कविता :-16(43), हाइकु :-5, गीत,13(10),12(07),11(29),11(37),4(35)

कविता  :- 16(43), हाइकु :-5 ,गीत ,:- 13(10), 12(07)
11(29) ,11(37) , 4(35)
हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳

रचनाएं :- 1

शुभ प्रभात आदरणीयों
नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-137
दिनांक :- 26-05-2020
दिवस :- मंगलवार
विषय :- मुसाफ़िर
विधा :- हाइकु
प्रदाता :- आ. मीना तिवारी जी

-:   हम मुसाफ़िर  !:-

दिल दिमाग़
से हूं मैं मुसाफ़िर
चला हूं फिर

अपने पथ
से मंजिल की ओर
लगी है दौड़

गिरता हम
ज्यादा नहीं तो कम
हां हरदम

बढ़ते जाता
आगे देखते पीछे
तब चलते

हूं मुसाफ़िर
कहा दिमाग़ दिल
और शरीर

आज हूं यहां
पता न कल कहां
ले जाये जहां

क्योंकि चला हूं
रोशन राह पर
मैं मुसाफ़िर

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

रचनाएं :- 2

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 26-05-2020
दिवस :- मंगलवार
विषय :- परिवार
विधा :- छंद
विषय प्रदाता :-  आ. रुपेन्द्र गौर जी

-: हमारा घर परिवार । :-

जो है सो हमारा घर परिवार है ,
तब हमारे लिए गांव शहर बाज़ार हैं ।
तब जनता और सरकार है ,
क्योंकि हर से बोध करवाने वाला घर परिवार है !

परिवार ही पास - पड़ोस से करवाया परिचय ,
तब कही हटा हम रोशन से भय
फिर दिखाये विद्यालय,
तब विद्यालय से देखें हम कॉलेज व विश्वविद्यालय ।।

घर परिवार से बेहद प्यार है ,
घर-परिवार के बाद ही हमें कुछ स्वीकार है ।
तब कहीं दोस्त यार है ,
स्वर्ग से भी सुन्दर अपना घर परिवार है  ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716
89 पर चयनित जून के लिए :-102 में

        रचनाएं :- 3

नमन 🙏 :- काव्य कलश मंच
शब्द सुगंध क्रमांक :- 8
तिथि :- 26-05-2020
दिवस :- मंगलवार
विषय :-  निगाहें
विधा :-  कविता

-: हमारी निगाहें । :-

है कई राहें ,
चलें है तब पाये
हम रोशन देखें दायें और बायें ,
है हर कहीं हमारी निगाहें ।

मजदूर और किसान पर ,
कहो तो हर एक इंसान पर ।
कला और विज्ञान पर ,
ध्यान है हमें भी अपने ज्ञान पर ।

उसी से चल रहा हूं ,
वहां आज नहीं हूं जहां कल रहा हूं ।
निगाहें हर कहीं तब न हम डर रहा हूं ,
मोड़ आने से पहले ही हम अपनी निगाहें बदल रहा हूं ।‌।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

रचनाएं :- 4

नमन 🙏 :- हिन्दी काव्य कोश
तिथि :- 26-05-2020
दिन :- मंगलवार
विषय :-  माँ शारदे वन्दना
विधा :- गीत

ओ माँ सरस्वती ,
तू जान ले मेरी गति ,
मैं तो हूं मुरझाया  पत्ती
खिला दें मां,
तू तो खिलाने वाली है मां तू सरस्वती ।

विद्यापति, सूर , दिनकर जी की किये आप ही उद्धार, मां,
मैं रोशन भी आया हूं शरण में सुन ले मेरी पुकार मां ।

कुछ ऐसी ज्ञान मां भर दें ,
तू ही मां अक्ल दें ।।
और ये अंधकार मां हर दें ,
जीवन का उद्धार, मां कर दें ।।

ओ माँ सरस्वती ,
ओ तू ही ..... है  मां भगवती ।।
तेरे लिए जलाया हूं अगरबत्ती ,
तो बढ़ा दें मां मेरा मति

ले ले अपनी पूजा पाठ मां ,
दर्शन दें मुझको हर एक रात ..... मां ।।
ओ माँ सरस्वती ,
ओ तू ही ..... है  मां भगवती ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716

  रचनाएं :- 5

नमन 🙏 :- वर्तमान अंकुर मंच
तिथि :- 26-05-2020
दिवस :- मंगलवार
विधा :- कविता
विषय :-  फुरसत के पल
मुख्य आयोजक :- श्रीमान निर्मेश त्यागी जी
सह आयोजक :- आदरणीय सुनीता सोनू जी

