कविता :- 16(41)भाई

कविता :-16(41) हिन्दी     ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
Happy Brother's Day

-: भाई हमारा । :-

खुद छोड़ दिया हमें कहा कर पढ़ाई ,
भाई राहुल खुद करने लगा कमाई ।
प्यारा है हमारा राजन, आनंद भाई ,
हम रोशन दिये है अपनी इच्छा बतलाई ।

दुख दर्द सहूं ,
नदी की तरह बहू ।
हम रहूं या न रहूं ,
है आज भाई का दिन
भाई के बारे में हम क्या कहूं ।।

दिखा रहा हूं एक इशारा ,
बढ़े भाई हमारा ,
है न्यारा प्यारा ।
हारा पत हार से न हारा ,

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
मो :-6290640716
24-05-2020 रविवार 19:15
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना

नमन 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है " साहित्य समूह
कविता  :- 15(03)  हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳

-:  तू मेरी मैं तेरी थी   !:-

मैं रोशन यह ज़िन्दगी तेरी थी ,
तब ही अपना मानती थी , जब तू अकेली थी !
तू तो लुटी ही और तुम्हारी लुटने वाली सहेली थी ,
आज किसी और की हो गई यह तुम्हारी नहीं मेरी
क़िस्मत की फेरी थी !!

तब ही पूजा करने योग्य फूल तू चम्पा और चमेली थी ,
जब तू मेरी थी !
तुम्हारी जिन्दगी में किसी के आने की देरी थी ,
बदल गई तू , ऐसा कौन सा पहेली थी !!

तू मेरी मैं तेरी थी ,
कैसे भूलें वह दिन , जब तू मेरे साथ खेली थी !
सुन्दर रूप, सुन्दर चाल चलने वाली तुम्हारी एड़ी थी ,
छोड़कर चली गई, क्या इतने ही दिन की सफ़र मेरी थी !!

मेरी डांट फटकार सब झेली थी ,
कब ? जब तू अकेली थी !
छोड़कर जाना रहा ,यह सोच तेरी थी ,
तुम खुश हो न , फुटा क़िस्मत तो मेरी थी !!

                  🙏 धन्यवाद ! 💐🌹

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 

-: मौन हूँ अनभिज्ञ नहीं  !:-

मौन हूँ , तो मैं अनजान नहीं ,
चुप हूँ, तो क्या मेरा पहचान नहीं ।
कोरोना तेरे कारण खुला हुआ बाज़ार
और दुकान नहीं ,
तू कोरोना जायेगा, तुम से डरने वाला
हमारा हिन्दुस्तान नहीं ।

प्रेम है , अभिमान नहीं ,
व्यर्थ हमारा ज्ञान नहीं ।
पीछे हटा मेरा कला और विज्ञान नहीं ,
तू जायेगा कोरोना
इसलिए मौन हूं , पर अज्ञान नहीं ।

हूं हम रोशन बेरोज़गार पर चीन तुम्हारे जैसा
हम भारतीय बेईमान नहीं ,
मार - काट करने पर हमारा ध्यान नहीं ,
तू क्या समझा कोरोना ,
तुम्हारे भगाने के लिए कोई विद्वान नहीं ।।

बन रही है सुझाव चुपके से , अभी कहीं भान नहीं ,
इसलिए मौन हूं , तो क्या मेरे होंठों पर मुस्कान नहीं ।
बंद है भारत दुनिया के साथ तो क्या हुआ
तू कोरोना महान नहीं ,
कष्ट दूर करेंगे प्रभु , तू क्या समझा हम मानव के
लिए भगवान नहीं ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
कविता :- 16(29 )

नमन 🙏 :- साहित्य प्रहरी
कविता  :- 14(87)  हिन्दी  ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 24-05-2020
दिवस :- आदित्यवार रविवार
विषय :- मुक्त
विधा :- कविता
विषय प्रदाता :-  साहित्य संगम संस्थान

-:  मां तुमसे ही है मेरी उत्पत्ति  !:-

मां तूने जन्म दी, पर गर्लफ्रेंड के बिना दिन कटी ,
हम रोशन हमें बनना है न किसी के पति !
बस इसी तरह बढ़ते रहे मेरी सफलता की गति ,
मां तूने मुझे उत्पन्न की और मैं तेरा पुत्र हर रोज़ करता
हूं एक कविता की उत्पत्ति !!

मां सुन लो मेरी कविता , अगले साल की कविता
पर लिखा हूं ये कविता ,
सुन लीजिए आप , पूजने योग्य है पिता !
लिखता हूं पूजा पाठ व करके योग कविता ,
हे ईश्वर,खुदा, मसीहा मत मेरे रोग मिटा ,
हे जिन्दगी तू हमें हरा , हमें न तू जीता !!

