कविता :-16(40) ,गीत, :-7(09) और यादें पहला डायरी

कविता :-16(40)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
दिनांक :-23-05-2020
दिवस :- शनिवार
विषय :- आ. सुधीर चौधरी जी व डीएनए की समीक्षा
विधा :- समीक्षा
विषय प्रदाता:- साहित्य संगम संस्थान
समीक्षक :-
(1) आ. डॉ स्वाति श्रीवास्तव जी
(2) आ. सुनिल अवधिया जी

-: आ. सुधीर चौधरी जी व डीएनए की समीक्षा । :-

26 छब्बीस साल से पत्रकारिता करते आये है आदरणीय सुधीर चौधरी जी, इस दौरान उन्होंने हमें और आपको अच्छी खबरें भी बताई और बुरी खबरें भी बताई. कुछ खबरें देखकर हम सभी उदास भी हुए तो कुछ खबरों से हम रोशन खुश भी ।
चौधरी जी ने भारत की संसद पर आतंकवादियों ने हमला किया रहा उस वक्त  संसद के ठीक सामने से रिपोर्टिंग की
आतंकवादी संगठन ISIS को करीब से देखने के लिए वे सीरिया तक पहुंच गया, कारगिल युद्ध की भी रिपोर्टिंग की.

कुछ महीनों से दुनिया के साथ भारत भी कोरोना वायरस से जूझ रही है. लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इस दौरान भी चौधरी जी व ज़ी न्यूज़ की पूरी टीम भी अपनी जान ख़तरे में डालकर हर दिन ड्यूटी आई । जो भी चौधरी जी किये वह किसी पद और पुरस्कार की उम्मीद में नहीं, वह हमारे आपके प्यार और देश के लिए किये । उसके बाद भी देश के कोने-कोने से इनाम के बदले एफ. आई. आर ( F I R ) की सूचना मिलती है ,
ग्यारह मार्च को चौधरी जी ने सिर्फ जमीन जेहाद का ही सच नहीं दिखाये, बल्कि उन्होंने लगातार उन लोगों को एक्सपोज किया जो देश को बांटने की साजिश रच रहे हैं. ये सच दिखाना ही क्या उनका सबसे बड़ा गुनाह है . डीएनए
D N A ( Daily News and Analysis ) डेली न्यूज़ एंड एनालिसिस में जमीन जेहाद पर बात करने से किसी की भावना को कैसे चोट पहुंचा सकती है , अपने ही देश के एक इलाके में जाना ग़लत कैसे हो सकता है । क्या यही विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता है ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
मो :- 6290640716

मन 🙏 :- " कलम ✍️  बोलती है " साहित्य समूह
रोशन कुमार झा
क्रमांक :- 135
तिथि :- 23-05-2020
दिन :- शनिवार
आज का विषय :-  मौसम का बदला रूख
प्रदाता :- आ. एस.डी .शर्मा जी

-: मौसम बदले ठीक पर तुम भी बदली । :-

कुछ कमी तो कुछ सीख है,
मौसम बदले वह ठीक है ।
तुम भी बदलोगी वह दिन नजदीक है
बदलना ही तो प्रकृति की प्रतीक है ।

गिरा हूं गिरता हूं और जाऊं गिर ,
कहां जहां हम रोशन का है मंजिल ।
समझाया हूं , समझ गया है दिमाग़ और दिल
तब तुम्हारी पीछे क्यों जाऊं फिर ।

मौसम बदले वह सही है ,
पतझड़ के बाद बसंत तो कहीं है ,
तुम बदली तुम्हारे सिवा मेरा कोई नहीं है ,
कल भी और आज भी दर्द वही है ।

खैर चलता हूं जैसे चलते घड़ी ,
हम क्या चलाते तो हरि ।
तू ही रही मेरी अफ़सरा परी ,
मौसम के साथ तू भी बदलकर चली ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
मो :- 6290640716

नमन 🙏 :- उत्तरांचल उजाला
विषय प्रतियोगिता :- जोश नहीं खामोश
दिनांक :- 23-05-2020 शनिवार

🇮🇳🇮🇳  देश के रक्षक तीन भाई ‌ । :- 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
जोश नहीं खामोश में रहते  देश के रक्षक तीनों भाई ‌ । :-