बीतता रहा न कल ,
आज यूं ही गुज़र जाती फुरसत के पल ।
इस फुरसत में उदास है गांव घर ,
लगता ही नहीं कि वह है वही शहर ।।

उठना खाना पीना , घर ही का दाना
न कहीं आना न कहीं जाना ।
घर पर ही रहकर सुनना गाना ,
यही हैं फुरसत के पल
हाय रे हाय कैसा हो गया जमाना ।।

देशभर में
सब घर में ,
कोरोना के डर में ।
कहें मैं रोशन कब ? इसी फुरसत के पल में ‌।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716
जरा सुनो
चला हूं , चलता हूं और चल रहा हूं ,
वहां आज नहीं हूं जहां कल रहा हूं ।
रोशन कुमार झा

रचनाएं :- 6

कविता :-13(10) हिन्दी

-: गया न 370 वीं धारा । :-

जिसका आगमन से पूरा दुनिया गया हिल ,
नोटबंदी जैसी योजना से गरीबों का जीवन गया खिल ।
अमेरिका,रूस , जैसा धनी देश गया आपस में हमसे मिल ,
हटा न 370 वीं धारा और हो गया न अपना जम्मू-कश्मीर ।।

महान है पूजने योग्य है मोदी,शाह, योगी, कोविंद ,
मानों कि है आधुनिक गुरु गोविंद ।

इससे पहले कितनों भाईयों, जवानों का लाश बना है ,
तब सत्तर साल बाद पाँच अगस्त इतिहास बना है ।
राह रोशन हुआ कश्मीर अपना ख़ास बना है ,
और भारत माँ की स्वर्ग हरियाली की घास बना है ।।

पता है , ?
इतिहास बनकर भूगोल कटा है ।
मोदी सरकार के समय में 370 वीं धारा हटा है ,
सात के जगह नौ केन्द्र - शासित प्रदेश बनकर
एक राज्य घटा है ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
कलकत्ता विश्वविद्यालय ( Intex मोबाइल से )
06-08-2019 मंगलवार 09:45
मो:-6290640716 कविता :-13(10)
गांव में चाचा भी रहें चाची पांचवां बरकी रहा
Nss camp मधुबनी बिहार में
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा ।
साहित्य लाइव में प्रकाशित आज कविता :-16(43)
26-05-2020 मंगलवार आज बिहार 10 परिणाम

रचनाएं :- 7

कविता :- 12(07)

-: वोट दूंगा मैं फिर ।

राह रोशन करना है , रखा हूं मुस्कुराता हुआ होंठ ,
देकर आया हूं पहली बार वोट ।
मत यानी वोट धर्म - कर्म से दिया हूं , लेकर नहीं नोट ,
चिंता इसकी है कहीं व्यर्थ जाये न मेरी वोट ।

पर विश्वास हैं खिलेंगी कमल ,
मारा हूं दो पर , दूर हुआ डर ।
खुश होकर वापस आया हूं घर ,
अब रहेगी न ममता भरी पल ।।

राम नाम लेने पर जनता को पराछिस केनोऊ
( পরাছিষ কেনোই ) कहकर डांटी ,
उन्हें पता नहीं कि ये है राम की माटी ।
इसलिए निशाना मारा हूं, कमल फूल पर
जो है अटल जी की साथी ,
जिसे दिया हूं वोट वह दल है भारतीय जनता पार्टी ।।

अपने मत से वोट दिया हूं , और देने जाऊंगा फिर ,
उसी को दूंगा , जिसे कहेगा दिल ।
चाहे धमकाने के लिए लगे रहे भीड़ ,
परिणाम आ चुका है, उन्नीस में कमल गया है खिल ।।

* ® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :- 6290640716 कविता :- 12(07)
06-05-2019 सोमवार 17:45 (Intex :-1)
Part :-195 , s no :- 808
11:38 (2 no ) रन्तिदेव सेन गुप्ता जी रहे
CISF :- केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल
शिशु विद्यापीठ पचनतल्ला , लिलुआ
33/91 वेलगछिया रोड सुभाष भईया बाड़ी से
51/9 कुमार पाड़ा लेन लिलुआ हावड़ा :- 711204
आज कविता :- 16(43) मंगलवार 26-05-2020
77/R mirpara road Liluah ashirbad bawan
Microsoft:-2, Realme c2:- 3 , जनेऊ में फोड़े
Redmi :-4 से अगला साल का कविता :- 12(29)
पर :- 11(29) रहा  (सरस्वती लिखें तकदीर)
26-05-2020 रविवार नव गीत बनाता हूं ।

रचनाएं :- 8

कविता :- 11(29)

-: सरस्वती लिखें तकदीर । :-

सरस्वती लिखें तकदीर ,
वही बनाती विद्वान सैनिक वीर ।
समझा लो अपना दिमाग़ और दिल ,
एक गई है , कई आने वाली है फिर ।।