हार के आऊं हमें हार से है न आपत्ति ,
चाहे मुझ पर आये लाख विपत्ति !
रहें या न रहे मेरी आंख की गति ,
बस मां तुम्हारी दया बना रहे , जिससे मैं रोज़ करते
रहूं एक कविता की उत्पत्ति !!

सुख-दुख सबके जीवन में है सटी ,
कुछ बनना है , इसलिए सुनता हूं, करता हूं न
कभी किसी का बेइज्जती !
खुद को पहुंचता, पर पहुंचाता हूं न किसी को क्षति ,
हे माँ तुम्हारी दया बना रहे, मैं दुख में भी मुस्कुरा कर
करते रहूं हर रोज़ एक कविता की उत्पत्ति !!

                  🙏 धन्यवाद ! 💐🌹

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
मो :-6290640716 कविता  :- 14(87) 

मजदूरों पर आधारित एक ई-पुस्तक का साझा काव्य संग्रह के लिए रचनाएँ  :-
कविता  :- 1

-: हम मजदूर हैं ।

बाद में कुछ पहले हम मजदूर हैं ,
तब हम मशहूर है ।
बाग़ के हम फूल है ,
हम तो मजदूर हैं ।

जो खेत में दिन रात करते काम ,
आते घर करते थोड़ा विश्राम ।
न पद न चाहिए इनाम,
हम रोशन मजदूर हैं भाई
करते पूजा पाठ लेते हरि के नाम ।

सुबह शाम
जपते राम - राम ।
करते न बुराई के काम
हम मजदूर हैं,
मेरे तरफ से आप सभी को सादर प्रणाम ।

मजदूर हैं हम जो भी करते करते तमाम ,
मेहनत ज्यादा ,मिलते न ज्यादा दाम ।
पहले मजदूर तब प्राण तब है मेरा नाम ,
आभार हूं  " कलम लाइव पत्रिका " का मजदूरों
पर आधारित ई-पुस्तक से दिये है मजदूरों की इनाम ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
मो :- 6290640716

कविता :- 2

-: मजदूर का सम्मान करों  ।

बेचारे मजदूर मेहनत करके उपजाते खेत ,
उनकी परिश्रम से कोई और कहलाते सेठ ।
मजदूर नमक रोटी से भरते पेट ,
उन्हीं से है हरा भरा ये क्षेत्र ।।

अरे ! मजदूर भाईयों को सम्मान दो ,
बनते हो दानी , कुछ इन्हें भी दान दो ।
नव जीवन नव प्राण दो ,
हम रोशन कलम लाइव पत्रिका के साथ दे रहे हैं,
आप भी मजदूरों भाईयों के होंठों पर मुस्कान दो ।।

ध्यान दो ध्यान दो ,
मजदूरों को योगदान दो ।
कला और विज्ञान दो ,
कुछ इनसे लो तो कुछ इन्हें भी ज्ञान दो ।।

ताकि ये मेहनत करें ,
दूर और निकट करें ।
कोई मजदूरों साथ ग़लत मत करें ,
करें तो जन जन मजदूरों का इज़्ज़त करें ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
कविता :- 16(40) शनिवार 23-05-2020
जीवन परिचय :-
कलम लाइव पत्रिका का सदस्य
राजू सर भेजें उनका बहुत बहुत धन्यवाद
राजू कुमार चौहान के सम्पादन में मजदूरों पर आधारित एक ई-पुस्तक का साझा काव्य संग्रह निकाला जा रहा हैं आप निचे लिखे नियमावली के अनुसार रचनाएँ भेज सकते हैं।

नॉट:- 
■ साहित्यकार को अपना सम्पूर्ण अथवा संक्षिप्त परिचय और साथ मे एक तस्वीर भेजना आवश्यक हैं
■ मजदूरों पर आधारित कोई भी दो कविताएं (रचनाएँ) भेजें।
■ रचना में रचना का शीर्षक और रचनाकार का नाम स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
■ इस संकलन में केवल 20 कवि कवयित्री शामिल होंगे।
■ रचना का चुनाव पहले आओ और पहले स्थान पाओ के आधार पर रचना में व्यक्त भाव के मद्देनजर होगा।
■ आप अपनी रचना ईमेल में टाईप की हुई अथवा वर्ड फाइल में भेज सकते हैं। ई- मेल में मजदूर काव्य संग्रह हेतु जरूर लिखकर भेजे।
■आप हमें हमारे ईमेल (kalmlivepa)के माध्यम से रचनाएँ  भेज सकते हैं। (नॉट:- केवल विशेष व्यक्ति जो ईमेल का उपयोग नहीं जानते हैं वो 88022 व्हाट्सएप कर सकते हैं।)
■ इस ई-पुस्तक को आपके सम्मुख 30मई से 10जून के बीच प्रस्तुत किया जायेगा
■ रचना भेजने की अंतिम तिथि 25 मई हैं। इसके बाद प्राप्त किसी भी रचना पर विचार नहीं किया जायेगा।
■ यह बिल्कुल निशुल्क हैं।


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