हिन्दुस्तान की सोन्दर्यता की प्रतीक जल,थल, वायुसेना
तीनों भाई है ,
अपनों के लिए चंदन दुश्मनों के लिए कसाई हैं ।

जय श्री राम, जय हिन्द इनके नारा है ,
सुरक्षा के प्रति इनके पास अणु परमाणु बम प्वाइंट टु टु
.22 रायफल, 7.62 एल.एम. जी , एस. एल. आर ,
ब्रह्रामोज और भी शस्त्र व भाला है ।

सुबह में पीटी फिर करने को ड्रिल (Drill ) है ,
तीनों भाइयों को दुश्मनों के सामने वीरता दिखाने के लिए
सर्वोच्चम पुरस्कार चक्र परमवीर है ।

हर एक का मार्ग रोशन, देश की मान सम्मान इनके हाथों में है ,
क्या कहूं दम तो इनके वर्ड आफ कमांड और
हर एक बातों में है ।

देश सेवा के लिए तैरकर, उड़कर, दौड़कर चलते है ,
मारने या वीरगति पाने की भावना रखकर , दुश्मनों से
सीना तानकर लड़ते हैं ।

पहनने के लिए जूता , डी. एम. एस , तीनों भाई के
अलग-अलग वर्दी है ,
रहने के बाद भी कहां इनके लिए होली ,ईद, दिवाली,
गर्मी या सर्दी है ।

मंगल हो या शनि हर दिन दाढ़ी बनाते यानि सेविंग करते हैं,
कब घर - परिवार, समाज से दूर हो जायेंगे , क्योंकि हर
दिन युद्ध के मैदान में चलते है ।।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716 कविता :-7(009)
31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी फोर्ट विलियम कोलकाता
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
06-07-2018 शुक्रवार 00:05 , Ncc
31 st Bengal Bn Ncc Fort William Kolkata-B
Coy no :-5 (Reg no :- WB17SDA112047 )
22-05-2020 शुक्रवार कोरोना कविता :-16(39) ,3(15)
कोबरा वाहिनी Roshan Kumar Jha 11 जुलाई नेहा जन्मदिन कविता :-7(009) Intex

नमन 🙏 :- हिन्दी काव्य कोश
तिथि :- 23-05-2020
दिन :- शनिवार
विषय :-  हार कहाँ हमने मानी है ।
विधा :- गीत

-: हार मानी नहीं । :-

राजा है और रानी है
हैं हम प्रजा की कहानी  ।
कुछ भी होते तो हमने कभी न हार मानी ,
कहो मिलकर कि हम हैं हिन्दुस्तानी ,ओ
हम है हिन्दुस्तानी ।।

प्यासे रहकर प्यासो को देते हैं हम पानी ,
सोचे न समझे न कि मेरी होगी कोई हानी ,
क्योंकि हम करते हैं मेहरबानी, हां ...
हम अभी हार नहीं है मानी ।।

यही एक से एक  बढ़कर हैं ज्ञानी ,
हम रोशन लिखें है गीत हैं माँ सरस्वती की वाणी....
तब लिखें जब की है मां मुझ पर मेहरबानी ,
कहो हम है हिन्दुस्तानी , हां हां हम है हिन्दुस्तानी ।।

बन रहें हैं और यही से बने हैं एक से एक विज्ञानी ,
लेते न देते हैं हम कहलाते हैं हम दानी ।
यही हैं हमारी मेहरबानी , हां हां हमने कभी न हार मानी ।
तब कहलाते हैं हम हिन्दुस्तानी , ओ हम... है हिन्दुस्तानी ।।
                                           
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
मो :- 6290640716
कविता :-16(37) पांच रचनाएं,जीवनी 20-05-2020


17-05-2020 रविवार कविता :- 16(34)

नमन 🙏 :- वर्तमान अंकुर मंच
तिथि :- 23-05-2020
दिवस :- शनिवार
विधा :- कविता
विषय :- दिल की आरज़ू
मुख्य आयोजक :- श्रीमान निर्मेश त्यागी जी
सह आयोजक :- आदरणीय सुनीता सोनू जी

