कविता :-16(36) हिन्दी हाइकु पहला व 4 रचनाएं

कविता :-16(36) हिन्दी हाइकु पहला व 4 रचनाएं
साहित्य लाइव में 15(06) हम सब अतिथि हैं
तुम्हारी यादें पहला डायरी की

#####  रोशन कुमार झा  ####  1

सुप्रभात सभी आदरणीयों,
नमन 🙏 :- " कलम ✍️  बोलती है " साहित्य समूह
क्रमांक :- 131
तिथि :- 19-05-2020
दिन :- मंगलवार
आज का विषय :-  पिता
विधा :- हाइकु
प्रदाता :- आ. प्रीति शर्मा जी

-: पिता  । :-

पिता हमारा
वही जीवन दाता
पिता व माता

तब ही खाता
जब ही हम आता
पिता कमाता

हमारा गाथा
आपको भी सुनाता
जीवन दाता

रोशन पर
न कल दुख आता
कमाने जाता

कमाकर वे
आते लाते राशन
तब बासन

चूल्हा पर
बनाती माता खाना
पेट में दाना
                                                           
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
मो :- 6290640716

#####  रोशन कुमार झा  ####  2

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 19-05-2020
दिवस :- मंगलवार
विषय :-  सवेरा
विधा :-  छंद
विषय प्रदाता :-  आ.  सुनिल कुमार जी
समीक्षक :-
(1) आ. डॉ महालक्ष्मी सक्सेना मेधा जी
(2)  आ. रचना उनियाल जी

-: अभी सवेरा अभी न अंधेरा । :-

दूर है अंधेरा ,
अभी तो हुआ ही है सवेरा ।
हार जीत कर प्रवेश किये है साहित्य में अकेला ,
तो जाने से पहले करूं साहित्य की सेवा
यही उद्देश्य है मेरा ।।

तन-मन-धन करूं साहित्य पर समर्पित ,
लिखूं कविता और गीत ।
हम रोशन को मिले हार , मिले न जीत
साथ देने के लिए कोई और नहीं ,
सिर्फ शब्द ही है अपना मित्र ।।

कुछ न कुछ सीखाती हर एक सवेरा ,
चलते रहो अभी दूर है अंधेरा ।

इसलिए चलता हूं गिरता हूं ,
हर एक सवेरा से मिलता हूं ,
जो बीती हुई सवेरा में देखता हूं
उसे ही आयी हुई सवेरा में लिखता हूं ।।

दुख दूर करूंगा तेरा ,
यही कह कर बीती है आज की सवेरा ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716

#####  रोशन कुमार झा  ####  3

नमन 🙏 :- वर्तमान अंकुर मंच
तिथि :- 19-05-2020
दिवस :- मंगलवार
विधा :- कविता
विषय :-  मुसीबत से मुक्ति
मुख्य आयोजक :- श्रीमान निर्मेश त्यागी जी
सह आयोजक :- आदरणीय सुनीता सोनू जी

-: मुसीबत से निकलना हैं । :-

कदम कदम मिलाकर चलना हैं ,
आये तो कुछ करके मरना है ।
ये कोरोना को दूर करना हैं ,
सच में मुसीबत से निकलना हैं ।।

लड़ना है कोरोना से ,
लगाव न हमें सोना से ।
जादू न टोना से
भगाना है कोरोना को कोना कोना से ।

घर पर ही अभी कष्ट सहना हैं ,
कुछ दिनों तक दूरी बनाकर ही रहना हैं ।
नीति नियम से हम रोशन को चलना है ,
इस मुसीबत से निकलना हैं ।।

निकलेंगे हम साथ साथ हैं ,
कल दिन भले आज रात है ।
किसी का न किसी पर हाथ है ,
अभी तो सबका मुसीबत से मुलाक़ात हैं ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716

जरा सुनो

कर्म करो करते ही रहो फल मिलेंगे ही, आज कली कल फूल खिलेंगे ही ।

रोशन कुमार झा

#####  रोशन कुमार झा  ####  4

कविता :- हिन्दी   ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳

-: अभी सवेरा अभी न अंधेरा । :-

आयी सूर्य की किरण हुआ सवेरा ,
चलो काम पर ,छोड़ो अब डेरा ,

क़ीमती वक्त है आपका और मेरा ,
करते हैं कोशिश आप गुरु हम चेला

हटाओ कल की बात क्या दुख तकलीफ़ झेला ,
कुछ नव निर्माण करो , यही करवाने आयी है सवेरा

लेंगे सहयोग पहले कोशिश करें अकेला ,
कहीं सुख दे दें विधाता विष हरे तेरा ।

रोशन चलो चलो काम पर हुई सवेरा ,
तन-मन से काम करो, क्या होगा देखकर मेला ।।

राह पर लाख विपत्ति पड़े होंगे झमेला ,
सब से निपटना है, यही कह रही हैं सवेरा ।।

उठो उठो त्याग करो डेरा ,
चलो कुछ कर लेते हैं , हुई सवेरा ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716 कविता :-16(36)
19-05-2020 मंगलवार

######  रोशन कुमार झा  #### 

तुम्हारी यादें
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कल वाला कलम लाइव पत्रिका में शहर
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स्वैच्छिक दुनिया ;- कविता से मोहब्बत हुआ
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