उसी में राह रोशन हुआ पर स्थिर है न मन ,
खुश हूं मैं जो पाया सरस्वती भरी धन ।
उस धन से माँ लक्ष्मी है प्रसन्न ,
सरस्वती, लक्ष्मी की इच्छा रहें तब क्यों न आयेगी
जीवन साथी पार्वती जैसन ।।

जो रहे पवित्र ,
जैसे कि शीत ।
हम उससे, उसके अलावा किसी और से करूं न प्रीत ,
उसी की स्नेह में मेरी जीवन जाये बीत ।।

यही मेरी इच्छा है ,
अफसरा परी नहीं , माँ सरस्वती से ज्ञान की भिक्षा है ।
ज्ञान सरोवर में ही धन - दौलत अफसरा परी की दिशा है ,
क्यों न अकेला दुख दर्द काटकर आगे बढूं ,
आगे बढ़ना ही तो उत्तर और शिक्षा है ।।

* ® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :- 6290640716 कविता :- 11(29) पर 11(029)
27-03-2019 बुधवार 21:27 (Intex :-1)
आज कविता :- 16(43) मंगलवार 26-05-2020

रचनाएं :- 9

कविता :- 11(37)

-: भक्त हूं वीर हनुमान का । :-

भूख है ज्ञान का ,
परवाह है न जान का ।
राह रोशन है , चिंता है ना मान और सम्मान का ,
हमेशा खुश रहता हूं , क्योंकि मैं भक्त हूं वीर हनुमान का ।।

नशा है न कनक , धतूरा, पान का ,
भूखा हूं मंगल गान का ।
कैसे वर्णन करूं भगवान का ,
बड़ी सुख-सुविधा मिलती , सिर्फ जपता हूं
राम भक्त नाम हनुमान का ।।

सहायक हूं जवान का ,
दर्द जानता हूं मजदूर किसान का ।
हवा में रहता हूं, पर डर रखता हूं तूफान का ,
समंदर की तरह अपने आप में बहता हूं
क्योंकि मैं सेवक हूं वीर पुत्र हनुमान का ।।

इंतजार रखता हूं न संतान का ,
पत्नी तक स्वार्थी होती , धन - दौलत क्या करूंगा
आवश्यकता है मुझे दो मुट्ठी धान का ,
और नश्वरता की प्राण का ,
जब तक मैं जिंदा रहूं , तब तक जपते रहूं नाम
वीर हनुमान का ।।

* ® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :- 6290640716 कविता :- 11(37) पर 11(037)
02-04-2019 मंगलवार 12:47 (Intex :-1)
12 बाद मंगलवार व्रत कर रहे हैं राकेश भईया फैक्ट्री से
मां का किये रहें । Intex से
आज कविता :- 16(43) मंगलवार 26-05-2020


कविता :- 4(35)
-: ज़िन्दगी है शराब । :-

दुनिया बड़ा ख़राब है ,
जैसे घड़ा से भरा शराब है ।

जो पीया वह भी पछताया ,
जो नहीं पीया वह कब नशेबाज में गिनाया ।

पीया वही जो नेहा भरी राहों में ज़ख़्म से मजबूर था ,
बिखरे जो है माला , वह भी कभी हरा - भरा फूल था ।

पीया शौक़ से नहीं, नफ़रत की राहों से ,
उसे कोई पिलाया नहीं , जो पीया वह पिया अपने बाहों से ।

दुनिया बड़ा ख़राब है ,
जैसे की महाभारत की काव्य है ।

वर्षा, आंधी, तूफान में उदासी से नहीं , भरी होंठ पर
मुस्कान के साथ पीया ,
हर एक चीज़ न्योछावर कर दिया,
उसके बदले में कुछ नहीं लिया ।

दिन ही अब बचा चार है ,
शराब ही तो ग़म में जीने की उपचार है ।

लगातार उपचार होने पर बुलावा आती है ऊपर से ,
यमराज स्वंय ले जाते है उठा कर घर से ।

शराब । शराब ! शराब ।
कहें रोशन हे मोनू ये दुनिया ही है ख़राब ।।

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716 कविता :- 4(35) Pmkvy copy में
24-02-2018 शनिवार 18:35
ये कविता एक आदमी शराब पीकर बोलते रहे शराब, शराब
हम मोनू लिलुआ वर्क शॉप से आते रहे ।
आज का कविता :-16(43) मंगलवार कोरोना समय में
26-05-2020 जया:-447 दसवीं में नीतीश बहन आज
Topper :- हिमांशु

https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1116721828698885/?flite=scwspnss&extid=vmaFa4V7xXJGoy5q


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