-: तुम्हारी यादें !:-

आंखों से मेरे आंसू बहने दो ,
मत रहो मेरे पास, बस अपनी यादें रहने दो ।

चांदनी रातें में जो बांटे थे सुख ,   वे रहने दो ,
अंधेरी रात में जो दुख देकर गयी वे अब सहने दो ।

पार्क , बाग़ में बैठकर किये थे, जो बातें,
अब उस बातें को रहने दो ,
जो पूरा नहीं हुआ चाहत , उन चाहत को रहने दो ।

तुम्हारे आने की जो आगाज़ थी , उस पल को रहने दो ,
तुम्हारे जाने से जो हम रोशन को गम मिला,
अब उस गम को सहने दो ।

तुम्हारी जो घुँघरू की आवाज थी, उस आवाज को सुनने दो,
जो तुम्हारे लिए रखें थे प्रेम की बातें ,
अब उन बातों को कहने दो ।

तुम्हारी जो आने की मार्ग थी, उस मार्ग को निखारते रहने दो,
तुम आओ या मत आओ , बस हमारी इंतजार जारी रहने दो ।

पतझड़ में दी थी होंठों पर मुस्कान, उस मजे को रहने दो ,
भरी बंसत में जो देकर गयी सजा , उस सजे को सहने दो ।

पास रहो या मत रहो ,
बस मेरी आंखों से आंसू बहने दो ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :-6290640716 कविता :- 16(34)
17-05-2020 रविवार
✍️ रोशन कुमार झा     (Pagal)  Neha singh
24-09-2016  शनिवार 16:25
कक्षा :- 12 वीं  क्रमांक :-11
विभाग :- आर्ट्रस (कला )
विद्यालय :- सलकिया विक्रम विद्यालय ( मेन )
मो :-8481   933873
51/9 Kumar para lane,अभी 77/R mirpara road
डायरी नहीं एक मोटा रजिस्टर रहा, जो पिताजी अपने कार्यकाल से लाये रहे, उसमें हिसाब किताब हुआ रहा ,

######  रोशन कुमार झा  ####  4


हाइकु

-: रावण मरण !:-

सीता ने राम
से कहती हे प्रिय
सुनो ये बात

जनकपुर
में हुई मुलाक़ात
आपके साथ

उससे कुछ
बढ़ते रहा आश
वही रहूं मैं

जहां आप हो
सेवा में हम रहूं
आपके पास

मिला राम को
राज्य न वनवास
संग लक्ष्मण

और जानकी
साथ साथ चलते
गये जंगल

गुजरी काल
सीता देखी हिरण
मन ही मन

चाहिए रहा
प्रिय राम से कही
हिरण पीछे

भागते रहे
राम वन के धाम
घबरा गई

राम के सीता
फिर लक्ष्मण को भी
भेजी पीछे से

दे गये रेखा
वही लक्ष्मण रेखा
होती न पार

हुआ रहता
नहीं सीता हरण
ये रामायण

साधु वेश में
भिक्षा लेने आये जो
रावण मोह

रेखा पार की
सीता जी को ले गये
किये हरण

वापस आये
राम लक्ष्मण कुटी
रही न सीता

सीते हे सीते
कहां तू है वन में
न सुनी बोली

क्योंकि लंका में
सीता मुसीबत में
लगाये पता

गये श्रीलंका
वे दूत हनुमान
देखी माँ सीता

हे हनुमान
कहां राम लक्ष्मण
दे देना चूड़ी

हमें ले आया
लंका के रावण
बने वे  साधु

तब राम ने
लक्ष्मण, हनुमान
बनाये वहीं

लंका जाने के
लिए आदम पुल
बनाये सब

विभिषण ने
लिया प्रभु राम के
पास शरण

तब ही युद्ध
हुआ रावण मरण
कहें रोशन

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716
22-05-2020 शुक्रवार कविता :-16( 39)
कविता :-16(37):- 20-05-2020
दिवस :- बुधवार हाइकु :-3 साहित्य लाइव

