुमार पाड़ा लेन लिलुआ
कविता :-16(44) मोबाइल ख़राब हम मोनू, छोटा रोशन यहां हवा जोर से बुधवार 26-05-2020 Redmi यहां से टाईप
करके Bluetooth से भेजें ।
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1643-5-1310120711291137.html
कविता डायरी :- 2 आई बाधा:- (198)
https://kalamlive.blogspot.com/2020/05/jindgi-me-aesi-bandha.html
भक्त हूं वीर हनुमान का कविता :-11(35)
https://kalamlive.blogspot.com/2020/05/bhakt-hu-vir-hanuman-ka.html
सियालदह जयनगर गंगासागर :-कविता :- 5(15)
https://kalamlive.blogspot.com/2020/05/siyaladah-jaynagar-ki-yatra.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1598.html
kevin@allpoetry.com
https://swaikshikduniya.page/article/-zindagee-hai-sharaab/TpwvHZ.html


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