 मजदूरों पर आधारित एक ई-पुस्तक का साझा काव्य संग्रह के लिए रचनाएँ  :-
कविता  :- 1

-: हम मजदूर हैं ।

बाद में कुछ पहले हम मजदूर हैं ,
तब हम मशहूर है ।
बाग़ के हम फूल है ,
हम तो मजदूर हैं ।

जो खेत में दिन रात करते काम ,
आते घर करते थोड़ा विश्राम ।
न पद न चाहिए इनाम,
हम रोशन मजदूर हैं भाई
करते पूजा पाठ लेते हरि के नाम ।

सुबह शाम
जपते राम - राम ।
करते न बुराई के काम
हम मजदूर हैं,
मेरे तरफ से आप सभी को सादर प्रणाम ।

मजदूर हैं हम जो भी करते करते तमाम ,
मेहनत ज्यादा ,मिलते न ज्यादा दाम ।
पहले मजदूर तब प्राण तब है मेरा नाम ,
आभार हूं  " कलम लाइव पत्रिका " का मजदूरों
पर आधारित ई-पुस्तक से दिये है मजदूरों की इनाम ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
मो :- 6290640716

कविता :- 2

-: मजदूर का सम्मान करों  ।

बेचारे मजदूर मेहनत करके उपजाते खेत ,
उनकी परिश्रम से कोई और कहलाते सेठ ।
मजदूर नमक रोटी से भरते पेट ,
उन्हीं से है हरा भरा ये क्षेत्र ।।

अरे ! मजदूर भाईयों को सम्मान दो ,
बनते हो दानी , कुछ इन्हें भी दान दो ।
नव जीवन नव प्राण दो ,
हम रोशन कलम लाइव पत्रिका के साथ दे रहे हैं,
आप भी मजदूरों भाईयों के होंठों पर मुस्कान दो ।।

ध्यान दो ध्यान दो ,
मजदूरों को योगदान दो ।
कला और विज्ञान दो ,
कुछ इनसे लो तो कुछ इन्हें भी ज्ञान दो ।।

ताकि ये मेहनत करें ,
दूर और निकट करें ।
कोई मजदूरों साथ ग़लत मत करें ,
करें तो जन जन मजदूरों का इज़्ज़त करें ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
कविता :- 16(40) शनिवार 23-05-2020
जीवन परिचय :-
कलम लाइव पत्रिका का सदस्य
राजू सर भेजें उनका बहुत बहुत धन्यवाद
राजू कुमार चौहान के सम्पादन में मजदूरों पर आधारित एक ई-पुस्तक का साझा काव्य संग्रह निकाला जा रहा हैं आप निचे लिखे नियमावली के अनुसार रचनाएँ भेज सकते हैं।

नॉट:- 
■ साहित्यकार को अपना सम्पूर्ण अथवा संक्षिप्त परिचय और साथ मे एक तस्वीर भेजना आवश्यक हैं
■ मजदूरों पर आधारित कोई भी दो कविताएं (रचनाएँ) भेजें।
■ रचना में रचना का शीर्षक और रचनाकार का नाम स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
■ इस संकलन में केवल 20 कवि कवयित्री शामिल होंगे।
■ रचना का चुनाव पहले आओ और पहले स्थान पाओ के आधार पर रचना में व्यक्त भाव के मद्देनजर होगा।
■ आप अपनी रचना ईमेल में टाईप की हुई अथवा वर्ड फाइल में भेज सकते हैं। ई- मेल में मजदूर काव्य संग्रह हेतु जरूर लिखकर भेजे।
■आप हमें हमारे ईमेल (kalamlivepatrika@gmail.com)के माध्यम से रचनाएँ  भेज सकते हैं। (नॉट:- केवल विशेष व्यक्ति जो ईमेल का उपयोग नहीं जानते हैं वो 8802208876 व्हाट्सएप कर सकते हैं।)
■ इस ई-पुस्तक को आपके सम्मुख 30मई से 10जून के बीच प्रस्तुत किया जायेगा
■ रचना भेजने की अंतिम तिथि 25 मई हैं। इसके बाद प्राप्त किसी भी रचना पर विचार नहीं किया जायेगा।
■ यह बिल्कुल निशुल्क हैं।

http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/ravan-maran-roshan-kumar-jha.html
कविता :-7(09)
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